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Incest दीवाना चुत का

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इधर बाहर
सभी लोग इस बात पर तैयार हो गए कि मै दीदी के साथ उनके साथ सहर में कुछ दिनों के लिए रहूंगा जबतक की ठाकुर शांत नही हो जाता है।इधर वह लड़की अपने घर पर तैयार हो कर बैठी अपनी माँ से बाते कर रही थी
लड़की :माँ अब आप क्यों नाराज हो अब मैं जा तो रही हु ना शाम तक मैं उससे मिल कर मैं आ जाऊंगी लेकिन जब तक वह शादी के लिए मान नही जाता है तब तक मैं यह नही बताउंगी की मैं कौन हूं।ऐसा न हो कि वह मुझसे नही बल्कि पैसे को देख कर शादी कर ले और ऐसा मैं बिल्कुल भी नही चाहती हु।
औरत :जब तक तुम उसे लेकर नही आती तब तक मुझसे बाते मत करो । तुम क्या करोगी यह मैं नही जानती मैं बस इतना जानती हूं कि मेरा दामाद मेरे सामने चाहिए।
लड़की :ठीक है माँ अगर आपकी यही मर्जी है तो यही सही।
इतना बोल कर वह लड़की चली जाती है और वह औरत घर मे ही टंगे एक फोटो के सामने खड़ी होकर रोने लगती है और बोलती है कि
औरत :बेटा तू कितनी खुशी से सोनिया को इस घर की बहू बना कर लाया था लेकिन भगवान को भी इस घर की खुशियां रास नही आई और उसने जल्द ही तुझे अपने पास बुला लिया और उसके बाद उसने अपने सारे गमो को दिल मे ही दबा कर मेरे सामने हस्ती रहती है और इस पूरे बिजनेस को उसने एक बेटे की तरह सम्भाल लिया और खुद की माँ बाप का कहना ना मानकर उसने मेरी सेवा की है और अब जब भगवान ने उसे थोड़ी खुसिया दे रहे है तो मैं कैसे उसे रोकू अगर मैं इतना फोर्स नही करती
तो वह कभी भी तैयार नही होती।
तभी पीछे से एक लड़की की आवाज आती है और वह बोलती है कि
लड़की :नही मा यह आपने बिल्कुल ठीक किया मैंने भाभी को अकेले में रोते हुए देखा है सच कहु तो मैं कबसे आप से बोलना चाहती थी पर नही बोल पायी भगवान को उसका दुख नही देखा गया।
औरत :हा बेटी यह तूने ठीक कहा।
इंट्रो टाइम
मैं जय कुमार
राजेस्वर कुमार पापा
सुमन देवी माँ
भाई बहन
पूनम दी
कमलेश जीजा
बलवंत कुमार भाई
जुही भाभी
सरिता दी
मधु छोटी बहन
बड़े पापा संजय
बड़ी मा चंदा
इनकी बेटियां
कविता दी
ज्योति
मेरे दोस्त
कालू
पवन
राजू
पूजा कालू की बहन
जया राजू की गर्लफ्रैंड
काव्या (मेरा पहला प्यार) अब जिंदा नही है
चम्पा काव्या की माँ
ठाकुर भानु प्रताप सिंह
प्रीति भानु की बीवी (ठकुराइन)
पंकज ठाकुर भानु का बेटा
अमृता ठाकुर भानु की बेटी
भोला ठाकुर का मुंशी
सोनिया सिंह सिंह ग्रुप ऑफ कम्पनी की MD और मेरी पहली बीवी
सुमित्रा देवी सोनिया की सास पर वह इसे मा बोलती है
राहुल कुमार (सोनिया का पहला पति )अब जिंदा नही है
प्रियंका सिंह सुमित्रा की बेटी अभी कॉलेज में है
रूबी राय सोनिया की सेक्रटरी कम फ्रेंड
जिनका ज्यादा रोल नही है कहानी में उनका परिचय नही दिया है आगे और लोग आएंगे तो परिचय देता रहूंगा ।
इधर सोनिया घर से निकलने के बाद खुद ड्राइव करते हुए उसी डॉक्टर के घर पहुच जाती है जंहा पर वह मुझे लेकर आई थी दवा के लिए और वँहा पर थोड़ी मस्कत के बाद वह उसे मेरा पता दे ही देता है।
(यंहा से कहानी कुछ देर के लिए सोनिया के जुबानी)

मैंने उस डॉक्टर से पता तो ले लिया लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नही हो रही थी कि मैं उस लड़के के घर जा सकू । बात अगर कुछ और होती तो मैं बिना किसी संकोच के वँहा पर जा सकती थी लेकिन आज मामला ऐसा नही था इसलिए जाने में डर लग रहा था कि कोई कुछ कह ना दे या उसके घर वाले मेरी बातों पर कैसा रिएक्ट करेंगे।लेकिन जाना तो था ही इसलिए मैं अपनी मंजिल की तरफ चल दी जब मैं उस डॉक्टर के द्वारा बताई गये पत्ते पर पहुची तो देखा कि यह लोग सामान्य घर से थे।मेरी गाड़ी रुकने के आवाज सुनकर कुछ औरते घर से बाहर आई इस वक्त मैने एकदम सिंपल कपड़ा पहना हुआ था जिसे देख कर कोई मेरे बारे में नही जान सकता था



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सच कहूँ तो आज जितना डर मुझे लग रहा था उतना कभी नही डरी। मैं वँहा पर जाकर एक औरत से उस लड़के का घर पूछी क्यूंकि डॉक्टर ने मुझे उस लड़के का नाम बता दिया था तो ज्यादा मुश्किल नही हुई।तो उस औरत ने सामने वाले घर की तरफ इशारा कर दिया।
यंहा मैं सोच रही थी कि कोई मुझे नही जानेगा लेकिन मुझे क्या मालूम था कि यंहा पर भी मेरे कंपनी का वर्कर मिल जाएगा।मैने दरवाजे पर जा कर आवाज दी तो एक लड़की घर से बाहर निकल कर आई यह कोई और नही बल्कि कविता ही थी। वह मेरी तरफ ना पहचानने की नजर से देखते हुए पूछी
कविता : जी आप कौन मैं आपको पहचानी नही और आपको किससे मिलना है।
मैं :जी मुझे मिस्टर जय कुमार से मिलना है मुझे उनसे कुछ काम है।क्या आप मुझसे उन्हें मिलवा सकती है और आप कौन है।
कविता : जी मैं उसके बड़े पापा की लड़की और उसकी बहन हु लेकिन माफ कीजियेगा मैंने आपको पहचाना नही पर मुझे ऐसा लग रहा है मैं आपसे पहले भी मिल चुकी हूं।
मैं :"हा हम लोग मिल जरूर चुके है और उसका सबूत यह है । मैं अपने साथ लायी रात में दी हुई उस लड़की के कपड़े को दे दी।
वह लड़की उस कपड़े को लेकर देखी और फिर बोली कि
कविता :ओह तो वह आप ही है जिसे रात में भाई ने बचाया था लेकिन जहाँ तक मुझे याद है हमने आपको अपना पता तो बताया नही था फिर आप यंहा पर कैसे।
मैं :क्या करूँ रात में बिना आप लोग का धन्यवाद किये चली गयी और फिर कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से मुझे आना ही पड़ा।
कविता :हम इतनी देर से बाहर खड़े आपसे बाते कर रहे चलिये अंदर ।घर मे चल कर बाते करते है ।वैसे अगर आपको बुरा ना लगे तो आप अपना नाम बताओगी।
मैं : इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है गलती मेरी ही जो अब तक ना आपका परिचय ली और ना दी । वैसे मेरा नाम सोनिया सिंह है और आपका
कविता :मेरा नाम कविता है।चलिये अंदर आपको सभी से मिलवाती हु
इसके बाद मैं और कविता दोनों अंदर चली गयी और अंदर जाकर मैंने देखा कि सभी लोग बाते कर रहे है। कविता ने सभी से मेरा परिचय कराया और अभी मैं अपना नाम बताती उससे पहले ही मेरी कानो में एक ऐसी आवाज आई जिसे मैं यंहा पर नही सुनना चाहती थी
आदमी :मैम आप और यंहा पर ।
मैं :"माफ कीजियेगा मैंने आपको पहचाना नही और आप मुझे कैसे जानते है(हालांकि मैं उसे देख कर ही पहचान गयी थी कि वह मेरे ही कम्पनी में काम करता है लेकिन उसके बाद भी अनजान बनते हुए पूछी।)
कमलेश :सॉरी मैम मैंने आपको अपना परिचय नही दिया मैं कमलेश और आपकी ही कम्पनी में काम करता हु।लेकिन आप यंहा कैसे।
मैं :ओह तो यह आपका घर है ।
कमलेश :" नही मैम यह मेरा घर नही बल्कि मेरी बीवी पूनम का मायका है और यंहा पर मैं कुछ काम से आया था।
मेरे बारे में जानकर सभी ने मेरी अच्छी से आवभगत की ।वही हुआ जो मैं नही चाहती थी लेकिन अब क्या कर सकते है जो होना था वह तो हो गया लेकिन अब इस बारे में सोचना था कि जो बातें करने आई हूं वह कैसे करूँ।
Nice update
 

Kapil Bajaj

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दोस्त बहुत बढ़िया बेटा ऐसे ही देते रहिए आप डेट पर डेट और थोड़ा बड़ा अपडेट दीजिए छोटा सा मैं मजा नहीं आया बहुत बड़ा बड़ा सा अपडेट दे दीजिए अब दोस्त बड़ा अपडेट ही दीजिएगा कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है मजा बहुत आ रहा है आपका आपका दोस्त?????????????
 

जय100

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अब मैं इन लोगो से बात क्या करूँ यह तो मेरी भी समझ मे नही आ रही थी लेकिन फिर भी मुझे बात तो करनी ही थी इसलिए मैंने हिम्मत करके बोली
मैं : देखिए मैं यंहा पर जो बात करने के लिए आई हूं उसपर मेरी और आपकी पूरी जिंदगी की बात है इसलिए मेरी आप लोगो से विनय पूर्ण निवेदन है कि पहले मेरी पूरी बात को सुने और समझे इसके बाद आप लोग जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा।
सुमन : बोलो बेटी तुम्हे जो भी बोलना है खुल कर बोलो बिना किसी संकोच के ।
मैं : जैसा कि आप लोग जान ही चुके है कि मैं कौन हूं और कंहा से हु तो मुझे नही लगता हैंकि इस बारे में बात करके कोई फायदा नही है और रही बात मेरे यंहा पर आने की तो उसके दो मकसद थे ।पहला ये की कल जय ने जिस तरह एक अनजान लड़की की मदद की उसके लिए मैं कितनी बार भी धन्यवाद करू कम है अगर मैं आज जीवित हु तो वह सिर्फ और सिर्फ जय की वजह से इसलिए मैं उनका सुक्रिया अदा करना चाहती हु।
कमलेश :मैम आपको सुक्रिया करने की कोई जरूरत नही है ।मुसीबत में फसे किसी की मदद करना कोई उपकार नही है लेकिन फिर भी आप सुक्रिया अदा करना चाहती है तो आप उसे अपनी कम्पनी में कोई काम दे दीजिए क्यूंकि कल इसने ठाकुर के लड़के को इतनी बुरी तरह से मारा है कि वह अपने बेटे की ऐसी हालत करने वाले को खोज रहा है हमे डर है कि कही उसे अगर कुछ पता चल गया तो वह इसे कुछ नुकसान ना पहुचा दे इसलिए हम लोग इसे यंहा से लेने के लिए आये हुए थे।
उसकी बात को सुनकर मुझे रूबी की कही गयी बात याद आ गयी हो ना हो इस घटना में अमृता का हाथ हो सकता है और अगर ऐसा है तो वह उसके लिए अच्छा नही होगा।। मैं यह सब सोच कर पूछ लेनें में ही भलाई समझी क्यूंकि मैं नही चाहती थी कि उसे उस गलती की सजा मिले जो उसने की ही ना हो।
मैं :तो तुम्हारे कहने का मतलब भानु के बेटे से है ।
कविता :हा उसी कमीने की वजह से आज गांव की कोई भी लड़की खुद को सुरक्षित महसूस नही करती है आये दिन वो और उसके कुछ लफंगे साथी मिल कर किसी न किसी लड़की को उठा ले जाते है।
मैं :तो तुम लोग पुलिस में शिकायत क्यूं नही करते ।
सुमन : बेटी पुलिस में शिकायत करके क्या फायदा पुलिस भी उनके खिलाफ कुछ नही करती उल्टे जो शिकायत करने जाते है उन्हें उलटा फशा देते है इसलिये कोई नही जाता है और वैसे भी हम गरीब लोगों की सुनता ही कौन है।
मैं :" आंटी जी अब आप चिंता न करे अब वह कुछ भी नही करेगा।
सुमन :बेटी तुम इन सब चक्करों में ना पड़ो तो ही अच्छा है ।कंहा तुम उस कमीने से झगड़ा मोल ले रही हो।
मैं :आंटी जी सायद आप भूल रही है कि कल उसी कमीने ने मुझे भी उठा लिया था अगर जय वक्त पर नही आता तो उस कमीने ने मुझे भी खराब कर ही दिया था।
कविता :वैसे सोनिया जी आप कुछ बात बोल रही थी यंहा पर आने के विषय मे एक बात तो आपकी पूरी हो गयी पर दूसरी अभी भी अधूरी है।
मैं :हा बात तो है पर समझ मे नही आ रहा है कि मैं उस बारे में कैसे बात करूं।
सरिता :अगर आप घर के बड़े लोगो से यह बात बोलने में दिक्कत हो रही है तो आप हमसे इस बारे में बात कर सकती है।।
मैं : नही यह उचित नही होगा हमे जो भी बात करनी है इन सभी लोगो के सामने ही करनी होगी क्यूंकि इसमे सभी की खास तौर पर जय और बाकी के सभी बड़े लोगो की मंजूरी जरूरी है ।
सुमन : बेटी जो भी कहना है खुल कर बोलो ।
मैं थोड़ी देर रुक कर फिर बोली कि
मैं :" देखिए आंटी जी जाने अनजाने में कल रात कुछ ऐसा हो गया जिसकी सायद मैने कल्पना करना भी छोड़ दिया था या यूं कह ले कि मैं कभी भी करना ही नही चाहती थी लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा हुआ था जो ना चाहते हुए भी हो गया।
मेरी बात सुनकर सुमन आंटी और बाकी के घर वाले जय की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगे और जय को भी कुछ समझ मे नही आ रहा था कि उसने ऐसा क्या कर दिया जो सभी इस तरह से उसे घूर कर देख रहे है।तब सुमन आंटी बोली कि
सुमन :बेटी अगर मेरे बेटे ने गलती से कुछ ऐसा कर दिया है जो उसे नही करना चाहिए था तो उसके लिये मैं तुमसे हाथ जोड़ कर माफी मांगती हु।
इतना बोल कर सुमन आंटी ने मेरे सामने हाथ जोड़ लिया तो मैं आगे जा कर उनके हाथों को नीचे करके बोली
मैं :नही आंटी जी आप गलत समझ रही है जय ने ऐसा कुछ नही किया बल्कि उसने तो मेरी इज्जत बचाई और मैं उसके सामने उस हालत में थी कि कोई भी अपना आपा खो सकता है लेकिन तब भी इसने अपनी बहन के हाथों कपडा मंगवा कर मेरी तन को ढका ।वह तो जिस बारे में मैं बात कर रही हु उसमे हम दोनों में से किसी की कोई गलती नही है ।
राजेस्वर :बेटा तुम जो कहना चाहती हो खुल कर बोलो हमे जो भी उचित लगेगा वह जरूर करेंगे।
मैं :अंकल जी बात यह है कि कल जय को जब चोट लगी तो उसके खून का कुछ कतरा मेरी मांग को भी भर दिया और इस तरह से ना चाहते हुए मैं जय की सुहागन हो गयी
 
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