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Incest दीवाना चुत का

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मुझे क्या मालूम था कि आज ठकुराइन के साथ यह छोटा सा सफर इतना बड़ा हो जाएगा कि मेरी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख देगा लेकिन कहते है ना जब किस्मत में कुछ लिखा हो तो वह किसी ना किसी रूप में मिल ही जाता है।मैं अपनी बाइक खड़ी किया और ठकुराइन के साथ उनके फार्महाउस पर चल दिया।वह फार्म हाउस ज्यादा दूर नही था गांव से तो हम लोग जल्द ही पहुच गए । वँहा पहुचने के बाद ठकुराइन ने पानी पिलाया और अपने साथ अपने बेडरूम में लेकर गयी और वँहा मुझसे वाइन के लिए पूछा तो मैंने मना कर दिया तो वह सिर्फ अपने लिए लेकर आई और मेरे सामने बैठ गयी और कुछ देर बाद बोली
ठकुराइन : तो बोलिये आप तैयार है जिस काम के लिए आपको बुलाया है।
मैं : मैं तो हमेशा ही तैयार रहता हूं पर पहले आप पी लीजिये ताकि दर्द महशुस ना हो।
ठकुराइन :" सच बोलू जय तो मैं तुम्हे यंहा दूसरे ही मकसद से लेकर आई क्यूंकि मैं यह जानती हूं कि तुममे वह छमता है जो कि तुम ठाकुर से टक्कर ले सको बस तुम्हे थोड़ी और ताकत की जरूरत है ताकि तुम अपना बदला ले सको।
मैं उसकी बात को सुनकर दंग रह गया कि वह क्या बोल रही है तो मैं बोला कि
मैं :,आपको कोई गलतफहमी हुई है मेरे मन मे ऐसी कोई बात नही है आप को किसी ने गलत खबर दी है।
ठकुराइन : सच छुपाने से कुछ भी बदल नही सकता है जय ।वैसे जाने दो अगर तुम नही बताना चाहते हो तो मत बताओ और आजाओ इस ठकुराइन को अपना बना लो सच कहती हूं जय तुम्हारा हर सपना पूरा कर दूंगी।
मैं :ठकुराइन आप क्या बोल रही है कुछ समझ नही पा रहा हु।
ठकुराइन : कुछ नही मेरी जान अब आजा और मुझे अपना बना ले।अगर मैं खुश हो गयी तो समझ ले दुनिया की हर खुसी तेरे कदमो में होगी।अब आजा बाते मत कर अपना हुनर दिखा जो कि चम्पा तेरी इतनी बड़ाई कर रही थी।
मैं इतना सुना तो मैं आगे बढ़कर ठकुराइन के होंठो को अपने होंठो में लेकर चूसने लगा उसके मुह से हल्का सराब की बू आ रही थी फिर भी मस्त थी ।गांव की औरतों की तरह सुस्त नही पड़ी थी बल्कि पूरा साथ दे रही थी


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और फिर उनके एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिया ।उसके बाद फिर हम लोग एक दुसरे होंठो पर टूट पड़े और यह किस तब तक चली जब तक कि हम दोनों के सांस फूलने नही लगी फिर हम दोनों लोग सांस ठीक किये और इसके बाद मैंने उनके चुचियो पर हमला बोल दिया और उन्हें जी भर कर चूसने और मसलने लगा कभी एक चूची को मुह में लेता तो कभी दूसरे को वैसे ठकुराइन के चुचे एकदम मस्त और कड़े थे।
ठकुराइन :ऐसे ही मसलो जान वह साला बूढा तो इन्हें छुता भी नही है साला कुत्ता कहि का आज मसल डालो इन्हें बहुत तड़पती है ।काट खाओ इन्हें जय आज चूस ना कुत्ते भड़वे हरामी धीरे क्यों चूस रहा है दम नही है क्या साले
मैं :साली मेरा दम देखती है कुतिया आज तेरी बुर का भोसड़ा नही बनाया तो बोलना साली कुटिया
ठकुराइन :अबे साले बाते ही करेगा या कुछ और भी करेगा।
इतना सुनते ही मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसको अपनी कंधो पर इस तरह बिठा लिया कि उसका बुर ठीक मेरे मुह के सामने था तो मैंने उसके बुर में अपना मुह घुसा लिया और उसके बुर को चाटने लगा और उसके बुर से निकलने वाले पानी को पीने लगा और इस तरह करीब 10 मिंट तक उसकी बुर को चाटता रहा ।उसके बाद उसे बिस्तर पर लिटाया और फिर से उसके बुर को चाटने लगा।


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ठकुराइन :चाट मेरे राजा आज कितने दिनों बाद मेरे बुर पर किसी मर्द का जुबान पड़ा है और अंदर तक जीभ डाल ना मेरे राजा मैं झरने वाली हु पी जा मेरा पानी।
इतना बोल कर उसने मेरे मुंह को अपने बुर में दबा दिया और अपना पानी छोड़ने लगी इसके बाद मैं उठा तो ओर अपने कपड़े निकाल कर नंगा हुआ तो वह मेरे लण्ड को देखती रह गयी और बोली कि
ठकुराइन :साली चम्पा सच ही बोल रही थी की तेरा जैसा लण्ड तो साला आज तक नही देखी यह तो एक रंडी की भी चीखने पर मजबूर कर दे किसी कुवारी पर चढ़ जाएगा तो वह तो मर ही जाएगी ।
इतना बोलकर ठकुराइन घुटनो के बल बैठ कर मेरे लण्ड को मुह में लेने की कोशिश करने लगी पर बड़ी मुश्किल से वह सिर्फ सुपड़ा ही मुह में ले पा रही थी।


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ऐसे ही चूसने के बाद वह अपना पूरा जीभ घुमा कर मेरे लण्ड को चाटने लगी और करीब पांच मिनट तक चाटते रहने के बाद वह उठी और बोली
ठकुराइन :,अब बर्दाश्त नही हो रहा है जय डाल दो मेरी बुर में फाड़ डालो साली बहुत फड़फड़ाती है छिनाल।
मैं :तो आ जा साली कुतिया आज तुझे मैं दिखाता हु कैसे चुदाई होती है।
इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके बुर में अपना लण्ड घिसने लगा जिसकी वजह से मजे में उसकी आंखें बंद हो गयी और वह सिसकिया लेनी लगी इसके बाद मैंने अपना लण्ड उसकी बुर के होंठो में फशा कर एक करारा झटका मारा जिसकी वजह से मेरा आधा लण्ड उसकी बुर में घुस गई जिसकी वजह से उसके मुह से हल्की सी चीख निकली
ठकुराइन :बस इतना ही खुला है मेरे राजा उसके आगे का रास्ता बंद है जिसे अब तुम्हे खोलना है एक बार मे ही पूरा डाल दे बार बार दर्द सहने से अच्छा है एक बार मे ही घुस जाए।
मैं इतना सुना कि एक जोरदार झटका मारा जिसकी वजह से मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर को फाड़ता हुआ बच्चेदानी से टकराया जिसकी वजह से उसके मुह से एक जोरदार चीख निकली और वह अपना सर इधर उधर पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करनेलगी जब थक गई तो बोली कि
ठकुराइन :अबे मादरचोद निकाल साले भड़वे फट गई मेरी चुत अब तो निकाल ले कुत्ते बहनचोद हरामी
मैं , बस मेरी जान हो गया अब चिंता मत कर जीतना दर्द सहना था सह ली अब तो मजा लेना है मेरी जान
इतना बोल कर मैं लण्ड अंदर बाहर करने लगा कुछ ही मिनटों में उसकी बुर ने पानी छोड़ना सुरु कर दिया फिर मैं करीब 40 मिंट तक अलग अलग पोजीसन में चोदता रहा और इस बीच करीब वह 3 बार झड़ी और अंत मे जब मैं झड़ने के करीब आया तो बोला
मैं :मैं झड़ने वाला हु अब बोलो कंहा डालू अंदर या बाहर
ठकुराइन :अंदर ही डाल दे मेरी जान मेरी बच्चेदानी में अपना पानी डाल दे और अपना खून दे दे मेरी कोख में
मैं अंदर ही झाड़ने लगा और उसके बाद उसके ऊपर से उठते हुए बोला
मैं :अब बोलो मेरी रानी पास हुआ या फेल
ठकुराइन :मेरे राजा तूने तो मुझे अपना गुलाम बना लिया अब से यह ठकुराइन तेरी गुलाम है मेरे राजा
इतना बोल कर वह उठी तो उसको हलका दर्द हुआ तो वह बोली
ठकुराइन :साला कमिना मुझ जैसी का यह हाल है तो कुवारी लड़कियों का क्या हाल करेगा गधे जैसा तो लण्ड है तेरा पूरा फाड़ के रख दिया।
मैं :अब जैसा भी है यही है मंजूर है तो बोलो वरना मैं तो चला।
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अपनी माँ की बातों को सुनकर वह लड़की सन्न रह जाती है।उसे अपनी माँ की बातो पर यकीन नहीं होता है तो वह खुद जाकर शीशे में अपनी मांग को देखती है तो उसकी आँखों से आशु बहने लगते है और वह अपने घुटनों के बल बैठ कर रोने लगती है और बोलती है कि
लड़की : माँ यह क्या अनर्थ हो गया ।अब मैं किसी को क्या मुह दिखाउंगी ।अब लोगो के सामने कैसे जाऊंगी ।("फिर कुछ सोच कर बोलती है) मैं इसे अभी बिना किसी के जानने से पहले ही धो कर साफ कर दूंगी।
ल माँ :बेटी आखिर कब तक उसके जाने का गम मनाती रहोगी ।तुम्हारी शादी के कुछ ही दिनों के बाद उसकी कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी उसके जाने के बाद एक बेटे की तरह इस घर को संभाला है आखिर कब तक अपनी खुशियों का गला घोटती रहोगी और तुम्हारे साफ कर देने से यह सच दुनिया के लिए भले ही छुप जाएगा लेकिन भगवान की नजरों से कैसे छुपाओगी। यह दुनिया बड़ी जालिम है बेटी अकेली औरत की जिंदगी काटो के सेज के समान होती है जंहा हर वक्त कोई न कोई हवस भेड़िया मौके की तलाश में रहता है।
लड़की :मा आप मेरी बात को समझ क्यों नही रही हो मेरे लिए इतना आसान नही है उसे भुलाना आखिर में वह मेरा पहला प्यार था और साथ मे पति भी तो ऐसे कैसे भूल जाऊ आप ही बताओ।
औरत :बेटी अगर तू मुझे अपना मानती है तो अब इस बारे में मैं कोई बहस नही करना चाहती हु बस इतना जान लो कि अगर तुमने मेरी बात को नही माना तो मैं अपनी जान दे दूँगी अब फैशला तुम्हे करना है जो नही है उसके लिए रो कर जीना है या जो है उनके खुशी भी तुम्हारे लिए कोई मायने रखती है।
लड़की :ठीक है माँ अगर आपकी यही मर्जी है तो यही सही लेकिन एक समस्या है ।
औरत :अब क्या समस्या हो गयी बेटी।
लड़की : समस्या तो यही है कि माँ ना तो मैंने उसका चेहरा देखा है और ना ही उसका नाम जानती हूं।
औरत :मुझे तुमसे यह उम्मीद नही थी बेटी जिसने तुम्हारी इज्जत बचाई उसका नाम तो छोड़ो चेहरा तक नही देख पायी ।
लड़की :मा क्या करूँ वक्त और हालत ऐसे हो गए कि मैं नही देख पायी ।उसे उसके घर लेकर जा रही थी क्यूंकि उसे चोट लगी थी लेकिन मैं ऐसी हालत में थी कि नही जा सकी और अब हालात यह है कि मैं सिर्फ उसका गांव के बारे में जानती हूं और कुछ भी नही पता है।
इधर मैं कविता दी मा बापू और बड़े पापा के साथ घर पहुँचा ही था कि सरिता दी मेरे पास आ गयी और उनके साथ भाभी भी थी जो कि आज मेरा इन्तजार कर रही थी उनके आंखों में भी आँशु थे और वह मेरे पास आई और बोली कि
जुही भाभी :आखिर कर तुमने ऐसा क्यों किया ।तुमको एक बार भी हम लोगो का ख्याल नही आया कि अगर तुमको कुछ हो गया तो हम लोग कैसे जीते क्या जरूरत है तुम्हे दुसरो के लफड़ों में पड़ने की।
मैं :भाभी आप भी जानती हो कि मैं अपने आँखों के सामने मैं किसी का बुरा नही देख सकता यह तो आप भी जानते हो ।
भाभी :फिर भी तुम्हे ठाकुर से उलझने की क्या जरूरत थी और उस पर से तूने उसकी वह हालत कर दी है कि ठाकुर अपने बेटे की ऐसी हालत करने वाले को वह छोड़ेगा क्या।
सरिता :तू ठाकुर की बात छोड़ पहले यह बता की तेरे साथ वह लड़की कौन थी जिसकी वजह से यह सारा बवाल हुआ।
मैं :अरे मेरी माँ जितना तुम लोग बना रही हो मुझे उतना चोट नही लगा है इसलिये अब तुम लोग शांत हो जाओ।वरना मुझसे बुरा और कोई नही होगा।
कविता दी कान में बोलती है कि
कविता दी :बहनचोद तुझसे बुरा और कौन हो सकता है यंहा पर एक बुर तरस रही है लण्ड के लिए और तू है कि दूसरों की गण्ड मारने में लगा हुआ है साले मेरे पास लण्ड होता तो सबसे पहले तेरी ही गांड मारती है।
सरिता दी :ओ लैला मजनू क्या बाते हो रही है शर्म कर लो हम भी है यंहा पर ।
सरिता दी के ऐसा बोलने पर कविता दी ने सरिता दी कान में बोलती हैंकि
कविता दी :क्यों तेरी बुर में लण्ड नही डाल रहा है इसलिए जलन हो रहीं है क्या।अगर ऐसी बात है चिंता मत कर यह साला पक्का बहनचोद है तुझे भी उल्टा करके चोदेगा दोनों मिल कर चुड़वाएँगी इससे ।
मैं इन लोगो की बाते सुनकर यह सोच रहा था कि मैं नई बुर मिलने की खुशी मनाऊ या जो आज तक मैं नही किया उसके लिए गम मनाऊ।
इधर माँ मेरे लिए दूध लेकर आती हैं तो देखती है कि मुझे छोड़कर यह दोनों आपस मे लड़ रही थी और भाभी मेरे पैरों के पास बैठी हुई थी मा यह देखकर कविता और सरिता दी पर गुस्सा हुई तो वह लोग मेरे पास आगयी और बिना एक दूसरे को परेशान किये हुए बैठी थी । मा के जाने के बाद वह लोग फिर से सुरु हो गए तो मैं बोला कि
मैं : आप लोग फिर से मत सुरु हो जाओ और वैसे भी आज का समय किसी और के लिए दिया हु तो आप लोग अपनी मस्ती बन्द करो
सरिता दी :मतलब की सच मे तू पक्का बहनचोद है कुछ तो शर्म कर ले हम तेरी बहने है साला फिर भी दिमाग मे हमेशा गन्दगी भरी है चोट लगी है लेकिन फिर भी मस्ती सूझ रही है।
मैं :अब अगर अगल बगल इतनी मस्त हसीनाएं होंगी तो अब हम जैसे भौरे क्या करेंगे।
कविता दी : चल ज्यादा मस्ती मत कर पहले ठीक हो जा उसके बाद तेरा जो मर्जी वह करना मैं भी तेरे साथ हु तू जो बोलेगा मैं वह करूँगी।
इधर दूसरी तरफ ठाकुर भानु अपने बेटे की हालत देखकर बहुत ही गुस्से में घूम रहा था अपने घर पर तब वहां पर ठकुराइन आती है उन्हें चिंता में देख कर बोलती है कि
ठकुराइन :क्या बात है आप बहुत परेशान दिख रहे है।
ठाकुर :पहले तो तुम यह बताओ कि तुम शाम से कंहा थी घर पर इतना कुछ हो गया और तुम्हारा कुछ पता ही नही चला ।छूट देने का इतना भी फायदा मत उठाओ की हमे रोक लगानी पड़े।
ठकुराइन (मन मे )तेरी गांड में इतना दम कंहा अब की तू मेरा एक झांट का बाल भी सीधा कर सके ।अब तो मुझे वह मिल गया है जिसकी हमे कब से तलाश थी
mazedaaar
 

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ठकुराइन तो वैसे ही उससे खफा सी रहती थी और उसके आज इस तरह से बोलने की वजह से ठकुराइन का दिमाग खराब हो जाता है और वह गुस्से की घूंट पी कर रह जाती है और अपने गुस्से को दबा कर बोली
ठकुराइन:वो मा की तबियत खराब थी इसलिए मैं उसी से मिलने के लिए चली गयी थी आखिर हुआ क्या है जो आप इतना नाराज है।"
ठाकुर : किसी कुत्ते ने मेरे बेटे की मार कर हड्डी कई जगह से तोड़ दी है ।अगर मेरे बेटे की ऐसी हालत करने वाला मिल जाये तो मैं उसके पूरे खानदान कोदुनिया से उठा दूंगा और उसके घर की सारी औरते और लड़कियो को रंडी।
ठकुराइन :ओह तो यह बात है इसलिए आप इतने खफा है ।वैसे यह जानते हुए भी की पंकज आपका बेटा है उसके बाद भी उसने अगर ऐसा कदम उठाया है तो उसे पकड़ना बहुत मुश्किल है।
ठाकुर :इसीलिए तो अभी तक मैं यंहा पर बैठा हूँ वरना अब तक उसकी माँ चोद देता।
ठकुराइन :तुमको जो करना है करो बस आज कमरे में मत आना मुझे नीद आ रही है और तू आ कर अपना काम करके निकल जायेगा और रात भर मैं तड़पती रहूँगी ।
ठाकुर उसकी बात सुनकर कुछ नही बोलता क्यूंकि वह अगर इससे आगे कुछ बोलता तो वह उसे और बेइज्जत करती इसलिए चुप रहने में भलाई समझ कर वह बैठ गया और ठकुराइन अमृता के कमरे की तरफ चल दी। अम्रता आराम से अपने कमरे में बैठी हुई किताब पढ़ रही थी ।जब अंदर वह पहुची तो अमृता उसके तरफ देख कर एक बार हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली कि
अमृता :" क्यों रे मेरी रंडी मा ले आई उसका लण्ड अपनी बुर में जरा मुझे भी तो दिखा क्या हाल किया उसने मेरी प्यारी मा का।
ठकुराइन :सच बोलू यार तो उसके जैसा मर्द मैंने आज तक नही देखा साले ने एक बार मे मुझे थका दिया और आज तक इतना मजा तो मैंने किसी के साथ नही लिया।
अमृता :वाह मेरी जान एक बार मे उसका गुणगान करने लगी तू तो ।
ठकुराइन :"क्या करूँ तेरी तरह नकली लौड़ा डाल कर अपना बुर नही फाड़ ली हु की मुझे दर्द नही होगा और वैसे भी चम्पा सच बोल रही थी उसका तेरे वाले से भी बड़ा है और टाइमिंग तो पूछ मत एक बार के बाद दूसरी बार की हिम्मत तो कोई लड़की नही कर सकती।
अमृता :तो तूने उसे जाने क्यों दिया मुझे बुला लिया होता मैं भी मजे कर लेती ।तेरी वजह से इतना मस्त लौड़ा हाथ से चला गया ।पहले उस कुत्ते की वजह से मेरे दिमाग की दही बनी पड़ी है और अब यार बचा खुचा तू ले गयी।
ठकुराइन :वैसे यार तू तो पार्टी में गयी थी ना फिर तेरा दिमाग क्यों खराब है ।क्या उसने फिर तुझे कुछ बोली क्या मैं तो पहले से ही बोली थी कि मत जा लेकिन तू ही मेरी बात नही मानी।
अमृता :"नही यार सोनिया ने कुछ नही बोला वह तो बहुत प्रेम से मिली पर अचानक पार्टी में गायब हो गई और फिर उसका कुछ पता नही चला सभी बहुत परेशान थे ।
ठकुराइन :फिर तू क्यों इतना परेशान है जब वह तुझसे प्रेम से मिली तो इसका मतलब तो यही हुआ ना कि उसने पिछली बातों को भुला दिया है और उसने तुझे माफ कर दिया है।
अमृता :यार कल जबसे वह गायब हुई तबसे पंकज भी अपने चेलों के साथ गायब हो गया और बाद में उसकी ऐसी हालत में मिला और बाद में अभी कुछ देर पहले सोनिया को फोन किया था मैंने तो उसने बताया कि कुछ लोग उसे जबरदस्ती उठा ले गए थे और उसने जो जगह बताई है वह जानती हो कौन सा है।
ठकुराइन :कहि तू यह तो नही कहना चाहती कि उसे पंकज ने उठा लिया था और किसी ने उसकी यह हालत कर दी है।
अमृता : सच कहु तो मैं भी इसी बात को लेकर परेशान हु अगर ऐसा हुआ है तो सच मे बहुत मुश्किल होने वाली है और मुझे तो पक्का यकीन है यही था क्यूंकि उसने जो जगह बताई है वह अपना ही गांव है और अपने गांव में ऐसी हरकत करने वाला पंकज ओर उसके आदमियो के सिवा और कोई नही हो सकता है।
ठकुराइन :अगर ऐसा हुआ है तो सच मे बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है क्यूंकि उसकी गिनती आज के समय मे देश के टॉप बिजनेसमैन में की जाती है ।ठाकुर जैसे लोग तो उससे मिलने को भी तरसते है और अगर पंकज ने उसपर हाथ डाला है तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है पर मेरी समझ मे एक बात नही आ रही है कि उसकी इतनी टाइट सिक्योरिटी के बाद भी पंकज उसे कैसे उठा लिया।
अमृता :वह इसलिए क्यूंकि कल वह बिना सिक्योरिटी के ही आयी थी पार्टी में और शायद इसलिय ही पंकज ने ऐसी गलती कर दी ।
ठकुराइन :वैसे एक बात बताओगी यह किस समय की बात है ।
अमृता :यही कोई 2घण्टे पहले की बात है
ठकुराइन :तो इसका मतलब है कि पंकज को मारने वाला और सोनिया की हेल्प करने वाला और कोई नही बल्कि जय है।
अमृता :अब इसमें उस बेचारे को क्यों घसीट रही है अगर पापा जान गए तो उसका क्या हाल करेंगे तू सोच भी नही सकती।
ठकुराइन :यार सच बोलू तो तेरा बाप उसका कुछ वैसे भी नही बिगाड़ पाते और अब तो अगर गलती से भी छूने की कोशिश की तो तू सोनिया को जानती है कि वह तेरे बाप का नामोनिशान मिटा देगी।भूल गयी कैसे उसने सारे बाजार के बीच मे अपने पति के एक्सीडेंट करने वाले को गोली मार दी थी और कोई उसका कुछ नही कर पाया था और अब तो उसके पास सब कुछ है।
इधर मैं कविता दी कि बात मानकर सोने की तैयारी करने लगा लेकिन कुछ ही देर में मेरे पास सोने के लिये कविता दी आ गयी तो उन्हें देख कर बोला कि
मैं : क्या बात है दीदी है आज आप यंहा पर मेरे पास सोने के लिए।
कविता दी : क्या करूँ सोचा कि आज जब प्यार का इजहार हो ही गया तो क्यों ना आज कुछ मजा ले ही लिया जाये।
अभी वह कुछ और बोलती उससे पहले ही पीछे से सरिता दी कि आवाज आई
सरिता : मैं जानती थी साली तू कुछ ऐसा ही करने वाली थी जब तू बाहर इसके कमरे में सोने के लिए बोली तो तभी मैं समझ गयी थी।
कविता दी : हा तू तो है ही मेरी दुश्मन लेकिन याद रखना जिस दिन मौका मिला उस दिन सबसे पहले तेरी बुर में लण्ड डलवा दूँगी फिर करती रहना निगरानी।
सरिता दी (मन मे)तू क्या चुड़वाएँगी मुझे बहनों में अगर किसी का पहला हक है तो मेरा बचपन से लेकर आज तक सब कुछ तू ही पहला हक लेती आयी है लेकिन इस बार नही।
सरिता दी :चल ज्यादा मत बोल चुप चाप सो जा पहले उसे ठीक तो हो जाने दे इसके बाद जो करने का मन करे कर लेना मैं नही रोकूंगी।
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Next day
दो लड़कियां आपस मे बाते करती हुई रनिंग कर रही थी उसमें से पहली लड़की बोलती है
लड़की 1:आप ने जो बोला था वह मैं कर दी हु लेकिन मेरी समझ मे एक बात नही आ रही है आपने कल इतनी बड़ी गलती करकैसे दी।
लड़की 2 :क्या करूँ यार अब जब गलती होनी थी हो गयी अब मैंने यह सब जान बूझ कर तो किया नही और ऊपर से उन सबने अचानक आकर पकड़ लिया और मैं कुछ नही कर पाई। वह तो भला हो उस लड़के का जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए मेरी सुरक्षा की ।
लड़की 1 :आपको क्या लगता है इसमें किसी की साजिश थी या ऐसे ही किसी का काम था।कहि ऐसा तो नही इस बार भी कही उसी कामिनी का हाथ तो नही है।
लड़की 2 :नही मुझे ऐसा नही लगता वह अब ऐसा हरकत दुबारा करेगी ।वैसे भी वह सब दारू के नशे में थे तो मुझे नही लगता कि यह किसी प्रकार की साजिश थी ।
लड़की 1: पर जंहा तक मैने पता किया उसका भी वही गांव है जंहा पर तुम्हारे साथ यह हरकत करने की कोशिश की गई।
लड़की 2 :तुम वह सब छोड़ो यह बताओ कि आज का क्या प्रोग्राम है ।कुछ खास है जिसमे मेरा रहना जरूरी है।
लड़की 1 :नही वैसे तो कुछ खास काम नही है बस 1 या 2 मीटिंग है और उसके बाद आपको जगह चीफ गेस्ट के रूप में जाना है।
लड़की2 : तो तुम ऐसा करो कि मीटिंग तुम देख लो और रही बात शाम को तो तब तक मैं आ जाऊंगी लेकिन एक बात का ख्याल रहे मैं कंहा हु इस बारे में किसी को जानकारी नही होनी चाहिए।
इधर अगली सुबह जब मैं सुबह सो कर उठा तो मैं देखा कि बिस्तर पर मैं अकेला ही सो रहा हु बाकी की दोनों लोग उठ कर कब चली गयी मुझे पता ही नही चला। तो मैं भी उठ कर फ्रेश होकर बाहर आ गया जंहा पर घर के सभी बड़े लोग बैठ कर आपस मे बाते कर रहे थे और सबसे बडी बात यह थी कि आज बड़ी दी और जीजा जी भी आये हुए थे।सभी लोग बहुत ही चिंतित दिखाई दे रहे थे ।मुझे आते हुए देख कर बड़ी दीदी उठी और मुझे गले लगा लिया और रोने लगी ।कुछ देर रो लेने के बाद वह शांत हुई तो मैं भी उनको एक कुर्शी पर बिठा कर उनके गोद मे अपना सर रख कर नीचे बैठ गया ।तब मा बोली कि
माँ :आप लोगो ने चाहे जो सोचा हो लेकिन मैंने फैशला कर लिया है कि अब यह गांव में नही रहेगा ।अब इसे हम लोगो से दूर जाना ही होगा।
पापा : तो तुम क्या चाहती हो उस ठाकुर के डर से मैं अपने बेटे को कही भी भेज दु ।
मा :इसलिए ही मैने रात को ही बेटी और दामाद जी को फोन करके बुला लिया है ।यह पास के शहर में काम भी करते है और बहुत अच्छी कंपनी है उसी में कुछ दिनों के लिए काम दिलवा देंगे और जब मामला शांत हो जाएगा तो चला आएगा।
बड़ी माँ :इस बात से तो मैं भी सहमत हूं देवर जी वैसे भी बेटा कहि और तो जायेगा नही अपनी बहन के पास ही रहेगा तो चिंता करने की कोई बात नही है ।मेरे भाई का लड़का भी दामाद जी कंपनी में ही काम करता है और उसे भी इन्होंने अच्छी जॉब दिलवादी है तो अपने बीवी के छोटे भाई को नही दिलवाएंगे।
बड़ी दी : अरे उसे काम करने की क्या जरूरत है जब तक चाहे रह सकता है और वैसे भी अभी इसकी उम्र ही क्या है जो यह कम्पनी में काम करेगा ।मेरा भाई सहर जाकर घूमेगा और अगर चाहे तो पढ़ाई करे।
बड़ी दी कि बातों को सुनकर भाभी की हसी छूट गयी और वह रशोई में चली गई तब उनके पीछे पीछे कविता दी और सरिता दी भी चली गयी ।अंदर जाकर कविता दी ने बोला कि
कविता दी :क्या बात है भाभी आप इस तरह से वहां से क्यों चली आयी और बड़ी दी कि बातों पर आप हसि क्यों।
भाभी :वह इसलिए क्यूंकि अब हम सबका पत्ता काट कर पुनम ने उसे बच्चा कहा उसे कहा पता कि वह बच्चा कितनो को फाड़ चुका है मुझे तो ऐसा लग रहा है कि कहि सुरुवात उसी से ना कर दे ।
कविता दी :नही भाभी ऐसा नही होगा क्यूंकि दी उसे बहुत प्यार करती है और वह उसके साथ ऐसा वैसा कुछ नही करेंगी।
भाभी :"तो क्या मेरी लाडो रानी उसे प्यार करने का दिखावा करती है।
भाभी की बात को सुनकर कविता दी आंखों में आँशु आ जाते है और वह भराये गले से बोलती है कि
कविता दी : भाभी आप को जो बोलना है बोल लो लेकिन मेरे प्यार पर उंगली मत उठाओ ।आप नही जानती उसके प्यार के लिये मैं खुद को बदल ली और आप बोलती है कि मैं उसे प्यार नही करती।
सरिता दी :नही भाभी के कहने का यह मतलब नही था वह तो बस यह कहना चाहती है कि जब हम सब उससे इस तरह प्यार कर सकती है तो दी क्यों नही कर सकती है और वैसे भी मुझे लगताहै कि दी के इतने साल हो गए शादी को फिर भी बच्चा नही हुआ कुछ तो कारण होगा ।
कविता दी और भाभी चोंक कर सरिता दी कि तरफ देखती है और फिर बोलती है कि
भाभी :तुम कहना क्या चाहती हो मैं कुछ समझी नही।
सरिता दी :मैं बस इतना कहना चाहती हु की जीजा जी मे इतना दम नही है कि वह दी को मा बना सके इसलिये अगर जय ही उन्हें मा बना दे मुझे कोई बुराई नही दिख रही है।
कविता :तब तो अब सिर्फ मा छोटी चाची और मधु बची है जिनके मन में उसके लिए गलत भावना नही है।
भाभी :मधु ही क्यों ज्योति क्यों नही
कविता दी :वह इसलिए मेरी रंडी भाभी क्यूंकि ज्योति हम सबसे बड़ी रंडी निकली वह पहले ही उससे चुद चुकी है और उसके साथ उसकी 2 सहेली भी साथ मे ही ।
सरिता दी :क्या बोल रही है तू
कविता दी :सच बोल रही हु मेरी जान वह उसका मोटा लण्ड अपनी बुर में ही नही गांड में भी ले चुकी है
इधर बाहर
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इधर बाहर
सभी लोग इस बात पर तैयार हो गए कि मै दीदी के साथ उनके साथ सहर में कुछ दिनों के लिए रहूंगा जबतक की ठाकुर शांत नही हो जाता है।इधर वह लड़की अपने घर पर तैयार हो कर बैठी अपनी माँ से बाते कर रही थी
लड़की :माँ अब आप क्यों नाराज हो अब मैं जा तो रही हु ना शाम तक मैं उससे मिल कर मैं आ जाऊंगी लेकिन जब तक वह शादी के लिए मान नही जाता है तब तक मैं यह नही बताउंगी की मैं कौन हूं।ऐसा न हो कि वह मुझसे नही बल्कि पैसे को देख कर शादी कर ले और ऐसा मैं बिल्कुल भी नही चाहती हु।
औरत :जब तक तुम उसे लेकर नही आती तब तक मुझसे बाते मत करो । तुम क्या करोगी यह मैं नही जानती मैं बस इतना जानती हूं कि मेरा दामाद मेरे सामने चाहिए।
लड़की :ठीक है माँ अगर आपकी यही मर्जी है तो यही सही।
इतना बोल कर वह लड़की चली जाती है और वह औरत घर मे ही टंगे एक फोटो के सामने खड़ी होकर रोने लगती है और बोलती है कि
औरत :बेटा तू कितनी खुशी से सोनिया को इस घर की बहू बना कर लाया था लेकिन भगवान को भी इस घर की खुशियां रास नही आई और उसने जल्द ही तुझे अपने पास बुला लिया और उसके बाद उसने अपने सारे गमो को दिल मे ही दबा कर मेरे सामने हस्ती रहती है और इस पूरे बिजनेस को उसने एक बेटे की तरह सम्भाल लिया और खुद की माँ बाप का कहना ना मानकर उसने मेरी सेवा की है और अब जब भगवान ने उसे थोड़ी खुसिया दे रहे है तो मैं कैसे उसे रोकू अगर मैं इतना फोर्स नही करती
तो वह कभी भी तैयार नही होती।
तभी पीछे से एक लड़की की आवाज आती है और वह बोलती है कि
लड़की :नही मा यह आपने बिल्कुल ठीक किया मैंने भाभी को अकेले में रोते हुए देखा है सच कहु तो मैं कबसे आप से बोलना चाहती थी पर नही बोल पायी भगवान को उसका दुख नही देखा गया।
औरत :हा बेटी यह तूने ठीक कहा।
इंट्रो टाइम
मैं जय कुमार
राजेस्वर कुमार पापा
सुमन देवी माँ
भाई बहन
पूनम दी
कमलेश जीजा
बलवंत कुमार भाई
जुही भाभी
सरिता दी
मधु छोटी बहन
बड़े पापा संजय
बड़ी मा चंदा
इनकी बेटियां
कविता दी
ज्योति
मेरे दोस्त
कालू
पवन
राजू
पूजा कालू की बहन
जया राजू की गर्लफ्रैंड
काव्या (मेरा पहला प्यार) अब जिंदा नही है
चम्पा काव्या की माँ
ठाकुर भानु प्रताप सिंह
प्रीति भानु की बीवी (ठकुराइन)
पंकज ठाकुर भानु का बेटा
अमृता ठाकुर भानु की बेटी
भोला ठाकुर का मुंशी
सोनिया सिंह सिंह ग्रुप ऑफ कम्पनी की MD और मेरी पहली बीवी
सुमित्रा देवी सोनिया की सास पर वह इसे मा बोलती है
राहुल कुमार (सोनिया का पहला पति )अब जिंदा नही है
प्रियंका सिंह सुमित्रा की बेटी अभी कॉलेज में है
रूबी राय सोनिया की सेक्रटरी कम फ्रेंड
जिनका ज्यादा रोल नही है कहानी में उनका परिचय नही दिया है आगे और लोग आएंगे तो परिचय देता रहूंगा ।
इधर सोनिया घर से निकलने के बाद खुद ड्राइव करते हुए उसी डॉक्टर के घर पहुच जाती है जंहा पर वह मुझे लेकर आई थी दवा के लिए और वँहा पर थोड़ी मस्कत के बाद वह उसे मेरा पता दे ही देता है।
(यंहा से कहानी कुछ देर के लिए सोनिया के जुबानी)

मैंने उस डॉक्टर से पता तो ले लिया लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नही हो रही थी कि मैं उस लड़के के घर जा सकू । बात अगर कुछ और होती तो मैं बिना किसी संकोच के वँहा पर जा सकती थी लेकिन आज मामला ऐसा नही था इसलिए जाने में डर लग रहा था कि कोई कुछ कह ना दे या उसके घर वाले मेरी बातों पर कैसा रिएक्ट करेंगे।लेकिन जाना तो था ही इसलिए मैं अपनी मंजिल की तरफ चल दी जब मैं उस डॉक्टर के द्वारा बताई गये पत्ते पर पहुची तो देखा कि यह लोग सामान्य घर से थे।मेरी गाड़ी रुकने के आवाज सुनकर कुछ औरते घर से बाहर आई इस वक्त मैने एकदम सिंपल कपड़ा पहना हुआ था जिसे देख कर कोई मेरे बारे में नही जान सकता था



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सच कहूँ तो आज जितना डर मुझे लग रहा था उतना कभी नही डरी। मैं वँहा पर जाकर एक औरत से उस लड़के का घर पूछी क्यूंकि डॉक्टर ने मुझे उस लड़के का नाम बता दिया था तो ज्यादा मुश्किल नही हुई।तो उस औरत ने सामने वाले घर की तरफ इशारा कर दिया।
यंहा मैं सोच रही थी कि कोई मुझे नही जानेगा लेकिन मुझे क्या मालूम था कि यंहा पर भी मेरे कंपनी का वर्कर मिल जाएगा।मैने दरवाजे पर जा कर आवाज दी तो एक लड़की घर से बाहर निकल कर आई यह कोई और नही बल्कि कविता ही थी। वह मेरी तरफ ना पहचानने की नजर से देखते हुए पूछी
कविता : जी आप कौन मैं आपको पहचानी नही और आपको किससे मिलना है।
मैं :जी मुझे मिस्टर जय कुमार से मिलना है मुझे उनसे कुछ काम है।क्या आप मुझसे उन्हें मिलवा सकती है और आप कौन है।
कविता : जी मैं उसके बड़े पापा की लड़की और उसकी बहन हु लेकिन माफ कीजियेगा मैंने आपको पहचाना नही पर मुझे ऐसा लग रहा है मैं आपसे पहले भी मिल चुकी हूं।
मैं :"हा हम लोग मिल जरूर चुके है और उसका सबूत यह है । मैं अपने साथ लायी रात में दी हुई उस लड़की के कपड़े को दे दी।
वह लड़की उस कपड़े को लेकर देखी और फिर बोली कि
कविता :ओह तो वह आप ही है जिसे रात में भाई ने बचाया था लेकिन जहाँ तक मुझे याद है हमने आपको अपना पता तो बताया नही था फिर आप यंहा पर कैसे।
मैं :क्या करूँ रात में बिना आप लोग का धन्यवाद किये चली गयी और फिर कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से मुझे आना ही पड़ा।
कविता :हम इतनी देर से बाहर खड़े आपसे बाते कर रहे चलिये अंदर ।घर मे चल कर बाते करते है ।वैसे अगर आपको बुरा ना लगे तो आप अपना नाम बताओगी।
मैं : इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है गलती मेरी ही जो अब तक ना आपका परिचय ली और ना दी । वैसे मेरा नाम सोनिया सिंह है और आपका
कविता :मेरा नाम कविता है।चलिये अंदर आपको सभी से मिलवाती हु
इसके बाद मैं और कविता दोनों अंदर चली गयी और अंदर जाकर मैंने देखा कि सभी लोग बाते कर रहे है। कविता ने सभी से मेरा परिचय कराया और अभी मैं अपना नाम बताती उससे पहले ही मेरी कानो में एक ऐसी आवाज आई जिसे मैं यंहा पर नही सुनना चाहती थी
आदमी :मैम आप और यंहा पर ।
मैं :"माफ कीजियेगा मैंने आपको पहचाना नही और आप मुझे कैसे जानते है(हालांकि मैं उसे देख कर ही पहचान गयी थी कि वह मेरे ही कम्पनी में काम करता है लेकिन उसके बाद भी अनजान बनते हुए पूछी।)
कमलेश :सॉरी मैम मैंने आपको अपना परिचय नही दिया मैं कमलेश और आपकी ही कम्पनी में काम करता हु।लेकिन आप यंहा कैसे।
मैं :ओह तो यह आपका घर है ।
कमलेश :" नही मैम यह मेरा घर नही बल्कि मेरी बीवी पूनम का मायका है और यंहा पर मैं कुछ काम से आया था।
मेरे बारे में जानकर सभी ने मेरी अच्छी से आवभगत की ।वही हुआ जो मैं नही चाहती थी लेकिन अब क्या कर सकते है जो होना था वह तो हो गया लेकिन अब इस बारे में सोचना था कि जो बातें करने आई हूं वह कैसे करूँ।
good update
 

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अब मैं इन लोगो से बात क्या करूँ यह तो मेरी भी समझ मे नही आ रही थी लेकिन फिर भी मुझे बात तो करनी ही थी इसलिए मैंने हिम्मत करके बोली
मैं : देखिए मैं यंहा पर जो बात करने के लिए आई हूं उसपर मेरी और आपकी पूरी जिंदगी की बात है इसलिए मेरी आप लोगो से विनय पूर्ण निवेदन है कि पहले मेरी पूरी बात को सुने और समझे इसके बाद आप लोग जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा।
सुमन : बोलो बेटी तुम्हे जो भी बोलना है खुल कर बोलो बिना किसी संकोच के ।
मैं : जैसा कि आप लोग जान ही चुके है कि मैं कौन हूं और कंहा से हु तो मुझे नही लगता हैंकि इस बारे में बात करके कोई फायदा नही है और रही बात मेरे यंहा पर आने की तो उसके दो मकसद थे ।पहला ये की कल जय ने जिस तरह एक अनजान लड़की की मदद की उसके लिए मैं कितनी बार भी धन्यवाद करू कम है अगर मैं आज जीवित हु तो वह सिर्फ और सिर्फ जय की वजह से इसलिए मैं उनका सुक्रिया अदा करना चाहती हु।
कमलेश :मैम आपको सुक्रिया करने की कोई जरूरत नही है ।मुसीबत में फसे किसी की मदद करना कोई उपकार नही है लेकिन फिर भी आप सुक्रिया अदा करना चाहती है तो आप उसे अपनी कम्पनी में कोई काम दे दीजिए क्यूंकि कल इसने ठाकुर के लड़के को इतनी बुरी तरह से मारा है कि वह अपने बेटे की ऐसी हालत करने वाले को खोज रहा है हमे डर है कि कही उसे अगर कुछ पता चल गया तो वह इसे कुछ नुकसान ना पहुचा दे इसलिए हम लोग इसे यंहा से लेने के लिए आये हुए थे।
उसकी बात को सुनकर मुझे रूबी की कही गयी बात याद आ गयी हो ना हो इस घटना में अमृता का हाथ हो सकता है और अगर ऐसा है तो वह उसके लिए अच्छा नही होगा।। मैं यह सब सोच कर पूछ लेनें में ही भलाई समझी क्यूंकि मैं नही चाहती थी कि उसे उस गलती की सजा मिले जो उसने की ही ना हो।
मैं :तो तुम्हारे कहने का मतलब भानु के बेटे से है ।
कविता :हा उसी कमीने की वजह से आज गांव की कोई भी लड़की खुद को सुरक्षित महसूस नही करती है आये दिन वो और उसके कुछ लफंगे साथी मिल कर किसी न किसी लड़की को उठा ले जाते है।
मैं :तो तुम लोग पुलिस में शिकायत क्यूं नही करते ।
सुमन : बेटी पुलिस में शिकायत करके क्या फायदा पुलिस भी उनके खिलाफ कुछ नही करती उल्टे जो शिकायत करने जाते है उन्हें उलटा फशा देते है इसलिये कोई नही जाता है और वैसे भी हम गरीब लोगों की सुनता ही कौन है।
मैं :" आंटी जी अब आप चिंता न करे अब वह कुछ भी नही करेगा।
सुमन :बेटी तुम इन सब चक्करों में ना पड़ो तो ही अच्छा है ।कंहा तुम उस कमीने से झगड़ा मोल ले रही हो।
मैं :आंटी जी सायद आप भूल रही है कि कल उसी कमीने ने मुझे भी उठा लिया था अगर जय वक्त पर नही आता तो उस कमीने ने मुझे भी खराब कर ही दिया था।
कविता :वैसे सोनिया जी आप कुछ बात बोल रही थी यंहा पर आने के विषय मे एक बात तो आपकी पूरी हो गयी पर दूसरी अभी भी अधूरी है।
मैं :हा बात तो है पर समझ मे नही आ रहा है कि मैं उस बारे में कैसे बात करूं।
सरिता :अगर आप घर के बड़े लोगो से यह बात बोलने में दिक्कत हो रही है तो आप हमसे इस बारे में बात कर सकती है।।
मैं : नही यह उचित नही होगा हमे जो भी बात करनी है इन सभी लोगो के सामने ही करनी होगी क्यूंकि इसमे सभी की खास तौर पर जय और बाकी के सभी बड़े लोगो की मंजूरी जरूरी है ।
सुमन : बेटी जो भी कहना है खुल कर बोलो ।
मैं थोड़ी देर रुक कर फिर बोली कि
मैं :" देखिए आंटी जी जाने अनजाने में कल रात कुछ ऐसा हो गया जिसकी सायद मैने कल्पना करना भी छोड़ दिया था या यूं कह ले कि मैं कभी भी करना ही नही चाहती थी लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा हुआ था जो ना चाहते हुए भी हो गया।
मेरी बात सुनकर सुमन आंटी और बाकी के घर वाले जय की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगे और जय को भी कुछ समझ मे नही आ रहा था कि उसने ऐसा क्या कर दिया जो सभी इस तरह से उसे घूर कर देख रहे है।तब सुमन आंटी बोली कि
सुमन :बेटी अगर मेरे बेटे ने गलती से कुछ ऐसा कर दिया है जो उसे नही करना चाहिए था तो उसके लिये मैं तुमसे हाथ जोड़ कर माफी मांगती हु।
इतना बोल कर सुमन आंटी ने मेरे सामने हाथ जोड़ लिया तो मैं आगे जा कर उनके हाथों को नीचे करके बोली
मैं :नही आंटी जी आप गलत समझ रही है जय ने ऐसा कुछ नही किया बल्कि उसने तो मेरी इज्जत बचाई और मैं उसके सामने उस हालत में थी कि कोई भी अपना आपा खो सकता है लेकिन तब भी इसने अपनी बहन के हाथों कपडा मंगवा कर मेरी तन को ढका ।वह तो जिस बारे में मैं बात कर रही हु उसमे हम दोनों में से किसी की कोई गलती नही है ।
राजेस्वर :बेटा तुम जो कहना चाहती हो खुल कर बोलो हमे जो भी उचित लगेगा वह जरूर करेंगे।
मैं :अंकल जी बात यह है कि कल जय को जब चोट लगी तो उसके खून का कुछ कतरा मेरी मांग को भी भर दिया और इस तरह से ना चाहते हुए मैं जय की सुहागन हो गयी
kya baat hai
 
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