mashish
BHARAT
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Bravo to saily aunt n the recipient too,I would say,it is a luck to sickle any breastfeeding mother's sweet milk,it is all god's grace n the divine blessings of the universal mother sree Durgaa maataa too,with Om n prem,in the lord,dwa7846[०२] - १५.०२.२०२१
उस दिन से, मैंने यह सुनिश्चित किया कि एक दिन मैं निश्चित रूप से सायली भाभी के स्तनों को चूसूंगा। तब मैं ध्यान दे रहा था कि हर दिन महादिक के घर में क्या चल रहा है, सूक्ष्म स्तर पर आतंरिक परिक्षण कर रहा था । और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि किसी तरह मैं सायली भाभी के खुले स्तन, या कम से कम उनके निपल्स, तो देख पाउ। साथ ही साथ, मैं ऑफिस में अच्छा काम करके रमेश बाबू को प्रभावित कर रहा था, अपनी छवि उनकी नज़रूँ में और मज़बूत और नेक बनाने की कोशिश में लगा था। इस तरह मेरा रमेश बाबू के घर आना जाना भी बढ़ गया था। लगभग डेढ़ महीने इस तरह के छोटे और बड़े दृश्यों पर बिताए ... फिर एक दिन मैंने एक स्वर्गीय दृश्य देखा ...
गर्मिया शुरू हो गई थी, और उन् दिनो, सभी क्वार्टर वाले लोग ऊपरी मंज़िल पर जाना पसंद नहीं करते, क्योंकि ऊपरी बेडरूम और बरामदे की छत ढलान वाली होनेके कारण गर्मी बोहोत होती थी। इसी लिए गर्मियों में, सभी क्वार्टर में रहनेवाले लोग हॉल और रसोई में ही वास्तव्य किया करते है।
वोह एक सुहाना रविवार था। और जब से मुझे वह अद्भुत छेद उस दीवार में मिल गया था, मैंने मेरा बिस्तर उसी दीवार को सटके लगा दिया था। दोपहर हो चली थी, खाना खाके और पान सुट्टा मारके मैं आराम से बिस्तर पे लेटाहुआ था तभी मैंने कुछ सुना ...
"आह ... हम्म ... दीजिये ना ..." ऐसा ही कुछ ... मैं तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गया और अपनी आँखें छेद पर रख दी ... बाँदा खल्लास ... मुझे ...मैंने जो देखा, उसे देखकर मैं चौंक गया, मेरा लिंग ताबड़तोड़ सीधा खड़ा हो गया, और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि अगर मैंने मेरे लिंग को नहीं मनाया, तो वह फ़ौरन अपनी जगह से चलना शुरू कर ...हमेशा के लिए निकल जायेगा ...
मैंने रमेश बाबू को बिस्तर पर बैठे देखा, सायली भाभी नीचे फर्श पर पालथी मारके बैठी थी और मजेसे रमेश बाबू का लिंग चूस रही थी। .. अति सुन्दर ... कमरे में रोशनी नहीं होने के बावजूद, दृश्य देखने के लिए खिड़कियों और दरवाजों की दरारों से रोशनी आ रही थी जो काफी कुछ दिखा रही थी ... रमेश बाबू का एक हाथ सायली भाभी के रेशमी बालोको सेहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मोबाइल पकडे उसमें कुछ देख रहे थे ... फिर थोड़ी देर बाद रमेश बाबू ने कहा..
"बेबी जरा धीरे चुसो न, तुम्हारे दांत लग रहे है , माना की दो दिन मैंने तुम्हे चूसने से माना किया था ...पर इसका मतलब ये तो नहीं की तुम मुझे चोट पोहूचाओ ...हां बेबी ...हम्म ...हम्म ऐसे ...ाहः आराम से चुसो बेबी"
ये सुनते ही भाभीने लिंगपान रोक दिया और आगे बढ़ आपने husband के कानोंमें कुछ कहा ...
मैं वह नहीं सुन सका… फिर उसने रमेश बाबू को हाथ से पकड़ लिया और उन्हें बड़े प्यार बिस्तर से नीचे खींच लिया.
फिर मैंने देखा की रमेश बाबू एक बाज़ू पे सो गए और भाभी उनके लिंग के पास खिसक के लेटे लेटे फिर से लिंगपान करने लगी ... और अब मुझे बस उन्दोनो के सर ही दिखाई दे रहे थे ... मैंने नीचे देखा तो पाया की मेरा वीर्यपतन हो चूका है और अभी भी मेरा लिंग सख्त है ... मैं थोड़ी देर तक उस छेद में देखता रहा ... लेकिन दृश्य में कुछ खास तबदीली नहीं आई।
लेकिन एक बात जो मैंने इससे सीखी, वह यह है कि ... सायली भाभी को लिंग चूसने की आदत है। खल्लास ... यह मेरे सपनों की सेक्सी परी थी जो प्रत्यक्ष रूपसे मेरे सामने अपनी लीलाये बिखेर रही थी ... बिलकुल वैसी ही पारी जैसी ...जैसा मैं चाहता था, मैंने सायली भाभी के सपने देखना शुरू कर दिया। मैं उसके स्तनों को अभी भी पूरी तरह से खुल्ला नहीं देख पाया था, मैं उन स्वर्गीय सुंदर, सेक्सी आकारके, स्तनों को, उन लंबे-लंबे निपल्स को चूसना चाहता था। सायली भाभी का दूध पीना चाहता था। लेकिन यह सब कैसे संभव हो सकता है ये समझ में नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसके नाम की कल्पना की और मुठ मारना शुरू कर दिया ... दिन ऐसे ही बीत रहे थे ... और फिर वो खास दिन आ गया ...
lovely update[०७] ०२.०३.२०२१
एक बेहतरीन सुबह थी वह. क्यों के पिछले दिन और बीती रात बेहद रोमांचक और अद्भुत बीती थी. भाभी ने मुझे नाश्ता दिया बच्चों को भी परोसते हुए बोली,
"विश्वास आज दफ्तर नहीं जाओगे क्या?"
"जाना तो है भाभी बहुत काम .pending. पड़े है. फिर रमेश बाबू का फ़ोन भी आएगा कुछ काम को लेकर"
"तो फिर दोपहर में खाना खाने आ जाना ठीक है" भाभी चाय की चुस्की लेकर बोली.
"हां भाभी आ जाऊंगा" फिर मै नहाने मेरे quater. चला गया, नाहा धो के तैयार हो गया, लेकिन मेरे मन में कल रात का मंज़र loop. में चल रहा था, और मै चाहता था की फिर एक बार, दफ्तर जाने से पहले भाभी का दूध पीलू,. ये सोच के मै भाभी के घर गया वो खाना बनानेकी तैयारी कर रही थी और बच्चे टीवी देख रहे थे. मै किचन में गया और भाभी को पीछे से hug. कर लिया. मेरा लिंग भी तन के भाभी के पीछे साड़ी से ही घुस रहा था. भाभी पहले तो थोड़ी हैरान हो गई क्यों के उन्हें अंदाज़ा नहीं था की मै बिना आवाज किये इस तरह आऊंगा, फिर बोली
"देवर जी आपका तो तन गया है ओह होओओ...क्या चल रहा है मन में ?" कहते हुए वो मुड़ी और पैंट के ऊपर से ही लिंग को सहलाने लगी.
"भाभी आप को चोदने का मन हो रहा है, चलिए न जलधि से एक बार कर लेते है"
"विश्वास, एक बात याद रखना, हम सब कर सकते है लेकिन sex. यानि के सम्भोग नहीं, वो मुझे खुद को नहीं करना तुम्हारे साथ, ठीक है?" भाभी ने मुझसे थोड़ा दूर होते हुए कहा.
"पर क्यों भाभी क्यों नहीं कर सकते सम्भोग?"
"क्यों के मै ऐसा तुम्हारे साथ करना उचित नहीं मानती, वह हक़ सिर्फ मेरे पति का है ये मेरा सिद्धांत है, मेरा तत्त्व है," भाभी के आँखों में एक ढृढ़ता की चमक से दिख रही थी.
" ठीक है भाभी, मै आप का आदर करता हु, और आप की इस बात ने अब मेरे मन में आप के लिए सम्मान और द्विगुणित कर दिया है, मै अब कभी सम्भोग के लिए आप को नहीं कहूंगा." ये सुन भाभी के चेहरे पे मुस्कान लौट आई और वह करीब आई और मुझे गले लगा लिया. मैंने भी उनको बहो में ले उनकी गर्दन पे एक हलकी सी kiss. ले ली.
"और रही बात तुम्हारे सुख की, तू ये जान लो की मेरा मुख तुम्हे मेरी योनि से ज़्यादा सुख देगा, और ये केवल तुम्हारे सुख की नहीं मेरे सुख की भी बात है, अब आओ यहाँ खुर्सी पे पैठो मुझे आपने लिंग चुसवाओ, मुझे वीर्य पिलाना फिर जाना दफ्तर," कहके भाभी ने मेरे पैंट की ज़िप खोली.
"पर भाभी मुझे तो आपका दूध पीना है, स्तनपान तो कराओगी न?" सुन भाभी हास दी और हां में सर हिलाया
"पर भाभी बच्चे आ गए तो?" मैंने भाभी से पूछा,
"तू उसकी फ़िक्र मत करो," कहते हुए भाभी ने मेरा लिंग बहार निकला और नीचे बैठ लिंग को मुँह में ले लार चूसने लगी.
मैंने देखा की भाभी के चेहरे पे ख़ुशी साफ़ दिखाई दे रही थी, हलकी सी SMILE. लेके वो मेरे लिंग को चूस रही थी. मैंने झुक के भाभी के ब्लाउज में हाथ डाला और उनके निप्पल तक पोहोचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन भाभी के स्तन इतने बड़े है की मई हाथ अंदर दाल ही नहीं पा रहा था. पलॉककक सा आवाज़ करके भाभी ने मेरा लिंग मुँह से निकला और बोली,
"इतने अच्छे लगे तुम्हे मेरे स्तन?!"
"भाभी आपके स्तन तो स्वर्ग है स्वर्ग, जी करता है दिन रात उनको चुसता राहु और उनसे खेलता रहू" भाभी ने अब तक उनका एक स्तन नीचे से निकला था.
"हां बाबा पिलाऊंगी तुम्हे, बस पहले मई पी लू तुम्हारा दूध, ठीक है?"कहके भाभी ने फिर से मेरा लिंग चूसना शुरू किया. बोहोत ही मादक लग रही थी भाभी मुहमें मेरा लिंग चूसते हुए. उनके बड़े से निप्पल और AREOLA. को देख मई और ज़्यादा उत्तेजित हो गया, भाभी ने फिर बीच में ही मेरा लिंग बहार निकला और मेरे TIP. को अपनी जीभ से खेलने लगी, कभी चूमती, कभी उसे lollipop. की तरह चाटती, फिर मां में भर के अंदर की और suction. करते हुए चुस्ती. भाभी की ये प्यारी cute. हरकते देख मै चरम तक पोहोचने लगा,
"भाभी अब पूरा मुहमें लीजिये और चूसिये, मै झड़ने वाला हु"
"हम्म्म्म पूछूककक पच पछह पुच मममहंम" भाभी के चूसने से आवाजें आ रही थी, और उन्होंने मेरा पूरा लिंग मुहमें ले लिया था.
इस बार तो मै बिलकुल उनके गले के अंदर झाड़ गया, और भाभी ने एक बून्द भी जाया नहीं की और सारा वीर्य पी गई, मेरा वीर्य निकलना बंद हो गया तब भी वो चूस रही थी, ओहोहोहो मेरी प्यारी भाभी, मै सेहर गया.
"हम्म्म भाभी अब बस करो , निकल गया सारा दूध मेरा, अब मुझे पिलाओ न please." मै बेचैनी में बोलै.
"हम्म , आज तो तुम्हारे दूध का टास्ते और अच्छा था, विश्वास मुझे फिर दोपहर में पिलाओगे ने तुम्हारा दूध?!" भाभी गीले ओठों से बोली...
"हां भाभी पिलाऊंगा पर अब मुझे तुम आपने दूध पिलाओ," कह कर मैंने भाभी को नीचे से उठाया. वो आगे जेक हॉल में झांक के आयी और बोली,
"बच्चे अभी भी व्यस्त है आओ बैडरूम में तुम्हे सोकर पिलाती हु..." हम दोनों बगल के बैडरूम में गए वह मै निचे बिछाये हुए गद्दे पर लेट गया और भाभी मेरे पास मेरी तरफ एक साइड में लेट गई और उसने उसका स्तन मेरे मुहमें दिया और मुझे दूध पिलाने लगी...लगभग ५ से ६ मिनिट हुए होंगे के अंदर सई आ गई और उसने मुझे भाभी के स्तन को चूसते हुए देख पूछा ...
"मम्मी, ये क्या आप चाचा को दूध पीला रही हो?" उसकी आवाज़ सुन मैंने भाभी का वह लम्बा निप्पल मुहसे निकल दिया और उठके बैठने लगा, तोह भाभी ने मुझे हलके से नीचे दबाया और आपने निप्पल मेरे भूतों तक उठाते हुए मुझे फिर से पीने का इशारा किया, बोली,
"अरे बीटा चाचा को भी मेरा दूदू पीने का मन था तो मै उनको पीला रही हु, आप जेक tv. देखो मै इनको दूध पिलाके आती हु"
"मम्मी आप मुझे भी पिलाओ ना दूदू, आप तो सिर्फ सोनू को हौर अब चाचा को ही दूदू पिलाती हो!" सई बोल ...
"ठीक है बीटा मै तुम्हे भी दूदू पिलाऊंगी अब से...ठीक है, अभी चाचा को पीला लू !?"
"ठीक है मम्मी आप फिर मुझे भी पिलाना" कह के वह हॉल में चली गई. मै थोड़ा डर गया था की कही कुछ problem. न हो जाये.
"भाभी कुछ प्रॉब्लम ..."
"अरे विश्वास, मैंने कहा न कुछ नहीं सब ठीक है, अब जलधि जलधि दूध पियो और दफ्तर जाओ ठीक है!"
कहके भाभी ने मझे आपने पास खींचा और मुझे फिर पिलाने लगी, मेरा लिंग फिर तन सा गया था. फिर मैंने लगभग २० मं और दूध पिया और फिर मैंने भाभी का निप्पल छोड़ दिया, वे मुस्कराके बोली,
"पेटू भर गया मेरे बच्चे का, हम्म्म ?" चलो अब जलधि जलधि जाओ और जल्दी आओ ठीक है ?"
मै खुश हो के कपडे ठीक कर वह से चल दिया.