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Chapter- 01 parichay (01)
हेलो प्रतीक कब आ रहे हैं आप
बस कुछ दिनों बाद आऊंगा तुम कैसी हो वैसे कल ही पता चला चाची जी से तुम्हें फोन करना भूल गया हरीश आ रहा है आज शाम तक पहुंच जाएगा घर पर
लेकिन वह तो अगले महीने आने वाला था ना
हां हां लेकिन उसको एडमिशन होने से पहले वह यहां पर कोई कोचिंग क्लास ज्वाइन करनी है कह रहा था
अच्छा ठीक ठीक
हां चाची ने बताया मुझे के 1 महीने पहले ही वह उधर आकर ज्वाइन कर लेगा क्लास तो कॉलेज में थोड़ी आसानी होगी
अच्छा ठीक है उसको एड्रेस तो दे दिया है ना शायद रांची में पहली बार आ रहा है वह
हां हां एड्रेस वगैरा सब दिया है वैसे पप्पू कैसा है हेलो प्रीति आवाज कट रही है तुम्हारी
हां हां पप्पू ठीक है अभी अभी उसे दूध पिला कर सुला दिया है
तबीयत तो ठीक है ना उसकी
हां तबीयत सब ठीक हम दोनों को आपकी बहुत याद आ रही है जल्दी आइए ना
बस ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ता और ठीक है मेरी जान अब फोन रखता हूं ठीक से अच्छे से रहना और हरीश का भी ख्याल रखना ठीक है
ठीक है जी आप भी अपना ख्याल रखना लव यू
तृप्ति ने फोन रख रखा और वह बेडरूम में जाकर पप्पू को देखने लगी वह आराम से बिस्तर पर सो रहा था.
पप्पू... तृप्ति और प्रतीक का बेटा अभी साल भर का था. तृप्ति और प्रतीक दोनों हाल ही में धनबाद से रांची शिफ्ट हुए थे. प्रतीक रांची के एक बड़े न्यूज़पेपर कंपनी में फील्ड फोटोग्राफर की पोजीशन पर ज्वाइन हुआ था. काम के चलते प्रतीक को महीने में एक या दो बार कुछ दिनों के लिए दूसरी जगह जाकर रहना पड़ता था. दोनों की शादी हुए अभी 2 साल ही हुए थे. इसी के चलते तृप्ति को प्रतीक का यूं बाहर रहना अच्छा नहीं लगता था. उसने कई बार प्रतीक को प्यार से यह कह भी दिया था कि वह कोई दूसरी जगह पर ट्रांसफर ले ले जिससे कि वह सब एक साथ ही रह सके.
तृप्ति ने खाना बना लिया उसे पता था कि हरीश आएगा तो हो सकता है कि उसे भूख लगी हो.
हरीश प्रतीक का चचेरा भाई... जो अभी-अभी बारहवीं की एग्जाम में अच्छे परसेंटेज लेकर पास हुआ था, रांची के प्रसिद्ध निर्मला कॉलेज में बीएससी की एडमिशन करा ली थी. प्रतीक के चाचा चाची बलियापुर के रहने वाले थे. चाचा के कहने पर प्रतीक ने हरीश को अपने साथ रहने और उसकी पढ़ाई पर ध्यान देने की जिम्मेदारी खुशी-खुशी ले ली थी.
तृप्ति ने घर के सारे काम निपटा दिए. शाम हुई तो उसको हरीश का फोन आया. कुछ देर बाद हरीश रिक्शा से घर पहुंचा. लगभग 8:00 बज गए थे. आते ही हरीश ने भाभी के चरण स्पर्श किए और इधर-उधर की बातें करते हुए दोनों ने खाना खा लिया. छोटा पप्पू भी अब हरीश के साथ घुलमिल गया था. हरीश बीच-बीच में अपने भाभी के बड़े बड़े स्तनों को आंखों के कोनों से चोरी चोरी देखा करता था. वाकई तृप्ति के स्तन बहुत बड़े थे और पप्पू को पिलाने के चलते उनमें काफी दूध भी भरा रहता था.
तृप्ति घर पर अपने स्तनों को लेकर उतनी व्यवस्थित नहीं थी. कई बार हरीश के सामने उसका पल्लू जब ढल जाता तो वह उसे वापस समेटने के लिए बिल्कुल कष्ट नहीं लेती. यह वह जानबूझकर नहीं करती थी. उसका स्वभाव ही ऐसा था... ज्यादातर समय घर पर अपने बेटे के साथ अकेले रहने की वजह से उसने ब्रा पहनना भी बंद कर दिया था. हरीश के मन में कोई तूफ़ान सा उठ जाता था जब वह अपनी भाभी के ढले हुए पल्लू के पीछे के वह बड़े बड़े वक्षओं के गोलाकार को देखता. और कभी-कभी हरीश को तृप्ति के ब्लाउज के सामने उसके निप्पल की छाप भी साफ दिखाई पड़ती थी.
खाना खत्म होने के बाद वह दोनों हॉल में टीवी देखने बैठ गए. टीवी के सामने एक सिंगल बेड लगा हुआ था और बगल में एक सोफा भी लगा हुआ था. तृप्ति ने पप्पू के रोने की आवाज सुनी तो वह उसे बेडरूम से ले आई.
भूख लग गई मेरे बेटे को दूदू पीना है आले आले... आओ बेटा मेला बेटा मम मम करेगा ना ओ.... आजा मेरे लाजा बेटा...
हेलो प्रतीक कब आ रहे हैं आप
बस कुछ दिनों बाद आऊंगा तुम कैसी हो वैसे कल ही पता चला चाची जी से तुम्हें फोन करना भूल गया हरीश आ रहा है आज शाम तक पहुंच जाएगा घर पर
लेकिन वह तो अगले महीने आने वाला था ना
हां हां लेकिन उसको एडमिशन होने से पहले वह यहां पर कोई कोचिंग क्लास ज्वाइन करनी है कह रहा था
अच्छा ठीक ठीक
हां चाची ने बताया मुझे के 1 महीने पहले ही वह उधर आकर ज्वाइन कर लेगा क्लास तो कॉलेज में थोड़ी आसानी होगी
अच्छा ठीक है उसको एड्रेस तो दे दिया है ना शायद रांची में पहली बार आ रहा है वह
हां हां एड्रेस वगैरा सब दिया है वैसे पप्पू कैसा है हेलो प्रीति आवाज कट रही है तुम्हारी
हां हां पप्पू ठीक है अभी अभी उसे दूध पिला कर सुला दिया है
तबीयत तो ठीक है ना उसकी
हां तबीयत सब ठीक हम दोनों को आपकी बहुत याद आ रही है जल्दी आइए ना
बस ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ता और ठीक है मेरी जान अब फोन रखता हूं ठीक से अच्छे से रहना और हरीश का भी ख्याल रखना ठीक है
ठीक है जी आप भी अपना ख्याल रखना लव यू
तृप्ति ने फोन रख रखा और वह बेडरूम में जाकर पप्पू को देखने लगी वह आराम से बिस्तर पर सो रहा था.
पप्पू... तृप्ति और प्रतीक का बेटा अभी साल भर का था. तृप्ति और प्रतीक दोनों हाल ही में धनबाद से रांची शिफ्ट हुए थे. प्रतीक रांची के एक बड़े न्यूज़पेपर कंपनी में फील्ड फोटोग्राफर की पोजीशन पर ज्वाइन हुआ था. काम के चलते प्रतीक को महीने में एक या दो बार कुछ दिनों के लिए दूसरी जगह जाकर रहना पड़ता था. दोनों की शादी हुए अभी 2 साल ही हुए थे. इसी के चलते तृप्ति को प्रतीक का यूं बाहर रहना अच्छा नहीं लगता था. उसने कई बार प्रतीक को प्यार से यह कह भी दिया था कि वह कोई दूसरी जगह पर ट्रांसफर ले ले जिससे कि वह सब एक साथ ही रह सके.
तृप्ति ने खाना बना लिया उसे पता था कि हरीश आएगा तो हो सकता है कि उसे भूख लगी हो.
हरीश प्रतीक का चचेरा भाई... जो अभी-अभी बारहवीं की एग्जाम में अच्छे परसेंटेज लेकर पास हुआ था, रांची के प्रसिद्ध निर्मला कॉलेज में बीएससी की एडमिशन करा ली थी. प्रतीक के चाचा चाची बलियापुर के रहने वाले थे. चाचा के कहने पर प्रतीक ने हरीश को अपने साथ रहने और उसकी पढ़ाई पर ध्यान देने की जिम्मेदारी खुशी-खुशी ले ली थी.
तृप्ति ने घर के सारे काम निपटा दिए. शाम हुई तो उसको हरीश का फोन आया. कुछ देर बाद हरीश रिक्शा से घर पहुंचा. लगभग 8:00 बज गए थे. आते ही हरीश ने भाभी के चरण स्पर्श किए और इधर-उधर की बातें करते हुए दोनों ने खाना खा लिया. छोटा पप्पू भी अब हरीश के साथ घुलमिल गया था. हरीश बीच-बीच में अपने भाभी के बड़े बड़े स्तनों को आंखों के कोनों से चोरी चोरी देखा करता था. वाकई तृप्ति के स्तन बहुत बड़े थे और पप्पू को पिलाने के चलते उनमें काफी दूध भी भरा रहता था.
तृप्ति घर पर अपने स्तनों को लेकर उतनी व्यवस्थित नहीं थी. कई बार हरीश के सामने उसका पल्लू जब ढल जाता तो वह उसे वापस समेटने के लिए बिल्कुल कष्ट नहीं लेती. यह वह जानबूझकर नहीं करती थी. उसका स्वभाव ही ऐसा था... ज्यादातर समय घर पर अपने बेटे के साथ अकेले रहने की वजह से उसने ब्रा पहनना भी बंद कर दिया था. हरीश के मन में कोई तूफ़ान सा उठ जाता था जब वह अपनी भाभी के ढले हुए पल्लू के पीछे के वह बड़े बड़े वक्षओं के गोलाकार को देखता. और कभी-कभी हरीश को तृप्ति के ब्लाउज के सामने उसके निप्पल की छाप भी साफ दिखाई पड़ती थी.
खाना खत्म होने के बाद वह दोनों हॉल में टीवी देखने बैठ गए. टीवी के सामने एक सिंगल बेड लगा हुआ था और बगल में एक सोफा भी लगा हुआ था. तृप्ति ने पप्पू के रोने की आवाज सुनी तो वह उसे बेडरूम से ले आई.
भूख लग गई मेरे बेटे को दूदू पीना है आले आले... आओ बेटा मेला बेटा मम मम करेगा ना ओ.... आजा मेरे लाजा बेटा...
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