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are wah chhota par bahut badhhiyaChapter-02 शुरुआत
तृप्ति ने पप्पू को गोद में उठा लिया और वह हॉल में आ गई.
" इसे भूख लगी है, मैं जरा दूध पिला देती हूं... हरीश अगर तुम्हें नींद आ रही हो तो तुम्हारा बिस्तर बगल वाले गेस्ट रूम में लगा दिया है ठीक है"...
"हां भाभी बस थोड़ी देर में सो जाऊंगा... अभी नींद नहीं आ रही है."
तृप्ति टीवी के सामने लगे हुए बिस्तर पर बैठ गई. उसने पप्पू को गोद में लिया और अपने ब्लाउज के नीचे हाथ डालते हुए उसने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए. इधर हरीश का दिल जोरो से धड़कने लगा.... उसका मन बार-बार अपनी प्यारी सी भाभी के बड़े बड़े स्तनों के दृश्य का अनुमान लगाने लगा. वह मन ही मन सोचने लगा...
'मुझे भाभी की स्तनों के दर्शन होंगे... कैसा होगा उनका निप्पल? उनका एरियोला का क्या कलर होगा? क्या उनका निप्पल लंबा होगा?... हो सकता है... क्यू के साल भर से बार बार चूसे जाने की वजह से जरूर उनके निप्पल काफी लंबे हो चुके होंगे... काश मुझे भी भाभी के दूध सीधे उनके स्तनों से पीने का अवसर मिल जाए तो मैं अपने आप को धन्य मानूंगा'...
इधर तृप्ति ने अपना स्तन बाहर निकाला. वह निकालने में उनको थोड़ी दिक्कत जरूर हुई क्योंकि उनका स्थान बहुत ही बडा था. हरीश को पुरा स्तन नहीं देख पाया क्योंकि... तृप्ति ने अपने सारी का पल्लू ऊपर ढक रखा था... हां लेकिन बगल से स्तन का कोर और उसकी वह गोरी गोरी त्वचा जरूर हरीश को दिखाई दी थी. तृप्ति ने पप्पू को पल्लू के नीचे लिया और वह उसे दूध पिलाने लगी... थोड़ी ही देर में पप्पू के निप्पल चूसे जाने की हल्की हल्की चूसाई की आवाज साफ सुनाई दे रही थी... वातावरण बहुत ही अद्भुत हो गया था... हरीश अब ना रह कर सीधे भाभी के स्तनों की ओर देख रहा था जो उस वक्त पल्लू के नीचे ढका हुआ था. तृप्ति का एक बार हरीश की ओर ध्यान गया फिर उसने नजर हटा ली. तृप्ति मन ही मन सोचने लगी...
'काश प्रतीक होता तो रात में मेरा दूध जरूर खत्म कर लेता 4 दिन हो गए... हाथ से निचोड़ निचोड़ कर दूध निकालना पड़ता है... क्यों ना मैं हरीश से कहकर दूध उसे ही पिला दूं' ...
और वह मन ही मन मुस्कुराने लगी. फिर उसने जानबूझकर सारी का पल्लू थोड़ा सा साइड में कर दिया जिससे कि हरीश को वह अपनी निप्पल का कलर दिखा सके... जैसे ही हरीश की नजर इधर उधर देखते हुए भाभी के स्तनों के ऊपर आ ठहरी तो उसका मुंह अचानक से खुल गया... उसको पप्पू के मुंह में जो निप्पल चूसा जा रहा था उसका एरियोला साफ दिखाई दे रहा था... डाक चॉकलेटी कलर का वो एरियोला काफी बड़ा था. क्योंकि पप्पू ने चूसते हुए भी बहुत सारा एरियोला बाहर ही था... तृप्ति ने हरीश का वह हाव भाव देख लिया और उसने सर घुमा लिया और वह टीवी की ओर देखने लगी वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी कि हो सकता है हरीश को वह दूध पीने के लिए प्रवृत्त कर सके.
थोड़ी देर बाद उसने दोबारा हरीश की ओर देखा और उसे पूछा
"क्यों हरीश?... क्या हुआ?... क्या देख रहे हो तुम?... और तुम्हारा मुंह क्यों खुला हुआ है?."...
तो हरीश थोड़ा शक पका गया और उसने झिजकते हुए कहा...
"नहीं नहीं.... भाभी वह... टीवी देखते देखते... पता नहीं मुंह कैसे"...
"हरीश... मुझसे तुम झूठ मत ही बोलो, मुझे पता है तुम क्या देख रहे थे... मैं तुम्हारी भाभी हूं ठीक है"...
" हां... हां भाभी... सॉरी भाभी, बस मैं अंदर ही जाकर बैठता हूं"
"नहीं... यहीं बैठो कोई बात नाही."...
फिर तृप्ति ने हरीश से उसके 12वीं के बारे में पूछा और इधर उधर की बातें करके वह यह देख रही थी कि क्या वह हरीश पर भरोसा कर सकती है... जिस पर अंततः उसे यह यकीन हो गया कि ...हरीश पर भरोसा किया जा सकता है.... फिर रात में जब वह सोने के लिए अपने बेडरूम में जा रही थी तो तृप्ति ने टीवी देख रहे हरीश को कहा...
"हरीश देखो मैं कुछ दवाइयां ले रही हूं... मेरा थायराइड का प्रॉब्लम चल रहा है... इन दवाइयों के चलते मुझे रात में बहुत गहरी नींद आती है... जब प्रतीक होते हैं तो वह पप्पू को संभाल लेते हैं... लेकिन अब जब प्रतीक नहीं है तो हो सकता है कि रात में पप्पू उठ जाए या रोए... तो तुम उसे सुलाने की कोशिश करना और अगर वह नहीं सो रहा तब मुझे उठा देना ठीक है?!"
"हां भाभी आप निश्चिंत होकर सो जाइए... मैं पप्पू को संभाल लूंगा"
यह कहकर हरीश ने भी टीवी बंद कर ली... और वह अपने गेस्ट बेडरूम में चला गया. इधर तृप्ति ने अपना पासा फेंक दिया था... दरअसल तृप्ति किसी भी नींद आने वाली दवाई का सेवन नहीं कर रही थी... अब उसे यह भी पता था कि रात में लगभग 3:30 या 4:00 बजे पप्पू उठ जाता है... और रोता है.
तो उसने पप्पू को बेड पर रखा और उसके बगल में लेट गए. लेटने से पहले उसने अपने ब्लाउज में से उसका एक स्तन बाहर निकाल कर रख दिया... जो पप्पू के होठों के बिल्कुल पास में उसका निप्पल था... और फिर वह सोने की एक्टिंग करने लगी.
लगभग आधा पौना घंटा हो गया... तब हरीश दबे पांव बेडरूम में आया लाइट बंद थी लेकिन खिड़की से चंद्र का प्रकाश रूम में फैला हुआ था... वह देख पा रहा था... भाभी की आकृति जो पलंग पर लेटी हुई है एक बदन पर, और फिर उसने देखा कि बगल में पप्पू भी सो रहा है. उसने धीरे से अपने मोबाइल का टॉर्च शुरू किया और टॉर्च को भाभी की और घुमायला... तो वह तो बहुत चक्का रह गया...
उसकी आंखों के सामने उसके भाभी का बड़ा सा एक स्तन ब्लाउज से बाहर आया हुआ था और उनका वह बड़ा... विशाल निप्पल मनो... हरीश को बुला रहा था... हरीश उत्तेजित हो गया उसने हल्के से भाभी के पैरों को छूकर देखा कहीं वह जगी तो नहीं?... लेकिन इधर तृप्ति बड़े आराम से यह सब नजारा देख रही थी और ऐसा प्रतीत कर रही थी कि वह गहरी नींद में है... तब हरीश आगे बढ़... हरीश ने पहले तो तृप्ति के खुले स्तन को हाथ लगाकर टटोला... बहुत ही बडा स्तन था वह... और बहुत मुलायम... फिर भी तना हुआ... और ऊस में खास बात यह थी कि उसके निप्पल ऊपर की ओर उठे हुए थे... तो वह और ही मादक और मोहक दिख रहे थे...
फिर हरीश ने सोचा क्यों ना मैं थोड़ा भाभी का दूध ही पीलू तो हरीश ने धीरे से झुककर तृप्ती का निप्पल पहले अपनी जीभ से हल्के से सहलाया और फिर धीरे से निप्पल को मुंह में भर लिया.
'हा हा हा कितना प्यारा लग रहा है मुझे... हरीश कितना अच्छे से चूस रहे हो तुम... सुसु सुसु बेटा चूसो... बहुत अच्छा लग रहा है... पप्पू इतनी अच्छे से नहीं चूस पाता... पर तुम जिस तरह से चूस रहे हो... बहुत ही आनंद आ रहा है'...
तृप्ति मन ही मन सोचे जा रही थी इधर हरीश अब पूरी लय मे तृप्ति का स्तनपान कर रहा था... दूध तो तृप्ति के स्तनों में पहले से ही बहुत भरा हुआ था...
adbhut likhavt ke saath ye update pesh hua
zeuas ji aap kahani ko jaldi khatam karne ki koshish na kare
haresh ko thoda lubhana chahiye tha uski lusty eyes stano ko aur tagada karne dudh bhar sakte the
lekin update achchha rah
please jyada tarsaiyega nahi bas jaldi update dete rahe aur lambe episodes ki asha rakhti hu
shukriya