Behtareen updateUpdate 1
मैं (राजू) - गांव मैं अपने पिता के साथ खेती करता हूं देखने में अपने पिता की तरह ही एक औसत इंसान हूं।
मेरे पिता जिनका इस कहानी है कोई ज्यादा काम नहीं है इसलिए इनका परिचय जरूरी नहीं।
मम्मी (रूपा) - अगर इन्हें गांव की सबसे सुंदर औरत का जाए तो कोई गलत नहीं होगा तीखे नैन गोरे गाल गुलाबी होंठ, हल्की सी मोटी है लेकिन इतना भी नहीं कि उसे मोटा घोषित करती है।
मुझे बचपन से ही पढ़ाई में कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी इसीलिए 12 के बाद मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दीया और पापा के साथ अपने खेत में काम करने लगा, पहले तो मेरे इस फैसले का घरवालों ने बहुत विरोध किया मम्मी ने तो चप्पलों से पिटाई भी की क्योंकि वह लोग चाहते थे कि मैं पढ़े लिखे के एक समझदार इंसान बनु, गांव में लोगों के लिए एक पढ़ा लिखा गवार भी समझदार ही कहलाता है, मेरे परिवार की भी यही सोच थी।
लेकिन मैंने अपनी सूझबूझ से उनकी इस सोच को बदल दिया, नई तरह की खेती करना पोल्ट्री फार्म खोलना गाय का एक बड़ा तबेला यह सब मैं नहीं 1 साल के अंदर ही बना दिया जिसे मम्मी पापा की नाराजगी थोड़ी कम हो गई लेकिन पूरी तरह नही वे लोग आज भी मुझे नहीं पड़ने के कारण कभी कबार ताने भी देते हैं।
Behtareen updateUpdate 2
हर दिन की तरह सुबह के 8:00 बजे मैं अपने घर के नजदीक के खेत मैं जहां मैंने सब्जियां उगाई थी उसे तोड़ के एक बड़े से बौरे में इकट्ठा कर रहा था, मेरे साथ मेरे गांव का ही एक लड़का (कालू) था जो मेरे यहां खेतों में काम करता था।
इसके पिता की मौत 3 साल पहले ही हो गया था, ऐसा नहीं है कि इसे खेतों की कमी है इसके पास भी इतने खेत है कि यह अपने पूरे जिंदगी उस खेत पर खेती करके गुजार सकता है।
लेकिन यह भी पूरे गांव वालों की तरह अपने खेतों में सिर्फ धान गेहूं और गन्ने की खेती करता है और बाकी बचे समय में मेरे यहां,
थोड़ी देर बाद जब हम सारी सब्जियां तो तोड़ के उस बोरे में इकट्ठा कर लेते हैं तब उस बोरे को हम दोनों उठाकर घर की तरफ जाने लगते हैं, तभी कालू मुझसे कहता है।
कालू - तुम्हें गांव में हो रहे खेल के बारे में पता है कि नहीं।
मैं - खेल कौन सा है
कालू - मुझे नहीं पता मैंने बोला था कि कोई सा खेल होने वाला है जो कि हर 20 साल में खेला जाता है।
मैं - होता होगा मुझे नहीं पता मेरे मम्मी पापा ने थोड़ी सब कुछ नहीं कहा।
रास्ते में जाते हुए हम देखते हैं कि एक जगह पर सारे गांव वाले खड़ा हुए थे, मैं कालू से करता हूं कि ये लोग यहां क्या कर रहे हैं चल चल के देखते हैं और बोरे को वहीं पर रख के हम मुखिया के घर के सामने चले जाते हैं जहां पर भी लगा हुआ था।
मुखिया के घर के दरवाजे के पास ही एक भैंस को बांधा गया था जो दिखने में काफी तंदुरुस्त लग रही थी और कुछ महंगी भी उसे पूरी तरह दुल्हन के जैसे सजाया गया था जैसे आज उसकी शादी हो मैं उसे देखकर हैरान हो जाता हूं कि पूरे गांव वाले इतने नल्ले हैं कि एक भैंस को देखने आएंगे।
तभी मेरी नजर भीड़ में खड़ी मेरी मम्मी पर पड़ती है, जिसने गांव की बागी औरतों की तरह ही अपने सिर पर पल्लू ले रखी थी और गांव की कुछ औरतों से उस भैंस को लेकर खुसर पुसर कर रही थी।
फिर मैं राजू को वहां से चलने का इशारा करता हूं और बोरे को उठाकर अपने घर की ओर चल देता हूं घर पहुंचते ही मैं उस बोरे को अपने टेंपो पर चढ़ाता हूं और तबेले की तरफ चल देता हूं।
जो कि मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर बना हुआ था जिसकी देखभाल मेरे पिता करते थे, वहां से दूध को भी टेंपो से भर के बाजार की तरफ चल देता हूं।
बाजार में सब्जी को मंडी में बेचकर और दूध को फैक्ट्री में देकर वापस घर चलाता हूं।
और यही मेरी रोज का काम था।
घर पहुंचते ही मम्मी मुझे हाथ मुंह धो कर बैठने को कहती है और एक थाली में खाना लेकर मेरे सामने रख देती है, मैं भी खाना खाने लगता हूं तभी कुछ देर बाद मम्मी मेरे सामने आकर बैठ जाती है और मुझसे कहती है।
मम्मी - मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं।
मैं - हां बताओ
मम्मी -हमारे गांव में हर 20 साल में एक खेल होता है जिसे जीतने वाले को एक भैंस मिलता है।
मैं - वोहो तो उस भैंस को इसलिए लाया गया है।
मम्मी - और मैं चाहती हूं कि तू उस भैंस को जीते।
मैं - क्या बात कर रही हों मम्मी तुम्हें तो पता है कि मैं किसी भी खेल में अच्छा नहीं हूं
मम्मी छोड़ते हुए - ना ही कोई खेल में अच्छा है और ना ही पढ़ाई था, और वैसे भी यह खेल बहुत ही आसान जिसके बारे में आज शाम को 5:00 बजे मुखिया जी सबको बताएंगे तू कहीं चले मत जाना वरना।
मैं - ठीक है माते में कहीं नहीं जाऊंगा
उसके बाद मैं अपने पोल्ट्री फार्म में चला जाता हूं वहां पर मुर्गियों की देखभाल के लिए।
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Behtareen updateUpdate 3
दोपहर का खाना खाने जब मैं घर पहुंचता हूं तो घर का हुलिया ही बदल चुका था पूरे घर को साफ किया गया था और फूलों से सजाया गया था।
मां मस्त नहा धो के अपने पांव की उंगलियों के नाखून में रंग भर रही थी।
मम्मी अपने नाखून को रंगने में इतना मांगन हो गई थी कि मे घर के अंदर आ गया है और उन्हें पता भी नहीं चला, मैं मम्मी के पास आकर खड़ा हो जाता हूं और उनसे कहता हूं - आज कोई पूजा है क्या मम्मी।
मम्मी - तुझे बताया था ना खेल के बारे में।
मैं - उसके लिए घर सजाने की क्या जरूरत।
मम्मी - जरूरत है तू क्या जाने, वो सब छोड़ो पहले ये बता कबूतर लाया।
मैं - कैसा कबूतर तूने तो मुझे कोई कबूतर लाने को नहीं कहा।
मम्मी - अपने सिर पर हाथ मारते हुए मैं भी ना एक नंबर की भुलक्कड़ हूं, मैं तो तुझे बताना भूल ही गई कि आज शाम की पूजा के लिए दो कबूतरों की जरूरत पड़ेगा, अच्छा हुआ तू जल्दी आ गया जाऔ जा कर दो कबूतर खरीद लाओ।
मैं - पूजा कैसा पुजा और अभी मैं कहां से दो कबूतर लाऊं।
मम्मी - सरिता (कालू की मां) के घर से
मैं - ठीक है मैं खाना खाकर ला दूंगा
मम्मी - नहीं अभी जाओ वरना सारे कबूतर खत्म हो जाएंगे उसके बाद तुझे ही बाजार जाना पड़ेगा।
उसके बाद में कालू के घर की तरफ चल देता हूं उसका घर मेरे घर से 2 3 घर आगे था, मैं उसके घर के बाहर पहुंचकर दरवाजे को पीटता हूं और साथ ही कालू को आवाज भी देता हूं।
कुछ देर बाद सरिता चाची दरवाजा खोलती है, इससे पहले मैं कुछ बोलता उससे पहले ही सरिता चाची बोल पड़ती है - कबूतर लेने आए हो।
मैं - हां लेकिन आपको कैसे पता।
सरिता - पता, पता कैसे नहीं होगा सुबह से सब लोग वही तो ले जा रहा है मेरे घर से।
आसपास के सारे गांव में सबसे ज्यादा कबूतर सरिता चाची ही पालती है।
मैं - हां दो लेना है।
सरिता - ठीक है तुम अंदर तो आओ बाहर क्यों खड़े हो।
मैंने इस बीच नोटिस किया कि आंटी अपने एक हाथ को पीछे से अपने एक गांड के नितंब को सहला रही थी, मैंने इस पर ज्यादा गौर नहीं किया मुझे लगा खुजली वगैरह होगा।
चाची अंदर जाने लगती है और मैं उनके पीछे-पीछे, घर के अंदर जाते ही मुझे एक कमरे से कालू निकलते हुए दिखता है, वो मुझे देखते ही कहता है - अरे राजू कोई काम था क्या।
मैं - क्यों कोई काम हो तभी मैं तुम्हारे घर आ सकता हूं क्या और वैसे भी मुझे तुमसे नहीं है चाची से काम है।
कालू - औ तू भी कबूतर खरीदने आया है, मुझे लगा ही था इसीलिए मैंने दो कबूतर तेरे लिए अलग से रख दीया है।
चाची कबूतर लाने के लिए एक कमरे में चली जाती है तभी मैं कालू से पूछता हूं - यार यह कबूतर पूजा खेल यह सब क्या है यार मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा और ना ही मुझे मम्मी बता रही है।
कालू - यार मुझे भी ज्यादा पता नहीं है बस इतना (तभी अंदर से चाची खांसते हुए आती है जैसे वह कालू को मुझे उस बात को बताने से रोक रही थी)
जिसके बाद कालू भी अपने बात को पलट देता है और कहता है मुझे भी ज्यादा नहीं पता, मैं समझ जाता हूं कि कालू अब कुछ नहीं बताएगा इसलिए मैं सिर्फ कबूतरों को लेकर वहां से निकल जाता हूं।
घर पहुंचकर में दोनों कबूतर मम्मी को दे देता हूं और उसके बाद खाना खाने बैठ जाता हूं कुछ देर बाद मम्मी मुझे खाना देती है और मैं खाना खाने लगता हूं तभी मम्मी मुझे कहती है- बस अब घर से बाहर कहीं मत जाना नहा धो लो शाम को पूजा है।
मम्मी काफी गुस्सैल स्वभाव की है इसलिए मैंने ज्यादा सवाल नहीं किया और वे जो जो कहती रही वही करता रहा।
शाम हो चुका था मम्मी ने मुझे जबरदस्ती एक शेरवानी और पजामा पहना दिया था, लेकिन अभी तक मम्मी रेडी नहीं हुई थी,वे अभी भी अपने कमरे में खुद को तैयार कर रही थी जैसे उसकी शादी हो, 1 घंटे बाद शाम से अंधेरा हो जाता है तब जाकर मम्मी अपने कमरे से बाहर आती है।
उन्होंने एक सेक्सी सी गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी और एक काले रंग की ब्लाउज उनका ब्लाउज काफी छोटा था, और साड़ी तो जैसे उन्होंने अपने ही विरुद्ध पहनी हो क्योंकि मम्मी ऐसी साड़ी कभी नहीं पहनती है, साड़ी में से उनका गहरी नाभि दिख रहा था जिसे वह हमेशा आमतौर पर ढक के ही रखती है।
मैं - मम्मी यह कैसे कपड़े पहने हो कहीं शादी में नहीं जा रहे हैं पंचायत में जा रहे हैं।
मम्मी - पंचायत नहीं पूजा और सबको ऐसे ही कपड़े पहन कर जाने को कहा है,बिना सिर पर पल्लू लिए किसी नई नवेली दुल्हन की तरह।
मैं - लेकिन सुबह तो आपने कहा था कि हम मुखिया जी के यहां जायेंगे।
मम्मी - तू 10 मिनट शांत नहीं कर सकता जब हम वहां जाएंगे तो तुझे सब पता चल जाएगा अब चल।
उसके बाद मम्मी दोनों कबूतर जो कि पिजड़े में था उसे उठाती है और घर के बाहर आकर घर के दरवाजे में ताला लगा देती है।
मम्मी - अब यह मत पूछना कि ताला क्यों लगा रही हूं तेरे पापा पहले वहां जा चुके हैं।
मैं भी वहीं पूछने वाला था लेकिन मम्मी ने मेरे पूछने से पहले ही जवाब दे दिया उसके बाद में और मम्मी साथ में पूजा वाली जगह पर जाने लगते हैं।
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Behtareen updateUpdate 4
फिर हम वहां से सीधा गांव के कुल देवता के मंदिर चले जाते हैं, जहां पे पहले ही सब आ चुके थे शिवाय मुखिया जी के।
मंदिर के बाहर एक पीपल का पेड़ है वहीं पर कई सारी कुर्सियां लगी हुई थी, उन्हीं कोर्सों में से एक कुर्सी पे पापा और उनके बगल में कालू बैठा हुआ था जिस तरफ गांव के सारे मर्द बैठे हुए थे, और वही औरतों के साइड सरिता चाची एक कुर्सी पर बैठी हुई थी जो कि हम से पहले ही आ चुकी थी।
मैं जाकर कालू और पापा के पास बैठ जाता हूं और वही मम्मी सरिता चाची के पास जाकर बैठ जाती है।
मैं पापा से कुछ सवाल करता इससे पहले ही वहां पर मुखिया जी और पंडित जी आ गये, गांव के दो बुजुर्गों के सम्मान में गांव के सारे लोग अपने जगह पर खड़ा हो गए।
तभी मुखिया जी हम सब को बैठने के लिए कहते हैं, और खुद खड़े होकर कहते हैं - आज हम यहां 20 सालों बाद खेले जाने वाले खेल दूध का दम को खेलने वाली लोगों का नाम लिखने आए हैं।
तभी भीड़ में से एक लड़का पूछता है यह कैसा खेल है जिसके बारे में हमें नहीं पता, जिसके बाद मुखिया जी कहते हैं - हमारे गांव में एक आदमी 20 साल तक की मुखिया बन के रह सकता है और वह कौन होगा इसका चुनाव इसी खेल से होता है,20 साल बाद खेले जाने के कारण इस खेल के बारे में लोग ज्यादा बात नहीं करते हैं जिसके कारण तुम्हें पता नहीं है।
इस बार मैं पूछता हूं- तो इसका नाम दूध का दाम रखने का क्या कारण है।
मुखिया जी - क्योंकि इस खेल को जीतने वाला आदमी तो मुखिया बनता है लेकिन उस आदमी की मां को इस गांव का शेरनी कहा जाता है जिनके दूध में सबसे ज्यादा ताकत होती है, इसलिए इसका नाम दूध का दाम है।
कालू - इस खेल को कैसे खेला जाता है
मुखिया जी - मान लो अगर इस खेल को 10 लोग खेलता तो इसे 10 दिन तक खेला जाता, लेकिन तुम पांच लोग हो इसलिए इसे 5 दिन तक तुम्हारे ही घरों में खेला जाएगा।
तभी एक और लड़का बोलता है- इसमें किस तरह के खेल होते हैं।
मुखिया जी - इस खेल में हर एक मर्द को अपनी मर्दानगी साबित करनी होती है वह भी अपनी मां के ऊपर ही, 5 दिनों तक तुम लोगों को अपनी मां के साथ एक वासना भरा खेल खेलना होगा जो जीतेगा उसे इस गांव का नया मुखिया बनाया जाएगा, और इनाम के रूप में एक भेंस दी जाएगी जो रोजाना 20 लीटर दूध देती है।
मुझे ये बात सुनकर इतना गुस्सा आ जाता है कि मैं मुखिया को लात मारने के लिए उठने ही वाला था लेकिन तभी मुझे एहसास होता है कि किसी ने मेरे हाथ को जोर से पकड़ रखा है जब मैं उस तरफ मुड़ कर देखता हूं तो वह कोई और नहीं मेरे पापा थे।
तभी पंडित जी कहते हैं - जो जो इस खेल में शामिल हो रहा है उनकी माये अपने कबूतरों को लेकर मंदिर में चलें।
जिसके बाद मम्मी और बाकी 4 औरतें उठकर वहां से चली जाती है और मैं पापा से कहता हूं - पापा आपने मुझे रोका क्यों मैं कैसे अपनी मां के साथ ऐसा खेल खेल सकता हूं छी।
पापा - गलती हमारी है जो हमने तुम्हें इस खेल के बारे में नहीं बताया।
मैं - लेकिन कल वह मां के साथ कुछ भी करने को कह सकते हैं जो मैं कैसे करूंगा और क्या आपको बुरा नहीं लगेगा मैं आपकी पत्नी के साथ।
पापा - बेटा अभी तुम शांत बैठो घर में तुम्हारी मां तुम्हें सब बता देगी।
मैं कुछ नहीं बोलता हूं चुपचाप बैठ जाता हूं कुछ ही देर बाद सारी औरतें और पंडित जी मंदिर से बाहर आ जाते हैं,उनके हाथों में उनका कबूतर नहीं था जो कि शायद उन लोगों ने मंदिर में ही रख दिया हो,
फिर वे हम सब लड़कों को अपने पास बुलाते हैं और हमारे हाथों में एक धागा बांध देते हैं, जब मैं ध्यान से देखता हूं तो वैसे ही धागे मेरी मम्मी और बाकी औरतों के हाथों में भी बांधा गया था।
उसके बाद खेल को लेकर कुछ बातें होने लगती है,जिस पर मेरा बिल्कुल भी ध्यान नहीं था मैं तो सिर्फ कालू और बाकी उन तीन लड़कों को देख रहा था जो उस खेल को खेलने वाला था, वे सब लोग इस खेल के लिए काफी उत्साहित लग रहे थे।
कुछ ही देर में बैठक खत्म हो जाती है और हम सब को अपने घर जाने का इजाजत मिल जाता है जिसके बाद हम लोग घर जाने लगते हैं, मम्मी और सरिता चाची दोनों एक साथ बातें करते हुए जा रही थी और वही मैं कालू के साथ जा रहा था कालू चुपचाप था जैसे उसने कोई पाप कर दिया हो।
मैं - सच-सच बताना तुझे इस खेल के बारे में पता था ना।
कालु - हां यार पता था मेरी मां ने बताया था
मैं गुस्से से - मुझे क्यों नहीं बताया
कालू - यार क्या बताता।
यह कहकर कालू चुप हो जाता है, उसका घर आ चुका था और वह दौर के अपने घर में चला जाता है मैं उसे और कुछ नहीं पूछ पाता हूं, मैं मन में सोचता हूं कितना भागेगा कल सुबह तो तू मेरे पास ही आएगा।
उसके बाद मैं और मम्मी भी घर आ जाते हैं घर में घुसते ही मैं मम्मी से कहता हूं - मम्मी ये सब क्या है।
मम्मी - मैं तुझे सब सुबह बता दूंगी अभी जाकर सो जाओ।
मैं - नहीं
मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले ही मम्मी गुस्से में बोलती है - बोला ना तुझे सुबह बात करेंगे अभी जा जा के सो जा।
मम्मी भी गुस्सैल स्वभाव की थी उसे जब गुस्सा आ जाता है तो वह किसी को कुछ नहीं समझती इसीलिए मैं अपने कमरे में चला जाता हूं।
मैं अपने कमरे में चला जाता हूं और अपने कपड़े खोलकर नीचे फर्श पर ही फेंक देता हूं। भले ही मैं उस खेल के खिलाफ था लेकिन जब से मैंने उसके बारे में मुखिया जी के मुंह से सुना था, तब से ना जाने क्यों मेरा लंड मेरे अंडर वियर में खड़ा था यह बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
लेकिन मैं उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देता हूं और अपने बिस्तर पे जाकर एक ब्लैंकेट ओढ़ के लेट जाता हूं। अभी मुझे लेटे हुए कुछ ही देर हुआ था कि तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुल जाता है। जिसे मैंने सिर्फ सटा दिया था कुंडी नहीं लगाया था, मैं अभी सोच ही रहा था कि ये कैसे खुल गया।
तभी पाइलों की आवाज के साथ मम्मी मेरे कमरे के अंदर आ जाती है। जब मैं उन्हें देखता हूं तो देखता ही रह जाता हूं।
मम्मी ने सिर्फ एक ब्रा और पेटिकोट पहना था।
ऐसा नहीं है कि मैंने मम्मी को कभी ऐसे हालात में नहीं देखा था। मैंने तो कई बार मम्मी को नहाते हुए उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां और मोटी जांघों को भी देखा है। कई बार तो मैंने उनकी नंगी पीठ पर नहाते हुए साबुन भी मला है। जहां उन हालातों के बीज भी मुझे मेरे मन में मम्मी को लेकर कोई गलत विचार नहीं आया था।
लेकिन इस वक्त ना जाने क्यों मम्मी मुझे बहुत सुंदर लग रही थी जैसे वे दुनिया की सबसे सुंदर और आखरी महिला हो। उनका वो गोरा बदन, खुले हुए बाल, आंखों में काजल, माथे पे एक छोटी सी बिंदिया। और थोड़ा सा नीचे जाने पर। उनके छोटे से ब्रा में कैद चुचियां जीसे काफी मुश्किल से उस ब्रा ने अपने कैद में रखा था। उनकी दोनों पहाड़ों के बीच बने उस खाई ने मेरे मुंह में पानी ला दिया था। थोड़ा सा और नीचे जाने पर मुझे मम्मी की थोड़ी सी मोटी लेकिन गोल सि पेट दिखती है। पेट की सुंदरता को चार चांद लगाने के लिए उसके ऊपर एक गहरी बड़ी सी गोल नाभि दिखती है। जो मेरे मुंह में आए पानी को मेरे गले से धकेलने के लिए काफी था। लेकिन थोड़ा सा और नीचे जाने से तो मेरा जान ही निकल जाता है। उन्होंने पेटीकोट को इतना नीचे पहना था की उनके चूत के बाल दिख रहा था।
मम्मी वैसी ही मेरे सामने खड़ा होकर मुझे खुद को काफी देर तक निहारने देती है। जिन्हें मैं अभी बिना पलके झपकाए निहारते जा रहा था।
मम्मी चलते हुए मेरे बेद के किनारे आके खड़ा हो जाती है। उनकी पायलों की आवाज सुन मेरा ध्यान टूटता है। और मैं तुरंत ही अपनी गलती का एहसास करते हुए मम्मी से कहता हूं - क्या हुआ मम्मी आपको कुछ चाहिए था क्या।
मम्मी पहले मेरे बिस्तर पर बैठती है और फिर मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है - मैं तो सिर्फ देखने आई थी कि मेरा राजा बेटा सोया या नहीं।
मैं मम्मी के चेहरे की मुस्कान और उनके प्यार से मोहित होके अपने आप को बंद कर देता हूं और कहता हूं - अभी कहां मम्मी, अभी तो मुझे कमरे में आए सिर्फ 10 मिनट ही हुआ है।
मम्मी अपने चेहरे की मुस्कान को और भी बढ़ाते हुए - 10 नहीं 20 मिनट हो गया है तुझे कमरे में आए, लेकिन 10 मिनट से तो तु मुझे एकदक नजरों से घूरे जा रहा था ऐसा क्या दिख गया तुझे तेरी मम्मी में।
मैं अपने आंख को एक झटके में खोल देता हूं और हकलाते हुए मम्मी से कहता हूं - कुछ भी तो
नहीं
मम्मी झुकती है और मेरे सिर पर चूमते हुए कहती है - कितना उलझ गया है मेरा बेटा कभी कहता है मैं तुम्हारे साथ वो सब कैसे करूंगा, और अभी मुझे ऐसे देख रहा था जैसे वो मुझे अभी जिंदा खा जाएगा।
शर्म के मारे मैं मम्मी की इस बात का कोई जवाब नहीं देता। तभी मम्मी कहती है - और हां आज मैं तुम्हारे साथ ही सोना चाहती हूं
मैं - नहीं, मतलब क्यों
मम्मी - कुछ जरूरी बात बताना है तुम्हें।
यह कहते हुए मम्मी मेरे ब्लैंकेट को थोड़ा सा उठाती है और उसके अंदर आ कर मुझसे चिपक कर लेट जाती है। मैं पीठ के बल सीधा हौके लेटा था। मम्मी मुझे अपनी और चेहरा करने को कहती है। जिसके बाद मैं अपना चेहरा मम्मी की ओर करके लेट जाता हूं।
अब हम दोनों अपने गरम सांसो को महसूस कर पा रहे थे। मैंने अपने दोनों हाथों को बड़ी मुश्किल से अपने दोनों टांगों के बीच लंड के पास काबू में कर के रखा था, जिससे मेरा खड़ा लैंड भी थोड़ा बहुत छुपा हुआ था। तभी मम्मी मेरे एक हाथ को वहां से निकलती है और अपने मखमली कमर पर रख देती है। और खुद अपना एक हाथ मेरे गाल पर रख देती है। इसके बाद तो जैसे मेरा हिलना नामुमकिन सा हो जाता है।
मम्मी - अगर मेरा राजा बेटा इस खेल को जीत के मुझे इस गांव की शेरनी बना देता है तो मैं उसे खुद को चोदने दूंगी।
मम्मी ने ये बात को इतनी आसानी से कह दिया। अगर मैं अपने होश में रहता तो मुझे जरूर गुस्सा आता है। लेकिन अभी मैं अपने ऊपर से पूरा नियंत्रण खो चुका जिसके कारण मेरे मुंह से क्या की जगह निकल जाता है - सच में
ये केह के मैं अपनी नजर को नीचे कर लेता हूं। जिस पर मम्मी मेरे होठों पर हल्का सा चुम्मा दे देती है और कहती है - इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है। तुम्हारे पापा ने भी तो तुम्हारी दादी के साथ और तुम्हारे मामा ने तुम्हारी नानि के साथ ये सब किया है अब तुम मेरे साथ करोगे।
मैं - जब हमारे घर में सब ने अपनी मां के साथ इस खेल को खेला है, तो आपने मुझे कभी कुछ बताया क्यों नहीं।
मम्मी - जब तुमने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। तब मैंने ठान लिया था कि मैं तुम्हें यह सौभाग्य कभी भी नसीब नहीं होने दूंगी। लेकिन तुमने अपनी सूझबूझ से खुद को साबित कर दिया इसलिए मैंने भी अपना मन बदल लिया।
मैं मम्मी से और भी बातें करना चाहता था लेकिन मम्मी ने मुझे सो जाने को कह दिया और खुद भी सो गई। मैंने भी अपनी आंखें बंद कर लिया लेकिन मेरी आंखों में नींद तो था नहीं। जहां पर मैं 30 मिनट पहले इस खेल का विरोध कर रहा था। वही पर मेरी मम्मी ने बड़ी चालाकी से ना कि मुझे मनाया बल्कि मेरे सोच को भी अपनी प्रति वासना से भर दिया। मेरे अंदर भी अब मम्मी की शरीर की रचना का निरीक्षण करने का मन करने लगा था। ये सब सोचते हुए ही मुझे नींद आ जाता है।
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जबरदस्त updateUpdate 6
फिर मुखिया जी हमें अंक देता है।
1 राजु
2 कालू
3 सुरेश
4 राजेश
5 महेश
फिर मुखिया जी कहते हैं - कल का खेल सुरेश के घर इसी समय में होगा। फिर मुखिया जी वहां से चले जाते हैं।
उसके बाद हम भी वहां से निकल जाते हैं सुरेश और महेश का घर बगल में ही था।
पूरे रास्ते हम चारों मतलब, मैं, मम्मी, कालु, चाची कुछ भी नहीं बोल रही थी। थोड़ी ही देर में कालू का घर आ जाता है। और वह दोनों हमें अलविदा कह कर अपने घर चला जाता है।
जब हम अपने घर पहुंचते हैं तो घर का ताला खुला हुआ था। जिसका मतलब था कि पापा घर आ चुके हैं। उसके बाद हम लोग अंदर जाते हैं। मम्मी सीधा किचन में खाना बनाने चली जाती है और मैं अपने रूम में चला जाता हूं। उस रात मेरे घर कुछ खास नहीं होता है। लेकिन कालू के घर बहुत कुछ होने वाला था।
(आगे की कहानी कालू की जुबानी)
जब मैं घर पहुंचता हूं तो मां चुपचाप खाना बनाने चली जाती है।मुझे थोड़ा सा अजीब लग रहा था क्योंकि वह मुझसे कोई भी बात नहीं कर रही थी।
जब खाना बन जाता है तब मैं और मां साथ बैठकर खाना खाने लगते हैं। खाना खाते हुए ही मैं मां से पूछता हूं - क्या हुआ मां तुम कुछ परेशान लग रही हो
मां - कुछ भी तो नहीं। खाना खाने के बाद तू मेरे कमरे में मेरा इंतजार कर मैं आ जाऊंगी।
जिसके बाद हम दोनों में कोई बात नहीं होता है।और मैं खाना खाकर मम्मी के कमरे में चला जाता हूं।
मैं मां के कमरे में बेठा उनका इंतजार कर रहा था कि तभी दरवाजे से मां अंदर आती है। अभी उन्होंने एक नाइटी पहना हुआ था और उनके हाथ में एक गिलास दूध भी था। मां मेरे पास आती है और खाट पर बैठ जाती है और अपने हाथ में पकड़ा गिलास मेरे और बढ़ा देता है।जिसे मैं भी बड़े प्यार से उनके हाथ से ले लेता हूं और गिलास का आधा दूध पी जाता है। गिलास में बचा आधा दूध में मां को पिला देता हूं। मैं अच्छे से दूध को नहीं पिला पाता हूं जिसके कारण थोड़ा सा दूध मां की छाती पर गिर जाता है और साथ ही उनके मुंह के चारों ओर भी लग जाता है।
जिसे पोछने के लिए मां ने अपने हाथ को उठाया ही था कि मैं उनके हाथों को पकड़ लेता हूं। और ना मैं अपना सिर हिला देता हूं।
मैं मां के कंधों पकड़ के उन्हें बिस्तर पर सुला देता हूं। मां भी अच्छे से बिस्तर पर पीठ के बल होकर लेट जाते हैं। जिसके बाद में खाट पर से खड़ा होता हूं और अपने कपड़ों को धीरे-धीरे खोलते हुए मां को देखने लगता हूं।
मां खाट पर लेटी लंबी लंबी लेकिन धीरे धीरे सांसे लेते हुए मुझे ही देख रही थी। जब वो सांस लेते समय हवा को अंदर की ओर लेती तब उनके सीने पे लटके दो बड़े पहाड़ ऊपर की ओर उठ जाता। और जैसे ही वह सांस छोड़ती उनके दोनों पहाड़ ऊपर से नीचे हो जाते। इस दृश्य में वह काफी कामुक लग रही थी। जैसे ही मैं अपने पेंट को नीचे करता हूं मेरा 7 इंच खड़ा लैंड झट से बाहर आ जाता।
मेरे लंड को देखते ही उनकी लंबी लंबी सांसे रुक जाती है। भले ही आज तक मैंने अपनी मां की चूची और गांड को कितना भी दबाया हौ लेकिन आज तक हम दोनों ने एक दूसरे को कभी भी नंगा नहीं देखा है। मैं अपने खड़े लंड को सेहलाते हुए खाट पर चढ़ जाता हूं।
मां के चेहरे को मैं अपने दोनों हाथों में थाम लेता हूं और उनके होठों के चारों तरफ लगा दूध चाटने लगता हूं। ये दूध गिलास के दूध से कहीं ज्यादा मीठा था। जिसे मैं चाट चाट के गायब कर देता हूं और उस जगह को अपने थूक से गीला कर देता हूं।जब मुंह पर लगा सारा दूध खत्म हो जाता है तब मैं और दूध के तलाश में नीचे, उनकी छातियों के पास जाने लगता। जहां पर पहुंच कर मुझे दूध के छोटी बड़ी कहीं बूंदे नजर आता है। जिस तरह शेर पानी को चाट के पीता है उसी तरह में छाती पर लगे उन दूध के बूंदों को चाटने लगता हूं। मेरी इस हरकत से मां सिसक उठती है - आआह्ह्ह्
सारा दूध चाट लेने के बाद मैं वापस मां के चेहरे के पास आ जाता हूं।वे अभी काफी सुंदर लग रही थी, उन्होंने अपने दोनों आंखों को बंद करके रखा था और उनका मुंह भी खुला हुआ था जिससे वह गर्म सांसे छोड़ रही थी। गर्म सांसों के कारण उनका निचला होंठ सूख गया था जिस पर मेरे नजर पड़ते ही, मैं अपनी हॉट उस पर रख देता हूं और उसे चूसने लगता हूं।
मेरी मां जो अब तक कुछ भी नहीं कर रही थी वह अब अपने एक हाथ से मेरे बालों मैं उंगलियां चिल्लाने लगती है। और मेरे होठों को भी पागलों की तरह चूसने लगती है।
कुछ ही देर में मैं अपना जीभ मां के मुंह में डाल देता हूं जिसे वो काफी प्यार से चूसने लगती है।फिर मां भी अपनी जीभ को मेरे मुंह के अंदर डाल देती है जिसे मैं भी चूसने लगता हूं।
किस करते हुए मैं अपना एक हाथ मां की नाइटी में डाल देता हूं और उनकी चुचियों को बारी-बारी दबाने लगता हूं।
चुचियों को दबाने के बाद। मैं मां की नाइटी को ऊपर करने लगता हूं कुछ ही देर में मैं उनकी नाइटी को उनके छाती तक ऊपर कर देता हूं। फिर में किस करना छोड़ बैठ जाता हूं और नाइटी खोल के फेंक देता हूं।
उन्होंने नाइटी के अंदर कुछ भी नहीं पहना था। जिसके कारण वो अब मेरे सामने जन्मजात नंगी थी। मां शर्म के मारे अपने दोनों पैरों को सटाके अपनी चूत को छुपा रही थी।
कुछ देर मां को निहारने के बाद। मैं वापस से बिस्तर पर लेट जाता हूं और मां की एक चुची निप्पल को मुंह में डालकर चूसने लगता हूं और दूसरे को अपने एक हाथ से दबाने लगता हूं।
निप्पल के साथ में चुचियों को भी चुम रहा था और रह रह कर उस पर अपने दांत गड़ा देता। जिससे मां आह कर उठती। दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने चूमने और काटने के बाद मुझे जाकर उनके पेट को चूमने लगता हूं। उनकी गहरी नाभि को अपनी जीभ से जाटनी लगता हूं।
कुछ ही देर में, मैं मां के पेट को लाल कर देता हूं। उसके बाद मैं उठ के मां के दोनों टांगों को पकड़ के अलग कर देता हूं। तभी मुझे देखती है वह चुप जिससे मैं पैदा हुआ था और जीसे आज रात में चोदने वाला था।
चूत को जी भर के देखने के बाद। उसे मैं अपनी उंगलियों से साइन होने लगता हूं। कुछ देर सैहलाने के बाद मैं अपने दोनों हाथों के अंगूठी से उनकी चूत को फैला देता हूं। जिससे मुझे उनकी गुलाबी चूत की छेद और पंख भी दिखने लगता है। उसे भी मैं कुछ देर तक देखता हूं।
उसके बाद में अपने सिर को चूत के पास ले जाकर, एक लंबा सांस लेकर उसके खुशबू को सुनता हूं। काफी मदहोश कर देने वाला जो मुझे कुछ देर के लिए नसीब में डाल दिया था। दो-तीन बार ऐसे ही चूत को सुंखने के बाद मैं अपने जेभ से उसे चाटने लगता हूं।
मेरा अजीब जैसे ही चूत पर पड़ता है। मां कांप जाती है और उनके मुंह से एक लंबा आह्ह निकलता है। मैं भी पागलों की तरह उनके चूत को चाटने लगता हूं, उनके पंखों को अपने मुंह में डालकर चूसने लगता हूं जिससे मां तड़प उठती है - आह्ह आह्ह मां
3 सालों से नहीं चोदने के कारण जैसे ही मैं उनकी चूत के दाने को सोचता हूं वैसे ही उनका मुत निकल जाता है। जो मेरे पूरे चेहरे पर लग जाते हैं।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मां सेक्स को लेकर इतनी कमजोर होगी। मैं अपने चेहरे पर से सारा मुत पोछता हु और उसे अपने लंड पे लगा लेता हूं।
फिर मैं अपने लंड को पकड़ के मां की चूत से लगा देता हूं। और एक हल्का सा धक्का लगा देता हूं जिससे मेरा लंड का सुपाड़ा चूत में चला जाता है। सुपाड़े के चूत में जाते ही मां आह्ह कर उठती है।
फिर मैं मां के ऊपर लेट जाता हूं। ताकि वे आगे हिल ना सके। और अपने होंठ को मां के होठों को मिला देता हूं। मां को किस करते हुए मैं उनकी चूत में एक झटका देता हूं। जिससे आधा लंड चूत में चला जाता है। जिससे मां कि मुंह से चीख तो निकलती है लेकिन वह मेरे मुंह के अंदर ही दब के रह जाता है। मां ये सब 3 सालों बाद महसूस कर रही थी। जिस कारण मां को इस उमर में भी लंड लेने से दर्द महसूस हो रहा था।
मां थोड़ा सा ही शांत हुई थी कि मैं फिर से एक धक्का दे देता हूं जिससे पूरा लंड चूत में समा जाता है। इस बार मां अपने मुंह को मुझसे छुड़ा लेती है और चिल्लाते हुए मुझे धक्के देने लगती है - आह्ह मैं मर जाऊंगी उईईई मां इसे निकाल बेटा उउउ आआह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है।
कुछ देर तक ऐसे ही अपने लंड को चूत में रखते हुए में मां के ऊपर लेटा रहता हूं। और उनके चेहरे को सहलाते हुए उन्हें सांत करता हूं। कुछ देर बाद मां शांत हो जाती है जिसके बाद मैं अपनी कमर को आगे पीछे करते हुई उन्हें धीरे-धीरे चोदने लगता हूं। जिससे मां को भी मज़ा आने लगा और वह मजे में आहें भरने लगती है - आह्ह आह्ह आह्ह।
चूत इतना गर्म था कि मुझे लग रहा था मेरा लंड अंदर ही पिघल के रह जाएगा। इसलिए मैं अपना स्पीड भी धीरे धीरे करके थोड़ा और बढ़ा देता हूं।
जिसके कारण मां भी अपने करहाने के आवाज को बढ़ा देती है। मैं मां को अपने बाजुओं में कस के पकड़ लेता हूं। और काफी जोर जोर से मैं चोदने लगता हूं। मेरे हर एक धक्के के साथ खाट चर- चर करके हिल रहा था।
मेरे जोरदार धक्कन से मां झड़ते हुए बोलती है - आह्ह बेटा मेरा हो गया।
मैं जिंदगी में पहली बार किसी को चोद रहा था। वह भी अपनी 3 साल से ना चोदी हुई मां को। मैं झड़ना तो नहीं चाहता था लेकिन फिर भी मेरा माल निकलने वाला था।
जिसके बाद मैं अपना लंड निकाल लेता हूं और अपना सारा माल मां की चूत के ऊपर गिरा देता हूं और उनके ऊपर ही सो जाता हूं।
जबरदस्त update bhaiUpdate 7
(कहानी राजू की जुबानी)
सुबह जब मेरा आंख खुलता है तो मैं चौक जाता हूं। मैं पीठ के बल सीधा होके सोया था और मम्मी मेरे सीने पर अपना सिर और एक पाव को मेरे ऊपर रखकर सोई हुई थी। आज भी मैं सिर्फ एक चड्डी में सोया था, जिसमें मेरा लंड पुरा तन के खड़ा हो गया था, लंड का सुपाड़ा तो चड्डी से बाहर हो गया था। और मम्मी कल की तरह ही आज भी पेटीकोट और ब्रा में सोई थी।
उनका पेटीकोट जांघों तक ऊपर हो गया था। इसलिए मैं मम्मी के अधनंगी जांघों को अपने खड़े लंड पर साफ महसूस कर सकता था। ना जाने कब से मेरा लंड उस मोटी सी जांग के नीचे दबके के झटके खा रहा था।
उन्होंने आज जो ब्रा पहना था वो भी मम्मी के विशाल चुचियों को नहीं देख पा रहा था। आधी से ज्यादी चूचियां उनके ब्रो से बाहर था, जो मुझे मेरे नंगे छाती पर सांप महसूस हो रहा था।
अजीब बात तो यह था कि, कल जब मैं सोया था तो मम्मी मेरे पास नहीं सोई थी। बीच में रात को एक बार मेरा आंख खुला था तब भी मम्मी मेरे पास नहीं थी। शायद काफी रात को वह मेरे पास आकर सोई थी।
लेकिन जब उन्हें मेरे पास होना ही था तो पहले क्यों नहीं आई आधी रात को आने का क्या मतलब था। कल रात पापा भी घर आए हुए हैं कहीं मम्मी और पापा रात को नहीं नहीं नहीं।
मुझे अंदर से काफी बुरा महसूस हो रहा था। जैसे कल रात को मम्मी, पापा के साथ मिलकर मुझे धोखा दिया हो। वह दोनों पति-पत्नी है, उन दोनों को चुदाई करने का पूरा हक है। लेकिन ना जाने क्यों मुझे इतना बुरा लग रहा था। जिसके कारण मैं इस सुनहरे पल को जीने की वजह, अपने ख्यालों में खोया था।
कल रात से ही मैं मम्मी को अपना प्रॉपर्टी समझ लिया, जिस पर सिर्फ मेरा हक है। जिस खेत की अब में ही सिर्फ जुताई और सिंचाई कर सकता था। लेकिन कल रात को उस खेत पे पापा ने अपना औजार चला दिया। ये जानते हुए कि ना जाने मेरे पापा ने उस खेत को कितना जूता होगा , उन्होंने ही इस खेत में अपने बीच को बो के मुझे पैदा किया है। लेकिन अब वह सिर्फ मेरी थी उन दोनों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।
मैं छत को देखते हुए अपने खयालों में इतना खो गया था कि, मुझे पता ही नहीं चला कि मम्मी कब उठ गई। मुझे इस तरह ख्यालों में खोया देख मम्मी मुझे हीलाती है, तब जाकर मैं होश में आता हूं।
मम्मी का चेहरा देख कर मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि, मन कर रहा था उन्हें अपने बिस्तर पर से धकेल दु। लेकिन मैं अपने गुस्से को काबू करते हुए अपने चेहरे को दूसरी तरफ कर लेता हूं।
मम्मी को मेरे इस हरकत से थोड़ा अजीब लगता है। मेरे चेहरे को अपनी और करते हुए थोड़े गुस्से से कहती है - क्या हुआ इतनी बदसूरत लग रही हूं क्या जो ऐसे मुंह फेर रहा है।
मेरा दिमाग जो पहले से खराब था मम्मी की बात सुनकर और भी खराब हो जाता है। मैं उन्हें बिना कुछ कहे अपने बिस्तर पर से उठता हूं और अपने सारे कपड़े पहन के घर से बाहर चला आता हूं। मम्मी मेरे इस व्यवहार को काफी हैरानी से देख रही थी।
घर से कुछ दूर जाने के बाद मेरे मन में ख्याल आता है कि मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा। जिसके बाद में पीछे मुड़ के घर के दरवाजे की तरफ देखने लगता हूं, इस आस में कि मम्मी वहां मेरे लिए खड़ा होगी। लेकिन वहां पर नहीं थी जिसके कारण मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।
जब मैं कालू के घर के दरवाजे के पास पहुंचता हूं। तब मुझे कालू का कल का बात याद आ जाता है की, वह आज अपनी मां को चोदने वाला था। यह ख्याल आते ही मैं उन दोनों को परेशान नहीं करता हूं और अकेले ही खेत पर चला जाता हूं।
अकेले होने के कारण आज सब्जियां तोड़ने में काफी देरी हो गया। और ऊपर से ये गुस्सा जिसे मैंने सब्जियों के कुछ पौधों पर निकाल दिया था। खैर में किसी तरह सब्जियां तोड़ लेता हूं। इतने भारी बोरे को तुम्हें घर ले जाने से रहा इसीलिए मैं टेंपो को लेने घर चला जाता हूं।
टेंपो का चाबी लेने जब मैं घर में जाता हूं। तब मम्मी मेरे पास आती है और मेरे पीठ पर एक चमार मारते हुए कहती है - क्या हो गया तुम मुझे सुबह ऐसे देख रहा था जैसे मुझे मार ही डालेगा तुझे डर नहीं लगता मुझ से।
मम्मी भले यह सब मजाक में कह रही थी लेकिन मैं तो सीरियस था।मैं मम्मी के बातों का कोई जवाब नहीं देता और चुपचाप बाहर निकल जाता हूं मम्मी भी मेरे पीछे पीछे आती है। वे काफी मुझे रोक के जानने की कोशिश करती है कि मैं गुस्सा क्यों लेकिन मैं नहीं रुकता और टेंपो लेकर चला जाता हूं। इस बात से मम्मी समझ जाती है कि मैं किसी बात को लेकर काफी गुस्सा हूं लेकिन उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था कि किस पे।
मैं खेत से सब्जियां लेने के बाद वहां से तबेले में चला जाता हूं। जहां पर मैं पापा से भी अच्छे से बात नहीं करता हूं। लेकिन मैं उन्हें ये अहसास नहीं होने देता हूं कि मैं किसी चीज को लेकर गुस्सा हु। वहां से दूध लेने के बाद मैं मार्केट चला जाता हूं और वहां से सीधा पोल्टी फार्म चला जाता हूं घर नहीं जाता।
रह रह के मेरे दिमाग में एक ही बात आ रहा था की, रात को पापा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा। साड़ी उठाके नहीं। उन्होंने तो सुबह सिर्फ पेटीकोट और बड़ा पहना था, जिसका मतलब पापा ने उसे पूरा नंगा करके चोदा था। खटिया पर लेटे मैं यही सोच रहा था। मुझे कब नींद लग जाता है मुझे खुद नहीं पता।
सपने में मैं देखता हूं कि, मम्मी अपने कमरे में पूरी नंगी होकर लेटी हुई थी और पापा अपने लंड को उनकी चूत में डालकर उन्हें हुमच हुमच कर चोद रहे थे।
और मम्मी चोदते हुए कह रही थी - आह्ह और जोर से चोदो आह्ह मुझे एक और बेटा चाहिए तुम्हारी इस बेटी से कुछ नहीं होता।
इतना सुनते ही मैं जोर से नहीं कह कर उठ जाता हूं। मैं पूरा पसीना पसीना हो गया था। तभी मेरा नजर मेरे मोबाइल पर पड़ता है। जिस पर कालू का फोन आ रहा था। मैं उसका फोन उठा लेता हूं
तभी कालू केहता है - कहां है तू खेलने नहीं आना है तुझे सुरेश के घर में।
मैं - यार आज नहीं जा पाऊंगा मेरा तबीयत बहुत खराब है मुझे बहुत तेज बुखार भी आया है।
फिर कालू ठीक है कहकर फोन रख देता है। उसके बाद मैं भी अपने घर चला जाता हूं।
Behtareen updateUpdate 5
जब सुबह को मेरा नींद खुलता है तो मैं खुद को बिस्तर पर अकेला पाता हूं। मैं बिस्तर पर लेटे लेटे रात के बारे में सोचने लगता हूं और अपने आप में ही मुस्कुराने लगता हूं।
कुछ देर बाद में उठ के बाहर जाता हूं और अपने सुबह के सारा काम करता हूं फिर मम्मी को कह कर खेत की ओर जाने लगता हूं। रास्ते में ही मैं कालू को भी बुलाने उसके घर चले जाता हूं। काफी देर तक घर का दरवाजा खटखटा के बाद सरिता झांकी गेट को उबासी लेते हुए खुलती है। जिन्हें देखकर साफ नजर आ रहा था कि वे अब तक सो रही थी।
लेकिन मेरे नजर को जो सबसे ज्यादा आकर्षित करता है ।वो था चाची का गाल, जिसके ऊपर दांत का निशान था। देखने से ही पता चल रहा था कि किसी ने काफी बेरहमी से उनके गोरे गाल को काटा था। मुझे समझते देर नहीं लगता कि यह किसका काम है।
चाची मुझे अपनी गाल को घूरते हुए नोटिस कर लेती है। जिसके बाद वह अपने गाल पर हाथ रख के हंसते हुए कहती - देखना रातों को एक कीड़े ने काट लिया।
मैं - मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए था देखो कैसे आपके गोरे गाल को लाल कर दिया। अच्छा जाओ उस कीड़े को बुलाकर लाओ।
यह कहते हुए मैं और चाची घर में घुस के आंगन में आ जाते हैं। तभी चाची समझ आती है कि उनका झूठ पकड़ा गया। जिसके बाद वो शर्मा के वहां से जाने लगती है।
तभी मैं पीछे से उनका हाथ पकड़ लेता हूं और हंसते हुए कहता हूं - क्या हुआ चाची शरमा गई क्या।
चाची अपने हाथ को छुड़ाते हुए - छोड़ना कालू देख लेगा।
मैं - अरे अभी से उससे इतना डरने लगी।
तभी चाची अपने हाथ को छुड़ा के कमरे में भाग जाती है। कुछ देर बाद कालू बाहर आता है और हम दोनों खेत की तरफ चल देते हैं।
यहां पर मैं आपको कालू की मां के बारे में थोड़ा सा बता देता हूं। उसकी मां भी कम सुंदर नहीं है खास करके उनकी दो बड़ी-बड़ी चूचियां जो कि गांव में सबसे बड़ी है।जिसे चूसने का ख्वाब गांव का हर आदमी देखता है। कालू की मां ने एक नहीं बल्कि 2 शादियां की है। पहली शादी उनका कालों के बड़े पापा से हुआ था। लेकिन उसके मौत के बाद उन्होंने अपने देवर से ही शादी कर ली जो कि कालू के पापा थे।
खेत में मैं कालू से कहता हूं - लगता है तेरा नींद पूरा नहीं हुआ है।
कालू - ऐसी बात नहीं है बस आज थोड़ा ज्यादा ही आंख लग गया।
मैं - और चाची को भी आंख लगा दीया।
कालू - मतलब
मैं - मतलब ये कि तू कल रात चाची के कमरे में सोया था।
कालू हकलाते हुए - नहीं तो
मैं उसके पीठ पर एक घुसा मारते हुए - साले अब तो सच बोल दे और कितना झूठ बोलेगा सुबह तु चाची के कमरे से निकला था याद कर मैं भी वहीं था। और चाची के गाल पर किया गया मेहनत भी मुझे दिख रहा था।
कालू शर्माते हुए - वो मैं वो मैं
मैं - मैं मैं मैं क्या कर रहा है
कालू - यार तुझे तो सब पता चल गया होगा ना फिर भी तु मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं।
मैं - तूने मुझे यह सब के बारे में बताया क्यों नहीं था।
कालू - तुम्हारी मम्मी ने मना किया था।
मैं - अच्छा ये सब छोड़ ये बता की तु चाची के साथ तो रात को कितने दूर तक गया था।
कालू शर्माते हुए - छोड़ ना यार।
फिर कालू मुझे पूरी बात सुनाने लगता है।(आगे की कहानी कालू की जुबानी)
मुझे मेरी मां ने इस खेल के बारे में 1 महीने पहले ही बता दिया था। जिसके कारण हम दोनों के बीच कभी कबार चुम्मा चाटी तो कभी ब्लाउज के ऊपर से ही मां मुझे अपनी चूचियां दबाने दे दी थी। लेकिन कल रात को जैसे ही हम दोनों घर लौटे।
मैं मां को उठाकर सीधा उनके कमरे में ले जाता हूं और बिस्तर पर पटक देता हूं। उसके बाद मैं मां के पूरे चेहरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगता हूं कभी गाल को चूमता तो कभी जीभ से चाटता तो कभी दांत से काट लेता।
मैं अपने आप पे अपना पूरा नियंत्रण खो चुका था। तभी मां मेरी दोनों गालो को पकड़ के अपने होठों को मेरे होठों पर रख देती है जिससे मैं थोड़ा सा शांत होता हूं और शांति से मां की होठों को चूसने लगता हूं।
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हम लोग तब तक एक दूसरे को किस करते हैं जब तक हमारी सांसे नहीं फुल जाता। किस के टूटने के बाद मैं हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगते हैं।
तभी मैं थोड़ा सा नीचे जाता हूं और मां के ब्लाउज का बटन खोलने की कोशिश करने लगता हूं। लेकिन तभी मां मुझे रोक देती है और कहती है - आज तक इतना सब्र किया बस अब कल तक रुक जाओ कल तुझे जो मर्जी हो कर लेना मैं तुझे नहीं रोकूंगी।
उसके बाद में मां के पेट को अपनी जीभ से चाटने लगता हूं। चाटते हुए ही मैं अपनी जीभ को नाभि के अंदर डाल देता हूं और उसे भी चाटने लगता हूं। कुछ देर जी भर के नाभि को चाटने के बाद मैं मम्मी के पेट को चुमने और काटने लगता हूं।
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जिसके कारण मां के पेट पर निशान पड़ जाता है। मां तो मुझे इससे आगे जाने नहीं देती इसलिए मैं पेट को चुनते हुए भी सो जाता हूं। उसके बाद मां मुझे सुबह तेरे आने के बाद उठा देती है। ( अपनी जुबानी)
मैं - वाह भाई तेरी तो मजे हैं।
कालू - क्यों तेरे मजे नहीं है।
मैं - कहां यार कल रात को ही तो मम्मी ने मुझे यह सब के बारे में बताना है। बस पेटीकोट और ब्रा में मेरे साथ सोई थी।
कालू - कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तेरी मां भी तुझे सब कुछ करने देगी।
मैं - लेकिन आज रात का तो तुझे इंतजार नहीं हो रहा होगा।
कालू - सही बोल रहे हो यार मुझे जरा सा भी इंतजार नहीं हो रहा। मैं तो मां को इस खेल के खत्म होने से पहले ही उनका पांव भारी कर दूंगा।
उसके बाद हम सब्जियां तोड़ के घर चले आते हैं और वही रोज का दुध और सब्जियों को बाजार जाकर बेचना।
जब मैं घर आता हूं तो मम्मी मुझे खाना खाने को देती है। खाना खाने के बाद मम्मी मुझसे कहती है - तुझे तो खेल के बारे में कुछ पता होगा नहीं।
मैं - मुझे कब बताया जो मुझे पता रहेगा और दूसरों को भी बताने से मना कर दिया।
मम्मी - अच्छा ठीक है ठीक है गुस्सा मत हो। 5 दिनों तक अलग-अलग तरह के खेल होंगे। लेकिन आखिर में जो खेल होता है उसके बारे में मैं जानती हूं। इस खेल को जीतने वाला ही मुखिया बनता है। चाहे तुम पहले कितने भी खेल जीत लो लेकिन अगर तुम इस खेल में हार गए तो तुम मुखिया नहीं बन सकती।
मैं - अच्छा ऐसा कौन सा खेल है।
मम्मी - तुम्हें एक पहलवान के गांड पर थप्पड़ मारना होगा। वह पहलवान अपने जगह पर से कितना दूर हिलता है या चिल्लाता है उसी के मुताबिक इस खेल का विजेता चुना जाता है।
मैं - क्या इतना आसान।
मम्मी - उन पहलवानों को अगर तुम डंडे से भी मारोगे ना तो भी ना वह चिल्लाएगा ना ही अपने जगह पर से हीलेगा इतना ताकतवर होता है वह लोग। तेरे पापा ने इस खेल में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। और तेरे मामा अपने गांव में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। लेकिन वह लोग आखिर में पहलवान को हिला नहीं पाये जिसके कारण वह दोनों हार जाता है और मुखिया नहीं बनता।
मैं - ऐसा क्या पहलवान लाते हैं या पहाड़।
मम्मी - इसलिए तुझे आज से ही उसकी प्रैक्टिस करना शुरू कर देना चाहिए।
मैं - वह कैसे करूंगा भला।
मम्मी - मेरे ऊपर और किसके ऊपर और कौन करने देगा तुझे अपने ऊपर।
मैं - मम्मी तुम्हें दर्द नहीं होगा
मम्मी - दर्द और मुझे शेरनी को कभी दर्द नहीं होता।
उसके बाद मैं भी तैयार हो जाता हूं। मम्मी मेरे सामने अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए थोड़ा सा झुक जाती है। मुझे अपनी गोल मटोल गांड पर मारने के लिए कहती है। जिसके बाद मैं मम्मी की गांड पर एक छोटा सा थप्पड़ मारता हूं।
जिससे मम्मी चिढ़ जाति है और मुझ पर चिल्लाते हुए कहती है - शरीर में दम नहीं है क्या इतना धीरे से क्यों मार रहा है जोर से मार।
मम्मी के ऐसे चिल्लाने से मैं डर जाता हूं। और अचानक ही मम्मी की गांड पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ देता हूं। थप्पड़ इतना जोरदार था कि मम्मी के साड़ी पहनने के बावजूद भी घर में एक चट की आवाज गूंज जाती है। और मम्मी मुंह के बल गिर जाती है क्योंकि मम्मी भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी।
मम्मी के गिरते ही मैं उन्हें उठाता हूं। मम्मी दर्द से कराते हुए कहती है - आह मेरा मुंह मेरा कमर मेरा गांड सब तोड़ दिया इस नालायक ने।
मैं - मम्मी मैंने तो पहले ही कहा था लेकिन तुम ही नहीं मानी अब भूखतो।
मम्मी दर्द भरी आवाज में कहती है - ठीक है कुछ नहीं हुआ है आज के लिए इतना ही तू जा अपने काम पर।
मैं - मम्मी मैं आपकी मालिश।
मम्मी मुझे बीच में ही टोकते हुए कहती है - नहीं नहीं कोई जरूरत नहीं है तु जा अपने काम पर।
मैं भी वहां से चले जाने में अपना भलाई समझता हूं।
फिर वही रोज का काम। लेकिन आज मुझे काम में मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे पूरे मन पर मम्मी हावी हो चुकी थी। कल शाम तक मेरे मन में उनके खिलाफ कोई गलत भाव में था लेकिन आज। सच कहते हैं लोग औरतों के पल्लू के साथ ही मर्द का शराफत पर गिर जाता है। मेरे साथ भी कल वही हुआ मम्मी ने जैसे ही अपने साड़ी और ब्लाउज को उतारा मेरा नियत भी उतर गया। पर अब में भी और नहीं शर्मना चाहता हूं,मैं भी मां के साथ खुल के मजे लेना चाहता हूं। मैं अपने आप में एक दृढ़ निश्चय लेता हूं कि आज मैं भी कालू की तरह अपनी मां को चोद कर रहूंगा। यही सब सोचते हुए मेरा पूरा दिन निकल जाता है।
उसके बाद जब मैं शाम को घर पहुंचता हूं। घर पहुंचते ही मम्मी मुझसे कहती है - अच्छा हुआ जो तू जल्दी आ गया चल जल्दी जाना नहीं है।
मैं - कहां
मम्मी - आज खेल का पहला दिन है तुझे पता नहीं कहां जाना है।
जिसके बाद में भी एक लंबी सांस लेता हूं और मम्मी के पास चला जाता हूं। और उनके कमर पर हाथ रखकर खींच के अपने आप से सटा लेता।
इस वक्त मम्मी का पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ था। मम्मी मेरे इस व्यवहार से चौक जाती है और मेरे आंखों में एक टक नजर से देखने लगती है। मैं भी आज उन्हें ये बता देना चाहता था कि उसके सामने उसका बेटा नहीं है एक असली मर्द खड़ा है। जो उसके फूल जैसे शरीर को अपने मर्दाना शरीर से पिस कर उसका सारा रस निकाल सकता है।
मम्मी मेरे इस हरकत से जोर-जोर से हंसने लगती है। जिससे मेरे अंदर का आत्मविश्वास टूट जाता है और मैं मम्मी को छोड़ देता हूं। मम्मी हंसते हुए कहती हैं - चल चल बहुत देख ली तेरी मर्दानगी।
उसके बाद हम लोग घर से निकल पड़ते हैं। इस खेल को खेलने वालों का परिचय दे देता हूं।
खिलाड़ी और उसकी मां
राजु रुपा
कालू सरिता
महेश कमली
सुरेश गुलाबो
राजेश चंपा
महेश सुरेश राजेश तीनों चचेरे भाई हैं। और उनकी मां कमली गुलाबो चंपा तीनों सगी बहन है। तीनों ने एक ही घर में शादी किया है। तीनों एक से एक कंटाप माल है।
लेकिन तीनों अलग-अलग घर में रहते हैं। आज का खेल राजेश के घर में था। जब हम वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं वहां पर सिर्फ हम पांच लड़कों और उनकी मांओं के अलावा मुखिया जी और उनकी पत्नी की थी।
हमारे आने के बाद हम सबको आज के खेल के बारे में बताया जाता है।
मुखिया जी - आज का खेल ये है कि तुम्हें अपनी मां के स्तनों को तब तक दबाना होगा जब तक वह झड़ नहीं जाती। और साथ ही अपने लिंग को तब तक अपनी मां की गांड पर रगड़ा ना होगा जब तक झड़ नहीं जाते। जो सबसे ज्यादा देर और कामुक तरीके से इस खेल को खेलेगा उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा।
फिर मुखिया जी सबसे पहले राजेश और उसकी मां चंपा को इस खेल को खेलने के लिए बुलाता है।
मुझे लगता है राजेश इस खेल को खेलने से पहले थोड़ा सा शर्माए या हिचकिचायेगा चाहिए। राजेश आते से ही अपनी मां के सीने से उसका पल्लू हटा देता है। और अपनी मां के पीछे से अपने दोनों हाथों को आगे करता है और ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाने लगता है। और साथ ही साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को चंपा की गांड में रगड़ने लगता है। कुछ देर तक तो चंपा शर्म के मारे अपने मुंह से कुछ नहीं निकालती है।लेकिन थोड़े ही देर में वह भी अपना का काबू खो देती है और अपने शरीर को अपने बेटे के ऊपर ढीला छोड़ देती है और साथ ही आहे भरने लगती है - आह्ह आह्ह माई और जोर से।
कुछ देर बाद मुखिया जी हम सबको वही करने को कहते हैं। जिसके बाद सूरेश और महेश भी अपनी मां के साथ वैसे ही करने लगता है।
कुछ देर बाद राजु भी वहां पर रखे एक कुर्सी पर बैठ जाता है और अपनी मां को भी अपने गोद पर बिठा लेता है। और उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगता है। कुछ ही देर में आहें भरते हुए चाची भी अपने बेटे के लंड पर अपने गांड को रगड़ने लगती है।
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जब मेरा नजर मुखिया जी पर पड़ता है। वह अपने एक हाथ को अपनी पैंट के अंदर ले जाकर अपने लंड को मसल रहा था और साथ ही दूसरे हाथ से अपनी पत्नी की गांड को।
जब मेरा नजर मम्मी पर पड़ता है। तो वह मुझे भी चालू करने का इशारा करती है। मैं एक लंबी सांस लेकर सोचने लगता हूं कि इसे और भी कामुक कैसे बनाया जा सकता है। तभी मेरा नजर वहां पर रखी एक खाट पर पड़ता है। मैं मम्मी का हाथ पकड़ता हूं और ले जाकर उन्हें उस खाट पर एक तरफ मुंह करके लेटा देता हूं। और मैं खुद उनके पीछे जाकर लेट जाता हूं।मैं अपने एक हाथ को मम्मी के नीचे से ले जाकर उनकी चुची को पकड़ लेता हूं और दूसरे हाथ को ऊपर चलेगा कर दूसरी चूची को पकड़ के दबाने लगता हूं। और पीछे से अपने लंड को मम्मी की गांड पर रगड़ने लगता हूं।
पूरे घर में सिर्फ - आह्ह आह्ह आह्ह बेटा और जोर से ऊ मां,हां मां
थोड़ी ही देर में धीरे-धीरे करके सब झड़ने लगते हैं। और मम्मी भी कब का झड़ चुकी थी लेकिन अभी तक मेरा नहीं हुआ था। सब लोग मेरे और मम्मी की काम क्रिया को एकटक नजर से देखते थे। मैं समझ जाता हूं कि ऐसे तो मैं झड़ने से रहा। इसलिए मैं मां को पेट के बल लिटा देता हूं और खुद उनके ऊपर चढ़कर लेट जाता हूं और अपने लंड को मम्मी की गांड पर जोर जोर से रगड़ने लगता हूं। जिससे मम्मी मुझे बोलने लगती है - आह्ह धीरे आह्ह बेटा धीरे कर।
लेकिन मैं कहां सुनने वाला था मैं वैसे ही करता रहता हूं और 5 मिनट बाद मेरा भी माल निकल जाता है जिसके बाद मैं मां के ऊपर ही हापने लगता हूं।
Behtareen updateUpdate 6
फिर मुखिया जी हमें अंक देता है।
1 राजु
2 कालू
3 सुरेश
4 राजेश
5 महेश
फिर मुखिया जी कहते हैं - कल का खेल सुरेश के घर इसी समय में होगा। फिर मुखिया जी वहां से चले जाते हैं।
उसके बाद हम भी वहां से निकल जाते हैं सुरेश और महेश का घर बगल में ही था।
पूरे रास्ते हम चारों मतलब, मैं, मम्मी, कालु, चाची कुछ भी नहीं बोल रही थी। थोड़ी ही देर में कालू का घर आ जाता है। और वह दोनों हमें अलविदा कह कर अपने घर चला जाता है।
जब हम अपने घर पहुंचते हैं तो घर का ताला खुला हुआ था। जिसका मतलब था कि पापा घर आ चुके हैं। उसके बाद हम लोग अंदर जाते हैं। मम्मी सीधा किचन में खाना बनाने चली जाती है और मैं अपने रूम में चला जाता हूं। उस रात मेरे घर कुछ खास नहीं होता है। लेकिन कालू के घर बहुत कुछ होने वाला था।
(आगे की कहानी कालू की जुबानी)
जब मैं घर पहुंचता हूं तो मां चुपचाप खाना बनाने चली जाती है।मुझे थोड़ा सा अजीब लग रहा था क्योंकि वह मुझसे कोई भी बात नहीं कर रही थी।
जब खाना बन जाता है तब मैं और मां साथ बैठकर खाना खाने लगते हैं। खाना खाते हुए ही मैं मां से पूछता हूं - क्या हुआ मां तुम कुछ परेशान लग रही हो
मां - कुछ भी तो नहीं। खाना खाने के बाद तू मेरे कमरे में मेरा इंतजार कर मैं आ जाऊंगी।
जिसके बाद हम दोनों में कोई बात नहीं होता है।और मैं खाना खाकर मम्मी के कमरे में चला जाता हूं।
मैं मां के कमरे में बेठा उनका इंतजार कर रहा था कि तभी दरवाजे से मां अंदर आती है। अभी उन्होंने एक नाइटी पहना हुआ था और उनके हाथ में एक गिलास दूध भी था। मां मेरे पास आती है और खाट पर बैठ जाती है और अपने हाथ में पकड़ा गिलास मेरे और बढ़ा देता है।जिसे मैं भी बड़े प्यार से उनके हाथ से ले लेता हूं और गिलास का आधा दूध पी जाता है। गिलास में बचा आधा दूध में मां को पिला देता हूं। मैं अच्छे से दूध को नहीं पिला पाता हूं जिसके कारण थोड़ा सा दूध मां की छाती पर गिर जाता है और साथ ही उनके मुंह के चारों ओर भी लग जाता है।
जिसे पोछने के लिए मां ने अपने हाथ को उठाया ही था कि मैं उनके हाथों को पकड़ लेता हूं। और ना मैं अपना सिर हिला देता हूं।
मैं मां के कंधों पकड़ के उन्हें बिस्तर पर सुला देता हूं। मां भी अच्छे से बिस्तर पर पीठ के बल होकर लेट जाते हैं। जिसके बाद में खाट पर से खड़ा होता हूं और अपने कपड़ों को धीरे-धीरे खोलते हुए मां को देखने लगता हूं।
मां खाट पर लेटी लंबी लंबी लेकिन धीरे धीरे सांसे लेते हुए मुझे ही देख रही थी। जब वो सांस लेते समय हवा को अंदर की ओर लेती तब उनके सीने पे लटके दो बड़े पहाड़ ऊपर की ओर उठ जाता। और जैसे ही वह सांस छोड़ती उनके दोनों पहाड़ ऊपर से नीचे हो जाते। इस दृश्य में वह काफी कामुक लग रही थी। जैसे ही मैं अपने पेंट को नीचे करता हूं मेरा 7 इंच खड़ा लैंड झट से बाहर आ जाता।
मेरे लंड को देखते ही उनकी लंबी लंबी सांसे रुक जाती है। भले ही आज तक मैंने अपनी मां की चूची और गांड को कितना भी दबाया हौ लेकिन आज तक हम दोनों ने एक दूसरे को कभी भी नंगा नहीं देखा है। मैं अपने खड़े लंड को सेहलाते हुए खाट पर चढ़ जाता हूं।
मां के चेहरे को मैं अपने दोनों हाथों में थाम लेता हूं और उनके होठों के चारों तरफ लगा दूध चाटने लगता हूं। ये दूध गिलास के दूध से कहीं ज्यादा मीठा था। जिसे मैं चाट चाट के गायब कर देता हूं और उस जगह को अपने थूक से गीला कर देता हूं।जब मुंह पर लगा सारा दूध खत्म हो जाता है तब मैं और दूध के तलाश में नीचे, उनकी छातियों के पास जाने लगता। जहां पर पहुंच कर मुझे दूध के छोटी बड़ी कहीं बूंदे नजर आता है। जिस तरह शेर पानी को चाट के पीता है उसी तरह में छाती पर लगे उन दूध के बूंदों को चाटने लगता हूं। मेरी इस हरकत से मां सिसक उठती है - आआह्ह्ह्
सारा दूध चाट लेने के बाद मैं वापस मां के चेहरे के पास आ जाता हूं।वे अभी काफी सुंदर लग रही थी, उन्होंने अपने दोनों आंखों को बंद करके रखा था और उनका मुंह भी खुला हुआ था जिससे वह गर्म सांसे छोड़ रही थी। गर्म सांसों के कारण उनका निचला होंठ सूख गया था जिस पर मेरे नजर पड़ते ही, मैं अपनी हॉट उस पर रख देता हूं और उसे चूसने लगता हूं।
मेरी मां जो अब तक कुछ भी नहीं कर रही थी वह अब अपने एक हाथ से मेरे बालों मैं उंगलियां चिल्लाने लगती है। और मेरे होठों को भी पागलों की तरह चूसने लगती है।
कुछ ही देर में मैं अपना जीभ मां के मुंह में डाल देता हूं जिसे वो काफी प्यार से चूसने लगती है।फिर मां भी अपनी जीभ को मेरे मुंह के अंदर डाल देती है जिसे मैं भी चूसने लगता हूं।
किस करते हुए मैं अपना एक हाथ मां की नाइटी में डाल देता हूं और उनकी चुचियों को बारी-बारी दबाने लगता हूं।
चुचियों को दबाने के बाद। मैं मां की नाइटी को ऊपर करने लगता हूं कुछ ही देर में मैं उनकी नाइटी को उनके छाती तक ऊपर कर देता हूं। फिर में किस करना छोड़ बैठ जाता हूं और नाइटी खोल के फेंक देता हूं।
उन्होंने नाइटी के अंदर कुछ भी नहीं पहना था। जिसके कारण वो अब मेरे सामने जन्मजात नंगी थी। मां शर्म के मारे अपने दोनों पैरों को सटाके अपनी चूत को छुपा रही थी।
कुछ देर मां को निहारने के बाद। मैं वापस से बिस्तर पर लेट जाता हूं और मां की एक चुची निप्पल को मुंह में डालकर चूसने लगता हूं और दूसरे को अपने एक हाथ से दबाने लगता हूं।
निप्पल के साथ में चुचियों को भी चुम रहा था और रह रह कर उस पर अपने दांत गड़ा देता। जिससे मां आह कर उठती। दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने चूमने और काटने के बाद मुझे जाकर उनके पेट को चूमने लगता हूं। उनकी गहरी नाभि को अपनी जीभ से जाटनी लगता हूं।
कुछ ही देर में, मैं मां के पेट को लाल कर देता हूं। उसके बाद मैं उठ के मां के दोनों टांगों को पकड़ के अलग कर देता हूं। तभी मुझे देखती है वह चुप जिससे मैं पैदा हुआ था और जीसे आज रात में चोदने वाला था।
चूत को जी भर के देखने के बाद। उसे मैं अपनी उंगलियों से साइन होने लगता हूं। कुछ देर सैहलाने के बाद मैं अपने दोनों हाथों के अंगूठी से उनकी चूत को फैला देता हूं। जिससे मुझे उनकी गुलाबी चूत की छेद और पंख भी दिखने लगता है। उसे भी मैं कुछ देर तक देखता हूं।
उसके बाद में अपने सिर को चूत के पास ले जाकर, एक लंबा सांस लेकर उसके खुशबू को सुनता हूं। काफी मदहोश कर देने वाला जो मुझे कुछ देर के लिए नसीब में डाल दिया था। दो-तीन बार ऐसे ही चूत को सुंखने के बाद मैं अपने जेभ से उसे चाटने लगता हूं।
मेरा अजीब जैसे ही चूत पर पड़ता है। मां कांप जाती है और उनके मुंह से एक लंबा आह्ह निकलता है। मैं भी पागलों की तरह उनके चूत को चाटने लगता हूं, उनके पंखों को अपने मुंह में डालकर चूसने लगता हूं जिससे मां तड़प उठती है - आह्ह आह्ह मां
3 सालों से नहीं चोदने के कारण जैसे ही मैं उनकी चूत के दाने को सोचता हूं वैसे ही उनका मुत निकल जाता है। जो मेरे पूरे चेहरे पर लग जाते हैं।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मां सेक्स को लेकर इतनी कमजोर होगी। मैं अपने चेहरे पर से सारा मुत पोछता हु और उसे अपने लंड पे लगा लेता हूं।
फिर मैं अपने लंड को पकड़ के मां की चूत से लगा देता हूं। और एक हल्का सा धक्का लगा देता हूं जिससे मेरा लंड का सुपाड़ा चूत में चला जाता है। सुपाड़े के चूत में जाते ही मां आह्ह कर उठती है।
फिर मैं मां के ऊपर लेट जाता हूं। ताकि वे आगे हिल ना सके। और अपने होंठ को मां के होठों को मिला देता हूं। मां को किस करते हुए मैं उनकी चूत में एक झटका देता हूं। जिससे आधा लंड चूत में चला जाता है। जिससे मां कि मुंह से चीख तो निकलती है लेकिन वह मेरे मुंह के अंदर ही दब के रह जाता है। मां ये सब 3 सालों बाद महसूस कर रही थी। जिस कारण मां को इस उमर में भी लंड लेने से दर्द महसूस हो रहा था।
मां थोड़ा सा ही शांत हुई थी कि मैं फिर से एक धक्का दे देता हूं जिससे पूरा लंड चूत में समा जाता है। इस बार मां अपने मुंह को मुझसे छुड़ा लेती है और चिल्लाते हुए मुझे धक्के देने लगती है - आह्ह मैं मर जाऊंगी उईईई मां इसे निकाल बेटा उउउ आआह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है।
कुछ देर तक ऐसे ही अपने लंड को चूत में रखते हुए में मां के ऊपर लेटा रहता हूं। और उनके चेहरे को सहलाते हुए उन्हें सांत करता हूं। कुछ देर बाद मां शांत हो जाती है जिसके बाद मैं अपनी कमर को आगे पीछे करते हुई उन्हें धीरे-धीरे चोदने लगता हूं। जिससे मां को भी मज़ा आने लगा और वह मजे में आहें भरने लगती है - आह्ह आह्ह आह्ह।
चूत इतना गर्म था कि मुझे लग रहा था मेरा लंड अंदर ही पिघल के रह जाएगा। इसलिए मैं अपना स्पीड भी धीरे धीरे करके थोड़ा और बढ़ा देता हूं।
जिसके कारण मां भी अपने करहाने के आवाज को बढ़ा देती है। मैं मां को अपने बाजुओं में कस के पकड़ लेता हूं। और काफी जोर जोर से मैं चोदने लगता हूं। मेरे हर एक धक्के के साथ खाट चर- चर करके हिल रहा था।
मेरे जोरदार धक्कन से मां झड़ते हुए बोलती है - आह्ह बेटा मेरा हो गया।
मैं जिंदगी में पहली बार किसी को चोद रहा था। वह भी अपनी 3 साल से ना चोदी हुई मां को। मैं झड़ना तो नहीं चाहता था लेकिन फिर भी मेरा माल निकलने वाला था।
जिसके बाद मैं अपना लंड निकाल लेता हूं और अपना सारा माल मां की चूत के ऊपर गिरा देता हूं और उनके ऊपर ही सो जाता हूं।