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Incest दूध का दम

Devang

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Update 7


(कहानी राजू की जुबानी)


सुबह जब मेरा आंख खुलता है तो मैं चौक जाता हूं। मैं पीठ के बल सीधा होके सोया था और मम्मी मेरे सीने पर अपना सिर और एक पाव को मेरे ऊपर रखकर सोई हुई थी। आज भी मैं सिर्फ एक चड्डी में सोया था, जिसमें मेरा लंड पुरा तन के खड़ा हो गया था, लंड का सुपाड़ा तो चड्डी से बाहर हो गया था। और मम्मी कल की तरह ही आज भी पेटीकोट और ब्रा में सोई थी।


उनका पेटीकोट जांघों तक ऊपर हो गया था। इसलिए मैं मम्मी के अधनंगी जांघों को अपने खड़े लंड पर साफ महसूस कर सकता था। ना जाने कब से मेरा लंड उस मोटी सी जांग के नीचे दबके के झटके खा रहा था।


उन्होंने आज जो ब्रा पहना था वो भी मम्मी के विशाल चुचियों को नहीं देख पा रहा था। आधी से ज्यादी चूचियां उनके ब्रो से बाहर था, जो मुझे मेरे नंगे छाती पर सांप महसूस हो रहा था।


अजीब बात तो यह था कि, कल जब मैं सोया था तो मम्मी मेरे पास नहीं सोई थी। बीच में रात को एक बार मेरा आंख खुला था तब भी मम्मी मेरे पास नहीं थी। शायद काफी रात को वह मेरे पास आकर सोई थी।


लेकिन जब उन्हें मेरे पास होना ही था तो पहले क्यों नहीं आई आधी रात को आने का क्या मतलब था। कल रात पापा भी घर आए हुए हैं कहीं मम्मी और पापा रात को नहीं नहीं नहीं।


मुझे अंदर से काफी बुरा महसूस हो रहा था। जैसे कल रात को मम्मी, पापा के साथ मिलकर मुझे धोखा दिया हो। वह दोनों पति-पत्नी है, उन दोनों को चुदाई करने का पूरा हक है। लेकिन ना जाने क्यों मुझे इतना बुरा लग रहा था। जिसके कारण मैं इस सुनहरे पल को जीने की वजह, अपने ख्यालों में खोया था।


कल रात से ही मैं मम्मी को अपना प्रॉपर्टी समझ लिया, जिस पर सिर्फ मेरा हक है। जिस खेत की अब में ही सिर्फ जुताई और सिंचाई कर सकता था। लेकिन कल रात को उस खेत पे पापा ने अपना औजार चला दिया। ये जानते हुए कि ना जाने मेरे पापा ने उस खेत को कितना जूता होगा , उन्होंने ही इस खेत में अपने बीच को बो के मुझे पैदा किया है। लेकिन अब वह सिर्फ मेरी थी उन दोनों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।


मैं छत को देखते हुए अपने खयालों में इतना खो गया था कि, मुझे पता ही नहीं चला कि मम्मी कब उठ गई। मुझे इस तरह ख्यालों में खोया देख मम्मी मुझे हीलाती है, तब जाकर मैं होश में आता हूं।


मम्मी का चेहरा देख कर मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि, मन कर रहा था उन्हें अपने बिस्तर पर से धकेल दु। लेकिन मैं अपने गुस्से को काबू करते हुए अपने चेहरे को दूसरी तरफ कर लेता हूं।


मम्मी को मेरे इस हरकत से थोड़ा अजीब लगता है। मेरे चेहरे को अपनी और करते हुए थोड़े गुस्से से कहती है - क्या हुआ इतनी बदसूरत लग रही हूं क्या जो ऐसे मुंह फेर रहा है।


मेरा दिमाग जो पहले से खराब था मम्मी की बात सुनकर और भी खराब हो जाता है। मैं उन्हें बिना कुछ कहे अपने बिस्तर पर से उठता हूं और अपने सारे कपड़े पहन के घर से बाहर चला आता हूं। मम्मी मेरे इस व्यवहार को काफी हैरानी से देख रही थी।


घर से कुछ दूर जाने के बाद मेरे मन में ख्याल आता है कि मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा। जिसके बाद में पीछे मुड़ के घर के दरवाजे की तरफ देखने लगता हूं, इस आस में कि मम्मी वहां मेरे लिए खड़ा होगी। लेकिन वहां पर नहीं थी जिसके कारण मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।


जब मैं कालू के घर के दरवाजे के पास पहुंचता हूं। तब मुझे कालू का कल का बात याद आ जाता है की, वह आज अपनी मां को चोदने वाला था। यह ख्याल आते ही मैं उन दोनों को परेशान नहीं करता हूं और अकेले ही खेत पर चला जाता हूं।


अकेले होने के कारण आज सब्जियां तोड़ने में काफी देरी हो गया। और ऊपर से ये गुस्सा जिसे मैंने सब्जियों के कुछ पौधों पर निकाल दिया था। खैर में किसी तरह सब्जियां तोड़ लेता हूं। इतने भारी बोरे को तुम्हें घर ले जाने से रहा इसीलिए मैं टेंपो को लेने घर चला जाता हूं।


टेंपो का चाबी लेने जब मैं घर में जाता हूं। तब मम्मी मेरे पास आती है और मेरे पीठ पर एक चमार मारते हुए कहती है - क्या हो गया तुम मुझे सुबह ऐसे देख रहा था जैसे मुझे मार ही डालेगा तुझे डर नहीं लगता मुझ से।


मम्मी भले यह सब मजाक में कह रही थी लेकिन मैं तो सीरियस था।मैं मम्मी के बातों का कोई जवाब नहीं देता और चुपचाप बाहर निकल जाता हूं मम्मी भी मेरे पीछे पीछे आती है। वे काफी मुझे रोक के जानने की कोशिश करती है कि मैं गुस्सा क्यों लेकिन मैं नहीं रुकता और टेंपो लेकर चला जाता हूं। इस बात से मम्मी समझ जाती है कि मैं किसी बात को लेकर काफी गुस्सा हूं लेकिन उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था कि किस पे।


मैं खेत से सब्जियां लेने के बाद वहां से तबेले में चला जाता हूं। जहां पर मैं पापा से भी अच्छे से बात नहीं करता हूं। लेकिन मैं उन्हें ये अहसास नहीं होने देता हूं कि मैं किसी चीज को लेकर गुस्सा हु। वहां से दूध लेने के बाद मैं मार्केट चला जाता हूं और वहां से सीधा पोल्टी फार्म चला जाता हूं घर नहीं जाता।


रह रह के मेरे दिमाग में एक ही बात आ रहा था की, रात को पापा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा। साड़ी उठाके नहीं। उन्होंने तो सुबह सिर्फ पेटीकोट और बड़ा पहना था, जिसका मतलब पापा ने उसे पूरा नंगा करके चोदा था। खटिया पर लेटे मैं यही सोच रहा था। मुझे कब नींद लग जाता है मुझे खुद नहीं पता।


सपने में मैं देखता हूं कि, मम्मी अपने कमरे में पूरी नंगी होकर लेटी हुई थी और पापा अपने लंड को उनकी चूत में डालकर उन्हें हुमच हुमच कर चोद रहे थे।


और मम्मी चोदते हुए कह रही थी - आह्ह और जोर से चोदो आह्ह मुझे एक और बेटा चाहिए तुम्हारी इस बेटी से कुछ नहीं होता।


इतना सुनते ही मैं जोर से नहीं कह कर उठ जाता हूं। मैं पूरा पसीना पसीना हो गया था। तभी मेरा नजर मेरे मोबाइल पर पड़ता है। जिस पर कालू का फोन आ रहा था। मैं उसका फोन उठा लेता हूं

तभी कालू केहता है - कहां है तू खेलने नहीं आना है तुझे सुरेश के घर में।

मैं - यार आज नहीं जा पाऊंगा मेरा तबीयत बहुत खराब है मुझे बहुत तेज बुखार भी आया है।

फिर कालू ठीक है कहकर फोन रख देता है। उसके बाद मैं भी अपने घर चला जाता हूं।
Behtareen update
 

Smoker king

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Update 8

घर आते ही मम्मी मेरे पास दौड़कर आती है। और मेरे हाथ को पकड़ के मुझसे बड़े प्यार से कहती है - क्या हो गया मेरा राजा बेटा इतना गुस्सा क्यों है।

मम्मी ये बात इतना प्यार से कहती है कि, मैं एक पल के लिए तो सब कुछ भूल ही गया था। लेकिन जैसे ही मुझे वो सब बातें याद आता है, मैं अपने चेहरे को दूसरी तरफ मोड़ लेता हूं।

मम्मी मेरे एक गाल पर हाथ रखती है और, मेरे चेहरे को अपनी ओर घुमाते हुए कहती है - मैंने ऐसा क्या कर दिया तू ही तो। मम्मी ने इतना ही बोला था कि मैं अपना हाथ छुड़ा के अपने कमरे में चला जाता हूं।


मुझे लगता है मम्मी पीछे-पीछे मुझे मना नहीं आएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। काफी देर तक जब वह नहीं आती है तो मैं अपने कपड़े खोल के सिर्फ चड्डी में आ जाता हूं, और बिस्तर पर जाकर लेट जाते हु।


मैं बिस्तर पर लेटे काफी वक्त हो गया था कि, तभी मुझे पायलों की छम-छम सुनाई देता है जिसका मतलब था मेरे कमरे में मम्मी आ रही है। कुछ ही देर में वे मेरे कमरे में आ जाती है। उनके हाथ में खाने का एक थाली था।


मैं उन्हें देखना तो नहीं चाहता था।लेकिन मम्मी ने साबित कर दिया कि, मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होता। क्योंकि उन्होंने कपड़े ही ऐसे पहने थे, जिससे मेरा नजर ही नहीं हट रहा था।


उन्होंने एक लाल रंग का एक छोटा सा फ्रॉक पहना था। जो कि उनके घुटनों से आधा ऊपर था, जिससे उनकी आधी नंगी जांग दिख रही थी। फ्रॉक के अंदर उन्होंने कोई ब्रा नही पेहना था, जिसके कारण उनकी चूचियों की आधी गौलाई दिख रहा था। और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि मम्मी के पास ये फ्रॉक आया कहां से।


कटक


हाथ में थाली लिए वे मेरे सामने तब तक खड़ा रहती है जब तक मैं उनके रूप जाल में फंस नहीं जाता। जैसे ही उन्हें लगता है मैं मंत्रमुग्ध हो गया हूं , वे किसी हीरोइन की तरह धीरे-धीरे मेरे पास चलकर आती है और खाने की थाली को, सामने रख एक टेबल पर रख देती है।


वे मेरे भोले और नादानी से भरे चेहरे को देख के एक बार मुस्कुराती है। जहां पे कुछ देर पहले मैं उनसे नजरें फेर रहा था वहीं पर अब मेरा उनसे नजर ही नहीं आ रहा था। मम्मी मेरे सीने पर अपनी उंगलियों को फेरती हुए कहती है - क्या बात है जी आप मुझसे इतना नाराज क्यों है।


वो मुझे चाहिए बात ऐसे बोलती है जैसे मैं उनका पति हूं। इसी चीज से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मम्मी कितनी चालाक औरत है। कोई इंसान इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकता कि जो औरत बिना पल्लू औड़े घर से बाहर भी नहीं निकलती, उसे अपने आशिक को काबू में रखने के लिए इतने तरीके आते होंगे।


मैं भी उनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाता हूं और थोड़ा गुस्से में उनसे कहता हूं - कल रात को आप मेरे पास देर से क्यों आई थी।

मम्मी मेरे सीने पर चिकोडी काटते हुए - इस बात के लिए मुझे नाराज होना चाहिए ना कि तुम्हें।

मेरे काबू में आती ही मम्मी आप,जी से सीधा तुम पर आ जाती है। मैं भी अपने सीने पर हाथ फेरते हुए उनसे कहता हूं - आह, तुम क्यों नाराज होगी नाराज तो मुझे होना चाहिए।

मम्मी - एक तो तू दरवाजा लगाकर सोया था।

मैं मम्मी को बीच में रोकते हुए - हां मैंने तो कल दरवाजा लगा दिया था लेकिन फिर आप अंदर कैसे आई।

मम्मी - कल जब तेरे पापा खाना खा कर चले गए, जिसके बाद में सोने के लिए तेरे कमरे में आई लेकिन तूने तो दरवाजा अंदर से लगा दिया था। जिसके बाद मैं वहां पर जाकर अपने कमरे में सो गई, लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रहा था मैं बार-बार करवटें बदल रही थी।

मैं बीच में रुकते हुए - आपको नींद क्यों नहीं आ रहा था।

मम्मी मेरी बात से थोड़ा शर्म आ जाती है लेकिन तुरंत ही सीरियस होते हुए कहती है - जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं तेरे दरवाजे गोभी खटखटाया लेकिन तू उठाई नहीं।जिसके बाद वापस मैं अपने कमरे में चली गई लेकिन फिर मेरे साथ बड़ी हुआ। जिसके बाद तुझे पता है मैं कैसे अंदर है।

मम्मी की इन बातों से मुझे इतना तो यकिन हो गया था की कल रात को मम्मी मुझे धोखा नहीं दे रही थी। बल्कि वो तो मुझसे इतना प्यार करती थी कि, मेरे बिना आधी रात तक तड़पती रही। और एक तरफ मैं था जो उनके प्यार पर ही शक कर रहा था। जिसके कारण मैं शर्म के मारे अपने मुंडी को झुकाए हुए ही मम्मी से कहता हूं - कैसे

मम्मी - तेरे खिड़की को फांद के,अगर अकीन नहीं होता है तो चल दिखाती हूं खिड़की के बाहर अभी भी नीचे ईटे रखे हुए होंगे जिससे चढ़कर मैं अंदर आई थी।

मम्मी की इस बात को सुनकर मैं और भी शर्मिंदा हो जाता हूं। मम्मी मेरे चेहरे के ऊपर करते हुए कहती है - मुझे पता है अब तू मेरे बिना एक पल भी नहीं रह सकता, लेकिन मुझे पूरा पाने के लिए मुझे इस गांव का मुखिया बनना पड़ेगा।

मैं मम्मी की बात समझ जाता हूं, वे इनडायरेक्टली मुझे आज खेलने नहीं, जाने के बारे में बोल रही थी। मैं मम्मी से माफी मांगते हुए पीता हूं - माफ कर दो मम्मी आज के बाद मैं 1 दिन भी खेल को नहीं छोडूंगा।

मम्मी - कोई बात नहीं एक दिन नहीं खेलने से कुछ नहीं होता वैसे भी यह 5 दिन का खेल तो हमारे मजे के लिए हो रहा है।

मैं - मम्मी जब इन 5 खेलो का कोई मतलब नहीं है तो फिर इसे क्यों खेला जा रहा है।

मम्मी - यह तो तुझे खेल के बाद अपने आप पता चल जाएगा। और अगर मुखिया बन गया तो तुझे बहुत बड़ा तोहफा मिलेगा।

मैं हंसते हुए- वो भैंस

मेरे गाल पर एक छोटा सा थप्पड़ मारते हुए - वह तो बहुत छोटा सा इनाम है बड़े इनाम के बारे में तो तुझे पता ही नहीं।


मम्मी थाली को उठाते हुए - अच्छा छोड़ इन बातों को पहले खाना खाले दिनभर कुछ नहीं खाया है तुमने कुछ खाएगा नहीं तो आखिर में जीतेगा किसे।


जिसके बाद में मम्मी को अपनी हाथों से और मम्मी मुझे अपने हाथों से खिलाती है। खाना खाने के बाद मम्मी मेरे बगल में सो जाती है और कहती है - चल अब सो जा रात को मेरे साथ कुछ करना मत। जिसके बाद हम दोनों सो जाते हैं।


वहीं दूसरी तरफ राजेश के घर में राजेश की मां अपने पति के पांव में तेल की मालिश कर रही थी।

राजेश के पिता अपने पांव में मालिश करवाते हुए चंपा के उभारों को ललचाए नजरों से देख रहा था।उसके नजरों को देखकर साफ पता चल रहा था कि, चंपा ने उसे कई महीनों से अपने आप को छूने नहीं दिया।

चंपा इस बात को अच्छी तरह जानती थी कि उसका पति उसकी चुचियों को काफी ललचाए नजरों से देख रहा है लेकिन वह उसे कुछ नहीं कह रही थी।

जब पांव का मालिश हो जाता है तो चंपा बिना कुछ कहे कमरे से चली जाती है। राजेश का पिता अपना मन मार कर रह जाता है जैसे उसके साथ ऐसा रोज होता हो।

वहीं दूसरी तरफ राजेश अपने घर के छत पर एक चड्डी पहने खाट पर लेटे लेते अपनी मां का इंतजार कर रहा था। तभी उसे फाइलों का आवाज सुनाई देता है, जब वह उस आवाज के तरह देखता है तो उससे उसकी मां के नजर आता है।

चंपा ने बस एक पेटीकोट को अपनी चुचियों तक चढ़ा कर पहना हुआ था। चंपा के गोरे बदन को देखते ही हर रोज की तरह राजेश के मुंह में आज भी पानी आ जाता है।


(एक निमंत्रण के कारण कहानी छोटा और लेट आया है 2 दिन बाद रोजाना अपडेट आएगा अभी के लिए इतना ही)
 
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snidgha12

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Good start of a promising story... This story is not only going to be a biggest hit but should going to be a reason to come to this site for me.

It's not shocking even not that unbelievable incident to read...

We all surely read incest stories of mother son sex and other taboo stories about tantra / humiliation / blackmailing / village fable or rumor / imaginary work of unsung writer... So there is nothing is unbelievable in this story.

From a phrase said by mukhiya and mother of hero that this truth of such taboo exam was hidden from every boy since 20 years... And we all know why...

Like this story we all ignorant about such Different truth's, different cultures and different religious traditions also different heritage, because they are hidden from us. We still very much ignorant about hidden and taboo prectice done by people near us. In this world No body want to talk about it. No body want to share it. Because It is TABOO...

It can't denied by us that before independence or even before THAT such prectice of election of king or other posts, some games or some bravely work or any impossible or very hard work had to completed by Candidates. And after selecting in exams they have to take oath that they can't share or talk about
what was the exam or work?

how they succeeded?
What was the process?
what was the price they have to pay for such exam or in election process?


It was mendatory for not even winners but also for looser. They all have to put such truth in there heart / locked in there mind. Till they die or got any new successor to follow and to hidden the truth.


so it's very much possible that this kind of practice was held in past. And many of our ancestors / forefathers have to take part () in such exam weather they won or loose.

I LOVE ❤️ THE STORY AND THE IDEA, PLEASE UPDATE AND COMPLETE THE STORY... BEST OF LUCK AND GOD BLESS YOU
 
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pprsprs0

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