Update 4
फिर हम वहां से सीधा गांव के कुल देवता के मंदिर चले जाते हैं, जहां पे पहले ही सब आ चुके थे शिवाय मुखिया जी के।
मंदिर के बाहर एक पीपल का पेड़ है वहीं पर कई सारी कुर्सियां लगी हुई थी, उन्हीं कोर्सों में से एक कुर्सी पे पापा और उनके बगल में कालू बैठा हुआ था जिस तरफ गांव के सारे मर्द बैठे हुए थे, और वही औरतों के साइड सरिता चाची एक कुर्सी पर बैठी हुई थी जो कि हम से पहले ही आ चुकी थी।
मैं जाकर कालू और पापा के पास बैठ जाता हूं और वही मम्मी सरिता चाची के पास जाकर बैठ जाती है।
मैं पापा से कुछ सवाल करता इससे पहले ही वहां पर मुखिया जी और पंडित जी आ गये, गांव के दो बुजुर्गों के सम्मान में गांव के सारे लोग अपने जगह पर खड़ा हो गए।
तभी मुखिया जी हम सब को बैठने के लिए कहते हैं, और खुद खड़े होकर कहते हैं - आज हम यहां 20 सालों बाद खेले जाने वाले खेल दूध का दम को खेलने वाली लोगों का नाम लिखने आए हैं।
तभी भीड़ में से एक लड़का पूछता है यह कैसा खेल है जिसके बारे में हमें नहीं पता, जिसके बाद मुखिया जी कहते हैं - हमारे गांव में एक आदमी 20 साल तक की मुखिया बन के रह सकता है और वह कौन होगा इसका चुनाव इसी खेल से होता है,20 साल बाद खेले जाने के कारण इस खेल के बारे में लोग ज्यादा बात नहीं करते हैं जिसके कारण तुम्हें पता नहीं है।
इस बार मैं पूछता हूं- तो इसका नाम दूध का दाम रखने का क्या कारण है।
मुखिया जी - क्योंकि इस खेल को जीतने वाला आदमी तो मुखिया बनता है लेकिन उस आदमी की मां को इस गांव का शेरनी कहा जाता है जिनके दूध में सबसे ज्यादा ताकत होती है, इसलिए इसका नाम दूध का दाम है।
कालू - इस खेल को कैसे खेला जाता है
मुखिया जी - मान लो अगर इस खेल को 10 लोग खेलता तो इसे 10 दिन तक खेला जाता, लेकिन तुम पांच लोग हो इसलिए इसे 5 दिन तक तुम्हारे ही घरों में खेला जाएगा।
तभी एक और लड़का बोलता है- इसमें किस तरह के खेल होते हैं।
मुखिया जी - इस खेल में हर एक मर्द को अपनी मर्दानगी साबित करनी होती है वह भी अपनी मां के ऊपर ही, 5 दिनों तक तुम लोगों को अपनी मां के साथ एक वासना भरा खेल खेलना होगा जो जीतेगा उसे इस गांव का नया मुखिया बनाया जाएगा, और इनाम के रूप में एक भेंस दी जाएगी जो रोजाना 20 लीटर दूध देती है।
मुझे ये बात सुनकर इतना गुस्सा आ जाता है कि मैं मुखिया को लात मारने के लिए उठने ही वाला था लेकिन तभी मुझे एहसास होता है कि किसी ने मेरे हाथ को जोर से पकड़ रखा है जब मैं उस तरफ मुड़ कर देखता हूं तो वह कोई और नहीं मेरे पापा थे।
तभी पंडित जी कहते हैं - जो जो इस खेल में शामिल हो रहा है उनकी माये अपने कबूतरों को लेकर मंदिर में चलें।
जिसके बाद मम्मी और बाकी 4 औरतें उठकर वहां से चली जाती है और मैं पापा से कहता हूं - पापा आपने मुझे रोका क्यों मैं कैसे अपनी मां के साथ ऐसा खेल खेल सकता हूं छी।
पापा - गलती हमारी है जो हमने तुम्हें इस खेल के बारे में नहीं बताया।
मैं - लेकिन कल वह मां के साथ कुछ भी करने को कह सकते हैं जो मैं कैसे करूंगा और क्या आपको बुरा नहीं लगेगा मैं आपकी पत्नी के साथ।
पापा - बेटा अभी तुम शांत बैठो घर में तुम्हारी मां तुम्हें सब बता देगी।
मैं कुछ नहीं बोलता हूं चुपचाप बैठ जाता हूं कुछ ही देर बाद सारी औरतें और पंडित जी मंदिर से बाहर आ जाते हैं,उनके हाथों में उनका कबूतर नहीं था जो कि शायद उन लोगों ने मंदिर में ही रख दिया हो,
फिर वे हम सब लड़कों को अपने पास बुलाते हैं और हमारे हाथों में एक धागा बांध देते हैं, जब मैं ध्यान से देखता हूं तो वैसे ही धागे मेरी मम्मी और बाकी औरतों के हाथों में भी बांधा गया था।
उसके बाद खेल को लेकर कुछ बातें होने लगती है,जिस पर मेरा बिल्कुल भी ध्यान नहीं था मैं तो सिर्फ कालू और बाकी उन तीन लड़कों को देख रहा था जो उस खेल को खेलने वाला था, वे सब लोग इस खेल के लिए काफी उत्साहित लग रहे थे।
कुछ ही देर में बैठक खत्म हो जाती है और हम सब को अपने घर जाने का इजाजत मिल जाता है जिसके बाद हम लोग घर जाने लगते हैं, मम्मी और सरिता चाची दोनों एक साथ बातें करते हुए जा रही थी और वही मैं कालू के साथ जा रहा था कालू चुपचाप था जैसे उसने कोई पाप कर दिया हो।
मैं - सच-सच बताना तुझे इस खेल के बारे में पता था ना।
कालु - हां यार पता था मेरी मां ने बताया था
मैं गुस्से से - मुझे क्यों नहीं बताया
कालू - यार क्या बताता।
यह कहकर कालू चुप हो जाता है, उसका घर आ चुका था और वह दौर के अपने घर में चला जाता है मैं उसे और कुछ नहीं पूछ पाता हूं, मैं मन में सोचता हूं कितना भागेगा कल सुबह तो तू मेरे पास ही आएगा।
उसके बाद मैं और मम्मी भी घर आ जाते हैं घर में घुसते ही मैं मम्मी से कहता हूं - मम्मी ये सब क्या है।
मम्मी - मैं तुझे सब सुबह बता दूंगी अभी जाकर सो जाओ।
मैं - नहीं
मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले ही मम्मी गुस्से में बोलती है - बोला ना तुझे सुबह बात करेंगे अभी जा जा के सो जा।
मम्मी भी गुस्सैल स्वभाव की थी उसे जब गुस्सा आ जाता है तो वह किसी को कुछ नहीं समझती इसीलिए मैं अपने कमरे में चला जाता हूं।
मैं अपने कमरे में चला जाता हूं और अपने कपड़े खोलकर नीचे फर्श पर ही फेंक देता हूं। भले ही मैं उस खेल के खिलाफ था लेकिन जब से मैंने उसके बारे में मुखिया जी के मुंह से सुना था, तब से ना जाने क्यों मेरा लंड मेरे अंडर वियर में खड़ा था यह बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
लेकिन मैं उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देता हूं और अपने बिस्तर पे जाकर एक ब्लैंकेट ओढ़ के लेट जाता हूं। अभी मुझे लेटे हुए कुछ ही देर हुआ था कि तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुल जाता है। जिसे मैंने सिर्फ सटा दिया था कुंडी नहीं लगाया था, मैं अभी सोच ही रहा था कि ये कैसे खुल गया।
तभी पाइलों की आवाज के साथ मम्मी मेरे कमरे के अंदर आ जाती है। जब मैं उन्हें देखता हूं तो देखता ही रह जाता हूं।
मम्मी ने सिर्फ एक ब्रा और पेटिकोट पहना था।
ऐसा नहीं है कि मैंने मम्मी को कभी ऐसे हालात में नहीं देखा था। मैंने तो कई बार मम्मी को नहाते हुए उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां और मोटी जांघों को भी देखा है। कई बार तो मैंने उनकी नंगी पीठ पर नहाते हुए साबुन भी मला है। जहां उन हालातों के बीज भी मुझे मेरे मन में मम्मी को लेकर कोई गलत विचार नहीं आया था।
लेकिन इस वक्त ना जाने क्यों मम्मी मुझे बहुत सुंदर लग रही थी जैसे वे दुनिया की सबसे सुंदर और आखरी महिला हो। उनका वो गोरा बदन, खुले हुए बाल, आंखों में काजल, माथे पे एक छोटी सी बिंदिया। और थोड़ा सा नीचे जाने पर। उनके छोटे से ब्रा में कैद चुचियां जीसे काफी मुश्किल से उस ब्रा ने अपने कैद में रखा था। उनकी दोनों पहाड़ों के बीच बने उस खाई ने मेरे मुंह में पानी ला दिया था। थोड़ा सा और नीचे जाने पर मुझे मम्मी की थोड़ी सी मोटी लेकिन गोल सि पेट दिखती है। पेट की सुंदरता को चार चांद लगाने के लिए उसके ऊपर एक गहरी बड़ी सी गोल नाभि दिखती है। जो मेरे मुंह में आए पानी को मेरे गले से धकेलने के लिए काफी था। लेकिन थोड़ा सा और नीचे जाने से तो मेरा जान ही निकल जाता है। उन्होंने पेटीकोट को इतना नीचे पहना था की उनके चूत के बाल दिख रहा था।
मम्मी वैसी ही मेरे सामने खड़ा होकर मुझे खुद को काफी देर तक निहारने देती है। जिन्हें मैं अभी बिना पलके झपकाए निहारते जा रहा था।
मम्मी चलते हुए मेरे बेद के किनारे आके खड़ा हो जाती है। उनकी पायलों की आवाज सुन मेरा ध्यान टूटता है। और मैं तुरंत ही अपनी गलती का एहसास करते हुए मम्मी से कहता हूं - क्या हुआ मम्मी आपको कुछ चाहिए था क्या।
मम्मी पहले मेरे बिस्तर पर बैठती है और फिर मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है - मैं तो सिर्फ देखने आई थी कि मेरा राजा बेटा सोया या नहीं।
मैं मम्मी के चेहरे की मुस्कान और उनके प्यार से मोहित होके अपने आप को बंद कर देता हूं और कहता हूं - अभी कहां मम्मी, अभी तो मुझे कमरे में आए सिर्फ 10 मिनट ही हुआ है।
मम्मी अपने चेहरे की मुस्कान को और भी बढ़ाते हुए - 10 नहीं 20 मिनट हो गया है तुझे कमरे में आए, लेकिन 10 मिनट से तो तु मुझे एकदक नजरों से घूरे जा रहा था ऐसा क्या दिख गया तुझे तेरी मम्मी में।
मैं अपने आंख को एक झटके में खोल देता हूं और हकलाते हुए मम्मी से कहता हूं - कुछ भी तो
नहीं
मम्मी झुकती है और मेरे सिर पर चूमते हुए कहती है - कितना उलझ गया है मेरा बेटा कभी कहता है मैं तुम्हारे साथ वो सब कैसे करूंगा, और अभी मुझे ऐसे देख रहा था जैसे वो मुझे अभी जिंदा खा जाएगा।
शर्म के मारे मैं मम्मी की इस बात का कोई जवाब नहीं देता। तभी मम्मी कहती है - और हां आज मैं तुम्हारे साथ ही सोना चाहती हूं
मैं - नहीं, मतलब क्यों
मम्मी - कुछ जरूरी बात बताना है तुम्हें।
यह कहते हुए मम्मी मेरे ब्लैंकेट को थोड़ा सा उठाती है और उसके अंदर आ कर मुझसे चिपक कर लेट जाती है। मैं पीठ के बल सीधा हौके लेटा था। मम्मी मुझे अपनी और चेहरा करने को कहती है। जिसके बाद मैं अपना चेहरा मम्मी की ओर करके लेट जाता हूं।
अब हम दोनों अपने गरम सांसो को महसूस कर पा रहे थे। मैंने अपने दोनों हाथों को बड़ी मुश्किल से अपने दोनों टांगों के बीच लंड के पास काबू में कर के रखा था, जिससे मेरा खड़ा लैंड भी थोड़ा बहुत छुपा हुआ था। तभी मम्मी मेरे एक हाथ को वहां से निकलती है और अपने मखमली कमर पर रख देती है। और खुद अपना एक हाथ मेरे गाल पर रख देती है। इसके बाद तो जैसे मेरा हिलना नामुमकिन सा हो जाता है।
मम्मी - अगर मेरा राजा बेटा इस खेल को जीत के मुझे इस गांव की शेरनी बना देता है तो मैं उसे खुद को चोदने दूंगी।
मम्मी ने ये बात को इतनी आसानी से कह दिया। अगर मैं अपने होश में रहता तो मुझे जरूर गुस्सा आता है। लेकिन अभी मैं अपने ऊपर से पूरा नियंत्रण खो चुका जिसके कारण मेरे मुंह से क्या की जगह निकल जाता है - सच में
ये केह के मैं अपनी नजर को नीचे कर लेता हूं। जिस पर मम्मी मेरे होठों पर हल्का सा चुम्मा दे देती है और कहती है - इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है। तुम्हारे पापा ने भी तो तुम्हारी दादी के साथ और तुम्हारे मामा ने तुम्हारी नानि के साथ ये सब किया है अब तुम मेरे साथ करोगे।
मैं - जब हमारे घर में सब ने अपनी मां के साथ इस खेल को खेला है, तो आपने मुझे कभी कुछ बताया क्यों नहीं।
मम्मी - जब तुमने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। तब मैंने ठान लिया था कि मैं तुम्हें यह सौभाग्य कभी भी नसीब नहीं होने दूंगी। लेकिन तुमने अपनी सूझबूझ से खुद को साबित कर दिया इसलिए मैंने भी अपना मन बदल लिया।
मैं मम्मी से और भी बातें करना चाहता था लेकिन मम्मी ने मुझे सो जाने को कह दिया और खुद भी सो गई। मैंने भी अपनी आंखें बंद कर लिया लेकिन मेरी आंखों में नींद तो था नहीं। जहां पर मैं 30 मिनट पहले इस खेल का विरोध कर रहा था। वही पर मेरी मम्मी ने बड़ी चालाकी से ना कि मुझे मनाया बल्कि मेरे सोच को भी अपनी प्रति वासना से भर दिया। मेरे अंदर भी अब मम्मी की शरीर की रचना का निरीक्षण करने का मन करने लगा था। ये सब सोचते हुए ही मुझे नींद आ जाता है।
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