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Incest दूध का दम

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Update 2

हर दिन की तरह सुबह के 8:00 बजे मैं अपने घर के नजदीक के खेत मैं जहां मैंने सब्जियां उगाई थी उसे तोड़ के एक बड़े से बौरे में इकट्ठा कर रहा था, मेरे साथ मेरे गांव का ही एक लड़का (कालू) था जो मेरे यहां खेतों में काम करता था।

इसके पिता की मौत 3 साल पहले ही हो गया था, ऐसा नहीं है कि इसे खेतों की कमी है इसके पास भी इतने खेत है कि यह अपने पूरे जिंदगी उस खेत पर खेती करके गुजार सकता है।

लेकिन यह भी पूरे गांव वालों की तरह अपने खेतों में सिर्फ धान गेहूं और गन्ने की खेती करता है और बाकी बचे समय में मेरे यहां,

थोड़ी देर बाद जब हम सारी सब्जियां तो तोड़ के उस बोरे में इकट्ठा कर लेते हैं तब उस बोरे को हम दोनों उठाकर घर की तरफ जाने लगते हैं, तभी कालू मुझसे कहता है।

कालू - तुम्हें गांव में हो रहे खेल के बारे में पता है कि नहीं।

मैं - खेल कौन सा है

कालू - मुझे नहीं पता मैंने बोला था कि कोई सा खेल होने वाला है जो कि हर 20 साल में खेला जाता है।

मैं - होता होगा मुझे नहीं पता मेरे मम्मी पापा ने थोड़ी सब कुछ नहीं कहा।

रास्ते में जाते हुए हम देखते हैं कि एक जगह पर सारे गांव वाले खड़ा हुए थे, मैं कालू से करता हूं कि ये लोग यहां क्या कर रहे हैं चल चल के देखते हैं और बोरे को वहीं पर रख के हम मुखिया के घर के सामने चले जाते हैं जहां पर भी लगा हुआ था।

मुखिया के घर के दरवाजे के पास ही एक भैंस को बांधा गया था जो दिखने में काफी तंदुरुस्त लग रही थी और कुछ महंगी भी उसे पूरी तरह दुल्हन के जैसे सजाया गया था जैसे आज उसकी शादी हो मैं उसे देखकर हैरान हो जाता हूं कि पूरे गांव वाले इतने नल्ले हैं कि एक भैंस को देखने आएंगे।

तभी मेरी नजर भीड़ में खड़ी मेरी मम्मी पर पड़ती है, जिसने गांव की बागी औरतों की तरह ही अपने सिर पर पल्लू ले रखी थी और गांव की कुछ औरतों से उस भैंस को लेकर खुसर पुसर कर रही थी।

फिर मैं राजू को वहां से चलने का इशारा करता हूं और बोरे को उठाकर अपने घर की ओर चल देता हूं घर पहुंचते ही मैं उस बोरे को अपने टेंपो पर चढ़ाता हूं और तबेले की तरफ चल देता हूं।

जो कि मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर बना हुआ था जिसकी देखभाल मेरे पिता करते थे, वहां से दूध को भी टेंपो से भर के बाजार की तरफ चल देता हूं।

बाजार में सब्जी को मंडी में बेचकर और दूध को फैक्ट्री में देकर वापस घर चलाता हूं।

और यही मेरी रोज का काम था।

घर पहुंचते ही मम्मी मुझे हाथ मुंह धो कर बैठने को कहती है और एक थाली में खाना लेकर मेरे सामने रख देती है, मैं भी खाना खाने लगता हूं तभी कुछ देर बाद मम्मी मेरे सामने आकर बैठ जाती है और मुझसे कहती है।

मम्मी - मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं।

मैं - हां बताओ

मम्मी -हमारे गांव में हर 20 साल में एक खेल होता है जिसे जीतने वाले को एक भैंस मिलता है।

मैं - वोहो तो उस भैंस को इसलिए लाया गया है।

मम्मी - और मैं चाहती हूं कि तू उस भैंस को जीते।

मैं - क्या बात कर रही हों मम्मी तुम्हें तो पता है कि मैं किसी भी खेल में अच्छा नहीं हूं

मम्मी छोड़ते हुए - ना ही कोई खेल में अच्छा है और ना ही पढ़ाई था, और वैसे भी यह खेल बहुत ही आसान जिसके बारे में आज शाम को 5:00 बजे मुखिया जी सबको बताएंगे तू कहीं चले मत जाना वरना।

मैं - ठीक है माते में कहीं नहीं जाऊंगा

उसके बाद मैं अपने पोल्ट्री फार्म में चला जाता हूं वहां पर मुर्गियों की देखभाल के लिए।

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Awesome update with great writing skills👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Update 5



जब सुबह को मेरा नींद खुलता है तो मैं खुद को बिस्तर पर अकेला पाता हूं। मैं बिस्तर पर लेटे लेटे रात के बारे में सोचने लगता हूं और अपने आप में ही मुस्कुराने लगता हूं।

कुछ देर बाद में उठ के बाहर जाता हूं और अपने सुबह के सारा काम करता हूं फिर मम्मी को कह कर खेत की ओर जाने लगता हूं। रास्ते में ही मैं कालू को भी बुलाने उसके घर चले जाता हूं। काफी देर तक घर का दरवाजा खटखटा के बाद सरिता झांकी गेट को उबासी लेते हुए खुलती है। जिन्हें देखकर साफ नजर आ रहा था कि वे अब तक सो रही थी।

लेकिन मेरे नजर को जो सबसे ज्यादा आकर्षित करता है ।वो था चाची का गाल, जिसके ऊपर दांत का निशान था। देखने से ही पता चल रहा था कि किसी ने काफी बेरहमी से उनके गोरे गाल को काटा था। मुझे समझते देर नहीं लगता कि यह किसका काम है।

चाची मुझे अपनी गाल को घूरते हुए नोटिस कर लेती है। जिसके बाद वह अपने गाल पर हाथ रख के हंसते हुए कहती - देखना रातों को एक कीड़े ने काट लिया।

मैं - मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए था देखो कैसे आपके गोरे गाल को लाल कर दिया। अच्छा जाओ उस कीड़े को बुलाकर लाओ।

यह कहते हुए मैं और चाची घर में घुस के आंगन में आ जाते हैं। तभी चाची समझ आती है कि उनका झूठ पकड़ा गया। जिसके बाद वो शर्मा के वहां से जाने लगती है।

तभी मैं पीछे से उनका हाथ पकड़ लेता हूं और हंसते हुए कहता हूं - क्या हुआ चाची शरमा गई क्या।

चाची अपने हाथ को छुड़ाते हुए - छोड़ना कालू देख लेगा।

मैं - अरे अभी से उससे इतना डरने लगी।

तभी चाची अपने हाथ को छुड़ा के कमरे में भाग जाती है। कुछ देर बाद कालू बाहर आता है और हम दोनों खेत की तरफ चल देते हैं।

यहां पर मैं आपको कालू की मां के बारे में थोड़ा सा बता देता हूं। उसकी मां भी कम सुंदर नहीं है खास करके उनकी दो बड़ी-बड़ी चूचियां जो कि गांव में सबसे बड़ी है‌।जिसे चूसने का ख्वाब गांव का हर आदमी देखता है। कालू की मां ने एक नहीं बल्कि 2 शादियां की है। पहली शादी उनका कालों के बड़े पापा से हुआ था। लेकिन उसके मौत के बाद उन्होंने अपने देवर से ही शादी कर ली जो कि कालू के पापा थे।

खेत में मैं कालू से कहता हूं - लगता है तेरा नींद पूरा नहीं हुआ है।

कालू - ऐसी बात नहीं है बस आज थोड़ा ज्यादा ही आंख लग गया।

मैं - और चाची को भी आंख लगा दीया।

कालू - मतलब

मैं - मतलब ये कि तू कल रात चाची के कमरे में सोया था।

कालू हकलाते हुए - नहीं तो

मैं उसके पीठ पर एक घुसा मारते हुए - साले अब तो सच बोल दे और कितना झूठ बोलेगा सुबह तु चाची के कमरे से निकला था याद कर मैं भी वहीं था। और चाची के गाल पर किया गया मेहनत भी मुझे दिख रहा था।

कालू शर्माते हुए - वो मैं वो मैं

मैं - मैं मैं मैं क्या कर रहा है

कालू - यार तुझे तो सब पता चल गया होगा ना फिर भी तु मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं।

मैं - तूने मुझे यह सब के बारे में बताया क्यों नहीं था।

कालू - तुम्हारी मम्मी ने मना किया था।

मैं - अच्छा ये सब छोड़ ये बता की तु चाची के साथ तो रात को कितने दूर तक गया था।

कालू शर्माते हुए - छोड़ ना यार।

फिर कालू मुझे पूरी बात सुनाने लगता है।(आगे की कहानी कालू की जुबानी)


मुझे मेरी मां ने इस खेल के बारे में 1 महीने पहले ही बता दिया था। जिसके कारण हम दोनों के बीच कभी कबार चुम्मा चाटी तो कभी ब्लाउज के ऊपर से ही मां मुझे अपनी चूचियां दबाने दे दी थी। लेकिन कल रात को जैसे ही हम दोनों घर लौटे।

मैं मां को उठाकर सीधा उनके कमरे में ले जाता हूं और बिस्तर पर पटक देता हूं। उसके बाद मैं मां के पूरे चेहरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगता हूं कभी गाल को चूमता तो कभी जीभ से चाटता तो कभी दांत से काट लेता।


मैं अपने आप पे अपना पूरा नियंत्रण खो चुका था। तभी मां मेरी दोनों गालो को पकड़ के अपने होठों को मेरे होठों पर रख देती है जिससे मैं थोड़ा सा शांत होता हूं और शांति से मां की होठों को चूसने लगता हूं।



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हम लोग तब तक एक दूसरे को किस करते हैं जब तक हमारी सांसे नहीं फुल जाता। किस के टूटने के बाद मैं हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगते हैं।

तभी मैं थोड़ा सा नीचे जाता हूं और मां के ब्लाउज का बटन खोलने की कोशिश करने लगता हूं। लेकिन तभी मां मुझे रोक देती है और कहती है - आज तक इतना सब्र किया बस अब कल तक रुक जाओ कल तुझे जो मर्जी हो कर लेना मैं तुझे नहीं रोकूंगी।

उसके बाद में मां के पेट को अपनी जीभ से चाटने लगता हूं। चाटते हुए ही मैं अपनी जीभ को नाभि के अंदर डाल देता हूं और उसे भी चाटने लगता हूं। कुछ देर जी भर के नाभि को चाटने के बाद मैं मम्मी के पेट को चुमने और काटने लगता हूं।



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जिसके कारण मां के पेट पर निशान पड़ जाता है। मां तो मुझे इससे आगे जाने नहीं देती इसलिए मैं पेट को चुनते हुए भी सो जाता हूं। उसके बाद मां मुझे सुबह तेरे आने के बाद उठा देती है। ( अपनी जुबानी)

मैं - वाह भाई तेरी तो मजे हैं।

कालू - क्यों तेरे मजे नहीं है।

मैं - कहां यार कल रात को ही तो मम्मी ने मुझे यह सब के बारे में बताना है। बस पेटीकोट और ब्रा में मेरे साथ सोई थी।

कालू - कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तेरी मां भी तुझे सब कुछ करने देगी।

मैं - लेकिन आज रात का तो तुझे इंतजार नहीं हो रहा होगा।

कालू - सही बोल रहे हो यार मुझे जरा सा भी इंतजार नहीं हो रहा। मैं तो मां को इस खेल के खत्म होने से पहले ही उनका पांव भारी कर दूंगा।

उसके बाद हम सब्जियां तोड़ के घर चले आते हैं और वही रोज का दुध और सब्जियों को बाजार जाकर बेचना।

जब मैं घर आता हूं तो मम्मी मुझे खाना खाने को देती है। खाना खाने के बाद मम्मी मुझसे कहती है - तुझे तो खेल के बारे में कुछ पता होगा नहीं।

मैं - मुझे कब बताया जो मुझे पता रहेगा और दूसरों को भी बताने से मना कर दिया।

मम्मी - अच्छा ठीक है ठीक है गुस्सा मत हो। 5 दिनों तक अलग-अलग तरह के खेल होंगे। लेकिन आखिर में जो खेल होता है उसके बारे में मैं जानती हूं। इस खेल को जीतने वाला ही मुखिया बनता है। चाहे तुम पहले कितने भी खेल जीत लो लेकिन अगर तुम इस खेल में हार गए तो तुम मुखिया नहीं बन सकती।

मैं - अच्छा ऐसा कौन सा खेल है।

मम्मी - तुम्हें एक पहलवान के गांड पर थप्पड़ मारना होगा। वह पहलवान अपने जगह पर से कितना दूर हिलता है या चिल्लाता है उसी के मुताबिक इस खेल का विजेता चुना जाता है।

मैं - क्या इतना आसान।

मम्मी - उन पहलवानों को अगर तुम डंडे से भी मारोगे ना तो भी ना वह चिल्लाएगा ना ही अपने जगह पर से हीलेगा इतना ताकतवर होता है वह लोग। तेरे पापा ने इस खेल में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। और तेरे मामा अपने गांव में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। लेकिन वह लोग आखिर में पहलवान को हिला नहीं पाये जिसके कारण वह दोनों हार जाता है और मुखिया नहीं बनता।

मैं - ऐसा क्या पहलवान लाते हैं या पहाड़।

मम्मी - इसलिए तुझे आज से ही उसकी प्रैक्टिस करना शुरू कर देना चाहिए।

मैं - वह कैसे करूंगा भला।

मम्मी - मेरे ऊपर और किसके ऊपर और कौन करने देगा तुझे अपने ऊपर।

मैं - मम्मी तुम्हें दर्द नहीं होगा

मम्मी - दर्द और मुझे शेरनी को कभी दर्द नहीं होता।

उसके बाद मैं भी तैयार हो जाता हूं। मम्मी मेरे सामने अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए थोड़ा सा झुक जाती है। मुझे अपनी गोल मटोल गांड पर मारने के लिए कहती है। जिसके बाद मैं मम्मी की गांड पर एक छोटा सा थप्पड़ मारता हूं।

जिससे मम्मी चिढ़ जाति है और मुझ पर चिल्लाते हुए कहती है - शरीर में दम नहीं है क्या इतना धीरे से क्यों मार रहा है जोर से मार।

मम्मी के ऐसे चिल्लाने से मैं डर जाता हूं। और अचानक ही मम्मी की गांड पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ देता हूं। थप्पड़ इतना जोरदार था कि मम्मी के साड़ी पहनने के बावजूद भी घर में एक चट की आवाज गूंज जाती है। और मम्मी मुंह के बल गिर जाती है क्योंकि मम्मी भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी।

मम्मी के गिरते ही मैं उन्हें उठाता हूं। मम्मी दर्द से कराते हुए कहती है - आह मेरा मुंह मेरा कमर मेरा गांड सब तोड़ दिया इस नालायक ने।

मैं - मम्मी मैंने तो पहले ही कहा था लेकिन तुम ही नहीं मानी अब भूखतो।

मम्मी दर्द भरी आवाज में कहती है - ठीक है कुछ नहीं हुआ है आज के लिए इतना ही तू जा अपने काम पर।

मैं - मम्मी मैं आपकी मालिश।

मम्मी मुझे बीच में ही टोकते हुए कहती है - नहीं नहीं कोई जरूरत नहीं है तु जा अपने काम पर।

मैं भी वहां से चले जाने में अपना भलाई समझता हूं।

फिर वही रोज का काम। लेकिन आज मुझे काम में मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे पूरे मन पर मम्मी हावी हो चुकी थी। कल शाम तक मेरे मन में उनके खिलाफ कोई गलत भाव में था लेकिन आज। सच कहते हैं लोग औरतों के पल्लू के साथ ही मर्द का शराफत पर गिर जाता है। मेरे साथ भी कल वही हुआ मम्मी ने जैसे ही अपने साड़ी और ब्लाउज को उतारा मेरा नियत भी उतर गया। पर अब में भी और नहीं शर्मना चाहता हूं,मैं भी मां के साथ खुल के मजे लेना चाहता हूं। मैं अपने आप में एक दृढ़ निश्चय लेता हूं कि आज मैं भी कालू की तरह अपनी मां को चोद कर रहूंगा। यही सब सोचते हुए मेरा पूरा दिन निकल जाता है।

उसके बाद जब मैं शाम को घर पहुंचता हूं। घर पहुंचते ही मम्मी मुझसे कहती है - अच्छा हुआ जो तू जल्दी आ गया चल जल्दी जाना नहीं है।

मैं - कहां

मम्मी - आज खेल का पहला दिन है तुझे पता नहीं कहां जाना है।

जिसके बाद में भी एक लंबी सांस लेता हूं और मम्मी के पास चला जाता हूं। और उनके कमर पर हाथ रखकर खींच के अपने आप से सटा लेता।

इस वक्त मम्मी का पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ था। मम्मी मेरे इस व्यवहार से चौक जाती है और मेरे आंखों में एक टक नजर से देखने लगती है। मैं भी आज उन्हें ये बता देना चाहता था कि उसके सामने उसका बेटा नहीं है एक असली मर्द खड़ा है। जो उसके फूल जैसे शरीर को अपने मर्दाना शरीर से पिस कर उसका सारा रस निकाल सकता है।

मम्मी मेरे इस हरकत से जोर-जोर से हंसने लगती है। जिससे मेरे अंदर का आत्मविश्वास टूट जाता है और मैं मम्मी को छोड़ देता हूं। मम्मी हंसते हुए कहती हैं - चल चल बहुत देख ली तेरी मर्दानगी।

उसके बाद हम लोग घर से निकल पड़ते हैं। इस खेल को खेलने वालों का परिचय दे देता हूं।

खिलाड़ी ‌‍और उसकी मां

राजु रुपा

कालू सरिता

महेश कमली

सुरेश गुलाबो

राजेश चंपा


महेश सुरेश राजेश तीनों चचेरे भाई हैं। और उनकी मां कमली गुलाबो चंपा तीनों सगी बहन है। तीनों ने एक ही घर में शादी किया है। तीनों एक से एक कंटाप माल है।

लेकिन तीनों अलग-अलग घर में रहते हैं। आज का खेल राजेश के घर में था। जब हम वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं वहां पर सिर्फ हम पांच लड़कों और उनकी मांओं के अलावा मुखिया जी और उनकी पत्नी की थी।

हमारे आने के बाद हम सबको आज के खेल के बारे में बताया जाता है।

मुखिया जी - आज का खेल ये है कि तुम्हें अपनी मां के स्तनों को तब तक दबाना होगा जब तक वह झड़ नहीं जाती। और साथ ही अपने लिंग को तब तक अपनी मां की गांड पर रगड़ा ना होगा जब तक झड़ नहीं जाते। जो सबसे ज्यादा देर और कामुक तरीके से इस खेल को खेलेगा उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा।

फिर मुखिया जी सबसे पहले राजेश और उसकी मां चंपा को इस खेल को खेलने के लिए बुलाता है।

मुझे लगता है राजेश इस खेल को खेलने से पहले थोड़ा सा शर्माए या हिचकिचायेगा चाहिए। राजेश आते से ही अपनी मां के सीने से उसका पल्लू हटा देता है। और अपनी मां के पीछे से अपने दोनों हाथों को आगे करता है और ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाने लगता है। और साथ ही साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को चंपा की गांड में रगड़ने लगता है। कुछ देर तक तो चंपा शर्म के मारे अपने मुंह से कुछ नहीं निकालती है।लेकिन थोड़े ही देर में वह भी अपना का काबू खो देती है और अपने शरीर को अपने बेटे के ऊपर ढीला छोड़ देती है और साथ ही आहे भरने लगती है - आह्ह आह्ह माई और जोर से।

कुछ देर बाद मुखिया जी हम सबको वही करने को कहते हैं। जिसके बाद सूरेश और महेश भी अपनी मां के साथ वैसे ही करने लगता है।

कुछ देर बाद राजु भी वहां पर रखे एक कुर्सी पर बैठ जाता है और अपनी मां को भी अपने गोद पर बिठा लेता है। और उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगता है। कुछ ही देर में आहें भरते हुए चाची भी अपने बेटे के लंड पर अपने गांड को रगड़ने लगती है।



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जब मेरा नजर मुखिया जी पर पड़ता है। वह अपने एक हाथ को अपनी पैंट के अंदर ले जाकर अपने लंड को मसल रहा था और साथ ही दूसरे हाथ से अपनी पत्नी की गांड को।

जब मेरा नजर मम्मी पर पड़ता है। तो वह मुझे भी चालू करने का इशारा करती है। मैं एक लंबी सांस लेकर सोचने लगता हूं कि इसे और भी कामुक कैसे बनाया जा सकता है। तभी मेरा नजर वहां पर रखी एक खाट पर पड़ता है। मैं मम्मी का हाथ पकड़ता हूं और ले जाकर उन्हें उस खाट पर एक तरफ मुंह करके लेटा देता हूं। और मैं खुद उनके पीछे जाकर लेट जाता हूं।मैं अपने एक हाथ को मम्मी के नीचे से ले जाकर उनकी चुची को पकड़ लेता हूं और दूसरे हाथ को ऊपर चलेगा कर दूसरी चूची को पकड़ के दबाने लगता हूं। और पीछे से अपने लंड को मम्मी की गांड पर रगड़ने लगता हूं।

पूरे घर में सिर्फ - आह्ह आह्ह आह्ह बेटा और जोर से ऊ मां,हां मां

थोड़ी ही देर में धीरे-धीरे करके सब झड़ने लगते हैं। और मम्मी भी कब का झड़ चुकी थी लेकिन अभी तक मेरा नहीं हुआ था। सब लोग मेरे और मम्मी की काम क्रिया को एकटक नजर से देखते थे। मैं समझ जाता हूं कि ऐसे तो मैं झड़ने से रहा। इसलिए मैं मां को पेट के बल लिटा देता हूं और खुद उनके ऊपर चढ़कर लेट जाता हूं और अपने लंड को मम्मी की गांड पर जोर जोर से रगड़ने लगता हूं। जिससे मम्मी मुझे बोलने लगती है - आह्ह धीरे आह्ह बेटा धीरे कर।

लेकिन मैं कहां सुनने वाला था मैं वैसे ही करता रहता हूं और 5 मिनट बाद मेरा भी माल निकल जाता है जिसके बाद मैं मां के ऊपर ही हापने लगता हूं।
Jabar just kahani or atyant kamuk update bhai
 
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