अपडेट जल्दी से दिजिएगा
प्रतिक्षा रहेगी
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Pure pariwar ko incast bana do. Jaise tumhare sasural sabhi aurt sabhi mard ki bibi ho. Sas Chachi sas sabko tum or tumhari maa sab sabki bibi ban jao. Tumhara Bhai hai to use bhi le aaoMaa ki sadi chacha se Kara do bhai
अपडेट जल्दी से दिजिएगा
प्रतिक्षा रहेगी
Thanks for your valuable comments.Pure pariwar ko incast bana do. Jaise tumhare sasural sabhi aurt sabhi mard ki bibi ho. Sas Chachi sas sabko tum or tumhari maa sab sabki bibi ban jao. Tumhara Bhai hai to use bhi le aao
Maa ki sadi chacha se Kara do bhai
Rakesh , mahesh bhai bn jayenge, Bahan k mza lootenge
Thanks for your valuable comments.Maa ki shadi chacha se karva hi do bhai
Bohot hi ummdha updateलीजिए नई कहानी पढ़कर देखिए ज़ब तक मेरी मां और चाचा ससुर की शादी हो
आज मैं आपको अपने एक दीवाने की बात बताने जा रही हूँ। दरअसल ये दीवाना मेरे ही पति का दोस्त है, बहुत पुराना दोस्त है, हमारी शादी से इसका हमारे घर पर आना जाना है। अब कैसे मेरे और उसका संबंध बना, उसकी कहानी मैं आपको सुनाती हूँ।
बात हमारी शादी के समय की है, जब मैं शादी करके अपने पति के घर आई, तभी से मैं रवि, अपने पति के जिगरी दोस्त को देख रही थी। हर काम में समार्ट, सभी काम फटाफट करता था। देखने में भी बड़ा अच्छा खासा था, कद काठी रंग रूप सब सुंदर था।
शादी के कुछ दिन बाद जब हम हनीमून पर गए तो तब बातों बातों में मैंने अपने पति से पूछा- ये रवि ने शादी नहीं की?
तो मेरे पति ने उसकी बात बताई कि वो एक लड़की से बहुत प्यार करता था, उससे शादी भी करना चाहता था, मगर किन्हीं कारणों से उनकी शादी नहीं हो सकी, बस तभी से उसके वियोग में है। दरअसल रवि एक बहुत ही प्यार करने वाला, ख्याल रखने वाला इंसान है, पर इस बेचारे का दिल ऐसा टूटा है कि अब ये किसी भी लड़की के पास तक नहीं जाता, न ही किसी को पास आने देता है। कोई गर्ल फ्रेंड नहीं, न शादी। बस अपनी उस मोहब्बत की याद में ही जीता है।
मुझे रवि से बड़ी सुहानुभूति हुई। जब हम हनीमून से वापिस आए तो धीरे धीरे मेरी भी रवि से अच्छी दोस्ती हो गई। और सच में रवि था भी बहुत अच्छा दोस्त; ऐसा दोस्त जिस पर आप आँख बंद करके विश्वास कर सकते हो। मैं भी कई बार उसके साथ बाज़ार वगैरह गई, तो मैंने देखा वो मेरा बहुत ख्याल रखता। मेरे हसबेंड भी उस पर पूरा एतबार करते।
मैंने भी नोटिस किया कि उसकी नज़र गंदी नहीं थी। उसने कभी भी मेरे चेहरे या जिस्म को घूरने जैसी कोई हरकत नहीं की, गलत छूने की तो बात ही दूर की है।
धीरे धीरे मेरा भी विश्वास रवि पर बनने लगा, और बनता ही चला गया। वो भी मुझे बहुत पसंद करता। खास बात ये के हम दोनों का जन्म का महीना भी एक ही था, वो तो मुझे अपनी बहुत अच्छी दोस्त तो मानता ही था, मेरा नाम लेकर ही मुझसे बात करता था।
हमारे घर में आने की उसको कोई रोक टोक नहीं थी, हम तीनों दोस्त आपस में बिल्कुल लड़कों की तरह बात कर लेते थे, यहाँ तक की हमने अपनी सेक्स और हनीमून की बातें भी उससे शेयर की थी।
वो भी कभी कभी बाजारू औरतों के पास जाता था, आखिर मर्द था, तो घंटी तो बजती थी। मगर मेरे साथ उसने कभी कोई हरकत नहीं की, अब तो मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो मेरे पति का नहीं मेरा ही दोस्त है। मैं अक्सर उसे फोन करके अपने घर बुला लेती और वो भी अपनी दुकान छोड़ कर आ जाता, हम कितनी देर बातें करते, कुछ कुछ बना कर खाते पीते रहते।
शादी के बाद लोग एक से दो होते हैं, पर हम एक से तीन हो गए थे। आज़ादी उसको इतनी थी कि वो जब चाहे हमारे बेडरूम में आ जाता था। मैं कभी नाईटी में होती या नाइट ड्रेस में तो मुझे कभी कोई शर्म या दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि रवि कभी मेरे बदन को घूरता नहीं था।
हाँ इतना खयाल मैं भी रखती थी कि मेरे बदन का नंगापन उसे न दिखे।
अब मेरे पति तो सुबह जाते और रात को आते, रवि जब उसका दिल करता या मेरा दिल करता तो मेरे पास होता। न जाने क्यों मुझे लगने लगा के रवि मेरे दिल में मेरे पति से ज़्यादा जगह बनाता जा रहा है। मुझे उसके साथ रहना अपने पति के साथ रहने से ज़्यादा अच्छा लगने लगा, मैं भी उस से खुलने लगी थी।
हमारे घर में नॉन वेज नहीं बनता था, मगर बीयर या वाइन पी लेते थे, मैं भी पी लेती थी। हाँ व्हिस्की मैं नहीं पीती। मगर बीयर में भी तो हल्का नशा होता है। हमने बहुत बार बीयर पी और आपस में बहुत से बातें की, बकवास की, बकचोदी कितनी की, उसका तो कोई अंत ही नहीं।
बातचीत बढ़ते बढ़ते सेक्स की तरफ भी बढ़ी।
मैंने उसे साफ पूछा- तुम शादी कर लो, तुम्हारी लाइफ सेट हो जाएगी, कहाँ यहाँ वहाँ गंदगी में मुँह मारते फिरते हो।
वो बोला- नहीं शालू, सुमन का जाना मुझे इतना खाली कर गया कि उसे भरने में अभी बहुत वक़्त लगेगा, हाँ तुमने कहा, शादी कर लो, तो तुम्हारी बात मैं नहीं टालूँगा, शादी कर लूँगा, पर अभी नहीं। अभी तो मैं सिर्फ 26 साल का हूँ, 2-4 साल और ऐश कर लूँ, फिर शादी कर लूँगा।
मैंने बीयर का घूंट भर कर कहा- साले, तुझे रंडी के पास जाना ऐश लगती है?
वो बोला- अरे यार, ऐश का मतलब अपनी मर्ज़ी से सोना, अपनी मर्ज़ी से उठना, किसी की कोई बंदिश नहीं, सब काम अपने हिसाब से। बाकी जो जिस्म की जरूरत है तो वो तो कहीं भी पूरी कर लो।
मैंने कहा- तू न एक नंबर का कुत्ता है, साला हर जगह सूँघता फिरता है।
वो बोला- अच्छा जी मैं कुत्ता? कोई बात नहीं आने दो तेरे पति को, उस से कहूँगा, आज इसको कुतिया बना!
न जाने क्यों मेरे मुँह से निकल गया- क्यों तू नहीं बना सकता क्या?
बस मेरी बात सुन कर वो तो सन्न और मैं भी सन्न!
ये क्या कह दिया मैंने! मैंने तो उसे सीधा सीधा सेक्स का न्योता दे डाला।
मैं पशोपश में थी कि अगर इस वक़्त ये उठ कर जोश में आकर मुझे पकड़ ले तो क्या होगा। अगर हम में सेक्स संबंध बन गए तो क्या ये मेरा इतना अच्छा दोस्त रह पाएगा। क्या मैं अपने पति से बेवफ़ाई कर पाऊँगी।
मैंने तो खुद को बाथरूम में बंद कर लिया और वो चला गया।
उसके बाद 2 दिन वो हमारे घर नहीं आया। फिर मेरे पति ने उसे फोन करके बुलाया। वो आया, मगर हम दोनों आपस में सहज नहीं थे। सिर्फ हल्की फुल्की सी बातचीत हुई। उसका तो पता नहीं मगर मैं खुद बहुत शर्मिंदा थी।
अगले दिन मैंने सोचा कि यार जो भी बकवास मैंने कर दी, मुझे उसके लिए अपने दोस्त से माफी मांगनी चाहिए।
मैंने फोन करके रवि को बुलाया, वो थोड़ी देर में आ गया। थोड़ी सी औपचारिक बात चीत के बाद चाय पीते पीते मैंने कहा- रवि यार, उस दिन के लिए सॉरी, मैं नशे में न जाने क्या कह गई, हालांकि मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी, गलती से मुँह से निकल गया। सॉरी यार।
मैंने कहा तो वो बोला- उस दिन से मैं भी यही सोच रहा था, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो,, तुम पर मैं बहुत भरोसा करता हूँ, तुमसे प्यार करता हूँ। पर यार सच कहूँ, उस दिन तुमने जो भी कहा, मगर तुमने मेरे सोचने का नज़रिया ही बदल दिया है। पिछले दो दिनों में मेरे ख्यालों में तुम हमेशा बिना कपड़ों के ही आई हो। मैं बहुत कोशिश कर रहा हूँ, तुम्हारी इस इमेज को बदलने की पर नहीं। मुझे अब तुम कपड़ो में नज़र ही नहीं आती।
मैं सोचने लगी ‘हे भगवान ये मैंने क्या कर दिया। एक अच्छे भले दोस्त को खो दिया।’
मैंने रवि से पूछा- रवि, तो क्या हम अब अच्छे दोस्त नहीं रहे?
वो बोला- अच्छे दोस्त तो हम आज भी हैं, मैं आज भी तुमसे वैसे ही प्यार करता हूँ, पर ये मेरे ज़िंदगी में पहली बार हुआ है कि पिछले दो दिनों में मुझे सुमन की एक बार भी याद नहीं आई। मुझे उसके जाने का एक बार भी अफसोस नहीं हुआ। मुझे सिर्फ तुम ही तुम दिखी, और किसी तरफ मेरे ध्यान ही नहीं गया। अब तू बता मैं क्या करूँ। तुमने एक सेकंड में ही सुमन को मेरे दिल दिमाग से बाहर निकाल फेंका और खुद उसकी जगह बैठ गई।
मैंने हैरान होकर कहा- यह क्या कह रहे हो रवि, मैं तुमको अपना बहुत अच्छा दोस्त मानती हूँ।
पर रवि बोला- बेशक तुम मेरी दोस्त हो और हमेशा रहोगी, मगर आज मैं तुमसे कहना चाहता हूँ, आई लव यू शालू, तुम मुझसे प्यार करो या न करो। मैं तुमसे सारी ज़िंदगी प्यार करूंगा, शादी करूंगा, पर प्यार सिर्फ तुमसे, सिर्फ तुमसे और किसी से नहीं।
कह कर रवि चला गया और मैं बैठ कर सोचने लगी ‘यार ये क्या नया पंगा पड़ गया मेरी जान को।’
वक़्त बीतता गया, रवि का हमारे घर में आना जाना वैसे ही रहा, वही दोस्ती, वही हंसी मज़ाक। मगर अब वो पहले वाला दोस्त रवि नहीं था, अब तो वो सिर्फ मेरा दीवाना रवि था। मैंने उसको बहुत बार समझाया, मगर वो सिर्फ हर बार मुझे आई लव यू कह कर चुप करवा देता।
फिर मैंने भी सोचा कि चलो इसके दिमाग से प्यार का भूत उतारती हूँ। मैंने सोचा अगर मैं इसके प्यार को कुबूल कर लूँ, फिर देखती हूँ, ये आगे क्या करता है।
मैंने एक दिन उस से बात करते करते उसको कहा- रवि, तुम मुझसे प्यार करते हो?
वो बोला- बेहद, बहुत, बेशुमार।
मैंने कहा- तो मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ।
वो बोला- अरे वाह, क्या बात करी।
मुझे लगा था कि वो खुशी से मुझे चूम लेगा, मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया। अब प्यार का इज़हार तो कर दिया, मगर उसके बाद मेरे मन में और भी बहुत से विचार आने लगे, मैं सोचने लगी किन अब जब ये मेरा बॉयफ्रेंड बन गया है, तो इसको भी अपनी जवानी का मज़ा दूँ, मगर रवि को जैसे सिर्फ मेरे मन से ही प्यार था, मेरे तन से नहीं।
मैं धीरे धीरे उसके सामने खुलना शुरू किया, बड़ी बेफिक्री से मैं उसके सामने झुक जाती, वो सिर्फ एक बार मेरे ब्लाउज़ में या टी शर्ट में झूलते मेरे बड़े बड़े मम्मों को देखता और अपना मुँह घुमा लेता.
और कोई मर्द होता तो दूसरी बार में ही मेरे मम्मे मसल देता, मगर ये तो सिर्फ बातें ही करता, खूब बातें करता, मगर कभी उसने मुझे छुआ नहीं।
मैं इतनी बेतकल्लुफ़ होती गई कि टी शर्ट लोअर से टी शर्ट पैन्टी पे आ गई और एक दिन तो मैंने जान बूझ कर नहाते हुये उससे तौलिया मांगा, और जब वो तौलिया देने आया, तो मैंने पूरा दरवाजा खोल कर उसे अपना नंगा बदन दिखा दिया।
मगर उसने सिर्फ एक बार मेरे नंगे बदन को देखा, तौलिया पकड़ाया और वापिस चला गया।
मेरी गांड जल गई। मुझे शुरू से अपने हुस्न और जवानी पर बहुत गुरूर रहा है, और ये तो मेरे जैसे एक खूबसूरत और जवान औरत को नंगी छोड़ कर चला गया।
नहा कर कपड़े पहन कर मैं बाहर आई तो सीधा रवि के पास गई, मैंने उस से पूछा- रवि एक बात बताओ, तुम्हें कोई कमजोरी या बीमारी तो नहीं है?
वो बोला- बिल्कुल भी नहीं, एक दम फिट हूँ।
तो मैंने पूछा- तो फिर तुम एक खूबसूरत और नंगी औरत को कैसे नजरअंदाज कर सकते हो?
वो बोला- देख शालू, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हारे तन से नहीं, मन से प्यार करता हूँ। तुमने मेरा प्यार कबूल किया, मेरे लिए यही बहुत है, मुझे और तुमसे कुछ नहीं चाहिए।
मैंने कहा- मगर मुझे तो चाहिए।
वो बोला- बोलो क्या चाहिए?
मैंने कहा- ये भी बताने की ज़रूरत है, कोई बच्चा भी बता सकता है, मैं तुमसे क्या चाहती हूँ।
वो बोला- देख यार, तू अगर चाहती है कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स करूँ, तो ये मैं नहीं कर सकता, मेरे उसूलों के खिलाफ है।
मैंने खीज कर कहा- साले तू चूतिया है, और कुछ नहीं, और गांड में ले ले अपने उसूल।
और मैं उठ कर जाने लगी.
तो उसने मेरी बाजू पकड़ कर मुझे फिर से बैठा लिया- देख तू मेरी दोस्त है, मुझे जो मर्ज़ी कह, मगर यार मेरा दिल नहीं मानता, तू बात कर और मैं तेरे लिए क्या कर सकता हूँ, तेरी हर इच्छा पूरी करूंगा।
मैंने पहले कुछ सोचा और फिर बोली- मेरी एक इच्छा है, बहुत समय से, अगर तू पूरी कर सके?
वो खुश हो कर बोला- तू बोल तो सही?
मैंने कहा- ये हम दोनों के बीच ही रहे!
वो बोला- कहने की ज़रूरत है कि मुझ पर विश्वास करो।
मैंने कहा- मुझे न …
वो उत्तेजित हो कर बोला- अरे बोल साली?
मैंने कहा- मुझे न किसी तगड़े बॉडी बिल्डर से सेक्स करना है, जिसकी ज़बरदस्त मसकुलर बॉडी हो, लंबा हो, चौड़ा हो, तगड़ा हो, और जिसका मस्त बड़ा सारा लंड हो और जो सच कहूँ तो मेरी माँ चोद के रख दे।
वो पहले मेरे चेहरे को देखता रहा, फिर बोला- बस?
मैंने कहा- बस मतलब? कर सकता है ये क्या?
वो बोला- मुझे तो बहुत से बॉडी बिल्डर जानते है, पता कर लेता हूँ, किसका लंड सबसे बड़ा है।
मैंने खुश हो कर उसके गाल को चूम लिया। उसने मेरे माथे को चूमा और चला गया।
अगले हफ्ते उसका फोन आया- अरे शालू, अभी मिल सकती है क्या?
मैंने कहा- कहाँ?
वो बोला- बस घर से बाहर आ जा!
मैंने झट से कपड़े बदले और बाहर निकली। घर से थोड़ी ही दूर उसकी कार खड़ी थी मैं जाकर उसकी कार में बैठ गई।
वो बोला- बड़ा सज बन कर आई है, शादी करने जा रही है क्या?
मैंने कहा- नहीं लड़का देखने जा रही हूँ, अगर पसंद आ गया, तो सीधा सुहागरात मनाऊंगी।
वो हंस पड़ा और हम बातें करते करते एक माल के बाहर पहुंचे, गाड़ी को पार्किंग में लगा कर वो चला गया।
10 मिनट बाद वो आया, उसके साथ एक खूब हट्टा कट्टा मर्द भी था। मगर यह तो एक हब्शी था। कद करीब 6 फीट, बेहद काला और बदशक्ल, सांड जैसा लंबा चौड़ा बदन।
वो आकर कार में पीछे बैठ गया, मैं तो आगे बैठी थी।
रवि भी बैठ गया और बोला- बोल, लड़का पसंद आया?
मैंने कहा- अरे ये तो मेरे मन की बात बूझ ली तुमने, मैंने बहुत सी फिल्मों में बड़े बड़े औजारों वाले हब्शी देखे थे, तब सोचती थी कि अगर मुझे कोई हब्शी मिल जाए तो क्या हो, पर आज तो तूने मेरे दिल का अरमान पूरा कर दिया, ऊपर से तो अच्छा ही हैं, असली चीज़ तो अंदर छुपी होती है।
रवि बोला- तो जा कर पीछे बैठ और चेक कर ले।
“सच में?” मैंने पूछा.
और मैं गाड़ी से उतरी और पीछे की सीट पर बैठ गई, उसने मुझे हैलो कहा, मैंने भी उसे हैलो कहा।
मैंने उससे इंग्लिश में कहा- मेरे दोस्त ने मुझे कहा है कि आपकी पैन्ट में कुछ ऐसा छुपा है, जो मुझे डरा सकता है?
वो बोला- बिल्कुल, मेरी बहुत सी दोस्त मेरे औज़ार की मार से रो पड़ती हैं, और मुझसे हाथ जोड़ कर छोड़ने की विनती करती हैं। पर मैं कभी किसी को छोड़ता नहीं। जो मेरे पास आ गई, उसकी माँ चोद कर रख देता हूँ।
मैंने कहा- ओ के तो मुझे भी डराओ।
उसने थोड़ा सा एडजस्ट हो कर अपनी पैन्ट के हुक, बटन और ज़िप खोली और अपनी जीन्स घुटनों तक उतारी। उसकी चड्डी में ही जैसे कोई खीरा या मूली रखी हो, ऐसा लगा मुझे।
जब उसने अपनी चड्डी उतारी तो मैं सच में डर गई। करीब 8 इंच का मोटा लंड, जो एक तरफ सर फेंके सो रहा था। इतना बड़ा तो मेरे पति का पूरा खड़ा होने पर भी नहीं होता है।
मैंने पूछा- पूरा खड़ा होने पर ये कितना बड़ा हो जाता है?
वो बोला- इसे अपने हाथ में पकड़ो, इससे खेलो और खुद देख लो।
मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसको आगे पीछे करने लगी, उसका काला टोपा बाहर निकाल कर देखा। इसमें कोई शक नहीं कि उसका लंड बड़ा दमदार था। मेरे सारे बदन में बहुत हलचल हो रही थी।
थोड़ा सा खेलने के बाद मैंने उसका लंड छोड़ दिया क्योंकि वो बिल्कुल भी खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने रवि से कहा- मुझे अच्छा लगा, पर अभी घर वापिस चलो, हम फिर किसी दिन इससे मिलेंगे।
मैं गाड़ी से नीचे उतरी तो रवि भी नीचे उतरा और बोला- क्या हुआ, पसंद नहीं आया।
मैंने कहा- यार पसंद तो आया, पर साले का खड़ा ही नहीं हुआ।
कहानी जारी रहेगी.
आपके कमेन्टस के साथ
Nice storyहैलो दोस्तो, मैंने एक जापानी कहानी पढ़ी थी, उसे ही मैं हिन्दी में ट्रांस्लेट करके आपको सुना रहा हूँ।
शायद ऐसा खुशनसीब कोई हो भी जिसकी ज़िंदगी में ऐसा हुआ हो।
खैर मर्द अपने औज़ार अपने हाथ में पकड़ें और लड़कियाँ अपनी अपनी पेंटी में हाथ डालें और कहानी का मज़ा लें।
मेरा नाम शालू है, मैं 25 साल की एक शादीशुदा औरत हूँ, मेरी शादी को 2 साल हो गए हैं और इन दो सालों में मैंने बहुत कुछ देख लिया।
मेरी लव मैरेज हुई थी, शादी से पहले मैंने और सुरेश ने सेक्स को छोड़ के और सब किया था, मतलब उसने अपना लिंग मेरे अंदर प्रवेश नहीं करवाया था, बाकी चूमा चाटी, चूसा चूसी सब किया था।
तो सुहागरात पर मैंने भी कोई शर्म लिहाज नहीं की, मैंने खुद अपने कपड़े उतारे, खुद सुरेश का लिंग अपने मुँह में लेकर चूसा और अपने हाथ से पकड़ के अपनी चूत पे रखा।
सुरेश ने अंदर डाला, बहुत मामूली सा दर्द हुआ, और उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा।
हमने पूरी रात सेक्स किया, करीब करीब हम दोनों ने एक दूसरे के बदन का हर एक भाग अपनी जीभ से चाट लिया दाँतों से काट लिया।
जितना इन्होंने मुझे पेला उतना ही मैंने इनको पेला, हमने एक ही रात में लगातार 4-5 बार सेक्स किया, मैंने भी पूरा खुल कर सुरेश का साथ दिया, कभी मैं ऊपर तो कभी ये ऊपर।
खैर हमारी सुहागरात बहुत ही बढ़िया रही।
दो दिन बाद हनीमून पे मनाली चले गए, दस दिन वहाँ रुके, वहाँ भी यही सब चलता रहा।
हनीमून खत्म, हम घर वापिस आ गए।
असली मुसीबत घर आ कर शुरू हुई, इनके घर में सिर्फ मर्द ही मर्द थे। एक बाबूजी, चाचाजी, एक ये और इनके दो चचेरे भाई, जो इनसे साल दो साल ही छोटे थे।
बाबूजी और चाचाजी ने मुझे पूरा अपनी बेटी की तरह प्यार दिया, मगर इनके दोनों चचेरे भाइयों की नियत मुझे साफ नहीं लगी।
दोनों के देखने का अंदाज़ बहुत गंदा था, हर वक़्त मेरे कपड़ों के अंदर झांकते रहते थे।
मैंने इनसे शिकायत की मगर इन्होंने बात को अनदेखा कर दिया।
मुझे अक्सर रात को नहा कर सोना अच्छा लगता है, एक रात जब मैं नहा कर बाहर निकली तो मेरे पाँव में कुछ चिपचिपा सा पदार्थ लगा।
जब मैंने ध्यान से देखा तो यह पुरुष वीर्य था।
मतलब यह के जब मैं नहा रही थी तो किसी ने मुझे नहाते हुए देखा और हस्तमैथुन किया।
मैंने यह बात भी अपने पति को बताई मगर वो हंस कर टाल गए।
फिर दिन में मैंने बाथरूम के दरवाजे का निरीक्षण किया तो देखा के दरवाजे में बारीक बारीक से 2-3 सुराख थे जिनमें से अंदर देखा जा सकता था।
ऐसे ही एक दिन मैं दोपहर को अपने कमरे में सो रही थी तो मुझे लगा कि जैसे कोई मुझे छू रहा है, मैं एकदम से उठी तो देखा कि सबसे छोटे देवर महेश ने मेरी साड़ी और पेटीकोट पूरा ऊपर उठा दिया था जिस से मेरी चूत बिल्कुल नंगी हो गई थी, और उसने एक हाथ में मेरा स्तन पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से हस्तमैथुन कर रहा था।
मैं उठी तो वो थोड़ा, सकपकाया, मगर डरा नहीं।
मैंने उसे डांटा तो वो मेरे पाओं में पड़ गया और मुझसे सेक्स की भीख मांगने लगा।
उसने बहुत मिन्नत की और मैं भी न जाने क्यों उसकी मिन्नत मान गई- देख, मैं तुझे सिर्फ एक बार करने दूँगी, और यह बात तू किसी को बताएगा नहीं!
वो झट से मान गया।
मैंने अपनी टाँगे खोली, तो वो अपने सारे कपड़े उतार कर मेरी टाँगों के बीच में आ गया, मैं लेटी रही, उसने खुद ही अपना लण्ड मेरी चूत पे रखा और अंदर पेल दिया।
थोड़ी सी चुदाई के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा, मैंने उसे बाहों में भर लिया, उसने मेरा ब्लाउज़ और ब्रा खोल दिये और मेरे स्तनों पे टूट पड़ा। मैंने भी पूरे मज़े ले लेकर उसको संभोग का सुख दिया।
अभी हम कर ही रहे थे कि दरवाजे से राकेश भी बिल्कुल नंग धड़ंग, लण्ड अकड़ाये अंदर आ गया।
मैं एकदम से हैरान रह गई और उठ कर बैठने लगी तो महेश बोला- भाभी बुरा मन मानना, हम दोनों भाई जो भी करते हैं, एक साथ ही करते हैं।
अब मैं बिल्कुल नंगी, अपने एक देवर का लण्ड चूत में लिए लेटी, दूसरे को क्या मना करती, वो भी पास आया और अपना लण्ड चुपचाप मेरे हाथ में पकड़ा कर मेरे स्तनों से खेलने लगा।
जब मेरी तरफ से कोई विरोध न हुआ तो वो उठ कर मेरी छतियों पे बैठ गया और अपना लण्ड उसने मेरे मुँह में घुसा दिया, जिसे मैंने चूसना शुरू कर दिया।
अब मेरे चारों होंठों में लण्ड घुसे थे, एक लण्ड ऊपर के होंठों में और एक लण्ड नीचे के होंठों में।
मैं दोहरी चुदाई का मज़ा ले रही थी।
महेश बोला- बस भाभी, मेरा होने वाला है, कहाँ छुड़वाऊँ?
मैंने कहा- अंदर ही चलने दे…
फिर क्या था, एक मिनट बाद मेरी चूत उसके वीर्य से भरी पड़ी थी।
मगर बात यहीं खत्म नहीं होती, महेश के झड़ने के बाद, राकेश ने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया, 15 मिनट वो मुझे चोदता रहा॰ और यह ऐसा सिलसिला शुरू हुआ के रोज़ मैं 2-2, 3-3 बार चुदने लगी।
शुरू में मुझे बड़ा अजीब लगा, मगर जल्द ही मुझे इसकी आदत पड़ गई और सच कहूँ मुझे मज़ा आने लगा।
अब घर में तीन भाई थे और बारी बारी तीनों मेरी जम के चुदाई कर रहे थे।
मगर अभी और बड़ी समस्या आनी बाकी थी और वो समस्या आई मेरी माँ के रूप में।
मेरी शादी के करीब दो महीने बाद माँ मुझसे मिलने आई।
माँ मुझसे केवल 24 साल बड़ी थी, वो अगर मैं 22 की थी, तो माँ 46 की थी।
माँ खूबसूरत थी, जवान थी।
शाम को चाचाजी आए और अपनी आदत के मुताबिक पी के टुन्न हो कर आए।
आते समय मेरे लिए जलेबी और समोसा लाये।
मैंने अभी परोस ही रही थी कि माँ भी वहीं आ गई, उन्हें देखते ही चाचाजी उठ कर खड़े हो गए और नमस्ते नमस्ते कहते हुये माँ की तरफ बढ़े, मुझे लगा कहीं माँ को गले ही न लगा लें, मगर उन्होंने सिर्फ हाथ जोड़ कर अभिवादन किया और बाद में माँ से हाथ भी मिला लिया।
माँ ने भी बड़ी गर्मजोशी से उनसे हाथ मिलाया।
खैर उसके बाद तो अक्सर चाचाजी माँ के आस पास किसी न किसी बहाने से मँडराते रहते।
माँ ने मुझे बताया कि शादी वाले दिन भी चाचाजी ने शराब के नशे में माँ के चूतड़ पे चिकोटी काट ली थी।
मतलब साफ था कि चाचाजी माँ पे लट्टू हुये पड़े थे, वो रोज़ कुछ न कुछ लाते और अपने हाथों से डाल डाल कर माँ को देते।
माँ भी उनके सत्कार का उचित जवाब देती, मगर मुझे न जाने क्यों लगने लगा कि इन दोनों में कोई और ही खिचड़ी पक रही है।
जितने दिन माँ मेरे पास रही, उतने दिन वो रात को मेरे पास ही सोती थी, इस वजह से न तो सुरेश से मैं मिल प रही थी और राकेश और महेश से कहाँ मिलना होना था।
मेरी अपनी चूत में आग लगी पड़ी थी, मगर मुझे लग रहा था, माँ की हालत भी मेरी जैसे हुई पड़ी है।
खैर मैंने जैसे तैसे बहाना करके माँ को विदा किया कि लड़की के घर इतने दिन रहना ठीक नहीं।
माँ गई तो रात को सुरेश ने मुझे तीन बार ठोका मगर मेरा दिल अभी नहीं भर पाया था, सुबह सुरेश के जाने के बाद महेश आ गया और उसने मुझे ठोका, उसके बाद राकेश आया उसने मुझे दो बार ठोका, तब जा कर मेरी तसल्ली हुई।
माँ को गए एक हफ्ता ही हुआ था कि वो फिर से वापिस आ गई।
मुझे बड़ी हैरानी हुई तो माँ बोली- अकेले घर में दिल नहीं लगता।
खैर रात को हम दोनों एक साथ ही सो गई।
करीब ढाई तीन बजे मेरी आँख खुली, मैं उठ कर पेशाब करने चली गई, जब वापिस आई तो देखा, माँ बिस्तर पर नहीं है।
मुझे बड़ी हैरानी हुई, मैं उठ कर बाकी घर में देखने गई, तीनों भाई अपने कमरे में सो रहे थे, बाबूजी अपने कमरे में सो रहे थे, चाचाजी का कमरा बंद था मगर लाईट जल रही थी।
मैंने बाहर से जाकर खिड़की में से देखा, मेरे तो होश ही उड़ गए, माँ चाचाजी के साथ बिस्तर में लेटी थी, दोनों ने चादर ले रखी थी, सिर्फ उनके चेहरे और कंधे नज़र आ रहे थे, माँ नीचे लेटी थी, उसके गोरे गोरे भरे हुए कंधे और थोड़े थोड़े स्तन भी दिख रहे थे, चाचाजी ऊपर लेटे थे, उनकी आधी नंगी पीठ दिख रही थी।
दोनों आपस में हंस हंस कर कुछ बातें कर रहे थे और बीच बीच में एक दूसरे को चूम भी रहे थे।
फिर चाचाजी माँ के ऊपर बिल्कुल सीधे हो गए, माँ ने अपना एक हाथ चादर के अंदर डाला, उनकी हरकत से मैं समझ गई थी कि माँ ने चाचाजी का लण्ड अपनी चूत पे सेट किया था।
चाचाजी ने हल्के से धक्के से अपना लण्ड अंदर ठेल दिया।
मेरा तो गुस्सा सातवें आसमान पे चढ़ गया, मैंने सोचा अभी जाकर इनको जगाती हूँ, और माँ की और चाचाजी की करतूत बताती हूँ।
मगर फिर मैंने सोचा इसमें तो मेरी माँ की ही बदनामी है और मेरी भी।
मैं चुप करके बैठ गई।
काफी देर मैं बैठी रोती रही, सोचती रही।
फिर दिल में खयाल आया, माँ भी तो एक इंसान है, क्या उसका दिल नहीं चाहता होगा, अगर उसे किसी से प्यार हो गया तो इसमें बुराई भी क्या है।
मैं उठी और मैंने फिर कमरे में देखा, अब चाचाजी ने पूरी चादर उतार दी थी।
मैं उन दोनों को बिल्कुल नंगी हालत में सेक्स करते हुए देख रही थी।
माँ ने अपनी गोरी गोरी टाँगें ऊपर हवा में उठा रखी थी और चाचाजी धीरे धीरे आगे पीछे होकर चुदाई कर रहे थे।
बेशक चाचाजी 50 की उम्र पार कर चुके थे मगर वो बड़े जोश से और मज़े ले ले कर माँ से सेक्स कर रहे थे।
मैं देखती रही, मैं भी तो इंसान हूँ, देखते देखते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
मैंने अपनी लोअर में हाथ डाला और अपनी चूत का दाना मसलने लगी।
उधर माँ चुद रही थी और इधर बाहर मैं अपनी ही माँ की चुदाई देख कर अपनी चूत सहला रही थी।
मैंने देखा माँ नीचे से माँ ने चाचाजी को अपने सीने से लगा लिया, मतलब माँ झड़ने वाली थी, फिर माँ ने अपना सर ऊपर उठाया और अपनी जीभ निकाल कर चाचाजी के मुँह में दे दी और नीचे से ज़ोर ज़ोर से कमर उचकाने लगी।
मैं आज पहली बार माँ को इतना वाइल्ड होते देखा था, जैसे वो चाचाजी को खा जाना चाहती हो, माँ ने अपनी कमर ऊपर हवा में ही उठा रखी थी, फिर माँ धड़ाम से नीचे गिर पड़ी।
उसके चेहरे पे बड़ी संतुष्टि झलक रही थी। चाचाजी मुस्कुरा रहे थे।
फिर चाचाजी ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी क्योंकि मैच वो जीत चुके थे, अब तो बस मैच खत्म ही करना था।
थोड़ी देर तेज़ तेज़ चुदाई के बाद चाचाजी ने अपना लण्ड बाहर निकाला और वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ दी।
उनका वीर्य माँ के मुँह तक धार मार गया, मैं चुपके उठ कर आ गई और अपने कमरे में सो गई।
थोड़ी देर बाद माँ भी आ गई।
सुबह पहले मैंने सोचा के माँ से बात करूँ मगर, क्या बात करूँ, और कैसे करूँ, यही समझ नहीं आ रहा था।
फिर मैंने एक स्कीम सोची, मैंने रात को जो दूध माँ और चाचाजी को दिया, उसमे नींद की गोलियाँ मिला दी।
मगर मोहब्बत करने वालों को नींद कहाँ आती है, करीब डेढ़ बजे जब मैं उठी तो देखा के माँ अपने बिस्तर पे नहीं थी।
मैं फिर बाहर जा कर खिड़की से देखा, आज चाचाजी नीचे लेटे थे और माँ उनके ऊपर।
दोनों प्रेमी आपस में बातें करते एक दूसरे को चूम चाट रहे थे।
मैं उन्हें छोड़ कर अपने कमरे में आ गई और सो गई।
सुबह जब मैं उठी तो माँ अपने बिस्तर पे नहीं थी।
मैंने चाय बनाई और दो कप लेकर चाचाजी के कमरे में चली गई।
दरवाजा खटखटाया तो नींद में ही चाचाजी उठे और बेख्याली में ही दरवाजा खोल गए वो केवल एक चड्डी पहने थे।
जब मैं कमरे में दाखिल हुई तो देखा, माँ की नाईटी, ब्रा और चाचाजी के कपड़े वगैरह सब इधर उधर बिखरे पड़े हैं।
मैंने माँ को जगाया, माँ उठी और मुझे देख कर चौंक गई।
अब माँ मेरे सामने कपड़े भी नहीं पहन सकती थी क्योंकि कपड़े तो कमरे में बिखरे पड़े थे।
माँ चादर में अपने आप को ढकने की कोशिश कर रही थी मगर उनके नंगे बदन की शेप तो फिर भी चादर में से भी दिख रही थी।
‘वो रात मुझे बड़ी बेचैनी सी हो रही थी तो मैं बाहर घूमने आई थी मगर पता नहीं क्यों मुझे चक्कर सा आ गया और मैं गिर पड़ी, तुम्हारे चाचाजी ने देख लिया और मुझे संभाल के यहाँ ले आए और…’ माँ अपनी सफाई दे रही थी मगर मैं संयत रही, मैं जानती थी कि ये सब झूठे बहाने हैं, आज ऐसे लग रहा था जैसे मैं माँ हूँ और वो मेरी बेटी, जो मुझे अपनी गलती का स्पष्टीकरण दे रही हो।
मैंने माँ से पूछा- कब से चल रहा है ये सब?
फिर माँ ने खुद ही बता दिया कि शादी के एक हफ्ते बाद ही चाचाजी हमारे घर आए थे और उन्होंने बहुत शराब पी रखी थी, शराब के नशे में ही उन्होंने खुल्लम खुल्ला अपने प्यार का इज़हार कर दिया, मैंने कुछ नहीं कहा, मेरी चुप्पी को इन्होंने इकरार समझ लिया और मुझे बाहों में भर लिया, मैंने आज तक किसी मर्द को अपने पास फटकने नहीं दिया, मगर पता नहीं क्यों मैं इन्हें इंकार नहीं कर पाई, ये आगे बढ़ते गए और मैं न चाहते हुये भी इनकी बदतमीजी बर्दाश्त करती रही। और आगे बढ़ते बढ़ते इन्होंने मेरी साड़ी खींच दी, मुझे बेड पे पटका और मेरे ऊपर चढ़ गए, मैं नीचे लेटी इन्हे वो सब करने देती रही जो शायद मैंने कभी किसी के बारे में सोचा भी नहीं था।
इन्होंने मेरे सारे कपड़े तार-तार कर दिये, और बिना मेरी कोई भी बात सुने मेरे सामने ही अपने सारे कपड़े भी उतार दिये। तेरे पिता के जाने के बाद उस दिन मैंने पहली बार फिर से किसी मर्द का तना हुआ लिंग देखा था। मैं तो बस देखते ही रह गई, और इन्होंने मेरी टाँगे उठाई और अपना लिंग मेरे अंदर डाल दिया। मैं तैयार नहीं थी सो थोड़ा सा दर्द हुआ, मगर उसके बाद तो इन्होंने मुझे ज़िंदगी का भरपूर सुख दिया, जिसका मैं सालों से इंतज़ार कर रही थी।
और तब से हम दोनों के संबंध हैं। ये तो अक्सर हमारे घर आते जाते रहते हैं, 3-4 बार तो ये रात भी गुज़ार के गए हैं। ये तो मुझसे शादी भी करना चाहते हैं, मगर मैंने मना कर दिया।
खैर अब जब मेरी और माँ की बात आपस में पूरी तरह से खुल गई तो मैंने भी माँ को बता दिया के मैं सुरेश के साथ साथ उसके दोनों भाइयों से भी सेक्स करती हूँ।
माँ बोली- मैं जानती हूँ इन्होंने बताया था, एक दिन तुम दोनों के साथ लगी थी दोपहर को जब ये किसी काम से तुम्हारे कमरे में आए थे, जब राकेश तुम्हें चोद रहा था और महेश ने तेरे मुँह में दे रखा था।
हम दोनों हंस पड़ी।
फिर माँ ने कहा- मैं तेरे चाचाजी से शादी करना चाहती हूँ।
मैं तो सुन के हैरान ही रह गई, बोली- माँ अगर तुम चाचाजी से शादी कर लोगी, तो मेरा और सुरेश का क्या रिश्ता बनेगा, सोचा है आपने? आप मेरी माँ के साथ मेरी चाची सास भी बन जाएंगी, यह नहीं हो सकता।
मगर माँ तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी, बोली- मुझे नहीं पता अब मैं इनके बिना नहीं रह सकती, जैसे मर्ज़ी कर, अगर तुम न मानी तो हम दोनों भाग के शादी कर लेंगे।
मैं मन ही मन सोच रही थी कि ‘हे भगवान मैं यह कहाँ आ फंसी, मैं अपनी तो इज्ज़त बचा न सकी इन लोगों ने तो मेरी माँ को भी नहीं बख्शा।’
अब आप जो लोग ये कहानी पढ़ रहे हो इसका हल बताओ, क्या माँ को शादी करनी चाहिए।
अगर वो शादी कर लेती हैं तो हमारा रिश्ता खराब होता है और अगर बिना शादी के ही चाचाजी से संबंध बना कर रखती हैं तो बदनामी होती है।
आपका क्या विचार है?
Behtreen updateलीजिए नई कहानी पढ़कर देखिए ज़ब तक मेरी मां और चाचा ससुर की शादी हो
आज मैं आपको अपने एक दीवाने की बात बताने जा रही हूँ। दरअसल ये दीवाना मेरे ही पति का दोस्त है, बहुत पुराना दोस्त है, हमारी शादी से इसका हमारे घर पर आना जाना है। अब कैसे मेरे और उसका संबंध बना, उसकी कहानी मैं आपको सुनाती हूँ।
बात हमारी शादी के समय की है, जब मैं शादी करके अपने पति के घर आई, तभी से मैं रवि, अपने पति के जिगरी दोस्त को देख रही थी। हर काम में समार्ट, सभी काम फटाफट करता था। देखने में भी बड़ा अच्छा खासा था, कद काठी रंग रूप सब सुंदर था।
शादी के कुछ दिन बाद जब हम हनीमून पर गए तो तब बातों बातों में मैंने अपने पति से पूछा- ये रवि ने शादी नहीं की?
तो मेरे पति ने उसकी बात बताई कि वो एक लड़की से बहुत प्यार करता था, उससे शादी भी करना चाहता था, मगर किन्हीं कारणों से उनकी शादी नहीं हो सकी, बस तभी से उसके वियोग में है। दरअसल रवि एक बहुत ही प्यार करने वाला, ख्याल रखने वाला इंसान है, पर इस बेचारे का दिल ऐसा टूटा है कि अब ये किसी भी लड़की के पास तक नहीं जाता, न ही किसी को पास आने देता है। कोई गर्ल फ्रेंड नहीं, न शादी। बस अपनी उस मोहब्बत की याद में ही जीता है।
मुझे रवि से बड़ी सुहानुभूति हुई। जब हम हनीमून से वापिस आए तो धीरे धीरे मेरी भी रवि से अच्छी दोस्ती हो गई। और सच में रवि था भी बहुत अच्छा दोस्त; ऐसा दोस्त जिस पर आप आँख बंद करके विश्वास कर सकते हो। मैं भी कई बार उसके साथ बाज़ार वगैरह गई, तो मैंने देखा वो मेरा बहुत ख्याल रखता। मेरे हसबेंड भी उस पर पूरा एतबार करते।
मैंने भी नोटिस किया कि उसकी नज़र गंदी नहीं थी। उसने कभी भी मेरे चेहरे या जिस्म को घूरने जैसी कोई हरकत नहीं की, गलत छूने की तो बात ही दूर की है।
धीरे धीरे मेरा भी विश्वास रवि पर बनने लगा, और बनता ही चला गया। वो भी मुझे बहुत पसंद करता। खास बात ये के हम दोनों का जन्म का महीना भी एक ही था, वो तो मुझे अपनी बहुत अच्छी दोस्त तो मानता ही था, मेरा नाम लेकर ही मुझसे बात करता था।
हमारे घर में आने की उसको कोई रोक टोक नहीं थी, हम तीनों दोस्त आपस में बिल्कुल लड़कों की तरह बात कर लेते थे, यहाँ तक की हमने अपनी सेक्स और हनीमून की बातें भी उससे शेयर की थी।
वो भी कभी कभी बाजारू औरतों के पास जाता था, आखिर मर्द था, तो घंटी तो बजती थी। मगर मेरे साथ उसने कभी कोई हरकत नहीं की, अब तो मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो मेरे पति का नहीं मेरा ही दोस्त है। मैं अक्सर उसे फोन करके अपने घर बुला लेती और वो भी अपनी दुकान छोड़ कर आ जाता, हम कितनी देर बातें करते, कुछ कुछ बना कर खाते पीते रहते।
शादी के बाद लोग एक से दो होते हैं, पर हम एक से तीन हो गए थे। आज़ादी उसको इतनी थी कि वो जब चाहे हमारे बेडरूम में आ जाता था। मैं कभी नाईटी में होती या नाइट ड्रेस में तो मुझे कभी कोई शर्म या दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि रवि कभी मेरे बदन को घूरता नहीं था।
हाँ इतना खयाल मैं भी रखती थी कि मेरे बदन का नंगापन उसे न दिखे।
अब मेरे पति तो सुबह जाते और रात को आते, रवि जब उसका दिल करता या मेरा दिल करता तो मेरे पास होता। न जाने क्यों मुझे लगने लगा के रवि मेरे दिल में मेरे पति से ज़्यादा जगह बनाता जा रहा है। मुझे उसके साथ रहना अपने पति के साथ रहने से ज़्यादा अच्छा लगने लगा, मैं भी उस से खुलने लगी थी।
हमारे घर में नॉन वेज नहीं बनता था, मगर बीयर या वाइन पी लेते थे, मैं भी पी लेती थी। हाँ व्हिस्की मैं नहीं पीती। मगर बीयर में भी तो हल्का नशा होता है। हमने बहुत बार बीयर पी और आपस में बहुत से बातें की, बकवास की, बकचोदी कितनी की, उसका तो कोई अंत ही नहीं।
बातचीत बढ़ते बढ़ते सेक्स की तरफ भी बढ़ी।
मैंने उसे साफ पूछा- तुम शादी कर लो, तुम्हारी लाइफ सेट हो जाएगी, कहाँ यहाँ वहाँ गंदगी में मुँह मारते फिरते हो।
वो बोला- नहीं शालू, सुमन का जाना मुझे इतना खाली कर गया कि उसे भरने में अभी बहुत वक़्त लगेगा, हाँ तुमने कहा, शादी कर लो, तो तुम्हारी बात मैं नहीं टालूँगा, शादी कर लूँगा, पर अभी नहीं। अभी तो मैं सिर्फ 26 साल का हूँ, 2-4 साल और ऐश कर लूँ, फिर शादी कर लूँगा।
मैंने बीयर का घूंट भर कर कहा- साले, तुझे रंडी के पास जाना ऐश लगती है?
वो बोला- अरे यार, ऐश का मतलब अपनी मर्ज़ी से सोना, अपनी मर्ज़ी से उठना, किसी की कोई बंदिश नहीं, सब काम अपने हिसाब से। बाकी जो जिस्म की जरूरत है तो वो तो कहीं भी पूरी कर लो।
मैंने कहा- तू न एक नंबर का कुत्ता है, साला हर जगह सूँघता फिरता है।
वो बोला- अच्छा जी मैं कुत्ता? कोई बात नहीं आने दो तेरे पति को, उस से कहूँगा, आज इसको कुतिया बना!
न जाने क्यों मेरे मुँह से निकल गया- क्यों तू नहीं बना सकता क्या?
बस मेरी बात सुन कर वो तो सन्न और मैं भी सन्न!
ये क्या कह दिया मैंने! मैंने तो उसे सीधा सीधा सेक्स का न्योता दे डाला।
मैं पशोपश में थी कि अगर इस वक़्त ये उठ कर जोश में आकर मुझे पकड़ ले तो क्या होगा। अगर हम में सेक्स संबंध बन गए तो क्या ये मेरा इतना अच्छा दोस्त रह पाएगा। क्या मैं अपने पति से बेवफ़ाई कर पाऊँगी।
मैंने तो खुद को बाथरूम में बंद कर लिया और वो चला गया।
उसके बाद 2 दिन वो हमारे घर नहीं आया। फिर मेरे पति ने उसे फोन करके बुलाया। वो आया, मगर हम दोनों आपस में सहज नहीं थे। सिर्फ हल्की फुल्की सी बातचीत हुई। उसका तो पता नहीं मगर मैं खुद बहुत शर्मिंदा थी।
अगले दिन मैंने सोचा कि यार जो भी बकवास मैंने कर दी, मुझे उसके लिए अपने दोस्त से माफी मांगनी चाहिए।
मैंने फोन करके रवि को बुलाया, वो थोड़ी देर में आ गया। थोड़ी सी औपचारिक बात चीत के बाद चाय पीते पीते मैंने कहा- रवि यार, उस दिन के लिए सॉरी, मैं नशे में न जाने क्या कह गई, हालांकि मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी, गलती से मुँह से निकल गया। सॉरी यार।
मैंने कहा तो वो बोला- उस दिन से मैं भी यही सोच रहा था, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो,, तुम पर मैं बहुत भरोसा करता हूँ, तुमसे प्यार करता हूँ। पर यार सच कहूँ, उस दिन तुमने जो भी कहा, मगर तुमने मेरे सोचने का नज़रिया ही बदल दिया है। पिछले दो दिनों में मेरे ख्यालों में तुम हमेशा बिना कपड़ों के ही आई हो। मैं बहुत कोशिश कर रहा हूँ, तुम्हारी इस इमेज को बदलने की पर नहीं। मुझे अब तुम कपड़ो में नज़र ही नहीं आती।
मैं सोचने लगी ‘हे भगवान ये मैंने क्या कर दिया। एक अच्छे भले दोस्त को खो दिया।’
मैंने रवि से पूछा- रवि, तो क्या हम अब अच्छे दोस्त नहीं रहे?
वो बोला- अच्छे दोस्त तो हम आज भी हैं, मैं आज भी तुमसे वैसे ही प्यार करता हूँ, पर ये मेरे ज़िंदगी में पहली बार हुआ है कि पिछले दो दिनों में मुझे सुमन की एक बार भी याद नहीं आई। मुझे उसके जाने का एक बार भी अफसोस नहीं हुआ। मुझे सिर्फ तुम ही तुम दिखी, और किसी तरफ मेरे ध्यान ही नहीं गया। अब तू बता मैं क्या करूँ। तुमने एक सेकंड में ही सुमन को मेरे दिल दिमाग से बाहर निकाल फेंका और खुद उसकी जगह बैठ गई।
मैंने हैरान होकर कहा- यह क्या कह रहे हो रवि, मैं तुमको अपना बहुत अच्छा दोस्त मानती हूँ।
पर रवि बोला- बेशक तुम मेरी दोस्त हो और हमेशा रहोगी, मगर आज मैं तुमसे कहना चाहता हूँ, आई लव यू शालू, तुम मुझसे प्यार करो या न करो। मैं तुमसे सारी ज़िंदगी प्यार करूंगा, शादी करूंगा, पर प्यार सिर्फ तुमसे, सिर्फ तुमसे और किसी से नहीं।
कह कर रवि चला गया और मैं बैठ कर सोचने लगी ‘यार ये क्या नया पंगा पड़ गया मेरी जान को।’
वक़्त बीतता गया, रवि का हमारे घर में आना जाना वैसे ही रहा, वही दोस्ती, वही हंसी मज़ाक। मगर अब वो पहले वाला दोस्त रवि नहीं था, अब तो वो सिर्फ मेरा दीवाना रवि था। मैंने उसको बहुत बार समझाया, मगर वो सिर्फ हर बार मुझे आई लव यू कह कर चुप करवा देता।
फिर मैंने भी सोचा कि चलो इसके दिमाग से प्यार का भूत उतारती हूँ। मैंने सोचा अगर मैं इसके प्यार को कुबूल कर लूँ, फिर देखती हूँ, ये आगे क्या करता है।
मैंने एक दिन उस से बात करते करते उसको कहा- रवि, तुम मुझसे प्यार करते हो?
वो बोला- बेहद, बहुत, बेशुमार।
मैंने कहा- तो मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ।
वो बोला- अरे वाह, क्या बात करी।
मुझे लगा था कि वो खुशी से मुझे चूम लेगा, मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया। अब प्यार का इज़हार तो कर दिया, मगर उसके बाद मेरे मन में और भी बहुत से विचार आने लगे, मैं सोचने लगी किन अब जब ये मेरा बॉयफ्रेंड बन गया है, तो इसको भी अपनी जवानी का मज़ा दूँ, मगर रवि को जैसे सिर्फ मेरे मन से ही प्यार था, मेरे तन से नहीं।
मैं धीरे धीरे उसके सामने खुलना शुरू किया, बड़ी बेफिक्री से मैं उसके सामने झुक जाती, वो सिर्फ एक बार मेरे ब्लाउज़ में या टी शर्ट में झूलते मेरे बड़े बड़े मम्मों को देखता और अपना मुँह घुमा लेता.
और कोई मर्द होता तो दूसरी बार में ही मेरे मम्मे मसल देता, मगर ये तो सिर्फ बातें ही करता, खूब बातें करता, मगर कभी उसने मुझे छुआ नहीं।
मैं इतनी बेतकल्लुफ़ होती गई कि टी शर्ट लोअर से टी शर्ट पैन्टी पे आ गई और एक दिन तो मैंने जान बूझ कर नहाते हुये उससे तौलिया मांगा, और जब वो तौलिया देने आया, तो मैंने पूरा दरवाजा खोल कर उसे अपना नंगा बदन दिखा दिया।
मगर उसने सिर्फ एक बार मेरे नंगे बदन को देखा, तौलिया पकड़ाया और वापिस चला गया।
मेरी गांड जल गई। मुझे शुरू से अपने हुस्न और जवानी पर बहुत गुरूर रहा है, और ये तो मेरे जैसे एक खूबसूरत और जवान औरत को नंगी छोड़ कर चला गया।
नहा कर कपड़े पहन कर मैं बाहर आई तो सीधा रवि के पास गई, मैंने उस से पूछा- रवि एक बात बताओ, तुम्हें कोई कमजोरी या बीमारी तो नहीं है?
वो बोला- बिल्कुल भी नहीं, एक दम फिट हूँ।
तो मैंने पूछा- तो फिर तुम एक खूबसूरत और नंगी औरत को कैसे नजरअंदाज कर सकते हो?
वो बोला- देख शालू, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हारे तन से नहीं, मन से प्यार करता हूँ। तुमने मेरा प्यार कबूल किया, मेरे लिए यही बहुत है, मुझे और तुमसे कुछ नहीं चाहिए।
मैंने कहा- मगर मुझे तो चाहिए।
वो बोला- बोलो क्या चाहिए?
मैंने कहा- ये भी बताने की ज़रूरत है, कोई बच्चा भी बता सकता है, मैं तुमसे क्या चाहती हूँ।
वो बोला- देख यार, तू अगर चाहती है कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स करूँ, तो ये मैं नहीं कर सकता, मेरे उसूलों के खिलाफ है।
मैंने खीज कर कहा- साले तू चूतिया है, और कुछ नहीं, और गांड में ले ले अपने उसूल।
और मैं उठ कर जाने लगी.
तो उसने मेरी बाजू पकड़ कर मुझे फिर से बैठा लिया- देख तू मेरी दोस्त है, मुझे जो मर्ज़ी कह, मगर यार मेरा दिल नहीं मानता, तू बात कर और मैं तेरे लिए क्या कर सकता हूँ, तेरी हर इच्छा पूरी करूंगा।
मैंने पहले कुछ सोचा और फिर बोली- मेरी एक इच्छा है, बहुत समय से, अगर तू पूरी कर सके?
वो खुश हो कर बोला- तू बोल तो सही?
मैंने कहा- ये हम दोनों के बीच ही रहे!
वो बोला- कहने की ज़रूरत है कि मुझ पर विश्वास करो।
मैंने कहा- मुझे न …
वो उत्तेजित हो कर बोला- अरे बोल साली?
मैंने कहा- मुझे न किसी तगड़े बॉडी बिल्डर से सेक्स करना है, जिसकी ज़बरदस्त मसकुलर बॉडी हो, लंबा हो, चौड़ा हो, तगड़ा हो, और जिसका मस्त बड़ा सारा लंड हो और जो सच कहूँ तो मेरी माँ चोद के रख दे।
वो पहले मेरे चेहरे को देखता रहा, फिर बोला- बस?
मैंने कहा- बस मतलब? कर सकता है ये क्या?
वो बोला- मुझे तो बहुत से बॉडी बिल्डर जानते है, पता कर लेता हूँ, किसका लंड सबसे बड़ा है।
मैंने खुश हो कर उसके गाल को चूम लिया। उसने मेरे माथे को चूमा और चला गया।
अगले हफ्ते उसका फोन आया- अरे शालू, अभी मिल सकती है क्या?
मैंने कहा- कहाँ?
वो बोला- बस घर से बाहर आ जा!
मैंने झट से कपड़े बदले और बाहर निकली। घर से थोड़ी ही दूर उसकी कार खड़ी थी मैं जाकर उसकी कार में बैठ गई।
वो बोला- बड़ा सज बन कर आई है, शादी करने जा रही है क्या?
मैंने कहा- नहीं लड़का देखने जा रही हूँ, अगर पसंद आ गया, तो सीधा सुहागरात मनाऊंगी।
वो हंस पड़ा और हम बातें करते करते एक माल के बाहर पहुंचे, गाड़ी को पार्किंग में लगा कर वो चला गया।
10 मिनट बाद वो आया, उसके साथ एक खूब हट्टा कट्टा मर्द भी था। मगर यह तो एक हब्शी था। कद करीब 6 फीट, बेहद काला और बदशक्ल, सांड जैसा लंबा चौड़ा बदन।
वो आकर कार में पीछे बैठ गया, मैं तो आगे बैठी थी।
रवि भी बैठ गया और बोला- बोल, लड़का पसंद आया?
मैंने कहा- अरे ये तो मेरे मन की बात बूझ ली तुमने, मैंने बहुत सी फिल्मों में बड़े बड़े औजारों वाले हब्शी देखे थे, तब सोचती थी कि अगर मुझे कोई हब्शी मिल जाए तो क्या हो, पर आज तो तूने मेरे दिल का अरमान पूरा कर दिया, ऊपर से तो अच्छा ही हैं, असली चीज़ तो अंदर छुपी होती है।
रवि बोला- तो जा कर पीछे बैठ और चेक कर ले।
“सच में?” मैंने पूछा.
और मैं गाड़ी से उतरी और पीछे की सीट पर बैठ गई, उसने मुझे हैलो कहा, मैंने भी उसे हैलो कहा।
मैंने उससे इंग्लिश में कहा- मेरे दोस्त ने मुझे कहा है कि आपकी पैन्ट में कुछ ऐसा छुपा है, जो मुझे डरा सकता है?
वो बोला- बिल्कुल, मेरी बहुत सी दोस्त मेरे औज़ार की मार से रो पड़ती हैं, और मुझसे हाथ जोड़ कर छोड़ने की विनती करती हैं। पर मैं कभी किसी को छोड़ता नहीं। जो मेरे पास आ गई, उसकी माँ चोद कर रख देता हूँ।
मैंने कहा- ओ के तो मुझे भी डराओ।
उसने थोड़ा सा एडजस्ट हो कर अपनी पैन्ट के हुक, बटन और ज़िप खोली और अपनी जीन्स घुटनों तक उतारी। उसकी चड्डी में ही जैसे कोई खीरा या मूली रखी हो, ऐसा लगा मुझे।
जब उसने अपनी चड्डी उतारी तो मैं सच में डर गई। करीब 8 इंच का मोटा लंड, जो एक तरफ सर फेंके सो रहा था। इतना बड़ा तो मेरे पति का पूरा खड़ा होने पर भी नहीं होता है।
मैंने पूछा- पूरा खड़ा होने पर ये कितना बड़ा हो जाता है?
वो बोला- इसे अपने हाथ में पकड़ो, इससे खेलो और खुद देख लो।
मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसको आगे पीछे करने लगी, उसका काला टोपा बाहर निकाल कर देखा। इसमें कोई शक नहीं कि उसका लंड बड़ा दमदार था। मेरे सारे बदन में बहुत हलचल हो रही थी।
थोड़ा सा खेलने के बाद मैंने उसका लंड छोड़ दिया क्योंकि वो बिल्कुल भी खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने रवि से कहा- मुझे अच्छा लगा, पर अभी घर वापिस चलो, हम फिर किसी दिन इससे मिलेंगे।
मैं गाड़ी से नीचे उतरी तो रवि भी नीचे उतरा और बोला- क्या हुआ, पसंद नहीं आया।
मैंने कहा- यार पसंद तो आया, पर साले का खड़ा ही नहीं हुआ।
कहानी जारी रहेगी.
आपके कमेन्टस के साथ
Nice story
Behtreen update
ThanksBohot hi ummdha update