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Incest दैया रे ( इनसेस्ट लघुकथा)

Siraj Patel

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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Tiger 786

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कहानी का अगला भाग 👎
मुझे ११" लौडे ने🦴कैसे पेल दिया:-
मगर सच यह था कि मैं उसके लंड को सिर्फ छू कर ही इतनी गर्म हो चुकी थी कि मेरा अभी सेक्स करने को दिल कर रहा था, मगर अभी करती तो कैसे करती।
रवि बोला- अरे जादू है क्या, जब तुम इससे प्यार करोगी, तो अपने आप खड़ा होगा, फिर देखना।
उसके बाद रवि ने मुझे काफी समझाया.

रवि की बातें सुन कर कहा- यार, मैं मरी जा रही हूँ, मेरा अभी इस से सेक्स करने को दिल कर रहा है। प्लीज मेरी मदद करो।
रवि बोला- मैं जानता था, तू इसका लंड देख कर तड़प उठेगी, मैंने होटल में रूम बुक किया है, वहाँ चलते हैं, और तुम अपना पूर एंजॉय करना!
मैंने कहा- यार, मैं इसका चूस लूँ, मुझे सब्र नहीं हो रहा!
वो बोला- उसने तो पहले ही कहा है, जा चूस ले।

मैं फिर से कार में पीछे जा बैठी। वो अब भी अपना लंड बाहर निकाले बैठा था। मैंने उसका लंड फिर से अपने हाथ में पकड़ा तो उसने मेरे सर पकड़ कर नीचे को दबाया, मैंने अपना मुँह खोला और उसका लौडा मुंह में ले लिया । उसने भी अपने एक हाथ में मेरा मम्मा पकड़ा और धीरे धीरे दबाने लगा।

क्या मज़ा आया, इतना मोटा और लंबा लंड, जैसे कोई सपना हो। जैसे जैसे मैं चूसती गई, उसका लंड अकड़ता गया। और 2 मिनट बाद तो जैसे मेरे होंठ फट जाने की नौबत आ गई हो, इतना मोटा था कि मेरे मुँह में नहीं आ रहा था, और लंबाई तो करीब 11 इंच की होगी।

रवि ने कार स्टार्ट की और हम चल पड़े, मैं भी उसका लंड छोड़ कर ठीक ठाक हो कर बैठ गई।
उस हब्शी ने मेरे गाल को छूकर कहा- क्या हम कुछ करने जा रहे हैं?
मैंने कहा- हाँ, हम एक होटल में जा रहे हैं। तुम्हारा नाम क्या है।
वो बोला- मेरा नाम रिचर्ड है, और तुम्हारा?
मैंने कहा- शालू

कुछ देर बाद ही हम एक होटल के बाहर रुके। हम तीनों गाड़ी से उतर कर होटल के अंदर गए और फिर एक रूम में पहुंचे। पहले से ही एसी चल रहा था। कमरा ठीक ठाक सा ही था।

अंदर घुसते ही रिचर्ड ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और लेजा कर बेड पर लेटा दिया, और अपने कपड़े उतारने लगा। एक मिनट में हो वो बिल्कुल नंगा हो गया।
क्या शानदार जिस्म का मालिक था वो। मैं तो उसे देखती ही रह गई। चौड़े कंधे, भरा हुआ सीना, मोटे बाजू, बिल्कुल पतली कमर, छोटा सा पेट, और नीचे मोटी मोटी जांघें और उन दो जांघों के बीच में झूलता उसका लंबा काला लंड।

मैं उठ गई और उठ कर उसके पास आई, मैंने उसके जिस्म पर हाथ फेरा, हर एक मसल बड़ी मेहनत से कसरत कर कर के बनाया हुआ, पत्थर जैसा सीना। मजबूत पट्ठे, जिन्हें मैंने छुआ तो लगा जैसे किसी लोहे को छू रही हूँ।

मैंने उसे कहा- रिच, तुम्हारा जिस्म बहुत खूबसूरत है।
वो बोला- तुम्हारा जिस्म भी बहुत खूबसूरत है।
मैंने हंस कर मज़ाक करते हुये कहा- और तुम्हारा लंड ये तो बहुत ही ज़बरदस्त है.
मैंने उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ा और धीरे धीरे से सहलाया। उसके लंड में तनाव बढ़ने लगा। कार में तो मैंने उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूस कर खड़ा किया था, मगर इस बार मुझे उसका लंड चूस कर खड़ा करने की ज़रूरत नहीं पड़ी, वो अपने आप ही पूरा खड़ा हो गया।

रिचर्ड ने खुद आगे बढ़ कर मेरी शर्ट उतारी, मेरी ब्रा की हुक खोली, जिसे मैंने उतार दिया, और फिर उसने मेरी पैन्ट और चड्डी भी उतार दी। मैं पूरी तरह से बेशर्म हुई, बिना इस बात की परवाह किए कि मेरा और मेरे पति का सबसे अच्छा दोस्त रवि भी वहीं खड़ा मुझे देख रहा है, मैं रिचर्ड से लिपट गई।

सबसे पहले हमे एक दूसरे को चूमा, खूब सारे एक दूसरे के होंठ चूसे, रिचर्ड तो मेरे गोरे गाल, गुलाबी होंठ सब चूस गया, मैंने भी उसके चेहरे की बदशक्ली की परवाह किए बिना उसका चेहरा चूमा भी और चाटा भी। मुझे बांहों में कसे हुये वो खड़ा था और उसका मोटा, काला लंबा लंड मेरे कलेजे तक लगा हुआ था।

मैंने एक बार नीचे देखा, उसका लंड बिल्कुल मेरे बूब्स के बराबर आ रहा था। मैंने कहा- रिचर्ड, जब तुम इसे अंदर डालोगे, तो क्या अंदर से भी ये यहाँ तक आ जाएगा?
वो बोला- हाँ बेबी, ये तुम्हारे फेफड़ों तक आ जाएगा।
मैं तो चीख पड़ी- हाय, मैं तो मर जाऊँगी।
वो बोला- डरो मत, मेरे इस लंड को एक 18 साल की लड़की पूरा अपने अंदर ले चुकी है, मेरी गर्ल फ्रेंड की तो मैं गांड भी मारता हूँ, तुम्हें कुछ नहीं होगा, डरो मत मज़े लो।

मगर डर तो मेरे अंदर बैठ गया था। मैं सोचने लगी अगर ये मेरी गांड मारे तो मेरी चूत गांड फट कर सब एक हो जाए!
पर फिर भी।

रिचर्ड ने मुझे बेड पे लेटाया और पहले मेरे सारे नंगे बदन पर अपना हाथ फेर कर मुझे छू कर देखा।
“बहुत मुलायम बदन है तुम्हारा!” वो बोला।
मैं मुस्कुरा दी- थैंक्स, रिच।

उसने मेरे दोनों बूब्स अपने हाथों में हल्के से पकड़े और दोनों निपल्स को चूस कर देखा। गोरे गुलाबी चूचुकों को बेहद काले, मोटे और भद्दे से होंठों से चूसा उसने, मगर मुझे उसके मोटे मोटे होंठों में अपने छोटे छोटे निप्पल चुसवा का बड़ा मज़ा आया।

मेरे पति तो अक्सर काट लेते हैं, मगर इसने तो दाँत लगने ही नहीं दिये, बड़ी परफेकशन से मेरे मम्मे चूसे भी और दबाये भी। हर काम बड़े आराम से। मेरे मम्मे चूसने के बाद उसने, मेरे कंधे, बाजू, और हाथ भी चूमे, मेरी बगलों को सहलाया, चूमा। मुझे बहुत गुदगुदी हुई।
फिर मेरे पेट को भी चूमा, मेरी नाभि से नीचे मेरे पेडू को अपनी खुरदुरी जीभ से चाटा और कमर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक चाटा, मेरी जांघों को सहलाया।

वो बड़े प्यार से मेरे गोरे बदन के हर हिस्से को छू कर सहला कर देख रहा था। उसे मुझे छू कर मज़ा आ रहा था और मुझे इस तरह सहलाए जाने से मज़ा आ रहा था।
एक बात है कि पर पुरुष के स्पर्श में ही जादू होता है। अपना पति कितना भी बदन को सहलाए, वो मज़ा नहीं आता जो किसी पर पुरुष के छूने से आता है।
इस कहानी को पढ़ने वाले मर्द भी मेरी इस बात से सहमत होंगे कि उनकी पत्नी की छूने और किसी पराई औरत के छू जाने बहुत फर्क होता है। दूसरे हाथ से छूने का रोमांच ही कुछ और होता है।
फिर उसने मेरे दोनों घुटने पकड़ कर ऊपर को मोड़े तो मैंने भी अपनी टाँगें पूरी तरह से उसके आगे खोल दी। मेरी चिकनी गुलाबी चूत को उसने बड़े प्यार से देखा, फिर अपने हाथ की उंगली से मेरी भग्नासा को छेड़ा, अपने हाथ से मेरी चूत की फांक खोली तो अंदर से गुलाबी चूत उसके सामने खुल गई।

मेरी तरफ देख कर उसने पूछा- मैं इसे चाट सकता हूँ?
मैं कहाँ मना करने वाली थी, दरअसल अब तो मैं मना करने की हालत में ही नहीं थी; मैंने हाँ में सर हिला दिया।

वो बेड पर थोड़ा पीछे को हट कर बैठ गया, झुक कर उसने पहले मेरी चूत और उसके आस सब जगह चूमा। फिर मेरी भग्नासा को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा। क्या लाजवाब स्वाद आया, अपने मुँह के अंदर ही जब उसने मेरी भग्नासा को अपनी जीभ से चाटा, और फिर उसने अपनी जीभ से मेरी चूत के सुराख को चाटा।
यह फीलिंग तो आउट ऑफ दिस वर्ल्ड थी। कितनी गुदगुदी, कितनी झुरझुरी सी हुई, उसकी जीभ के चाटने से!

मैंने उसका सर पकड़ लिया, उसने भी मेरे दोनों कूल्हे पकड़ लिए और पूरी से तरह से अपना मुँह मेरी दोनों जांघों के बीच में घुसा दिया और अपनी जीभ को मेरी चूत के दाने पे रगड़ने लगा। मेरी चूत तो मेरे पति भी चाटते हैं, और मैंने कुछ और लोगों से भी अपनी चूत चटवाई है, मगर इस हब्शी का चूत चाटना तो ऐसे था, जैसे कोई एक्सपर्ट हो, और अपने काम को बखूबी जानता हो।

नीचे से लेकर ऊपर तक, बाहर से लेकर तक अंदर जहां तक भी उसकी जीभ जा रही थी, वो मेरी चूत को चाट रहा था, और मैं बेड पे टाँगें फैलाये, उसका गंजा सर अपने हाथों में पकड़े बस- ऑफ, ऊँह, हुम्म आह…” ही कर पा रही थी।

बड़े ही लाजवाब तरीके से उसने मेरी चूत चाटी, बेशक मुझे बहुत ज़्यादा उत्तेजित किया, तड़पा डाला मुझे, मगर मुझे झड़ने नहीं दिया, जब भी मेरी तड़प बढ़ती, उसे पता लग जाता कि ये झड़ने वाली है, तो वो मेरी चूत चाटना छोड़ कर मेरी जांघों, कमर पेट पर किसिंग करना शुरू कर देता।
मैं तड़प रही थी, और वो जानता था कि मुझे कैसे और तड़पाना है।

जब मुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ, तो मैंने उसे कहा- रिची, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा, मेरे ऊपर आओ, और चोदो मुझे।
वो शायद मेरी इसी बात का इंतज़ार कर रहा था। वो उठ कर मेरे ऊपर आया, उसका गधे जैसा लंबा लंड हवा में झूल रहा था। मुझे बेशक उसके लंड का आकार देख कर डर लग रहा था, पर मैं अब इसके लिए तैयार थी, मैंने सोचा कि अगर इसने ये पूरा लंड मेरे अंदर डाल दिया तो क्या होगा, मैं मर जाऊँगी, कोई परवाह नहीं अपने मन की इच्छा पूरी हो जाए बस, अगर मरना भी पड़ा तो कोई गम नहीं।

रिचर्ड ने मुझे कहा- मेरा लंड पकड़ो और अपनी चूत पर रखो।
मैंने उसका शानदार 11 इंच लंबा लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसका टोपा अपनी चूत पर रखा।
“डालूँ?” उसने पूछा.
मैंने कहा- अब पूछो मत, बस चढ़ जाओ मेरे पे!

उसने हल्का सा ज़ोर लगाया और उसके लंड का टोपा मेरी चूत में ऐसे घुस गया कि पता ही नहीं चला। मगर उसका लंड अगर लंबा था तो मोटा भी था, मुझे उसका आधे से भी कम लंड लेकर ऐसा लगा जैसे मेरी संतुष्टि हो गई है। मगर रिचर्ड की संतुष्टि कब और कैसे होगी यह मुझे पता नहीं था, हाँ पर इतना मुझे लग रहा था के अगर ये लंबी पारी खेला, जैसा कि उसके मजबूत कसरती बदन को देख कर लग रहा था, मुझे मन में डर भी लग रहा था कि मेरी माँ चुदेगी आज फिर तो।

रिचर्ड ने थोड़ा सा और ज़ोर लगा कर अपना लंड और मेरी चूत में धकेलने की कोशिश की, मैंने उसके पेट पर हाथ रख कर उसे रोकने की कोशिश की। उसके पेट पे बनने वाले उसके सिक्स पैक एब्स भी बहुत सख्त थे।

मगर उस जानदार सांड के आगे मैं क्या कर सकती थी, मेरे रोकते रोकते उसने अपना थोड़ा सा लंड और मेरी चूत में घुसा दिया। मेरे मुँह से तो हल्की सी चीख ही निकल गई ‘आ…ह!
मेरी चीख सुनते ही रवि उठ कर आ गया.
“क्या हुआ शालू?” वो बोला। चिंता और डर उसके चेहरे पर भी दिख रहा था।

मैंने उसकी ओर देखा और बोली- कुछ नहीं, यार, बहुत बड़ा लंड है इसका तो! मैंने इतना बड़ा तो नहीं सोचा था। ये तो मुझे अंदर तक फाड़ देगा।
रवि बोला- तुझे ही आग लगी थी साली हब्शी का लंड लेने की, अब ले मज़े।

मैंने उसकी और गुस्से से देखा कि मेरी हालत पर वो मज़े ले रहा है।

वो बोला- अगर दर्द ज़्यादा हो रहा है, तो बोलूँ इसे, निकाल लेगा।
मैंने कहा- नहीं, अब इतनी दूर आ गई हूँ, तो मंज़िल तक पहुँच कर ही दम लूँगी।
रवि जाकर फिर से सोफ़े पर बैठ गया।

रिचर्ड बोला- और डालूँ या बस?
मैंने सोचा, इसका लंड एक 18 साल की लडकी ले सकती है तो मैं क्यों नहीं … मैंने कहा- नहीं, बस धीरे धीरे करो, मैंने आज पहली बार इतना बड़ा लंड लिया है।
रिचर्ड बोला- लिया क्यों है, तुमने तो देखा भी पहली बार होगा। इंडियन मर्दों के 5-6 इंच से ज़्यादा बड़ा होता ही नहीं।
मैंने कहा- हाँ, पर तुम आराम से करो, मुझे दर्द नहीं मज़ा चाहिए।
वो बोला- तो थोड़ा थोड़ा दर्द और साथ में थोड़ा थोड़ा मज़ा।

उसने और ज़ोर लगाया और अपना और लंड मेरी चूत में घुसेड़ा। मैंने सोचा नहीं था कि मैं इतना बड़ा लंड ले भी पाऊँगी, या नहीं, मगर वो ज़ोर लगता गया, और मैं ‘ऊह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ़्फ़… ऊई…हाय…” करती करती उसका करीब करीब सारा लंड ले गई।

जब उसका करीब सारा लंड मेरे अंदर घुस गया तो रिचर्ड बोला- देखो, तुम डर रही थी, देखो सारा अंदर घुस गया।
मैंने रवि को बुलाया- अरे रवि देख यार!
मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था, बेशक मुझे लग रहा था, जैसे मेरे पेट के अंदर तक कोई चीज़ घुसी पड़ी है। मैं पूरी तरह से उठ कर नहीं बैठ पा रही थी, मगर फिर भी मैंने देखा कि मेरी चूत के साथ उसकी कमर आ लगी थी, और उसका लंड मुझे दिखाई नहीं दे रहा था।

रवि भी पास आया और देख कर बोला- तेरी माँ की, साली तू तो सारा गटक गई, कमीनी!
मैं बड़ी शांत सी हो कर लेट गई, मेरे चेहरे पर संतोष था।

फिर रिचर्ड ने चुदाई शुरू की। उसने थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर से अंदर डाला। फिर थोड़ा और ज़्यादा बाहर निकाला और फिर और ज़्यादा अंदर डाला। आधा बाहर निकाला और फिर पूरा अंदर डाला। मुझे लगा जैसे मेरी चूत से लेकर मेरे सीने तक कोई लकड़ी का डंडा मेरे अंदर बाहर हो रहा है।

रिचर्ड ने फिर एक बार अपना पूरा लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, कितना आराम मिला मुझे, जैसे मेरे पेट में कुछ भी न हो, बिल्कुल खाली हो। फिर रिची ने अपना लंड मेरे अंदर डाला, तो मैं फिर से पेट में भारीपन महसूस किया।
उसके बाद रिचर्ड ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में नहीं डाला, सिर्फ आधे के करीब लंड को ही वो अंदर बाहर कर रहा था, और मुझे भी इसी से मज़ा आ गया। उसके लंड का सख्त टोपा मेरी चूत के अंदर पूरी तरह रगड़ खा कर जा रहा था और इस मेरे बदन में जैसे बिजली का करंट दौड़ रहा था।

5 मिनट की चुदाई ने मुझे झाड़ दिया, मेरी चूत ने भर भर के पानी छोड़ा। और जब मैं झड़ी तो मैंने रिचर्ड के काले मोटे होंठों से अपने गुलाबी होंठ लगा कर उसकी जीभ तक चूस डाली।
रिचर्ड बोला- हो गया तुम्हारा?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- हाँ, हो गया, अब तुम भी कर लो।

वो बोला- मैं तो सुबह तक न पानी गिराऊँ।
मैंने कहाँ- वो कैसे?
वो बोला- मेरा होता ही नहीं है, अगर हो भी गया, तो मेरा लंड ढीला नहीं होता, मैं एक बार चोदने के बाद फिर से तैयार हो जाता हूँ, दूसरी चुदाई के लिए।
मैंने कहा- ये भगवान, तुम आदमी हो या हैवान?
वो मेरे निप्पल को मसल कर बोला- शैतान!
और हम दोनों हंस दिये।

मेरी एक बार में ही तसल्ली हो चुकी थी, मगर रिचर्ड अब भी धीरे धीरे लगा हुआ था। पहले मैं चुपचाप लेटी उसके झड़ने का या थकने का इंतज़ार कर रही थी। मगर अब जब एक शानदार मर्द आपके ऊपर हो, जो कभी आपके मम्मे मसले, कभी चूसे, कभी होंठ चूसे, कभी गाल चाटे और एक असाधारण आकार का लंड आपकी चूत में हो, और आपको पता हो कि दोबारा शायद आपको ये मौका न मिले, तो जो भी मज़ा आपको मिल रहा है, बस आज ही है, कल नहीं। तो आप भी कितनी देर तक शांत रह सकती हो।

बस थोड़ी ही देर में मैं फिर से गीली होने लगी। उसके शानदार लंड ने मुझे फिर से उत्तेजित करना शुरू कर दिया। मैंने फिर से उसके सीने को सहलाना, उसके कंधों और बाजुओं पर अपने नाखून गड़ाना शुरू कर दिये।
वो जान गया कि मैं फिर से गर्म हो चुकी हूँ, वो बोला- अपने आप लेकर देखो, कितना ले सकती हो।
मैंने कहा- क्यों नहीं।
वो मेरे से नीचे उतरा और बेड पे लेट गया।

मैं उठ कर उसकी कमर पर जा बैठी और उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और रवि की और देखती हुये अपनी चूत में ले लिया।
रवि भी मेरी तरफ देख रहा था।
मैंने रवि से कहा- रवि, इधर आना!

वो उठ कर मेरे पास आया।
मैंने उसे कस कर अपने गले से लगा लिया- तुम दुनिया के सबसे अच्छे दोस्त हो।
वो हंसा, और मेरे सर के बालों को बिखरा कर बोला- चल चल काम कर!
मैंने हैरान होकर उसकी ओर देखा।
वो बोला- अरे जो काम कर रही है, वो कर!
और वो फिर से सोफ़े पर जा कर बैठ गया।

मैंने कोशिश की मगर मैं उसका पूरा लंड अपने अंदर नहीं ले सकी। कुछ देर और उसी पोज में मैंने चुदाई की मगर मुझे ठीक नहीं लगा, दर्द सा हो रहा था, तो मैंने नीचे उतरना ही मुनासिब समझा।
मैं नीचे उतरी तो रिचर्ड ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे से आकर अपने लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया और बड़ी मजबूती से मेरे दोनों कंधे पकड़ लिए।

उसके बाद उसने वो मशीन चलाई चुदाई की के मेरे होश उड़ गए। इतनी निरंतरता थी उसकी चुदाई में, कितनी ताकत थी। मुझे तो ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे बहुत बड़े वाइब्रेटर पर बैठा दिया हो। मेरे मुँह से ऊहह … आह … जैसे शब्द निकलना भी बंद हो गया। मैं तो बस आ… आ… आ… आ… आ… आ…” कर रही थी और मेरा बदन धड़ धड़ धड़ धड़ हिल रहा था। ज़ोर उसका लग रहा था, पर थक मैं गई।

इतनी तेज़ चुदाई तो मेरी ज़िंदगी में कभी नहीं हुई, 3 मिनट से भी कम समय में मैं फिर से झड़ गई। और उसके बाद तो हर 3-4 मिनट के बाद मेरे 2-3 और स्खलन हो गए। मुझे लगा आज मैं पक्का मर जाऊँगी। यह दैत्य तो मुझे चोद चोद कर ही मार डालेगा।

मैंने अपना हाथ उठा उठा कर उसे एक दो बार रुकने का इशारा भी किया, मगर वो नहीं रुका, उसी स्पीड से वो मुझे चोदता रहा। अब तो मेरे झड़ना भी रुक गया, चूत ने पानी छोडना बंद कर दिया, जिसके चूत अंदर तक खुश्क हो गई, और इसी वजह से मेरी चूत में लंड की रवानगी, पहले तो मुश्किल, फिर दर्द भरी हो गई। साले ने अंदर छील कर रख दिया। मुझे याद नहीं उसने मुझे कितनी देर चोदा। मैं तो जैसे नीम बेहोशी में चली गई। मेरे साथ क्या हो रहा है, मैं कहाँ हूँ, मुझे सब भूल गया, मुझे कुछ चाहिए था, तो इस हालत से छुटकारा।

फिर रिचर्ड ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला तो मैं इस्तेमाल किए हुये कोंडोम की तरह बेड पे गिर गई। ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी बच्चे को जन्म दिया है। अंदर बाहर हर तरफ से मेरी चूत दर्द कर रही थी और मेरे जिस्म को तो जैसे उसने निचोड़ कर रख दिया था।
ताकतवर आदमी से चुदने के लिए औरत को भी ताकतवर होना चाहिए।
मैं कितनी देर लेटी रही।

रिचर्ड उठा और बाथरूम में जाकर नहाने लगा।
रवि उठ कर मेरे पास आया, मुझसे पूछा- शालू ठीक हो तुम?
मैंने कहा- रवि, मैं घर जाना चाहती हूँ।

उसने मुझे उठाया, मेरे बदन को साफ किया, मेरी चूत को भी नैपकिन से पौंछा, मैं उसे ही देख रही थी, कितना प्यार करता है, रवि मुझसे, कितनी केयर करता है। मुझे अच्छी तरह से पौंछ कर उसने खुद मुझे कपड़े पहनाए, मेरी ब्रा लगाई, पैन्टी पहनाई और मुझे पूरी तरह से कपड़े पहना कर मेरे बैग से ब्रुश निकाल कर मेरे बाल बनाए। मेरे होंठों पर लिपस्टिक लगाई और मेरे पाँव में सेंडिल पहनाई।

मुझे पूरी तरह से रेडी करके वो सहारा देकर मुझे नीचे गाड़ी तक लाया। मुझे गाड़ी में बैठा कर वो गाड़ी चलाने लगा।
मैंने रवि से पूछा- रवि, मैंने तो चलो अपने दिल की इच्छा पूरी की, एक हब्शी से सेक्स करके… तुम्हें क्या मिला।
वो बोला- मुझे एक सुकून मिला कि मैं अपनी दोस्त के किसी काम आ सका, उसके दिल की एक इच्छा पूरी कर पाया।
मैंने पूछा- इतना प्यार करते हो मुझसे?
वो बोला- इस से भी ज़्यादा।

मैंने कहा- अगर इतना ही प्यार करते हो तो तुमने मुझसे सेक्स क्यों नहीं किया, मुझे हासिल कर सकते थे, मैं इंकार भी नहीं करती।
वो बोला- तुमने इतना कह दिया, समझो मैंने सब कर लिया!
मैं हल्की सी हंसी हंस कर बोली- इतने पागल हो मेरे लिए!
वो बोला- पागल नहीं दीवाना … दीवाना हूँ तुम्हारा, जो भी तुम कहोगी, मैं तुम्हारे लिए करूंगा। तुम वैसे भी मेरी ही हो। शादी किसी और कर ली तो क्या, सेक्स किसी और कर लिया तो क्या, मैं जब चाहूँ तुम्हारा जिस्म हासिल कर सकता हूँ, क्योंकि तुम्हारा मन मेरे पास है।

मैंने कहा- तुम जैसा आशिक भी कभी कभी ही पैदा होता है।
वो मुस्कुरा दिया और गाड़ी को घर की तरफ मोड़ दिया।
कहानी कैसी है राय़ बताना न भूलें
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कुछ पुरानी यादें जो मेरी चुदक्कड मम्मी की गर्म जवानी का सबूत थी

एक दिन मेरी माँ और उनकी सहेली ममता शुक्ला, सीमा ओर रीमा आँटी हमारे घर आई हुई थी और चारों की किटी पार्टी और बातें चल रही थी। मैं घर में ही थी और इनकी बातें मैं चुपके से सुन रही थी
ममता आँटी बोली मेरी माँ से- और सुनीता तेरी जवानी कैसी कट रही है?
तो मेरी माँ बोली- उंगली के सहारे! ओर सभी जोर जोर से हंसने लगी.

तभी सीमा आँटी बोली- यार सभी का यही हाल है, 35 के बाद सभी के पति बूढा जाते हैं और हम औरतों की सारी जवानी इस उम्र के बाद रंग देती है जिसे चखने के लिए कोई इन्सान या जानवर ही नहीं है।
रीमा आँटी बोली- जरूरी है घर का जानवर ही चखे? जंगल में भूखे भेड़ियों की कमी नहीं है, बस इशारा करो, नोच नोच के खाएंगे!
और सभी एक दूसरे की ओर शरारत से देख कर हंसने लगी और बाहर के मर्दों की बातें करने लगी जैसे; यार वो ठाकुर भी साहिब की क्या परसनेलिटी है, उनकी बीवी तो हाथ जोड़ती होगी. काश हम में से किसी का पति भी ऐसा ही जानदार होता तो सब मिल बंट के खाती!
और फिर हंसने लगी.

तभी ममता आँटी बोली- यार तुम में से कोई मेरे दर्जी से कभी ब्लाउज़ या सूट सिलवाने गयी हैं?
तो सब बोली- नहीं, क्यों?
तो आँटी बोली- साला बहुत ठर्की है नाप लेने के बहाने चूचे दबाता है।
रीमा आँटी बोली- अहह काश मेरे कोई दबा जाए।

ओर सब फिर से हंसने लगी और मेरी माँ ने शायद इस बात को अपने मन में बैठा लिया तो उनके जाने के बाद दूसरे दिन मेरी माँ बोली- बेटी आज मुझे वो ममता आँटी का जो दर्ज़ी है वहाँ ले चल, मुझे एक नया ब्लाउज़ सिलवाना है।
मैने कहा- चलो!

माँ तैयार होने लगी और जब बाहर निकली तो मै देखती ही रह गयी कि ये ब्लाउज़ सिलवाने जा रही है या सुहागरात मनाने जा रही है। माँ ने ब्लैक साड़ी एकदम ओपन ब्लाउज़ जो कि सिर्फ नाम के लिए था जिसमें से उसके आधे चूचे बाहर आने को उतावले हो रहे थे पीछे से भी बैकलेस; गोरी, नंगी, दमकती पीठ; आगे भी नाभि का हिस्सा पूरा खुला हुआ और नाभि की गहराई इतनी कि लंड चला जाये; नीचे हील्स जिससे उसकी गांड सूमो पहलवान सी हिल रही थी।
माँ मटक कर चलती हुई आई और मेरे साथ कार में बैठ गयी। मैंने कार स्टार्ट की उसे लेकर दर्ज़ी की दुकान पर पहुंची

दर्ज़ी का नाम रहमत था जो दिखने में लगभग 6 फ़ीट लंबा और तगड़ा किसी कसाई से दिख रहा था, उसने पठानी ड्रेस पहनी हुई थी। बड़ी बड़ी दाढ़ी, काला रंग… मेरी माँ को देखते ही रहमत की आंखों में मानो चमक आ गयी.
माँ ने रहमत को बोला- नमस्ते भाई साहिब।
रहमत बोला- आओ मोहतरमा, खुशामदीद, कहिए मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ?

मैं भी वही खडि थी, माँ बोली- आपकी कारीगरी की बड़ी तारीफ सुनी है, तो मैंने सोचा इस बार मैं अपनी नई साड़ी के लिए आपसे अपने ब्लाउज़ सिलवा कर देखूँ।
मेरी माँ के चूचों को घूरते हुए रहमत बोला- जहे नसीब, आपने जो इस खाकसार को इस काबिल समझा, आप हुकुम करें कैसा डिजाइन पसंद करेंगी आप?
मैंने देखा उसके पाजामे में हिलता उसका हथियार सनसना रहा था और शायद ये बात मेरी माँ भी ताड़ चुकी थी पर वो तो आयी ही इसीलिए थी, ब्लाउज़ तो बस एक बहाना था, उसे अपनी जवानी के रसदार फल को किसी तगड़े मर्द से निचोड़वाना था और शायद रहमत की कद काठी को देख कर मेरी माँ समझ चुकी थी कि अगर हुई तो आज उसकी चुदाई बहुत तसल्ली से होने वाली है.

मैंने देखा माँ ने अपना पल्लू सेट करते हुये हल्का सा सरका दिया था जिससे रहमत अच्छे से उसके चूचो को देख कर अपनी निगाहों से उनका रसपान कर सके।

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शायद ये कोई इशारा था, जो माँ ने रहमत को किया, पल्लू सेट करते हुये उसे अपने चूचे दिखा कर और रहमत भी समझ गया, रहमत ने भी अपने हाथ उसके लंड को सहला कर जैसे माँ को इशारे में जवाब दे रहा था।

उसकी हवस भारी नज़रें मेरी माँ के मदमस्त रसीले बदन पर थी और माँ बेशर्म होकर अपनी बेटी के सामने अपनी मखमली जवानी का प्रदर्शन कर रही थी एक गैर मर्द के सामने!

तभी माँ बोली- मुझे ममता ने भेजा है और मुझे वैसा ही ब्लाउज़ सिलवाना है जैसा तुमने उसका सिला है।
तो रहमत मुस्कुरा कर बोला- अच्छा आप ममता की फ्रेंड हो तो फिर तो अंदर आ जाओ, अंदर ट्राई रूम में मैं आपको कुछ नए डिजाइन भी दिखा दूँगा और आपका नाप भी ले लेता हूं अच्छे से!
और माँ अंदर जाने लगी.

तो जैसे ही मैं माँ के साथ जाने के लिए आगे बढी तो रहमत बोला- बेटा आप बाहर ही इंतज़ार करो,
मैं चुप करके बाहर ही खडी रह गयी
माँ भी बोली- बेटी तुम यहीं रुको.
और वो दोनों अंदर चले गए।

मैं भी समझ गयी आज माँ की जम के चुदाई होने वाली है। मैंने सोचा कि क्यों न माँ की चुदाई का लाइव शो देख जाये।
तो मैं उस ड्रेसिंग रूम के अंदर देखने की जगह ढूंढने लगी मुझे एक छोटी सी खिड़की दिखी जिससे अंदर का साफ साफ दिख रहा था, मैं उस खिड़की के पास खड़ा हो कर अंदर देखने लगी।

माँ खड़ी थी ओर रहमत इंची टेप लेकर उनके पास आया- हां जी मैडम, तो कैसा ब्लाउज़ सिलवाना चाहेंगी आप?
माँ ने कहा- आप कुछ डिजाइन दिखाओ?
तो रहमत ने माँ को एक एल्बम दी जिसमें बहुत से डिजाइन थे, मुझे तो नहीं दिखे पर माँ ने एक डिजाइन पसंद करके रहमत को दिखाया।
रहमत बोला- बिल्कुल बनेगा मैडम, आप बस अपना नाप मुझे ले लेने दो।

रहमत ने पहले माँ के एक कंधे से दूसरे कंधे तक का नाप लिया और अपनी डायरी में लिख लिया। फिर उसने माँ की बाजू ऊपर उठा कर बगल से पेट के ऊपर तक का नाप लिया, फिर पीठ का नाप लिया।
जब पीठ का नाप ले रहा था तो माँ बोली- मैं हमेशा बैकलेस ही पहनती हूँ, तो पेट पे कम से कम कपड़ा लगाना, हो सके तो सिर्फ कोई सुनहरी डोरी या ऐसा कुछ ही लगाना।
रहमत ने किसी बहुत ही आज्ञाकार बच्चे की तरह हाँ में सर हिलाया, मगर उसकी आँखों में वासना फूट रही थी।

फिर उसने सामने आकर इंची टेप से पहले माँ के एक चूचे का और फिर दूसरे चूचे का नाप लिया।
“मैडम जी” रहमत बोला- अगर पीछे से बैकलेस रखना है तो सामने पैड लगाने पड़ेंगे, क्योंकि बैकलेस में ब्रा तो आप पहन नहीं सकती।

बेशक माँ को भी ये बात पता थी, पर माँ उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दी, बोली- हाँ, बैकलेस में ब्रा तो पहनी नहीं जाती, आप मेरे इस ब्लाउज़ में ही ब्रा बना देना।
तभी रहमत बोला- मैडम जी, अगर अंदरूनी ब्रा बनानी है तो प्लीज़ पल्लू को हटा दो, इसके साथ साइज सही नहीं आ रहा।
तो माँ ने बिना कुछ बोले पल्लू हटा दिया.

माँ का पल्लू हटते ही रहमत की आंखें बड़ी हो गई, वो माँ के चुचों को घूरने लगा और माँ का चेहरा गुलाबी पड़ने लगा, पता नहीं शर्म से या माँ की बढ़ रही कामुकता से।
माँ के 75% चुचे खुल चुके थे.

रहमत ने माँ को पलट दिया, उनकी पीठ को देखते ही रहमत का लंड खड़ा हो गया और वो अपने लंड को मसलने लगा. माँ ये नहीं देख पा रही थी, उसका मुँह दूसरी ओर था रहमत का लंड करीब 8 इंच का होगा. ऐसा ऊपर से किसी मूसल सा दिख रहा था.
रहमत बोला- मैडम, आपको फिटिंग कैसी चाहिए टाइट या लूज़?
तो मम्मी बोली- टाइट… ऐसा लगे जैसे बॉडी पे पेंट किया हुआ हो।
तो रहमत बोला- फिर आपको अपना ब्लाउज़ उतारना होगा.

तो मम्मी ऊपर मन से थोड़ा सा गुस्सा दिखती हुई बोली- पागल हो? नहीं ऐसे ही लो!
तो रहमत बोला- बुरा मन मानिए मैडम, दरअसल ब्रा वाला ब्लाउज़ सिलने के लिए आपके बदन के इन हिस्सों का मुझे बिल्कुल सही नाप चाहिए, तभी आपको सही फिटिंग आएगी। ममता मैडम ने भी उतारा था, तभी उसकी फिटिंग हुई, आप चाहो तो फोन करके ममता मैडम से पूछ लो।
माँ बोली- नहीं, कोई ज़रूरत नहीं पूछने की, वैसे भी कहते हैं अपने टेलर, वकील और डॉक्टर से कुछ नहीं छिपाते, उतार देती हूँ पर तुम किसी को बोलना मत!

और माँ ने अपने ब्लाउज़ की डोरी खोली और उतार दिया। अब क्योंकि माँ पहले ही बैकलेस ब्लाउज़ पहन कर आई थी, तो नीचे से ब्रा तो पहना ही नहीं था, सो ब्लाउज़ उतरते ही माँ टॉपलेस हो गई और माँ के गोरे गोल मम्मे आज़ाद हो गए जिन्हें देख कर रहमत बोला- माशाअल्लाह क्या जिस्म है… काश आप हमारे होते!
और चुप हो गया.

तो मम्मी बोली- तो क्या करते?
वो बोला- कुछ नहीं!
मम्मी बोली- बता दो?
तो रहमत मेरी माँ के मखमली चुचों को अपनी मजबूत हथेलियों में भरते हुए बोला- इन्हें निचोड़ कर इनका सारा रस पी जाता!

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दर्जी और मम्मी

रहमत के मजबूत हाथों में मेरी माँ के चुचे आते ही माँ की सिसकारी निकल गयी- अहह महः क्या कर रहे हो?
तो रहमत बोला- जो करवाने तुम यहां आयी हो।
मम्मी बोली- मतलब?
तो रहमत बोला- अब ज्यादा बनो मत, तुम्हारी फ्रेंड ममता के जितने ब्लाउज़ सिले हैं उससे ज्यादा उसकी चुदाई की है।
माँ बोली- हम्म… तो आज मेरी भी प्यास बुझा दो, बहुत प्यासी हूँ मेरे राजा!

और माँ ने अपनी बाहों को उसके गले में डाल दिया तो रहमत ने झट से माँ के गुलाबी रसीले होंठ अपने होंटों में ले लिए और माँ भी उसके मोटे काले होठों को चूसने लगी। रहमत किसी अफ्रीकन बैल से कम नहीं लग रहा था. रहमत ने माँ को दीवार से उल्टा करके टिका दिया और उसकी नंगी पीठ को चाटते हुए माँ के कलमी आम जैसे मोटे मम्मों को आगे हाथ डाल कर दबाने लगा।

माँ के कोमल नाजुक जिस्म पर अपनी जीभ चलाने के साथ साथ वो अपने दांत गड़ाने लगा जिससे मेरी माँ की आहें पूरे कमरे में गूंजने लगी.
माँ बोल रही थी- आराम से करो, बाहर बैठी मेरी बेटी सुन लेगी रहमत बोला- कोई बात नहीं, उसे भी उसकी चुदक्कड़ रांड माँ के सामने चोद दूंगा।

अब रहमत मेरी माँ की साड़ी पकड़ कर उसे उतार रहा था ऐसा लग रहा था जैसे मेरी माँ अपना चीर हरण खुद करा रही हो और सही भी था; माँ आई ही इस लिए थी।

साड़ी खोल कर उसने माँ का पेटीकोट भी उतार दिया, अब मेरी आँखों में सामने मेरी माँ सिर्फ पेंटी में खड़ी थी

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वो भी किसी गैर मर्द का लंड लेने के लिए रहमत ने मेरी कमसिन नाजुक माँ को टेबल पर बिठा दिया और उसके बाल पकड़ कर माँ के होठों को चूसने लगा, उसके होठों को चबा रहा था और उसका एक हाथ मेरी माँ की पेंटी में था जो उसकी गर्म चूत को कुरेद रहा था, उसे सहला रहा था.

माँ की आंखें बंद थी और अपने हाथ से रहमत के मोटे लंड को उसके पजामे के ऊपर से सहला रही थी।

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रहमत माँ के होठों को चूसता हुआ उसकी गर्दन को चाटता हुआ उसके चूचे को मुँह में लिए चूस चूस कर उसके निप्पल्स को दांतों से खींच रहा था और मेरी माँ मानो आनन्द की चरम सीमा पर थी

अचानक रहमत ने माँ की पेंटी भी खींच कर उतार दी और माँ को घुटनों पर बिठा कर खुद झटपट अपने सारे कपड़े उतार कर खुद को पूरा नंगा कर दिया.
रहमत का लंड देख हम माँ बेटी दोनों दंग रह गए; इतना मोटा और बड़ा लंड सिर्फ अफ्रीकियों का सुना था. रहमत ने माँ के बाल पकड़ कर लंड को माँ के मुँह के अंदर डाल दिया. लंड इतना बड़ा था कि माँ के मुँह से सिर्फ ‘गूँ… गूँ…’ की आवाज़ आ रही थी और रहमत तो जैसे पागल हो चुका था, वो लंड से माँ का मुँह ही चोदने लगा हुआ था।

माँ के मुँह से उसका थूक बह कर बाहर उसके गले तक चू रहा था। कुछ देर मुखमैथुन के बाद रहमत ने अपना लंड निकाल कर माँ के हाथ में दे दिया और माँ को लिटा कर उसकी चूत चाटने लगा।

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चूत से पानी आ रहा था जिसे रहमत कुत्ते की तरह चप्प चप्प की आवाज़ कर के चाट रहा था, माँ फड़फड़ा रही थी, तड़प रही थी, कभी कभी तो अपने हाथों से रहमत के सर बाल भी खींच देती।
मगर रहमत जैसे जंगली सांड को थोड़े बहुत बाल खींचने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। शायद माँ उसे चूत चाटने से रोकना चाहती थी, बार बार कह रही थी- बस करो रहमत, बस करो, मैं मर जाऊँगी, बस कर कुत्ते!
मगर रहमत उसकी चूत चाटने से न हटा, तभी माँ बहुत तड़पी, अपने पैर पटके, कमर भी उछाली, रहमत के सर के बाल खींच दिया और फिर उसने अपना गरम लावा रहमत के मुँह में ही छोड़ दिया जिसे रहमत पी गया.

अब माँ से रहा नहीं जा रहा था, वो रहमत को गाली देते हुए बोली- रुक क्यों गया हरामी, आजा ऊपर आ, अब चोद न मुझे!
पर रहमत माँ को तड़पाना और चाहता था, उसने लंड को चूत पर रखा और रगड़ने लगा जिससे माँ बेचैन होने लगी.
तभी अचानक रहमत ने एक ही झटके में माँ की चूत में पूरा लंड पेल दिया,

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लंड अंदर जाते ही दर्द के मारे माँ का मुँह खुला का खुला रह गया. जैसे ही मुँह खुला मेरी नज़र पड़ी अंदर एक ओर आदमी साइड से दूसरा दरवाजा खोल कर अंदर आ गया, बिल्कुल नंगा, तना हुआ लंड।
उम्र में 55 के आस पास होगा, बड़ी दाढ़ी वाला… उसने अपना लंड लाकर माँ के मुँह बंद होने से पहले अंदर डाल दिया.

लंड मुँह में जाते ही माँ घबरा गई और उठने की कोशिश करने लगी तो रहमत बोला- ये करीम चाचा हैं, इनको भी तुम्हारी चुदाई का मजा लेना है।
मैं रोमांचित हो उठी कि आज मेरी मां दो लंडों से चुदेगी.

फिर शुरू हुआ असली खेल… रहमत मेरी मां की चुत चोद रहा था और रहीम चाचा मेरी मां का मुंह चोद रहे थे। माँ भी एक ही मिनट में इस बात के लिए मान गई कि चलो कोई बात नहीं। चुदवाना तो है ही, जहां एक लंड, वह दूसरा भी सही।

ऐसे ही दोनों ने मिल कर मेरी चुदासी मम्मी की जम कर चुदाई की.
मेरी माँ की चुदाई की पुरानी यादें कैसी लगी,
कमेन्ट कर जरूर बताए
 
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Lutgaya

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कुछ पुरानी यादें जो मेरी चुदक्कड मम्मी की गर्म जवानी का सबूत थी

एक दिन मेरी माँ और उनकी सहेली ममता शुक्ला, सीमा ओर रीमा आँटी हमारे घर आई हुई थी और चारों की किटी पार्टी और बातें चल रही थी। मैं घर में ही थी और इनकी बातें मैं चुपके से सुन रही थी
ममता आँटी बोली मेरी माँ से- और सुनीता तेरी जवानी कैसी कट रही है?
तो मेरी माँ बोली- उंगली के सहारे! ओर सभी जोर जोर से हंसने लगी.

तभी सीमा आँटी बोली- यार सभी का यही हाल है, 35 के बाद सभी के पति बूढा जाते हैं और हम औरतों की सारी जवानी इस उम्र के बाद रंग देती है जिसे चखने के लिए कोई इन्सान या जानवर ही नहीं है।
रीमा आँटी बोली- जरूरी है घर का जानवर ही चखे? जंगल में भूखे भेड़ियों की कमी नहीं है, बस इशारा करो, नोच नोच के खाएंगे!
और सभी एक दूसरे की ओर शरारत से देख कर हंसने लगी और बाहर के मर्दों की बातें करने लगी जैसे; यार वो ठाकुर भी साहिब की क्या परसनेलिटी है, उनकी बीवी तो हाथ जोड़ती होगी. काश हम में से किसी का पति भी ऐसा ही जानदार होता तो सब मिल बंट के खाती!
और फिर हंसने लगी.

तभी ममता आँटी बोली- यार तुम में से कोई मेरे दर्जी से कभी ब्लाउज़ या सूट सिलवाने गयी हैं?
तो सब बोली- नहीं, क्यों?
तो आँटी बोली- साला बहुत ठर्की है नाप लेने के बहाने चूचे दबाता है।
रीमा आँटी बोली- अहह काश मेरे कोई दबा जाए।

ओर सब फिर से हंसने लगी और मेरी माँ ने शायद इस बात को अपने मन में बैठा लिया तो उनके जाने के बाद दूसरे दिन मेरी माँ बोली- बेटी आज मुझे वो ममता आँटी का जो दर्ज़ी है वहाँ ले चल, मुझे एक नया ब्लाउज़ सिलवाना है।
मैने कहा- चलो!

माँ तैयार होने लगी और जब बाहर निकली तो मै देखती ही रह गयी कि ये ब्लाउज़ सिलवाने जा रही है या सुहागरात मनाने जा रही है। माँ ने ब्लैक साड़ी एकदम ओपन ब्लाउज़ जो कि सिर्फ नाम के लिए था जिसमें से उसके आधे चूचे बाहर आने को उतावले हो रहे थे पीछे से भी बैकलेस; गोरी, नंगी, दमकती पीठ; आगे भी नाभि का हिस्सा पूरा खुला हुआ और नाभि की गहराई इतनी कि लंड चला जाये; नीचे हील्स जिससे उसकी गांड सूमो पहलवान सी हिल रही थी।
माँ मटक कर चलती हुई आई और मेरे साथ कार में बैठ गयी। मैंने कार स्टार्ट की उसे लेकर दर्ज़ी की दुकान पर पहुंची

दर्ज़ी का नाम रहमत था जो दिखने में लगभग 6 फ़ीट लंबा और तगड़ा किसी कसाई से दिख रहा था, उसने पठानी ड्रेस पहनी हुई थी। बड़ी बड़ी दाढ़ी, काला रंग… मेरी माँ को देखते ही रहमत की आंखों में मानो चमक आ गयी.
माँ ने रहमत को बोला- नमस्ते भाई साहिब।
रहमत बोला- आओ मोहतरमा, खुशामदीद, कहिए मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ?

मैं भी वही खडि थी, माँ बोली- आपकी कारीगरी की बड़ी तारीफ सुनी है, तो मैंने सोचा इस बार मैं अपनी नई साड़ी के लिए आपसे अपने ब्लाउज़ सिलवा कर देखूँ।
मेरी माँ के चूचों को घूरते हुए रहमत बोला- जहे नसीब, आपने जो इस खाकसार को इस काबिल समझा, आप हुकुम करें कैसा डिजाइन पसंद करेंगी आप?
मैंने देखा उसके पाजामे में हिलता उसका हथियार सनसना रहा था और शायद ये बात मेरी माँ भी ताड़ चुकी थी पर वो तो आयी ही इसीलिए थी, ब्लाउज़ तो बस एक बहाना था, उसे अपनी जवानी के रसदार फल को किसी तगड़े मर्द से निचोड़वाना था और शायद रहमत की कद काठी को देख कर मेरी माँ समझ चुकी थी कि अगर हुई तो आज उसकी चुदाई बहुत तसल्ली से होने वाली है.

मैंने देखा माँ ने अपना पल्लू सेट करते हुये हल्का सा सरका दिया था जिससे रहमत अच्छे से उसके चूचो को देख कर अपनी निगाहों से उनका रसपान कर सके।

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शायद ये कोई इशारा था, जो माँ ने रहमत को किया, पल्लू सेट करते हुये उसे अपने चूचे दिखा कर और रहमत भी समझ गया, रहमत ने भी अपने हाथ उसके लंड को सहला कर जैसे माँ को इशारे में जवाब दे रहा था।

उसकी हवस भारी नज़रें मेरी माँ के मदमस्त रसीले बदन पर थी और माँ बेशर्म होकर अपनी बेटी के सामने अपनी मखमली जवानी का प्रदर्शन कर रही थी एक गैर मर्द के सामने!

तभी माँ बोली- मुझे ममता ने भेजा है और मुझे वैसा ही ब्लाउज़ सिलवाना है जैसा तुमने उसका सिला है।
तो रहमत मुस्कुरा कर बोला- अच्छा आप ममता की फ्रेंड हो तो फिर तो अंदर आ जाओ, अंदर ट्राई रूम में मैं आपको कुछ नए डिजाइन भी दिखा दूँगा और आपका नाप भी ले लेता हूं अच्छे से!
और माँ अंदर जाने लगी.

तो जैसे ही मैं माँ के साथ जाने के लिए आगे बढी तो रहमत बोला- बेटा आप बाहर ही इंतज़ार करो,
मैं चुप करके बाहर ही खडी रह गयी
माँ भी बोली- बेटी तुम यहीं रुको.
और वो दोनों अंदर चले गए।

मैं भी समझ गयी आज माँ की जम के चुदाई होने वाली है। मैंने सोचा कि क्यों न माँ की चुदाई का लाइव शो देख जाये।
तो मैं उस ड्रेसिंग रूम के अंदर देखने की जगह ढूंढने लगी मुझे एक छोटी सी खिड़की दिखी जिससे अंदर का साफ साफ दिख रहा था, मैं उस खिड़की के पास खड़ा हो कर अंदर देखने लगी।

माँ खड़ी थी ओर रहमत इंची टेप लेकर उनके पास आया- हां जी मैडम, तो कैसा ब्लाउज़ सिलवाना चाहेंगी आप?
माँ ने कहा- आप कुछ डिजाइन दिखाओ?
तो रहमत ने माँ को एक एल्बम दी जिसमें बहुत से डिजाइन थे, मुझे तो नहीं दिखे पर माँ ने एक डिजाइन पसंद करके रहमत को दिखाया।
रहमत बोला- बिल्कुल बनेगा मैडम, आप बस अपना नाप मुझे ले लेने दो।

रहमत ने पहले माँ के एक कंधे से दूसरे कंधे तक का नाप लिया और अपनी डायरी में लिख लिया। फिर उसने माँ की बाजू ऊपर उठा कर बगल से पेट के ऊपर तक का नाप लिया, फिर पीठ का नाप लिया।
जब पीठ का नाप ले रहा था तो माँ बोली- मैं हमेशा बैकलेस ही पहनती हूँ, तो पेट पे कम से कम कपड़ा लगाना, हो सके तो सिर्फ कोई सुनहरी डोरी या ऐसा कुछ ही लगाना।
रहमत ने किसी बहुत ही आज्ञाकार बच्चे की तरह हाँ में सर हिलाया, मगर उसकी आँखों में वासना फूट रही थी।

फिर उसने सामने आकर इंची टेप से पहले माँ के एक चूचे का और फिर दूसरे चूचे का नाप लिया।
“मैडम जी” रहमत बोला- अगर पीछे से बैकलेस रखना है तो सामने पैड लगाने पड़ेंगे, क्योंकि बैकलेस में ब्रा तो आप पहन नहीं सकती।

बेशक माँ को भी ये बात पता थी, पर माँ उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दी, बोली- हाँ, बैकलेस में ब्रा तो पहनी नहीं जाती, आप मेरे इस ब्लाउज़ में ही ब्रा बना देना।
तभी रहमत बोला- मैडम जी, अगर अंदरूनी ब्रा बनानी है तो प्लीज़ पल्लू को हटा दो, इसके साथ साइज सही नहीं आ रहा।
तो माँ ने बिना कुछ बोले पल्लू हटा दिया.

माँ का पल्लू हटते ही रहमत की आंखें बड़ी हो गई, वो माँ के चुचों को घूरने लगा और माँ का चेहरा गुलाबी पड़ने लगा, पता नहीं शर्म से या माँ की बढ़ रही कामुकता से।
माँ के 75% चुचे खुल चुके थे.

रहमत ने माँ को पलट दिया, उनकी पीठ को देखते ही रहमत का लंड खड़ा हो गया और वो अपने लंड को मसलने लगा. माँ ये नहीं देख पा रही थी, उसका मुँह दूसरी ओर था रहमत का लंड करीब 8 इंच का होगा. ऐसा ऊपर से किसी मूसल सा दिख रहा था.
रहमत बोला- मैडम, आपको फिटिंग कैसी चाहिए टाइट या लूज़?
तो मम्मी बोली- टाइट… ऐसा लगे जैसे बॉडी पे पेंट किया हुआ हो।
तो रहमत बोला- फिर आपको अपना ब्लाउज़ उतारना होगा.

तो मम्मी ऊपर मन से थोड़ा सा गुस्सा दिखती हुई बोली- पागल हो? नहीं ऐसे ही लो!
तो रहमत बोला- बुरा मन मानिए मैडम, दरअसल ब्रा वाला ब्लाउज़ सिलने के लिए आपके बदन के इन हिस्सों का मुझे बिल्कुल सही नाप चाहिए, तभी आपको सही फिटिंग आएगी। ममता मैडम ने भी उतारा था, तभी उसकी फिटिंग हुई, आप चाहो तो फोन करके ममता मैडम से पूछ लो।
माँ बोली- नहीं, कोई ज़रूरत नहीं पूछने की, वैसे भी कहते हैं अपने टेलर, वकील और डॉक्टर से कुछ नहीं छिपाते, उतार देती हूँ पर तुम किसी को बोलना मत!

और माँ ने अपने ब्लाउज़ की डोरी खोली और उतार दिया। अब क्योंकि माँ पहले ही बैकलेस ब्लाउज़ पहन कर आई थी, तो नीचे से ब्रा तो पहना ही नहीं था, सो ब्लाउज़ उतरते ही माँ टॉपलेस हो गई और माँ के गोरे गोल मम्मे आज़ाद हो गए जिन्हें देख कर रहमत बोला- माशाअल्लाह क्या जिस्म है… काश आप हमारे होते!
और चुप हो गया.

तो मम्मी बोली- तो क्या करते?
वो बोला- कुछ नहीं!
मम्मी बोली- बता दो?
तो रहमत मेरी माँ के मखमली चुचों को अपनी मजबूत हथेलियों में भरते हुए बोला- इन्हें निचोड़ कर इनका सारा रस पी जाता!

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दर्जी और मम्मी

रहमत के मजबूत हाथों में मेरी माँ के चुचे आते ही माँ की सिसकारी निकल गयी- अहह महः क्या कर रहे हो?
तो रहमत बोला- जो करवाने तुम यहां आयी हो।
मम्मी बोली- मतलब?
तो रहमत बोला- अब ज्यादा बनो मत, तुम्हारी फ्रेंड ममता के जितने ब्लाउज़ सिले हैं उससे ज्यादा उसकी चुदाई की है।
माँ बोली- हम्म… तो आज मेरी भी प्यास बुझा दो, बहुत प्यासी हूँ मेरे राजा!

और माँ ने अपनी बाहों को उसके गले में डाल दिया तो रहमत ने झट से माँ के गुलाबी रसीले होंठ अपने होंटों में ले लिए और माँ भी उसके मोटे काले होठों को चूसने लगी। रहमत किसी अफ्रीकन बैल से कम नहीं लग रहा था. रहमत ने माँ को दीवार से उल्टा करके टिका दिया और उसकी नंगी पीठ को चाटते हुए माँ के कलमी आम जैसे मोटे मम्मों को आगे हाथ डाल कर दबाने लगा।

माँ के कोमल नाजुक जिस्म पर अपनी जीभ चलाने के साथ साथ वो अपने दांत गड़ाने लगा जिससे मेरी माँ की आहें पूरे कमरे में गूंजने लगी.
माँ बोल रही थी- आराम से करो, बाहर बैठी मेरी बेटी सुन लेगी रहमत बोला- कोई बात नहीं, उसे भी उसकी चुदक्कड़ रांड माँ के सामने चोद दूंगा।

अब रहमत मेरी माँ की साड़ी पकड़ कर उसे उतार रहा था ऐसा लग रहा था जैसे मेरी माँ अपना चीर हरण खुद करा रही हो और सही भी था; माँ आई ही इस लिए थी।

साड़ी खोल कर उसने माँ का पेटीकोट भी उतार दिया, अब मेरी आँखों में सामने मेरी माँ सिर्फ पेंटी में खड़ी थी

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वो भी किसी गैर मर्द का लंड लेने के लिए रहमत ने मेरी कमसिन नाजुक माँ को टेबल पर बिठा दिया और उसके बाल पकड़ कर माँ के होठों को चूसने लगा, उसके होठों को चबा रहा था और उसका एक हाथ मेरी माँ की पेंटी में था जो उसकी गर्म चूत को कुरेद रहा था, उसे सहला रहा था.

माँ की आंखें बंद थी और अपने हाथ से रहमत के मोटे लंड को उसके पजामे के ऊपर से सहला रही थी।

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रहमत माँ के होठों को चूसता हुआ उसकी गर्दन को चाटता हुआ उसके चूचे को मुँह में लिए चूस चूस कर उसके निप्पल्स को दांतों से खींच रहा था और मेरी माँ मानो आनन्द की चरम सीमा पर थी

अचानक रहमत ने माँ की पेंटी भी खींच कर उतार दी और माँ को घुटनों पर बिठा कर खुद झटपट अपने सारे कपड़े उतार कर खुद को पूरा नंगा कर दिया.
रहमत का लंड देख हम माँ बेटी दोनों दंग रह गए; इतना मोटा और बड़ा लंड सिर्फ अफ्रीकियों का सुना था. रहमत ने माँ के बाल पकड़ कर लंड को माँ के मुँह के अंदर डाल दिया. लंड इतना बड़ा था कि माँ के मुँह से सिर्फ ‘गूँ… गूँ…’ की आवाज़ आ रही थी और रहमत तो जैसे पागल हो चुका था, वो लंड से माँ का मुँह ही चोदने लगा हुआ था।

माँ के मुँह से उसका थूक बह कर बाहर उसके गले तक चू रहा था। कुछ देर मुखमैथुन के बाद रहमत ने अपना लंड निकाल कर माँ के हाथ में दे दिया और माँ को लिटा कर उसकी चूत चाटने लगा।

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चूत से पानी आ रहा था जिसे रहमत कुत्ते की तरह चप्प चप्प की आवाज़ कर के चाट रहा था, माँ फड़फड़ा रही थी, तड़प रही थी, कभी कभी तो अपने हाथों से रहमत के सर बाल भी खींच देती।
मगर रहमत जैसे जंगली सांड को थोड़े बहुत बाल खींचने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। शायद माँ उसे चूत चाटने से रोकना चाहती थी, बार बार कह रही थी- बस करो रहमत, बस करो, मैं मर जाऊँगी, बस कर कुत्ते!
मगर रहमत उसकी चूत चाटने से न हटा, तभी माँ बहुत तड़पी, अपने पैर पटके, कमर भी उछाली, रहमत के सर के बाल खींच दिया और फिर उसने अपना गरम लावा रहमत के मुँह में ही छोड़ दिया जिसे रहमत पी गया.

अब माँ से रहा नहीं जा रहा था, वो रहमत को गाली देते हुए बोली- रुक क्यों गया हरामी, आजा ऊपर आ, अब चोद न मुझे!
पर रहमत माँ को तड़पाना और चाहता था, उसने लंड को चूत पर रखा और रगड़ने लगा जिससे माँ बेचैन होने लगी.
तभी अचानक रहमत ने एक ही झटके में माँ की चूत में पूरा लंड पेल दिया,

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लंड अंदर जाते ही दर्द के मारे माँ का मुँह खुला का खुला रह गया. जैसे ही मुँह खुला मेरी नज़र पड़ी अंदर एक ओर आदमी साइड से दूसरा दरवाजा खोल कर अंदर आ गया, बिल्कुल नंगा, तना हुआ लंड।
उम्र में 55 के आस पास होगा, बड़ी दाढ़ी वाला… उसने अपना लंड लाकर माँ के मुँह बंद होने से पहले अंदर डाल दिया.

लंड मुँह में जाते ही माँ घबरा गई और उठने की कोशिश करने लगी तो रहमत बोला- ये करीम चाचा हैं, इनको भी तुम्हारी चुदाई का मजा लेना है।
मैं रोमांचित हो उठी कि आज मेरी मां दो लंडों से चुदेगी.

फिर शुरू हुआ असली खेल… रहमत मेरी मां की चुत चोद रहा था और रहीम चाचा मेरी मां का मुंह चोद रहे थे। माँ भी एक ही मिनट में इस बात के लिए मान गई कि चलो कोई बात नहीं। चुदवाना तो है ही, जहां एक लंड, वह दूसरा भी सही।

ऐसे ही दोनों ने मिल कर मेरी चुदासी मम्मी की जम कर चुदाई की.
मेरी माँ की चुदाई की पुरानी यादें कैसी लगी,
कमेन्ट कर जरूर बताए
Awesome update
 
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बहुत ही गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक कहानी है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार मेगा अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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