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फिर मेरे ससुर ने कविता से कहा
ससुर - कविता बेटी चलो मैं और तुम कार की पिछली सीट पर बैठ जाते हैं आगे रोशन को बैठने दो
मेरी दीदी तो भोली थी ही वो ससुर के इरादे को भाप नहीं पाई और कहा
कविता - जी अंकल
मैं - (ससुर को) पापा जी आप बड़े हैं आप ही आगे बैठे तो अच्छा होता
ससुर(मुंह बनाते हुए)- अरे पिछली सीट पर तुम्हें जर्क लगेगा इसलिए तुम आगे की सीट पर बैठ जाते
कविता - आप सही कह रहे हैं,
रोशन तुम आगे चलो और सीट बेल्ट लगा लेना
हमारी बातों को सुन कर ड्राइवर एकदम से बोला
ड्राइवर - कविता दी आप ही आगे चलो
ससुर - तुम्हारी एडवाइस की जरुरत नहीं है तुम गाड़ी स्टार्ट करो
ड्राइवर - जी साहेब
फिर हम लोग अपने अपने सीट पर बैठ गए और घर वापस लौट रहे
ड्राइवर ने पहले ही बैक mirror को ऐसा सेट किया था की पीछे का पूरा फिल्म वो देख सके
मुझे भी साफ तौर से नजर आ रहा था
अभी गाड़ी वैध जी के घर से निकल कर कुछ दूर चली ही थी की मेरे ससुर जी ने अपनी हरकत शुरू किया
क्योंकि अब हमलोग सुनसान जंगल के रास्ते जा रहे थे
सबसे पहले मेरे ससुर ने अपना एक हाथ पीछे किया और धीरे धीरे से कविता दीदी की गोरी गोरी गदरायी पीठ को सहलाने लगा
दी को भी गुदगुदी होने लगी और उसका बदन कसमसाने लगा
दीदी - (धीरे से) क्या कर रहे हैं
ससुर - कुछ नहीं
दी - अपना हाथ हटा दीजिए
ससुर - क्यों
दी - प्लीज
ससुर - ओके
बोला और फिर ससुर जी ने अपना हाथ दीदी की ब्लाउस के उपर रख कर हलके से दबाया दीदी की चूची को
दी - औछहह............…
मैं - क्या हुआ दी
दी - का.. का.... कुछ नहीं
ससुर बड़ी बेसरमी से मुस्कुराने लगा
ससुर ने अब दीदी की दोनों गोलाईयों को अपने हंथेलियो की गिरफ्त में ले लिया और मसल डाला
दीदी फिर से
दीदी - उफ्फ..............
दी कसमसा रही थी पर क्या कर सकती थीं
ससुर - मेरा चूसोगी तो छोड़ दूंगा
दी - नहीं
ससुर - एक बार
दी - नही नही छोड़ दो अंकल प्लीज
ससुर - अरे क्या छोड़ दो छोड़ दो बोल रही हो सफर का मजा लो मेरी जान
ससुर ने कविता को अपने गोद में बिठा लिया और उसके चुचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन मे अपनी जीभ फिराने लगा
दी - अह्ह्ह्ह............ उईईईईई
दीदी - प्लीज यहां नहीं
ससुर - तो कहां
दी - घर पर दूंगी
ससुर - क्या दोगी
दी - जो आप कहो पर अभी छोड़िए सीसे मे सब दिख रहा है
ससुर - मुझे तो सब कुछ चाहिए, बोलो
दी - हां दूंगी सब
ससुर - क्या क्या दोगी वो भी बता दो
दी - ओके बाबा जी भर कर मेरे दबा लेना
ससुर - क्या
दी - बूब्स
ससुर - और
दी - कर लेना
ससुर - क्या कर लू
दी (संकोच मे)- बूर चोद लेना
दीदी गाड़ी में ये सब नहीं करना चाह रही थी
पर ससुर था बहुत शैतान
उसने कहा
ससुर - अभी तो मेरा चूसो
बोला और लन्ड निकाल कर जबरजस्ती कविता के हाथ में दे दिया
मन मसोस कर दी ससुर के लन्ड को पकड़ कर हिलाने लगी
ससुर पूरा मस्ती आ गया और फिर दी के सर को झुका कर अपना लन्ड कविता के मुंह में डाल दिया
दी ससुर के लन्ड को चूसने लगी ससुर - उम्मम्म........... अअह्ह्ह.........
ड्राईवर और मैं ये सब देख रहे थे और कविता एक रण्डी की तरह मेरे ससुर का लन्ड चूस रही थी
ड्राईवर ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी थी ताकि ससुर का मकसद पूरा ना हो
कुछ देर में ससुर ने पूरा वीर्य दीदी के मुंह में उड़ेल कर उसका मुंह भर दिया
दीदी ने सारा वीर्य पी लिया और मुंह साफ़ किया
अब गाड़ी शहर में आ गई थी और हमलोग कुछ ही देर में घर पूहंचने वाले थे
तो ससुर और दीदी ने अपने अपने कपडे ठीक कर लिया
15 मिनट बाद हम आखिर घर आ गए
दी सीधे अपने कमरे में गई
मैं और ससुर जी हॉल में बैठ गए
पापा - और रोशन कैसा लगा वैध जी का इलाज
मैं - अच्छा
हमलोग आपस में बात करने लगे
पर ससुर जी बार बार दीदी के कमरे की ओर ताड़ रहे थे
मैं - पापा ,रश्मि.....
पापा - आती होगी, कभी कभी देर रात हो जाती है
मैं - कॉल करता हूं
पापा - ठीक है
मैं - हेलो, रश्मि कहां हो हमलोग घर आ गए हैं
रश्मि - आ रही हूं, रास्ते में हूं
मैं - ओके
तभी मेरे ससुर धीरे से उठे और जाने लगे किचन की ओर
पापा - अरे समधी जी कुछ चाहिए क्या
ससुर - प्यास लगी थी
पापा ने कविता को आवाज़ दी
पर कोई जवाब नहीं मिला
ससुर - मैं देखता हूं
बोल कर वो कविता के दरवाजे को धीरे से धकेला अन्दर बिना कुण्डी लगाए कविता चेंज कर रही थीं और कविता ऐसी अवस्था में
ससुर को देखते ही दीवार की ओर मुंह मोड़ लिया
ससुर - जरा प्यास लगी थी, बुझा दोगी
ससुर ने डबल मीनिंग में कहा
कविता - अभी लाती हूं
ससुर अब वापस आ गए हमारे साथ
कविता दीदी पानी दी और खुद
कमरे में जा कर वो भी पानी पीने लगी ऐसे
शायद बहुत जोर की प्यास लगी थी
to be continued........