कब लिखोगी आपने एग्जाम के बाद का बोला था और एग्जाम खत्म हुए काफी टाइम हो गया लेकिन कोई अपडेट नही आया हैं कि कहानी आगे बड़ेगी या हमेशा के लिए बंद रहेगीउसमे आगे का नही लिखी हू। लिखूंगी तो पोस्ट कर दूंगी।
कब लिखोगी आपने एग्जाम के बाद का बोला था और एग्जाम खत्म हुए काफी टाइम हो गया लेकिन कोई अपडेट नही आया हैं कि कहानी आगे बड़ेगी या हमेशा के लिए बंद रहेगी
इंतजार रहेगाकुछ दिनों में उसे भी लिखना शुरू करूंगी।
अध्याय 01: धोखा
पिंडारी शहर, भैरवी राज्य, सुदूर पूर्वी क्षेत्र, नयनतारा ग्रह।
नयनतारा ग्रह को पांच क्षेत्र में बांटा गया है। पूर्वी, पश्चिमी, उतरी, दक्षिणी तथा केंद्रीय क्षेत्र। भैरवी राज्य एक छोटा सा राज्य है जो पूर्वी क्षेत्र के आखिरी हिस्से में है। भैरवी राज्य में कुल छह शहर है। पिंडारी शहर भी भैरवी राज्य में है। यह शहर जंगल के किनारे है।
पिंडारी शहर के सेनापति सुलभ मौर्य (45) की दो पत्नी थी। जिनमे से पहली पत्नी का देहांत दो साल पहले हो गई। दोनो बीबी से सुलभ को एक एक बेटा हुआ था। पहली बीबी मालिनी का बेटा ध्रुव मौर्य (18) है वही दूसरी बीबी कामिनी (39) से साहिल मौर्य (19) पैदा हुआ है। मालिनी की मृत्यु एक गंभीर बीमारी के चलते हो गई। मालिनी एक गरीब घर से थी। उसको सुलभ से प्यार हो गया था। जब मालिनी को कुछ सालो तक संतान नहीं हुआ तो सुलभ के घरवालों ने कामिनी से शादी करवा दी। वह एक धनी परिवार से है।
भैरवी राजमहल की महारानी और मालिनी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। ध्रुव के जन्म होने पर महारानी ने अपनी बेटी राजकुमारी करुणा की शादी उससे तय कर दी थी। दोनो बच्चे बचपन से साथ खेलते आए थे।
नयनतारा ग्रह पर बच्चे पांच साल की उम्र से ही युद्ध शिक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले बच्चो की युद्ध योग्यता चेक की जाती है। यह एक पत्थर का कॉलम होता है। वह नौ खांचों में बंटा होता है। उसपे हाथ रखने पर वह योग्यता अनुसार अपना अंक बताता है। जब ध्रुव की योग्यता चेक की गई थी तो उसका कोई भी अंक नही दिखाया गया था। उसके बाद से ध्रुव का नाम एक प्रसिद्ध नकारा के रूप में लिया जाने लगा। करुणा की योग्यता का स्तर सात वही साहिल की योग्यता का स्तर नौ था। जिसके कारण उसे अलापुरी युद्ध शिक्षा संस्थान के एक वरिष्ठ अध्यापक ने शिष्या बना लिया। भैरवी राज्य, अलापुरी राज्य के अधीन है। भैरवी राज्य एक नौ स्तरीय राज्य है। वही अलापुरी राज्य आठ स्तरीय राज्य है।
एक तरफ करुणा एक अच्छे गुरु से युद्ध कला का ज्ञान ले रही थी तो दूसरी तरफ ध्रुव को सभी किसी से ताने सुनने को मिलता। दोनो अब दो अलग अलग दुनिया के लोग हो गए थे। ध्रुव की दोस्ती वही के कुछ मनचले लडको के साथ हो गई थी। उसको घर में भी सभी से बाते सुनने को मिलती रहती थी। इसी चिंता की वजह से मालिनी की तबियत भी बिगड़ने लगी थी।
इसी बीच चार साल पहले ध्रुव को वर्षा मिली। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। ध्रुव और उसके दोस्त बाहर घूमने गए हुए थे। वर्षा उन्हे बीच रास्ते में घायल पड़ी मिली। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे। उसका चेहरा एकदम काला था। उसके चेहरे पर पिंपल निकले हुए थे। उसके हालत बहुत ही नाजुक थे। ध्रुव के दोस्त वहा से बहाना बना के चले गए। किस्मत से ध्रुव का घर ज्यादा दूर नहीं था। वह किसी तरह वर्षा को लेकर अपने घर आ गया। ध्रुव और मालिनी के ख्याल रखने से वर्षा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई लेकिन उसे पिछला कुछ भी याद नहीं था। चुकी जिस दिन वह मिली थी इस दिन बारिश हो रही थी इसीलिए ध्रुव ने उसका नाम वर्षा रख दिया। उस दिन के बाद से ध्रुव ने कही भी आना जाना बंद कर दिया। उसे अपने दोस्तो के रवैए से बड़ा दुख पहुंचा था। ध्रुव सोचता है की अगर मैं योद्धा नही बना तो क्या हुआ? मैं राजनीति शास्त्र का अध्ययन करूंगा। कम से कम मां को काम तो नही करना पड़ेगा।
उस दिन के बाद से वह रोज सुबह पास के विद्यालय में जाता। वहा पर उसे सामाजिक, ऐतिहासिक और भुगौलिक शिक्षा मिलती। जो आम दिनों में काम में आ सके। ऐसे ही दो साल बीत गए। मालिनी की तबियत बहुत ही खराब रहने लगी। उसकी कुछ ही दिनों में देहांत हो गई। मरने से पहले मालिनी ने ध्रुव को उसके और करुणा की शादी की बात बता दी। मालिनी ने ध्रुव को यह भी बताया की वह करुणा से ज्यादा उम्मीद नहीं रखे। अब करुणा एक योद्धा बन गई है। वह बचपन की यादों में नही जायेगी। वह अपने से ज्यादा ताकतवर लोग को पसंद करेगी। मालिनी ने वर्षा से भी ध्रुव की हमेशा खयाल रखने का वादा ले लिया। मरते वक्त मालिनी ने ध्रुव को एक अंगूठी भी दी। उसने कहा कि यह अंगूठी तुम्हारे जन्म के वक्त एक संत ने दी थी।
मालिनी की मृत्यु के कुछ महीनो तक ध्रुव की हालत खराब रही। फिर वह वर्षा के साथ अपने ननिहाल रहने चला गया। वहा अपने नाना नानी की खेतो के काम में हाथ बटाने लगा। पांच दिन पहले ध्रुव को पता चला करुणा लौट कर भैरवी राज्य आ रही है। उसके पिता सुलभ मौर्य ने उसे अपने पास बुला लिया। वह उसी दिन वर्षा के साथ वह पिंडारी शहर के महल में आ गया।
अगले दिन ध्रुव को करुणा ने जंगल के पास वाली पहाड़ी के पास बुलाया। वहा पर ध्रुव अकेला ही जाना चाहता था लेकिन वर्षा जिद्द करने लगी की उसे भी जाना है। ध्रुव वर्षा को भी साथ ले गया। जब ध्रुव और वर्षा वहा पहुंचे तो उन्हे वहा पर कोई दिखाई नहीं दिया। जब कुछ देर तक कोई दिखाई नहीं दिया तो वे आगे बढ़ने लगे। कुछ दूरी पर उन्हें एक गुफा दिखाई दी। उसमे से कुछ आवाजे आ रही थी। दोनो उस गुफा के मुहाने पर पहुंचे। गुफा कोई बड़ा नहीं था। उसमे से दो लोगो की गहरी सांसे लेने की आवाजे आ रही थी। ऐसी आवाज सुनकर ध्रुव और वर्षा गुफा के मुहाने पर ही रुक गए।
"करुणा तुमने आज उस निकम्मे को क्यों बुलाया है!" गुफा से एक लड़के की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर ध्रुव और वर्षा दोनो चौक गए। क्योंकि यह आवाज इन्होंने कल ही सुनी थी। यह आवाज सौतेले भाई साहिल की थी। और उसकी बातो से लग रह था की करुणा और वह दोनो साथ में ही है। कुछ देर पहले की आवाज से यह भी पता चल रहा था की अभी अभी वे दोनो वासना के सागर से निकले है।
"वह मेरे काबिल नही है। तुम्हे क्या लगा मैं उसे उससे चुदने केलिए बुलाई हूं। उसकी औकात मेरी जुटी के बराबर भी नहीं है।" अगले ही पल करुणा की आवाज बाहर खड़े ध्रुव और वर्षा के कानो में पड़ी। यह बात मानो ध्रुव के सीने को हजारों टुकड़ों में बंट गई। फिर भी ध्रुव यह बात सुन गया। उसको पता था की वह करुणा के लायक नही है। लेकिन अगले पल उसने जो बात सुनी उसे खुद पर ही घिन आने लगी की वह ऐसी लड़की से कैसे प्यार कर सकता है…….
पढ़ने के लिए धन्यवाद.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया भी दे
Nice and lovely update....अध्याय 01: धोखा
पिंडारी शहर, भैरवी राज्य, सुदूर पूर्वी क्षेत्र, नयनतारा ग्रह।
नयनतारा ग्रह को पांच क्षेत्र में बांटा गया है। पूर्वी, पश्चिमी, उतरी, दक्षिणी तथा केंद्रीय क्षेत्र। भैरवी राज्य एक छोटा सा राज्य है जो पूर्वी क्षेत्र के आखिरी हिस्से में है। भैरवी राज्य में कुल छह शहर है। पिंडारी शहर भी भैरवी राज्य में है। यह शहर जंगल के किनारे है।
पिंडारी शहर के सेनापति सुलभ मौर्य (45) की दो पत्नी थी। जिनमे से पहली पत्नी का देहांत दो साल पहले हो गई। दोनो बीबी से सुलभ को एक एक बेटा हुआ था। पहली बीबी मालिनी का बेटा ध्रुव मौर्य (18) है वही दूसरी बीबी कामिनी (39) से साहिल मौर्य (19) पैदा हुआ है। मालिनी की मृत्यु एक गंभीर बीमारी के चलते हो गई। मालिनी एक गरीब घर से थी। उसको सुलभ से प्यार हो गया था। जब मालिनी को कुछ सालो तक संतान नहीं हुआ तो सुलभ के घरवालों ने कामिनी से शादी करवा दी। वह एक धनी परिवार से है।
भैरवी राजमहल की महारानी और मालिनी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। ध्रुव के जन्म होने पर महारानी ने अपनी बेटी राजकुमारी करुणा की शादी उससे तय कर दी थी। दोनो बच्चे बचपन से साथ खेलते आए थे।
नयनतारा ग्रह पर बच्चे पांच साल की उम्र से ही युद्ध शिक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले बच्चो की युद्ध योग्यता चेक की जाती है। यह एक पत्थर का कॉलम होता है। वह नौ खांचों में बंटा होता है। उसपे हाथ रखने पर वह योग्यता अनुसार अपना अंक बताता है। जब ध्रुव की योग्यता चेक की गई थी तो उसका कोई भी अंक नही दिखाया गया था। उसके बाद से ध्रुव का नाम एक प्रसिद्ध नकारा के रूप में लिया जाने लगा। करुणा की योग्यता का स्तर सात वही साहिल की योग्यता का स्तर नौ था। जिसके कारण उसे अलापुरी युद्ध शिक्षा संस्थान के एक वरिष्ठ अध्यापक ने शिष्या बना लिया। भैरवी राज्य, अलापुरी राज्य के अधीन है। भैरवी राज्य एक नौ स्तरीय राज्य है। वही अलापुरी राज्य आठ स्तरीय राज्य है।
एक तरफ करुणा एक अच्छे गुरु से युद्ध कला का ज्ञान ले रही थी तो दूसरी तरफ ध्रुव को सभी किसी से ताने सुनने को मिलता। दोनो अब दो अलग अलग दुनिया के लोग हो गए थे। ध्रुव की दोस्ती वही के कुछ मनचले लडको के साथ हो गई थी। उसको घर में भी सभी से बाते सुनने को मिलती रहती थी। इसी चिंता की वजह से मालिनी की तबियत भी बिगड़ने लगी थी।
इसी बीच चार साल पहले ध्रुव को वर्षा मिली। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। ध्रुव और उसके दोस्त बाहर घूमने गए हुए थे। वर्षा उन्हे बीच रास्ते में घायल पड़ी मिली। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे। उसका चेहरा एकदम काला था। उसके चेहरे पर पिंपल निकले हुए थे। उसके हालत बहुत ही नाजुक थे। ध्रुव के दोस्त वहा से बहाना बना के चले गए। किस्मत से ध्रुव का घर ज्यादा दूर नहीं था। वह किसी तरह वर्षा को लेकर अपने घर आ गया। ध्रुव और मालिनी के ख्याल रखने से वर्षा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई लेकिन उसे पिछला कुछ भी याद नहीं था। चुकी जिस दिन वह मिली थी इस दिन बारिश हो रही थी इसीलिए ध्रुव ने उसका नाम वर्षा रख दिया। उस दिन के बाद से ध्रुव ने कही भी आना जाना बंद कर दिया। उसे अपने दोस्तो के रवैए से बड़ा दुख पहुंचा था। ध्रुव सोचता है की अगर मैं योद्धा नही बना तो क्या हुआ? मैं राजनीति शास्त्र का अध्ययन करूंगा। कम से कम मां को काम तो नही करना पड़ेगा।
उस दिन के बाद से वह रोज सुबह पास के विद्यालय में जाता। वहा पर उसे सामाजिक, ऐतिहासिक और भुगौलिक शिक्षा मिलती। जो आम दिनों में काम में आ सके। ऐसे ही दो साल बीत गए। मालिनी की तबियत बहुत ही खराब रहने लगी। उसकी कुछ ही दिनों में देहांत हो गई। मरने से पहले मालिनी ने ध्रुव को उसके और करुणा की शादी की बात बता दी। मालिनी ने ध्रुव को यह भी बताया की वह करुणा से ज्यादा उम्मीद नहीं रखे। अब करुणा एक योद्धा बन गई है। वह बचपन की यादों में नही जायेगी। वह अपने से ज्यादा ताकतवर लोग को पसंद करेगी। मालिनी ने वर्षा से भी ध्रुव की हमेशा खयाल रखने का वादा ले लिया। मरते वक्त मालिनी ने ध्रुव को एक अंगूठी भी दी। उसने कहा कि यह अंगूठी तुम्हारे जन्म के वक्त एक संत ने दी थी।
मालिनी की मृत्यु के कुछ महीनो तक ध्रुव की हालत खराब रही। फिर वह वर्षा के साथ अपने ननिहाल रहने चला गया। वहा अपने नाना नानी की खेतो के काम में हाथ बटाने लगा। पांच दिन पहले ध्रुव को पता चला करुणा लौट कर भैरवी राज्य आ रही है। उसके पिता सुलभ मौर्य ने उसे अपने पास बुला लिया। वह उसी दिन वर्षा के साथ वह पिंडारी शहर के महल में आ गया।
अगले दिन ध्रुव को करुणा ने जंगल के पास वाली पहाड़ी के पास बुलाया। वहा पर ध्रुव अकेला ही जाना चाहता था लेकिन वर्षा जिद्द करने लगी की उसे भी जाना है। ध्रुव वर्षा को भी साथ ले गया। जब ध्रुव और वर्षा वहा पहुंचे तो उन्हे वहा पर कोई दिखाई नहीं दिया। जब कुछ देर तक कोई दिखाई नहीं दिया तो वे आगे बढ़ने लगे। कुछ दूरी पर उन्हें एक गुफा दिखाई दी। उसमे से कुछ आवाजे आ रही थी। दोनो उस गुफा के मुहाने पर पहुंचे। गुफा कोई बड़ा नहीं था। उसमे से दो लोगो की गहरी सांसे लेने की आवाजे आ रही थी। ऐसी आवाज सुनकर ध्रुव और वर्षा गुफा के मुहाने पर ही रुक गए।
"करुणा तुमने आज उस निकम्मे को क्यों बुलाया है!" गुफा से एक लड़के की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर ध्रुव और वर्षा दोनो चौक गए। क्योंकि यह आवाज इन्होंने कल ही सुनी थी। यह आवाज सौतेले भाई साहिल की थी। और उसकी बातो से लग रह था की करुणा और वह दोनो साथ में ही है। कुछ देर पहले की आवाज से यह भी पता चल रहा था की अभी अभी वे दोनो वासना के सागर से निकले है।
"वह मेरे काबिल नही है। तुम्हे क्या लगा मैं उसे उससे चुदने केलिए बुलाई हूं। उसकी औकात मेरी जुटी के बराबर भी नहीं है।" अगले ही पल करुणा की आवाज बाहर खड़े ध्रुव और वर्षा के कानो में पड़ी। यह बात मानो ध्रुव के सीने को हजारों टुकड़ों में बंट गई। फिर भी ध्रुव यह बात सुन गया। उसको पता था की वह करुणा के लायक नही है। लेकिन अगले पल उसने जो बात सुनी उसे खुद पर ही घिन आने लगी की वह ऐसी लड़की से कैसे प्यार कर सकता है…….
पढ़ने के लिए धन्यवाद.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया भी दे
Aapki lekhni uch str ki h mam bs aapki timing thodi slow h baaki update bhut bhut acha h so nice of itअध्याय 01: धोखा
पिंडारी शहर, भैरवी राज्य, सुदूर पूर्वी क्षेत्र, नयनतारा ग्रह।
नयनतारा ग्रह को पांच क्षेत्र में बांटा गया है। पूर्वी, पश्चिमी, उतरी, दक्षिणी तथा केंद्रीय क्षेत्र। भैरवी राज्य एक छोटा सा राज्य है जो पूर्वी क्षेत्र के आखिरी हिस्से में है। भैरवी राज्य में कुल छह शहर है। पिंडारी शहर भी भैरवी राज्य में है। यह शहर जंगल के किनारे है।
पिंडारी शहर के सेनापति सुलभ मौर्य (45) की दो पत्नी थी। जिनमे से पहली पत्नी का देहांत दो साल पहले हो गई। दोनो बीबी से सुलभ को एक एक बेटा हुआ था। पहली बीबी मालिनी का बेटा ध्रुव मौर्य (18) है वही दूसरी बीबी कामिनी (39) से साहिल मौर्य (19) पैदा हुआ है। मालिनी की मृत्यु एक गंभीर बीमारी के चलते हो गई। मालिनी एक गरीब घर से थी। उसको सुलभ से प्यार हो गया था। जब मालिनी को कुछ सालो तक संतान नहीं हुआ तो सुलभ के घरवालों ने कामिनी से शादी करवा दी। वह एक धनी परिवार से है।
भैरवी राजमहल की महारानी और मालिनी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। ध्रुव के जन्म होने पर महारानी ने अपनी बेटी राजकुमारी करुणा की शादी उससे तय कर दी थी। दोनो बच्चे बचपन से साथ खेलते आए थे।
नयनतारा ग्रह पर बच्चे पांच साल की उम्र से ही युद्ध शिक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले बच्चो की युद्ध योग्यता चेक की जाती है। यह एक पत्थर का कॉलम होता है। वह नौ खांचों में बंटा होता है। उसपे हाथ रखने पर वह योग्यता अनुसार अपना अंक बताता है। जब ध्रुव की योग्यता चेक की गई थी तो उसका कोई भी अंक नही दिखाया गया था। उसके बाद से ध्रुव का नाम एक प्रसिद्ध नकारा के रूप में लिया जाने लगा। करुणा की योग्यता का स्तर सात वही साहिल की योग्यता का स्तर नौ था। जिसके कारण उसे अलापुरी युद्ध शिक्षा संस्थान के एक वरिष्ठ अध्यापक ने शिष्या बना लिया। भैरवी राज्य, अलापुरी राज्य के अधीन है। भैरवी राज्य एक नौ स्तरीय राज्य है। वही अलापुरी राज्य आठ स्तरीय राज्य है।
एक तरफ करुणा एक अच्छे गुरु से युद्ध कला का ज्ञान ले रही थी तो दूसरी तरफ ध्रुव को सभी किसी से ताने सुनने को मिलता। दोनो अब दो अलग अलग दुनिया के लोग हो गए थे। ध्रुव की दोस्ती वही के कुछ मनचले लडको के साथ हो गई थी। उसको घर में भी सभी से बाते सुनने को मिलती रहती थी। इसी चिंता की वजह से मालिनी की तबियत भी बिगड़ने लगी थी।
इसी बीच चार साल पहले ध्रुव को वर्षा मिली। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। ध्रुव और उसके दोस्त बाहर घूमने गए हुए थे। वर्षा उन्हे बीच रास्ते में घायल पड़ी मिली। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे। उसका चेहरा एकदम काला था। उसके चेहरे पर पिंपल निकले हुए थे। उसके हालत बहुत ही नाजुक थे। ध्रुव के दोस्त वहा से बहाना बना के चले गए। किस्मत से ध्रुव का घर ज्यादा दूर नहीं था। वह किसी तरह वर्षा को लेकर अपने घर आ गया। ध्रुव और मालिनी के ख्याल रखने से वर्षा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई लेकिन उसे पिछला कुछ भी याद नहीं था। चुकी जिस दिन वह मिली थी इस दिन बारिश हो रही थी इसीलिए ध्रुव ने उसका नाम वर्षा रख दिया। उस दिन के बाद से ध्रुव ने कही भी आना जाना बंद कर दिया। उसे अपने दोस्तो के रवैए से बड़ा दुख पहुंचा था। ध्रुव सोचता है की अगर मैं योद्धा नही बना तो क्या हुआ? मैं राजनीति शास्त्र का अध्ययन करूंगा। कम से कम मां को काम तो नही करना पड़ेगा।
उस दिन के बाद से वह रोज सुबह पास के विद्यालय में जाता। वहा पर उसे सामाजिक, ऐतिहासिक और भुगौलिक शिक्षा मिलती। जो आम दिनों में काम में आ सके। ऐसे ही दो साल बीत गए। मालिनी की तबियत बहुत ही खराब रहने लगी। उसकी कुछ ही दिनों में देहांत हो गई। मरने से पहले मालिनी ने ध्रुव को उसके और करुणा की शादी की बात बता दी। मालिनी ने ध्रुव को यह भी बताया की वह करुणा से ज्यादा उम्मीद नहीं रखे। अब करुणा एक योद्धा बन गई है। वह बचपन की यादों में नही जायेगी। वह अपने से ज्यादा ताकतवर लोग को पसंद करेगी। मालिनी ने वर्षा से भी ध्रुव की हमेशा खयाल रखने का वादा ले लिया। मरते वक्त मालिनी ने ध्रुव को एक अंगूठी भी दी। उसने कहा कि यह अंगूठी तुम्हारे जन्म के वक्त एक संत ने दी थी।
मालिनी की मृत्यु के कुछ महीनो तक ध्रुव की हालत खराब रही। फिर वह वर्षा के साथ अपने ननिहाल रहने चला गया। वहा अपने नाना नानी की खेतो के काम में हाथ बटाने लगा। पांच दिन पहले ध्रुव को पता चला करुणा लौट कर भैरवी राज्य आ रही है। उसके पिता सुलभ मौर्य ने उसे अपने पास बुला लिया। वह उसी दिन वर्षा के साथ वह पिंडारी शहर के महल में आ गया।
अगले दिन ध्रुव को करुणा ने जंगल के पास वाली पहाड़ी के पास बुलाया। वहा पर ध्रुव अकेला ही जाना चाहता था लेकिन वर्षा जिद्द करने लगी की उसे भी जाना है। ध्रुव वर्षा को भी साथ ले गया। जब ध्रुव और वर्षा वहा पहुंचे तो उन्हे वहा पर कोई दिखाई नहीं दिया। जब कुछ देर तक कोई दिखाई नहीं दिया तो वे आगे बढ़ने लगे। कुछ दूरी पर उन्हें एक गुफा दिखाई दी। उसमे से कुछ आवाजे आ रही थी। दोनो उस गुफा के मुहाने पर पहुंचे। गुफा कोई बड़ा नहीं था। उसमे से दो लोगो की गहरी सांसे लेने की आवाजे आ रही थी। ऐसी आवाज सुनकर ध्रुव और वर्षा गुफा के मुहाने पर ही रुक गए।
"करुणा तुमने आज उस निकम्मे को क्यों बुलाया है!" गुफा से एक लड़के की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर ध्रुव और वर्षा दोनो चौक गए। क्योंकि यह आवाज इन्होंने कल ही सुनी थी। यह आवाज सौतेले भाई साहिल की थी। और उसकी बातो से लग रह था की करुणा और वह दोनो साथ में ही है। कुछ देर पहले की आवाज से यह भी पता चल रहा था की अभी अभी वे दोनो वासना के सागर से निकले है।
"वह मेरे काबिल नही है। तुम्हे क्या लगा मैं उसे उससे चुदने केलिए बुलाई हूं। उसकी औकात मेरी जुटी के बराबर भी नहीं है।" अगले ही पल करुणा की आवाज बाहर खड़े ध्रुव और वर्षा के कानो में पड़ी। यह बात मानो ध्रुव के सीने को हजारों टुकड़ों में बंट गई। फिर भी ध्रुव यह बात सुन गया। उसको पता था की वह करुणा के लायक नही है। लेकिन अगले पल उसने जो बात सुनी उसे खुद पर ही घिन आने लगी की वह ऐसी लड़की से कैसे प्यार कर सकता है…….
पढ़ने के लिए धन्यवाद.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया भी दे