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Fantasy ध्रुव: एक योद्धा का सफर

प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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प्रिया

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प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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Nice update

Thankyou :)
 
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प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं नयनतारा ग्रह के युद्ध मंडल के बारे में कुछ जानकारी दे दे रहीं हु।


नयनतारा ग्रह पर युद्ध मंडल को इस प्रकार से बांटा गया है।

  1. आरंभिक
  2. लाल
  3. नारंगी
  4. पीला
  5. हरा
  6. नीला
  7. बैंगनी
(इसके आगे भी है जो बाद में पता चलेगी।)
 

प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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नयनतारा ग्रह पर साधना मंत्र इस प्रकार बांटे गए है।
  1. पीला स्तर
  2. काला स्तर
  3. पृथ्वी स्तर
  4. स्वर्ग स्तर
  5. दिव्य स्तर
 
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Ouseph

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अद्भुत एवं अत्यंत रोमांचक। गति थोड़ी तीव्र है एवं कहानी की लयबद्धता में थोड़ा और निखार आ जाए तो कहानी हाहाकार मचा सकते है। लेखन हेतु साधुवाद
 
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kas1709

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अध्याय 01: धोखा



पिंडारी शहर, भैरवी राज्य, सुदूर पूर्वी क्षेत्र, नयनतारा ग्रह।


नयनतारा ग्रह को पांच क्षेत्र में बांटा गया है। पूर्वी, पश्चिमी, उतरी, दक्षिणी तथा केंद्रीय क्षेत्र। भैरवी राज्य एक छोटा सा राज्य है जो पूर्वी क्षेत्र के आखिरी हिस्से में है। भैरवी राज्य में कुल छह शहर है। पिंडारी शहर भी भैरवी राज्य में है। यह शहर जंगल के किनारे है।


पिंडारी शहर के सेनापति सुलभ मौर्य (45) की दो पत्नी थी। जिनमे से पहली पत्नी का देहांत दो साल पहले हो गई। दोनो बीबी से सुलभ को एक एक बेटा हुआ था। पहली बीबी मालिनी का बेटा ध्रुव मौर्य (18) है वही दूसरी बीबी कामिनी (39) से साहिल मौर्य (19) पैदा हुआ है। मालिनी की मृत्यु एक गंभीर बीमारी के चलते हो गई। मालिनी एक गरीब घर से थी। उसको सुलभ से प्यार हो गया था। जब मालिनी को कुछ सालो तक संतान नहीं हुआ तो सुलभ के घरवालों ने कामिनी से शादी करवा दी। वह एक धनी परिवार से है।


भैरवी राजमहल की महारानी और मालिनी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। ध्रुव के जन्म होने पर महारानी ने अपनी बेटी राजकुमारी करुणा की शादी उससे तय कर दी थी। दोनो बच्चे बचपन से साथ खेलते आए थे।


नयनतारा ग्रह पर बच्चे पांच साल की उम्र से ही युद्ध शिक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले बच्चो की युद्ध योग्यता चेक की जाती है। यह एक पत्थर का कॉलम होता है। वह नौ खांचों में बंटा होता है। उसपे हाथ रखने पर वह योग्यता अनुसार अपना अंक बताता है। जब ध्रुव की योग्यता चेक की गई थी तो उसका कोई भी अंक नही दिखाया गया था। उसके बाद से ध्रुव का नाम एक प्रसिद्ध नकारा के रूप में लिया जाने लगा। करुणा की योग्यता का स्तर सात वही साहिल की योग्यता का स्तर नौ था। जिसके कारण उसे अलापुरी युद्ध शिक्षा संस्थान के एक वरिष्ठ अध्यापक ने शिष्या बना लिया। भैरवी राज्य, अलापुरी राज्य के अधीन है। भैरवी राज्य एक नौ स्तरीय राज्य है। वही अलापुरी राज्य आठ स्तरीय राज्य है।


एक तरफ करुणा एक अच्छे गुरु से युद्ध कला का ज्ञान ले रही थी तो दूसरी तरफ ध्रुव को सभी किसी से ताने सुनने को मिलता। दोनो अब दो अलग अलग दुनिया के लोग हो गए थे। ध्रुव की दोस्ती वही के कुछ मनचले लडको के साथ हो गई थी। उसको घर में भी सभी से बाते सुनने को मिलती रहती थी। इसी चिंता की वजह से मालिनी की तबियत भी बिगड़ने लगी थी।


इसी बीच चार साल पहले ध्रुव को वर्षा मिली। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। ध्रुव और उसके दोस्त बाहर घूमने गए हुए थे। वर्षा उन्हे बीच रास्ते में घायल पड़ी मिली। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे। उसका चेहरा एकदम काला था। उसके चेहरे पर पिंपल निकले हुए थे। उसके हालत बहुत ही नाजुक थे। ध्रुव के दोस्त वहा से बहाना बना के चले गए। किस्मत से ध्रुव का घर ज्यादा दूर नहीं था। वह किसी तरह वर्षा को लेकर अपने घर आ गया। ध्रुव और मालिनी के ख्याल रखने से वर्षा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई लेकिन उसे पिछला कुछ भी याद नहीं था। चुकी जिस दिन वह मिली थी इस दिन बारिश हो रही थी इसीलिए ध्रुव ने उसका नाम वर्षा रख दिया। उस दिन के बाद से ध्रुव ने कही भी आना जाना बंद कर दिया। उसे अपने दोस्तो के रवैए से बड़ा दुख पहुंचा था। ध्रुव सोचता है की अगर मैं योद्धा नही बना तो क्या हुआ? मैं राजनीति शास्त्र का अध्ययन करूंगा। कम से कम मां को काम तो नही करना पड़ेगा।


उस दिन के बाद से वह रोज सुबह पास के विद्यालय में जाता। वहा पर उसे सामाजिक, ऐतिहासिक और भुगौलिक शिक्षा मिलती। जो आम दिनों में काम में आ सके। ऐसे ही दो साल बीत गए। मालिनी की तबियत बहुत ही खराब रहने लगी। उसकी कुछ ही दिनों में देहांत हो गई। मरने से पहले मालिनी ने ध्रुव को उसके और करुणा की शादी की बात बता दी। मालिनी ने ध्रुव को यह भी बताया की वह करुणा से ज्यादा उम्मीद नहीं रखे। अब करुणा एक योद्धा बन गई है। वह बचपन की यादों में नही जायेगी। वह अपने से ज्यादा ताकतवर लोग को पसंद करेगी। मालिनी ने वर्षा से भी ध्रुव की हमेशा खयाल रखने का वादा ले लिया। मरते वक्त मालिनी ने ध्रुव को एक अंगूठी भी दी। उसने कहा कि यह अंगूठी तुम्हारे जन्म के वक्त एक संत ने दी थी।


मालिनी की मृत्यु के कुछ महीनो तक ध्रुव की हालत खराब रही। फिर वह वर्षा के साथ अपने ननिहाल रहने चला गया। वहा अपने नाना नानी की खेतो के काम में हाथ बटाने लगा। पांच दिन पहले ध्रुव को पता चला करुणा लौट कर भैरवी राज्य आ रही है। उसके पिता सुलभ मौर्य ने उसे अपने पास बुला लिया। वह उसी दिन वर्षा के साथ वह पिंडारी शहर के महल में आ गया।


अगले दिन ध्रुव को करुणा ने जंगल के पास वाली पहाड़ी के पास बुलाया। वहा पर ध्रुव अकेला ही जाना चाहता था लेकिन वर्षा जिद्द करने लगी की उसे भी जाना है। ध्रुव वर्षा को भी साथ ले गया। जब ध्रुव और वर्षा वहा पहुंचे तो उन्हे वहा पर कोई दिखाई नहीं दिया। जब कुछ देर तक कोई दिखाई नहीं दिया तो वे आगे बढ़ने लगे। कुछ दूरी पर उन्हें एक गुफा दिखाई दी। उसमे से कुछ आवाजे आ रही थी। दोनो उस गुफा के मुहाने पर पहुंचे। गुफा कोई बड़ा नहीं था। उसमे से दो लोगो की गहरी सांसे लेने की आवाजे आ रही थी। ऐसी आवाज सुनकर ध्रुव और वर्षा गुफा के मुहाने पर ही रुक गए।


"करुणा तुमने आज उस निकम्मे को क्यों बुलाया है!" गुफा से एक लड़के की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर ध्रुव और वर्षा दोनो चौक गए। क्योंकि यह आवाज इन्होंने कल ही सुनी थी। यह आवाज सौतेले भाई साहिल की थी। और उसकी बातो से लग रह था की करुणा और वह दोनो साथ में ही है। कुछ देर पहले की आवाज से यह भी पता चल रहा था की अभी अभी वे दोनो वासना के सागर से निकले है।



"वह मेरे काबिल नही है। तुम्हे क्या लगा मैं उसे उससे चुदने केलिए बुलाई हूं। उसकी औकात मेरी जुटी के बराबर भी नहीं है।" अगले ही पल करुणा की आवाज बाहर खड़े ध्रुव और वर्षा के कानो में पड़ी। यह बात मानो ध्रुव के सीने को हजारों टुकड़ों में बंट गई। फिर भी ध्रुव यह बात सुन गया। उसको पता था की वह करुणा के लायक नही है। लेकिन अगले पल उसने जो बात सुनी उसे खुद पर ही घिन आने लगी की वह ऐसी लड़की से कैसे प्यार कर सकता है…….



पढ़ने के लिए धन्यवाद.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया भी दे 🙃
Nice update.....
 
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kas1709

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अध्याय 02.सपना


"बेबी तुम क्या समझते हो मेरे लिए मर्दों की कोई कमी है। वो तो बात यह है की मैं जो 'माया मंत्र' की साधना करती हु उसके आगे कोई टिक नही पाता। और इस मंत्र के प्रभाव से किसी भी मर्द का वीर्य पांच दिन से ज्यादा नहीं चल सकता। वो तो तुम हो की 'माया मंत्र' की साधना करते हो जिससे तुम अभी तक जिंदा बचे हुए हो और तुम पर कोई खतरा नहीं आने वाला है। तुम्हे क्या लगता है वो निकम्मा मेरे सामने कितने घंटे टिक पाएगा।" इतना कहकर करुणा हंसने लगी। ध्रुव का दिल तो टूट ही चुका था। इस बात को सुनकर उसे विश्वास ही नहीं हुआ। वह करुणा में उस छोटी सी बच्ची की मासूमियत नही देख पा रहा था जबकि उसे उसकी आवाज सुनकर ही उल्टी आने लगी थी। अब उसके दिल में करुणा केलीए कोई भावना नहीं बची थी। वह वहा से वर्षा को लेकर निकल गया।


ध्रुव और वर्षा कुछ दूर तक गए होंगे की एक बड़े से कुत्ते ने उनपर हमला कर दिया। वे दोनो जंगल के अंदर की तरफ भागने लगे। वे भागते भागते एक नदी के पास जा पहुंचे। ध्रुव वर्षा का हाथ पकड़कर नदी में कूद गया। कुता नदी के पास पहुंचकर एक बार दोनो को देखा और फिर वापस लौट गया।


ध्रुव और वर्षा नदी की बहाव के साथ बहते बहते एक झड़ने के किनारे आ गए। और वे झड़ने के साथ ही नीचे पहुंच गए। ध्रुव वर्षा को गले लगाए हुए था। जिससे सभी पानी की धार उसपर ही गिरी जब वह नीचे पहुंचा तो फिर वह नदी की धार के साथ बहने लगा। वे दोनो नदी की पानी के साथ बहते हुए भिलाई शहर, भैरवी राज्य की एक और शहर से होकर गुजरे।


"पापा वो देखो कोई बहा जा रहा है।" एक 18-19 साल की लड़की ध्रुव और वर्षा को देखकर अपने पास खड़े अधेड़ उम्र के आदमी को आवाज लगाई।


"सोनल बेटी कौन बहा जा रहा है।" अधेड़ आदमी ने उस लड़की सोनल से कहा।


"ओह हो पापा! वहा पर कोई नदी में बहा जा रहा है।" सोनल अपना माथा पीटते हुए बोली। "जाओ अब उन्हें निकल कर लाओ कही वह जिंदा होंगे।"


"ठीक है मेरी मां जाता हूं।" अधेड़ आदमी यह बोलते हुए नदी की तरफ जाता है और अपनी नाव से दोनो को ले आया। सोनल और उसके पिता ने मिलकर ध्रुव और वर्षा को घर लेकर आए। उन्होंने दोनो को एक ही कमरे में लिटा दिया।


इधर ध्रुव जब झड़ने से गिरा था तो उसका हाथ पत्थर में लगकर कट गया था। जिसमें से खून की कुछ बूंदे मालिनी द्वारा दी गई अंगूठी पर चली गई अंगूठी से एक तेज प्रकाश की किरण निकलने लगी। ध्रुव की आंखों के सामने एक दृश्य चलने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे उसमे जिस व्यक्ति की जिंदगी दिखाई जा रही हो वह उसके साथ जुड़कर उसकी जिंदगी दिखा रहा हो।


उस दृश्य में वह एक डॉक्टर के रूप में रहता है। वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है। सबका इलाज करता है। कभी किसी युद्ध के बारे में दिखाया जाता है। जिसमे वह व्यूह रचना करता हुआ दिखता है। तो कही हथियार बनाता हुआ। ऐसी ही एक दृश्य से दूसरे दृश्य चलते चलते वह पूरे सौ साल की दृश्य देखता है। अंत में देखता है की उस ग्रह पर घमासान युद्ध मचा हुआ है। चारो तरफ अफरा तफरी मची हुई है। हर ओर खून ही खून बिखरा हुआ था। हवा में वह व्यक्ति अपने चारो तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है। वह हाथ में तलवार लिए हुए अपने दुश्मनों से लड़ रहा है और एक एक कर सभी का कत्ल कर देता है। पर वह अंतिम दुश्मन से हार जाता है और घायल होकर जमीन पर गिर जाता है। उसके बाद वह दुश्मन एक पेड़ के पास जाता है।


"हा हा हा हा!!! एक ऐसे निम्न स्तर के ग्रह पर दिव्य वृक्ष कैसे प्रकट हो गया। यह हमारे ग्रह पर होना चाहिए था।" दुश्मन ने अपने हाथ से वह पेड़ उखाड़ लेता है और उसे अपने साथ ले जाता है। वह घायल पड़े हुए योद्धा की तरफ देखते हुए बोलता है। "तुम जैसे नीच ग्रह के प्राणी हमसे मुकाबला करने चले थे। खैर मनाओ की तुम्हारा युद्ध स्तर काफी अधिक है वरना मारे जाते और मैं भी इस बकवास में उलझना नही चाहता।" वह इतना कहकर वह दिव्य वृक्ष के साथ उस स्थान से गायब हो जाता है।


योद्धा उस दुश्मन को दिव्य वृक्ष को ले जाते हुए देख रहा था। उसके आंखो में एक विवशता देखी जा सकती है। वह वहा से इस ग्रह पर हो रहे अत्याचारों को नम आंखों से देख रहा है। वह एकाएक उठ खड़ा होता है। वह आकाश की तरफ देख कर अपने आप से कहता है "मैं दिव्य वृक्ष की रक्षा नहीं कर पाया। अब मैं अपने ग्रहवासियो को ऐसे मौत की मुंह में जाते हुए नही देख सकता।" फिर वह अपने खून से एक विचित्र चित्र बनाता है और फिर अपने हथेली से ऊर्जा को एक जगह पर रखने लगता है। जैसे जैसे उसकी ऊर्जा उस चित्र में जाने लगती है चित्र चमकने लगता है। योद्धा अपने आप में बोलता है "मैं, चंद्रास्वामी, अपनी जीवन की सारी शक्तियों से मैं प्रकृति से अपने ग्रह की तब तक सुरक्षित रखने की वचन मांगता हू जबतक दिव्य अंगूठी की कोई उत्तराधिकारी न मिल जाए।"


योद्धा के ऐसे कहते ही चारो तरफ तेज तेज हवा चलने लगती है। चारो तरफ से ऊर्जा का प्रवाह उस स्थान पर होने लगता है और उस चित्र से एक लाल तरंगे निकलने लगती है वह जहा जहा जाति है वहा से दुश्मनों का नाश करते हुए जाति है। और फिर उस ग्रह पर एक मास्क बन जाता है। और अंत में मास्क अदृश्य हो जाता है।


वह योद्धा फिर अपनी अंगुली से एक अंगूठी निकालता है और उसको देखते हुए कहता है "यह दिव्य अंगूठी मुझे दिव्य वृक्ष ने दी थी। उन्होंने कहा था की यह अंगूठी अपनी मालिक खुद चुन लेगी। अब मैं इस अंगूठी को अपने पास नही रखूंगा। अब मैं जिंदा रहकर भी क्या करूंगा। मैं चंद्रास्वामी अपनी आत्मा का एक कतरा इस अंगूठी के साथ ही लगा देता हु। इसमें मेरी जिंदगी की सारी चिकित्सा ज्ञान समाहित है। यह अंगूठी के मालिक को एक सहारा देगा।"


अंत में वह यह कहते हुए अपनी प्राण त्याग देता है "जो भी इस अंगूठी के मालिक बने वह एक बात ध्यान में रखे चाहे जो भी करे दिल से करे। दिल उसका इतना मजबूत हो की वह किसी से लड़ने की हिम्मत करे। उसमे हर काम जो उसके दिल में करने की चाह हो वह करे। वह हमेशा किसी सही का साथ दे और गलत करने वालो को सजा। वह अपने आस पास वालो को रक्षा करने में सक्षम हो।"



इतने के बाद ध्रुव के सामने से दृश्य खत्म हो जाता है और ध्रुव वास्तविकता में आ जाता है। और अपनी आंखे खोलता है।



इस अपडेट को पढ़ने केलिए शुक्रिया!!! कृपया अपनी प्रतिक्रिया और टिप्पणी दे।
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प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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अध्याय 03: सोनल का प्यार



इधर ध्रुव को चार दिन बाद होश आया। उसने अपनी आंखे खोली तो देखा की सोनल उसको एकटक से उसके चेहरे को देख रही है। सोनल बहुत ही सुंदर है उसकी बड़ी बड़ी आंखे और गुलाबी होठ है। अभी वह 18 साल की रही होगी।


"ये लड़की कौन है मुझे यह ऐसे क्यों देख रही है। मैं कहा आ गया हू और वर्षा कहा है? रुको देखता हु ये आगे क्या करती है।" यह सोचते हुए वह आंख बंद कर लेता है। वही सोनल ध्रुव को देख कर अपने आप में ही बाते करने लगी उसे ये ध्यान नहीं था की ध्रुव जगा हुआ है।


"दिखने में कितना सुंदर है। किसी राजकुमार की तरह लगता है। काश इसकी मुझसे शादी हो जाती।" वह कभी ध्रुव के नाक को टच करती कभी पलको से खेलती। "वो तो वर्षा दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है वरना मैं तो तुम्हे अपने पास ही रख लेती कही जाने नही देती।"


ध्रुव यह सुनकर हिल गया। "ये छोटी लड़की क्या बकवास किए जा रही है। हुह वर्षा मुझसे प्यार करती है।" फिर कुछ सोचकर "लेकिन अगर वर्षा मुझसे प्यार करती तो मुझे कैसे पता होता। वो मुझे बताई ही नहीं। कही ये भी हो सकता है की मैं इस बात पर ध्यान ही नही दिया। रुको इस लड़की से ही पूछ लेता हूं।"


सोनल अभी ध्रुव के होठों पर अपनी अंगुली घुमा रही थी। ध्रुव को मजाक सूझा उसने अपने होठ खोल दिए सोनल की अंगुली उसके मुंह में चली गई। ध्रुव ने उसकी अंगुली पर अपने दांत गड़ा दिए। वह अभी जोड़ो से चीखती लेकिन ध्रुव ने अपने हाथो से उसका मुंह बंद कर दिया। "मैं हाथ हटा रहा हूं। चीखना मत"


"हु हू!!" सोनल अपनी सर हिलाते हुए बोली।ध्रुव ने धीरे से अपना हाथ हटा दिया। ध्रुव अब जाकर सोनल को गौर से देखा। उसका चेहरा बहुत ही मासूम था। ध्रुव उसके चेहरे में खो गया। उसके ऐसे एकटक देखने से सोनल को शर्म आने लगी। उसने ध्रुव के हाथो पर चुटकी कर ली।


"आउच" ध्रुव एकाएक चीखा। फिर अपने आप को संभाला। वह अपने बिस्तर पर एक तरफ खिसकर खाली पड़े जगह को सोनल को दिखाते हुए बोला "इधर लेट जाओ।"


"लेकिन मैं मैं!!!"


"मैं मैं क्या लगा रखी हो। अभी तो बोल रही थी की मुझे प्यार करती हो। बड़ा आई प्यार करने वाली।" ध्रुव सोनल को चिढ़ते हुए बोला। सोनल चिढ़ गई वो गुस्से में बोली। "हा करने लगी हू तुमसे प्यार। तुम इतने प्यारे हो मैं क्या करू।"


यह सुनकर ध्रुव चौक गया उसे पता नही था ये लड़की इतनी मासूम और सच्ची होगी की ये बात भी इतनी आसानी से बोल देगी। उसे सोनल पर बड़ा प्यार आया। अब वह इस लड़की को अपने से दूर नहीं करना चाहता था। वह सोनल को दुनिया की हर बुराई से बचाना चाहता था। लेकिन अभी उसे वर्षा के बारे में कन्फर्म करना था। यह सब सोचकर ध्रुव को अपने आप पर ताज्जुब हुआ की वह कब से ऐसा सोचने लगा है। वह इमोसन के मामले में इतना ढीठ कभी नही हुआ था। इसीलिए तो वह करुणा से बिना मिले ही चला आया। 'हुह्ह्ह लगता है मैं चंद्रास्वामी के विचारो से प्रभावित हो गया हू। मैं जो काम करना चाहता हु उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन मैं वर्षा और इस लड़की की भावनाओ के साथ खेल नही सकता। खैर ये सब बाद की बात है।'


"प्यार करती हो तो डरती क्यों हो। मैं खा नही जाऊंगा। ऊपर आ जाओ।" ध्रुव सोनल को बोलता है। सोनल को ध्रुव से सच में प्यार हो गया था। वह थोड़ी झिझक के साथ बेड पर चढ़ गई। ध्रुव उसे खींचकर अपने साथ कर लिया और उसे अपनी चादर ओढ़ा दी।


"मेरा नाम ध्रुव है और तुम्हारा।" ध्रुव पूछा।


"सोनल" वह बोली।


"अच्छा अब मैं जो पूछ रहा हू वो सही सही बताना।" ध्रुव बोला।


"हम्म्म!!!" सोनल गर्दन हिला दी।


"मुझसे क्यों प्यार करती हो।" ध्रुव बोला।


"मुझे तुम बहुत हैंडसम लगते हो और तुमसे एक पॉजिटिव वाइब्स आती है। जो मुझे परेशान नही करती। तुम उन मुहल्लो के गंदे बदमाश की तरह नहीं दिखते।" सोनल बोली। उसे इतना तो समझ आ गाय था की ध्रुव को वो पसंद आ गई है। लेकिन प्यार हुआ है। ये अभी पता नही चला।


"लेकिन मुझे आगे जाकर एक बहुत ही खतरनाक काम करना है अगर मर गया तों……" यह सुनते ही सोनल ने ध्रुव का मुंह बंद कर दिया।


"ऐसा मत बोलो। काम कितना भी खतरनाक क्यों न हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी। अगर तुम मुझसे प्यार नही करते तो कोई बात नही।" सोनल बोली।


"अच्छा अगर मैं कभी कोई ऐसा काम किया जो मुझे करना जरूरी हो और उससे तुम्हे ठेस पहुंची तो क्या तुम मुझे छोड़कर चली जाओगी?" ध्रुव फिर पूछा।


"मैं ऐसा क्यों करूंगी। मैं तुमसे प्यार करती हु अगर तुम पर से ही भरोसा उठ जाए तो मुझे खुद पर से भरोसा टूट जायेगा। हा अगर किसी दिन तुमने ऐसा काम किया तो मैं नाराज जरूर होऊंगी। और तुम्हे मनाना भी पड़ेगा।" सोनल बोली और उसने अपने चेहरे पर रूठने वाले एक्सप्रेशन लाए।


"अगर मैं किसी दिन शक्तिहीन हो गया और तुम्हे मुझसे अच्छा इंसान पसंद करने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी।" ध्रुए यह सवाल बहुत डरते हुए पूछा। क्योंकि उसे करुणा की बात बार बार याद दिलाती थी।


"बिलकुल पागल हो तुम। मेरा प्यार इतना कमजोर नही की एक हवा का झोका उड़ा ले जाए।" सोनल बोली


"अच्छा अगर मेरी जिंदगी में कोई और आ जाये तो?" ध्रुव पूछा।


"तुम उसे ला सकते हो लेकिन वह स्वभाव की अच्छी होनी चाहिए और हमारे परिवार में आग लगाने वाली भी नही होनी चाहिए। और हा मैं ये जानती हु की वर्षा दीदी भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती है।" सोनल ने जबाव दिया।


"वर्षा भी मुझसे प्यार करती है ये बात तुम्हे वर्षा ने कही है। ये हो ही नही सकता। वो तो मुझसे कभी बोली भी नही।" ध्रुव बोला।


"उनका प्यार उनकी आंखों में झलकता है। पर सायद वह डरती है। कही तुम उन्हे माना ना कर दो।" सोनल और ध्रुव कुछ देर चुप रहे फिर सोनल बोली "मेरी एक बार मानोगे।"


"बोलो" ध्रुव बोला।


"यही की वर्षा दीदी को कभी मना मत करना। नही तो वह टूट जायेगी।" सोनल बोली। ध्रुव यह सुनकर जम गया। और फिर एकाएक हसने लगा। "पागल मैं वर्षा को कभी नही छोडूंगा। और तुम चिंता मत करो वर्षा जल्द ही ठीक हो जाएगी।"



अभी दोनो बात ही कर रहे थे की दरवाजे पर आहट हुई।



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