अध्याय 04: करुणा की क्रूरता
अभी ध्रुव और सोनल बात कर ही रहे थे की वर्षा अंदर आ गई। वह सोनल को ध्रुव के साथ लेटे हुए देखकर चौक गई। वह कुछ सोचकर अंदर तक कांप गई। वह ध्रुव को बहुत पसंद करती है। कही अब ध्रुव सोनल की सुंदरता देख उसे छोड़ ना दे। अभी वह कुछ उटपटांग सोच ही रही थी की उसके कानो में ध्रुव की आवाज पड़ी।
"वर्षा इधर आ न" ध्रुव ने वर्षा को अपने पास बुलाया। वह वर्षा को अपने दूसरे साइड लेटने केलिए बोला। वर्षा भी उसके साथ लेट गई। वह जैसे ही लेटी ध्रुव ने उसके चूतड पर एक थप्पड़ मार दिया।
*चटाक*"आह्ह्ह्ह"
वर्षा के शरीर में एक तेज सिहरन दौड़ गई। वह अपनी आंखो में पानी लिए एक टक ध्रुव को देखने लगी मानो वह जवाब मांग रही हो।
"हुह्ह मुझे छोड़ कर जाने का सोचना भी मत। वरना सजा मिलेगी।" ध्रुव बोला।
"सजा!!" सोनल और वर्षा एक साथ बोल पड़े।
*चटाक*"आउच"
इस बार ध्रुव सोनल के चूतड पर एक चाटा मरता है। सोनल चिहुक उठती है। वह ध्रुव के सीने को मुक्के से मारती हुई बोलती है "गंदे आदमी"
"वैसे तो अब तुम दोनो को ही इस गंदे आदमी को झेलना है।" ध्रुव उन दोनो के छातियों को घूरते हुए बोलता है। दोनो का चेहरा शर्म से लाल हो गया। ध्रुव को चोट लगने के कारण उसके शरीर से काफी खून बह गए थे। इतनी देर बात करने से उसके शरीर में कमजोरी सी होने लगी थी। वह वर्षा को देखता है। उसकी आंखे भी थकी हुई सी लग रही थी।
"मुझे नींद आ रही है। तुम दोनो भी मेरे साथ सो जाओ। थकी थकी सी लग रही हो।" उन दोनो ने भी कोई बखेड़ा नही किया। दोनो तरफ से ध्रुव की कमर में हाथ डालकर सो गई।
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भैरवी राज्य, एक गुप्त तहखाना
एक लंबी और खूबसूरत लड़की खड़ी हुई है। उसका शरीर बहुत ही कातिलाना है। उसकी छातियां और नितम्ब बाहर की तरफ निकाले हुए है। वही कमर बिलकुल पतली। बदन पर कही चर्बी का निसान नही। चेहरे पर एक मैच्योर औरत की चार्म है। कोई भी मर्द देखे तो उसे पा लेने की चाह हो। लेकिन अभी इस लड़की के चेहरे पर एक सिकन की भाव थे। अभी वह इधर से उधर टहल रही है। कुछ समय बीते होंगे की कमरे में एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पधारता है। लड़की उन्हे देखकर खुश हो जाती है। और आगे बढ़कर एक घुटने के बल बैठ सर झुका कर बोलती है "मास्टर"
वह आदमी अपना सर हिला देता है और लड़की को खड़ा होने का बोलता है। "कहो करुणा क्या समस्या आ गई है?" की हा ये लड़की कोई और नहीं राजकुमारी करुणा है और अधेड़ उम्र का व्यक्ति अलीपुर युद्ध शिक्षा संस्थान की एक वरिष्ठ गुरु है। संस्थान में जाने के बाद इन्होंने ही करुणा और साहिल की शिक्षा दी थी।
करुणा खड़ी होकर उस आदमी से कहती है। "मास्टर पहले आप बैठिए। क्या आप अपनी इस शिष्या को सेवा करने का अवसर भी नही देंगे।" इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए उस गुरु का हाथ पकड़ लेती और खींचकर वहा पड़े एक मात्र सिंहासन पर बिठा देती है और आदमी के गोदी में बैठ जाती है।
"हा हा हा करुणा मैंने तुम्हे सही पहचाना था। तुम कम कामिनी चीज नही हो।" वह आदमी करुणा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला।
"मास्टर आप भी कम कमिने नही है। पहले ही दिन मंत्र सिखाने के बहाने चोद लिया था। ही ही ही!!!" करुणा हस्ते हुए बोली। "हा हा हा हा!!!" दोनो हंसने लगते है।
"मास्टर अपने साहिल को माया मंत्र क्यों दी।" करुणा ने पूछा।
"अरे रण्डी तेरे लिए। तेरे को कौन संभालेगा। जानती है माया मंत्र का असली मतलब क्या है।" आदमी बोला।
"मास्टर बताइएगा तो आपकी ये शिष्या समझ जायेगी।" करुणा बोली।
"माया मंत्र दो भाग में बांटा गया है। पुरुष भाग और स्त्री भाग। यह मंत्र पूरा तब होता है जब तुम दोनो में से कोई एक दूसरे का कत्ल करे वो भी संभोग करते वक्त। समझी।" आदमी बोला।
"मास्टर अगर कोई दोनो मंत्र की साधना करे तो।" करुणा पूछी।
"हा करेगा तो उसे हमेशा ही वासना में डूबे रहने का मन करेगा। हा लेकिन अभी जैसे तुम जिसके साथ संभोग करती हो वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहता लेकिन प्यार मंत्र की साधना करने से यह नहीं होगा। ऐसे ही 'माया मंत्र' स्वर्ग स्तर की साधना मंत्र नही है।" अब तक करुणा ने आदमी की कमीज उतार दी थी।
"मास्टर समझ गई।" करुणा बोली। अब आदमी ने करुणा को गोद में घुमा दिया। करुणा का पीठ आदमी की तरफ हो गया।
आदमी ने करुणा की छातियों को पीछे से पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे मसलना शुरू किया। करुणा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगी। "मास्टर आपकी युद्ध मंडल क्या है?"
"मेरा युद्ध मंडल नारंगी स्तर के नौवे चरण में है।" वह आदमी बोला। "वैसे तुम्हारा भी इधर कम वृद्धि नही हुई है। तुम भी तो नारंगी स्तर के पहले चरण में प्रवेश कर गई हो।"
"हा मास्टर अभी पांच दिन पहले साहिल से चुद रही थी तभी।" करुणा बेशर्म की तरह बोली।
करुणा की बात सुनकर मास्टर का लंड फड़कने लगा। वह करुणा की चुचियों को जोड़ जोड़ से मसलने लगा। करुणा को दर्द भरा आनंद मिल रहा था। वह सिसकियां भरने लगी। कुछ देर तक कपड़ो के ऊपर से ही मसलने के बाद आदमी ने करुणा के कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया। वह करुणा को अपने लंड पर बिठा दिया। और उसे तेजी में चोदने लगा। करुणा उसके गले में हाथ डाल कर चुद रही थीं। जब वह आदमी झड़ने को हुआ तो करुणा ने उसके गले में एक छुड़ा भोक दिया। वह आदमी अपने चरम पर था उसे कुछ समझ नहीं आया। जब तक समझ आता वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया था।
करुणा ने उस आदमी को वैसे ही रहने दिया और फिर वह उसके लंड पर कूदने लगी। कुछ देर में वह झड़ने लगी। उसके बाद उसने आदमी की अंगूठी निकली। वह एक स्पेस अंगूठी थी। वह अपनी मानसिक शक्ति से उसमे कुछ खोजने लगी। कुछ देर में वह उसमे से एक कार्ड निकली जिसपर प्राचीन लिपि में कुछ लिखा हुआ था। "हू तो ये है पूरी माया मंत्र। पढ़ती हू इसे।"
वह अपनी मानसिक शक्ति की सहायता से धीरे धीरे पढ़ने लगी। जैसे जैसे वह उसे पढ़ने लगी। उसके चेहरा बदलने लगी। पूरा मंत्र तथा साधना करने के उपाय पढ़ उसने उस कार्ड को मसल कर धूल में मिला दिया। "माया मंत्र को पूरा करने केलिए पहले पति और पत्नी दोनो को स्त्री माया मंत्र और पुरुष माया मंत्र की साधना करनी पड़ेगी। इस माया मंत्र की पूरी साधना करने से पहले उसे अपने साथी के हृदय की खून पीनी पड़ेगी।"
"हुह ये मंत्र साधना बड़ी जालिम है। लेकिन मैं भी कोई काम जालिम नही हू। अब इस हरामजदे ने भी माया मंत्र की साधना की थी। मैं इसी के दिल की खून पी कर इस मंत्र की साधना करूंगी।" फिर करुणा ने एक और चाकू उसके दिल में उतर दी। जो भी खून निकला उसे निगल गई। करीब दो मिनट खून पीने के बाद वह वही बैठ गई और मंत्र की साधना करने लगी। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसकी युद्धस्तर में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही थी।
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