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Fantasy ध्रुव: एक योद्धा का सफर

प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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Sanju@

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अध्याय 01: धोखा



पिंडारी शहर, भैरवी राज्य, सुदूर पूर्वी क्षेत्र, नयनतारा ग्रह।


नयनतारा ग्रह को पांच क्षेत्र में बांटा गया है। पूर्वी, पश्चिमी, उतरी, दक्षिणी तथा केंद्रीय क्षेत्र। भैरवी राज्य एक छोटा सा राज्य है जो पूर्वी क्षेत्र के आखिरी हिस्से में है। भैरवी राज्य में कुल छह शहर है। पिंडारी शहर भी भैरवी राज्य में है। यह शहर जंगल के किनारे है।


पिंडारी शहर के सेनापति सुलभ मौर्य (45) की दो पत्नी थी। जिनमे से पहली पत्नी का देहांत दो साल पहले हो गई। दोनो बीबी से सुलभ को एक एक बेटा हुआ था। पहली बीबी मालिनी का बेटा ध्रुव मौर्य (18) है वही दूसरी बीबी कामिनी (39) से साहिल मौर्य (19) पैदा हुआ है। मालिनी की मृत्यु एक गंभीर बीमारी के चलते हो गई। मालिनी एक गरीब घर से थी। उसको सुलभ से प्यार हो गया था। जब मालिनी को कुछ सालो तक संतान नहीं हुआ तो सुलभ के घरवालों ने कामिनी से शादी करवा दी। वह एक धनी परिवार से है।


भैरवी राजमहल की महारानी और मालिनी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। ध्रुव के जन्म होने पर महारानी ने अपनी बेटी राजकुमारी करुणा की शादी उससे तय कर दी थी। दोनो बच्चे बचपन से साथ खेलते आए थे।


नयनतारा ग्रह पर बच्चे पांच साल की उम्र से ही युद्ध शिक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले बच्चो की युद्ध योग्यता चेक की जाती है। यह एक पत्थर का कॉलम होता है। वह नौ खांचों में बंटा होता है। उसपे हाथ रखने पर वह योग्यता अनुसार अपना अंक बताता है। जब ध्रुव की योग्यता चेक की गई थी तो उसका कोई भी अंक नही दिखाया गया था। उसके बाद से ध्रुव का नाम एक प्रसिद्ध नकारा के रूप में लिया जाने लगा। करुणा की योग्यता का स्तर सात वही साहिल की योग्यता का स्तर नौ था। जिसके कारण उसे अलापुरी युद्ध शिक्षा संस्थान के एक वरिष्ठ अध्यापक ने शिष्या बना लिया। भैरवी राज्य, अलापुरी राज्य के अधीन है। भैरवी राज्य एक नौ स्तरीय राज्य है। वही अलापुरी राज्य आठ स्तरीय राज्य है।


एक तरफ करुणा एक अच्छे गुरु से युद्ध कला का ज्ञान ले रही थी तो दूसरी तरफ ध्रुव को सभी किसी से ताने सुनने को मिलता। दोनो अब दो अलग अलग दुनिया के लोग हो गए थे। ध्रुव की दोस्ती वही के कुछ मनचले लडको के साथ हो गई थी। उसको घर में भी सभी से बाते सुनने को मिलती रहती थी। इसी चिंता की वजह से मालिनी की तबियत भी बिगड़ने लगी थी।


इसी बीच चार साल पहले ध्रुव को वर्षा मिली। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। ध्रुव और उसके दोस्त बाहर घूमने गए हुए थे। वर्षा उन्हे बीच रास्ते में घायल पड़ी मिली। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे। उसका चेहरा एकदम काला था। उसके चेहरे पर पिंपल निकले हुए थे। उसके हालत बहुत ही नाजुक थे। ध्रुव के दोस्त वहा से बहाना बना के चले गए। किस्मत से ध्रुव का घर ज्यादा दूर नहीं था। वह किसी तरह वर्षा को लेकर अपने घर आ गया। ध्रुव और मालिनी के ख्याल रखने से वर्षा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई लेकिन उसे पिछला कुछ भी याद नहीं था। चुकी जिस दिन वह मिली थी इस दिन बारिश हो रही थी इसीलिए ध्रुव ने उसका नाम वर्षा रख दिया। उस दिन के बाद से ध्रुव ने कही भी आना जाना बंद कर दिया। उसे अपने दोस्तो के रवैए से बड़ा दुख पहुंचा था। ध्रुव सोचता है की अगर मैं योद्धा नही बना तो क्या हुआ? मैं राजनीति शास्त्र का अध्ययन करूंगा। कम से कम मां को काम तो नही करना पड़ेगा।


उस दिन के बाद से वह रोज सुबह पास के विद्यालय में जाता। वहा पर उसे सामाजिक, ऐतिहासिक और भुगौलिक शिक्षा मिलती। जो आम दिनों में काम में आ सके। ऐसे ही दो साल बीत गए। मालिनी की तबियत बहुत ही खराब रहने लगी। उसकी कुछ ही दिनों में देहांत हो गई। मरने से पहले मालिनी ने ध्रुव को उसके और करुणा की शादी की बात बता दी। मालिनी ने ध्रुव को यह भी बताया की वह करुणा से ज्यादा उम्मीद नहीं रखे। अब करुणा एक योद्धा बन गई है। वह बचपन की यादों में नही जायेगी। वह अपने से ज्यादा ताकतवर लोग को पसंद करेगी। मालिनी ने वर्षा से भी ध्रुव की हमेशा खयाल रखने का वादा ले लिया। मरते वक्त मालिनी ने ध्रुव को एक अंगूठी भी दी। उसने कहा कि यह अंगूठी तुम्हारे जन्म के वक्त एक संत ने दी थी।


मालिनी की मृत्यु के कुछ महीनो तक ध्रुव की हालत खराब रही। फिर वह वर्षा के साथ अपने ननिहाल रहने चला गया। वहा अपने नाना नानी की खेतो के काम में हाथ बटाने लगा। पांच दिन पहले ध्रुव को पता चला करुणा लौट कर भैरवी राज्य आ रही है। उसके पिता सुलभ मौर्य ने उसे अपने पास बुला लिया। वह उसी दिन वर्षा के साथ वह पिंडारी शहर के महल में आ गया।


अगले दिन ध्रुव को करुणा ने जंगल के पास वाली पहाड़ी के पास बुलाया। वहा पर ध्रुव अकेला ही जाना चाहता था लेकिन वर्षा जिद्द करने लगी की उसे भी जाना है। ध्रुव वर्षा को भी साथ ले गया। जब ध्रुव और वर्षा वहा पहुंचे तो उन्हे वहा पर कोई दिखाई नहीं दिया। जब कुछ देर तक कोई दिखाई नहीं दिया तो वे आगे बढ़ने लगे। कुछ दूरी पर उन्हें एक गुफा दिखाई दी। उसमे से कुछ आवाजे आ रही थी। दोनो उस गुफा के मुहाने पर पहुंचे। गुफा कोई बड़ा नहीं था। उसमे से दो लोगो की गहरी सांसे लेने की आवाजे आ रही थी। ऐसी आवाज सुनकर ध्रुव और वर्षा गुफा के मुहाने पर ही रुक गए।


"करुणा तुमने आज उस निकम्मे को क्यों बुलाया है!" गुफा से एक लड़के की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर ध्रुव और वर्षा दोनो चौक गए। क्योंकि यह आवाज इन्होंने कल ही सुनी थी। यह आवाज सौतेले भाई साहिल की थी। और उसकी बातो से लग रह था की करुणा और वह दोनो साथ में ही है। कुछ देर पहले की आवाज से यह भी पता चल रहा था की अभी अभी वे दोनो वासना के सागर से निकले है।



"वह मेरे काबिल नही है। तुम्हे क्या लगा मैं उसे उससे चुदने केलिए बुलाई हूं। उसकी औकात मेरी जुटी के बराबर भी नहीं है।" अगले ही पल करुणा की आवाज बाहर खड़े ध्रुव और वर्षा के कानो में पड़ी। यह बात मानो ध्रुव के सीने को हजारों टुकड़ों में बंट गई। फिर भी ध्रुव यह बात सुन गया। उसको पता था की वह करुणा के लायक नही है। लेकिन अगले पल उसने जो बात सुनी उसे खुद पर ही घिन आने लगी की वह ऐसी लड़की से कैसे प्यार कर सकता है…….



पढ़ने के लिए धन्यवाद.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया भी दे 🙃
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पिंडारी शहर, भैरवी राज्य, सुदूर पूर्वी क्षेत्र, नयनतारा ग्रह।


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पिंडारी शहर के सेनापति सुलभ मौर्य (45) की दो पत्नी थी। जिनमे से पहली पत्नी का देहांत दो साल पहले हो गई। दोनो बीबी से सुलभ को एक एक बेटा हुआ था। पहली बीबी मालिनी का बेटा ध्रुव मौर्य (18) है वही दूसरी बीबी कामिनी (39) से साहिल मौर्य (19) पैदा हुआ है। मालिनी की मृत्यु एक गंभीर बीमारी के चलते हो गई। मालिनी एक गरीब घर से थी। उसको सुलभ से प्यार हो गया था। जब मालिनी को कुछ सालो तक संतान नहीं हुआ तो सुलभ के घरवालों ने कामिनी से शादी करवा दी। वह एक धनी परिवार से है।


भैरवी राजमहल की महारानी और मालिनी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। ध्रुव के जन्म होने पर महारानी ने अपनी बेटी राजकुमारी करुणा की शादी उससे तय कर दी थी। दोनो बच्चे बचपन से साथ खेलते आए थे।


नयनतारा ग्रह पर बच्चे पांच साल की उम्र से ही युद्ध शिक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले बच्चो की युद्ध योग्यता चेक की जाती है। यह एक पत्थर का कॉलम होता है। वह नौ खांचों में बंटा होता है। उसपे हाथ रखने पर वह योग्यता अनुसार अपना अंक बताता है। जब ध्रुव की योग्यता चेक की गई थी तो उसका कोई भी अंक नही दिखाया गया था। उसके बाद से ध्रुव का नाम एक प्रसिद्ध नकारा के रूप में लिया जाने लगा। करुणा की योग्यता का स्तर सात वही साहिल की योग्यता का स्तर नौ था। जिसके कारण उसे अलापुरी युद्ध शिक्षा संस्थान के एक वरिष्ठ अध्यापक ने शिष्या बना लिया। भैरवी राज्य, अलापुरी राज्य के अधीन है। भैरवी राज्य एक नौ स्तरीय राज्य है। वही अलापुरी राज्य आठ स्तरीय राज्य है।


एक तरफ करुणा एक अच्छे गुरु से युद्ध कला का ज्ञान ले रही थी तो दूसरी तरफ ध्रुव को सभी किसी से ताने सुनने को मिलता। दोनो अब दो अलग अलग दुनिया के लोग हो गए थे। ध्रुव की दोस्ती वही के कुछ मनचले लडको के साथ हो गई थी। उसको घर में भी सभी से बाते सुनने को मिलती रहती थी। इसी चिंता की वजह से मालिनी की तबियत भी बिगड़ने लगी थी।


इसी बीच चार साल पहले ध्रुव को वर्षा मिली। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। ध्रुव और उसके दोस्त बाहर घूमने गए हुए थे। वर्षा उन्हे बीच रास्ते में घायल पड़ी मिली। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे। उसका चेहरा एकदम काला था। उसके चेहरे पर पिंपल निकले हुए थे। उसके हालत बहुत ही नाजुक थे। ध्रुव के दोस्त वहा से बहाना बना के चले गए। किस्मत से ध्रुव का घर ज्यादा दूर नहीं था। वह किसी तरह वर्षा को लेकर अपने घर आ गया। ध्रुव और मालिनी के ख्याल रखने से वर्षा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई लेकिन उसे पिछला कुछ भी याद नहीं था। चुकी जिस दिन वह मिली थी इस दिन बारिश हो रही थी इसीलिए ध्रुव ने उसका नाम वर्षा रख दिया। उस दिन के बाद से ध्रुव ने कही भी आना जाना बंद कर दिया। उसे अपने दोस्तो के रवैए से बड़ा दुख पहुंचा था। ध्रुव सोचता है की अगर मैं योद्धा नही बना तो क्या हुआ? मैं राजनीति शास्त्र का अध्ययन करूंगा। कम से कम मां को काम तो नही करना पड़ेगा।


उस दिन के बाद से वह रोज सुबह पास के विद्यालय में जाता। वहा पर उसे सामाजिक, ऐतिहासिक और भुगौलिक शिक्षा मिलती। जो आम दिनों में काम में आ सके। ऐसे ही दो साल बीत गए। मालिनी की तबियत बहुत ही खराब रहने लगी। उसकी कुछ ही दिनों में देहांत हो गई। मरने से पहले मालिनी ने ध्रुव को उसके और करुणा की शादी की बात बता दी। मालिनी ने ध्रुव को यह भी बताया की वह करुणा से ज्यादा उम्मीद नहीं रखे। अब करुणा एक योद्धा बन गई है। वह बचपन की यादों में नही जायेगी। वह अपने से ज्यादा ताकतवर लोग को पसंद करेगी। मालिनी ने वर्षा से भी ध्रुव की हमेशा खयाल रखने का वादा ले लिया। मरते वक्त मालिनी ने ध्रुव को एक अंगूठी भी दी। उसने कहा कि यह अंगूठी तुम्हारे जन्म के वक्त एक संत ने दी थी।


मालिनी की मृत्यु के कुछ महीनो तक ध्रुव की हालत खराब रही। फिर वह वर्षा के साथ अपने ननिहाल रहने चला गया। वहा अपने नाना नानी की खेतो के काम में हाथ बटाने लगा। पांच दिन पहले ध्रुव को पता चला करुणा लौट कर भैरवी राज्य आ रही है। उसके पिता सुलभ मौर्य ने उसे अपने पास बुला लिया। वह उसी दिन वर्षा के साथ वह पिंडारी शहर के महल में आ गया।


अगले दिन ध्रुव को करुणा ने जंगल के पास वाली पहाड़ी के पास बुलाया। वहा पर ध्रुव अकेला ही जाना चाहता था लेकिन वर्षा जिद्द करने लगी की उसे भी जाना है। ध्रुव वर्षा को भी साथ ले गया। जब ध्रुव और वर्षा वहा पहुंचे तो उन्हे वहा पर कोई दिखाई नहीं दिया। जब कुछ देर तक कोई दिखाई नहीं दिया तो वे आगे बढ़ने लगे। कुछ दूरी पर उन्हें एक गुफा दिखाई दी। उसमे से कुछ आवाजे आ रही थी। दोनो उस गुफा के मुहाने पर पहुंचे। गुफा कोई बड़ा नहीं था। उसमे से दो लोगो की गहरी सांसे लेने की आवाजे आ रही थी। ऐसी आवाज सुनकर ध्रुव और वर्षा गुफा के मुहाने पर ही रुक गए।


"करुणा तुमने आज उस निकम्मे को क्यों बुलाया है!" गुफा से एक लड़के की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर ध्रुव और वर्षा दोनो चौक गए। क्योंकि यह आवाज इन्होंने कल ही सुनी थी। यह आवाज सौतेले भाई साहिल की थी। और उसकी बातो से लग रह था की करुणा और वह दोनो साथ में ही है। कुछ देर पहले की आवाज से यह भी पता चल रहा था की अभी अभी वे दोनो वासना के सागर से निकले है।



"वह मेरे काबिल नही है। तुम्हे क्या लगा मैं उसे उससे चुदने केलिए बुलाई हूं। उसकी औकात मेरी जुटी के बराबर भी नहीं है।" अगले ही पल करुणा की आवाज बाहर खड़े ध्रुव और वर्षा के कानो में पड़ी। यह बात मानो ध्रुव के सीने को हजारों टुकड़ों में बंट गई। फिर भी ध्रुव यह बात सुन गया। उसको पता था की वह करुणा के लायक नही है। लेकिन अगले पल उसने जो बात सुनी उसे खुद पर ही घिन आने लगी की वह ऐसी लड़की से कैसे प्यार कर सकता है…….



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अध्याय 02.सपना


"बेबी तुम क्या समझते हो मेरे लिए मर्दों की कोई कमी है। वो तो बात यह है की मैं जो 'माया मंत्र' की साधना करती हु उसके आगे कोई टिक नही पाता। और इस मंत्र के प्रभाव से किसी भी मर्द का वीर्य पांच दिन से ज्यादा नहीं चल सकता। वो तो तुम हो की 'माया मंत्र' की साधना करते हो जिससे तुम अभी तक जिंदा बचे हुए हो और तुम पर कोई खतरा नहीं आने वाला है। तुम्हे क्या लगता है वो निकम्मा मेरे सामने कितने घंटे टिक पाएगा।" इतना कहकर करुणा हंसने लगी। ध्रुव का दिल तो टूट ही चुका था। इस बात को सुनकर उसे विश्वास ही नहीं हुआ। वह करुणा में उस छोटी सी बच्ची की मासूमियत नही देख पा रहा था जबकि उसे उसकी आवाज सुनकर ही उल्टी आने लगी थी। अब उसके दिल में करुणा केलीए कोई भावना नहीं बची थी। वह वहा से वर्षा को लेकर निकल गया।


ध्रुव और वर्षा कुछ दूर तक गए होंगे की एक बड़े से कुत्ते ने उनपर हमला कर दिया। वे दोनो जंगल के अंदर की तरफ भागने लगे। वे भागते भागते एक नदी के पास जा पहुंचे। ध्रुव वर्षा का हाथ पकड़कर नदी में कूद गया। कुता नदी के पास पहुंचकर एक बार दोनो को देखा और फिर वापस लौट गया।


ध्रुव और वर्षा नदी की बहाव के साथ बहते बहते एक झड़ने के किनारे आ गए। और वे झड़ने के साथ ही नीचे पहुंच गए। ध्रुव वर्षा को गले लगाए हुए था। जिससे सभी पानी की धार उसपर ही गिरी जब वह नीचे पहुंचा तो फिर वह नदी की धार के साथ बहने लगा। वे दोनो नदी की पानी के साथ बहते हुए भिलाई शहर, भैरवी राज्य की एक और शहर से होकर गुजरे।


"पापा वो देखो कोई बहा जा रहा है।" एक 18-19 साल की लड़की ध्रुव और वर्षा को देखकर अपने पास खड़े अधेड़ उम्र के आदमी को आवाज लगाई।


"सोनल बेटी कौन बहा जा रहा है।" अधेड़ आदमी ने उस लड़की सोनल से कहा।


"ओह हो पापा! वहा पर कोई नदी में बहा जा रहा है।" सोनल अपना माथा पीटते हुए बोली। "जाओ अब उन्हें निकल कर लाओ कही वह जिंदा होंगे।"


"ठीक है मेरी मां जाता हूं।" अधेड़ आदमी यह बोलते हुए नदी की तरफ जाता है और अपनी नाव से दोनो को ले आया। सोनल और उसके पिता ने मिलकर ध्रुव और वर्षा को घर लेकर आए। उन्होंने दोनो को एक ही कमरे में लिटा दिया।


इधर ध्रुव जब झड़ने से गिरा था तो उसका हाथ पत्थर में लगकर कट गया था। जिसमें से खून की कुछ बूंदे मालिनी द्वारा दी गई अंगूठी पर चली गई अंगूठी से एक तेज प्रकाश की किरण निकलने लगी। ध्रुव की आंखों के सामने एक दृश्य चलने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे उसमे जिस व्यक्ति की जिंदगी दिखाई जा रही हो वह उसके साथ जुड़कर उसकी जिंदगी दिखा रहा हो।


उस दृश्य में वह एक डॉक्टर के रूप में रहता है। वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है। सबका इलाज करता है। कभी किसी युद्ध के बारे में दिखाया जाता है। जिसमे वह व्यूह रचना करता हुआ दिखता है। तो कही हथियार बनाता हुआ। ऐसी ही एक दृश्य से दूसरे दृश्य चलते चलते वह पूरे सौ साल की दृश्य देखता है। अंत में देखता है की उस ग्रह पर घमासान युद्ध मचा हुआ है। चारो तरफ अफरा तफरी मची हुई है। हर ओर खून ही खून बिखरा हुआ था। हवा में वह व्यक्ति अपने चारो तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है। वह हाथ में तलवार लिए हुए अपने दुश्मनों से लड़ रहा है और एक एक कर सभी का कत्ल कर देता है। पर वह अंतिम दुश्मन से हार जाता है और घायल होकर जमीन पर गिर जाता है। उसके बाद वह दुश्मन एक पेड़ के पास जाता है।


"हा हा हा हा!!! एक ऐसे निम्न स्तर के ग्रह पर दिव्य वृक्ष कैसे प्रकट हो गया। यह हमारे ग्रह पर होना चाहिए था।" दुश्मन ने अपने हाथ से वह पेड़ उखाड़ लेता है और उसे अपने साथ ले जाता है। वह घायल पड़े हुए योद्धा की तरफ देखते हुए बोलता है। "तुम जैसे नीच ग्रह के प्राणी हमसे मुकाबला करने चले थे। खैर मनाओ की तुम्हारा युद्ध स्तर काफी अधिक है वरना मारे जाते और मैं भी इस बकवास में उलझना नही चाहता।" वह इतना कहकर वह दिव्य वृक्ष के साथ उस स्थान से गायब हो जाता है।


योद्धा उस दुश्मन को दिव्य वृक्ष को ले जाते हुए देख रहा था। उसके आंखो में एक विवशता देखी जा सकती है। वह वहा से इस ग्रह पर हो रहे अत्याचारों को नम आंखों से देख रहा है। वह एकाएक उठ खड़ा होता है। वह आकाश की तरफ देख कर अपने आप से कहता है "मैं दिव्य वृक्ष की रक्षा नहीं कर पाया। अब मैं अपने ग्रहवासियो को ऐसे मौत की मुंह में जाते हुए नही देख सकता।" फिर वह अपने खून से एक विचित्र चित्र बनाता है और फिर अपने हथेली से ऊर्जा को एक जगह पर रखने लगता है। जैसे जैसे उसकी ऊर्जा उस चित्र में जाने लगती है चित्र चमकने लगता है। योद्धा अपने आप में बोलता है "मैं, चंद्रास्वामी, अपनी जीवन की सारी शक्तियों से मैं प्रकृति से अपने ग्रह की तब तक सुरक्षित रखने की वचन मांगता हू जबतक दिव्य अंगूठी की कोई उत्तराधिकारी न मिल जाए।"


योद्धा के ऐसे कहते ही चारो तरफ तेज तेज हवा चलने लगती है। चारो तरफ से ऊर्जा का प्रवाह उस स्थान पर होने लगता है और उस चित्र से एक लाल तरंगे निकलने लगती है वह जहा जहा जाति है वहा से दुश्मनों का नाश करते हुए जाति है। और फिर उस ग्रह पर एक मास्क बन जाता है। और अंत में मास्क अदृश्य हो जाता है।


वह योद्धा फिर अपनी अंगुली से एक अंगूठी निकालता है और उसको देखते हुए कहता है "यह दिव्य अंगूठी मुझे दिव्य वृक्ष ने दी थी। उन्होंने कहा था की यह अंगूठी अपनी मालिक खुद चुन लेगी। अब मैं इस अंगूठी को अपने पास नही रखूंगा। अब मैं जिंदा रहकर भी क्या करूंगा। मैं चंद्रास्वामी अपनी आत्मा का एक कतरा इस अंगूठी के साथ ही लगा देता हु। इसमें मेरी जिंदगी की सारी चिकित्सा ज्ञान समाहित है। यह अंगूठी के मालिक को एक सहारा देगा।"


अंत में वह यह कहते हुए अपनी प्राण त्याग देता है "जो भी इस अंगूठी के मालिक बने वह एक बात ध्यान में रखे चाहे जो भी करे दिल से करे। दिल उसका इतना मजबूत हो की वह किसी से लड़ने की हिम्मत करे। उसमे हर काम जो उसके दिल में करने की चाह हो वह करे। वह हमेशा किसी सही का साथ दे और गलत करने वालो को सजा। वह अपने आस पास वालो को रक्षा करने में सक्षम हो।"



इतने के बाद ध्रुव के सामने से दृश्य खत्म हो जाता है और ध्रुव वास्तविकता में आ जाता है। और अपनी आंखे खोलता है।



इस अपडेट को पढ़ने केलिए शुक्रिया!!! कृपया अपनी प्रतिक्रिया और टिप्पणी दे।
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अध्याय 03: सोनल का प्यार



इधर ध्रुव को चार दिन बाद होश आया। उसने अपनी आंखे खोली तो देखा की सोनल उसको एकटक से उसके चेहरे को देख रही है। सोनल बहुत ही सुंदर है उसकी बड़ी बड़ी आंखे और गुलाबी होठ है। अभी वह 18 साल की रही होगी।


"ये लड़की कौन है मुझे यह ऐसे क्यों देख रही है। मैं कहा आ गया हू और वर्षा कहा है? रुको देखता हु ये आगे क्या करती है।" यह सोचते हुए वह आंख बंद कर लेता है। वही सोनल ध्रुव को देख कर अपने आप में ही बाते करने लगी उसे ये ध्यान नहीं था की ध्रुव जगा हुआ है।


"दिखने में कितना सुंदर है। किसी राजकुमार की तरह लगता है। काश इसकी मुझसे शादी हो जाती।" वह कभी ध्रुव के नाक को टच करती कभी पलको से खेलती। "वो तो वर्षा दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है वरना मैं तो तुम्हे अपने पास ही रख लेती कही जाने नही देती।"


ध्रुव यह सुनकर हिल गया। "ये छोटी लड़की क्या बकवास किए जा रही है। हुह वर्षा मुझसे प्यार करती है।" फिर कुछ सोचकर "लेकिन अगर वर्षा मुझसे प्यार करती तो मुझे कैसे पता होता। वो मुझे बताई ही नहीं। कही ये भी हो सकता है की मैं इस बात पर ध्यान ही नही दिया। रुको इस लड़की से ही पूछ लेता हूं।"


सोनल अभी ध्रुव के होठों पर अपनी अंगुली घुमा रही थी। ध्रुव को मजाक सूझा उसने अपने होठ खोल दिए सोनल की अंगुली उसके मुंह में चली गई। ध्रुव ने उसकी अंगुली पर अपने दांत गड़ा दिए। वह अभी जोड़ो से चीखती लेकिन ध्रुव ने अपने हाथो से उसका मुंह बंद कर दिया। "मैं हाथ हटा रहा हूं। चीखना मत"


"हु हू!!" सोनल अपनी सर हिलाते हुए बोली।ध्रुव ने धीरे से अपना हाथ हटा दिया। ध्रुव अब जाकर सोनल को गौर से देखा। उसका चेहरा बहुत ही मासूम था। ध्रुव उसके चेहरे में खो गया। उसके ऐसे एकटक देखने से सोनल को शर्म आने लगी। उसने ध्रुव के हाथो पर चुटकी कर ली।


"आउच" ध्रुव एकाएक चीखा। फिर अपने आप को संभाला। वह अपने बिस्तर पर एक तरफ खिसकर खाली पड़े जगह को सोनल को दिखाते हुए बोला "इधर लेट जाओ।"


"लेकिन मैं मैं!!!"


"मैं मैं क्या लगा रखी हो। अभी तो बोल रही थी की मुझे प्यार करती हो। बड़ा आई प्यार करने वाली।" ध्रुव सोनल को चिढ़ते हुए बोला। सोनल चिढ़ गई वो गुस्से में बोली। "हा करने लगी हू तुमसे प्यार। तुम इतने प्यारे हो मैं क्या करू।"


यह सुनकर ध्रुव चौक गया उसे पता नही था ये लड़की इतनी मासूम और सच्ची होगी की ये बात भी इतनी आसानी से बोल देगी। उसे सोनल पर बड़ा प्यार आया। अब वह इस लड़की को अपने से दूर नहीं करना चाहता था। वह सोनल को दुनिया की हर बुराई से बचाना चाहता था। लेकिन अभी उसे वर्षा के बारे में कन्फर्म करना था। यह सब सोचकर ध्रुव को अपने आप पर ताज्जुब हुआ की वह कब से ऐसा सोचने लगा है। वह इमोसन के मामले में इतना ढीठ कभी नही हुआ था। इसीलिए तो वह करुणा से बिना मिले ही चला आया। 'हुह्ह्ह लगता है मैं चंद्रास्वामी के विचारो से प्रभावित हो गया हू। मैं जो काम करना चाहता हु उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन मैं वर्षा और इस लड़की की भावनाओ के साथ खेल नही सकता। खैर ये सब बाद की बात है।'


"प्यार करती हो तो डरती क्यों हो। मैं खा नही जाऊंगा। ऊपर आ जाओ।" ध्रुव सोनल को बोलता है। सोनल को ध्रुव से सच में प्यार हो गया था। वह थोड़ी झिझक के साथ बेड पर चढ़ गई। ध्रुव उसे खींचकर अपने साथ कर लिया और उसे अपनी चादर ओढ़ा दी।


"मेरा नाम ध्रुव है और तुम्हारा।" ध्रुव पूछा।


"सोनल" वह बोली।


"अच्छा अब मैं जो पूछ रहा हू वो सही सही बताना।" ध्रुव बोला।


"हम्म्म!!!" सोनल गर्दन हिला दी।


"मुझसे क्यों प्यार करती हो।" ध्रुव बोला।


"मुझे तुम बहुत हैंडसम लगते हो और तुमसे एक पॉजिटिव वाइब्स आती है। जो मुझे परेशान नही करती। तुम उन मुहल्लो के गंदे बदमाश की तरह नहीं दिखते।" सोनल बोली। उसे इतना तो समझ आ गाय था की ध्रुव को वो पसंद आ गई है। लेकिन प्यार हुआ है। ये अभी पता नही चला।


"लेकिन मुझे आगे जाकर एक बहुत ही खतरनाक काम करना है अगर मर गया तों……" यह सुनते ही सोनल ने ध्रुव का मुंह बंद कर दिया।


"ऐसा मत बोलो। काम कितना भी खतरनाक क्यों न हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी। अगर तुम मुझसे प्यार नही करते तो कोई बात नही।" सोनल बोली।


"अच्छा अगर मैं कभी कोई ऐसा काम किया जो मुझे करना जरूरी हो और उससे तुम्हे ठेस पहुंची तो क्या तुम मुझे छोड़कर चली जाओगी?" ध्रुव फिर पूछा।


"मैं ऐसा क्यों करूंगी। मैं तुमसे प्यार करती हु अगर तुम पर से ही भरोसा उठ जाए तो मुझे खुद पर से भरोसा टूट जायेगा। हा अगर किसी दिन तुमने ऐसा काम किया तो मैं नाराज जरूर होऊंगी। और तुम्हे मनाना भी पड़ेगा।" सोनल बोली और उसने अपने चेहरे पर रूठने वाले एक्सप्रेशन लाए।


"अगर मैं किसी दिन शक्तिहीन हो गया और तुम्हे मुझसे अच्छा इंसान पसंद करने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी।" ध्रुए यह सवाल बहुत डरते हुए पूछा। क्योंकि उसे करुणा की बात बार बार याद दिलाती थी।


"बिलकुल पागल हो तुम। मेरा प्यार इतना कमजोर नही की एक हवा का झोका उड़ा ले जाए।" सोनल बोली


"अच्छा अगर मेरी जिंदगी में कोई और आ जाये तो?" ध्रुव पूछा।


"तुम उसे ला सकते हो लेकिन वह स्वभाव की अच्छी होनी चाहिए और हमारे परिवार में आग लगाने वाली भी नही होनी चाहिए। और हा मैं ये जानती हु की वर्षा दीदी भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती है।" सोनल ने जबाव दिया।


"वर्षा भी मुझसे प्यार करती है ये बात तुम्हे वर्षा ने कही है। ये हो ही नही सकता। वो तो मुझसे कभी बोली भी नही।" ध्रुव बोला।


"उनका प्यार उनकी आंखों में झलकता है। पर सायद वह डरती है। कही तुम उन्हे माना ना कर दो।" सोनल और ध्रुव कुछ देर चुप रहे फिर सोनल बोली "मेरी एक बार मानोगे।"


"बोलो" ध्रुव बोला।


"यही की वर्षा दीदी को कभी मना मत करना। नही तो वह टूट जायेगी।" सोनल बोली। ध्रुव यह सुनकर जम गया। और फिर एकाएक हसने लगा। "पागल मैं वर्षा को कभी नही छोडूंगा। और तुम चिंता मत करो वर्षा जल्द ही ठीक हो जाएगी।"



अभी दोनो बात ही कर रहे थे की दरवाजे पर आहट हुई।



पढ़कर प्रतिक्रिया और टिप्पणी जरूर करे।
Bahut hi behtreen update hai
 
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Sanju@

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अध्याय 04: करुणा की क्रूरता



अभी ध्रुव और सोनल बात कर ही रहे थे की वर्षा अंदर आ गई। वह सोनल को ध्रुव के साथ लेटे हुए देखकर चौक गई। वह कुछ सोचकर अंदर तक कांप गई। वह ध्रुव को बहुत पसंद करती है। कही अब ध्रुव सोनल की सुंदरता देख उसे छोड़ ना दे। अभी वह कुछ उटपटांग सोच ही रही थी की उसके कानो में ध्रुव की आवाज पड़ी।


"वर्षा इधर आ न" ध्रुव ने वर्षा को अपने पास बुलाया। वह वर्षा को अपने दूसरे साइड लेटने केलिए बोला। वर्षा भी उसके साथ लेट गई। वह जैसे ही लेटी ध्रुव ने उसके चूतड पर एक थप्पड़ मार दिया।


*चटाक*"आह्ह्ह्ह"


वर्षा के शरीर में एक तेज सिहरन दौड़ गई। वह अपनी आंखो में पानी लिए एक टक ध्रुव को देखने लगी मानो वह जवाब मांग रही हो।


"हुह्ह मुझे छोड़ कर जाने का सोचना भी मत। वरना सजा मिलेगी।" ध्रुव बोला।


"सजा!!" सोनल और वर्षा एक साथ बोल पड़े।


*चटाक*"आउच"


इस बार ध्रुव सोनल के चूतड पर एक चाटा मरता है। सोनल चिहुक उठती है। वह ध्रुव के सीने को मुक्के से मारती हुई बोलती है "गंदे आदमी"


"वैसे तो अब तुम दोनो को ही इस गंदे आदमी को झेलना है।" ध्रुव उन दोनो के छातियों को घूरते हुए बोलता है। दोनो का चेहरा शर्म से लाल हो गया। ध्रुव को चोट लगने के कारण उसके शरीर से काफी खून बह गए थे। इतनी देर बात करने से उसके शरीर में कमजोरी सी होने लगी थी। वह वर्षा को देखता है। उसकी आंखे भी थकी हुई सी लग रही थी।


"मुझे नींद आ रही है। तुम दोनो भी मेरे साथ सो जाओ। थकी थकी सी लग रही हो।" उन दोनो ने भी कोई बखेड़ा नही किया। दोनो तरफ से ध्रुव की कमर में हाथ डालकर सो गई।

***

***

***

***

भैरवी राज्य, एक गुप्त तहखाना


एक लंबी और खूबसूरत लड़की खड़ी हुई है। उसका शरीर बहुत ही कातिलाना है। उसकी छातियां और नितम्ब बाहर की तरफ निकाले हुए है। वही कमर बिलकुल पतली। बदन पर कही चर्बी का निसान नही। चेहरे पर एक मैच्योर औरत की चार्म है। कोई भी मर्द देखे तो उसे पा लेने की चाह हो। लेकिन अभी इस लड़की के चेहरे पर एक सिकन की भाव थे। अभी वह इधर से उधर टहल रही है। कुछ समय बीते होंगे की कमरे में एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पधारता है। लड़की उन्हे देखकर खुश हो जाती है। और आगे बढ़कर एक घुटने के बल बैठ सर झुका कर बोलती है "मास्टर"


वह आदमी अपना सर हिला देता है और लड़की को खड़ा होने का बोलता है। "कहो करुणा क्या समस्या आ गई है?" की हा ये लड़की कोई और नहीं राजकुमारी करुणा है और अधेड़ उम्र का व्यक्ति अलीपुर युद्ध शिक्षा संस्थान की एक वरिष्ठ गुरु है। संस्थान में जाने के बाद इन्होंने ही करुणा और साहिल की शिक्षा दी थी।


करुणा खड़ी होकर उस आदमी से कहती है। "मास्टर पहले आप बैठिए। क्या आप अपनी इस शिष्या को सेवा करने का अवसर भी नही देंगे।" इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए उस गुरु का हाथ पकड़ लेती और खींचकर वहा पड़े एक मात्र सिंहासन पर बिठा देती है और आदमी के गोदी में बैठ जाती है।


"हा हा हा करुणा मैंने तुम्हे सही पहचाना था। तुम कम कामिनी चीज नही हो।" वह आदमी करुणा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला।


"मास्टर आप भी कम कमिने नही है। पहले ही दिन मंत्र सिखाने के बहाने चोद लिया था। ही ही ही!!!" करुणा हस्ते हुए बोली। "हा हा हा हा!!!" दोनो हंसने लगते है।


"मास्टर अपने साहिल को माया मंत्र क्यों दी।" करुणा ने पूछा।


"अरे रण्डी तेरे लिए। तेरे को कौन संभालेगा। जानती है माया मंत्र का असली मतलब क्या है।" आदमी बोला।


"मास्टर बताइएगा तो आपकी ये शिष्या समझ जायेगी।" करुणा बोली।


"माया मंत्र दो भाग में बांटा गया है। पुरुष भाग और स्त्री भाग। यह मंत्र पूरा तब होता है जब तुम दोनो में से कोई एक दूसरे का कत्ल करे वो भी संभोग करते वक्त। समझी।" आदमी बोला।


"मास्टर अगर कोई दोनो मंत्र की साधना करे तो।" करुणा पूछी।


"हा करेगा तो उसे हमेशा ही वासना में डूबे रहने का मन करेगा। हा लेकिन अभी जैसे तुम जिसके साथ संभोग करती हो वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहता लेकिन प्यार मंत्र की साधना करने से यह नहीं होगा। ऐसे ही 'माया मंत्र' स्वर्ग स्तर की साधना मंत्र नही है।" अब तक करुणा ने आदमी की कमीज उतार दी थी।


"मास्टर समझ गई।" करुणा बोली। अब आदमी ने करुणा को गोद में घुमा दिया। करुणा का पीठ आदमी की तरफ हो गया।


आदमी ने करुणा की छातियों को पीछे से पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे मसलना शुरू किया। करुणा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगी। "मास्टर आपकी युद्ध मंडल क्या है?"


"मेरा युद्ध मंडल नारंगी स्तर के नौवे चरण में है।" वह आदमी बोला। "वैसे तुम्हारा भी इधर कम वृद्धि नही हुई है। तुम भी तो नारंगी स्तर के पहले चरण में प्रवेश कर गई हो।"


"हा मास्टर अभी पांच दिन पहले साहिल से चुद रही थी तभी।" करुणा बेशर्म की तरह बोली।


करुणा की बात सुनकर मास्टर का लंड फड़कने लगा। वह करुणा की चुचियों को जोड़ जोड़ से मसलने लगा। करुणा को दर्द भरा आनंद मिल रहा था। वह सिसकियां भरने लगी। कुछ देर तक कपड़ो के ऊपर से ही मसलने के बाद आदमी ने करुणा के कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया। वह करुणा को अपने लंड पर बिठा दिया। और उसे तेजी में चोदने लगा। करुणा उसके गले में हाथ डाल कर चुद रही थीं। जब वह आदमी झड़ने को हुआ तो करुणा ने उसके गले में एक छुड़ा भोक दिया। वह आदमी अपने चरम पर था उसे कुछ समझ नहीं आया। जब तक समझ आता वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया था।


करुणा ने उस आदमी को वैसे ही रहने दिया और फिर वह उसके लंड पर कूदने लगी। कुछ देर में वह झड़ने लगी। उसके बाद उसने आदमी की अंगूठी निकली। वह एक स्पेस अंगूठी थी। वह अपनी मानसिक शक्ति से उसमे कुछ खोजने लगी। कुछ देर में वह उसमे से एक कार्ड निकली जिसपर प्राचीन लिपि में कुछ लिखा हुआ था। "हू तो ये है पूरी माया मंत्र। पढ़ती हू इसे।"


वह अपनी मानसिक शक्ति की सहायता से धीरे धीरे पढ़ने लगी। जैसे जैसे वह उसे पढ़ने लगी। उसके चेहरा बदलने लगी। पूरा मंत्र तथा साधना करने के उपाय पढ़ उसने उस कार्ड को मसल कर धूल में मिला दिया। "माया मंत्र को पूरा करने केलिए पहले पति और पत्नी दोनो को स्त्री माया मंत्र और पुरुष माया मंत्र की साधना करनी पड़ेगी। इस माया मंत्र की पूरी साधना करने से पहले उसे अपने साथी के हृदय की खून पीनी पड़ेगी।"


"हुह ये मंत्र साधना बड़ी जालिम है। लेकिन मैं भी कोई काम जालिम नही हू। अब इस हरामजदे ने भी माया मंत्र की साधना की थी। मैं इसी के दिल की खून पी कर इस मंत्र की साधना करूंगी।" फिर करुणा ने एक और चाकू उसके दिल में उतर दी। जो भी खून निकला उसे निगल गई। करीब दो मिनट खून पीने के बाद वह वही बैठ गई और मंत्र की साधना करने लगी। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसकी युद्धस्तर में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही थी।


अपडेट पढ़कर प्रतिक्रिया और टिप्पणी करे!!!!
Awesome update
ध्रुव को सोनल और वर्षा प्यार के रूप में मिल गई है
करुणा ने तो बहुत गुल खिला रखे हैं देखते हैं आगे और कितने गुल खिलाती है माया मंत्र के लिए जिसने उसके बारे में बताया उस गुरु को ही मर दिया है ये तो बहुत ही कमिनी लगती है
 

Sanju@

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इंतजार है अगले अपडेट का
 
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Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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Waiting for your next update bro 😉🙂....

Aasha h ki hame jald hi naya update dekhne ko mile....
 
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प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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फ्राइडे नाइट तक अगली अपडेट पोस्ट कर दूंगी।
 
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park

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अध्याय 04: करुणा की क्रूरता



अभी ध्रुव और सोनल बात कर ही रहे थे की वर्षा अंदर आ गई। वह सोनल को ध्रुव के साथ लेटे हुए देखकर चौक गई। वह कुछ सोचकर अंदर तक कांप गई। वह ध्रुव को बहुत पसंद करती है। कही अब ध्रुव सोनल की सुंदरता देख उसे छोड़ ना दे। अभी वह कुछ उटपटांग सोच ही रही थी की उसके कानो में ध्रुव की आवाज पड़ी।


"वर्षा इधर आ न" ध्रुव ने वर्षा को अपने पास बुलाया। वह वर्षा को अपने दूसरे साइड लेटने केलिए बोला। वर्षा भी उसके साथ लेट गई। वह जैसे ही लेटी ध्रुव ने उसके चूतड पर एक थप्पड़ मार दिया।


*चटाक*"आह्ह्ह्ह"


वर्षा के शरीर में एक तेज सिहरन दौड़ गई। वह अपनी आंखो में पानी लिए एक टक ध्रुव को देखने लगी मानो वह जवाब मांग रही हो।


"हुह्ह मुझे छोड़ कर जाने का सोचना भी मत। वरना सजा मिलेगी।" ध्रुव बोला।


"सजा!!" सोनल और वर्षा एक साथ बोल पड़े।


*चटाक*"आउच"


इस बार ध्रुव सोनल के चूतड पर एक चाटा मरता है। सोनल चिहुक उठती है। वह ध्रुव के सीने को मुक्के से मारती हुई बोलती है "गंदे आदमी"


"वैसे तो अब तुम दोनो को ही इस गंदे आदमी को झेलना है।" ध्रुव उन दोनो के छातियों को घूरते हुए बोलता है। दोनो का चेहरा शर्म से लाल हो गया। ध्रुव को चोट लगने के कारण उसके शरीर से काफी खून बह गए थे। इतनी देर बात करने से उसके शरीर में कमजोरी सी होने लगी थी। वह वर्षा को देखता है। उसकी आंखे भी थकी हुई सी लग रही थी।


"मुझे नींद आ रही है। तुम दोनो भी मेरे साथ सो जाओ। थकी थकी सी लग रही हो।" उन दोनो ने भी कोई बखेड़ा नही किया। दोनो तरफ से ध्रुव की कमर में हाथ डालकर सो गई।

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भैरवी राज्य, एक गुप्त तहखाना


एक लंबी और खूबसूरत लड़की खड़ी हुई है। उसका शरीर बहुत ही कातिलाना है। उसकी छातियां और नितम्ब बाहर की तरफ निकाले हुए है। वही कमर बिलकुल पतली। बदन पर कही चर्बी का निसान नही। चेहरे पर एक मैच्योर औरत की चार्म है। कोई भी मर्द देखे तो उसे पा लेने की चाह हो। लेकिन अभी इस लड़की के चेहरे पर एक सिकन की भाव थे। अभी वह इधर से उधर टहल रही है। कुछ समय बीते होंगे की कमरे में एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पधारता है। लड़की उन्हे देखकर खुश हो जाती है। और आगे बढ़कर एक घुटने के बल बैठ सर झुका कर बोलती है "मास्टर"


वह आदमी अपना सर हिला देता है और लड़की को खड़ा होने का बोलता है। "कहो करुणा क्या समस्या आ गई है?" की हा ये लड़की कोई और नहीं राजकुमारी करुणा है और अधेड़ उम्र का व्यक्ति अलीपुर युद्ध शिक्षा संस्थान की एक वरिष्ठ गुरु है। संस्थान में जाने के बाद इन्होंने ही करुणा और साहिल की शिक्षा दी थी।


करुणा खड़ी होकर उस आदमी से कहती है। "मास्टर पहले आप बैठिए। क्या आप अपनी इस शिष्या को सेवा करने का अवसर भी नही देंगे।" इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए उस गुरु का हाथ पकड़ लेती और खींचकर वहा पड़े एक मात्र सिंहासन पर बिठा देती है और आदमी के गोदी में बैठ जाती है।


"हा हा हा करुणा मैंने तुम्हे सही पहचाना था। तुम कम कामिनी चीज नही हो।" वह आदमी करुणा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला।


"मास्टर आप भी कम कमिने नही है। पहले ही दिन मंत्र सिखाने के बहाने चोद लिया था। ही ही ही!!!" करुणा हस्ते हुए बोली। "हा हा हा हा!!!" दोनो हंसने लगते है।


"मास्टर अपने साहिल को माया मंत्र क्यों दी।" करुणा ने पूछा।


"अरे रण्डी तेरे लिए। तेरे को कौन संभालेगा। जानती है माया मंत्र का असली मतलब क्या है।" आदमी बोला।


"मास्टर बताइएगा तो आपकी ये शिष्या समझ जायेगी।" करुणा बोली।


"माया मंत्र दो भाग में बांटा गया है। पुरुष भाग और स्त्री भाग। यह मंत्र पूरा तब होता है जब तुम दोनो में से कोई एक दूसरे का कत्ल करे वो भी संभोग करते वक्त। समझी।" आदमी बोला।


"मास्टर अगर कोई दोनो मंत्र की साधना करे तो।" करुणा पूछी।


"हा करेगा तो उसे हमेशा ही वासना में डूबे रहने का मन करेगा। हा लेकिन अभी जैसे तुम जिसके साथ संभोग करती हो वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहता लेकिन प्यार मंत्र की साधना करने से यह नहीं होगा। ऐसे ही 'माया मंत्र' स्वर्ग स्तर की साधना मंत्र नही है।" अब तक करुणा ने आदमी की कमीज उतार दी थी।


"मास्टर समझ गई।" करुणा बोली। अब आदमी ने करुणा को गोद में घुमा दिया। करुणा का पीठ आदमी की तरफ हो गया।


आदमी ने करुणा की छातियों को पीछे से पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे मसलना शुरू किया। करुणा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगी। "मास्टर आपकी युद्ध मंडल क्या है?"


"मेरा युद्ध मंडल नारंगी स्तर के नौवे चरण में है।" वह आदमी बोला। "वैसे तुम्हारा भी इधर कम वृद्धि नही हुई है। तुम भी तो नारंगी स्तर के पहले चरण में प्रवेश कर गई हो।"


"हा मास्टर अभी पांच दिन पहले साहिल से चुद रही थी तभी।" करुणा बेशर्म की तरह बोली।


करुणा की बात सुनकर मास्टर का लंड फड़कने लगा। वह करुणा की चुचियों को जोड़ जोड़ से मसलने लगा। करुणा को दर्द भरा आनंद मिल रहा था। वह सिसकियां भरने लगी। कुछ देर तक कपड़ो के ऊपर से ही मसलने के बाद आदमी ने करुणा के कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया। वह करुणा को अपने लंड पर बिठा दिया। और उसे तेजी में चोदने लगा। करुणा उसके गले में हाथ डाल कर चुद रही थीं। जब वह आदमी झड़ने को हुआ तो करुणा ने उसके गले में एक छुड़ा भोक दिया। वह आदमी अपने चरम पर था उसे कुछ समझ नहीं आया। जब तक समझ आता वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया था।


करुणा ने उस आदमी को वैसे ही रहने दिया और फिर वह उसके लंड पर कूदने लगी। कुछ देर में वह झड़ने लगी। उसके बाद उसने आदमी की अंगूठी निकली। वह एक स्पेस अंगूठी थी। वह अपनी मानसिक शक्ति से उसमे कुछ खोजने लगी। कुछ देर में वह उसमे से एक कार्ड निकली जिसपर प्राचीन लिपि में कुछ लिखा हुआ था। "हू तो ये है पूरी माया मंत्र। पढ़ती हू इसे।"


वह अपनी मानसिक शक्ति की सहायता से धीरे धीरे पढ़ने लगी। जैसे जैसे वह उसे पढ़ने लगी। उसके चेहरा बदलने लगी। पूरा मंत्र तथा साधना करने के उपाय पढ़ उसने उस कार्ड को मसल कर धूल में मिला दिया। "माया मंत्र को पूरा करने केलिए पहले पति और पत्नी दोनो को स्त्री माया मंत्र और पुरुष माया मंत्र की साधना करनी पड़ेगी। इस माया मंत्र की पूरी साधना करने से पहले उसे अपने साथी के हृदय की खून पीनी पड़ेगी।"


"हुह ये मंत्र साधना बड़ी जालिम है। लेकिन मैं भी कोई काम जालिम नही हू। अब इस हरामजदे ने भी माया मंत्र की साधना की थी। मैं इसी के दिल की खून पी कर इस मंत्र की साधना करूंगी।" फिर करुणा ने एक और चाकू उसके दिल में उतर दी। जो भी खून निकला उसे निगल गई। करीब दो मिनट खून पीने के बाद वह वही बैठ गई और मंत्र की साधना करने लगी। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसकी युद्धस्तर में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही थी।


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Nice and superb update....
 
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