kingkhankar
Multiverse is real!
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The story is very well describedPart 3
रात को खाना खाने के बाद थोड़ी देर ससुरजी और शर्मा जी बाते करते रहे। फिर हम दोनों कमरे में सोने के लिए गए। मैंने देखा कि शर्मा उनके कमरे में जा चुके थे फिर मैंने हमारे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया पर लॉक नही क़िया। मैं ससुरजी के बगल में बेड पर सो गई। आज तो हमारे दोनों के अलावा और कोई देखने को नही था इसलिए मुझे काफी सहजता महसूस हो रही थी। मैंने बत्ती बुझा दी थी। ससुरजी को करीब लेकर उनको बोली,
"आज तो मैं तुझे अपना बच्चा ही बना दूँगी। "
"बना दे मुझे बच्चा।"
मैंने मेरा पल्लू पूरी तरह हटा दिया और ब्लाऊज के ऊपरी कुछ बटन खोल दिये। फिर एक स्तन बाहर निकाल कर मैं उनको स्तनपान करने लगी। वो भी आराम से दूध पीने लगे। मैं एक हाथ से थोड़ी देर उनके मुह में मेरा स्तन पकड़ कर रखती थी फिर थोड़ी देर उनके पीठ पर हाथ फिरती रहती थी । फिर और थोड़ी देर बाद फिरसे अपना स्तन हाथ से पकड़ती थी ताकी उनको पीने में कोई दिक्कत ना हो। पाँच मिनट बाद ससुरजी रुक गए। मैंने उनकी पीठ थोड़ी देर थपथपाई । फिर वापस मैंने उनके मुँह में मेरा स्तन घुसा दिया। ये सिलसिला काफी बार चलता रहा। दूध पिलाने के बाद मैंने अपना पल्लू ठीक कर लिया और सो गई। सुबह शर्मा अंकल हम दोनों को उठाने खुद हमारे कमरे में आये। तब में आधी नींद में थी। उन्होंने बुलाने पर मैं जाग गयी और उठकर बेड पर बैठ गई। मेरे ससुरजी अभी गहरी नींद सो रहे थे। मैंने अपना पल्लू तो ठीक कर लिया था पर पल्लू के नीचे मेरे ब्लाऊज के कुछ बटन अभी भी खुले हुए थे। मैंने शर्मा जी के सामने ही पल्लू के निचे हाथ डालकर वो फिरसे लगा लिए। शर्मा जी मेरे स्तनों की ओर कुछ समय तक घूर रहे थे। फिर हम दोनों किचन में नाश्ता करने गए।
हम दोनों का नाश्ता करके जब पूरा हो रहा था तब मेरे ससुरजी किचन में आ गए और शर्मा जी ने उनको चाय बिस्कुट दे दिया।
"चल मार्केट में जाते है । "
मेरे ससुरजी बोले,
"रहने दे। तो अकेले ही जा । बहुत कमजोरी है मुझे ।"
"अच्छा ठीक है। तुम आराम करो। "
थोड़ी देर बाद शर्मा जी मार्केट में चले गए। मैंने घर का दरवाजा अच्छे से लगा लिया और फिर किचन में ससुरजी के बगल में बैठ गई।
"आ मेरे बच्चे । दूदू पिलाती हूँ तुझे। "
ससुरजी ने चाय का कप बाजू में रख दिया और मेरी गोद मे लेट गए। मैंने तुरंत ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये और उनका सर ढकते हुए उनको अपना दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने कल रात बहुत देर तक दूध पिया था। फिर भी वो अब पी रहे थे। मैं मन मे खुश हो गयी। ये एक अच्छी बात थी। ऐसे वो बार बार मेरा दूध पीते रहे तो मेरे स्तनों में दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी। और उनकी सेहत भी अच्छी रहेगी। उनकी भूख भी अब बढ़ गयी थी। इसीलिए तो वो इतने जोर जोर से मेरा निप्पल चूस रहे थे की उसकी आवाज साफ सुनाई दे रही थी।
"ससुरजी हो तो ऐसे। "
20 मिनिटों में ही उन्होंने मेरे दोनों स्तन खाली कर दिए। मैंने उनका मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया। फिर वो हॉल में चले गए।
दोपहर का खाना खाने के बाद मैंने बर्तन धो दिए। मेरे ससुरजी और शर्मा जी हॉल में बैठे हुए थे । थोड़ी देर बाद मैंने हॉल में जाकर ससुरजी को कहा,
"चलो ससुरजी आपको सुला देती हूँ।"
ये सुनकर शर्मा जी हँस पड़े,
"दोपहर को भी तुझे बहु लगती है सुलाने के लिए । सोने में तुझे इतनी दिक्कत होती है क्या ? "
मेरे ससुरजी शरमाते हुए बोले,
"क्या करु अब ? आदत हो गयी है मुझे। "
ससुरजी सोफे से उठ गए।
मैंने हॉल से जाते जाते कहा शर्मा जी को कहा,
" नींद नही आ रही तो सुला देती हूँ आपको भी। पहिले ससुरजी को सुलाती हूँ । फिर आपके कमरे में आ जाऊँगी में। "
शर्मा जी हँसते हुए बोले,
"ठीक है नंदिता बेटी। "
ससुरजी मेरे साथ कमरे में चले आये। मैंने थोड़ी ही देर में उनको स्तनपान करके सुला दिया। फिर मैं शर्मा जी के कमरे में चली गयी। शर्मा जी बेड पर लेटे हुए तो थे । पर उनको नींद नही आ रही थी । मुझे कमरे में आते देख वो शर्मा गए और बोले,
"मुझे तो लगा कि तुम मजाक कर रही हो। "
"मजाक क्यु करु मैं ? चलो आप को भी सुला देती हूँ।"
मैं शर्मा जी के बगल में सो गई और मैंने उनको अपने करीब ले लिया। उनका चेहरा मेरे स्तनों के काफी करीब था। मेरे मुम्मो को इतने पास से देखने से वो डर गए पर मैंने उनके पीठ पर एक हाथ रख दिया। पर उनका चेहरा लाल हो गया था। मैंने ध्यान से देखा तो मेरा पल्लू थोड़ा उठ गया था और मेरे ब्लाऊज के ऊपरी कुछ बटन खुले ही रह गए थे। शर्मा जी मेरे खुले हुए ब्लाऊज को देख रहे थे। मैंने हँसते हुए वो बटन लगा लिए और पल्लू ओढ़ लिया,
"माफ करना शर्मा जी । वो ससुरजी को सुलाने के बाद ब्लाऊज के बटन लगाना भूल गई मैं। "
शर्मा जी ने अचंभित होकर पूछा ,
"मुझ समझा नही तूने ब्लाऊज के बटन क्यु खोले थे ?"
"क्या कहूँ अब शर्मा जी ? ससुरजी को स्तनपान कर रही थी मैं । "
"ये क्या कह रही हो नंदिनी बहू ? ये तो पाप है।"
"इसमें क्या पाप अंकल ? उनकी सेहत काफी बिगड़ गई थी इसलिए उनको स्तनपान करना शुरू किया मैंने। "
"फिर भी ये गलत है।"
"नादान मत बनो शर्मा अंकल। सास और मेरे पति ने भी परमिशन दी है। "
"उनकी भी मजबूरी होगी।"
"अच्छा तो आप अब मान गए।"
"कुछ लोगो की मजबूरी हो सकती है।"
"आपको चाहिए तो पिला दूँ?"
"छी... मैं क्या अब छोटा बच्चा हूँ ? "
"पर आप अब बुढ़े हो चुके हो। कमजोरी भी आती होगी आपको। थोड़ा दूध पी लो। फिर देखी तंदरुस्त बन जाओगे। "
शर्मा जी नही नही कह रहे थे पर मैंने उनकी एक नही सुनी। आखिर में वो मान गए।
"अब इतना आग्रह कर रही हो तो पिला दो मुझे ।"
"ये हुई ना बात।"
मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के उपरी कुछ बटन खोल दिये। फिर शर्मा जी का सर पल्लू से ढकते हुए मैं उनको दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने पहले ही मेरा काफी दूध पी लिया था। इसलिए शर्मा जी को मैं 10 मिनट तक ही पिला सकी।
"कैसा लगा दूध मेरा?"
"बहुत ही स्वादिष्ट है। तेरा ससुर बहुत लकी है जो ऐसी बहु मिल गई उसको। "
"तो फिर और दो दिन हम रहने वाले है। ससुरजी के साथ आपको भी पिला दूँ ना ?"
"हा नंदिता बेटी। बिलकुल ।"
शाम को हम तीनों ने चाय नाश्ता कर लिया और जाकर हॉल में टीव्ही देखने लगे। मैंने पहिले ही ससुरजी को बता दिया था कि शर्मा जी को मैंने स्तनपान किया है। शर्मा जी मेरे पास बैठे थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको कान में हल्की आवाज में दूध पीने को कहा। वो शर्मा रहे थे पर मैंने एक हाथ से उनको मेरी गोद मे लिटा दिया। मेरे ससुरजी ने उनको ताना भी मारा,
"क्या शर्मा के बच्चे। अब तो तू भी स्तनपान करने लगा। "
"शर्मा जी, आप उनके ऊपर ध्यान मत दो। खुद तो पीते है वो । "
मैंने पल्लू उठाकर ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर शर्मा जी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। वो भी मेरे ससुरजी की तरह ही चूसने की आवाज कर रहे थे। वो आवाज सुनकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे। मैं उनको आधा घंटे तक स्तनपान कर रही थी। फिर उनका मुह पल्लू से पोछते हुए मैंने उनको कहा,
"हम कल जाने वाले है। तो सिर्फ आपको ही दूध पिलाऊँगी । ठीक है ?"
"बहुत बढ़िया बहु। "
दोपहर को गर्मी होने के कारण मैंने मैक्सी पहन ली। खाना खाने के बाद हम सब हॉल में आराम करने लगे। शर्मा जी ने चटाई बिखर रखी थी जमीन पर उसपर लेट गए सब। मैं एक साइड में थी । मेरे बगल में शर्मा जी और उनके दूसरे बाजू में मेरे ससुरजी लेट गए। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। पर मैंने शर्मा जी के कंधे पर हाथ रखकर उनको मेरी तरफ पलट लिया।
"दूदू पी लो अब। नही तो मैं ऐसेही सो जाऊँगी।"
वो चुप बैठ गए। मैंने उनको और करीब लिया और मैक्सी के बटन खोल दिये । फिर मैने मेरा एक भरा हुआ मुम्मा बाहर निकालकर उनके मुँह में दे दिया। वो तुरंत बच्चे की तरफ मेरा दूध पीने लगे। मैंने मेरा मुम्मा एक हाथ से उनके मुँह में अच्छी तरह से पकड़ कर रखा हुआ था। ससुरजी ये सब मायूस होकर देख रहे थे। मैंने उनको हँसते हुए कहा,
"बूढ़े लोगो को स्तनपान करने में कुछ अलग ही मजा है।"
"पर मेरी बारी कब आएगी बहु ?"
"हम घर वापस लौट जाएंगे तब आपको बहुत सारा दूध पिला दूँगी। "
"वो पल का मुझे इंतजार रहेगा। "
मैंने शर्मा जी को बहुत देर तक दूध पिलाया। शाम को भी टिव्ही देखते समय उनको पिला दिया। उस रात मैं शर्मा जी के कमरे में ही सोने चली गयी। और फिर उनको आराम से बहुत देर तक अपना दूध पिला रही थी।
अगले दिन हम शाम को वापस घर जाने वाले थे। तो सुबह मै नाश्ता करने के पहले ही शर्मा जी को रसोईघर में लेकर चली गई। मेरे ससुरजी अबतक उठे नही थे। फिर मैंने बिना देर लगाए शर्मा जी को अपनी गोद मे सुलाते हुए स्तनपान करना शुरू किया। तब सुबह के सिर्फ 6 बजे हुए थे। 8 बजे मेरे ससुरजी उठ गए। वो जब रसोईघर में नाश्ता कर रहे थे तब मैं शर्मा जी को हॉल में स्तनपान कर रही थी। फिर 10 बजे मैंने ससुरजी के सामने ही शर्मा अंकल को दूध पिलाया। मेरे ससुरजी बेचारे मायूस होकर ये सब देख रहे थे।
शाम होते ही मैं ससुरजी के साथ वापस घर जाने को निकली। शर्मा अंकल ने हमे बाय किया। एक घंटे पहले ही उनको मैंने दूध पिलाया था। अब शाम के 7 बजे हुए थे। हमने नाईट ट्रेन पकड़ ली और एक डिब्बे में चढ़ गए। डिब्बे में पहले से ही कुछ महिलाएं थी। ससुरजी को अभी से नींद आ रही थी इसलिए मैंने उनको अपनी गोद मे सुला दिया। वो महिलाएं अचंभित हो गई तो मैंने उनको कहा ,
"मेरे ससुरजी बहुत बीमार है ना इसलिए उनको ऐसा सुलाना पड़ता है। "
एक महिला बोली,
"कोई बात नही बेटी। अच्छी बात है तू उनकी इतनी सेवा करती हो। नही तो इस कलियुग में ऐसे इंसान कहा होते है। "
मैंने उनको धन्यवाद दिया। सोने का टाइम होते ही डिब्बे की लाइट डिम कर दी गयी। मैंने ससुरजी को मेरी बगल में सोने को कहा। सामने सोते हुए महिलाओं को मैं क्या कर रही हूँ वो सब दिख रहा था। मैं ससुरजी के पीठ पर हाथ थपथपाकर उनको सुलाने लगी। पर उनको तो नींद ही नही आ रही थी। मेरे पास और कुछ चारा नही था इसलिए मैंने उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी। वो महिलाएं ये सब देख रही थी। सुबह जब मैं जाग गयी तो सामने वाली महिलाएं उठ चुकी थी। मैंने बैठते हुए अपने ब्लाऊज के खुले हुए बटन लगा लिए और अपना पल्लू ठीक कर लिया। एक महिला मुझे बोली,
"धन्य है वो ससुरजी जो इतनी अच्छी बहु मिली है उनको। "
मैने उनको धन्यवाद दिया।
बहुत बढिया कहाणी है.. काश ये कहाणी पर short film होती तो और मजा आता..Part 3
रात को खाना खाने के बाद थोड़ी देर ससुरजी और शर्मा जी बाते करते रहे। फिर हम दोनों कमरे में सोने के लिए गए। मैंने देखा कि शर्मा उनके कमरे में जा चुके थे फिर मैंने हमारे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया पर लॉक नही क़िया। मैं ससुरजी के बगल में बेड पर सो गई। आज तो हमारे दोनों के अलावा और कोई देखने को नही था इसलिए मुझे काफी सहजता महसूस हो रही थी। मैंने बत्ती बुझा दी थी। ससुरजी को करीब लेकर उनको बोली,
"आज तो मैं तुझे अपना बच्चा ही बना दूँगी। "
"बना दे मुझे बच्चा।"
मैंने मेरा पल्लू पूरी तरह हटा दिया और ब्लाऊज के ऊपरी कुछ बटन खोल दिये। फिर एक स्तन बाहर निकाल कर मैं उनको स्तनपान करने लगी। वो भी आराम से दूध पीने लगे। मैं एक हाथ से थोड़ी देर उनके मुह में मेरा स्तन पकड़ कर रखती थी फिर थोड़ी देर उनके पीठ पर हाथ फिरती रहती थी । फिर और थोड़ी देर बाद फिरसे अपना स्तन हाथ से पकड़ती थी ताकी उनको पीने में कोई दिक्कत ना हो। पाँच मिनट बाद ससुरजी रुक गए। मैंने उनकी पीठ थोड़ी देर थपथपाई । फिर वापस मैंने उनके मुँह में मेरा स्तन घुसा दिया। ये सिलसिला काफी बार चलता रहा। दूध पिलाने के बाद मैंने अपना पल्लू ठीक कर लिया और सो गई। सुबह शर्मा अंकल हम दोनों को उठाने खुद हमारे कमरे में आये। तब में आधी नींद में थी। उन्होंने बुलाने पर मैं जाग गयी और उठकर बेड पर बैठ गई। मेरे ससुरजी अभी गहरी नींद सो रहे थे। मैंने अपना पल्लू तो ठीक कर लिया था पर पल्लू के नीचे मेरे ब्लाऊज के कुछ बटन अभी भी खुले हुए थे। मैंने शर्मा जी के सामने ही पल्लू के निचे हाथ डालकर वो फिरसे लगा लिए। शर्मा जी मेरे स्तनों की ओर कुछ समय तक घूर रहे थे। फिर हम दोनों किचन में नाश्ता करने गए।
हम दोनों का नाश्ता करके जब पूरा हो रहा था तब मेरे ससुरजी किचन में आ गए और शर्मा जी ने उनको चाय बिस्कुट दे दिया।
"चल मार्केट में जाते है । "
मेरे ससुरजी बोले,
"रहने दे। तो अकेले ही जा । बहुत कमजोरी है मुझे ।"
"अच्छा ठीक है। तुम आराम करो। "
थोड़ी देर बाद शर्मा जी मार्केट में चले गए। मैंने घर का दरवाजा अच्छे से लगा लिया और फिर किचन में ससुरजी के बगल में बैठ गई।
"आ मेरे बच्चे । दूदू पिलाती हूँ तुझे। "
ससुरजी ने चाय का कप बाजू में रख दिया और मेरी गोद मे लेट गए। मैंने तुरंत ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये और उनका सर ढकते हुए उनको अपना दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने कल रात बहुत देर तक दूध पिया था। फिर भी वो अब पी रहे थे। मैं मन मे खुश हो गयी। ये एक अच्छी बात थी। ऐसे वो बार बार मेरा दूध पीते रहे तो मेरे स्तनों में दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी। और उनकी सेहत भी अच्छी रहेगी। उनकी भूख भी अब बढ़ गयी थी। इसीलिए तो वो इतने जोर जोर से मेरा निप्पल चूस रहे थे की उसकी आवाज साफ सुनाई दे रही थी।
"ससुरजी हो तो ऐसे। "
20 मिनिटों में ही उन्होंने मेरे दोनों स्तन खाली कर दिए। मैंने उनका मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया। फिर वो हॉल में चले गए।
दोपहर का खाना खाने के बाद मैंने बर्तन धो दिए। मेरे ससुरजी और शर्मा जी हॉल में बैठे हुए थे । थोड़ी देर बाद मैंने हॉल में जाकर ससुरजी को कहा,
"चलो ससुरजी आपको सुला देती हूँ।"
ये सुनकर शर्मा जी हँस पड़े,
"दोपहर को भी तुझे बहु लगती है सुलाने के लिए । सोने में तुझे इतनी दिक्कत होती है क्या ? "
मेरे ससुरजी शरमाते हुए बोले,
"क्या करु अब ? आदत हो गयी है मुझे। "
ससुरजी सोफे से उठ गए।
मैंने हॉल से जाते जाते कहा शर्मा जी को कहा,
" नींद नही आ रही तो सुला देती हूँ आपको भी। पहिले ससुरजी को सुलाती हूँ । फिर आपके कमरे में आ जाऊँगी में। "
शर्मा जी हँसते हुए बोले,
"ठीक है नंदिता बेटी। "
ससुरजी मेरे साथ कमरे में चले आये। मैंने थोड़ी ही देर में उनको स्तनपान करके सुला दिया। फिर मैं शर्मा जी के कमरे में चली गयी। शर्मा जी बेड पर लेटे हुए तो थे । पर उनको नींद नही आ रही थी । मुझे कमरे में आते देख वो शर्मा गए और बोले,
"मुझे तो लगा कि तुम मजाक कर रही हो। "
"मजाक क्यु करु मैं ? चलो आप को भी सुला देती हूँ।"
मैं शर्मा जी के बगल में सो गई और मैंने उनको अपने करीब ले लिया। उनका चेहरा मेरे स्तनों के काफी करीब था। मेरे मुम्मो को इतने पास से देखने से वो डर गए पर मैंने उनके पीठ पर एक हाथ रख दिया। पर उनका चेहरा लाल हो गया था। मैंने ध्यान से देखा तो मेरा पल्लू थोड़ा उठ गया था और मेरे ब्लाऊज के ऊपरी कुछ बटन खुले ही रह गए थे। शर्मा जी मेरे खुले हुए ब्लाऊज को देख रहे थे। मैंने हँसते हुए वो बटन लगा लिए और पल्लू ओढ़ लिया,
"माफ करना शर्मा जी । वो ससुरजी को सुलाने के बाद ब्लाऊज के बटन लगाना भूल गई मैं। "
शर्मा जी ने अचंभित होकर पूछा ,
"मुझ समझा नही तूने ब्लाऊज के बटन क्यु खोले थे ?"
"क्या कहूँ अब शर्मा जी ? ससुरजी को स्तनपान कर रही थी मैं । "
"ये क्या कह रही हो नंदिनी बहू ? ये तो पाप है।"
"इसमें क्या पाप अंकल ? उनकी सेहत काफी बिगड़ गई थी इसलिए उनको स्तनपान करना शुरू किया मैंने। "
"फिर भी ये गलत है।"
"नादान मत बनो शर्मा अंकल। सास और मेरे पति ने भी परमिशन दी है। "
"उनकी भी मजबूरी होगी।"
"अच्छा तो आप अब मान गए।"
"कुछ लोगो की मजबूरी हो सकती है।"
"आपको चाहिए तो पिला दूँ?"
"छी... मैं क्या अब छोटा बच्चा हूँ ? "
"पर आप अब बुढ़े हो चुके हो। कमजोरी भी आती होगी आपको। थोड़ा दूध पी लो। फिर देखी तंदरुस्त बन जाओगे। "
शर्मा जी नही नही कह रहे थे पर मैंने उनकी एक नही सुनी। आखिर में वो मान गए।
"अब इतना आग्रह कर रही हो तो पिला दो मुझे ।"
"ये हुई ना बात।"
मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के उपरी कुछ बटन खोल दिये। फिर शर्मा जी का सर पल्लू से ढकते हुए मैं उनको दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने पहले ही मेरा काफी दूध पी लिया था। इसलिए शर्मा जी को मैं 10 मिनट तक ही पिला सकी।
"कैसा लगा दूध मेरा?"
"बहुत ही स्वादिष्ट है। तेरा ससुर बहुत लकी है जो ऐसी बहु मिल गई उसको। "
"तो फिर और दो दिन हम रहने वाले है। ससुरजी के साथ आपको भी पिला दूँ ना ?"
"हा नंदिता बेटी। बिलकुल ।"
शाम को हम तीनों ने चाय नाश्ता कर लिया और जाकर हॉल में टीव्ही देखने लगे। मैंने पहिले ही ससुरजी को बता दिया था कि शर्मा जी को मैंने स्तनपान किया है। शर्मा जी मेरे पास बैठे थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको कान में हल्की आवाज में दूध पीने को कहा। वो शर्मा रहे थे पर मैंने एक हाथ से उनको मेरी गोद मे लिटा दिया। मेरे ससुरजी ने उनको ताना भी मारा,
"क्या शर्मा के बच्चे। अब तो तू भी स्तनपान करने लगा। "
"शर्मा जी, आप उनके ऊपर ध्यान मत दो। खुद तो पीते है वो । "
मैंने पल्लू उठाकर ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर शर्मा जी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। वो भी मेरे ससुरजी की तरह ही चूसने की आवाज कर रहे थे। वो आवाज सुनकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे। मैं उनको आधा घंटे तक स्तनपान कर रही थी। फिर उनका मुह पल्लू से पोछते हुए मैंने उनको कहा,
"हम कल जाने वाले है। तो सिर्फ आपको ही दूध पिलाऊँगी । ठीक है ?"
"बहुत बढ़िया बहु। "
दोपहर को गर्मी होने के कारण मैंने मैक्सी पहन ली। खाना खाने के बाद हम सब हॉल में आराम करने लगे। शर्मा जी ने चटाई बिखर रखी थी जमीन पर उसपर लेट गए सब। मैं एक साइड में थी । मेरे बगल में शर्मा जी और उनके दूसरे बाजू में मेरे ससुरजी लेट गए। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। पर मैंने शर्मा जी के कंधे पर हाथ रखकर उनको मेरी तरफ पलट लिया।
"दूदू पी लो अब। नही तो मैं ऐसेही सो जाऊँगी।"
वो चुप बैठ गए। मैंने उनको और करीब लिया और मैक्सी के बटन खोल दिये । फिर मैने मेरा एक भरा हुआ मुम्मा बाहर निकालकर उनके मुँह में दे दिया। वो तुरंत बच्चे की तरफ मेरा दूध पीने लगे। मैंने मेरा मुम्मा एक हाथ से उनके मुँह में अच्छी तरह से पकड़ कर रखा हुआ था। ससुरजी ये सब मायूस होकर देख रहे थे। मैंने उनको हँसते हुए कहा,
"बूढ़े लोगो को स्तनपान करने में कुछ अलग ही मजा है।"
"पर मेरी बारी कब आएगी बहु ?"
"हम घर वापस लौट जाएंगे तब आपको बहुत सारा दूध पिला दूँगी। "
"वो पल का मुझे इंतजार रहेगा। "
मैंने शर्मा जी को बहुत देर तक दूध पिलाया। शाम को भी टिव्ही देखते समय उनको पिला दिया। उस रात मैं शर्मा जी के कमरे में ही सोने चली गयी। और फिर उनको आराम से बहुत देर तक अपना दूध पिला रही थी।
अगले दिन हम शाम को वापस घर जाने वाले थे। तो सुबह मै नाश्ता करने के पहले ही शर्मा जी को रसोईघर में लेकर चली गई। मेरे ससुरजी अबतक उठे नही थे। फिर मैंने बिना देर लगाए शर्मा जी को अपनी गोद मे सुलाते हुए स्तनपान करना शुरू किया। तब सुबह के सिर्फ 6 बजे हुए थे। 8 बजे मेरे ससुरजी उठ गए। वो जब रसोईघर में नाश्ता कर रहे थे तब मैं शर्मा जी को हॉल में स्तनपान कर रही थी। फिर 10 बजे मैंने ससुरजी के सामने ही शर्मा अंकल को दूध पिलाया। मेरे ससुरजी बेचारे मायूस होकर ये सब देख रहे थे।
शाम होते ही मैं ससुरजी के साथ वापस घर जाने को निकली। शर्मा अंकल ने हमे बाय किया। एक घंटे पहले ही उनको मैंने दूध पिलाया था। अब शाम के 7 बजे हुए थे। हमने नाईट ट्रेन पकड़ ली और एक डिब्बे में चढ़ गए। डिब्बे में पहले से ही कुछ महिलाएं थी। ससुरजी को अभी से नींद आ रही थी इसलिए मैंने उनको अपनी गोद मे सुला दिया। वो महिलाएं अचंभित हो गई तो मैंने उनको कहा ,
"मेरे ससुरजी बहुत बीमार है ना इसलिए उनको ऐसा सुलाना पड़ता है। "
एक महिला बोली,
"कोई बात नही बेटी। अच्छी बात है तू उनकी इतनी सेवा करती हो। नही तो इस कलियुग में ऐसे इंसान कहा होते है। "
मैंने उनको धन्यवाद दिया। सोने का टाइम होते ही डिब्बे की लाइट डिम कर दी गयी। मैंने ससुरजी को मेरी बगल में सोने को कहा। सामने सोते हुए महिलाओं को मैं क्या कर रही हूँ वो सब दिख रहा था। मैं ससुरजी के पीठ पर हाथ थपथपाकर उनको सुलाने लगी। पर उनको तो नींद ही नही आ रही थी। मेरे पास और कुछ चारा नही था इसलिए मैंने उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी। वो महिलाएं ये सब देख रही थी। सुबह जब मैं जाग गयी तो सामने वाली महिलाएं उठ चुकी थी। मैंने बैठते हुए अपने ब्लाऊज के खुले हुए बटन लगा लिए और अपना पल्लू ठीक कर लिया। एक महिला मुझे बोली,
"धन्य है वो ससुरजी जो इतनी अच्छी बहु मिली है उनको। "
मैने उनको धन्यवाद दिया।
Very v interested indeed, pl continue the same n go ahead with thy beautiful writing, tha ks n blessings to u. O.mनई कहानी
Part 1
नमस्कार मेरा नाम नंदिता है। उम्र 32 साल और शादीशुदा हूँ। ससुराल में काफी खुश हूँ। अच्छे सास ससुर मिल गए है मुझे। मेरे पति और सास ससुर सिर्फ इतने लोग घर मे है। मुझे अब 2 साल का बेटा भी है। मेरे ससुरजी का नाम बाबूलाल है और मेरे पति का रोहित है। ससुरजी की काफी उम्र हो गयी है इसलिए उनकी काफी देखभाल करनी पड़ती है मुझे। अब सास भी बूढ़ी है इसलिए मुझे ही ससुरजी का सबकुछ करना पड़ता है।
कुछ दिनों पहले ससुरजी कमज़ोरी के कारण बहुत बीमार पड़ गए थे। हमने उनको अस्पताल में दाखिल किया। पर डॉक्टर ने 3 दिन बाद ही उनको डिस्चार्ज कर दिया। क्योंकि वो कुछ कर नही सकते थे। ससुरजी की उम्र अब 83 जो थी। पर डॉक्टर ने कहा कि उनको दूध जैसा कुछ पिलाया करो। दूध ताजा होना चाहिए। अब मेरे घरवाले सब परेशान हो गए। क्योंकि हम गांव में रहते थे। इतने दूरदराज गांव में दूध की उपलब्धि नही थी। तो सास ने एक सुझाव दे दिया। कि किसी औरत को पैसे देकर उसका दूध ले लेंगे और ससुरजी को पिलादेंगे। पर मैंने कहा कि अगर किसी औरत का ही दूध पिलाना है तो मेरा क्यों नही? सास को बहुत समझाने के बाद वो मान गयी और मेरे पति को तो कोई परेशानी नही थी। तो अब हम सब ने तय कर लिया कि मैं अपना दूध निकालकर फिर बोतल से ससुरजी को पिलादूँगी।
अगले ही दिन सुबह में मैंने अपना दूध एक गिलास में निकाल दिया और फिर एक निप्पल वाली बोतल में भर दिया। ससुरजी हॉल में पलंग पर सो रहे थे। मैं उनके पास जाकर एक कुर्सी पर बैठ गयी और उनको बोली,
"ससुरजी आपके लिए दूध लायी हूँ। पिलो अब। "
ससुरजी की आँखे खुल गयी और उन्होंने हँसते हुए कहा कि,
"अब मुझे बच्चे की तरह बोतल से दूध पीना होगा।"
"आप गिलास से तो नही ना पी सकते अब । "
"अच्छा । दे दो फिर।"
मैंने उनके हाथ मे बोतल दे दी और वो सोते हुए ही दूध पीने लगे। करीब 10 मिनिट में ही उन्होंने सारा दूध पी लिया और मुझे बोतल वापस दे दी।
"बहुत अच्छा था दूध। शक्कर डाली थी क्या तूने?"
"नही तो ससुरजी। "
"काफी मीठा था। थोड़ा खट्टा भी था। कहा मिल गया दूध ?"
मुझे डर लग रहा था पर मेरे पास उनको सच बताने के सिवाय कुछ चारा नही था।
"गांव में कहा मिलता है दूध ससुरजी। मेरा दूध निकालकर दिया आपको। "
ससुरजी स्तब्ध हो गए।
"क्या कह रही हो बहु? तूने अपना दूध दिया मुझे?"
"क्या करूँ ससुरजी। डॉक्टर ने आपको दूध पिलाना जरूरी बताया था। फिर हम सब ने मिलकर तय कर लिया कि आपको मेरा ही दूध दे देंगे। "
"पर बहु ये तो पाप है। अपने बहु का दूध पीना बहुत गलत काम है।"
"इसमें पाप क्या है ससुरजी? आप एक इंसान ही तो हो ना। "
"पर फिर भी..."
वो चुप होकर सोच में पड़ गए।
शाम को हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे और ससुरजी पास में ही लेटे हुए थे। तब मैंने किचन में जाकर बोतल में अपना दूध भर लिया और वापस हॉल में आकर ससुरजी को वो बोतल दे दी।
ससुरजी बोले,
"कितनी परेशानी हो रही होगी तुम्हे बहु।"
"कोई परेशानी नही होती मुझे। आप दूध पी लो जल्दी।"
मेरे पति और सास ने भी उनको धीरज दिया। फिर ससुरजी बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने लगे। दूध पीने के बाद मैंने उनकी पूछा,
"आपको दूध पीने के बाद अच्छा तो लग रहा है ना?"
"हा बहु। "
ये सुनकर मेरी सास और पति खुश हो गए।
दूसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद मैंने बोतल में दूध भर दिया और फिर बोतल हॉल में लेटे हुए ससुरजी को दे दी। मैं उनको बोतल देते वक्त हँस रही थी और ससुरजी का चेहरा लाल हो गया था। कुछ दिन मेरा दूध पीकर उनकी सेहत में काफी सुधार आ गया था।
कुछ दिनों के बाद हम सब को हमारे एक रिश्तेदार के घर जाना पड़ा। वो एक दूसरे गांव में रहते थे। एक ही दिन जाना था। उनके घर हम रात को पहुच गए और डिनर करने के बाद हम सब एक बड़े कमरे में सोने गए। तब मुझे याद आ गया कि ससुरजी की बोतल लानी ही भूल गयी थी। मैंने सोते वक्त सास को कह दिया,
"बोतल ही लाना भूल गयी। अब क्या करूँ?"
थोड़ी देर सोचने के बाद सास मुझे बोली,
"तू उनको ऐसेही करवा दे। एक ही रात की बात है।"
ससुरजी नही नही बोल रहे थे पर मेरे पति और सास ने उनको समझाया। कमरे की लाइट बंद करके सब सो गए। मैं ससुरजी के बगल में सो गई। फिर उनकी तरफ पलट गई और उनको कहा,
"चलो आओ आपको दूध पिलाती हूँ।"
"पर बहु... तुम्हे क्यों परेशानी ?"
"अब नादान मत बनो ससुरजी। इसमें क्या परेशानी की बात है ।"
मैंने उनको करीब लिया और अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर बाद वो चुपचाप मेरा दूध पीने लगे। मैंने एक हाथ से मेरा स्तन उनके मुँह में ठीक से पकड़कर रखा था। सास को दिख नही रहा था तो उन्होंने मुझे पूछा,
"पी रहे है क्या वो?"
"हा माँ जी।"
"अच्छा है।"
"आप सो जाओ माँ जी । उनको बहुत समय लगेगा दूध पीने में। "
"ठीक है बहु।"
मैं ससुरजी को बहुत देर तक दूध पिला रही थी।
दूसरे दिन हम सब वापस घर आने के लिए ट्रेन में चढ़ गए। रात का वक्त था। हमारे डिब्बे में दो तीन महिलाएं भी थी। सास मुझे बोली ,
"बहु तू इनके पास सो जाओ और उनको सुला दो। "
"ठीक है माँ जी।"
वो दो महिलाएं भी हमारे सामने वाली बंक पर सोने लगी। सास और मेरे पती भी सो गए। मैं डिब्बे की लाइट डिम करके ससुरजी की बगल में सो गई। मैंने उनको बोला,
"चलो आओ ससुरजी आपको सुला देती हूँ।"
वो मेरी तरफ पलट गए और फिर मैं उनके पीठ पर हाथ फिरा फिरा के उनको सुलाने लगी। बहुत देर तक ट्रैन की हलचल से उनको नींद ही नही आ रही थी। मैंने उनको हँसते हुए कहा,
"दूध पिलादु आपको ससुरजी?"
वो बोले,
"पर किसी ने देख लिया तो ?"
"कोई नही देख रहा। आप खामखा परेशान हो रहे हो। चलो पी लो दूध।"
"ठीक है पिला दो फिर।"
"आराम से पी लेना। कोई जल्दी नही है ।"
मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर ससुरजी का सर ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। वो बहुत धीरे धीरे मेरा दूध पीने लगे। मैं हलके से उनकी पीठ थपथपा रही थी। 10 मिनिट बाद वो दूध पीते पीते ही सो गए।
हम सब सुबह 10 बजे घर पहुच गए। शाम को मैंने ससुरजी को बोतल से दूध पीने दिया। रात के समय जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब मैंने अपनी सास से कहा,
"क्यू ना मैं ससुरजी को सोते वक्त दूध पिलादु? उनको अच्छी नींद आ जाएगी। "
सास खुश होकर बोली,
"अच्छा होगा अगर वो दूध पी ले। उनकी सेहत काफी सुधर जाएगी।"
"जी माँ जी। "
मेरे पती साइड में खटाई पर सो गए। सास भी एक कोने में सो गई और मुझे बोली,
"तुम इनको लेकर दूसरी तरफ सो जाओ। उनको दूध पीते वक्त डिस्टर्ब नही होना चाहिए। "
मैंने ससुरजी को हॉल में ही पर सास से दूरी रखकर सोने को कहा। फिर मैंने हॉल की लाइट डिम कर दी और उनके बगल में सो गई। मैंने उनको पास लिया और उनके पीठ पर हाथ थपथपाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उनको कहा,
"दूदू पिला दु ना आपको?"
"हा बहु। "
"चलो आप जल्दी मान गए।"
"बहुत स्वादिष्ट होता है तुम्हारा दूध।"
ये सुनते ही मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको अपना दूध पिलाने लगी।
Bhut badiya shuruaat h kahani kiनई कहानी
Part 1
नमस्कार मेरा नाम नंदिता है। उम्र 32 साल और शादीशुदा हूँ। ससुराल में काफी खुश हूँ। अच्छे सास ससुर मिल गए है मुझे। मेरे पति और सास ससुर सिर्फ इतने लोग घर मे है। मुझे अब 2 साल का बेटा भी है। मेरे ससुरजी का नाम बाबूलाल है और मेरे पति का रोहित है। ससुरजी की काफी उम्र हो गयी है इसलिए उनकी काफी देखभाल करनी पड़ती है मुझे। अब सास भी बूढ़ी है इसलिए मुझे ही ससुरजी का सबकुछ करना पड़ता है।
कुछ दिनों पहले ससुरजी कमज़ोरी के कारण बहुत बीमार पड़ गए थे। हमने उनको अस्पताल में दाखिल किया। पर डॉक्टर ने 3 दिन बाद ही उनको डिस्चार्ज कर दिया। क्योंकि वो कुछ कर नही सकते थे। ससुरजी की उम्र अब 83 जो थी। पर डॉक्टर ने कहा कि उनको दूध जैसा कुछ पिलाया करो। दूध ताजा होना चाहिए। अब मेरे घरवाले सब परेशान हो गए। क्योंकि हम गांव में रहते थे। इतने दूरदराज गांव में दूध की उपलब्धि नही थी। तो सास ने एक सुझाव दे दिया। कि किसी औरत को पैसे देकर उसका दूध ले लेंगे और ससुरजी को पिलादेंगे। पर मैंने कहा कि अगर किसी औरत का ही दूध पिलाना है तो मेरा क्यों नही? सास को बहुत समझाने के बाद वो मान गयी और मेरे पति को तो कोई परेशानी नही थी। तो अब हम सब ने तय कर लिया कि मैं अपना दूध निकालकर फिर बोतल से ससुरजी को पिलादूँगी।
अगले ही दिन सुबह में मैंने अपना दूध एक गिलास में निकाल दिया और फिर एक निप्पल वाली बोतल में भर दिया। ससुरजी हॉल में पलंग पर सो रहे थे। मैं उनके पास जाकर एक कुर्सी पर बैठ गयी और उनको बोली,
"ससुरजी आपके लिए दूध लायी हूँ। पिलो अब। "
ससुरजी की आँखे खुल गयी और उन्होंने हँसते हुए कहा कि,
"अब मुझे बच्चे की तरह बोतल से दूध पीना होगा।"
"आप गिलास से तो नही ना पी सकते अब । "
"अच्छा । दे दो फिर।"
मैंने उनके हाथ मे बोतल दे दी और वो सोते हुए ही दूध पीने लगे। करीब 10 मिनिट में ही उन्होंने सारा दूध पी लिया और मुझे बोतल वापस दे दी।
"बहुत अच्छा था दूध। शक्कर डाली थी क्या तूने?"
"नही तो ससुरजी। "
"काफी मीठा था। थोड़ा खट्टा भी था। कहा मिल गया दूध ?"
मुझे डर लग रहा था पर मेरे पास उनको सच बताने के सिवाय कुछ चारा नही था।
"गांव में कहा मिलता है दूध ससुरजी। मेरा दूध निकालकर दिया आपको। "
ससुरजी स्तब्ध हो गए।
"क्या कह रही हो बहु? तूने अपना दूध दिया मुझे?"
"क्या करूँ ससुरजी। डॉक्टर ने आपको दूध पिलाना जरूरी बताया था। फिर हम सब ने मिलकर तय कर लिया कि आपको मेरा ही दूध दे देंगे। "
"पर बहु ये तो पाप है। अपने बहु का दूध पीना बहुत गलत काम है।"
"इसमें पाप क्या है ससुरजी? आप एक इंसान ही तो हो ना। "
"पर फिर भी..."
वो चुप होकर सोच में पड़ गए।
शाम को हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे और ससुरजी पास में ही लेटे हुए थे। तब मैंने किचन में जाकर बोतल में अपना दूध भर लिया और वापस हॉल में आकर ससुरजी को वो बोतल दे दी।
ससुरजी बोले,
"कितनी परेशानी हो रही होगी तुम्हे बहु।"
"कोई परेशानी नही होती मुझे। आप दूध पी लो जल्दी।"
मेरे पति और सास ने भी उनको धीरज दिया। फिर ससुरजी बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने लगे। दूध पीने के बाद मैंने उनकी पूछा,
"आपको दूध पीने के बाद अच्छा तो लग रहा है ना?"
"हा बहु। "
ये सुनकर मेरी सास और पति खुश हो गए।
दूसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद मैंने बोतल में दूध भर दिया और फिर बोतल हॉल में लेटे हुए ससुरजी को दे दी। मैं उनको बोतल देते वक्त हँस रही थी और ससुरजी का चेहरा लाल हो गया था। कुछ दिन मेरा दूध पीकर उनकी सेहत में काफी सुधार आ गया था।
कुछ दिनों के बाद हम सब को हमारे एक रिश्तेदार के घर जाना पड़ा। वो एक दूसरे गांव में रहते थे। एक ही दिन जाना था। उनके घर हम रात को पहुच गए और डिनर करने के बाद हम सब एक बड़े कमरे में सोने गए। तब मुझे याद आ गया कि ससुरजी की बोतल लानी ही भूल गयी थी। मैंने सोते वक्त सास को कह दिया,
"बोतल ही लाना भूल गयी। अब क्या करूँ?"
थोड़ी देर सोचने के बाद सास मुझे बोली,
"तू उनको ऐसेही करवा दे। एक ही रात की बात है।"
ससुरजी नही नही बोल रहे थे पर मेरे पति और सास ने उनको समझाया। कमरे की लाइट बंद करके सब सो गए। मैं ससुरजी के बगल में सो गई। फिर उनकी तरफ पलट गई और उनको कहा,
"चलो आओ आपको दूध पिलाती हूँ।"
"पर बहु... तुम्हे क्यों परेशानी ?"
"अब नादान मत बनो ससुरजी। इसमें क्या परेशानी की बात है ।"
मैंने उनको करीब लिया और अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर बाद वो चुपचाप मेरा दूध पीने लगे। मैंने एक हाथ से मेरा स्तन उनके मुँह में ठीक से पकड़कर रखा था। सास को दिख नही रहा था तो उन्होंने मुझे पूछा,
"पी रहे है क्या वो?"
"हा माँ जी।"
"अच्छा है।"
"आप सो जाओ माँ जी । उनको बहुत समय लगेगा दूध पीने में। "
"ठीक है बहु।"
मैं ससुरजी को बहुत देर तक दूध पिला रही थी।
दूसरे दिन हम सब वापस घर आने के लिए ट्रेन में चढ़ गए। रात का वक्त था। हमारे डिब्बे में दो तीन महिलाएं भी थी। सास मुझे बोली ,
"बहु तू इनके पास सो जाओ और उनको सुला दो। "
"ठीक है माँ जी।"
वो दो महिलाएं भी हमारे सामने वाली बंक पर सोने लगी। सास और मेरे पती भी सो गए। मैं डिब्बे की लाइट डिम करके ससुरजी की बगल में सो गई। मैंने उनको बोला,
"चलो आओ ससुरजी आपको सुला देती हूँ।"
वो मेरी तरफ पलट गए और फिर मैं उनके पीठ पर हाथ फिरा फिरा के उनको सुलाने लगी। बहुत देर तक ट्रैन की हलचल से उनको नींद ही नही आ रही थी। मैंने उनको हँसते हुए कहा,
"दूध पिलादु आपको ससुरजी?"
वो बोले,
"पर किसी ने देख लिया तो ?"
"कोई नही देख रहा। आप खामखा परेशान हो रहे हो। चलो पी लो दूध।"
"ठीक है पिला दो फिर।"
"आराम से पी लेना। कोई जल्दी नही है ।"
मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर ससुरजी का सर ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। वो बहुत धीरे धीरे मेरा दूध पीने लगे। मैं हलके से उनकी पीठ थपथपा रही थी। 10 मिनिट बाद वो दूध पीते पीते ही सो गए।
हम सब सुबह 10 बजे घर पहुच गए। शाम को मैंने ससुरजी को बोतल से दूध पीने दिया। रात के समय जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब मैंने अपनी सास से कहा,
"क्यू ना मैं ससुरजी को सोते वक्त दूध पिलादु? उनको अच्छी नींद आ जाएगी। "
सास खुश होकर बोली,
"अच्छा होगा अगर वो दूध पी ले। उनकी सेहत काफी सुधर जाएगी।"
"जी माँ जी। "
मेरे पती साइड में खटाई पर सो गए। सास भी एक कोने में सो गई और मुझे बोली,
"तुम इनको लेकर दूसरी तरफ सो जाओ। उनको दूध पीते वक्त डिस्टर्ब नही होना चाहिए। "
मैंने ससुरजी को हॉल में ही पर सास से दूरी रखकर सोने को कहा। फिर मैंने हॉल की लाइट डिम कर दी और उनके बगल में सो गई। मैंने उनको पास लिया और उनके पीठ पर हाथ थपथपाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उनको कहा,
"दूदू पिला दु ना आपको?"
"हा बहु। "
"चलो आप जल्दी मान गए।"
"बहुत स्वादिष्ट होता है तुम्हारा दूध।"
ये सुनते ही मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको अपना दूध पिलाने लगी।