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Adultery नंदिता का ससुराल

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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Vivekdaware

Madhuri Aunty
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N
Part 3


रात को खाना खाने के बाद थोड़ी देर ससुरजी और शर्मा जी बाते करते रहे। फिर हम दोनों कमरे में सोने के लिए गए। मैंने देखा कि शर्मा उनके कमरे में जा चुके थे फिर मैंने हमारे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया पर लॉक नही क़िया। मैं ससुरजी के बगल में बेड पर सो गई। आज तो हमारे दोनों के अलावा और कोई देखने को नही था इसलिए मुझे काफी सहजता महसूस हो रही थी। मैंने बत्ती बुझा दी थी। ससुरजी को करीब लेकर उनको बोली,
"आज तो मैं तुझे अपना बच्चा ही बना दूँगी। "
"बना दे मुझे बच्चा।"
मैंने मेरा पल्लू पूरी तरह हटा दिया और ब्लाऊज के ऊपरी कुछ बटन खोल दिये। फिर एक स्तन बाहर निकाल कर मैं उनको स्तनपान करने लगी। वो भी आराम से दूध पीने लगे। मैं एक हाथ से थोड़ी देर उनके मुह में मेरा स्तन पकड़ कर रखती थी फिर थोड़ी देर उनके पीठ पर हाथ फिरती रहती थी । फिर और थोड़ी देर बाद फिरसे अपना स्तन हाथ से पकड़ती थी ताकी उनको पीने में कोई दिक्कत ना हो। पाँच मिनट बाद ससुरजी रुक गए। मैंने उनकी पीठ थोड़ी देर थपथपाई । फिर वापस मैंने उनके मुँह में मेरा स्तन घुसा दिया। ये सिलसिला काफी बार चलता रहा। दूध पिलाने के बाद मैंने अपना पल्लू ठीक कर लिया और सो गई। सुबह शर्मा अंकल हम दोनों को उठाने खुद हमारे कमरे में आये। तब में आधी नींद में थी। उन्होंने बुलाने पर मैं जाग गयी और उठकर बेड पर बैठ गई। मेरे ससुरजी अभी गहरी नींद सो रहे थे। मैंने अपना पल्लू तो ठीक कर लिया था पर पल्लू के नीचे मेरे ब्लाऊज के कुछ बटन अभी भी खुले हुए थे। मैंने शर्मा जी के सामने ही पल्लू के निचे हाथ डालकर वो फिरसे लगा लिए। शर्मा जी मेरे स्तनों की ओर कुछ समय तक घूर रहे थे। फिर हम दोनों किचन में नाश्ता करने गए।
हम दोनों का नाश्ता करके जब पूरा हो रहा था तब मेरे ससुरजी किचन में आ गए और शर्मा जी ने उनको चाय बिस्कुट दे दिया।
"चल मार्केट में जाते है । "
मेरे ससुरजी बोले,
"रहने दे। तो अकेले ही जा । बहुत कमजोरी है मुझे ।"
"अच्छा ठीक है। तुम आराम करो। "

थोड़ी देर बाद शर्मा जी मार्केट में चले गए। मैंने घर का दरवाजा अच्छे से लगा लिया और फिर किचन में ससुरजी के बगल में बैठ गई।
"आ मेरे बच्चे । दूदू पिलाती हूँ तुझे। "
ससुरजी ने चाय का कप बाजू में रख दिया और मेरी गोद मे लेट गए। मैंने तुरंत ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये और उनका सर ढकते हुए उनको अपना दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने कल रात बहुत देर तक दूध पिया था। फिर भी वो अब पी रहे थे। मैं मन मे खुश हो गयी। ये एक अच्छी बात थी। ऐसे वो बार बार मेरा दूध पीते रहे तो मेरे स्तनों में दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी। और उनकी सेहत भी अच्छी रहेगी। उनकी भूख भी अब बढ़ गयी थी। इसीलिए तो वो इतने जोर जोर से मेरा निप्पल चूस रहे थे की उसकी आवाज साफ सुनाई दे रही थी।
"ससुरजी हो तो ऐसे। "
20 मिनिटों में ही उन्होंने मेरे दोनों स्तन खाली कर दिए। मैंने उनका मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया। फिर वो हॉल में चले गए।
दोपहर का खाना खाने के बाद मैंने बर्तन धो दिए। मेरे ससुरजी और शर्मा जी हॉल में बैठे हुए थे । थोड़ी देर बाद मैंने हॉल में जाकर ससुरजी को कहा,
"चलो ससुरजी आपको सुला देती हूँ।"
ये सुनकर शर्मा जी हँस पड़े,
"दोपहर को भी तुझे बहु लगती है सुलाने के लिए । सोने में तुझे इतनी दिक्कत होती है क्या ? "
मेरे ससुरजी शरमाते हुए बोले,
"क्या करु अब ? आदत हो गयी है मुझे। "
ससुरजी सोफे से उठ गए।
मैंने हॉल से जाते जाते कहा शर्मा जी को कहा,
" नींद नही आ रही तो सुला देती हूँ आपको भी। पहिले ससुरजी को सुलाती हूँ । फिर आपके कमरे में आ जाऊँगी में। "
शर्मा जी हँसते हुए बोले,
"ठीक है नंदिता बेटी। "
ससुरजी मेरे साथ कमरे में चले आये। मैंने थोड़ी ही देर में उनको स्तनपान करके सुला दिया। फिर मैं शर्मा जी के कमरे में चली गयी। शर्मा जी बेड पर लेटे हुए तो थे । पर उनको नींद नही आ रही थी । मुझे कमरे में आते देख वो शर्मा गए और बोले,
"मुझे तो लगा कि तुम मजाक कर रही हो। "
"मजाक क्यु करु मैं ? चलो आप को भी सुला देती हूँ।"
मैं शर्मा जी के बगल में सो गई और मैंने उनको अपने करीब ले लिया। उनका चेहरा मेरे स्तनों के काफी करीब था। मेरे मुम्मो को इतने पास से देखने से वो डर गए पर मैंने उनके पीठ पर एक हाथ रख दिया। पर उनका चेहरा लाल हो गया था। मैंने ध्यान से देखा तो मेरा पल्लू थोड़ा उठ गया था और मेरे ब्लाऊज के ऊपरी कुछ बटन खुले ही रह गए थे। शर्मा जी मेरे खुले हुए ब्लाऊज को देख रहे थे। मैंने हँसते हुए वो बटन लगा लिए और पल्लू ओढ़ लिया,
"माफ करना शर्मा जी । वो ससुरजी को सुलाने के बाद ब्लाऊज के बटन लगाना भूल गई मैं। "
शर्मा जी ने अचंभित होकर पूछा ,
"मुझ समझा नही तूने ब्लाऊज के बटन क्यु खोले थे ?"
"क्या कहूँ अब शर्मा जी ? ससुरजी को स्तनपान कर रही थी मैं । "
"ये क्या कह रही हो नंदिनी बहू ? ये तो पाप है।"
"इसमें क्या पाप अंकल ? उनकी सेहत काफी बिगड़ गई थी इसलिए उनको स्तनपान करना शुरू किया मैंने। "
"फिर भी ये गलत है।"
"नादान मत बनो शर्मा अंकल। सास और मेरे पति ने भी परमिशन दी है। "
"उनकी भी मजबूरी होगी।"
"अच्छा तो आप अब मान गए।"
"कुछ लोगो की मजबूरी हो सकती है।"
"आपको चाहिए तो पिला दूँ?"
"छी... मैं क्या अब छोटा बच्चा हूँ ? "
"पर आप अब बुढ़े हो चुके हो। कमजोरी भी आती होगी आपको। थोड़ा दूध पी लो। फिर देखी तंदरुस्त बन जाओगे। "
शर्मा जी नही नही कह रहे थे पर मैंने उनकी एक नही सुनी। आखिर में वो मान गए।
"अब इतना आग्रह कर रही हो तो पिला दो मुझे ।"
"ये हुई ना बात।"
मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के उपरी कुछ बटन खोल दिये। फिर शर्मा जी का सर पल्लू से ढकते हुए मैं उनको दूध पिलाने लगी। ससुरजी ने पहले ही मेरा काफी दूध पी लिया था। इसलिए शर्मा जी को मैं 10 मिनट तक ही पिला सकी।
"कैसा लगा दूध मेरा?"
"बहुत ही स्वादिष्ट है। तेरा ससुर बहुत लकी है जो ऐसी बहु मिल गई उसको। "
"तो फिर और दो दिन हम रहने वाले है। ससुरजी के साथ आपको भी पिला दूँ ना ?"
"हा नंदिता बेटी। बिलकुल ।"

शाम को हम तीनों ने चाय नाश्ता कर लिया और जाकर हॉल में टीव्ही देखने लगे। मैंने पहिले ही ससुरजी को बता दिया था कि शर्मा जी को मैंने स्तनपान किया है। शर्मा जी मेरे पास बैठे थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको कान में हल्की आवाज में दूध पीने को कहा। वो शर्मा रहे थे पर मैंने एक हाथ से उनको मेरी गोद मे लिटा दिया। मेरे ससुरजी ने उनको ताना भी मारा,
"क्या शर्मा के बच्चे। अब तो तू भी स्तनपान करने लगा। "
"शर्मा जी, आप उनके ऊपर ध्यान मत दो। खुद तो पीते है वो । "
मैंने पल्लू उठाकर ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर शर्मा जी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। वो भी मेरे ससुरजी की तरह ही चूसने की आवाज कर रहे थे। वो आवाज सुनकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे। मैं उनको आधा घंटे तक स्तनपान कर रही थी। फिर उनका मुह पल्लू से पोछते हुए मैंने उनको कहा,
"हम कल जाने वाले है। तो सिर्फ आपको ही दूध पिलाऊँगी । ठीक है ?"
"बहुत बढ़िया बहु। "
दोपहर को गर्मी होने के कारण मैंने मैक्सी पहन ली। खाना खाने के बाद हम सब हॉल में आराम करने लगे। शर्मा जी ने चटाई बिखर रखी थी जमीन पर उसपर लेट गए सब। मैं एक साइड में थी । मेरे बगल में शर्मा जी और उनके दूसरे बाजू में मेरे ससुरजी लेट गए। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। पर मैंने शर्मा जी के कंधे पर हाथ रखकर उनको मेरी तरफ पलट लिया।
"दूदू पी लो अब। नही तो मैं ऐसेही सो जाऊँगी।"
वो चुप बैठ गए। मैंने उनको और करीब लिया और मैक्सी के बटन खोल दिये । फिर मैने मेरा एक भरा हुआ मुम्मा बाहर निकालकर उनके मुँह में दे दिया। वो तुरंत बच्चे की तरफ मेरा दूध पीने लगे। मैंने मेरा मुम्मा एक हाथ से उनके मुँह में अच्छी तरह से पकड़ कर रखा हुआ था। ससुरजी ये सब मायूस होकर देख रहे थे। मैंने उनको हँसते हुए कहा,
"बूढ़े लोगो को स्तनपान करने में कुछ अलग ही मजा है।"
"पर मेरी बारी कब आएगी बहु ?"
"हम घर वापस लौट जाएंगे तब आपको बहुत सारा दूध पिला दूँगी। "
"वो पल का मुझे इंतजार रहेगा। "
मैंने शर्मा जी को बहुत देर तक दूध पिलाया। शाम को भी टिव्ही देखते समय उनको पिला दिया। उस रात मैं शर्मा जी के कमरे में ही सोने चली गयी। और फिर उनको आराम से बहुत देर तक अपना दूध पिला रही थी।
अगले दिन हम शाम को वापस घर जाने वाले थे। तो सुबह मै नाश्ता करने के पहले ही शर्मा जी को रसोईघर में लेकर चली गई। मेरे ससुरजी अबतक उठे नही थे। फिर मैंने बिना देर लगाए शर्मा जी को अपनी गोद मे सुलाते हुए स्तनपान करना शुरू किया। तब सुबह के सिर्फ 6 बजे हुए थे। 8 बजे मेरे ससुरजी उठ गए। वो जब रसोईघर में नाश्ता कर रहे थे तब मैं शर्मा जी को हॉल में स्तनपान कर रही थी। फिर 10 बजे मैंने ससुरजी के सामने ही शर्मा अंकल को दूध पिलाया। मेरे ससुरजी बेचारे मायूस होकर ये सब देख रहे थे।
शाम होते ही मैं ससुरजी के साथ वापस घर जाने को निकली। शर्मा अंकल ने हमे बाय किया। एक घंटे पहले ही उनको मैंने दूध पिलाया था। अब शाम के 7 बजे हुए थे। हमने नाईट ट्रेन पकड़ ली और एक डिब्बे में चढ़ गए। डिब्बे में पहले से ही कुछ महिलाएं थी। ससुरजी को अभी से नींद आ रही थी इसलिए मैंने उनको अपनी गोद मे सुला दिया। वो महिलाएं अचंभित हो गई तो मैंने उनको कहा ,
"मेरे ससुरजी बहुत बीमार है ना इसलिए उनको ऐसा सुलाना पड़ता है। "
एक महिला बोली,
"कोई बात नही बेटी। अच्छी बात है तू उनकी इतनी सेवा करती हो। नही तो इस कलियुग में ऐसे इंसान कहा होते है। "
मैंने उनको धन्यवाद दिया। सोने का टाइम होते ही डिब्बे की लाइट डिम कर दी गयी। मैंने ससुरजी को मेरी बगल में सोने को कहा। सामने सोते हुए महिलाओं को मैं क्या कर रही हूँ वो सब दिख रहा था। मैं ससुरजी के पीठ पर हाथ थपथपाकर उनको सुलाने लगी। पर उनको तो नींद ही नही आ रही थी। मेरे पास और कुछ चारा नही था इसलिए मैंने उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी। वो महिलाएं ये सब देख रही थी। सुबह जब मैं जाग गयी तो सामने वाली महिलाएं उठ चुकी थी। मैंने बैठते हुए अपने ब्लाऊज के खुले हुए बटन लगा लिए और अपना पल्लू ठीक कर लिया। एक महिला मुझे बोली,
"धन्य है वो ससुरजी जो इतनी अच्छी बहु मिली है उनको। "
मैने उनको धन्यवाद दिया।
Gruop ke sabhi member update 4 ki pratiksha kar rahe hai
 

seemachachi

Aunty boob lover
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Part 4

मैं सुबह के सात बजे ससुरजी के साथ घर पहुच गयी थी। थोड़ी देर मैंने आराम कर लिया। फिर 11 बजे सास को खाना बनाने में मदद करने लगी। खाना बनकर ही हो रहा तब ससुरजी रसोईघर में आये और मुझे दूध पिलाने कहने लगे। सास ने मुझे बोला,
" मैं खाना बनाती हूँ। तुम जाकर इनको पिलाओ।"
मैं ससुरजी को लेकर हॉल में आ गयी और सोफे के आगे जमीन पर बैठ गयी। सासुरजी मेरी गोद मे लेट गए। मैंने घर आते ही नहा लिया था और पिंक साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। मैंने ब्लाऊज के बटन खोलने के लिए अपना पल्लू ऊपर कर दिया तो ससुरजी ने तुरंत मेरा एक मुम्मा ब्लाउज के ऊपर से ही मुँह में ले लिया और चुसने का प्रयास करने लगे।
"दे रही हूँ ना। इतनी भूख लगी है मेरे बच्चे ?"
"जल्दी पिलाओ ना । "
"बटन तो खोलने दो जरा। फिर जितना चाहे उतना दूदू पी लेना । "
उन्होंने ब्लाऊज से उनका मुँह हटा लिया। मैंने निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर ब्लाऊज एक साइड से ऊपर करते हुए मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो दूध पीते वक्त बहुत आवाज कर रहे थे। मुझे इसमें कोई परेशानी नही थी। थोड़ी देर बाद सास हॉल में आ कर सोफे पर बैठ गयी। अपने बूढ़े पति को स्तनपान करते देख वो खुश हो गयी।
"बहुत अच्छा। लगता है उनकी भूख बढ़ गयी है। "
"हा माँ जी। अब बहुत ज्यादा दूध पीते है। "
"उनके ज्यादा पीने से तुम्हारे दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी। "
"पर माँ जी। उनको कबतक पिलाना उचित रहेगा ?"
"जबतक उनकी इच्छा होती है तबतक पिलाती रहो बहु।"
"ठीक है माँ जी। "
मैंने सासुरजी को मेरा पूरा दूध पिला दिया।
दोपहर को हम तीनों हॉल में जमीन पर बिस्तर पर लेट रहे थे। गर्मी के कारण मैंने मैक्सी पहनी थी और ब्रा निकाल कर रखा था। मैं ससुरजी और सास के बीच सो गई । हम दोनों बाते करने लगें पर थोड़ी ही देर में ससुरजी ने मुझे अपनी तरफ पलट लिया। मैं उनको करीब लेकर पीठ पर हाथ थपथपाकर सुलाने लगी। फिर भी वो हलचल कर रहे थे। मुझे पता था उनको क्या चाहिये था। सास से बातें मारते हुए ही मैंने मैक्सी के बटन खोल दिये। फिर एक मुम्मा बाहर निकाल कर मैं उनको स्तनपान करने लगी। ससुरजी ने कुछ ही समय पहिले खाना खाया था। फिर भी अब ऐसे दूध पीने लगे कि जैसे 2 दिन के भूखे ही हो। मुझे थोड़ा दर्द भी हो रहा था। पर क्या करूँ अपने ससुरजी को अपना दूध पिलाने में कुछ और ही मजा आ रहा था। कुछ देर बाद सास खर्राटे मारने लगी पर मैं तो ससुरजी को बहुत देर तक पिला रही थी।
शाम को हम सब ने नाश्ता कर लिया पर जब हम हॉल में टीव्ही देखने गए तो पड़ोस की निशा जो लगभग मेरी ही उम्र की थी हमारे घर आ गयी। फिर हम उसके साथ टीव्ही देखने लगे। ससुरजी मेरे मुम्मो को घूर रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने ही उनको कहा,
"चलो ससुरजी, आपको दवाई देती हूँ।"
मैं उनको एक बाजू के कमरे में ले गयी। मुझे कमरे का दरवाजा बंद करते देख निशा हँसते हुए बोली,
"ऐसी कौनसी दवाई देती है जो कमरे का दरवाजा बंद करना पड़े ?"
सास ने जवाब दिया,
"डॉक्टर ने उन्हें दूध पिलाने कहा है। बहूँ उनको बोतल से पिलाती है। कोई देखकर हँसेगा इसलिए दरवाजा बंद करना पड़ता है।"
"बोतल से पीते है ? बहुत अजीब आदत है उनको। "
"अब क्या करे इस उम्र में ये बचकानी हरकत जो करते है । "
फिर वो दोनों टीव्ही देखने मे दंग हो गयी। मैंने निचे बैठकर ससुरजी को गोद मे सुला दिया। फिर उनको मैं स्तनपान करने लगी।

मेरे जेठ छुट्टिया बिताने आये थे। जेठानी उनके साथ नही आयी थी। उस रात मेरे पति खटाई पर सो गए। मैं सास और ससुर के बीच सो गई। ये देखकर वो अचंभित हो गए। पर सास ने उनको समझाया,
"बहु उनको सुला देती है। उनको अब आदत हो गयी इसकी।"
"बहुत अजीब है ये।"
जेठ भी एक दूसरी खटाई पर सो गए। मैंने लाइट डिम कर दी थी। ससुरजी उतावले हो गए थे इसलिए मैं उनकी तरफ पलट गई और तुरंत उनका सर पल्लू से ढकते हुए उन्हें अपना दूध पिलाने लगी।
सुबह जेठ जल्दी उठ गए थे। वो ब्रश करके सोफे पर बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैं उठकर थोड़ी देर बिस्तर पर ही बैठ गयी। मेरा ध्यान पल्लू पर गया तो मुझे समझ आ गया कि वो थोड़ा हट गया था और ब्लाऊज के कुछ बटन भी खुले हुए थे। जेठ मेरे स्तनों को ही घूरने लगे। मैंने शरमाते हुए बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया और उनको लगा,
"माफ करना जेठ जी। "
"कोई बात नही। "
मैं काम करने किचन में चली गयी। सुबह मैं ससुरजी को पिला नही सकी क्योंकि जेठ घर पे ही थे। दोपहर को जेठ हॉल में सोफे पर बैठे थे। तब सास ने मुझे कहा,
"तुम इनको कमरे सुला दो बहु। "
"ठीक है माँ जी।"
जेठ जी हँसते हुए बोले,
"क्या पिताजी ? आप बच्चे हो क्या अभी जो आपकी बहु आपको सुला रही है?"
सास ने जेठ को डाट दिया,
"उनको ताने मत मारो।"
ससुरजी ने जेठ पर ध्यान नही दिया। मै उनको लेकर कमरे में चली गई और कमरे का दरवाजा लगा लिया । हम दोनों जमीन पर बिस्तर था उसपर लेट गए।
"दूदू पीना है ना बच्चे?"
"हा बहू।"
मैंने हँसते हुए अपने ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये । फिर उनका सर पल्लू से ढकते हुए उनको मेरा दूध पिलाने लगी।
"सब दूदू पी जाना हा मेरे बच्चे।"
थोड़ी देर बाद वो दूध पीते पीते ही सो गए। मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं बिस्तर से उठ गई और अपना ब्लाऊज और पल्लू ठीक करते हुए ही मैने दरवाजा खोल दिया। पर दरवाजे के सामने ही सोफे पर जेठ बैठे थे। वो टीव्ही देख रहे थे पर दरवाजे की आवाज सुनकर उन्होंने मेरी तरफ देखा तो मैं अभी भी पल्लू ठीक कर रही थी। उनको बहुत ताज्जुब हुआ। वो मेरे मुम्मो को घूरने लगे। मैं उनके तरफ देखकर हँसने लगी और उनको पूछा,
"क्या देख रहे हो जेठ।"
वो शरमाते हुए बोले,
"कुछ नही नंदिता।"
"ठीक है।"
वो फिरसे टीव्ही देखने लगे।
रात को हम सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब ना जाने क्यों जेठ मेरे स्तनो को निखार रहे थे। मैं उनकी तरफ देखकर मुस्कुराई । फिर मैंने लाइट बंद कर दी और ससुरजी की बगल में सो गयीं। थोड़ी ही देर बाद मैं उनको स्तनपान करने लगी। मुझे उनको पिलाते हुए कब नींद आ गई वो पता ही नही चला।
सुबह के 6 बजे मेरी नींद खुल गई । अभी थोड़ा अंधेरा था तो मैं बिस्तर पर ही बैठकर अपने ब्लाऊज के बटन लगाने लगी। कल रात ससुरजी ने बहुत दूध पी लिया था। मैं अपना पल्लू ठीक कर रही थी। तब अंधेरा बहुत था इसलिए सामने सोफे पर बैठे हुए जेठ को मैंने देखा ही नही। वो अचानक से बोल गए,
"क्या कर रही थी तुम नंदिता रात में? तुम्हारे ब्लाउज के बटन क्यों खुले थे ?"
मैं चौक गयी पर मैंने कुछ गलत नही किया था इसलिए उनको जवाब दे दिया,
"क्या कहु अब जेठ जी ? आपको बहुत गुस्सा आएगा ?"
"गुस्सा क्यों आएगा नंदिता?"
"ससुरजी को स्तनपान जो कर रही थी रात में ।"
"ये क्या बोल रही हो? इतने बड़े आदमी को कोई स्तनपान करता है क्या?"
"ससुरजी इतने बूढ़े हो चुके है कि अब वो बच्चों जैसी ही हरकत करते है। सासूमाँ और मेरे पति ने भी अनुमति दे दी है कि उनको जितना चाहे उतना पिलादो। "
"है भगवान । ये मैं क्या सुन रहा हूँ। "
"नादान मत बनो आप। आपको भी स्तन चुसना अच्छा लगता है ना?"
"अच्छा तो लगता है पर बिना दूध के चुसने में मजा ही क्या है ?"
"बहुत बेशरम हो आप जेठ जी। "
मैं उठकर काम करने चली गयी। बाद में मेरे पति काम पर चले गए। तब 8 बज चुके थे। बाकी सब ने रसोईघर में खाना खा लिया। ससुरजी ने सिर्फ चाय पी ली इसलिए उनको मैंने रसोईघर में ही अपनी गोद मे लिटा दिया। सामने बैठे हुए जेठ ये सब देख रहे थे। मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर मेरे ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर जेठ के सामने ही मैं अपने ससुरजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा स्तनपान करने लगी। जेठ ये सब आँखे फाड़कर देखने लगे।
"कितना मजा आता होगा पिताजी को।"
"अब दूध पीने में कैसा मजा जेठ जी? "
"तो फिर मुझे भी ऐसे पिलाओ ना ।"
"आपको क्या हुआ है जो आपको स्तनपान करना है?"
"स्तनपान करने का भी कोई बहना चाहिए?"
"आप भी ना जेठ जी। "
फिर मेरा ध्यान ससुरजी को दूध पिलाने में लग गया।
मैं अब जेठ के सामने बिना किसी परेशानी से स्तनपान करती थी।

कुछ दिन बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे । मेरे पति, सास और ससुरजी सोफे पर बैठे थे । पर जेठ मेरे साथ जमीन पर बैठे थे। थोड़ी देर बाद जेठ मेरे पास खिसक गई और अचानक से मेरी गोद मे बच्चे की तरह लेट गए।
"क्या हुआ जेठ जी ?"
"स्तनपान करो ना मुझे। बहुत इच्छा हो रही है आज।"
मैं हँसते हुए बोली,
"पर आप तो बीमार नही है। फिर क्यों पिलादु आपको?"
"वो सब छोड़ दो। मुझे ऐसे ही पीना है।"
मेरे पति हँसते हुए बोले,
"बड़े भैया इतना चाहते है तो पिलाओ ना उनको।"
"ठीक है। पिलाती हूँ।"
मैंने ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये फिर जेठ का सर ढक दिया और उनको अपना दूध पिलाने लगी। जेठ जी जोर से चुसने लगे और उनके चुसने की आवाज सबको सुनाई दे रही थी। हम सब हँसने लगे। पर जेठ तो किसी बच्चे की तरह मेरा दूध पीने में दंग थे।
 

Vivekdaware

Madhuri Aunty
156
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बहुत दिनो के बाद काफी अच्छा अपडेट दिया है
 

kmrsandu

New Member
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dude , why are you doing this to us ? we don't want new stories when old stories are incomplete, finish old one the start new one man , a request from your follower
 
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