Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
- 3,116
- 6,073
- 158
बहुत बढियाPart 2
सुबह मेरे पती काम पर गए । मैंने देखा कि ससुरजी हॉल में जमीन पर बैठे टीव्ही देख रहे थे। सास भी सोफे पर बैठी हुई थी। घर का दरवाजा खुला ही था। मैंने अपना दूध बोतल में निकाल लिया और हॉल में जाकर ससुरजी के पास जमीन पर बैठ गयी। मैंने उनको कहा,
"आओ ससुरजी, आपको गोद मे सुलाती हूँ। फिर आप आराम से बोतल का दूध पी जाओ।"
वो मेरी गोद मे लेट गए। मैंने आज ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। उनका सर मेरे स्तनों के काफी करीब था। वो उनको ध्यान से देख रहे थे। मैंने उनको हँसकर कहा,
"क्या हुआ ससुरजी ? रुक क्यों गए आप ? दूध पी रहे हो ना । या फिर सीधा स्तनपान कर दु आपको ?"
ये सुनकर वो बहुत शरमा गए और बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने की कोशिश करने लगे।
"दीजिए, में पिलाती हु ।"
मैंने उनके हाथ से बोतल निकाल ली और उनके मुँह में घूसा दी। वो अब दूध पीने लगे। मैंने सास को कहा,
"देखो तो कैसे पी रहे है। बहुत क्यूट लग रहे है ।"
सास भी मुस्कुराते हुए बोली,
"हा बहु।"
दूध खत्म होने के बाद मैंने ससुरजी का मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया और बोतल बाजू रखकर उनको में सुलाने लगी। वो मेरे मुम्मो को घूर रहे थे पर मुझे उससे कुछ परेशानी नही हुई।
रात को हम सब रसोईघर में खाना खा रहे थे। तब मैंने सास को पूछा,
"क्या करूँ सासु माँ ? वो दूध निकालकर बोतल में भरने में बहुत समय जाता है। और स्तनों में थोड़ा दूध बच भी जाता है। "
सास बोली,
"अच्छा। तो उनको सीधा स्तनपान ही करो ना हरवक्त। क्यों इतना टाइम वेस्ट करती हो । "
ससुरजी ये सुनकर बहुत लज्जित हो गए,
"पर किसी ने देख लिया तो क्या कहेंगे ?"
इसपर मेरे पती बोले,
"क्या फर्क पड़ता है पिताजी। आपके सेहत का सवाल है। "
ससुरजी ने हार मान ली। मैं उनको ऐसेही चिढ़ाते हुए बोली,
"अब आपको हमेशा स्तनपान ही करूँगी ।"
वो बहुत लज्जित हो गए।
रात को सब सोने के बाद मैं ससुरजी की तरफ पलट गई और उनको मैंने अपने करीब लिया।
"चलो दूदू पी लो ससुरजी।"
"अब क्या तुम मुझे बच्चा ही समझोगी बहू?"
"हा तो क्या हुआ। आप मेरा दूध पीते हो तो मेरे बच्चे ही बन गए हो ना ?"
"अच्छा ठीक है बहु।"
मैंने बिनाना समय लगाए अपने ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीना मेरे बच्चे।"
सुबह मैं उठ गई तो सास पहले से ही एक सोफे पर बैठे चाय पी रही थी।
"कल रात वो अच्छे से सोये ना बहु ?"
"हा माँ जी।"
मैंने बिनासंकोच सास के ही सामने मेरे जो कुछ ब्लाऊज के बटन खुले हुए थे वो लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया।
"बहुत देर दूध पी रहे थे। फिर उनको नींद कब आयी वो पता ही नही चला। "
सास मुझे हँसते हुए बोली,
"अगर तू ना होती तो क्या होता उनका ।"
"बस बस। आप कितनी तारीफ करोगी मेरी ?"
"तुम तारीफ के लायक ही हो बहू। "
थोड़ी देर बाद सब रसोईघर में नाश्ता करने लगे। ससुरजी ने बहुत कम ही नाश्ता किया। मेरी सास ये देखकर परेशान हो रही थी। पर मेरा नाश्ता करके खत्म होते ही मैंने प्लेट बाजू में रख दी और ससुरजी को बोली,
"चलो ससुरजी आ जाओ। आपको दूध पीना है ना।"
मेरे पती ससुरजी के शर्मिंदगी पर हँस गए और बोले,
"क्या पिताजी ? दूध पीने में क्या शर्माना ?"
मेरे पती सबको बाय करके काम पर चले गए।
मैंने ससुरजी को अपनी गोद मे सुला दिया। आज मैने पिंक कलर की साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना हुआ था। मैंने हँसते हुए पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर सास के देखते हुए ही मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो भी तुरन्त दूध पीने लगे। मैंने मजाक में कह दिया,
"लगता है ससुरजी को बहुत भूख लगी थी। "
सास भी हँसने लगी।
शाम को मेरे पती घर आने के बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे। ससुरजी मेरे पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया और उनको पूछा,
"दूदू पिला दु आपको ?"
"पर बहु..."
"चुपचाप पी लो अब ससुरजी। दूध को ना नही बोलते।"
मैंने उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको स्तनपान करने लगी। बाकी लोग टीव्ही देखने मे दंग थे पर मेरा पुरा ध्यान अपने बूढ़े ससुरजी को दूध पिलाने में ही लगा हुआ था। बीच बीच में सासुमा मेरी तरफ देखकर हँस रही थी। मैंने ससुरजी को अपना पूरा दूध पिला दिया। इतना सारा दूध पीने से उनको काफी नींद भी आ रही थी। तो मैंने अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। फिर उनको ऐसेही सुलाने लगी।
दूसरे दिन में शाम को सास के साथ रसोईघर में खाना बना रही थी। मेरे पति कुछ काम के बहाने मार्केट में गए थे। ससुरजी हॉल में टीव्ही देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वो रसोईघर में आये और मुझे बोले,
"बहु अब मुझे दूदू पिलादो ना। बहुत इच्छा हो रही है।"
ये सुनकर मैं हँस पड़ी,
"पर ससुरजी आपको तो मैं रात में सोते वक्त पिलाती ही हूँ ना। "
"क्या करू बहुरानी । बहुत भुख ली है।"
सासु मा भी बोली,
"ठीक है। वो इतना कह रहे है तो पिलादो उनको। मैं खाना बनाती हूँ।"
मैंने सास को धन्यवाद दिया और ससुरजी के साथ हॉल में आ गयी और निचे जमीन पर बैठ गयी। ससुरजी मेरी गोद मे लेट गए। शाम होने के कारण घर का दरवाजा खुला ही था। ससुरजी ने पूछा,
"कोई देख तो नही लेगा ना?"
"अब नादान मत बनो मेरे बच्चे। एक बच्चे को दूदू पीते देख कौन क्या कहेगा ?"
"ठीक है बहूरानी।"
मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीओ मेरे बच्चे। दूध भी अब काफी बढ़ गया है। " मैं दूध पिलाते समय हमेशा मेरा स्तन एक हाथ से उनके मुह में पकड़ कर रखती हूँ। इससे उनको पीने में आसानी होती है। उनको पिलाते पिलाते मैं टीव्ही भी देख रही थी। उनको सचमुच में बहुत भूख लगी थी। इसलिए वो पूरे आधा घंटे तक मेरा दूध पीते रहे।
मेरे ससुरजी के दोस्त जो एक करीबी गांव में रहते थे उन्होंने उनको कुछ दिनों के लिए बुला लिया। तो ससुरजी ने मुझे भी उनके साथ चलने को कहा। मैं मान गयी । कुछ ही घंटों के सफर तय करके हम दोनों उनके घर पहुँच गए। ससुरजी के दोस्त का नाम कमलेश शर्मा था। सब उनको शर्मा जी कहते थे। वो मेरे ससुरजी के उम्र के ही थे। उन्होंने हमारा स्वागत किया। हम दोनों ने हाथ पांव धो लिए। अब दोपहर का समय था इसलिए शर्मा जी ने हमे आराम करने को कहा। वो अकेले ही रहते थे क्योंकि उनका बेटा अपने पत्नी के साथ शहर में रहता था। ससुरजी और मैंने एक कमरा चुन लिया और थोड़ी देर बेडपर लेट गए। शर्मा जी ने हमे ऐसे पास पास ही लेटे हुए देखा और हँस पड़े,
"क्या तुम्हें अब बहु सुला देती है?"
मैंने भी हँसते हुए कहा,
"हा शर्मा अंकल । उनको बिल्कुल किसी बच्चे की तरह सुलाना पड़ता है मुझे।"
"अच्छा खयाल रखती हो अपने ससुरजी का। चलो मैं भी थोड़ी देर सो लेता हूँ।"
वो कमरे का दरवाजा खुला ही रखकर अपने कमरे में चले गए। मैंने हँसते हुए ससुरजी को अपने करीब ले लिए।
"शर्मा ने देख लिया तो बहु ?"
"तू चिंता मत कर उनकी मेरे बच्चे। सिर्फ दूदू पी मेरा। "
उनके और कुछ कहने के पहले ही मैने उनका सर पल्लू से ढक लिया। फिर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल कर मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो काफी थक चुके थे इसलिए बहुत धीरे धीरे स्तनपान कर रहे थे। उनको पूरा दूध पीने में बहुत समय लग गया।
After many days, I got to read an amazing updatePart 2
सुबह मेरे पती काम पर गए । मैंने देखा कि ससुरजी हॉल में जमीन पर बैठे टीव्ही देख रहे थे। सास भी सोफे पर बैठी हुई थी। घर का दरवाजा खुला ही था। मैंने अपना दूध बोतल में निकाल लिया और हॉल में जाकर ससुरजी के पास जमीन पर बैठ गयी। मैंने उनको कहा,
"आओ ससुरजी, आपको गोद मे सुलाती हूँ। फिर आप आराम से बोतल का दूध पी जाओ।"
वो मेरी गोद मे लेट गए। मैंने आज ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। उनका सर मेरे स्तनों के काफी करीब था। वो उनको ध्यान से देख रहे थे। मैंने उनको हँसकर कहा,
"क्या हुआ ससुरजी ? रुक क्यों गए आप ? दूध पी रहे हो ना । या फिर सीधा स्तनपान कर दु आपको ?"
ये सुनकर वो बहुत शरमा गए और बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने की कोशिश करने लगे।
"दीजिए, में पिलाती हु ।"
मैंने उनके हाथ से बोतल निकाल ली और उनके मुँह में घूसा दी। वो अब दूध पीने लगे। मैंने सास को कहा,
"देखो तो कैसे पी रहे है। बहुत क्यूट लग रहे है ।"
सास भी मुस्कुराते हुए बोली,
"हा बहु।"
दूध खत्म होने के बाद मैंने ससुरजी का मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया और बोतल बाजू रखकर उनको में सुलाने लगी। वो मेरे मुम्मो को घूर रहे थे पर मुझे उससे कुछ परेशानी नही हुई।
रात को हम सब रसोईघर में खाना खा रहे थे। तब मैंने सास को पूछा,
"क्या करूँ सासु माँ ? वो दूध निकालकर बोतल में भरने में बहुत समय जाता है। और स्तनों में थोड़ा दूध बच भी जाता है। "
सास बोली,
"अच्छा। तो उनको सीधा स्तनपान ही करो ना हरवक्त। क्यों इतना टाइम वेस्ट करती हो । "
ससुरजी ये सुनकर बहुत लज्जित हो गए,
"पर किसी ने देख लिया तो क्या कहेंगे ?"
इसपर मेरे पती बोले,
"क्या फर्क पड़ता है पिताजी। आपके सेहत का सवाल है। "
ससुरजी ने हार मान ली। मैं उनको ऐसेही चिढ़ाते हुए बोली,
"अब आपको हमेशा स्तनपान ही करूँगी ।"
वो बहुत लज्जित हो गए।
रात को सब सोने के बाद मैं ससुरजी की तरफ पलट गई और उनको मैंने अपने करीब लिया।
"चलो दूदू पी लो ससुरजी।"
"अब क्या तुम मुझे बच्चा ही समझोगी बहू?"
"हा तो क्या हुआ। आप मेरा दूध पीते हो तो मेरे बच्चे ही बन गए हो ना ?"
"अच्छा ठीक है बहु।"
मैंने बिनाना समय लगाए अपने ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीना मेरे बच्चे।"
सुबह मैं उठ गई तो सास पहले से ही एक सोफे पर बैठे चाय पी रही थी।
"कल रात वो अच्छे से सोये ना बहु ?"
"हा माँ जी।"
मैंने बिनासंकोच सास के ही सामने मेरे जो कुछ ब्लाऊज के बटन खुले हुए थे वो लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया।
"बहुत देर दूध पी रहे थे। फिर उनको नींद कब आयी वो पता ही नही चला। "
सास मुझे हँसते हुए बोली,
"अगर तू ना होती तो क्या होता उनका ।"
"बस बस। आप कितनी तारीफ करोगी मेरी ?"
"तुम तारीफ के लायक ही हो बहू। "
थोड़ी देर बाद सब रसोईघर में नाश्ता करने लगे। ससुरजी ने बहुत कम ही नाश्ता किया। मेरी सास ये देखकर परेशान हो रही थी। पर मेरा नाश्ता करके खत्म होते ही मैंने प्लेट बाजू में रख दी और ससुरजी को बोली,
"चलो ससुरजी आ जाओ। आपको दूध पीना है ना।"
मेरे पती ससुरजी के शर्मिंदगी पर हँस गए और बोले,
"क्या पिताजी ? दूध पीने में क्या शर्माना ?"
मेरे पती सबको बाय करके काम पर चले गए।
मैंने ससुरजी को अपनी गोद मे सुला दिया। आज मैने पिंक कलर की साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना हुआ था। मैंने हँसते हुए पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर सास के देखते हुए ही मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो भी तुरन्त दूध पीने लगे। मैंने मजाक में कह दिया,
"लगता है ससुरजी को बहुत भूख लगी थी। "
सास भी हँसने लगी।
शाम को मेरे पती घर आने के बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे। ससुरजी मेरे पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया और उनको पूछा,
"दूदू पिला दु आपको ?"
"पर बहु..."
"चुपचाप पी लो अब ससुरजी। दूध को ना नही बोलते।"
मैंने उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको स्तनपान करने लगी। बाकी लोग टीव्ही देखने मे दंग थे पर मेरा पुरा ध्यान अपने बूढ़े ससुरजी को दूध पिलाने में ही लगा हुआ था। बीच बीच में सासुमा मेरी तरफ देखकर हँस रही थी। मैंने ससुरजी को अपना पूरा दूध पिला दिया। इतना सारा दूध पीने से उनको काफी नींद भी आ रही थी। तो मैंने अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। फिर उनको ऐसेही सुलाने लगी।
दूसरे दिन में शाम को सास के साथ रसोईघर में खाना बना रही थी। मेरे पति कुछ काम के बहाने मार्केट में गए थे। ससुरजी हॉल में टीव्ही देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वो रसोईघर में आये और मुझे बोले,
"बहु अब मुझे दूदू पिलादो ना। बहुत इच्छा हो रही है।"
ये सुनकर मैं हँस पड़ी,
"पर ससुरजी आपको तो मैं रात में सोते वक्त पिलाती ही हूँ ना। "
"क्या करू बहुरानी । बहुत भुख ली है।"
सासु मा भी बोली,
"ठीक है। वो इतना कह रहे है तो पिलादो उनको। मैं खाना बनाती हूँ।"
मैंने सास को धन्यवाद दिया और ससुरजी के साथ हॉल में आ गयी और निचे जमीन पर बैठ गयी। ससुरजी मेरी गोद मे लेट गए। शाम होने के कारण घर का दरवाजा खुला ही था। ससुरजी ने पूछा,
"कोई देख तो नही लेगा ना?"
"अब नादान मत बनो मेरे बच्चे। एक बच्चे को दूदू पीते देख कौन क्या कहेगा ?"
"ठीक है बहूरानी।"
मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीओ मेरे बच्चे। दूध भी अब काफी बढ़ गया है। " मैं दूध पिलाते समय हमेशा मेरा स्तन एक हाथ से उनके मुह में पकड़ कर रखती हूँ। इससे उनको पीने में आसानी होती है। उनको पिलाते पिलाते मैं टीव्ही भी देख रही थी। उनको सचमुच में बहुत भूख लगी थी। इसलिए वो पूरे आधा घंटे तक मेरा दूध पीते रहे।
मेरे ससुरजी के दोस्त जो एक करीबी गांव में रहते थे उन्होंने उनको कुछ दिनों के लिए बुला लिया। तो ससुरजी ने मुझे भी उनके साथ चलने को कहा। मैं मान गयी । कुछ ही घंटों के सफर तय करके हम दोनों उनके घर पहुँच गए। ससुरजी के दोस्त का नाम कमलेश शर्मा था। सब उनको शर्मा जी कहते थे। वो मेरे ससुरजी के उम्र के ही थे। उन्होंने हमारा स्वागत किया। हम दोनों ने हाथ पांव धो लिए। अब दोपहर का समय था इसलिए शर्मा जी ने हमे आराम करने को कहा। वो अकेले ही रहते थे क्योंकि उनका बेटा अपने पत्नी के साथ शहर में रहता था। ससुरजी और मैंने एक कमरा चुन लिया और थोड़ी देर बेडपर लेट गए। शर्मा जी ने हमे ऐसे पास पास ही लेटे हुए देखा और हँस पड़े,
"क्या तुम्हें अब बहु सुला देती है?"
मैंने भी हँसते हुए कहा,
"हा शर्मा अंकल । उनको बिल्कुल किसी बच्चे की तरह सुलाना पड़ता है मुझे।"
"अच्छा खयाल रखती हो अपने ससुरजी का। चलो मैं भी थोड़ी देर सो लेता हूँ।"
वो कमरे का दरवाजा खुला ही रखकर अपने कमरे में चले गए। मैंने हँसते हुए ससुरजी को अपने करीब ले लिए।
"शर्मा ने देख लिया तो बहु ?"
"तू चिंता मत कर उनकी मेरे बच्चे। सिर्फ दूदू पी मेरा। "
उनके और कुछ कहने के पहले ही मैने उनका सर पल्लू से ढक लिया। फिर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल कर मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो काफी थक चुके थे इसलिए बहुत धीरे धीरे स्तनपान कर रहे थे। उनको पूरा दूध पीने में बहुत समय लग गया।
There is a lot of interest in Update 3Part 2
सुबह मेरे पती काम पर गए । मैंने देखा कि ससुरजी हॉल में जमीन पर बैठे टीव्ही देख रहे थे। सास भी सोफे पर बैठी हुई थी। घर का दरवाजा खुला ही था। मैंने अपना दूध बोतल में निकाल लिया और हॉल में जाकर ससुरजी के पास जमीन पर बैठ गयी। मैंने उनको कहा,
"आओ ससुरजी, आपको गोद मे सुलाती हूँ। फिर आप आराम से बोतल का दूध पी जाओ।"
वो मेरी गोद मे लेट गए। मैंने आज ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। उनका सर मेरे स्तनों के काफी करीब था। वो उनको ध्यान से देख रहे थे। मैंने उनको हँसकर कहा,
"क्या हुआ ससुरजी ? रुक क्यों गए आप ? दूध पी रहे हो ना । या फिर सीधा स्तनपान कर दु आपको ?"
ये सुनकर वो बहुत शरमा गए और बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने की कोशिश करने लगे।
"दीजिए, में पिलाती हु ।"
मैंने उनके हाथ से बोतल निकाल ली और उनके मुँह में घूसा दी। वो अब दूध पीने लगे। मैंने सास को कहा,
"देखो तो कैसे पी रहे है। बहुत क्यूट लग रहे है ।"
सास भी मुस्कुराते हुए बोली,
"हा बहु।"
दूध खत्म होने के बाद मैंने ससुरजी का मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया और बोतल बाजू रखकर उनको में सुलाने लगी। वो मेरे मुम्मो को घूर रहे थे पर मुझे उससे कुछ परेशानी नही हुई।
रात को हम सब रसोईघर में खाना खा रहे थे। तब मैंने सास को पूछा,
"क्या करूँ सासु माँ ? वो दूध निकालकर बोतल में भरने में बहुत समय जाता है। और स्तनों में थोड़ा दूध बच भी जाता है। "
सास बोली,
"अच्छा। तो उनको सीधा स्तनपान ही करो ना हरवक्त। क्यों इतना टाइम वेस्ट करती हो । "
ससुरजी ये सुनकर बहुत लज्जित हो गए,
"पर किसी ने देख लिया तो क्या कहेंगे ?"
इसपर मेरे पती बोले,
"क्या फर्क पड़ता है पिताजी। आपके सेहत का सवाल है। "
ससुरजी ने हार मान ली। मैं उनको ऐसेही चिढ़ाते हुए बोली,
"अब आपको हमेशा स्तनपान ही करूँगी ।"
वो बहुत लज्जित हो गए।
रात को सब सोने के बाद मैं ससुरजी की तरफ पलट गई और उनको मैंने अपने करीब लिया।
"चलो दूदू पी लो ससुरजी।"
"अब क्या तुम मुझे बच्चा ही समझोगी बहू?"
"हा तो क्या हुआ। आप मेरा दूध पीते हो तो मेरे बच्चे ही बन गए हो ना ?"
"अच्छा ठीक है बहु।"
मैंने बिनाना समय लगाए अपने ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीना मेरे बच्चे।"
सुबह मैं उठ गई तो सास पहले से ही एक सोफे पर बैठे चाय पी रही थी।
"कल रात वो अच्छे से सोये ना बहु ?"
"हा माँ जी।"
मैंने बिनासंकोच सास के ही सामने मेरे जो कुछ ब्लाऊज के बटन खुले हुए थे वो लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया।
"बहुत देर दूध पी रहे थे। फिर उनको नींद कब आयी वो पता ही नही चला। "
सास मुझे हँसते हुए बोली,
"अगर तू ना होती तो क्या होता उनका ।"
"बस बस। आप कितनी तारीफ करोगी मेरी ?"
"तुम तारीफ के लायक ही हो बहू। "
थोड़ी देर बाद सब रसोईघर में नाश्ता करने लगे। ससुरजी ने बहुत कम ही नाश्ता किया। मेरी सास ये देखकर परेशान हो रही थी। पर मेरा नाश्ता करके खत्म होते ही मैंने प्लेट बाजू में रख दी और ससुरजी को बोली,
"चलो ससुरजी आ जाओ। आपको दूध पीना है ना।"
मेरे पती ससुरजी के शर्मिंदगी पर हँस गए और बोले,
"क्या पिताजी ? दूध पीने में क्या शर्माना ?"
मेरे पती सबको बाय करके काम पर चले गए।
मैंने ससुरजी को अपनी गोद मे सुला दिया। आज मैने पिंक कलर की साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना हुआ था। मैंने हँसते हुए पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर सास के देखते हुए ही मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो भी तुरन्त दूध पीने लगे। मैंने मजाक में कह दिया,
"लगता है ससुरजी को बहुत भूख लगी थी। "
सास भी हँसने लगी।
शाम को मेरे पती घर आने के बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे। ससुरजी मेरे पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया और उनको पूछा,
"दूदू पिला दु आपको ?"
"पर बहु..."
"चुपचाप पी लो अब ससुरजी। दूध को ना नही बोलते।"
मैंने उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको स्तनपान करने लगी। बाकी लोग टीव्ही देखने मे दंग थे पर मेरा पुरा ध्यान अपने बूढ़े ससुरजी को दूध पिलाने में ही लगा हुआ था। बीच बीच में सासुमा मेरी तरफ देखकर हँस रही थी। मैंने ससुरजी को अपना पूरा दूध पिला दिया। इतना सारा दूध पीने से उनको काफी नींद भी आ रही थी। तो मैंने अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। फिर उनको ऐसेही सुलाने लगी।
दूसरे दिन में शाम को सास के साथ रसोईघर में खाना बना रही थी। मेरे पति कुछ काम के बहाने मार्केट में गए थे। ससुरजी हॉल में टीव्ही देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वो रसोईघर में आये और मुझे बोले,
"बहु अब मुझे दूदू पिलादो ना। बहुत इच्छा हो रही है।"
ये सुनकर मैं हँस पड़ी,
"पर ससुरजी आपको तो मैं रात में सोते वक्त पिलाती ही हूँ ना। "
"क्या करू बहुरानी । बहुत भुख ली है।"
सासु मा भी बोली,
"ठीक है। वो इतना कह रहे है तो पिलादो उनको। मैं खाना बनाती हूँ।"
मैंने सास को धन्यवाद दिया और ससुरजी के साथ हॉल में आ गयी और निचे जमीन पर बैठ गयी। ससुरजी मेरी गोद मे लेट गए। शाम होने के कारण घर का दरवाजा खुला ही था। ससुरजी ने पूछा,
"कोई देख तो नही लेगा ना?"
"अब नादान मत बनो मेरे बच्चे। एक बच्चे को दूदू पीते देख कौन क्या कहेगा ?"
"ठीक है बहूरानी।"
मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीओ मेरे बच्चे। दूध भी अब काफी बढ़ गया है। " मैं दूध पिलाते समय हमेशा मेरा स्तन एक हाथ से उनके मुह में पकड़ कर रखती हूँ। इससे उनको पीने में आसानी होती है। उनको पिलाते पिलाते मैं टीव्ही भी देख रही थी। उनको सचमुच में बहुत भूख लगी थी। इसलिए वो पूरे आधा घंटे तक मेरा दूध पीते रहे।
मेरे ससुरजी के दोस्त जो एक करीबी गांव में रहते थे उन्होंने उनको कुछ दिनों के लिए बुला लिया। तो ससुरजी ने मुझे भी उनके साथ चलने को कहा। मैं मान गयी । कुछ ही घंटों के सफर तय करके हम दोनों उनके घर पहुँच गए। ससुरजी के दोस्त का नाम कमलेश शर्मा था। सब उनको शर्मा जी कहते थे। वो मेरे ससुरजी के उम्र के ही थे। उन्होंने हमारा स्वागत किया। हम दोनों ने हाथ पांव धो लिए। अब दोपहर का समय था इसलिए शर्मा जी ने हमे आराम करने को कहा। वो अकेले ही रहते थे क्योंकि उनका बेटा अपने पत्नी के साथ शहर में रहता था। ससुरजी और मैंने एक कमरा चुन लिया और थोड़ी देर बेडपर लेट गए। शर्मा जी ने हमे ऐसे पास पास ही लेटे हुए देखा और हँस पड़े,
"क्या तुम्हें अब बहु सुला देती है?"
मैंने भी हँसते हुए कहा,
"हा शर्मा अंकल । उनको बिल्कुल किसी बच्चे की तरह सुलाना पड़ता है मुझे।"
"अच्छा खयाल रखती हो अपने ससुरजी का। चलो मैं भी थोड़ी देर सो लेता हूँ।"
वो कमरे का दरवाजा खुला ही रखकर अपने कमरे में चले गए। मैंने हँसते हुए ससुरजी को अपने करीब ले लिए।
"शर्मा ने देख लिया तो बहु ?"
"तू चिंता मत कर उनकी मेरे बच्चे। सिर्फ दूदू पी मेरा। "
उनके और कुछ कहने के पहले ही मैने उनका सर पल्लू से ढक लिया। फिर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल कर मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो काफी थक चुके थे इसलिए बहुत धीरे धीरे स्तनपान कर रहे थे। उनको पूरा दूध पीने में बहुत समय लग गया।
Part 2
सुबह मेरे पती काम पर गए । मैंने देखा कि ससुरजी हॉल में जमीन पर बैठे टीव्ही देख रहे थे। सास भी सोफे पर बैठी हुई थी। घर का दरवाजा खुला ही था। मैंने अपना दूध बोतल में निकाल लिया और हॉल में जाकर ससुरजी के पास जमीन पर बैठ गयी। मैंने उनको कहा,
"आओ ससुरजी, आपको गोद मे सुलाती हूँ। फिर आप आराम से बोतल का दूध पी जाओ।"
वो मेरी गोद मे लेट गए। मैंने आज ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। उनका सर मेरे स्तनों के काफी करीब था। वो उनको ध्यान से देख रहे थे। मैंने उनको हँसकर कहा,
"क्या हुआ ससुरजी ? रुक क्यों गए आप ? दूध पी रहे हो ना । या फिर सीधा स्तनपान कर दु आपको ?"
ये सुनकर वो बहुत शरमा गए और बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने की कोशिश करने लगे।
"दीजिए, में पिलाती हु ।"
मैंने उनके हाथ से बोतल निकाल ली और उनके मुँह में घूसा दी। वो अब दूध पीने लगे। मैंने सास को कहा,
"देखो तो कैसे पी रहे है। बहुत क्यूट लग रहे है ।"
सास भी मुस्कुराते हुए बोली,
"हा बहु।"
दूध खत्म होने के बाद मैंने ससुरजी का मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया और बोतल बाजू रखकर उनको में सुलाने लगी। वो मेरे मुम्मो को घूर रहे थे पर मुझे उससे कुछ परेशानी नही हुई।
रात को हम सब रसोईघर में खाना खा रहे थे। तब मैंने सास को पूछा,
"क्या करूँ सासु माँ ? वो दूध निकालकर बोतल में भरने में बहुत समय जाता है। और स्तनों में थोड़ा दूध बच भी जाता है। "
सास बोली,
"अच्छा। तो उनको सीधा स्तनपान ही करो ना हरवक्त। क्यों इतना टाइम वेस्ट करती हो । "
ससुरजी ये सुनकर बहुत लज्जित हो गए,
"पर किसी ने देख लिया तो क्या कहेंगे ?"
इसपर मेरे पती बोले,
"क्या फर्क पड़ता है पिताजी। आपके सेहत का सवाल है। "
ससुरजी ने हार मान ली। मैं उनको ऐसेही चिढ़ाते हुए बोली,
"अब आपको हमेशा स्तनपान ही करूँगी ।"
वो बहुत लज्जित हो गए।
रात को सब सोने के बाद मैं ससुरजी की तरफ पलट गई और उनको मैंने अपने करीब लिया।
"चलो दूदू पी लो ससुरजी।"
"अब क्या तुम मुझे बच्चा ही समझोगी बहू?"
"हा तो क्या हुआ। आप मेरा दूध पीते हो तो मेरे बच्चे ही बन गए हो ना ?"
"अच्छा ठीक है बहु।"
मैंने बिनाना समय लगाए अपने ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीना मेरे बच्चे।"
सुबह मैं उठ गई तो सास पहले से ही एक सोफे पर बैठे चाय पी रही थी।
"कल रात वो अच्छे से सोये ना बहु ?"
"हा माँ जी।"
मैंने बिनासंकोच सास के ही सामने मेरे जो कुछ ब्लाऊज के बटन खुले हुए थे वो लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया।
"बहुत देर दूध पी रहे थे। फिर उनको नींद कब आयी वो पता ही नही चला। "
सास मुझे हँसते हुए बोली,
"अगर तू ना होती तो क्या होता उनका ।"
"बस बस। आप कितनी तारीफ करोगी मेरी ?"
"तुम तारीफ के लायक ही हो बहू। "
थोड़ी देर बाद सब रसोईघर में नाश्ता करने लगे। ससुरजी ने बहुत कम ही नाश्ता किया। मेरी सास ये देखकर परेशान हो रही थी। पर मेरा नाश्ता करके खत्म होते ही मैंने प्लेट बाजू में रख दी और ससुरजी को बोली,
"चलो ससुरजी आ जाओ। आपको दूध पीना है ना।"
मेरे पती ससुरजी के शर्मिंदगी पर हँस गए और बोले,
"क्या पिताजी ? दूध पीने में क्या शर्माना ?"
मेरे पती सबको बाय करके काम पर चले गए।
मैंने ससुरजी को अपनी गोद मे सुला दिया। आज मैने पिंक कलर की साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना हुआ था। मैंने हँसते हुए पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर सास के देखते हुए ही मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो भी तुरन्त दूध पीने लगे। मैंने मजाक में कह दिया,
"लगता है ससुरजी को बहुत भूख लगी थी। "
सास भी हँसने लगी।
शाम को मेरे पती घर आने के बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे। ससुरजी मेरे पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया और उनको पूछा,
"दूदू पिला दु आपको ?"
"पर बहु..."
"चुपचाप पी लो अब ससुरजी। दूध को ना नही बोलते।"
मैंने उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको स्तनपान करने लगी। बाकी लोग टीव्ही देखने मे दंग थे पर मेरा पुरा ध्यान अपने बूढ़े ससुरजी को दूध पिलाने में ही लगा हुआ था। बीच बीच में सासुमा मेरी तरफ देखकर हँस रही थी। मैंने ससुरजी को अपना पूरा दूध पिला दिया। इतना सारा दूध पीने से उनको काफी नींद भी आ रही थी। तो मैंने अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। फिर उनको ऐसेही सुलाने लगी।
दूसरे दिन में शाम को सास के साथ रसोईघर में खाना बना रही थी। मेरे पति कुछ काम के बहाने मार्केट में गए थे। ससुरजी हॉल में टीव्ही देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वो रसोईघर में आये और मुझे बोले,
"बहु अब मुझे दूदू पिलादो ना। बहुत इच्छा हो रही है।"
ये सुनकर मैं हँस पड़ी,
"पर ससुरजी आपको तो मैं रात में सोते वक्त पिलाती ही हूँ ना। "
"क्या करू बहुरानी । बहुत भुख ली है।"
सासु मा भी बोली,
"ठीक है। वो इतना कह रहे है तो पिलादो उनको। मैं खाना बनाती हूँ।"
मैंने सास को धन्यवाद दिया और ससुरजी के साथ हॉल में आ गयी और निचे जमीन पर बैठ गयी। ससुरजी मेरी गोद मे लेट गए। शाम होने के कारण घर का दरवाजा खुला ही था। ससुरजी ने पूछा,
"कोई देख तो नही लेगा ना?"
"अब नादान मत बनो मेरे बच्चे। एक बच्चे को दूदू पीते देख कौन क्या कहेगा ?"
"ठीक है बहूरानी।"
मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीओ मेरे बच्चे। दूध भी अब काफी बढ़ गया है। " मैं दूध पिलाते समय हमेशा मेरा स्तन एक हाथ से उनके मुह में पकड़ कर रखती हूँ। इससे उनको पीने में आसानी होती है। उनको पिलाते पिलाते मैं टीव्ही भी देख रही थी। उनको सचमुच में बहुत भूख लगी थी। इसलिए वो पूरे आधा घंटे तक मेरा दूध पीते रहे।
मेरे ससुरजी के दोस्त जो एक करीबी गांव में रहते थे उन्होंने उनको कुछ दिनों के लिए बुला लिया। तो ससुरजी ने मुझे भी उनके साथ चलने को कहा। मैं मान गयी । कुछ ही घंटों के सफर तय करके हम दोनों उनके घर पहुँच गए। ससुरजी के दोस्त का नाम कमलेश शर्मा था। सब उनको शर्मा जी कहते थे। वो मेरे ससुरजी के उम्र के ही थे। उन्होंने हमारा स्वागत किया। हम दोनों ने हाथ पांव धो लिए। अब दोपहर का समय था इसलिए शर्मा जी ने हमे आराम करने को कहा। वो अकेले ही रहते थे क्योंकि उनका बेटा अपने पत्नी के साथ शहर में रहता था। ससुरजी और मैंने एक कमरा चुन लिया और थोड़ी देर बेडपर लेट गए। शर्मा जी ने हमे ऐसे पास पास ही लेटे हुए देखा और हँस पड़े,
"क्या तुम्हें अब बहु सुला देती है?"
मैंने भी हँसते हुए कहा,
"हा शर्मा अंकल । उनको बिल्कुल किसी बच्चे की तरह सुलाना पड़ता है मुझे।"
"अच्छा खयाल रखती हो अपने ससुरजी का। चलो मैं भी थोड़ी देर सो लेता हूँ।"
वो कमरे का दरवाजा खुला ही रखकर अपने कमरे में चले गए। मैंने हँसते हुए ससुरजी को अपने करीब ले लिए।
"शर्मा ने देख लिया तो बहु ?"
"तू चिंता मत कर उनकी मेरे बच्चे। सिर्फ दूदू पी मेरा। "
उनके और कुछ कहने के पहले ही मैने उनका सर पल्लू से ढक लिया। फिर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल कर मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो काफी थक चुके थे इसलिए बहुत धीरे धीरे स्तनपान कर रहे थे। उनको पूरा दूध पीने में बहुत समय लग गया।
शर्मा जी का खयाल रखोPart 2
सुबह मेरे पती काम पर गए । मैंने देखा कि ससुरजी हॉल में जमीन पर बैठे टीव्ही देख रहे थे। सास भी सोफे पर बैठी हुई थी। घर का दरवाजा खुला ही था। मैंने अपना दूध बोतल में निकाल लिया और हॉल में जाकर ससुरजी के पास जमीन पर बैठ गयी। मैंने उनको कहा,
"आओ ससुरजी, आपको गोद मे सुलाती हूँ। फिर आप आराम से बोतल का दूध पी जाओ।"
वो मेरी गोद मे लेट गए। मैंने आज ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाऊज पहना था। उनका सर मेरे स्तनों के काफी करीब था। वो उनको ध्यान से देख रहे थे। मैंने उनको हँसकर कहा,
"क्या हुआ ससुरजी ? रुक क्यों गए आप ? दूध पी रहे हो ना । या फिर सीधा स्तनपान कर दु आपको ?"
ये सुनकर वो बहुत शरमा गए और बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने की कोशिश करने लगे।
"दीजिए, में पिलाती हु ।"
मैंने उनके हाथ से बोतल निकाल ली और उनके मुँह में घूसा दी। वो अब दूध पीने लगे। मैंने सास को कहा,
"देखो तो कैसे पी रहे है। बहुत क्यूट लग रहे है ।"
सास भी मुस्कुराते हुए बोली,
"हा बहु।"
दूध खत्म होने के बाद मैंने ससुरजी का मुँह अपने पल्लू से पोछ लिया और बोतल बाजू रखकर उनको में सुलाने लगी। वो मेरे मुम्मो को घूर रहे थे पर मुझे उससे कुछ परेशानी नही हुई।
रात को हम सब रसोईघर में खाना खा रहे थे। तब मैंने सास को पूछा,
"क्या करूँ सासु माँ ? वो दूध निकालकर बोतल में भरने में बहुत समय जाता है। और स्तनों में थोड़ा दूध बच भी जाता है। "
सास बोली,
"अच्छा। तो उनको सीधा स्तनपान ही करो ना हरवक्त। क्यों इतना टाइम वेस्ट करती हो । "
ससुरजी ये सुनकर बहुत लज्जित हो गए,
"पर किसी ने देख लिया तो क्या कहेंगे ?"
इसपर मेरे पती बोले,
"क्या फर्क पड़ता है पिताजी। आपके सेहत का सवाल है। "
ससुरजी ने हार मान ली। मैं उनको ऐसेही चिढ़ाते हुए बोली,
"अब आपको हमेशा स्तनपान ही करूँगी ।"
वो बहुत लज्जित हो गए।
रात को सब सोने के बाद मैं ससुरजी की तरफ पलट गई और उनको मैंने अपने करीब लिया।
"चलो दूदू पी लो ससुरजी।"
"अब क्या तुम मुझे बच्चा ही समझोगी बहू?"
"हा तो क्या हुआ। आप मेरा दूध पीते हो तो मेरे बच्चे ही बन गए हो ना ?"
"अच्छा ठीक है बहु।"
मैंने बिनाना समय लगाए अपने ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीना मेरे बच्चे।"
सुबह मैं उठ गई तो सास पहले से ही एक सोफे पर बैठे चाय पी रही थी।
"कल रात वो अच्छे से सोये ना बहु ?"
"हा माँ जी।"
मैंने बिनासंकोच सास के ही सामने मेरे जो कुछ ब्लाऊज के बटन खुले हुए थे वो लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया।
"बहुत देर दूध पी रहे थे। फिर उनको नींद कब आयी वो पता ही नही चला। "
सास मुझे हँसते हुए बोली,
"अगर तू ना होती तो क्या होता उनका ।"
"बस बस। आप कितनी तारीफ करोगी मेरी ?"
"तुम तारीफ के लायक ही हो बहू। "
थोड़ी देर बाद सब रसोईघर में नाश्ता करने लगे। ससुरजी ने बहुत कम ही नाश्ता किया। मेरी सास ये देखकर परेशान हो रही थी। पर मेरा नाश्ता करके खत्म होते ही मैंने प्लेट बाजू में रख दी और ससुरजी को बोली,
"चलो ससुरजी आ जाओ। आपको दूध पीना है ना।"
मेरे पती ससुरजी के शर्मिंदगी पर हँस गए और बोले,
"क्या पिताजी ? दूध पीने में क्या शर्माना ?"
मेरे पती सबको बाय करके काम पर चले गए।
मैंने ससुरजी को अपनी गोद मे सुला दिया। आज मैने पिंक कलर की साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना हुआ था। मैंने हँसते हुए पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर सास के देखते हुए ही मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो भी तुरन्त दूध पीने लगे। मैंने मजाक में कह दिया,
"लगता है ससुरजी को बहुत भूख लगी थी। "
सास भी हँसने लगी।
शाम को मेरे पती घर आने के बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे। ससुरजी मेरे पास ही बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया और उनको पूछा,
"दूदू पिला दु आपको ?"
"पर बहु..."
"चुपचाप पी लो अब ससुरजी। दूध को ना नही बोलते।"
मैंने उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको स्तनपान करने लगी। बाकी लोग टीव्ही देखने मे दंग थे पर मेरा पुरा ध्यान अपने बूढ़े ससुरजी को दूध पिलाने में ही लगा हुआ था। बीच बीच में सासुमा मेरी तरफ देखकर हँस रही थी। मैंने ससुरजी को अपना पूरा दूध पिला दिया। इतना सारा दूध पीने से उनको काफी नींद भी आ रही थी। तो मैंने अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। फिर उनको ऐसेही सुलाने लगी।
दूसरे दिन में शाम को सास के साथ रसोईघर में खाना बना रही थी। मेरे पति कुछ काम के बहाने मार्केट में गए थे। ससुरजी हॉल में टीव्ही देख रहे थे। थोड़ी देर बाद वो रसोईघर में आये और मुझे बोले,
"बहु अब मुझे दूदू पिलादो ना। बहुत इच्छा हो रही है।"
ये सुनकर मैं हँस पड़ी,
"पर ससुरजी आपको तो मैं रात में सोते वक्त पिलाती ही हूँ ना। "
"क्या करू बहुरानी । बहुत भुख ली है।"
सासु मा भी बोली,
"ठीक है। वो इतना कह रहे है तो पिलादो उनको। मैं खाना बनाती हूँ।"
मैंने सास को धन्यवाद दिया और ससुरजी के साथ हॉल में आ गयी और निचे जमीन पर बैठ गयी। ससुरजी मेरी गोद मे लेट गए। शाम होने के कारण घर का दरवाजा खुला ही था। ससुरजी ने पूछा,
"कोई देख तो नही लेगा ना?"
"अब नादान मत बनो मेरे बच्चे। एक बच्चे को दूदू पीते देख कौन क्या कहेगा ?"
"ठीक है बहूरानी।"
मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक लिया और उनको स्तनपान करने लगी।
"आराम से पीओ मेरे बच्चे। दूध भी अब काफी बढ़ गया है। " मैं दूध पिलाते समय हमेशा मेरा स्तन एक हाथ से उनके मुह में पकड़ कर रखती हूँ। इससे उनको पीने में आसानी होती है। उनको पिलाते पिलाते मैं टीव्ही भी देख रही थी। उनको सचमुच में बहुत भूख लगी थी। इसलिए वो पूरे आधा घंटे तक मेरा दूध पीते रहे।
मेरे ससुरजी के दोस्त जो एक करीबी गांव में रहते थे उन्होंने उनको कुछ दिनों के लिए बुला लिया। तो ससुरजी ने मुझे भी उनके साथ चलने को कहा। मैं मान गयी । कुछ ही घंटों के सफर तय करके हम दोनों उनके घर पहुँच गए। ससुरजी के दोस्त का नाम कमलेश शर्मा था। सब उनको शर्मा जी कहते थे। वो मेरे ससुरजी के उम्र के ही थे। उन्होंने हमारा स्वागत किया। हम दोनों ने हाथ पांव धो लिए। अब दोपहर का समय था इसलिए शर्मा जी ने हमे आराम करने को कहा। वो अकेले ही रहते थे क्योंकि उनका बेटा अपने पत्नी के साथ शहर में रहता था। ससुरजी और मैंने एक कमरा चुन लिया और थोड़ी देर बेडपर लेट गए। शर्मा जी ने हमे ऐसे पास पास ही लेटे हुए देखा और हँस पड़े,
"क्या तुम्हें अब बहु सुला देती है?"
मैंने भी हँसते हुए कहा,
"हा शर्मा अंकल । उनको बिल्कुल किसी बच्चे की तरह सुलाना पड़ता है मुझे।"
"अच्छा खयाल रखती हो अपने ससुरजी का। चलो मैं भी थोड़ी देर सो लेता हूँ।"
वो कमरे का दरवाजा खुला ही रखकर अपने कमरे में चले गए। मैंने हँसते हुए ससुरजी को अपने करीब ले लिए।
"शर्मा ने देख लिया तो बहु ?"
"तू चिंता मत कर उनकी मेरे बच्चे। सिर्फ दूदू पी मेरा। "
उनके और कुछ कहने के पहले ही मैने उनका सर पल्लू से ढक लिया। फिर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल कर मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो काफी थक चुके थे इसलिए बहुत धीरे धीरे स्तनपान कर रहे थे। उनको पूरा दूध पीने में बहुत समय लग गया।