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Incest नई जिन्दगी nai zindagi (INCEST)

andyking302

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Update-3

सरला- नही बेटा, मेरा फर्ज है ये तो, हमारा नसिब ही खराब है बेटा सरीता जैसी डायन से तुने शादी कर ली कमीनी ने तो छोटे

रवी की तक परवाह

नही की, कैसे कलेजे की औरत है वो, बेचारे रवी की बुरी हालत हो रही है । और आज तो......

सुनिल- आज, आज क्या मां....

सरला- कुछ नही बेटा...

सुनिल- मां सच सच बता क्या हुआ कीसी ने कुछ कहा तुझे

सरला- बेटा वो पडोस की एक औरत घर आई थी

सुनिल- क्या कह रही है, उसे कुछ पता तो नही चला ना

सरला- बेटा पता तो नही चला पर बडी गडबड हो गई है

सुनिल- वो क्या मां

सरला- बेटा व व वो औरत मुझे रवी की मां समझ ने लगी है

सरला अपने पल्लू को मुह पे रखे रोती है । सुनिल सब सुनकर हैरानी से अपने माथे पर हाथ रखता है और माथे पर हाथ पटकने

लगता है । और

सुनिल के आंखे नम हो जाती है ।

सुनिल- हे भगवान ये क्या हो गया, कैसी कीस्मत है मेरी, त त त तू चिंता मत कर मां अगर यहां हमारी यही पहचान हुई है तो

ठीक है । लोग जो

समझ ते है वो समझे, हमारा असल रीश्ता तो हम जानते है । थोडा दीन सह ले मां । कुछ पैसे जुटाने दे मुझे । कुछ साल बाद

हम यहां से दूर चले

जाएगें । मेरा वादा है तुझ से । फीर रवी भी बडा हो जाएगा तो कोई ऐसी परेशानी नही होगी ।

सरला- नही बेटा वो बात नही है । मै तो सह लूंगी बेटा । पर रवी की भी तो सोच, बेचारा कबतक बीना मां के रह पाएगा । तू

जल्द से जल्द कोई

लडकी देख के शादी कर ले ।

सुनिल- मां मेरा अब प्यार-वार से विश्वास उड चुका है । मुझे कोई शादी वादी नही करनी है ।

सरला- अरे बेटा सारी औरते सरीता की जैसी नही होती सुन मेरी बात....

सुनिल- नही मां मैने जो कहां वो मेरा आखरी जवाब है, और हां आज के बाद ईस घर मे सरीता की बात नही निकलेगी । मर

चुकी है वो हम सब के

लिए अब ।

सुनिल ने जेब से शराब की बोतल निकाली और मुह से लगाके गटकने लगा

सरला- शराब, ये क्या कर रहा है बेटा तू मै कहती हूं फेंक ईसे मत पी बेटा

सुनिल- पीने दे मां, यही है जो मुझे समझती है ,मेरा अतीत भुलाने मे मदत करती है । तुझे मेरी कसम आज रात पीने दे मुझे

नही तो निंद नही

आएगी रातभर मुझे

सरला तो बेचारी ना चाहते हुए भी चुप हो गई ,सरीता के बारे मे बोलने से सुनिल कीतना दुखी हो जाता है ये सरला ने देख लिया

। वो अपने बेटे की

ये हालत होते नही देख सकती थी पर कर भी कुछ नही पा रही थी।

दो दीन बाद एक शाम पडोसी कवीता घर आई

सुनिल खटीये पे बैठे चाय पी रहा था ।

कविता- अरे सरला दीदी क्या चल रहा है

सरला रसोई से बाहर आती है ।

कविता सुनिल को खटीये पे देख कर

कविता- नमस्ते भाईसाब

सरला- अ..हा ब..बोल कविता क्या हुआ

कविता- अरे दीदी वो आज आपने सब्जी बनाई है क्या, मुझे थोडी चाहीये

सरला- हां है ना पालक की बनाई है, अभी लाती हूं

सरला ने कटोरी मे पालक की सब्जी भर के ले आई

कविता- अरे रवी बेटा खेल रहा है ओ ले ले ले, भाईसाब रवी पुरा आप पे गया है हां ।

सुनिल ने हल्की सी मुस्कुराहट दीखाई

सरला- ये लो कविता
शानदार भाई
 

andyking302

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Update-4

कविता- चलती हूं दीदी बडे काम पडे है घर पे

रात को रवी सरला की गोद मे लेटा था सरला की एक चुची रवी मुंह मे लीए चुस रहा था दुध तो नही था पर नन्हे बच्चे को

कौन समझाये सरला

रवी को साडी के पल्लू से ढक कर बैठी थी सामने सुनिल का

ध्यान फोन पे था पर औरत की नजर सब समझ लेती है। नायलोन की साडी के जालीदार पल्लू से सरला की मोटी- मोटी गोरी

चमकती अधनंगी

चुचीं पे ना जाने क्यू सुनिल की नजरे मिनट दो मिनट बाद घूर रही थी ईसका अंदाजा नजरे झुकाई बैठी सरला को हो चुका था।

उस रात सुनिल बडे आनंद से बुरी यादें भुलकर सरला के साथ हसी मजाक कीये सो गया ।

कुछ दीन बाद एक सुबह सरला नहा रही थी उस समय भी सुनिल की नजरे बाथरूम के हवा से थोडे हीलते हुए परदे के अंदर

झाकने की कोशीश कर

रही थी । और जब सरला बाथरूम से पेटीकोट और चोली मे बाहर आई तो, फीर एकबार वही कोशिश नाजाने ये कैसी चाहत थी

की सुनिल की आंखे

सरला के गोल-गोल चुत्तरो मे फसा पेटीकोट और मोटी-मोटी चुचींयो जो सरला बाल पोछते समय हील रही थी उसका रसपान

कर रही थी ।

ये सब नजरे सरला पहचान ती थी पर समझती थी । पर ना रोक सकती थी ना कुछ कर सकती थी । वो अच्छी तरह जानती

थी । उसके जवान बेटे

को औरत के जीस्म की जरूरत थी पर वो कर भी क्या सकती थी । दुसरी शादी की बात से सुनिल की सरता के बारे मे यादें

ताजा हो उठती और वो

दुखी हो जाता । सरला ने ठान ली वो सुनिल की अतित की बुरी यादे मिटायेगी । और शायद वो शुरूवात कहां से करनी है वो

समझ चुकी थी ।
जबरदस्त भाई
 

andyking302

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Update-5

दोपहर कविता घर पे गप्पे लडाने आ गई बोलते बोलते वो कह गई

कविता- दीदी बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं

सरला- कौनसी बात

कविता- दीदी शायद आप भैया से उमर मे बडी हो है ना

सरला ने नजर झुकाई

कविता- अरे देखो आप नाराज हो गई आपकी लव मैरेज है ना

सरला ने मजबूरी मे हां मे सीर हीलाया

कविता- अरे दीदी प्यार मे उमर थोडी देखी जाती है, आप दोनो का जोडा ना बहोत सुंदर है । पर बहोत दीनों से देख रही हूं

भाईसाब उदास-उदास

रहते है । कीसी गहरी सोच मे डुबे हुए लगते है । माफ कीजीएगा पर मुझे लगता है । शायद आप उनको खुष नही रख पाती

आप समझ गई ना मै

कौनसी खुषी की बात कर रही हूं ।

सरला गालो ही गालों मे हस पडी

कविता की नजर सरला की पहनी हुई चोली पर थी, कवीता ने सरला की चोली के ओर देखे बोला

कविता- क्या दीदी आप भी ना ये कौन से जमाने के ब्लाउज पहनती हो पुरे ढके-ढके । भला भैया आप पे लट्टू कैसे होंगे आज

कल खुले और बडे गले

के ब्लाउज पहनने का फैशन है । कल हम मेरे वाले टेलर के पास चलेंगे ।

सरला को तो ये सब सुन कर बडा बुरा लग रहा था, ये क्या दीन उस पे आन पडे है वो अपने बदन की नुमाईश अपने ही बेटे को

करने वाली थी ।

पर कविता और बस्ती के लोगों को शक ना हो इसीलीए अच्छा यही था की ईस नाटक को आगे बढाया जाए सरला ने भी नाटक

करने की सोच ली

कविता- दीदी आप भी ना, भाईसाब का नाम लेते ही नई दुल्हन की तरह शरमाती हो, ये शहर है आपका गाव नही ये शरमाना

छोडीये कुछ तो बोलो

दीदी कबसे मैं ही बकबक कीये जा रही हूं ।

सरला- कविता म म मेरे पती और मै , हम दोनो तुम्हे बराबर तो लगते है ना

कविता- बराबर मतलब

सरला- वो मुझसे १० साल उमर मे कम है ना

कविता- क्या दीदी आप कहा बडी लगती हो भाईसाब से, दोनो सुंदर जोडा लगते हो बिल्कूल एक-दुसरे के लिए बने हो आप दोनो



सरला- स...स सच मे

कविता- क्या दीदी आप भी कीतना डरती हो जैसे कोई पाप कर रही हो । अरे दीदी दोनो खुलके प्यार करो बाकी दुनिया गई तेल

लेने, पर हां रात मे

प्यार जरा धीरे से करो हां नही तो छोटू की निंद तुट जाएगी ।

और फीर कविता जोर-जोर से हसने लगी

सरला बेचारी मां बेटे के रीश्ते की धज्जीया उडते सह रही थी पर आखिर वो मां थी बेटे के लिए कुछ भी सहने को तैयार थी ।

सरला- कविता तेरे भाईसाब को पुराने लोगों की बडी याद सताती है और वो दुखी हो जाते है तू बता ना क्या करू

कविता- ईतनी सी बात, दीदी एसे वक्त बीवी ही पती का सहारा होती है । एक काम करो आप रोज उनका खयाल रखा करो काम

पे जाने पर उनकी

हर कुछ घंटो बाद फोन करके हालचाल पुछा करा, बाकी उन्हे कैसे खुष रखना है ये तो आपको अच्छी तरह पता होगा । मेरे पती

भी उनके बापू

गुजरने के बाद बडे सदमे मे रहते थे मैने ही उन्हे जल्द उससे बाहर निकाला ।

सरला बडी गौर से कविता की सलाह सुन रही थी ।

सुनिल अब धीरे-धीरे अपने बुरे अतित से बाहर आ रहा था पर जब कभी सरीता के यादों से जुडी कोई चीज देख लेता तो फीर

दुखी हो जाता था ।

इसलिए सरला ने सरीता की यादों से जुडी हर चिज को घर से दुर कर दीया ।

कुछ दीन गुजर गये सरला ने एक दीन कविता की साडी और खुले गले की चोली पहन ली शाम को सुनिल थका हारा घर लौटा

सरला ने दरवाजा

खोला सरला को देख कर सुनिल की आंखे फटी की फटी रह गई ।
शानदार भाई
 

numdev

New Member
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Bhai
Kahani bahaut sundar ja rahi hain
Please ise age badhao
Aur slow seduction rakhana
Kavita dhire dhire maa ko bete ke karib le jayegi aur maa khud bete ko seduce karegi
Ek aur baat bhai
Achhe garam garam pics dalna mat bhulna plus size ki aunty ke
 
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