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Horror नदी का रहस्य (Completed)

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Now I am become Death, the destroyer of worlds
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Dark Soul

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आज दिन भर स्कूल में बहुत व्यस्त रही रुना. कक्षा ३ से ६ तक के बच्चों का वीकली टेस्ट था. सभी कक्षाओं में हिंदी, अंग्रेज़ी और पर्यावरण विज्ञान पढ़ाती है वो. छोटे बच्चों को पढ़ाने में बहुत दक्ष है एवं कड़ी अनुशासन में भी रखना जानती है. लगातार पाँच घंटे से टेस्ट लेते लेते थक गई है बेचारी इसलिए कक्षा ३ में कुर्सी पर बैठ कर सुस्ता भी रही है और टेबल पर रजिस्टर रख कर बच्चों की उपस्थिति का अवलोकन कर रही है... बच्चे चुपचाप रुना द्वारा दिए गए टास्क को बनाने में लगे हैं...


रजिस्टर चेक करते करते अचानक से रुना को आज सुबह घटी घटना याद आ गई..


सुबह जिस तरह से उसका देबू दूधवाले से आमना सामना हुआ, उसकी देह को देख कर देबू जिस तरह से मोहित हो गया था एवं उसके चेहरे के जो हाव भाव हो गए थे... सब याद आते ही रुना के दिल में एक गुदगुदी हो गई.
वो मन ही मन मुस्करा उठी.

मुस्कराने का एक कारण ये भी था कि देबू की नज़रों ने उसके देह और मन में कामोत्तेजना की एक धीमी आँच प्रज्ज्वलित कर दी थी... जैसे जैसे देबू की नज़रें रुना के बदन पर जमते जा रहे थे वैसे वैसे शर्मो ह्या के साथ साथ थोड़ी थोड़ी कर के काम वासना का भी संचार होने लग रहा था रुना में. ब्रा विहीन ब्लाउज के अंदर उसके निप्पल्स धीरे धीरे सख्त हो उठे थे जिस वजह से ब्लाउज पर उनकी छाप से बनने लगी थी और यह चीज़ देबू की नज़रों से छुपी न रह सकी थी.

उसके ब्लाउज पर निप्पल्स वाले स्थान को देख आकर जिस तरह से देबू ने अविश्वास के साथ ज़ोर से थूक निगला था उससे तो रुना लगभग हँस ही पड़ी थी.


देबू के चले जाने के बाद रुना दूध के बर्तन को रसोई में सही जगह रखने के बाद सीधे अपने कमरे में गई और जा कर खड़ी हो गई थी ड्रेसिंग टेबल के सामने. आदमकद दर्पण के सामने खड़ी हो कर अपने जिस्म को स्वयं ही बड़े मनमोहक ढंग से निहारने लगी थी. देबू की दृष्टि ने जो आँच लगाया था रुना के अंदर; उसे अब धीरे धीरे कई महीनों की यौन तृष्णा हवा देने लगी थी.

रुना की बढ़ी हुई धड़कन बीच बीच में एक बार के लिए धौंकनी की तरह तेज़ हो जाती और फ़िर कम होती जाती.

‘टन टन टन टन टन!!!’

स्कूल की घंटी बजी...

और इसी के साथ रंगीले मनोरम सपनों से एक झटके में बाहर आ जाना पड़ा उसे.

बच्चों को विदा कर, साथी शिक्षक-शिक्षिकाओं से विदा ले कर रुना चल पड़ी अपने घर की ओर... अर्थात् नदी की ओर... मतलब यह कि घर पहुँचने के लिए उसे पहले नदी को पार करना पड़ेगा और फ़िर यही कोई पन्द्रह बीस मिनट चलने के बाद ही सीधे अपने घर पहुँचेगी.

नदी तट पर पहुँचने के साथ ही उसे नाव भी मिल गई.


नाव में ही उसे अपने घर के पास ही रहने वाली एक औरत मिल गई.. मीना.. मीना नाम है उसका. रुना के घर से दो घर आगे रहती है. कई दिनों से एक ही रट लगाए रखी है की उसे भी कहीं छोटी मोटी सी नौकरी करनी है और स्कूल से बढ़िया जगह और कौन हो सकती है... इसलिए रुना के पीछे पड़ी रहती है हमेशा... ताकि वो अपने स्कूल में बात करके मीना के लिए कुछ कर दे.

नाव में दोनों साथ ही बैठी इधर उधर की बातें कर रही हैं...

नाव नदी के दूसरे तट के पास पहुँचने के बहुत पहले ही अचानक से धीरे हो गई और धीरे धीरे ही जिस रास्ते चल रही थी उससे परे हट गई.

इस बात पे रुना का ध्यान गया..

हालाँकि ऐसा वो अपने शादी हो कर यहाँ आने के बाद से ही ऐसा होता हुआ देख रही है पर कभी इस विषय पर बात नहीं कर पाई. जिस किसी से भी बात करना चाही; उसने या तो बात को जल्दी से रफ़ा दफ़ा कर दिया या फ़िर आधा अधूरा ही बताया.

रुना के मन में अचानक से एक बेचैनी सी होने लगी.

उसे ऐसा लगने लगा की आज उसे ये बात जानना ही होगा कि सच क्या है...? क्या बातें होती हैं नदी को लेकर...? लोग क्यों भयभीत होते हैं इस नदी के दक्षिण दिशा को लेकर?

वो इधर उधर देखी..

बगल में ही मीना एक पत्रिका पढ़ने में मग्न थी.

रुना को मीना से बढ़िया कोई और न सूझा जो इस विषय पर उससे बात करे.

कोहनी से ज़रा सा धक्का दे कर मीना से पूछी,

“ए.. क्या पढ़ रही है?”

“कुछ नहीं दीदी.. बस यह फ़िल्मी पत्रिका पढ़ रही हूँ... घर में बैठे बैठे बोर हो जाती हूँ न.. इसलिए आज घर से ये सोच कर ही निकली थी कि शहर वाले मार्किट से तीन – चार किताबें खरीदनी ही खरीदनी है... कुल पाँच खरीद ली.. ही ही...”

बोल कर शरारत से खिलखिला उठी मीना.

रुना भी बिना मुस्कराए न रह पाई.

मीना की यही एक बात उसे बहुत भाती है. शादी हुए कितने साल हो गए पर बचपना अब तक नहीं गया उसका. पता नहीं पति से चुदती समय क्या करती होगी..!!

‘चुदती’ शब्द मन में आते ही रुना शर्मा गई.

‘हाय... ये कैसे कैसे शब्द आ रहे हैं दिमाग में... छी...’ मन ही मन सोची.

“क्यों दीदी.. तुम्हें भी पढ़ना है क्या.. पढ़ना है तो बोलो... अभी एक देती हूँ.”

रुना को चुप देख मीना पूछी.

मीना के सवाल से रुना अपने विचारों से बाहर आई..

“नहीं मीना.. पढ़ना नहीं है.. कुछ पूछना है..”

“हाँ पूछो.”

“वादा कर मैं जो भी पूछूँगी वो तू ज़रूर बताओगी...?”

“बिल्कुल दीदी... बिल्कुल बताऊँगी... पक्का.. वादा..”

“और किसी को बताओगी नहीं कि मैंने तुमसे कभी कुछ पूछा और तुमने मुझे उसका जवाब दिया था... यहाँ तक की मेरे पति को भी नहीं.”

रुना के इस बात पे मीना सशंकित हो गई.

थोड़ा रुक कर सोची...

कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी उसकी नज़र नदी के दक्षिण दिशा की ओर चली गई..

और मानो उसे अपने आप ही जवाब मिल गया की रुना उससे क्या पूछना चाहती है...

उसने तुरंत ही अपना निर्णय सुना दिया,

“देखो दी, अगर और कुछ पूछना चाहती हो तो ठीक है.. पर अगर इस दक्षिण दिशा के बारे में कुछ पूछना है तो पहले ही बता देती हूँ की मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है.. माफ़ करो.”

कह कर दूसरी तरफ़ थोड़ा सा घूम कर पत्रिका को दुबारा पढ़ने लगी.

रुना को मीना के इस तरह मना कर देने पर बुरा लगा. कुछ पल सोच कर उसने भी अपना निर्णय सुना दिया,
“ठीक है... मैं तुमसे कुछ पूछना और जानना चाहती थी इस भरोसे के साथ कि तुम ही एकमात्र मेरी वो करीबी हो जो सब खुल कर बताओगी.. पर नहीं.. तुमसे इतना सा भी नहीं हुआ.. कोई बात नहीं... तुम इतना छोटा सा काम नहीं कर सकती तो मैं भी भला स्कूल में तुम्हारी नौकरी की बात करने जैसी भारी काम कैसे कर पाऊँगी... ना बाबा.. माफ़ करो.”

कह कर रुना भी मुँह फूला कर दिखावटी गुस्सा करते हुए दूसरी तरफ़ घूम कर बैठ गई.

रुना के इस बात पे तो जैसे मीना को काठ मार गया.

‘हे भगवान... ये मैं क्या सुन रही हूँ... रुना दी मेरा काम नहीं कर देगी.. बस इतनी सी बात के लिए कि मैं उन्हें नदी के दक्षिण दिशा के बारे में बताने से मना कर दिया... उफ्फ्फ़... क्या करूँ.. वैसे बात तो सही है... ये पूछेंगी... और मैं बताऊँगी... छोटा सा ही तो काम है.. और वैसे भी दीदी कितनी हेल्पफूल है... मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए.’

ऐसा सोच कर मीना रुना की बायीं बाँह हल्के से पकड़ कर बोली,

“सॉरी दी.. दरअसल ये बात ही ऐसी है की बोलना तो छोड़ो... सोच कर ही जी घबराने लगता है.. तुम पूछो दी.. क्या क्या पूछना है?”

रुना पलट कर मीना को देखी...

मुस्कराई..

बोली,

“ज़्यादा कुछ नहीं.. बस, इस नदी और इसके दक्षिण दिशा को लेकर यहाँ के लोगों के मन में जो आतंक है.. उसके बारे में जानना है.”

मीना धीरे से बोली,

“ठीक है दी.. पर मेरी भी एक शर्त है...”

“क्या?”

“वादा करो की तुम किसी को भी नहीं बताओगी कि मैंने तुम्हें इस नदी और इसके दक्षिण दिशा के बारे में कुछ भी बताया है.”

“ठीक है.. वादा करती हूँ की कभी किसी को नहीं बताऊँगी... और वैसे भी, तू ही सोच.. किसी को ये बता कर मुझे किसी झमेले में फँसना है क्या?” रुना होंठों पर विजयी मुस्कान लिए बोली.

मीना एक गहरी साँस ले कर बोलना शुरू की,


“दीदी, बात है तो छोटी सी... पर है खतरनाक.. कई साल पुरानी बात है. तब हमारा ये गाँव था तो सही पर.. उस समय ये गाँव कम और जंगल का एक विशाल टापू सा लगता था. आज ही की तरह उस समय भी गाँव के लोग काफ़ी मिलनसार और एक दूसरे की मदद को हमेशा तैयार रहने वाले थे. पैसे वाले हो या गरीब, बहुत अच्छी सद्भावना थी लोगों में. बहुत ही अच्छा वातावरण हुआ करता था. इसी गाँव का एक लड़का इसी गाँव की ही एक लड़की के प्यार में पड़ गया. लड़की पैसे वाली थी... लड़का गरीब तो न था पर लड़की जैसा पैसा वाला भी नहीं था. खैर, इधर लड़की भी उसको चाहने लगी थी. दोनों अक्सर चोरी छिपे मिला करते थे. धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के बहुत घनिष्ठ हो गए. बहुत करीबी हो गए एक दूसरे के. एक दिन गाँव वालों ने दोनों को रंगे हाथ आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ लिया.

पंचायत बैठी.

गाँव के वरिष्ठ और गणमान्य लोग भी थे सभा में.

लड़के और लड़की को बहुत खरी खोटी सुनाई गई.

दोनों को ही गाँव और उनके परिवारों के संस्कार आदि की घुट्टी पिलाई गई. चूँकि इस तरह की ये पहली घटना थी गाँव के इतिहास में; इसलिए इस बात पे की आज के बाद दोनों एक दूसरे से कभी नहीं मिलेंगे, एक दूसरे की शक्ल तक नहीं देखेंगे... दोनों को छोड़ दिया गया. साथ में ये भी घोषणा कर दी गई भरी सभा में की यदि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होती है तो चाहे वो कोई भी हो... उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. दया और माफ़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी.”

“फ़िर?” मीना को एक क्षण के लिए चुप होती देख रुना व्यग्रता से पूछ उठी.


“फ़िर काफ़ी दिनों तक दोनों ने एक दूसरे को देखा तक नहीं.. दोनों के आपस में मिलने, भेंट करने वाली जैसी कोई बात गाँव वालों के नज़रों में नहीं आई. धीरे धीरे गाँव वाले इस बात को भूल गए. उन्होंने यही सोचा होगा कि शायद दोनों सुधर गए होंगे. पर वास्तविकता कुछ और थी. वह लड़का उस लड़की से मिलता रह रहा था. कैसे... यह किसी को पता नहीं चला. एक दिन अचानक लड़की के घर में कोहराम मच गया. सुबह से लड़की घर से गायब थी... लड़की को अहले सुबह सबसे पहले उठ जाने की आदत थी. उस दिन जब काफ़ी देर बाद भी अपने कमरे से नहीं निकली तो उसकी माँ ने लड़की को जगाने के लिए उसके कमरे के दरवाज़े पर कई बार दस्तक दी थी... पर जब काफ़ी देर तक दस्तक और आवाज़ देने के बाद भी अंदर से कोई जवाब जब न आया तब उसकी माँ ने शोर मचाया. घर के मर्द जब दरवाज़ा तोड़ कर अंदर घुसे तब कमरे से लड़की नदारद थी.

बात फैलते देर नहीं लगी.

लड़की की खोज शुरू हो गई. उस लड़की से संबंधित हर उस स्थान को तलाशा गया जहाँ उसके होने की सम्भावना हो सकती थी. जब काफ़ी खोजबीन के बाद भी लड़की का पता न चला तब लड़की के घर वाले एवं गाँव वालों ने लड़के से पूछना ज़रूरी समझा. हालाँकि लड़की के गायब होते ही लड़के के घर में छापा पड़ चुका था... लड़का भी घर से गायब था. लड़की के माँ बाप से कड़ाई से पूछताछ करने पर पता चला था कि लड़का अहले सुबह ही पास के गाँव अपने दोस्त के यहाँ गया था... उसके साथ मिलकर फसलों की देख रेख करने.


गाँव वाले उस बगल वाले गाँव जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक हल्ला हुआ की कुछ ही देर पहले इसी गाँव के ही मंदिर में से लड़का लड़की को निकलते हुए देखा गया है. संभवतः दोनों ने शादी कर ली है.
शादी कर लेने वाली बात सुन कर लड़की के घर वाले गुस्से से तमतमा गए और गाँव वालों को साथ ले कर चल दिए मंदिर की ओर. पुजारी से तो कुछ खास पता न चल सका पर मंदिर से दस कदम दूर स्थित एक चाय दुकान के आदमी ने बताया की एक लड़का और लड़की को मंदिर की ही कच्ची सड़क से नीचे उतर कर दक्षिण की ओर जाते देखा था. लड़की दुल्हन के जोड़े में थी.

तुरंत ही उस जगह का पता लग गया जहाँ वे दोनों उपस्थित थे.


एक पुराना घर था. वर्षों से वहाँ किसी का आना जाना नहीं था. सबने बाहर से देखा की उसी घर के एक कमरे में मद्धिम बत्ती जल रही है.. रोशनी बस इतनी सी ही थी की उस कमरे में मौजूद आदमी किसी तरह अपने आस पास देख सके. लड़की के घर वालों ने गाँव वालों को बाहर ही रहने का इशारा किया और खुद चुपचाप उस कमरे की ओर बढ़े.

दरवाज़े के पास पहुँच कर एक साथ मिलकर दरवाज़े पर ज़ोर लगाया और तोड़ दिया.. वर्षों पुराना बुरी तरह जर्ज़र हो चुका दरवाज़ा दो ही लात में टूट गया.

अंदर वाकई में वे ही दोनों उपस्थित थे.... और.... बेहद आपत्तिजनक अवस्था में थे...


दोनों को ऐसी हालत में देख कर लड़की के घर वालों का पारा चढ़ गया और वहीँ लड़के को पटक पटक कर पीटने लगे. लड़की विरोध करना चाही पर चाह कर भी कर न पाई. वो बेचारी खुद अपनी वर्तमान स्थिति के कारण शर्मसार थी. घर की महिलाओं ने भी उस लड़की को वहीँ जमकर खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया और साथ ही पाँच – छह हाथ भी जमा दिए. अब तक गाँव वाले भी वहाँ आ चुके थे और लड़की के घर वालों के साथ मिलकर उस लड़के को कूटने लगे. इस पूरे हो - हंगामे के बीच लड़की को किसी तरह से मौका मिला और मौके का फ़ायदा उठाते हुए टूटी हुई खिड़की से छलांग लगा कर भाग निकली. लड़की को अँधेरे में बाहर भागते देख घर वालों के होश उड़ गए और वो भी उस लड़की के पीछे चीखते चिल्लाते हुए भागने लगे. कुछ मिनटों के लिए सबका ध्यान लड़की की ओर गया और इसी बात का फ़ायदा उठा कर लड़का भी किसी तरह वहाँ से निकल भागा.

दोनों दो विपरीत दिशा में भाग रहे थे.

इसलिए कुछ गाँव वाले लड़की के घर वालों के साथ हो लिए और बाकी उस लड़के को पकड़ने उसके पीछे भागे.”

इतना कह कर मीना चुप हुई..

अपने हैण्ड बैग से पानी की बोतल निकाली और इधर उधर देखते हुए थोड़ा थोड़ा कर पीने लगी.

रुना से ज़रा सी देरी सही न गई और व्यग्रता से पूछने लगी,

“अरे आगे बोल न... आगे क्या हुआ..? दोनों पकड़े गए? पकड़ कर क्या किया गया उन दोनों के साथ?”
बोतल को वापस बैग में भरते हुए मीना बोली,

“नहीं दी, पकड़े नहीं गए... कहते हैं कि गाँव वालों के प्रचंड गुस्से से बुरी तरह डर कर अपने होशोहवास खो कर बेतहाशा इधर उधर भागता हुआ वह लड़का अपनी जान बचाने के लिए नदी में कूद गया... काफ़ी दूर तक हाथ पाँव मारते हुए तैरते हुए निकल गया... इधर गाँव वाले भी कुछ कम न थे.. जल्द से जल्द पास ही लगी कुछ नावों को लिया और उनपे सवार हो कर लड़के के पीछे लग गए. अपने को घिरता देख कर लड़का नदी के दक्षिण दिशा की ओर बढ़ गया. उन दिनों पिछले एक सप्ताह से काफ़ी बारिश हो रही थी. सावन का महीना हो या भारी वर्षा वाले दिन... इस नदी का दक्षिण दिशा हमेशा से ही कुछ अधिक ही गहरा हो जाता है.. ऐसा और कहीं होता है की नहीं ये पता नहीं दी, पर यहाँ... इस नदी में ऐसा ही होता आ रहा है न जाने कब से... लड़का दक्षिण दिशा में थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि गहराई ने उसे अपने में समेट लिया. लड़का चीखता चिल्लाता रहा... हाथ जोड़ता रहा... गाँव वालों की ओर ... की उसे बचा ले... लेकिन गाँव वाले तो खुद ही दूर थे उससे... जब तक उस क्षेत्र विशेष तक पहुँचते... लड़का गहराई में समा गया था... हमेशा के लिए.”

“और लड़की का क्या हुआ?”

“उस दिन अँधेरे का लाभ उठा कर वह कहाँ चली गई थी किसी को पता नहीं चला था.. हालाँकि खोजना बदस्तूर जारी था... दो दिन बाद पास ही के एक जंगल में; एक पेड़ की ऊँची डाली पर से लड़की का शव बरामद हुआ था... फाँसी लगा ली थी... बेचारी... न घर की रही थी न घाट की...”

“ओह!”

पूरी कहानी को सुन कर रुना का मन उदास हो गया.


दोनों लड़के लड़की की मौत जिस प्रकार हुई... उसे जान कर रुना का मन रुआंसा हो गया...

उसके कान और कुछ सुनना नहीं चाहते थे.. पर मन जानता था कि अभी कुछ और जानना शेष रह गया है...

“पर.. दक्षिण दिशा से डरने का कारण क्या हुआ मीना... यही की वो लड़का उस दिन वहाँ डूब कर मर गया था...? इसलिए लोग उस तरफ़ से नहीं जाते की कहीं उनकी भी हालत उस लड़के जैसी न हो जाए.. अंधविश्वास?”

रुना के इस सवाल पर मीना ने उसे पैनी नज़रों से देखा... मानो समझ नहीं पाई की रुना केवल प्रश्न कर रही है या प्रश्न के आड़ में कटाक्ष...?

कुछ क्षण चुप रह कर बोली,

“नहीं दी.. अंधविश्वास नहीं.. वास्तविकता है.”

“क्या वास्तविकता है?”

“जिस दिन वो लड़का उस दिशा में उस विशेष जगह डूबा था.. उसके सप्ताह भर बाद से ही उस दिशा में उसी विशेष जगह और उसके आस पास निरंतर दुर्घटनाओं का एक सिलसिला शुरू हो गया... नावें डूबने लगीं... लोग मरने लगे... कई के शव मिलते तो कई के नहीं... उस हादसे वाले दिन के बाद अगले लगातार दो महीने में पचास से ज़्यादा लोगों की या तो मृत्यु हो गई... या फ़िर... गायब ही हो गए... जो गायब हो गए.. उनका कभी कुछ पता नहीं चला..”

नाव अब तक किनारे पर लग चुकी थी;

इसलिए अपनी बात को अधूरी छोड़ते हुए मीना उठ गई... मीना और रुना के साथ साथ नाव में जितने लोग सवार थे वे सब भी उतर गए.. वैसे कुछ खास नहीं थे.. उन दोनों और नाविक को मिला कर कुल सात जन थे नाव पर... चूँकि दोनों काफ़ी धीमे स्वर में बात कर रही थीं इसलिए और कोई उन दोनों के बीच हो रही बातों को सुन नहीं पाया..

घर की ओर चलते हुए रास्ते में मीना ने कहा,

“एक और बात है दी; नाव में चाहे एक ही महिला क्यों न हो... नाव उस दिशा से और भी अधिक दूरी बना कर अपने गन्तव्य की ओर जाते हैं... महिलाओं को विशेष रूप से उस दिशा से दूर रखा जाता है.”

रुना अचरज भरे स्वर में पूछी,

“ऐसा क्यों?”

“क्योंकि आज तक जितनी भी महिलाओं की उस दिशा में उस जगह में डूबने से मृत्यु हुई है... उनके शव तो अवश्य मिले हैं... पर जब डॉक्टरी जाँच की गई तो पता चला है कि उस महिला से जी भर कर दरिंदगी की गई है... जम कर शोषण किया गया है उसका... ऐसा समझो की बिना चबाए उस महिला के जिस्म को हर जगह से खा लिया गया है.”

भय से रुना का चेहरा फक पड़ गया...

धीरे से बोली,

“तुम्हारा मतलब...र... रेप?”

“हाँ दी.”

मीना ने छोटा सा जवाब दिया.

फ़िर पूरे रास्ते चलते हुए दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे से कुछ नहीं कहा.

लेकिन इधर दोनों को ही पता नहीं था कि नदी से लेकर किनारे तक और फ़िर किनारे से लेकर उनके घर तक कोई उन्हें लगातार देख रहा था..!
 

Dark Soul

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भाई नई कहानी के लिए बहुत-बहुत बधाई हिंदी में लिखने के लिए भी बधाई हिंदी में ही लिखा करें भाई कहानी और भाई कहानी में थोड़ा और सेक्स बढ़ाएं माना यह हार और कहानी है पर सेक्स कहानी में बढ़ाएंगे तो पढ़ने का मजा ही कुछ अलग हो जाए आपका दोस्त ???????????????????????


आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

ऐसे ही साथ बनाए रखिएगा.
 

Iron Man

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आज दिन भर स्कूल में बहुत व्यस्त रही रुना. कक्षा ३ से ६ तक के बच्चों का वीकली टेस्ट था. सभी कक्षाओं में हिंदी, अंग्रेज़ी और पर्यावरण विज्ञान पढ़ाती है वो. छोटे बच्चों को पढ़ाने में बहुत दक्ष है एवं कड़ी अनुशासन में भी रखना जानती है. लगातार पाँच घंटे से टेस्ट लेते लेते थक गई है बेचारी इसलिए कक्षा ३ में कुर्सी पर बैठ कर सुस्ता भी रही है और टेबल पर रजिस्टर रख कर बच्चों की उपस्थिति का अवलोकन कर रही है... बच्चे चुपचाप रुना द्वारा दिए गए टास्क को बनाने में लगे हैं...


रजिस्टर चेक करते करते अचानक से रुना को आज सुबह घटी घटना याद आ गई..


सुबह जिस तरह से उसका देबू दूधवाले से आमना सामना हुआ, उसकी देह को देख कर देबू जिस तरह से मोहित हो गया था एवं उसके चेहरे के जो हाव भाव हो गए थे... सब याद आते ही रुना के दिल में एक गुदगुदी हो गई.
वो मन ही मन मुस्करा उठी.

मुस्कराने का एक कारण ये भी था कि देबू की नज़रों ने उसके देह और मन में कामोत्तेजना की एक धीमी आँच प्रज्ज्वलित कर दी थी... जैसे जैसे देबू की नज़रें रुना के बदन पर जमते जा रहे थे वैसे वैसे शर्मो ह्या के साथ साथ थोड़ी थोड़ी कर के काम वासना का भी संचार होने लग रहा था रुना में. ब्रा विहीन ब्लाउज के अंदर उसके निप्पल्स धीरे धीरे सख्त हो उठे थे जिस वजह से ब्लाउज पर उनकी छाप से बनने लगी थी और यह चीज़ देबू की नज़रों से छुपी न रह सकी थी.

उसके ब्लाउज पर निप्पल्स वाले स्थान को देख आकर जिस तरह से देबू ने अविश्वास के साथ ज़ोर से थूक निगला था उससे तो रुना लगभग हँस ही पड़ी थी.


देबू के चले जाने के बाद रुना दूध के बर्तन को रसोई में सही जगह रखने के बाद सीधे अपने कमरे में गई और जा कर खड़ी हो गई थी ड्रेसिंग टेबल के सामने. आदमकद दर्पण के सामने खड़ी हो कर अपने जिस्म को स्वयं ही बड़े मनमोहक ढंग से निहारने लगी थी. देबू की दृष्टि ने जो आँच लगाया था रुना के अंदर; उसे अब धीरे धीरे कई महीनों की यौन तृष्णा हवा देने लगी थी.

रुना की बढ़ी हुई धड़कन बीच बीच में एक बार के लिए धौंकनी की तरह तेज़ हो जाती और फ़िर कम होती जाती.

‘टन टन टन टन टन!!!’

स्कूल की घंटी बजी...

और इसी के साथ रंगीले मनोरम सपनों से एक झटके में बाहर आ जाना पड़ा उसे.

बच्चों को विदा कर, साथी शिक्षक-शिक्षिकाओं से विदा ले कर रुना चल पड़ी अपने घर की ओर... अर्थात् नदी की ओर... मतलब यह कि घर पहुँचने के लिए उसे पहले नदी को पार करना पड़ेगा और फ़िर यही कोई पन्द्रह बीस मिनट चलने के बाद ही सीधे अपने घर पहुँचेगी.

नदी तट पर पहुँचने के साथ ही उसे नाव भी मिल गई.


नाव में ही उसे अपने घर के पास ही रहने वाली एक औरत मिल गई.. मीना.. मीना नाम है उसका. रुना के घर से दो घर आगे रहती है. कई दिनों से एक ही रट लगाए रखी है की उसे भी कहीं छोटी मोटी सी नौकरी करनी है और स्कूल से बढ़िया जगह और कौन हो सकती है... इसलिए रुना के पीछे पड़ी रहती है हमेशा... ताकि वो अपने स्कूल में बात करके मीना के लिए कुछ कर दे.

नाव में दोनों साथ ही बैठी इधर उधर की बातें कर रही हैं...

नाव नदी के दूसरे तट के पास पहुँचने के बहुत पहले ही अचानक से धीरे हो गई और धीरे धीरे ही जिस रास्ते चल रही थी उससे परे हट गई.

इस बात पे रुना का ध्यान गया..

हालाँकि ऐसा वो अपने शादी हो कर यहाँ आने के बाद से ही ऐसा होता हुआ देख रही है पर कभी इस विषय पर बात नहीं कर पाई. जिस किसी से भी बात करना चाही; उसने या तो बात को जल्दी से रफ़ा दफ़ा कर दिया या फ़िर आधा अधूरा ही बताया.

रुना के मन में अचानक से एक बेचैनी सी होने लगी.

उसे ऐसा लगने लगा की आज उसे ये बात जानना ही होगा कि सच क्या है...? क्या बातें होती हैं नदी को लेकर...? लोग क्यों भयभीत होते हैं इस नदी के दक्षिण दिशा को लेकर?

वो इधर उधर देखी..

बगल में ही मीना एक पत्रिका पढ़ने में मग्न थी.

रुना को मीना से बढ़िया कोई और न सूझा जो इस विषय पर उससे बात करे.

कोहनी से ज़रा सा धक्का दे कर मीना से पूछी,

“ए.. क्या पढ़ रही है?”

“कुछ नहीं दीदी.. बस यह फ़िल्मी पत्रिका पढ़ रही हूँ... घर में बैठे बैठे बोर हो जाती हूँ न.. इसलिए आज घर से ये सोच कर ही निकली थी कि शहर वाले मार्किट से तीन – चार किताबें खरीदनी ही खरीदनी है... कुल पाँच खरीद ली.. ही ही...”

बोल कर शरारत से खिलखिला उठी मीना.

रुना भी बिना मुस्कराए न रह पाई.

मीना की यही एक बात उसे बहुत भाती है. शादी हुए कितने साल हो गए पर बचपना अब तक नहीं गया उसका. पता नहीं पति से चुदती समय क्या करती होगी..!!

‘चुदती’ शब्द मन में आते ही रुना शर्मा गई.

‘हाय... ये कैसे कैसे शब्द आ रहे हैं दिमाग में... छी...’ मन ही मन सोची.

“क्यों दीदी.. तुम्हें भी पढ़ना है क्या.. पढ़ना है तो बोलो... अभी एक देती हूँ.”

रुना को चुप देख मीना पूछी.

मीना के सवाल से रुना अपने विचारों से बाहर आई..

“नहीं मीना.. पढ़ना नहीं है.. कुछ पूछना है..”

“हाँ पूछो.”

“वादा कर मैं जो भी पूछूँगी वो तू ज़रूर बताओगी...?”

“बिल्कुल दीदी... बिल्कुल बताऊँगी... पक्का.. वादा..”

“और किसी को बताओगी नहीं कि मैंने तुमसे कभी कुछ पूछा और तुमने मुझे उसका जवाब दिया था... यहाँ तक की मेरे पति को भी नहीं.”

रुना के इस बात पे मीना सशंकित हो गई.

थोड़ा रुक कर सोची...

कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी उसकी नज़र नदी के दक्षिण दिशा की ओर चली गई..

और मानो उसे अपने आप ही जवाब मिल गया की रुना उससे क्या पूछना चाहती है...

उसने तुरंत ही अपना निर्णय सुना दिया,

“देखो दी, अगर और कुछ पूछना चाहती हो तो ठीक है.. पर अगर इस दक्षिण दिशा के बारे में कुछ पूछना है तो पहले ही बता देती हूँ की मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है.. माफ़ करो.”

कह कर दूसरी तरफ़ थोड़ा सा घूम कर पत्रिका को दुबारा पढ़ने लगी.

रुना को मीना के इस तरह मना कर देने पर बुरा लगा. कुछ पल सोच कर उसने भी अपना निर्णय सुना दिया,
“ठीक है... मैं तुमसे कुछ पूछना और जानना चाहती थी इस भरोसे के साथ कि तुम ही एकमात्र मेरी वो करीबी हो जो सब खुल कर बताओगी.. पर नहीं.. तुमसे इतना सा भी नहीं हुआ.. कोई बात नहीं... तुम इतना छोटा सा काम नहीं कर सकती तो मैं भी भला स्कूल में तुम्हारी नौकरी की बात करने जैसी भारी काम कैसे कर पाऊँगी... ना बाबा.. माफ़ करो.”

कह कर रुना भी मुँह फूला कर दिखावटी गुस्सा करते हुए दूसरी तरफ़ घूम कर बैठ गई.

रुना के इस बात पे तो जैसे मीना को काठ मार गया.

‘हे भगवान... ये मैं क्या सुन रही हूँ... रुना दी मेरा काम नहीं कर देगी.. बस इतनी सी बात के लिए कि मैं उन्हें नदी के दक्षिण दिशा के बारे में बताने से मना कर दिया... उफ्फ्फ़... क्या करूँ.. वैसे बात तो सही है... ये पूछेंगी... और मैं बताऊँगी... छोटा सा ही तो काम है.. और वैसे भी दीदी कितनी हेल्पफूल है... मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए.’

ऐसा सोच कर मीना रुना की बायीं बाँह हल्के से पकड़ कर बोली,

“सॉरी दी.. दरअसल ये बात ही ऐसी है की बोलना तो छोड़ो... सोच कर ही जी घबराने लगता है.. तुम पूछो दी.. क्या क्या पूछना है?”

रुना पलट कर मीना को देखी...

मुस्कराई..

बोली,

“ज़्यादा कुछ नहीं.. बस, इस नदी और इसके दक्षिण दिशा को लेकर यहाँ के लोगों के मन में जो आतंक है.. उसके बारे में जानना है.”

मीना धीरे से बोली,

“ठीक है दी.. पर मेरी भी एक शर्त है...”

“क्या?”

“वादा करो की तुम किसी को भी नहीं बताओगी कि मैंने तुम्हें इस नदी और इसके दक्षिण दिशा के बारे में कुछ भी बताया है.”

“ठीक है.. वादा करती हूँ की कभी किसी को नहीं बताऊँगी... और वैसे भी, तू ही सोच.. किसी को ये बता कर मुझे किसी झमेले में फँसना है क्या?” रुना होंठों पर विजयी मुस्कान लिए बोली.

मीना एक गहरी साँस ले कर बोलना शुरू की,


“दीदी, बात है तो छोटी सी... पर है खतरनाक.. कई साल पुरानी बात है. तब हमारा ये गाँव था तो सही पर.. उस समय ये गाँव कम और जंगल का एक विशाल टापू सा लगता था. आज ही की तरह उस समय भी गाँव के लोग काफ़ी मिलनसार और एक दूसरे की मदद को हमेशा तैयार रहने वाले थे. पैसे वाले हो या गरीब, बहुत अच्छी सद्भावना थी लोगों में. बहुत ही अच्छा वातावरण हुआ करता था. इसी गाँव का एक लड़का इसी गाँव की ही एक लड़की के प्यार में पड़ गया. लड़की पैसे वाली थी... लड़का गरीब तो न था पर लड़की जैसा पैसा वाला भी नहीं था. खैर, इधर लड़की भी उसको चाहने लगी थी. दोनों अक्सर चोरी छिपे मिला करते थे. धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के बहुत घनिष्ठ हो गए. बहुत करीबी हो गए एक दूसरे के. एक दिन गाँव वालों ने दोनों को रंगे हाथ आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ लिया.

पंचायत बैठी.

गाँव के वरिष्ठ और गणमान्य लोग भी थे सभा में.

लड़के और लड़की को बहुत खरी खोटी सुनाई गई.

दोनों को ही गाँव और उनके परिवारों के संस्कार आदि की घुट्टी पिलाई गई. चूँकि इस तरह की ये पहली घटना थी गाँव के इतिहास में; इसलिए इस बात पे की आज के बाद दोनों एक दूसरे से कभी नहीं मिलेंगे, एक दूसरे की शक्ल तक नहीं देखेंगे... दोनों को छोड़ दिया गया. साथ में ये भी घोषणा कर दी गई भरी सभा में की यदि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होती है तो चाहे वो कोई भी हो... उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. दया और माफ़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी.”

“फ़िर?” मीना को एक क्षण के लिए चुप होती देख रुना व्यग्रता से पूछ उठी.


“फ़िर काफ़ी दिनों तक दोनों ने एक दूसरे को देखा तक नहीं.. दोनों के आपस में मिलने, भेंट करने वाली जैसी कोई बात गाँव वालों के नज़रों में नहीं आई. धीरे धीरे गाँव वाले इस बात को भूल गए. उन्होंने यही सोचा होगा कि शायद दोनों सुधर गए होंगे. पर वास्तविकता कुछ और थी. वह लड़का उस लड़की से मिलता रह रहा था. कैसे... यह किसी को पता नहीं चला. एक दिन अचानक लड़की के घर में कोहराम मच गया. सुबह से लड़की घर से गायब थी... लड़की को अहले सुबह सबसे पहले उठ जाने की आदत थी. उस दिन जब काफ़ी देर बाद भी अपने कमरे से नहीं निकली तो उसकी माँ ने लड़की को जगाने के लिए उसके कमरे के दरवाज़े पर कई बार दस्तक दी थी... पर जब काफ़ी देर तक दस्तक और आवाज़ देने के बाद भी अंदर से कोई जवाब जब न आया तब उसकी माँ ने शोर मचाया. घर के मर्द जब दरवाज़ा तोड़ कर अंदर घुसे तब कमरे से लड़की नदारद थी.

बात फैलते देर नहीं लगी.

लड़की की खोज शुरू हो गई. उस लड़की से संबंधित हर उस स्थान को तलाशा गया जहाँ उसके होने की सम्भावना हो सकती थी. जब काफ़ी खोजबीन के बाद भी लड़की का पता न चला तब लड़की के घर वाले एवं गाँव वालों ने लड़के से पूछना ज़रूरी समझा. हालाँकि लड़की के गायब होते ही लड़के के घर में छापा पड़ चुका था... लड़का भी घर से गायब था. लड़की के माँ बाप से कड़ाई से पूछताछ करने पर पता चला था कि लड़का अहले सुबह ही पास के गाँव अपने दोस्त के यहाँ गया था... उसके साथ मिलकर फसलों की देख रेख करने.


गाँव वाले उस बगल वाले गाँव जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक हल्ला हुआ की कुछ ही देर पहले इसी गाँव के ही मंदिर में से लड़का लड़की को निकलते हुए देखा गया है. संभवतः दोनों ने शादी कर ली है.
शादी कर लेने वाली बात सुन कर लड़की के घर वाले गुस्से से तमतमा गए और गाँव वालों को साथ ले कर चल दिए मंदिर की ओर. पुजारी से तो कुछ खास पता न चल सका पर मंदिर से दस कदम दूर स्थित एक चाय दुकान के आदमी ने बताया की एक लड़का और लड़की को मंदिर की ही कच्ची सड़क से नीचे उतर कर दक्षिण की ओर जाते देखा था. लड़की दुल्हन के जोड़े में थी.

तुरंत ही उस जगह का पता लग गया जहाँ वे दोनों उपस्थित थे.


एक पुराना घर था. वर्षों से वहाँ किसी का आना जाना नहीं था. सबने बाहर से देखा की उसी घर के एक कमरे में मद्धिम बत्ती जल रही है.. रोशनी बस इतनी सी ही थी की उस कमरे में मौजूद आदमी किसी तरह अपने आस पास देख सके. लड़की के घर वालों ने गाँव वालों को बाहर ही रहने का इशारा किया और खुद चुपचाप उस कमरे की ओर बढ़े.

दरवाज़े के पास पहुँच कर एक साथ मिलकर दरवाज़े पर ज़ोर लगाया और तोड़ दिया.. वर्षों पुराना बुरी तरह जर्ज़र हो चुका दरवाज़ा दो ही लात में टूट गया.

अंदर वाकई में वे ही दोनों उपस्थित थे.... और.... बेहद आपत्तिजनक अवस्था में थे...


दोनों को ऐसी हालत में देख कर लड़की के घर वालों का पारा चढ़ गया और वहीँ लड़के को पटक पटक कर पीटने लगे. लड़की विरोध करना चाही पर चाह कर भी कर न पाई. वो बेचारी खुद अपनी वर्तमान स्थिति के कारण शर्मसार थी. घर की महिलाओं ने भी उस लड़की को वहीँ जमकर खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया और साथ ही पाँच – छह हाथ भी जमा दिए. अब तक गाँव वाले भी वहाँ आ चुके थे और लड़की के घर वालों के साथ मिलकर उस लड़के को कूटने लगे. इस पूरे हो - हंगामे के बीच लड़की को किसी तरह से मौका मिला और मौके का फ़ायदा उठाते हुए टूटी हुई खिड़की से छलांग लगा कर भाग निकली. लड़की को अँधेरे में बाहर भागते देख घर वालों के होश उड़ गए और वो भी उस लड़की के पीछे चीखते चिल्लाते हुए भागने लगे. कुछ मिनटों के लिए सबका ध्यान लड़की की ओर गया और इसी बात का फ़ायदा उठा कर लड़का भी किसी तरह वहाँ से निकल भागा.

दोनों दो विपरीत दिशा में भाग रहे थे.

इसलिए कुछ गाँव वाले लड़की के घर वालों के साथ हो लिए और बाकी उस लड़के को पकड़ने उसके पीछे भागे.”

इतना कह कर मीना चुप हुई..

अपने हैण्ड बैग से पानी की बोतल निकाली और इधर उधर देखते हुए थोड़ा थोड़ा कर पीने लगी.

रुना से ज़रा सी देरी सही न गई और व्यग्रता से पूछने लगी,

“अरे आगे बोल न... आगे क्या हुआ..? दोनों पकड़े गए? पकड़ कर क्या किया गया उन दोनों के साथ?”
बोतल को वापस बैग में भरते हुए मीना बोली,

“नहीं दी, पकड़े नहीं गए... कहते हैं कि गाँव वालों के प्रचंड गुस्से से बुरी तरह डर कर अपने होशोहवास खो कर बेतहाशा इधर उधर भागता हुआ वह लड़का अपनी जान बचाने के लिए नदी में कूद गया... काफ़ी दूर तक हाथ पाँव मारते हुए तैरते हुए निकल गया... इधर गाँव वाले भी कुछ कम न थे.. जल्द से जल्द पास ही लगी कुछ नावों को लिया और उनपे सवार हो कर लड़के के पीछे लग गए. अपने को घिरता देख कर लड़का नदी के दक्षिण दिशा की ओर बढ़ गया. उन दिनों पिछले एक सप्ताह से काफ़ी बारिश हो रही थी. सावन का महीना हो या भारी वर्षा वाले दिन... इस नदी का दक्षिण दिशा हमेशा से ही कुछ अधिक ही गहरा हो जाता है.. ऐसा और कहीं होता है की नहीं ये पता नहीं दी, पर यहाँ... इस नदी में ऐसा ही होता आ रहा है न जाने कब से... लड़का दक्षिण दिशा में थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि गहराई ने उसे अपने में समेट लिया. लड़का चीखता चिल्लाता रहा... हाथ जोड़ता रहा... गाँव वालों की ओर ... की उसे बचा ले... लेकिन गाँव वाले तो खुद ही दूर थे उससे... जब तक उस क्षेत्र विशेष तक पहुँचते... लड़का गहराई में समा गया था... हमेशा के लिए.”

“और लड़की का क्या हुआ?”

“उस दिन अँधेरे का लाभ उठा कर वह कहाँ चली गई थी किसी को पता नहीं चला था.. हालाँकि खोजना बदस्तूर जारी था... दो दिन बाद पास ही के एक जंगल में; एक पेड़ की ऊँची डाली पर से लड़की का शव बरामद हुआ था... फाँसी लगा ली थी... बेचारी... न घर की रही थी न घाट की...”

“ओह!”

पूरी कहानी को सुन कर रुना का मन उदास हो गया.


दोनों लड़के लड़की की मौत जिस प्रकार हुई... उसे जान कर रुना का मन रुआंसा हो गया...

उसके कान और कुछ सुनना नहीं चाहते थे.. पर मन जानता था कि अभी कुछ और जानना शेष रह गया है...

“पर.. दक्षिण दिशा से डरने का कारण क्या हुआ मीना... यही की वो लड़का उस दिन वहाँ डूब कर मर गया था...? इसलिए लोग उस तरफ़ से नहीं जाते की कहीं उनकी भी हालत उस लड़के जैसी न हो जाए.. अंधविश्वास?”

रुना के इस सवाल पर मीना ने उसे पैनी नज़रों से देखा... मानो समझ नहीं पाई की रुना केवल प्रश्न कर रही है या प्रश्न के आड़ में कटाक्ष...?

कुछ क्षण चुप रह कर बोली,

“नहीं दी.. अंधविश्वास नहीं.. वास्तविकता है.”

“क्या वास्तविकता है?”

“जिस दिन वो लड़का उस दिशा में उस विशेष जगह डूबा था.. उसके सप्ताह भर बाद से ही उस दिशा में उसी विशेष जगह और उसके आस पास निरंतर दुर्घटनाओं का एक सिलसिला शुरू हो गया... नावें डूबने लगीं... लोग मरने लगे... कई के शव मिलते तो कई के नहीं... उस हादसे वाले दिन के बाद अगले लगातार दो महीने में पचास से ज़्यादा लोगों की या तो मृत्यु हो गई... या फ़िर... गायब ही हो गए... जो गायब हो गए.. उनका कभी कुछ पता नहीं चला..”

नाव अब तक किनारे पर लग चुकी थी;

इसलिए अपनी बात को अधूरी छोड़ते हुए मीना उठ गई... मीना और रुना के साथ साथ नाव में जितने लोग सवार थे वे सब भी उतर गए.. वैसे कुछ खास नहीं थे.. उन दोनों और नाविक को मिला कर कुल सात जन थे नाव पर... चूँकि दोनों काफ़ी धीमे स्वर में बात कर रही थीं इसलिए और कोई उन दोनों के बीच हो रही बातों को सुन नहीं पाया..

घर की ओर चलते हुए रास्ते में मीना ने कहा,

“एक और बात है दी; नाव में चाहे एक ही महिला क्यों न हो... नाव उस दिशा से और भी अधिक दूरी बना कर अपने गन्तव्य की ओर जाते हैं... महिलाओं को विशेष रूप से उस दिशा से दूर रखा जाता है.”

रुना अचरज भरे स्वर में पूछी,

“ऐसा क्यों?”

“क्योंकि आज तक जितनी भी महिलाओं की उस दिशा में उस जगह में डूबने से मृत्यु हुई है... उनके शव तो अवश्य मिले हैं... पर जब डॉक्टरी जाँच की गई तो पता चला है कि उस महिला से जी भर कर दरिंदगी की गई है... जम कर शोषण किया गया है उसका... ऐसा समझो की बिना चबाए उस महिला के जिस्म को हर जगह से खा लिया गया है.”

भय से रुना का चेहरा फक पड़ गया...

धीरे से बोली,

“तुम्हारा मतलब...र... रेप?”

“हाँ दी.”

मीना ने छोटा सा जवाब दिया.

फ़िर पूरे रास्ते चलते हुए दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे से कुछ नहीं कहा.

लेकिन इधर दोनों को ही पता नहीं था कि नदी से लेकर किनारे तक और फ़िर किनारे से लेकर उनके घर तक कोई उन्हें लगातार देख रहा था..!
Behad hi shandar or jabardast update
Nadi ka dakshin disha me na jane ka karan pata chal gaya par lagat hai kuchh aur bhi karan shayad taskaro ka adda ho jinhone es afwah ka labh uthaya ho .
 
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