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Shayari नामी क़वाली और गजल के उस्ताद, शायरी, नए और पुराने (हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी और फारसी)

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1st bande ne kaha :
आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज,*

*हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं।*

Jawab ye aaya :

एक आईना ही तो हैं, जो सच कहता हैं...
वरना इस झूठी दुनिया में हर कोई खुद को जज कहता हैं..
 
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ye jo hai mere hisab se har youngster ko padhni chahiye, pr muje abi tak hath nahi lagi, par kuch hisse iske youtube par par sunta rahta hu
 
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हसरत भरी निगाहो में आराम तक नहीं
वो कुछ यूँ बदल गए की अब सलाम तक नहीं ।
 

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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Ladke Bhi Rote Hai…


यदि लड़की पापा की परी तो लड़के भी कोहिनूर होते है,
लड़के भी रोते है जब घर से दूर होते हैं ।

माना कि लड़कियों को घर छोड़ जाने का एक डर होता है,
लेकिन इनका एक घर के बाद दूसरा घर होता है,

माना कि लड़कों को कोई डर नही होता,
ये नौकरी तो करते हैं कई शहरों में पर इनका कोई घर नहीं होता,

अपनों के सपनों के खातिर ये भी मजबूर होते हैं,
अजी लड़के भी रोते है जब घर से दूर होते हैं।।

खड़े हमेशा सोचते हैं घर के बारे में पर खड़े कहीं और होते हैं,
सिर्फ लड़कियां ही नही लड़के भी दिल से कमजोर होते हैं,

विश्व जीतने का एक सिकंदर इनमें भी होता है,
बस रोते नहीं पर एक समुन्दर इनमें भी होता है,

लड़के भी रोते हैं, जब घर से दूर होते हैं
घर मे बच्चे लेकिन बाहर मशहूर होते हैं,
अजी लड़के भी रोते है जब घर से दूर होते हैं।

लड़के भी घर से बाहर मम्मी पापा के बगैर होते हैं,
यदि लड़की घर की लक्ष्मी तो लड़के भी कुबेर होते

बस यादें ही जा पाती है अपने गांव जमीनों तक,
लड़के भी कहाँ जा पाते हैं कई साल महीनों तक..!
 

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है / कुमार विश्वास


तुम्हें जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है

ज़हर-सूली ने गाली-गोलियों ने
हमारी जात पहचानी बहुत है

कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे
तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है :injail:

इरादा कर लिया गर ख़ुदकुशी का
तो खुद की आखँ का पानी बहुत है

तुम्हारे दिल की मनमानी मेरी जाँ
हमारे दिल ने भी मानी बहुत है
 
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इफ़लास-ज़दा दहकानों के हल-बैल बिके, खलियान बिके
जीने की तमन्ना के हाथों, जीने ही के सब सामान बिके
कुछ भी न रहा जब बिकने को जिस्मों की तिजारत होने लगी
ख़लवत में भी जो ममनूअ थी वह जलवत में जसारत होने लगी।।

तुम आ रही हो सरे-आम बाल बिखराये हुये
हज़ार गोना मलामत का बार उठाये हुए
हवस-परस्त निगाहों की चीरा-दस्ती से
बदन की झेंपती उरियानियाँ छिपाए हुए

मैं शहर जाके हर इक दर में झाँक आया हूँ
किसी जगह मेरी मेहनत का मोल मिल न सका
सितमगरों के सियासी क़मारखाने में
अलम-नसीब फ़िरासत का मोल मिल न सका

तुम्हारे घर में क़यामत का शोर बर्पा है
महाज़े-जंग से हरकारा तार लाया है
कि जिसका ज़िक्र तुम्हें ज़िन्दगी से प्यारा था
वह भाई 'नर्ग़ा-ए-दुश्मन' में काम आया है



हर एक गाम पे बदनामियों का जमघट है
हर एक मोड़ पे रुसवाइयों के मेले हैं
न दोस्ती, न तकल्लुफ, न दिलबरी, न ख़ुलूस
किसी का कोई नहीं आज सब अकेले हैं

वह रहगुज़र जो मेरे दिल की तरह सूनी है
न जाने तुमको कहाँ ले के जाने वाली है
तुम्हें खरीद रहे हैं ज़मीर के कातिल
उफ़क पे खूने-तमन्नाए-दिल की लाली है



सूरज के लहू में लिथड़ी हुई वह शाम है अब तक याद मुझे

चाहत के सुनहरे ख़्वाबों का अंजाम है अब तक याद मुझे
 
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Ahista by Pankaj :verysad:
 
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by Jagjit Singh :bow:
 
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