ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं.....
तू मेरी वो ग़ज़ल है, जिसे हल पल गुनगुनाता हु मैं
शामिल तू मेरी हर शय मैं है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं
शामिल है मेरे दिल की हर एक जवाँ धड़कन मैं तू
रूबरू है मेरी तन्हाई की हर बेदर्द तड़पन मैं तू
तू सिर्फ और सिर्फ मेरी है, ये सोचकर इतराता हु मैं
शामिल तू मेरी हर शय में है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं।
तुझे भरकर अपनी बाहो में सोता हु हर रात मैं,
सुनो मेरे उस तकिये का नाम मैंने 'तुम' रखा है,
तुझे अपनी शायरी मैं बुनता हु, लिखता हूं हर रोज,
अपने दिल की गहराइयों में मेरी जान तुम्हे गुम रखा है,
हु मैं भी तह-ए-दिल में तेरे ये जान खुश हो जाता हूं मैं,
शामिल तू मेरी हर शय में है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं।
तुम रहती हो दिल के भीतर, पर बोलती कुछ नहीं हो,
दिल के दरवाजे बंद रखती हो कभी खोलती नहीं हो,
दिल है मेरा लेकिन देखो दिल पर कब्ज़ा तुम्हारा है,
हाय सच में मेरा दिल आज भी कितना बेचारा है,
खुद के ही दिल से देखो अक्सर हार जाता हूं मैं
शामिल तू मेरी हर शय में है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं।
तुम पर वार दू अपनी जां भी दिल मेरा कहता है,
हर पल, हर लम्हा मुझे बस ख्याल तेरा ही रहता है,
तुझे देख दीवाना हुआ था, खुद से बेगाना हुआ था,
मिलना था बहुत जरुरी पर दुश्मन जमाना हुआ था,
तुझसे बिछड़ना याद करके अक्सर टूट जाता हूं मैं,
शामिल तू मेरी हर शय में है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं।
तहे दिल से शुक्रिया करू, तेरे इश्क़ को सजदा करू,
रखा संभाल प्यार मेरा तुमने कैसे ये कर्ज अदा करू,
तन्हा, खामोश निगाहों की एक बात समझ जाओ तुम,
तुमसे जुडी ये रूह है ये, विश्वास मुझे अब दिलाओ तुम,
तुम पहचानती हो मुझको, फिर भी मैं तुम्हे आजमाता हु,
शामिल तू मेरी हर शय में है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं।
ये इंतजार हमदम जाने क्यों हर पल बढ़ रहा है,
सच कहूं लेकिन मुझमे अब और सब्र न रहा है,
मेरी धड़कनो की ये चाहत तुम और न ठुकराओ,
चाहती हो बस मुझको, नाम कोई और न बताओ,
सुन किसी और की तारीफ़ भी देखो जल जाता हु मैं,
शामिल तू मेरी हर शय में है ये सोचकर मुस्कुराता हु मैं।