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Jiबहुत अच्छा पर छोटा अपडेट दिया है आपने!
अब अगले भाग की प्रतीक्षा में हैं
Ek naya update post kar diya hai.....
Jiबहुत अच्छा पर छोटा अपडेट दिया है आपने!
अब अगले भाग की प्रतीक्षा में हैं
Bahut hi kamuk scene likha hai aapne. Apne ekdam se achanak mahak ki seal todne ki deal kar di jhatka sa dediya. Uska sauda hoga ye to tay tha magar itna jaldi aur achanak aisi ummid nahi thi. Chaunka diya aapne ha ha ha. Good show. Mahak bhi kitna aham kirdar hai is kahani me ye apne aajke scene me ek bar aur sabit kar diya hai. Jahan Sundari 2 lakh ki ummid lagaye baithi thi wahan Seth Ji ne 3 lakh me sauda kar diya. Sahi bhi hai akhir Heere ki asli keemat to johari hi janta hai. Aur saudagar ya vyapari vyapari hote hai vo kab kis saude ko kitne par ke jakar boli lagayen vahi jante hai. Jahan Sundari 50 hajar me pahli bar Seth ke neeche aai thi aur dusri bar bhi Vinod ke neeche 50 hajar me aai thi vahi Mahak ki pahli nath utari 3 lakh me. Sundari se 3 guna jyda. Kya scene aur kahani kahte ho maza hi aa gya. Agle update je liye intjar hai.Update 10
जाने से पहले, परम ने लीला से विनती की कि वह किसी को कुछ न बताए। परम के जाने के बाद, सुंदरी ने पूछा; “परम क्या कह रहा था?”
लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और दोनों बाहर आ गईं। बड़ीबहू ने देखा कि लीला शरमा रही है, उसने सोचा कि परम ने उसे भी वैसा ही मज़ा दिया है जैसा उसने पिछली शाम दिया था। वह संतुष्ट हो गई। लगता है की उसकी गिफ्ट परम को लुभा गई।
जब परम और लीला कमरे में बातें कर रहे थे, सेठजी दूसरे शहर से एक और सेठ के साथ घर आए। उन्होंने बड़ी बहू से उनके लिए कुछ नाश्ता और मीठा पेय भेजने को कहा। सुंदरी ने अपनी बेटी महक से नाश्ता अंदर ले जाने को कहा। वह स्कर्ट और ब्लाउज़ पहने हुए थी, कॉलेज ड्रेस पहने हुए थी क्योंकि वह सीधे कॉलेज से आई थी। उसने खाने का सामान मेज़ पर रखा और बिना कुछ बोले बाहर आ गई।
"क्या मस्त माल है!" दूसरे सेठ खुद को रोक नहीं पाए। "मैं तो इस लड़की के साथ एक बार सोने के लिए और थोडा चोदने के लिए कुछ भी देने को तैयार हूँ।"
“लड़की पसंद आई..?” मैत्री और फनलवर की रचना
"हाँ दोस्त, देखते ही मेरा मूड और लंड गरम हो गया है..मुझे तो उसका माल बिना देखे ही अच्छा लगने लगा।" उसने लंड पर हाथ फेरा। और बोला, "इसे अभी चोदना है... साली कितना लेगी?" उसने पूछताछ की और सेठजी ने बताया कि महक उसके करीबी दोस्त की बेटी है।
सेठजी को सुंदरी की बात याद आई, जो उसने सुबह महक के बारे कहा था।
देखो, एक तो आप हमारे खास है,और ऊपर से आप को यह माल पसंद आया है। अब कुछ करना तो पड़ेगा।“ सेठजी ने मेहमान की झंगो पर हाथ रखते हुए कहा।
“अरे, कुछ करो वरना यह लंड मेरा ऐसे ही पागल कर देगा मुझे। मुझे जो चीज़ पसंद आती है वह मेरे लंड को देनी पड़ती है आप तो भली भांति जानते हो। आपके लिए क्या नया है!”
हाँ जानता तो हूँ पर यह घर है और ऊपर से यह वेश्या नहीं है, पूरा कच्चा माल है, मैंने मेरे लिए उसे बड़ा कर रखा है, पर आप कहते हो तो कुछ करता हूँ, मुझे उसके घरवालो से पता करना पड़ेगा।“ सेठजी चाहते थे की महक का शील के दाम ज्यादा से ज्यादा मिले।
सेठजी बात को लम्बाई देते हुए कहा: “वैसे तो माल काफी भरा हुआ है पर अभी तक उसे उसकी माँ ने कही इधर-उधर होने नहीं दिया।“
“अरे, ऐसे कच्चे माल की कोई कीमत नहीं होती दोस्त, बस वह जो मांगे देने के लिए तैयार हूँ।“
“हाँ, शेठ, सही कहा आपने। मैं खुद की बात करू तो अब तक जितनी बार इस माल को देखता हूँ तब या तो मुझे आपकी भाभी को चोदना पड़ता है या फिर मुठ मारनी पड़ती है।“ सेठजी ठह्काके हँसने लगे।
“चलो, मैं ही कुछ करता हूँ उसकी माँ से बात करता हूँ अगर वह मान जाती है इस माल की कीमत बोलती है तो मैं आपको बताता हूँ” उसने सेठ को वही बू=इतने का इशारा किया और अंदर की ओर चले गये।
थोड़ी देर अपने कमरे में इधर-उधर घूम के वापिस आये और दुसरे सेठ को कहा;
“सेठजी वैसे तो उसकी माँ ने बिलकुल मन कर दिया की वह अपनी बेटी को अनचुदी रखना चाहती है, पर पैसा क्या नहीं करवाता, मैंने उसे दिलासा दिया है की उसकी शील के अच्छे दाम दिलवा सकता हूँ तो वह ना ना करते हुए सहमत हुई है, अगर आप तीन लाख रुपये दे सके तो वह उस लड़की की चुदाई का इंतज़ाम कर सकता है।“
दूसरे सेठ ने अपना बैग खोला और नोटों के बंडल निकाले। उसने गिनकर तीन लाख रुपये सेठजी को दिए। उसने उन्हें दूसरे बैग में डालकर अलग रख दिया। दूसरे सेठ महक को घर में ही चोदना चाहते थे, लेकिन सेठजी ने कहा कि यह मुमकिन नहीं है क्योंकि यहाँ बहुत सारे लोग हैं। फिर उन्होंने परम को बुलाया और परम को सलाह दी कि वह कोई बहाना बनाकर महक को घर से बाहर ले जाए और उसे और दूसरे सेठ को अपने ऑफिस रूम में ले जाए जहाँ सुंदरी की चुदाई हुई थी।
परम अंदर गया और सुंदरी से बात कही की सेठजी ने महक का सौदा आर दिया है, उसकी चूत के लिए सेठजी ने लंड ढूँढ लिया है। सुंदरी ने महक को घर जाने को कहा, क्योंकि उसके पिता अकेले रहें। महक परम के साथ घर से बाहर निकली और कुछ दूर तक चली जहां दूसरा सेठ अपनी कार मे उनका इंतजार कर रहा था। परम ड्राइवर के पास बैठ गया और महक उस सेठ के साथ पिछली सीट पर बैठ गई।
महक समझ गई कि आज उसकी कुंवारी चूत फटने वाली है वो भी बाप के उमर के मोटे सेठ से...इसका मतलब साफ़ है की परम और सुंदरी ने उसका और उसकी चूत का सौदा कर दिया है, सेठजी ने काफी मदद की है और हो सकता है सुंदरी ने जो माँगा हो वही भाव में मेरी चूत का सौदा हो गया हो। फिर मन ही मन सोचा की जो भी हो मुझे क्या! मुझे तो लंड से मतलब है, फिर मैं भी किसी से भी चुदवा सकुंगी, शायद बाबूजी पहले हो सकते है क्यों की मैं और बाबूजी ही ज्यादत घर में अकेले होते है, सुंदरी और परम तो सेठ के आस-पास ही होते है। उसे पता था की बाबूजी घर क्यों जल्दी आ जाते थे, उठते बैठते उसकी चूत के दर्शन करते रहते थे।
“क्या ये मुझे परम और बाबूजी जैसा मस्ती दे देगा…?” महक ने खुद से सवाल किया।
“ठीक है….जैसा चाहेगा चुदवा लूंगी….फिर घर जाकर आज ही बाबूजी और भैया दोनों के साथ पूरा मजा लूंगी…” उसने खुद को जवाब दिया।
वह अपना वादा भूल गई थी कि परम ही उसका कौमार्य भंग करेगा।
वे ऑफिस कक्ष में पहुंचे। परम अंदर रह कर अपनी बहन की ज़िंदगी की पहली चुदाई देखना चाहता था। लेकिन सेठ और महक ने भी परम को बाहर जाने और एक घंटे के बाद वापस आने के लिए जोर दिया।
“बेटा….ऐसे मस्त माल के लिए एक घंटा बहुत है……और कभी किसी की चुदाई नहीं देखना चाहीये….मर्द, औरत दोनों खुल-कर मस्ती नहीं कर पाते हैं…।” सेठ ने कुछ नोट निकाले और परम को दिए...
"जाओ, बाज़ार में जाकर खाओ पीयो...तब तक मैं इस मस्त कडक माल को लड़की से औरत बनाता हूँ...चखता हूँ...और थोड़ी ढीली कर के वापिस दे दूंगा। तुम किसी भी प्रकार की चिंता मत करना, बेटे। आराम से उसकी चूत को फाड़ दूंगा।"
परम के कमरे से बाहर निकलते ही उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। लाइट जला दी। महक आँखें नीचे करके बिस्तर पर बैठ गई। सेठ उसके पास आया और उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई। उसने उसे देखा। वह एक हट्टा-कट्टा आदमी था, लगभग 85-90 किलो वज़न का, लंबा और हट्टा-कट्टा। वह पिछले 15 दिनों से परम के साथ सेक्स का आनंद ले रही थी और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया। उसने सुधा और उसकी माँ से भी सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह किसी अजनबी के साथ सेक्स करने से डर रही थी।
प्लीज़ मुझे बाहर जाने दो। “वह उठी और विनती करने लगी। मैत्री और फनलवर की रचना
"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"
वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।
“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”
“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”
उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।
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जाऐगा नहीं आगे अभी लिख रही हूँ .................... शायद रात को पोस्ट कर दूंगी
आप इसके बारे में कोमेंट लिखिए तब तक मैं आगे का अपडेट पोस्ट करती हु............
।। जय भारत।।
Nice updateअब आगे....................
परम ने आगे बढ़कर बड़ी बहू को बाहों में लेकर दबा दिया और उसकी मस्त मस्त चुचियो को दबाते दबाते चूम लिया।
“सुबह चोद कर मन नहीं भरा तेरा?” वह मुस्कुराई और बोली कि वह कल फिर आएगी, चुदाई के लिए और सुंदरी की चूत खाने के लिए।“
बड़ी बहू ने उसे धक्का देकर कहा “सेठजी के घर पर कुछ भी न करने की चेतावनी देती हूँ, क्योंकि कोई भी देख लेगा और उसकी बदनामी होगी और तुम सेठजी के घर नहीं आ पाएगा।“
फिर उसने लंड को शॉर्ट्स के ऊपर लपेटा और कहा; “मैं छोटी बहू को सलाह देगी कि वह अपने कमरे में सामान व्यवस्थित करने के लिए तुम्हारी (परम की) मदद ले। ठीक है! बाकी तुम जानते हो क्या करना है ठीक है मेरी तरफ से तुम्हे गिफ्ट, मेरी देवरानी।“
उसने लंड को ज़ोर से दबाया और कहा;
"जैसा कल मेरी बोब्लो दबाए थे, छोटी को भी पटाकर उसकी टाइट बोब्लो का मज़ा लो। और उसके बोब्लो को थोडा मोटा और ढीला कर दो।"
"भाभी, वो तो मुस्कुराती भी नहीं है...." परम ने कहा।
बड़ी बहू मुस्कुराई और कमरे से बाहर चली गई लेकिन जाते जाते बोली: “सब माल इतनी आसानी से नहीं मिल जाते, कभी कभी मेहनत करनी पड़ती है, लोडे।“
वह भी कमरे से बाहर आया और देखा कि रेखा अपने भाइयों और महक के साथ व्यस्त है। रेखा के साथ मस्ती करने का कोई मौका नहीं था। वह सेठानी के पास गया और उसकी मदद करने लगा। कुछ देर बाद उसने सुना
“परम जा कर छोटी बहू को रूम में सामान ठीक करने में मदद करो।” आप मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है।
यह बड़ी बहू की आवाज थी। उसने छोटी की ओर देखा। वह अपने पति के पास चली गई, उसका पति महक के बहुत करीब बैठा था, उनकी जांघें छू रही थीं। छोटी ने उससे कुछ कहा लेकिन उसने उत्तर दिया,
“लीला, जाओं ना परम सब ठीक कर देगा, वो घर का आदमी है,उसे अपना देवर समझो..!”
उसने परम की ओर देखा और कहा, "परम जा भाभी को मदद कर दे।" परम छोटी बहू के पीछे-पीछे उसके कमरे तक गया... ।
उधर सेठानी भी अपने मन में मल्काई और अपने आप से कहा की अब छोटी की भी चूत का भोसड़ा बना देगा यह लड़का, सच में बहोत नसीबवाला है।
उसने यही बात सुंदरी को कही। सुंदरी ने भी मुस्कुरा के कहा “ बस, आपकी मेहरबानी से यह सब हो रहा है, मालकिन, जैसे आपने खोला वैसे ही आपकी दोनों बहुओ भी खोल देगी।“
दोनों ने एक दुसरे को मुस्कराहट की आप-ले करी।
*****
अब देखते हैं विनोद का क्या हुआ, जिसने महक को कॉलेज खत्म होने के बाद उसका इंतज़ार करने को कहा था।
आखिरी घंटी बजी। महक कॉलेज के गेट से बाहर आई और विनोद को एक पेड़ के नीचे इंतज़ार करते देखा। वह हिम्मत करके उसके पास गई। विनोद ने उसे आगे वाली रॉड पर बिठाया और खुद साइकिल चलाकर चला गया। कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल पर बैठे देखा। सुधा ने भी उसे देखा और सोचा कि विनोद जल्द ही महक को चोदने वाला है।
सुधा अपने घर चली गई। जब तक सुधा कॉलेज से घर पहुँची, परम सुधा की माँ और नौकरानी की अच्छी और संतोषजनक चुदाई करके जा चुका था। सुधा ने अपनी माँ को बहुत दिनों बाद इतनी खुश देखा था। वह वजह जानना चाहती थी, लेकिन उसकी माँ ने उसे गले लगा लिया और उसके कॉलेज के बारे में पूछा। लगभग एक घंटे बाद सुधा ने अपनी माँ से कहा कि वह महक के घर जा रही है और दो घंटे में वापस आ जाएगी। वहाँ जाते हुए उसकी इच्छा हुई कि पूनम की तरह मुनीम भी अपना मोटा सुपारा उसकी चूत में डाल दे, जो परम के बाद भी नहीं चुदी थी। कुछ दस दिन पहले मैंने उसे पहली बार चुदवाया था।
"कल फिर मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।" मैत्री और नीता की रचना पढ़ रहे है।
"मेरे बोबले दबाने के लिए? तुम बहुत गंदे हो.." महक उसे देखकर मुस्कुराई और घर के अंदर भाग गई।
***
परम लीला (छोटी बहू) के पीछे-पीछे उसके कमरे में गया। उसने देखा कि कई डिब्बे और बैग बेतरतीब ढंग से रखे हुए थे। वह एक कुर्सी पर बैठ गई और परम को चीज़ें सही जगह पर रखने का निर्देश दिया। परम उसकी बात मान गया। उसे उसके पास आने का कोई मौका नहीं मिला, इसलिए उसे उसके स्तन सहलाने का कोई मौका नहीं मिला। लीला ने गहरे नीले रंग की एक सुंदर साड़ी और उससे मेल खाता ब्लाउज पहना हुआ था। उसने साड़ी बहुत कसकर पहनी हुई थी या यूँ कहें कि साड़ी उसके लड़की जैसे शरीर को बहुत कसकर ढक रही थी। उसका एक स्तन पल्लू से बाहर था। उसने आँखों से स्तनों का नाप लिया और सोचा कि ये लगभग 34 इंच के होंगे, बड़ी बहू की चूचियों से काफ़ी छोटे और सुंदरी से भी छोटे। हाँ, परम को लगा कि ये चूचियाँ लगभग रजनी काकी के आकार की हैं, जिनकी उसने दोपहर में चुदाई की थी।
वह पतली तो थी, फिर भी मज़बूत और सेक्सी लग रही थी। वह पैर क्रॉस करके बैठी थी और कसकर लिपटी साड़ी के ऊपर से उसकी जांघों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था। उसकी जांघें पूनम जैसी थीं। 15 मिनट से ज़्यादा समय बीत गया और किसी ने बात नहीं की। परम बेचैन हो रहा था। उसे कल रात बड़ी बहू के साथ की गई मस्ती याद आ रही थी और यहाँ तो वह छोटी बहू से बात भी नहीं कर पा रहा था।
"भाभी, सेठजी तुमको बहुत पसंद करते हैं।" अचानक परम ने बात शुरू की।
"तुमको कैसे मालूम?" उसने पूछा।
परम ने अपना काम जारी रखा और जवाब दिया, "सेठजी ने मुझे खुद कहा है, एक बार नहीं।" हर रोज तुम्हारे बारे में मेरी बात होती है।”
परम ने पहली बार उसे घूरकर देखा। उनकी नजरें मिलीं। परम को उसकी आँखों की चमक अच्छी लगी।
“बाबूजी (वह सेठजी को बुलाती थी) क्या बोलते हैं…?” वह जानना चाहती थी।
“बहुत कुछ…” परम ने उसकी आँखों में गहराई से देखा और कहा “वह तुम्हारी सुंदरता की सराहना करते रहते है। और जवानी, सेठजी कहते हैं कि तुमको देखकर उनको बहुत अच्छा लगता है। तुम्हारी आंखें बहुत सुंदर हैं, तुम्हारे होंठ बहुत रसीले हैं,,, और तुम्हारे बालों को देखकर सेठजी का मन करता है कि उससे सहलाते रहें…!”
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अभी तो बस यहाँ तक ......बाकी कल मिलते है एक नए अपडेट के साथ......तब तक के लिए विदा........
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अरे,हाँ अपनी कोमेंट देना मत भूलना दोस्तों........
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।।जय भारत।।
Shandaar updateअब आगे.................
उसने टोक दिया,
“तू झूठ बोलता है… कोई ससुर अपनी बहू के बारे में ऐसा ना सोचेगा ना बोलेगा।”
“भाभी तुम मानो या ना मानो…, मैं जो कह रहा हूं सब सच है…वो तो और भी बहुत कुछ कहते है कि लेकिन मैं क्यों बोलूं...तुम मान ही नहीं रही हो...और मैं कह भी नहीं सकता...'' परम चुप रहा।
लेकिन उसने उसके मन में उत्सुकता जगा दी है।
लीला जानती थी उसे कभी भी खूबसूरत नहीं माना गया... हाँ, वह एक बोल्ड और आकर्षक लड़की के रूप में मशहूर है। लेकिन, किसी ने कभी उसकी खूबसूरती की कद्र नहीं की और ना,शादी से पहले या शादी के बाद, किसी ने भी उससे सेक्स के लिए संपर्क नहीं किया, सिवाय उनके घर के ड्राइवर के, जो उसे ड्राइविंग सिखाने के बदले में चुदाई चाहता था। और उसी से फसी भी थी।
यहाँ तक कि उसके पति ने भी साफ़-साफ़ कहा था कि वह एक साधारण 'माल' है, लेकिन बाद में उसने कहा कि वह उसे पसंद करता है। वह जानती थी कि उसका पति कलकत्ता में वेश्याओं और कॉल गर्ल्स के पास जाता है। उसने कई बार विरोध किया, लेकिन उसके पति ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकता। उसे नियमित रूप से दूसरी औरतों के साथ सेक्स करना पड़ता है। अब वह यह सुनकर उत्साहित थी कि उसके ससुर सेठजी उसे पसंद करते हैं और उसकी खूबसूरती की सराहना करते हैं और एक बहुत छोटे लड़के, जो उससे भी छोटा है, से उसके बारे में बात करते हैं।
लीला यह सब सोच ही रही थी कि कुछ देर शांत रहने के बाद परम ने दूसरा कार्ड फेंक दिया।
“भाभी, प्लीज़ किसी को मत बोलना कि मैंने ये सब कहा है.. लेकिन जो भी कहा है.. सब सच है।”
"अच्छा! और क्या बोलते हैं तुम्हारे सेठजी जो तुम नहीं बोल सकते!" लीला धीरे से बोली।
“छोड़ो ना भाभी…जान कर क्या करोगी…तुम मानोगी नहीं”
“बोल.. ना… नख़रे मत कर..” लीला ने ज़ोर से कहा “मैं भी तू सुनु तुम्हारे सेठजी अपनी बहू के बारे में क्या ख्याल रखते हैं..!”
“किसिको बोलोगी तो नहीं…” परम ने विनती की..!
“नहीं बोलूंगी...वादा करती हु।” उसने उत्तर दिया।
अब तक सभी चीजें ठीक से रख दी गई थीं। परम उसके पास गया और उसके पैरों के पास फर्श पर बैठ गया।
“करीब 15 दिन पहले सेठजी ने मुझे अपने ऑफिस में बुला कर कहा कि मेरा एक काम कर दू.., मुझे बहुत रुपया दे देंगे... मुझे लालच हो गया। मैंने पूछा क्या काम सेठजी, तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी मां सुंदरी को मनाऊ कि वो मेरे (सेठजी) के साथ चुदाई करे…।”
“हे!!!… सेठजी ने ऐसा कहा… सुंदरी के बारे में…!!! और तुम ने सुन भी लिया?”
लीला का पूरा बदन सिहर गया एक लड़के के मुँह से 'चुदाई' का शब्द सुन कर...
वह इस बात से नाराज नहीं थी कि परम ने 'चुदाई' शब्द बोला। यह बहुत आम शब्द था उनके घर और गाव सभी जगह। वह ये शब्द बचपन से सुनती आ रही थी जब उसके पिता और चाचा नौकरानियों और मजदूरों को डांटते थे। कुटी, यहीं पटक कर चोद दूंगा, साली अपने बाप से चुदाई करती है.. तेरी मां को चौराहे पर पटक कर चोदूंगा...आदि.. लेकिन यह सुनकर कि उसकी फिल्म ने परम से उसकी मां के बारे में यही बात कही है, वह उत्तेजित हो गई।
“हा भाभी… मुझे तो चुदाई के बाद में कुछ मालूम नहीं था, लेकिन ये जानता था कि ऐसा किसी की मां बहन के बारे में बोलना गाली होता है लेकिन सेठजी ने बहुत खुशामद किया और मुझे एक हजार रुपया दिया… फिर उन्हें कहा कि सुंदरी जो मांगेगी मैं दूंगा..!“
“तुमने सुंदरी से कहा..?” “लीला उत्सुक थी।
“हाँ भाभी, उसी दिन मैंने माँ से सब कहा तो वो शर्मा गई…!”
“तो सेठजी ने सुंदरी को चोदा नहीं…?”
“मुझे क्या मालूम भाभी.. वो थोड़े ही मेरे सामने चुदवाएगी…” परम ने लीला को घूरकर देखा और झिझकते हुए अपना हाथ उसके घुटने पर रख दिया। लीला ने कोई प्रतिवाद नहीं किया।
परम ने आगे कहा, ''उसी दिन सेठजी ने तुम्हारे बादे में भी कुछ ऐसा ही बोला।''
“क्या?” लीला परम की ओर झुक गयी।
“सेठजी ने कहा कि उन्हें सिर्फ दो (केवल दो) औरत ही पसंद है एक तो सुंदरी और दूसरी छोटी बहू, लीला।“
परम शांत हो गया।
“चुप क्यों हो गया.. और क्या बोला..?” उसने पूछा।
“सेठजी ने कहा, कि छोटी बहू बहुत जबरदस्त माल है.. जब भी उसको देखते हैं तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. मन करता है कि लीला को बाहों में लेकर कर मसल डालू, उसके उँगलियों को सहलाऊँ और उससे कूद कर... "परम चुप रहा।
वह जानती थी कि आखिरी शब्द क्या हो सकता है, फिर भी उसने पूछा, " कूद कर क्या...?"
परम लीला को घूरता रहा और उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके हाथ उसकी ऊपरी जाँघों पर पहुँच गए और वह उसका हाथ अपने हाथों में थामे हुए थी और उसे अपनी दोनों जाँघों के बीच दबाए हुए थी। परम उसकी कसी हुई जाँघों की गर्मी महसूस कर रहा था। उसने उसकी आँखों में देखा और कहा,
" ... उसे जम कर चोदू… उसकी टाइट चूत में लंड पेलकर बहुत मजा आएगा…हो सके तो मेरे लंड के बिज से उसको माँ बना दू।”
इतना सुनना था कि बहू खड़ी हो गई.. “छि… ऐसा भी कोई अपनी बहू के बारे में बोलता है…?!”
परम ने साहसपूर्वक उसके हाथ पकड़ लिए और कहा, “भाभी सेठजी की कोई गलती नहीं है… तुम हो ही ईएसआई मस्त माल। इतनी मस्त कि कोई भी तुम्हें चोदना चाहेगा।“
“चलो अलग हटो… कोई आ रहा है…!”
दोनों अलग हो गए। तभी सुंदरी अंदर आई और उसने परम को बताया कि सेठजी उसे बुला रहे हैं।
आज के लिए बस यही तक।
कल फिर देखेंगे आगे क्या क्या हुआ कहानीमे एक नए अपडेट के साथ।
।। जय भारत।।
Behtreen updateUpdate 10
जाने से पहले, परम ने लीला से विनती की कि वह किसी को कुछ न बताए। परम के जाने के बाद, सुंदरी ने पूछा; “परम क्या कह रहा था?”
लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और दोनों बाहर आ गईं। बड़ीबहू ने देखा कि लीला शरमा रही है, उसने सोचा कि परम ने उसे भी वैसा ही मज़ा दिया है जैसा उसने पिछली शाम दिया था। वह संतुष्ट हो गई। लगता है की उसकी गिफ्ट परम को लुभा गई।
जब परम और लीला कमरे में बातें कर रहे थे, सेठजी दूसरे शहर से एक और सेठ के साथ घर आए। उन्होंने बड़ी बहू से उनके लिए कुछ नाश्ता और मीठा पेय भेजने को कहा। सुंदरी ने अपनी बेटी महक से नाश्ता अंदर ले जाने को कहा। वह स्कर्ट और ब्लाउज़ पहने हुए थी, कॉलेज ड्रेस पहने हुए थी क्योंकि वह सीधे कॉलेज से आई थी। उसने खाने का सामान मेज़ पर रखा और बिना कुछ बोले बाहर आ गई।
"क्या मस्त माल है!" दूसरे सेठ खुद को रोक नहीं पाए। "मैं तो इस लड़की के साथ एक बार सोने के लिए और थोडा चोदने के लिए कुछ भी देने को तैयार हूँ।"
“लड़की पसंद आई..?” मैत्री और फनलवर की रचना
"हाँ दोस्त, देखते ही मेरा मूड और लंड गरम हो गया है..मुझे तो उसका माल बिना देखे ही अच्छा लगने लगा।" उसने लंड पर हाथ फेरा। और बोला, "इसे अभी चोदना है... साली कितना लेगी?" उसने पूछताछ की और सेठजी ने बताया कि महक उसके करीबी दोस्त की बेटी है।
सेठजी को सुंदरी की बात याद आई, जो उसने सुबह महक के बारे कहा था।
देखो, एक तो आप हमारे खास है,और ऊपर से आप को यह माल पसंद आया है। अब कुछ करना तो पड़ेगा।“ सेठजी ने मेहमान की झंगो पर हाथ रखते हुए कहा।
“अरे, कुछ करो वरना यह लंड मेरा ऐसे ही पागल कर देगा मुझे। मुझे जो चीज़ पसंद आती है वह मेरे लंड को देनी पड़ती है आप तो भली भांति जानते हो। आपके लिए क्या नया है!”
हाँ जानता तो हूँ पर यह घर है और ऊपर से यह वेश्या नहीं है, पूरा कच्चा माल है, मैंने मेरे लिए उसे बड़ा कर रखा है, पर आप कहते हो तो कुछ करता हूँ, मुझे उसके घरवालो से पता करना पड़ेगा।“ सेठजी चाहते थे की महक का शील के दाम ज्यादा से ज्यादा मिले।
सेठजी बात को लम्बाई देते हुए कहा: “वैसे तो माल काफी भरा हुआ है पर अभी तक उसे उसकी माँ ने कही इधर-उधर होने नहीं दिया।“
“अरे, ऐसे कच्चे माल की कोई कीमत नहीं होती दोस्त, बस वह जो मांगे देने के लिए तैयार हूँ।“
“हाँ, शेठ, सही कहा आपने। मैं खुद की बात करू तो अब तक जितनी बार इस माल को देखता हूँ तब या तो मुझे आपकी भाभी को चोदना पड़ता है या फिर मुठ मारनी पड़ती है।“ सेठजी ठह्काके हँसने लगे।
“चलो, मैं ही कुछ करता हूँ उसकी माँ से बात करता हूँ अगर वह मान जाती है इस माल की कीमत बोलती है तो मैं आपको बताता हूँ” उसने सेठ को वही बू=इतने का इशारा किया और अंदर की ओर चले गये।
थोड़ी देर अपने कमरे में इधर-उधर घूम के वापिस आये और दुसरे सेठ को कहा;
“सेठजी वैसे तो उसकी माँ ने बिलकुल मन कर दिया की वह अपनी बेटी को अनचुदी रखना चाहती है, पर पैसा क्या नहीं करवाता, मैंने उसे दिलासा दिया है की उसकी शील के अच्छे दाम दिलवा सकता हूँ तो वह ना ना करते हुए सहमत हुई है, अगर आप तीन लाख रुपये दे सके तो वह उस लड़की की चुदाई का इंतज़ाम कर सकता है।“
दूसरे सेठ ने अपना बैग खोला और नोटों के बंडल निकाले। उसने गिनकर तीन लाख रुपये सेठजी को दिए। उसने उन्हें दूसरे बैग में डालकर अलग रख दिया। दूसरे सेठ महक को घर में ही चोदना चाहते थे, लेकिन सेठजी ने कहा कि यह मुमकिन नहीं है क्योंकि यहाँ बहुत सारे लोग हैं। फिर उन्होंने परम को बुलाया और परम को सलाह दी कि वह कोई बहाना बनाकर महक को घर से बाहर ले जाए और उसे और दूसरे सेठ को अपने ऑफिस रूम में ले जाए जहाँ सुंदरी की चुदाई हुई थी।
परम अंदर गया और सुंदरी से बात कही की सेठजी ने महक का सौदा आर दिया है, उसकी चूत के लिए सेठजी ने लंड ढूँढ लिया है। सुंदरी ने महक को घर जाने को कहा, क्योंकि उसके पिता अकेले रहें। महक परम के साथ घर से बाहर निकली और कुछ दूर तक चली जहां दूसरा सेठ अपनी कार मे उनका इंतजार कर रहा था। परम ड्राइवर के पास बैठ गया और महक उस सेठ के साथ पिछली सीट पर बैठ गई।
महक समझ गई कि आज उसकी कुंवारी चूत फटने वाली है वो भी बाप के उमर के मोटे सेठ से...इसका मतलब साफ़ है की परम और सुंदरी ने उसका और उसकी चूत का सौदा कर दिया है, सेठजी ने काफी मदद की है और हो सकता है सुंदरी ने जो माँगा हो वही भाव में मेरी चूत का सौदा हो गया हो। फिर मन ही मन सोचा की जो भी हो मुझे क्या! मुझे तो लंड से मतलब है, फिर मैं भी किसी से भी चुदवा सकुंगी, शायद बाबूजी पहले हो सकते है क्यों की मैं और बाबूजी ही ज्यादत घर में अकेले होते है, सुंदरी और परम तो सेठ के आस-पास ही होते है। उसे पता था की बाबूजी घर क्यों जल्दी आ जाते थे, उठते बैठते उसकी चूत के दर्शन करते रहते थे।
“क्या ये मुझे परम और बाबूजी जैसा मस्ती दे देगा…?” महक ने खुद से सवाल किया।
“ठीक है….जैसा चाहेगा चुदवा लूंगी….फिर घर जाकर आज ही बाबूजी और भैया दोनों के साथ पूरा मजा लूंगी…” उसने खुद को जवाब दिया।
वह अपना वादा भूल गई थी कि परम ही उसका कौमार्य भंग करेगा।
वे ऑफिस कक्ष में पहुंचे। परम अंदर रह कर अपनी बहन की ज़िंदगी की पहली चुदाई देखना चाहता था। लेकिन सेठ और महक ने भी परम को बाहर जाने और एक घंटे के बाद वापस आने के लिए जोर दिया।
“बेटा….ऐसे मस्त माल के लिए एक घंटा बहुत है……और कभी किसी की चुदाई नहीं देखना चाहीये….मर्द, औरत दोनों खुल-कर मस्ती नहीं कर पाते हैं…।” सेठ ने कुछ नोट निकाले और परम को दिए...
"जाओ, बाज़ार में जाकर खाओ पीयो...तब तक मैं इस मस्त कडक माल को लड़की से औरत बनाता हूँ...चखता हूँ...और थोड़ी ढीली कर के वापिस दे दूंगा। तुम किसी भी प्रकार की चिंता मत करना, बेटे। आराम से उसकी चूत को फाड़ दूंगा।"
परम के कमरे से बाहर निकलते ही उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। लाइट जला दी। महक आँखें नीचे करके बिस्तर पर बैठ गई। सेठ उसके पास आया और उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई। उसने उसे देखा। वह एक हट्टा-कट्टा आदमी था, लगभग 85-90 किलो वज़न का, लंबा और हट्टा-कट्टा। वह पिछले 15 दिनों से परम के साथ सेक्स का आनंद ले रही थी और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया। उसने सुधा और उसकी माँ से भी सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह किसी अजनबी के साथ सेक्स करने से डर रही थी।
प्लीज़ मुझे बाहर जाने दो। “वह उठी और विनती करने लगी। मैत्री और फनलवर की रचना
"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"
वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।
“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”
“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”
उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।
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जाऐगा नहीं आगे अभी लिख रही हूँ .................... शायद रात को पोस्ट कर दूंगी
आप इसके बारे में कोमेंट लिखिए तब तक मैं आगे का अपडेट पोस्ट करती हु............
।। जय भारत।।
Param apna jaal bhicha raha haiअब आगे.................
उसने टोक दिया,
“तू झूठ बोलता है… कोई ससुर अपनी बहू के बारे में ऐसा ना सोचेगा ना बोलेगा।”
“भाभी तुम मानो या ना मानो…, मैं जो कह रहा हूं सब सच है…वो तो और भी बहुत कुछ कहते है कि लेकिन मैं क्यों बोलूं...तुम मान ही नहीं रही हो...और मैं कह भी नहीं सकता...'' परम चुप रहा।
लेकिन उसने उसके मन में उत्सुकता जगा दी है।
लीला जानती थी उसे कभी भी खूबसूरत नहीं माना गया... हाँ, वह एक बोल्ड और आकर्षक लड़की के रूप में मशहूर है। लेकिन, किसी ने कभी उसकी खूबसूरती की कद्र नहीं की और ना,शादी से पहले या शादी के बाद, किसी ने भी उससे सेक्स के लिए संपर्क नहीं किया, सिवाय उनके घर के ड्राइवर के, जो उसे ड्राइविंग सिखाने के बदले में चुदाई चाहता था। और उसी से फसी भी थी।
यहाँ तक कि उसके पति ने भी साफ़-साफ़ कहा था कि वह एक साधारण 'माल' है, लेकिन बाद में उसने कहा कि वह उसे पसंद करता है। वह जानती थी कि उसका पति कलकत्ता में वेश्याओं और कॉल गर्ल्स के पास जाता है। उसने कई बार विरोध किया, लेकिन उसके पति ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकता। उसे नियमित रूप से दूसरी औरतों के साथ सेक्स करना पड़ता है। अब वह यह सुनकर उत्साहित थी कि उसके ससुर सेठजी उसे पसंद करते हैं और उसकी खूबसूरती की सराहना करते हैं और एक बहुत छोटे लड़के, जो उससे भी छोटा है, से उसके बारे में बात करते हैं।
लीला यह सब सोच ही रही थी कि कुछ देर शांत रहने के बाद परम ने दूसरा कार्ड फेंक दिया।
“भाभी, प्लीज़ किसी को मत बोलना कि मैंने ये सब कहा है.. लेकिन जो भी कहा है.. सब सच है।”
"अच्छा! और क्या बोलते हैं तुम्हारे सेठजी जो तुम नहीं बोल सकते!" लीला धीरे से बोली।
“छोड़ो ना भाभी…जान कर क्या करोगी…तुम मानोगी नहीं”
“बोल.. ना… नख़रे मत कर..” लीला ने ज़ोर से कहा “मैं भी तू सुनु तुम्हारे सेठजी अपनी बहू के बारे में क्या ख्याल रखते हैं..!”
“किसिको बोलोगी तो नहीं…” परम ने विनती की..!
“नहीं बोलूंगी...वादा करती हु।” उसने उत्तर दिया।
अब तक सभी चीजें ठीक से रख दी गई थीं। परम उसके पास गया और उसके पैरों के पास फर्श पर बैठ गया।
“करीब 15 दिन पहले सेठजी ने मुझे अपने ऑफिस में बुला कर कहा कि मेरा एक काम कर दू.., मुझे बहुत रुपया दे देंगे... मुझे लालच हो गया। मैंने पूछा क्या काम सेठजी, तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी मां सुंदरी को मनाऊ कि वो मेरे (सेठजी) के साथ चुदाई करे…।”
“हे!!!… सेठजी ने ऐसा कहा… सुंदरी के बारे में…!!! और तुम ने सुन भी लिया?”
लीला का पूरा बदन सिहर गया एक लड़के के मुँह से 'चुदाई' का शब्द सुन कर...
वह इस बात से नाराज नहीं थी कि परम ने 'चुदाई' शब्द बोला। यह बहुत आम शब्द था उनके घर और गाव सभी जगह। वह ये शब्द बचपन से सुनती आ रही थी जब उसके पिता और चाचा नौकरानियों और मजदूरों को डांटते थे। कुटी, यहीं पटक कर चोद दूंगा, साली अपने बाप से चुदाई करती है.. तेरी मां को चौराहे पर पटक कर चोदूंगा...आदि.. लेकिन यह सुनकर कि उसकी फिल्म ने परम से उसकी मां के बारे में यही बात कही है, वह उत्तेजित हो गई।
“हा भाभी… मुझे तो चुदाई के बाद में कुछ मालूम नहीं था, लेकिन ये जानता था कि ऐसा किसी की मां बहन के बारे में बोलना गाली होता है लेकिन सेठजी ने बहुत खुशामद किया और मुझे एक हजार रुपया दिया… फिर उन्हें कहा कि सुंदरी जो मांगेगी मैं दूंगा..!“
“तुमने सुंदरी से कहा..?” “लीला उत्सुक थी।
“हाँ भाभी, उसी दिन मैंने माँ से सब कहा तो वो शर्मा गई…!”
“तो सेठजी ने सुंदरी को चोदा नहीं…?”
“मुझे क्या मालूम भाभी.. वो थोड़े ही मेरे सामने चुदवाएगी…” परम ने लीला को घूरकर देखा और झिझकते हुए अपना हाथ उसके घुटने पर रख दिया। लीला ने कोई प्रतिवाद नहीं किया।
परम ने आगे कहा, ''उसी दिन सेठजी ने तुम्हारे बादे में भी कुछ ऐसा ही बोला।''
“क्या?” लीला परम की ओर झुक गयी।
“सेठजी ने कहा कि उन्हें सिर्फ दो (केवल दो) औरत ही पसंद है एक तो सुंदरी और दूसरी छोटी बहू, लीला।“
परम शांत हो गया।
“चुप क्यों हो गया.. और क्या बोला..?” उसने पूछा।
“सेठजी ने कहा, कि छोटी बहू बहुत जबरदस्त माल है.. जब भी उसको देखते हैं तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. मन करता है कि लीला को बाहों में लेकर कर मसल डालू, उसके उँगलियों को सहलाऊँ और उससे कूद कर... "परम चुप रहा।
वह जानती थी कि आखिरी शब्द क्या हो सकता है, फिर भी उसने पूछा, " कूद कर क्या...?"
परम लीला को घूरता रहा और उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके हाथ उसकी ऊपरी जाँघों पर पहुँच गए और वह उसका हाथ अपने हाथों में थामे हुए थी और उसे अपनी दोनों जाँघों के बीच दबाए हुए थी। परम उसकी कसी हुई जाँघों की गर्मी महसूस कर रहा था। उसने उसकी आँखों में देखा और कहा,
" ... उसे जम कर चोदू… उसकी टाइट चूत में लंड पेलकर बहुत मजा आएगा…हो सके तो मेरे लंड के बिज से उसको माँ बना दू।”
इतना सुनना था कि बहू खड़ी हो गई.. “छि… ऐसा भी कोई अपनी बहू के बारे में बोलता है…?!”
परम ने साहसपूर्वक उसके हाथ पकड़ लिए और कहा, “भाभी सेठजी की कोई गलती नहीं है… तुम हो ही ईएसआई मस्त माल। इतनी मस्त कि कोई भी तुम्हें चोदना चाहेगा।“
“चलो अलग हटो… कोई आ रहा है…!”
दोनों अलग हो गए। तभी सुंदरी अंदर आई और उसने परम को बताया कि सेठजी उसे बुला रहे हैं।
आज के लिए बस यही तक।
कल फिर देखेंगे आगे क्या क्या हुआ कहानीमे एक नए अपडेट के साथ।
।। जय भारत।।
KLPD kar diyaUpdate 10
जाने से पहले, परम ने लीला से विनती की कि वह किसी को कुछ न बताए। परम के जाने के बाद, सुंदरी ने पूछा; “परम क्या कह रहा था?”
लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और दोनों बाहर आ गईं। बड़ीबहू ने देखा कि लीला शरमा रही है, उसने सोचा कि परम ने उसे भी वैसा ही मज़ा दिया है जैसा उसने पिछली शाम दिया था। वह संतुष्ट हो गई। लगता है की उसकी गिफ्ट परम को लुभा गई।
जब परम और लीला कमरे में बातें कर रहे थे, सेठजी दूसरे शहर से एक और सेठ के साथ घर आए। उन्होंने बड़ी बहू से उनके लिए कुछ नाश्ता और मीठा पेय भेजने को कहा। सुंदरी ने अपनी बेटी महक से नाश्ता अंदर ले जाने को कहा। वह स्कर्ट और ब्लाउज़ पहने हुए थी, कॉलेज ड्रेस पहने हुए थी क्योंकि वह सीधे कॉलेज से आई थी। उसने खाने का सामान मेज़ पर रखा और बिना कुछ बोले बाहर आ गई।
"क्या मस्त माल है!" दूसरे सेठ खुद को रोक नहीं पाए। "मैं तो इस लड़की के साथ एक बार सोने के लिए और थोडा चोदने के लिए कुछ भी देने को तैयार हूँ।"
“लड़की पसंद आई..?” मैत्री और फनलवर की रचना
"हाँ दोस्त, देखते ही मेरा मूड और लंड गरम हो गया है..मुझे तो उसका माल बिना देखे ही अच्छा लगने लगा।" उसने लंड पर हाथ फेरा। और बोला, "इसे अभी चोदना है... साली कितना लेगी?" उसने पूछताछ की और सेठजी ने बताया कि महक उसके करीबी दोस्त की बेटी है।
सेठजी को सुंदरी की बात याद आई, जो उसने सुबह महक के बारे कहा था।
देखो, एक तो आप हमारे खास है,और ऊपर से आप को यह माल पसंद आया है। अब कुछ करना तो पड़ेगा।“ सेठजी ने मेहमान की झंगो पर हाथ रखते हुए कहा।
“अरे, कुछ करो वरना यह लंड मेरा ऐसे ही पागल कर देगा मुझे। मुझे जो चीज़ पसंद आती है वह मेरे लंड को देनी पड़ती है आप तो भली भांति जानते हो। आपके लिए क्या नया है!”
हाँ जानता तो हूँ पर यह घर है और ऊपर से यह वेश्या नहीं है, पूरा कच्चा माल है, मैंने मेरे लिए उसे बड़ा कर रखा है, पर आप कहते हो तो कुछ करता हूँ, मुझे उसके घरवालो से पता करना पड़ेगा।“ सेठजी चाहते थे की महक का शील के दाम ज्यादा से ज्यादा मिले।
सेठजी बात को लम्बाई देते हुए कहा: “वैसे तो माल काफी भरा हुआ है पर अभी तक उसे उसकी माँ ने कही इधर-उधर होने नहीं दिया।“
“अरे, ऐसे कच्चे माल की कोई कीमत नहीं होती दोस्त, बस वह जो मांगे देने के लिए तैयार हूँ।“
“हाँ, शेठ, सही कहा आपने। मैं खुद की बात करू तो अब तक जितनी बार इस माल को देखता हूँ तब या तो मुझे आपकी भाभी को चोदना पड़ता है या फिर मुठ मारनी पड़ती है।“ सेठजी ठह्काके हँसने लगे।
“चलो, मैं ही कुछ करता हूँ उसकी माँ से बात करता हूँ अगर वह मान जाती है इस माल की कीमत बोलती है तो मैं आपको बताता हूँ” उसने सेठ को वही बू=इतने का इशारा किया और अंदर की ओर चले गये।
थोड़ी देर अपने कमरे में इधर-उधर घूम के वापिस आये और दुसरे सेठ को कहा;
“सेठजी वैसे तो उसकी माँ ने बिलकुल मन कर दिया की वह अपनी बेटी को अनचुदी रखना चाहती है, पर पैसा क्या नहीं करवाता, मैंने उसे दिलासा दिया है की उसकी शील के अच्छे दाम दिलवा सकता हूँ तो वह ना ना करते हुए सहमत हुई है, अगर आप तीन लाख रुपये दे सके तो वह उस लड़की की चुदाई का इंतज़ाम कर सकता है।“
दूसरे सेठ ने अपना बैग खोला और नोटों के बंडल निकाले। उसने गिनकर तीन लाख रुपये सेठजी को दिए। उसने उन्हें दूसरे बैग में डालकर अलग रख दिया। दूसरे सेठ महक को घर में ही चोदना चाहते थे, लेकिन सेठजी ने कहा कि यह मुमकिन नहीं है क्योंकि यहाँ बहुत सारे लोग हैं। फिर उन्होंने परम को बुलाया और परम को सलाह दी कि वह कोई बहाना बनाकर महक को घर से बाहर ले जाए और उसे और दूसरे सेठ को अपने ऑफिस रूम में ले जाए जहाँ सुंदरी की चुदाई हुई थी।
परम अंदर गया और सुंदरी से बात कही की सेठजी ने महक का सौदा आर दिया है, उसकी चूत के लिए सेठजी ने लंड ढूँढ लिया है। सुंदरी ने महक को घर जाने को कहा, क्योंकि उसके पिता अकेले रहें। महक परम के साथ घर से बाहर निकली और कुछ दूर तक चली जहां दूसरा सेठ अपनी कार मे उनका इंतजार कर रहा था। परम ड्राइवर के पास बैठ गया और महक उस सेठ के साथ पिछली सीट पर बैठ गई।
महक समझ गई कि आज उसकी कुंवारी चूत फटने वाली है वो भी बाप के उमर के मोटे सेठ से...इसका मतलब साफ़ है की परम और सुंदरी ने उसका और उसकी चूत का सौदा कर दिया है, सेठजी ने काफी मदद की है और हो सकता है सुंदरी ने जो माँगा हो वही भाव में मेरी चूत का सौदा हो गया हो। फिर मन ही मन सोचा की जो भी हो मुझे क्या! मुझे तो लंड से मतलब है, फिर मैं भी किसी से भी चुदवा सकुंगी, शायद बाबूजी पहले हो सकते है क्यों की मैं और बाबूजी ही ज्यादत घर में अकेले होते है, सुंदरी और परम तो सेठ के आस-पास ही होते है। उसे पता था की बाबूजी घर क्यों जल्दी आ जाते थे, उठते बैठते उसकी चूत के दर्शन करते रहते थे।
“क्या ये मुझे परम और बाबूजी जैसा मस्ती दे देगा…?” महक ने खुद से सवाल किया।
“ठीक है….जैसा चाहेगा चुदवा लूंगी….फिर घर जाकर आज ही बाबूजी और भैया दोनों के साथ पूरा मजा लूंगी…” उसने खुद को जवाब दिया।
वह अपना वादा भूल गई थी कि परम ही उसका कौमार्य भंग करेगा।
वे ऑफिस कक्ष में पहुंचे। परम अंदर रह कर अपनी बहन की ज़िंदगी की पहली चुदाई देखना चाहता था। लेकिन सेठ और महक ने भी परम को बाहर जाने और एक घंटे के बाद वापस आने के लिए जोर दिया।
“बेटा….ऐसे मस्त माल के लिए एक घंटा बहुत है……और कभी किसी की चुदाई नहीं देखना चाहीये….मर्द, औरत दोनों खुल-कर मस्ती नहीं कर पाते हैं…।” सेठ ने कुछ नोट निकाले और परम को दिए...
"जाओ, बाज़ार में जाकर खाओ पीयो...तब तक मैं इस मस्त कडक माल को लड़की से औरत बनाता हूँ...चखता हूँ...और थोड़ी ढीली कर के वापिस दे दूंगा। तुम किसी भी प्रकार की चिंता मत करना, बेटे। आराम से उसकी चूत को फाड़ दूंगा।"
परम के कमरे से बाहर निकलते ही उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। लाइट जला दी। महक आँखें नीचे करके बिस्तर पर बैठ गई। सेठ उसके पास आया और उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई। उसने उसे देखा। वह एक हट्टा-कट्टा आदमी था, लगभग 85-90 किलो वज़न का, लंबा और हट्टा-कट्टा। वह पिछले 15 दिनों से परम के साथ सेक्स का आनंद ले रही थी और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया। उसने सुधा और उसकी माँ से भी सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह किसी अजनबी के साथ सेक्स करने से डर रही थी।
प्लीज़ मुझे बाहर जाने दो। “वह उठी और विनती करने लगी। मैत्री और फनलवर की रचना
"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"
वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।
“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”
“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”
उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।
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जाऐगा नहीं आगे अभी लिख रही हूँ .................... शायद रात को पोस्ट कर दूंगी
आप इसके बारे में कोमेंट लिखिए तब तक मैं आगे का अपडेट पोस्ट करती हु............
।। जय भारत।।
आपका बहोत बहोत धन्यवादBahut hi kamuk scene likha hai aapne. Apne ekdam se achanak mahak ki seal todne ki deal kar di jhatka sa dediya. Uska sauda hoga ye to tay tha magar itna jaldi aur achanak aisi ummid nahi thi. Chaunka diya aapne ha ha ha. Good show. Mahak bhi kitna aham kirdar hai is kahani me ye apne aajke scene me ek bar aur sabit kar diya hai. Jahan Sundari 2 lakh ki ummid lagaye baithi thi wahan Seth Ji ne 3 lakh me sauda kar diya. Sahi bhi hai akhir Heere ki asli keemat to johari hi janta hai. Aur saudagar ya vyapari vyapari hote hai vo kab kis saude ko kitne par ke jakar boli lagayen vahi jante hai. Jahan Sundari 50 hajar me pahli bar Seth ke neeche aai thi aur dusri bar bhi Vinod ke neeche 50 hajar me aai thi vahi Mahak ki pahli nath utari 3 lakh me. Sundari se 3 guna jyda. Kya scene aur kahani kahte ho maza hi aa gya. Agle update je liye intjar hai.