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जी बहोत बहोत शुक्रिया

वैसे मैंने नेपस्टर भाई को रिप्लाय क्या है और उसी संदर्भा में आगे लिखती हु ........................


आप सब की इच्छा थी की या कच्ची कलि का शील तोड़ना एक अपडेट होना चाहिए मैंने ऐसा नहीं किया है क्यों की यह एक प्लाट की तरह रिज़र्व रखा है की जब जरुरत पड़ेगी काम में ल्नेगे, दूसरा उस लड़की का इस कहानी से कोई सम्बन्ध नहीं है तो उसे हायलाईट करना जरुरी नहीं समजा


अब सब से महत्त्वपूर्ण बात

दोस्तों यह कहानी में हमें रेखा की शादी तक जाना था या फिर जानना था. लेकिन हम अब तक तकरीबन एक लाख वर्ड्स लिख चुके है या तो आप पढ़ चुके है, पर अभी तक हम शादी के नजदीक तक नहीं पहुचे............मुझे तो लगता है की और एक लाख वर्ड्स चले जायेंगे.............कहानी किलाम्बाई ज्यादा हो सकती है..............शादी के बाद के प्रासंग तो खेर बाद की बात है, अगर रीडर्स चाहेंगे तो लिखेंगे.......चेप्टर २ तहत..............तभी हम कुछ प्रसंगों को कुछ ही शब्दों में निपटा लेते है. और यह परम भी ना पता नहीं आगे कितनी लडकिया चोदेगा....लिख लिख के हम थक जायेंगे या फिर रीडर्स थक के चले जायेंगे...........बहोत कुछ है आगे...........प्लॉट्स में...........


फिर भी जैसा मी कहा आगे लिखूंगी तो याद से यह प्रसंग का विवरण दूंगी शायद परम जब शादी के लिए लडकिय चुनेगा तब..............

नेपस्टर साब की फरमाइश को कही ना कही समा लुंगी..............


साथ और सहकार मिलता रहेगा लिखते रहेंगे................


शुक्रिया दोस्त




अभी कुछ पता नहीं.....................
Congrats Madam for 1 L words of your story...ek update ex. 1000 words hi likhna mushkil hai...aapne to 1 L words poore kar diye hai..Great going!! Btw, maine bhi apni story pe abhi kuch der pehle update diya hai. Look forward to your comments there.

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Thank you very much dost

Without the readers like you will it be possible?????????????????????????


thanks to all my readers whose who have supported willingly and provide enough fuel to the story................

looking forward the same with full flow..................
 

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वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।



भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।



*******

अब आगे..............



सुंदरी को लग रहा कि परम का लंड जल्दी नहीं झरेगा। सुंदरी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊपर उठाया और अपनी चूत को परम के कुल्हो से रगड़ने लगी। बहू को पता नहीं चल रहा था कि सुंदरी उसके बेटे पर अपनी चूत मल रही है। लेकिन परम को अपनी माँ की चूत की गर्मी ने बहुत उत्तेजित किया और जल्दी-जल्दी बहू को चोदने लगा और चूत में झड़ गया। चूत में पानी गिरा कर परम ने लंड बाहर निकाला और झुक कर एक बाद भाभी की चूत को चाट लिया और बहु का और अपना पानी का स्वाद मुंह में भर लिया। परम ने कपड़े पहने और तीनों बाहर आकर कार में बैठ गये। अगले 15 मिनट में वे घर पहुँच गये।


उन्हें देखकर सेठानी ने उन्हें इतनी देर से आने के लिए डांटा।

परम सेठानी के पास जाकर बोला, “गुस्से में तो तुम बहुत मस्त लग रही हो… तुम्हें देखते ही मेरा लंड तेरे मस्त चूत में, जाने के लिए तैयार हो गया है…!”

परम की रसभरी बात सुनकर सेठानी खुश हो गई।

“रानी, अब जल्दी से मौका निकाल कर चोदने दे।” परम ने उसके कान में फुसफुसाया।

सेठानी ने भी बड़े प्यार से उसके गाल दुलारते हुए कहा “मेरी चूत को ट्रे लंड की काफी जरुरत है बेटे पर क्या करू....कोई रास्ता है?”

तभी उसके दोनों बेटे अपना बैग लेकर बाहर आये। बाहर निकलते समय छोटा बेटा बोला, “परम, भाभी को मार्केट ले जाना और उसका ध्यान रखना।”

परम ने उनके बैग उठाए और उन्हें कार में विदा किया। ड्राइवर ने कार बाहर निकाली और परम घर के अंदर वापस आ गया। उसने कुछ ओर मेहमान, नये चेहरे देखे। रेखा कुछ महिलाओं और लड़कियों से घिरी हुई थी और सेठानी भी महिलाओं के साथ बात करने में व्यस्त थी। वह उन्हें निर्देशित कर रही थीं। तभी उसने छोटी बहू को काले रंग की प्रिंटेड साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहने कमरे से बाहर आते देखा। छोटी बहू दिखने में साधारण सी थी, गोरी, लंबी, दुबली-पतली, लेकिन वो बेहद आकर्षक और आकर्षक थी।

“चल परम,मेरे साथ बाज़ार।” यह सुनकर परम का ध्यान टूट गया।

“जा बेटा, भाभी का सही तरीके से ध्यान रखना।” सेठानी ने कहा। छोटी बहू और परम घर से बाहर आए और पैडल-रिक्शा लिया। परम को छोटी बहू के पास बैठना बहुत अच्छा लगा। उनकी जांघें एक-दूसरे से चिपकी हुई थीं और बहू ने उनके बीच दूरी बनाए रखने की कोई कोशिश नहीं की। वे बाजार की ओर चले गए।

उधर कार में।


छोटे भाई ने कहा, "भैया, सुंदरी को देखा! साली और भी मस्तानी होती जा रही है। उसको देखते ही पूरा बॉडी टाइट हो जाता है। लंड तो काबू में ही नहीं रहता।"

“हां, अज्जू तू ठीक कहता है… मेरा भी मन करता है कि उसके साथ जम कर मजा लू। लेकिन मादरचोद, उसको कैसे पटाऊं…कुछ आइडिया है?”

उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि ड्राइवर उनकी बातें सुन रहा है।

“साब, सुंदरी का ख्याल छोड़ दो…जबसे वो गांव में आई है सब को पागल कर रखा है। लेकिन भोसडिकी,किसी को भी उसने अपना दाना नहीं डाला और नाही किसी का दाना उसने चरा!”

ड्राइवर कुछ देर शांत रहा और बोला, "साहब गाँव का हर आदमी छोटा और बड़ा, सुंदरी की चूत में लंड घुसाना चाहता है।"

“जो भी हो…इस बार उस कुतिया को चोदे बिना गांव से बाहर नहीं जाऊंगा…” छोटे भाई ने कहा।

ड्राइवर मुस्कुराया। उसे यकीन था कि सुंदरी को कोई भी चोद नहीं पाएगा लेकिन उसने कहा,

"साब, आप लोग पहले चोद लेना फिर मुझे सुंदरी को चोदने देना। जिस दिन उसको देखता हूं तो रात में बीबी को नहीं चोद पाता हूं।" उसे सुंदरी की दूधिया सफेद चुची याद आ गई जो उसने एक घंटे पहले ही देखी थी।

"तुम्हारी बीबी कैसी है? हमसे नहीं मिलवाओगे!"

बड़े भाई ने कहा, पिछले कई दिनों से उसने अपनी पत्नी बड़ी बहू के अलावा किसी और औरत का स्वाद नहीं चखा है। वह एक नयी महिला को चोदना चाहता था।

******


आइए उन्हें भूल जाएं और देखें कि छोटी बहू क्या कर रही है।

उसे याद आया कि परम ने उसे सेठजी के बारे में बताया था कि उसके ससुर उसे चोदना चाहते थे। इस पर वह उत्साहित महसूस कर रही थी।

"परम, तेरे सेठजी और क्या बोल रहे हैं?" बहू अपने ससुर 18 साल की बहू के बारे में पापपूर्ण विचार सुनना चाहती थी। अपनी जाँघों को उसकी ओर बढ़ाया और उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया। उसने हाथों को साड़ी से ढक लिया ताकि कोई देख न सके कि परम ने उसका हाथ पकड़ रखा है। उसने अपना चेहरा और माथे का हिस्सा ढका हुआ था।

“कल शामको सेठजी ने मुझे बुलाया था, जानती हो क्यों…!”

“क्यों?” बहू ने पूछा।

“वोहि तुम्हारे लिए, सेठजी ने खुलेआम कहा कि जब तुम आई हो उनका लंड टाइट हो गया है तुम्हारी चूत में घुसाने के लिए।”

यह सुनते ही बहू की खाई गीली हो गई और उसने परम के हाथों को खींच कर ऊपर से अपनी चूत पर रख लिया।

“और क्या कहा ससुरजी ने?”

“और क्या बोलते! तुम्हारी जवानी की बातें कर रहे हैं…” परम मसाला लगा कर बोलते जा रहा था। सिर्फ एक बार सेठजी ने परम से कहा था कि वो सिर्फ सुंदरी और अपनी छोटी बहू को चोदना चाहता है। लेकिन परम बहू को गरम कर खुद मजा लेना चाहता था।

“बहुकी मस्त-मस्त बोब्लो को मुँह में डाल कर चुसुंगा और फिर उसकी चूत कि फुद्दियो को चाटुंगा और चुसुंगा।” परम ने जारी रखा और बहू ने अपनी जांघें फैला दीं और परम का हाथ अपनी गर्म चूत पर रख दिया।

“सेठजी ने कहा कि रात भर बहू की बोबले और चूत को चाट चाट कर मजा लूंगा और फिर बाद में अपना लंड चुसवाऊंगा!”

“छि, मैं लंड नहीं चुसुंगी!” बहू फुसफुसाई।

“सेठजीने कहा, कि बहू को नंगा गोदी में उठा कर उसके छेद को चूस-चूस कर मजा लूंगा और जम कर चोदूंगा…बहू को चोदने में बहुत मजा आएगा!”

बहु पुरी मस्त हो गई थी और चाहती थी कि रिक्शे पर ही कोई उसकी चूत में लंड घुसा कर चोदे, चाहे परम हो, या रिक्शे वाला या फिर कोई ओर।

तभी बाज़ार आ गया। इतने सारे लोगों को देखकर बहू को होश आया और उसने परम का हाथ झटक दिया। उसने अपना चेहरा ढक लिया और कुछ देर बाद रिक्शा को एक ज्वेलरी की दुकान पर रुकने को कहा। दोनों उतर गए। वे कुछ दुकानों में घूमे और उसने कुछ खरीदारी की।

जब वह अंदर थी, तो एक दुकान से परम बाहर आया और दो 'पोंडी (अश्लील) किताबें खरीदीं। दोनों कहानियाँ ज्यादा-प्रवेशों के रंगीन चित्रों वाली थीं (coloured illustration of multi penetration)। और बहू ने उसे किताबें खरीदते देखा। उसे नहीं पता था कि ये किस तरह की किताबें हैं। कुछ और खरीदारी के बाद बहू थक गई और बोली,

"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"



********.



समय मिलेगा तो आगे भी लिखूंगी.

तब तक के लिए शुक्रिया।

हो सके तो अपने मंतव्य देना।



।। जय भारत ।।
 
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Ashiq Baba

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Congratulations Mam, this is a mile stone. And showing your story is one of the best stories. Keep writing and best of luck.
 

Ashiq Baba

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जी बहोत बहोत शुक्रिया

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अब सब से महत्त्वपूर्ण बात

दोस्तों यह कहानी में हमें रेखा की शादी तक जाना था या फिर जानना था. लेकिन हम अब तक तकरीबन एक लाख वर्ड्स लिख चुके है या तो आप पढ़ चुके है, पर अभी तक हम शादी के नजदीक तक नहीं पहुचे............मुझे तो लगता है की और एक लाख वर्ड्स चले जायेंगे.............कहानी किलाम्बाई ज्यादा हो सकती है..............शादी के बाद के प्रासंग तो खेर बाद की बात है, अगर रीडर्स चाहेंगे तो लिखेंगे.......चेप्टर २ तहत..............तभी हम कुछ प्रसंगों को कुछ ही शब्दों में निपटा लेते है. और यह परम भी ना पता नहीं आगे कितनी लडकिया चोदेगा....लिख लिख के हम थक जायेंगे या फिर रीडर्स थक के चले जायेंगे...........बहोत कुछ है आगे...........प्लॉट्स में...........


फिर भी जैसा मी कहा आगे लिखूंगी तो याद से यह प्रसंग का विवरण दूंगी शायद परम जब शादी के लिए लडकिय चुनेगा तब..............

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साथ और सहकार मिलता रहेगा लिखते रहेंगे................


शुक्रिया दोस्त




अभी कुछ पता नहीं.....................
थैंक्यू आपने ईमानदारी से खुलासा किया है कि क्यों एक उस पर अपडेट नही लिख सकते । देखिए रीडर्स की बहुत सारी इच्छाएं होती है मगर आप अपनी कहानी को बैलेंस रखते हुए ही उस पर लिखिए आखिर महत्वहीन प्रसंग डालना भी जबर्दस्ती करना हो जाता है । आप बिना विचलित हुए ये कार्य कर रहे है बहूत अच्छा है ।
 

Ashiq Baba

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सब से पहले शुक्रिया दोस्त एक अच्छे पोस्ट मोरटम के लिए।

मुझे अच्छा लगा की आप और बाकि रीडर्स की सोच भी मुज से मिलती है ......कुछ अलग लिखने की इच्छा और कुछ नहीं दोस्तों......मैं उन कहानी यो को भी उतने ही प्रेम से पढ़ती हूँ। और अपना विषय वस्तु को ले लेती हूँ।

सब की अलग अलग पसंद होती है, कभी कभी सोच मिलती है तो कभी नहीं मिलती। लेकिन आपकी एक लाइन मुझे बहोत च्छी लगी और वह शायद मेरी सोच से बहोत ज्यादा मिलती है। "माँ बाप एकदम चिकने मगर लड़का एकदम काला भुसन्ड्ड लन्ड उससे भी काला जैसे वो इंडियन ना हो कर अफ्रीकन हो ।"

खेर मेरे किसी भी कहानी में BDSM, टॉर्चर , रेप, जैसे दुःख दायक कल्पनाये नहीं मिलेंगी या तो बहोत रेर कहानी के लिए अत्यंत आवश्यक होगी तभी मात्र। और वेः भी एक दो लाइन में ख़तम। क्योकि मैं इस तरीके के सेक्सुअल एक्टिविटीज को बढ़ावा नहीं देती। या फिर मुझे खुद को पसंद ही नहीं।

बाकी शब्दों के लिए शुक्रिया और धन्यवाद।

बहुत ही शानदार तरीके से लिखे है ........................जो आपने कहा है।

यह नेपस्टर साब के अगली टिपण्णी से आगे लिखती हु................. जी आप जिस प्रकार का लिख रहे या सोच रहे उस को उजागर करने के लिए आपको उस कहानी या परसंग पात्रो में घुस ना पड़ता है, मैं कुछ नया नहीं कर रही यह सब करते है लेखक और रीडर्स दोनों।

हां शायद लेखक और लेखिका ज्यादा कामोतुर हो जाते है उसके रिसन बताती हूँ।

अगले अपडेट को पहले पढ़ते है मतलब आप की शुरुआत हुई...उसके बाद आप कुछ सोचते है जो लिखना है....उसकी एक नोट बनती है....उसके बाद आप कुछ लिखते है वहा भी आपको उत्तेजित करती है क्यों की शब्दों और प्रसंग बार-बार आपके दिमांग में घूमता रहते है। फिर कुछ लिखेते है उसके बाद फिर से पढ़ते है और एडिट करते है। उसके बाद कुछ याद आता है तो उसे एड्ड या डिलीट करते है। फायनली आप फिर से पढ़ के तसल्ली कर लेते है यानी की फिर से पढना फिर पोस्ट होता है.......हमारे किस्से में एक कदम और भी है यही कहानी english में भी लिखी जा रही है। वह भी same process।

अब आप ही बताओ की हम कितनी बार पढ़ते है!!!!!! हालत क्या हो सकती है!!!!!!!!!!!! कभी कभी आधा ही छोड़ देना पड़ता है वह तक परिश्थिति बिगड़ जाती है। खेर उसकी की ही मजा है। यह प्लेटफोर्म self entertainment है और हम सब लेते है। अगर कोई कहता है की वह इस स्थिति से अलग है तो वह मेरे लिए महान है।



इसमें कोइ दो राय नहीं है की कामातुर नहीं होते। होते है और होने के लिए ही हम सब यहाँ है...कुछ ज्यादा हो जाते है तो कुछ कम पर होते जरुर है और लेखक/लेखिका ज्यादा होते है क्यों की वह बार बार पढ़ते है।


मैंने इस कोमेंट में अपनी या सभी की पारदर्शिता दिखाई है सो..........लेकिन प्लीज़ प्लीज़......प्लीज़.............सभी रीडर्स, इसे किसी भी प्रकार से अन्यथा ना ले...............जिसे मुझे अन्यथा लेना पड़े..................


बाकि सराहना के लिए बहोत बहोत शुक्रिया दोस्त।

आपकी पोस्ट मोरटम बहोत अच्छी लगती है एक चेलेंज दिखती है। आप जारी रखे..................

मैंने हर एक एपिसोड में एक नया सेक्सुअल पोजीशन एड्ड करने की कोशिश की है.............आगे जाके गन्दा भी हो सकता है..............तैयारी भी रखिये............

चलिए मिलते एक नए एपिसोड में
थैंक्यू आपने सीन क्रिएट करने का प्रोसेस बताया । बहुत ही खुल कर खुलासा किया है और उसके आपके मन पर क्या क्या प्रभाव पड़ता है ।
 

Funlover

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Thanks a ton mitra

To b frank I haven't counted the words, but either we reached or we are very nearer to the milestone.
Actually it wasn't for an appraisal but just the indication that story has already the length. And may stretch even more because I think and suppose we might be in half stage of the story chapter 1.
If support of the readers continue, we may jump to chapter 2 too.
That was the intension to show or express.
However thanks a lot for n appraisal.
Stay tuned.
 

Mass

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Sent you a DM madam...pls check whenever you get time :)

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Ashiq Baba

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वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।



भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।



*******

अब आगे..............



सुंदरी को लग रहा कि परम का लंड जल्दी नहीं झरेगा। सुंदरी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊपर उठाया और अपनी चूत को परम के कुल्हो से रगड़ने लगी। बहू को पता नहीं चल रहा था कि सुंदरी उसके बेटे पर अपनी चूत मल रही है। लेकिन परम को अपनी माँ की चूत की गर्मी ने बहुत उत्तेजित किया और जल्दी-जल्दी बहू को चोदने लगा और चूत में झड़ गया। चूत में पानी गिरा कर परम ने लंड बाहर निकाला और झुक कर एक बाद भाभी की चूत को चाट लिया और बहु का और अपना पानी का स्वाद मुंह में भर लिया। परम ने कपड़े पहने और तीनों बाहर आकर कार में बैठ गये। अगले 15 मिनट में वे घर पहुँच गये।


उन्हें देखकर सेठानी ने उन्हें इतनी देर से आने के लिए डांटा।

परम सेठानी के पास जाकर बोला, “गुस्से में तो तुम बहुत मस्त लग रही हो… तुम्हें देखते ही मेरा लंड तेरे मस्त चूत में, जाने के लिए तैयार हो गया है…!”

परम की रसभरी बात सुनकर सेठानी खुश हो गई।

“रानी, अब जल्दी से मौका निकाल कर चोदने दे।” परम ने उसके कान में फुसफुसाया।

सेठानी ने भी बड़े प्यार से उसके गाल दुलारते हुए कहा “मेरी चूत को ट्रे लंड की काफी जरुरत है बेटे पर क्या करू....कोई रास्ता है?”

तभी उसके दोनों बेटे अपना बैग लेकर बाहर आये। बाहर निकलते समय छोटा बेटा बोला, “परम, भाभी को मार्केट ले जाना और उसका ध्यान रखना।”

परम ने उनके बैग उठाए और उन्हें कार में विदा किया। ड्राइवर ने कार बाहर निकाली और परम घर के अंदर वापस आ गया। उसने कुछ ओर मेहमान, नये चेहरे देखे। रेखा कुछ महिलाओं और लड़कियों से घिरी हुई थी और सेठानी भी महिलाओं के साथ बात करने में व्यस्त थी। वह उन्हें निर्देशित कर रही थीं। तभी उसने छोटी बहू को काले रंग की प्रिंटेड साड़ी और मैचिंग ब्लाउज़ पहने कमरे से बाहर आते देखा। छोटी बहू दिखने में साधारण सी थी, गोरी, लंबी, दुबली-पतली, लेकिन वो बेहद आकर्षक और आकर्षक थी।

“चल परम,मेरे साथ बाज़ार।” यह सुनकर परम का ध्यान टूट गया।

“जा बेटा, भाभी का सही तरीके से ध्यान रखना।” सेठानी ने कहा। छोटी बहू और परम घर से बाहर आए और पैडल-रिक्शा लिया। परम को छोटी बहू के पास बैठना बहुत अच्छा लगा। उनकी जांघें एक-दूसरे से चिपकी हुई थीं और बहू ने उनके बीच दूरी बनाए रखने की कोई कोशिश नहीं की। वे बाजार की ओर चले गए।

उधर कार में।


छोटे भाई ने कहा, "भैया, सुंदरी को देखा! साली और भी मस्तानी होती जा रही है। उसको देखते ही पूरा बॉडी टाइट हो जाता है। लंड तो काबू में ही नहीं रहता।"

“हां, अज्जू तू ठीक कहता है… मेरा भी मन करता है कि उसके साथ जम कर मजा लू। लेकिन मादरचोद, उसको कैसे पटाऊं…कुछ आइडिया है?”

उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि ड्राइवर उनकी बातें सुन रहा है।

“साब, सुंदरी का ख्याल छोड़ दो…जबसे वो गांव में आई है सब को पागल कर रखा है। लेकिन भोसडिकी,किसी को भी उसने अपना दाना नहीं डाला और नाही किसी का दाना उसने चरा!”

ड्राइवर कुछ देर शांत रहा और बोला, "साहब गाँव का हर आदमी छोटा और बड़ा, सुंदरी की चूत में लंड घुसाना चाहता है।"

“जो भी हो…इस बार उस कुतिया को चोदे बिना गांव से बाहर नहीं जाऊंगा…” छोटे भाई ने कहा।

ड्राइवर मुस्कुराया। उसे यकीन था कि सुंदरी को कोई भी चोद नहीं पाएगा लेकिन उसने कहा,

"साब, आप लोग पहले चोद लेना फिर मुझे सुंदरी को चोदने देना। जिस दिन उसको देखता हूं तो रात में बीबी को नहीं चोद पाता हूं।" उसे सुंदरी की दूधिया सफेद चुची याद आ गई जो उसने एक घंटे पहले ही देखी थी।

"तुम्हारी बीबी कैसी है? हमसे नहीं मिलवाओगे!"

बड़े भाई ने कहा, पिछले कई दिनों से उसने अपनी पत्नी बड़ी बहू के अलावा किसी और औरत का स्वाद नहीं चखा है। वह एक नयी महिला को चोदना चाहता था।

******


आइए उन्हें भूल जाएं और देखें कि छोटी बहू क्या कर रही है।

उसे याद आया कि परम ने उसे सेठजी के बारे में बताया था कि उसके ससुर उसे चोदना चाहते थे। इस पर वह उत्साहित महसूस कर रही थी।

"परम, तेरे सेठजी और क्या बोल रहे हैं?" बहू अपने ससुर 18 साल की बहू के बारे में पापपूर्ण विचार सुनना चाहती थी। अपनी जाँघों को उसकी ओर बढ़ाया और उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया। उसने हाथों को साड़ी से ढक लिया ताकि कोई देख न सके कि परम ने उसका हाथ पकड़ रखा है। उसने अपना चेहरा और माथे का हिस्सा ढका हुआ था।

“कल शामको सेठजी ने मुझे बुलाया था, जानती हो क्यों…!”

“क्यों?” बहू ने पूछा।

“वोहि तुम्हारे लिए, सेठजी ने खुलेआम कहा कि जब तुम आई हो उनका लंड टाइट हो गया है तुम्हारी चूत में घुसाने के लिए।”

यह सुनते ही बहू की खाई गीली हो गई और उसने परम के हाथों को खींच कर ऊपर से अपनी चूत पर रख लिया।

“और क्या कहा ससुरजी ने?”

“और क्या बोलते! तुम्हारी जवानी की बातें कर रहे हैं…” परम मसाला लगा कर बोलते जा रहा था। सिर्फ एक बार सेठजी ने परम से कहा था कि वो सिर्फ सुंदरी और अपनी छोटी बहू को चोदना चाहता है। लेकिन परम बहू को गरम कर खुद मजा लेना चाहता था।

“बहुकी मस्त-मस्त बोब्लो को मुँह में डाल कर चुसुंगा और फिर उसकी चूत कि फुद्दियो को चाटुंगा और चुसुंगा।” परम ने जारी रखा और बहू ने अपनी जांघें फैला दीं और परम का हाथ अपनी गर्म चूत पर रख दिया।

“सेठजी ने कहा कि रात भर बहू की बोबले और चूत को चाट चाट कर मजा लूंगा और फिर बाद में अपना लंड चुसवाऊंगा!”

“छि, मैं लंड नहीं चुसुंगी!” बहू फुसफुसाई।

“सेठजीने कहा, कि बहू को नंगा गोदी में उठा कर उसके छेद को चूस-चूस कर मजा लूंगा और जम कर चोदूंगा…बहू को चोदने में बहुत मजा आएगा!”

बहु पुरी मस्त हो गई थी और चाहती थी कि रिक्शे पर ही कोई उसकी चूत में लंड घुसा कर चोदे, चाहे परम हो, या रिक्शे वाला या फिर कोई ओर।

तभी बाज़ार आ गया। इतने सारे लोगों को देखकर बहू को होश आया और उसने परम का हाथ झटक दिया। उसने अपना चेहरा ढक लिया और कुछ देर बाद रिक्शा को एक ज्वेलरी की दुकान पर रुकने को कहा। दोनों उतर गए। वे कुछ दुकानों में घूमे और उसने कुछ खरीदारी की।

जब वह अंदर थी, तो एक दुकान से परम बाहर आया और दो 'पोंडी (अश्लील) किताबें खरीदीं। दोनों कहानियाँ ज्यादा-प्रवेशों के रंगीन चित्रों वाली थीं (coloured illustration of multi penetration)। और बहू ने उसे किताबें खरीदते देखा। उसे नहीं पता था कि ये किस तरह की किताबें हैं। कुछ और खरीदारी के बाद बहू थक गई और बोली,

"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"



********.



समय मिलेगा तो आगे भी लिखूंगी.

तब तक के लिए शुक्रिया।

हो सके तो अपने मंतव्य देना।



।। जय भारत ।।
एक बहुत अच्छा अपडेट है । कहानी के अलग अलग मोड़ होते है अलग अलग सीन होते है आखिर जिंदगी ऐसे ही होती है । एक आम और खास इंसान की लाइफ ऐसे ही रोजमर्रा के कामो से आगे बढ़ती है और वही कहानी का हिस्सा बन जाते है । अब परम का अगला शिकार छोटी बहू है वह उसे तैयार करके सेठ जी को गिफ्ट करेगा बदले में उसे मोटा इनाम मिलेगा और फिर छोटी बहू भी । आगे देखना रोचक रहेगा ।
 
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