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जी बहोत बहोत शुक्रिया जी आपकाBhaut hee jabardast update hai… ab sab ek dusre ke sath puri khul gayin hai or koi bhi kabhi kisi ke sath shuru ho skta hai …
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जी बहोत बहोत शुक्रिया जी आपकाBhaut hee jabardast update hai… ab sab ek dusre ke sath puri khul gayin hai or koi bhi kabhi kisi ke sath shuru ho skta hai …
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बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मनमोहक मदमस्त अपडेट है मजा आ गया“देखो मैं हररोज तो नहीं आ पाऊँगी पर जब मौक़ा मिलेगा तुम्हारे इस लंड को शांत करने के लियी आ जाउंगी पर मुनीम को नहीं बताना की मैं तुमसे चुदवा रही हु, मैं मुनीम से कह दूंगी की मैंने उसके लिए चुतो का इंतज़ाम कर रखा है और वह जब भी चाहे तुम्हारी बीवी और बेटी की चूत भर सकता है, ठीक है!” उसने अपना और मुनीम का इंतज़ाम कर दिया और यह भी नहीं बताना चाहती थी की यह सब मुनीम की मंजूरी से हो रहा है। सब के मन में कुछ डर मुनीम का रखना चाहती थी। आखिर वह भी तो मुनीम से बहोत प्यार करती थी। “मुझे लगता है की तुम्हे यह सौदा मंजूर है!”
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अब आगे...................
अरे, कैसी बात कर रही हो! तुम कहो और मैं ना मानु कैसे हो सकता है! बस मुझे तेरी चूत और पिछवाड़ा में मजा लेने देना, जब समय मिले तब मेरे पास आ जाना या फिर जब मुनीम घर पर ना हो मुझे बुला लेना, मुझे तुम्हारा हर सौदा मंजूर है, रजनी और मेरी बेटी की चूत अब तुम चाहो तब इस्तेमाल कर सकती हो उसके लिए अब मेरी परमिशन की जरुरत नहीं होगी। यह बात मैं दोनों चुदासी को बता दूंगा और मेरी नौकरानी की चूत भी उपलब्ध होगी। वो क्या है की मुझे मुनीम से थोडा डर लगता है बाकि कुछ नहीं।“
सुंदरी ने टेबलेट की पट्टी ली, जब तक सुंदरी कपडे पहन रही थी तब तक वह उसके हर एक अंग को निहारता रहा। फिर सुंदरी ने कपड़े पहने और दोनों बाहर आये और उन्होंने देखा कि परम नग्न अवस्था में बैठा था और रजनी के साथ खेल रहा था वह अपनी उंगलियो से रजनी को चोद रहा था और रिंकू उसके बगल में नग्न अवस्था में बैठी थी। रिंकू परम के ढीले लंड को ऊपर निचे कर के खेल रही थी। फनलवर की प्रस्तुति।
“क्यों बेटा, रजनी की चूत पसंद आई!” आदमी ने पूछा।
“हा काका… आपकी बीबी रजनी और रिंकू दोनों ने बहुत मजा दिया। जम के चुदवाती थी।” परम ने कहा “और मेरी माँ सुंदरी ने पूरा मजा दिया की नहीं…? आप ने मम्मी को मजे से चोदा ना!”
“पूछ मत बेटा, इतना मजा जिंदगी में पहले कभी नहीं आया, तेरी माँ एक मस्त माल है जिसे जितनी बार चोदो कम ही लगता है।” आदमी ने कहा।
उसने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या वह उन्हें जूस और खाने का कुछ सामान नहीं देगी।
रजनी और रिंकू उठ गए, उन्हों ने कपडे पहन ने की तस्दी तक नहीं ली और नंगी ही किचन की ओर चल दी। सुंदरी अपने बेटे परम के पास बैठ गई। उसका मन अपने बेटे के लंड को सहलाने का हुआ लेकिन उसने अपने प्रलोभन का विरोध किया और उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुई। परम उठकर अंदर चला गया। आदमी ने दरवाज़ा खोला और यह उसकी बेटी सुधा थी जो महक को विनोद के साथ उसके घर पर छोड़कर लौटी थी। (आप लोगो को याद ही होगा।) फनलवर की पेशकश
वह कल्पना कर रही थी कि विनोद उसकी सहेली महक को कैसे चोद रहा होगा। वह पहले से ही गीली थी और अपने पिता को देखकर और भी उत्तेजित हो गई। वह अपने पिता से चुदने का प्रस्ताव रखना चाहती थी। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, उसने अपनी माँ और नौकरानी को नग्न अवस्था में सुंदरी को खाना परोसते हुए देखा। वह सोच रही थी कि परम कहाँ है, लेकिन उसके पिता ने उसे चौंका दिया। उसने उसे पीछे से पकड़ लिया और बेटी के एक बोबले को दबोच लिया।
“मैं पीछले एक साल से इस मौके के इंतज़ार में था कि लोग मेरी बेटी सुधा को अपने बाप से चुदते देखे!”
उसने उसकी फ्रॉक उसके शरीर से उतार दी और स्लिप और पैंटी भी नीचे सरका दी। अब सुधा नग्न थी और अपने स्तनों को ढकने की कोशिश कर रही थी।
“अपनी ही बेटी को चोदोगे!” रजनी ने कहा। "सुंदरी को दो-दो बार चोद कर लौड़ा ठंडा नहीं हुआ आपका जोइस बेचारी को नंगी कर दिया? उसका माल नजर आ रहा है।"
उसने अपनी धोती और बनियान उतार दी और अब अपना तना हुआ लंड अपनी बेटी के कूल्हों पर रगड़ने लगा।
“साली कुतिया रोज मुझे अपनी चूत दिखा कर तड़पाती थी, आज साली को चोदकर अपने बच्चे की माँ बनाउंगा।” उसने उसे चारपाई पर धकेल दिया, सुधा ने भी कोई विरोध नहीं किया।
रजनी ने कहा: “अरे बाप रे.....अब आपका बच्चा सुधा की कोंख में डालने का इरादा भी कर रखा है! गजब के बाप हो तुम। जाओ अन्दर जाके आराम से बेटी को चोदो, चाहिए तो रिंकू की मदद ले सकते हो।“ रजनी ने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वह खुश थी की बेटी अपने बाप से चुदेगी।
सुधाने कहा, “आपने ही तो रिंकू को मेरे सामने चोदकर सील फाड़ दिया था और रोज अपना लौड़ा दिखा कर रिंकू की चुदाई करते हैं।”
सुधा अपनी बात पूरी नहीं कर पाई और उसके पिता का लंड उसकी चूत में अपनी सफ़र के लिए चल दिया।
“रंडी तू तो पहले से ही चुदी हुई है।” बाप ने कहा।
“और कितना इंतज़ार करती, मैं रोज़ अपनी चूत को खुजलाती हूँ कि तुम चोदोगे लेकिन तुम्हें उस कुतिया रंडी रिंकू की ही चूत पसंद थी। मैं चाहती थी की घर का लंड मेरी चूत चोदेगा तो कोई जानेगा नहीं और मेरी चूत शांत रहेगी, तभी तो मैं रोज आपको चूत देखाती थी, पर आप ने कभी आपका लंड मेरी ओर लाये ही नहीं।” फनलवर रचित कहानी है।
अपने बाप के लंड को पूरी तरह निगलने के लिए उसने अपने पैर हवा में फैलाते हुए कहा। उसके बाप को अब पूरी जगह मिल गई थी और बाप का लंड बेटी की चूत को खुरेदने लगा। उसके धक्के कुछ शक्तिशाली था तो बेटी सहन नहीं कर पाई और जल्दी ही अपना चुतरस छोड़ दिया। जब वह ढीली हुई तो रजनी आआगे आके सुधा के पैरो को ऊपर उठाये पकडे रखा।
“अब लंड को शांत करने की जिम्मेदारी चूत की है बेटे। मार ने दे अब तेरे बाप को जितने धक्के मारने है। मैं पैर पकड़ती हु।“
लेकिन बाप का लंड कैसा था वह तो सुंदरी अच्छे से जानती थी उसकी चूत अब सूजी हुई पड़ी थी और उसने फिल किया की उसकी चूत अभी भी सुजन बढ़ा रही थी।
बाप और बेटी दोनों ने आपस में बातें कीं और सबने देखा कि बाप ने उसकी इकलौती बच्ची को 20 मिनट तक चोदा। वह पूरी तरह थक जाने पर ही उठा, हालाँकि उसका लंड अभी भी बेटी को और चोदने के लिए तैयार था। उसने अपना लंड बेटी की क्लिट पर रगड़ा और आखिरकार उसका वीर्यपात हो गया और उसने फिर से बेटी की चूत में लंड डाल दिया।
“ले बेटी, मेरी बेटी की माँ बन जा। जो बड़ी हो के मेरा लंड को शांत करे।”
रजनी को बुरा इसलिए नहीं लगा क्योंकि उसके पिता ने परम और सुंदरी समेत बाकी लोगों की मौजूदगी में अपनी ही बेटी को चोदा, बल्कि उसे इस बात का दुख था कि उसके पति को अभी भी एक बेटे की चाहत है और वह चाहता है कि उसकी बेटी उसके गर्भ में उसका बीज धारण करे, उसका फुग्गा फुले। वह जानती थी कि पिछले एक साल से उनकी नौकरानी को उसका पति नियमित रूप से चोद रहा था, लेकिन वह अपने पति से बच्चा पैदा नहीं कर पा रही थी। वह नौकरानी को पुडिया देके गर्भाधान से बचा रही थी।
सुंदरी ने पहले भी अपने पति मुनीम को अपनी बेटी महक को चोदते देखा था, लेकिन वह बिना किसी को देखे हुआ था और अब एक पिता चाहता था कि उसकी बेटी चार दर्शकों की मौजूदगी में गर्भवती हो, उसके मन में भी विचार आया की क्यों ना महक भी मुनीम का बच्चा रख ले। वह सुधा के पास गई और उसकी योनि को सहलाया और वह आदमी सुंदरी को सहलाने लगा।
“बेटी, बाप के बिज से बच्चा पैदा करना सब के नसीब में नहीं होता। तू तो काफी नसीबवाली है बेटी, जो तुझे आज अपने बाप का लंड से तुझे फुग्गेवाली बनाये जा रहा है।“ सुंदरी ने सब को उकसाते हुए कहा। रजनी भी अब कोई इरोध नहीं कर सकी। जब सुंदरी ने रजनी के सामने देखा तो वह मुस्कुराते हुए अपनी सम्मति जाता रही थी।
उसने सुंदरीके कपड़े उतार दिए और लगभग 15-20 मिनट बाद उसने तीसरी बार सुंदरी की सूजी हुई चूत में अपना लंड डाला। लेकिन वह थका हुआ था और उसे 5 मिनट से ज़्यादा नहीं चोद सका। उसने परम से पूछा कि क्या वह सुधा को चोदना नहीं चाहता, और परम ने जवाब दिया कि सुबह ही जब वह उन्हें बुलाने आई थी, तब उसने उसे चोदा था। सुधा ने आगे बताया कि परम ने उसकी चूत में पहला लंड डाला था। तभी सुंदरी ने एक इशारा किया तो उसने यह नहीं बताया कि सुंदरी के पति ने भी उसे चोदा है।
कुछ देर बाद सुंदरी और परम वहां से चले गए और करीब एक बजे वे अपने घर पहुंचे। महक ने दरवाज़ा खोला और जब वे अंदर दाखिल हुए तो उन्हें विनोद को अपने बिस्तर पर नग्न अवस्था में पड़ा हुआ देखकर बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ। कुछ दिन पहले ही महक ने साफ़ कर दिया था कि वह विनोद से शादी करना चाहती है और उससे चुदवाना चाहती है। उन्हें देखकर विनोद चौंक गया और उन्होंने अपना पायजामा पहन लिया। सुंदरी ने महक के एक पैर को थोडा फैलाया और देखा उसकी चूत विनोद और चूत के मिक्सचर को उगल रही थी और उसकी झांगो को गिला कर रही थी। सुंदरी ने महक की ओर देख के अपनी संतुष्टि जताई।
“विनोद अब तो तुमने महक का मजा ले लिया, अब तो उससे शादी नहीं करेगा!” सुंदरी ने कहा।
“कौन भोसडिका कहता है? अब तो मैं जरूर महक से शादी करुंगा। इससे अच्छी माल कोई नहीं है। मैं मां को बोलता हूं कि जल्दी से शादी करवा दे।” विनोद ने महक की गांड के छेद को सहलाया।
महक शरमा गई और दूसरे कमरे में चली गई। परम ने अपनी माँ से पूछा, “विनोद से चुदवाओगी।?”
“नहीं आज नहीं। बाद में, बहुत थक गयी हूँ।” सुंदरी ने कहा। वह कह नहीं सकी की अभी उसकी चूत सुजन से भरी पड़ी है, ठीक से मूत भी पाएगी की नहीं। उसे लग रहा था की यह मुनीमजी जैसा ही है, अच्छा हुआ गांड नहीं मरवाई। वह विनोद की ओर मुड़ी और बोली, "तू कल 10 बजे आ जाना, मैं तैयार रहूंगी।" उसने आगे कहा, "कल महक को कॉलेज भेज दूँगी तुम दोनों (विनोद और परम) साथ मिल के मेरे छेदों से मज़ा लेना।" विनोद खुशी-खुशी बाहर चला गया।
उसने साड़ी और ब्लाउज़ उतार दिया और अपने दोनों बच्चों के साथ आराम करने लगी। उसने बच्चों को अपने साथ प्यार से पेश आने दिया। उस दौरान उसने महक की चूत का अंदाजा लगा लिया की वह कितनी बार चुदी है। महक ने भी जान लिया की माँ काफी चुद के आई है उसकी चूत की सुजन ही बता रही थी। पर उसने उसका जिक्र नहीं किया।
लगभग एक घंटे बाद, परम दस्तक सुनकर दरवाज़ा खोलने के लिए बाहर गया और वहाँ पुष्पा थी जो उससे चुदाई करवाने के लिए उसके घर आने को तैयार हो गई थी। जब तक पुष्पा कमरे में दाखिल हुई, तब तक माँ और बेटी दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए थे। पुष्पा ने सोचा कि परम अकेला होगा, लेकिन वहाँ दो और थीं। वह उदास हो गई। परम ने सुंदरी और महक को बाहर बुलाया और उन्हें बताया कि पुष्पा क्यों आई है। फनलवर की प्रस्तुति।
सुंदरी मुस्कुराई, लेकिन महक बोली, "भैया तुम भी,...पहले बेटी (पूनम) को चोदा और अब उसकी माँ को।"
"बेटी, पूनम को कुछ भी बताना नहीं! मैं बस चुदवा के चली जाउंगी।"
“अरे आंटी, क्या बात करते हो आप की बात आप के साथ, उसकी बात उसके साथ, आप बेफिक्र हो के परम के लंड से खेले, मैं कुछ भी नहीं बताउंगी पूनम को। आप चिंता ना के और अपनी चूत आराम से भरा के जाइए।“
सुंदरी पुष्पा को बेड तक ले गई और जोर से धक्का लगा के पुष्पा के ऊपर चढ़ गई, पुष्पा ने कोई विरोध नहीं किया और उसने अपना घाघरा ऊपर कर दिया, जैसा की कोई महिला पेंटी में समजती ही नहीं सिवा उन 3 से 5 दिनों तक जब उनकी चूत छुट्टी पर होती है। और स्कुल-कोलेज के समय पर बाकी समय अन्दर से बिलकुल नंगी।
पुष्पा अभी भी महक की ओर देखती थी शायद अभी भी उसे विश्वास नहीं था जो महक ने बोला। यह बात महक के समज में आ गई उसने वही बात फिर से दौराही
"चिंता मत करो काकी, जो तुमने और माँ ने किया है वो मैं और पूनम पहले ही कई बार कर चुके हैं।" महक ने कहा। “आप निश्चिन्त रहे और अपनी मजा ले। चलिए अपनी चूत खोलिए, देखू भोस कैसी है।“ उसने पुष्पा को आश्वासन दिया।
सुंदरी ने भी कहा “अरे पुष्पा रानी जब चूत खोलनी ही है तो जी भर के खोल रानी, ऐसे डर के चूत खोलोगी तो ना तुम्हे मजा आयेगा ना तुम्हारी यह हसीन चूत को, चल आ बैठ और मुझे तेरा चूत का रस पिला जरा, देखू तो सही मेरे बेटे की सांस की चूत में कितना दम है और कैसा उसका स्वाद है।“ कह के उसने फिर से पुष्पा के पैर उठाये और अपना मुंह उसकी चूत पर ड़ाल के उसकी चूत को लोंक कर दिया।
पुष्प अभी भी महक को देखती थी और अपनी सिस्कारिया लेती थी। महक भी थोडा आगे आई और जोर से पुष्पा के स्तनों को मसला जिस से पुष्पा की सिसकारी और तेज हो गई।
“भाई की चोदी हुई जरा धीरे दबा।“ इस एक्शन से पुष्पा जरा खुली, उसका डर थोडा कम हुआ और उसने महक की स्तन की दीनटी को थोडा बाहर की ओर खिंचा और छोड़ा जिस से महक थोड़ी खिसक गई।
थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा अब महक ने रूम छोड़ दिया और अपनी माँ और आंटी को एक दुसरे की चूत के पानी का स्वाद लेने दिया।
थोड़ी देर के बाद पुष्पा और सुंदरी बिना कपड़ो ही बाहर आ गई और महक ने कुछ नाश्ता बनाया था तो नाश्ते को खाने को बैठ गई, और बाते करने लगी, खाते खाते ही दोनों ने अपने अपने ब्लाउज चढ़ा दिए थे।
पुष्पा ने कहा की वह थोड़ी ही देर के लिए आई हुई थी तो सब लोग वहा उसके घर चले। उन्होंने नाश्ता खत्म किया, तैयार हुए और सब साथ में घर से निकल पड़े। वे सब पुष्पा के घर पहुँचे। पुष्पा घर में ही रही और पूनम ने महक को पकड़ लिया और उससे साथ रहने का अनुरोध किया। उसने कहा कि शाम को वे दोनों सेठजी के घर चलेंगे। परम ने पूमा को देखा, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, पुष्पा का पति बाहर आ गया। सुंदरी ने अपना सिर ढक लिया और कहा, "प्रणाम भैया" और परम ने उनके पैर छुए। आखिर वह परम के होने वाले ससुर जो थे।
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आज के लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे यही पर तब तक के लिए शुभरात्री।
तब तक आपको ठीक लगे तो कोमेंट कर देना।
जय भारत.
Mastइसके बाद विनोद ने महक ने उसे पूरी तरह से संतुष्ट किया। उन्होंने दो घंटे से ज़्यादा समय तक मज़े किए और थकने के बाद विनोद ने कसम खाई कि वह महक से ही शादी करेगा और वह भी बहुत जल्द। यह महक की अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी, उसके पिता द्वारा की गई चुदाई से भी थोडा अलग, क्यों की वह प्रेमी था। विनोद के साथ चुदाई में कुछ खास बात है, शायद उसने सोचा होगा कि उसकी चूत में लंड के तेज़ झटके के साथ विनोद ने उसके शरीर पर प्यार की बारिश कर दी थी। दोनों सो गए और तभी उठे जब उन्होंने दरवाजे पर ज़ोरदार दस्तक सुनी।
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अब आगे...............
सुधा के घर पर उसके पिता ने दरवाजा खोला और वहाँ सबसे खूबसूरत और सेक्सी महिला सुंदरी को अपने बेटे परम के साथ खड़ा देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। उन्होंने उन्हें अंदर आने का रास्ता दिया। दोनों ने हाथ जोड़कर उन्हें शुभकामनाएँ दीं। वह सुंदरीके प्यारे चेहरे और सेक्सी शरीर से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रहे थे। वह लगभग 40 साल का था, उसके पति मुनीम जी से भारी और चौड़ा। हालाँकि सुंदरी ने उसे गाँव के विभिन्न समारोहों और प्रसंगों में कई बार देखा था, लेकिन उन्होंने कभी बात नहीं की। उसे याद नहीं था कि वह कभी उसके साथ होली खेलने आया था। इसके अलावा उसने उसे कभी आने भी नहीं दिया। अब तक किसी ने भी उसे होली पर दुलारने की कोशिश नहीं की थी।
अब, जब परम ने सुंदरी को बताया कि सुधा की माँ ने सुंदरी को क्यों बुलाया है, तो सुंदरी उसकी चुदाई की शक्ति को परखने के लिए उत्सुक हो गई थी। उसकी चूत में एक अजीब सी हलचल हो गई। उसने ऊपर घाघरे से ही अपनी चूत को थोडा मसला और अपने माल से कहा एक ओर नया लंड तुजे भेट करनेवाली हूँ,जरा जम के उस लंड का स्वागत करना डार्लिंग, और निचोड़ दे, जितना निचोड़ सके।
रजनी ने सुंदरी को गले लगाया और वह परम को देखकर मुस्कुराई। उसे याद आया कि कैसे परम ने उसकी चूत को चूस कर और चोद कर उसे खुश किया है, उसकी चुतरस को जम के निचोड़ दिया था। उन्होंने बातें कीं और खूब मिठाइयाँ खाईं और फिर रजनी ने अपने पति से कहा, जो कि वह अपनी आँखों से सुंदरी को पीने में व्यस्त था। फनलवर द्वारा रचित।
“जानते हो जी (सुधा के पिता), 2 दिन पहले परम यहाँ आया था और जबरदस्ती मुझे चोदना चाहता था।”
उसने परम की ओर देखा और परम को लगा कि उसका पति अब उसे मार डालेगा। लेकिन इससे पहले कि कोई प्रतिक्रिया देता, रजनीने आगे कहा,
“तो मैंने अपनी चूत को बचाने के लिए परम से कहा था कि अगर वो अपनी माँ, सुंदरी को तुमसे चुदवाएगा तो मैं भी चुदवा लूंगी।”
उसे और क्या चाहिए था, रजनी का पति उठ गया और रजनी ने कहा, "अब तुम बोलो सुंदरी को चोदना है कि नहीं!, हर रात चुदाई तो मेरी करते हो और बात इस हसीना की करते हो। वैसे पूरा भरा हुआ माल है जी जान से उस माल को थोडा ढीला करो और मैं अपना माल परम से ढीला करवा लेती हूँ।"
उसने सुंदरी का आँचल खींच लिया और उसके स्तन दबा दिए,
“अब लो ये सुंदरी खुद तुम्हारे घर अपना माल लेके चुदवाने आई है। चोद लो ऐसा मौका फिर कभी नहीं मिलेगा…!”
सुंदरी ने रजनी की ओर देखा और धीरे से कहा, “लेकिन बस एक बार।”
रजनी का पति परम के पास आया और बोला, “तुम्हारी माँ की एक बार चुदाई के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ… बेटा, तुम को रजनी, रिंकू और मेरी बेटी सुधा को जितना चोदना है चोदो …रोज चोदो…मैं एक बार सुंदरी को चोद लूंगा तो मेरी जिंदगी बन जायेगी और मेरा एक सपना पूरा हो जाएगा बेटे, और उसके बदले में मैं तुम्हे तीन चूत का तोहफा देता हु। जब चाहो तब अपना लंड उनके चूत में खाली करो। सुधा को अपने बच्चे की माँ बनाओ तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” फन;अवर द्वारा रचित कहानी।
परम ने माँ की ओर देखा, जो मुस्कुरा रही थी उसने माँ के इशारो को पढ़ लिया और कहा “जी अंकल बस, आपने कहा तो मेरी माँ का माल अब आपका हुआ जैसे चाहो अपना सपना पूरा कर लो लेकिन फिर कभी मेरी और रजनी, सुधा और रिंकू के बिच में ना आना। अब आपके सामने ही वह सब चुदेगी और आपको कोई एतराज नहीं होना चाहिए।“
अंकल ने कहा “ जी बेटे,मुझे तुम जो कह रहे हो सब मंजूर बेटे।“
अंकल ने रजनी को थोडा खींचा और परम की ओर धक्का दिया: “बेटे भर दे आज मेरी बीवी की चूत, रिंकू भी होगी, सुधा को भी जी भर के उसकी चूत में अपना लंड को खाली कर देना, मैं तुम्हे अब कभी भी मेरे घर में आने के लिए नहीं रोकूंगा और किसी को भी मेरे सामने चोदते हुए भी नहीं रोकूंगा।“
उसने सुंदरी को खींच लिया और शयनकक्ष में ले गया। और रजनी ने तुरंत अपने कपड़े उतार दिए। उसने अपनी जांघें खोल दीं और आवाज लगाई;
“बेटा चूत की आग बुझा दे…मेरा प्लान कामयाब रहा तेरे अंकल को तेरी माँ का माल देके हम सभी को तेरे लंड पर बैठने की अनुमति मिल गई, सुधा अब तेरा माल है जी भर के निचोड़ के रखना और जब चाहो तब यही पर। उसकी गांड बहोत प्यारी है, मस्त गांड में दाल के लंड की आग बुझाते रहना। पर तेरे इस माल का भी ख्याल रखना पड़ेगा। कही ऐसा ना हो की सुधा को चोदते रहो और मैं बस देखती रहू।”
हमेशा की तरह परम फर्श पर बैठ गया और अपना पसंदीदा काम शुरू कर दिया- “चूत चाटना”। परम ने खुब चूस-चूस कर रजनी को बेहाल कर दिया। वो कुल्हे उछाल-उछाल कर मजा ले रही थी और परम जांघों को दबा कर पूरी जीभ से चोद रही था, नाक को उसकी चूत के अंदर डालकर मजा ले रहा था और मजा दे रहा था।
उधर...........दुसरे कमरे में.........
कमरे में रजनी का पति बिस्तर पर बैठ गया और सुंदरी की ओर देखने लगा। वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतार रही थी। उसने साड़ी को मोड़ने में समय लिया और जब साड़ी उसके शरीर से उतर गई तो उसने अपने बोब्लो को आगे धकेल दिया। वह इस औरत, सुंदरी के सुडौल रूप को देखकर सम्मोहित हो गया था। शहर के दूसरे लोगों की तरह वह हमेशा सुंदरी को चखना चाहता था, पर उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका सपना कभी पूरा होगा। और अब अपने बेटे के रजनी (पत्नी) के प्रति लगाव के कारण वह उसके लिए खुल रही थी। सुंदरी ने धीरे-धीरे, एक-एक करके ब्लाउज के बटन खोले और उसे अपने बदन से उतार दिया। वह उसके सीने से सटे बड़े स्तन देखकर दंग रह गया। ये मुश्किल से ही नीचे झुके थे। उसे अपनी पत्नी की कॉलेज गर्ल जैसी छोटी चूचियाँ कभी पसंद नहीं आईं। उसे आश्चर्य हुआ कि परम ने उसकी पत्नी में क्या देखा, जब की उसकी अपनी माँ के बदन पर एक ऐश्वर्य लगा पड़ा हुआ है। अब सुंदरी सिर्फ़ एक पीले रंग का पेटीकोट पहने हुए थी। उसने अपनी उँगलियाँ गाँठ पर रखीं और बिस्तर पर बैठे आदमी की आँखों में देखा। उसे रजनी की कराह सुनाई दे रही थी। मैत्री की पेशकश।
“परम आपकी बीबी को चोद रहा है।” उसने धीरे से कहा।
लेकिन आदमी ने पलक तक नहीं झपकाई। वह देखता ही रहा। उसने तकिये के नीचे हाथ डाला और गोली की एक पट्टी निकाली। उसने एक गोली निकाली और उसे अपनी जीभ के नीचे रख लिया।
सुंदरी ने पूछा, "दवा की क्या ज़रूरत है! खड़ा नहीं होता क्या?" और उसने अचानक पेटीकोट का नाड़ा खींचा और वह उसके पैरों से गिर गया। उसने अपने पैर पीछे धकेले और कमर पर हाथ रखकर खड़ी हो गई,
"मेरी जवानी देखकर मुर्दे का लौड़ा भीख माँगने के लिए तैयार हो जाता है, फिर आप तो अभी जवान हैं।"
आदमी उसके शरीर से नज़रें हटाए बिना उठ गया। सुंदरी उसके पास गई। वह उसके पास खड़ी हो गई और उसने उसके स्तनों को दोनों हाथों से पकड़ लिया। उसने उन्हें कुछ मिनट तक धीरे से दबाया और फिर अपने हाथ नीचे की ओर ले गया। उसने सुंदरी के पेट और चूत के फाको को सहलाया। उसने बस उसे सहलाया और धीरे से उसे पलट दिया। उसने जल्दी से अपने कापड़े उतारे और नंगा हो गया।
“अब बोबले फिलहाल आपके ही है, कस के दबाना।“
उसने सुंदरी के जघन क्षेत्र को पकड़कर पीछे खींचा और सुंदरी को उसके नितंबों के बीच उसके लंड का कसाव महसूस हुआ। एक हाथ से उसे पकड़कर उस आदमी ने उसके स्तनों और चूत को अच्छी तरह सहलाया और फिर उसे बिस्तर पर धकेल दिया। वह पीठ के बल पलटी और लगभग 5 इंच लंबा लंड देखा। बिल्कुल सामान्य आकार का। उसने अपने पैरों से लंड को सहलाया और वह आदमी उसके ऊपर कूद पड़ा। उसने सुंदरीका कंधा पकड़ा और सुंदरी ने लंड को अपनी चूत की ओर ले गई। सुंदरीने अपने कूल्हे ऊपर उठाए और आदमी ने खुद को नीचे धकेला। लंड सुंदरी की गर्म रसीली चूत में बड़े आराम से खो गया।
“ओह… सुंदरी रानी, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं सुंदरी को चोद रहा हूँ। आह... तुम सच-मुच में बहुत सुंदर हो, अभी भी तुम किसी भी जवान लड़की को महात (हरा) सकती हो।”
जी आपका बहोत शुक्रिया, अब आप धक्के मरना चालू कीजिये, आपका लंड मेरी चूत में कही खो गया है, उसे बहार निकाल के फिर से अन्दर मेरी सुरंग में डाल दीजिये। यह माल चुदे बिना नहीं जाना चाहिए।“ सुंदरी ने उनके लंड को थोडा सहलाया और देखा की कहा तक अन्दर घुसा है।
सुंदरी ने उसे अपनी बाहों में ले लिया और लंड और चूत अपना अपना काम में मशगुल हो गए। मस्त फच्च फ़च्छ की आवाजे कमरे में गूंजने लगी थी जैसे बहार उस रूम में रजनी और परम के लंड और चूत एक दुसरे को हारने में मशगुल थे। अंकल ने अपनी मस्ती सुंदरी की चूत में से ले रहा था। दोनों ने खूब चुदाई की। और लगातार बिना रुके 30 मिनट तक सुंदरी की चूत की पिटाई करता रहा। सुंदरी उसकी वीर्य धारण शक्ति देखकर हैरान थी। 30 मिनट तक चोदने के बाद ही वह उसकी चूत में झड़ गया। और इस बिच सुंदरी की चूत ने 3 बार अपना रस त्याग दिया पर साला इसका लंड एक बार भी नहीं छुटा था, उसने उसे अपने शरीर पर कस लिया और जब उसकी साँसें वापस आईं, तो उसने उसे अपने शरीर से नीचे धकेल दिया। मैत्री की पेशकश।
“बापरे तुमने तो मेरा बदन तोड़ डाला, चूत तो बेहाल ही हो गई है। इतना लंबा समय तो मुनीम ने कभी नहीं चोदा। शायद उस गोली का कमाल है।”
उसने अपना सिर उठाया और दवा की वह पट्टी ले ली। उसने गिनती की, पट्टी में 8 गोलियाँ बची थीं। इसका मतलब है कि उसने पहले किसी और की चूत पर एक गोली इस्तेमाल की है।
“मेरे से पहले किसको चोदा आज?”
उसने चूमा, प्यार किया और कहा,
“ये टैबलेट मैंने खाना शुरू किया अपनी नौकरानी को चोदने के लिए…जब पहली बार कासी हुई चूत को चोदना था, तो वो बहुत कमसिन थी…लेकिन तुम्हारी चुदाई में जो मजा आया वो पहले कभी नहीं आया। छोटे माल को चोदने के लिए यह गोली बहोत काम की है।”
सुंदरी ने गोली के इस्तेमाल के बारे में पूछा तो उसने बताया कि जब कोई आदमी चुदाई से ठीक पहले एक गोली लेता है तो उसका लिंग 3 घंटे से ज़्यादा समय तक उत्तेजित रहता है। उसने कहा कि वह घंटों तक ऐसा कर सकता था, लेकिन वह उसकी चूत भरना चाहता था, इसलिए उसने खुद को उसकी चूत में ही स्खलित कर दिया। सुंदरी ने उसके लंड की तरफ देखा और उसे फिर से पूरे आकार में देखकर हैरान रह गई। उसने अपना मुँह घुमाया और लंड को मुँह में भर लिया। उसने 5-6 मिनट तक अपने मुख को चोदा और फिर से उस आदमी ने उसे अगले 30 मिनट तक लगातार चोदा, लेकिन इस बार उसका स्खलन नहीं हुआ। वह थक गया और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया। लेकिन सुंदरी का हाल बेहाल था वह लगभग इस दौरान ४ बार झड चुकी थी उसकी चूत में अब उतना पानी नहीं रहा वह थक गई थी, उसकी टाँगे अब चौड़ी नहीं रह पाती थी। उसे लगा की वह गांड इस लंड से नहीं मरवाएगी वरना बहोत चोद सकता है।
सुंदरी बेदम थी और अपनी जांघें चौड़ी करके सीधी लेटी हुई थी। आदमी ने अपनी एक जांघ उसके ऊपर रखी हुई थी और अब धीरे-धीरे उसके बोबले चूस रहा था।
"मुझे गोली दे सकते हो?" उसने पूछा। वह इसे विनोद और परम को एक के बाद एक चोदने के लिए देना चाहती थी, खुद को, बड़ी बहू को, महक को और दूसरों को…
आदमी ने उसे चूमा और कहा, “मुनीम को खिलाओगी… ले जाओ लेकिन बीच-बीच में आकर मुझे भी अपनी चूत का रस पिला देना!”
“रजनी और आपकी बेटी को मुनीमजी से चुदवाने दोगे?” सुंदरी ने पूछा। मैत्री की रचना।
"परम तो रजनी को चोद ही रहा है, वो मेरी बेटी सुधा को भी चोदेगा तो कोई बात नहीं। तुम्हारा मुनीम जिसको और जब चाहे चोद सकता है, तुमने मुझे खुश कर दिया, तो मुझे भी तुम्हारे घर के लौड़े का ख़याल रखना ही है, परम और मुनीम जब चाहे यहाँ आकर उनका लंड खली कर सकते है वैसे भी चूत का काम लंड को शांत करना ही तो है, पर मेरा लंड तेरी चूत में शांत होने देना।"
“देखो मैं हररोज तो नहीं आ पाऊँगी पर जब मौक़ा मिलेगा तुम्हारे इस लंड को शांत करने के लियी आ जाउंगी पर मुनीम को नहीं बताना की मैं तुमसे चुदवा रही हु, मैं मुनीम से कह दूंगी की मैंने उसके लिए चुतो का इंतज़ाम कर रखा है और वह जब भी चाहे तुम्हारी बीवी और बेटी की चूत भर सकता है, ठीक है!” उसने अपना और मुनीम का इंतज़ाम कर दिया और यह भी नहीं बताना चाहती थी की यह सब मुनीम की मंजूरी से हो रहा है। सब के मन में कुछ डर मुनीम का रखना चाहती थी। आखिर वह भी तो मुनीम से बहोत प्यार करती थी। “मुझे लगता है की तुम्हे यह सौदा मंजूर है!”
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आज के लिए बस इतना ही कल दुबारा मिलेंगे यही पर एक नए एपिसोड के साथ तब तक के लिए शुक्रिया।
जय भारत
Nice update“देखो मैं हररोज तो नहीं आ पाऊँगी पर जब मौक़ा मिलेगा तुम्हारे इस लंड को शांत करने के लियी आ जाउंगी पर मुनीम को नहीं बताना की मैं तुमसे चुदवा रही हु, मैं मुनीम से कह दूंगी की मैंने उसके लिए चुतो का इंतज़ाम कर रखा है और वह जब भी चाहे तुम्हारी बीवी और बेटी की चूत भर सकता है, ठीक है!” उसने अपना और मुनीम का इंतज़ाम कर दिया और यह भी नहीं बताना चाहती थी की यह सब मुनीम की मंजूरी से हो रहा है। सब के मन में कुछ डर मुनीम का रखना चाहती थी। आखिर वह भी तो मुनीम से बहोत प्यार करती थी। “मुझे लगता है की तुम्हे यह सौदा मंजूर है!”
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अब आगे...................
अरे, कैसी बात कर रही हो! तुम कहो और मैं ना मानु कैसे हो सकता है! बस मुझे तेरी चूत और पिछवाड़ा में मजा लेने देना, जब समय मिले तब मेरे पास आ जाना या फिर जब मुनीम घर पर ना हो मुझे बुला लेना, मुझे तुम्हारा हर सौदा मंजूर है, रजनी और मेरी बेटी की चूत अब तुम चाहो तब इस्तेमाल कर सकती हो उसके लिए अब मेरी परमिशन की जरुरत नहीं होगी। यह बात मैं दोनों चुदासी को बता दूंगा और मेरी नौकरानी की चूत भी उपलब्ध होगी। वो क्या है की मुझे मुनीम से थोडा डर लगता है बाकि कुछ नहीं।“
सुंदरी ने टेबलेट की पट्टी ली, जब तक सुंदरी कपडे पहन रही थी तब तक वह उसके हर एक अंग को निहारता रहा। फिर सुंदरी ने कपड़े पहने और दोनों बाहर आये और उन्होंने देखा कि परम नग्न अवस्था में बैठा था और रजनी के साथ खेल रहा था वह अपनी उंगलियो से रजनी को चोद रहा था और रिंकू उसके बगल में नग्न अवस्था में बैठी थी। रिंकू परम के ढीले लंड को ऊपर निचे कर के खेल रही थी। फनलवर की प्रस्तुति।
“क्यों बेटा, रजनी की चूत पसंद आई!” आदमी ने पूछा।
“हा काका… आपकी बीबी रजनी और रिंकू दोनों ने बहुत मजा दिया। जम के चुदवाती थी।” परम ने कहा “और मेरी माँ सुंदरी ने पूरा मजा दिया की नहीं…? आप ने मम्मी को मजे से चोदा ना!”
“पूछ मत बेटा, इतना मजा जिंदगी में पहले कभी नहीं आया, तेरी माँ एक मस्त माल है जिसे जितनी बार चोदो कम ही लगता है।” आदमी ने कहा।
उसने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या वह उन्हें जूस और खाने का कुछ सामान नहीं देगी।
रजनी और रिंकू उठ गए, उन्हों ने कपडे पहन ने की तस्दी तक नहीं ली और नंगी ही किचन की ओर चल दी। सुंदरी अपने बेटे परम के पास बैठ गई। उसका मन अपने बेटे के लंड को सहलाने का हुआ लेकिन उसने अपने प्रलोभन का विरोध किया और उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुई। परम उठकर अंदर चला गया। आदमी ने दरवाज़ा खोला और यह उसकी बेटी सुधा थी जो महक को विनोद के साथ उसके घर पर छोड़कर लौटी थी। (आप लोगो को याद ही होगा।) फनलवर की पेशकश
वह कल्पना कर रही थी कि विनोद उसकी सहेली महक को कैसे चोद रहा होगा। वह पहले से ही गीली थी और अपने पिता को देखकर और भी उत्तेजित हो गई। वह अपने पिता से चुदने का प्रस्ताव रखना चाहती थी। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, उसने अपनी माँ और नौकरानी को नग्न अवस्था में सुंदरी को खाना परोसते हुए देखा। वह सोच रही थी कि परम कहाँ है, लेकिन उसके पिता ने उसे चौंका दिया। उसने उसे पीछे से पकड़ लिया और बेटी के एक बोबले को दबोच लिया।
“मैं पीछले एक साल से इस मौके के इंतज़ार में था कि लोग मेरी बेटी सुधा को अपने बाप से चुदते देखे!”
उसने उसकी फ्रॉक उसके शरीर से उतार दी और स्लिप और पैंटी भी नीचे सरका दी। अब सुधा नग्न थी और अपने स्तनों को ढकने की कोशिश कर रही थी।
“अपनी ही बेटी को चोदोगे!” रजनी ने कहा। "सुंदरी को दो-दो बार चोद कर लौड़ा ठंडा नहीं हुआ आपका जोइस बेचारी को नंगी कर दिया? उसका माल नजर आ रहा है।"
उसने अपनी धोती और बनियान उतार दी और अब अपना तना हुआ लंड अपनी बेटी के कूल्हों पर रगड़ने लगा।
“साली कुतिया रोज मुझे अपनी चूत दिखा कर तड़पाती थी, आज साली को चोदकर अपने बच्चे की माँ बनाउंगा।” उसने उसे चारपाई पर धकेल दिया, सुधा ने भी कोई विरोध नहीं किया।
रजनी ने कहा: “अरे बाप रे.....अब आपका बच्चा सुधा की कोंख में डालने का इरादा भी कर रखा है! गजब के बाप हो तुम। जाओ अन्दर जाके आराम से बेटी को चोदो, चाहिए तो रिंकू की मदद ले सकते हो।“ रजनी ने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वह खुश थी की बेटी अपने बाप से चुदेगी।
सुधाने कहा, “आपने ही तो रिंकू को मेरे सामने चोदकर सील फाड़ दिया था और रोज अपना लौड़ा दिखा कर रिंकू की चुदाई करते हैं।”
सुधा अपनी बात पूरी नहीं कर पाई और उसके पिता का लंड उसकी चूत में अपनी सफ़र के लिए चल दिया।
“रंडी तू तो पहले से ही चुदी हुई है।” बाप ने कहा।
“और कितना इंतज़ार करती, मैं रोज़ अपनी चूत को खुजलाती हूँ कि तुम चोदोगे लेकिन तुम्हें उस कुतिया रंडी रिंकू की ही चूत पसंद थी। मैं चाहती थी की घर का लंड मेरी चूत चोदेगा तो कोई जानेगा नहीं और मेरी चूत शांत रहेगी, तभी तो मैं रोज आपको चूत देखाती थी, पर आप ने कभी आपका लंड मेरी ओर लाये ही नहीं।” फनलवर रचित कहानी है।
अपने बाप के लंड को पूरी तरह निगलने के लिए उसने अपने पैर हवा में फैलाते हुए कहा। उसके बाप को अब पूरी जगह मिल गई थी और बाप का लंड बेटी की चूत को खुरेदने लगा। उसके धक्के कुछ शक्तिशाली था तो बेटी सहन नहीं कर पाई और जल्दी ही अपना चुतरस छोड़ दिया। जब वह ढीली हुई तो रजनी आआगे आके सुधा के पैरो को ऊपर उठाये पकडे रखा।
“अब लंड को शांत करने की जिम्मेदारी चूत की है बेटे। मार ने दे अब तेरे बाप को जितने धक्के मारने है। मैं पैर पकड़ती हु।“
लेकिन बाप का लंड कैसा था वह तो सुंदरी अच्छे से जानती थी उसकी चूत अब सूजी हुई पड़ी थी और उसने फिल किया की उसकी चूत अभी भी सुजन बढ़ा रही थी।
बाप और बेटी दोनों ने आपस में बातें कीं और सबने देखा कि बाप ने उसकी इकलौती बच्ची को 20 मिनट तक चोदा। वह पूरी तरह थक जाने पर ही उठा, हालाँकि उसका लंड अभी भी बेटी को और चोदने के लिए तैयार था। उसने अपना लंड बेटी की क्लिट पर रगड़ा और आखिरकार उसका वीर्यपात हो गया और उसने फिर से बेटी की चूत में लंड डाल दिया।
“ले बेटी, मेरी बेटी की माँ बन जा। जो बड़ी हो के मेरा लंड को शांत करे।”
रजनी को बुरा इसलिए नहीं लगा क्योंकि उसके पिता ने परम और सुंदरी समेत बाकी लोगों की मौजूदगी में अपनी ही बेटी को चोदा, बल्कि उसे इस बात का दुख था कि उसके पति को अभी भी एक बेटे की चाहत है और वह चाहता है कि उसकी बेटी उसके गर्भ में उसका बीज धारण करे, उसका फुग्गा फुले। वह जानती थी कि पिछले एक साल से उनकी नौकरानी को उसका पति नियमित रूप से चोद रहा था, लेकिन वह अपने पति से बच्चा पैदा नहीं कर पा रही थी। वह नौकरानी को पुडिया देके गर्भाधान से बचा रही थी।
सुंदरी ने पहले भी अपने पति मुनीम को अपनी बेटी महक को चोदते देखा था, लेकिन वह बिना किसी को देखे हुआ था और अब एक पिता चाहता था कि उसकी बेटी चार दर्शकों की मौजूदगी में गर्भवती हो, उसके मन में भी विचार आया की क्यों ना महक भी मुनीम का बच्चा रख ले। वह सुधा के पास गई और उसकी योनि को सहलाया और वह आदमी सुंदरी को सहलाने लगा।
“बेटी, बाप के बिज से बच्चा पैदा करना सब के नसीब में नहीं होता। तू तो काफी नसीबवाली है बेटी, जो तुझे आज अपने बाप का लंड से तुझे फुग्गेवाली बनाये जा रहा है।“ सुंदरी ने सब को उकसाते हुए कहा। रजनी भी अब कोई इरोध नहीं कर सकी। जब सुंदरी ने रजनी के सामने देखा तो वह मुस्कुराते हुए अपनी सम्मति जाता रही थी।
उसने सुंदरीके कपड़े उतार दिए और लगभग 15-20 मिनट बाद उसने तीसरी बार सुंदरी की सूजी हुई चूत में अपना लंड डाला। लेकिन वह थका हुआ था और उसे 5 मिनट से ज़्यादा नहीं चोद सका। उसने परम से पूछा कि क्या वह सुधा को चोदना नहीं चाहता, और परम ने जवाब दिया कि सुबह ही जब वह उन्हें बुलाने आई थी, तब उसने उसे चोदा था। सुधा ने आगे बताया कि परम ने उसकी चूत में पहला लंड डाला था। तभी सुंदरी ने एक इशारा किया तो उसने यह नहीं बताया कि सुंदरी के पति ने भी उसे चोदा है।
कुछ देर बाद सुंदरी और परम वहां से चले गए और करीब एक बजे वे अपने घर पहुंचे। महक ने दरवाज़ा खोला और जब वे अंदर दाखिल हुए तो उन्हें विनोद को अपने बिस्तर पर नग्न अवस्था में पड़ा हुआ देखकर बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ। कुछ दिन पहले ही महक ने साफ़ कर दिया था कि वह विनोद से शादी करना चाहती है और उससे चुदवाना चाहती है। उन्हें देखकर विनोद चौंक गया और उन्होंने अपना पायजामा पहन लिया। सुंदरी ने महक के एक पैर को थोडा फैलाया और देखा उसकी चूत विनोद और चूत के मिक्सचर को उगल रही थी और उसकी झांगो को गिला कर रही थी। सुंदरी ने महक की ओर देख के अपनी संतुष्टि जताई।
“विनोद अब तो तुमने महक का मजा ले लिया, अब तो उससे शादी नहीं करेगा!” सुंदरी ने कहा।
“कौन भोसडिका कहता है? अब तो मैं जरूर महक से शादी करुंगा। इससे अच्छी माल कोई नहीं है। मैं मां को बोलता हूं कि जल्दी से शादी करवा दे।” विनोद ने महक की गांड के छेद को सहलाया।
महक शरमा गई और दूसरे कमरे में चली गई। परम ने अपनी माँ से पूछा, “विनोद से चुदवाओगी।?”
“नहीं आज नहीं। बाद में, बहुत थक गयी हूँ।” सुंदरी ने कहा। वह कह नहीं सकी की अभी उसकी चूत सुजन से भरी पड़ी है, ठीक से मूत भी पाएगी की नहीं। उसे लग रहा था की यह मुनीमजी जैसा ही है, अच्छा हुआ गांड नहीं मरवाई। वह विनोद की ओर मुड़ी और बोली, "तू कल 10 बजे आ जाना, मैं तैयार रहूंगी।" उसने आगे कहा, "कल महक को कॉलेज भेज दूँगी तुम दोनों (विनोद और परम) साथ मिल के मेरे छेदों से मज़ा लेना।" विनोद खुशी-खुशी बाहर चला गया।
उसने साड़ी और ब्लाउज़ उतार दिया और अपने दोनों बच्चों के साथ आराम करने लगी। उसने बच्चों को अपने साथ प्यार से पेश आने दिया। उस दौरान उसने महक की चूत का अंदाजा लगा लिया की वह कितनी बार चुदी है। महक ने भी जान लिया की माँ काफी चुद के आई है उसकी चूत की सुजन ही बता रही थी। पर उसने उसका जिक्र नहीं किया।
लगभग एक घंटे बाद, परम दस्तक सुनकर दरवाज़ा खोलने के लिए बाहर गया और वहाँ पुष्पा थी जो उससे चुदाई करवाने के लिए उसके घर आने को तैयार हो गई थी। जब तक पुष्पा कमरे में दाखिल हुई, तब तक माँ और बेटी दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए थे। पुष्पा ने सोचा कि परम अकेला होगा, लेकिन वहाँ दो और थीं। वह उदास हो गई। परम ने सुंदरी और महक को बाहर बुलाया और उन्हें बताया कि पुष्पा क्यों आई है। फनलवर की प्रस्तुति।
सुंदरी मुस्कुराई, लेकिन महक बोली, "भैया तुम भी,...पहले बेटी (पूनम) को चोदा और अब उसकी माँ को।"
"बेटी, पूनम को कुछ भी बताना नहीं! मैं बस चुदवा के चली जाउंगी।"
“अरे आंटी, क्या बात करते हो आप की बात आप के साथ, उसकी बात उसके साथ, आप बेफिक्र हो के परम के लंड से खेले, मैं कुछ भी नहीं बताउंगी पूनम को। आप चिंता ना के और अपनी चूत आराम से भरा के जाइए।“
सुंदरी पुष्पा को बेड तक ले गई और जोर से धक्का लगा के पुष्पा के ऊपर चढ़ गई, पुष्पा ने कोई विरोध नहीं किया और उसने अपना घाघरा ऊपर कर दिया, जैसा की कोई महिला पेंटी में समजती ही नहीं सिवा उन 3 से 5 दिनों तक जब उनकी चूत छुट्टी पर होती है। और स्कुल-कोलेज के समय पर बाकी समय अन्दर से बिलकुल नंगी।
पुष्पा अभी भी महक की ओर देखती थी शायद अभी भी उसे विश्वास नहीं था जो महक ने बोला। यह बात महक के समज में आ गई उसने वही बात फिर से दौराही
"चिंता मत करो काकी, जो तुमने और माँ ने किया है वो मैं और पूनम पहले ही कई बार कर चुके हैं।" महक ने कहा। “आप निश्चिन्त रहे और अपनी मजा ले। चलिए अपनी चूत खोलिए, देखू भोस कैसी है।“ उसने पुष्पा को आश्वासन दिया।
सुंदरी ने भी कहा “अरे पुष्पा रानी जब चूत खोलनी ही है तो जी भर के खोल रानी, ऐसे डर के चूत खोलोगी तो ना तुम्हे मजा आयेगा ना तुम्हारी यह हसीन चूत को, चल आ बैठ और मुझे तेरा चूत का रस पिला जरा, देखू तो सही मेरे बेटे की सांस की चूत में कितना दम है और कैसा उसका स्वाद है।“ कह के उसने फिर से पुष्पा के पैर उठाये और अपना मुंह उसकी चूत पर ड़ाल के उसकी चूत को लोंक कर दिया।
पुष्प अभी भी महक को देखती थी और अपनी सिस्कारिया लेती थी। महक भी थोडा आगे आई और जोर से पुष्पा के स्तनों को मसला जिस से पुष्पा की सिसकारी और तेज हो गई।
“भाई की चोदी हुई जरा धीरे दबा।“ इस एक्शन से पुष्पा जरा खुली, उसका डर थोडा कम हुआ और उसने महक की स्तन की दीनटी को थोडा बाहर की ओर खिंचा और छोड़ा जिस से महक थोड़ी खिसक गई।
थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा अब महक ने रूम छोड़ दिया और अपनी माँ और आंटी को एक दुसरे की चूत के पानी का स्वाद लेने दिया।
थोड़ी देर के बाद पुष्पा और सुंदरी बिना कपड़ो ही बाहर आ गई और महक ने कुछ नाश्ता बनाया था तो नाश्ते को खाने को बैठ गई, और बाते करने लगी, खाते खाते ही दोनों ने अपने अपने ब्लाउज चढ़ा दिए थे।
पुष्पा ने कहा की वह थोड़ी ही देर के लिए आई हुई थी तो सब लोग वहा उसके घर चले। उन्होंने नाश्ता खत्म किया, तैयार हुए और सब साथ में घर से निकल पड़े। वे सब पुष्पा के घर पहुँचे। पुष्पा घर में ही रही और पूनम ने महक को पकड़ लिया और उससे साथ रहने का अनुरोध किया। उसने कहा कि शाम को वे दोनों सेठजी के घर चलेंगे। परम ने पूमा को देखा, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, पुष्पा का पति बाहर आ गया। सुंदरी ने अपना सिर ढक लिया और कहा, "प्रणाम भैया" और परम ने उनके पैर छुए। आखिर वह परम के होने वाले ससुर जो थे।
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आज के लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे यही पर तब तक के लिए शुभरात्री।
तब तक आपको ठीक लगे तो कोमेंट कर देना।
जय भारत.
पुष्पा ने कहा की वह थोड़ी ही देर के लिए आई हुई थी तो सब लोग वहा उसके घर चले। उन्होंने नाश्ता खत्म किया, तैयार हुए और सब साथ में घर से निकल पड़े। वे सब पुष्पा के घर पहुँचे। पुष्पा घर में ही रही और पूनम ने महक को पकड़ लिया और उससे साथ रहने का अनुरोध किया। उसने कहा कि शाम को वे दोनों सेठजी के घर चलेंगे। परम ने पूमा को देखा, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, पुष्पा का पति बाहर आ गया। सुंदरी ने अपना सिर ढक लिया और कहा, "प्रणाम भैया" और परम ने उनके पैर छुए। आखिर वह परम के होने वाले ससुर जो थे।
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अब आगे.................
कुछ बातचीत के बाद परम और सुंदरी ने रिक्शा लिया और सेठजी के घर पहुँच गए। सेठजी के बेटे अभी तक नहीं लौटे थे। सेठजी भी घर पर थे। उन्होंने परम को बहुत सारा काम सौंपा और जब तक परम ने सारा काम पूरा किया, रात के खाने का समय हो गया। उन्होंने खाना खाया और पिछली रात की तरह सुंदरी और परम सेठजी के घर रुके। शाम को महक पूनम और उसकी बहन के साथ आई थीं। वहाँ और भी दोस्त थे। रेखा के साथ समय बिताने के बाद,
महक, पूनम के साथ उसके घर गई और खाना खाने के बाद पूनम, महक के साथ उसके घर गई। हालाँकि घर पर कोई पुरुष नहीं था, फिर भी दोनों रात भर सो नहीं पाईं। उन्हें परम के बिस्तर के नीचे दो किताबें मिलीं और दोनों ने उनके पन्ने पलटने का आनंद लिया। उन्होंने ज़ोर-ज़ोर से कहानियाँ पढ़ीं और एक-दूसरे के साथ वैसे ही आनंद लिया जैसे पहली बार लिया हो। उसके बाद मुनीम ने अपनी बेटी महक की मौजूदगी में पूनम का कौमार्य भंग किया। दोनों लड़कियाँ तस्वीरें देखकर खुश हो गईं, जिनकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। फनलवर की रचना।
पूनम: महक, ऐसा हो सकता है क्या?
महक: "क्या?"
पूनम - "यहीं सब।" पूनम अपनी कसी हुई चूत में महक की उंगली करने का आनंद ले रही थी “उसने किताबें फेंक दीं और कहा कि चूत के लिए बस परम और मुनीम जी जैसा मस्त लौड़ा चाहिए।”
महक ने पूनम की चूत में तीन-तीन उंगली एक साथ घुसते हुए कहा, "कुटिया चुदवाती होगी तभी तो ये फोटो है। देख चुदक्कड क्या आराम से पेलवा रही है।"
“तो क्या हुआ…मैं जब तेरा बाप और परम का मोटा लम्बा लंड अपनी चूत में ले सकती हूँ तो साला इसका लंड क्या है! वो तो आराम से चूत में घुस जाएगा।” पूनम ने अपनी चूची को मसलते हुए कहा।
“तू मरवायेगी इस से?” महक ने पूछा।
“ना बाबा ना… मुझे तो बस मुनीम काका का ही लंड चाहिए। काका क एल्न्द से मेरी चूत कब की हार कर फ़िदा हो गई है।” पूनम ने कहा।
लेकिन महक को इस बात पे उस पर गुस्सा आ गया था, वह मुनीम के लंड को सिर्फ और सिर्फ उसकी चूत के लिए है ऐसा वह मानती थी। वह उसके बाप का बच्चा भी रखना चाहती थी। हलाकि वह परम और वह अनजान सेठ के लंड को अपनी चूत में समा चुकी थी पर वह अभी भी अपने बाप का वह मोटा सुपारा....की सोच मात्र से उसकी चूत बह जाती थी। फिर भी वह अपने बाप को नयी-नयी चुतो को सप्लाय भी करना चाहती थी क्योकि उसकी माँ अगर दुसरे लंड को खा सकती थी तो उसका बाप क्यों नहीं। हलाकि सभी लोगो से एक बात तो तय थी की महक अब उसके बाप की रखैल थी। उसे यह भी पता था की जब सुंदरी को यह बात का पता चला तो उसका मुंह ख़राब हो गया था लेकिन उसने ना मन से स्वीकार भी था। वह दोनों माँ-बेटी मुनीम को किसी और के साथ नहीं सहन कर पा रही थी। सुंदरी के लिए उसका पति ही प्रथम प्रेम था और महक के लिए उसके बाप का लंड ही सर्वोपरी था। वही सोच से ही बाप का लंड उसकी चूत को फाडेगा की सोच से वह और कामुक हो गई।
अब महक ने पूनम की जांघों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया था और जोर जोर से चूत को मसल रही थी।
“सच बता, तुझे परम का लंड ज्यादा पसंद है कि मेरे बाप का।”
“मालूम नहीं…जब तेरा बाप चोदता है तो बहुत मजा आता है, फाड़ कर रख देता है, दो दिन तक चुदवाने का नाम नहीं लेती मेरी चूत, सूज के बड़ी रोटी जैसी बन जाती है। लेकिन परम के साथ चोदने में भी बहुत मजा आया था,लेकिन मुझे दोनों में तेरा बाप का सुपारा बहुत पसंद है।” पूनम ने कहा।
“साली, मेरे बाप को ज्यादा मत निचोड़ना! उस पर मेरा अधिकार भी है। बस सही समय की राह देख रहि हूँ।” महक को पसंद तो नही आया पर कुछ कर ना भी नहीं कह सकती थी।
महक ने अपनी सहेली को खूब डांटा और फिर दोनों 2-3 बार एक-दुसरे को झड के सुबह तक सोये रहे।
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सेठाजी के घर पर परम के लिए सेट बैक था। रेखा, बड़ी बहू और सुंदरी ने मासिक धर्म के पहले दिन में प्रवेश किया। इसलिए चुदाई के लिए केवल छोटी बहू और सेठानी ही उपलब्ध थीं। रात के खाने के बाद जब सब बातें कर रहे थे तो सोने से पहले सेठानी ने चिंता व्यक्त की कि उसके दोनों बेटे अभी तक वापस नहीं आये हैं।
बड़ी बहू ने जवाब दिया..
“चिंता क्यों करती है! माँजी, दोनों किसी वेश्या के साथ कोठे पर मस्ती मार रहे होंगे!”
सुंदरी और सेठजी हँसे लेकिन सेठानी को बुरा लगा, उसने टिप्पणी की, "वो दोनों तुम बहुओं का कितना ख्याल रखते हो और तुम उन्हें बदनाम कर रही हो!"
“कितना ख्याल रखता है वे सिर्फ हम दोनों जानते हैं।” छोटी बहू ने कहा और अपने कमरे में चली गई।
सुंदरी, सेठजी और सेठानी के साथ उनके कमरे में चली गई। और कुछ देर बाद लीला परम के पास आई और दोनों ने तब तक चुदाई की जब तक वे फिर से उत्तेजित नहीं हो गए। फनलवर की रचना।
“परम, तू ही मेरा पति है…। हर बार मुझे खुश कर देता है।”
“भाभी, जिस दिन मैंने आपको पहली बार प्यार किया था, उस दिन कहा था ना,” परम ने बहू को गले लगाया और कहा: “मैं आपका जनम-जनम का गुलाम हूं।” उसने लीला को अपने कमरे में जाने को कहा। वह उठी और वहां खड़ी सेठानी का सामना किया।
“साली, खुद तो छिनार है, मेरी बेटो को रंडीबाज बोलती है! मादरचोद, यहाँ अपनी माँ चुदवा रही थी क्या!” सेठानी ने बहू को गाली दी।
लीला सास के पास आई और सेठानी के ढीले लेकिन काफ़ी बड़े स्तन दबाते हुए बोली, “माँजी, परम बहुत मस्त चुदाई करता है…आपकी सूखी हुई चूत को फिर से रसीला कर देगा। मेरी माँ को भी चुदवा लुंगी अगर अवसर मिला तो लेकिन सांस को चुदवा सकती हूँ अभी।” लीला ने परम को संबोधित करते हुए कहा,
“राजा, इस कुतिया को चोद कर अपनी बना दे!” उसने सास को परम की ओर धकेला।
परमने सेठानी को गले लगाते हुए कहा, "लीला भाभी, सेठानी जी मेरी पहली औरत है, पहली माल है।"
“माँ ही जब रंडी होगी, छिनाल होगी तो बेटा रंडीबाज बनेगा ही…और वो रेखा भी जरूर सबसे से चुदवाती होगी।” लीला ने कहा और देखा कि परम ने सेठानी को नंगा कर दिया है।
“साला, एक नंबर का जादूगर है ये सुंदरी का बेटा।” लीला अपने कमरे में चली गई, “किसिको भी पटा लेता है। साला मस्त भोस की पैदाश है।”
छोटी बहू बड़बड़ाती हुई अपने कमरे में चली गई। सेठाजी को अपने बिस्तर पर देखकर उसे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। वह उसकी बाहों में समा गई और दोनों ने रात भर खूब मस्ती की। परम ने सेठानी को जी भर के चोदा। सेठानी भी खुश हो कर काफी बार उसकी चूत रस छोड़-छोड़ कर आराम से परम के ऊपर पड़ी थी।
इधर सुंदरी भी सेठजी के साथ में थी हालाकि उसकी चूत भी लिक कर रही थी, पर सेठजी ने उसे खूब मसला।
“सेठजी अभी सेठानी आ जायेगी।”
“तो क्या? डरो मत वह परम के साथ होगी,मुझे पता है, मेरी बहु के साथ होगी, अपना मजा वह खुद ले लगी।“ उसने सुंदरी के स्तन को अपने मुंह में भरते हुए कहा। फनलवर की पेशकश।
सुंदरी ने भी अपना स्तन को पकडे हुए निपल चूसाते हुए बोली: ”वह सब तो ठीक है लेकिन आप को पता है ना आज मेरी चूत लीकेज में है। इसलिए आपके लंड को कोई आराम की जगह नहीं है!” और उनके लंड को हाथ में ले के खेलने लगी।
“सुंदरी, मुनीम कुछ बोलता तो नहीं ना!” सेठजी ने निपल को छोड़ा।
“नही सेठजी, लेकिन हम एक दुसरे से इस तरह की बाते नहीं करते। और नाही परम और महक से। आप की बहु को मुनीम चोदा यह नहीं मुझे नहीं पता पर मेरा उसको नहीं पता।“ सुंदरी ने दूसरा स्तन की निपल को थोडा खिंचा और सेठजी के मुंह के आगे रख दिया।
“चलो, अच्छी बात है तुम सब एक दुसरे को नहीं बताते सब जानते हुए भी!” इतना कह के उसने सुंदरी का घाघरा निचे कर दिया, उसने देखा की सेठानी की पेंटी वह पहने हुए थी। उसने अपना हाथ पीछे ले जाके एक ऊँगली सुंदरी गांड में पिरो दी। एक हलकी सी सिसकारी सुंदरी के मुंह से निकली और अपने पैरो को थोडा खोला और अपने दुसरे हाथ से अपने कुल्हे को थोडा खिंचा ताकि ऊँगली अपने मार्ग पर आगे बढे।
बस इस तरह सेठजी ने उसकी गांड अपनी ऊँगली से मारते रहे और रात भर अपने लंड का माल से सुंदरी का पेट भरते रहे।
सुबह-सुबह सुंदरी उठ गई और वह सेठजी के कमरे से बाहर आई सब से पहले उसने बहु के रूम के पास गई। सुंदरी ने दरवाज़ा खटखटाया और नंगी सेठानी ने दरवाजा खोला जहा परम नंगा अपनी झंगो के बिच लंड लटकता हुआ सोया हुआ था।
उसने सेठानी से कहा सेठानी आपका काम रातभर हो चुका होगा शायद, आपकी चूत से अभी भी परम का आशीर्वाद टपक रहा है।”
उसने सेठानी की चूत के फाको पर हाथ रखते हुए बोला था। उसकी उंगलियों पर परम और सेठानी का मिश्र रस आके चिपक गया जो उसने बड़े आराम से अपनी ऊँगली को चाट लिया, और थोडा सेठानी के मुंह में रख दिया जो उसने भी बड़े आराम से चाट लिया और ऊपर से उसकी चूत में ऊँगली डाल के फिर से मिश्र रस को लिया और चाट गई।
“सुंदरी तेरे बेटे का रस बहोत बढ़िया है।“ सेठानी ने सुंदरी की गांड को दबय्ते हुए कहा।
“जानती हु सेठानिजी, और आपका स्वाद भी मस्त है तभी तो मैंने आपकी चूत से टपक रहा परम का माल भी चाट लिया।“ सेठानी ने सुंदरी बोल्स को दबाया और कहा “मुझे तेरा स्वाद चखने का मौक़ा कब दे रही है?”
“आपका तो माल है सेठानिजी जब चाहे मेरे पैरो को खोल के अपना मुंह अन्दर डाल दीजिये।“
“सेठ ने कुछ किया!”
सुंदरी मुस्कुराई और बोली:”पूरी रात गांड मारते रहे अपनी उंगलियों से।“
उसने जोड़ते हुए कहा: “अगर अब आपका काम हो गया हो तो आप अपने कमरे में वापस चले जाएँ, इससे पहले कि कोई मेहमान आप लोगो को एक साथ देख न ले।“
सेठानी की चुदाई के बाद, परम रेखा के कमरे में गया, लेकिन चूमने और सहलाने के बाद उसने उसे वापस भेज दिया।
जब वहा,पूनम और महक ने ज़बरदस्त लेस्बियन सेक्स के बाद अच्छी नींद ली।
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आज के लिए बस इतना ही। हो सके तो अपनी राय देना ना भूले, बाकी आपकी मर्जी।
फनलवर का
जय भारत