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Satish Gautam

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Shukriya dost aapko manoranjan mila. Khushi hui.

जी बिल्कुल ऐसी लड़की सिर्फ कहानी में मिलती है वास्तव में नहीं। क्यों कोई भी आदमी अपने घर में ऐसी लड़की पसंद नहीं करता। अब जैसा उसका घर है वैसे ही दूसरे का घर है, और वहां भी वही पसंद, नापसंद है। तो इस्तरा समाज का नियम बन गया होगा।
Chutiya samaaj
 

Satish Gautam

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K
“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“



बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।

******

अब आगे

“मस्त लोडा है पापा आपका तभी मम्मी (सुंदरी) कही किसी से नहीं चुद्वाती।“

“मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता बेटी, अगर तुम.....मेरे लंड का ध्यान रखो तो सुदरी को मैं मुक्त कर दूंगा।“

“मुक्त???? मतलब क्या है आपका पप्पा?”

“अरे बेटी, ऐसा कुछ नहीं जो तुमने समजा। मुक्त मतलब वह जहा चाहे जिस से चाहे चुदवा सकती है, हो सकता है मेरे सामने भी...”

“ओह्ह्ह तब तो ठीक है बाबूजी....लेकिन अभी नहीं...समय आने पर सब...हो.....गा...!”

महक ने मुनीम के लंड पर हाथ तो रखा फिर तुरंत अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा “आज तो बाबूजी ने मस्त चूत का मजा ले लिया अब और क्या चाहिए!! हो सकेगा तो मैं और चूत का बंदोबस्त कर दूंगी, लेकिन मैं अभी फिलहाल नहीं।“

“अरे बेटा, अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो तुम जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।“

“कर क्यों नहीं सकती बाबूजी! जरुर कर सकती हु और करुँगी भी, आखिर मेरे पापा के लंड को माल की कमी महसूस तो नहीं होनी चाहिए।“

“बेटे, अब तुम ही एक ऐसा माल हो, जिसको भी मिल जाए वह दुसरे माल की इच्छा ना रखे।“

बाबूजी, मस्का मारना तो बस, कोई आप से सीखे।“ उसकी नजर अभी भी बाबूजी के लंड पर थी।

महक ने मशकरी करते हुए आगे बोली:“और यह बाबूजी का प्यारा सा नन्हा सा खिलौना भी बहोत मस्का मारता होगा।“

पूनम बस इन दोनों की बाते सुनती रही।

पूनम को लगा की महक अगर उसके माल को दिखा दे तो मुनीम यानी की उसके पापा का लंड उसकी चूत में पूरा नहीं तो टहलने को तो चला जायगा। वैसे भी इस दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं जो उसके आँखों के सामने एक नन्ही सी चूत हो अरु उसका लंड खड़ा न हो और उस चूत के सैर करने को तैयार ना हो। फिर वह चाहे बाप हो या भाई। मर्द तो पहले मर्द है बाद में भाई-बाप या फिर मोई और रिश्तेदार। बस एक चूत के होल पर ही मर्द की दुनिया टिकी हुई होती है। छुट तैयार तो लंड किसी का भी हो खड़ा हो के छुट मारने को बेताब हो ही जाता है। उसे अपने माल पर गर्व हुआ। भगवान् तेरा बहोत बहोत धन्यवाद की मुझे चूत दी है, उस माल के जरिये मैं बहोत लंडो को उनके पेंट में ही झाड सकती हु।

“बस, बेटी, अब बस कर मुझे अब निचे तकलीफ हो रही है। मैं ज्यादा सहन नहीं कर पाऊंगा।“ महक भी तो वही चाहती थी। वह अपने बाप के सुपारे पे अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार थी। वह अब उस सुपारे को अपने अन्दर समाना चाहती थी। शायद अगर पूनम ना होती तो......अबतक यह सुपारा उसके अन्दर होता। और लंड को पूरा का पूरा खाली कर देती।

“अरे पापा अब उसे क्यों तंग कर रहे हो, पूनम का माल का उद्घाटन तो आपने कर ही दिया। उसकी परी को अब खूब लंड लेने के लिए मुक्त कर दिया।“ महक अपने बाबूजी को ज्यादा से ज्यादा उकसाने के प्रयास में थी। वह चाहती थी की एक बार फिर से पूनम की चूत की खबर अपने पापा का लंड से ले ली जाए। और वह यही प्रयास में थी की मुनीम बस एक बार फिर से पूनम की चूत में अपना लंड खाली कर दे। आये मौके को गवाना नहीं चाहिए।

मुनीम भी एक मौके की तलाश में था की पूनम थोडा सा आगे पीछे जाए तो महक को दबोच ले। वैसे भी वह थोडा डर रहा था। और अगर महक को गुस्सा आ गया तो पूनम को फिर से उसके लोडे के निचे आने नहीं देगी। और यह भी हो सकता है की आगे जाके जो महक ने कहा की वह नयी चूत का बंदोबस्त करेगी वह भी नहीं करेगी। नुकशान उसीका होगा। वह बड़े संयम के साथ वही खड़ा रहा। वैसे वह भी चाहता था की उसका लंड खड़ा रहे। लेकिन पूनम के जाने के राह देख रहा था। मुनीम के लिए हर एक पल एक दिनके बराबर होता जा रहा था।

उधर महक अपने निशाने को खली नहीं जाने दे रही थी, वह बार बार बाप को उक्साके उसका लंड खड़ा रखने की कोशिश में थी। हलाकि वह खुद भी अब इतनी गरम हो चुकी थी की अगर पूनम वह ना होती तो अच्छा था किवः अपने बाप को लुट लेती। उसके सुपारे को चूस देती। उसको अब परम से ज्यादा अपने बाप का लंड से प्रेम हो गया था। वह सोच थी की जो दर्द पूनम को हुआ वैसा ही दर्द मुनीम का लंड अपनी चूत में समा के वही दर्द को महसूस करना चाहती थी। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है



एक तरीके से यह ट्राएंगल सा बन गया था। पूनम चाहती थी की उसके सामने महक के बाप का लंड महक की चूत को रोंद डाले जैसे उसकी चूत का हाल हुआ। तो दूसरी तरफ महक चाहती थी की पूनम अब जाए तो वह अपने बाप के लंड पर बैठ जाए। तो मुनीम का तो ठिकाना ही नहीं था वह तो दोनों को साथ में चोदना चाहता था लेकिन सब से पहले महक की चूत को मारना चाहता था ताकि उसके लिए बाकी सभी रस्ते खुल जाए और घर में ही एक जवान चूत का मजा मिल सके और वह भी कभी भी। तीनो अपनी अपनी सोच में डूबे थे।


बने रहिये और इस एपिसोड के लिए अपनी राय, मंतव्य दे................
Kon maitri
Kon neeta
 

Satish Gautam

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चलिए अब आगे बढ़ते है...................


उसके बाद मुनीम ने वह सब बताया जो उसे बताना चाहिए था। मतलब की सेठजी का ऑफर, उन्होंने मुनीम को सेठानी को और मौक़ा मिले तो रेखा को और उसकी बहुओ को चोदने के सम्मति दे दी है। यह एक प्रकार का अच्छा सौदा है। उसने यह नहीं बताया की उसका और सेठजी का गांड और मुंह का भी रिश्ता बन चूका है।


“यह सौदा आपके लिए अच्छा है मेरे लिए क्या सिर्फ सेठजी का लंड???” मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।

“तो तुम क्या चाहती हो? क्या चाहिए तुम्हे यह भी बता दो?” मुनीम को कैसे भी कर के सुंदरी का सौदा करना था और उसे फ्री करना था ताकि महक की चूत की लालसा उसके मन में थी।

चलो एक बार मैं मान भी लू की सेठजी से मैं चुदवा लू पर फिर क्या? और उसके बाद मुझे और लोगो से भी चुदवाने का मन करे तो…” सुंदरी ने अपना पत्ता फेंका।

लेकिन बाद में उसे लगा की कुछ ज्यादा हो गया है यह सब छुट धीरे धीरे लेनी थी तो उसने अपनी बात टालने के लिए कहा:” आप समजदार हो और जानते भिहो की एक बार औरत ल्न्द्खोर हो जाती है और खास कर अपने पति से छुट पा के तो उसको ज्यादा लंड की जरुरत महसूस होती है। अभी तो मैं तैयार नहीं हु लेकिन आगे जा के सब कुछ हो सकता है, आप को पूरा सोच लेना चाहिए फिर बाद में कुछ भी हो सकता है, और फिर आप मेरी जान ही ले लोगे, डर लगता है ऐसी बाते सोच कर भी।“

देखो रानि ऐसा कुछ होगा नहीं अगर तुम्हे और लंड की जरुरत पड़ेगी तो मुझे कह देना मैं तुम्हारी भोस के बारे में सोचूंगा या फिर अच्छे लंड का बंदोबस्त कर दूंगा ताकि हम खुश रह सके और हां मैं तो तुम्हे चोदुंगा ही।“ मुनीम ने समजाते हुए कहा

“और अपने गाव में सब जानते है की गाव की कोई भी औरत या लड़की बिना चुदवाये कहा रही है, फिर वह तेरी माँ हो या मेरी सब जानते है लेकिंघर की बात घर में कोई कुछ बोलता नहीं, होगी तुम्हारे जैसी कुछ औरते जो अपना माल दूसरो को नहीं देती, अब सौदा कर सकते है, वैसे भी गाव में तुम से ज्यादा अच्छा माल किसी के पास नहीं है, अगर हम चाहे तो यही माल का अच्छे से इस्तमाल करके अपनी पिछली जिंदगी जो सुधर सकते है।“

“यानी की मुजे वेश्या तक बना डालने का प्लान है तुम्हारा? सुंदरी मन ही मन खुश होती हुई। “ हां मैं सब जानती हु मेरी माँ बाहें और सभी के बारे में और तुम्हारी माँ और बाकि लोगो के बारे में भी पर मैंने कभी यह नहीं सोचा था की मुझे वेश्या बन के जीना पड़ेगा।“

“देखो सुंदरी, तुम बात को समजो, यह एक सौदा होगा जिसमे तुम्हार अमाल बेचेंगे और आमदनी होगी लेकिन इस से भी ज्यादा मुझे खिशी है की तुम्हारी चूत को भोसड़ा बन ने का भ मौक़ा मिलेगा बिना रोक टोक तुम चुदवा सकती हो।”

सुनकर सुंदरी काफी खुश हुई और मुस्कुराती हुई बोली: “और कुछ कहना है मेरे पतिदेव?”
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।

यह सवाल मुनीम को अचंबित कर गया और डर के मारे उसने आज का अकस्मात् के बारे में बता दिया की उसने पूनम की चूत को चख के मस्त औरत बना दिया है। हालाकि उसने महक के बारे में कम ही बताया।

“तुमको जब और जिस से चुदवाने का मन करे लेकिन आज रात पूनम को मेरे लंड के नीचे ले आओ..”

अब मुनीम अपनी पत्नी की उपस्थिति में पूनम का आनंद लेना चाहता था।

“क्या… ? तुम पागल हो गए हो....?” वह लगभग चिल्लाई।

वह खुश थी कि अब वह सेठ वगैरह से चुदाई करेगी लेकिन उसने सोचा भी नहीं था कि बदले में उसका इतना मासूम पति अपनी ही बेटी की सहेली को चोदना चाहेगा। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि मुनीम ने बेटी को लगभग चोद ही दिया है।

“वो तुम्हारी बेटी के बराबर है…” सुंदरी ने सिर्फ कहने को कहा।

मुनीम ने बात काटते हुए कहा, “जबसे साली को देखा है मेरा लंड उसकी चूत में घुसने के लिए बेकार है… आज तो मैं उसको चोदूंगा ही… पहले मैं उसकी मां को चोदना चाहता था लेकिन जब तुमसे शादी हुई तो मैं उसको भूल गया.. लेकिन आज पूनम को अपने घर में देख कर मेरा लंड उसकी चूत फाड़ने को तरस रहा है…।”

“तो मुझे चोद कर लंड ठंडा कर लो…मई तो हमेशा के लिए तुम्हारी हूँ।” कहते हुए सुन्दरी ने मुनीम का लंड लूंगी के बाहर निकल कर सहलाने लगी।

“साली क्या मैंने गुनाह किया की तुम को अपने मन की बात बताई? आज तो लंड सच में फूला हुआ है.. उस कुतिया को चोदने के लिए.. मेरी चूत के लिए तो इतना टाइट कभी नहीं हुआ”

सुंदरी ने लंड को कस कर भींच लिया और बोली उसकी चूत तो तुमको नहीं मिलेगी। मुझे ही चोद कर मजा ले लो..” वह भी अब मुनीम की मजा ले रही थी।

सुंदरी ने लंड रिलीज कर दिया और सोचा कि मुनीम उसके ऊपर चढ़ कर चूत में लंड घुसेगा लेकिन मुनीम यह कहता हुए की “सेठ से जल्दी चुदवाओ” उल्टा घूम कर आँखे बंद कर लिया। सुंदरी भी सोने का प्रयास करने लगी।

फिर सुंदरी ने उसके कान में कहा की “मुझे पता है की तुम महक की चूत के पीछे भी पड़े हो।“

मुनीम भी अब मूत गया। “क्या....... साली तुम क्या बक रही हो तुम्हे पता भी है? वह मेरी बेटी है मेरे लंड की पैदाश।“

तो क्या हुआ! चूत तो चूत होती है चाहे किसी की भी हो। यह मुझे मेरी सांस ने कहा था याद है न जब वह मुझे मेरे ससुर से चुदवाने पे तुली हुई थी। और तुम यह भी जानते हो की तुम्हारी ही बहन उसके बाप का लंड ले के माँ बनी हुई है।“

“हा....हा...पता है फिर भी वह मेरी बच्ची है...!” उसने अपनी बात तो कही पर अपनी लालसा छुपा नही सका।

सुंदरी ने मुनीम के सिर पर हाथ घुमाते हुए कहा महक भी लड़की है और उसकी भी चूत है और वह भी चोदने के लायक है पर अभी नहीं समजे! समय को आने दो, मुझे कोई एतराज़ नहीं होगा बहोत सी लडकिया अपने बाप से चुदती है यह गाव ह इन्यारा और अनोखा है और घर में सब चलता है।“

मुनीम खुश हो गया और बोला: “कब समय आएगा सुंदरी?”
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।


********


बने रहिये मेरे साथ और जानेंगे कुछ नया इस कहानी के अगले एपिसोड में।

आशा है की आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा।


उम्मीद रख सकती हु न??? आपके कोमेंट की???????
Jab past ki baat aati hai toh kuch jhalak de diya karo
Please
Jaise Usha ka past bataya tha
Aur ab sundari ka mayka aur sasural ka past
Waise abhi bhi kuch nhi bigda
Jyada nhi 2-3 update mein past ko abhi bhi dikha sakti ho.
Isse sabhi characters ka thoda preview mil jata hai
 

Funlover

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बिल्कुल सही कहा इंतेज़ार है छोटी बहू के साथ परम की मस्ती का !
Ji update de diya hai..... Have fun...
 

ayush01111

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बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…

******


अब आगे...........


“बापरे…कितना मोटा है!” बहू फुसफुसाई लेकिन पढ़ना जारी रखा। परम ने सुपारा थोड़ा बाहर निकला और इस बार जोर से धक्का मारा।


“आहहहहहहहह…… चूतिये,थोड़ा धीरे से…।” उसका व्यवहार ऐसा था की उसे कुछ मालूम नहीं की उसकी चूत के साथ क्या हो रहा है, वह कहानी पढने में मशगुल रही। मैत्री द्वारा लिखी गई

परम लंड को बाहर लाकर जोर-जोर से धक्का मारता रहा और 4-5 धक्के में लंड पूरा अन्दर घुस गया। परम कुलहो को पकड़ कर धक्का लगा रहा था और बहु कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थी। परम आराम से लेकिन जोर लगा कर चोद रहा था।

बहु चुदाई का मजा भी ले रही थी और किताब भी पढ़ रही थी। बीच-बीच में 'आह्ह्ह्ह...' 'ओह्ह्ह्ह....' कर रही थी। कुछ देर की चुदाई के बाद परम ने लंड को पूरा बाहर निकाल लिया और एक झटके में बहू को पलट दिया और जल्दी से बहू की जांघों को पकड़ कर चूत में लंड पेल कर धक्का मारने लगा। कहानी जारी रखने की बहुत कोशिश की लेकिन परम ने किताब छीन ली और नीचे फेंक दी।

“तेरी माँ की चूत, साली, मादरचोद, मैं चोद रहा हूँ और तू किताब पढ़ रही है! चुदक्कड मेरे लंड का मजा ले।”

परम ने दोनो निपल को पकड कर धना-धन चोदने लगा। बहू को चुदाई में मजा आने लगा था। जब परम ने उसकी चूत को चाटा तो बहू को अच्छा लगा था, वह चाहती थी की वह ऐसा करता रहे, उसकी गांड को चाटता रहे। और जब परम का लंड चूत में घुस रहा था तो बहू ने महसूस किया कि उसके पति का लंड परम के लंड छोटा और पतला है। बहू ने परम को अपनी बाहों में भर लिया और कमर उछाल-उछाल कर परम के धक्के का जवाब देने लगी।

थोड़ी देर के बाद,अचानक बहू को लगा कि खून बहुत तेज हो गया है, गर्मी बढ़ गई है, जांघें टाइट हो गई हैं और बहुत टाइट हो गया है। बहू आँख भींच कर चुदाई का लुत्फ़ उठाती है। उसने परम को अपनी जांघों में क्रॉस कर लिया और किस करने लगी। परम को लगा की बहू अब झरने बाली है। परम ने लंड पूरा चूत के एंट्री तक लाया और कुछ रुक कर खूब जोर से धक्का मारा।

“आहहहह……माँ....मर……गईईईईईईईईईईईईई....रे.....। वह गिर गई उसकी चूत ने उसका साथ छोड़ दिया था और अपना चुतरस बहा रही थी और उसने अपने हाथ और पैर दोनों तरफ ढीले कर दिए। तभी उसे गर्म तरल पदार्थ का अहसास हुआ। परम भी झड़ गया था और बहू के शरीर पर ढीला हो गया था। …

*******

“तुने तेरा माल मेरी चूत में डाल दिया है! मैंने कोई सावधानी नहीं ली है…कहीं प्रेग्नेंट हो गई तो!”

“तो क्या, तुम मेरे बच्चे की माँ बन जाओगी।” परम ने उत्तर दिया।
मैत्री और नीता की पेशकश

कुछ देर तक दोनों शांत रहे।

“परम, मेरी चूत पसंद आइ?

"भाभी, सच बहुत मजा आया। बहुत टाइट और हॉट है,तुम एक अच्छा माल हो, और तुम्हारे पास मस्त माल है।" परम ने कहा। मुझे लगता है कि मैं इस बिल्ली (चूत) का दिवाना बनने बाला हूं।”

परम ने चुत को एक गहरा चुम्बन दिया। सिर्फ चूत नहीं,भाभी, मैं तुम्हारा गुलाम बनने बाला हूं। मालूम नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि हम दोनो बस एक दूसरे के लिए ही बने हैं और मिले हैं। तुम्हारी गांड में भी बहोत दम है, मतलब एकदम टाईट, स्वाद तो मेरे मुंह में अभी भी है और शायद दूसरी बार तुम्हारी गांड के छेद तक पहुचुन्गा तब तक रहेगा।” उसने गांड के मुख पर अपनी एक ऊँगली फेराते हुए कहा। और जैसा की हर महिला को अपनी सुन्दरता की प्रशंसा अच्छी लगती है बस उसी तरह बहु को भी परम का बोलना अच्छा लगता था।

“कल रात जब तुमने मुझसे कहा कि ससुरजी मुझे चोदना चाहते हैं तभी मैं समझ गई कि सेठजी नहीं तू मुझे चोदना चाहता है।”

यह बात परम के लिए एक बम फटने वाला धड़का था।

बहु ने उसके बालों को सहलाया और कहा, 'तेरा भैया को मुझसे ज्यादा वेश्या को, रखैलो को चोदने में मजा आता है। वो वेश्या को चोदते हैं लेकिन मुझे प्यार नहीं करते। जानते हो, कल रात को मेरी चुदाई करते हुए कहा कि मैं उसे तेरी माँ सुंदरी को चोदने के लिए तैयार करु!”

'साला बेबकूफ है, तेरे जैसी मस्त माल को छोड़ कर दो-दो जवान बच्चों की मां की चूत के लिए मरता है। तू मेरी पत्नी होती तो मैं तुम्हें रात दिन चोदता। और कही इधर उधर मुंह नहीं मारता।“

“अच्छा! चल छोड़, मस्का बहोत हो गया।” बहू ने उसे चूमा और पूछा, “फिर चोदेगा ना। रेखा के चक्कर में मुझे भूल तो नहीं जाएगा ना!” उसे बताया गया था कि रेखा और परम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसकी ननद परम से ज्यादा प्यार करती है।
मैत्री और नीता की प्रस्तुति

उसने सोचा कि परम ने बहू के बारे में सेठजी की सोच के बारे में जो कुछ भी कहा था, वह सब झूठ था। उसने ऐसी सारी बातें सिर्फ उसे बहकाने के लिए कही थीं। वह स्पष्टीकरण चाहती थी, "सच बोल मदचोद, तूने जो ससुरजी के बारे में जो बोला था वो सब झूठ था ना! सिर्फ मुझे चोदने के बहाने थे ना? मेरी चूत तक पहुचेने के लिए ये सब किया था!"

परम बहु के शरीर से अलग हो गया और चूमते हुए बोला,

“भाभी, अपनी प्यारी माँ की कसम सेठजी तुमहे, अपनी छोटी बहू को चोदना चाहते है। हाँ यह अलग बात है की मैंने कुछ मसाले के साथ कहा था ताकि तुम उत्तेजित हो और मेरे लंड को एक अच्छा माल मिले। जुट नहीं बोलूँगा। ” परम ने चूची को मसला और बोला '

सेठजी बगल के कमरे में ही होंगे। रानी सेठजी से चुदवा ले।“ अब उसे कोई परेशानी नहीं थी की बहु को सेठजी चोदे और उसने जो प्रोमिस किया था वह काम तो करना ही था।

बहु भी उठ बैठी, वह अपनी जाँघें क्रॉस करना चाहती थी लेकिन परम ने उसे दोनों जाँघें चौड़ी करके बैठा दिया।

'बहुत प्यारी चूत है, देखने दो, अब उसे मुज से छुपाना नहीं है रानी। अब वह मेरे लंड के लिए है, और हाँ अब मैं तुम्हे चोदता रहूँगा और तू मुज से चुदती रहेगी।'

“खाली चूत का मजा लिया, बोबला तो तुमने देखा ही नहीं!”

“भाभी,अभी तो एक बार और चोदूंगा पूरा नंगा कर के और तब बोबे का मजा लूंगा।” बोलते हुए परम आगे आया और एक ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। बहू ने सफ़ेद ब्रा पहना था, उसने खुद ही ब्रा का हुक खोल दिया और उसे अपने शरीर से अलग कर दिया। उसने अपने स्तनों को तोला और पूछा "उपरी माल कैसा है?”

परमने बहू की अपनी ओर खींच और आराम से चुची दबते हुए बोला, “भाभी आज अच्छा मौका है,सेठजी से चुदवालो।”

“छि…कोई ससुर से चुदवाती है क्या!”

'तुम कहां हो भाभी? लोग अपनी मां को चोद डालते हैं, बाप अपनी बेटी की चुदाई करता है!'

“हां रे, मै जो किताब पढ़ रही थी, उसमें भी बाप अपनी बेटी को पटा कर चोदता है।”

“भाभी किसी को पता नहीं चलेगा, जो चाहो सेठजी से मांग लो,जो मांगोगी सब देंगे, बस तू तैयार हो जा, मैं सेठजी को बुलाकर लाता हूं।”

“नहीं परम, नहीं… तू फिर से मुझे चोद डाल लेकिन ससुरजी को मत बुला, मैं उनके सामने मेरा माल नहीं दिखा सकती, मैं शर्म से मर जाऊँगी, किसी को पता चलेगा तो क्या होगा, हम दोनो को मरना पड़ेगा…। तू ही चोद दिया कर मुझे, मेरे माल को जैसा चाहे उपयोग किया कर, लेकिन ससुरजी को मत बुला, मैं उनसे ठीक से चुदवा नहीं पाउंगी।”

बहू ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “तेरा लंड बहुत मस्त है… तू कलकत्ता आ जा, तेरे भैया भी तुझे पसंद करते हैं। और जब तक मैं यहाँ हु दिन-रात मुझे चोदना, जैसा मन करे मुझे चोदते रहना, मेरी गांड भी खा जाना बस, मैंने मेरी गांड भी तेरे लंड के लिए छोड़ दी पर वो सब मत कर, ससुरजी......न...ही...।“

परम की छठी इंद्रिय ने बताया कि उसे अधिकतम आनंद और शांति केवल इस लीला भाभी के साथ ही मिल सकती है। वह इस पर विचार करेगा लेकिन अब वह अपने सेठजी को खुश करना चाहता था। कुछ पैसे बनाना चाहता था, सेठ से ही,सेठ की ही बहु का सौदा करने जा रहा था और वह भी सेठजी से ही।

“भाभी तू बेकार डरती है, किसी को कुछ मालुम नहीं पड़नेवाला है, ना तुम बोलोगी, ना मैं, ना ही सेठजी।”

परम ने चूत को सहलाया और कहा, “सोच ले सेठजी से क्या माँगना है, मैं उन्हें बुला कर लाता हूँ, तू नंगी ही बैठी रहना।” वैसे लीला अपने ससुरजी से चुदवाने को तैयार थी पर जताना नहीं चाहती थी।




********************.
आशा है की आपको आज का यह एपिसोड पसंद आया होगा

कल फिर कुछ नया लेके आपके सामने उपस्थित हो जाउंगी तब तक के लिए अआप अपने कोमेंट देते रहे


। जय भारत
Mujhe to param ki hone wali dulahn ko chudte hue dekhna hai par ahirf param no one elase
 

Satish Gautam

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वाऊ, अब तक का सब से बेहतरीन कोम्नेट है।



सब से पहले तो आप मेरा धन्यवाद स्वीकारे।

मुझे बहोत अच्चा लगा की आपने अब तक की कहानी बहोत ध्यान से पढ़ी। और मुझे आनंद हुआ की मेरी लिखावट आप को पसंद आई। उसके लिए आपका बहोत बहोत धन्यवाद मित्र।

आपने अपने कुछ सुझाव दिए है, उसके बारे में अगर बात करे तो मैं बहोत ही संक्षिप्त में कहना चाहूंगी।


1 मेरी कहानी बहोत फ़ास्ट जा रही है। कहानी के किरदार को सही मौक़ा नहीं मिल रहा।

जी आप से कुछ हद तक सहमत हूँ दोस्त। यह कहानी बहोत लम्बी है। पूरा गाँव शयद इस कहानी में आ जायेगा यह अभी सिर्फ पहला चेप्टर चल रहा है और शायद यह चेप्टर ख़तम करते हुए मुझे कम से कम 250K वर्ड्स तक जाना पड़ेगा। उसके बाद कितना सपोर्ट मिलता है और आगे की इंतेजारी है तो आगे भी लिखूंगी। अगर मैं हर पात्र को लम्बाई से पेश करुँगी तो पता नहीं यह कहानी कब ख़तम होगी। दूसरी बात यह है की, हाँ लिखने में काफी दिक्कत की वजह से और जल्दी से अपडेट देने की वजह से शायद ऐसा हो सकता है की कुछ पात्रो को सही तरीके से न्याय ना दे पाती होगी। कोशिश करुँगी आगे से की सभी पात्रो को कुछ्ना कुछ लम्बाई मिले। जी, शायद हां मैं थोड़ी फ़ास्ट जाने की वजह से कुछ घटनाओ को थोड़े में निपटा देती हूँ। आपका यह सुझाव आगे कहानी में उपयोग कर के उचित न्याय देने का संपूर्ण प्रयास करुँगी। लेकिन ऐसी अश्लीलता से भरपूर कहानी लिखने में खुद को कंट्रोल भी तो करना पड़ता है। आप समजदार है

2 “आपके हिसाब से सुंदरी जो अभी तक बच्चे होने तक पतिव्रता थी............चुदाई बहोत आसानी से हो रही है.......

नहीं ऐसा नहीं है अगर आप परम और सुंदरी के संवाद पढेंगे तो उसमे जिक्र किया है की वह अब तक पांच लंड ले चुकी है, लेकिन शादी के पहले.....परम ने बार बार पूछा पर सुंदरी ने अभी तक बताया नहीं है..........हो सकता है की यह झूठ हो या सही मुझे भी पता नहीं की सुंदरी कब क्या कैसे क्यों करेगी!!! और कब अपना सस्पेंस खोलेगी

हाँ यहाँ सेक्सुअल पार्ट बहोत जल्दी हो रहा है, ख़ास सिद्युस नहीं करना पड़ता.............मेरे ध्यान में यही है की यह पूरा गाँव ही ऐसा है.....यहाँ सब कुछ नार्मल है जो हमारे लिए असामान्य है। शायद इसकी वजह यही है, फिर भी कोशिश करुँगी। विनोद को अभी आप साइड हीरो समज के चलिए, कहानी के प्लाट के बारे में अभी तो मैं नहीं बता सकती पर जैसे जैसे आप आगे पढेंगे जानेंगे।



परम हीरो है और आगे बहोत कुछ होनेवाला है उसके साथ और सुंदरी भी शायद कितनी शामिल हो रही है, पता नहीं।

धन्यवाद आपका की आपको सेठजी के साथ वाली चुदाई का विवरण अच्छा लगा। सेठजी बस कुछ एपिसोड तक हमारे साथ जुड़े रहेंगे। यह सिर्फ सुंदरी को इस दुनिया में आगे जाने के स्टेप्स समज सकते है। उसी तरह परम के लिए भी ऐसा ही हो। यहाँ तक मैंने जताने का प्रयास किया है की सुंदरी के लिए मुनीम ही बेस्ट है वह सिर्फ मुनीम से दिल से प्रेम करती है और किसी को नहीं पर कामुकता से वह कुछ भी करना चाहती है, हवा में उड़ना चाहती है।

आगे और भी पात्रो आयेंगे जो आपको मजेदार लगेंगे, बस आप कहानी के साथ जुड़े रहिये। यही विनती है, क्यों की अभी आगे प्लाट के बारे में बता दूंगी तो शायद पढने में उतनी दिलचश्पी नहीं रहेगी। माफ़ करना।

सुंदरी के बारे में जितना प्लॉट्स दिए है वह आगे शामिल कर के आपको पता चल जायेगा की आपके सभी सुझावों को मैंने न्याय देने की कोशिश की है। हो सकता है सभी ना हो और एक साथ ना हो, धीरे धीरे लिखूंगी और शामिल कर दूंगी। तरिका अलग हो सकता है।

मैं ज्यादातर संवादों से जितना चाहती हु पर कभी कभी वर्णन भी उतना ही आकर्षक बनाने की कोशिश में रहती हूँ, जैसा की मैंने “
श्रुष्टि की वृत्ति” और “तीनो की संमती” और “सम्बन्ध एसा भी होता है” (संवादों पर ही टिकी हुई है) में किया हुआ है। अभी और एक कहानी चल रही है “लुइ के पन्ने” उसमे आपको कुछ नयी लिखावट का अनुभव हो सकता है। कहानी लिखते वक्त का मूड और बहोत कुछ रीजन से लिखा जाता है। मैं पेशेवर लेखिका नहीं हूँ दोस्त। सिर्फ शौक से लिखती हु।

बाकी आपने जो लिखा है, परम के बिना जानकारी से विनोद,और कुछ सब की मिलावट कर दूंगी आगे, लेकिन धीरे धीरे।

मैं समय मिलने पर मालती का कामुक संसार पढूंगी। उसमे से कुछ मिलेगा आगे के लिए।


अब इस कहानी की लम्बाई की बात करे तो इसे बहोत बड़ी लम्बाई देने का प्रयास करुँगी और भरपूर अश्लीलता की मिलावट करुँगी।

आपका बहोत शुक्रिया दोस्त और आगे भी ऐसे ही कोमेंट देके मुझे बेहतर करने की अपोर्चुनिटी प्रदान करते रहे।

आशा है की आगे की कहानी आपको पसंद आएगी।


जुड़े रहिये इस कहानी मे ............
1. Likhne Wale ka ye haal hai toh padhne wale ka kya hoga.
Isiliye jab aapko padhta hu toh lund wife ke muh mein hi rakhta hu

2. Aage kisi update mein aapne likha ki sundari 8 lund le chuki hai (Aisa wo Usha se batati hai).
Clear kijiye 5 ya 8
Aur thoda sa flashback toh dikha dijiye
Please
 

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
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Aaye Haye, Sharma gayi kya .
Phone kaat di, mammi aa gayi kya.
Kya aaye haye????
Kaun sharama gaya?
Kaun ya kis phone ki bat kar rahe ho?

Kis ki mammy aur kais mammy?????
Lagta hai kisi aur ke liye comment tha jo galati se yaha likh diya.

Agar aisa hai to galati sudhar lo.
Yaha to sir kahani related hi comment karte hai sab.
Kahani padhiye aur maja lijiye..... Wahi tak rahe.....
 
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