बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…
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अब आगे...........
“बापरे…कितना मोटा है!” बहू फुसफुसाई लेकिन पढ़ना जारी रखा। परम ने सुपारा थोड़ा बाहर निकला और इस बार जोर से धक्का मारा।
“आहहहहहहहह…… चूतिये,थोड़ा धीरे से…।” उसका व्यवहार ऐसा था की उसे कुछ मालूम नहीं की उसकी चूत के साथ क्या हो रहा है, वह कहानी पढने में मशगुल रही। मैत्री द्वारा लिखी गई।
परम लंड को बाहर लाकर जोर-जोर से धक्का मारता रहा और 4-5 धक्के में लंड पूरा अन्दर घुस गया। परम कुलहो को पकड़ कर धक्का लगा रहा था और बहु कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थी। परम आराम से लेकिन जोर लगा कर चोद रहा था।
बहु चुदाई का मजा भी ले रही थी और किताब भी पढ़ रही थी। बीच-बीच में 'आह्ह्ह्ह...' 'ओह्ह्ह्ह....' कर रही थी। कुछ देर की चुदाई के बाद परम ने लंड को पूरा बाहर निकाल लिया और एक झटके में बहू को पलट दिया और जल्दी से बहू की जांघों को पकड़ कर चूत में लंड पेल कर धक्का मारने लगा। कहानी जारी रखने की बहुत कोशिश की लेकिन परम ने किताब छीन ली और नीचे फेंक दी।
“तेरी माँ की चूत, साली, मादरचोद, मैं चोद रहा हूँ और तू किताब पढ़ रही है! चुदक्कड मेरे लंड का मजा ले।”
परम ने दोनो निपल को पकड कर धना-धन चोदने लगा। बहू को चुदाई में मजा आने लगा था। जब परम ने उसकी चूत को चाटा तो बहू को अच्छा लगा था, वह चाहती थी की वह ऐसा करता रहे, उसकी गांड को चाटता रहे। और जब परम का लंड चूत में घुस रहा था तो बहू ने महसूस किया कि उसके पति का लंड परम के लंड छोटा और पतला है। बहू ने परम को अपनी बाहों में भर लिया और कमर उछाल-उछाल कर परम के धक्के का जवाब देने लगी।
थोड़ी देर के बाद,अचानक बहू को लगा कि खून बहुत तेज हो गया है, गर्मी बढ़ गई है, जांघें टाइट हो गई हैं और बहुत टाइट हो गया है। बहू आँख भींच कर चुदाई का लुत्फ़ उठाती है। उसने परम को अपनी जांघों में क्रॉस कर लिया और किस करने लगी। परम को लगा की बहू अब झरने बाली है। परम ने लंड पूरा चूत के एंट्री तक लाया और कुछ रुक कर खूब जोर से धक्का मारा।
“आहहहह……माँ....मर……गईईईईईईईईईईईईई....रे.....। वह गिर गई उसकी चूत ने उसका साथ छोड़ दिया था और अपना चुतरस बहा रही थी और उसने अपने हाथ और पैर दोनों तरफ ढीले कर दिए। तभी उसे गर्म तरल पदार्थ का अहसास हुआ। परम भी झड़ गया था और बहू के शरीर पर ढीला हो गया था। …
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“तुने तेरा माल मेरी चूत में डाल दिया है! मैंने कोई सावधानी नहीं ली है…कहीं प्रेग्नेंट हो गई तो!”
“तो क्या, तुम मेरे बच्चे की माँ बन जाओगी।” परम ने उत्तर दिया। मैत्री और नीता की पेशकश।
कुछ देर तक दोनों शांत रहे।
“परम, मेरी चूत पसंद आइ?
"भाभी, सच बहुत मजा आया। बहुत टाइट और हॉट है,तुम एक अच्छा माल हो, और तुम्हारे पास मस्त माल है।" परम ने कहा। मुझे लगता है कि मैं इस बिल्ली (चूत) का दिवाना बनने बाला हूं।”
परम ने चुत को एक गहरा चुम्बन दिया। सिर्फ चूत नहीं,भाभी, मैं तुम्हारा गुलाम बनने बाला हूं। मालूम नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि हम दोनो बस एक दूसरे के लिए ही बने हैं और मिले हैं। तुम्हारी गांड में भी बहोत दम है, मतलब एकदम टाईट, स्वाद तो मेरे मुंह में अभी भी है और शायद दूसरी बार तुम्हारी गांड के छेद तक पहुचुन्गा तब तक रहेगा।” उसने गांड के मुख पर अपनी एक ऊँगली फेराते हुए कहा। और जैसा की हर महिला को अपनी सुन्दरता की प्रशंसा अच्छी लगती है बस उसी तरह बहु को भी परम का बोलना अच्छा लगता था।
“कल रात जब तुमने मुझसे कहा कि ससुरजी मुझे चोदना चाहते हैं तभी मैं समझ गई कि सेठजी नहीं तू मुझे चोदना चाहता है।”
यह बात परम के लिए एक बम फटने वाला धड़का था।
बहु ने उसके बालों को सहलाया और कहा, 'तेरा भैया को मुझसे ज्यादा वेश्या को, रखैलो को चोदने में मजा आता है। वो वेश्या को चोदते हैं लेकिन मुझे प्यार नहीं करते। जानते हो, कल रात को मेरी चुदाई करते हुए कहा कि मैं उसे तेरी माँ सुंदरी को चोदने के लिए तैयार करु!”
'साला बेबकूफ है, तेरे जैसी मस्त माल को छोड़ कर दो-दो जवान बच्चों की मां की चूत के लिए मरता है। तू मेरी पत्नी होती तो मैं तुम्हें रात दिन चोदता। और कही इधर उधर मुंह नहीं मारता।“
“अच्छा! चल छोड़, मस्का बहोत हो गया।” बहू ने उसे चूमा और पूछा, “फिर चोदेगा ना। रेखा के चक्कर में मुझे भूल तो नहीं जाएगा ना!” उसे बताया गया था कि रेखा और परम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसकी ननद परम से ज्यादा प्यार करती है। मैत्री और नीता की प्रस्तुति।
उसने सोचा कि परम ने बहू के बारे में सेठजी की सोच के बारे में जो कुछ भी कहा था, वह सब झूठ था। उसने ऐसी सारी बातें सिर्फ उसे बहकाने के लिए कही थीं। वह स्पष्टीकरण चाहती थी, "सच बोल मदचोद, तूने जो ससुरजी के बारे में जो बोला था वो सब झूठ था ना! सिर्फ मुझे चोदने के बहाने थे ना? मेरी चूत तक पहुचेने के लिए ये सब किया था!"
परम बहु के शरीर से अलग हो गया और चूमते हुए बोला,
“भाभी, अपनी प्यारी माँ की कसम सेठजी तुमहे, अपनी छोटी बहू को चोदना चाहते है। हाँ यह अलग बात है की मैंने कुछ मसाले के साथ कहा था ताकि तुम उत्तेजित हो और मेरे लंड को एक अच्छा माल मिले। जुट नहीं बोलूँगा। ” परम ने चूची को मसला और बोला '
सेठजी बगल के कमरे में ही होंगे। रानी सेठजी से चुदवा ले।“ अब उसे कोई परेशानी नहीं थी की बहु को सेठजी चोदे और उसने जो प्रोमिस किया था वह काम तो करना ही था।
बहु भी उठ बैठी, वह अपनी जाँघें क्रॉस करना चाहती थी लेकिन परम ने उसे दोनों जाँघें चौड़ी करके बैठा दिया।
'बहुत प्यारी चूत है, देखने दो, अब उसे मुज से छुपाना नहीं है रानी। अब वह मेरे लंड के लिए है, और हाँ अब मैं तुम्हे चोदता रहूँगा और तू मुज से चुदती रहेगी।'
“खाली चूत का मजा लिया, बोबला तो तुमने देखा ही नहीं!”
“भाभी,अभी तो एक बार और चोदूंगा पूरा नंगा कर के और तब बोबे का मजा लूंगा।” बोलते हुए परम आगे आया और एक ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। बहू ने सफ़ेद ब्रा पहना था, उसने खुद ही ब्रा का हुक खोल दिया और उसे अपने शरीर से अलग कर दिया। उसने अपने स्तनों को तोला और पूछा "उपरी माल कैसा है?”
परमने बहू की अपनी ओर खींच और आराम से चुची दबते हुए बोला, “भाभी आज अच्छा मौका है,सेठजी से चुदवालो।”
“छि…कोई ससुर से चुदवाती है क्या!”
'तुम कहां हो भाभी? लोग अपनी मां को चोद डालते हैं, बाप अपनी बेटी की चुदाई करता है!'
“हां रे, मै जो किताब पढ़ रही थी, उसमें भी बाप अपनी बेटी को पटा कर चोदता है।”
“भाभी किसी को पता नहीं चलेगा, जो चाहो सेठजी से मांग लो,जो मांगोगी सब देंगे, बस तू तैयार हो जा, मैं सेठजी को बुलाकर लाता हूं।”
“नहीं परम, नहीं… तू फिर से मुझे चोद डाल लेकिन ससुरजी को मत बुला, मैं उनके सामने मेरा माल नहीं दिखा सकती, मैं शर्म से मर जाऊँगी, किसी को पता चलेगा तो क्या होगा, हम दोनो को मरना पड़ेगा…। तू ही चोद दिया कर मुझे, मेरे माल को जैसा चाहे उपयोग किया कर, लेकिन ससुरजी को मत बुला, मैं उनसे ठीक से चुदवा नहीं पाउंगी।”
बहू ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “तेरा लंड बहुत मस्त है… तू कलकत्ता आ जा, तेरे भैया भी तुझे पसंद करते हैं। और जब तक मैं यहाँ हु दिन-रात मुझे चोदना, जैसा मन करे मुझे चोदते रहना, मेरी गांड भी खा जाना बस, मैंने मेरी गांड भी तेरे लंड के लिए छोड़ दी पर वो सब मत कर, ससुरजी......न...ही...।“
परम की छठी इंद्रिय ने बताया कि उसे अधिकतम आनंद और शांति केवल इस लीला भाभी के साथ ही मिल सकती है। वह इस पर विचार करेगा लेकिन अब वह अपने सेठजी को खुश करना चाहता था। कुछ पैसे बनाना चाहता था, सेठ से ही,सेठ की ही बहु का सौदा करने जा रहा था और वह भी सेठजी से ही।
“भाभी तू बेकार डरती है, किसी को कुछ मालुम नहीं पड़नेवाला है, ना तुम बोलोगी, ना मैं, ना ही सेठजी।”
परम ने चूत को सहलाया और कहा, “सोच ले सेठजी से क्या माँगना है, मैं उन्हें बुला कर लाता हूँ, तू नंगी ही बैठी रहना।” वैसे लीला अपने ससुरजी से चुदवाने को तैयार थी पर जताना नहीं चाहती थी।
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आशा है की आपको आज का यह एपिसोड पसंद आया होगा।
कल फिर कुछ नया लेके आपके सामने उपस्थित हो जाउंगी तब तक के लिए अआप अपने कोमेंट देते रहे।
।। जय भारत ।।