“हमारे पास समय बहुत कम है…” रेखा फुसफुसाई। उसने ब्रा को खोलकर उसके स्तनों को मुक्त कर दिया और परम के मुँह में एक निपल पेल दिया- “एक बेटे की तरह मुझे चूसो, तुमको बहुत भूख लगी है…!”
परम ने सिर हिलाया और एक के बाद एक दोनों स्तनों को चूसा और रेखा को बिस्तर पर धक्का दे दिया। परम ने रेखा के पैरों से चड्डी को नीचे खींच लिया और उसको नंगा कर दिया। वह खड़ा होकर उसके सौंदर्य को देखता रहा। वह केवल 20 साल की थी और पतले शरीर की थी। न तो वह अपनी बहन महेक की तरह नाजुक और प्यारी थी और न ही सुंदरी की तरह सेक्सी और आकर्षक। फिर भी वह सुंदर थी। परम को बुरा लगा की वह उससे शादी नहीं कर सकता था।
रेखा- “परम… जैसा मैंने पिछली शाम को तुमसे कहा था, मैंने तुमको सबकुछ दिया है। तुम्हें और अधिक देखना है या मैं कपड़े पहन लूँ?”
परम नीचे झुका और योनी को सहलाया- “रेखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं शादी करना चाहता था, हालांकि की मैं जानता हूँ की यह संभव नहीं है…” उसने योनी के होठों को चूमा और झाँटों को सहलाया। वह योनी को सहलाता और क्लिट को मसलता रहा।
उसकी मां सुंदरी ने चोदते समय उसे सिखाया था की सिर्फ सहलाने और क्लिट मसलने से एक मृत महिला को भी कैसे उत्तेजित किया जा सकता है।
जैसे ही परम ने क्लिट दबाया, रेखा उछल गई- “आह…”
परम ने उसके क्लिट को दांत से पकड़ा लिया और धीरे-धीरे उसे चबाने लगा। रेखा उत्तेजित हो गई। परम क्लिट के साथ ही योनी के होंठों को चबा गया था और आनंद ले रहा था। उसने तो सुंदरी के क्लिट और चूत को भी चखा था लेकिन उसकी स्वाद और गंध बेहतर थी। वह अपनी बहन की चूत का स्वाद भूल गया जो उसने कल रात को खाया था। अब उसने रेखा को उंगली की।
“ओह परम, ऐसा मत करो… मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ, मेरी शादी सिर्फ कुछ ही दिन दूर है। आह्ह… परम, बहुत मजा, मत करो, मैं मर जाऊँगी। ओह्ह… मुझे मेरी अपनी आँखों से मत गिराओ… जो आपने किया है उससे मेरी चूत जल रही है, मेरी निपल कस रही है। उसने अपनी चूची को मसला। आह्ह… नहीं, एक उंगली और पुश करो दोनों एक साथ। हाँ हाँ, तेजी से, तेजी से और जोर से, तुम क्या कर रहे हो? आह्ह… मेरी गांड खोद रहे हो, चाटो, मेरी गांड चाटो। आह तेजी से गांड में दो उंगली से चोदो। मैं चुदना चाहती हूँ, लेकिन मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ। तुम चाहेंगे कि कुछ दिन बाद मेरे पति मेरी ‘सील’ (कौमार्य) टूटी हुई देखकर मुझे गाली दें… और साथ ही मेरे परिवार को भी… मुझे चोदो। आह्ह…”
परम ने उसके शरीर से मुँह और उंगली हटा लिया और अचानक अपनी प्रेमिका की गांड के अंदर अपने लंड को पेल दिया।
“उह म...र....गई......ओ...म...री...म..अ....म...मी....ओह राजा… मेरी गांड में दर्द हो रही है…गांड फट जायेगी राजा मत मार इतना उसे...थोडा धीरे-धीरे डाल... अपने लंड को काबू में रख...वह मेरी गांड चीरे जा रहा है....ओ...माँ.....मैं गई आज....इस लंड से!!!!”
लेकिन परम ने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को चिकना बनाया और फिर उसकी गांड में पेल दिया। वह उसे अपने सीने की ओर करके उसके पैरों को धक्का देकर आगे से उसे गांड में चोदा था। उसने रेखा को चूमा और उसके कसे बोबले को निचोड़ा। बोला- “रानी, मैं तुम्हारे पास चुदाई करने के लिए आया था, लेकिन टूटी सील देखकर तुम्हारा पति तुम पर क्रोधित हो सकता है, इसलिए मैंने अपने लंड को तम्हारी कसी गांड का स्वाद देने के बारे में सोचा…सही है ना!”
तब परम उसकी गांड चोदता रहा। लगा वो उसके लंड से खुल जाएगी। उसे सुंदरी और शेटानी की चुदाई किया था जो कभी दर्द महसूस कर रही थी। रेखा कि गांड का छेद बहुत तंग था। रेखा के पूरे शरीर में अकड़न हो गयी।
रेखा “परम प्लीज लंड बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है। मेरी छोटी सी गांड फट गयी। लगता है खून भी निकलेगा आह्ह… परम जिद मत करो इससे अच्छा है की लंड निकालकर मेरी चूत ही फाड़ डालो, मर जाऊँगी… आ कोई मजा नहीं… आह… परम धीरे-धीरे मारो। थोड़ा और धीरे… आह्ह अब ठीक लग रहा है…”
कुछ समय के बाद रेखा ने भी आराम मिला और अपने जीवन की पहली चुदाई का मज़ा लिया। उसकी गांड का कौमार्य टूटा चुका था और असली कौमार्य बचा हुअ था। उन लोगों ने चुदाई की। जब परम चरमोत्कर्ष के कगार पर आया तो उसने रेखा के मुँह में झड़ने का अनुरोध किया।
वो शुरू में विरोध किया लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गई। परम ने गांड से लंड बाहर निकाला और सीधे उसके मुँह में पेल दिया। उसको निश्चित रूप से गंध पसंद नहीं आई और उसने मुँह बनाया लिकिन सब पी गयी, कुछ वीर्य उसके होठों से बाहर बहने लगा। उसने उंगलियों से उसे साफ किया। लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर खींच लिया। परम ने चूत को सहलाया और कहा- “वह हमेशा से इस सुंदर माल को चाहता था और अब कोई और इसका मज़ा लेगा।“ मैत्री और नीता द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है।
जाइएगा नहीं लिख रही हु ..................