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Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
गांड चुदाई के बाद रेखा ने परम का लंड सहलाने से खडा कर लिया और रेखा ने उस लंड को अपने हाथों से पकड कर चुद पर मजा लेने लगी परम के धक्के से बस सील तुटना बाकी रहा और चुदाई का खेल खेल लिया और वादा भी कर लिया ससुराल से आने के बाद परम से पुर्ण चुदाई करेगी
खैर देखते हैं आगे
Achchha laga ki aap ko update pasand aaya.
Us waqt sthiti yah thi ki agar param kuchh aage badhta to wo rok nahi pati... Akhir wo bhi insan hai aur uski bhi vasana hai... Sab ko hoti hai.
 
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Funlover

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बडा ही जबरदस्त शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अब शेठजी का सुंदरी को चोदने का सपना लगभग पुरा होने के कगार पर हैं एक बेटा अपनी माँ को चुदवाने का सौदा कर लिया हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Ji dost
Mai is kahani aur is update se maine lagta hai ki sundari ka vyabhichari jivan ka shuruat maatr hai.
Beta maa ko beche aur wah bhi kuchh paiso ke liye muje nhi lagta ki wah apni maa ko dil se prem karta nhi hai. Chudai alag baat hai.
Kuchh kahani yaa narration aisa hota hai jo sochne pe pata chalta hai uska chhupa marm.... Baki sab chudai hi chudai hai.

Dekhte hai aage kya hota hai.
Bas sath aur sahkar dete rahiye.
 
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Ek number

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सुंदरी ने बेटे का लंड हाथ में लिया और मसलने लगी- “बहुत मस्त लंड है। बाप के लंड से करीब दो इंच लंबा और मोटा भी, सुपाड़ा तो और भी बहुत मस्त है। लेकिन तेरे बाप का सुपाड़ा इससे भी बड़ा है। जब उसने पहली बार मेरी चूत में सुपाड़ा पेला था तो लगा की मैं मर जाऊँगी जबकि मेरी चूत को उससे पहले 5-5 लोगों ने चोद डाला था…” वो परम के सुपाड़े को चुभलाने लगी।

परम ने कई बार माँ की पहली चुदाई और उन 5 लण्डों के बारे में पूछा लेकिन वो बस सुपाड़ा चूसती रही। परम शहर की सबसे आकर्षक और मशहूर महिला को चोदकर बहुत खुश था, सौभाग्य से वो उसकी माँ थी। उसने सुंदरी की पहली चुदाई का आनंद लिया। उसको पिछली शाम शेठानी (रेखा की मां) की चुदाई से भी ज्यादा आनंद आया।


अब परम रेखा की चूत में अपना लंड पेलना चाहता था।

परम से छूटने के बाद सुंदरी ने खाना पकाने से पहले कुछ समय के लिए विश्राम किया। लंच के बाद उसने फिर से खुद को अपने बेटे को पेश किया और इस बार बेटे के पूरे शरीर पर अपने फूले स्तन को रगड़ा- “बेटा, तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया है। शादी के बाद मैंने सोचा था, मैं किसी और को मुझे चोदने की अनुमति नहीं दूँगी, लेकिन तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया। तुमने मुझे इतनी मस्ती दे दिया है की मेरी चूत अब अधिक से अधिक लंड चाहती है। बोलो अब किससे पहले चुदवाना है। उस मादरचोद विनोद से या तेरी रानी रेखा के बाप से…?”

उसने परम के खड़े लंड को सहलाया और कहा- “तुम केवल देखो कि मैं कैसे तुम्हारे शेठजी और गांव के अन्य अमीर लोगों से कैसे लूटने जा रही हूँ…” उसने लंड को निगला और चूसा। कुछ समय बाद उसने परम से जोर से चोदने के लिए कहा। परम ने सुंदरी को दूसरी बार चोदकर और उसकी चूत को काफी हद तक ढीला कर के संतुष्ट कर दिया और उसके बाद दोनों सो गये।

लेकिन परम लंबे समय के लिए सो नहीं सका। उसके अचेतन मन ने उसे जगा दिया। उसे याद आ गया की रेखा (शेठजी की बेटी) ने 3:00 बजे दोपहर में उसे बुलाया है। उसने समय देखा, लगभग 2:30 बज रहे थे।

नग्न सो रही युवती को देखा, उसने उसे उठाया- “माँ… मैं शेठजी के घर जा रहा हूँ। रेखा ने मुझे बुलाया था…”

सुंदरी- “ओके, आज जरूर चोदना उसे…” और कहा की वापस आते हमय शेठ से ₹ 50000 ले लेना और पूछना की वह मेरी चुदाई कब करना चाहता है…” वह उठी और परम के पीछे दरवाजा बंद किया।
मैत्री और नीता से द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है


परम आधे घंटे में अपने गंतव्य पर पहुंच गया। गार्ड उसे जानता था इसलिये उसे अंदर आने दिया। उसे ना तो शेठानी दिखाई दी और ना ही कोई नौकर। वह सीधे रेखा के कमरे में चला गया।

रेखा परम को अंदर देखकर वह उठी और मुश्कुराई- “तुम समय पर हो…” उसने टिप्पणी की।

परम- “मैं देर कैसे कर सकता हूँ डार्लिंग। मैं पूरी रात सो नहीं सका…” परम ने झूठ बोला।

पिछली शाम को रेखा के स्तन मसलने के बाद से, वह दो महिलाओं को पहले ही चोद चुका था, उसकी माँ के साथ ही अपनी माँ को भी। उसने रेखा को दोनों बाहों में लिया और उसे चूमा। वह भी इस पल का इंतजार कर रही थी। उसने जोश में सहकार दिया। जल्द ही उसकी फ्राक उसके शरीर से अलग थी, अब वह केवल ब्रा और पैंटी में थी।

परम ने रेखा से पूछा- “तुमने पहले ब्रा कभी नहीं पहनी थी…आज क्यों पहना हुआ है?”

रेखा- “तुम्हें कैसे पता है? तुमने तो बिना फ्राक मुझे पहले कभी नहीं देखा…लेकिन हां मुझे ब्रा पहनना अच्छा नहीं लगता।”

परम- “मुझे पता है…” परम बोला- “ओह, डियर तुम सुंदर हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ…” यह कहते हुवे परम ने उसके स्तनों को सहलाया और चूमा। हालांकि परम ने पहले से ही कुछ महिलाओं और उसकी बहन को चखा था, उसको रेखा वास्तव में पसंद आई। वह उसके शरीर को सहलाने के साथ ही चूम रहा था।



अभी लिख रही हु जाइएगा नहीं
Nice update
 

Ek number

Well-Known Member
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“हमारे पास समय बहुत कम है…” रेखा फुसफुसाई। उसने ब्रा को खोलकर उसके स्तनों को मुक्त कर दिया और परम के मुँह में एक निपल पेल दिया- “एक बेटे की तरह मुझे चूसो, तुमको बहुत भूख लगी है…!”

परम ने सिर हिलाया और एक के बाद एक दोनों स्तनों को चूसा और रेखा को बिस्तर पर धक्का दे दिया। परम ने रेखा के पैरों से चड्डी को नीचे खींच लिया और उसको नंगा कर दिया। वह खड़ा होकर उसके सौंदर्य को देखता रहा। वह केवल 20 साल की थी और पतले शरीर की थी। न तो वह अपनी बहन महेक की तरह नाजुक और प्यारी थी और न ही सुंदरी की तरह सेक्सी और आकर्षक। फिर भी वह सुंदर थी। परम को बुरा लगा की वह उससे शादी नहीं कर सकता था।

रेखा- “परम… जैसा मैंने पिछली शाम को तुमसे कहा था, मैंने तुमको सबकुछ दिया है। तुम्हें और अधिक देखना है या मैं कपड़े पहन लूँ?”

परम नीचे झुका और योनी को सहलाया- “रेखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं शादी करना चाहता था, हालांकि की मैं जानता हूँ की यह संभव नहीं है…” उसने योनी के होठों को चूमा और झाँटों को सहलाया। वह योनी को सहलाता और क्लिट को मसलता रहा।

उसकी मां सुंदरी ने चोदते समय उसे सिखाया था की सिर्फ सहलाने और क्लिट मसलने से एक मृत महिला को भी कैसे उत्तेजित किया जा सकता है।

जैसे ही परम ने क्लिट दबाया, रेखा उछल गई- “आह…”


परम ने उसके क्लिट को दांत से पकड़ा लिया और धीरे-धीरे उसे चबाने लगा। रेखा उत्तेजित हो गई। परम क्लिट के साथ ही योनी के होंठों को चबा गया था और आनंद ले रहा था। उसने तो सुंदरी के क्लिट और चूत को भी चखा था लेकिन उसकी स्वाद और गंध बेहतर थी। वह अपनी बहन की चूत का स्वाद भूल गया जो उसने कल रात को खाया था। अब उसने रेखा को उंगली की।

“ओह परम, ऐसा मत करो… मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ, मेरी शादी सिर्फ कुछ ही दिन दूर है। आह्ह… परम, बहुत मजा, मत करो, मैं मर जाऊँगी। ओह्ह… मुझे मेरी अपनी आँखों से मत गिराओ… जो आपने किया है उससे मेरी चूत जल रही है, मेरी निपल कस रही है। उसने अपनी चूची को मसला। आह्ह… नहीं, एक उंगली और पुश करो दोनों एक साथ। हाँ हाँ, तेजी से, तेजी से और जोर से, तुम क्या कर रहे हो? आह्ह… मेरी गांड खोद रहे हो, चाटो, मेरी गांड चाटो। आह तेजी से गांड में दो उंगली से चोदो। मैं चुदना चाहती हूँ, लेकिन मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ। तुम चाहेंगे कि कुछ दिन बाद मेरे पति मेरी ‘सील’ (कौमार्य) टूटी हुई देखकर मुझे गाली दें… और साथ ही मेरे परिवार को भी… मुझे चोदो। आह्ह…”

परम ने उसके शरीर से मुँह और उंगली हटा लिया और अचानक अपनी प्रेमिका की गांड के अंदर अपने लंड को पेल दिया।

“उह म...र....गई......ओ...म...री...म..अ....म...मी....ओह राजा… मेरी गांड में दर्द हो रही है…गांड फट जायेगी राजा मत मार इतना उसे...थोडा धीरे-धीरे डाल... अपने लंड को काबू में रख...वह मेरी गांड चीरे जा रहा है....ओ...माँ.....मैं गई आज....इस लंड से!!!!”

लेकिन परम ने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को चिकना बनाया और फिर उसकी गांड में पेल दिया। वह उसे अपने सीने की ओर करके उसके पैरों को धक्का देकर आगे से उसे गांड में चोदा था। उसने रेखा को चूमा और उसके कसे बोबले को निचोड़ा। बोला- “रानी, मैं तुम्हारे पास चुदाई करने के लिए आया था, लेकिन टूटी सील देखकर तुम्हारा पति तुम पर क्रोधित हो सकता है, इसलिए मैंने अपने लंड को तम्हारी कसी गांड का स्वाद देने के बारे में सोचा…सही है ना!”

तब परम उसकी गांड चोदता रहा। लगा वो उसके लंड से खुल जाएगी। उसे सुंदरी और शेटानी की चुदाई किया था जो कभी दर्द महसूस कर रही थी। रेखा कि गांड का छेद बहुत तंग था। रेखा के पूरे शरीर में अकड़न हो गयी।

रेखा “परम प्लीज लंड बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है। मेरी छोटी सी गांड फट गयी। लगता है खून भी निकलेगा आह्ह… परम जिद मत करो इससे अच्छा है की लंड निकालकर मेरी चूत ही फाड़ डालो, मर जाऊँगी… आ कोई मजा नहीं… आह… परम धीरे-धीरे मारो। थोड़ा और धीरे… आह्ह अब ठीक लग रहा है…”

कुछ समय के बाद रेखा ने भी आराम मिला और अपने जीवन की पहली चुदाई का मज़ा लिया। उसकी गांड का कौमार्य टूटा चुका था और असली कौमार्य बचा हुअ था। उन लोगों ने चुदाई की। जब परम चरमोत्कर्ष के कगार पर आया तो उसने रेखा के मुँह में झड़ने का अनुरोध किया।

वो शुरू में विरोध किया लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गई। परम ने गांड से लंड बाहर निकाला और सीधे उसके मुँह में पेल दिया। उसको निश्चित रूप से गंध पसंद नहीं आई और उसने मुँह बनाया लिकिन सब पी गयी, कुछ वीर्य उसके होठों से बाहर बहने लगा। उसने उंगलियों से उसे साफ किया। लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर खींच लिया। परम ने चूत को सहलाया और कहा- “वह हमेशा से इस सुंदर माल को चाहता था और अब कोई और इसका मज़ा लेगा।“
मैत्री और नीता द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है



जाइएगा नहीं लिख रही हु ..................
Shandaar update
 

Ek number

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शेठजीने उसे बैठने के लिये कहा।

परम :- “शेठजी, सुंदरी आपसे चुदवाने को तैयार हो गयी है, और वह आपके लंड को शांत करने के लिए रेडी हो गई है, आखिर आप हमारे अन्नदाता जो हो। उसने रुपये लाने को कहा है। पूरा 50000/- जो आपने कहा था…!”

शेठ के चेहरा ख़ुशी से चमक उठा। उन्होंने परम का हाथ पकड़ा और पूछा, “सच में!!! सुंदरी ने ऐसा कहा?"

“हाँ, शेठजी....वैसे मुझे उसको मनाने में काफी पसीना बहाना पड़ा, पर खेर आखिर मान ही गई,और कौन कहेगा आपका माल है अब आपको ही तो संभालना है लेकिन आप उसे चोदेंगे कहाँ पर? आपके घर में…? शेठानी तैयार नहीं होगी… !”

“अरे नहीं, यही पीछे वाले कमरे में।"

उन्होंने आगे बोला “उस कमरे को दो दरवाजे है। एक दरवाजा इस कार्यालय से और एक दरवाजा पीछे से है। मैं और मेरे दोस्त इस कमरे का उपयोग आराम करने के लिए करते है। एक चाबी तुम अपने पास रख लो और सुंदरी को पीछले दरवाजे से अंदर ले आना।“

शेठजीने उनके मुनीमको (सुंदरी के पति) आवाज देकर बुलाया और उसे कुछ निर्देश दिये।

परम के पिता ने तिजोरी से पैसे निकाल लिए और एक बैग में डालके शेठ को दिये । मुनीम के कमरे से बाहर जाने के बाद शेठजीने वो बैग परम के हाथ में थमा दिया और कहा,


“कल शाम को सुंदरी को साथ लेकर आना.... मैं वो पीछे वाला कमरा तैयार रक्खुंगा और किसीको इस बात का पता भी नही चलने दुंगा…! तुम्हारी माँ को आराम से छोड़ कर वापिस आराम से उसके घर ले जा सकोगे।”

“मेरे बाप को इस बारेमे भनक भी नही पडनी चाहीए....वर्ना भेन्चोद मेरे जैसा बुरा ..... इस बात का भी आपको खयाल रखना पडेगा…”, परम ने कहा ।

एक नौकर शरबत के दो गिलास ले आया। अपने बेटे के साथ शेठ इतनी अच्छी तरह पेश आ रहा है यह देखकर मुनीम को आश्चर्य हुआ। वो बेचारा तो इस बात से अनजान था कि कल पीछे के कमरे में उसकी नाक के नीचे उसकी अपनी बीवी शेठ के लंड अपने मुँह में और चूत में लेने वाली है। उसकी बीवी का सौदा जो हो चुका था।

शरबत पिते पिते परम ने अचानक पूछा, “शेठजी, आपकी बेटी रेखा बहोत प्यारी है, जब वो ससुराल चली जाएगी …आप बहोत अकेला महसूस करेंगे।"

“हाँ परम, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। इकलौती बेटी है वो मेरी!” और मुझे पता है, वह भी तुम्हे बहुत ज्यादा पसंद करती है। है ना?"

“हाँ… शेठजी, शादी के बाद वो कही दूर चली जाएगी ये सोच के ही मुझे बहुत दु:ख होता है। उसने मेरी जिंदगी खुशियोंसे भर दी थी…।।!”

शेठजी को कहां पता था यह जवान लड़का पहले ही उसकी मोटी बिवी की चूत से खेला है और बेटी की गांड मार चुका है।

परम:- “शेठजी, आप सुंदरी के पीछे क्यों पडे हैं ? क्या शेठानी आपको अच्छी नही लगती? मुझे तो वो बहुत प्यारी लगती है।"

शेठजी:- “तू बच्चा है, तुझे नहीं मालूम, साली (शेठानी) बिल्कुल थूल-थूल हो गयी है। उसमें कुछ मजा नहीं है कही भी हाथ लगाओ तो लगता है की माँस के लोथडे (मीट लोफ) को दबा रहा हूँ। लेकिन तेरी माँ सुंदरी को देखते ही पूरे बदन में खुन दौड़ने लगता है, बहुत मजा आएगा साली को दबाने में…चोदने में।”
आप नीता और मैत्री की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

शेठ पुरा गरमा गया था । परम ने फिर पूछा, “शेठानी के अलावा और किस-किस को चोदा है अब तक?”

“अरे बेटे, जवानी के दिनों में तो बहुतो को चोदा है, जो औरत घर में आती थी सबको बहला फुसलाकर या पैसा देकर चोद लेता था…!”

“तो फिर सुंदरी को क्यों नहीं चोदा? वो भी तो आपके घर में आती-जाती थी! आज 36 साल की उम्रमें ऐसी मस्त माल लगती है तो पहले कैसी लगती होगी…?”


आपकी राय की अपेक्षा.........
Awesome update
 

Premkumar65

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एपिसोड 2

महक ने लंड को दबाते हुए कहा "अरे वही, रजनी काकी की बेटी, सुधा मेरी क्लास मेट है और मेरी अच्छी दोस्त। उसका बाप अपनी नौकरानी को रोज चोदता है और सुधा सब कुच्छ देखती है। सुधा की माँ भी सुबह काम पर चली जाती है। सुधा पूरा वर्णन करके चुदाई की बात बाद में बताती है। उसकी नौकरानी रेनू हमारी ही उम्र है, लेकिन पिछले एक साल से चुदवा रही है। जब पहली बार रेनू चुदवा रही थी तो सुधा ने देखा था और बाद में देखा कि रेनू के चूत से खूब खून निकला है।

महेक ने भाई के लंड को अपनी जांघो से रगड़ा और कहा “चूत मे उँगुली डाल कर मज़ा लो।।’

परम ने चूत मे उँगुली पेल दी और पूछा “ सुधा के बाप को नही मालूम की उसकी बेटी सब कुछ देखती है?”

“ अरे भैया, उसका बाप तो जान बुझकर सुधा को दिखा-दिखा कर रेणु की चुदाई करता है।’

“ तब तो उसने अपनी बेटी को भी चोद डाला होगा।’

“हो सकता है, लेकिन सुधा कहती है अभी तक उसके बाप ने उसे चोदा नही है ना ही कभी चोदने की बात की है। लेकिन सुधा डरती है की जल्द ही उसका बाप उसे चोदेगा।’

अब परम चूत मे दो उंगली डाल कर मज़ा ले रहा था। “बहन तुम्हारी चूत लंड लेने के लिए तैयार है।”

“भैया बस थोड़ा इंतज़ार करो। धीरे धीरे प्यार से मज़ा दूँगी, घर का माल है, जल्दी क्या है?”उसने भाई को चूमा और कहा .."वैसे भी तुमको मजा देने के लिए पूनम और रेखा है ही...तुम उनको चोदते क्यों नहीं हो...?"

उसने भाई को चूमा और बोली:“अब मुझे पकड़ कर सो जाओ।“ महेक परम की ओर पीठ करके सोने की कोशिश करने लगी।

परमने अपनी टाँग बहन के कमर पर रखी और एक स्तन को जकड़ कर सोने की कोशिश करने लगा। महेक ने चुत्तर को आगे पिछे किया और लंड उसकी गांड मे फँस गया। और उसकी गांड का छेद पहले से ही उसके भाई के लंड सुपारे से बात करने के लिए तैयार था। उसने अपनी गांड के छेद को थोड़ा ढीला किया और गांड को अपने भाई के लंड से बाते करने के लिए छोड़ दिया।

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।

बीच रात मे परम ने लाइट जला दी और आँख फाड़ कर अपनी बहन की नंगी जवानी का दीदार करने लगा। महेक शांत होकर सो रही थी। उसकी गठी हुई चुचि हौले-हौले उपर नीचे हो रही थी। चूत के उपर हल्के-हल्के घुँगराले बाल थे, लेकिन चूत साफ दिख रही थी। उसने हल्के से चूत की फाँक को फैलाया तो उसे गुलाबी माल दिखाई दिया। थोड़ी देर तक देखने के बाद उसने चूत को चूमा और उसकी चूतरस को थोडा चाटा और लाइट ऑन रखकर सोने लगा और कब सो गया मालूम नही।


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Bahut hi sexy kahani likh rahi hain. Mehak jaisi behan mile to mazaa hi mazaa hai.
 

Premkumar65

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सुबह दरवाजे पर मा की आवाज़ सुनकर दोनो की नींद खुली। फटाफट दोनो ने कपड़े पहने। महेक भाई को चूमकर बाहर निकल गयी और परम आँख बंद कर लेटा रहा। माँ अंदर आई और उसने भी परम को चूमा और बाहर आने को कहा।

परम बहुत खुश था। ना विनोद सुंदरी के बारे मे गंदी बात करता, ना ही परम माँ की मस्त धइले दबा पाता, ना ही अपनी प्यारी बहन की नंगी जवानी से खेल पाता। उसने सोचा की विनोद को थॅंक्स कहे और उससे चुदाई के बारे मे जाने। परम यही सोचता जा रहा था की उसकी बगल मे एक कार आकर रुकी और किसी लड़की ने उसे पुकारा।

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।

उसे यकीन नही हुआ। शेठ की बेटी रेखा उसे बुला रही थी। परम के नज़दीक पहुँचते ही रेखा ने दरवाजा खोलकर उसे अपनी बगल मे बैठा लिया।
रेखा के बगल मे शेठ जी बैठे थे। परम ने उन्हे विश किया। कार चल दी। रेखा उससे बात करने लगी और परम को पता नही चला कब उसने अपना एक हाथ रेखा के जांघो पर रख दिया था।

कार चल रही थी, बात चल रही थी और परम का हाथ रेखा के जांघो पर उपर बढ़ रहा था। परम को तब होश आया जब उसके हाथ को गर्म महसूस हुआ। परम की आँख रेखा से टकराई तो उसने देखा की रेखा मुस्कुरा रही है और परम के हाथ को आँचल से ढक रखा है।

कल की घटना के बाद परम की हिम्मत बहुत बढ़ गयी थी। वो रेखा की जांघो को सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते दोनो जाँघो के बीच ठीक रेखा के चूत के उपर हाथ रखकर दबाया। रेखा ने आँख बंद कर ली और होठों को काटा। परम को लगा की रेखा को मज़ा आ रहा है तो वह कपड़े के उपर से ही चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा। दोनो मज़ा ले ही रहे थे की कार रुकी। परम का कोलेज आ गया था। मन मार कर परम उतरा तो रेखा ने उसकी तरफ नही देखा, शायद शरम से।

लेकिन शेठ जी कार से उतर गये। उन्होने परम को किनारे बुलाया और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा,

“बेटा, अब तुम मेरी मदद कर सकते हो!”

“क्या मदद, शेठजी।”

“मै सुंदरी को चोदना चाहता हूँ, अगर जल्दी नही चोद पाया तो मै पागल हो जाऊंगा।”

“माँ तो आपके घर आती-जाती है, उससे बोलते क्यो नही। मै क्या करू?”

“बेटा कुछ भी करो, जितना बोलेगी दूँगा।। 10,20,30,50 हज़ार दूँगा, ज्वेलरी दूँगा । बस तुम कुछ करो और हम दोनो की मुलाकात करा दो प्लीज़।’

इतना कहकर शेठ जी ने परम का हाथ छोड़ा और कार मे बैठ गये।

कार स्टार्ट होने पर रेखा परम की तरफ देखकर मुस्कुराई। परम कोलेज की तरफ बढ़ा तो उसने देखा की शेठजी ने उसकी हाथ मे 100 के दस नोट रख दिए थे।

“माँ को चुदवाने की पेशगी।’
उसने रुपये पॉकेट मे रख लिए। उसके हाथ मे पहली बार इतना रुपया आया था।


कोलेज मे परम खुलकर विनोद के साथ अपनी माँ के बारे मे बात करने लगा। उसके पूछने पर विनोद ने बताया की चुदाई कैसे की जाती है।

अभी एपिसोड ख़तम नहीं हुआ........
Woww ab Seth bhi Sundari ko chodega.
 

Premkumar65

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पहले औरत को नंगा करके उसके अंग–अंग को खूब चूमना चाहिए और मसलना चाहिए और जब औरत खुद गरम हो कर चोदने को बोले तब, चूत मे लंड पेल कर खूब दबा-दबा कर चुदाई करनी चाहिए। उसने कहा की कुछ भी हो सुंदरी को जल्द ही अपना लंड का स्वाद चखाएगा और पलटा कर उसकी मस्त उठी-उठी गांड मारेगा और शहर ले ज़ाकर अपने दोस्तो से भी चुदवाएगा।

उसने परम से कहा की एक चुदाई का दस हज़ार देगा।

परम हसने लगा और बोला, "अरे भोसडिके, उसने शेठजी का 30 हज़ार लौटा दिया और तुम दस हज़ार मे चोदोगे? और वो भी गांड के साथ? मुझे लगता है की 50 हज़ार मे शायद मान जाए।"
विनोद ने यह भी बताया की पिछले एक साल से अपनी माँ और शादीशुदा बड़ी बहन को चोद रहा है। उसके अलावा जब कोलकता जाता है तो रंडी को चोद कर आता है।
परम ने उदास होकर कहा की “उसने अभी तक कोई नंगी औरत भी नही देखी है और सुंदरी तो हाथ भी छुने नही देती है।“

“अरे जब सोती है तो धीरे धीरे उसके बदन को नंगा करो और अपना कड़क लंड दिखाओ। उससे खूब गंदी गंदी बाते करो, साली खुद ही तेरा लंड अपनी रसीली चूत मे लेगी।”
विनोद ने परम को थपथपाया और कहा जल्दी ही मै तुम्हे एक साथ दो-दो चूत के दर्शन कराउंगा लेकिन तुम सुंदरी को चुदवाने के लिए तैयार करो। मेरे लंड को सुदरी की चूत की प्यास है। मेरा लंड सुंदरी की चूत का प्यासा है। मुझे तुम्हारी माँ के सारे छेद चाहिए। और मेरा लंड तुम्हारी माँ की चूत में अपने अंडकोष खाली करने को बेताब है।“



घर वापस आते हुए परम ने कल से लेकर आज तक की बात सोची। उसे सबसे ज़्यादा मज़ा रेखा की चूत को कपड़े के उपर से दबाने मे आया था। लेकिन परम सबसे पहले आपनी माँ को ही चोदना चाहता था। महेक को तो जब चाहे तब चोद सकता है।

उसने अपने भगवान से प्रार्थना की कि रेखा के चूत का दर्शन करवा दे। भगवान ने उसकी सुन ली।
घर वापस आया तो देखा की महेक भी आ चुकी है। परम ने कपड़े बदले और तब उसकी माँ सामने आई। उसने सिर्फ़ पेटिकोट और उपर ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज के उपर से आधे स्तन फुदक के दिख रही थी।

“बेटे, जल्दी से नाश्ता करके कपड़े बदल लो। मुझे शेठानी ने बुलाया है। नाश्ता ख़तम होने के बाद महेक बाथरूम गयी और परम ने पिछे से माँ को जकड़ लिया।
दोनो हाथो से माँ की बोबले को दबाने लगा।

“अभी छोडो, बेटी घर मे है। वापस आकर मौका मिलेगा तो मज़ा दुंगी।”
सुंदरी ने बेटी को कुछ समझाया और फिर साडी पहनकर परम के साथ बाहर निकल गयी। सायकल रिक्शा मे बैठ कर दोनो शेठ के यहा जाने लगे।
परम माँ से सटकर बैठा था और रास्ते मे जान पहचान के लोगो को विश भी करता जा रहा था। सुंदरी आराम से छाती तान कर बैठी थी।
परम ने शेठ और विनोद की सारी बात माँ को बतलाई। परम को लगा की 50 हज़ार का बात सुनकर माँ को अच्छा लगेगा।
सुंदरी ने फुस फुसाकर कहा “आज तक मै शेठ के साथ अकेली नही मिली हूँ। शेठानी या तेरा बाप हमेशा साथ रहता है।”

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
सुंदरी ने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी जांघो पर रखा और कहा “ मौका मिलेगा तो शायद मै उससे चुदवा लूँगी।’
परम ने हाथ बढ़ा कर माँ के जांघो के बीच हाथ रखकर चूत को दबाया और शेठ का घर आने तक दबाता रहा।

दोनो घर के अंदर गये। शेठानी अपनी बेटी रेखा के साथ दिवान पर बैठी थी। परम को देखते ही रेखा अंदर चली गयी।

परम को सुबह वाली घटना याद आई और उसका मन किया की रेखा को प्यार करे। सुंदरी और शेठानी कुछ बाते कर रहे थे।

“शेठानीजी, क्या मै रेखा के कमरे मे जाऊ?” परम ने पूछा।



जवाब आप लोग भी दे सकते है ...........................रेखा के कमरे में ले जाऊ?????
Woww Sundari to ready hai chudne ko.
 

Premkumar65

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“हा, जाओ!”

परम तुरंत अंदर गया। वहां रेखा सोफा पर बैठी थी। परम को देखते ही उसने दोनो हाथो से अपनी आंखे बंद कर ली।

रेखा ने फ्रॉक पहन रखी थी जो उसके आधे जांघो तक ही थी। परम उसके सामने ज़मीन पर बैठ गया ओर बिना झीझक के रेखा के दोनो घुटनो पर हाथ रख दिया।

रेखा ने अपने दोनो हाथो को आंखे से हटाकर जांघो के बीच रख लिया।

“तुम बहुत गंदे हो, कार मे क्या कर रहे थे!”

“और तुम बहुत सुंदर हो।” परम धीरे धीरे रेखा की नंगी जांघो को सहलाने लगा।

“क्या कर रहे हो, हाथ हटाओ!” रेखा ने फ्रॉक को चूत के उपर और ज़ोर से दबाया।

परम का हाथ धीरे धीरे जांघो पर उपर बढ़ा।

“रेखा तुम्हारी शादी होने वाली है। तेरा घरवाला बहुत किस्मत वाला होगो जो तुम्हारी मस्त जवानी का मज़ा लेगा।” उसने कुछ सोच कर फिर से बोला “तुम मुज से शादी क्यों नहीं कर लेती? तुमको तो पता है ना मैं तुम्हे बचपन से ही कितना प्यार करता हु..!


परम ने रेखा की आंखों में आंसू देखे.. लेकिन सिर झुका लिया..

“झूठ क्यों बोलते हो…..तुम मुझे नहीं पूनमको प्यार करते हो…..तभी तो रोज उसको चूमते हो और उसका माल दबाते हो…..” उसने परम की ओर देखा और कहा…

“वैसे भी तुम हम दोनो (रेखा और पूनम) से बहुत छोटे हो…..हम तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकते…हमें तो मर्द चाइये और तुम अभी बच्चे हो…।” उसने फीकी मुस्कान दी.

रेखा खुद परम को सबसे ज्यादा पसंद करती थी... लेकिन वह यह भी सोच रही थी कि परम उसके या पूनम के लिए अच्छा मैच नहीं है।

अचानक उसे जांघों के अंदरूनी हिस्से पर दबाव महसूस हुआ...

“परम, हाथ हटाओ” लेकिन परम ने फ्रॉक को पूरा उपर तक हटा दिया। अब कमर के नीचे सिर्फ़ चूत का भाग फ्रॉक से ढका था और रेखा ने उसे हाथो से दबा रखा था।

“परम, प्लीज़ छोड़ दो। कोई आ जाएगा!”

“ श... कितनी चिकनी है! बिल्कुल बटर जैसी! मन करता है की चाट जाऊ।”

इतना कहकर परम ने रेखा के पैर को फैलाया और अंदरकी जांघो को चाटने लगा।

रेखा सिहर गयी। उसको भी मज़ा आ रहा था। उसका मन किया की हाथ हटा कर परम को अपनी चूत चटवाए लेकिन उससे लाज आ रही थी। पहला मौका था की कोई उसकी जांघो को चूस रहा था। उसे लगा की परम थोड़ी देर और उसे चुसेगा तो अपने आप को नही रोक पाएगी।

इधर परम की जुबान जांघो के अंदरकी हिस्सो को चूम रही थी। उसकी जुबान ने रेखा के हाथ के नीचे से चूत को छुना चाहा लेकिन रेखा दोनो हाथो से चूत के उपर कपड़े को दबा कर बैठी थी। परम का हाथ रेखा के कमर से उपर बढने लगा और उसने दोनो बोबले को दबोच लिया और कस कर दबाया।

रेखा की चुचि भी बहन महेक के बोबले जैसी टाइट थी लेकिन उससे बड़ी-बड़ी थी। अब रेखा को लगा की अगर उसने परम को नही रोका तो खुद ही नंगी होकर परम से चुदवाएगी। पर उसने मन ही मन निश्चय किया की कुछ भी हो शादी के पहले चूत मे लंड नही लेगी,15 दिन के बाद ही शादी थी।

परम खूब प्यार से जांघो को चाट रहा था और बोब्लो को मसल रहा था। रेखा बोबले पर से परम का हाथ हटाना चाहती थी लेकिन उसे मालूम था की अगर उसने अपना हाथ हटाया तो परम चूत को चाटने लगेगा फिर रेखा चुदाई नही रोक पाएगी।

"आह.. परम बस बहुत हो गया। अभी तुम जाओ, कल तीन बजे आना जो देखना चाहते हो सब दिखाऊँगी।" वह अपने पहले प्यार परम को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती थी और पूनम को परम के साथ सेक्स अनुभव बताना चाहती थी। वह हर बार कहती थी कि परम उसे चूमता था, दबाता था और उसे जलन होती थी। अब शादी तय हो गई थी... तो वह परम के साथ थोड़ी आज़ादी ले सकती थी।



उसने परम को ढकेल दिया और खुद खड़ी हो गयी। परम चुप चाप खडा हो गया।

बने रहिये....आपकी फीडबेक देते रहिये ........
Wow ab dekhna hai ki kaun pahle chudega. Rekha, Poonam ya Mehak?
 

Premkumar65

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“रेखा एक बार चूत को सहलाने दो।”

रेखा ने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “तुम शैतान हो गये हो। तुम्हारी माँ से कहना पडेगा।”

दोनो बाहर आ गये। उसे दुख था की वो रेखा की चूत नही देख पाया। लेकिन साथ ख़ुशी थी की कल रेखा अपना चूत और बोबले दिखाएगी। पर साला,कल तक इंतेज़ार करना पड़ेगा।
आप यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है

तभी रेखा की एक सहेली आ गयी। रेखा सहेली के साथ अंदर गयी और तुरंत कपड़े बदल कर बाहर आई।

"माँ मै एक घंटे मे रंजू के घर हो के आती हूँ" कहकर सहेली के साथ चली गयी। सुंदरी शेठानी का पैर दबा रही थी। अचानक परम बोल उठा,

"तुम हट जाओ माँ, थक गयी होगी। शेठानीजी को मै दबा देता हूँ।"

"शेठानीजी, परम बहुत अच्छा दबाता है, मै भी इससे दबवाती हूँ।" सुंदरी ने कहा।

"ठीक है, सुंदरी तुम कुछ पराठे बना दो। तुम्हारे शेठ आते ही खाने को माँगेंगे।" शेठानी ने कहा।

फिर सुंदरी का हाथ पकड़ कर पूछा "शेठ को अपना "ख़ज़ाना" दिखाया की नही ?" तुझे बहुत पसंद करता है।"

"छी... शेठानीजी, क्या बोलती है आप!"

सुंदरी वहां से उठ कर किचन मे भाग गयी। शेठानी ने चिल्ला कर कहा "एक मीठी दाल भी बना देना।"

शेठानी ने परम की तरफ देखा और कहा, "चलो बेटे पूरा बदन दबा दो, बहुत टूट रहा है।"


रेखा की तरह सेठजी और सेठानी भी परम को बहुत पसंद करते थे...दरअसल सेठजी चाहते थे कि परम हमेशा उनके साथ रहे। लेकिन सेठानी नहीं चाहती थीं कि परम रेखा के साथ सोए लेकिन उन्हें हमेशा से ही एक जिंदादिल लड़का पसंद था...सेठानी को महक ज्यादा पसंद थी और उन्होंने कई बार इच्छा जताई कि महक उनके साथ रहे लेकिन सुंदरी इसके लिए राजी नहीं हुई।

शेठानी पीठ के बल लेट गयी। उसने एक भारी भरकम सारी पहन रखी थी और नीचे पेटिकोट, उपर ब्लाउज था। ब्लाउज बोबले को ढकने मे असफल था। बोबले का उपरी हिस्सा ब्लाउज से बाहर निकला हुआ था। परम शेठानी से सटकर बैठा और दोनो हाथो से एक पैर को दबाने लगा। कभी दबाता था तो कभी पिंडली की मांसपेशी को सहला देता था। परम ने आहिस्ता-आहिस्ता हाथ घुटने के उपर रखा और निचली जांघो को हल्के से मरोडकर कर दबाने लगा।

"कैसा लग रहा है शेठानीजी?"

"अच्छा लग रहा है, दबाते रहो।" शेठानी ने कहा।

परम की हिम्मत बढ़ी और उसने घुटने से लेकर ऊपरी जांघो तक खूब दबा-दबा कर मज़ा लिया। इसी तरह उसने दूसरे पैर को भी पूरा ऊपरी जांघो तक दबाया,चूत से थोड़ा नीचे तक।

उसने अपनी बहन और रेखा की जांघो को सहलाया था लेकिन शेठानी का जांघे खूब मोटी और गुदाज़ थी। उसने देखा की शेठानी को मज़ा आ रहा है और शेठानी ने दोनो पैर को फैला दिया है और सारी पूरी तरह तन गयी है।

"शेठानीजी आपकी साडी और अंदर का कपड़ा बहुत भारी है। आपको दबाने का पूरा मज़ा नही मिलता होगा,पतली साडी होती तो दबवाने मे आपको और आराम मिलता।" इतना कहकर परम दोनो पैरों को एक साथ दबाने लगा और दबाते-दबाते बिलकूल चूत के पास दबाने लगा।


शेठानी मोटी थी,खूब मस्त बाहें थी और पेट भी थोड़ा उठा हुआ था। उसकी उम्र 50 के करीब थी, दुध जैसा गोरा रंग और मख्खन जैसा बदन। परम का मन किया शेठानी के चूत के दर्शन करने को,लेकिन उसे नंगा तो नही कर सकता था। उसने एक उपाय सोचा। कभी कभी पिताजी के ऐसे ही पैर दबाता था तब उसे कई बार पिताजी का लंड दिखाई दिया था। उसने सोचा कोशिश करके देखते है।

रेखा भी घर मे नही थी और सुंदरी अंदर खाना बना रही थी।
Sethani bhi maje le rahi hai Param ke sath.
 
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