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Funlover

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Sabhi updates ek se badhkar ek he Funlover Ji,

Sundri ko seth se chud kar maja aaya.................

Lage haath usne seth ki bahu, beti aur sethani ke liye param ka rasta bhi khol diya.........

Majedar story he..............keep rocking Dear
ji bilkul

vaise sundari yah chahti hogi ki wah khud chudvaayegi lekin samne kuchh apne bete ke liye bhi dusare mauke dene ki koshish kar rahi hogi.

bane rahiye
 

Funlover

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अब आगे

यहाँ जब शेठ बाहर आया, तो उसके मुनीम (सुंदरी के पति) ने पूछा,

“शेठजी माल कैसा था, मज़ा आया। कैसा था उसका माल! अब आपने पसंद किया है और उसे बुलाया था तो मैं समजता हु की बेस्ट ही होगा उसका खजाना!”

“अरे मुनीम जी पूछो मत, इतना मज़ा पहले कभी किसी को चोदने में नहीं आया था। क्या सही तरीके के छेदों है उसके! उसके छेद देख के कोई भी लंड खड़ा हो सकता है, वाह मजा आ गई आज तो उसे चोदने में, लंड को बेहद शांति मिली है मुनीमजी।” वह मुनीम की ओर देखकर मुस्कुराया जैसे उसे बता रहा हो कि उसने अभी-अभी उसकी पत्नी को चोदा है, उसने आगे कहा, “लेकिन तुम्हें क्या।। तुम तो रोज़ गाँव की सबसे मस्त माल को चोदते हो! अगर सुंदरी मेरी बीबी होती तो मैं रात दिन उसके चूत के अंदर लौड़ा डाल कर घुसा रहता!!”

मुनीम को आश्चर्य हुआ। शेठ पहले भी कईबार सुंदरी की खूबसूरती की तारीफ कर चुके हैं लेकिन शालीन तरीके से, आज शेठ बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहा था। मुनीम को अच्छा लगा कि शेठ भी उसकी पत्नी को पसंद करता है। उसने सोचा अगर सेठजी उसकी पत्नी को पसंद करता है और उसके पीछे पागल है तो उसका फायदा लिया जा सकता है। सेठजी को सुदरी पसंद है और वो गाव की श्रेष्ठ महिला मानते है पर मेरे नजरो में महक से ज्यादा कोई अच्छा माल नहीं है। हो सकता है सुदरी को सेठजी के साथ भिड़ा देने से मेरे लिए महक की चूत तक का रास्ता साफ़ हो जाए। साली मेरी बेटी है पर क्या माल बनी बैठी है मेरा लंड को हमेशा परेशान करती रहती है। महक अब तो तुम्हे मेरे लंड के नीची आना पड़ेगा, मैं तेरी माँ को सेठजी के लंड तक पहुचा दूंगा तो तेरी चूत मुझे मिलनी चाहिए। और मुझे कोई आपत्ति भी नहीं, मजे सुदरी में कोई रस नहीं है। हो सकता है इस से मुझे सेठानीजी की छुट भी मिल जाए और रेखा की भी।

उसने जवाब दिया,

"हम लोग तो आपके गुलाम हैं, सुंदरी भी आपकी गुलाम हैं। आपने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। आप जो भी कहेंगे हम करने को तैयार हैं, आप भी तो हमारा ध्यान रखेंगे।" मुनीम ने सोचा कि अगर शेठ उसकी पत्नी को चोदना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी, आखिरकार शेठ ने वास्तव में उनके परिवार की बहुत मदद की है। उसने आगे कहा,

“आपको जब भी मन हो, सुंदरी को अपने घर में रोक लीजिए, वो आपके पैर दबा देगी और सब सेवा करेगी, लेकिन अब तो वो बूढ़ी हो गई है!!” उसने अपनी सेफ साइड भी राखी ताकि सेठजी को कोई संदेह ना हो।

शेठ ने उसे टोका, '' क्या बात करते हो! आज भी सुंदरी से अच्छी माल अपने गांव या आस-पास के गांव में नहीं है...उसको एक बार चोदने के लिए लोग हजारो देंगे....फिर वह धीरे से बोला, ''मेरा भी मन करता है सुंदरी को चोदने को!!!”

“अरे शेठजी, क्या बोल रहे हो आप? आपको पता है किस के बारे में ऐसा बोल रहे हो!उसने एकतरफा नाटक करते हुए कहा।

“अरे मुनिमजी आप तो बेकार ही बुरा मान गए ऐसा कुछ नहीं यह मैं तो सुदरी की सुन्दरता का वजन दे रहा था।“

“ठीक है सेठजी मैं मानता हु की सुदरी जैसी कोई नहीं है पर वो मेरी पत्नी है। कोई मेरे सामने ऐसी बात करे तो मुझे बुरा तो लगेगा ही! समजो अगर मैंने आपकी सेठानिजी के बारे में ऐसा बोला होता तो......!”

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता दोस्त, मैं तो कहूंगा की अगर चांस मिले तो मेरी बीवी को चोद सकते हो!” सेठजी ने भी पत्ता खोला।


कहानी जारी है .........बने रहिये ......
 

Funlover

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“मुझे माफ़ कर दीजिये सेठजी अगर आप इतना बड़ा सोच सकते हो तो मुझे भी सोचना चाहिए था।“

“मुनीमजी सोचो यह खुला वातावरण है यहाँ चूत सिर्फ चुद्वाती है और लंड उसे चोदता है बेकार के सम्बन्ध में ना पड़ो।“

“हां यह भी सही कहा आपने” मुनीम ने नाटक को बांध करते हुए कहा।

“अगर आपको सुदरी इतनी पसंद है तो.......सुंदरी भी आपका माल है, जब मन करे चोदिये लेकिन किसी और को पता नहीं लगना चाहिए।” मुनीम ने जवाब दिया।

शेठ को ख़ुशी हुई कि अब उसे अपने ऑफिस रूम में सुंदरी को चोदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। घर में ही चोदेगा।

शेठ ने कुछ पासे मुनीम के हाथ में रखा और बोला “मुनीम क्या यह सब बताने वाली बात है? तेरी बीवी को मैं चोदुंगा और सब को बताउंगा भी? कैसी बात करते हो। तुम भी तो मेरी बीवी को चोद सकते हो और ऊपर से सुंदरी का सौदा के तौर पर तुम्हे मैं कुछ ना कुछ देके खुश करता रहूँगा।“

मुनीम की आँखे फटी थी क्यों की उसके हाथ में पैसे थे उसने पैसो को अपने खीसे में रखते हुए कहा “शेठजी इसकी कोइ जरुरत नहीं थी।“

“अरे रख ले मुनीम और अब भी सुंदरी की चूत में मेरा लंड जाएगा तुजे भी तो खुश करता रहूँगा।“

“जी शेठ जी आपका बहोत बहोत आभार, बस आप सुंदरी की चूत के मजे लिएते रहिये और मुझे देते रहिये।”

“हां यह तो एक प्रकार से व्यवहार है कह के मुनीम की गांड पर हाथ रख के कहा इसका भी ख्याल रखूँगा। यहाँ भी तो एक छेद है!”

मुनीम मुस्कुराते हुए बोला “जी, शेठजी और वह छेद भी तो आपका ही है।“ और उसने शेठ के हाथ को अपनी गांड पर थोडा सटा के रख दिया।

तब शेठ ने कहा “मुझे तुम जैसो पसंद है जो लंड लेते भी है और देते भी है”, और फिर उसके कान में कहा मैं भी ऐसा ही हु लेता भी हु और देता भी हु।”

मुनीम बस मुस्कुराता रहा और शेठ ने कपडे के ऊपर से ही मुनीम की गांड के छेद को छेड़ा।

“जब मुझे कोई चूत नहीं मिलेगी तब मुनीमजी मुझे इसकी जरुरत पड़ेगी, तैयार हो ना!”

“अब तो सुंदरी तो है ही शेठजी आपके लंड को शांत रखेगी फिर भी अगर जरुरत पड़ेगी तो मैं भी हु हरदम तैयार। बस आप हमारा ख़याल रखे हमारे छेद आपके लंड का ख्याल रखेंगे।“

शेठजी ने मुनीम के कान में जा कर कहा “मुझे वीर्य पीना पसंद है। और पिलाना भी। क्या तुम कर सकोगे?“

बस आपकी कृपा से सब होता रहेगा शेठजी मैं आपका माल गांड और मुह सब में लूँगा और आप जब चाहो मेरे लंड को अपने मुह में खाली करा सकते हो, आपकी मिल्कत है बस यही समजो।“
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“बहोत खूब मुनीमजी, मुझे तुम पसंद आये एक तरफ तुमने तुम्हारी बीवी की चूत देके मुज पर एहसान किया और ऊपर से तुम्हारा इस खजाने का भी मालिक घोषित कर दिया। कह के सेठजी ने मुनीम को अपनी ओर खिंचा और ऑफिस की तरफ ले गए।
बने रहिये कहानी के साथ ....
जानेंगे आगे क्या हुआ मेरे साथ।....
 
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Ek number

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यहाँ जब शेठ बाहर आया, तो उसके मुनीम (सुंदरी के पति) ने पूछा,

“शेठजी माल कैसा था, मज़ा आया। कैसा था उसका माल! अब आपने पसंद किया है और उसे बुलाया था तो मैं समजता हु की बेस्ट ही होगा उसका खजाना!”

“अरे मुनीम जी पूछो मत, इतना मज़ा पहले कभी किसी को चोदने में नहीं आया था। क्या सही तरीके के छेदों है उसके! उसके छेद देख के कोई भी लंड खड़ा हो सकता है, वाह मजा आ गई आज तो उसे चोदने में, लंड को बेहद शांति मिली है मुनीमजी।” वह मुनीम की ओर देखकर मुस्कुराया जैसे उसे बता रहा हो कि उसने अभी-अभी उसकी पत्नी को चोदा है, उसने आगे कहा, “लेकिन तुम्हें क्या।। तुम तो रोज़ गाँव की सबसे मस्त माल को चोदते हो! अगर सुंदरी मेरी बीबी होती तो मैं रात दिन उसके चूत के अंदर लौड़ा डाल कर घुसा रहता!!”

मुनीम को आश्चर्य हुआ। शेठ पहले भी कईबार सुंदरी की खूबसूरती की तारीफ कर चुके हैं लेकिन शालीन तरीके से, आज शेठ बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहा था। मुनीम को अच्छा लगा कि शेठ भी उसकी पत्नी को पसंद करता है। उसने सोचा अगर सेठजी उसकी पत्नी को पसंद करता है और उसके पीछे पागल है तो उसका फायदा लिया जा सकता है। सेठजी को सुदरी पसंद है और वो गाव की श्रेष्ठ महिला मानते है पर मेरे नजरो में महक से ज्यादा कोई अच्छा माल नहीं है। हो सकता है सुदरी को सेठजी के साथ भिड़ा देने से मेरे लिए महक की चूत तक का रास्ता साफ़ हो जाए। साली मेरी बेटी है पर क्या माल बनी बैठी है मेरा लंड को हमेशा परेशान करती रहती है। महक अब तो तुम्हे मेरे लंड के नीची आना पड़ेगा, मैं तेरी माँ को सेठजी के लंड तक पहुचा दूंगा तो तेरी चूत मुझे मिलनी चाहिए। और मुझे कोई आपत्ति भी नहीं, मजे सुदरी में कोई रस नहीं है। हो सकता है इस से मुझे सेठानीजी की छुट भी मिल जाए और रेखा की भी।

उसने जवाब दिया,

"हम लोग तो आपके गुलाम हैं, सुंदरी भी आपकी गुलाम हैं। आपने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। आप जो भी कहेंगे हम करने को तैयार हैं, आप भी तो हमारा ध्यान रखेंगे।" मुनीम ने सोचा कि अगर शेठ उसकी पत्नी को चोदना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी, आखिरकार शेठ ने वास्तव में उनके परिवार की बहुत मदद की है। उसने आगे कहा,

“आपको जब भी मन हो, सुंदरी को अपने घर में रोक लीजिए, वो आपके पैर दबा देगी और सब सेवा करेगी, लेकिन अब तो वो बूढ़ी हो गई है!!” उसने अपनी सेफ साइड भी राखी ताकि सेठजी को कोई संदेह ना हो।

शेठ ने उसे टोका, '' क्या बात करते हो! आज भी सुंदरी से अच्छी माल अपने गांव या आस-पास के गांव में नहीं है...उसको एक बार चोदने के लिए लोग हजारो देंगे....फिर वह धीरे से बोला, ''मेरा भी मन करता है सुंदरी को चोदने को!!!”

“अरे शेठजी, क्या बोल रहे हो आप? आपको पता है किस के बारे में ऐसा बोल रहे हो!उसने एकतरफा नाटक करते हुए कहा।

“अरे मुनिमजी आप तो बेकार ही बुरा मान गए ऐसा कुछ नहीं यह मैं तो सुदरी की सुन्दरता का वजन दे रहा था।“

“ठीक है सेठजी मैं मानता हु की सुदरी जैसी कोई नहीं है पर वो मेरी पत्नी है। कोई मेरे सामने ऐसी बात करे तो मुझे बुरा तो लगेगा ही! समजो अगर मैंने आपकी सेठानिजी के बारे में ऐसा बोला होता तो......!”

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता दोस्त, मैं तो कहूंगा की अगर चांस मिले तो मेरी बीवी को चोद सकते हो!” सेठजी ने भी पत्ता खोला।


कहानी जारी है .........बने रहिये ......
Shandaar update
 

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“मुझे माफ़ कर दीजिये सेठजी अगर आप इतना बड़ा सोच सकते हो तो मुझे भी सोचना चाहिए था।“

“मुनीमजी सोचो यह खुला वातावरण है यहाँ चूत सिर्फ चुद्वाती है और लंड उसे चोदता है बेकार के सम्बन्ध में ना पड़ो।“

“हां यह भी सही कहा आपने” मुनीम ने नाटक को बांध करते हुए कहा।

“अगर आपको सुदरी इतनी पसंद है तो.......सुंदरी भी आपका माल है, जब मन करे चोदिये लेकिन किसी और को पता नहीं लगना चाहिए।” मुनीम ने जवाब दिया।

शेठ को ख़ुशी हुई कि अब उसे अपने ऑफिस रूम में सुंदरी को चोदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। घर में ही चोदेगा।

शेठ ने कुछ पासे मुनीम के हाथ में रखा और बोला “मुनीम क्या यह सब बताने वाली बात है? तेरी बीवी को मैं चोदुंगा और सब को बताउंगा भी? कैसी बात करते हो। तुम भी तो मेरी बीवी को चोद सकते हो और ऊपर से सुंदरी का सौदा के तौर पर तुम्हे मैं कुछ ना कुछ देके खुश करता रहूँगा।“

मुनीम की आँखे फटी थी क्यों की उसके हाथ में पैसे थे उसने पैसो को अपने खीसे में रखते हुए कहा “शेठजी इसकी कोइ जरुरत नहीं थी।“

“अरे रख ले मुनीम और अब भी सुंदरी की चूत में मेरा लंड जाएगा तुजे भी तो खुश करता रहूँगा।“

“जी शेठ जी आपका बहोत बहोत आभार, बस आप सुंदरी की चूत के मजे लिएते रहिये और मुझे देते रहिये।”

“हां यह तो एक प्रकार से व्यवहार है कह के मुनीम की गांड पर हाथ रख के कहा इसका भी ख्याल रखूँगा। यहाँ भी तो एक छेद है!”

मुनीम मुस्कुराते हुए बोला “जी, शेठजी और वह छेद भी तो आपका ही है।“ और उसने शेठ के हाथ को अपनी गांड पर थोडा सटा के रख दिया।

तब शेठ ने कहा “मुझे तुम जैसो पसंद है जो लंड लेते भी है और देते भी है”, और फिर उसके कान में कहा मैं भी ऐसा ही हु लेता भी हु और देता भी हु।”

मुनीम बस मुस्कुराता रहा और शेठ ने कपडे के ऊपर से ही मुनीम की गांड के छेद को छेड़ा।

“जब मुझे कोई चूत नहीं मिलेगी तब मुनीमजी मुझे इसकी जरुरत पड़ेगी, तैयार हो ना!”

“अब तो सुंदरी तो है ही शेठजी आपके लंड को शांत रखेगी फिर भी अगर जरुरत पड़ेगी तो मैं भी हु हरदम तैयार। बस आप हमारा ख़याल रखे हमारे छेद आपके लंड का ख्याल रखेंगे।“

शेठजी ने मुनीम के कान में जा कर कहा “मुझे वीर्य पीना पसंद है। और पिलाना भी। क्या तुम कर सकोगे?“

बस आपकी कृपा से सब होता रहेगा शेठजी मैं आपका माल गांड और मुह सब में लूँगा और आप जब चाहो मेरे लंड को अपने मुह में खाली करा सकते हो, आपकी मिल्कत है बस यही समजो।“
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“बहोत खूब मुनीमजी, मुझे तुम पसंद आये एक तरफ तुमने तुम्हारी बीवी की चूत देके मुज पर एहसान किया और ऊपर से तुम्हारा इस खजाने का भी मालिक घोषित कर दिया। कह के सेठजी ने मुनीम को अपनी ओर खिंचा और ऑफिस की तरफ ले गए।
बने रहिये कहानी के साथ ....
जानेंगे आगे क्या हुआ मेरे साथ।....
:sanskar:
Nice update
 

Mass

Well-Known Member
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Super sexy updates Madam...lage raho!!! :)

Funlover
 
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