अब आगे
यहाँ जब शेठ बाहर आया, तो उसके मुनीम (सुंदरी के पति) ने पूछा,
“शेठजी माल कैसा था, मज़ा आया। कैसा था उसका माल! अब आपने पसंद किया है और उसे बुलाया था तो मैं समजता हु की बेस्ट ही होगा उसका खजाना!”
“अरे मुनीम जी पूछो मत, इतना मज़ा पहले कभी किसी को चोदने में नहीं आया था। क्या सही तरीके के छेदों है उसके! उसके छेद देख के कोई भी लंड खड़ा हो सकता है, वाह मजा आ गई आज तो उसे चोदने में, लंड को बेहद शांति मिली है मुनीमजी।” वह मुनीम की ओर देखकर मुस्कुराया जैसे उसे बता रहा हो कि उसने अभी-अभी उसकी पत्नी को चोदा है, उसने आगे कहा, “लेकिन तुम्हें क्या।। तुम तो रोज़ गाँव की सबसे मस्त माल को चोदते हो! अगर सुंदरी मेरी बीबी होती तो मैं रात दिन उसके चूत के अंदर लौड़ा डाल कर घुसा रहता!!”
मुनीम को आश्चर्य हुआ। शेठ पहले भी कईबार सुंदरी की खूबसूरती की तारीफ कर चुके हैं लेकिन शालीन तरीके से, आज शेठ बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहा था। मुनीम को अच्छा लगा कि शेठ भी उसकी पत्नी को पसंद करता है। उसने सोचा अगर सेठजी उसकी पत्नी को पसंद करता है और उसके पीछे पागल है तो उसका फायदा लिया जा सकता है। सेठजी को सुदरी पसंद है और वो गाव की श्रेष्ठ महिला मानते है पर मेरे नजरो में महक से ज्यादा कोई अच्छा माल नहीं है। हो सकता है सुदरी को सेठजी के साथ भिड़ा देने से मेरे लिए महक की चूत तक का रास्ता साफ़ हो जाए। साली मेरी बेटी है पर क्या माल बनी बैठी है मेरा लंड को हमेशा परेशान करती रहती है। महक अब तो तुम्हे मेरे लंड के नीची आना पड़ेगा, मैं तेरी माँ को सेठजी के लंड तक पहुचा दूंगा तो तेरी चूत मुझे मिलनी चाहिए। और मुझे कोई आपत्ति भी नहीं, मजे सुदरी में कोई रस नहीं है। हो सकता है इस से मुझे सेठानीजी की छुट भी मिल जाए और रेखा की भी।
उसने जवाब दिया,
"हम लोग तो आपके गुलाम हैं, सुंदरी भी आपकी गुलाम हैं। आपने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। आप जो भी कहेंगे हम करने को तैयार हैं, आप भी तो हमारा ध्यान रखेंगे।" मुनीम ने सोचा कि अगर शेठ उसकी पत्नी को चोदना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी, आखिरकार शेठ ने वास्तव में उनके परिवार की बहुत मदद की है। उसने आगे कहा,
“आपको जब भी मन हो, सुंदरी को अपने घर में रोक लीजिए, वो आपके पैर दबा देगी और सब सेवा करेगी, लेकिन अब तो वो बूढ़ी हो गई है!!” उसने अपनी सेफ साइड भी राखी ताकि सेठजी को कोई संदेह ना हो।
शेठ ने उसे टोका, '' क्या बात करते हो! आज भी सुंदरी से अच्छी माल अपने गांव या आस-पास के गांव में नहीं है...उसको एक बार चोदने के लिए लोग हजारो देंगे....फिर वह धीरे से बोला, ''मेरा भी मन करता है सुंदरी को चोदने को!!!”
“अरे शेठजी, क्या बोल रहे हो आप? आपको पता है किस के बारे में ऐसा बोल रहे हो!उसने एकतरफा नाटक करते हुए कहा।
“अरे मुनिमजी आप तो बेकार ही बुरा मान गए ऐसा कुछ नहीं यह मैं तो सुदरी की सुन्दरता का वजन दे रहा था।“
“ठीक है सेठजी मैं मानता हु की सुदरी जैसी कोई नहीं है पर वो मेरी पत्नी है। कोई मेरे सामने ऐसी बात करे तो मुझे बुरा तो लगेगा ही! समजो अगर मैंने आपकी सेठानिजी के बारे में ऐसा बोला होता तो......!”
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता दोस्त, मैं तो कहूंगा की अगर चांस मिले तो मेरी बीवी को चोद सकते हो!” सेठजी ने भी पत्ता खोला।
कहानी जारी है .........बने रहिये ......