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अब आगे......
सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।
उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।
“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।
विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"
“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा। मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”
यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”
विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।
"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.
तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”
“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”
“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”
विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,
"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"
सुंदरी को मजा आ रहा था।
"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"
“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”
“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”
विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।
"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,
“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”
यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,
“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।
लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।
विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।
सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी। मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
******
क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?
क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?
अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................
सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।
उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।
“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।
विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"
“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा। मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”
यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”
विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।
"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.
तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”
“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”
“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”
विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,
"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"
सुंदरी को मजा आ रहा था।
"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"
“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”
“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”
विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।
"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,
“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”
यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,
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लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।
विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।
सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी। मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
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क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?
अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................