अब आगे........
“अच्छा! मतलब क्या हमारे माल में कुछ कमी है राजाभैया!” विनोद की बहन ने अपनी आँखे नचाते हुए कहा।
अरे ऐसा कुछ नहीं डार्लिंग, वैसे कल ही तो तुम दोनों को चोद के गया। अभी ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ, और तुम माँ बेटी भूखी भी हो गई!”
तेरे लंड और मुह के लिए यह माँ-बेटी भूखी ही रहेगी हमेशा के लिए। दीदी ने परम के लोडे पर हाथ रखते हुए कहा।
आंटी: “हां बेटा, वह सही कह रही है। चलो अब जल्दी से अपना काम चालू करो और हम दोनों की चूत और पिछवाड़े को अपने लोडे से बंध कर दो!”
तीनो बेडरूम में आ गये और परम ने दीदी को नंगा किया और दीदी ने उसकी माँ को नंगी कर दिया। परम ने देखा की दोनों की चूत काफी गीली हो गई थी।
“डार्लिंग दीदी, अभी तो मैंने तुम्हे छुआ तक नहीं और तुम्हारी चूत अपना रस देने लग गई?” परम ने दीदी की चूत के होठो को थोडा फैलाते हुए कहा।
आंटी: “अरे बेटा, होगी कैसे नहीं? तुम्हारा चेहरा देख के ही हमारी चूत अपना रस छोड़ के हमारी गांड के छेदों को अपना पानी पिलाके उसे भी गिला करने में लग जाती है।“ आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपना हाथ में परम के लोडे को थाम लिया।
“मम्मी,यह मेरा बोनर है मुझे इस लोडे को अपने हाथ में लेने दो।“ दीदी ने मम्मी के हाथ को झटकाते हुए कहा और परम का लोडा अब दीदी के हाथ में आ गया था।
दोनों माँ-बेटी एक लोडे के लिए लड़ रही थी मगर प्यार से।
और परम ने उन दोनों को बिस्तर पर धक्का लगाया और दोनों बिस्तर पर गिरी और साथ ही दोनों ने अपने पैरो को फैला कर अपनी चूत परम के आगे धर दी।
“अब देरी मत करो बेटा, आ के हमारी चूत पर अपने निशान की महोर लगा दो। कब से वेइट कर रही है, अब तुम ही तो हो इस काने के मालिक चलो आके अब इस चूत और गांड को शांत कर दो। आंटी ने अपने पैर कुछ ज्यादा फैला के परम को अपनी चूत पर आक्रमण करने का न्योता दे दिया।
अगले पल परम उन दोनों की चूतो पर अपना झंडा गाड ने में बिजी हो गया। कभी दीदी की चूत पर तो कभी आंटी की चूत पर, कभी कभी अपने दांतों के निशान भी उनके चूत के फांके पर जमा दिए।
थोड़े समय के बाद सिन यह था की दीदी परम के लोडे को मुह में समा लिया था और आंटी दीदी के चूत पर अपना अड्डा बना लिया था। दोनों उछल-उछल कर अपना चरमोत्कर्ष पर पहोचना चाहती थी। और हुआ भी दोनों लगभग एक मिनट के अन्दर ही अपनी चूतरस का स्त्राव कर रही थी। परम के मुह पर दीदी अपना चुतरस छोड़ रही थी और आंटी दीदी के मुह में अपना चुतरस का त्याग कर रही थी। यह नजारा परम के लिए उत्तेजित होने के लिए काफी था। उसने दोनों को सीधा लिटाके अपने लंड को भोजन देने के काम में लग गया और अब दोनों चूत एक ही लंड से चुद रही थी। और परम की उंगलिया भी उन दोनों की गांड को चोद रही थी।
परम ने दोनो माँ बेटी को खूब चूमा और दम भर कर चोदा। दोनों के बोबले को आटा की तरह मसल-मसल के ढीला कर दिया। माँ के चूत से लंड निकाल कर बेटी को रस पिलाया और बाद में बेटी की चूत से लंड निकाल कर माँ को चूसवाया। दोनो माँ-बेटी को चुदाई से ज्यादा चूत और गांड चटवाने में मजा मिला। वैसे तो उन दोनो ने विनोद के अलावा कई और लोगो से कलकत्ता में अपनी जवानी लुटवाई थी लेकिन परम के सिवा किसी ओर ने उनकी चूत को नहीं कुटा चाटा था। परम जब चूत में जीभ घुसा कर हिलाता था और चूत को दांतों से मसलता था तो मां-बेटी दोनों को चुदाई से ज्यादा मजा आता था। चुदाई ख़तम करने के बाद परम नंगा ही लेटा रहा।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
दीदी कपड़े बदल कर हिसाब किताब देखने के लिए बाहर ऑफिस जाकर बैठ गईं। माँ ने अर्धनग्न होकर खाना बनाया और जब विनोद वापस आया तो सबने मिलकर खाना खाया। दीदी ने विनोद से कहा कि उसका दोस्त (परम) बहुत मजा देकर चुदाई करता है और आराम से चोदता है। दोनो ने परम को कहा कि कभी रात भर रुक कर उन लोगो के साथ मस्ती करे। दीदी ने ये भी कहा कि उसने परम के लिए एक कड़क माल देख रखी है। परम प्रोग्राम बता कर आएगा तो उसे बुला कर रखेगी।
परम ने विनोद के सामने एक बार फिर उसकी माँ को चोदा। विनोद को लेकर जब घर पहुंचें तो ठीक दो बजे थे।
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