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wOWW pARAM aUR SUNDARI DONO hi mast kamuk hain.Update 05
उसने अपने भाई को चूमा और कहा कि कल रात वह फिर सुधा या किसी और लड़की को उसके पास चुदवाने लाएगी, लेकिन उसने फिर ज़ोर देकर कहा कि वह सुंदरी को चोदने की कोशिश करे, जिसे बाकी सब चोदना चाहते हैं।
“ठीक है, आज उस सुंदर सुंदरी को चोदूँगा जिसे सारे मर्द चोदना चाहते हैं…!”
“जा बुला ला उस चुदास को…तेरे सामने चोदूँगा और तेरी चूत भी चटवाऊँगा…!”
उसने बहन से कहा कि जाकर उसे इस कमरे में ले आओ। महक उठी और फ्रॉक पहनने लगी, लेकिन परम ने उसे नंगी ही रहने दिया और कमरे से बाहर धकेल दिया। परम को लगा कि उसकी बहन का फिगर रेखा या गाँव की बाकी लड़कियों से कहीं ज़्यादा अच्छा है और उसने जल्द ही उसका कौमार्य भंग करने की सोची। लेकिन उसे क्या पता था कि उसके लंड से पहले उसकी बहन की चूत में तीसरा लंड जाएगा। महक कमरे में वापस आई और बोली कि सुंदरी आ रही है और उसे ज़ोर से चोदना चाहिए। परम ने पूछा कि क्या पापा ने उसे नंगी देखा है। महक ने जवाब दिया कि वह गहरी नींद में है, लेकिन पूरी तरह से नंगे। उसने अपने पापा का आधा खड़ा लंड देखा। महक ने लंड मुँह में लिया और उसे निगलने और चबाने लगी। परम ने उसके स्तन सहलाए और फिर सुंदरी पेटीकोट और ऊपर सिर्फ एक दुपट्टा में कमरे में दाखिल हुई। उसने अपने बच्चों को नंगे देखा। उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और दोनों बच्चों के बीच आ गई। मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
"बच्चों क्या चाहिए?" उसने ज़ोर से पूछा।
दोनों ने एक साथ जवाब दिया, "माँ तुम्हारी चूत..!"
और परम ने अपना लंड उसकी चूत के द्वार पर रखा और लंड को अंदर धकेल दिया। लंड बिना कोई हिचकिचाहट से चूत में गहराई तक घुस गया। परम ने उसे कंधे से पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा। चुदाई करते हुए और अपनी बेटी की चूत सहलाते हुए सुंदरी ने पूछा कि क्या परम ने उसकी बहन को चोदा है। महक ने जवाब दिया कि वह अभी कुंवारी है, लेकिन जल्द ही परम उसे चोदेगा, यह एक प्रकार से मेरा वादा है।
सुंदरी ने महक की चूत पर उंगली उठाई और कहा कि “जब तक वह कुंवारी है, उसे ऐसे ही रहना चाहिए। मैं चाहती हु कि उसकी 'सील' किसी व्यक्ति द्वारा कम से कम 2.00 लाख रुपये की भारी कीमत पर तोड़ी जाए। क्या ख़याल है बच्चो?“
उसने परम को भी सलाह दी कि “बेटा,तुम्हे उसे तब तक नहीं चोदना चाहिए जब तक उसकी सील न टूट जाए।“
अब जहा पैसो की बात हो तो, परम को महक को चोदने की कोई जल्दी नहीं थी। उसके पास चोदने के लिए बहुत सारी लड़कियां उपलब्ध थीं और जैसा कि महक ने कहा था कि उसे कल चोदने के लिए एक और माल (लड़की) मिल सकती है। वह सुन्दरी की चूत पर थप-थपाता रहा।
महक ने सुंदरी से पूछा, “माँ तुम कितना लंड खा चुकी हो…?”
"ज्यादा नहीं, सिर्फ पांच, लेकिन अब मन करता है कि रोज नया-नया लंड से चुदवाऊं। तेरे बाप के साथ चुदाई में मजा नहीं आता है..।" उसने परम की पीठ पर अपने पैर रख दिए और उससे कहा कि “बेटा, अब मेरे लिए भी कोई नया लंड धुन्धो पर जरा पैसो में कामले भी देख लेना बेटे। अच्छा लगता है जब चूत में लंड और ऊपर से पैसा भी! दोनों जरूरियात एकसाथ पूरी हो जाए।” मैत्री और फनलव की अनिवादित रचना।
उसने महक की चूत पर हाथ रखते हुए कहा:” बेटी मैं चाहती हु की तेरी शील कोई आमिर आदमी ही तोड़े,वैसे भी शील का क्या काम है, चुदवाना तो है ही....है ना सही कह रही हु ना बेटी?”
अरे माँ अब हम मिल के जो भी करना है करेंगे, तुम नाहक की चिंता कर रही हो, अभी तो भाई के लंड पर ध्यान दो और उसके लंड को पूरा अन्दर तक जाने दो ताकि तुम्हारी भूख मिट सके।
“मां, तुम बोलो तो, तुम्हें चोदने के लिए लंड की लाइन लगा दूंगा..” परम अपने धक्के को तेज़ करते हुए बोला।
बने रहिये इस कहानी में मेरे साथ और आपकी राय देना ना भूले प्लीज़
Ufffff very very hot update.अब आगे..............
“मुफ्त में किसी से नहीं चुदवाऊंगी… महक तुम भी मुफ्त में अपनी जवानी को मत लुटाना..!”
सुंदरी अपने कूल्हे हिलाने लगी, उसने परम को मजबूती से पकड़ लिया..।
“आह बेटे, चोदो, जोर से धक्का मारो..आह्ह मजा आ रहा है.. लंड को ओर अंदर पेलो…!”
सुंदरी को और अधिक उत्तेजित करने के लिए परम ने ज़ोर का धक्का दिया और पूछा..
“रानी,मजा आ रहा है बेटे के लंड से चुदने में..?”
“हा, बहुत मजा आ रहा है..! बेटे से चुदवाने का सब माँ को मजा आता है बेटे,और यहाँ तो मेरी बेटी भी साथ दे रही है, उस से ज्यादा मजा और कहा मिलेगा! तुम मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे हो बेटे, ह्म्म्म, अब अपनी माँ चोदो, आराम से।”
“रोज़ लंड चूत में लोगी!”
“अब यह भी कोई पूछने की बात है,रोज़ चुदवाऊँगी।”
“गांड मरवाओगी!”
“हा, मेरी गांड भी तो अब तेरी ही है राजा, जब तुम कहो,गांड भी मारवाउंगी।”
“मेरे दोस्त का लंड खाओगी?”
"हा।"
“कुत्ते का भी लंड चूसोगी?”
“हा, मुझे तो लंड से मतलब है, कुत्ते का हो या इंसान का, लंड भी चूसूंगी।”
“कुत्ते का लंड चूत में लोगी..!”
“बेटी की चूत चाटोगी..!”
“अरे हा, चाटूँगी…अब उसमे कोई नयी बात नहीं है, मुझे महक की चूत से पहले से प्रेम है।” और परम ने चुदाई की और स्पीड बढ़ा दी। उसने उसकी बड़े बोब्लो को दबाया और महक को अपने लंड के साथ-साथ माँ की चूत में भी उंगली करने को कहा। महक को चूत में लंड के साथ उंगली डालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन थोड़ी कोशिश के बाद उसने एक उंगली अंदर डाल दी। अब परम का लंड महक की उंगली के साथ सुंदरी की चूत में जा रहा था। परम ओर भी ज्यादा उत्साहित और कामुक हो गया। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना।
“आ....आह बहुत मज़ा आ रहा है.. बेटे चूत को फैला कर दूसरी उंगली भी अंदर डालो।” सुंदरी को भी मज़ा आया।
महक ने चूत के होंठ खींचे और अपने दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली भी सुंदरी की चूत में डाल दी। अब परम का लंड उसकी बहन की दो उंगलियों के साथ चुदाई कर रहा था। सुंदरी की चूत कस गई थी। उसे बहुत तेज़ उत्तेजना महसूस हुई और वह खुद पर काबू नहीं रख पाई और चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। और उसकी चूत ने परम के लोडे और महक की उंगलियो पर अपना चरमोत्कर्ष का परिणाम दे दिया। परम सुंदरी को चोदता रहा,
“बेटा आज चूत में बहुत धक्का लगा है,काफी बार मेरी चूत चोदी गई है अब मेरी चूत में ज्यादा पानी छोड़ने को नहीं है। लंड निकालो और मेरे मुँह में पानी गिरा दो। अपने लंड का अमृत दे ही दो।”
परम ने लंड बाहर निकाला। लंड एक ज़ोरदार छींटे के साथ निकला, “फच्चक”। महक ने भी अपनी दो उंगलियाँ बाहर निकालीं और झुककर उसकी चूत के होंठ को चाटने लगी। उसने सुंदरी की क्लिट और चूत के होंठ चबाए और अपनी उंगली से माँ की भोस को टटोला। परम ने लंड को सुंदरी के मुँह में डाला और धीरे-धीरे धक्के दिए। सुंदरी ने लंड को ज़ोर से काटा और मुँह में लिया और परम ज्यादा ना टिकते हुए, परम के लोडे ने वीर्य उगल दिया।
सुंदरी ने थोड़ा सा पी लिया और अपने होंठों से वीर्य की धार बहने दी। महक सुंदरी की चूत चाटने में व्यस्त थी। परम सीधा लेट गया और अपनी माँ और बहन को देखने लगा। कुछ देर बाद सुंदरी ने अपनी बेटी के पैरों को उसके सिर की तरफ खींचा और उसने महक को लिटा दिया। अब माँ और बेटी 69 की पोजीशन में थीं और माँ उसके ऊपर लेटी हुई बेटी की चूत चाट रही थी।
अपनी राय देना न भूलना प्लीज़.....................
Gajab ki erotic story hai.अब आगे........
“अच्छा! मतलब क्या हमारे माल में कुछ कमी है राजाभैया!” विनोद की बहन ने अपनी आँखे नचाते हुए कहा।
अरे ऐसा कुछ नहीं डार्लिंग, वैसे कल ही तो तुम दोनों को चोद के गया। अभी ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ, और तुम माँ बेटी भूखी भी हो गई!”
तेरे लंड और मुह के लिए यह माँ-बेटी भूखी ही रहेगी हमेशा के लिए। दीदी ने परम के लोडे पर हाथ रखते हुए कहा।
आंटी: “हां बेटा, वह सही कह रही है। चलो अब जल्दी से अपना काम चालू करो और हम दोनों की चूत और पिछवाड़े को अपने लोडे से बंध कर दो!”
तीनो बेडरूम में आ गये और परम ने दीदी को नंगा किया और दीदी ने उसकी माँ को नंगी कर दिया। परम ने देखा की दोनों की चूत काफी गीली हो गई थी।
“डार्लिंग दीदी, अभी तो मैंने तुम्हे छुआ तक नहीं और तुम्हारी चूत अपना रस देने लग गई?” परम ने दीदी की चूत के होठो को थोडा फैलाते हुए कहा।
आंटी: “अरे बेटा, होगी कैसे नहीं? तुम्हारा चेहरा देख के ही हमारी चूत अपना रस छोड़ के हमारी गांड के छेदों को अपना पानी पिलाके उसे भी गिला करने में लग जाती है।“ आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपना हाथ में परम के लोडे को थाम लिया।
“मम्मी,यह मेरा बोनर है मुझे इस लोडे को अपने हाथ में लेने दो।“ दीदी ने मम्मी के हाथ को झटकाते हुए कहा और परम का लोडा अब दीदी के हाथ में आ गया था।
दोनों माँ-बेटी एक लोडे के लिए लड़ रही थी मगर प्यार से।
और परम ने उन दोनों को बिस्तर पर धक्का लगाया और दोनों बिस्तर पर गिरी और साथ ही दोनों ने अपने पैरो को फैला कर अपनी चूत परम के आगे धर दी।
“अब देरी मत करो बेटा, आ के हमारी चूत पर अपने निशान की महोर लगा दो। कब से वेइट कर रही है, अब तुम ही तो हो इस काने के मालिक चलो आके अब इस चूत और गांड को शांत कर दो। आंटी ने अपने पैर कुछ ज्यादा फैला के परम को अपनी चूत पर आक्रमण करने का न्योता दे दिया।
अगले पल परम उन दोनों की चूतो पर अपना झंडा गाड ने में बिजी हो गया। कभी दीदी की चूत पर तो कभी आंटी की चूत पर, कभी कभी अपने दांतों के निशान भी उनके चूत के फांके पर जमा दिए।
थोड़े समय के बाद सिन यह था की दीदी परम के लोडे को मुह में समा लिया था और आंटी दीदी के चूत पर अपना अड्डा बना लिया था। दोनों उछल-उछल कर अपना चरमोत्कर्ष पर पहोचना चाहती थी। और हुआ भी दोनों लगभग एक मिनट के अन्दर ही अपनी चूतरस का स्त्राव कर रही थी। परम के मुह पर दीदी अपना चुतरस छोड़ रही थी और आंटी दीदी के मुह में अपना चुतरस का त्याग कर रही थी। यह नजारा परम के लिए उत्तेजित होने के लिए काफी था। उसने दोनों को सीधा लिटाके अपने लंड को भोजन देने के काम में लग गया और अब दोनों चूत एक ही लंड से चुद रही थी। और परम की उंगलिया भी उन दोनों की गांड को चोद रही थी।
परम ने दोनो माँ बेटी को खूब चूमा और दम भर कर चोदा। दोनों के बोबले को आटा की तरह मसल-मसल के ढीला कर दिया। माँ के चूत से लंड निकाल कर बेटी को रस पिलाया और बाद में बेटी की चूत से लंड निकाल कर माँ को चूसवाया। दोनो माँ-बेटी को चुदाई से ज्यादा चूत और गांड चटवाने में मजा मिला। वैसे तो उन दोनो ने विनोद के अलावा कई और लोगो से कलकत्ता में अपनी जवानी लुटवाई थी लेकिन परम के सिवा किसी ओर ने उनकी चूत को नहीं कुटा चाटा था। परम जब चूत में जीभ घुसा कर हिलाता था और चूत को दांतों से मसलता था तो मां-बेटी दोनों को चुदाई से ज्यादा मजा आता था। चुदाई ख़तम करने के बाद परम नंगा ही लेटा रहा।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
दीदी कपड़े बदल कर हिसाब किताब देखने के लिए बाहर ऑफिस जाकर बैठ गईं। माँ ने अर्धनग्न होकर खाना बनाया और जब विनोद वापस आया तो सबने मिलकर खाना खाया। दीदी ने विनोद से कहा कि उसका दोस्त (परम) बहुत मजा देकर चुदाई करता है और आराम से चोदता है। दोनो ने परम को कहा कि कभी रात भर रुक कर उन लोगो के साथ मस्ती करे। दीदी ने ये भी कहा कि उसने परम के लिए एक कड़क माल देख रखी है। परम प्रोग्राम बता कर आएगा तो उसे बुला कर रखेगी।
परम ने विनोद के सामने एक बार फिर उसकी माँ को चोदा। विनोद को लेकर जब घर पहुंचें तो ठीक दो बजे थे।
आशा है की आप को यह अपडेट पसंद आया होगा ................आपका कीमती विचार जरुर शेर करे..............
मिलते है एक नए अपडेट में ..........
Bahut hi mast tarike se likh rahe ho . Bahut hi hot update.चलिए अब आगे चलते है कहानी में।
सुंदरी बिस्तर पर सोने ही बाली थे की परम ने कहा:
“मां साड़ी उतार दो ख़राब हो जायेगी।”
सुंदरी "बेटे को देखकर मुस्कुराई और झटके से साड़ी उतार दिया और बिस्तर पर लेट गई। परम सोच रहा था कि साला यह विनोद सुंदरी को नंगा क्यों नहीं कर रहा है। लेकिन विनोद को तो सुंदरी के चूत में लंड पेलने की जल्दी थी। विनोद ने फटा-फट पेटीकोट को कमर के ऊपर तक घसकाया और दिखाई पड़ा एक दम चिकनी चूत। (पेंटी का रिवाज वहा गाव में नही होता) विनोद को लगा कि किसी 12-13 की लड़की का चूत देख रहा है। विनोद ने सुंदरी के पैरों को फैलाया और दोनों पैरों के बीच बैठ कर लंड को एंट्री पॉइंट पर रखा और सुंदरी की चुचियों को पकड़ा। जोर का धक्का मारा। विनोद के धक्के में दम था। पूरा लंड बुर के अंदर घुस गया।
“आहहह…।” धीरे से पेलो बेटा।” सुंदरी बोली। लेकिन विनोद को तो चूत का भोंसड़ा बनाना था। सुंदरी की बुर देख कर बहुत मस्त हो गया था। उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि सुंदरी को चोद रहा है। लंड चूत के अंदर पूरा चला गया, चूत टाइट थी, या फिर सुंदरी ने जानबुज कर अपनी छुट के मांस को जकड के रखा था, वह तो सुंदरी ही जानती थी, माहिर जो थी। इतनी गर्मी और टाइटनेस का उपयोग एक साल पहले अपनी दीदी को भी चोदने में नहीं आया था। विनोद ने जोर से धक्का मारा। सुंदरी को विनोद की जल्दबाज़ी देख कर लगा कि साला जल्दी ढल जाएगा और वही हुआ।
चौथा धक्के में ही विनोद ने सुंदरी की चूत को अपना पानी से नहला दिया। सुंदरी की गर्मी तो अभी चढ़ना शुरू ही हुआ था। उसने तो अभी तक लंड को चूत के अन्दर पूरा महसुस भी नहीं किया था और विनोद झड़ गया। सुंदरी को दुख नहीं हुआ कि उसने एक नामर्द से चुदवाया है। विनोद बहुत गर्म हो गया था उसकी धईलो को मसल-मसल कर और ये सोच कर कि सुंदरी को चोद रहा है। सुंदरी ने दोनों पैरों से विनोद को टाई कर दिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली: मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
"बेटे। घबराओ मत, ऐसा होता है। थोड़ा ठंडा हो जाओ, फिर चोदना।"
विनोद को चार धक्के में ही पानी छोड़ता देख परम बहुत खुश हुआ और उसने सारे कपड़े उतार कर नंगा सुंदरी के सामने आकर लंड हिलाने लगा और कहा
“माँ, ये साला तो तुम को चोद नहीं पाया, मुझे चोदने दो।”
" चुप.. मादरचोद, माँ को अपना लंड दिखता है। जाकर विनोद की माँ और दीदी को चोदो, मेरा माल (चूत) तुम्हारे लिए नहीं है।" सुंदरी परम के लंड को मुठ मारने लगी।
“जब तक मैं विनोद से मजा लेती हूं तुम उन दोनों कुतिया को जाकर चोदो।” सुंदरी ने बेटे के लंड को मसल कर छोड़ दिया।
फिर उसने विनोद को अपने से अलग किया और पूछा, “फिर चोदोगे की थक गए!”
विनोद ने सुंदरी के ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। विनोद ने चूत में लंड तो पेला लेकिन अभी तक मस्त चुचियों का दर्शन नहीं किया था। उसने दोनो निपल्स को धीरे से मसला और कहा “काकी अभी तो खाली तुम्हारी चूत को छुआ है, थोड़ी देर के बाद फिर पेलूंगा और तब देखना मेरे लंड से तुमको चुदवाने में कितना मजा आता है।” इतना कहते हुए विनोद ने सुंदरी के कमर से पेटीकोट को बाहर निकाल दिया। अब उस कमरे मे टीनो मादरचोद बिल्कुल नंगे थे।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
"काकी तुम सच में एक नंबर की माल हो। परम मूर्ख है कि उसने अब तक तुम्हें चोदा नहीं। मैं तेरा बेटा होता तो कब का तुम्हारी चूत में लंड पेल कर मजा लेता। और क्या पता मेरे ही बच्चे की माँ भी बन जाती। मेरे साथ कोलकाता चलो, वहा एक से एक चुदक्कड़ है। खूब चुदाई का मजा देंगे और जितना मागोंगी उतना पैसा भी देंगे।”
विनोद सुंदरी के होठों को चूमता रहा तब तक जब तक सुंदरी ने उसे बदन से अलग नहीं किया।
“विनोद तुझे फिर से लंड पेलना है तो जो मैं कहती हूँ..”
विनोद को सुंदरी का हर अंग छूने में मज़ा आ रहा था, “क्या करने बोलती हो काकी!“
“मेरी चूत चाट और चूस।” सुंदरी ने कहा।
"छी काकी, बुर भी कोई चाटने की चीज है। वहां तो खाली लंड को ही अंदर डालना होता है, चोदने के लिए चूत होती है काकी।"
“देख हरामी, तू अगर मुझे फिर से चोदना चाहता है तो चूत चाट नहीं तो लंड पकड़ कर बाहर चला जा और अपनी माँ से गांड सटा के सो जा।” सुंदरी बोलते हुए विनोद को धक्का दे कर उठ गई। फिर कहा “देख, परम का लंड भी चूत के अंदर जाने को तैयार है, आज उसी से चुदवा लूंगी।” सुंदरी ने परम को पास बुलाया और उसका लंड पकड़ कर अपनी स्तनों से रगड़ने लगी।
"काकी, परम के बारे में मैंने किसी को भी बुर को चाटते नहीं देखा। बुर तो गंदा रहता है, चाटने से बीमारी हो जाएगी...तू समजती क्यों नहीं!"
"चुप! बहनचोद साला। चूत चटवाने में जो मजा औरत को आता है उतना मजा तो लंड से पेलवाने में भी नहीं आता है।" सुंदरी अब परम के लंड को अपनी चूत से रगड़ रही थी।
परम खुश हो गया था कि आज माँ उसके दोस्त के सामने हमसे चुदवायेगी। उसने माँ का चूची दबाते हुए कहा “विनोद तुमने देखा तो है, जब मैंने तुम्हारी माँ और दीदी की चूत चूसता हूँ तो दोनों कुतिया कितना मजा लेती है।”
सुंदरी ने फिर कहा "मादरचोद, जल्दी बोल। मेरी चूत को अंदर तक चाटेगा की मैं परम से पेलवा लू?"
विनोद अपने ढीले लंड को हाथ से रगड़ कर टाइट करने की कोशिश कर रहा था और उधर परम ने सुंदरी के क्लिट को जोर से मसला। “ओह्ह….. आह्ह…” सुंदरी चीख उठी। विनोद ने फैसला किया कि अब अगर थोड़ी भी देरी होगी तो परम उसके सामने सुंदरी को पेल डालेगा और सुंदरी भी उसकी मां और दीदी की तरह परम के लंड की गुलाम हो जाएगी। विनोद को क्या मालूम कि दोनो माँ-बेटे रोज चुदाई का मजा लेते हैं। विनोद ने सोचा कि परम जब उसकी माँ और दीदी की चूत चाटता है तो दोनो मादरचोद बहुत मजा लेती है और परम भी खूब मजा लेकर चूत का स्वाद पुरे अंदर से लेता है। विनोद ने फैसला किया कि क्यों ना चूत चाटने की शुरुआत सुंदरी के चूत से की जाए। क्या यह चूत भी स्वादिष्ट है और इस चूत से ज्यादा स्वादिष्ट कोई हो ही नहीं सकता। अगर चूत का स्वाद अच्छा लगेगा तो रात अपनी माँ और दीदी की चूत भी चाटेगा।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
अब आगे देखते है की विनोद सुंदरी की चूत चाट के चुतरस लेता है या फिर.............छोड़ देता है..............सुंदरी का स्वाद भूल जाएगा.......!!!!!!!!!!
मेरे साथ बने रहिये
यह एपिसोड कैसा लगा आपकी राय जरुर दीजिये..........प्रतीक्षा:
JiwOWW pARAM aUR SUNDARI DONO hi mast kamuk hain.