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Update 11



परम बोल रहा है, "आज अगर काका नहीं होते, तो मैं उसे चूम कर पुमा की धइले को मसल डालता।"

आम तौर पर, अगर कोई किसी लड़की का उसकी माँ से इस तरह ज़िक्र करता, तो वह उसे ज़ोरदार थप्पड़ मार देती। लेकिन यह गाव तो विचित्रता से भरपूर है। आप लोग अब तक तो जान ही गए होंगे। यहाँ सब कुछ नार्मल तरीके से लिया जाता है। लेकिन ऐसे अनटोल्ड नियमो की वजह से, पुष्पा ऐसा नहीं कर सकती थी। वैसे भी, शादी से पहले और बाद में, हर होली पर उसने कुछ ख़ास लोगों को ही अपने स्तन सहलाने की इजाज़त दी थी, लेकिन किसी भी बाहरी पुरुष ने (घर के अलावा), यहाँ तक कि उसके पति ने भी, कभी उससे इतनी कामुक बातें नहीं कीं। हालाँकि कभी-कभी उसने सुंदरी और दूसरी सहेलियों के साथ सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह दूसरी औरतों के साथ यौन संबंधों तक ही सीमित रही। और तो और, अपनी कामुक बातों के साथ-साथ परम उसे अपने हाथों से भी खुश कर रहा था।

“अरे बेटे,अभी वह कच्ची है मैंने कहा तो सही, अभी वह ब्रा और पेंटी में है, घाघरा में नही आई।“ (अब इसका मतलब तो वोही समजा सकती है। मैं यह समजती हु की वहा औरतो या बड़ी लडकिया जो घाघरा-चोली पाहती है वे लोग ब्रा-पेंटी नहीं पहनते है। उन जरुरी दिनों के अलावा और स्कुल-कोलेज के अलावा।)

और तब परम ने वो शब्द कहे जो पुष्पा सुनना चाहती थी।
फनलवर द्वारा रचित

“काकी सच बोलता हूं, अगर मुझे अकेले मिल जाए तो मैं उसकी जमकर चुदाई कर डालूंगा, भले ही उसकी नन्ही सी चूत क्यों न फट जाए। मैं उसकी चूत और कोंख में मेरा वारिस रखना चाहता हु। आपकी मेहरबानी होगी तो जल्द ही फूलेगी।”

इतना सुनते ही पुष्पा शर्मा गई लेकिन उसकी चूत फुदकने लगी।

“हे काकी, एक बार मुझे पुमा के साथ अकेले रहने दो…” कहते हुए परम ने जांघों पर से हाथ हटाया और पुष्पा की दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर लिया..

“काकी, तुम्हारे गाल भी बिलकुल पुमा जैसे है।”

पुष्पा को अच्छा नहीं लगा कि परम ने चूत पर हाथ लगाया बिना, अपना हाथ हटा लिया। इधर परम भी समझ नहीं पाया कि उसने चूत को क्यों नहीं मसला। लेकिन परम अब पुष्पा की गालों को रगड़ रहा था।

“तुमने कभी किसी को….क्या किया है?” पुष्पा चुदाई कहना चाहती थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे रोक लिया।

परम समझ गया लेकिन उसने पूछा, "क्या...किया है? मतलब"

पुष्पा ने अपने गालों पर से परम का हाथ हटाया तो परम ने उसकी गालों को चूम लिया।

“छी, क्या करता है…!”
फनलवर की रचना

कहते हुए परम को थोड़ा पीछे ढकेल दिया। और खुद पीछे खिसक कर बेड-रेस्ट से सटकर बैठ गई। जैसा कि आम तौर पर महिलाएं दोनों घुटनों को ऊपर उठा कर और पैरों को अंदर की तरफ खींच कर बैठती हैं। परम भी पुष्पा के एक तरफ आकर बैठ गया और बिना हिचकिचाहट के अपने हाथ पुष्पा के कमर पर रख दिया। पुष्पा ने अपना एक हाथ उसकी हाथ में रखा और कहा,

“वही, जो तुम पुमा के साथ अकेले काम करना चाहते हो..!”

“ओह.. तो तुम जानना चाहती हो कि मैंने किसी को चोदा.. है कि नहीं…? काकी, आपकी यह भाषा ही आपको इस गाव से अलग रखे हुए है। आप खुल के बोले ताकि सब को समज आये।”

“हां, हां, अब ज्यादा उपदेश ना दे! मैं भी इसी गाव से हु, मुझे सब पता है और आता भी है। यह हम पहली बार बात कर रहे है इसलिए....समजा! मुझे इस गाव से बहार मत समज।“

परम का हाथ अब बिल्कुल पुष्पा के छूट के ऊपर था। पुष्पा की चूत फुदक रही थी। परम ने प्यूबिक एरिया को सहलाते हुए झूठ कहा,

“नहीं काकी, अभी तक तो किसी को चोदने का मौका नहीं मिला है… मन तो बहुत करता है।” कहते हुए परम ने हाथ नीचे किया और काकी के चूत पर रख दिया और हौले से दबाते हुए कहा..

“मुझे तो मालूम भी नहीं कि चुदाई होती क्या है…।”

परम ने पुष्पा की चूत की फाँको पर उंगलियों को रगड़ा... करीब 1 मिनट तो पुष्पा ने चूत पर उंगलियों को रगड़ने दिया लेकिन उसके बाद उसने परम का हाथ उठा कर अलग किया और एक तकिये को अपनी गोद में रख लिया।

“अरे… उस में, सिखाना क्या है… जब कोई नंगी लड़की को बिस्तर पर लिटोगे तो अपने आप पता चल जाएगा की.. क्या करना है.. ।”काकी भी जानती थी की परम झूठ बोल रहा है लेकिन वह भी इस मस्ती को बंद करना नहीं चाहती थी। यही मस्ती उसे अपने अंजाम तक ले जायेगी बिना कुछ आगे बढे।

काकी ने कहा और अपना हाथ बढ़ा कर परम के कंधे पर रख कर दबाया। परम बिल्कुल पुष्पा से चिपक गया..

"जब मेरी शादी हुई तो मैं छोटी थी, पुमा के उमर की, और तुम्हारे काका 18-19 साल के। शादी के तीन महीने टुक मैं नंगी नहीं हुई। तुम्हारे काका ने बहुत कोशिश की, मेरे घर बालों से शिकायत भी की, मुझे डांटा भी लेकिन मैंने अपना कपड़ा नहीं खोला, आख़िर एक रात काका के पिता ने कुछ समजाया और काका ने जबरदस्त मेरे सारे कपड़े फाड़ डाले और मुझे पूरा नंगा कर अपना 'डंडा' मेरे अंदर पेल दिया। पहले बार तो बहुत दर्द किया था लेकिन बाद में बहुत मज़ा आने लगा। तुम्हारे काका अभी भी बहोत मजा देते हैं…” पुष्पा ने कहा।

परम सुन भी रहा था, और अपना काम भी कर रहा था। उसने अपना एक गाल पुष्पा की मस्त चूची से सटा कर रखा था और एक हाथ से पैरों के पास से कपड़े ऊपर उठा रहा था।

पुष्पा ने मना नहीं किया,बस बिना विरोध बैठी रही और पूछा, “तूने किसी को नंगा देखा है?”
फनलवर की रचना है

परम ने कपड़ों को घुटनों तक उठा दिया था और पुष्पा की चिकनी पिंडलियों को सहलाता रहा।

“हा काकी, कई बार सुंदरी की नंगी चुचियों को देखा है और बस एक बार महक की चूत को देखा है।”

परम का हाथ कभी बछड़ों पर घूम रहा था तो कभी पुष्पा की मांसल जांघो का मजा ले रहा था। उसने बोलना जारी रखा,

“लेकिन कभी भी मेरा लौड़ा इतना टाइट नहीं हुआ था जितना आज पुमा को कपड़ो में देख कर हुआ। बहोत टाईट हो गया था काकी,मेरा लंड।”

परम के मुँह से 'लोडा' सुनकर पुष्पा थोड़ी शर्मा गई। पुष्पा ने गोदी में तकिया रखा था इसलिए परम सामने से चूत पर हाथ नहीं लग सकता था। तब परम ने पिंडलियों को मसलते, पीठ-जांघों पर हाथ डाला और फिर दोनों जांघों के बीच कपड़ो के ऊपर से चूत को मसलने लगा। चूत का होंठ परम के उंगलियों के बीच में था और परम ने जोरो से मसलते हुए पूछा,

“काकी तुम तो अभी भी इतनी सुंदर हो और मस्त भी, कई लोग तुम्हारी चूत का मजा ले चुके होंगे।”

चूत को मसलते मसलते परम को बहुत गर्मी लगने लगी तो उसने हाथ हटा कर अपना शर्ट निकाल दिया।

"बहुत गर्मी है। काकी तुम्हें भी बहुत गर्मी लग रही होगी। साड़ी क्यों नहीं उतार देती हो.. मेरे सिवा कोई देखने बाला नहीं है।"

इतना कह कर परम ने तकिया खींच कर अलग कर दिया। साड़ी की गांठ भी खोल दिया और पुष्पा बैठी रही और परम ने साड़ी को बॉडी से अलग कर नीचे फेंक दिया। इस खिंचा तनी मे पेटीकोट (घाघरा) ऊपर उठ गया था और आधी जांघ साफ चमक रही थी। पुष्पा ने पेटीकोट को नीचे खींचना चाहा लेकिन परम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया।

“काकी, रहने दो ना, और मुझे काम करने दो न, मैंने इतनी सुंदर और चिकनी जांघें नहीं देखी हैं।” परम ने नंगी जंघो को सहलाया और पूछा, “बोलो ना काकी कितने लोगों से चुदवाई हो?”

अब पुष्पा से भी नहीं रहा गया। पुष्पा ने परम को अपनी ओर खींच लिया और उसके मुंह को अपने चुचियो के बीच में रख दिया।


“अपनी बेटियों की कसम तुम्हारे काका के अलावा किसी ने अब तक मुझे नहीं चोदा है।” नहीं चाहते हुए भी पुष्पा 'चोदा' बोल पड़ी। पुष्पा ने फिर कहा “लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”

कही जायिगा नहीं अभी काफी आगे बहोत बाकी है...........



जब तक दूसरा अपडेट लिख लू तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय दीजिये प्लीज़.................


जय भारत।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
लगता हैं पुष्पा और परम के बीच धुवांधार चुदाई होने वाली है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ashiq Baba

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बहुत ही शानदार अपडेट है । कितनी बारीकी से सेड्यूसिंग का वर्णन आपने इतनी सरलता से किया है कि कोई भी नौसिखिया आपकी कहानी से सीख सकता है । मैंने गौर किया है कि आपने इतनी हसीन, सुन्दरता और समृद्ध तरीके से इस कला का अपने अपडेट्स में इसका प्रयोग किया है किसी सधे हए शातिर की तरह परम के हर एक अपडेट में इस कला का बखूबी प्रदर्शन देखने को मिलता है । आपकी कल्पनाशीलता और उसको लेखनी से प्रदर्शित करना वाकई काबिले गौर काबिले तारीफ है । थैंक यू वेरी मच ।
 

prkin

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परम बोल रहा है, "आज अगर काका नहीं होते, तो मैं उसे चूम कर पुमा की धइले को मसल डालता।"

आम तौर पर, अगर कोई किसी लड़की का उसकी माँ से इस तरह ज़िक्र करता, तो वह उसे ज़ोरदार थप्पड़ मार देती। लेकिन यह गाव तो विचित्रता से भरपूर है। आप लोग अब तक तो जान ही गए होंगे। यहाँ सब कुछ नार्मल तरीके से लिया जाता है। लेकिन ऐसे अनटोल्ड नियमो की वजह से, पुष्पा ऐसा नहीं कर सकती थी। वैसे भी, शादी से पहले और बाद में, हर होली पर उसने कुछ ख़ास लोगों को ही अपने स्तन सहलाने की इजाज़त दी थी, लेकिन किसी भी बाहरी पुरुष ने (घर के अलावा), यहाँ तक कि उसके पति ने भी, कभी उससे इतनी कामुक बातें नहीं कीं। हालाँकि कभी-कभी उसने सुंदरी और दूसरी सहेलियों के साथ सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह दूसरी औरतों के साथ यौन संबंधों तक ही सीमित रही। और तो और, अपनी कामुक बातों के साथ-साथ परम उसे अपने हाथों से भी खुश कर रहा था।

“अरे बेटे,अभी वह कच्ची है मैंने कहा तो सही, अभी वह ब्रा और पेंटी में है, घाघरा में नही आई।“ (अब इसका मतलब तो वोही समजा सकती है। मैं यह समजती हु की वहा औरतो या बड़ी लडकिया जो घाघरा-चोली पाहती है वे लोग ब्रा-पेंटी नहीं पहनते है। उन जरुरी दिनों के अलावा और स्कुल-कोलेज के अलावा।)

और तब परम ने वो शब्द कहे जो पुष्पा सुनना चाहती थी।
फनलवर द्वारा रचित

“काकी सच बोलता हूं, अगर मुझे अकेले मिल जाए तो मैं उसकी जमकर चुदाई कर डालूंगा, भले ही उसकी नन्ही सी चूत क्यों न फट जाए। मैं उसकी चूत और कोंख में मेरा वारिस रखना चाहता हु। आपकी मेहरबानी होगी तो जल्द ही फूलेगी।”

इतना सुनते ही पुष्पा शर्मा गई लेकिन उसकी चूत फुदकने लगी।

“हे काकी, एक बार मुझे पुमा के साथ अकेले रहने दो…” कहते हुए परम ने जांघों पर से हाथ हटाया और पुष्पा की दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर लिया..

“काकी, तुम्हारे गाल भी बिलकुल पुमा जैसे है।”

पुष्पा को अच्छा नहीं लगा कि परम ने चूत पर हाथ लगाया बिना, अपना हाथ हटा लिया। इधर परम भी समझ नहीं पाया कि उसने चूत को क्यों नहीं मसला। लेकिन परम अब पुष्पा की गालों को रगड़ रहा था।

“तुमने कभी किसी को….क्या किया है?” पुष्पा चुदाई कहना चाहती थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे रोक लिया।

परम समझ गया लेकिन उसने पूछा, "क्या...किया है? मतलब"

पुष्पा ने अपने गालों पर से परम का हाथ हटाया तो परम ने उसकी गालों को चूम लिया।

“छी, क्या करता है…!”
फनलवर की रचना

कहते हुए परम को थोड़ा पीछे ढकेल दिया। और खुद पीछे खिसक कर बेड-रेस्ट से सटकर बैठ गई। जैसा कि आम तौर पर महिलाएं दोनों घुटनों को ऊपर उठा कर और पैरों को अंदर की तरफ खींच कर बैठती हैं। परम भी पुष्पा के एक तरफ आकर बैठ गया और बिना हिचकिचाहट के अपने हाथ पुष्पा के कमर पर रख दिया। पुष्पा ने अपना एक हाथ उसकी हाथ में रखा और कहा,

“वही, जो तुम पुमा के साथ अकेले काम करना चाहते हो..!”

“ओह.. तो तुम जानना चाहती हो कि मैंने किसी को चोदा.. है कि नहीं…? काकी, आपकी यह भाषा ही आपको इस गाव से अलग रखे हुए है। आप खुल के बोले ताकि सब को समज आये।”

“हां, हां, अब ज्यादा उपदेश ना दे! मैं भी इसी गाव से हु, मुझे सब पता है और आता भी है। यह हम पहली बार बात कर रहे है इसलिए....समजा! मुझे इस गाव से बहार मत समज।“

परम का हाथ अब बिल्कुल पुष्पा के छूट के ऊपर था। पुष्पा की चूत फुदक रही थी। परम ने प्यूबिक एरिया को सहलाते हुए झूठ कहा,

“नहीं काकी, अभी तक तो किसी को चोदने का मौका नहीं मिला है… मन तो बहुत करता है।” कहते हुए परम ने हाथ नीचे किया और काकी के चूत पर रख दिया और हौले से दबाते हुए कहा..

“मुझे तो मालूम भी नहीं कि चुदाई होती क्या है…।”

परम ने पुष्पा की चूत की फाँको पर उंगलियों को रगड़ा... करीब 1 मिनट तो पुष्पा ने चूत पर उंगलियों को रगड़ने दिया लेकिन उसके बाद उसने परम का हाथ उठा कर अलग किया और एक तकिये को अपनी गोद में रख लिया।

“अरे… उस में, सिखाना क्या है… जब कोई नंगी लड़की को बिस्तर पर लिटोगे तो अपने आप पता चल जाएगा की.. क्या करना है.. ।”काकी भी जानती थी की परम झूठ बोल रहा है लेकिन वह भी इस मस्ती को बंद करना नहीं चाहती थी। यही मस्ती उसे अपने अंजाम तक ले जायेगी बिना कुछ आगे बढे।

काकी ने कहा और अपना हाथ बढ़ा कर परम के कंधे पर रख कर दबाया। परम बिल्कुल पुष्पा से चिपक गया..

"जब मेरी शादी हुई तो मैं छोटी थी, पुमा के उमर की, और तुम्हारे काका 18-19 साल के। शादी के तीन महीने टुक मैं नंगी नहीं हुई। तुम्हारे काका ने बहुत कोशिश की, मेरे घर बालों से शिकायत भी की, मुझे डांटा भी लेकिन मैंने अपना कपड़ा नहीं खोला, आख़िर एक रात काका के पिता ने कुछ समजाया और काका ने जबरदस्त मेरे सारे कपड़े फाड़ डाले और मुझे पूरा नंगा कर अपना 'डंडा' मेरे अंदर पेल दिया। पहले बार तो बहुत दर्द किया था लेकिन बाद में बहुत मज़ा आने लगा। तुम्हारे काका अभी भी बहोत मजा देते हैं…” पुष्पा ने कहा।

परम सुन भी रहा था, और अपना काम भी कर रहा था। उसने अपना एक गाल पुष्पा की मस्त चूची से सटा कर रखा था और एक हाथ से पैरों के पास से कपड़े ऊपर उठा रहा था।

पुष्पा ने मना नहीं किया,बस बिना विरोध बैठी रही और पूछा, “तूने किसी को नंगा देखा है?”
फनलवर की रचना है

परम ने कपड़ों को घुटनों तक उठा दिया था और पुष्पा की चिकनी पिंडलियों को सहलाता रहा।

“हा काकी, कई बार सुंदरी की नंगी चुचियों को देखा है और बस एक बार महक की चूत को देखा है।”

परम का हाथ कभी बछड़ों पर घूम रहा था तो कभी पुष्पा की मांसल जांघो का मजा ले रहा था। उसने बोलना जारी रखा,

“लेकिन कभी भी मेरा लौड़ा इतना टाइट नहीं हुआ था जितना आज पुमा को कपड़ो में देख कर हुआ। बहोत टाईट हो गया था काकी,मेरा लंड।”

परम के मुँह से 'लोडा' सुनकर पुष्पा थोड़ी शर्मा गई। पुष्पा ने गोदी में तकिया रखा था इसलिए परम सामने से चूत पर हाथ नहीं लग सकता था। तब परम ने पिंडलियों को मसलते, पीठ-जांघों पर हाथ डाला और फिर दोनों जांघों के बीच कपड़ो के ऊपर से चूत को मसलने लगा। चूत का होंठ परम के उंगलियों के बीच में था और परम ने जोरो से मसलते हुए पूछा,

“काकी तुम तो अभी भी इतनी सुंदर हो और मस्त भी, कई लोग तुम्हारी चूत का मजा ले चुके होंगे।”

चूत को मसलते मसलते परम को बहुत गर्मी लगने लगी तो उसने हाथ हटा कर अपना शर्ट निकाल दिया।

"बहुत गर्मी है। काकी तुम्हें भी बहुत गर्मी लग रही होगी। साड़ी क्यों नहीं उतार देती हो.. मेरे सिवा कोई देखने बाला नहीं है।"

इतना कह कर परम ने तकिया खींच कर अलग कर दिया। साड़ी की गांठ भी खोल दिया और पुष्पा बैठी रही और परम ने साड़ी को बॉडी से अलग कर नीचे फेंक दिया। इस खिंचा तनी मे पेटीकोट (घाघरा) ऊपर उठ गया था और आधी जांघ साफ चमक रही थी। पुष्पा ने पेटीकोट को नीचे खींचना चाहा लेकिन परम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया।

“काकी, रहने दो ना, और मुझे काम करने दो न, मैंने इतनी सुंदर और चिकनी जांघें नहीं देखी हैं।” परम ने नंगी जंघो को सहलाया और पूछा, “बोलो ना काकी कितने लोगों से चुदवाई हो?”

अब पुष्पा से भी नहीं रहा गया। पुष्पा ने परम को अपनी ओर खींच लिया और उसके मुंह को अपने चुचियो के बीच में रख दिया।


“अपनी बेटियों की कसम तुम्हारे काका के अलावा किसी ने अब तक मुझे नहीं चोदा है।” नहीं चाहते हुए भी पुष्पा 'चोदा' बोल पड़ी। पुष्पा ने फिर कहा “लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”

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शुक्रिया दोस्त...............

आपसे एक बड़ी फ़रियाद भी है.................................



आप इतने बड़े लेखक है और मुझे मालुम तक नहीं..............................
 
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बहुत ही शानदार लाजवाब और जबरदस्त मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
Bas readers ko maja aya matlab mera prayas safal raha
 
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आम तौर पर, अगर कोई किसी लड़की का उसकी माँ से इस तरह ज़िक्र करता, तो वह उसे ज़ोरदार थप्पड़ मार देती। लेकिन यह गाव तो विचित्रता से भरपूर है। आप लोग अब तक तो जान ही गए होंगे। यहाँ सब कुछ नार्मल तरीके से लिया जाता है। लेकिन ऐसे अनटोल्ड नियमो की वजह से, पुष्पा ऐसा नहीं कर सकती थी। वैसे भी, शादी से पहले और बाद में, हर होली पर उसने कुछ ख़ास लोगों को ही अपने स्तन सहलाने की इजाज़त दी थी, लेकिन किसी भी बाहरी पुरुष ने (घर के अलावा), यहाँ तक कि उसके पति ने भी, कभी उससे इतनी कामुक बातें नहीं कीं। हालाँकि कभी-कभी उसने सुंदरी और दूसरी सहेलियों के साथ सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह दूसरी औरतों के साथ यौन संबंधों तक ही सीमित रही। और तो और, अपनी कामुक बातों के साथ-साथ परम उसे अपने हाथों से भी खुश कर रहा था।

“अरे बेटे,अभी वह कच्ची है मैंने कहा तो सही, अभी वह ब्रा और पेंटी में है, घाघरा में नही आई।“ (अब इसका मतलब तो वोही समजा सकती है। मैं यह समजती हु की वहा औरतो या बड़ी लडकिया जो घाघरा-चोली पाहती है वे लोग ब्रा-पेंटी नहीं पहनते है। उन जरुरी दिनों के अलावा और स्कुल-कोलेज के अलावा।)

और तब परम ने वो शब्द कहे जो पुष्पा सुनना चाहती थी।
फनलवर द्वारा रचित

“काकी सच बोलता हूं, अगर मुझे अकेले मिल जाए तो मैं उसकी जमकर चुदाई कर डालूंगा, भले ही उसकी नन्ही सी चूत क्यों न फट जाए। मैं उसकी चूत और कोंख में मेरा वारिस रखना चाहता हु। आपकी मेहरबानी होगी तो जल्द ही फूलेगी।”

इतना सुनते ही पुष्पा शर्मा गई लेकिन उसकी चूत फुदकने लगी।

“हे काकी, एक बार मुझे पुमा के साथ अकेले रहने दो…” कहते हुए परम ने जांघों पर से हाथ हटाया और पुष्पा की दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर लिया..

“काकी, तुम्हारे गाल भी बिलकुल पुमा जैसे है।”

पुष्पा को अच्छा नहीं लगा कि परम ने चूत पर हाथ लगाया बिना, अपना हाथ हटा लिया। इधर परम भी समझ नहीं पाया कि उसने चूत को क्यों नहीं मसला। लेकिन परम अब पुष्पा की गालों को रगड़ रहा था।

“तुमने कभी किसी को….क्या किया है?” पुष्पा चुदाई कहना चाहती थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे रोक लिया।

परम समझ गया लेकिन उसने पूछा, "क्या...किया है? मतलब"

पुष्पा ने अपने गालों पर से परम का हाथ हटाया तो परम ने उसकी गालों को चूम लिया।

“छी, क्या करता है…!”
फनलवर की रचना

कहते हुए परम को थोड़ा पीछे ढकेल दिया। और खुद पीछे खिसक कर बेड-रेस्ट से सटकर बैठ गई। जैसा कि आम तौर पर महिलाएं दोनों घुटनों को ऊपर उठा कर और पैरों को अंदर की तरफ खींच कर बैठती हैं। परम भी पुष्पा के एक तरफ आकर बैठ गया और बिना हिचकिचाहट के अपने हाथ पुष्पा के कमर पर रख दिया। पुष्पा ने अपना एक हाथ उसकी हाथ में रखा और कहा,

“वही, जो तुम पुमा के साथ अकेले काम करना चाहते हो..!”

“ओह.. तो तुम जानना चाहती हो कि मैंने किसी को चोदा.. है कि नहीं…? काकी, आपकी यह भाषा ही आपको इस गाव से अलग रखे हुए है। आप खुल के बोले ताकि सब को समज आये।”

“हां, हां, अब ज्यादा उपदेश ना दे! मैं भी इसी गाव से हु, मुझे सब पता है और आता भी है। यह हम पहली बार बात कर रहे है इसलिए....समजा! मुझे इस गाव से बहार मत समज।“

परम का हाथ अब बिल्कुल पुष्पा के छूट के ऊपर था। पुष्पा की चूत फुदक रही थी। परम ने प्यूबिक एरिया को सहलाते हुए झूठ कहा,

“नहीं काकी, अभी तक तो किसी को चोदने का मौका नहीं मिला है… मन तो बहुत करता है।” कहते हुए परम ने हाथ नीचे किया और काकी के चूत पर रख दिया और हौले से दबाते हुए कहा..

“मुझे तो मालूम भी नहीं कि चुदाई होती क्या है…।”

परम ने पुष्पा की चूत की फाँको पर उंगलियों को रगड़ा... करीब 1 मिनट तो पुष्पा ने चूत पर उंगलियों को रगड़ने दिया लेकिन उसके बाद उसने परम का हाथ उठा कर अलग किया और एक तकिये को अपनी गोद में रख लिया।

“अरे… उस में, सिखाना क्या है… जब कोई नंगी लड़की को बिस्तर पर लिटोगे तो अपने आप पता चल जाएगा की.. क्या करना है.. ।”काकी भी जानती थी की परम झूठ बोल रहा है लेकिन वह भी इस मस्ती को बंद करना नहीं चाहती थी। यही मस्ती उसे अपने अंजाम तक ले जायेगी बिना कुछ आगे बढे।

काकी ने कहा और अपना हाथ बढ़ा कर परम के कंधे पर रख कर दबाया। परम बिल्कुल पुष्पा से चिपक गया..

"जब मेरी शादी हुई तो मैं छोटी थी, पुमा के उमर की, और तुम्हारे काका 18-19 साल के। शादी के तीन महीने टुक मैं नंगी नहीं हुई। तुम्हारे काका ने बहुत कोशिश की, मेरे घर बालों से शिकायत भी की, मुझे डांटा भी लेकिन मैंने अपना कपड़ा नहीं खोला, आख़िर एक रात काका के पिता ने कुछ समजाया और काका ने जबरदस्त मेरे सारे कपड़े फाड़ डाले और मुझे पूरा नंगा कर अपना 'डंडा' मेरे अंदर पेल दिया। पहले बार तो बहुत दर्द किया था लेकिन बाद में बहुत मज़ा आने लगा। तुम्हारे काका अभी भी बहोत मजा देते हैं…” पुष्पा ने कहा।

परम सुन भी रहा था, और अपना काम भी कर रहा था। उसने अपना एक गाल पुष्पा की मस्त चूची से सटा कर रखा था और एक हाथ से पैरों के पास से कपड़े ऊपर उठा रहा था।

पुष्पा ने मना नहीं किया,बस बिना विरोध बैठी रही और पूछा, “तूने किसी को नंगा देखा है?”
फनलवर की रचना है

परम ने कपड़ों को घुटनों तक उठा दिया था और पुष्पा की चिकनी पिंडलियों को सहलाता रहा।

“हा काकी, कई बार सुंदरी की नंगी चुचियों को देखा है और बस एक बार महक की चूत को देखा है।”

परम का हाथ कभी बछड़ों पर घूम रहा था तो कभी पुष्पा की मांसल जांघो का मजा ले रहा था। उसने बोलना जारी रखा,

“लेकिन कभी भी मेरा लौड़ा इतना टाइट नहीं हुआ था जितना आज पुमा को कपड़ो में देख कर हुआ। बहोत टाईट हो गया था काकी,मेरा लंड।”

परम के मुँह से 'लोडा' सुनकर पुष्पा थोड़ी शर्मा गई। पुष्पा ने गोदी में तकिया रखा था इसलिए परम सामने से चूत पर हाथ नहीं लग सकता था। तब परम ने पिंडलियों को मसलते, पीठ-जांघों पर हाथ डाला और फिर दोनों जांघों के बीच कपड़ो के ऊपर से चूत को मसलने लगा। चूत का होंठ परम के उंगलियों के बीच में था और परम ने जोरो से मसलते हुए पूछा,

“काकी तुम तो अभी भी इतनी सुंदर हो और मस्त भी, कई लोग तुम्हारी चूत का मजा ले चुके होंगे।”

चूत को मसलते मसलते परम को बहुत गर्मी लगने लगी तो उसने हाथ हटा कर अपना शर्ट निकाल दिया।

"बहुत गर्मी है। काकी तुम्हें भी बहुत गर्मी लग रही होगी। साड़ी क्यों नहीं उतार देती हो.. मेरे सिवा कोई देखने बाला नहीं है।"

इतना कह कर परम ने तकिया खींच कर अलग कर दिया। साड़ी की गांठ भी खोल दिया और पुष्पा बैठी रही और परम ने साड़ी को बॉडी से अलग कर नीचे फेंक दिया। इस खिंचा तनी मे पेटीकोट (घाघरा) ऊपर उठ गया था और आधी जांघ साफ चमक रही थी। पुष्पा ने पेटीकोट को नीचे खींचना चाहा लेकिन परम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया।

“काकी, रहने दो ना, और मुझे काम करने दो न, मैंने इतनी सुंदर और चिकनी जांघें नहीं देखी हैं।” परम ने नंगी जंघो को सहलाया और पूछा, “बोलो ना काकी कितने लोगों से चुदवाई हो?”

अब पुष्पा से भी नहीं रहा गया। पुष्पा ने परम को अपनी ओर खींच लिया और उसके मुंह को अपने चुचियो के बीच में रख दिया।


“अपनी बेटियों की कसम तुम्हारे काका के अलावा किसी ने अब तक मुझे नहीं चोदा है।” नहीं चाहते हुए भी पुष्पा 'चोदा' बोल पड़ी। पुष्पा ने फिर कहा “लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”

कही जायिगा नहीं अभी काफी आगे बहोत बाकी है...........



जब तक दूसरा अपडेट लिख लू तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय दीजिये प्लीज़.................


जय भारत।
इस प्रेम प्रसंग को, यानी की परम और पुष्पा की प्रेम प्रसंग को लंबा करूं या थोड़े में खत्म करूं??
 
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Funlover

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
लगता हैं पुष्पा और परम के बीच धुवांधार चुदाई होने वाली है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त।

लगता है पुष्पा और परम के बीच धुवांधार चुदाई होने वाली है

क्या मैं इस प्रेम प्रसंग को एक दो एपिसोड तक ले जाऊं?

या फिर जल्दी ही खत्म करूं???
 

Ek number

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Update 11



परम बोल रहा है, "आज अगर काका नहीं होते, तो मैं उसे चूम कर पुमा की धइले को मसल डालता।"

आम तौर पर, अगर कोई किसी लड़की का उसकी माँ से इस तरह ज़िक्र करता, तो वह उसे ज़ोरदार थप्पड़ मार देती। लेकिन यह गाव तो विचित्रता से भरपूर है। आप लोग अब तक तो जान ही गए होंगे। यहाँ सब कुछ नार्मल तरीके से लिया जाता है। लेकिन ऐसे अनटोल्ड नियमो की वजह से, पुष्पा ऐसा नहीं कर सकती थी। वैसे भी, शादी से पहले और बाद में, हर होली पर उसने कुछ ख़ास लोगों को ही अपने स्तन सहलाने की इजाज़त दी थी, लेकिन किसी भी बाहरी पुरुष ने (घर के अलावा), यहाँ तक कि उसके पति ने भी, कभी उससे इतनी कामुक बातें नहीं कीं। हालाँकि कभी-कभी उसने सुंदरी और दूसरी सहेलियों के साथ सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह दूसरी औरतों के साथ यौन संबंधों तक ही सीमित रही। और तो और, अपनी कामुक बातों के साथ-साथ परम उसे अपने हाथों से भी खुश कर रहा था।

“अरे बेटे,अभी वह कच्ची है मैंने कहा तो सही, अभी वह ब्रा और पेंटी में है, घाघरा में नही आई।“ (अब इसका मतलब तो वोही समजा सकती है। मैं यह समजती हु की वहा औरतो या बड़ी लडकिया जो घाघरा-चोली पाहती है वे लोग ब्रा-पेंटी नहीं पहनते है। उन जरुरी दिनों के अलावा और स्कुल-कोलेज के अलावा।)

और तब परम ने वो शब्द कहे जो पुष्पा सुनना चाहती थी।
फनलवर द्वारा रचित

“काकी सच बोलता हूं, अगर मुझे अकेले मिल जाए तो मैं उसकी जमकर चुदाई कर डालूंगा, भले ही उसकी नन्ही सी चूत क्यों न फट जाए। मैं उसकी चूत और कोंख में मेरा वारिस रखना चाहता हु। आपकी मेहरबानी होगी तो जल्द ही फूलेगी।”

इतना सुनते ही पुष्पा शर्मा गई लेकिन उसकी चूत फुदकने लगी।

“हे काकी, एक बार मुझे पुमा के साथ अकेले रहने दो…” कहते हुए परम ने जांघों पर से हाथ हटाया और पुष्पा की दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर लिया..

“काकी, तुम्हारे गाल भी बिलकुल पुमा जैसे है।”

पुष्पा को अच्छा नहीं लगा कि परम ने चूत पर हाथ लगाया बिना, अपना हाथ हटा लिया। इधर परम भी समझ नहीं पाया कि उसने चूत को क्यों नहीं मसला। लेकिन परम अब पुष्पा की गालों को रगड़ रहा था।

“तुमने कभी किसी को….क्या किया है?” पुष्पा चुदाई कहना चाहती थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे रोक लिया।

परम समझ गया लेकिन उसने पूछा, "क्या...किया है? मतलब"

पुष्पा ने अपने गालों पर से परम का हाथ हटाया तो परम ने उसकी गालों को चूम लिया।

“छी, क्या करता है…!”
फनलवर की रचना

कहते हुए परम को थोड़ा पीछे ढकेल दिया। और खुद पीछे खिसक कर बेड-रेस्ट से सटकर बैठ गई। जैसा कि आम तौर पर महिलाएं दोनों घुटनों को ऊपर उठा कर और पैरों को अंदर की तरफ खींच कर बैठती हैं। परम भी पुष्पा के एक तरफ आकर बैठ गया और बिना हिचकिचाहट के अपने हाथ पुष्पा के कमर पर रख दिया। पुष्पा ने अपना एक हाथ उसकी हाथ में रखा और कहा,

“वही, जो तुम पुमा के साथ अकेले काम करना चाहते हो..!”

“ओह.. तो तुम जानना चाहती हो कि मैंने किसी को चोदा.. है कि नहीं…? काकी, आपकी यह भाषा ही आपको इस गाव से अलग रखे हुए है। आप खुल के बोले ताकि सब को समज आये।”

“हां, हां, अब ज्यादा उपदेश ना दे! मैं भी इसी गाव से हु, मुझे सब पता है और आता भी है। यह हम पहली बार बात कर रहे है इसलिए....समजा! मुझे इस गाव से बहार मत समज।“

परम का हाथ अब बिल्कुल पुष्पा के छूट के ऊपर था। पुष्पा की चूत फुदक रही थी। परम ने प्यूबिक एरिया को सहलाते हुए झूठ कहा,

“नहीं काकी, अभी तक तो किसी को चोदने का मौका नहीं मिला है… मन तो बहुत करता है।” कहते हुए परम ने हाथ नीचे किया और काकी के चूत पर रख दिया और हौले से दबाते हुए कहा..

“मुझे तो मालूम भी नहीं कि चुदाई होती क्या है…।”

परम ने पुष्पा की चूत की फाँको पर उंगलियों को रगड़ा... करीब 1 मिनट तो पुष्पा ने चूत पर उंगलियों को रगड़ने दिया लेकिन उसके बाद उसने परम का हाथ उठा कर अलग किया और एक तकिये को अपनी गोद में रख लिया।

“अरे… उस में, सिखाना क्या है… जब कोई नंगी लड़की को बिस्तर पर लिटोगे तो अपने आप पता चल जाएगा की.. क्या करना है.. ।”काकी भी जानती थी की परम झूठ बोल रहा है लेकिन वह भी इस मस्ती को बंद करना नहीं चाहती थी। यही मस्ती उसे अपने अंजाम तक ले जायेगी बिना कुछ आगे बढे।

काकी ने कहा और अपना हाथ बढ़ा कर परम के कंधे पर रख कर दबाया। परम बिल्कुल पुष्पा से चिपक गया..

"जब मेरी शादी हुई तो मैं छोटी थी, पुमा के उमर की, और तुम्हारे काका 18-19 साल के। शादी के तीन महीने टुक मैं नंगी नहीं हुई। तुम्हारे काका ने बहुत कोशिश की, मेरे घर बालों से शिकायत भी की, मुझे डांटा भी लेकिन मैंने अपना कपड़ा नहीं खोला, आख़िर एक रात काका के पिता ने कुछ समजाया और काका ने जबरदस्त मेरे सारे कपड़े फाड़ डाले और मुझे पूरा नंगा कर अपना 'डंडा' मेरे अंदर पेल दिया। पहले बार तो बहुत दर्द किया था लेकिन बाद में बहुत मज़ा आने लगा। तुम्हारे काका अभी भी बहोत मजा देते हैं…” पुष्पा ने कहा।

परम सुन भी रहा था, और अपना काम भी कर रहा था। उसने अपना एक गाल पुष्पा की मस्त चूची से सटा कर रखा था और एक हाथ से पैरों के पास से कपड़े ऊपर उठा रहा था।

पुष्पा ने मना नहीं किया,बस बिना विरोध बैठी रही और पूछा, “तूने किसी को नंगा देखा है?”
फनलवर की रचना है

परम ने कपड़ों को घुटनों तक उठा दिया था और पुष्पा की चिकनी पिंडलियों को सहलाता रहा।

“हा काकी, कई बार सुंदरी की नंगी चुचियों को देखा है और बस एक बार महक की चूत को देखा है।”

परम का हाथ कभी बछड़ों पर घूम रहा था तो कभी पुष्पा की मांसल जांघो का मजा ले रहा था। उसने बोलना जारी रखा,

“लेकिन कभी भी मेरा लौड़ा इतना टाइट नहीं हुआ था जितना आज पुमा को कपड़ो में देख कर हुआ। बहोत टाईट हो गया था काकी,मेरा लंड।”

परम के मुँह से 'लोडा' सुनकर पुष्पा थोड़ी शर्मा गई। पुष्पा ने गोदी में तकिया रखा था इसलिए परम सामने से चूत पर हाथ नहीं लग सकता था। तब परम ने पिंडलियों को मसलते, पीठ-जांघों पर हाथ डाला और फिर दोनों जांघों के बीच कपड़ो के ऊपर से चूत को मसलने लगा। चूत का होंठ परम के उंगलियों के बीच में था और परम ने जोरो से मसलते हुए पूछा,

“काकी तुम तो अभी भी इतनी सुंदर हो और मस्त भी, कई लोग तुम्हारी चूत का मजा ले चुके होंगे।”

चूत को मसलते मसलते परम को बहुत गर्मी लगने लगी तो उसने हाथ हटा कर अपना शर्ट निकाल दिया।

"बहुत गर्मी है। काकी तुम्हें भी बहुत गर्मी लग रही होगी। साड़ी क्यों नहीं उतार देती हो.. मेरे सिवा कोई देखने बाला नहीं है।"

इतना कह कर परम ने तकिया खींच कर अलग कर दिया। साड़ी की गांठ भी खोल दिया और पुष्पा बैठी रही और परम ने साड़ी को बॉडी से अलग कर नीचे फेंक दिया। इस खिंचा तनी मे पेटीकोट (घाघरा) ऊपर उठ गया था और आधी जांघ साफ चमक रही थी। पुष्पा ने पेटीकोट को नीचे खींचना चाहा लेकिन परम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया।

“काकी, रहने दो ना, और मुझे काम करने दो न, मैंने इतनी सुंदर और चिकनी जांघें नहीं देखी हैं।” परम ने नंगी जंघो को सहलाया और पूछा, “बोलो ना काकी कितने लोगों से चुदवाई हो?”

अब पुष्पा से भी नहीं रहा गया। पुष्पा ने परम को अपनी ओर खींच लिया और उसके मुंह को अपने चुचियो के बीच में रख दिया।


“अपनी बेटियों की कसम तुम्हारे काका के अलावा किसी ने अब तक मुझे नहीं चोदा है।” नहीं चाहते हुए भी पुष्पा 'चोदा' बोल पड़ी। पुष्पा ने फिर कहा “लेकिन तेरे काका के अलावा एक आदमी ने सिर्फ एक बार मेरी चूत को खूब मसला था।”

कही जायिगा नहीं अभी काफी आगे बहोत बाकी है...........



जब तक दूसरा अपडेट लिख लू तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय दीजिये प्लीज़.................


जय भारत।
Shandaar update
 
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