गाड़ी पार्किंग में खड़ी करके करण और राम्या दोनो अंदर जाते है तो वहां का इंचार्ज करण के पैर छूता हैं और आशीर्वाद लेता हैं और जैसे ही सबको पता चलता हैं कि आज करण सर अखाड़े में आए हैं प्रैक्टिस कर रहे सारे पहलवान खुशी से दौड़कर आते हैं और वो सभी बारी बारी करण के पैर छूते हैं।राम्या को आज पता चल रहा था कि लोग उसके बाप की कितनी इज्जत करते हैं और उसके दिल में अपने बाप के लिए इज्जत बहुत बढ़ जाती हैं। करण सबको राम्या से मिलाता हैं कि ये मेरी बेटी राम्या हैं तो सभी लोग हाथ जोड़कर उसे प्रणाम करते हैं।राम्या मुस्कुरा कर उन का अभिवादन स्वीकार करते हुए उसका जवाब देती हैं।आज सुबह से ही उसे बहुत ज्यादा इज्जत मिल रही थी अपने पापा की वजह से इतनी इज्जत जितनी उसे आज तक नहीं मिली थी।राम्या खुशी के मारे फुली नहीं समा रही थी।
करण: आओ राम्या बेटी तुम्हे अखाड़ा दिखाता हूं
और राम्या खुश होकर उसके साथ चल देती हैं , सारे पहलवान उनके साथ साथ ऐसे चल रहे थे मानो राम्या के बॉडी गार्ड हो। राम्या का आज अखाड़ा देखने का सपना भी पूरा हो रहा था। अंदर जाकर राम्या जैसे ही अखाड़ा देखती हैं उसे एक अलग ही खुशी मिलती हैं।अखाड़ा बहुत ही शानदार बना हुआ था , एक रिंग जो कि नीचे में बना हुआ था उसके चारो तरफ ऊंचाई पर कुर्सियां लगी हुई थी ताकि लोग आराम से देख सके । कम से कम 5000 हजार लोगों के अंदर बैठने की व्यव्स्था थी।
राम्या: वाउ पापा ये तो बहुत शानदार बना हुआ है। पापा मुझे कुश्ती देखनी है।
करण इशारा करता है और दो पहलवान रिंग में उतरकर अपना जोर दिखाने लगते हैं। दोनो एक दूसरे को हराने में लगे हुए थे। तभी सत्या नाम का पहलवान दूसरे को चित कर देता है और खुशी से करण की तरफ देखता हैं मानो उसे बता रहा हो कि सर मैं बहुत तेजी से सीख रहा हूं। करण फिर दूसरे पहलवानों को भेजता है तो सत्या उन पर भी भारी पड़ता है और जल्दी ही सारे पहलवान उससे हार चुके थे। राम्या सत्या को बहुत ही प्रंशसा की नजर से देख रही थी जो करण से बर्दाश्त नहीं हुआ ।करण अपने कपडे उतार कर सिर्फ एक अंडर वियर में रिंग में उपर से ही जंप लगाकर कूद जाता है । राम्या को हैरानी होती है कि इस उम्र में भी करण इतना फिट हैं कि उछल कूद कर सकता है।
करण और सत्या की जोरदार कुश्ती देखने को मिल रही थी ।करण सत्या का हर दांव फैल कर रहा था और सत्या मानो हर मानने को राजी नहीं था। 10 मिनट से ज्यादा देर तक कुश्ती चलती रही , दोनो पसीने पसीने हो चुके थे लेकिन नतीजा नहीं निकल रहा था ।फिर करण मुस्कुराता है और सत्या को दोनो हाथों से पकड़कर कर उठा लेता है जिसकी राम्या ने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी, उसे अपने बाप की ताकत पर हैरानी हो रही थी।
फिर करण सत्या को पटक देता हैं और सत्या अपनी हार मानने हुए उनके पैरों में एक बार फिर से झुक जाता है।
उसके बाद दोनो रिंग से बाहर आते हैं तो राम्या करण के शरीर को पहली बार पास से देखती हैं।
उफ्फ क्या शानदार बॉडी थी करण की, एक दम ठोस, थोड़ी सी भी लचक नहीं, चोडी छाती और उस पर घने काले बाल करण को और आकर्षक बना रहे थे। राम्या को ऐसे लगता है कि मानो वो कोई अजूबा देख रही हैं जैसे ही करण नजरे उठाकर राम्या की तरफ देखता हैं तो दोनो की नजरे टकराती है और दोनो एक साथ मुस्कुरा देते हैं , राम्या की नजरो में अभी एक बार उसके लिए प्रशंशा के भाव थे और सत्या से कहीं ज्यादा। ये देखकर करण की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। पसीने की बूंदे अभी भी उसके जिस्म से टपक रही थी । फिर वो एक टॉवेल से अपना जिस्म साफ करता है और टॉवेल लेकर बाथरूम में नहाने घुस जाता है।