Update 11
आशा (थोड़ा सोचते हुए ) - बेटी तेरे नानाजी मुझसे एक बात कहा करते थे जब मैं तेरे जितनी उम्र की थी ,उस वक्त मेरी शादी भी नहीं हुई थी , "" कुछ चीजों के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए आशा बेटी , सबके पास ये एक ही तो छोटा सा जीवन होता है , इस जीवन को हमको खुशी से मिल बांट के गुजारना चाहिए ""
आशा - इसलिए सोनम बेटी हरेक इंसान के सोचने का तरीका अलग होता है बेटी तुम बस अपने जीवन को अच्छे से जियो बाकी दुनिया की फिक्र मत करो
आशा - इसलिए तू मुझसे बात करने में कतई भी मत शरमाया कर
सोनम - मां ऐसा मन कर रहा है आपकी ये बातें सुनती ही रहूं मैं
आशा (थोड़ा मुस्कराते हुए ) - बेटी मैं पढ़ी लिखी नहीं हु लेकिन बातें मुझे सारी आती हैं , अच्छा तो हम किसके बारे में बात कर रहे थे ...
सोनम - मां मैं पूछ रही थी जब भईया आपकी गांड़ पर अपना लन्ड का घिस्सा लगा रहे थे आपको कैसा महसूस हो रहा था
आशा - बेटी तुझे पता है एक औरत को सबसे ज्यादा की चीज की जरूरत होती है ?
सोनम - नहीं मां
आशा - बेटी एक औरत को सबसे ज्यादा जरूरत एक मोटे लन्ड की होती है , एक औरत का असली गहना लोहे जैसा लन्ड होता है , सोना ,चांदी , हीरे जवाहरात ये सारी चीजें बेटी मोह माया है
आशा - बेटी तुझे तो पता है तेरे बाबूजी को मरे पांच साल से ज्यादा हो गए हैं , मैं तब से उस अनमोल गहने के लिए तरस रही हूं
आशा - बेटी अब मैं तेरे सवाल पर आती हूं , बेटी जब किसी मर्द का लन्ड ने पांच साल बाद मेरी गांड़ को छुआ तो मेरी अंदर का शांत लावा जाग गया बेटी और जब हरि मेरी नंगी गांड़ पर अपना लन्ड रगड़ रहा था उस वक्त बेटी मुझे दुनिया की सबसे ज्यादा खुशी हो रही थी और मानो मुझे एक नया जीवन मिलने वाला है
सोनम - मां इतनी खुशी मिलती है क्या जब किसी मर्द का लन्ड किसी औरत की गांड़ को छूता है तो
आशा - बेटी बहुत मजा आता है ,
सोनम - मां जब भईया आप की नंगी गांड़ पर अपना लन्ड रगड़ रहे थे उस वक्त आपकी चूत भी मेरी चूत की तरह गरम हो गई थी
आशा - बेटी अब तुझे बताऊं मेरी चूत की हालत उस वक्त बहुत खराब हो गई थी बेटी , जैसे ही मैं भैंस का दूध निकाल कर अंदर आई ,तुरंत मैंने अपने सारे कपड़े खोलकर मेरी चूत में उंगली करके उसे ठंडा किया था
सोनम - मां आपकी ऐसी बातें सुनकर मेरी चूत फिर से गरम होने लग गई
आशा - बेटी अब तू जवान हो गई है इसलिए तू जल्दी ही उत्तेजित हो जाती है
सोनम - मां अब मैं क्या करूं इसका , आपकी बातों से मेरे सलवार के अंदर बहुत जोर से खुजली हो रही है
आशा - बेटी ऐसा कर स्नानघर में चली जा और अपना नाड़ा खोलके इसमें उंगली डाल ले
सोनम - मां थोड़ी देर पहले ही तो मैंने इसमें उंगली डाली थी आप और भैया को देख के
आशा - तू बाहर चली जा स्नानघर में और मुझे और तेरे भैया का दृश्य याद करके फिरसे उंगली करले
सोनम (खाट से खड़ी होकर ) - मां मैं अभी आई थोड़ी देर में
आशा (मुस्कुराते हुए ) - ठीक है बेटी आराम से आ जाना
"आशा खाना बनाने लग जाती है "
"सोनम सीधा भागती हुई स्नानघर में घुस गई और झट से अपने सलवार का नाड़ा खोलके जोर जोर से उंगली करने लग गई "
सोनम -आह्ह्ह्ह....भैया.....अह्ह्ह्ह.....मां ....आह्ह्हह.....
"आशा को सोनम की सिसकारियां स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही थी"
" करीब दस मिनट तक अपनी चूत में उंगली पेलने के बाद सोनम आह... भरती हुई पानी छोड़ देती है और अपने सलवार को बांध के वापस अपनी मां के पास बैठ गई"
आशा - बेटी कर ली चूत में उंगली
सोनम - हां मां अब थोड़ी सी गर्मी शांत हुई है
सोनम - लाओ मैं सब्जी में बना देती हूं
" अब दोनों मां बेटी बातें करते हुए खाना तैयार कर लेती हैं और थोड़ी देर बाद हरि भी घर आ जाता है "
हरि - मां बन गया क्या खाना ?
आशा - हां बेटा बन गया खाना तो
हरि - चलें तो मां खेत पर
आशा - हां बेटा चलते हैं ,सोनम बेटी चलो खेत पर चलते हैं
"आशा एक बड़े बर्तन में खाना ले लेती है और सभी खेत पर चल जाते हैं"
"तीनों खेत पर पहुंच जाते हैं , हरि पाइप बिछाकर खेत में पानी देने लग जाता है और सोनम और आशा दबाई का छिड़काव करने लग जाते हैं "
"ऐसे ही काम करते करते एक बज जाता है और खाना खाने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं "
सोनम (खाना खाते हुए ) - भैया आम चूसने लायक नहीं हुए क्या अभी
हरि - छोटी सारे तो नहीं पके हैं लेकिन कुछ आम शायद पक चुके हैं
सोनम - भईया खाना खाने के बाद पके हुए आम तोड़ लाना सारे आम खाएंगे
हरि - ठीक है छोटी
"अब सभी अपना खाना खा लेते हैं "
सोनम - मां स्कूल कब खुलेंगे मुझे स्कूल की बहुत याद आती है , मैं वहां सहेलियों के साथ खूब खेलती थी
आशा - बेटी अब मुझे भी तेरी सहेली समझा कर , मुझे बता क्या खेलेगी सभी थोड़ा खेल लेते हैं तेरा भी मन हल्का हो जाएगा क्यू हरि
हरि - हां मां खेलना तो सही रहता है , दिमाग और शरीर की कसरत हो जायेगी
सोनम - क्या सच में मां और भईया आप दोनों मेरे साथ खेलोगे
हरि - हां छोटी, अब ये भी तो बता खेलेगी क्या
सोनम - भईया आप आम ले आओ पके पके से मैं बताती हूं आपको
"हरि वहां से खड़ा होकर एक पेड़ में से आठ - दस आम तोड़ के ले आता है"
हरि - पहले आम खायेगी या खेलेगी ?
सोनम - भैया खेलते हुए बीच बीच में आम खायेंगे
आशा - वो कैसे सोनम
सोनम - आप दोनो पहले खेल समझ लो
खेल को समझाते हुए
जैसे मानो पहले मेरा नंबर हैं , तब आप दोनों को दौड़ना होगा और मैं आप को दौड़ते हुए पकड़ूंगी मैंने जिसको पहले पकड़ लिया ,वो मुझे आम खिलाएगा
मानो मैने हरि भईया को पकड़ लिया पहले फिर मुझे हरि भईया को पीछे से कमर में हाथ डलाकर कम से कम एक दो मिनट तक कस के पकड़ना होगा ताकि वो भाग नहीं जाएं फिर मैं उनको छोड़ दूंगी और मैं उनकी गोद मैं उनकी तरफ मुंह करके बैठ जाऊंगी और फिर हरि भईया जैसे चाहेंगे मुझे आम खिला सकते हैं
सोनम - समझ मैं आ गया ना खेल
हरि - हां छोटी मैं तैयार हूं
आशा - बेटी समझ में तो आ गया लेकिन पहली बारी किसकी है आम खाने की
हरि - मां सोनम का ही ज्यादा मन हो रहा है आम चूसने का इसे ही पकड़ने दो पहले हम दोनो दौड़ते हैं
सोनम (मुस्कुराते हुए )- ठीक है भईया आप भागो ,और हां खेत के बाहर नहीं जाना है
"हरि और आशा भाग जाते हैं और सोनम एक दो तीन गिन के उनके पीछे पीछे भाग जाती है"
"हरि सबसे तेज दौड़ रहा था एक घोड़े की तरह , लेकिन आशा के मोटे चूतड़ों की वजह से उसे तेज नहीं भागा जा रहा था "
"अब सोनम भी समझ समझ गई थी कि हरि को पकड़ पाना तो मुश्किल है , इसलिए वो आशा के पीछे दौड़ने लग जाती है"
"सोनम की मां उससे बिल्कुल आगे भाग रही थी "
सोनम (मन में) - हे भगवान मां की गांड़ कितनी जोर से हिल रही है
"अब हरि को जैसे ही पता लगा कि सोनम उसका पीछा नहीं कर रही है वो थोड़ा बगल में खड़ा होके अपनी मां की हिलती हुई गांड़ को देखने लगा "
" सोनम भागते भागते आशा के करीब पहुंच गई और आशा की कमर को कस के दोनो हाथों से पकड़ लिया, और अपनी मां से लिपट गई "
"सोनम की घुंडीदार चूचियां आशा की पीठ पर गढ़ गई थी और उसकी सलवार का चूत वाला हिस्सा सलवार के ऊपर से मां की गांड़ को लगा हुआ था "
"सोनम करीब एक मिनट तक अपनी मां से लिपटी रही इस बीच सोनम अपनी मां की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर रही थी , भागने से आशा की सांसे तेज तेज चल रही थी उसका ब्लाउज और पेटीकोट पसीने से पूरा भीग गया था , गर्मी तेज होने की वजह से आशा के चूतड़ों को भी पसीना आ गया था और उसका पेटीकोट बिलकुल गांड़ से चिपका हुआ था और चिपके हुए पेटीकोट से चूतड़ों के बीच दरार बन गई थी"
सोनम (अपनी मां से चिपकते हुए , धीमे आवाज में ) - मां आपका शरीर बहुत गरम हो गया है गर्मी से और पसीने से पूरा भीग गया है ,और आपका पेटीकोट आपकी गांड़ से चिपका हुआ है
सोनम - मां एक बात बताऊं
आशा - हां बेटी बोल
सोनम(धीमे आवाज में) - मां जब आप भाग रही थी तब भईया का ध्यान आपकी इस मोटी गांड़ पर ही था
"ऐसा कहते ही सोनम धीरे से अपनी मां की गांड़ की चुटकी काट लेती है और अपनी मां की जांघों पर हाथ फेरने लगती है"
आशा - क्या कर रही है सोनम हाथ हटा वहां से हरी देख लेगा
सोनम - मां आपने पूरी गांड़ को तो दिखा रखा है भईया को फिर भी इतना क्यों इतरा रही हो
"अब सोनम अपनी मां की गांड़ पर सलवार के ऊपर से अपनी चूत को रगड़ने लग जाती है"
आशा - क्या कर रही है सोनम तू ,देख हरि हमारी तरफ देखे जा रहा है , हट बेटी मेरे पीछे से
सोनम - मां आपकी गांड़ के स्पर्श से एक मर्द का लन्ड ही बेकाबू नहीं होता बल्कि एक औरत की चूत भी पानी छोड़ने लगती है
"मां बेटी ये सारी बातें धीमे आवाज में कर रही थी"
सोनम - मां ऐसा मन कर रहा है आपसे इसी तरीके से लिपटी रहूं
आशा - बेटी आम तो खा ले पहले ,दोबारा मुझे पकड़े तब और लिपट लेना
"सोनम आशा से अलग हो जाती है"
"आशा ने झुककर एक आम उठाया "
आशा - चलो बेटी खेल के अनुसार अब तुम मेरी गोद में बैठ जाओ फिर मैं तुमको आम खिलती हूं
"अब आशा अपने पैरों को खोलकर जमीन पर बैठ जाती है और सोनम आशा की मादक जांघों पर अपने चूतड टिका कर अपने पैरों को मां की कमर से लपेट कर बैठ जाती है "
"हरि बगल में बैठ जाता है और आशा और सोनम को देखने लग जाता है "
"वो दोनो ऐसे बैठी हुई थी मानो दो कामुक स्त्रीयों का जोड़ा "
"सोनम की चूचियां ,आशा के मम्मों से मात्र एक उंगली दूर थी "
"सोनम अपने हाथ में आम उठाती है और उसे थोड़ा दबाकर उसका रस को अपनी हथेली पे डाल लेती है"
आशा - ले बेटी पीले ये आम का रस
"अब सोनम आशा की हथेली से अपनी जीभ से सारे रस को पी जाती है और उसकी हथेली को जीभ से पूरा चाटने लग जाती है"
सोनम -मां आपकी हथेली में अभी रस लगा हुआ है ,मुझे सही से चाटने दो इस रस को ,और मां आपकी उंगलियों में भी कितना रस चिपका हुआ है
आशा - हां चाट ले बेटी आराम से कहीं नहीं जा रही मैं
"सोनम ,आशा के हाथों को अपने हाथों से पकड़ कर उसे चाटने लग जाती है और आशा की बीच वाली उंगली को अपने मुंह में डाल लेती है और चूसने लग जाती है "
"सोनम उंगली को एक लन्ड की तरह चाट रही थी ,कभी उस पर जीभ फेरती तो कभी एक लन्ड की तरह उसे अपने मुंह में आगे पीछे कर रही थी "
"हरि बगल में बैठा बैठा सोनम की सारी हरकतें देख रहा था , सोनम को इस तरह उंगली को अपने मुंह में लेने से हरि का लन्ड पजामे के अंदर खड़ा होने लग गया ""
आशा - बेटी पता है तू उंगली को कैसे चूस रही है
सोनम - नहीं मां
आशा - बेटी एक औरत एक मर्द का लन्ड चूसती है इस तरीके से
सोनम - सच में मां , एक औरत ऐसे ही लन्ड चूसती है , तो क्या मैं लन्ड चूसने लायक हो गई हूं
आशा - हां बेटी तुम चूस सकती हो किसी मर्द का लन्ड लेकिन लन्ड उंगली की तुलना में बहुत बड़ा और मोटा होता हैं
सोनम - मां आपने सबसे पहले किसका लन्ड चूसा था
"हरि के कानों तक शायद सारी बातें पहुंच रही थी और वो चुपचाप बैठे बैठे मां बेटी को देखे जा रहा था"
आशा - बेटी जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी सुहागरात के दिन तेरे बाबूजी का लन्ड चूसा था ,बहुत मजा आया था उस रात बेटी करीब आधा घंटे तक तेरे बाबूजी का लन्ड चूसा था मैने
"आशा की बात सुनकर सोनम तेजी से अपने मुंह में उंगली को आगे पीछे किए जा रही थी "
सोनम - लेकिन मां जब लन्ड चूसते हैं तब एक औरत के दांत के चुभते होंगे ना एक मर्द के लुंड को !!
आशा - बेटी थोड़े बहुत चुभते हैं दांत लेकिन मर्द को भी उसमें मजा आता है
"हरी सारी बातें सुने जा रहा था, मां बेटी के कामुक संवाद से अब उसका लन्ड पूरा खड़ा हो गया था पाजामे के अंदर "
सोनम - मां एक बात बोलूं
आशा - हां बेटी बोल
सोनम - मां मेरा बहुत मन कर रहा है किसी मर्द का लन्ड चूसने का
"सोनम की बात सुनकर , हरि का लन्ड पाजामे में फड़फड़ाने लगा "
आशा -.....