Update 9
"गुड्डू के भयंकर थप्पड़ की वजह से उसकी मां की गांड़ के ऊपर उछलने के कारण आशा का ढीला पेटीकोट अब उसके घुटनों में पड़ा था "
"अपने रसीले चूतड पर थप्पड़ खाने के बाद आशा सिसकारियां भरती हुई भैंस के नीचे वापस बैठ जाती है"
"अब आशा की पूरी गांड़ नंगी दिख रही थी और उसके 40 -40 किलो के दो नंगे चूतड हवा में झूल रहे थे "
"गुड्डू आशा के पीछे बैठा बैठा अपनी मां के भारी और रसीले चूतड़ों को देखे जा रहा था "
"आशा कमर से लेकर घुटनों तक पूरी नंगी बैठी थी "
"दो तीन पहले जहां गुड्डू चुपचाप अपनी खेतीबाड़ी में लगा रहता था आज वही गुड्डू , अपनी मां के नंगे चूतड़ों को थप्पड़ लगा रहा था "
गुड्डू (मन में ) - हे भगवान मेरी मां तो साक्षात काम की देवी है, इतने मोटे और रसीले चूतड , मन कर रहा है आपके इन रसभरे चूतड़ों को मेरे कठोर हाथों से मसल दूं और इनको एक सांड की तरह चाटने लग जाऊं
गुड्डू - मां आपके ये गांड़ तो पूरी नंगी हो गई है और आपकी जांघें भी नंगी हो गई है आपका पेटीकोट घुटनों तक सरक गया है , इसे थोड़ा ऊपर सरका दू क्या आपकी गांड़ ढक जाएगी
आशा - रहने दे बेटा ऊपर मत कर इस पेटीकोट को , नहीं तो बाद में कोई मच्छर यदि मेरे अधनंगे चूतड पर बैठ गया तो फिर से एक जोरदार थप्पड़ तू मेरे चूतड पर लगाएगा और फिर से मैं एक गेंद की तरह उछल जाऊंगी और ये पेटीकोट फिर से घुटनों तक सरक जाएगा , दूध निकालने के बाद मैं बांध लुंगी इसे तो , तू मच्छरों का ध्यान रख कहीं कोई हरामजादा मेरी गांड़ पर तो नहीं बैठा
गुड्डू -मां मेरा पूरा ध्यान आपकी गांड़ पर ही है कहीं कोई मच्छर नहीं बैठ जाए
आशा - हां बेटा एक पहरेदार की तरह मेरी गांड़ की रक्षा करनी होगी तुझे इन मच्छरों से , नहीं तो ये हरामजादे तेरी मां के चूतड़ों का सारा खून चूस जायेंगे , इतनी देर से इन मच्छरों ने परेशान कर रखा है मुझे
आशा - बेटा कोई मच्छर तो नहीं बैठ गया देखो जरा तेरी मां के इन नंगे चूतड़ों पर
"गुड्डू ,आशा की गांड़ की तरफ देखते हुए"
गुड्डू - मां अभी तो आपकी ये गांड़ मच्छर मुक्त दिख रही है
आशा - बेटा कोई मच्छर नहीं बैठा तो भैंस का दूध निकलवाने में मेरी सहायता कर बेटा
गुड्डू - हां मां , रुको पहले में आपके शरीर से अच्छे से चिपक जाता हूं ताकि अच्छे से आपके हाथों को मेरे हाथों के ऊपर से दबाकर दूध निकलवा सकूं
आशा - हां बेटा चिपक जा मुझसे
"अब गुड्डू आगे सरक के अपनी छाती को आशा की पीठ से और अपने पाजामे को आशा की नंगी गांड़ से सटा देता है और आशा के हाथों को भैंस के थनों के ऊपर से दबाकर दूध निकालने लग जाता है"
"गुड्डू का लन्ड पहले से ही पूरा तना हुआ था लेकिन जैसे ही गुड्डू के लन्ड ने अपनी मां की गदराई गांड़ को छुआ , लन्ड इधर उधर झटके खाने लग जाता है"
"अब गुड्डू , आशा के पिछवाड़े को हल्के हल्के धक्के लगाने लग गया ताकि भैंस के थनों को अच्छे से दबा सके "
"इन धक्कों की वजह से उसका लन्ड पाजामे के भीतर बेकाबू होने लगा "
"मां के भारी चूतड़ों को देखकर अब गुड्डू का 9 इंच लंबा लन्ड इतना कड़क हो गया था कि लन्ड को पाजामे के भीतर रोक पाना नामुंकिन हो गया था "
"अब गुड्डू के लन्ड और आशा की गांड़ के बीच बस एक गुड्डू के पाजामे की एक पतली सी परत थी"
"गुड्डू ,आशा की गांड़ में लन्ड रगड़ते हुए "
गुड्डू - मां एक बात बोलूं
आशा - हां बेटा बोल क्या बात है
गुड्डू - मां ,मेरा ये मेरा पाजामा मेरी कमर से बहुत जोर से बंधा हुआ है , मेरी कमर को दर्द हो रहा है मां इस नाडे से
आशा - तो बेटा तू भी अपने पाजामे का नाडा ढीला कर ले उसके बाद तेरी कमर में दर्द नहीं होगा , बेटा नीचे बैठे बैठे कमर में दर्द करने लग जाता है इस नाडे की वजह से ,
देख जबसे तूने मेरे पेटीकोट का नाडा खोला है मेरी कमर में बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा
गुड्डू - हां मां आप ठीक कह रही हो, मैं भी अपना नाडा ढीला कर लेता हूं
"ऐसा कहते ही गुड्डू अपने हाथ को भैंस के थन से हटाकर पाजामे के नाड़े की तरफ ले गया और नाडे को खोल दिया "
"नाड़ा खोलते ही गुड्डू के बलशाली लन्ड का सुपाड़ा पाजामे के बाहर निकल आया "
आशा - बेटा अपना नाडा खोल लिया हो तो भैंस का दूध निकलवा दे
गुड्डू - जी मां
"ऐसा कहते ही गुड्डू अपनी मां से कस के चिपक गया और दूध निकलवाने लगा "
"लेकिन इस बार उसके लन्ड का सुपाड़ा आशा की रसभरी गांड़ को छू रहा था "
"अब गुड्डू हल्के हल्के धक्के अपनी मां को लगाया जा रहा था , जिससे उसका पजामा थोड़ा सा नीचे और सरक गया "
"अब गुड्डू का आधा लन्ड पाजामे से बाहर निकल चुका था , गुड्डू , आशा की गदरायी गांड़ को अपने लन्ड से रगड़ा जा रहा था "
"गुड्डू का लोहे जैसे लन्ड शोले जैसी आग उगल रहा था "
आशा (गुड्डू के लन्ड के स्पर्श अपनी गांड़ पे करने के बाद , मन में )
- हे भगवान मेरे बेटे का लन्ड कितनी देर से खड़ा है और गर्म भी हो गया है झटके खा - खा के,
बेटा तेरे लन्ड का सुपाड़ा कितना गरम है , आआह्हह... बेटा
" अब गुड्डू जैसे ही आशा की गांड़ को धक्का लगाता है , तो उसके लन्ड का सुपाड़ा आशा की गांड़ से रगड़ खा रहा था जिससे , सुपाड़े की खाल ऊपर नीचे हो रही थी"
"आशा अपनी गांड़ पर गुड्डू के गर्म लन्ड के स्पर्श से , बेहद उत्तेजित होने लगती है"
"गुड्डू पाजामे से बाहर निकले हुए आधे लन्ड को , आशा की गांड़ की दरार में घुसाए जा रहा था "
"हल्के हल्के धक्कों की वजह से गुड्डू का पाजामा सरक सरक के आंडो तक पहुंच गया था"
"अब गुड्डू का 9 इंच लंबा लन्ड पाजामे से पूरा बाहर आ चुका था और गुड्डू की गांड़ भी पीछे से नंगी हो गई थी "
" गुड्डू का गरमा गरम गधे जैसा लन्ड आशा की गांड़ पर टिका हुआ था , और आशा की मदमस्त गांड़ को रगड़े जा रहा था "
"अब आशा की मादकता, सिसकारियों के रूप में बाहर आने लगी "
आशा - आअह्ह्ह...अअह्ह्ह्ह......अअह्ह्ह्ह... बेटा
"सबेरा हो गया था , करीब 6 बज गए थे , ऊपर छत पर सोनम लेटी हुई थी अचानक सोनम पेशाब करने के लिए उठती है और खड़ी होकर नाली के पास बैठकर मूतने लग जाती है"
"सोनम मुतकर अपने सलवार के नाड़े को बांधती है और वापस अपने बिस्तर पर जाने लगती है तभी उसके कानों में
आह्ह्ह्ह.....आआह्हह.. की आवाज सुनाई पड़ती है "
सोनम (मन में) - शायद नीचे आंगन से आवाज आ रही है
"सोनम छत पर खड़ी होकर नीचे आंगन की तरफ देखती है "
सोनम (मन में) - ये मां और भैया नीचे भैंस के नीचे ऐसे चिपक के क्यों बैठे हैं और मां कमर से नीचे पूरी नंगी हो रखी है और भईया से अपनी नंगी गांड़ को क्यों चिपका रखा है इन्होंने , और गुड्डू भैया ने भी अपना पजामा उतार रखा है अपनी जांघो तक
"गुड्डू आशा की गांड़ को अपने लन्ड से रगड़े जा रहा था "
"दोनो मां बेटों को इस अवस्था में देखकर सोनम की चूत गरम हो जाती है , सोनम झट से अपने सलवार का नाड़ा खोल देती है और अपनी कच्छी को नीचे सरका देती है और वहीं छत पर बैठ जाती है और अपने मां और भईया को देखने लग जाती है"
"अब सोनम अपनी बीच वाली उंगली अपनी चूत में पेल देती है और नज़रों को मां और भाई पर टिका देती है "
"उधर गुड्डू का लन्ड ,कभी आशा की गांड़ के बीच की दरार में घुस रहा था तो कभी बाएं और दाएं चूतड पर रगड़ खा रहा था "
"आशा के चूतड़ों पर गुड्डू के थप्पड़ों की वजह से , आशा के चूतड लाल पड़ गए थे और थोड़ी सी सूजन भी आ गई थी , लन्ड को सूजे हुए चुतड़ों पर रगड़ते ही आशा कपकापने लग जाती है और अपनी गांड़ को ऊपर नीचे करने लग जाती है "
"एक तरफ जहां गुड्डू अपनी मां की गोल मटोल गांड़ को लन्ड से मसल रहा था वहीं दूसरी तरफ सोनम छत पर बैठे बैठे उन दोनो को देखकर अपनी रसीली चूत में उंगली पेले जा रही थी "
"अब आशा को बहुत मजा आ रहा था , और वो भी अपनी गदरायी गांड़ को ऊपर नीचे करने लगी जिससे गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े की खाल तेजी से ऊपर नीचे होने लगी "
"अब गुड्डू भी तेजी से आशा की फूली हुई गांड़ पर अपने गधे जैसे लन्ड को रगड़ने लगा "
गुड्डू (मन में ) - हाय मां आपकी ये फूली हुई गांड़ कितनी अच्छी है
" गुड्डू दमादम तेजी से आशा की गांड़ पर अपने लन्ड को रगड़ने लग गया "
गुड्डू - आआह्ह्हह्ह .... मां ...... आआआह्ह्ह....
आशा - आआह्हह्ह..... बेटा .......आआह्हह्ह....
"अब गुड्डू ने रगड़ने की रफ्तार और बढ़ा दी और आशा भी अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी "
दोनो मां बेटे सिसकारियों में खो गए थे
गुड्डू - हाय्य...मां....आपकी ये रसीले.... चू........तड़.....आह्ह्ह्ह......मां
"गुड्डू ने अपने लन्ड एक जोरदार धक्का आशा के चूतड पर लगाया और जोर से आह्ह्ह्ह... भरते हुए अपनी मां के नंगे चूतड के ऊपर झड़ गया और अपना सारा वीर्य आशा के चूतड पर उड़ेल दिया "
"दूसरी तरफ सोनम तेजी से अपनी चूत में उंगली किए जा रही थी"
सोनम (धीमे आवाज में ) - आह्ह्ह्ह.... भैया ...... ये क्या कर रहे हो आप मां के साथ......आआह्ह्ह....आह....अअह्ह्ह्ह
"और सोनम ने धीरे से अपनी चुस्त गांड़ को छत से ऊपर उठाया और आआह्हह... करते हुए छत पर झड़ गई"