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Incest परिवार में कुछ होने लगा

Lutgaya

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Update 7 Audio

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Update 7

"आशा सोनम के बिस्तर से उठकर हरि को जगाने चली जाती है "

आशा - बेटा हरि , ओ.... बेटा हरि , उठ जा बेटा देख चार बजने को आए हैं

"हरि मस्त नींद में लेटा हुआ था "

आशा - बेटा उठ जा जल्दी से ....

हरी - हूं..... मम्म मां

आशा - उठ जा बेटा

"हरि थोड़ी आंखे खोलकर"

हरि - हां मां उठ गया बस

"अब हरि अपने बिस्तर पर उठकर छत के नीचे जाने लगता है , और आशा भी उसवेके पीछे पीछे नीचे चली जाती है "

" फिर हरि एक लोटा में पानी भरकर बाहर टट्टी करने चला जाता है और आशा भैसो के लिए चारा डालने लग जाती है "

" दूसरी तरफ थकी हुई सोनम की आंख लग जाती है सो जाती है"

"कुछ देर बाद हरि टट्टी करने के बाद थोड़ा बहुत कसरत करके घर को आ जाता है, और अपने हाथ पैर धोखे एक खाली बाल्टी उठाकर भैंस के नीचे बैठ जाता है , और भैंस का दूध निकालने लग जाता है "

"आशा वहीं पास में ही झाड़ू लगा रही थी , आशा अपने बेटे को दूध निकालते हुए देखे जा रही थी"

"हरि जोर जोर से भैंस के थनों को भींच कर दूध निकाल रहा था "

"अब हरि एक भैंश का दूध निकाल कर , दूसरी भैंस के नीचे बैठ जाता है "

आशा - बेटा मैं आ जाऊं क्या दूध निकालने , कल अधूरा रह गया था

हरि - हां मां आप आ जाइए , आप भी सीख लो , आजाओ भैंस के नीचे बैठ जाओ

"आशा अपने झाड़ू को बगल में पटककर भैंस के नीचे बैठ जाती है"

"आज आशा का दूसरा दिन था , जब वो अपने बेटे से दूध निकालना सीख रही थी"

"आशा ने एक ब्लाउज और एक पेटीकोट पहना हुआ था और सर पर एक हल्की सी फरिया ओढ़ रखी थी "

"हरि की मां अपने पेटिकोट को घुटनों तक चढ़ाकर नीचे बैठी हुई थी जिससे उसकी गांड़ के दोनो पाट पेटीकोट में से बाहर की ओर साफ छलक रहे थे "

"अब आशा अपने हाथों से भैंस के थनों को दबाने लग जाती है"

"हरि अपनी मां के पीछे खड़ा होकर उसे दूध निकालते हुए देखे जा रहा था , उसकी मां से दूध नहीं निकाला जा रहा था "

आशा - बेटा जरा देख तो , मेरे इन हाथों से तो दूध ही नहीं निकलता है ,शायद मैं अब बूढ़ी हो गई हूं

हरि - मां ऐसा क्यों कहती हो कि मैं बूढी हो गई हूं , मां अभी आपकी उम्र ही कितनी सी है

आशा - तुझे बूढ़ी नही लगती क्या बेटा मैं

हरि - मां ये भी कोई पूछने की बात है , आप एक बहुत ही शक्तिशाली औरत हो ,जो घर का पूरा काम भी संभालती है ,और खेतों का भी

आशा - बेटा मैं इतनी शक्तिशाली हु तो फिर मुझसे दूध क्यों नहीं निकल रहा ?

हरि - मां जिस तरह से एक अध्यापक को एक छात्र को कोई पाठ समझाने में समय लगता है, उसी तरह तुम्हे भी दूध निकालने में थोड़ा समय तो लगेगा ना मां

आशा - बेटा मैं तो कभी विद्यालय नहीं गई , तो मुझे तो पता
भी नहीं है कि कैसे एक छात्र पाठ समझता है

हरि - मां मैं एक छात्र रह चुका हु , एक छात्र अपने अध्यापक की सारी बातों का पालन करता है ,और फिर छात्र भी अध्यापक से साथ साथ पढ़ता है और धीरे धीरे वो छात्र पाठ पढ़ना सीख जाता है

आशा - ठीक है बेटा मैं एक अच्छे छात्र की तरह तुम्हारी हर बात मानूंगी , बस मुझे भैसो का दूध निकालना सिखा दे बेटा , क्या तू मेरा अध्यापक बनेगा बेटा

हरि - हां मां क्यों नहीं बनूगा , एक तुम जैसी होनहार छात्र का अध्यापक बनना एक सौभाग्य होगा मां मेरा

आशा - करो फिर बेटा अपने पाठ की शुरुआत

हरि - मां मुझे आपके पीछे बैठना होगा ,आपसे चिपक के ताकि मैं आपको अच्छे से सिखा सकू

आशा - कितना चिपकेगा बेटा

हरि - ज्यादा चिपक के नहीं मां, बस मेरी छाती आपकी पीठ से भिड़ेगी और मेरे पाजामे का आगे वाला हिस्सा आपके पेटीकोट के पीछे वाले हिस्से से चिपक जाएगा

"हरि के मुंह से पेटीकोट सुनकर आशा के अंदर थोड़ी भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं"

आशा - ठीक है बेटा बैठ जा फिर चिपक के

"अब हरि अपने पैरो के बल आशा के पीछे चिपक के बैठ जाता है"

"हरि ने पाजामा के अंदर कुछ नहीं पहना था इधर आशा ने भी पेटीकोट के अंदर कुछ नही पहना था "

"हरि अपनी मां से कुछ इस प्रकार चिपका हुआ था ,
उसकी छाती आशा की पीठ से चिपकी हुई थी ,उसका सर आशा के गले के ऊपर रखा था और उसका लन्ड और आंड आशा की मादक गांड़ को चुभ रहे थे "

"जैसे ही हरि के लन्ड ने आशा की गांड़ को छुआ , उसके लन्ड की नशों में रक्तचाप बढ़ने लगा "

"अब इसी अवस्था में हरि ने अपनी मां के हाथों को अपने हाथों में समेटे हुए अपनी मां की हथेलियों को अपनी हथेलियों से जकड़ लिया था "

हरि - मां आपको कोई परेशानी तो नहीं हो रही है

आशा - नहीं बेटा मैं ठीक हूं ,

"अब जैसे ही हरि अपनी मां के हाथों के ऊपर से भैस के थनों को दबाता , तभी एक धक्का आशा के पिछवाड़े में लगता था ताकि दूध अच्छे से निकल जाए "

"इस धक्के के कारण हरि के लन्ड का आकार बढ़ने लग जाता है "

"हरि पहले कभी किसी औरत से इतना चिपक के नहीं बैठा था , अचानक से उसकी मां की मादक गांड़ का स्पर्श पाकर हरि का लन्ड अपने आकार में आने लगता है"

"इधर आशा के पति को मरे हुए भी करीब पांच साल हो गए थे , आशा तो मानो चुदाई को भूल सी गई थी ,उसे अपने बेटे उत्तेजित करने वाले स्पर्श से उसके शरीर में हलचल पैदा होने लगी "

"अब जैसे ही हरि दूध निकालने के लिए थोड़ा आगे झुकता है उसकी मां को अपने आप ही एक धक्का लग जाता था जिसके कारण हरि के लन्ड का आकार बढ़ने लगा "

आशा (मन में) - एक तरफ सोनम जवान हो चुकी है तो दूसरी तरफ हरि भी जवान हो गया है ,क्या करु मैं इन दोनो बच्चों की जवानी का

आशा (मन में ) - ये हरि का लन्ड इतना तेज क्यों चुभ रहा है मेरी गांड़ को और ये बढ़ता ही क्यों जा रहा है

"अब हरि चुपचाप अपनी मां को हल्के हल्के धक्के लगाकर भैंस का दूध निकाले जा रहा था "


"इन हल्के हल्के धक्कों की वजह से हरि का 9 इंच लंबा लुंड पूरा खड़ा हो गया था और पाजामे को फाड़ कर बाहर आने वाला था "

"अब आशा अपने बेटे के लन्ड को पेटीकोट के ऊपर से अपनी गांड़ पर महसूस करने लगी

आशा (मन मे) - हे भगवान , इतना लंबा लन्ड क्या चीज है ये

"अब हरि के आंड ,आशा की गांड़ के छेद को छू रहे थे और उसका 9 इंच लंबा लन्ड आशा के चूतड़ों के बीच की दरार में घुसा जा रहा था "

"अब आशा भी कामुक होने लग जाती है

आशा - आआह्ह्हह्ह ..... बेटा

हरि - क्या हुआ मां

आशा - कुछ नहीं बेटा , मुझे इस पेटीकोट में बैठने में बहुत दिक्कत हो रही है बेटा ,जिससे मुझे दूध निकालने में बहुत दिक्कत हो रही है

आशा - देख तो बेटा मेरे पेटीकोट का नाड़ा कितना चुस्त बंधा हुआ मेरी कमर से

हरि -हां मां मुझे भी थोड़ा ऐसा लग रहा है कि आपने नाडे को कुछ ज्यादा ही चुस्त बांध रखा है

आशा - ऐसा कर बेटा

हरि - हां मां

आशा - मेरे पीछे ऐसे ही बैठे बैठे तू तेरे हाथों को इन थनों से हटा कर मेरे इस नाड़े की गांठ को खोल के इसे थोड़ा ढीला कर दे , मेरी पूरी कमर भींची हुई है इस नाडे में

हरी - मां अभी ढीला कर देता हु

"हरी का 9 इंच लंबा लुंड अभी भी पूरा तना हुआ था "

"अब हरि अपने दोनो हाथो को आशा की मखमली कमर पर रख देता है और अपने हाथों से नाडे की गांठ को एक झटके में खोल देता है

हरि - मां इसे ऐसे ही रहने दूं क्या

आशा - बेटा ऐसा कर तेरे दोनो हाथों की उंगलियों से मेरे इस पेटीकोट को थोड़ा ढीला कर दे

"अब हरि अपनी उंगलियों को पेटीकोट के अंदर थोड़ा सा डाल देता है और एक गोलाई में अपनी उंगलियों को कमर से होता हुआ उसकी पीठ तक ले जाता है और पेटीकोट को ढीला कर देता है , इस बीच हरि की उंगलियां कुछ छड़ों के लिए आशा की गांड़ की दरार में घुस जाती हैं"

"अब आशा का पेटीकोट इतना ढीला हो गया था कि पीछे उसके चूतड़ों के बीच खाई जैसी दरार और आगे से उसकी झांटों तक नीचे सरक गया था "
Great update with awesome writing skills
[/QUOTE]
Ye audio kaise banaya hai bhai jabardast kamm kiya hai
 

Lutgaya

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Update 15

"हरि का शरीर अंदर से पूरा तृप्त हो गया था सोनम की चूत का रस पीकर"

"अब हरि जमीन पर बैठ जाता है "

हरि - अह्ह्ह्ह्ह... छोटी कितना स्वाद रस निकलता है तेरी चूत से, मजा आ गया तेरी चूत का रस पीके

सोनम (शर्माते हुए ) - क्या सच में भईया !!

हरि - मैं कोई झूठ थोड़ी बोलूंगा मेरी बहन से , तेरी चूत बहुत ही स्वादिष्ट है

सोनम - भईया मजा तो मुझे भी बहुत आया है अपने सगे भाई से चूत चटवाके , इतना मजा पूरी जिंदगी में नहीं मिला मुझे

"सोनम फिर से हल्की सी शर्मा जाती है "

हरि - सोनम अब मैं मां की चूत चाट लेता हूं तू आराम कर ले थोड़ा फिर उसके बाद हम घर चलेंगे

"गर्मी का मौसम था शाम के 4 बजने को आए थे , तीनों प्राणी आम के पेड़ के नीचे अधनंगे पड़े थे"

सोनम - भईया मैं अभी घर चली जाती हूं थोड़ी थकान सी महसूस हो रही है और मुझे नींद भी आ रही है हल्की हल्की सी

हरि - ठीक है छोटी तू जा घर ,मैं और मां आते है थोड़ी देर में

सोनम - लेकिन भईया मेरी चड्डी और सलवार तो आमरस से बिगड़ी हुई है मैं घर क्या पहन के जाऊं

हरि - तू ऐसा कर मेरा पाजामा पहन के चली जा , और तेरी ये सलवार और चड्डी हाथ में लटका कर घर चली जा

सोनम - लेकिन भईया फिर आप क्या पहन के आओगे घर ?

हरि - छोटी तू मेरी चिंता मत कर , मैं आ जाऊंगा कुछ जुगाड करके

सोनम - ठीक है भईया

"सोनम ऊपर उठती है और हरि के पजामे को पहन लेती है और उसका नाड़ा बांध लेती है"

सोनम - मां मैं जा रही हूं

आशा - ठीक है बेटी , आराम कर लेना थोड़ा , हम दोनो आ रहे हैं थोड़ी देर में

"सोनम हरि के पजामे को पहन कर घर चली जाती है

"इधर आशा अपनी चूत खोलकर और हरि अपने लन्ड को लोहा बनाकर खेत में दोनो आम के पेड़ के नीचे बैठें हुए थे"

हरि - मां , बताओ मैने सोनम की चूत कैसी चाटी

आशा - बेटा तूने तो कमाल ही कर दिया , आज पहली बार में ही तू चूत चाटने में माहिर हो गया

हरि - मां इतना अच्छा आपकी वजह से चाट पाया हूं

आशा - बेटा अब तू मेरी चूत से आमरस चाट ले , फिर घर चलते हैं

हरि (मां की चूत की तरफ देखते हुए ) - मां आपकी चूत के ऊपर इतने बाल क्यों हैं

आशा - बेटा तेरे बाबूजी के मरने के बाद मैने कभी भी अपने शरीर की देखवाल ढंग से नहीं की और ना ही इन झांटों को कभी काटा है

हरि - मां कोई बात नहीं आपकी ये झांटे आपकी चूत पर बहुत अच्छी लगती है

आशा - बेटा सच में !!

हरि - हां मां मैं सही बोल रहा हूं आपकी ये लंबी लंबी झांटे आपकी चूत पर चार चांद लगा देती है

आशा - बस भी कर अब हरि तारीफ ही करता रहेगा या अपनी मां की भी चूत से आमरस को चाटेगा

हरि - लेकिन मां आपकी झांटों के बीच में जो आमरस चिपक के सूख गया है उसको कैसे चाटूं

आशा - बेटा मुझे नहीं पता तू अपने हिसाब से साफ कर या चाट

हरि - मेरे हिसाब से कैसे भी चाट सकता हु मां !

आशा - हां बेटा जैसा तुझे अच्छा लगे

हरी - मां आप अपनी गांड़ के बल लेट जाओ तो फिर

"आशा अपनी टांगे फैलाकर हरि के सामने चूत दिखाकर लेट जाती है "

"हरि अपनी मां की फैली हुई टांगो के बीच में बैठ जाता है और अपने हाथों को आशा की झांटों पर फेरने लग जाता है "

"झांटों पर हाथ फेरने के बाद हरि अपना सिर झुका लेता है और अपनी नाक से आशा की झांटों को सूंघने लग जाता है "

हरि - आआआह्ह.... मां आपकी झांटों की खुशबू कितनी मनमोहक है

आशा - बेटा कुत्ते की तरह क्यों सूंघ रहा है अपनी मां की चूत को

हरि - मां एक कुत्ता ऐसे ही सूंघता है क्या ?

आशा - हां बेटा एक कुत्ता , कुतिया की चूत को ऐसे ही सूंघता है और फिर ....

हरि - और फिर क्या मां

आशा - फिर वो कुत्ता उस कुतिया की चूत को एक पागल कुत्ते की तरह चाटने लग जाता है

हरि - मां एक कुत्ता कैसे चाटता है कुतिया की चूत को

आशा - बेटा बहुत ही बुरे तरीके से चाटता है , कुत्ता चूत को सूंघने के बाद पूरा हाफने लगता है और उसकी पूरी जीभ बाहर की ओर लटकी रहती है जिसमे से लगातार लार टपकती रहती है फिट उस लार से भरी हुई जीभ से कुतिया की चूत को खूब चाटता है और चाट चाट कर कुतिया की चूत को गीला कर देता है

आशा - बेटा मैं बहुत कामुक हो जाती हूं उस दृश्य को याद करके

हरि - मां मेरा बहुत मन कर रहा आपकी चूत को चाटने का एक कुत्ते की तरह

आशा - बेटा मेरा भी बहुत मन कर रहा है कुतिया बनने का

हरि - तो मां जल्दी बनो फिर कुतिया

"आशा तुरंत एक कुतिया की तरह अपने घुटने जमीन पर टिकाकर और अपने हाथों को जमीन पर रख के लेट जाती है"

आशा - ले बेटा तेरी मां कुतिया बन गई है अब तू जल्दी से कुत्ता बन जा

"हरि भी एक कुत्ते की तरह मां के की तरह अपने घुटने जमीन पर टिका लेता है और अपने हाथों को आशा की गांड़ पर रख देता है "

"और अपनी लार टपकती हुई जीभ को मां के चूतड़ों के बीच फंसी चूत के ऊपर रख देता है और एक कुत्ते की तरह मां की चूत को चाटने लग गया और कुछ ही छड़ों में अपनी गीली जीभ से आशा की पूरी चूत को अपनी लार से भीगा देता है "

"आशा पूरी तरह से कामुकता के तालाब में गोते लगा रही थी "

आशा - आआह्हह्ह... बेटा ...

"हरि चूत को झांटों समेत अच्छे से चाट रहा था , ऐसे चूत अपनी मां की चूत चाटने से हरि का लन्ड बेकाबू होते हुए फड़फड़ा रहा था"

"कुछ छड़ मां की चूत चाटने के बाद हरि का ध्यान मां की गांड़ पर चला जाता है"

"और अपने हाथों को आशा के मोटे मोटे 40 किलो के चूतड़ों पर फेरने लग जाता और चूतड़ों को अपनी अपनी मुट्ठी में भरने की कोशिश करता है "

"और फिर हरि अपनी उंगलियों के नुकीले नाखूनों को आशा के मखमली चूतड़ों पर गड़ा रहा था , जिसके लाल लाल लकीर आशा के चूतड़ों पर साफ साफ नजर आने लगी , हरि की इस जख्मी कामुकता से आशा को भी हल्का हल्का सा दर्द होने लग गया था "

आशा - बेटा मेरे चूतड़ों को अपने नाखूनों से चीर डालेगा क्या ?

हरि - मां पता नहीं क्यों आपके इन भारी चूतड़ों को देखकर मेरा मन एक भूखे हैवान की तरह तड़पने लगता है

आशा - बेटा ऐसा क्या है मेरे चूतड़ों में जो इनको नंगा देखकर तेरे अंदर हैवान की आत्मा घुस जाती है

हरि - पता नहीं मां ,ऐसा मन कर रहा है आपके चूतड़ों के ऊपर पहले खूब कोड़े बरसाउं फिर इनसे प्यार भी उतना ही करूं

आशा - बेटा तेरी ऐसी बातें सुनकर मेरे अंदर भी चुड़ैल एक चुड़ैल की आत्मा समाने लगी है , बेटा ऐसा कर यहां कोड़े तो नहीं है तू थप्पड़ मार सकता है

हरि - मां मैं बहुत जोर से मारूंगा इस बार आपके आंसू भी निकल सकते है, मां आपको बुरा तो नहीं लगेगा ना

आशा - बेटा इसमें बुरा मानने वाली कौनसी बात है ,सच बताऊं तो बेटा मेरा भी बहुत जोर से थप्पड़ खाने का मन कर रहा है इन चूतड़ों को , इनको पीट ले जी भर के बेटा

हरि - मां पहले कभी इन चूतड़ों को आपने किसी मर्द के थप्पड़ों से पिटवाया है क्या

आशा - नहीं बेटा ऐसा तो नहीं किया मैंने कभी , अब तू मेरी जिज्ञासा बढ़ा के मुझे डराते रहेगा या इनकी पिटाई भी करेगा

हरि - ठीक है तो मां अपने बेटे के बलशाली थप्पड़ों को अपने इन भारी भरकम चूतड़ों पर खाने के लिए तैयार हो जाओ

" वारदात से पहले आशा को मजे के साथ थोड़ा भय लगने लग गया था और पहले ही अपनी आंखे भींच लेती है "

"हरि दोनो हाथों को ऊपर उठा कर पूरी ताकत के साथ आशा के दोनो चूतड़ों पर भयंकर थप्पड़ मारता है और दसों उंगलियों के निशान चूतड़ों पर छोड़ देता है जिसकी आवाज पूरे आम के खेत में गूंजने लग गई थी "

"आशा थप्पड़ खाते ही पूरी झनझना गई थी और अपने एक हाथ से अपनी मुंह की चीख को रोक लिया और दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी "

हरि - मां आप ठीक तो हो ना

"आशा कुछ नहीं बोली , यदि वो कुछ बोलती तो एक जोरदार चीख उसके मुंह से निकलती, इसलिए अपनी सहन शक्ति का परिचय देते हुए चुप रही "

"हरि ने फिर उसी निशान वाली जगह पर अपने दोनो हाथो से फिर से थप्पड़ मारे , और ऐसे लगातार 5- 6 बार भयंकर थप्पड़ मारे उसी जगह पर "

"आशा अब हरि के जोरदार थप्पड़ों को सहन नहीं कर पा रही थी और उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी "

"हरि एक हैवान की तरह मां की गांड़ को पीट रहा था
,हरि का लन्ड पूरा अनियंत्रित अवस्था में आकर अपने पूरे आकार में फड़फड़ा रहा था "

"हरि को पता लग गया था कि उसकी मां सिसक सिसक के रो रही है , लेकिन हरि फिर भी नहीं रुका और जोर जोर से थप्पड़ लगाए जा रहा था"

"हरि के थप्पड़ों से आशा की गांड़ पूरी हिल रही थी "

"अपनी मां को इस तरह अपने आप हिलता देख हरि की कामुकता और बढ़ गई थी और फिर से उसने थप्पड़ों की बरसात कर दी "

"आशा चुपचाप रो रही थी और हरि बेरहमी से मां की गांड़ को पीटता जा रहा था "

"गांड़ के साथ साथ आशा का पूरा शरीर भी हिल रहा था "

"मां को इस हालत में देख हरि को और मजा आने लगा गया , थप्पड़ों की वजह से आशा के चूतड सूजकर फूल गए थे जिससे वो और मोटे हो गए थे , जो हरि को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी और हरि फिर से लगातार हैवानी ताकत से कम से कम बीस थप्पड़ जड़ देता है "

"हरि के जोरदार प्रहार से आशा पूरी झनझना गई थी और इस बार हरि के इस वासना पूर्ण बेरहमी को सहन नहीं कर पाई , रो रो के आशा का गला सूख गया था और वो अब कमजोर होने लगी थी , वो अपनी आंखो को धीरे धीरे झपेकते हुए पानी पानी गुनगुनाने लगी "

आशा - बेटा...पानी ...पानी बेटा ...पानी ...

"हरि तुरंत वहां से खड़ा हो कुतिया बनी हुई मां के सामने चला जाता है "

"आशा की आंखों से अब भी आसुओं की धारा बह रही थी ,हरि मां इस हालत में देखकर थोड़ा दर जाता है

हरि - मां क्या हुआ ,, आप ठीक तो हो ना

आशा (आशा की आंख लगभग बंद हो गई थी ) - बेटा पानी ...पानी..मेरा गला सूख रहा है बेटा

हरि - मां यहां पानी तो नहीं है ....

आशा - हरि बेटा जल्दी कर मेरा मुंह सूखा जा रहा है....

"आशा ने अब रोना बंद कर दिया था लेकिन दर्द मारे बुरा हाल था "

हरि - मां मैं अभी घर जाता हूं आपके लिए पानी लेके आता हूं भाग के

आशा - बेटा मेरा गला पूरा सूख जाएगा तब तक

हरि - तो बताओ मां फिर मां क्या करू मैं..

आशा - बेटा कुछ भी कर लेकिन जल्दी कर

हरि - ठीक है तो मां अपना मुंह खोलो और अपनी आंखें ऐसे ही बंद रखना

आशा - इतनी जल्दी कहां से ले आया तू पानी ..

हरि - मां थोड़ा कड़वा लगेगा और गरम भी लगेगा ..पी पाओगी क्या

आशा - बेटा अभी मेरी जान निकली जा रही है प्यास की वजह से , जल्दी पिला तू जैसा भी पानी है

"आशा अपना मुंह पूरा खोल लेती है ,और अपनी आंखे बंद कर लेती है"

हरि - मां आप एक घोड़ी बन जाओ और अपने मुंह को थोड़ा ऊपर कर लो

"आशा एक घोड़ी की तरह बैठी हुई थी अपना मुंह खोल के और आंखे बंद करके "

"हरि अपने घुटने टिकाकर बैठ जाता है और अपने लोहे जैसे लन्ड को आशा के होठों के पास ले जाता है और लन्ड के मोटे सुपाड़े को आशा के रसीले होठों पर रख देता है "

हरि - मां अपने होठों से इसको बंद कर लो

"आशा चुपचाप हरि के लन्ड के सुपाड़े को अपने होठों में कैद कर लेती है "

"अब हरि तेज धार बनाकर आशा के मुंह में मूतने लग जाता है "

हरि - मां पीती रहो इस कड़वे पानी को आपका गला नहीं सूखेगा

"आशा चुपचाप गटक गटक हुए हरि के मूत को पीने लग जाती है "

"अब हरि आशा के सर पर हाथ रख देता है और लन्ड के सुपाड़े को एक हाथ से आशा के मुंह के अंदर रख देता है "

हरि - मां ऐसे ही पीती रहो गटक गटक के

"हरि को पेशाब बहुत जोर से लग रही थी ,आशा के मुंह में मूत्तता जा रहा था"

"अब हरि आशा के सर को पकड़ते हुए ने एक झटका मारा और आधा लन्ड आशा के मुंह में घुस गया था जो उसके गले के मुनिया को छू रहा था और अब मूत की धार सीधी उस गले के मुनिया पर गिर रही थी "

"हरि का मन तो कर रहा था अभी मां के मुंह को चोदने लग जाऊं लेकिन उसने धैर्य का परिचय दिया "

"आशा को पता लग गया था हरि ने उसके मुंह में लन्ड घुसा रखा है और वो अपने बेटे का मूत पी रही है "

"हरि अपना सारा मूत आशा को पिलाने के बाद लन्ड को बाहर निकाल लेता है और हरि जमीन पर बैठ जाता है "

हरि - मां आंखें खोल लो मां कैसा लगा पानी ...

आशा - बेटा कड़वा कड़वा सा अच्छा लग रहा था ,पहले तो थोड़ा उल्टी करने का मन रहा था लेकिन बाद में जब...

हरि - बाद में क्या मां

आशा (थोड़ा नासमझ बनते हुए) - बेटा बाद में जब कोई गिलबिली सी चीज मेरे गले तक पहुंच गई तब मुझको पानी बहुत ही स्वाद लग रहा था

आशा - बेटा तूने ही आज मेरे गले को सुखा दिया और फिर तूने ही उसकी प्यास बुझा दी

आशा - लेकिन बेटा वो मेरे मुंह के अंदर एक मोटी सी चीज क्या थी

हरि - मां वो... मां वो....मैं भूल गया हूं

आशा - कोई बात नहीं बेटा ,मेरे गले की प्यास बुझा दी तूने ,और मुझे क्या चाहिए

हरि - मां मुझे माफ कर देना मेरी वजह से आपकी हालत इतनी खराब हो गई और आपके चूतड़ों पर सूजन आ गई

आशा - बेटा कोई बात नहीं बेटा लेकिन अभी भी मेरे चूतड़ों में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है

हरि - मां मैं घर जाके आपकी अच्छे से मालिश कर दूंगा तेल लगा के

आशा - हां बेटा अच्छे से मालिश करनी होगी तुझे आज रात को

"करीब शाम के पांच बज गए थे "

हरि - मां अब घर चलते हैं आप आराम कर लेना घर जाकर

आशा - हां बेटा मुझे खड़ी करने में मदद कर जरा थोड़ी सी

"हरि पीछे जाकर आशा की कमर मे हाथ डालकर उसे खड़ा कर देता है "

आशा - लेकिन बेटा तू क्या पहन के जाएगा तेरा पजामा तो सोनम पहन गई

हरि - मां घर पास मैं ही तो है ऐसे ही चलते है

आशा - बेटा कोई देख लेगा हमे इस हालत में जाते हुए तो

हरि - मां भाग के चलते हैं

आशा - बेटा मुझसे नहीं भागा जायेगा इन जख्मी चूतड़ों की वजह से

हरि - मां आप ऐसा करो मैं आपको गोद में उठा लेता हूं

आशा - बेटा मेरी इस घोड़ी जैसी गांड़ को उठा पाएगा !!

हरि - मां आपकी गांड़ भले घोड़ी जैसी हो लेकिन आपका बेटा भी घोड़े से कम नहीं है

आशा - तो बेटा उठा ले फिर इस घोड़ी की गांड़ को अपनी गोद में

"आशा और हरि दोनो नीचे से पूरे नंगे थे "

"हरि एक हाथ को आशा की टांगों और एक हाथ को कमर में डालकर आशा को उठा लेता है जिससे उसकी गांड़ का पूरा भार हरि के लोहे जैसे लन्ड पर था "

"लन्ड का मां की गांड़ पर टकराते ही लन्ड जोर से फड़फड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन लन्ड के गांड़ के नीचे दबे होने से उसके सुपाड़े की खाल ही आगे पीछे हो पा रही थी "

आशा - बेटा जल्दी से भाग के चलो ,

"हरि भागने लग गया जिससे उसका लुंड तेजी से आशा की गांड़ पर रगड़ने लगा और भागने से आशा के चूतड ऊपर नीचे उछल कूद कर रहे थे "

"हरि ने भागते हुए एक हल्की सी छलांग लगाई जिससे आशा थोड़ा ज्यादा ऊपर की ओर उछल गई और हरि का लन्ड झटके खाते हुए उसका सुपाड़ा आसमान की तरफ हो गया और जैसे ही आशा उछलने के बाद पहले वाली अवस्था में आने की कोशिश करने लगी , हरि का आधा लन्ड आशा की चूत को चीरता हुआ उसकी भोसड़े में घुस गया"

"आशा के दर्द के मारे आंसू टपक पड़े "

आशा - आआआह....आह्हह्हह ...ऊऊह्ह्ह्ह....बेटा मर गई मैं तो ......आह्ह्ह्....

"हल्का सा दर्द हरि को भी हुआ उसका सुपाड़ा पूरा खुल गया था लन्ड के आशा की चूत में घुसने की वजह से "

हरि - आआह्ह्ह....मां ..

आशा - आआआअह्हह्ह्....बेटा निकाल इसको

हरि (अनजान बनते हुए ) - किसको निकालू मां ...

आशा - कुछ नहीं तू जल्दी चल घर

"अभी हरि और आशा को आधा रास्ता और भागना था "

"हरि तेजी से भाग रहा था और आशा के उछलने की वजह से उसका लन्ड तेजी से ही आशा की चूत में आगे पीछे हो रहा था "

"आशा दर्द में साथ हल्की हल्की मादक सिसकारियां भी निकाल रही थी "

आशा - आआआअह्हह्ह्ह.....आआह्ह्ह्ह

"अब हरि तेज दौड़ने लगता है और अपनी मां को तेजी से अपने मां की गरमा गर्म चूत मां अपना लुंड पेले जा रहा था "

"हरि भागते हुए अब घर के दरवाजे के पास पहुंच जाता है "
"और वहां थोड़ी देर रुककर अपनी मां की गांड़ को उठा उठा कर वहीं खड़ा खड़ा बहुत ही तेज गति से अपनी मां को चोदने लग जाता है "

आशा - आआआहहह....अह्हह्हह....मर गई .....बेटा अह्हह्ह्ह......अहहाह्ह्ह.

हरि (चोदते हुए) - आआह्ह्ह् ..... मां.....आआआह्हह्ह्ह....

"हरि पूरी जान लगा के खड़ा हुआ मां को चोद रहा था ,"

"आशा अपने बेटे से अचानक यूं चुदाते हुए पूरी मदमस्त हो गई थी "

"हरि भी पूरी दम लगा के आशा को चोद रहा था "

"और करीब पांच मिनट अपनी मां को चोदने के बाद हरि पूरा अकड़ते हुए आशा की चूत में झड़ने लगता है "

हरि - आआआअह्हह...........मां ...मां ....ओ मेरी मां......अह्हह्हह्हह

"हरि अपना पूरा वीर्य आशा की चूत में छोड़ देता है "

"उधर आशा भी हरि के साथ में ही पानी छोड़ने है "

आशा - आह्हह्हा...मेरे बेटे....हरि.....मेरे लाल.....आआह्हह्ह्ह.....

"और अकड़ते हुए हरि के वीर्य में अपने रस को मिला देती है "
अदभुत जानलेवा कहानी है लण्ड से पानी छुडवा दिया
 

Anuj.Sharma

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Bahaut hee gajab likhte ho Mitr super atyant kamuk kahani hai …

👌👌👌🥃🥃🥃
 

Abhimbd

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अब कहीं की 4-5 दिन के लिया भूल जाओ दोस्तो। क्योकी लेखक साहब के फिर से कोई काम याद आ गया है इसलिया 4-5 दिन लगेगा अपडेट देना
मे
 
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