DREAMBOY40
सपनों का सौदागर 😎
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लण्ड फाड दिया भाई लण्ड फाड दिया ,, आशा के लार की टपक मेरे लण्ड पर गिरती मह्सूस हुई भाई ।Update 16
"गुड्डू अपनी मां को गोद में उठाकर घर के दरवाजे के पास खड़ा था "
गुड्डू (अपनी मां की आंखों में आंखें डालकर) - मां मुझे माफ कर देना हो सके तो...
आशा - लेकिन बेटा तुझे पता है आज तूने क्या किया है !!
गुड्डू - मां मैं लन्ड घुसाना नहीं चाहता था लेकिन जब आप मेरी गोद से ऊपर उछली तो आप जैसे ही वापस मेरी गोद में आई तो अपने आप ही मेरा लन्ड आपकी चूत में घुस गया मां ,इसमें मेरी क्या गलती है
आशा - बेटा गलती तो नहीं है लेकिन अनजाने में आज तूने मुझे चोद दिया है
गुड्डू - मां इसे ही चोदना कहते हैं क्या जब मैं आपकी चूत मैं लन्ड को अंदर - बाहर कर रहा था
आशा - हां बेटा ऐसे ही होती है चूत चुदाई
गुड्डू - मां एक बात बताऊं क्या
आशा - हां बेटा बोलो
गुड्डू - मां आपको चोदने मैं मुझे बहुत मजा आया , इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला
आशा - बेटा सबको ही ऐसे ही मजा आता है चोदने मैं
गुड्डू - मां आपको भी मजा आ रहा था क्या चुदवाने में
आशा - बेटा मजा तो बहुत आता है
गुड्डू - लेकिन मां जब में आपको चोद रहा था तो आप रो क्यों रही थी
आशा - बेटा तुझे पता है पांच साल के बाद आज मेरी चूत मैं किसी का लन्ड गया है और इतना बड़ा लन्ड मैंने पहली बार चूत में गया है , इसलिए थोड़ा दर्द की वजह से मेरे आंसू टपक पड़े
गुड्डू - मां बाबूजी का लन्ड इतना बड़ा नहीं था क्या
आशा - उनका भी बड़ा था लेकिन तेरे जितना तगड़ा नहीं था
गुड्डू - मां एक बात और पूछूं...
आशा - बेटा सवाल ही करता रहेगा क्या पहले ये तेरा लन्ड तो निकाल ले मेरी चूत मैं से
गुड्डू - मां मैं तो भूल ही गया था इसे निकालना ..
"गुड्डू का लन्ड अभी भी आशा की चूत में समाया हुआ था , झड़ने के बाद गुड्डू का लन्ड ढीला पड़ने लग गया , गुड्डू नीचे से पूरा नंगा और आशा भी एक ब्लाउज के अलावा पूरी नंगी गुड्डू की गोद में झूल रही थी "
"गुड्डू ने धीरे से आशा को ऊपर उठाया और अपने लुंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया , लन्ड को बाहर निकालते ही आशा की चूत से वीर्य की धार बहने लग गई थी "
आशा (अपनी चूत की तरफ देखते हुए) - बेटा तेरे लन्ड ने मेरी चूत को पूरा भर दिया है , देख कितना वीर्य निकल रहा है इसमें से
गुड्डू - हां मां मेरे वीर्य ने आपकी पूरी चूत को गंदा कर दिया है ,ऐसा करो आप नहा लो अंदर चल के
"दोनो मां बेटे घर के अंदर आ जाते है "
"आशा अपनी गांड़ को हिलाते हुए स्नानघर के पास बाहर रखे पत्थरों पर अपने नंगे चूतड टिका कर बैठ जाती है, बगल मैं पानी की कुंडी भरी हुई थी "
"गुड्डू वहीं पास में छप्पर में बैठ जाता है और अपनी मां को देखने लगता है"
"आशा ने गुड्डू की तरफ पीठ करके बैठी थी और अपने ब्लाउज को उतार कर बगल में रख देती है जिससे उसके झूलते हुए बोबो (मम्मे) बगल में से गुड्डू को दिखाई दे रहे थे "
"आशा का बदन अब पूरी तरह से नंगा हो गया था , गुड्डू मां को इस रूप में पहली बार देख रहा था , मां को नग्न अवस्था में देख गुड्डू का लन्ड मचलने लग गया "
"आशा मग्गे में पानी भरकर अपने शरीर पर डाल रही थी , इस बीच उसने पीछे मुडकर देखा तो गुड्डू उसकी तरफ ही देख रहा था और गुड्डू का लन्ड फिर से पूरा तन गया था "
आशा (मन में ) - हे भगवान , गुड्डू का लन्ड फिर से खड़ा होने लग गया
"जैसे ही आशा ने गुड्डू की तरफ मुड़कर देखा तो उसका एक बोबो गुड्डू को दिख गया था "
आशा - बेटा गुड्डू इधर आना जरा
"गुड्डू अपने खड़े लन्ड को हवा में लहराते हुए अपनी मां के पास चला गया "
गुड्डू - कहिए मां क्या बात है
आशा - बेटा मेरी पीठ पर थोड़ा मैल जमा हुआ इसे अपने हाथों से रगड़ के छुड़ा देगा क्या
गुड्डू - हां मां क्यों नही
आशा - ठीक है बेटा मेरे पीछे बैठ जा तू और ये मैल छुड़ा दे
"गुड्डू अपनी मां के पीछे आल पालती मार के बैठ जाता है और अपने दोनो हाथों को आशा की पीठ पर रगड़ने लगता है "
गुड्डू (पीठ को हाथों से रगड़ते हुए )- मां आप की पीठ से तो बहुत मैल निकल रहा है
आशा - हां बेटा बहुत दिन हो गए किसी ने मैल नहीं छुड़ाया तेरी मां का
गुड्डू - मां अब मैं आपका सारा मैल छुड़ा दूंगा आप चिंता ना करो
"गुड्डू हाथ को आशा पीठ पे रगड़ता हुआ, अपने हाथों को आशा की गांड़ पर ले गया ,और गांड़ को भी रगड़ने लगा , और चूतड़ों को रगड़ते हुए उनको हल्का हल्का दबाने लगा "
"गुड्डू की ये कामुक हरकत देख आशा गरम होने लग गई और चुपचाप अपने चूतड़ों को दबबाने लगी "
गुड्डू - मां लगता है आपके चूतड़ों पर भी मैल जमा हुआ है
आशा - हां बेटा इनको भी रगड़ दे ढंग से
गुड्डू - मां इस तरह बैठे बैठे कैसे ढंग से रगड़ सकता हूं इनको
आशा - तो बेटा मैं कैसे बैठूं फिर
गुड्डू - मां ऐसा करो आप पेट के बल इस पत्थर पर लेट फिर आपकी गांड़ को अच्छे से रगड़ पाऊंगा मैं
आशा - हां बेटा ये ठीक रहेगा
"आशा चुपचाप अपनी गांड़ को ऊपर उठा कर पत्थर पर पेट के बल लेट जाती है "
गुड्डू - मां मुझे आपकी जांघो पे बैठना होगा ढंग से रगड़ने के लिए
आशा - बेटा तेरा मन करे वहां बैठ जा
"गुड्डू, आशा की मखमली जांघो पर बैठ जाता है , गुड्डू ने अपनी बनियान उतार दी थी ,दोनो मां बेटे बिलकुल नंगे थे "
"अब गुड्डू अपनी मां के दोनो भारी चूतड़ों को अपने हाथों में भरकर उनका नाप करने लगा और उनको जोर जोर से दबाने लगा , दोपहर के थप्पड़ों की वजह से चूतड़ों पर अभी निशान बने हुए थे "
"गुड्डू जांघो से सरकता हुआ थोड़ा सा आगे और सरक गया जिससे उसका लन्ड आशा के गांड़ के छेद से टकराने लगा "
"अब गुड्डू ,आशा के चूतड़ों को मसलता हुआ अपने चूतड़ों को आशा की जांघो पर आगे पीछे करने लगा जिससे उसका लन्ड आशा के चूतड़ों के बीच दरार में घुसने लग गया "
"गुड्डू थोड़ा सा आगे सरकता हुआ उसने अपने लन्ड आशा की भारी गांड़ पर रख दिया "
"आशा अपने बेटे के लन्ड का भार अपनी गांड़ पर महसूस करने लगी "
"अब गुड्डू ने अपने शिर को थोड़ा नीचे झुकाया और अपने लन्ड पर थूक दिया और थूक को पूरे लन्ड पर लेस दिया "
"थूक के लेसने की आवाज आशा के कानों में जा रही थी , आशा मन ही मन सेहमने लगी और ये सोचकर घबराने लगी कहीं गुड्डू उसकी गांड़ में लन्ड नहीं घुसा दे "
"गुड्डू ने अपने दोनो हाथों से आशा के चूतड़ों के पाटों को खोल दिया जिससे सावले चूतड़ों के बीच छुपी हुई गहरी सफेद कोमल दरार दिखने लगी , गुड्डू उस कामुक दरार को देख कर वासना में डूब गया और उसका लन्ड तड़फड़ाने लगा , गुड्डू ने अपना मुंह खोला और दो - तीन बार उस दरार में थूक दिया , गुड्डू ने अभी भी आशा के चूतड़ों को दोनो हाथों से खोल रखा था , गुड्डू ने धीरे से अपने लन्ड को थूक से भरी हुई चुलबुली दरार पर रख दिया और और थोड़ा वजन आशा की गांड़ पर डालकर आशा की बेमिसाल गांड़ की दरार को अपने लन्ड से चोदने लगा , थूक की वजह से लन्ड बहुत ही आसानी से आगे पीछे हो रहा था , गुड्डू का तगड़ा लन्ड आशा संवेदनशील दरार में रगड़ने से आशा के शरीर में गुलगुली सी होने लगी और उसका जिस्म थोड़ा थोड़ा कंपन्न करने लगा , संवेदना पूर्ण दरार की लसलसी चुदाई से आशा की चूत पानी छोड़ने लगी ,अपनी चुलबुली गहरी गांड़ की दरार पर गुड्डू के थूक और लन्ड के इस मिलाप को महसूस कर आशा पागल हुए जा रही थी "
आशा (मन में ) - बेटा तू तो एक कामदेव है मेरे लिए , भला इतने तजुर्बे से कोई मर्द किसी औरत की दरार को चोदकर उसे वासना में डुबा सकता है , बेटा धन्य हुई मैं तुझ जैसा बेटा पाकर
आशा - आह्ह्ह्ह्ह...बेटा .....आह्ह्ह्ह्ह....
गुड्डू (लन्ड को दरार में आगे पीछे करते हुए) - क्या हुआ मां
आशा - कुछ नहीं बेटा ...... अह्ह्ह्ह्ह्ह
"करीब दस मिनट मां की दरार को चोदने के बाद गुड्डू रुक जाता है और नीचे झुककर अपनी मां के गांड़ के सुकड़े हुए छेद को देखने लग जाता है"
गुड्डू - मां आपकी गांड़ का छेद भी बहुत काला हो रखा है मैल की वजह से , इसे भी साफ कर दूं क्या
आशा - हां बेटा इसे भी थोड़ा साफ कर दे , लेकिन बेटा मैं लेटी हुई हूं इसलिए तू इस छेद को सही से साफ नहीं कर पाएगा , मैं घोड़ी बन जाती हूं तू पीछे से साफ कर देना फिर इसे
गुड्डू - हां मां ये ठीक रहेगा आप घोड़ी बन जाओ
"आशा घुटनों को मोड़कर ,हाथों को जमीन पर रख कर एक घोड़ी का रूप ले लेती है ,जिससे आशा के बड़े बड़े बोबो छाती से लटकने लगे "
"मां के मम्मों को झूलता देख गुड्डू के मुंह में पानी आ रहा था "
गुड्डू (अपनी मां को इस अवस्था में देखकर) - मां आप जचती हो घोड़ी बनकर
आशा - वो क्यों बेटा
गुड्डू - मां आपकी गांड़ एक घोड़ी की तरह खूब भारी है
आशा - क्या सच मैं बेटा ,मेरी गांड़ घोड़ी जैसी है
गुड्डू - बिलकुल मां एक जवान नंगी घोड़ी लग रही हो आप
आशा (थोड़ा ललचाते हुए ) - बेटा तू भी किसी घोड़े से कम नहीं है
गुड्डू - वो कैसे मां
आशा - बेटा तेरा लन्ड घोड़े जितना मोटा तगड़ा है ना इसलिए
"मां के मुंह से अपने लन्ड की तारीफ सुनकर गुड्डू का लन्ड भी घोड़े से कम नहीं लग रहा था फड़फडाते हुए "
आशा - बेटा अच्छे से साफ कर देना इस गांड़ के छेद को साफ
"गुड्डू अपनी उंगलियों से आशा के गांड़ के छेद को रगड़ने लगा , वाकई में आशा की गांड़ के छेद पर मैल जमा हुआ था , और गुड्डू उसे अच्छे से रगड़ते हुए उसे साफ किए जा रहा था , गांड़ के छेद के सिकुड़न वाले हिस्से में गुड्डू के उंगली के चारों घूमने से आशा की गांड़ के छेद में कभी सलवटें पड़ रही थी तो कभी हल्का सा छेद खुल जाता था , गुड्डू अपनी मां के गांड़ के छेद को इस तरह सिकुड़ता देख बेहद उत्तेजित हो रहा था , गुड्डू ने एक पानी का भरा मग उठाया और आशा के गांड़ के छेद को धोने लग गया मानो आशा की टट्टी को धो रहा हो ,आशा को बहुत अच्छा लगने लगा वो चुपचाप लेते हुए अपने बेटे की सेवा का आनंद उठा रही थी "
गुड्डू (गांड़ के छेद को अच्छे से धोने के बाद ) - मां आपके गांड़ का छेद अच्छे से साफ कर दिया है मैने
आशा - बेटा तू कितनी देर से मेरी सेवा कर रहा है , भगवान ऐसा बेटा सबको दे
गुड्डू - मां मैं तो मेरा फर्ज निभा हूं एक बेटे होने का..
आशा - बेटा फर्ज तो एक मां का भी बनता है अपने बेटे की अच्छे से देखवाल करे
आशा - तू यहीं बैठा रहना मैं तुझे नहलाती हूं अच्छे से
गुड्डू - हां मां मुझे एक छोटे बच्चे की तरह नेहलाओ , जब आप मुझे बचपन मैं नहलाती थी
आशा - हां बेटा ऐसे ही नेहलाऊंगी मेरे बेटे को
"आशा गुड्डू के पीछे आ गई और मग मैं पानी भरकर गुड्डू के ऊपर डालने लगी और फिर अपने कोमल हाथों से गुड्डू के पहलवान शरीर को रगड़ने लगी ,गुड्डू के सीने को हाथों में मसलने की कोशिश करने लगी , आशा ने गुड्डू को मसलते हुए अपने मम्मों को गुड्डू की पीठ से सटा दिया ,गुड्डू अपनी मां के मखमली मम्मों का मादक स्पर्श अपनी पीठ पर महसूस करने लगा और फिर आशा अपने मम्मों को गुड्डू की पीठ पर रगड़ते हुए आगे की ओर झुकी और गुड्डू के सामने रखी कुंडी में से एक मग पानी भरा और एक नजर गुड्डू के लन्ड पर घुमाई , गुड्डू का लन्ड पूरा तना हुआ था उसका गुलाबी सुपाड़ा हल्का सा बाहर निकला हुआ था , अब आशा मग के पानी से एक तीखी धार बनाकर गुड्डू के लिंग की पूजा करने लगी , इस तरह लन्ड की पूजा होने से गुड्डू का लन्ड और जोश में आ गया "
आशा - बेटा ये तेरे लन्ड के ऊपर सफेद सफेद सा क्या लगा हुआ है
गुड्डू - मां जब मैंने आपको चोदा था तब मेरा लन्ड मेरे वीर्य में सन गया था
आशा - हां बेटा सही कह रहा तू , चूत तो मेरी भी सन गई है तेरे वीर्य से
आशा - बेटा ला मैं तेरा लन्ड साफ कर देती हूं
"आशा धीरे से अपने हाथ को गुड्डू के लन्ड पर रख देती है और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े से चिपके वीर्य को अपनी उंगलियों में चिपका लेती है और और उस वीर्य की सफेद दानों को चाट जाती है , दो तीन बार ऐसी ही चटाई के बाद फिर आशा अपनी उंगिलयों पर थूक लगा कर , उस थूक को गुड्डू के लन्ड पर मल देती है , गुड्डू की सांसे हवस की हवाओं में बदल गई थी पहली बार किसी औरत ने उसके लन्ड पर अपना थूक लगाया था "
आशा - बेटा ऐसे मैं तेरे लन्ड को सही से साफ नहीं कर पाऊंगी , तू ऐसा कर इस पत्थर पर लेट जा ...
"गुड्डू पैरों को सीधा कर उस पत्थर पर लेट जाता है और आशा गुड्डू के पैरों के पास बैठ जाती है और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े में थूक मलने लगती है ,लन्ड के सुपाड़े पर अपनी मां के लसलसे थूक की मालिश से गुड्डू का अंग अंग रोमांचित होने लग गया था , एक भारी गांड़ और झूलते मम्मों की देवी गुड्डू के सामने बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी और गुड्डू अपनी मां की मासूमियत और भरा हुआ जिस्म का नज़ारा देख पूरा वासना में डूब गया था "
गुड्डू - मां अच्छे से थूक लगा कर साफ कर दो इसे
"आशा ने अपने मुंह को खोला और जो थूक से भरा हुआ था और थूक की लार आशा के होठों से होती हुई गुड्डू के लन्ड पर गिरने लगी जिससे आशा ने अपने हाथ से गुड्डू के लन्ड को थूक से पूरा गीला कर दिया , अपनी मां के झागदार थूक ने गुड्डू के नौ इंच लंबे लन्ड को पूरा चिपचिपा कर दिया , अब आशा ने गुड्डू के लन्ड को अपनी मुठ्ठी में भर लिया , और मुठ्ठी को गुड्डू के लन्ड पर ऊपर नीचे करने लगी जिससे चपचप की आवाज होने लगी "
आशा - बेटा तेरा लन्ड बहुत ज्यादा कड़क है एक डंडे की तरह
गुड्डू - मां अब सब आपके हाथ में ही इसे नरम करना
आशा - बेटा ऐसे ही तेरे बाबूजी का लन्ड कड़क रहता था..उस वक्त
गुड्डू - फिर मां आप कैसे नरम करती थी मेरे बाबूजी के लन्ड को
आशा - बेटा वो मैं उनके लन्ड को मेरे मुंह में अच्छे से भर के खूब चूसती थी जब तक की उनका लन्ड नरम नहीं पड़ जाता
गुड्डू - मां मैं जब छोटा था तब आपको मैने कई बार बाबूजी का लन्ड चूसते देखा था
"आशा गुड्डू के चिपचिपे लन्ड की धीरे धीरे मुठ मारे जा रही थी "
आशा - बेटा तूने कब देख लिया, हम दोनो तो तुम्हारे सोने के बाद करते थे ये सब , मुझे भी बता जरा तूने ऐसा क्या करते देख लिया उस वक्त मुझे तेरे बाबूजी के साथ
गुड्डू - मां एक बार हम सभी छत पर सो रहे थे ,चांदनी रात थी , हल्की हल्की हवाएं चल रही थी,आप उस वक्त आप पूरा श्रंगार करके सोती थी , उस समय आप मेरे और सोनम के सोने के थोड़ी देर बाद आप हमारी तरफ देख कर पहले ये सुनश्चित करती थी की मेरे दोनो बच्चे सो रहे हैं , और हमको सोता हुआ देख आप धीरे से अपने बिस्तर से खड़ी हो जाती थी इस बीच आपकी शारीरिक हलचल से आपकी पायजेब और चूड़ियों की मधुर ध्वनि की छन छन की आवाज से मेरी नींद टूट जाती थी और मैं चुपचाप बिस्तर पे लेटा रहता था ,फिर आप पहले बगल में रखे पानी के मटके से पानी पीती थी और फिर सुनसान रात में पैरों में बंधे पायजेब को खनखाते हुए बाबूजी के बिस्तर की तरफ चली जाती थी, और धीरे से बाबूजी के बगल में जाकर बैठ जाती थी और धीरे से
(उस वक्त का आपका और -बाबूजी का संवाद जो मैंने सुना था)
आप (बाबूजी के कान में फुसफुसाते हुए) - अजी सुनते हो ... गुड्डू के पापा....मैं आ गई
बाबूजी (धीरे से) - अरे गुड्डू की मां आज इतनी जल्दी क्यों आ गई ,बच्चे को तो सो जाने देती ढंग से , बच्चे जाग जायेंगे थोड़ी देर बाद आजाना
आप - बच्चे सो रहे हैं आप चिंता मत करो आप बस अपनी धोती खोलिए मुझे आपका चूसना है
बाबूजी - नीचे चलते हैं गुड्डू की मां ,यहां तू बच्चों को उठा देगी चूसने की आवाज से ,तू मेरे लन्ड को बहुत ही बेरहमी से चाटती है
आप - नीचे नहीं जाना मुझे , नीचे बहुत गर्मी लगती है मुझे यहीं चूसना है आपका लन्ड छत पर
बाबूजी - कितनी जिद्दी है तू गुड्डू की मां , ठीक है चूस ले लेकिन एक नजर बच्चों पर रखना कोई सा पानी वगैरा पीने के लिए नहीं उठ जाए
(संवाद खत्म)
गुड्डू - फिर मां आपने बाबूजी के लन्ड को धोती से बाहर निकाल लिया और उसपे अपना थूक लगाकर उसे अपनी मुट्ठी में भरकर उसे आगे पीछे करने लग गईं , लन्ड को जोर से आगे पीछे करने से आपके हाथों की चूड़ियां खनकने लगी जिनकी मादक आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी लेकिन मां आप बाबूजी के लन्ड को बहुत जोर से हिला रही थी
आशा - बेटा तूने तेरे बाबूजी की याद दिला दी , उनकी तरह लन्ड हिला के बताती हूं तुझे रुक
गुड्डू - मां सच में आप मेरा लन्ड बाबूजी की तरह जोर जोर से हिलाओगी
आशा - हां बेटा बिलकुल तेरे बाबूजी की तरह
"गुड्डू के लन्ड के संपूर्ण दर्शन आशा को हो रहे थे , आशा ने अपने हाथ में गुड्डू के लन्ड को भर लिया और फिर से लन्ड के सुपाड़े पर अपने झागदार थूक थूकने के बाद उसे लन्ड पर लासने लगी और फिर जोर जोर से गुड्डू के लन्ड को आगे पीछे करने लगी "
आशा - बेटा ऐसी ही हिला रही थी उस वक्त मैं तेरे बाबूजी के लन्ड को जब तू चुपचाप अपने मां को अपने बाबूजी का लन्ड हिलाते हुए देख रहा था
गुड्डू - हां मां ऐसे ही हिला रही थी ,,,आह्ह्ह्ह्ह , लेकिन फिर आपने धीरे से आपने बाबूजी के लन्ड को अपने मुंह में भर लिया था और उसे चूस रही थी , जिससे आपके लन्ड के चूसने की आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी और मैं चुपचाप आपको बाबूजी का लन्ड चूसते हुए देखा जा रहा था
"आशा ने अपने सिर को थोड़ा नीचे झुकाया और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े को अपने नरम नरम होठों में भर लिया और गुड्डू के चिकने सुपाड़े को अपने नाजुक होठों से दबाने लग गई ,फिर आशा ने अपनी लंबी जीभ को निकाला जिसमे से लार टपक रही थी और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े की खाल समेत पूरे लन्ड पर जीभ को फेरने लगी , आशा के इस तरह झुके रहने से उसके मम्मे गुड्डू की जांघों को रगड़ खा रहे थे जो गुड्डू की कामुकता को और बढ़ा रहे थे , और आशा ने धीरे से अपने मुंह को खोला और गुड्डू के लन्ड को अपने मुंह में भर लिया और उसे धीरे से मुंह में आगे पीछे लेने लगी , गुड्डू लेटा हुआ अपने लन्ड को अपनी मां के मुंह में महसूस कर रहा था , जब आशा गुड्डू के लन्ड मुंह के अंदर लेती तो लन्ड के सुपाड़े को अपने मुंह के अंदर खुरदुरे से तरुआ में उसे बार बार रगड़ रही थी ऐसा करने से गुड्डू को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी , फिर आशा ने अपनी लंबी जीभ को बाहर निकाल के गुड्डू के तगड़े लन्ड को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गले तक उतारने लगी , आशा अपने दोनो हाथों से लन्ड और अंदर तक धकेलने की कोशिश करती है और इस बार गुड्डू के लन्ड का सुपाड़ा आशा के गले तक उतर गया था जिसका उभार गले के ऊपर बाहर से साफ दिख रहा था , आशा ने गुड्डू के लन्ड को पूरा मुंह से होते हुए में ले लिया था जिससे उसकी गले की नसें थोड़ी फूल गई थी और उसका गर्दन के ऊपर वाला हिस्सा थोड़ा लाल पड़ने लग गया था अब गुड्डू का लन्ड का सुपाड़ा आशा की सांस नली में बैठा था जिससे आशा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी और उसने लन्ड को अपने मुंह से बाहर निकाला और आशा तेज तेज सांसे लेने लग गई थोड़ी देर आराम करने के बाद आशा ने फिर से गुड्डू के लन्ड को अपने थूक और लार से भरे हुए क्षेत्र में ले गई और उसे मुंह के अंदर बाहर कर उसे मजे से चूसने लगी
आशा - बेटा ऐसी ही चूस रही थी ना मैं उस रात तेरे बाबूजी का लन्ड
गुड्डू - बिलकुल ऐसे ही मां....आआआह्ह्ह .....मां .... कितना मजा आ रहा है , ये आपका मुंह या या फिर थूक का तालाब , मां कितना मजा आता है जब आप इसे अपने मुंह में अंदर बाहर करती हो
"आशा अब गुड्डू के लन्ड को मजे से चूसने से आशा की गरम चूत पिघलने लग गई जिसमे से हल्का सा रस अपने आप टपकने लग गया ,आशा ने गुड्डू धीरे लन्ड को चूसते हुए अपने बाएं अपने हाथ को चूत के ऊपर रख दिया और अपनी चूत को सहलाने लगी "
गुड्डू - मां मुझे बहुत मजा आ रहा है लगता है थोड़ी देर में मैं झड़ने वाला हूं, थोड़ा और जोर से चूसो
"आशा गुड्डू के लन्ड मुंह में अंदर लेने लगी और तेजी से अन्दर वहार करके चूसने लगी ,गुड्डू ने धीरे से अपने दोनों हाथों को आशा के सिर पर रख दिया और और अपनी गांड़ को ऊपर उठाकर आशा के मुंह को एक चूत की तरह चोदने लग गया ,जिससे उसका लन्ड आशा के हलक तक पहुंच रहा था , बेटे के इस तरह मुंह चुदाई से आशा और ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी दो उंगलियों को अपनी ताती चूत में डालकर बाहर करने लग गई , गुड्डू ने भी मुंह चोदन की रफ्तार बढ़ा दी और धक्कापेल अपनी मां के मुंह को चोदने लगा ,गुड्डू की वासना चर्म पर थी उसने अपनी गांड़ थोड़ा और उठाया और अपने हाथ से आशा के सिर को नीचे की ओर दबा कर अपने लन्ड को आशा के हलक तक उतार दिया था जिसने एकदम से आशा की सांस रोक दी थी ,और इसी अवस्था में
गुड्डू - आह्हह्हह्हह्ह..........मां .....आपका मुंह ...... आआह्ह्ह्ह्हह ....मां .....
"और तेजी से झटके खाते हुए आशा के गले के अंदर अपना वीर्य छोड़ दिया जो सीधा आशा के पेट में पहुंच रहा था और अपनी मां का नाम जपते हुए पूरा उसके मुंह में निचुड़ जाता है और अपने लन्ड को मुंह से बाहर निकाल लेता है उधर आशा भी पागल सी होकर अपनी चूत में उंगली को आगे पीछे करती हुई गुड्डू का नाम जपते हुए गुड्डू के तुरंत बाद वो भी अकड़ती हुई मुंह को खोलती हुई गुड्डू - गुड्डू पुकारते हुए पत्थर के ऊपर झड़ जाती है "
"करीब दस मिनट बिना कुछ एक दूसरे से बिना बोले दोनो मां बेटे उसी पत्थर पर लेटे रहे "
बहुत ही उत्तेजना से भरा मज़ा आ गया । अब बाऊजी के चोदने के तरीके का इंतजार रहेगा