बहुत सहीUpdate 3
"चांदनी रात थी , कभी हल्की तो कभी तेज हवा चल रही थी ,ऊपर खुला आसमान ,काफी मनमोहक नजारा था उस रात "
"रात के करीब दो बज रहे थे"
"गुड्डू की करीब दो बजे नींद टूटती है और पेशाब करने के लिए खड़ा होता है , और एक नजर सभी पर डालता है "
"पहले सोनम की ओर देखता है"
"सोनम मस्त अपने पेट के बल , चूतड़ों को उठा कर लेटी हुई थी (सोनम सूट सलवार पहन के सोती थी ), उसका सलवार चूतड़ों के बीच दरार में फसा हुआ था, और सूट थोड़ा ऊपर को हो गया था जिससे थोड़ी सी नंगी पीठ के दर्शन हो रहे थे ,बहुत की कामुक दृश्य था "
"ये दृश्य देखकर गुड्डू की कामेंद्रिया जोर देने लगी और इसका असर उसके लन्ड पर होने लगा "
"फिर एक नजर अपनी मां की तरफ घुमाता है, अपनी मां को देखकर वो उसकी सांसे थम सी जाती है"
"उसकी मां पीठ के बल लेटी हुई थी , वो अपने घुटनों को मोड़ के सो रही थी जिससे पेटीकोट पूरा उसके पेट पर पड़ा था ,पहले उसकी नजर मोटी जांघों पर जाती है फिर एक दम से गुड्डू को अपनी मां की झांटों वाली चूत दिख जाती है ,और नीचे का गांड़ वाला हिस्सा भी थोड़ा दिख रहा था , चूतड़ों के दोनो पाट बाहर की तरफ निकले हुए थे "
"गांव में ज्यादातर औरतें पेटीकोट के नीचे चड्डी नहीं पहनती है"
" ये देखकर गुड्डू खड़ा खड़ा ही कपकपाने लगता है , और उसका 9 इंच लन्ड पाजमे में पूरा तनने लगा , गुड्डू को अपनी मां की चूत के झांटों में से थोड़ी ही दिख रही थी "
"गुड्डू अब शर्म लिहाज़ से ऊपर उठ चुका था, "
गुड्डू (मन में) - इतनी लंबी झांट , जी कर रहा है अभी इन झांटों को पकड़ के नोच लूं , और इन जांघो को थोड़ा सहला दू,अभी जाके मां से लिपट जाऊं
"ऐसा सोचते सोचते अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाता है और अपनी नजरों को मां की तरफ करके ,अपनी मां की झांटों वाली चूत और मदमस्त जांघो में देखे जा रहा था और गुड्डू अपने हाथ को लन्ड पर ले गया , लन्ड पूरा तन चुका था पजामे में एक लोहे के सरिया की तरह खड़ा था , बाहर आने को उतावला था, अब गुड्डू अपने लन्ड पजामे के अंदर संभाल नहीं सकता था , बहुत ही कठोर और तगड़ा हो गया था पाजामा भी फटने जैसा हो गया था "
"गुड्डू ने तुरंत अपने पजामे के नाडे को खोला और अपने मोटे को लन्ड आजाद कर दिया ,और अपने पजामे को घुटनों तक सरका दिया और लन्ड को जोर जोर से हिलाने लगा ,उसकी नजर मां की जांघों और चूतड़ों के बगल वाले पाटों से नहीं हट रही थी , वो लगातार उनकी तरफ देखे जा रहा था और जोर जोर से लन्ड को हिलाने लगा ,अचानक से हैरि की सांसे तेज होने लग गई , और कुछ छड़ों में झड़ने ही वाला था कि अचानक उसकी मां थोड़ा कराहती है , और अपनी आंखे हल्की सी खोलती है "
"जैसे ही गुड्डू ने देखा कि उसकी मां जाग गई है , उसने तुरंत अपना हाथ लन्ड से हटा लिया , उसके तुरंत अपने लन्ड को पजामे के अंदर डाल लिया , उसका लन्ड अभी भी पूरा 9 इंच खड़ा था "
गुड्डू(मन में) - ये मां क्यों जाग गई अचानक से , थोड़ी देर और सो लेती , शायद मूतने के लिए जागी होगी
"गुड्डू आशा की तरफ अब भी तिरछी नज़रों से देख रहा था"
"इधर कराहती हुई , उठने की कोशिश करती है और जैसे ही एक नजर अपने शरीर पर दौडाती है "
आशा ( मन में) - हे भगवान मैं तो पूरी नंगी पड़ी हु
"और आशा तुरंत अपने पेटिकोट को नीचे सरकाती है "
आशा ( मन में) - ये मेरी बहुत गंदी आदत है , जब मैं घुटने मोड़ कर सोती हूं तब ये पेटीकोट मेरी कमर पर आ ही जाता है
आशा मन में) कहीं गुड्डू ने मुझे इस हालत में देख तो नहीं लिया
" ऐसा सोचते ही एक नजर अपने बेटे पर दौडाती है , जैसे ही आशा गुड्डू तरफ देखती है , गुड्डू अपनी आंखे तुरंत बंद कर लेता है, और एक नजर उसके पूरे शरीर पर दौडाती है"
आशा (मन में)- गुड्डू तो सो रहा है ,शायद नहीं देखा इसने ,लेकिन पाजमे में इतना लंबा लन्ड क्यों खड़ा हुआ है , हे भगवान कितना मोटा लौड़ा है इसका , बिलकुल अपने बाप की तरह
"आशा गुड्डू के लौड़े को देखकर थोड़ा , अपने अपने पति को याद करने लग जाती है , कई सालों बाद आशा की आंखों ने किसी खड़े लन्ड का नजारा किया था"
आशा (मन में) - उन दिनों जब मैं रात को उठती थी ,तो गुड्डू के बापू का लौड़ा भी ऐसे ही पाजामे में खड़ा में रहता था , और मैं उठकर उनके पास जाती थी और उनके पाजामे का नाडा खोलकर उसे बाहर निकलती थी और पहले एक उसको चूमती थी और फिर खूब चूसती थी मजे से , और मुंह में पूरा अंदर तक ले लेती थी कितना ही स्वादिष्ट लन्ड था उनका "
"कई सालों बाद आशा गर्म होने लगी थी और अपने बेटे खड़े हुए लन्ड को देख कर थोड़ा सा आंख बंद कर लेती है और फिर थोड़ा अतीत में चली जाती है"
आशा (आंखो को थोड़ा सा मूंद के मन में ) - मैं कैसे गुड्डू के बापू के लौड़े को अपनी जीभ से चाट चाट के पूरा गीला कर देती थी ,और मेरे चूसने से उनका लन्ड का आकार कितना बढ़ जाता था
" आशा ऐसे सोचते सोचते पूरी तरह बहुत गरम हो जाती है और पहले एक नजर अपने बच्चों पर दौडाती है ,पहले सुनिश्चित करती है कि गुड्डू और सोनम दोनो सो रहे थे फिर अपनी नजरें गुड्डू के लन्ड पर डालती है और पूरी कामुक होकर अपनी आंखें बंद कर लेती है"
" और तुरंत ही अपने पेटिकोट को कमर तक उठा लेती है , पहले जोर से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से दबाती है , मम्मे दबाने से उसकी सांसे तेज होने लग जाती है"
"इधर गुड्डू अपनी मां को तिरछी नजरों से अपनी आंखों को सेक रहा था "
गुड्डू (मन में) - मां भी शायद मेरे लन्ड को देखकर गरम हो गई है , मां कितने जोर जोर से अपने मम्मों को दबा रही है, मां इस ब्लाउज को खोल दो और पूरी नंगी हो जाओ
" अब गुड्डू का लन्ड पाजामे में झटके खा रहा था "
"आशा फिर से अपने बेटे के लन्ड का आंखों से दीदार करती है"
आशा( मन में)- कितना लंबा लन्ड है मेरे बेटे का , और ये अचानक से मटकने क्यों लग गया , शायद मेरे बेटा कोई कामुक सपना देख रहा है
"आशा अपने बेटे के लन्ड को देखकर पूरी चुदासी हो गई थी और धीरे से अपनी आंखे बंद कर लेती है, और अपने पति के बारे में सोचने लग जाती"
आशा(मन में) - आज गुड्डू के बापू होते तो मेरी चूत को चाट चाट के पूरा लाल कर देते , देखो उनके बिना मेरी चूत की क्या हालत हो गई है
"ऐसा कहते ही आशा अपने दोनो हाथों बस अपने चूतड़ों को मसलने लग जाती है, और जोर जोर से अपनी गांड़ को दबाने लगी "
"इधर गुड्डू भी अपनी मां को तिरछी नजरों से देखे जा रहा था "
गुड्डू (मन में)- मां अपने इतने मोटे चूतड़ों को कितने जोर जोर से दबा रही है, और जोर से दबाओ मां अपनी ये गद्देदार गांड़
"उधर आशा अपना हाथ अब जांघों पर फेरती हुई, अपनी
चूत पर रख देती है , अपनी झांटों को बगल में करके चूत के दाने को सहलाने लगती है "
"ये दृश्य देखकर गुड्डू की हालत खराब हो चुकी थी और उसका लन्ड बेकाबू हो रहा था "
"आशा फिर अपनी नजर गुड्डू के लन्ड की तरफ घुमाती है, जैसे ही आशा की नजर गुड्डू पर पड़ती थे , वो तुरंत सोने का नाटक करने लग जाता है"
आशा(अपने बेटे के लन्ड की तरफ देखते हुए मन में) - गुड्डू का लन्ड कितने झटके खा रहा है जोर जोर से ,बेटा इस को बाहर निकाल ले मुझे नंगा देखना इसे
"आशा एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को दबा रही थे , और उत्तेजना के कारण पूरा शरीर हिल रहा था "
"अब आशा ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी थी , जोर जोर से अपनी रसीली चूत को सहला रही थी "
"आशा अपनी आंखे मूंदकर अपनी चूत के दाने को तेज गति से हिला रही थी "
"इधर गुड्डू के लन्ड का बुरा हाल हो गया था वो बेचारा पाजामे के भीतर तड़प रहा था , गुड्डू बस चुपचाप अपनी मां के यौवन को देखे जा रहा था "
"अचानक से आशा की धड़कनें तेज होने लगती है, और जैसे ही झड़ने की अवस्था में आती है, सोनम अपने बिस्तर पर कराहने लग जाती है "
"आशा सोनम की तरफ देखती है , सोनम जागने की कोशिश करती है"
"और झट से अपने पेटीकोट को नीचे सरका लिया "।
Nice storyजैसा कि मैंने बताया गुड्डू का घर गांव से बाहर सा ही रह जाता है । गांव के बाहर एक छोटी सी नदी बहती है जिसमे बच्चे खूब नहाते हैं , घर गांव के छोर पे पड़ता है जहा से वो नदी जाती है होगी कम से कम 50 मीटर की दूरी पर।
गुड्डू के पास 12 बीघा जमीन है , 2 भीगा जमीन घर के पास ही है जिसमे एक बगीचा है उसमे आम के पेड़ लगा रखे है और बाकी की जमीन करीब 2 किलो मीटर की दूरी पर है जिसमे सर्दियों के समय गेहूं और सरसों और बरसात में ज्वार बाजरा बोते हैं। पास वाले खेत की सिंचाई नदी के पाने से कर लेते है लेकिन दूर वाले खेतों के सिंचाई के लिए वही खेतों के पास के एक ट्यूबवेल लगा रखी है । खेतीवाड़ी के छोटे मोटे काम के लिए एक ट्रेक्टर ट्राली भी ले रखा है ,
इसके अलावा 2 भैंस और एक गाय भी है ।
हमारा घर में दो कमरे है और एक हॉल भी है ,
एक कमरे में मां और सोनम सोते है और एक कमरे में गुड्डू सोता है, घर के आगे खाली जगह है जिसमे गाय भैंस बांधते है और एक छप्पर भी है जिसमे दोपहर को ठंडी हवा आती है , गुड्डू दोपहर का ज्यादातर टाइम छप्पर में ही निकलता है ,उसी खाली जगह में एक हल्का सा स्नानघर और एक छोटी सी रसोई वहीं पर है
अभी घर में तीन लोग हैं -गुड्डू , गुड्डू की मां आशा और उसकी छोटी बहन सोनम । बड़ी बहन और बुआ अपने ससुराल में है ।
शौच के लिए सभी बाहर ही जाते है ,टट्टी करने के लिए आशा और सोनम एक साथ बाहर जाती थी शाम को और गुड्डू सुबह जाता था । गुड्डू और आशा सुबह रोजाना 4 बजे उठते है ,और सोनम आराम से उठती है 8 बजे तक।
गुड्डू की मां अपने आप ही सुबह 4 बजे उठ जाती है और उसके बाद गुड्डू को भी उठाती है।
उठने के बाद गुड्डू गाय भैसो को चारा डालता है और उसके बाद में खेतो की तरफ घूमने निकल जाता है और वही टट्टी करके करीब एक घंटे बाद घर आता था और मां उस बीच गाय भैसो के नीचे से गोबर साफ करने लग जाती और हरी जब वापस आता तब गुड्डू गाय भैसो का दूध निकालता था उसकी मां घर के बाहर वाले आंगन की सफाई करती रहती थी गुड्डू पास में ही । दूध निकालते टाइम गुड्डू और उसकी मां एक दूसरे से थोड़ी बाते भी करते रहते थे ।
गुड्डू भैंस का दूध निकाल रहा था ,
आशा - गुड्डू बेटा तू गाय भैसो का दूध निकालता है रोजाना , मैंने आज तक नहीं निकाला इनका दूध , मुझे भी थोड़ा सा सीखा दे ।
गुड्डू- मां आप रहने दो मैं निकाल तो लेता हु ।
आशा - अरे बेटा में तो इसलिए कह रही थी ,कही तुझे किसी दिन कुछ जरूरी काम आ गया तो में भी इनका का दूध निकाल सकू।
गुड्डू- अरे रहने दो मां आप क्यू परेशान होती है , आप को पहले से ही घर के बहुत सारे काम है ।
आशा - बेटा अब काम तो करने पड़ेंगे ही ,मेरा बहुत मन है बेटा दूध निकालने का इन गाय भैसो का , फिर तेरे को भी थोड़ी मदद मिल जायेगी । और में सीख भी जाऊंगी दूध निकालना , ताकि कभी तू कही बाहर चल जाए किसी काम से एक दो दिन के लिए तो मैं इनका दूध निकाल सकू ।
गुड्डू- मां आप अब इतनी कह रही हो तो ठीक है आप भी सीख लो इनका दूध निकालना ।
"आशा ये बात सुनके के बहुत खुश हुई "
आशा - बेटा आज से ही सीखा दे , धीरे धीरे सीख जाऊंगी।
गुड्डू - ठीक है मां आइए इधर और देखिए में कैसे इनका दूध कैसे निकाल रहा हु ।
" सुबह के करीब 5:30 बज रहे थे , सबेरा होने में कुछ ही छड़ों का इंतजार था , लेकिन दिख सब कुछ रहा था लगभग "
" और आशा ने अपना झाड़ू साइड में रखा जिससे वो आंगन की सफाई कर रही थी और गुड्डू के बगल में आकर खड़ी हो गई और हरी को दूध निकालते हुए देखने लगी,
हरी अपने अंगूठे और अंगुलियों से भैंस के थन को जोर -जोर से भींचकर दूध निकाल रहा था "
आशा - बेटा लग तो सरल ही रहा है देखने में तोह , लेकिन दूध निकालने का पता नही कितना जोर लगेगा ।
गुड्डू- मां देखने में तो सरल ही लगता है लेकिन थनों को जोर से दबाना पड़ता है ,तब दूध निकलता है।
आशा - गुड्डू बेटा मुझे कोशिश करने दे जरा ।
गुड्डू - ठीक है मां आइए आप ।
" हरी वहा से खड़ा हो जाता है और आशा भैंस के नीचे बैठ जाती है दूध निकालने के लिए और हरी उसके बगल में खड़ा हो जाता है"
" हरी की मां दूध निकालने लगी लेकिन उसकी सारी कोशिशें बेकार जा रही थी उससे एक बूंद भी दूध बाहर नही निकला भैस के थनों से, गुड्डू खड़ा खड़ा ही अपनी मां को दूध निकालते हुए देख रहा था कि इनसे दूध निकलता ही या नहीं "
आशा - बेटा मुझसे तो कतई भी दूध नहीं निकल रहा इसमें से ।
गुड्डू - मां थनों को थोड़ा जोर से दबाइए ।
आशा - बेटा खूब जोर से तो दबा रही हु थनों को लेकिन दूध निकल ही नहीं रहा , थोड़ी मां की मदद कर न बेटा।
"आशा को नाकाम देख गुड्डू अपनी मां की मदद करने के लिए थोड़ा सा झुका और अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी मां के हथैलियों को ऊपर से पकड़ा जोकि भैंस के थनों से दूध निकाल रहे थे और अपनी मां की हथेलियों को दबाने लगा जिससे हल्का हल्का भैंस के थनों से दूध निकले लगा , ऐसे गुड्डू के झुके रहने से गुड्डू के घुटने उसकी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा अब निकलने लगा है इन थनों से दूध ।
गुड्डू - मां अब आप कोशिश कीजिए अकेले ।
आशा - ठीक है बेटा मैं कोशिश करती हु।
"गुड्डू फिर से अपनी मां के बगल में खड़ा हो जाता है"
" अब आशा दूध निकालने की कोशिश करने लग गई लेकिन इस बार भी उसकी मां से एक बूंद भी दूध नही निकला "
आशा - बेटा नहीं निकल रहा मेरे हाथों से दूध ।
गुड्डू - मां थोड़ा जोर तो लगाएं आप।
"आशा खूब जोर जोर से थनों को दबा रही थी फिर भी उसके हाथों से दूध नहीं निकल रहा था "
आशा - गुड्डू बेटा मैं खूब जोर लगा तो रही हु तू देख
गुड्डू - ठीक है मां मैं मदद और कर देता हु आपकी
आशा - हा बेटा थोड़ी मदद और कर दे
" अब हरी पहले की तरह अपनी मां के पीछे जाकर थोड़ा झुका और अपनी मां की मदद करने लगा दूध निकलवाने में ,इस बार भी उसके घुटने अपनी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा तेरे हाथों से फिर से दूध निकलने लग गया
गुड्डू - हा मां थोड़े तरीके से और जोर लगाने से दूध निकल जाता है
" अभी भी गुड्डू अपनी मां के पीछे खड़े होकर उनकी दूध निकलवाने में मदद कर रहा था और उसके घुटने उसकी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा तू ऐसा कर नीचे बैठ जा , तेरे ये घुटने मेरी पीठ को चुभ रहे है
गुड्डू - मां आपने पहले क्यों नहीं बताया , मुझे माफ करना मां
आशा - कोई बात नही बेटा , अब नीचे बैठ जाओ तुम
गुड्डू - ठीक है मां
" और ऐसा कहते ही गुड्डू अपने मां के पीछे कसमसाता(झिझकता) हुआ अपने पंजों के बल बैठ जाता है , अब गुड्डू अपनी मां से थोड़ा चिपक जाता है उसकी छाती , मां की पीठ को भिड़ रही थी उसकी मां ने साड़ी पहनी हुई थी और अपने हाथों को अपनी मां के हाथों से जोड़कर आगे करके अपनी मां की हथेलियों को पकड़ लिया और मां का दूध निकलवाने में साथ देने लगा "
"गुड्डू अपनी मां के इतना करीब पहले कभी नहीं गया था "
"गुड्डू ने एक पाजामा पहना था और ऊपर एक बनियान, वो पूरी कोशिश कर रहा था कि उसका लंड मां के पिछवाड़े को ना छुए, आज कुछ हद इसमें गुड्डू सफल भी हुआ ,लेकिन फिर भी उसकी छाती अपनी मां की पीठ से रगड़ खा रही थी "
"अब लगभग भैंस का दूध निकाल लिया था आशा ने अपने बेटे के सहारे"
आशा - बेटा आज के लिए इतना ही बाकी का आने वाले दिनों में सीख जाऊंगी
गुड्डू - ठीक है मां , आप चिंता मत करो आप सीख जाओगी ऐसे ही
आशा - हा बेटा ऐसे सिखाएगा तो में जरूर सीख जाऊंगी दूध निकालना
गुड्डू - ठीक है मां अब आप बाकी का काम करलो मुझे अभी गाय का दूध भी निकालना ही है
आशा - हा बेटा मैं अंदर से घर के कचरे झाड़ के ले आती हू झाड़ू से
गुड्डू - हा मां ठीक है आप जाइए
आशा - ठीक है बेटा
" ऐसा कहते ही आशा घर के अंदर चली जाती ह सफाई करने और गुड्डू गाय का दूध निकालने लग जाता है ।"
प्यार से मिलन का मज़ा ही कुछ और हैUpdate 5
"आशा ने धीरे से अपने हाथ को पेटीकोट की तरफ ले जा रही थी , इस बीच वो गुड्डू का लन्ड एक टक देखे जा रही थी "
आशा (मन में)- हे भगवान ये मेरे बेटे का लन्ड को फनफनाते हुए एक कितनी देर हो गई , ऐसा कैसा सपना देख रहा है ये , जो शांत होने का नाम ही नही ले रहा गुड्डू का लन्ड, आज कौन सी अप्सरा सपने में अपना यौवन मेरे गुड्डू को लुटा रही है
"अब बेचारी आशा को कौन समझाए कि उसके बेटे का लन्ड किसी सपने में आई हुई अप्सरा के कारण नहीं बल्कि उसकी गदराई जांघों , झांटों वाली चूत, और उसे चूतड़ों के बगल वाले हिस्से को देखकर फनफना रहा था, और अब इस लन्ड को फनफनाने में सोनम की गहरी दरार वाली गांड़ ने तो चार चांद लगा ही दिए थे "
"अब आशा ने अपने हाथ से पेटीकोट के नाडे को थोड़ा ढीला किया और दाहिना हाथ उसके अंदर डाल दिया , बायां हाथ से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से जोर जोर से दबाने लगी "
"रात के करीब साढ़े तीन बज गए थे , एक सुनसान चांदनी रात ,कभी हवा चलती तो ,कभी रुक जाती थी , एक बहुत ही प्यारा आसमान टिमटिमाते तारों से भरा हुआ था , इसका प्रभाव मानो धरती पर भी पड़ रहा हो , धरती पर भी कुछ तारे आज कई सालों बाद टिमटिमाने लगे थे "
"अब गुड्डू ने अपनी मां को थोड़ा तिरछी नजरों से देखा , गुड्डू ने झट से अपनी आंखों को मूंद लिया,उसकी मां उसके लन्ड को लगातार देखे जा रही थी"
"मैं आपको बता देता हु कि गुड्डू पाजामे के अंदर कुछ नहीं पहनता था "
"इधर आशा ने इस बार अपने पेटीकोट नहीं उतारा,बल्कि अपने हाथ को उसके अंदर ले गई , और अपने हाथ को सी चूत के ऊपर रख दिया और पूरी हथेली से झांटों के ऊपर से अपनी मदमस्त चूत को रगड़ने लगी
"
" अभी भी आशा गुड्डू के सपने के बारे में सोच कर के अपनी चूत को रगड़े जा रही थी"
आशा (मन में) - लगता है गुड्डू अपने सपने में किसी को खूब पटक पटक के चोद रहा है , देखो तो लन्ड कैसे तेज तेज झटके खा रहा है, ऐसे ही चोद बेटा उस अप्सरा को , चोद चोद के उसकी चूत फाड़ दे बेटा
"अब आशा अपनी दाहिने हाथ की हथेली से चूत को दबा दबा कर रगड़ रही थी और बाएं हाथ से अपने मम्मों को कभी ऊपर तो कभी नीचे करके दबाने लगी "
"गुड्डू बेचारा चुपचाप अपनी आंख बंद करके अपनी मां के नग्न शरीर और अपनी बहन की बलखाती हुई गांड़ के बारे में सोच सोच कर मरा जा रहा था "
गुड्डू (मन में) - कितनी चुस्त गांड़ है मेरी बहन की , और चूतड़ों के बीच की दरार कितनी गहरी है , और पीछे से उसकी जांघें कितनी प्यारी लग रही थी ,और उसकी कमर पर बंधी हुई काले कलर की कोंदनी जिसमे मोती जड़ा हुआ था , हाय मेरी बहना तू कितनी प्यारी है "
"अपनी बहन के बारे में सोचकर गुड्डू का लन्ड एक सांप की तरह लगातार फनफना रहा था "
"इधर आशा अपने बेटे के लन्ड को फनफनाता देख अपनी हथेली से चूत को पूरे जोर लगाकर दबाने लगी "
गुड्डू (मन में) - हाय मेरी मां आपकी ये गुच्छेदार झांटें कितनी प्यारी लग रही थी आपकी चूत के ऊपर , मानों आपकी चूत की रखवाली कर रही हों , मन करता है इन झांटों के गुच्छे के ऊपर थूक - थूक कर इनको मेरे लसलसे थूक से लवालव भर दूं और फिर ये और बड़ी हो जायेंगी , फिर तुम्हारी इन झांटों की छाया में मेरे लन्ड को रख दूं ,और आपकी मोटी जांघें मां आहहहह क्या ही सितम ढा रही थी मन कर रहा है तुम्हारी जांघों को चाट चाट के पूरा गीला कर दू और आपको उल्टा लिटा कर आपके मोटे मोटे चूतड़ों को पूरा नंगा देख लूं"
" गुड्डू अपनी बहन और मां के बारे में सोच कर , उसकी कामुकता अब सातवें आसमान पर थी ,और उसका लन्ड पाजामे के अंदर बेकाबू होने लगा था और उसके शरीर के अंग - अंग में आशा का गदराया बदन और सोनम का चुस्त यौवन समा गया था "
" गुड्डू बेचारा शरम का मारा , चुपचाप से तड़पता रहा और उसका लन्ड पाजामे में बेकाबू होकर तड़फड़ा रहा था "
"अब आशा ने अपनी बीच वाली उंगली जिसमे उसने एक सोने की मोटे नग वाली अंगूठी पहनी हुई थी को चूत के अंदर धीरे - धीरे घुसाने लगी "
" आशा धीरे - धीरे अपनी उंगली की रफ्तार को बढ़ाने लगी , और मदहोशी से अपनी आंखें मूंद कर के "
आशा (मन में - गुड्डू के सपने के बारे में सोचते हुए) - बेटा उस अप्सरा को और जोर से चोदो , बेटा उसकी चूचियों को दोनो हाथों से मसल मसल के एक रबड़ की तरह लटका दे , बेटा उस अप्सरा के भारी चूतड़ों को उठा उठा के चोदो ,
आआहह बेटा कितना अच्छा चोद रहा है तू उसे , ऐसे ही चोदता रह बेटा
"आशा ने अब अंगुली की रफ्तार बढ़ा दी थी"
"इधर गुड्डू ने धीरे से अपनी आंखे खोली, देखा तो उसकी मां ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी ,और उत्तेज्जित होकर पेटीकोट के अंदर से अपनी अंगुली को चूत में तेजी से आगे पीछे कर रही थी "
" ये देखकर गुड्डू का लन्ड कतई पागल हो गया था पजामे के अंदर , और गुड्डू झट से अपने हाथ को पाजमे के अंदर ले गया और जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया"
"एक खुले आसमान के नीचे एक तरफ जहां सोनम सो रही थी वही दूसरी तरफ एक मां अपने बेटे के लन्ड को मन में सोच सोचकर अपनी चूत में अंगुली पेले जा रही थे , वही दूसरी तरफ एक बेटा को उसकी मां ने पागल कर दिया था "
"जैसे ही आशा अपनी चूत में अंगुली को अंदर बाहर कर रही थी , एक हल्की सी मादक गपच - गपच की आवाज उसमे से निकल कर सीधे हरी के कानों में पहुंच रही थी "
गुड्डू (मन में) - कितनी मधुर आवाज निकल रही है मां की चूत से
"गुड्डू ने लन्ड की रफ्तार और बढ़ा दी "
"इधर आशा का भी बुरा हाल था , लंबी लंबी सांसे ले रही थी , और लगातार अपनी चूत को अंगुली से चोदे जा रही थी"
"आशा ने धीरे से अपनी गांड़ को ऊपर उठाया ,एक हल्की सी अहहह मुंह से निकली और कांपती हुई अपने पेटीकोट के अंदर झड गई "
"गुड्डू समझ गया था की उसकी मां का हो गया है और वो कभी भी अपनी आंखे खोल सकती थी"
"गुड्डू ने लन्ड हिलाने की रफ्तार गोली से भी तेज कर दी थी , और अकड़ते हुए अपने पाजामे के अंदर झड गया"
दोस्त बिना किसी इमेज के आपने सीधे तरीके से हिंदी कहानी हिंदी में ही कह रहे हें उसके लिए आपका आभार , वरना तो ज्यादातर लेखक गाँव की कहानी को भी रोमन में लिखते हें वो भी विदेशियों की इमेज के साथ , जो कहीं से भी गाँव की जीवन शेली से मेल नही खाती , बाकि कहानी आपकी अच्छी हे इसे जारी रखियेUpdate 16
"गुड्डू अपनी मां को गोद में उठाकर घर के दरवाजे के पास खड़ा था "
गुड्डू (अपनी मां की आंखों में आंखें डालकर) - मां मुझे माफ कर देना हो सके तो...
आशा - लेकिन बेटा तुझे पता है आज तूने क्या किया है !!
गुड्डू - मां मैं लन्ड घुसाना नहीं चाहता था लेकिन जब आप मेरी गोद से ऊपर उछली तो आप जैसे ही वापस मेरी गोद में आई तो अपने आप ही मेरा लन्ड आपकी चूत में घुस गया मां ,इसमें मेरी क्या गलती है
आशा - बेटा गलती तो नहीं है लेकिन अनजाने में आज तूने मुझे चोद दिया है
गुड्डू - मां इसे ही चोदना कहते हैं क्या जब मैं आपकी चूत मैं लन्ड को अंदर - बाहर कर रहा था
आशा - हां बेटा ऐसे ही होती है चूत चुदाई
गुड्डू - मां एक बात बताऊं क्या
आशा - हां बेटा बोलो
गुड्डू - मां आपको चोदने मैं मुझे बहुत मजा आया , इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला
आशा - बेटा सबको ही ऐसे ही मजा आता है चोदने मैं
गुड्डू - मां आपको भी मजा आ रहा था क्या चुदवाने में
आशा - बेटा मजा तो बहुत आता है
गुड्डू - लेकिन मां जब में आपको चोद रहा था तो आप रो क्यों रही थी
आशा - बेटा तुझे पता है पांच साल के बाद आज मेरी चूत मैं किसी का लन्ड गया है और इतना बड़ा लन्ड मैंने पहली बार चूत में गया है , इसलिए थोड़ा दर्द की वजह से मेरे आंसू टपक पड़े
गुड्डू - मां बाबूजी का लन्ड इतना बड़ा नहीं था क्या
आशा - उनका भी बड़ा था लेकिन तेरे जितना तगड़ा नहीं था
गुड्डू - मां एक बात और पूछूं...
आशा - बेटा सवाल ही करता रहेगा क्या पहले ये तेरा लन्ड तो निकाल ले मेरी चूत मैं से
गुड्डू - मां मैं तो भूल ही गया था इसे निकालना ..
"गुड्डू का लन्ड अभी भी आशा की चूत में समाया हुआ था , झड़ने के बाद गुड्डू का लन्ड ढीला पड़ने लग गया , गुड्डू नीचे से पूरा नंगा और आशा भी एक ब्लाउज के अलावा पूरी नंगी गुड्डू की गोद में झूल रही थी "
"गुड्डू ने धीरे से आशा को ऊपर उठाया और अपने लुंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया , लन्ड को बाहर निकालते ही आशा की चूत से वीर्य की धार बहने लग गई थी "
आशा (अपनी चूत की तरफ देखते हुए) - बेटा तेरे लन्ड ने मेरी चूत को पूरा भर दिया है , देख कितना वीर्य निकल रहा है इसमें से
गुड्डू - हां मां मेरे वीर्य ने आपकी पूरी चूत को गंदा कर दिया है ,ऐसा करो आप नहा लो अंदर चल के
"दोनो मां बेटे घर के अंदर आ जाते है "
"आशा अपनी गांड़ को हिलाते हुए स्नानघर के पास बाहर रखे पत्थरों पर अपने नंगे चूतड टिका कर बैठ जाती है, बगल मैं पानी की कुंडी भरी हुई थी "
"गुड्डू वहीं पास में छप्पर में बैठ जाता है और अपनी मां को देखने लगता है"
"आशा ने गुड्डू की तरफ पीठ करके बैठी थी और अपने ब्लाउज को उतार कर बगल में रख देती है जिससे उसके झूलते हुए बोबो (मम्मे) बगल में से गुड्डू को दिखाई दे रहे थे "
"आशा का बदन अब पूरी तरह से नंगा हो गया था , गुड्डू मां को इस रूप में पहली बार देख रहा था , मां को नग्न अवस्था में देख गुड्डू का लन्ड मचलने लग गया "
"आशा मग्गे में पानी भरकर अपने शरीर पर डाल रही थी , इस बीच उसने पीछे मुडकर देखा तो गुड्डू उसकी तरफ ही देख रहा था और गुड्डू का लन्ड फिर से पूरा तन गया था "
आशा (मन में ) - हे भगवान , गुड्डू का लन्ड फिर से खड़ा होने लग गया
"जैसे ही आशा ने गुड्डू की तरफ मुड़कर देखा तो उसका एक बोबो गुड्डू को दिख गया था "
आशा - बेटा गुड्डू इधर आना जरा
"गुड्डू अपने खड़े लन्ड को हवा में लहराते हुए अपनी मां के पास चला गया "
गुड्डू - कहिए मां क्या बात है
आशा - बेटा मेरी पीठ पर थोड़ा मैल जमा हुआ इसे अपने हाथों से रगड़ के छुड़ा देगा क्या
गुड्डू - हां मां क्यों नही
आशा - ठीक है बेटा मेरे पीछे बैठ जा तू और ये मैल छुड़ा दे
"गुड्डू अपनी मां के पीछे आल पालती मार के बैठ जाता है और अपने दोनो हाथों को आशा की पीठ पर रगड़ने लगता है "
गुड्डू (पीठ को हाथों से रगड़ते हुए )- मां आप की पीठ से तो बहुत मैल निकल रहा है
आशा - हां बेटा बहुत दिन हो गए किसी ने मैल नहीं छुड़ाया तेरी मां का
गुड्डू - मां अब मैं आपका सारा मैल छुड़ा दूंगा आप चिंता ना करो
"गुड्डू हाथ को आशा पीठ पे रगड़ता हुआ, अपने हाथों को आशा की गांड़ पर ले गया ,और गांड़ को भी रगड़ने लगा , और चूतड़ों को रगड़ते हुए उनको हल्का हल्का दबाने लगा "
"गुड्डू की ये कामुक हरकत देख आशा गरम होने लग गई और चुपचाप अपने चूतड़ों को दबबाने लगी "
गुड्डू - मां लगता है आपके चूतड़ों पर भी मैल जमा हुआ है
आशा - हां बेटा इनको भी रगड़ दे ढंग से
गुड्डू - मां इस तरह बैठे बैठे कैसे ढंग से रगड़ सकता हूं इनको
आशा - तो बेटा मैं कैसे बैठूं फिर
गुड्डू - मां ऐसा करो आप पेट के बल इस पत्थर पर लेट फिर आपकी गांड़ को अच्छे से रगड़ पाऊंगा मैं
आशा - हां बेटा ये ठीक रहेगा
"आशा चुपचाप अपनी गांड़ को ऊपर उठा कर पत्थर पर पेट के बल लेट जाती है "
गुड्डू - मां मुझे आपकी जांघो पे बैठना होगा ढंग से रगड़ने के लिए
आशा - बेटा तेरा मन करे वहां बैठ जा
"गुड्डू, आशा की मखमली जांघो पर बैठ जाता है , गुड्डू ने अपनी बनियान उतार दी थी ,दोनो मां बेटे बिलकुल नंगे थे "
"अब गुड्डू अपनी मां के दोनो भारी चूतड़ों को अपने हाथों में भरकर उनका नाप करने लगा और उनको जोर जोर से दबाने लगा , दोपहर के थप्पड़ों की वजह से चूतड़ों पर अभी निशान बने हुए थे "
"गुड्डू जांघो से सरकता हुआ थोड़ा सा आगे और सरक गया जिससे उसका लन्ड आशा के गांड़ के छेद से टकराने लगा "
"अब गुड्डू ,आशा के चूतड़ों को मसलता हुआ अपने चूतड़ों को आशा की जांघो पर आगे पीछे करने लगा जिससे उसका लन्ड आशा के चूतड़ों के बीच दरार में घुसने लग गया "
"गुड्डू थोड़ा सा आगे सरकता हुआ उसने अपने लन्ड आशा की भारी गांड़ पर रख दिया "
"आशा अपने बेटे के लन्ड का भार अपनी गांड़ पर महसूस करने लगी "
"अब गुड्डू ने अपने शिर को थोड़ा नीचे झुकाया और अपने लन्ड पर थूक दिया और थूक को पूरे लन्ड पर लेस दिया "
"थूक के लेसने की आवाज आशा के कानों में जा रही थी , आशा मन ही मन सेहमने लगी और ये सोचकर घबराने लगी कहीं गुड्डू उसकी गांड़ में लन्ड नहीं घुसा दे "
"गुड्डू ने अपने दोनो हाथों से आशा के चूतड़ों के पाटों को खोल दिया जिससे सावले चूतड़ों के बीच छुपी हुई गहरी सफेद कोमल दरार दिखने लगी , गुड्डू उस कामुक दरार को देख कर वासना में डूब गया और उसका लन्ड तड़फड़ाने लगा , गुड्डू ने अपना मुंह खोला और दो - तीन बार उस दरार में थूक दिया , गुड्डू ने अभी भी आशा के चूतड़ों को दोनो हाथों से खोल रखा था , गुड्डू ने धीरे से अपने लन्ड को थूक से भरी हुई चुलबुली दरार पर रख दिया और और थोड़ा वजन आशा की गांड़ पर डालकर आशा की बेमिसाल गांड़ की दरार को अपने लन्ड से चोदने लगा , थूक की वजह से लन्ड बहुत ही आसानी से आगे पीछे हो रहा था , गुड्डू का तगड़ा लन्ड आशा संवेदनशील दरार में रगड़ने से आशा के शरीर में गुलगुली सी होने लगी और उसका जिस्म थोड़ा थोड़ा कंपन्न करने लगा , संवेदना पूर्ण दरार की लसलसी चुदाई से आशा की चूत पानी छोड़ने लगी ,अपनी चुलबुली गहरी गांड़ की दरार पर गुड्डू के थूक और लन्ड के इस मिलाप को महसूस कर आशा पागल हुए जा रही थी "
आशा (मन में ) - बेटा तू तो एक कामदेव है मेरे लिए , भला इतने तजुर्बे से कोई मर्द किसी औरत की दरार को चोदकर उसे वासना में डुबा सकता है , बेटा धन्य हुई मैं तुझ जैसा बेटा पाकर
आशा - आह्ह्ह्ह्ह...बेटा .....आह्ह्ह्ह्ह....
गुड्डू (लन्ड को दरार में आगे पीछे करते हुए) - क्या हुआ मां
आशा - कुछ नहीं बेटा ...... अह्ह्ह्ह्ह्ह
"करीब दस मिनट मां की दरार को चोदने के बाद गुड्डू रुक जाता है और नीचे झुककर अपनी मां के गांड़ के सुकड़े हुए छेद को देखने लग जाता है"
गुड्डू - मां आपकी गांड़ का छेद भी बहुत काला हो रखा है मैल की वजह से , इसे भी साफ कर दूं क्या
आशा - हां बेटा इसे भी थोड़ा साफ कर दे , लेकिन बेटा मैं लेटी हुई हूं इसलिए तू इस छेद को सही से साफ नहीं कर पाएगा , मैं घोड़ी बन जाती हूं तू पीछे से साफ कर देना फिर इसे
गुड्डू - हां मां ये ठीक रहेगा आप घोड़ी बन जाओ
"आशा घुटनों को मोड़कर ,हाथों को जमीन पर रख कर एक घोड़ी का रूप ले लेती है ,जिससे आशा के बड़े बड़े बोबो छाती से लटकने लगे "
"मां के मम्मों को झूलता देख गुड्डू के मुंह में पानी आ रहा था "
गुड्डू (अपनी मां को इस अवस्था में देखकर) - मां आप जचती हो घोड़ी बनकर
आशा - वो क्यों बेटा
गुड्डू - मां आपकी गांड़ एक घोड़ी की तरह खूब भारी है
आशा - क्या सच मैं बेटा ,मेरी गांड़ घोड़ी जैसी है
गुड्डू - बिलकुल मां एक जवान नंगी घोड़ी लग रही हो आप
आशा (थोड़ा ललचाते हुए ) - बेटा तू भी किसी घोड़े से कम नहीं है
गुड्डू - वो कैसे मां
आशा - बेटा तेरा लन्ड घोड़े जितना मोटा तगड़ा है ना इसलिए
"मां के मुंह से अपने लन्ड की तारीफ सुनकर गुड्डू का लन्ड भी घोड़े से कम नहीं लग रहा था फड़फडाते हुए "
आशा - बेटा अच्छे से साफ कर देना इस गांड़ के छेद को साफ
"गुड्डू अपनी उंगलियों से आशा के गांड़ के छेद को रगड़ने लगा , वाकई में आशा की गांड़ के छेद पर मैल जमा हुआ था , और गुड्डू उसे अच्छे से रगड़ते हुए उसे साफ किए जा रहा था , गांड़ के छेद के सिकुड़न वाले हिस्से में गुड्डू के उंगली के चारों घूमने से आशा की गांड़ के छेद में कभी सलवटें पड़ रही थी तो कभी हल्का सा छेद खुल जाता था , गुड्डू अपनी मां के गांड़ के छेद को इस तरह सिकुड़ता देख बेहद उत्तेजित हो रहा था , गुड्डू ने एक पानी का भरा मग उठाया और आशा के गांड़ के छेद को धोने लग गया मानो आशा की टट्टी को धो रहा हो ,आशा को बहुत अच्छा लगने लगा वो चुपचाप लेते हुए अपने बेटे की सेवा का आनंद उठा रही थी "
गुड्डू (गांड़ के छेद को अच्छे से धोने के बाद ) - मां आपके गांड़ का छेद अच्छे से साफ कर दिया है मैने
आशा - बेटा तू कितनी देर से मेरी सेवा कर रहा है , भगवान ऐसा बेटा सबको दे
गुड्डू - मां मैं तो मेरा फर्ज निभा हूं एक बेटे होने का..
आशा - बेटा फर्ज तो एक मां का भी बनता है अपने बेटे की अच्छे से देखवाल करे
आशा - तू यहीं बैठा रहना मैं तुझे नहलाती हूं अच्छे से
गुड्डू - हां मां मुझे एक छोटे बच्चे की तरह नेहलाओ , जब आप मुझे बचपन मैं नहलाती थी
आशा - हां बेटा ऐसे ही नेहलाऊंगी मेरे बेटे को
"आशा गुड्डू के पीछे आ गई और मग मैं पानी भरकर गुड्डू के ऊपर डालने लगी और फिर अपने कोमल हाथों से गुड्डू के पहलवान शरीर को रगड़ने लगी ,गुड्डू के सीने को हाथों में मसलने की कोशिश करने लगी , आशा ने गुड्डू को मसलते हुए अपने मम्मों को गुड्डू की पीठ से सटा दिया ,गुड्डू अपनी मां के मखमली मम्मों का मादक स्पर्श अपनी पीठ पर महसूस करने लगा और फिर आशा अपने मम्मों को गुड्डू की पीठ पर रगड़ते हुए आगे की ओर झुकी और गुड्डू के सामने रखी कुंडी में से एक मग पानी भरा और एक नजर गुड्डू के लन्ड पर घुमाई , गुड्डू का लन्ड पूरा तना हुआ था उसका गुलाबी सुपाड़ा हल्का सा बाहर निकला हुआ था , अब आशा मग के पानी से एक तीखी धार बनाकर गुड्डू के लिंग की पूजा करने लगी , इस तरह लन्ड की पूजा होने से गुड्डू का लन्ड और जोश में आ गया "
आशा - बेटा ये तेरे लन्ड के ऊपर सफेद सफेद सा क्या लगा हुआ है
गुड्डू - मां जब मैंने आपको चोदा था तब मेरा लन्ड मेरे वीर्य में सन गया था
आशा - हां बेटा सही कह रहा तू , चूत तो मेरी भी सन गई है तेरे वीर्य से
आशा - बेटा ला मैं तेरा लन्ड साफ कर देती हूं
"आशा धीरे से अपने हाथ को गुड्डू के लन्ड पर रख देती है और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े से चिपके वीर्य को अपनी उंगलियों में चिपका लेती है और और उस वीर्य की सफेद दानों को चाट जाती है , दो तीन बार ऐसी ही चटाई के बाद फिर आशा अपनी उंगिलयों पर थूक लगा कर , उस थूक को गुड्डू के लन्ड पर मल देती है , गुड्डू की सांसे हवस की हवाओं में बदल गई थी पहली बार किसी औरत ने उसके लन्ड पर अपना थूक लगाया था "
आशा - बेटा ऐसे मैं तेरे लन्ड को सही से साफ नहीं कर पाऊंगी , तू ऐसा कर इस पत्थर पर लेट जा ...
"गुड्डू पैरों को सीधा कर उस पत्थर पर लेट जाता है और आशा गुड्डू के पैरों के पास बैठ जाती है और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े में थूक मलने लगती है ,लन्ड के सुपाड़े पर अपनी मां के लसलसे थूक की मालिश से गुड्डू का अंग अंग रोमांचित होने लग गया था , एक भारी गांड़ और झूलते मम्मों की देवी गुड्डू के सामने बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी और गुड्डू अपनी मां की मासूमियत और भरा हुआ जिस्म का नज़ारा देख पूरा वासना में डूब गया था "
गुड्डू - मां अच्छे से थूक लगा कर साफ कर दो इसे
"आशा ने अपने मुंह को खोला और जो थूक से भरा हुआ था और थूक की लार आशा के होठों से होती हुई गुड्डू के लन्ड पर गिरने लगी जिससे आशा ने अपने हाथ से गुड्डू के लन्ड को थूक से पूरा गीला कर दिया , अपनी मां के झागदार थूक ने गुड्डू के नौ इंच लंबे लन्ड को पूरा चिपचिपा कर दिया , अब आशा ने गुड्डू के लन्ड को अपनी मुठ्ठी में भर लिया , और मुठ्ठी को गुड्डू के लन्ड पर ऊपर नीचे करने लगी जिससे चपचप की आवाज होने लगी "
आशा - बेटा तेरा लन्ड बहुत ज्यादा कड़क है एक डंडे की तरह
गुड्डू - मां अब सब आपके हाथ में ही इसे नरम करना
आशा - बेटा ऐसे ही तेरे बाबूजी का लन्ड कड़क रहता था..उस वक्त
गुड्डू - फिर मां आप कैसे नरम करती थी मेरे बाबूजी के लन्ड को
आशा - बेटा वो मैं उनके लन्ड को मेरे मुंह में अच्छे से भर के खूब चूसती थी जब तक की उनका लन्ड नरम नहीं पड़ जाता
गुड्डू - मां मैं जब छोटा था तब आपको मैने कई बार बाबूजी का लन्ड चूसते देखा था
"आशा गुड्डू के चिपचिपे लन्ड की धीरे धीरे मुठ मारे जा रही थी "
आशा - बेटा तूने कब देख लिया, हम दोनो तो तुम्हारे सोने के बाद करते थे ये सब , मुझे भी बता जरा तूने ऐसा क्या करते देख लिया उस वक्त मुझे तेरे बाबूजी के साथ
गुड्डू - मां एक बार हम सभी छत पर सो रहे थे ,चांदनी रात थी , हल्की हल्की हवाएं चल रही थी,आप उस वक्त आप पूरा श्रंगार करके सोती थी , उस समय आप मेरे और सोनम के सोने के थोड़ी देर बाद आप हमारी तरफ देख कर पहले ये सुनश्चित करती थी की मेरे दोनो बच्चे सो रहे हैं , और हमको सोता हुआ देख आप धीरे से अपने बिस्तर से खड़ी हो जाती थी इस बीच आपकी शारीरिक हलचल से आपकी पायजेब और चूड़ियों की मधुर ध्वनि की छन छन की आवाज से मेरी नींद टूट जाती थी और मैं चुपचाप बिस्तर पे लेटा रहता था ,फिर आप पहले बगल में रखे पानी के मटके से पानी पीती थी और फिर सुनसान रात में पैरों में बंधे पायजेब को खनखाते हुए बाबूजी के बिस्तर की तरफ चली जाती थी, और धीरे से बाबूजी के बगल में जाकर बैठ जाती थी और धीरे से
(उस वक्त का आपका और -बाबूजी का संवाद जो मैंने सुना था)
आप (बाबूजी के कान में फुसफुसाते हुए) - अजी सुनते हो ... गुड्डू के पापा....मैं आ गई
बाबूजी (धीरे से) - अरे गुड्डू की मां आज इतनी जल्दी क्यों आ गई ,बच्चे को तो सो जाने देती ढंग से , बच्चे जाग जायेंगे थोड़ी देर बाद आजाना
आप - बच्चे सो रहे हैं आप चिंता मत करो आप बस अपनी धोती खोलिए मुझे आपका चूसना है
बाबूजी - नीचे चलते हैं गुड्डू की मां ,यहां तू बच्चों को उठा देगी चूसने की आवाज से ,तू मेरे लन्ड को बहुत ही बेरहमी से चाटती है
आप - नीचे नहीं जाना मुझे , नीचे बहुत गर्मी लगती है मुझे यहीं चूसना है आपका लन्ड छत पर
बाबूजी - कितनी जिद्दी है तू गुड्डू की मां , ठीक है चूस ले लेकिन एक नजर बच्चों पर रखना कोई सा पानी वगैरा पीने के लिए नहीं उठ जाए
(संवाद खत्म)
गुड्डू - फिर मां आपने बाबूजी के लन्ड को धोती से बाहर निकाल लिया और उसपे अपना थूक लगाकर उसे अपनी मुट्ठी में भरकर उसे आगे पीछे करने लग गईं , लन्ड को जोर से आगे पीछे करने से आपके हाथों की चूड़ियां खनकने लगी जिनकी मादक आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी लेकिन मां आप बाबूजी के लन्ड को बहुत जोर से हिला रही थी
आशा - बेटा तूने तेरे बाबूजी की याद दिला दी , उनकी तरह लन्ड हिला के बताती हूं तुझे रुक
गुड्डू - मां सच में आप मेरा लन्ड बाबूजी की तरह जोर जोर से हिलाओगी
आशा - हां बेटा बिलकुल तेरे बाबूजी की तरह
"गुड्डू के लन्ड के संपूर्ण दर्शन आशा को हो रहे थे , आशा ने अपने हाथ में गुड्डू के लन्ड को भर लिया और फिर से लन्ड के सुपाड़े पर अपने झागदार थूक थूकने के बाद उसे लन्ड पर लासने लगी और फिर जोर जोर से गुड्डू के लन्ड को आगे पीछे करने लगी "
आशा - बेटा ऐसी ही हिला रही थी उस वक्त मैं तेरे बाबूजी के लन्ड को जब तू चुपचाप अपने मां को अपने बाबूजी का लन्ड हिलाते हुए देख रहा था
गुड्डू - हां मां ऐसे ही हिला रही थी ,,,आह्ह्ह्ह्ह , लेकिन फिर आपने धीरे से आपने बाबूजी के लन्ड को अपने मुंह में भर लिया था और उसे चूस रही थी , जिससे आपके लन्ड के चूसने की आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी और मैं चुपचाप आपको बाबूजी का लन्ड चूसते हुए देखा जा रहा था
"आशा ने अपने सिर को थोड़ा नीचे झुकाया और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े को अपने नरम नरम होठों में भर लिया और गुड्डू के चिकने सुपाड़े को अपने नाजुक होठों से दबाने लग गई ,फिर आशा ने अपनी लंबी जीभ को निकाला जिसमे से लार टपक रही थी और गुड्डू के लन्ड के सुपाड़े की खाल समेत पूरे लन्ड पर जीभ को फेरने लगी , आशा के इस तरह झुके रहने से उसके मम्मे गुड्डू की जांघों को रगड़ खा रहे थे जो गुड्डू की कामुकता को और बढ़ा रहे थे , और आशा ने धीरे से अपने मुंह को खोला और गुड्डू के लन्ड को अपने मुंह में भर लिया और उसे धीरे से मुंह में आगे पीछे लेने लगी , गुड्डू लेटा हुआ अपने लन्ड को अपनी मां के मुंह में महसूस कर रहा था , जब आशा गुड्डू के लन्ड मुंह के अंदर लेती तो लन्ड के सुपाड़े को अपने मुंह के अंदर खुरदुरे से तरुआ में उसे बार बार रगड़ रही थी ऐसा करने से गुड्डू को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी , फिर आशा ने अपनी लंबी जीभ को बाहर निकाल के गुड्डू के तगड़े लन्ड को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गले तक उतारने लगी , आशा अपने दोनो हाथों से लन्ड और अंदर तक धकेलने की कोशिश करती है और इस बार गुड्डू के लन्ड का सुपाड़ा आशा के गले तक उतर गया था जिसका उभार गले के ऊपर बाहर से साफ दिख रहा था , आशा ने गुड्डू के लन्ड को पूरा मुंह से होते हुए में ले लिया था जिससे उसकी गले की नसें थोड़ी फूल गई थी और उसका गर्दन के ऊपर वाला हिस्सा थोड़ा लाल पड़ने लग गया था अब गुड्डू का लन्ड का सुपाड़ा आशा की सांस नली में बैठा था जिससे आशा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी और उसने लन्ड को अपने मुंह से बाहर निकाला और आशा तेज तेज सांसे लेने लग गई थोड़ी देर आराम करने के बाद आशा ने फिर से गुड्डू के लन्ड को अपने थूक और लार से भरे हुए क्षेत्र में ले गई और उसे मुंह के अंदर बाहर कर उसे मजे से चूसने लगी
आशा - बेटा ऐसी ही चूस रही थी ना मैं उस रात तेरे बाबूजी का लन्ड
गुड्डू - बिलकुल ऐसे ही मां....आआआह्ह्ह .....मां .... कितना मजा आ रहा है , ये आपका मुंह या या फिर थूक का तालाब , मां कितना मजा आता है जब आप इसे अपने मुंह में अंदर बाहर करती हो
"आशा अब गुड्डू के लन्ड को मजे से चूसने से आशा की गरम चूत पिघलने लग गई जिसमे से हल्का सा रस अपने आप टपकने लग गया ,आशा ने गुड्डू धीरे लन्ड को चूसते हुए अपने बाएं अपने हाथ को चूत के ऊपर रख दिया और अपनी चूत को सहलाने लगी "
गुड्डू - मां मुझे बहुत मजा आ रहा है लगता है थोड़ी देर में मैं झड़ने वाला हूं, थोड़ा और जोर से चूसो
"आशा गुड्डू के लन्ड मुंह में अंदर लेने लगी और तेजी से अन्दर वहार करके चूसने लगी ,गुड्डू ने धीरे से अपने दोनों हाथों को आशा के सिर पर रख दिया और और अपनी गांड़ को ऊपर उठाकर आशा के मुंह को एक चूत की तरह चोदने लग गया ,जिससे उसका लन्ड आशा के हलक तक पहुंच रहा था , बेटे के इस तरह मुंह चुदाई से आशा और ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी दो उंगलियों को अपनी ताती चूत में डालकर बाहर करने लग गई , गुड्डू ने भी मुंह चोदन की रफ्तार बढ़ा दी और धक्कापेल अपनी मां के मुंह को चोदने लगा ,गुड्डू की वासना चर्म पर थी उसने अपनी गांड़ थोड़ा और उठाया और अपने हाथ से आशा के सिर को नीचे की ओर दबा कर अपने लन्ड को आशा के हलक तक उतार दिया था जिसने एकदम से आशा की सांस रोक दी थी ,और इसी अवस्था में
गुड्डू - आह्हह्हह्हह्ह..........मां .....आपका मुंह ...... आआह्ह्ह्ह्हह ....मां .....
"और तेजी से झटके खाते हुए आशा के गले के अंदर अपना वीर्य छोड़ दिया जो सीधा आशा के पेट में पहुंच रहा था और अपनी मां का नाम जपते हुए पूरा उसके मुंह में निचुड़ जाता है और अपने लन्ड को मुंह से बाहर निकाल लेता है उधर आशा भी पागल सी होकर अपनी चूत में उंगली को आगे पीछे करती हुई गुड्डू का नाम जपते हुए गुड्डू के तुरंत बाद वो भी अकड़ती हुई मुंह को खोलती हुई गुड्डू - गुड्डू पुकारते हुए पत्थर के ऊपर झड़ जाती है "
"करीब दस मिनट बिना कुछ एक दूसरे से बिना बोले दोनो मां बेटे उसी पत्थर पर लेटे रहे "
Nice storyजैसा कि मैंने बताया गुड्डू का घर गांव से बाहर सा ही रह जाता है । गांव के बाहर एक छोटी सी नदी बहती है जिसमे बच्चे खूब नहाते हैं , घर गांव के छोर पे पड़ता है जहा से वो नदी जाती है होगी कम से कम 50 मीटर की दूरी पर।
गुड्डू के पास 12 बीघा जमीन है , 2 भीगा जमीन घर के पास ही है जिसमे एक बगीचा है उसमे आम के पेड़ लगा रखे है और बाकी की जमीन करीब 2 किलो मीटर की दूरी पर है जिसमे सर्दियों के समय गेहूं और सरसों और बरसात में ज्वार बाजरा बोते हैं। पास वाले खेत की सिंचाई नदी के पाने से कर लेते है लेकिन दूर वाले खेतों के सिंचाई के लिए वही खेतों के पास के एक ट्यूबवेल लगा रखी है । खेतीवाड़ी के छोटे मोटे काम के लिए एक ट्रेक्टर ट्राली भी ले रखा है ,
इसके अलावा 2 भैंस और एक गाय भी है ।
हमारा घर में दो कमरे है और एक हॉल भी है ,
एक कमरे में मां और सोनम सोते है और एक कमरे में गुड्डू सोता है, घर के आगे खाली जगह है जिसमे गाय भैंस बांधते है और एक छप्पर भी है जिसमे दोपहर को ठंडी हवा आती है , गुड्डू दोपहर का ज्यादातर टाइम छप्पर में ही निकलता है ,उसी खाली जगह में एक हल्का सा स्नानघर और एक छोटी सी रसोई वहीं पर है
अभी घर में तीन लोग हैं -गुड्डू , गुड्डू की मां आशा और उसकी छोटी बहन सोनम । बड़ी बहन और बुआ अपने ससुराल में है ।
शौच के लिए सभी बाहर ही जाते है ,टट्टी करने के लिए आशा और सोनम एक साथ बाहर जाती थी शाम को और गुड्डू सुबह जाता था । गुड्डू और आशा सुबह रोजाना 4 बजे उठते है ,और सोनम आराम से उठती है 8 बजे तक।
गुड्डू की मां अपने आप ही सुबह 4 बजे उठ जाती है और उसके बाद गुड्डू को भी उठाती है।
उठने के बाद गुड्डू गाय भैसो को चारा डालता है और उसके बाद में खेतो की तरफ घूमने निकल जाता है और वही टट्टी करके करीब एक घंटे बाद घर आता था और मां उस बीच गाय भैसो के नीचे से गोबर साफ करने लग जाती और हरी जब वापस आता तब गुड्डू गाय भैसो का दूध निकालता था उसकी मां घर के बाहर वाले आंगन की सफाई करती रहती थी गुड्डू पास में ही । दूध निकालते टाइम गुड्डू और उसकी मां एक दूसरे से थोड़ी बाते भी करते रहते थे ।
गुड्डू भैंस का दूध निकाल रहा था ,
आशा - गुड्डू बेटा तू गाय भैसो का दूध निकालता है रोजाना , मैंने आज तक नहीं निकाला इनका दूध , मुझे भी थोड़ा सा सीखा दे ।
गुड्डू- मां आप रहने दो मैं निकाल तो लेता हु ।
आशा - अरे बेटा में तो इसलिए कह रही थी ,कही तुझे किसी दिन कुछ जरूरी काम आ गया तो में भी इनका का दूध निकाल सकू।
गुड्डू- अरे रहने दो मां आप क्यू परेशान होती है , आप को पहले से ही घर के बहुत सारे काम है ।
आशा - बेटा अब काम तो करने पड़ेंगे ही ,मेरा बहुत मन है बेटा दूध निकालने का इन गाय भैसो का , फिर तेरे को भी थोड़ी मदद मिल जायेगी । और में सीख भी जाऊंगी दूध निकालना , ताकि कभी तू कही बाहर चल जाए किसी काम से एक दो दिन के लिए तो मैं इनका दूध निकाल सकू ।
गुड्डू- मां आप अब इतनी कह रही हो तो ठीक है आप भी सीख लो इनका दूध निकालना ।
"आशा ये बात सुनके के बहुत खुश हुई "
आशा - बेटा आज से ही सीखा दे , धीरे धीरे सीख जाऊंगी।
गुड्डू - ठीक है मां आइए इधर और देखिए में कैसे इनका दूध कैसे निकाल रहा हु ।
" सुबह के करीब 5:30 बज रहे थे , सबेरा होने में कुछ ही छड़ों का इंतजार था , लेकिन दिख सब कुछ रहा था लगभग "
" और आशा ने अपना झाड़ू साइड में रखा जिससे वो आंगन की सफाई कर रही थी और गुड्डू के बगल में आकर खड़ी हो गई और हरी को दूध निकालते हुए देखने लगी,
हरी अपने अंगूठे और अंगुलियों से भैंस के थन को जोर -जोर से भींचकर दूध निकाल रहा था "
आशा - बेटा लग तो सरल ही रहा है देखने में तोह , लेकिन दूध निकालने का पता नही कितना जोर लगेगा ।
गुड्डू- मां देखने में तो सरल ही लगता है लेकिन थनों को जोर से दबाना पड़ता है ,तब दूध निकलता है।
आशा - गुड्डू बेटा मुझे कोशिश करने दे जरा ।
गुड्डू - ठीक है मां आइए आप ।
" हरी वहा से खड़ा हो जाता है और आशा भैंस के नीचे बैठ जाती है दूध निकालने के लिए और हरी उसके बगल में खड़ा हो जाता है"
" हरी की मां दूध निकालने लगी लेकिन उसकी सारी कोशिशें बेकार जा रही थी उससे एक बूंद भी दूध बाहर नही निकला भैस के थनों से, गुड्डू खड़ा खड़ा ही अपनी मां को दूध निकालते हुए देख रहा था कि इनसे दूध निकलता ही या नहीं "
आशा - बेटा मुझसे तो कतई भी दूध नहीं निकल रहा इसमें से ।
गुड्डू - मां थनों को थोड़ा जोर से दबाइए ।
आशा - बेटा खूब जोर से तो दबा रही हु थनों को लेकिन दूध निकल ही नहीं रहा , थोड़ी मां की मदद कर न बेटा।
"आशा को नाकाम देख गुड्डू अपनी मां की मदद करने के लिए थोड़ा सा झुका और अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी मां के हथैलियों को ऊपर से पकड़ा जोकि भैंस के थनों से दूध निकाल रहे थे और अपनी मां की हथेलियों को दबाने लगा जिससे हल्का हल्का भैंस के थनों से दूध निकले लगा , ऐसे गुड्डू के झुके रहने से गुड्डू के घुटने उसकी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा अब निकलने लगा है इन थनों से दूध ।
गुड्डू - मां अब आप कोशिश कीजिए अकेले ।
आशा - ठीक है बेटा मैं कोशिश करती हु।
"गुड्डू फिर से अपनी मां के बगल में खड़ा हो जाता है"
" अब आशा दूध निकालने की कोशिश करने लग गई लेकिन इस बार भी उसकी मां से एक बूंद भी दूध नही निकला "
आशा - बेटा नहीं निकल रहा मेरे हाथों से दूध ।
गुड्डू - मां थोड़ा जोर तो लगाएं आप।
"आशा खूब जोर जोर से थनों को दबा रही थी फिर भी उसके हाथों से दूध नहीं निकल रहा था "
आशा - गुड्डू बेटा मैं खूब जोर लगा तो रही हु तू देख
गुड्डू - ठीक है मां मैं मदद और कर देता हु आपकी
आशा - हा बेटा थोड़ी मदद और कर दे
" अब हरी पहले की तरह अपनी मां के पीछे जाकर थोड़ा झुका और अपनी मां की मदद करने लगा दूध निकलवाने में ,इस बार भी उसके घुटने अपनी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा तेरे हाथों से फिर से दूध निकलने लग गया
गुड्डू - हा मां थोड़े तरीके से और जोर लगाने से दूध निकल जाता है
" अभी भी गुड्डू अपनी मां के पीछे खड़े होकर उनकी दूध निकलवाने में मदद कर रहा था और उसके घुटने उसकी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा तू ऐसा कर नीचे बैठ जा , तेरे ये घुटने मेरी पीठ को चुभ रहे है
गुड्डू - मां आपने पहले क्यों नहीं बताया , मुझे माफ करना मां
आशा - कोई बात नही बेटा , अब नीचे बैठ जाओ तुम
गुड्डू - ठीक है मां
" और ऐसा कहते ही गुड्डू अपने मां के पीछे कसमसाता(झिझकता) हुआ अपने पंजों के बल बैठ जाता है , अब गुड्डू अपनी मां से थोड़ा चिपक जाता है उसकी छाती , मां की पीठ को भिड़ रही थी उसकी मां ने साड़ी पहनी हुई थी और अपने हाथों को अपनी मां के हाथों से जोड़कर आगे करके अपनी मां की हथेलियों को पकड़ लिया और मां का दूध निकलवाने में साथ देने लगा "
"गुड्डू अपनी मां के इतना करीब पहले कभी नहीं गया था "
"गुड्डू ने एक पाजामा पहना था और ऊपर एक बनियान, वो पूरी कोशिश कर रहा था कि उसका लंड मां के पिछवाड़े को ना छुए, आज कुछ हद इसमें गुड्डू सफल भी हुआ ,लेकिन फिर भी उसकी छाती अपनी मां की पीठ से रगड़ खा रही थी "
"अब लगभग भैंस का दूध निकाल लिया था आशा ने अपने बेटे के सहारे"
आशा - बेटा आज के लिए इतना ही बाकी का आने वाले दिनों में सीख जाऊंगी
गुड्डू - ठीक है मां , आप चिंता मत करो आप सीख जाओगी ऐसे ही
आशा - हा बेटा ऐसे सिखाएगा तो में जरूर सीख जाऊंगी दूध निकालना
गुड्डू - ठीक है मां अब आप बाकी का काम करलो मुझे अभी गाय का दूध भी निकालना ही है
आशा - हा बेटा मैं अंदर से घर के कचरे झाड़ के ले आती हू झाड़ू से
गुड्डू - हा मां ठीक है आप जाइए
आशा - ठीक है बेटा
" ऐसा कहते ही आशा घर के अंदर चली जाती ह सफाई करने और गुड्डू गाय का दूध निकालने लग जाता है ।"
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अपडेट??Update 3
"चांदनी रात थी , कभी हल्की तो कभी तेज हवा चल रही थी ,ऊपर खुला आसमान ,काफी मनमोहक नजारा था उस रात "
"रात के करीब दो बज रहे थे"
"गुड्डू की करीब दो बजे नींद टूटती है और पेशाब करने के लिए खड़ा होता है , और एक नजर सभी पर डालता है "
"पहले सोनम की ओर देखता है"
"सोनम मस्त अपने पेट के बल , चूतड़ों को उठा कर लेटी हुई थी (सोनम सूट सलवार पहन के सोती थी ), उसका सलवार चूतड़ों के बीच दरार में फसा हुआ था, और सूट थोड़ा ऊपर को हो गया था जिससे थोड़ी सी नंगी पीठ के दर्शन हो रहे थे ,बहुत की कामुक दृश्य था "
"ये दृश्य देखकर गुड्डू की कामेंद्रिया जोर देने लगी और इसका असर उसके लन्ड पर होने लगा "
"फिर एक नजर अपनी मां की तरफ घुमाता है, अपनी मां को देखकर वो उसकी सांसे थम सी जाती है"
"उसकी मां पीठ के बल लेटी हुई थी , वो अपने घुटनों को मोड़ के सो रही थी जिससे पेटीकोट पूरा उसके पेट पर पड़ा था ,पहले उसकी नजर मोटी जांघों पर जाती है फिर एक दम से गुड्डू को अपनी मां की झांटों वाली चूत दिख जाती है ,और नीचे का गांड़ वाला हिस्सा भी थोड़ा दिख रहा था , चूतड़ों के दोनो पाट बाहर की तरफ निकले हुए थे "
"गांव में ज्यादातर औरतें पेटीकोट के नीचे चड्डी नहीं पहनती है"
" ये देखकर गुड्डू खड़ा खड़ा ही कपकपाने लगता है , और उसका 9 इंच लन्ड पाजमे में पूरा तनने लगा , गुड्डू को अपनी मां की चूत के झांटों में से थोड़ी ही दिख रही थी "
"गुड्डू अब शर्म लिहाज़ से ऊपर उठ चुका था, "
गुड्डू (मन में) - इतनी लंबी झांट , जी कर रहा है अभी इन झांटों को पकड़ के नोच लूं , और इन जांघो को थोड़ा सहला दू,अभी जाके मां से लिपट जाऊं
"ऐसा सोचते सोचते अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाता है और अपनी नजरों को मां की तरफ करके ,अपनी मां की झांटों वाली चूत और मदमस्त जांघो में देखे जा रहा था और गुड्डू अपने हाथ को लन्ड पर ले गया , लन्ड पूरा तन चुका था पजामे में एक लोहे के सरिया की तरह खड़ा था , बाहर आने को उतावला था, अब गुड्डू अपने लन्ड पजामे के अंदर संभाल नहीं सकता था , बहुत ही कठोर और तगड़ा हो गया था पाजामा भी फटने जैसा हो गया था "
"गुड्डू ने तुरंत अपने पजामे के नाडे को खोला और अपने मोटे को लन्ड आजाद कर दिया ,और अपने पजामे को घुटनों तक सरका दिया और लन्ड को जोर जोर से हिलाने लगा ,उसकी नजर मां की जांघों और चूतड़ों के बगल वाले पाटों से नहीं हट रही थी , वो लगातार उनकी तरफ देखे जा रहा था और जोर जोर से लन्ड को हिलाने लगा ,अचानक से हैरि की सांसे तेज होने लग गई , और कुछ छड़ों में झड़ने ही वाला था कि अचानक उसकी मां थोड़ा कराहती है , और अपनी आंखे हल्की सी खोलती है "
"जैसे ही गुड्डू ने देखा कि उसकी मां जाग गई है , उसने तुरंत अपना हाथ लन्ड से हटा लिया , उसके तुरंत अपने लन्ड को पजामे के अंदर डाल लिया , उसका लन्ड अभी भी पूरा 9 इंच खड़ा था "
गुड्डू(मन में) - ये मां क्यों जाग गई अचानक से , थोड़ी देर और सो लेती , शायद मूतने के लिए जागी होगी
"गुड्डू आशा की तरफ अब भी तिरछी नज़रों से देख रहा था"
"इधर कराहती हुई , उठने की कोशिश करती है और जैसे ही एक नजर अपने शरीर पर दौडाती है "
आशा ( मन में) - हे भगवान मैं तो पूरी नंगी पड़ी हु
"और आशा तुरंत अपने पेटिकोट को नीचे सरकाती है "
आशा ( मन में) - ये मेरी बहुत गंदी आदत है , जब मैं घुटने मोड़ कर सोती हूं तब ये पेटीकोट मेरी कमर पर आ ही जाता है
आशा मन में) कहीं गुड्डू ने मुझे इस हालत में देख तो नहीं लिया
" ऐसा सोचते ही एक नजर अपने बेटे पर दौडाती है , जैसे ही आशा गुड्डू तरफ देखती है , गुड्डू अपनी आंखे तुरंत बंद कर लेता है, और एक नजर उसके पूरे शरीर पर दौडाती है"
आशा (मन में)- गुड्डू तो सो रहा है ,शायद नहीं देखा इसने ,लेकिन पाजमे में इतना लंबा लन्ड क्यों खड़ा हुआ है , हे भगवान कितना मोटा लौड़ा है इसका , बिलकुल अपने बाप की तरह
"आशा गुड्डू के लौड़े को देखकर थोड़ा , अपने अपने पति को याद करने लग जाती है , कई सालों बाद आशा की आंखों ने किसी खड़े लन्ड का नजारा किया था"
आशा (मन में) - उन दिनों जब मैं रात को उठती थी ,तो गुड्डू के बापू का लौड़ा भी ऐसे ही पाजामे में खड़ा में रहता था , और मैं उठकर उनके पास जाती थी और उनके पाजामे का नाडा खोलकर उसे बाहर निकलती थी और पहले एक उसको चूमती थी और फिर खूब चूसती थी मजे से , और मुंह में पूरा अंदर तक ले लेती थी कितना ही स्वादिष्ट लन्ड था उनका "
"कई सालों बाद आशा गर्म होने लगी थी और अपने बेटे खड़े हुए लन्ड को देख कर थोड़ा सा आंख बंद कर लेती है और फिर थोड़ा अतीत में चली जाती है"
आशा (आंखो को थोड़ा सा मूंद के मन में ) - मैं कैसे गुड्डू के बापू के लौड़े को अपनी जीभ से चाट चाट के पूरा गीला कर देती थी ,और मेरे चूसने से उनका लन्ड का आकार कितना बढ़ जाता था
" आशा ऐसे सोचते सोचते पूरी तरह बहुत गरम हो जाती है और पहले एक नजर अपने बच्चों पर दौडाती है ,पहले सुनिश्चित करती है कि गुड्डू और सोनम दोनो सो रहे थे फिर अपनी नजरें गुड्डू के लन्ड पर डालती है और पूरी कामुक होकर अपनी आंखें बंद कर लेती है"
" और तुरंत ही अपने पेटिकोट को कमर तक उठा लेती है , पहले जोर से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से दबाती है , मम्मे दबाने से उसकी सांसे तेज होने लग जाती है"
"इधर गुड्डू अपनी मां को तिरछी नजरों से अपनी आंखों को सेक रहा था "
गुड्डू (मन में) - मां भी शायद मेरे लन्ड को देखकर गरम हो गई है , मां कितने जोर जोर से अपने मम्मों को दबा रही है, मां इस ब्लाउज को खोल दो और पूरी नंगी हो जाओ
" अब गुड्डू का लन्ड पाजामे में झटके खा रहा था "
"आशा फिर से अपने बेटे के लन्ड का आंखों से दीदार करती है"
आशा( मन में)- कितना लंबा लन्ड है मेरे बेटे का , और ये अचानक से मटकने क्यों लग गया , शायद मेरे बेटा कोई कामुक सपना देख रहा है
"आशा अपने बेटे के लन्ड को देखकर पूरी चुदासी हो गई थी और धीरे से अपनी आंखे बंद कर लेती है, और अपने पति के बारे में सोचने लग जाती"
आशा(मन में) - आज गुड्डू के बापू होते तो मेरी चूत को चाट चाट के पूरा लाल कर देते , देखो उनके बिना मेरी चूत की क्या हालत हो गई है
"ऐसा कहते ही आशा अपने दोनो हाथों बस अपने चूतड़ों को मसलने लग जाती है, और जोर जोर से अपनी गांड़ को दबाने लगी "
"इधर गुड्डू भी अपनी मां को तिरछी नजरों से देखे जा रहा था "
गुड्डू (मन में)- मां अपने इतने मोटे चूतड़ों को कितने जोर जोर से दबा रही है, और जोर से दबाओ मां अपनी ये गद्देदार गांड़
"उधर आशा अपना हाथ अब जांघों पर फेरती हुई, अपनी
चूत पर रख देती है , अपनी झांटों को बगल में करके चूत के दाने को सहलाने लगती है "
"ये दृश्य देखकर गुड्डू की हालत खराब हो चुकी थी और उसका लन्ड बेकाबू हो रहा था "
"आशा फिर अपनी नजर गुड्डू के लन्ड की तरफ घुमाती है, जैसे ही आशा की नजर गुड्डू पर पड़ती थे , वो तुरंत सोने का नाटक करने लग जाता है"
आशा(अपने बेटे के लन्ड की तरफ देखते हुए मन में) - गुड्डू का लन्ड कितने झटके खा रहा है जोर जोर से ,बेटा इस को बाहर निकाल ले मुझे नंगा देखना इसे
"आशा एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को दबा रही थे , और उत्तेजना के कारण पूरा शरीर हिल रहा था "
"अब आशा ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी थी , जोर जोर से अपनी रसीली चूत को सहला रही थी "
"आशा अपनी आंखे मूंदकर अपनी चूत के दाने को तेज गति से हिला रही थी "
"इधर गुड्डू के लन्ड का बुरा हाल हो गया था वो बेचारा पाजामे के भीतर तड़प रहा था , गुड्डू बस चुपचाप अपनी मां के यौवन को देखे जा रहा था "
"अचानक से आशा की धड़कनें तेज होने लगती है, और जैसे ही झड़ने की अवस्था में आती है, सोनम अपने बिस्तर पर कराहने लग जाती है "
"आशा सोनम की तरफ देखती है , सोनम जागने की कोशिश करती है"
"और झट से अपने पेटीकोट को नीचे सरका लिया "।