Sanju@
Well-Known Member
- 4,708
- 18,908
- 158
First Update
जैसा कि मैंने बताया हरि का घर गांव से बाहर सा ही रह जाता है । गांव के बाहर एक छोटी सी नदी बहती है जिसमे बच्चे खूब नहाते हैं , हरी का घर गांव के छोर पे पड़ता है जहा से वो नदी जाती है होगी कम से कम 50 मीटर की दूरी पर।
हरि के पास 12 बीघा जमीन है , 2 भीगा जमीन घर के पास ही है जिसमे एक बगीचा है उसमे आम के पेड़ लगा रखे है और बाकी की जमीन करीब 2 किलो मीटर की दूरी पर है जिसमे सर्दियों के समय गेहूं और सरसों और बरसात में ज्वार बाजरा बोते हैं। पास वाले खेत की सिंचाई नदी के पाने से कर लेते है लेकिन दूर वाले खेतों के सिंचाई के लिए वही खेतों के पास के एक ट्यूबवेल लगा रखी है । खेतीवाड़ी के छोटे मोटे काम के लिए एक ट्रेक्टर ट्राली भी ले रखा है ,
इसके अलावा 2 भैंस और एक गाय भी है ।
हमारा घर में दो कमरे है और एक हॉल भी है ,
एक कमरे में मां और सोनम सोते है और एक कमरे में हरि सोता है, घर के आगे खाली जगह है जिसमे गाय भैंस बांधते है और एक छप्पर भी है जिसमे दोपहर को ठंडी हवा आती है , हरि दोपहर का ज्यादातर टाइम छप्पर में ही निकलता है ,उसी खाली जगह में एक हल्का सा स्नानघर और एक छोटी सी रसोई वहीं पर है
अभी घर में तीन लोग हैं -हरि , हरि की मां आशा और उसकी छोटी बहन सोनम । बड़ी बहन और बुआ अपने ससुराल में है ।
शौच के लिए सभी बाहर ही जाते है ,टट्टी करने के लिए आशा और सोनम एक साथ बाहर जाती थी शाम को और हरि सुबह जाता था । हरि और आशा सुबह रोजाना 4 बजे उठते है ,और सोनम आराम से उठती है 8 बजे तक।
हरि की मां अपने आप ही सुबह 4 बजे उठ जाती है और उसके बाद हरि को भी उठाती है।
उठने के बाद हरि गाय भैसो को चारा डालता है और उसके बाद में खेतो की तरफ घूमने निकल जाता है और वही टट्टी करके करीब एक घंटे बाद घर आता था और मां उस बीच गाय भैसो के नीचे से गोबर साफ करने लग जाती और हरी जब वापस आता तब हरि गाय भैसो का दूध निकालता था उसकी मां घर के बाहर वाले आंगन की सफाई करती रहती थी हरि पास में ही । दूध निकालते टाइम हरि और उसकी मां एक दूसरे से थोड़ी बाते भी करते रहते थे ।
हरि भैंस का दूध निकाल रहा था ,
आशा - हरि बेटा तू गाय भैसो का दूध निकालता है रोजाना , मैंने आज तक नहीं निकाला इनका दूध , मुझे भी थोड़ा सा सीखा दे ।
हरि- मां आप रहने दो मैं निकाल तो लेता हु ।
आशा - अरे बेटा में तो इसलिए कह रही थी ,कही तुझे किसी दिन कुछ जरूरी काम आ गया तो में भी इनका का दूध निकाल सकू।
हरि- अरे रहने दो मां आप क्यू परेशान होती है , आप को पहले से ही घर के बहुत सारे काम है ।
आशा - बेटा अब काम तो करने पड़ेंगे ही ,मेरा बहुत मन है बेटा दूध निकालने का इन गाय भैसो का , फिर तेरे को भी थोड़ी मदद मिल जायेगी । और में सीख भी जाऊंगी दूध निकालना , ताकि कभी तू कही बाहर चल जाए किसी काम से एक दो दिन के लिए तो मैं इनका दूध निकाल सकू ।
हरि- मां आप अब इतनी कह रही हो तो ठीक है आप भी सीख लो इनका दूध निकालना ।
"आशा ये बात सुनके के बहुत खुश हुई "
आशा - बेटा आज से ही सीखा दे , धीरे धीरे सीख जाऊंगी।
हरि - ठीक है मां आइए इधर और देखिए में कैसे इनका दूध कैसे निकाल रहा हु ।
" सुबह के करीब 5:30 बज रहे थे , सबेरा होने में कुछ ही छड़ों का इंतजार था , लेकिन दिख सब कुछ रहा था लगभग "
" और आशा ने अपना झाड़ू साइड में रखा जिससे वो आंगन की सफाई कर रही थी और हरि के बगल में आकर खड़ी हो गई और हरी को दूध निकालते हुए देखने लगी,
हरी अपने अंगूठे और अंगुलियों से भैंस के थन को जोर -जोर से भींचकर दूध निकाल रहा था "
आशा - बेटा लग तो सरल ही रहा है देखने में तोह , लेकिन दूध निकालने का पता नही कितना जोर लगेगा ।
हरि- मां देखने में तो सरल ही लगता है लेकिन थनों को जोर से दबाना पड़ता है ,तब दूध निकलता है।
आशा - हरि बेटा मुझे कोशिश करने दे जरा ।
हरि - ठीक है मां आइए आप ।
" हरी वहा से खड़ा हो जाता है और आशा भैंस के नीचे बैठ जाती है दूध निकालने के लिए और हरी उसके बगल में खड़ा हो जाता है"
" हरी की मां दूध निकालने लगी लेकिन उसकी सारी कोशिशें बेकार जा रही थी उससे एक बूंद भी दूध बाहर नही निकला भैस के थनों से, हरि खड़ा खड़ा ही अपनी मां को दूध निकालते हुए देख रहा था कि इनसे दूध निकलता ही या नहीं "
आशा - बेटा मुझसे तो कतई भी दूध नहीं निकल रहा इसमें से ।
हरि - मां थनों को थोड़ा जोर से दबाइए ।
आशा - बेटा खूब जोर से तो दबा रही हु थनों को लेकिन दूध निकल ही नहीं रहा , थोड़ी मां की मदद कर न बेटा।
"आशा को नाकाम देख हरि अपनी मां की मदद करने के लिए थोड़ा सा झुका और अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी मां के हथैलियों को ऊपर से पकड़ा जोकि भैंस के थनों से दूध निकाल रहे थे और अपनी मां की हथेलियों को दबाने लगा जिससे हल्का हल्का भैंस के थनों से दूध निकले लगा , ऐसे हरि के झुके रहने से हरि के घुटने उसकी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा अब निकलने लगा है इन थनों से दूध ।
हरि - मां अब आप कोशिश कीजिए अकेले ।
आशा - ठीक है बेटा मैं कोशिश करती हु।
"हरि फिर से अपनी मां के बगल में खड़ा हो जाता है"
" अब आशा दूध निकालने की कोशिश करने लग गई लेकिन इस बार भी उसकी मां से एक बूंद भी दूध नही निकला "
आशा - बेटा नहीं निकल रहा मेरे हाथों से दूध ।
हरि - मां थोड़ा जोर तो लगाएं आप।
"आशा खूब जोर जोर से थनों को दबा रही थी फिर भी उसके हाथों से दूध नहीं निकल रहा था "
आशा - हरि बेटा मैं खूब जोर लगा तो रही हु तू देख
हरि - ठीक है मां मैं मदद और कर देता हु आपकी
आशा - हा बेटा थोड़ी मदद और कर दे
" अब हरी पहले की तरह अपनी मां के पीछे जाकर थोड़ा झुका और अपनी मां की मदद करने लगा दूध निकलवाने में ,इस बार भी उसके घुटने अपनी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा तेरे हाथों से फिर से दूध निकलने लग गया
हरि - हा मां थोड़े तरीके से और जोर लगाने से दूध निकल जाता है
" अभी भी हरि अपनी मां के पीछे खड़े होकर उनकी दूध निकलवाने में मदद कर रहा था और उसके घुटने उसकी मां की पीठ से भिड़ रहे थे "
आशा - बेटा तू ऐसा कर नीचे बैठ जा , तेरे ये घुटने मेरी पीठ को चुभ रहे है
हरि - मां आपने पहले क्यों नहीं बताया , मुझे माफ करना मां
आशा - कोई बात नही बेटा , अब नीचे बैठ जाओ तुम
हरि - ठीक है मां
" और ऐसा कहते ही हरि अपने मां के पीछे कसमसाता(झिझकता) हुआ अपने पंजों के बल बैठ जाता है , अब हरि अपनी मां से थोड़ा चिपक जाता है उसकी छाती , मां की पीठ को भिड़ रही थी उसकी मां ने साड़ी पहनी हुई थी और अपने हाथों को अपनी मां के हाथों से जोड़कर आगे करके अपनी मां की हथेलियों को पकड़ लिया और मां का दूध निकलवाने में साथ देने लगा "
"हरि अपनी मां के इतना करीब पहले कभी नहीं गया था "
"हरि ने एक पाजामा पहना था और ऊपर एक बनियान, वो पूरी कोशिश कर रहा था कि उसका लंड मां के पिछवाड़े को ना छुए, आज कुछ हद इसमें हरि सफल भी हुआ ,लेकिन फिर भी उसकी छाती अपनी मां की पीठ से रगड़ खा रही थी "
"अब लगभग भैंस का दूध निकाल लिया था आशा ने अपने बेटे के सहारे"
आशा - बेटा आज के लिए इतना ही बाकी का आने वाले दिनों में सीख जाऊंगी
हरि - ठीक है मां , आप चिंता मत करो आप सीख जाओगी ऐसे ही
आशा - हा बेटा ऐसे सिखाएगा तो में जरूर सीख जाऊंगी दूध निकालना
हरि - ठीक है मां अब आप बाकी का काम करलो मुझे अभी गाय का दूध भी निकालना ही है
आशा - हा बेटा मैं अंदर से घर के कचरे झाड़ के ले आती हू झाड़ू से
हरि - हा मां ठीक है आप जाइए
आशा - ठीक है बेटा
" ऐसा कहते ही आशा घर के अंदर चली जाती ह सफाई करने और हरि गाय का दूध निकालने लग जाता है ।"
Amazing update
Lovely update