• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest परिवार में कुछ होने लगा

crazy7895

Relativity is everywhere
136
907
94
Update 3

"चांदनी रात थी , कभी हल्की तो कभी तेज हवा चल रही थी ,ऊपर खुला आसमान ,काफी मनमोहक नजारा था उस रात "

"रात के करीब दो बज रहे थे"
"गुड्डू की करीब दो बजे नींद टूटती है और पेशाब करने के लिए खड़ा होता है , और एक नजर सभी पर डालता है "

"पहले सोनम की ओर देखता है"
"सोनम मस्त अपने पेट के बल , चूतड़ों को उठा कर लेटी हुई थी (सोनम सूट सलवार पहन के सोती थी ), उसका सलवार चूतड़ों के बीच दरार में फसा हुआ था, और सूट थोड़ा ऊपर को हो गया था जिससे थोड़ी सी नंगी पीठ के दर्शन हो रहे थे ,बहुत की कामुक दृश्य था "

"ये दृश्य देखकर गुड्डू की कामेंद्रिया जोर देने लगी और इसका असर उसके लन्ड पर होने लगा "


"फिर एक नजर अपनी मां की तरफ घुमाता है, अपनी मां को देखकर वो उसकी सांसे थम सी जाती है"

"उसकी मां पीठ के बल लेटी हुई थी , वो अपने घुटनों को मोड़ के सो रही थी जिससे पेटीकोट पूरा उसके पेट पर पड़ा था ,पहले उसकी नजर मोटी जांघों पर जाती है फिर एक दम से गुड्डू को अपनी मां की झांटों वाली चूत दिख जाती है ,और नीचे का गांड़ वाला हिस्सा भी थोड़ा दिख रहा था , चूतड़ों के दोनो पाट बाहर की तरफ निकले हुए थे "

"गांव में ज्यादातर औरतें पेटीकोट के नीचे चड्डी नहीं पहनती है"

" ये देखकर गुड्डू खड़ा खड़ा ही कपकपाने लगता है , और उसका 9 इंच लन्ड पाजमे में पूरा तनने लगा , गुड्डू को अपनी मां की चूत के झांटों में से थोड़ी ही दिख रही थी "

"गुड्डू अब शर्म लिहाज़ से ऊपर उठ चुका था, "

गुड्डू (मन में) - इतनी लंबी झांट , जी कर रहा है अभी इन झांटों को पकड़ के नोच लूं , और इन जांघो को थोड़ा सहला दू,अभी जाके मां से लिपट जाऊं

"ऐसा सोचते सोचते अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाता है और अपनी नजरों को मां की तरफ करके ,अपनी मां की झांटों वाली चूत और मदमस्त जांघो में देखे जा रहा था और गुड्डू अपने हाथ को लन्ड पर ले गया , लन्ड पूरा तन चुका था पजामे में एक लोहे के सरिया की तरह खड़ा था , बाहर आने को उतावला था, अब गुड्डू अपने लन्ड पजामे के अंदर संभाल नहीं सकता था , बहुत ही कठोर और तगड़ा हो गया था पाजामा भी फटने जैसा हो गया था "

"गुड्डू ने तुरंत अपने पजामे के नाडे को खोला और अपने मोटे को लन्ड आजाद कर दिया ,और अपने पजामे को घुटनों तक सरका दिया और लन्ड को जोर जोर से हिलाने लगा ,उसकी नजर मां की जांघों और चूतड़ों के बगल वाले पाटों से नहीं हट रही थी , वो लगातार उनकी तरफ देखे जा रहा था और जोर जोर से लन्ड को हिलाने लगा ,अचानक से हैरि की सांसे तेज होने लग गई , और कुछ छड़ों में झड़ने ही वाला था कि अचानक उसकी मां थोड़ा कराहती है , और अपनी आंखे हल्की सी खोलती है "

"जैसे ही गुड्डू ने देखा कि उसकी मां जाग गई है , उसने तुरंत अपना हाथ लन्ड से हटा लिया , उसके तुरंत अपने लन्ड को पजामे के अंदर डाल लिया , उसका लन्ड अभी भी पूरा 9 इंच खड़ा था "

गुड्डू(मन में) - ये मां क्यों जाग गई अचानक से , थोड़ी देर और सो लेती , शायद मूतने के लिए जागी होगी

"गुड्डू आशा की तरफ अब भी तिरछी नज़रों से देख रहा था"

"इधर कराहती हुई , उठने की कोशिश करती है और जैसे ही एक नजर अपने शरीर पर दौडाती है "

आशा ( मन में) - हे भगवान मैं तो पूरी नंगी पड़ी हु

"और आशा तुरंत अपने पेटिकोट को नीचे सरकाती है "

आशा ( मन में) - ये मेरी बहुत गंदी आदत है , जब मैं घुटने मोड़ कर सोती हूं तब ये पेटीकोट मेरी कमर पर आ ही जाता है

आशा मन में) कहीं गुड्डू ने मुझे इस हालत में देख तो नहीं लिया

" ऐसा सोचते ही एक नजर अपने बेटे पर दौडाती है , जैसे ही आशा गुड्डू तरफ देखती है , गुड्डू अपनी आंखे तुरंत बंद कर लेता है, और एक नजर उसके पूरे शरीर पर दौडाती है"

आशा (मन में)- गुड्डू तो सो रहा है ,शायद नहीं देखा इसने ,लेकिन पाजमे में इतना लंबा लन्ड क्यों खड़ा हुआ है , हे भगवान कितना मोटा लौड़ा है इसका , बिलकुल अपने बाप की तरह

"आशा गुड्डू के लौड़े को देखकर थोड़ा , अपने अपने पति को याद करने लग जाती है , कई सालों बाद आशा की आंखों ने किसी खड़े लन्ड का नजारा किया था"

आशा (मन में) - उन दिनों जब मैं रात को उठती थी ,तो गुड्डू के बापू का लौड़ा भी ऐसे ही पाजामे में खड़ा में रहता था , और मैं उठकर उनके पास जाती थी और उनके पाजामे का नाडा खोलकर उसे बाहर निकलती थी और पहले एक उसको चूमती थी और फिर खूब चूसती थी मजे से , और मुंह में पूरा अंदर तक ले लेती थी कितना ही स्वादिष्ट लन्ड था उनका "

"कई सालों बाद आशा गर्म होने लगी थी और अपने बेटे खड़े हुए लन्ड को देख कर थोड़ा सा आंख बंद कर लेती है और फिर थोड़ा अतीत में चली जाती है"

आशा (आंखो को थोड़ा सा मूंद के मन में ) - मैं कैसे गुड्डू के बापू के लौड़े को अपनी जीभ से चाट चाट के पूरा गीला कर देती थी ,और मेरे चूसने से उनका लन्ड का आकार कितना बढ़ जाता था


" आशा ऐसे सोचते सोचते पूरी तरह बहुत गरम हो जाती है और पहले एक नजर अपने बच्चों पर दौडाती है ,पहले सुनिश्चित करती है कि गुड्डू और सोनम दोनो सो रहे थे फिर अपनी नजरें गुड्डू के लन्ड पर डालती है और पूरी कामुक होकर अपनी आंखें बंद कर लेती है"

" और तुरंत ही अपने पेटिकोट को कमर तक उठा लेती है , पहले जोर से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से दबाती है , मम्मे दबाने से उसकी सांसे तेज होने लग जाती है"

"इधर गुड्डू अपनी मां को तिरछी नजरों से अपनी आंखों को सेक रहा था "

गुड्डू (मन में) - मां भी शायद मेरे लन्ड को देखकर गरम हो गई है , मां कितने जोर जोर से अपने मम्मों को दबा रही है, मां इस ब्लाउज को खोल दो और पूरी नंगी हो जाओ

" अब गुड्डू का लन्ड पाजामे में झटके खा रहा था "

"आशा फिर से अपने बेटे के लन्ड का आंखों से दीदार करती है"

आशा( मन में)- कितना लंबा लन्ड है मेरे बेटे का , और ये अचानक से मटकने क्यों लग गया , शायद मेरे बेटा कोई कामुक सपना देख रहा है

"आशा अपने बेटे के लन्ड को देखकर पूरी चुदासी हो गई थी और धीरे से अपनी आंखे बंद कर लेती है, और अपने पति के बारे में सोचने लग जाती"

आशा(मन में) - आज गुड्डू के बापू होते तो मेरी चूत को चाट चाट के पूरा लाल कर देते , देखो उनके बिना मेरी चूत की क्या हालत हो गई है

"ऐसा कहते ही आशा अपने दोनो हाथों बस अपने चूतड़ों को मसलने लग जाती है, और जोर जोर से अपनी गांड़ को दबाने लगी "

"इधर गुड्डू भी अपनी मां को तिरछी नजरों से देखे जा रहा था "

गुड्डू (मन में)- मां अपने इतने मोटे चूतड़ों को कितने जोर जोर से दबा रही है, और जोर से दबाओ मां अपनी ये गद्देदार गांड़

"उधर आशा अपना हाथ अब जांघों पर फेरती हुई, अपनी
चूत पर रख देती है , अपनी झांटों को बगल में करके चूत के दाने को सहलाने लगती है "

"ये दृश्य देखकर गुड्डू की हालत खराब हो चुकी थी और उसका लन्ड बेकाबू हो रहा था "

"आशा फिर अपनी नजर गुड्डू के लन्ड की तरफ घुमाती है, जैसे ही आशा की नजर गुड्डू पर पड़ती थे , वो तुरंत सोने का नाटक करने लग जाता है"

आशा(अपने बेटे के लन्ड की तरफ देखते हुए मन में) - गुड्डू का लन्ड कितने झटके खा रहा है जोर जोर से ,बेटा इस को बाहर निकाल ले मुझे नंगा देखना इसे

"आशा एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को दबा रही थे , और उत्तेजना के कारण पूरा शरीर हिल रहा था "

"अब आशा ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी थी , जोर जोर से अपनी रसीली चूत को सहला रही थी "

"आशा अपनी आंखे मूंदकर अपनी चूत के दाने को तेज गति से हिला रही थी "

"इधर गुड्डू के लन्ड का बुरा हाल हो गया था वो बेचारा पाजामे के भीतर तड़प रहा था , गुड्डू बस चुपचाप अपनी मां के यौवन को देखे जा रहा था "

"अचानक से आशा की धड़कनें तेज होने लगती है, और जैसे ही झड़ने की अवस्था में आती है, सोनम अपने बिस्तर पर कराहने लग जाती है "

"आशा सोनम की तरफ देखती है , सोनम जागने की कोशिश करती है"

"और झट से अपने पेटीकोट को नीचे सरका लिया "।
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,115
19,963
174
Update 3

"चांदनी रात थी , कभी हल्की तो कभी तेज हवा चल रही थी ,ऊपर खुला आसमान ,काफी मनमोहक नजारा था उस रात "

"रात के करीब दो बज रहे थे"
"हरि की करीब दो बजे नींद टूटती है और पेशाब करने के लिए खड़ा होता है , और एक नजर सभी पर डालता है "

"पहले सोनम की ओर देखता है"
"सोनम मस्त अपने पेट के बल , चूतड़ों को उठा कर लेटी हुई थी (सोनम सूट सलवार पहन के सोती थी ), उसका सलवार चूतड़ों के बीच दरार में फसा हुआ था, और सूट थोड़ा ऊपर को हो गया था जिससे थोड़ी सी नंगी पीठ के दर्शन हो रहे थे ,बहुत की कामुक दृश्य था "

"ये दृश्य देखकर हरि की कामेंद्रिया जोर देने लगी और इसका असर उसके लन्ड पर होने लगा "


"फिर एक नजर अपनी मां की तरफ घुमाता है, अपनी मां को देखकर वो उसकी सांसे थम सी जाती है"

"उसकी मां पीठ के बल लेटी हुई थी , वो अपने घुटनों को मोड़ के सो रही थी जिससे पेटीकोट पूरा उसके पेट पर पड़ा था ,पहले उसकी नजर मोटी जांघों पर जाती है फिर एक दम से हरि को अपनी मां की झांटों वाली चूत दिख जाती है ,और नीचे का गांड़ वाला हिस्सा भी थोड़ा दिख रहा था , चूतड़ों के दोनो पाट बाहर की तरफ निकले हुए थे "

"गांव में ज्यादातर औरतें पेटीकोट के नीचे चड्डी नहीं पहनती है"

" ये देखकर हरि खड़ा खड़ा ही कपकपाने लगता है , और उसका 9 इंच लन्ड पाजमे में पूरा तनने लगा , हरि को अपनी मां की चूत के झांटों में से थोड़ी ही दिख रही थी "

"हरि अब शर्म लिहाज़ से ऊपर उठ चुका था, "

हरि (मन में) - इतनी लंबी झांट , जी कर रहा है अभी इन झांटों को पकड़ के नोच लूं , और इन जांघो को थोड़ा सहला दू,अभी जाके मां से लिपट जाऊं

"ऐसा सोचते सोचते अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाता है और अपनी नजरों को मां की तरफ करके ,अपनी मां की झांटों वाली चूत और मदमस्त जांघो में देखे जा रहा था और हरि अपने हाथ को लन्ड पर ले गया , लन्ड पूरा तन चुका था पजामे में एक लोहे के सरिया की तरह खड़ा था , बाहर आने को उतावला था, अब हरि अपने लन्ड पजामे के अंदर संभाल नहीं सकता था , बहुत ही कठोर और तगड़ा हो गया था पाजामा भी फटने जैसा हो गया था "

"हरि ने तुरंत अपने पजामे के नाडे को खोला और अपने मोटे को लन्ड आजाद कर दिया ,और अपने पजामे को घुटनों तक सरका दिया और लन्ड को जोर जोर से हिलाने लगा ,उसकी नजर मां की जांघों और चूतड़ों के बगल वाले पाटों से नहीं हट रही थी , वो लगातार उनकी तरफ देखे जा रहा था और जोर जोर से लन्ड को हिलाने लगा ,अचानक से हैरि की सांसे तेज होने लग गई , और कुछ छड़ों में झड़ने ही वाला था कि अचानक उसकी मां थोड़ा कराहती है , और अपनी आंखे हल्की सी खोलती है "

"जैसे ही हरि ने देखा कि उसकी मां जाग गई है , उसने तुरंत अपना हाथ लन्ड से हटा लिया , उसके तुरंत अपने लन्ड को पजामे के अंदर डाल लिया , उसका लन्ड अभी भी पूरा 9 इंच खड़ा था "

हरि(मन में) - ये मां क्यों जाग गई अचानक से , थोड़ी देर और सो लेती , शायद मूतने के लिए जागी होगी

"हरि आशा की तरफ अब भी तिरछी नज़रों से देख रहा था"

"इधर कराहती हुई , उठने की कोशिश करती है और जैसे ही एक नजर अपने शरीर पर दौडाती है "

आशा ( मन में) - हे भगवान मैं तो पूरी नंगी पड़ी हु

"और आशा तुरंत अपने पेटिकोट को नीचे सरकाती है "

आशा ( मन में) - ये मेरी बहुत गंदी आदत है , जब मैं घुटने मोड़ कर सोती हूं तब ये पेटीकोट मेरी कमर पर आ ही जाता है

आशा मन में) कहीं हरि ने मुझे इस हालत में देख तो नहीं लिया

" ऐसा सोचते ही एक नजर अपने बेटे पर दौडाती है , जैसे ही आशा हरि तरफ देखती है , हरि अपनी आंखे तुरंत बंद कर लेता है, और एक नजर उसके पूरे शरीर पर दौडाती है"

आशा (मन में)- हरि तो सो रहा है ,शायद नहीं देखा इसने ,लेकिन पाजमे में इतना लंबा लन्ड क्यों खड़ा हुआ है , हे भगवान कितना मोटा लौड़ा है इसका , बिलकुल अपने बाप की तरह

"आशा हरि के लौड़े को देखकर थोड़ा , अपने अपने पति को याद करने लग जाती है , कई सालों बाद आशा की आंखों ने किसी खड़े लन्ड का नजारा किया था"

आशा (मन में) - उन दिनों जब मैं रात को उठती थी ,तो हरि के बापू का लौड़ा भी ऐसे ही पाजामे में खड़ा में रहता था , और मैं उठकर उनके पास जाती थी और उनके पाजामे का नाडा खोलकर उसे बाहर निकलती थी और पहले एक उसको चूमती थी और फिर खूब चूसती थी मजे से , और मुंह में पूरा अंदर तक ले लेती थी कितना ही स्वादिष्ट लन्ड था उनका "

"कई सालों बाद आशा गर्म होने लगी थी और अपने बेटे खड़े हुए लन्ड को देख कर थोड़ा सा आंख बंद कर लेती है और फिर थोड़ा अतीत में चली जाती है"

आशा (आंखो को थोड़ा सा मूंद के मन में ) - मैं कैसे हरि के बापू के लौड़े को अपनी जीभ से चाट चाट के पूरा गीला कर देती थी ,और मेरे चूसने से उनका लन्ड का आकार कितना बढ़ जाता था


" आशा ऐसे सोचते सोचते पूरी तरह बहुत गरम हो जाती है और पहले एक नजर अपने बच्चों पर दौडाती है ,पहले सुनिश्चित करती है कि हरि और सोनम दोनो सो रहे थे फिर अपनी नजरें हरि के लन्ड पर डालती है और पूरी कामुक होकर अपनी आंखें बंद कर लेती है"

" और तुरंत ही अपने पेटिकोट को कमर तक उठा लेती है , पहले जोर से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से दबाती है , मम्मे दबाने से उसकी सांसे तेज होने लग जाती है"

"इधर हरि अपनी मां को तिरछी नजरों से अपनी आंखों को सेक रहा था "

हरि (मन में) - मां भी शायद मेरे लन्ड को देखकर गरम हो गई है , मां कितने जोर जोर से अपने मम्मों को दबा रही है, मां इस ब्लाउज को खोल दो और पूरी नंगी हो जाओ

" अब हरि का लन्ड पाजामे में झटके खा रहा था "

"आशा फिर से अपने बेटे के लन्ड का आंखों से दीदार करती है"

आशा( मन में)- कितना लंबा लन्ड है मेरे बेटे का , और ये अचानक से मटकने क्यों लग गया , शायद मेरे बेटा कोई कामुक सपना देख रहा है

"आशा अपने बेटे के लन्ड को देखकर पूरी चुदासी हो गई थी और धीरे से अपनी आंखे बंद कर लेती है, और अपने पति के बारे में सोचने लग जाती"

आशा(मन में) - आज हरि के बापू होते तो मेरी चूत को चाट चाट के पूरा लाल कर देते , देखो उनके बिना मेरी चूत की क्या हालत हो गई है

"ऐसा कहते ही आशा अपने दोनो हाथों बस अपने चूतड़ों को मसलने लग जाती है, और जोर जोर से अपनी गांड़ को दबाने लगी "

"इधर हरि भी अपनी मां को तिरछी नजरों से देखे जा रहा था "

हरि (मन में)- मां अपने इतने मोटे चूतड़ों को कितने जोर जोर से दबा रही है, और जोर से दबाओ मां अपनी ये गद्देदार गांड़

"उधर आशा अपना हाथ अब जांघों पर फेरती हुई, अपनी
चूत पर रख देती है , अपनी झांटों को बगल में करके चूत के दाने को सहलाने लगती है "

"ये दृश्य देखकर हरि की हालत खराब हो चुकी थी और उसका लन्ड बेकाबू हो रहा था "

"आशा फिर अपनी नजर हरि के लन्ड की तरफ घुमाती है, जैसे ही आशा की नजर हरि पर पड़ती थे , वो तुरंत सोने का नाटक करने लग जाता है"

आशा(अपने बेटे के लन्ड की तरफ देखते हुए मन में) - हरि का लन्ड कितने झटके खा रहा है जोर जोर से ,बेटा इस को बाहर निकाल ले मुझे नंगा देखना इसे

"आशा एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को दबा रही थे , और उत्तेजना के कारण पूरा शरीर हिल रहा था "

"अब आशा ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी थी , जोर जोर से अपनी रसीली चूत को सहला रही थी "

"आशा अपनी आंखे मूंदकर अपनी चूत के दाने को तेज गति से हिला रही थी "

"इधर हरि के लन्ड का बुरा हाल हो गया था वो बेचारा पाजामे के भीतर तड़प रहा था , हरि बस चुपचाप अपनी मां के यौवन को देखे जा रहा था "

"अचानक से आशा की धड़कनें तेज होने लगती है, और जैसे ही झड़ने की अवस्था में आती है, सोनम अपने बिस्तर पर कराहने लग जाती है "

"आशा सोनम की तरफ देखती है , सोनम जागने की कोशिश करती है"

"और झट से अपने पेटीकोट को नीचे सरका लिया "।
उफ्फ़ ये अधूरी ख्वाईश


बहुत ही कामुक अपडेट ...
 
Top