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Incest पहले मम्मी को, फिर बहन को अपनी पत्नी बनाया

abmg

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आज हम कुल्लू की एक ऐसी जगह जाने वाले थे, जहाँ सिर्फ और सिर्फ प्रेमी युगल ही जाते थे। मैंने इस जगह के बारे में पहले ही पता कर लिया था। हम जब वहाँ पहुँचे, तो देखा कि लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे की बाहों में बाहें डाले हुए हैं। कुछ स्मूच कर रहे थे, तो कुछ झाड़ियों के पीछे रास लीला चालू किए हुए थे। रति ने जब देखा, तो वो देखती रही। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। फिर खुद को संभालते हुए मुझसे कहने लगी कि कहाँ ले आए हो, चलो यहाँ से। मैंने कहा, आई एम सॉरी माँ। चलिए यहाँ से। जब हम कॉटेज लौट रहे थे, तो वर्षा होने लगी। रास्ते में ठहरने की कोई जगह ना थी। और हम पूरी तरह से भीग गए। रति को बहुत सर्दी होने लगी। जब वो सर्दी से काँपने लगी, तो मुझसे रहा ना गया और मैं उसे अपनी बाहों में भरकर कॉटेज ले आया। वो जब मेरी बाहों में आई, तो मुझसे जोर से चिपक गई। उसके बदन की खुशबू और गर्मी की वजह से मेरा लंड खड़ा हो गया। और मैं माँ की तरह पिघलने लगा। कॉटेज लौटने के बाद मैंने उससे कहा कि आप कपड़े चेंज कर लो, मैं आग का इंतज़ाम करता हूँ।

वो बाथरूम में गई, तो मैंने कॉल करके वेटर से लकड़ियाँ मँगवा लीं और उसे जला दिया। कॉटेज में गर्मी होने लगी। रति नाइटी में आई। उसकी नाइटी कहीं-कहीं भीग गई थी। जिसकी वजह से वो उसके बदन से चिपक रही थी। वो चिपकी हुई नाइटी में खजुराहो की किसी मूरत की तरह लग रही थी। मैं और गर्म हो रहा था। वो आकर मेरे पास बैठ गई और अपने जिस्म को आग से सेंकती रही। फिर खाना खाने के बाद कहने लगी कि बेटा, मुझे बड़ी ठंड लग रही है। तो मैंने कहा कि कोई बात नहीं, चलिए मैं आपकी गर्म तेल से मालिश कर देता हूँ। तो उसने मना कर दिया। मैं कहने लगा कि आपको अगर कुछ हो गया, तो मैं भाई-बहन को क्या मुँह दिखाऊँगा, तो वो मान गई। मैंने आग में तेल गर्म किया और उसे बेड पर लेटने को कहा। वो लेट गई। पहले मैंने उसके तलवों की बड़े प्यार से मालिश की। उसे बड़ा अच्छा लगा। जैसे ही मैंने उसकी पिंडलियों को छुआ, वो उठ बैठी और कहने लगी कि अब रहने दे। मैंने कहा कि कैसे रहने दूँ। चलो, आप लेट जाओ, तो वो लेट गई। मैंने उसकी नाइटी घुटनों तक उठाने को कहा। तो वो कहने लगी कि अच्छा नहीं लग रहा, शर्म आती है बेटे के सामने ये सब नहीं करती औरतें। तो मैंने कहा कि आपको ठंड लग रही है और इस गर्म तेल की मालिश बहुत ज़रूरी है। शरमाने की कोई ज़रूरत नहीं है।

मैं आपका ही तो बेटा हूँ। फिर वो मान गई। मैंने तब जाकर बड़ी ही कामुकता के साथ उसकी पिंडलियों की मालिश की। जब वो अपनी नाइटी उठा रही थी, तो मुझे उसकी पैंटी नज़र आ गई थी, जो कि काले रंग की थी। मुझे लगा कि मेरी जन्नत इसी ब्लैक पैंटी में कैद है। उसे आज़ाद करना ही होगा, तब ही मुझे मुक्ति मिल पाएगी। फिर मैंने उसे नाइटी और उठाने के लिए कहा, तो इस बार उसने कुछ नहीं कहा। नाइटी इस बार पैंटी तक पहुँच गई। मैंने वो दृश्य देखा, जो अकल्पनीय था। क्या नज़ारा था, हज़ार जन्नतों के बराबर थी मेरे लिए ये जन्नत। उसकी जाँघें एकदम चिकनी थीं, बिल्कुल साफ। किसी तरह का कोई दाग ना था वहाँ पर। ना ही कोई रेशा। मैं उन केले के थम जैसी जाँघों की बड़े मुलायम हाथों से मालिश करने लगा। मालिश करते-करते मैं उसकी पैंटी के पास पहुँच गया। और कभी-कभी उसकी पैंटी के पास की जगह को भी उंगलियों से छेड़ दे रहा था। जब उंगलियाँ उसकी पैंटी से सटती थीं, तो एक हल्की सी झुरझुरी होती थी मेरे बदन में। साथ में मुझे घबराहट भी होने लगी। उसे भी ना जाने क्या-क्या हो रहा था। खुमार छा रहा था उसके ऊपर। अब तो वो एकदम कुँवारी लौंडिया थी। इससे आगे मैं नहीं बढ़ा। सोचा सब्र में ज्यादा मज़ा है। उसके बाद उसके हाथों की मालिश करके फिर उसे सोने को कहकर मैं भी सो गया।

आज मुझे कुछ अजीब सी महक महसूस हो रही थी। मैं इस महक को बड़ी देर तक अपनी नासिकाओं में भरता रहा। फिर सोचा, एक बार रति के जिस्म को सूँघ के देखूँ, कहीं उसी की महक तो नहीं है ये। जब वो सो गई, तो मैंने अपनी नाक उसकी जाँघों के ठीक बीच में लगाकर सूँघने लगा। एकदम वही महक थी, जो पहले मेरे नाक में पहुँच रही थी। मेरी नाक उसके शरीर से नहीं सटी। मैं ये चाहता भी नहीं था। फिर थोड़ी देर बाद जब मुझसे ना रहा गया, तो मैं अपना मुँह रति के मुँह के पास ले गया और हल्के से उसके होंठों को चूम लिया। अपनी जीभ निकालकर उसके होंठों को चाटा भी। वो नींद में ही मुस्काई। मैंने सोचा, कहीं ये उठ ना जाए, इसलिए मैं सो गया।

अगले दिन हम सुबह जल्दी ही उठ गए। आज मैं रति को शिमला ले जाना चाहता था, ताकि वहाँ से कुछ खरीद लिया जाए, जैसे कि उसके लिए कुछ सेक्सी कपड़े और कुछ दवाइयाँ, जो उसे अंदर से उत्तेजित कर सकें। मैंने उसे बताया कि हम आज शिमला चल रहे हैं। तो उसने कहा, ठीक है, मैं रेडी हो जाती हूँ। वो नहा चुकी थी और अपने बाल सुखा रही थी। फिर मैं नहाने गया। नहाकर जब मैं बाहर निकला, तो देखा कि वो अपने बाल संवार रही थी। वो आईने के सामने थी और मैं उसकी पीठ पीछे। वो पीछे से एकदम जबरदस्त लग रही थी और उसने साड़ी इतनी टाइट बाँधी थी कि उसके चूतड़ बाहर को उभरे हुए दिखने लगे थे। वो इतनी कामुक स्थिति थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया उसे स्पर्श करने से। मैं धीरे से उससे सट गया और मैंने अपना तौलिया गिरा दिया, जिसे मैंने बाँधा हुआ था। और मैं उससे एकदम से चिपक गया। मैंने उसे हिलने नहीं दिया, ताकि वो मुझे नंगा ना देख ले। मैं जब उससे चिपका, तो उसके चूतड़ मेरे पेड़ू के नीचे मेरी जाँघों के बीच में थे और मेरा लंड उसके चूतड़ों के बीच में, और मेरे हाथ उसके पेट पर थे। ये गज़ब की कामुक पोजीशन थी हम दोनों माँ-बेटे की, एकदम किसी खजुराहो की कोई पत्थर वाले जोड़े की तरह। वो खुद को ऐसी पोजीशन में पाकर मुस्काए बिना ना रह सकी। मैं उसके पेट को सहलाने लगा और उसकी गरदन के पीछे अपने लब सटा दिए। जैसे ही मैंने अपने होंठ उसकी गरदन पर रखे, उसके मुँह से आह! निकल गई। वो भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी। फिर मैंने कहा कि आज आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हैं। तो वो खुश हो गई और कहने लगी कि चलो, जल्दी से तुम तैयार हो जाओ। मैंने कहा, लीजिए, अभी आया, और उसके पेट से हाथ हटाकर तौलिया लपेटा और चला गया कपड़े पहनने।

थोड़ी देर में मैं भी तैयार हो गया। फिर हम एक टैक्सी बुक करके शिमला चल दिए। टैक्सी में मैंने उसे अपने एकदम पास बिठाया, बिल्कुल खुद से चिपकाकर। मैंने ऐसी टैक्सी ली थी, जिसमें बैक सीट का सीन दिखाने वाला आइना नहीं था। ऐसा इसलिए, क्योंकि मैं चाहता था कि जो भी हम करें, वो ड्राइवर ना देख सके। गाड़ी चलने लगी। मैंने अपना एक हाथ रति की कमर के पीछे से ले जाते हुए कसकर अपने से उसे सटा लिया, तो वो मेरे और भी पास आ गई। जब मैंने ऐसा किया, तो उसने कुछ नहीं कहा। मैंने सोचा, लगता है रति भी कुछ-कुछ महसूस कर रही है। उसने किसी प्रकार की कोई तंत्रम्स नहीं दिखाए, अपने चेहरे पर बस वो एकटक मेरी आँखों में देखती रही और हल्के से मुस्कुरा दी। फिर जब हमें चलते हुए आधा घंटा हो गया, तो उसकी पलकें झुकने लगीं। मैंने कहा कि मेरे कंधे पर अपना सिर रख दे, तो उसने रख दिया और वो निश्चिंत होकर सो गई। थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपनी जाँघों पर लिटा लिया और उसके पैर को भी सीट पर सीधे करके रख दिया। अब उसके वक्ष एकदम मेरी नज़रों के नीचे थे। जब गाड़ी हिलती या फिर वो साँस लेती-छोड़ती, तो उसके वक्ष गज़ब के लगने लगते। मन तो कर रहा था कि उसके ब्लाउज़ के हुक खोलकर बस उसके वक्षों का रसपान कर लूँ, पर मैंने ऐसा नहीं किया। मैं उसके सिर को सहला रहा था, साथ ही उसके पेट और नाभि के साथ खेल भी रहा था। थोड़ी देर में ही हम अब शिमला पहुँचने वाले थे। मैं झट से अपना सिर उसके चेहरे तक ले आया और उसकी साँसें अपनी साँसों में भरने लगा। फिर धीरे से उसके लब चूम लिए।
 
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abmg

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शहर पहुँचकर मैंने रति को जगाया। मैंने उसके गालों को थपकी दी, तो वो उठी। अपने आप को मेरी गोद में लेटा हुआ देखकर मुझे सवालिया नज़रों से घूरने लगी। मैंने कहा कि आप सो रही थीं, तो मैंने सोचा क्यों ना मैं आपको अच्छे से सुला दूँ, तो वो कहने लगीं, बेटा, मेरा कितना ख्याल है तुम्हें। मैंने कुछ नहीं कहा। कुछ अच्छी जगह घूमने के बाद मैंने उससे कहा, चलिए, हम कुछ खा लेते हैं। उन्होंने कहा, चलो, मुझे भी भूख लगी है। मैंने एक अच्छा सा रेस्तरां देखकर उसे वहाँ ले गया। मैंने एक प्राइवेट केबिन लिया। ऑर्डर देकर मैं उससे बातें करने लगा। मैंने उनसे पूछा कि ये सब अच्छा तो लग रहा है ना? वो कहने लगीं कि वो आज तक ऐसे हॉलिडे पर नहीं आई थीं। पिताजी, यानी कि उनके पति भी कभी कहीं नहीं लेकर गए उन्हें। अपनी शादी के बाद से उम्र के 45 साल तक वो हमारे घर के अलावा कहीं और नहीं गई थीं घूमने के लिए। यहाँ तक कि पापा उन्हें कहीं भी हनीमून तक के लिए नहीं लेकर गए थे। उनकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने उनके आँसू पोंछे और कहा कि कोई बात नहीं मम्मा, पापा ने जो नहीं किया, वो मैं आपके लिए करूँगा, वो सब जो पापा आपको कभी भी नहीं दे पाए। फिर उनका हाथ अपने हाथों में लेकर मैं सहलाने लगा। वो मेरी आँखों में देख रही थीं। तब तक खाना आ गया। मैंने कुछ कैंडल्स भी मँगवा ली। बल्ब को बुझाकर कैंडल जला दी और रति को देखने लगा। वो भी मुझे देख रही थी। फिर हम खाना खाने लगे।

खाना खाकर हम निकले, तो मैंने उससे कहा कि क्या आप कोई फिल्म देखना पसंद करेंगी, तो उसने कहा कि बहुत अरसा हो चुका है उन्हें थिएटर गए हुए। सो वो देखना चाहती थीं। मैं उसे शिमला के सबसे अच्छे थिएटर में ले गया, तो पता चला कि वहाँ पर कोई एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स पर बनी हॉलीवुड फिल्म हिंदी में डब की हुई लगी थी। मैंने फिल्म के बारे में सुनी थी, पर देखी नहीं थी। उसमें कुछ सेक्सी स्मूच और सेमी फकिंग सीन थे। मैंने सोचा कि ये अच्छा मौका है अपनी माँ को मेहबूबा बनाने के लिए उकसाने को। फिल्म पुरानी थी, सो क्राउड भी काफी कम था। मैंने दो बालकनी की टिकटें ले लीं। फिर रति को लेकर अंदर पहुँचा। मैंने देखा, बहुत कम लोग थे, शायद यही कोई 2-3 जोड़े और कुछ सिंगल मेन, जो बहुत दूर पर बैठे थे। बाकी सारे लोग जनरल क्लास में बैठे हुए थे। मैं एक किनारे में, जहाँ कोई नहीं था और जहाँ बहुत अंधेरा था, वहाँ पर रति के साथ बैठ गया। वो फिर मुझे सवालिया नज़रों से घूरने लगी, पर मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया।

फिल्म चलने लगी। थोड़ी देर मैं और रति देखते रहे, फिर मैंने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगा। इंटरवल से पहले एक सीन ऐसा आया, जब हीरोइन के साथ हीरो, जो कि उसका पति नहीं था, स्मूच करता है। इस सीन को रति बड़ी गौर से देखने लगी। और मैं उसे देखता रहा। इस समय मैं रति को स्मूच तो नहीं कर सका, पर मैंने उसकी हथेलियों को, जो अब भी मेरे हाथों में थीं, को ज़रूर किस करने लगा। वो कुछ ना बोली, बस सीन को देखती रही या देखने का बहाना करती रही। थोड़ी दूर पर दूसरी जोड़ियाँ अपनी काम क्रिया में संलिप्त हो चुकी थीं। अंत में मैंने रति की एक उंगली को अपने मुँह में डाल लिया और कसके अंदर चूसने लगा, तो अचानक रति के मुँह से एक सेक्सुअल सिसकारी निकल गई। और उसने झट से अपना हाथ खींचकर कहा, ये क्या किया तूने? मुझे कुछ ना सूझा, तो मैंने कह दिया कि मुझे आइसक्रीम खाने का मन कर रहा था, तो आपकी उंगली मेरे हाथ में थी। मैं ख्यालों में खो गया था और मुझे लगा ये आपकी उंगली नहीं, आइसक्रीम है, सो मैंने उसे चूस लिया… आई एम सॉरी माँ।

वो हँस दी और कहने लगी कि अभी भी बचपना नहीं गया तुम्हारा। इंटरवल के समय मैं उसके लिए कुछ खाने को लेने गया। दो कोक, दो रोल और पॉपकॉर्न ले आया। हमने पहले कोक पिया। हमारा आधा कोक खत्म हुआ था कि मैंने कहा कि माँ, आप अपना मुझे दे दो और मेरा कोक आप पी के देखो। उसने वैसा ही किया। आज जब हम रोल खा रहे थे, तो इस बार उसने एक्सचेंज करने को कहा। मैंने उसे अपना रोल दे दिया, जिसे वो बड़े ही प्यार से चाट-चाट के खाने लगी। फिर खा-पी लेने के बाद हम फिल्म देखने लगे। इस बार हीरो हीरोइन को बेड पर पटक कर उसकी नाभि के साथ खेलने लगा। रति ध्यान लगाकर देख रही थी सब। उसके लिए ये सब अटपटा सा था, क्योंकि वो आज की नहीं, पुराने ज़माने की थी और आज ट्रेंड बदल चुके थे। पहले की तरह सिर्फ फकिंग नहीं होती थी, अब तो सकिंग का ज़माना था और स्टिमुलेशन का। तब तक मैंने अपना हाथ रति की पीठ के पीछे ले जाकर उसकी पीठ को सहलाने लगा, तो वो मेरे और करीब आ गई। उसने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया। मुझे लग रहा था कि अब उसकी हालत खराब हो रही थी। फिल्म खत्म होने में अभी 30 मिनट और थे कि वो कहने लगी कि चलो यहाँ से। हम अब बाहर आ गए।

फिर हम एक वॉटर पार्क में गए। वो बड़ा एक्साइटिंग था। मैंने टिकट लिया और रति को अंदर लेकर चला गया। जब हम अंदर पहुँचे, तो देखा कि वहाँ पर मर्द लोग कच्छे में पानी में नहा रहे थे और लड़कियाँ बिकनी में भी घूम रही थीं और कुछ नहा भी रही थीं। हम टहलते-टहलते एक ऐसी जगह पहुँच गए, जहाँ पर पहाड़ जैसा बना हुआ था, और कुछ झाड़ियाँ भी थीं, जिससे दूर बैठे लोगों को पता ना चल सके कि कोई वहाँ पर है। वहाँ एक-दो युगल प्रेम-प्रणय में मशगूल थे। रति ने देखा, तो कहने लगी कि कहाँ ले आए, जल्दी से चलो बेटा यहाँ से। ये कोई माँ-बेटे के लिए जगह नहीं लग रही है। मैंने कहा, ओके माँ। पर जब तक हम वहाँ थे, वो गौर से उन युगलों की क्रिया-कलापों को नोटिस कर रही थी।
 
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