दूर से ही जहां पर नाच गाना था वहां का शोर सराबा और उजाला नजर आ रहा था जिसे देखकर सूरज के साथ-साथ बाकी लोग भी प्रसन्न हो गए थे क्योंकि वह लोग अपने स्थान पर पहुंचने वाले थे,,, और जल्दी-जल्दी अपने कदम आगे बढ़ा रहे थे,,, सुनैना भी अपने मन में यही सोच रही थी कि जल्दी से वहां पर पहुंचकर कुछ देर ठहरने के बाद वापस घर लौट आएंगे क्योंकि वह जानती थी कि उनके गांव से अपने गांव की दूरी काफी है और रात का मामला है इसलिए वह ज्यादा देर नहीं करना चाहती थी,,, वैसे तो सूरज साथ में था इसलिए ज्यादा डर तो नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी सुनैना जल्द से जल्द वहां से लौटना चाहती थी,,,,।
रास्ते में जिस तरह की बात गांव की औरतें कर रही थी उसे सुनने के बाद सूरज के पजामे में उसका हथियार करवटें ले रहा था,,, और साथ में थी सोनू की चाची जिसे वह उसे कहीं घर पर पेशाब करते हुए देख चुका थाउसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसे समय भी सूरज का लंड एकदम से खड़ा हो चुका था ईस समय भी सोनू की चाची के बारे में सोचकर उसका लंड अंगडाई ले रहा था,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसकी आंखों के सामने सोने की चाची अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो जाने की तो कैसी दिखाई देगी थोड़ा भारी भरकम शरीर होने के बावजूद भी निश्चित तौर पर वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से काम नहीं लगेगी ,, यही सब सूरज अपने मन में सोच रहा था,,,,। क्योंकि आप उसका झूकाव सोनू की चाची की तरफ था,,, और दोनों के बीच काफी हद तक बातचीत भी हो चुकी थी भले ही ज्यादा खुलकर न हुई हो लेकिन फिर भी किसी औरत के साथ कोई भी मर्द अगर थोड़ी बहुत बात कर लेता है तो उसका आत्मविश्वास साथी आसमान पर पहुंच जाता है और यही सूरज के साथ भी था सूरज को न जाने क्यों अपने आप पर विश्वास था कि अगर वह सोनू की चाची के साथ कुछ ऐसा वैसा करता है तो सोनू की चाची बुरा नहीं मांनेगी और ना ही किसी से कुछ कहेगी,,,।
यही सब सोचते हुए सभी लोग शर्मा जी के घर पहुंच चुके थे,,,। वहां पर पहुंचते ही वहां के लोगों ने अच्छी तरह से स्वागत किया सबको एक साथ बैठाया मिठाई नाश्ता कराया,,,, बाकी की औरतें तो औरतों के साथ बैठकर गाना गाने में लग गई और सूरज एक तरफ कुर्सी पर बैठकर उन लोगों को देखने लगा,,,, सूरज की नजर तो वहां की औरतों पर ही थी जो की चारों तरफ चार-पांच लालटेन चल रही थी जिसे उजाले में हुआ औरतें एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, उनमें से कुछ औरतें उठकर नाच रही थी ढोलक की टहल पर ताल मिला नहीं थी अपनी कमर लचका रही थी और सूरज की नज़र उनकी लचक्ति हुई कमर के साथ-साथ उनकी गोलाकार गांड पर टिकी हुई जो कि थिरकन ले रही थी तो उसके लंड की हालत खराब हो रही थी,,,,,,।
तभी उनमें से कुछ औरतें सोनू की चाची को नाचने के लिए बोलने लगी सोनू की चाची तो जैसे नाचने के लिए तैयार ही थी बस किसी के बोलने का इंतजार ही कर रही थी वह तुरंत उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होते ही गांव की औरतें जोर-जोर से आवाज करने लगी और सोनू की चाची अपनी गांड मटकते लगी हाथ ऊपर उठकर वह अपनी कमर हिला रही थी जिसके साथ-साथ उसकी भारी भरकम गांड भी हवा में लहरा रही थी जिसे देखकर सूरज की हालत एकदम से खराब हो रही थी,,,, सूरज अपनी मन में यही सोच रहा था कि काश यह सब औरतें अगर सारे कपड़े उतार कर नाचने लगती तो कितना मजा आता इतनी सारी औरतों का नंगा नाच देख कर उसकी काम शक्ति और ज्यादा बढ़ जाती,,,।
सूरज अपने मन में यही सब सो रहा था कि तभी एक खूबसूरत नव विवाहित औरत और ऐसा लग रहा था कि अभी ठीक से औरत बनी भी नहीं थी उसकी शादी के दो-तीन साली हुए थे लेकिन अभी उसके चेहरे से भोलापन साफ दिखाई दे रहा था वह अपने हाथ में एक बड़ा सा थाल लेकर आई जिसमें ढेर सारे मिट्टी के कुल्हड़ रखे हुए थे और कूल्हड में मिठाई रखी हुई थी,,,, जिसे वह वहां बेठी सभी औरतों में बांटने के लिए हि लाई थी,,,, वह खूबसूरत औरत आधा घूंघट की हुई थी जिसे देखकर सूरज समझ गया था कि अभी यह नहीं नहीं शादी करके बहू बनकर आई है,,,, पतला शरीर था लेकिन छरहरा सुडोल,,, एकदम मदहोश कर देने वाली काया जिसे सूरज देखता ही रह गया,,, वह एक-एक करके औरतों को मिठाई का कुल्हड थमा रही थी,,,, वह ठीक सूरज की आंखों के सामने झुक झुक कर सबको मिठाई हमारे थे और उसके झुकाने की वजह से उसके नितंबों का घेराव एक अद्भुत आकार ले ले रहा था जिसे देख कर सूरज पूरी तरह से उसकी जवानी में डूबता चला जा रहा था,,,,।
सूरज किसी भी तरह से उससे बात करना चाहता था उसके बारे में जानना चाहता था,,, लेकिन बात की शुरुआत कैसे करें उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, और फिर एकाएक उसके दिमाग में युक्ति आई और वह तुरंत अपनी जगह से उठकर खड़ा हुआ और सीधे उसके पास क्या और उसके हाथ से थाल को लेते हुए बोला,,,।
आप रहने दीजिए भाभी मैं बाट देता हूं,,,,।
(सूरज की हरकत पर वह उसे एक तक देखने लगी उसे पहचानने की कोशिश करने लगी कि आखिरकार यह लड़का है कौन लेकिन लाख कोशिशें के बावजूद भी वह समझ नहीं पाई कि यह लड़का है कौन ,, और वह उसे देखते ही रह गई क्योंकि वहां बड़े अच्छे से सबको मिठाई दे रहा है उसके काम को पूरा कर रहा था और वह आगे घूंघट में वही खड़ी सूरज को देखते रह गई सूरज अपना काम खत्म करने के बाद मुझको बाबा उसके पास आया और बोला,,,)
लीजिए भाभी,,, मैंने आपका काम पूरा कर दिया,,,।
काम तो पूरा कर दिए हो लेकिन हो तुम मैं तुम्हें पहचान नहीं पा रही हूं,,,।
कैसे पहचानोगी भाभी मैं तुम्हारे पड़ोस के गांव का हूं,,,।
ओहहह तभी तो मैं सोची कि मैं तुम्हें पहचान क्यों नहीं पा रही हूं लेकिन इस तरह से मदद करने की क्या जरूरत थी,,,।
अरे क्या बात करती हो भाभी मेरे रहते हुए कोई इस तरह का काम करें मुझे अच्छा नहीं लगता अगर मैं नहीं रहता तो शायद इस तरह का तुम काम करती तो कोई बात नहीं थी,,, लेकिन मेरे होते हुए मैं यह नहीं करने दूंगा और मैं कब से देख रहा हूं कि तुम इधर-उधर भाग-भाग कर सारे काम कर रही हो और तुम्हारा कोई साथ देने वाला नहीं है,,,,, वैसे भैया कहां है उन्हें तो तुम्हारा हाथ बंटाना चाहिए,,,,(सूरज जानबूझकर इस तरह की बातें कर रहा था वह एक तरह से अपनी बातों में उसको उलझा रहा था और बात ही बात में उसके पति के बारे में पूछ कर वह तसल्ली करना चाहता था कि उसका पति वहां साथ में है या नहीं,,,,, और उसकी बात सुनकर उसके चेहरे पर एकदम से उदासी छा गई और वह उदास मन से बोली,,,)
कहां गए हैं पता नहीं,,,!
पता नहीं,,,, अरे ऐसा कैसे हो सकता है कहीं तो गए होंगे कमाने गए होंगे रिश्तेदार के वहां गए होंगे कुछ तो बता कर गए होंगे,,,,
कुछ भी पता करने के शादी के 1 महीने बाद ही बस इतना कह कर गए थे कि जल्दी लौट आऊंगा और आज तक नहीं आए और शादी के 3 साल हो गए हैं,,,।
(उसे औरत की बात सुनकर सूरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,,, क्योंकि उसका पति वहां मौजूद नहीं था और शादी के 1 महीने बाद ही वह घर से निकल गया था इसका मतलब साफ था कि 3 साल से उसे शरीर सुख नहीं मिला था अगर मिल भी होगा तो चोरी-छिपे किसी और के साथ,,,, लेकिन चूचियों की स्थिति को देखकर लगता नहीं था की शादी के बाद किसी और मर्द ने इतनी खूबसूरत बदन का उपभोग किया हो वरना बदन का सांचा बदल गया होता,,,। उसकी बात सुनकर अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए सूरज एकदम से बोला,,,)
क्या बात कर रही हो भाभी कोई इतना कठोर कैसे हो सकता है और वह भी शादी के 1 महीने बाद ही,,,, इतने में तो विवाहित जीवन का सुख भी ठीक तरह से नहीं मिल पाता,,,,(सूरज के कहने का मतलब कुछ और था और वह सूरज के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ भी रही थी इसलिए तो उसकी बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म के भाव साफ नजर आने लगे,,, और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
देखो बुरा मत मानना भाभी मैं तो सब कहूंगा भैया को तुम्हारी कोई कदर नहीं थी तभी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां चले गए,,,,(सूरज की बातों में उसे औरत के लिए सहानुभूति भी थी उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी और वह औरत सूरज की बातों को समझ भी रही थी और अपने लिए खूबसूरती की तारीफ के शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर प्रसन्न भी हो रही थी,,,,, इसलिए वह भी खुश होते हुए बोली,,,,।)
चलो जाने दो जैसी मेरी किस्मत,,,, लेकिन तुम कुछ क्यों नहीं खा रहे हो,,,,,।
नहीं नहीं मेरा चल जाएगा,,,,।
अरे ऐसे कैसे भाभी रहते हो और भाभी की बात भी नहीं मानते रुको मैं तुम्हारे लिए मिठाई लेकर आती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह मिठाई लेने के लिए चली गई और सूरज मैन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि बहुत ही जल्द वह दूसरे गांव की भाभी को लाइन पर ले आया था और जब तक वह आती तब तक वह फिर से नाच देखने लगा लेकिन इस बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां खड़ी होकर नाच रही थी और अपनी कमर हिला रही थी कमर के साथ-साथ वह अपनी बड़ी-बड़ी गांड भी ला रही थी जिसे देखकर सूरज के तन बदन में आग लगने लगी पहली बार वह अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था उसके बदन के लचक को देख रहा था,,, उसके खूबसूरत अंगों के मरोड को देख रहा था वह ढोलक की ताल पड़ताल मिलकर नाच रही थी और ऐसा करते हुए उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में उछाल रही थी मानो अभी ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएंगे जब अपने हाथ को कमर पर रखकर रेखाओं पर करके अपनी कमर हिलती थी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा नृत्य कर रही हो,,,।
अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों का उछाल उसकी बड़ी-बड़ी गांड की थिरकन को देखकर ,,, सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,, सूरज पहली बार अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था और गांव की सभी औरतें उसकी मां का नाच देख कर बहुत खुश हो रही थी और कुछ औरतें तो सुनैना का साथ देते हुए उठकर खड़ी हो गई थी और नाच रही थी यह सब सूरज के लिए बेहद उन्मादकता भरा दृश्य बनता जा रहा था,,,, सूरज का मन तो कर रहा था किसी समय सभी औरतों के बीच घुस जाए और अपनी मां की साड़ी उठाकर सबकी आंखों के सामने ही उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर उसकी चुदाई करते लेकिन यह सिर्फ दिमाग की सोच ही थी इस पर खड़ा उतरना उसके बस में क्या किसी भी शरीफ मर्द के बस में नहीं था,,,,।
अभी यह सब चल ही रहा था कि तभी वह औरत अपनी हथेली में मिठाई लेकर आई,,, और इस बार सूरज के पास नहीं आई बल्कि दूर से ही उसकी आवाज देकर बुलाने लेकिन उसका नाम तो उसे मालूम नहीं था इसलिए समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आवाज दे लेकिन तभी एक छोटे बच्चों को सूरज के पास भेजी और उसे अपने पास बुलाई,,,, सूरज तो एकदम खुश हो गया और सबसे ज्यादा खुशी उसकी दोनों टांगों के बीच हो रही थी क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था कि आज उसका जुगाड़ बन गया है,,,,,।
सूरज के मन में उसे औरत के प्रति गंदी भावना उमड़ रही थी लेकिन उसे औरत के मन में सूरज के प्रति ऐसा कुछ भी नहीं था बस न जाने क्यों सूरज की बातों से उसका मन हल्का हो रहा था और सूरज के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज तक उसके जैसी मीठी बातें करने वाला कोई नहीं मिला था जो उसकी फिक्र करें उसकी बातों को समझे लेकिन कुछ ही देर में सूरज ने उसके मन पर काबू कर लिया था,,,,,।
सूरज उसका इशारा पातें ही उसके पास पहुंच गया था जहां पर थोड़ा अंधेरा था,,,,,, बाकी सब लोगों का ध्यान औरतों के नाच पर ही था,,,, एक कुर्सी पर सूरज बैठ गया था और उसके बगल में ही वह औरत खड़ी थी जिसे सूरज भाभी के संबोधन कर रहा था वह औरत अपनी हथेली सूरज की आंखों के सामने खोलकर उसे मुस्कुराते हुए मिठाई देने लगी सूरज भी उसमें से एक लड्डू उठाकर खाने लगा और बिल्कुल भी देर किए बिना दूसरा लड्डू उसकी हथेली से उठाकर उसकी तरफ आगे बढ़ा दिया और उसे खाने के लिए बोला तो वह मुस्कुराकर इनकार करने लगी उसकी मुस्कुराहट में एक अजीब आकर्षण था जिसमें सूरज पूरी तरह से खोने लगा था और इस मौके को गवाही बिना बात जल्दी से कुर्सी पर सूट कर खड़ा हुआ और लड्डू को सीधा उसके हल-लाल होठों पर लगा दिया,,,,, वह ना ना करने लगी,,,, लेकिन जैसे तैसे करके सूरज जबरदस्ती उसे लड्डू को उसके मुंह में डाल दिया और वह भी मुस्कुराते हुए खाने लगी,,,,।
वह भावना की प्यासी थी प्यार की प्यासी थी सूरज के द्वारा इस तरह की जबरदस्ती देख कर उसकी आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि आज तक ऐसा व्यवहार उसके साथ किसी ने नहीं किया था क्योंकि सबको ऐसा ही लगता था कि उसके आने से ही घर का बेटा घर छोड़कर चला गया था,,,, जबकि इस बात की हकीकत को केवल वही जानती थी यह बात वह राज ही रखी थी कि उसका पति औरत को शरीर सुख नहीं दे सकता और इसीलिए वह घर छोड़कर चला गया था,,,,, लेकिन वह संस्कारी औरत थी उसके घर की स्थिति ठीक नहीं थी और यह कारण देकर अपने मायके चले जाना कि उसका पति नामर्द है यह बात उसे गवारा नहीं थी क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि अगर कोई यहां बात सुनता तो यही कहता कि इसे चुदवाने का शौक है तभी अपने पति को छोड़ दी,,,।
कुछ ही देर में दोनों में बहुत सारी बातें हो गई दोनों हंस-हंसकर एक दूसरे से बातें कर रहे थे लेकिन किसी का भी ध्यान दोनों की तरफ नहीं था,,,, तभी सूरज को पेशाब लगी और वहकुछ देर के लिए वहां से उठकर दूसरी तरफ चला गया,,, और इतने में ही उसकी सास उसे आवाज लगाते हुए बोली,,,।
बहु,,,,, जरा अच्छा लेकर आना कुछ देर और नाच गाना चलेगा फिर सबको बांटना है,,,,।
(अपनी सास की बात सुनकर वह बोली)
जी माजी अभी लेकर आती हूं,,,,,।
(और उसकी इस बात को सूरज भी सुन लिया था और जल्दी से पेशाब करने के बाद तुरंत वह उसऔरत के पास आया और बोला,,,)
मैं भी चलता हूं भाभी तुम्हारी मदद हो जाएगी,,,।
मैं भी तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,।
ठीक है फिर चलो,,,,।
(इतना कहते हैं दोनों घर के अंदर प्रवेश करने लगे घर में चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था बस हल्की हल्की चांदनी रात होने की वजह से उसकी रोशनी में दोनों आगे बढ़ रहे थे कि तभी उसे औरत को हर किसी ठोकर लगी और गिरने को भी लेकिन तभी एकदम फुर्ती दिखाता हुआ सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी कमर में अपना हाथ डालकर उसे एकदम से संभाल लिया और बोला,,,)
संभाल कर भाभी काफी अंधेरा है,,,,।
(वह संभल तो गई थी लेकिन जिस तरह से सूरज ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे संभाला था वह एकदम से मदहोश हो गई थी बरसो बाद किसी मर्द कहां तो उसकी खूबसूरत बदन पर पड़ रहा था और वह भी उसकी कमर पर ,,,वह एकदम से झनझना गई थी,,,,, वह संभल गई थी और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पर देखते ही देखते दोनों उसे कमरे में आ गए थे जहां पर अच्छा रखा हुआ था लेकिन अच्छा थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था वह अंधेरे में इधर-उधर सीढ़ी ढूंढ रही थी लेकिन सीढ़ी उसे मिला नहीं,,, तो वह एकदम से परेशान होते हुए बोली,,,)
हाय दइया अब क्या होगा इधर तो सीढ़ी ही नहीं है ना जाने किसने कहां रख दी है,,,,।
तो क्या हो गया भाभी मैं हूं ना मैं तुम्हें उठा देता हूं तुम गुड निकाल लो जितना निकालना है,,,,।
(सूरज की बात सुनते ही उसे औरत के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी और वह भी मुस्कुराते हुए बोली)
क्या तुम मुझे उठा लोगे,,,,।
(उसकी बात में आमंत्रण था बरसों की प्यास उसके होठों पर आ चुकी थी वह इशारे ही इशारे में अपने मन की भावनाओं को अपने होठों पर ला दी थी वरना अगर वह बरसों की प्यासी ना होती तो इस तरह से कभी भी सूरज की बात नहीं मानती उसकी बात सुनते ही सूरज बोला,,,)
क्यों नहीं भाभी तुम्हारा वजन ज्यादा थोड़ी है मैं बड़ी आराम से तुम्हें उठा लूंगा,,,,(और इतना कहते हैं वह दूसरी तरफ ठीक उसके सामने खड़ा हो गया दोनों का मुंह एक दूसरे के सामने था और सूरज धीरे से नीचे झुका और अपनी बाहों का घेरा उसके नितंबों के नीचे बनाता हुआ उसे उठाने लगा उसके नितंबों का घेराव काफी सुडौल था बेहद उन्नत इसलिए सूरज के लिए उसके नितंबों का उठाव और घेराव मानो किसी बड़ी नाव को काबू में करने के लिए लंगर का काम कर रहे थे उसकी बाहों के घेरे में वह खूबसूरत औरत एकदम से टिक गई थी,,,,, सूरज उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठने लगा वह थोड़ा घबरा रही थी और अपने दोनों हाथ को उसके कंधों पर रख दी थी,,,, उस औरत का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि एक अनजान नौजवान लड़के का हाथ उसकी गांड के ऊपर टिका हुआ था,,,,।
उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ रही थी और सूरज की भी हालत खराब थी,,, क्योंकि वह एक खूबसूरत कमनीय काया वाली भाभी को अपनी गोद में उठाया हुआ था,,,,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था देखते ही देखते सूरज उसे एकदम ऊपर उठा दिया था और वह बड़े आराम से गुड़ के पास पहुंच चुकी थी और वह धीरे-धीरे एक थैली में गुड भर रही थी और जब ढेर सारा गुड़ थैली में भर ली तो बोली,,,)
अब मुझे नीचे उतारो,,,,
क्यों क्या हुआ हो गया,,,!
हांहो गया,,,
लेकिन मैं अभी भी तुम्हें दो-तीन घंटे तक इसी तरह से उठा सकता हूं,,,,।
अरे हां बाबा तुम्हारी भुजाओं के बल को मैं देख ली हूं,,, अब मुझे नीचे उतारो,,,।
ठीक है भाभी जैसी तुम्हारी मर्जी,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही सूरज उसे धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा वह जानता था कि उसके पैजामे में तंबू बना हुआ है और जैसे ही वह उसे पूरी तरह से नीचे उतरेगा ऐसे में उसके पजामे में बना तंबू सीधे उसकी बुर पर दस्तक देने लगेगा और इसी पल का सूरज को बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते सूरज से नीचे उतरने लगा उसके पर एकदम से जमीन पर आ गए लेकिन इस बीच वह उसको अपने बदन से एकदम सटाए हुए था,,,, और जैसा वह चाहता था वैसा ही हुआ उसकी कमर पर हाथ रखे हुए वह उसे अपने बदन से सटाया था और ऐसे में उसके पजामे बना तंबू
एकदम से उसकी टांगों के बीचों बीच उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर दस्तक देने लगा,,, और उसे औरत को तुरंत अपने कामों के बीच अपनी बर पर कठोर चीज की चुभन महसूस होने लगी,,, शादीशुदा होने के नाते उसे बिल्कुल भी देर नहीं लगी उसे चुभन को पहचानने में वह समझ गई की जो उसकी टांगों के बीच सीधा उसकी बुर पर दस्तक दे रहा है यह उसे जवान लड़के का लंड है वह एकदम से मदहोश हो गई,,,,।
उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा उसके बदन में मदहोशी छाने लगी और सूरज उसकी कमर पर हाथ रखे हुए उसे अपनी तरफ सटाया हुआ था,,, इस एहसास को महसूस करके उसकी बोलनी एकदम से बंद हो गई थी और वह इस एहसास में पूरी तरह से होने लगी थी जब किसी भी तरह की हलचल उसके बदन से महसूस नहीं हुई तो सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और सूरज धीरे से अपने दोनों हथेलियां को,,,, उसके गोलाकार नितंबों पर रख दिया एक अजनबी जवान लड़के की हथेली को अपनी गांड पर महसूस करते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,, उसकी मां से गहरी सांस निकलने लगी,,, मदहोशी उसके पूरे बदन पर छाने लगी,,, शादी की पहली रात से ही वह प्यासी थी सुहागरात का सुख नहीं हो पाई थी एक मर्द का सुख से कभी प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए एक जवान मर्द की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते ही उसमें चुदास की लहर फैलने लगी,, ।
उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था,,,, उसके बदन में कसमसाहट बढ़ रही थी,,,, और सूरज की हथेलियां उसके बदन की हरकत को महसूस करके धीरे-धीरे उसके नितंबों पर कसती चली जा रही थी,,,, यह फल सूरज के साथ-साथ उस औरत के लिए भी बहुत खास था क्योंकि वह लाख चाहने के बावजूद भी अपने आप को सूरज के बाहों से अलग नहीं कर पा रही थी,,, वह औरत पूरी तरह से सूरज के काबू में थी,,,,,, सूरज इसका पूरा फायदा उठा रहा था सूरज जोर जोर से उसकी गांड को मसल रहा था,,,, हालात पूरी तरह से बेकाबू हुए जा रहे थे,,,, देखते ही देखते उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,, और उसकी शिसकारी की आवाज सुनकर,,, सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और वह देखते ही अंधेरे में ही उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,,, और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा सूरज की यह हरकत कुछ प्यासी औरत के लिए जानलेवा साबित हो रही थी उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और सूरज था कि अपनी हरकत को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था,,,।
सूरज हालत की स्थिति को अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि वह इस समय कहां पर है यहां पर समय उसे पर्याप्त मात्रा में मिलने वाला नहीं था इस बात को अच्छी तरह से जानते हुए वह उसे खूबसूरत औरत के होठों का रसपान करते हुए उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा और देखते-देखते वह उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड पर अपनी हथेली रखते ही सूरज एकदम मस्त हो गया उसकी मखमली गांड सूरज को दीवाना बना रही थी,,, और वह भी मदहोश हुए जा रही थी अपनी नंगी गांड पर एक जवान लड़के की हथेली को महसूस करके उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,, इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी की सुहागरात की रात से ही वह प्यासी थी एक औरत होने का सुख से भी प्राप्त नहीं हुआ था मर्द का साथ उसे नहीं मिला था इसीलिए तो वहां सूरज की हरकतों से काम विह्वल हुए जा रही थी और ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई बस इतनाबोली,,,।
कोई आ जाएगा,,,,।
(और उसका यह कहना सूरज के लिए आमंत्रण था क्योंकि अगर उसे सूरज की हरकत पसंद ना होतीतो वह उसे रोकती ,,, उसे अपने पास से हटाती शोर मचाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं कर रही थी और उसकी ख़ामोशी सूरज के लिए खुला आमंत्रण था,,, और उसका यह कहना कि कोई आ जाएगा इस बात को साबित करती थी कि वह भी यही चाहती है बस इस बात से डर लग रही थी कि कहीं कोई देख ना ले और इसीलिए उसका दिलासा उसका हौसला बढ़ाते हुए सूरज बोला,,,)
कोई नहीं आएगा भाभी बाहर अभी भी ढोलक की आवाज आ रही है मतलब नाच गान शुरू है तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,, आज मैं तुम्हें ऐसा सुख दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही सूरज उसकी बा पड़कर उसे गोल घुमा दिया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया ऐसा करने से उसके नितंबों की गोलाई,,, एकदम से उसके जननांग से सट गया और इतनी अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हुआ कि पल भर के लिए तो सूरज को लगा कि कहीं उसका लंड फट न जाए,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी अब वह बला हो चुका था उसके गर्दन पर अपने होंठ रखकर उसकी मदहोशी को बढ़ाते हुए सूरज अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से इसकी चूचियों पर रखकर उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, चुची पर हथेली को रखते ही उसके आकार का एहसास सूरज को होने लगा,,,। उसकी चूचियां शादी होने के बावजूद भी अभी सेंटर के आकार की थी अगर शादी का सही सुख प्राप्त हुआ होता तो शायद उसकी चुचिया खरबूजा हो गई होती,,,,।
सूरज की हरकत बढ़ती जा रही थी,,, ब्लाउज के ऊपर से दबाते दबाते सूरज जल्दबाजी दिखाते हुए उसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,, सूरज की हरकत को देखकर वह बोली,,,।
ब्लाउज मत उतारना,,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी,,, मैं जानता हूं,,,,
मेरा नाम चंदा है,,,,।
तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है चंदा रानी,,,,,,(और ऐसा कहते हुए उसके ब्लाउज के बटन खोलकर उसकी नंगी चूचियों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
और मेरा नाम सूरज है चंदा सूरज हम दोनों की जोड़ी खूबजमेगी,,,,।
(सूरज की बात सुनकर चंदा मुस्कुराने लगे सूरज की हरकत उसे बहुत अच्छी लग रही थी शादी के बाद से उसने ऐसा सुख नहीं प्राप्त किया था इसलिए तो पहली बार में ही वह सूरज की हरकत से मदहोश हुए जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,, सूरज से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि एक हथेली वह उसकी बुर पर रख दिया था जो की पूरी तरह से पानी से चिपचिपी हो गई,,, यह देखकर सूरज बोला,,,)
चंदा रानी तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो,,,।
(सूरज की यह बात सुनकर वह शर्मा गई लेकिन बोली कुछ नहीं और सूरज तुरंत उसकी साड़ी कमर तक उठाए हुए उसे आगे झुकने के लिए बोला वह भी घोड़ी बन गई और देखते ही देखते सूरज ढेर सारा थूक लगाकर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर उसकी बुर का उद्घाटन कर दिया,,,, ऐसा नहीं था कि सूरज के मोटे-मोटे लंड को चला बड़े आराम से अपने अंदर ले ली,,, उसे भी अपनी बुर में लेने के लिए काफी मशक्कत उठानी पड़ी थी लेकिन उसकी चुदवाने की चाहत उसके काम को आसान कर दी थी।
सूरज अपनी कमर हिलता हुआ चंदा रानी के साथ सुहागरात मनाया उसको जी भर कर छोड़ा और उसे भी पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया इसके बाद दोनों आराम से घर के बाहर निकल आए तब तक गाना बजाना हो रहा था और उसके आने के थोड़ी ही देर बाद गाना बजाना बंद हो गया और चंदा की सास सबको थोड़ा-थोड़ा गुड देकर विदा की और चंदा सूरज से वादा ली कि वह उससे मिलने जरूर आएगा,,, और सूरज भी उसी से दोबारा मिलने का वादा कर दिया और फिर सबको लेकर अपने गांव वापस लौट आया,,,,।