Very very hot update. Mystery abhi bhi bani hui hai ki Nilu seal pack thi ya nahin?सूरज के हाथों में रसमलाई लग चुकी थी वह अपनी गोद में नीलू को उठाकर कच्ची झोपड़ी की तरफ ले जा रहा था और वह अच्छी तरह से जानता था की कच्ची झोपड़ी में नीलू के साथ क्या करना है और नीलू भी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज उसे झोपड़ी में ले जाकर उसके साथ क्या करने वाला है,,, इसलिए तो उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी नीलू के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी मर्द के साथ इस तरह से एकांत में समय बिताने जा रही थी,, और एक मर्द के साथ समय बिताना और वह भी एकांत में घर से दूर इतनी तो नादान वह थी नहीं कि वह इसका मतलब को ना समझती हो वह अपनी मर्जी से सूरज के पास आई थी बगीचे में सुनसान जगह पर दोपहर के समय वह जानती थी कि एक जवान लड़का उसके साथ क्या करना चाहता है,,,।
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और वैसे भी पेड़ के नीचे उसकी कुर्ती में से उसकी दोनों चूचियों को निकाल कर उससे खेल कर उसे गर्म कर चुका था,,,। इसीलिए तो वह चलते तैयार हो चुकी थी उसके साथ झोपड़ी में जाने के लिए और सूरज भी इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया था एक औरत जात का एक मर्द द्वारा उसे गोद में उठाना इस बात की तसल्ली दिलाता है कि वह औरत को पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा और पूरी तरह से औरत के लायक है,,,,,।
सूरज का पायजामा तनकर तंबू बन चुका था,, खूबसूरत जवान लड़की को गोद में उठाने का एहसास क्या होता है इस समय सूरज ही समझ पा रहा था वैसे तो वह नीलू की मां को भी अपनी गोद में उठ चुका था और उसे उठाने का भी आनंद बेहद अद्भुत और अतुलनीय था,,, नीलू शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद कर चुकी थी,,, एक जवान मर्द की भुजाओं में वह पूरी तरह से शर्म से सिमटी हुई थी आम के बगीचे में तो जवान बदन क्या गुल खिलाते हैं इस बात को जानने के लिए वह भी बेहद उत्सुक थी,,,। सूरज की हालत खराब हुई जा रही थी मुखिया की बीवी के बाद यह उसका दूसरा मौका था जब किसी दूसरी खूबसूरत जवान लड़की को चोदने के लिए वह झोपड़ी में ले जा रहा था,,,।
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देखते ही देखते सूरज नीलू को अपनी गोद में उठाए हुए झोपड़ी के पास पहुंच चुका था,,,, दरवाजे के रूप में लकड़ी का बना हुआ एक छोटा सा दरवाजा था जो कि बंद था लेकिन उसमें कोई भी कड़ी लगी हुई नहीं थी,,, और सूरज अपनी गोद में उठाए हुए ही थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक कर अपने हाथ से दरवाजे को पकड़ कर बाहर की तरफ खोल दिया और धीरे से अंदर प्रवेश कर गया,,,,, और नीलू को अपनी गोद में से नीचे उतारकर वह दरवाजे को बंद कर दिया,,,, झोपड़ी में होने के बावजूद भी अंधेरा जैसा यहां कुछ भी नहीं था क्योंकि झोपड़ी इधर-उधर से टूटी हुई थी जिसमें से सूरज की रोशनी अंदर अपना उजाला बरसा रही थी और यह दोनों के लिए अच्छा भी था क्योंकि यह दोनों के लिए पहली बार था एक दूसरे के साथ हालांकि नीलू को इस उजाले से थोड़ा परहेज था क्योंकि वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी लेकिन झोपड़ी में उजाला देखकर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि वह नीलु को जवानी को उसकी खूबसूरत नंगे बदन को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,।
झोपड़ी के बीचों बीच दोनों खड़े थे,,, इधर-उधर सूखी हुई घास का ढेर पड़ा हुआ था जो कि दोनों के लिए बिस्तर का काम करने वाला था नीलू तो सर में से पानी पानी हो जा रही थी अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुई थी और सूरज उतावला हुआ जा रहा था नीलू के साथ एक जाकर होने के लिए लेकिन एक जाकर होने से पहले बहुत सा खेल बाकी था जिसे खेलने बहुत जरूरी था,,, और इसलिए मुखिया की बीवी के साथ का अनुभव बहुत कम आने वाला था मुखिया की बीवी के साथ बिताए हुए पल उसके लिए अनुभव का काम कर रहे थे,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि सीधे-सीधे संभोग क्रिया पर उतरना यह औरत के लिए अच्छा होता है ना ही एक मर्द के लिए क्योंकि संभोग क्रिया के पहले का जो कार्य होता है वह बेहद सुहाना और मादकता भरा होता है जो अपनी मंजिल तक धीरे-धीरे आगे बढ़ाने की एक सीढ़ी होती है,,, और सीढ़ी पर एक-एक कदम रख कर आगे बढ़ते हुए मंजिल पर पहुंचने का जो मजा है जो एक नशा है वह बेहद अद्भुत है इस बात को सूरज अच्छी तरह से समझ गया था,,,,। नीलू के डर और उसकी शर्म को खत्म करने के इरादे से सूरज बोला,,,।
अब यहां से शर्म का काम खत्म हो जाता है अब यहां से शुरू होती है एक जवानी का मदहोश कर देने वाला खेल जिसमें शर्म की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं होना चाहिए तभी जवानी का मजा ले पाओगी,,,।
मुझे तो शर्म आती है,,,।(अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए ही नीलू बोल तो सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर उसके खूबसूरत थोड़ी पर अपनी उंगली रखकर उसके चेहरे को हल्के से ऊपर उठाते हुए बोला,,,)
आंखें खोलो नीलू और जवानी का मजा को बंद आंखों से बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा आंखें खोल कर रखोगी तो खुलकर मजा ले पाओगी,,,,(वह ऐसा कहते हुए अपने प्यास होठों को नीलू के दहकते हुए होठों के पास ले जा रहा था,,, नीलु इस बात से अनजान शर्मा तुम्हारी अपनी आंखों को बंद किए हुए थी,,, और तभी सूरज अपने होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रख दिया नीलू को जैसे ही सूरज के होठों का एहसास अपने होठों पर हुआ उसकी आंखें एकदम से खुल गई और एक गहरी सांस उसके जिस्म को अकड़न भरने लगा और तभी सूरज जल्दबाजी दिखाता हुआ अपना एक हाथ जल्दी से उसकी कमर पर रखकर उसे एकदम से अपनी तरफ दावत लिया ऐसा करने से उसके पजामी बना तंबू सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर पर दस्तक देने लगी और इस बात का एहसास नीलू को होते ही नीलू मदहोश हो गई और सूरज उसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए पलों की तरह उसकी कमर को अपने एक हाथ से अपने बदन से सटे हुए दूसरे हाथ से उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया,,, ।
सूरज अच्छी तरह से जानता था की औरतों की उत्तेजना धीरे-धीरे बढ़ती है उनके नितंबों को उनके स्तन को मर्दन करने से संभोग की लालसा उनके मन में तीव्र होती जाती है और इसी कार्य में अग्रसर होते हुए सूरज पूरी तरह से नीलू पर अपनी पकड़ जमाते हुए दोनों हाथों से उसके नितम्बो को पकड़कर सलवार के ऊपर से ही दबोचने लगा मसलने लगा दबाने लगा,,,, यह एहसास सूरज को जितना आनंद दे रहा था उससे कहीं ज्यादा आनंद नीलू को प्रदान कर रहा था नीलु तो मदहोशी के सागर में डूबने लगी थी,,, सूरज लगातार उसके खूबसूरत अंगों का मर्दन कर रहा था लेकिन अभी तक उसकी चूची पर उसके हाथ नहीं आए थे क्योंकि उसकी गांड से उसका मन नहीं भर रहा था,,, जवानी से भरी हुई नीलू के नितंबों का उभार बेहद जानलेवा था भले ही उसकी मां की तरह ज्यादा बड़ी-बड़ी नहीं थी लेकिन एकदम सुडौल और सीमित आकार में बेहद खूबसूरत लग रही थी नीलू भी मदहोश हुए जा रही थी और देखते ही देखते सूरज के द्वारा चुंबन का आनंद लेते हुए सूरज की तरह ही वह भी सूरज के होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी थी,,,।
नीलू की तरफ से इस तरह की प्रतिक्रिया को देखकर सूरज उत्साहित हो गया और तुरंत अपने एक हाथ को ऊपर की तरफ लाकर कुर्ती के ऊपर से ही उसकी नारंगी को दबोच लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया,,,, सूरज के तो दोनों हाथों में रसगुल्ला आ चुका था जिसका स्वाद वह बारी-बारी से ले रहा था,,, सूरज काफी देर तक किसी तरह से उसके लाल-लाल होठों का रसपान करता रहा और अपने दोनों हाथों से कभी उसकी चूची तो कभी उसकी गांड को दबाता रहा मसलते रहा इस तरह का आनंद लेते हुए वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था और इस दौरान उसके पजामे में बना तंबू नीलू की बुर पर दस्तक देते हुए उसे पानी पानी कर रहा था,,,,।
अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी कोमल दूर पर कठोर अंग का स्पर्श उसे मदहोश किया जा रहा था और बार-बार उसका मन उसे पकड़ने को कर रहा था लेकिन मन में एक झिझक थी जो उसे रोक ले रही थी,,, लेकिन इस झिझक को भी सूरज दूर कर दिया,,, और नीलू के हाथ को पकड़ कर अपने पजामी के ऊपर बने तंबू पर रख दिया और नीलू के लिए यह बेहद अनमोल तोहफा था नीलू भी पजामे के ऊपर से ही उसके लंड को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दी,,, लेकिन ऐसा करने से भी उसके मन में एक डर पैदा हो गया क्योंकि वह पजामे के ऊपर से जिस तरह से सूरज के लंड को दबा रही थी उसकी मोटाई और लंबाई को लेकर उसके मन में अजीब सी हलचल हुई जा रही थी,,, और वह अपने मन में सूरज के लंड की मोटाई और अपनी बर के छोटे से छेद के बारे में सोच कर घबरा रही थी,,,,,।
नीलू के होठों पर से सूरज अपने होठों को हटाकर नजर नीचे करके नीलू की हरकत को देख रहा था नीलू पागलों की तरह पजामी के ऊपर से ही उसके लंड को बड़े जोर से दबा रही थी ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी यह देखकर सूरज नीलू से बोला,,,,।
कैसा लग रहा है नीलू,,,,।
पूछो मत सूरज डर भी लग रहा है और मजा भी आ रहा है,,,,।
लेकिन डर कैसा,,,,।
तुम्हारा बहुत मोटा है,,,,।
तो क्या इससे पहले भी किसी का अपने हाथ में ली हो,,, इससे खेली हो,,,।
नहीं,,,,(गहरी सांस लेते हुए नीलू बोली)
तो तुम्हें कैसे मालूम कि मेरा बहुत मोटा है,,,।
क्योंकि पहले में देखी हूं,,,।
कीसका,,,,,?(मदहोश होता हुआ सूरज बोला और उसके मन में यह शंका भी थी कि कहीं इतनी किसी और के साथ तो संबंध नहीं बन चुकी है,,)
ऐसे ही मैं और मेरी बहन खेतों में इधर-उधर घूम रहे थे तो एक जगह पेशाब करने के लिए बैठ गए थे झाड़ियां के बीच तभी सामने गांव का एक लड़का आया हूं अभी पजामा नीचे करके पेशाब करने लगा लेकिन उसका तो बहुत छोटा था मतलब एकदम उंगली जितना इसीलिए तो तुम्हारा देखकर मुझे डर लग रहा है,,,,।
(नीलू की नादानी भरी बात सुनकर सूरज के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह प्रसन्नता के भाव मन में लिए हुए बोला,,,)
तुम शायद नहीं जानती मिलो की उंगली जितने लंड से औरत को कभी भी संतुष्टि प्राप्त नहीं होती वह प्यासी ही रह जाती है,,, देखना आज मैं तुम्हें कितना खुश करता हूं तुम बार-बार मेरे पास आओगी,,,,।
(और इतना कहते हुए अपने दोनों हाथ को आगे बढ़कर नीलू की कुर्ती को पकड़ लिया और उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा यह देखकर नीलू के मन में थोड़ी जीजक होने लगी क्योंकि वह जानती थी कि सूरज उसे निर्वस्त्र करने जा रहा है उसे नंगी करने जा रहा है इसलिए वह बोली,,,)
मुझे डर लग रहा है कहीं कोई आ तो नहीं जाएगा,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो इस बिराने में कोई नहीं आता,,,,(और इतना कहते हुए वह कुर्ती को ऊपर की तरफ उठा दीया,,,और नीलू भी उसका साथ देखो इतनी दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाती ताकि वह आराम से उसकी कुर्ती को निकाल सके,,, देखते ही देखते सूरज अपने हाथों से इसकी कुर्ती निकाल कर उसकी कुर्ती को नीचे पड़ी घास पर रख दिया,,, कुर्ती के निकलते ही कमर के ऊपर नीलू पूरी तरह से नंगी हो गई उसकी दोनों नारंगिया एकदम से उजागर हो गई उसे देखते ही सूरज के मुंह में पानी आ गया और सूरज बिना एक पल गंवाए अपने प्यास होठों को नीलू की चूची पर रखकर उसे मुंह में भरकर पीना शुरू कर दिया उसकी हरकत से नीलु के बदन में दौड़ने लगी और गहरी गहरी सांस लेने लगी,,,,)
सहहहहहह ,,,,ऊमम ममममम,,,,,,,,।
(नीलू के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी थी यह उसके लिए पहला अनुभव था जब अनजाने में ही उसके मुंह से स्टार की आवाज निकल रही थी और उसकी इस तरह की आवाज सुनकर सूरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी और वह दूसरे हाथ से नीलू की चूची को दबाकर आनंद लेने लगा,,,,, नीलू की चूचियां अपने उफान पर थी बिल्कुल नंगी के आकार की भले ही वह उसकी मां की चुचियों जैसी बड़ी-बड़ी नहीं थी लेकिन इस समय पूरी तरह से आनंद से भरी हुई थी जिसके छुहारे को मुंह में लेकर पीने में सूरज को अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,। सूरज नीलू की चूची से उलझा हुआ था और नीलू अपने दोनों हाथों को सूरज के कंधों पर रखकर सूरज की हरकत का आनंद ले रही थी उसके मन से डर धीरे-धीरे खत्म हो रहा था वह लगातार गहरी सांस लेते हुए रह रह कर शिसकारी भी ले रही थी,,,।
सूरज बारी-बारी से नीलू की दोनों चुचियों का मजा ले रहा था,,,, नीलू की जवानी का मुख्य द्वार का आज उद्घाटन होगा ऐसा निश्चित हो चुका था,,,, लेकिन उसके पहले बहुत सी प्रक्रिया बाकी थी जिसमें से नीलू गुजर रही थी और हर एक प्रक्रिया का वह आनंद ले रही थी,,,, गांव से दुर आम के बगीचे में दो जंवा बदन एकाकार होने की प्रतीक्षा में थे,,,।
सूरज नीलू की चूचियों को पी पीकर टमाटर की तरह लाल कर दिया था और हल्का-हल्का उसका आकार भी बढ़ चुका था क्योंकि उत्तेजना में हमेशा औरतों की चुचियों का आकार थोड़ा सा बढ़ ही जाता है, , ,,, काफी देर तक चुचियों का मजा लेने के बाद वह अपने होठों को नीलू की चूचियों से अलग किया और गहरी सांस लेते हुए नीलू की आंखों में देखने लगा नीलू भी गहरी गहरी सांस ले रही थी, उत्तेजना से उसका चेहरा भी सुर्ख लाल हो गया था उत्तेजना के मारे उसके पैर थरथरा रहे थे,,, लेकिन अब पीछे कम लेना उचित नहीं था नीलू भी आगे बढ़ चुकी थी वह भी उत्साहित थी आगे का हाल देखने के लिए,,,,।
सूरज मुस्कुराते हुए नीलू की आंखों में देखते हुए बोला,,,,।
अब असली खेल शुरू होगा,,, नीलू,,,,(और इतना कहने के साथ ही नीलू के हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे अपने बदन से सटा लिया उसकी पीठ उसकी छाती से सटी हुई थी,,,, और नीलू के नितंबों का आकार सीधे-सीधे पजामे में तने उसके तंबू पर रगड़ खाने लगा यह नीलू के साथ-साथ सूरज को भी बेहद उत्तेजना कर देने वाला महसूस हो रहा था नीलु कसमसा रही थी और सूरज उसे अपनी बाहों में दबोच कर अपनी कमर को गोल-गोल घूमाते हुए,, अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ रहा था यह एहसास नीलू को पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डुबोए ले चला जा रहा था,,,, नीलू मदहोश हुए जा रही थी और सूरज,, सूरज अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर फिर से उसकी चूचियों को दबा दिया उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया इस बीच में लगातार अपनी कमर को आगे पीछे खिलाते हुए नीलू को ऐसा महसूस करवा रहा था कि जैसे वह पीछे से उसकी चुदाई कर रहा हो और उसकी ईस हरकत से नीलू को भी मजा आ रहा था,,,।
झोपड़ी का वातावरण पूरी तरह से गरम होता चला जा रहा था,,, देखते देखते सूरज एक हाथ से उसकी सलवार की डोरी पकड़ लिया और उसे झटके से खींच लिया और ऐसा करने से उसकी सलवार उसकी कमर पर एकदम से ढीली पड़ गई यह देखकर नीलू के बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा क्योंकि वह जानती थी अपने पास सूरज से नंगी कर देगा,,,,, एक खूबसूरत जवान लड़की के बदन से उसके कपड़े उतारने में कितना आनंद आता है इस बात को सूरज भली भांति जानता था और यह पहला एहसास था जब नीलू को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि किसी मर्द के द्वारा अपने कपड़े उतरवाने में कितना आनंद आता है,,,,।
नीलू की सलवार उसकी कमर पर ढीली पड़ गई थी जिसे दोनों हाथों से पकड़ कर सुरज नीचे की तरफ लिए जा रहा था,,, अपनी सलवार उतारता हुआ देखकर नीलू अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ करके पीछे की तरफ लाकर सूरज के गरदन में ऐसे अपनी बाहों को लपेट ली जैसे मानो कोई पेड़ से बेल लिपट जाती है,,,,। देखते ही देखते सूरज उसकी सलवार को उसके घुटनों तक नीचे खींच दिया एक तरह से वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पानी पानी हो चुकी थी अपने ही मदन रस में वह पूरी तरह से डूब चुकी थी जिस पर अपनी हथेली रखकर उसकी गरमाहट को महसूस करते हुए सूरज जोर-जोर से उसकी बुर को रगड़ना शुरू कर दिया ऐसा करने से वह नीलू के बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से बढ़ा रहा था,,,। सूरज पागलों की तरह उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी हथेली रखकर जोर-जोर से रगड़ रहा था ऐसा करने में सूरज के साथ-साथ नीलू को भी बहुत मजा आ रहा था उसके बदन में कसमसाहट के साथ-साथ उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह मचल रही थी मछली की तरह तड़प रही थी,,, वह किसी भी तरह से सूरज के हाथ से छूटना चाहती थी उसकी बाहों से अलग होना चाहती थी क्योंकि उसकी तड़प उसे मदहोश कर रही थी उसे पागल बना रही थी वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और किसी भी सूरत में सूरज से छोड़ना नहीं चाहता था और इसी बीच वह अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर प्रवेश करना शुरू कर दिया ऐसा करते ही नीलू एकदम से तड़प उठी और बोली,,,।
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सहहहहह सूरज यह क्या कर रहे हो मुझे दर्द हो रहा है,,,,आहहहहह रुक जाओ आराम से,,,,,आहहहहह,,,,(उसके रोकने के बावजूद भी सूरज अपनी बीच वाली आदि ऊंगली उसकी गुलाबी छेद की गली में प्रवेश करा चुका था,,, गुलाबी छेद में उंगली के प्रवेश होते ही सूरज को उसकी बुर की गर्मी का एहसास अच्छी तरह से होने लगा वह समझ गया कि नीलू की बुर में कितनी ज्यादा गर्मीहै,,,,।
चिंता मत करो नीलू कुछ नहीं होगा तुम डरो मत बहुत मजा आएगा,,, रुको पहले तुम्हारी सलवारउतार दूं,,,,(और इतना कहने के साथ चाहिए सूरज घुटनों के बल बैठ गया और उसकी सरकार को उतारने लगा उसके कंधे पर हाथ रखकर इसका सहारा लेकर अपनी शाम को एक-एक करके ऊपर उठाने लगी ताकि सूरज आराम से उसकी सलवार को उसकी टांगों से बाहर निकल सके,,,, और देखते ही देखते नीलू की दोनों टांगों से उसकी सलवार निकल चुकी थी और वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी उसके नंगेपन को देखकर सूरज एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,,)
बाप रे नंगी होने के बाद तुमको और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो ऐसा लगता है कि कोई स्वर्ग से अप्सरा नीचे जमीन पर उतर आई हो,,,,(सूरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर नीलू मुस्कुराने लगी और उसे मुस्कुराता हुआ देख कर सूरज तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे नीचे खींच लिया और उसे घास के ढेर पर एकदम से लेटा दिया,,, अब मौसम और भी ज्यादा मदहोश होने लगा था घास के ढेर पर नीलू संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में लेटी हुई थी और सूरज घुटनों के बाल उसके पास बैठा हुआ था उसके नंगे बदन को देख रहा था सूरज को इस तरह से अपने नंगे बदन को देखता हुआ पाकर नीलू शर्म के मारे अपनी हथेली से अपनी गुलाबी बुर को ढंक ली,,, यह देख कर सूरज मुस्कुराता हुआ बोला,,,,।)
इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है सारा खेल यही से शुरू होता है और यहीं पर खत्म हो जाता है,,,( और ऐसा कहते हुए उसकी हथेली को पड़कर उसकी बुर से हटा दिया उसकी बुर एक बार फिर से नंगी हो गई,,, सूरज मदहोश हुआ जा रहा था उतावला हुआ जा रहा था उसे सब्र नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने नीलू की गुलाबी बुर पूरी तरह से गुलाब के फूल की तरह खीली हुई थी जिसकी पतली दरार में से मदन रस बार-बार बाहर मोती के दाने की तरह टपक रहा था,,,, यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह धीरे से घुटनों के बाल आगे बढ़ते हुए दोनों हाथों से नीलू की नरम नरम जांघों को पकड़कर उसे फैलाने लगा,,, उसकी टांगों को खोलने लगा और देखते-देखते नीलू का सहकार पाकर सूरज की टांगों को खोल दिया था उसकी गुलाबी बुर हल्का सा दरवाजे की दरार की तरह खुल सी गई थी लेकिन बड़ी प्यारी लग रही थी,,,,।
दोनों जांघों को अपनी हथेली में दबोचे हुए सूरज कभी नीलू की दोनों टांगों के बीच देखता तो कभी नीलु की तरफ देखता और जब-जब नीलू की तरफ देखता तो नीलू शर्मा के मारे अपनी आंखों को बंद कर देती,,,, और यह देखकर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जाती सूरज से काबू नहीं हो रहा था,,,, सूरज का मन तो कर रहा था किसी समय अपने लंड को उसकी बुर में डाल दे लेकिन वह जानता था कि समय उसकी बुर उसके लंड को लेने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है धीरे-धीरे उसकी बुर में जगह बनाना जरूरी था क्योंकि इस बात से वह अच्छी तरह से वाकिफ था कि नीलू की बुर का छेद छोटा है और उसके लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा है ऐसे में जल्दबाजी करना उचित नहीं है,,,,।
और इसीलिए सूरज नीलू की मां पर आजमाया हुआ उसके द्वारा सिखाया हुआ कार्य को बड़ी बखूबी से नीलू पर आजमाना चाहता था और इसीलिए धीरे-धीरे अपने पैसे होठों को उसकी दोनों टांगों के बीच ले जाने लगा ऐसा देखकर दिल के बदन में अजीब सी हलचल लगी उसका बदन कसमसाने लगा और अगले ही पल सूरज का प्यासा होठ नीलू के गुलाबी बुर पर स्पर्श होने लगा और यह एहसास किया स्पर्श नीलू के लिए पूरी तरह से जानलेवा साबित हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो गई उसकी आंखें एकदम से बंद हो गई और उसका मुंह खुला का खुला रह गया जिसमें से गरमा गरम शिकारी की आवाज निकालते हुए उसकी कमर अपने आप ही तकरीबन पांच अंगुल ऊपर की तरफ उठ गई वह एकदम से मदहोश होने लगी और इसी बीच लगातार सूरज अपने होठों का स्पर्श उसके गुलाबी छेंद पर करता रहा उसमें से उठ रही मादक खुशबू से पूरी तरह से मदहोश बना रही थी,,,।
आहहहहह सूरज यह क्या कर रहे हो,,,ऊमममममम,,,, रहने दो ऐसा मत करो उस पर कोई अपना होठ लगाता है क्या,,,?
मैं तो ऐसे ही प्यार करता हूं,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही इस बार पूरी तरह से अपने होठों को खोल कर वह नीलू की बुर को पूरी तरह से अपने मुंह में भर लिया और उसे चाटना शुरू कर दिया,,, चाटना क्या वह उसे खींच खींच कर पीना शुरू करदिया,,, सूरज की इस हरकत की वजह से नीलू अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और इस बार पूरी तरह से अपनी कमर को हवा में उठा दे जिसे दोनों हाथों में सूरत दबोच कर उसकी बुर पर से अपने होठों को अलग किए बिना पागलों की तरह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,,, यह एहसास सूरज के लिए तो नया बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह इस तरह से उसकी मां के साथ प्यार कर चुका था उसकी मां की बुर को चाट चुका था,,, लेकिन यह एहसास नीलू के लिए बिल्कुल नया था एकदम सोच के परे वह पागल हुए जा रही थी मदहोश हुई जा रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई लड़का उसकी बुर को इस तरह से अपने होंठ लगाकर चाटेगा,,,।
आम के बगीचे हुस्न और जवानी का दौर शुरू हो चुका था,,, सूरज कच्ची झोपड़ी में नीलू की टांगें फैला कर उसके खूबसूरत लहसुन को अपने होठों से चाट रहा था,,, अपनी जीभ को उस गुलाबी छेद में डालकर उसकी गहराई को नापने की कोशिश कर रहा था,,, और उसकी हरकत से नीलू पागल हुए जा रही थी बार-बार अपने सर को दाएं बाएं पटक रही थी क्योंकि इतनी अत्यधिक उत्तेजना उसने आज तक महसूस नहीं की थी इसीलिए तो उसकी हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी और सूरज की हरकत बढ़ती जा रही थी,,,। जीभ के साथ-साथ वह अपनी बीच वाली उंगली को भी नीलू की बुर में प्रवेश करा चुका था और उसे गोल-गोल घूमा रहा था यह सूरज की तरफ से एक चाल थी क्योंकि वह अपनी हरकत से नीलू की झिझक के साथ-साथ उसके मन में बैठा मोटे लंड का डर भी खत्म करना चाहता था क्योंकि वह अपनी उंगली को गोल-गोल घूमाकर उसकी बुर में अपने लंड के लिए जगह बना रहा था,,,।
लेकिन उसकी यह हरकत नीलू के बदन में उन्मादकता भर रही थी मदहोशी भर रही थी,,, वह पागल हो जा रही थी और अपने आप ही उसका हाथ सूरज के सर पर आ गया और उसके बाल को कस के पकड़ कर वह उसके होंठों का दबाव अपनी बुर पर बढ़ा रही थी,, नीलू किए हरकत सूरज के लिए बेतहाशा मदहोशी का काम कर रही थी नीलू की हरकत को देखते हुए सूरज पागलों की तरह उसकी नंगी कमर पर दोनों हाथ रखकर उसे दबोच लिया और लपा लप अपनी जीभ को उनके अंदर बाहर करके चाटने लगा,,,, सूरज की यह हरकत पर अद्भुत और एब्स्मरणीय थी नीलू के लिए नीलू इसके एहसास में पूरी तरह से डूबती चली जा रही थी सूरज इसी तरह से नीलू की मां के साथ भी मदहोशी भरा खेल खेला था जो की उसकी मां ने ही इस खेल को सिखाई थी और आज इस खेल को सूरज नीलू पर आजमा रहा था,,,।
झोपड़ी के अंदर गरमा गरम शिसकारी की आवाज पूरी तरह से गूंजने लगी थी क्योंकि अब नीलू के मन से शर्म और झिझक दोनों जा चुकी थी,,, वह जितना छटपटाती थी उतना उसे आनंद आता था और सूरज भी अपनी क्रियाकलाप को एक नया रूप देते हुए,,, उसके खूबसूरत नंगे बदन पर अपनी हथेलियां की छाप छोड़ रहा था जहां भी वह अपनी हथेली रखता था उसे जगह का अंग पूरी तरह से टमाटर की तरह लाल हो जा रहा था कभी वह उसकी कमर तो कभी उसकी नंगी चिकनी पीठ तो कभी उसकी चूचियों को जोर से दबा देता था और इस बार वह अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी नंगी गांड की दोनों फांकों को दोनों हाथों में दबोचकर ऊपर की तरफ उठाकर उसकी बुर को चाट रहा था,,,,।
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और रह-रह कर अपनी उंगली को उसकी बुर में डालकर उसे गोल-गोल घुमा कर अपने लंड के लिए जगह भी बना रहा था इस दौरान नीलू एक बार झड़ चुकी थी,,,, लेकिन सूरज था कि रोकने का नाम नहीं ले रहा था,,, कुछ देर तक सूरज इसी तरह से नीलू की खूबसूरत बुर से खेलता रहा लेकिन जब उसके लंड की अकड़ अत्यधिक बढ़ने लगी तब उसे एहसास होने लगा कि अब इस खेल को आगे बढ़ना चाहिए इसलिए वह धीरे से अपने होठों को नीलू की गुलाबी पर से हटा लिया और गहरी सांस लेते हुए नीलू की तरफ देखने लगा नीलू की सूरज की तरफ देख रही थी दोनों की सांस बड़ी तेजी से चल रही थी दोनों की नजर आपस में टकराई और दोनों मदहोश होने लगे,,, सूरज धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाया और नीलू की बुर पर उसे रख कर उसे अपनी हथेली में उत्तेजना से दबोचते हुए बोला,,,।
बहुत खूबसूरत बुर है तुम्हारी नीलू,,,(और इतना सुनकर नीलू शर्मा गई और अपनी नजर को दूसरी तरफ घूम ली सूरज धीरे से अपनी कमी से निकाल कर एक तरफ रख दिया उसकी नंगी चिकनी छाती नीलू की जवानी को अपनी आगोश में लेने के लिए तड़प रही थी वह धीरे से उठकर खड़ा हुआ और अपने पजामे का नाडा खींचकर खोल दिया,,, और अगले ही पर उसका पजामा उसके भजन से अलग हो चुका था और वहां नीलू के सामने नीलू की तरह पूरी तरह से नंगा खड़ा था उसका लंड हवा में ऊपर नीचे झूल रहा था जिसे देखकर नीलू के तन बदन में आग लग रही थी वह उसे देखकर मदहोश भी हो रही थी और डर भी रही थी,,,, सूरज अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए बोला,,,।
डरो मत नीलू तुम्हें भी इससे बहुत प्यार करना है तभी यह बदले में तुम्हें उतना ही प्यार देगा ताकि तुम एकदम मस्त हो सको,,,,।
कैसा प्यार,,,(मदहोशी भरी आवाज में नीलू बोली क्योंकि नीलू को सूरज का कहने का मतलब समझ में नहीं आ रहा था इसलिए सूरज घुटनों के बाल बैठ गया और नीलू का हाथ पकड़ कर उसे बैठने लगे और लगातार सूरज के लंड की तरफ देख रही थी और सूरज बिना कुछ बोले उसका हाथ सीधे अपने लंड पर रख दिया लेकिन इस बार नीलू की आंखों में मदहोशी थी इसलिए वह बिल्कुल भी नहीं घबराई और कस के सूरज के लंड को अपनी हथेली में दबोच और यह एहसास सूरज को मदहोश कर गया सूरज घुटनों के बाल दोनों टांगों को खोलकर सूखी घास पर बैठा हुआ था और नीलू के हाथ पैर से अपना हाथ हटा दिया था नीलू पागलों की तरह अपने हाथ को आगे पीछे करके सूरज के लंड को हिलाना शुरू कर दी थी हालांकि वह इस खेल में पूरी तरह से अनाड़ी थी लेकिन फिर भी वह जैसे तैसे करके सूरज के लंड से मजा ले रही थी,,,
नीलू की आंखों में उत्सुकता और मदहोशी दोनों साथ दिखाई दे रही थी सूरज को अब कहने और सीखाने की कोई जरूरत नहीं थी,,, नीलू सूरज के लंड में उलझी हुई थी और सूरज दोनों हाथ को उसके सर पर रखकर उसे अपने लंड की तरफ खींचने लगा,,, नीलू कुछ समझ पाती से पहले ही उसके लाल-लाल होठ सूरज के लंड के बैंगनी रंग के सुपाड़े के करीब आ गए,,,, इतने करीब एक मोटा तगड़ा जिंदगी में देखकर नीलू की बुर उत्तेजना के मारे फुल ने पीचकने लगी,,, और नीलू को समझ पाती कुछ कह पाती उससे पहले ही सूरज अपने हाथ में लंड को पड़कर उसके सुपाड़े को नीलू के लाल लाल होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, सूरज को लगा कि नीलू अपने होठों को पीछे खींच लगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ लंड की गर्मी उसके होठों की तपन से रगड़ खाकर उसके बदन में तूफ़ान पैदा कर रही थी,,, और नीलू बड़ी शिद्दत से अपनी आंखों को बंद करके अपने होठों को खुद उसके लंड की सुपाड़े से रख लेना शुरू कर दी और गहरी गहरी सांस लेना शुरू कर दी,,, सूरज मदहोश बज रहा था नीलू की हरकत से उसे बहुत मजा आ रहा है और वह उसकी उत्तेजना और उसके जोश को बढ़ाते हुए बोला,,,)
ओहहहहह नीलू तुम तो मेरी जान ही ले लोगी बहुत मजा आ रहा है मुझे,,,,सहहहहहहबह,,,,(ऐसा कहने के साथ ही सूरज ने देखा कि उत्तेजना के मारे नीलु के लाल-लाल होठ एकदम खुले हुए थे और मौका देखकर सूरज धीरे से अपने लंड के सुपाड़े को उसके लाल लाल होठों के बीच प्रवेश कराना शुरू कर दिया,, ओर आधा सुपाड़ा उसके लाल लाल होठों के बीच प्रवेश भी कर चुका था,,,, लेकिन तभी नीलू की आंखें एकदम से खुल गई और वह सूरज की तरफ देखने लगी,,, सूरज समझ गया की नीलु क्या कहना चाह रही है लेकिन वह कुछ कहती इससे पहले ही सूरज बोला,,,)
डरो मत नीलु बहुत मजा आने वाला है बस धीरे से इसे अपने मुंह में लेकर चूसो जैसे मैं तुम्हारी बुर चाटना चूस उससे प्यार किया वैसे तुम्हें भी करना है,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने समुचे सुपाडे को उसके लाल लाल होठों के बीच प्रवेश कर कर उसके मुंह में डाल दिया शुरू शुरू में तो नीलू को बड़ा अजीब लगा लेकिन तभी उसे इस बात का भी एहसास हुआ कि सूरज भी इसी तरह से उसकी बुर को चाटा था जिसमें से वह पेशाब करती थी और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आया था,,,, इसलिए वह भी अपनी जीभ को उसके सुपाड़े पर घूमाना शुरू कर दी,,, सूरज मदहोश होने लगा उसकी आंखें एकदम से बंद हो गई,,, और वह देखते-देखते अपनी कमर को आगे पीछे करके नीलु के मुंह में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा,,,।
नीलू एक मजे हुए खिलाड़ी की तरह इस खेल को खेल रही थी सूरज को लगने लगा की कही नीलू इस तरह का खेल पहले भी तो नहीं किसी के साथ खेल चुकी है,,, लेकिन यह पूछना इस समय उचित नहीं था बस सूरज आनंद के सागर में गोते लगाते हुए उसके रेशमी बालों में अपनी उंगलियों को उलझाए हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया था,,, नीलू गहरी सांस लेते हुए सूरज के लंड को अपने गले तक उतार ले रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस खेल को खेलने में उसे इतना मजा आएगा और जल्दी ही वह इस खेल का मजा ले पाएगी लेकिन आज उसकी सोच के विपरीत वह पूरी तरह से आनंदित हुए जा रही थी,,,,।
सूरज मदहोश हो चुका था पागल हो चुका था वह समझ गया था कि अब इस खेल में उसे बहुत मजा आने वाला है जितना मजा मिलन की मां ने देखी उससे भी कहीं ज्यादा मजा बेटी देने वाली है इस बात का अंदाजा उसे लग गया था और कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिलाते हुए हुए वह धीरे से अपने लंड को नीलु के मुंह में से बाहर निकाला,,,, और मुंह में से लंड के बाहर निकलते ही नीलू गहरी गहरी सांस लेने लगी ऐसा लग रहा था कि सूरज का मोटा तगड़ा लैंड उसके सांस लेने में अवरोध पैदा कर रहा है जिसके निकल जाने के बाद वह बड़े आराम से सांस ले रही थी,,,।
नीलू तुमने मुझे आज खुश कर दिया आज से मैं तुम्हारा गुलाम हो गया हूं आज तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,(अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में नीलू को उलझते हुए उसके दोनों कंधों पर हाथ रखकर उसे धीरे से सूखी हुई घास पर लेटा दिया और उसकी दोनों टांगों को खोलकर घुटनों के बाल उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया,,,, सूरज की हरकत देखकर नीलू समझ गई थी कि कुछ ही देर में उसका मोटा लंड उसकी बुर में जाने वाला है इसलिए उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके बाद में कसमाशाहट बढ़ती जा रही थी वह बड़ी उत्सुकता के साथ सूरज की तरफ तो कभी अपनी दोनों टांगों के बीच की तरफ देख ले रही थी सूरज धीरे से अपने हाथों को आगे बढ़कर उसके नितंबों को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे अपनी जांघो पर चढ़ा लिया,,, मर्दों का औरतों के साथ इस तरह की हरकत उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर आसन बनाना उसके नितंबों पर हाथ रखकर उसे अपने आसन के समक्ष लाना यह औरत का मर्द की तरफ समर्पण की भावना दर्शाता है अगर औरत तैयार ना हो तो शायद मर्द इस तरह की हरकत कभी ना कर पाए और इसीलिए नीलू भी पूरी तरह से तैयार थी सूरज अपने लंड को हाथ में लेकर देर साथ अपने लंड पर लगाया और उसकी बुर पर लगाकर उसे चिकना कर दिया और अपने लंड के सुपाड़े को हाथोड़े की तरह उसकी गुलाबी छेद पर बरसाने लगा,,, सूरज का लंड काफी मोटा और लंबा होने के साथ-साथ बेहद वजनदार भी था और वाकई में नीलू की बुर पर एक हथौड़े की तरह चोट कर रहा था जिससे नीलू को दर्द भी हो रहा था,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था जब जब सुपाड़ा उसकी बुर पर चोट करता ,,तब तब उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जाती,,,,।
नीलू के गुलाबी छेद को देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा और फिर वह धीरे से अपने सुपाड़े को उसके गुलाबी दरार के छेद पर रखकर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा लंड का सुपाड़ा काफी मोटा था जिससे दिक्कत पेश आ रही थी लेकिन जैसे तैसे करके हल्का सा सुपाड़ा,,, नीलू के गुलाबी छेंद में प्रवेश कर गया,,, और यही उम्मीद की किरण सूरज को नजर आने लगी,,नीलु की तो हालत खराब थी पल भर में ही वह पसीने से तरबतर हो चुकी थी,,, उसे इस बात का डर था कि सूरज का लंड उसकी बुर में नहीं प्रवेश कर पाएगा अगर घुस भी किया तो उसकी बुर फट जाएगी इतनी मोटाइ वह झेल नहीं पाएगी,,,, लेकिन फिर भी न जाने क्यों उसे सूरज पर विश्वास था क्योंकि वह भी मदहोश हो चुकी थी वह भी छुड़वाना चाहती थी वह भी सूरज के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,,,।
सूरज भी अपने अनुभव का उपयोग करते हुए नीलू की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ने शुरू कर दिया था और साथ में उसकी गुलाबी छेंद पर थुक भी गिरा रहा था ताकि उसकी चिकनाहट तकरार रहे क्योंकि सूरज का लंड के साथ-साथ नीलु की बुर इतनी अत्यधिक गर्म थी कि झट से थुक एकदम से सूख जाता था,,,, सूरज की मेहनत रंग ला रही थी धीरे-धीरे उसका सुपाड़ा बुर की गहराई में उतरने लगा था,,, एक तरफ सूरज के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आ रहे थे वहीं दूसरी तरफ नीलू के चेहरे पर डर और दर्द के भाव एकदम साफ नजर आ रहे थे पसीने से तड़प और उसका चेहरा डरा हुआ लग रहा था वह बार-बार अपनी नजर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच देख ले रही थी सूरज के लंड की स्थिति को देख रही थी,,, जो की धीरे-धीरे चिकनाहट पाकर अंदर की तरफ सरक रहा था,,,।
नीलू की मां के साथ का अनुभव सूरज को बहुत काम आ रहा था वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था लेकिन एक जगह जाकर जब उसका लंड आधा उसकी बुर में प्रवेश कर गया तब एकदम से रुक गया मानव के जैसे एकदम से उसकी बुर की गहराई के बीच अड़चन सी आ गई हो,,,, यह देखकर सूरज समझ गया कि आप प्रहार की जरूरत है तभी आगे का काम सफल हो पाएगा वरना यहीं पर अटक जाएगा और फिर सारा मजा किरकिरा हो जाएगा,,,, इसलिए सूरज अपनी हरकतों के साथ-साथ नीलु को अपनी बातों में उलझाने लगा,,,।
बाप रे नीलू मैं तो सोचा नहीं था कि तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई होगी मुझे लगा था कि तुम पहले भी इस खेल का मजा ले चुकी होगी तो तुम्हारी बुर ढीली हो गई होगी,,,।
धत्,,,, पहली बार है,,,,(नीलू एकदम से शरमाते हुए बोली,,,)
वह तो मैं समझ ही गया अगर पहले चुदवाई होती तो मेरा लंड आराम से चला जाता मुझे तो इस बात की खुशी है कि मैं पहला मर्द हूं जो तुम्हारी बुर का द्वार खोल रहा है,,,,।
( ईतना सुनते ही नीलु एकदम से शर्मा गई,,,और ईसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरज फिर से नीलू की कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और जोरदार करारा धक्का मारा और इस बार सूरज का लंड पूरी ताकत के साथ नीलू की बुर के अंदरूनी अवरोधों को दूर करता हुआ एकदम से उसकी जड़ में जाकर गड गया,,,, सूरज अपनी सूझबूझ के साथ नीलू की जवानी पर काबू पा चुका था लेकिन जिस तरह से दर्द से बिलबिला उठी थी,,,, पल भर के लिए तो लगा कि जैसे उसकी सांस ही अटक जाएगी,,,,)
उई मां,,,, मर गई रे यह क्या डाल दिया सूरज तूने मेरी बुर में,,,,आहहहहह दैया में तो मर जाऊंगी,,,ऊहहहहहह,,,,, बहुत दर्द कर रहा है जल्दी से निकालो सूरज इसे,,,,,
कुछ नहीं हुआ नीलु कुछ नहीं हुआ,,,, पहली बार थोड़ा दर्द करता है,,,, बाद में यह दर्द मजा बन जाता है,,,,
नहीं नहीं जल्दी से निकालो इसे मुझे नहीं चुदवाना,,,(ऐसा कहते हुए नीलू सूरज की पकड़ से निकलने की कोशिश करने लगी अपना हाथ पांव मारने लगी और सूरज जानता था कि अगर एक बार उसने अपने लंड को नीलू की बुर से बाहर निकाल दिया तो फिर कभी जिंदगी में उसकी बुर में नहीं डाल पाएगा सूरज को इस बात का डर था कि नहीं या मौका उसके हाथ से निकलना जाए लेकिन वह बड़े सूझबूझ के साथ काम ले रहा था वह अपना पूरा लंड नीलु की बुर में घुसाए हुए उसे अपनी बाहों में कस के दबोच लिया,,,, और उसे समझाते हुए बोला,,,)
ककककक कुछ नहीं हुआ नीलु कुछ नहीं हुआ,,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो अभी सब ठीक हो जाएगा,,,,( और ऐसा कहते हुए सूरज तुरंत अपने होठों को खोलकर नीलू की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया इस हरकत से नीलु फिर से मदहोश होने लगेगी,,,,, और ऐसा ही हुआ थोड़ी ही देर बाद नीलू हाथ पांव मारना बंद कर दे और धीरे-धीरे उसके साथ फिर से उत्तेजना के मारे गहरी चलने लगी और उसके चेहरे का हाव भाव बदलने लगा दर्द की जगह किसके चेहरे पर उत्तेजना का एहसास नजर आने लगा सूरज अपनी हरकत को लगातार जारी रखे हुए बारी-बारी से दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,,, जल्द ही नीलू पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी उसे भी पूरा एहसास था कि एक मोटा तगड़ा बंद उसकी बुर की गहराई में घुसा हुआ है,,,, इसलिए बहुत उत्तेजना के मारे अपनी बाहों का हार बनकर सूरज के गले में डाल दी सूरज नीलू की हरकत से पूरी तरह से जोश में आ गया और नीलु की चूची का स्तनपान करते हुए अपनी कमर को हल्के से ऊपर की तरफ उठाया और तकरीबन एक अंगुल जितना लंड बाहर की तरफ खींच कर फिर से उसे गहराई में डाल दिया ऐसा वह तीन-चार बार किया और हर बार ऐसा करने पर नीलू मदहोश होने लगी,,,,। और उसकी यह मदहोशी और भी ज्यादा तेज धक्के के लिए उत्सुक होने लगी,,,,।
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सूरज पूरी तरह से चुड़वासी हो चुका था जोर-जोर धक्के लगाने के लिए तैयार हो चुका था नीलू की मदहोशी देखकर उसका जोश बढने लगा था वह समझ गया था कि अब नीलू उसके धक्के को झेल लेगी,,, इसलिए इस बार वह अपने पूरे लैंड को बाहर की तरफ निकला बस हल्का सा उसे अंदर की तरफ रहने दिया और फिर जोर से धक्का मारा इस बार भी नीलू के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई लेकिन यह चीज दर्द भरी नहीं बल्कि मदहोशी और उत्तेजना के साथ-साथ आनंद से भरी हुई थी।
अब सूरज के लंड ने नीलू की बुर में अपने लिए जगह बना लिया था,,, अब सूरज बड़ी आराम से अपनी कमर को आगे पीछे करके नीलू को चोदना शुरू कर दिया था नीलू मदहोश हुए जा रही थी आसमान में उड़ रही थी इतना सुख चुदाई में मिलता है उसे इस बात का एहसास नहीं था हालांकि वह अपनी बहन के साथ अंगों को रगड़ने मसलने का मजा ले चुकी थी लेकिन चुदाई का मजा इतना अदभुत होता है आज उसे पहली बार इस बात का एहसास हो रहा था सूरज उसकी कमर में अपनी कमर हीरा रहा था उसके हर एक धक्के साथ उसकी नारंगिया रबड़ के गेंद की तरह उछल रही थी,,,
उसकी नारंगियों को देखकर सूरज को धक्के लगाने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था और आगे अपना हाथ बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को लपक लिया,,, फिर से जोर-जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्का लगने लगा,,,, नीलू मदहोश हुए जा रही थी उत्तेजना से भरा हुआ उसका चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उसके लाल लाल होंठ हल्के से खुले हुए थे और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी यह देखकर सूरज का मन लग जाए और वह नीचे झुक कर उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उसे चुंबन करने लगा,,, नीलू भी उसका साथ देने लगी दोनों के होठ आपस में एकदम से गुत्थमगुत्था हो गए,,,, दोनों को बहुत मजा आ रहा था सूरज जोर-जोर से धक्के लगा रहा था अब उसका मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,, यह देखकर सूरज बोला,,,।
अब बोलो नीलू कैसा लग रहा है मजा आ रहा है ना,,,,
बहुत मजा आ रहा है सूरज,,,,।
तुम खामखा मेरा लंड देखकर डर रही थी,,,।
मैं क्या मेरी जगह कोई भी होती तो वह भी डर जाती,,,।
(नीलू की बात सुनकर पल भर के लिए सूरज के मन में ख्याल आया कि वह बोल दे कि तुम्हारी मां तो बिल्कुल भी नहीं डरी थी बल्कि वह खुद अपनी बुर में डलवाई थी,,,, लेकिन वह जानता था कि इस समय उसकी मां का जिक्र करना उचित नहीं है इसलिए खामोश रहा और धक्के पर धक्का लगाता रहा,,,,।
थोड़ी ही देर में सूरज उसे घोड़ी बनाकर पीछे से चोदना शुरू कर दिया इस आसन में भी नीलू को बहुत मजा आ रहा था नीलू पागलों की तरह धीरे-धीरे अपनी कमर को पीछे की तरफ भी ठेल रही थी जो कि उसकी उत्तेजना दर्शा रहा था,,,। सूरज पूरी तरह से नीलू को संतुष्ट करने में लगा था क्योंकि वह जानता था कि नीलू संतुष्ट हो जाएगी तो बार-बार उससे चुदवाने के लिए आएगी,,,, और देखते-देखते उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,।
दोनों धीरे-धीरे चरम सुख के नजदीक पहुंच रहे थे हालांकि इस दौरान नीलू दो बार झड़ चुकी थी लेकिन सूरज अभी भी बरकरार था लेकिन अब वह भी झड़ने के करीब था इसलिए तो जोर से उसकी कमर को दोनों हाथों से भींच कर जोर-जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया,,,, नीलू भी पूरी ताकत के साथ अपना पूरा सहयोग देते हुए अपनी गांड को पीछे की तरफ मार रही थी,,,, और एक साथ दोनों की सांस एकदम से ऊपर नीचे हुई और दोनों झड़ना शुरू कर दिए सूरज एकदम से उसकी पीठ पर पसर गया और अपने लंड में से गर्म फवारा उसकी बुर में मारने लगा,,,,।
वासना का तूफान शांत हो चुका था,,, काम क्रीड़ा का अद्भुत खेल खेलने के बाद नीलू जैसे ही अपने होश में आई वह शर्म से पानी पानी होने लगी हालांकि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी मस्त हो चुकी थी आज सूरज ने उसे जवानी का अद्भुत सुख प्रदान किया था लेकिन फिर भी सूरज के सामने वह शर्म महसूस करने लगी,,,। सुरज मुस्कुराता हुआ उससे अलग होकर उसके बगल में पीठ के बल लेट गया और नीलू जो कि अभी तक घोड़ी बनी हुई थी वह धीरे से नर्म-नर्म घास पर बैठ गई सूरज का मन थोड़ी ही देर में दोबारा नीलू को चोदने को था लेकिन नीलू की नजर टूटी फूटी झोपड़ी में से बाहर गई तो उसे एहसास हुआ कि काफी समय गुजर गया है शाम हो चुकी थी वह जल्दी से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और अपने कपड़ों को हाथ में समेटते हुए बोली,,,।
हाय दइया यह तो शाम हो गई किसी को पता चल गया तो गजब हो जाएगी मैं इतनी देर घर से बाहर अकेले कभी नहीं रहती,,,,।
(उसकी बात सुनकर सूरज समझ गया था कि अब दोबारा इस समय वह नीलू की चुदाई नहीं कर पाएगा और वह भी उठकर खड़ा हो गया और कपड़े पहनने लगा लेकिन झोपड़ी से निकलते निकलते वह एक बार दिलों को बाहों में भरकर उसके होठों पर चुंबन कर दिया जिससे नीलू भी मुस्कुराती और फिर नीलू अपने घर की तरफ निकल गई और सूरज अपने घर की तरफ,,,)
Shadi me to bahut chut mil jayengi suraj ko.सूरज नीलू की गुलाबी बर का उद्घाटन कर चुका था और यह उद्घाटन बेहद रंगारंग तरीके से समाप्त हुआ था लेकिन सूरज नीलू के साथ और ज्यादा मस्ती करना चाहता था लेकिन दोनों के पास समय पर्याप्त मात्रा में नहीं था इसलिए नीलू को वहां से जाना पड़ा लेकिन फिर भी सूरज पूरी तरह से नीलू को संतुष्ट कर चुका था और वह जानता था कि नीलू अब उसकी गुलाम बन चुकी है वह जब रहेगा तब वह बगीचे में आ जाएगी उस चुदवाने के लिए,,,।
मां बेटी दोनों को भोग कर सूरज आत्मविश्वास से भर चुका था उसे इतना तो ज्ञात हो चुका था कि वह किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट करने में सक्षम है और यह एहसास उसको नीलू की मां ने ही दिलाई थी और वही एहसास को एक बार फिर से आत्मविश्वास में बदलते हुए उसकी बेटी के साथ ही संभोग सुख प्राप्त करके वह मदहोश हो चुका था,,,, सूरज अपने आप को बहुत किस्मत वाला समझने लगा था और वास्तव में वह किस्मत वाला ही था गांव की मुखिया की बीवी को चोदने के बाद मुखिया की लड़की भी अगर छोड़ने को मिल जाए तो भला यह किस्मत की बात ना हो तो क्या हो और ऐसी किस्मत लेकर पैदा हुआ था सूरज,,, जहां एक तरफ मां की बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूचियां और पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई एक मदहोश कर देने वाली नीलू की मां थी वही छोटे-छोटे संतरे की तरह चूची वाली और सुडौल काया के साथ-साथ सीमित आकर के नितंब वाली उसकी बेटी और सूरज दोनों के साथ बराबर का मजा लिया था,,,, पहली बार में लेकिन सूरज मां बेटी दोनों में कौन ज्यादा मजा दी किसके साथ ज्यादा आनंद की अनुभूति हुई यह तय नहीं कर पाया था क्योंकि जिस तरह का आनंद उसे मां से मिला था उसी तरह से उसकी बेटी से भी वह पूरी तरह से संतुष्ट था हां एक बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि जहां मां की बुर में लंड बड़े आराम से चला जा रहा था वही बेटी की बुर में लंड एकदम कसा हुआ जाता था जिसका एहसास और आनंद सूरज के चेहरे पर दिखाई देता था,,,,।
दो-तीन दिन लगातार सूरज बगीचे में जाता रहा लेकिन नीलू वहां पर नहीं आई थी वह समझ नहीं पा रहा था कि नीलू वहां क्यों नहीं आ रही है क्योंकि इतना तो वह जानता ही था की जिस औरत को एक बार चुदाई का चस्का लग जाता है वह बार-बार इस सुख की तरफ बढ़ता है लेकिन नीलू क्यों नहीं आ रही थी इसके पीछे के कारण को सूरज समझ नहीं पा रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि नीलु बगीचे में जाना नहीं चाहती थी,, वह बगीचे में बराबर जाना चाहती थी और सूरज के साथ चुदवाना चाहती थी संभोग सुख प्राप्त करना चाहती थी,,, लेकिन पहली बार की चुदाई से उसे अपने दोनों टांगों की बीच की पतली दरार में हल्का-हल्का दर्द महसूस होता था जिसका कारण साफ था कि सूरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था और नीलू पहली बार चुदवाई थी और चुदाई का इससे पहले कोई भी अनुभव न होने के कारण उसकी बुर का गुलाबी छेद सूरज के लंड की मोटाई के मुकाबले बहुत ही छोटा था हालांकि सूरज अनुभव और सुझ बुझ से काम लेते हुए इस अद्भुत कार्य में सफल तो हो चुका था लेकिन नीलू के मन में थोड़ा डर बैठ गया था ऐसा नहीं था कि उसे मजा नहीं आया था मजा तो उसे भी बहुत आया था,,, यहां तक कैसे एक जवान खूबसूरत लड़की होने का गर्व भी हो रहा था,,, लेकिन दर्द की वजह से वह मन होने के बावजूद भी बगीचे में नहीं जा रही थी वह बगीचे में जाने के लिए अपनी टांगों के बीच के दर्द को कम होने का इंतजार कर रही थी,,,,।
और दूसरी तरफ सोनू की चाची थी जो बाजार में ज्योतिष की बात को सुनकर अपने आप ही सूरज की तरफ झुकने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि गांव भर में एक वही ऐसा जवां मर्द है जो उसकी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता था बिना किसी बदनामी के,,, इसलिए सोनू की चाची भी सूरज के साथ हम बिस्तर होने के लिए तड़प रही थी लेकिन लोग समाज का डर भी उसके मन में बहुत ज्यादा था क्योंकि वह जानती थी अगर एक बार बदनामी हो गई तो गांव में वह कर उठा कर रह नहीं पाएंगी लेकिन एक बार कामयाब हो गई तो बरसों की मेहनत और चाहत दोनों पूरी हो जाएगी,,,, और इसीलिए सूरज के बारे में सोच सोच कर बार-बार वह अपनी बुर को गीली कर ले रही थी और अपनी जवानी की आग बुझाने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा लेकर रात गुजार रही थी,,,।
वैसे भी सूरज से उसे दिन के बाद दोबारा मुलाकात नहीं हुई थी और इसीलिए वह सूरज से मिलने के लिए तड़प रही थी क्योंकि सूरज जब उसकी मदद करने के लिए घास का देर अपने सर पर उठाए हुए उसके घर पर लाया था तो वह उसे पानी पिलाने के लिए बाहर बैठने के लिए बोली थी और वह खुद घर के अंदर चली गई थी लेकिन बड़े चोरों की पेशाब लगने की वजह से हुआ घर के दूसरी तरफ निकल कर झाड़ियां के बीच बैठकर पेशाब कर रही थी और ज्यादा देर हो जाने की वजह से सूरज घर के अंदर चला गया था और धीरे-धीरे उसी जगह पर पहुंच गया था जहां पर झाड़ियां में बैठकर सोनू की चाची पेशाब कर रही थी और अनजाने में ही उसकी नजर सोनू की चाची पर पड़ गई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी मदमस्त जवानी देखकर सूरज तो उसे देखता ही रह गया था,,, और जब सोनू की चाची को इस बात का एहसास हुआ कि सूरज ने उसे पेशाब करते हुए देख लिया है तो उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मत होश होने लगी वह अपने मन में सोचने लगी कि सूरज उसके बदन का कौन-कौन सा हिस्सा देख लिया होगा,,,,।
जिस तरह से वापस साफ करने के लिए बैठी थी और सूरज जहां पर खड़ा था उसे इतना तो ज्ञात हो गया था कि सूरज उसके कौन से अंग को देख लिया होगा वह जानती थी कि सूरज उसकी नंगी गांड को जरूर देख लिया होगा हालांकि भले वह पेशाब करने बैठी थी लेकिन वह जानती थी कि उसकी नजर उसकी बुर पर तो बिल्कुल नहीं पड़ी होगी क्योंकि दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी छेद छुप सी गई थी,,, भले ही सूरज उसकी गुलाबी बुर को ना देख पाया हो लेकिन उसकी गांड देखकर वह हक्का-बक्का रह गया था,,, और इस बात को सोनू की चाची अच्छी तरह से जानती थी सोनू की चाची इस बात से परेशान थी कि उसकी नंगी गांड देखकर उसे पेशाब करते हुए देखकर सूरज अपने मन में क्या सोच रहा होगा उसके बारे में अच्छी बातें सोच रहा होगा या गंदी बातें लेकिन दुनिया का ऐसा कौन सा मर्द होगा जब औरत को पेशाब करता हुआ देखकर उसके बारे में गंदी बातें ना सोचता हो उसके बारे में गंदे ख्याल ना लाता हूं उसे देखकर अपना लंड ना खड़ा कर लिया हो सूरज भी उन मर्दों में से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था उसकी नंगी गांड देखकर सूरज का भी मन बहक सा गया था,,, यही सब सो कर सोनू की चाची पागल हुए जा रही थी,,, और सूरज के बारे में गंदी-गंदी बातें सोच कर अपनी हालत खराब कर रही थी,,,,।
ऐसे ही एक दिन सूरज खाना खा रहा था उसकी मां भी पास में बैठकर खाना खा रही थी और रानी भी खाना खा रही थी,,, तभी बाहर से आवाज आई,,,।
दीदी,,,ओ ,,, दीदी,,,,।
अरे कौन है,,,?(मुंह में निवाला डालने से पहले सूरज की मां बोली)
अरे मैं हूं सोनू की चाची,,,,।
आजा अंदर आजा,,,,,।
(सोनू की चाची इतना सुनते ही सूरज की आंखों के सामने सोनू की चाची पेशाब करती हुई नजर आने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड नजर आने लगी और वह उत्तेजित होने लगा थोड़ी ही देर में सोनू की चाची घर के आंगन में आ गई,,, जब उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो उसे देखती रहेगी क्योंकि सूरज पजामा पहन कर खाना खा रहा था कमर के ऊपर उसका गठीला बदन एकदम नग्न था,,,, उसकी नंगी चौड़ी छाती पर नजर पड़ते हैं सोनू की चाची उसे देखते ही रहेगी और कुछ देर तक उसे देखती रही वह क्या करने आई थी क्या कहने आई थी उसे बिल्कुल भी भान नहीं रहा,,, और यह सब सुनैना देख रही थी,,,, सोनू की चाची की नजर में सूरज के लिए एक आकर्षक दिखाई दे रहा था और यह देखकर सुनैना बाजार में ज्योतिष की बात के बारे में सोचने लगी और अपनी पड़ोसन की बात के बारे में सोचने लगी ज्योतिष के अनुसार सोनू की चाची मां बन सकती थी लेकिन दूसरे मर्द का सहारा लेकर और उसकी पड़ोसन बार-बार उसे उकसा रही थी सूरज के साथ संबंध बनाने के लिए,,, कहीं यही सब के चलते सोनू की चाची उसके बेटे को तो नहीं घुर रही है,,, क्योंकि इतना तो वह जानती थी कि उसके बेटे की जवानी मरदाना अंदाज में खील रही थी उसका बदन भी एकदम गठीला था,,, और ऐसे में किसी भी औरत का ध्यान उसके बेटे पर जाना स्वाभाविक था इसलिए इस समय सोनू की चाची पर सुनैना को थोड़ा गुस्सा आने लगा और वह बोली,,,,।)
क्या हुआ कुछ बताएगी भी या देखती रहेगी,,,,।
(सुनैना की आवाज जैसे ही कानों में पड़ी वैसे ही सोने की चाची जैसे एकदम से होश में आई हो इस तरह से चकरा गई और हड़बड़ाते हुए बोली,,,,)
अरे मैं तो भूल ही गई,,,, अरे वह अपने पड़ोस के गांव वाले शर्मा जी है ना,,,,।
हां हां क्या हुआ,,,?
अरे हुआ कुछ नहीं उनकी बेटी का विवाह है और आज रात को गाना बजाना है तो उन्होंने एक आदमी को भेजे थे बुलावे में,,,,।
मतलब चाची गाना बजाना करने के लिए जाना है,,,(खाना खाते हुए रानी बोली)
हां क्यों नहीं,,,, और वैसे भी दीदी जाना तो पड़ेगा ही,,,, यह तो गांव की पुरानी परंपरा है एक दूसरे के सुख दुख में भागीदार होना ही पड़ता है,,,।
हां हां इसमें कोई बेमत नहीं है,,, जाना तो पड़ेगा ही,,,, लेकिन सोनू की चाची उनका घर तो दो किलोमीटर दूर है और रास्ते में एकदम सुनसान रहता है बड़ी-बड़ी झाड़ियां जंगल जैसा ही दिखता है जाने को तो चले जाएंगे लेकिन आते समय डर तो लगता है और वैसे कौन-कौन जा रहा है,,,,।
चार-पांच औरतें हैं,,,,। और वैसे अगर डर लगता है तो सूरज को भी साथ ले लेते हैं,,,,।
हां मा ये ठीक रहेगा मैं भी चलूंगा,,,,(सोनू की चाची की बात सुनते ही वह एकदम से बोल उठा,,,)
यह सब तो ठीक है लेकिन रानी अकेली रह जाएगी,,, उसका क्या घर में भी तो किसी को होना चाहिए,,।
तो इसमें क्या हो गया मां जब तक हम लोग नहीं आ जाते तब तक रानी पड़ोस वाली चाची के घर सो जाएगी,,,।
क्यों वह भी तो जाएगी ना,,,।
मुझे नहीं लगता है मां की वह जाएगी क्योंकि उन्हें थोड़ा बुखार था,,,,।
चल कोई बात नहीं मैं पूछ लुंगी,,,,।
(जितनी देर यह सब बातें हो रही थी इसलिए सोनू की चाची सूरज की नंगी छाती की तरफ ही देख रही थी वह अपने मन में सोच रही थी की अगर सब कुछ सही हुआ तो जब सूरज उसे अपनी बाहों में मिलेगा तो उसे एकदम से अपने सीने से लगा लगा कितना मजा आएगा जब उसकी नंगी चूची उसकी नंगी छाती से टकराएंगी ,,,रगड़ खाएंगी ,,,,एक तूफ़ान सा उठ जाएगा बहुत मजा आएगा,,,, सोनू की चाची को फिर से किसी ख्यालों में खोया हुआ देखकर सुनैना बोली,,,,)
अरे तेरा ध्यान कहां है कहां खो जा रही है,,,।
अरे कुछ नहीं दीदी अच्छा तो मैं चलती हूं,,,,(इतना कहकर बात जाने लगी तो सूरज बोल पड़ा)
अरे कहां जा रही हो चाची खाना तो खा लो,,,।
अरे नहीं मुझे बहुत कम है फिर किसी दिन खा लूंगी,,,,(इतना कहते हुए सोनू की चाची वहां से चली गई लेकिन जाते-जाते सुनैना के मन में शंका के बीज बो गई,,,, सूरज किस तरह से सोनू की चाची से बात किया था उसे देखकर सुनैना को शक होने लगा था की कहानी उसे ज्योतिष की बात सच तो नहीं हो जाएगी और इसमें उसके ही बेटे की अहम भूमिका तो नहीं होगी,,, यही सब सोच कर सुनना परेशान हो रही थी,,,।
धीरे-धीरे दिन ढल गया और शाम होने लगी सुनैना जल्दी-जल्दी खाना बनाने लगी,,, क्योंकि उसे पकड़ के गांव में नाच गाना करने के लिए जाना था,,,, खाना बनाते हुए वह रानी से बोली,,,)
रानी पड़ोस वाली चाची जाएंगी कि नहीं,,,।
नहीं मामा नहीं जा रही है भैया ठीक कहता था उनकी थोड़ी तबीयत खराब है,,,,।
चल तब तो ठीक है लेकिन तु उससे बात की है कि नहीं,,,!
हां कर ली हुं ,,, मैं खाना खाने के बाद उसके घर चली जाऊंगी सोने के लिए,,,।
चल ठीक है खाना बन गया है,,,,अब जल्दी से खाना खा लो,,,
तुम खाना परोसो तब तक भैया आता ही होगा,,,,।
(और थोड़ी ही देर में सूरज भी सही समय पर आ गया,,,, तीनों खाना खा चुके थे ,,, थोड़ी ही देर में तीन चार औरतों सुनैना के घर के बाहर इकट्ठी होने लगी सोनू की चाची भी आ चुकी थी,,,, अंधेरा हो चुका था और अब निकलना जरूरी था इसलिए सुनैना दरवाजा बंद करके उसे पर ताला लगती हो चाबी को रानी को ही समाधि और उसे बोली जाकर पड़ोस वाली चाची के घर सो जाए,,,,।
थोड़ी देर में सुनैना को लेकर पांच औरतों हो गई है सूरज भी लोगों के साथ निकल पड़ा वैसे तो चारों तरफ अंधेरा था लेकिन चांदनी रात होने की वजह से हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था सूरज अपने हाथ में बड़ा सा मोटा डंडा लिया हुआ था,,,, और सभी औरतें आपस में बात करते हुए पड़ोस के गांव के लिए निकल गई सोनू की चाची सूरज से बात करना चाहती थी उस दिन के बारे में जब वह घर के पीछे पेशाब कर रही थी वह सूरज उसे देख लिया था यह जानते हुए भी की सूरज नहीं उसे पेशाब करते हुए देख लिया है फिर भी वह जानबूझकर इस बात का जिक्र सूरज से करना चाहती थी कि वह देखा था या नहीं देखा था क्योंकि अब धीरे-धीरे उसके बदन में भी उमंग उठने लगी थी,,,,।
कच्ची सड़क पर बातें करते हुए सभी बढ़ते चले जा रहे थे और कच्ची सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े खेत लहलहा रहे थे और बड़ी-बड़ी जंगली घास भी होगी हुई थी जिससे चारों तरफ खेत ही खेत दिखाई दे रहे थे,,, गर्मी का मौसम होने के बावजूद भी शीतल हवा चल रही थी जिसे बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था,,, और बिल्कुल भी आलस नहीं लग रहा था सभी के भजन में फुर्ती नजर आ रही थी और जल्दी-जल्दी का धमाके बढ़ाते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज के मन में भी कुछ और चल रहा था पांचों औरतें उसकी मां की उम्र के ही लगभग की थी,,,, सूरज अपने मन में कल्पना कर रहा था कि अगर पांचों औरतें अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगी होकर इसी तरह से कच्ची सड़क पर चलती रहे तो क्या अद्भुत नजारा होगा सभी की नंगी गांड एकदम पानी भरे गुब्बारे की तरह आपस में लहराते हुए रगड़ खा रही होगी,,, और कितनी नंगी गांडो को देखकर उसका लंड एकदम से पागल हो जाएगा,,, यही सब सोचते हुए सूरज आगे आगे चलता चला जा रहा था तभी पीछे से आवाज आई,,,।
अरे सूरज धीरे-धीरे चल तू तो हम लोगों की रक्षा करने के लिए आया है कि खुद आगे भागने के लिए,,,।
(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि यह किसकी आवाज़ है इसलिए एकदम से रुक गया और पीछे मुड़कर देखते हुए बोला)
बिल्कुल भी चिंता मत करो मेरे होते हुए कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी,,,,।
अरे यह तो हम जानते हैं लेकिन आगे आगे क्यों चल रहा है साथ में चल,,,।
(सूरज की बात सुनकर सुनैना भी सोनू की चाची के सुर में सुर मिलाते हुए बोली क्योंकि वाकई में सूरज उन लोगों से जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जा रहा था,,,,)
अच्छा ठीक है मैं साथ में हीं चलता हूं बस,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज भी उन लोगों के साथ चलने लगा लेकिन तभी उन औरतों में से कुछ मस्तीखोर औरतें आपस में मस्ती भरी बातें करने लगी और उनमें से एक बोली,,,)
अरे मुन्ना की मां तू गाना गाने के लिए आ गई घर पर मुन्ना के बाबू क्या करेंगे,,,,।
(इतना सुनकर दूसरी औरत बोली)
अरे करेंगे क्या मुन्ना की मां के बारे में सोच कर हाथ से हिला कर काम चलाएंगे,,,,।
(इतना कहकर वह तीनों हंसने लगी सोनू की चाची भी हंसने लगी तो सूरज की मां बोली)
अरे तुम लोगों को शर्म आ रही है एक जवान लड़का साथ में चल रहा है और तुम लोग इस तरह की बातें कर रही हो,,,,।
अरे हां हम तुझे भूल गए इस तरह की बातें मत करो बहन कहीं इस तरह की बातें सुनकर सूरत चुदवासा हो गया तो हम मे से ही किसी एक औरत पर चढ़ाई कर देगा,,,,,,(इतना कहकर फिर से वह लोग हंसने लगी,,,, सूरज उन लोगों से तकरीबन 4 5 मीटर की दूरी पर आगे आगे चल रहा था,,,, उन औरतों की बात उसे साफ सुनाई दे रही थी,,,और उन औरतों की बात सुनकर उसे भी मजा आ रहा था लेकिन उसकी मां थोड़ा गुस्सा दिखा रही थी और फिर से बोली ,,,)
तुम लोगों को हमेशा यही सुझता है,,, अरेकुछ घंटे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो घर पर ही रुक जाती चढ़ जाती अपने पति के लंड पर,,,,।
(यह सुनकर उनमें से एक औरत बोली,,)
तुम तो एकदम से खोल कर ही बोल दी,,,,।
तो क्या करती तुम लोग बात ही ऐसी करते हो,, अरे अगर हम औरतें हो तो ठीक हैं इस तरह की बातें हंसी मजाक अच्छी लगती है लेकिन एक जवान लड़का साथ में फिर भी तुम लोग इसी तरह की बातें कर रहे हो क्या सोचेगा वह तुम लोगों के बारे में,,,,,
(यह सुनकर सोनू की चाची सुनैना का पक्ष लेते हुए बोली)
दीदी सही कह रही है तुम लोगों को थोड़ा सब्र करना चाहिए हंसी मजाक का,,, सही जगह सही समय पर किया गया मजाक ही अच्छा लगता है वरना शर्मिंदा होना पड़ता है,,,,,।
ठीक है दीदी गलती हो गई माफी दे दो,,,,।
(जिस औरत ने इस तरह की बातों की शुरुआत की थी वही कान पकड़कर माफी मांगते हुए बोली,,,, सुनैना को भी थोड़ा अजीब लगा क्योंकि वह ज्यादा गुस्सा दिखाती थी इसलिए वह भी मुस्कुराते हुए बोली,,,)
तुम लोग मेरी बात का बुरा मत मानना मुझे भी यह सब बातें अच्छी लगती है आपस में हंसी मजाक अच्छी लगती है लेकिन सही समय पर,,,,।
ठीक है दीदी आगे से ख्याल रखेंगे,,,,।
(सूरज इन सब बातों को अच्छी तरह से सुन रहा था लेकिन इस तरह से जता रहा था कि मानो जैसे उसे सुनाई ना दे रहा हो,,,, तभी वह एकदम से सबका ध्यान गंभीर बात से हटाते हुए बोला,,,)
हम जल्दी पहुंचने वाले हैं देखो ढोलक की आवाज आ रही है,,,,।
(सूरज की बात सुनते ही सभी लोग एकदम ध्यान से सुनाने लगे और वाकई में ढोलक की आवाज आ रही थी,,,,,)
हां हम पहुंचने वाले हैं,,,(सुनैना बोली,,, और उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)
वह देखो उजाला दिखाई दे रहा है,,,, लगता है कार्यक्रम शुरू हो गया है,,,,
हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,,,,(सोनू भी सुनैना की हां में हां मिलाते हुए बोली ,,)
दूर से ही जहां पर नाच गाना था वहां का शोर सराबा और उजाला नजर आ रहा था जिसे देखकर सूरज के साथ-साथ बाकी लोग भी प्रसन्न हो गए थे क्योंकि वह लोग अपने स्थान पर पहुंचने वाले थे,,, और जल्दी-जल्दी अपने कदम आगे बढ़ा रहे थे,,, सुनैना भी अपने मन में यही सोच रही थी कि जल्दी से वहां पर पहुंचकर कुछ देर ठहरने के बाद वापस घर लौट आएंगे क्योंकि वह जानती थी कि उनके गांव से अपने गांव की दूरी काफी है और रात का मामला है इसलिए वह ज्यादा देर नहीं करना चाहती थी,,, वैसे तो सूरज साथ में था इसलिए ज्यादा डर तो नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी सुनैना जल्द से जल्द वहां से लौटना चाहती थी,,,,।
रास्ते में जिस तरह की बात गांव की औरतें कर रही थी उसे सुनने के बाद सूरज के पजामे में उसका हथियार करवटें ले रहा था,,, और साथ में थी सोनू की चाची जिसे वह उसे कहीं घर पर पेशाब करते हुए देख चुका थाउसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसे समय भी सूरज का लंड एकदम से खड़ा हो चुका था ईस समय भी सोनू की चाची के बारे में सोचकर उसका लंड अंगडाई ले रहा था,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसकी आंखों के सामने सोने की चाची अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो जाने की तो कैसी दिखाई देगी थोड़ा भारी भरकम शरीर होने के बावजूद भी निश्चित तौर पर वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से काम नहीं लगेगी ,, यही सब सूरज अपने मन में सोच रहा था,,,,। क्योंकि आप उसका झूकाव सोनू की चाची की तरफ था,,, और दोनों के बीच काफी हद तक बातचीत भी हो चुकी थी भले ही ज्यादा खुलकर न हुई हो लेकिन फिर भी किसी औरत के साथ कोई भी मर्द अगर थोड़ी बहुत बात कर लेता है तो उसका आत्मविश्वास साथी आसमान पर पहुंच जाता है और यही सूरज के साथ भी था सूरज को न जाने क्यों अपने आप पर विश्वास था कि अगर वह सोनू की चाची के साथ कुछ ऐसा वैसा करता है तो सोनू की चाची बुरा नहीं मांनेगी और ना ही किसी से कुछ कहेगी,,,।
यही सब सोचते हुए सभी लोग शर्मा जी के घर पहुंच चुके थे,,,। वहां पर पहुंचते ही वहां के लोगों ने अच्छी तरह से स्वागत किया सबको एक साथ बैठाया मिठाई नाश्ता कराया,,,, बाकी की औरतें तो औरतों के साथ बैठकर गाना गाने में लग गई और सूरज एक तरफ कुर्सी पर बैठकर उन लोगों को देखने लगा,,,, सूरज की नजर तो वहां की औरतों पर ही थी जो की चारों तरफ चार-पांच लालटेन चल रही थी जिसे उजाले में हुआ औरतें एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, उनमें से कुछ औरतें उठकर नाच रही थी ढोलक की टहल पर ताल मिला नहीं थी अपनी कमर लचका रही थी और सूरज की नज़र उनकी लचक्ति हुई कमर के साथ-साथ उनकी गोलाकार गांड पर टिकी हुई जो कि थिरकन ले रही थी तो उसके लंड की हालत खराब हो रही थी,,,,,,।
तभी उनमें से कुछ औरतें सोनू की चाची को नाचने के लिए बोलने लगी सोनू की चाची तो जैसे नाचने के लिए तैयार ही थी बस किसी के बोलने का इंतजार ही कर रही थी वह तुरंत उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होते ही गांव की औरतें जोर-जोर से आवाज करने लगी और सोनू की चाची अपनी गांड मटकते लगी हाथ ऊपर उठकर वह अपनी कमर हिला रही थी जिसके साथ-साथ उसकी भारी भरकम गांड भी हवा में लहरा रही थी जिसे देखकर सूरज की हालत एकदम से खराब हो रही थी,,,, सूरज अपनी मन में यही सोच रहा था कि काश यह सब औरतें अगर सारे कपड़े उतार कर नाचने लगती तो कितना मजा आता इतनी सारी औरतों का नंगा नाच देख कर उसकी काम शक्ति और ज्यादा बढ़ जाती,,,।
सूरज अपने मन में यही सब सो रहा था कि तभी एक खूबसूरत नव विवाहित औरत और ऐसा लग रहा था कि अभी ठीक से औरत बनी भी नहीं थी उसकी शादी के दो-तीन साली हुए थे लेकिन अभी उसके चेहरे से भोलापन साफ दिखाई दे रहा था वह अपने हाथ में एक बड़ा सा थाल लेकर आई जिसमें ढेर सारे मिट्टी के कुल्हड़ रखे हुए थे और कूल्हड में मिठाई रखी हुई थी,,,, जिसे वह वहां बेठी सभी औरतों में बांटने के लिए हि लाई थी,,,, वह खूबसूरत औरत आधा घूंघट की हुई थी जिसे देखकर सूरज समझ गया था कि अभी यह नहीं नहीं शादी करके बहू बनकर आई है,,,, पतला शरीर था लेकिन छरहरा सुडोल,,, एकदम मदहोश कर देने वाली काया जिसे सूरज देखता ही रह गया,,, वह एक-एक करके औरतों को मिठाई का कुल्हड थमा रही थी,,,, वह ठीक सूरज की आंखों के सामने झुक झुक कर सबको मिठाई हमारे थे और उसके झुकाने की वजह से उसके नितंबों का घेराव एक अद्भुत आकार ले ले रहा था जिसे देख कर सूरज पूरी तरह से उसकी जवानी में डूबता चला जा रहा था,,,,।
सूरज किसी भी तरह से उससे बात करना चाहता था उसके बारे में जानना चाहता था,,, लेकिन बात की शुरुआत कैसे करें उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, और फिर एकाएक उसके दिमाग में युक्ति आई और वह तुरंत अपनी जगह से उठकर खड़ा हुआ और सीधे उसके पास क्या और उसके हाथ से थाल को लेते हुए बोला,,,।
आप रहने दीजिए भाभी मैं बाट देता हूं,,,,।
(सूरज की हरकत पर वह उसे एक तक देखने लगी उसे पहचानने की कोशिश करने लगी कि आखिरकार यह लड़का है कौन लेकिन लाख कोशिशें के बावजूद भी वह समझ नहीं पाई कि यह लड़का है कौन ,, और वह उसे देखते ही रह गई क्योंकि वहां बड़े अच्छे से सबको मिठाई दे रहा है उसके काम को पूरा कर रहा था और वह आगे घूंघट में वही खड़ी सूरज को देखते रह गई सूरज अपना काम खत्म करने के बाद मुझको बाबा उसके पास आया और बोला,,,)
लीजिए भाभी,,, मैंने आपका काम पूरा कर दिया,,,।
काम तो पूरा कर दिए हो लेकिन हो तुम मैं तुम्हें पहचान नहीं पा रही हूं,,,।
कैसे पहचानोगी भाभी मैं तुम्हारे पड़ोस के गांव का हूं,,,।
ओहहह तभी तो मैं सोची कि मैं तुम्हें पहचान क्यों नहीं पा रही हूं लेकिन इस तरह से मदद करने की क्या जरूरत थी,,,।
अरे क्या बात करती हो भाभी मेरे रहते हुए कोई इस तरह का काम करें मुझे अच्छा नहीं लगता अगर मैं नहीं रहता तो शायद इस तरह का तुम काम करती तो कोई बात नहीं थी,,, लेकिन मेरे होते हुए मैं यह नहीं करने दूंगा और मैं कब से देख रहा हूं कि तुम इधर-उधर भाग-भाग कर सारे काम कर रही हो और तुम्हारा कोई साथ देने वाला नहीं है,,,,, वैसे भैया कहां है उन्हें तो तुम्हारा हाथ बंटाना चाहिए,,,,(सूरज जानबूझकर इस तरह की बातें कर रहा था वह एक तरह से अपनी बातों में उसको उलझा रहा था और बात ही बात में उसके पति के बारे में पूछ कर वह तसल्ली करना चाहता था कि उसका पति वहां साथ में है या नहीं,,,,, और उसकी बात सुनकर उसके चेहरे पर एकदम से उदासी छा गई और वह उदास मन से बोली,,,)
कहां गए हैं पता नहीं,,,!
पता नहीं,,,, अरे ऐसा कैसे हो सकता है कहीं तो गए होंगे कमाने गए होंगे रिश्तेदार के वहां गए होंगे कुछ तो बता कर गए होंगे,,,,
कुछ भी पता करने के शादी के 1 महीने बाद ही बस इतना कह कर गए थे कि जल्दी लौट आऊंगा और आज तक नहीं आए और शादी के 3 साल हो गए हैं,,,।
(उसे औरत की बात सुनकर सूरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,,, क्योंकि उसका पति वहां मौजूद नहीं था और शादी के 1 महीने बाद ही वह घर से निकल गया था इसका मतलब साफ था कि 3 साल से उसे शरीर सुख नहीं मिला था अगर मिल भी होगा तो चोरी-छिपे किसी और के साथ,,,, लेकिन चूचियों की स्थिति को देखकर लगता नहीं था की शादी के बाद किसी और मर्द ने इतनी खूबसूरत बदन का उपभोग किया हो वरना बदन का सांचा बदल गया होता,,,। उसकी बात सुनकर अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए सूरज एकदम से बोला,,,)
क्या बात कर रही हो भाभी कोई इतना कठोर कैसे हो सकता है और वह भी शादी के 1 महीने बाद ही,,,, इतने में तो विवाहित जीवन का सुख भी ठीक तरह से नहीं मिल पाता,,,,(सूरज के कहने का मतलब कुछ और था और वह सूरज के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ भी रही थी इसलिए तो उसकी बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म के भाव साफ नजर आने लगे,,, और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
देखो बुरा मत मानना भाभी मैं तो सब कहूंगा भैया को तुम्हारी कोई कदर नहीं थी तभी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां चले गए,,,,(सूरज की बातों में उसे औरत के लिए सहानुभूति भी थी उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी और वह औरत सूरज की बातों को समझ भी रही थी और अपने लिए खूबसूरती की तारीफ के शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर प्रसन्न भी हो रही थी,,,,, इसलिए वह भी खुश होते हुए बोली,,,,।)
चलो जाने दो जैसी मेरी किस्मत,,,, लेकिन तुम कुछ क्यों नहीं खा रहे हो,,,,,।
नहीं नहीं मेरा चल जाएगा,,,,।
अरे ऐसे कैसे भाभी रहते हो और भाभी की बात भी नहीं मानते रुको मैं तुम्हारे लिए मिठाई लेकर आती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह मिठाई लेने के लिए चली गई और सूरज मैन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि बहुत ही जल्द वह दूसरे गांव की भाभी को लाइन पर ले आया था और जब तक वह आती तब तक वह फिर से नाच देखने लगा लेकिन इस बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां खड़ी होकर नाच रही थी और अपनी कमर हिला रही थी कमर के साथ-साथ वह अपनी बड़ी-बड़ी गांड भी ला रही थी जिसे देखकर सूरज के तन बदन में आग लगने लगी पहली बार वह अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था उसके बदन के लचक को देख रहा था,,, उसके खूबसूरत अंगों के मरोड को देख रहा था वह ढोलक की ताल पड़ताल मिलकर नाच रही थी और ऐसा करते हुए उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में उछाल रही थी मानो अभी ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएंगे जब अपने हाथ को कमर पर रखकर रेखाओं पर करके अपनी कमर हिलती थी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा नृत्य कर रही हो,,,।
अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों का उछाल उसकी बड़ी-बड़ी गांड की थिरकन को देखकर ,,, सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,, सूरज पहली बार अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था और गांव की सभी औरतें उसकी मां का नाच देख कर बहुत खुश हो रही थी और कुछ औरतें तो सुनैना का साथ देते हुए उठकर खड़ी हो गई थी और नाच रही थी यह सब सूरज के लिए बेहद उन्मादकता भरा दृश्य बनता जा रहा था,,,, सूरज का मन तो कर रहा था किसी समय सभी औरतों के बीच घुस जाए और अपनी मां की साड़ी उठाकर सबकी आंखों के सामने ही उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर उसकी चुदाई करते लेकिन यह सिर्फ दिमाग की सोच ही थी इस पर खड़ा उतरना उसके बस में क्या किसी भी शरीफ मर्द के बस में नहीं था,,,,।
अभी यह सब चल ही रहा था कि तभी वह औरत अपनी हथेली में मिठाई लेकर आई,,, और इस बार सूरज के पास नहीं आई बल्कि दूर से ही उसकी आवाज देकर बुलाने लेकिन उसका नाम तो उसे मालूम नहीं था इसलिए समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आवाज दे लेकिन तभी एक छोटे बच्चों को सूरज के पास भेजी और उसे अपने पास बुलाई,,,, सूरज तो एकदम खुश हो गया और सबसे ज्यादा खुशी उसकी दोनों टांगों के बीच हो रही थी क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था कि आज उसका जुगाड़ बन गया है,,,,,।
सूरज के मन में उसे औरत के प्रति गंदी भावना उमड़ रही थी लेकिन उसे औरत के मन में सूरज के प्रति ऐसा कुछ भी नहीं था बस न जाने क्यों सूरज की बातों से उसका मन हल्का हो रहा था और सूरज के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज तक उसके जैसी मीठी बातें करने वाला कोई नहीं मिला था जो उसकी फिक्र करें उसकी बातों को समझे लेकिन कुछ ही देर में सूरज ने उसके मन पर काबू कर लिया था,,,,,।
सूरज उसका इशारा पातें ही उसके पास पहुंच गया था जहां पर थोड़ा अंधेरा था,,,,,, बाकी सब लोगों का ध्यान औरतों के नाच पर ही था,,,, एक कुर्सी पर सूरज बैठ गया था और उसके बगल में ही वह औरत खड़ी थी जिसे सूरज भाभी के संबोधन कर रहा था वह औरत अपनी हथेली सूरज की आंखों के सामने खोलकर उसे मुस्कुराते हुए मिठाई देने लगी सूरज भी उसमें से एक लड्डू उठाकर खाने लगा और बिल्कुल भी देर किए बिना दूसरा लड्डू उसकी हथेली से उठाकर उसकी तरफ आगे बढ़ा दिया और उसे खाने के लिए बोला तो वह मुस्कुराकर इनकार करने लगी उसकी मुस्कुराहट में एक अजीब आकर्षण था जिसमें सूरज पूरी तरह से खोने लगा था और इस मौके को गवाही बिना बात जल्दी से कुर्सी पर सूट कर खड़ा हुआ और लड्डू को सीधा उसके हल-लाल होठों पर लगा दिया,,,,, वह ना ना करने लगी,,,, लेकिन जैसे तैसे करके सूरज जबरदस्ती उसे लड्डू को उसके मुंह में डाल दिया और वह भी मुस्कुराते हुए खाने लगी,,,,।
वह भावना की प्यासी थी प्यार की प्यासी थी सूरज के द्वारा इस तरह की जबरदस्ती देख कर उसकी आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि आज तक ऐसा व्यवहार उसके साथ किसी ने नहीं किया था क्योंकि सबको ऐसा ही लगता था कि उसके आने से ही घर का बेटा घर छोड़कर चला गया था,,,, जबकि इस बात की हकीकत को केवल वही जानती थी यह बात वह राज ही रखी थी कि उसका पति औरत को शरीर सुख नहीं दे सकता और इसीलिए वह घर छोड़कर चला गया था,,,,, लेकिन वह संस्कारी औरत थी उसके घर की स्थिति ठीक नहीं थी और यह कारण देकर अपने मायके चले जाना कि उसका पति नामर्द है यह बात उसे गवारा नहीं थी क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि अगर कोई यहां बात सुनता तो यही कहता कि इसे चुदवाने का शौक है तभी अपने पति को छोड़ दी,,,।
कुछ ही देर में दोनों में बहुत सारी बातें हो गई दोनों हंस-हंसकर एक दूसरे से बातें कर रहे थे लेकिन किसी का भी ध्यान दोनों की तरफ नहीं था,,,, तभी सूरज को पेशाब लगी और वहकुछ देर के लिए वहां से उठकर दूसरी तरफ चला गया,,, और इतने में ही उसकी सास उसे आवाज लगाते हुए बोली,,,।
बहु,,,,, जरा अच्छा लेकर आना कुछ देर और नाच गाना चलेगा फिर सबको बांटना है,,,,।
(अपनी सास की बात सुनकर वह बोली)
जी माजी अभी लेकर आती हूं,,,,,।
(और उसकी इस बात को सूरज भी सुन लिया था और जल्दी से पेशाब करने के बाद तुरंत वह उसऔरत के पास आया और बोला,,,)
मैं भी चलता हूं भाभी तुम्हारी मदद हो जाएगी,,,।
मैं भी तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,।
ठीक है फिर चलो,,,,।
(इतना कहते हैं दोनों घर के अंदर प्रवेश करने लगे घर में चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था बस हल्की हल्की चांदनी रात होने की वजह से उसकी रोशनी में दोनों आगे बढ़ रहे थे कि तभी उसे औरत को हर किसी ठोकर लगी और गिरने को भी लेकिन तभी एकदम फुर्ती दिखाता हुआ सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी कमर में अपना हाथ डालकर उसे एकदम से संभाल लिया और बोला,,,)
संभाल कर भाभी काफी अंधेरा है,,,,।
(वह संभल तो गई थी लेकिन जिस तरह से सूरज ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे संभाला था वह एकदम से मदहोश हो गई थी बरसो बाद किसी मर्द कहां तो उसकी खूबसूरत बदन पर पड़ रहा था और वह भी उसकी कमर पर ,,,वह एकदम से झनझना गई थी,,,,, वह संभल गई थी और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पर देखते ही देखते दोनों उसे कमरे में आ गए थे जहां पर अच्छा रखा हुआ था लेकिन अच्छा थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था वह अंधेरे में इधर-उधर सीढ़ी ढूंढ रही थी लेकिन सीढ़ी उसे मिला नहीं,,, तो वह एकदम से परेशान होते हुए बोली,,,)
हाय दइया अब क्या होगा इधर तो सीढ़ी ही नहीं है ना जाने किसने कहां रख दी है,,,,।
तो क्या हो गया भाभी मैं हूं ना मैं तुम्हें उठा देता हूं तुम गुड निकाल लो जितना निकालना है,,,,।
(सूरज की बात सुनते ही उसे औरत के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी और वह भी मुस्कुराते हुए बोली)
क्या तुम मुझे उठा लोगे,,,,।
(उसकी बात में आमंत्रण था बरसों की प्यास उसके होठों पर आ चुकी थी वह इशारे ही इशारे में अपने मन की भावनाओं को अपने होठों पर ला दी थी वरना अगर वह बरसों की प्यासी ना होती तो इस तरह से कभी भी सूरज की बात नहीं मानती उसकी बात सुनते ही सूरज बोला,,,)
क्यों नहीं भाभी तुम्हारा वजन ज्यादा थोड़ी है मैं बड़ी आराम से तुम्हें उठा लूंगा,,,,(और इतना कहते हैं वह दूसरी तरफ ठीक उसके सामने खड़ा हो गया दोनों का मुंह एक दूसरे के सामने था और सूरज धीरे से नीचे झुका और अपनी बाहों का घेरा उसके नितंबों के नीचे बनाता हुआ उसे उठाने लगा उसके नितंबों का घेराव काफी सुडौल था बेहद उन्नत इसलिए सूरज के लिए उसके नितंबों का उठाव और घेराव मानो किसी बड़ी नाव को काबू में करने के लिए लंगर का काम कर रहे थे उसकी बाहों के घेरे में वह खूबसूरत औरत एकदम से टिक गई थी,,,,, सूरज उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठने लगा वह थोड़ा घबरा रही थी और अपने दोनों हाथ को उसके कंधों पर रख दी थी,,,, उस औरत का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि एक अनजान नौजवान लड़के का हाथ उसकी गांड के ऊपर टिका हुआ था,,,,।
उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ रही थी और सूरज की भी हालत खराब थी,,, क्योंकि वह एक खूबसूरत कमनीय काया वाली भाभी को अपनी गोद में उठाया हुआ था,,,,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था देखते ही देखते सूरज उसे एकदम ऊपर उठा दिया था और वह बड़े आराम से गुड़ के पास पहुंच चुकी थी और वह धीरे-धीरे एक थैली में गुड भर रही थी और जब ढेर सारा गुड़ थैली में भर ली तो बोली,,,)
अब मुझे नीचे उतारो,,,,
क्यों क्या हुआ हो गया,,,!
हांहो गया,,,
लेकिन मैं अभी भी तुम्हें दो-तीन घंटे तक इसी तरह से उठा सकता हूं,,,,।
अरे हां बाबा तुम्हारी भुजाओं के बल को मैं देख ली हूं,,, अब मुझे नीचे उतारो,,,।
ठीक है भाभी जैसी तुम्हारी मर्जी,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही सूरज उसे धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा वह जानता था कि उसके पैजामे में तंबू बना हुआ है और जैसे ही वह उसे पूरी तरह से नीचे उतरेगा ऐसे में उसके पजामे में बना तंबू सीधे उसकी बुर पर दस्तक देने लगेगा और इसी पल का सूरज को बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते सूरज से नीचे उतरने लगा उसके पर एकदम से जमीन पर आ गए लेकिन इस बीच वह उसको अपने बदन से एकदम सटाए हुए था,,,, और जैसा वह चाहता था वैसा ही हुआ उसकी कमर पर हाथ रखे हुए वह उसे अपने बदन से सटाया था और ऐसे में उसके पजामे बना तंबू
एकदम से उसकी टांगों के बीचों बीच उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर दस्तक देने लगा,,, और उसे औरत को तुरंत अपने कामों के बीच अपनी बर पर कठोर चीज की चुभन महसूस होने लगी,,, शादीशुदा होने के नाते उसे बिल्कुल भी देर नहीं लगी उसे चुभन को पहचानने में वह समझ गई की जो उसकी टांगों के बीच सीधा उसकी बुर पर दस्तक दे रहा है यह उसे जवान लड़के का लंड है वह एकदम से मदहोश हो गई,,,,।
उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा उसके बदन में मदहोशी छाने लगी और सूरज उसकी कमर पर हाथ रखे हुए उसे अपनी तरफ सटाया हुआ था,,, इस एहसास को महसूस करके उसकी बोलनी एकदम से बंद हो गई थी और वह इस एहसास में पूरी तरह से होने लगी थी जब किसी भी तरह की हलचल उसके बदन से महसूस नहीं हुई तो सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और सूरज धीरे से अपने दोनों हथेलियां को,,,, उसके गोलाकार नितंबों पर रख दिया एक अजनबी जवान लड़के की हथेली को अपनी गांड पर महसूस करते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,, उसकी मां से गहरी सांस निकलने लगी,,, मदहोशी उसके पूरे बदन पर छाने लगी,,, शादी की पहली रात से ही वह प्यासी थी सुहागरात का सुख नहीं हो पाई थी एक मर्द का सुख से कभी प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए एक जवान मर्द की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते ही उसमें चुदास की लहर फैलने लगी,, ।
उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था,,,, उसके बदन में कसमसाहट बढ़ रही थी,,,, और सूरज की हथेलियां उसके बदन की हरकत को महसूस करके धीरे-धीरे उसके नितंबों पर कसती चली जा रही थी,,,, यह फल सूरज के साथ-साथ उस औरत के लिए भी बहुत खास था क्योंकि वह लाख चाहने के बावजूद भी अपने आप को सूरज के बाहों से अलग नहीं कर पा रही थी,,, वह औरत पूरी तरह से सूरज के काबू में थी,,,,,, सूरज इसका पूरा फायदा उठा रहा था सूरज जोर जोर से उसकी गांड को मसल रहा था,,,, हालात पूरी तरह से बेकाबू हुए जा रहे थे,,,, देखते ही देखते उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,, और उसकी शिसकारी की आवाज सुनकर,,, सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और वह देखते ही अंधेरे में ही उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,,, और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा सूरज की यह हरकत कुछ प्यासी औरत के लिए जानलेवा साबित हो रही थी उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और सूरज था कि अपनी हरकत को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था,,,।
सूरज हालत की स्थिति को अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि वह इस समय कहां पर है यहां पर समय उसे पर्याप्त मात्रा में मिलने वाला नहीं था इस बात को अच्छी तरह से जानते हुए वह उसे खूबसूरत औरत के होठों का रसपान करते हुए उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा और देखते-देखते वह उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड पर अपनी हथेली रखते ही सूरज एकदम मस्त हो गया उसकी मखमली गांड सूरज को दीवाना बना रही थी,,, और वह भी मदहोश हुए जा रही थी अपनी नंगी गांड पर एक जवान लड़के की हथेली को महसूस करके उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,, इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी की सुहागरात की रात से ही वह प्यासी थी एक औरत होने का सुख से भी प्राप्त नहीं हुआ था मर्द का साथ उसे नहीं मिला था इसीलिए तो वहां सूरज की हरकतों से काम विह्वल हुए जा रही थी और ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई बस इतनाबोली,,,।
कोई आ जाएगा,,,,।
(और उसका यह कहना सूरज के लिए आमंत्रण था क्योंकि अगर उसे सूरज की हरकत पसंद ना होतीतो वह उसे रोकती ,,, उसे अपने पास से हटाती शोर मचाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं कर रही थी और उसकी ख़ामोशी सूरज के लिए खुला आमंत्रण था,,, और उसका यह कहना कि कोई आ जाएगा इस बात को साबित करती थी कि वह भी यही चाहती है बस इस बात से डर लग रही थी कि कहीं कोई देख ना ले और इसीलिए उसका दिलासा उसका हौसला बढ़ाते हुए सूरज बोला,,,)
कोई नहीं आएगा भाभी बाहर अभी भी ढोलक की आवाज आ रही है मतलब नाच गान शुरू है तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,, आज मैं तुम्हें ऐसा सुख दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही सूरज उसकी बा पड़कर उसे गोल घुमा दिया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया ऐसा करने से उसके नितंबों की गोलाई,,, एकदम से उसके जननांग से सट गया और इतनी अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हुआ कि पल भर के लिए तो सूरज को लगा कि कहीं उसका लंड फट न जाए,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी अब वह बला हो चुका था उसके गर्दन पर अपने होंठ रखकर उसकी मदहोशी को बढ़ाते हुए सूरज अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से इसकी चूचियों पर रखकर उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, चुची पर हथेली को रखते ही उसके आकार का एहसास सूरज को होने लगा,,,। उसकी चूचियां शादी होने के बावजूद भी अभी सेंटर के आकार की थी अगर शादी का सही सुख प्राप्त हुआ होता तो शायद उसकी चुचिया खरबूजा हो गई होती,,,,।
सूरज की हरकत बढ़ती जा रही थी,,, ब्लाउज के ऊपर से दबाते दबाते सूरज जल्दबाजी दिखाते हुए उसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,, सूरज की हरकत को देखकर वह बोली,,,।
ब्लाउज मत उतारना,,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी,,, मैं जानता हूं,,,,
मेरा नाम चंदा है,,,,।
तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है चंदा रानी,,,,,,(और ऐसा कहते हुए उसके ब्लाउज के बटन खोलकर उसकी नंगी चूचियों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
और मेरा नाम सूरज है चंदा सूरज हम दोनों की जोड़ी खूबजमेगी,,,,।
(सूरज की बात सुनकर चंदा मुस्कुराने लगे सूरज की हरकत उसे बहुत अच्छी लग रही थी शादी के बाद से उसने ऐसा सुख नहीं प्राप्त किया था इसलिए तो पहली बार में ही वह सूरज की हरकत से मदहोश हुए जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,, सूरज से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि एक हथेली वह उसकी बुर पर रख दिया था जो की पूरी तरह से पानी से चिपचिपी हो गई,,, यह देखकर सूरज बोला,,,)
चंदा रानी तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो,,,।
(सूरज की यह बात सुनकर वह शर्मा गई लेकिन बोली कुछ नहीं और सूरज तुरंत उसकी साड़ी कमर तक उठाए हुए उसे आगे झुकने के लिए बोला वह भी घोड़ी बन गई और देखते ही देखते सूरज ढेर सारा थूक लगाकर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर उसकी बुर का उद्घाटन कर दिया,,,, ऐसा नहीं था कि सूरज के मोटे-मोटे लंड को चला बड़े आराम से अपने अंदर ले ली,,, उसे भी अपनी बुर में लेने के लिए काफी मशक्कत उठानी पड़ी थी लेकिन उसकी चुदवाने की चाहत उसके काम को आसान कर दी थी।
सूरज अपनी कमर हिलता हुआ चंदा रानी के साथ सुहागरात मनाया उसको जी भर कर छोड़ा और उसे भी पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया इसके बाद दोनों आराम से घर के बाहर निकल आए तब तक गाना बजाना हो रहा था और उसके आने के थोड़ी ही देर बाद गाना बजाना बंद हो गया और चंदा की सास सबको थोड़ा-थोड़ा गुड देकर विदा की और चंदा सूरज से वादा ली कि वह उससे मिलने जरूर आएगा,,, और सूरज भी उसी से दोबारा मिलने का वादा कर दिया और फिर सबको लेकर अपने गांव वापस लौट आया,,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सूरज के मजे हो गए सोनू की चाची तो अभी तक नही मिली लेकिन दूसरे गांव की चंदा भाभी जरूर मिल गईदूर से ही जहां पर नाच गाना था वहां का शोर सराबा और उजाला नजर आ रहा था जिसे देखकर सूरज के साथ-साथ बाकी लोग भी प्रसन्न हो गए थे क्योंकि वह लोग अपने स्थान पर पहुंचने वाले थे,,, और जल्दी-जल्दी अपने कदम आगे बढ़ा रहे थे,,, सुनैना भी अपने मन में यही सोच रही थी कि जल्दी से वहां पर पहुंचकर कुछ देर ठहरने के बाद वापस घर लौट आएंगे क्योंकि वह जानती थी कि उनके गांव से अपने गांव की दूरी काफी है और रात का मामला है इसलिए वह ज्यादा देर नहीं करना चाहती थी,,, वैसे तो सूरज साथ में था इसलिए ज्यादा डर तो नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी सुनैना जल्द से जल्द वहां से लौटना चाहती थी,,,,।
रास्ते में जिस तरह की बात गांव की औरतें कर रही थी उसे सुनने के बाद सूरज के पजामे में उसका हथियार करवटें ले रहा था,,, और साथ में थी सोनू की चाची जिसे वह उसे कहीं घर पर पेशाब करते हुए देख चुका थाउसकी नंगी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसे समय भी सूरज का लंड एकदम से खड़ा हो चुका था ईस समय भी सोनू की चाची के बारे में सोचकर उसका लंड अंगडाई ले रहा था,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसकी आंखों के सामने सोने की चाची अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो जाने की तो कैसी दिखाई देगी थोड़ा भारी भरकम शरीर होने के बावजूद भी निश्चित तौर पर वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से काम नहीं लगेगी ,, यही सब सूरज अपने मन में सोच रहा था,,,,। क्योंकि आप उसका झूकाव सोनू की चाची की तरफ था,,, और दोनों के बीच काफी हद तक बातचीत भी हो चुकी थी भले ही ज्यादा खुलकर न हुई हो लेकिन फिर भी किसी औरत के साथ कोई भी मर्द अगर थोड़ी बहुत बात कर लेता है तो उसका आत्मविश्वास साथी आसमान पर पहुंच जाता है और यही सूरज के साथ भी था सूरज को न जाने क्यों अपने आप पर विश्वास था कि अगर वह सोनू की चाची के साथ कुछ ऐसा वैसा करता है तो सोनू की चाची बुरा नहीं मांनेगी और ना ही किसी से कुछ कहेगी,,,।
यही सब सोचते हुए सभी लोग शर्मा जी के घर पहुंच चुके थे,,,। वहां पर पहुंचते ही वहां के लोगों ने अच्छी तरह से स्वागत किया सबको एक साथ बैठाया मिठाई नाश्ता कराया,,,, बाकी की औरतें तो औरतों के साथ बैठकर गाना गाने में लग गई और सूरज एक तरफ कुर्सी पर बैठकर उन लोगों को देखने लगा,,,, सूरज की नजर तो वहां की औरतों पर ही थी जो की चारों तरफ चार-पांच लालटेन चल रही थी जिसे उजाले में हुआ औरतें एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, उनमें से कुछ औरतें उठकर नाच रही थी ढोलक की टहल पर ताल मिला नहीं थी अपनी कमर लचका रही थी और सूरज की नज़र उनकी लचक्ति हुई कमर के साथ-साथ उनकी गोलाकार गांड पर टिकी हुई जो कि थिरकन ले रही थी तो उसके लंड की हालत खराब हो रही थी,,,,,,।
तभी उनमें से कुछ औरतें सोनू की चाची को नाचने के लिए बोलने लगी सोनू की चाची तो जैसे नाचने के लिए तैयार ही थी बस किसी के बोलने का इंतजार ही कर रही थी वह तुरंत उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होते ही गांव की औरतें जोर-जोर से आवाज करने लगी और सोनू की चाची अपनी गांड मटकते लगी हाथ ऊपर उठकर वह अपनी कमर हिला रही थी जिसके साथ-साथ उसकी भारी भरकम गांड भी हवा में लहरा रही थी जिसे देखकर सूरज की हालत एकदम से खराब हो रही थी,,,, सूरज अपनी मन में यही सोच रहा था कि काश यह सब औरतें अगर सारे कपड़े उतार कर नाचने लगती तो कितना मजा आता इतनी सारी औरतों का नंगा नाच देख कर उसकी काम शक्ति और ज्यादा बढ़ जाती,,,।
सूरज अपने मन में यही सब सो रहा था कि तभी एक खूबसूरत नव विवाहित औरत और ऐसा लग रहा था कि अभी ठीक से औरत बनी भी नहीं थी उसकी शादी के दो-तीन साली हुए थे लेकिन अभी उसके चेहरे से भोलापन साफ दिखाई दे रहा था वह अपने हाथ में एक बड़ा सा थाल लेकर आई जिसमें ढेर सारे मिट्टी के कुल्हड़ रखे हुए थे और कूल्हड में मिठाई रखी हुई थी,,,, जिसे वह वहां बेठी सभी औरतों में बांटने के लिए हि लाई थी,,,, वह खूबसूरत औरत आधा घूंघट की हुई थी जिसे देखकर सूरज समझ गया था कि अभी यह नहीं नहीं शादी करके बहू बनकर आई है,,,, पतला शरीर था लेकिन छरहरा सुडोल,,, एकदम मदहोश कर देने वाली काया जिसे सूरज देखता ही रह गया,,, वह एक-एक करके औरतों को मिठाई का कुल्हड थमा रही थी,,,, वह ठीक सूरज की आंखों के सामने झुक झुक कर सबको मिठाई हमारे थे और उसके झुकाने की वजह से उसके नितंबों का घेराव एक अद्भुत आकार ले ले रहा था जिसे देख कर सूरज पूरी तरह से उसकी जवानी में डूबता चला जा रहा था,,,,।
सूरज किसी भी तरह से उससे बात करना चाहता था उसके बारे में जानना चाहता था,,, लेकिन बात की शुरुआत कैसे करें उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, और फिर एकाएक उसके दिमाग में युक्ति आई और वह तुरंत अपनी जगह से उठकर खड़ा हुआ और सीधे उसके पास क्या और उसके हाथ से थाल को लेते हुए बोला,,,।
आप रहने दीजिए भाभी मैं बाट देता हूं,,,,।
(सूरज की हरकत पर वह उसे एक तक देखने लगी उसे पहचानने की कोशिश करने लगी कि आखिरकार यह लड़का है कौन लेकिन लाख कोशिशें के बावजूद भी वह समझ नहीं पाई कि यह लड़का है कौन ,, और वह उसे देखते ही रह गई क्योंकि वहां बड़े अच्छे से सबको मिठाई दे रहा है उसके काम को पूरा कर रहा था और वह आगे घूंघट में वही खड़ी सूरज को देखते रह गई सूरज अपना काम खत्म करने के बाद मुझको बाबा उसके पास आया और बोला,,,)
लीजिए भाभी,,, मैंने आपका काम पूरा कर दिया,,,।
काम तो पूरा कर दिए हो लेकिन हो तुम मैं तुम्हें पहचान नहीं पा रही हूं,,,।
कैसे पहचानोगी भाभी मैं तुम्हारे पड़ोस के गांव का हूं,,,।
ओहहह तभी तो मैं सोची कि मैं तुम्हें पहचान क्यों नहीं पा रही हूं लेकिन इस तरह से मदद करने की क्या जरूरत थी,,,।
अरे क्या बात करती हो भाभी मेरे रहते हुए कोई इस तरह का काम करें मुझे अच्छा नहीं लगता अगर मैं नहीं रहता तो शायद इस तरह का तुम काम करती तो कोई बात नहीं थी,,, लेकिन मेरे होते हुए मैं यह नहीं करने दूंगा और मैं कब से देख रहा हूं कि तुम इधर-उधर भाग-भाग कर सारे काम कर रही हो और तुम्हारा कोई साथ देने वाला नहीं है,,,,, वैसे भैया कहां है उन्हें तो तुम्हारा हाथ बंटाना चाहिए,,,,(सूरज जानबूझकर इस तरह की बातें कर रहा था वह एक तरह से अपनी बातों में उसको उलझा रहा था और बात ही बात में उसके पति के बारे में पूछ कर वह तसल्ली करना चाहता था कि उसका पति वहां साथ में है या नहीं,,,,, और उसकी बात सुनकर उसके चेहरे पर एकदम से उदासी छा गई और वह उदास मन से बोली,,,)
कहां गए हैं पता नहीं,,,!
पता नहीं,,,, अरे ऐसा कैसे हो सकता है कहीं तो गए होंगे कमाने गए होंगे रिश्तेदार के वहां गए होंगे कुछ तो बता कर गए होंगे,,,,
कुछ भी पता करने के शादी के 1 महीने बाद ही बस इतना कह कर गए थे कि जल्दी लौट आऊंगा और आज तक नहीं आए और शादी के 3 साल हो गए हैं,,,।
(उसे औरत की बात सुनकर सूरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,,, क्योंकि उसका पति वहां मौजूद नहीं था और शादी के 1 महीने बाद ही वह घर से निकल गया था इसका मतलब साफ था कि 3 साल से उसे शरीर सुख नहीं मिला था अगर मिल भी होगा तो चोरी-छिपे किसी और के साथ,,,, लेकिन चूचियों की स्थिति को देखकर लगता नहीं था की शादी के बाद किसी और मर्द ने इतनी खूबसूरत बदन का उपभोग किया हो वरना बदन का सांचा बदल गया होता,,,। उसकी बात सुनकर अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए सूरज एकदम से बोला,,,)
क्या बात कर रही हो भाभी कोई इतना कठोर कैसे हो सकता है और वह भी शादी के 1 महीने बाद ही,,,, इतने में तो विवाहित जीवन का सुख भी ठीक तरह से नहीं मिल पाता,,,,(सूरज के कहने का मतलब कुछ और था और वह सूरज के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ भी रही थी इसलिए तो उसकी बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म के भाव साफ नजर आने लगे,,, और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
देखो बुरा मत मानना भाभी मैं तो सब कहूंगा भैया को तुम्हारी कोई कदर नहीं थी तभी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां चले गए,,,,(सूरज की बातों में उसे औरत के लिए सहानुभूति भी थी उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी और वह औरत सूरज की बातों को समझ भी रही थी और अपने लिए खूबसूरती की तारीफ के शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर प्रसन्न भी हो रही थी,,,,, इसलिए वह भी खुश होते हुए बोली,,,,।)
चलो जाने दो जैसी मेरी किस्मत,,,, लेकिन तुम कुछ क्यों नहीं खा रहे हो,,,,,।
नहीं नहीं मेरा चल जाएगा,,,,।
अरे ऐसे कैसे भाभी रहते हो और भाभी की बात भी नहीं मानते रुको मैं तुम्हारे लिए मिठाई लेकर आती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह मिठाई लेने के लिए चली गई और सूरज मैन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि बहुत ही जल्द वह दूसरे गांव की भाभी को लाइन पर ले आया था और जब तक वह आती तब तक वह फिर से नाच देखने लगा लेकिन इस बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां खड़ी होकर नाच रही थी और अपनी कमर हिला रही थी कमर के साथ-साथ वह अपनी बड़ी-बड़ी गांड भी ला रही थी जिसे देखकर सूरज के तन बदन में आग लगने लगी पहली बार वह अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था उसके बदन के लचक को देख रहा था,,, उसके खूबसूरत अंगों के मरोड को देख रहा था वह ढोलक की ताल पड़ताल मिलकर नाच रही थी और ऐसा करते हुए उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में उछाल रही थी मानो अभी ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएंगे जब अपने हाथ को कमर पर रखकर रेखाओं पर करके अपनी कमर हिलती थी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा नृत्य कर रही हो,,,।
अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों का उछाल उसकी बड़ी-बड़ी गांड की थिरकन को देखकर ,,, सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,, सूरज पहली बार अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था और गांव की सभी औरतें उसकी मां का नाच देख कर बहुत खुश हो रही थी और कुछ औरतें तो सुनैना का साथ देते हुए उठकर खड़ी हो गई थी और नाच रही थी यह सब सूरज के लिए बेहद उन्मादकता भरा दृश्य बनता जा रहा था,,,, सूरज का मन तो कर रहा था किसी समय सभी औरतों के बीच घुस जाए और अपनी मां की साड़ी उठाकर सबकी आंखों के सामने ही उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर उसकी चुदाई करते लेकिन यह सिर्फ दिमाग की सोच ही थी इस पर खड़ा उतरना उसके बस में क्या किसी भी शरीफ मर्द के बस में नहीं था,,,,।
अभी यह सब चल ही रहा था कि तभी वह औरत अपनी हथेली में मिठाई लेकर आई,,, और इस बार सूरज के पास नहीं आई बल्कि दूर से ही उसकी आवाज देकर बुलाने लेकिन उसका नाम तो उसे मालूम नहीं था इसलिए समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आवाज दे लेकिन तभी एक छोटे बच्चों को सूरज के पास भेजी और उसे अपने पास बुलाई,,,, सूरज तो एकदम खुश हो गया और सबसे ज्यादा खुशी उसकी दोनों टांगों के बीच हो रही थी क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था कि आज उसका जुगाड़ बन गया है,,,,,।
सूरज के मन में उसे औरत के प्रति गंदी भावना उमड़ रही थी लेकिन उसे औरत के मन में सूरज के प्रति ऐसा कुछ भी नहीं था बस न जाने क्यों सूरज की बातों से उसका मन हल्का हो रहा था और सूरज के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज तक उसके जैसी मीठी बातें करने वाला कोई नहीं मिला था जो उसकी फिक्र करें उसकी बातों को समझे लेकिन कुछ ही देर में सूरज ने उसके मन पर काबू कर लिया था,,,,,।
सूरज उसका इशारा पातें ही उसके पास पहुंच गया था जहां पर थोड़ा अंधेरा था,,,,,, बाकी सब लोगों का ध्यान औरतों के नाच पर ही था,,,, एक कुर्सी पर सूरज बैठ गया था और उसके बगल में ही वह औरत खड़ी थी जिसे सूरज भाभी के संबोधन कर रहा था वह औरत अपनी हथेली सूरज की आंखों के सामने खोलकर उसे मुस्कुराते हुए मिठाई देने लगी सूरज भी उसमें से एक लड्डू उठाकर खाने लगा और बिल्कुल भी देर किए बिना दूसरा लड्डू उसकी हथेली से उठाकर उसकी तरफ आगे बढ़ा दिया और उसे खाने के लिए बोला तो वह मुस्कुराकर इनकार करने लगी उसकी मुस्कुराहट में एक अजीब आकर्षण था जिसमें सूरज पूरी तरह से खोने लगा था और इस मौके को गवाही बिना बात जल्दी से कुर्सी पर सूट कर खड़ा हुआ और लड्डू को सीधा उसके हल-लाल होठों पर लगा दिया,,,,, वह ना ना करने लगी,,,, लेकिन जैसे तैसे करके सूरज जबरदस्ती उसे लड्डू को उसके मुंह में डाल दिया और वह भी मुस्कुराते हुए खाने लगी,,,,।
वह भावना की प्यासी थी प्यार की प्यासी थी सूरज के द्वारा इस तरह की जबरदस्ती देख कर उसकी आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि आज तक ऐसा व्यवहार उसके साथ किसी ने नहीं किया था क्योंकि सबको ऐसा ही लगता था कि उसके आने से ही घर का बेटा घर छोड़कर चला गया था,,,, जबकि इस बात की हकीकत को केवल वही जानती थी यह बात वह राज ही रखी थी कि उसका पति औरत को शरीर सुख नहीं दे सकता और इसीलिए वह घर छोड़कर चला गया था,,,,, लेकिन वह संस्कारी औरत थी उसके घर की स्थिति ठीक नहीं थी और यह कारण देकर अपने मायके चले जाना कि उसका पति नामर्द है यह बात उसे गवारा नहीं थी क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि अगर कोई यहां बात सुनता तो यही कहता कि इसे चुदवाने का शौक है तभी अपने पति को छोड़ दी,,,।
कुछ ही देर में दोनों में बहुत सारी बातें हो गई दोनों हंस-हंसकर एक दूसरे से बातें कर रहे थे लेकिन किसी का भी ध्यान दोनों की तरफ नहीं था,,,, तभी सूरज को पेशाब लगी और वहकुछ देर के लिए वहां से उठकर दूसरी तरफ चला गया,,, और इतने में ही उसकी सास उसे आवाज लगाते हुए बोली,,,।
बहु,,,,, जरा अच्छा लेकर आना कुछ देर और नाच गाना चलेगा फिर सबको बांटना है,,,,।
(अपनी सास की बात सुनकर वह बोली)
जी माजी अभी लेकर आती हूं,,,,,।
(और उसकी इस बात को सूरज भी सुन लिया था और जल्दी से पेशाब करने के बाद तुरंत वह उसऔरत के पास आया और बोला,,,)
मैं भी चलता हूं भाभी तुम्हारी मदद हो जाएगी,,,।
मैं भी तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,।
ठीक है फिर चलो,,,,।
(इतना कहते हैं दोनों घर के अंदर प्रवेश करने लगे घर में चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था बस हल्की हल्की चांदनी रात होने की वजह से उसकी रोशनी में दोनों आगे बढ़ रहे थे कि तभी उसे औरत को हर किसी ठोकर लगी और गिरने को भी लेकिन तभी एकदम फुर्ती दिखाता हुआ सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी कमर में अपना हाथ डालकर उसे एकदम से संभाल लिया और बोला,,,)
संभाल कर भाभी काफी अंधेरा है,,,,।
(वह संभल तो गई थी लेकिन जिस तरह से सूरज ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे संभाला था वह एकदम से मदहोश हो गई थी बरसो बाद किसी मर्द कहां तो उसकी खूबसूरत बदन पर पड़ रहा था और वह भी उसकी कमर पर ,,,वह एकदम से झनझना गई थी,,,,, वह संभल गई थी और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पर देखते ही देखते दोनों उसे कमरे में आ गए थे जहां पर अच्छा रखा हुआ था लेकिन अच्छा थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था वह अंधेरे में इधर-उधर सीढ़ी ढूंढ रही थी लेकिन सीढ़ी उसे मिला नहीं,,, तो वह एकदम से परेशान होते हुए बोली,,,)
हाय दइया अब क्या होगा इधर तो सीढ़ी ही नहीं है ना जाने किसने कहां रख दी है,,,,।
तो क्या हो गया भाभी मैं हूं ना मैं तुम्हें उठा देता हूं तुम गुड निकाल लो जितना निकालना है,,,,।
(सूरज की बात सुनते ही उसे औरत के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी और वह भी मुस्कुराते हुए बोली)
क्या तुम मुझे उठा लोगे,,,,।
(उसकी बात में आमंत्रण था बरसों की प्यास उसके होठों पर आ चुकी थी वह इशारे ही इशारे में अपने मन की भावनाओं को अपने होठों पर ला दी थी वरना अगर वह बरसों की प्यासी ना होती तो इस तरह से कभी भी सूरज की बात नहीं मानती उसकी बात सुनते ही सूरज बोला,,,)
क्यों नहीं भाभी तुम्हारा वजन ज्यादा थोड़ी है मैं बड़ी आराम से तुम्हें उठा लूंगा,,,,(और इतना कहते हैं वह दूसरी तरफ ठीक उसके सामने खड़ा हो गया दोनों का मुंह एक दूसरे के सामने था और सूरज धीरे से नीचे झुका और अपनी बाहों का घेरा उसके नितंबों के नीचे बनाता हुआ उसे उठाने लगा उसके नितंबों का घेराव काफी सुडौल था बेहद उन्नत इसलिए सूरज के लिए उसके नितंबों का उठाव और घेराव मानो किसी बड़ी नाव को काबू में करने के लिए लंगर का काम कर रहे थे उसकी बाहों के घेरे में वह खूबसूरत औरत एकदम से टिक गई थी,,,,, सूरज उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठने लगा वह थोड़ा घबरा रही थी और अपने दोनों हाथ को उसके कंधों पर रख दी थी,,,, उस औरत का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि एक अनजान नौजवान लड़के का हाथ उसकी गांड के ऊपर टिका हुआ था,,,,।
उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ रही थी और सूरज की भी हालत खराब थी,,, क्योंकि वह एक खूबसूरत कमनीय काया वाली भाभी को अपनी गोद में उठाया हुआ था,,,,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था देखते ही देखते सूरज उसे एकदम ऊपर उठा दिया था और वह बड़े आराम से गुड़ के पास पहुंच चुकी थी और वह धीरे-धीरे एक थैली में गुड भर रही थी और जब ढेर सारा गुड़ थैली में भर ली तो बोली,,,)
अब मुझे नीचे उतारो,,,,
क्यों क्या हुआ हो गया,,,!
हांहो गया,,,
लेकिन मैं अभी भी तुम्हें दो-तीन घंटे तक इसी तरह से उठा सकता हूं,,,,।
अरे हां बाबा तुम्हारी भुजाओं के बल को मैं देख ली हूं,,, अब मुझे नीचे उतारो,,,।
ठीक है भाभी जैसी तुम्हारी मर्जी,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही सूरज उसे धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा वह जानता था कि उसके पैजामे में तंबू बना हुआ है और जैसे ही वह उसे पूरी तरह से नीचे उतरेगा ऐसे में उसके पजामे में बना तंबू सीधे उसकी बुर पर दस्तक देने लगेगा और इसी पल का सूरज को बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते सूरज से नीचे उतरने लगा उसके पर एकदम से जमीन पर आ गए लेकिन इस बीच वह उसको अपने बदन से एकदम सटाए हुए था,,,, और जैसा वह चाहता था वैसा ही हुआ उसकी कमर पर हाथ रखे हुए वह उसे अपने बदन से सटाया था और ऐसे में उसके पजामे बना तंबू
एकदम से उसकी टांगों के बीचों बीच उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर दस्तक देने लगा,,, और उसे औरत को तुरंत अपने कामों के बीच अपनी बर पर कठोर चीज की चुभन महसूस होने लगी,,, शादीशुदा होने के नाते उसे बिल्कुल भी देर नहीं लगी उसे चुभन को पहचानने में वह समझ गई की जो उसकी टांगों के बीच सीधा उसकी बुर पर दस्तक दे रहा है यह उसे जवान लड़के का लंड है वह एकदम से मदहोश हो गई,,,,।
उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा उसके बदन में मदहोशी छाने लगी और सूरज उसकी कमर पर हाथ रखे हुए उसे अपनी तरफ सटाया हुआ था,,, इस एहसास को महसूस करके उसकी बोलनी एकदम से बंद हो गई थी और वह इस एहसास में पूरी तरह से होने लगी थी जब किसी भी तरह की हलचल उसके बदन से महसूस नहीं हुई तो सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और सूरज धीरे से अपने दोनों हथेलियां को,,,, उसके गोलाकार नितंबों पर रख दिया एक अजनबी जवान लड़के की हथेली को अपनी गांड पर महसूस करते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,, उसकी मां से गहरी सांस निकलने लगी,,, मदहोशी उसके पूरे बदन पर छाने लगी,,, शादी की पहली रात से ही वह प्यासी थी सुहागरात का सुख नहीं हो पाई थी एक मर्द का सुख से कभी प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए एक जवान मर्द की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते ही उसमें चुदास की लहर फैलने लगी,, ।
उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था,,,, उसके बदन में कसमसाहट बढ़ रही थी,,,, और सूरज की हथेलियां उसके बदन की हरकत को महसूस करके धीरे-धीरे उसके नितंबों पर कसती चली जा रही थी,,,, यह फल सूरज के साथ-साथ उस औरत के लिए भी बहुत खास था क्योंकि वह लाख चाहने के बावजूद भी अपने आप को सूरज के बाहों से अलग नहीं कर पा रही थी,,, वह औरत पूरी तरह से सूरज के काबू में थी,,,,,, सूरज इसका पूरा फायदा उठा रहा था सूरज जोर जोर से उसकी गांड को मसल रहा था,,,, हालात पूरी तरह से बेकाबू हुए जा रहे थे,,,, देखते ही देखते उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,, और उसकी शिसकारी की आवाज सुनकर,,, सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और वह देखते ही अंधेरे में ही उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,,, और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा सूरज की यह हरकत कुछ प्यासी औरत के लिए जानलेवा साबित हो रही थी उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और सूरज था कि अपनी हरकत को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था,,,।
सूरज हालत की स्थिति को अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि वह इस समय कहां पर है यहां पर समय उसे पर्याप्त मात्रा में मिलने वाला नहीं था इस बात को अच्छी तरह से जानते हुए वह उसे खूबसूरत औरत के होठों का रसपान करते हुए उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा और देखते-देखते वह उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड पर अपनी हथेली रखते ही सूरज एकदम मस्त हो गया उसकी मखमली गांड सूरज को दीवाना बना रही थी,,, और वह भी मदहोश हुए जा रही थी अपनी नंगी गांड पर एक जवान लड़के की हथेली को महसूस करके उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,, इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी की सुहागरात की रात से ही वह प्यासी थी एक औरत होने का सुख से भी प्राप्त नहीं हुआ था मर्द का साथ उसे नहीं मिला था इसीलिए तो वहां सूरज की हरकतों से काम विह्वल हुए जा रही थी और ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई बस इतनाबोली,,,।
कोई आ जाएगा,,,,।
(और उसका यह कहना सूरज के लिए आमंत्रण था क्योंकि अगर उसे सूरज की हरकत पसंद ना होतीतो वह उसे रोकती ,,, उसे अपने पास से हटाती शोर मचाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं कर रही थी और उसकी ख़ामोशी सूरज के लिए खुला आमंत्रण था,,, और उसका यह कहना कि कोई आ जाएगा इस बात को साबित करती थी कि वह भी यही चाहती है बस इस बात से डर लग रही थी कि कहीं कोई देख ना ले और इसीलिए उसका दिलासा उसका हौसला बढ़ाते हुए सूरज बोला,,,)
कोई नहीं आएगा भाभी बाहर अभी भी ढोलक की आवाज आ रही है मतलब नाच गान शुरू है तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,, आज मैं तुम्हें ऐसा सुख दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही सूरज उसकी बा पड़कर उसे गोल घुमा दिया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया ऐसा करने से उसके नितंबों की गोलाई,,, एकदम से उसके जननांग से सट गया और इतनी अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हुआ कि पल भर के लिए तो सूरज को लगा कि कहीं उसका लंड फट न जाए,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी अब वह बला हो चुका था उसके गर्दन पर अपने होंठ रखकर उसकी मदहोशी को बढ़ाते हुए सूरज अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से इसकी चूचियों पर रखकर उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, चुची पर हथेली को रखते ही उसके आकार का एहसास सूरज को होने लगा,,,। उसकी चूचियां शादी होने के बावजूद भी अभी सेंटर के आकार की थी अगर शादी का सही सुख प्राप्त हुआ होता तो शायद उसकी चुचिया खरबूजा हो गई होती,,,,।
सूरज की हरकत बढ़ती जा रही थी,,, ब्लाउज के ऊपर से दबाते दबाते सूरज जल्दबाजी दिखाते हुए उसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,, सूरज की हरकत को देखकर वह बोली,,,।
ब्लाउज मत उतारना,,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी,,, मैं जानता हूं,,,,
मेरा नाम चंदा है,,,,।
तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है चंदा रानी,,,,,,(और ऐसा कहते हुए उसके ब्लाउज के बटन खोलकर उसकी नंगी चूचियों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
और मेरा नाम सूरज है चंदा सूरज हम दोनों की जोड़ी खूबजमेगी,,,,।
(सूरज की बात सुनकर चंदा मुस्कुराने लगे सूरज की हरकत उसे बहुत अच्छी लग रही थी शादी के बाद से उसने ऐसा सुख नहीं प्राप्त किया था इसलिए तो पहली बार में ही वह सूरज की हरकत से मदहोश हुए जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,, सूरज से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि एक हथेली वह उसकी बुर पर रख दिया था जो की पूरी तरह से पानी से चिपचिपी हो गई,,, यह देखकर सूरज बोला,,,)
चंदा रानी तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो,,,।
(सूरज की यह बात सुनकर वह शर्मा गई लेकिन बोली कुछ नहीं और सूरज तुरंत उसकी साड़ी कमर तक उठाए हुए उसे आगे झुकने के लिए बोला वह भी घोड़ी बन गई और देखते ही देखते सूरज ढेर सारा थूक लगाकर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर उसकी बुर का उद्घाटन कर दिया,,,, ऐसा नहीं था कि सूरज के मोटे-मोटे लंड को चला बड़े आराम से अपने अंदर ले ली,,, उसे भी अपनी बुर में लेने के लिए काफी मशक्कत उठानी पड़ी थी लेकिन उसकी चुदवाने की चाहत उसके काम को आसान कर दी थी।
सूरज अपनी कमर हिलता हुआ चंदा रानी के साथ सुहागरात मनाया उसको जी भर कर छोड़ा और उसे भी पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया इसके बाद दोनों आराम से घर के बाहर निकल आए तब तक गाना बजाना हो रहा था और उसके आने के थोड़ी ही देर बाद गाना बजाना बंद हो गया और चंदा की सास सबको थोड़ा-थोड़ा गुड देकर विदा की और चंदा सूरज से वादा ली कि वह उससे मिलने जरूर आएगा,,, और सूरज भी उसी से दोबारा मिलने का वादा कर दिया और फिर सबको लेकर अपने गांव वापस लौट आया,,,,।