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Incest पहाडी मौसम

rohi_sharma8816

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सूरज आज बहुत खुश था क्योंकि आम के बगीचे से आम चुरा कर लाने का मजा ही कुछ और होता है और उसने तो आज पूरा बगीचा ही लूट लिया था और वह भी अपनी बहन के साथ मिलकर,,,,,, घर के बाहर खटिया गिरा कर वह बैठा हुआ था,,,, वह अपनी बहन के साथ मत कर जिस तरह आम के बगीचे से आम लुट लाया था,,, वह अपनी इस शौर्य गाथा के बारे में सोच-सोच कर मन ही मन खुश हो रहा था,,, लेकिन तभी उसे बगीचे के मालिक की गंदी-गंदी गाली याद आने लगी ,, जो कि उसे बगीचे से भाग निकलने की अफरातफरी में भी वह उस गाली को साफ़-साफ़ सुन पा रहा था,,,, तेरी मां की भोसड़ी में लंड डाल दूंगा,,,,,, वैसे तो यह गली उसके लिए नई नहीं थी गांव में अक्सर वह एक दूसरे को इस तरह की गंदी-गंदी गालियां देते सुनता आ रहा था,,,,, इसलिए वह इसका मतलब तो अच्छी तरह से जानता था कि यह गाली किस किस्म की है,,, सूरज पूरी तरह से जवान हो चुका था इसलिए जानता था कि यह गाली सीधे तौर पर उसकी मां को चोदने के लिए ही थी,,, और यह ख्याल उसके मन में आते ही उसके चेहरे पर क्रोध के भाव साफ झलकने लगे अगर कोई और समय होता तो,,, वह जरूर उसे बगीचे के मालिक का मुंह तोड़ देता लेकिन उसे समय ऐसा करना उसके लिए बिल्कुल भी उचित नहीं था क्योंकि जरुरत से ज्यादा उसने आम तोड़ लिए थे और वहां से निकल जाना ही मुनासिब था,,,,।

बगीचे के मालिक के बारे में सोचते सोचते सूरज वहीं खटिया पर लेट गया और बगीचे के मालिक के द्वारा दी गई गाली के बारे में बड़े विस्तार से सोचने लगा,,,, वह अपने मन में एक-एक शब्द को स्पष्ट कर रहा था तेरी मां की भोंसड़ी में लंड डाल दूंगा और विचार करने लगा कि लंड तो उसके पास है जिसे वह रोज ही देखता है और अपने हाथ में लेकर पकड़ता भी है,,,, और इसलिए लंड से वह पूरी तरह से मुखातिब था,,, और भोसड़ी शब्द पर वह विचार करने लगा कि औरत की दोनों टांगों के बीच ही यह अंग होता है जिसे भोसड़ी और बुर कहा जाता है,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि मर्द अपने लंड को औरत की बुर में डालता है जिसे साफ तौर पर चोदना भी कहते हैं,,, इन सब को जानने के बावजूद भी सूरज अभी तक औरत की बुर अपनी आंखों से देखा नहीं था वह अच्छी तरह से जानता था की औरतों ने लड़कियों के पास बुर होती है जिससे मर्द मजा लेते हैं लेकिन आज तक उसे अपनी आंखों से देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए वह बुर के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था वह नहीं जानता था कि औरत की बुर दिखती कैसी है,,,, एक सुलझा हुआ लड़का होने के बावजूद भी,,, कभी-कभी उसके मन में बुर के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती थी लेकिन उसे जानने का सौभाग्य उसे प्राप्त नहीं हो पा रहा था,,, और इसमें कोई सूरज को हर्ज भी नहीं था वह बड़ी मस्ती से अपने आप में ही मगन रहता था बस कभी-कभार ही उसके मन में इस तरह की उत्सुकता बढ़ जाती थी वह अपने ख्यालों में ही खाया था कि तभी उसके कानों में आवाज आई,,,,।

अरे सूरज,,,, खाना बन गया है जरा अपने पिताजी को तो बुला कर ले आ दिन भर न जाने कहां-कहां घूमते रहते हैं घर की तो जरा भी फिक्र ही नहीं है,,,,


ठीक है मां,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज खटिया पर से उठकर बैठ गया और इधर-उधर देखने लगा धीरे-धीरे अंधेरा गहराने लगा था,,, वह धीरे से खटिया पर से उठा और,,, पास में पड़ा बड़ा सा डंडा अपने हाथ में ले लिया,,, वैसे अंधेरा होते ही सूरज की आदत थी कि जब कभी भी कहीं भी जाता था तो उसके हाथ में एक बड़ा सा दंडा जरूर होता था क्योंकि खेतों में सियार आर और कुत्तों का डर बना रहता था,,,, सूरज अच्छी तरह जानता था कि उसके पिताजी कहां मिलेंगे इसलिए भाई सीधा चलता हुआ गांव के नुक्कड़ पर पहुंच गया जहां समोसे और जलेबियां मिलती थी और साथ में देसी शराब भी मिलती थी और वह जानता था कि उसके पिताजी भी शराब पीते थे,,,, थोड़ी देर में टहलता हुआ सूरज नुक्कड़ पर पहुंच गया जहां पर दो-चार आदमी अभी भी बैठे हुए थे और शराब पी रहे थे और साथ में समोसे और जलेबियों का लुफ्त भी उठा रहे थे,,,, उन लोगों में बैठे हुए दो लोग सूरज के गांव के ही थे इसलिए सूरज उनके पास जाकर बोला,,,)

अरे चाचा पिताजी को देखे हो क्या,,,,?

नहीं रे आज तो,,,,,,वह दिखाई नहीं दिया वरना हम लोगों के साथ ही बैठ कर पीता,,,,,,

क्या कह रहे हो चाचा आज सुबह से पिताजी नहीं दिखाई दीए,,,,

अरे सच कह रहा हूं,,,,

पता नहीं कहां गए होंगे,,,(उसकी बात सुनकर सूरज अपने आप से ही बड़बड़ाते हुए बोला,,,, और इतना कहकर वह चलने हीं वाला था कि तभी,,, उसे पीछे से आवाज आई,,,)

अरे सूरज,,,,,(इतना सुनते ही सूरज पीछे मुड़कर देखने लगा तो पास में ही उसके गांव के ही हैंडपंप चला कर अपना हाथ-पोड हो रहे थे उसकी बात सुनकर सूरज रुक गया और वह अपना हाथ पैर धोकर गमछे से अपना मुंह पोछते हुए बोला,,,)

अरे पन्ना भैया को तुम्हें मुखिया के खेत में काम करते हुए देखा था वही होंगे,,,,

मुखिया के खेत में इस समय,,,,,(उस आदमी की बात सुनकर सूरज धीरे से बोला,,,,)

हां सूरज वही तेरे पिताजी होंगे,,,


ठीक है चाचा जाकर देख लेता हूं,,,,।

(पन्ना सूरज के पिताजी का नाम था और वह मुखिया के खेतों में काम करके पालन पोषण में मदद किया करता था,,, मुखिया से खेतों में काम करने के आवाज में कुछ पैसे और अनाज भी मिल जाया करता था जिसमें बड़े आराम से उसके परिवार का गुजारा हो रहा था,,,, सूरज जानता था कि कभी कबार उसके पिताजी देर रात तक खेतों में काम किया करते थे इसलिए उसे बिल्कुल भी अजीब नहीं लगा लेकिन जब भी देर तक काम करना होता था तो घर पर बता देते थे लेकिन फिर भी निश्चिंत होकर सूरज हाथ में बड़ा सा डंडा लिए इधर-उधर फटकारता हुआ खेतों की तरफ निकल गया,,,,,,।

मौसम बड़ा की सुहावना था ठंडी ठंडी हवा चल रही थी,,, जैसे-जैसे रात बढ रही थी वैसे-वैसे आसमान में तारों का झुरमुट एकदम साफ दिखाई देने लगा था रास्ते में चलते समय गांव की औरतें सूरज को दिखाई दे रही थी जो कि कुछ औरतें मैदान की तरफ जा रही थी और कुछ औरतें मैदान से वापस आ रही थी शाम ढलने के बाद जैसे-जैसे अंधेरा होने लगता था वैसे-वैसे गांव की औरतें सौच करने के लिए मैदान की तरफ जाया करती थी,,,, औरतों के लिए यही समय ठीक भी रहता था क्योंकि दिन में किसी के द्वारा देखे जाने का डर बना रहता था इसलिए शर्म के मारे बहुत सी औरतें दिन के उजाले में नहीं जाती थी और अगर जाना पड़ जाता था तो जंगली झाड़ियां के बीच जाकर बैठना पड़ता था और ऐसे में सांप और बिच्छू का डर भी बना रहता था और जैसे ही अंधेरा होता था वैसे ही गांव की औरतें झुंड बनाकर मैदान की तरफ निकल जाया करती थी सौच करने,,, और ऐसे में गांव की कुछ मनचले लड़के चोरी छिपे गांव की औरतों को सौच करते हुए देखकर मस्त होते थे,,,।

मैदान के बीचों बीच छोटी-मोटी झाड़ियां के पास खड़ी होकर अपनी साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक उठाना और फिर इधर-उधर देखना और फिर धीरे से बैठ जाना यह सब देखकर गांव के लड़के पूरी तरह से पागल हो जाते थे क्योंकि जब वह अपनी साड़ी को धीरे-धीरे उठाकर कमर तक लाती थी तब उनकी गोलाकार उभरी हुई गांड लड़कों के मुंह में पानी ला देती थी,,, गांव के लड़कों के लिए यह नजारा किसी स्वर्ग के नजारे से काम नहीं था औरतों की गोल-गोल गांड देखना हर मर्द का सपना होता है इसलिए दुनिया का हर मर्द किसी न किसी तरीके से औरतों के नंगेपन को देखने की कोशिश करता ही है,,,,, जिससे उन्हें काफी उत्तेजना का एहसास भी होता है और फिर अपनी जवानी को अपने हाथों से निकाल कर संतुष्ट हो जाते थे,,,,,,।

और यही कार्य गांव के लड़के भी करते रहते थे,,, औरतों की गोल गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर लड़कों का लंड खड़ा हो जाता था,,, कभी कभार लड़के उन औरतों के इतने करीब छुप जाते थे कि उन औरतों के पेशाब करते समय उनके बुरे से निकलने वाली सिटी की मधुर आवाज उनके कानों में पड़ जाती थी और उसे मधुर संगीत को सुनकर लड़के इतना मस्त हो जाते थे कि,,, इस समय औरतों की गांड देखते हुए अपना लंड बाहर निकाल लेते थे और हाथ से हिलाकर अपनी जवानी की गर्मी शांत कर लेते थे एक बार सूरज के दोस्त भी,,,
बहाने से उसे अपने साथ ले गए थे और उसे भी इस तरह का नजारा दिखा रहे थे लेकिन सूरज जल्द ही समझ गया था कि उसके दोस्त उसे इसलिए वह पर लेकर आए हैं इसलिए वह तुरंत वहां से चला गया,,,,।

थोड़ी देर में सूरज मुखिया के खेत पर पहुंच गया और इधर-उधर अपने पिताजी को ढूंढना शुरू कर दिया अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था,,,, लेकिन खेत के बाहर उसे एक जगह पर लोटा और पानी का बड़ा सा जग और उसके पिताजी का गमछा रखा हुआ दिखाई दिया तो वह समझ गया कि उसके पिताजी खेत में ही है,,,, वह धीरे-धीरे निश्चित होकर अपने पिताजी को आवाज़ लगाई भी नहीं खेत के अंदर प्रवेश करने लगा,,, गन्ने का खेत था इसलिए दूर-दूर तक कुछ भी देख पाना नामुमकिन सा लग रहा था,,,, जहां पर उसके पिताजी का गमछा और बर्तन रखे हुए थे उसी के सामने ही गन्ने के खेतों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हुई थी अंदर जाने के लिए और सूरज उसी में से अंदर की तरफ जाने लगा वह पूरी तरह से निश्चित तथा अपने ही धुन में था उसे लग रहा था कि उसके पिताजी गन्ने के खेत के बीचो-बीच खेत का काम कर रहे होंगे या पानी दे रहे होंगे क्योंकि जहां से सूरज अंदर जा रहा था वहां ढेर सारा कीचड़ था वैसे तो उसे जाना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी वहां खेतों के बीच जाने लगा था,,,

लगभग खेत के अंदर दो-तीन मीटर प्रवेश किया ही था कि उसे उसके पिताजी की आवाज सुनाई दी,,,


मालकिन अपनी साड़ी ऊपर उठाओ,,,,
(सूरज को अपने पिताजी की यह बात एकदम साफ सुनाई दी थी लेकिन अपने पिताजी के कहने के मतलब को वह समझ नहीं पाया था,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर कितने लोग हैं,,,, और उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी साड़ी उठाने के लिए क्यों कह रहे थे तभी उसके कानों में किसी स्त्री की आवाज आई,,,)

भोला में तेरे लिए मालकिन सबके सामने हूं लेकिन इस तरह अकेले में मुझे मालकिन मत कहा कर मेरा नाम लेकर बुलाया कर शोभा,,,,।

ओहहह शोभा जल्दी से अपनी साड़ी कमर तक उठा दो मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,


मुझसे भी कहां रहा जा रहा है भोला,,,,, खेतों में पानी देने के बहाने तो मैं तेरे साथ आई हूं,,,,(इतना कहते हुए मुखिया की बीवी शोभा अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड बोला की आंखों के सामने एकदम से चमकने लगी हालांकि यह नजारा सूरज अपनी आंखों से देख नहीं पा रहा था क्योंकि वह अभी भी तीन-चार मीटर उन लोगों से दुर ही था और गन्ने का खेत होने की वजह से उससे 1 फीट की दूरी से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या हो रहा है,,, तभी उसके कानों में उस स्त्री की आवाज फिर से सुनाई दी,,,।)

भोला जल्दी से अपना हथियार निकाल और जल्दी-जल्दी काम पूरा कर,,,,

बस शोभा मालकिन,,,

मालकिन नहीं रे सिर्फ शोभा बोल,,,,


शोभा अभी काम पूरा कर देता हूं,,,,(इतना कहते हुए भोला अपनी धोती में से अपने खड़े लंड को बाहर निकाला,,, और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर जैसे हाथ से मुखिया की औरत की गोल-गोल गांड को थाम कर,,, अपने लंड को शोभा की बुर में डालने की कोशिश करने लगा लेकिन अंधेरा कुछ ज्यादा होने की वजह से वह नाकामयाब होते जा रहा था तो शोभा खुद अपना अपने दोनों टांगों के बीच से पीछे की तरफ लाते हुए भोला के लंड को पकड़ ली और उसके गरम सुपाडे को अपनी दहकती हुई बुर पर रख दी,,, और उसे धक्का मारने के लिए बोली मुखिया की बीवी भोला के लंड को मंजिल तक पहुंचाने का रास्ता दिखा दी थी,,, ।

ऐसा नहीं था कि भोला मुखिया की बीवी को पहली बार चोदने जा रहा था,,,, वह कई बार मुखिया की बीवी की जमकर चुदाई कर चुका था इसलिए जैसे ही मुखिया की बीवी ने उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर का रास्ता दिखाई भोला तुरंत उसकी कमर पकड़ कर अपने लंड को एक ही धक्के में उसके बच्चेदानी तक पहुंचा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, मुखिया की बीवी पूरी तरह से मत हो गई,,,, सूरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ देर के लिए दोनों की बातचीत बंद हो चुकी थी केवल अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी जो की मुखिया की बीवी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज थी ,,, जो कि सूरज इस तरह की आवाज से अपरिचित था उसे नहीं मालूम था किस तरह की आवाज क्यों आती है इसीलिए वह और ज्यादा उत्सुक हो रहा था कि खेत के बीचो-बीच उसके पिताजी और वह स्त्री कर क्या रहे हैं कौन सा काम कर रहे हैं और उसे स्त्री ने कौन सा हथियार निकालने के लिए कहा था कहीं कुछ घटना तो नहीं हो गई यही सब सोचकर वह घबरा भी रहा था लेकिन वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,।



भोले तेरे साथ ही मुझे बहुत मजा आता है,,,

ओहहह मालकिन सच में मुझे यकीन नहीं होता कि मेरे हाथों में इतने बड़े घर की औरत है,,,,

आहहहह आहहहहह ऊहहहहहह और जोर से मार भोला और जोर से मार,,,आहहहहह ,,,,,,

मुखिया की बीवी की बात सुनकर भोला और ज्यादा जोश में आ गया था वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर उसके ब्लाउज का बटन खोलकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को हथेली में लेकर दबाते हुए धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, भोला और मुखिया की बीवी खेतों में पानी देने के बहाने रात तक रुके हुए थे और दोनों अपना उल्लू सीधा कर रहे थे इन सब से बेखबर मुखिया घर पर आराम से हुक्का गुडगुडा रहा था,,,,, वह दोनों पूरी तरह से संभोग क्रिया में मस्त हो चुके थे कि तभी,,, भोले के कानों में गनने के खेत में सुरसुराहट की आवाज सुनाई दी और वह एकदम से अपने धक्कों को रोक दिया,,,, अपनी बुर में लंड का आवागमन बंद होते ही शोभा बोली,,,।


रोक क्यों दिया भोला,,, जोर-जोर से धक्के लगा जोर-जोर से मार,,,।

सससहहहहह,,,(भोला धीरे से शोभा के कान में चुप रहने का इशारा किया और बोला) लगता है कोई है,,,
(शोभा एकदम से घबरा गई उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई उसे इस अवस्था में देख ना ले वरना बदनामी हो जाएगी वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन इस बीच चला कि दिखाते हुए उत्तेजित अवस्था में भोला अपनी कमर को आगे पीछे धीरे-धीरे हिलता हुआ मुखिया की बीवी को चोद रहा था,,,, लेकिन उसका पूरा ध्यान गन्ने के खेत में से आने वाली आवाज पर था उसे रहने की और वह मुखिया की बीवी की बुर में धक्का लगाते हुए बोला,,,)

कौन है वहां,,,?

,(अपने पिताजी की आवाज सुनते ही सूरज जल्दी से बोल उठा,,,)

मैं हूं पिताजी सूरज,,,,

(अपने बेटे की आवाज सुनते ही भोला एकदम से चौंक गया,,,, और बोला,,,)

अरे तू यहां क्या कर रहा है,,,?
(भोला एकदम से चुदाई बंद कर दिया था शोभा भी घबरा गई थी वह धीरे से भोला के कान में बोली,,,)

ये यहां क्या कर रहा है अगर देख लिया तो,,,

कुछ नहीं होगा मालकिन तुम एकदम शांत रहो,,,,


मां ने बुलाने के लिए भेजा था तो तुम्हें ढूंढता हुआ यहां आ गया,,,,



अच्छा तू जा यहां से मैं अभी थोड़ी देर में आ जाता हूं,,,


वह तो ठीक है पिताजी लेकिन किसको जोर-जोर से मार रहे हो कौन है वहां पर तुम्हारे साथ वह औरत कौन है,,,? रुको मैं भी आता हूं,,,,(इतना कहकर सूरज धीरे से अपना कदम आगे बढ़ाया और भोला और मुखिया की औरत दोनों पूरी तरह से घबरा गए दोनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आप क्या करें दोनों का आज पकड़े जाना निश्चित था शोभा जल्दी से अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी लेकिन अभी भी उसकी बुर में भोला का लंड घुसा हुआ था,,, मुखिया की बीवी धीरे से बोली,,)


अब क्या होगा भोला ,,,,


अरे सूरज यहां बिल्कुल भी मत आना यहां पर सियार है उसे ही हम लोग मर रहे हैं,,,।
(भोला की बात सुनते ही मुखिया की बीवी की जान में भी जान आ गई और वह अभी हड़बड़ाहट भरे स्वर में बोली ,,)

हां हां बेटा इधर बिल्कुल भी मत आना बहुत बड़ा सियार है,,,, तेरे पिताजी उसे मार रहे हैं और मैं उनकी मदद कर रही हूं तू इधर मत आना यहां खतरा है और कीचड़ भी बहुत है,,,।
(उन दोनों की बात सुनकर सूरज वही रुक गया था,,,)

सूरज बेटा तू खेत के बाहर खड़े रहे अभी काम निपटा कर आता हूं और इतनी रात को बाहर मत निकाल कर यहां पर सियार कुछ ज्यादा हो गए हैं,,,।

(सूरज अपने पिताजी के खाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था वाकई में गांव में सियार की संख्या बढ़ती जा रही थी इसीलिए तो वह लाठी लेकर चलता था ताकि कभी उसे दिखाई दे तो वह अपने आप की सुरक्षा कर सके और अपने पिताजी की बात मानते हुए वह बोला)

ठीक है पिताजी में खेत के बाहर खड़ा रहता हूं लेकिन जल्दी से सियार का काम निपटाकर बाहर आ जाओ और अपना ख्याल रखना,,,,

ठीक है बेटा तू जा जल्दी,,,,।
(और इतना सुनते ही सूरज धीरे-धीरे खेत में से बाहर आने लगा और भोला को इस बात का अहसास होते हैं क्योंकि सूरज फिर से बाहर जा रहा है तो वह फिर से मुखिया की बीवी की कमर पकड़ कर उसकी बुर में लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया क्योंकि अभी दोनों का काम खत्म नहीं हुआ था,,, और देखते ही देखते कुछ देर बाद दोनों एकदम से झड़ गए,,, भोला अपने लंड को धोती में वापस डालकर खेत से बाहर आने लगा और मुखिया की बीवी अपने कपड़ों को दुरुस्त करके वह भी पीछे-पीछे खेत से बाहर आ गई खेत से बाहर आते ही उसकी नजर सूरज पर पड़ी जो की काफी हट्टा कट्टा था,,, सूरज को देखते ही वह बोली,,,)

भोला यह तेरा बड़ा बेटा है ना,,,

की मालकिन यही तो है एक इसका नाम सूरज है,,,

बिल्कुल तेरी तरह है,,,,

सूरज यह मालकिन है नमस्कार करो,,,

नमस्ते मालकिन,,,,

खुश रहो,,,(मुखिया की बीवी सूरज के सर पर हाथ रखते हुए बोली) और इस तरह से रात को मत निकाला करो सियार का खतरा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है तुम भी पूरी तरह से जवान हो लेकिन तुम्हारे पिताजी की तरह बहादुर अभी नहीं हो तुम्हारे पिताजी शिकार करने में बहुत माहिर हैं,,,,(शोभा कौन से शिकार की बात कर रही थी इस बारे में समझ पाना सूरज के लिए बहुत मुश्किल था,,,,)

अच्छा बोला कल फिर से समय पर खेत पर चले आना अभी बहुत काम बाकी है,,,,

ठीक है मालकिन,,,(इतना कहते हुए बोला अपना गमछा जो जमीन पर रखा हुआ था उसे उठाकर कंधे पर रख लिया और लोटा और जग मालकिन को थमा दिया,,, मालकिन मुस्कुराते हुए अपने घर की तरफ चली गई और दोनों बाप बेटे अपने घर की तरफ चल दिए,,,)
Nhi yaar thoda SA Suraj KO bhi dikha dete to bhut Maza atta Suraj vichara socht rehta ki aese bhi sihaar Ka shikaar krtey hai phir wo je tarika apni maa ke sath try krta
 
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Ajju Landwalia

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सूरज ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था वह बेहद अद्भुत और कलात्मक था सुनैना का पानी की टंकी में उतर कर नहाना कुछ ऐसा था जिसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा तालाब में नहा रही हो उसके द्वारा अपने तन पर से एक-एक करके वस्त्र उतरना बेहद तत्व तथा उसके वस्त्र उसके बदन से अलग होते जा रहे थे वैसे वैसे उसकी जवानी नग्नता में प्रवेश करती जा रही थी,, और वाकई में नंगी होने के बाद सुनैना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह ही नजर आती थी उसके बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि जो देखे वह काम भावना से ग्रस्त हो जाए उसके बदन का उभार बदन का कटाव सब कुछ मंत्र मुग्ध कर देने वाला था,,, खास करके चूचियों की गोलाई तो बेहद अद्भुत थी,,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियों में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं आया था ना तो लचक आई थी,, अभी भी उसकी कई हुई चूचियां उसकी छाती की शोभा बढ़ा रही थी,,,,।



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और उसके नितंबों की तो पूछो मत जैसे एक स्त्री जवानी के दहलीज पर कदम रखती है और उसके नितंबों का उभर का आकार ले चुका होता है ठीक उसी तरह की इस उम्र में भी सुनैना की गांड उभार लिए हुए थी और उसकी नितंबो में भी एक खास बात थी कि उसके नेताओं में भी जरा भी लचक और ढीलापन नहीं आया था,,, उम्रकेश पड़ाव में भी उसकी गांड एकदम कसी हुई जवान औरत की तरह थी जिसे देखकर अच्छे अच्छे का पानी निकल जाता था,,, जैसा की सूरज का हाल बेहाल हो चुका था वह पूरी तरह से अपनी मां का दीवाना बन चुका था,,,,


Mukhiya ki beti or suraj

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अब तक सूरज मुखिया की बीवी के साथ-साथ मुखिया की लड़की और पड़ोस की गांव की नव विवाहित बहू के साथ शारीरिक संबंध बन चुका था और लगभग लगभग तीनों के बदन के आकार को अपनी आंखों से देख चुका था जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक और मंत्र मुग्ध कर देने वाला बदन सिर्फ उसकी मां का ही था,,, और जिसे भोगने के लिए सूरज ललाईत हुआ जा रहा था,,, लेकिन उसके जीवन में यह मौका कब आएगा यह भी नहीं जानता था लेकिन इतना तो मालूम हो ही चुका था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह एकदम प्यासी है वह भी पूरी तरह से जवानी की आग में शोला बन चुकी है,,, साथ ही सूरज को इस बात की फिक्र भी थी कि कहीं घर की मलाई को कोई बाहर का ना चाट जाए,,, क्योंकि दूसरी औरतों की हालत को वह देख ही चुका था की कैसे मर्द का साथ पाने के लिए ललाईत रहती है,,,।





Nilu or suraj jhopdi me

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इसलिए सूरज को अपने पिताजी पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था कितनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां मुंह मार रहा है और इस बात को सोचकर पर अपने मन में यह भी ख्याल रहता था कि अगर उसकी मां उसकी बीवी होती तो वह एक पल के लिए भी उससे बिल्कुल भी दूर नहीं होता दूर क्या वह एक पल के लिए भी अपने लंड को उसकी बुर में से बाहर नहीं निकालता,,,, अपनी मां को नंगी होकर नहाता हुआ देखकर वह जिस काम के लिए आया था वह काम एकदम से भुल चुका था,,,, और जिस तरह का नजारा पर अपनी आंखों से देखा था उसे नजारे को देखकर तो दुनिया अपने आप को भूल जाए फिर काम क्या चीज थी,,,,।





Nilu ki chudai

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रात का भोजन तैयार हो चुका था और तीनों मिलकर भोजन कर रहे थे,,,, सामने बैठी सुनैना को देखकर बार-बार सूरज उसे बिना वस्त्र की कल्पना करता था और हर कल्पना में वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराही लगती थी,,,, सूरज बार-बार अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रहा था लेकिन उसकी मुस्कुराने का कारण सुनैना समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,।

क्या है रे ऐसे क्यों मुस्कुरा रहा है,,,?

बस ऐसे ही,,,,।

बस ऐसे ही क्यों मुझे भी तो बता,,,(निवाला मुंह में डालते हुए सुनैना बोली)

ज्यादा कुछ नहीं बस में यह सोच रहा था कि पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही सुनैना का दिल धक से करके रह गया उसकी सांसों की गति पल भर के लिए थम सी गई क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और तुलनात्मक रूप से पूरे गांव की औरतों को भी उसमें शामिल कर रहा था जिसमें उसके मुकाबले और कोई नहीं थी इसलिए पल भर के लिए तो अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुनैना को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी उसका बेटा कर तो रहा था उसकी खूबसूरती की तारीफ इसलिए मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन फिर भी वह एक मां थी और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे थोड़ा अजीब लगा था इसलिए बोला,,,)
Nilu ki chudai karta hua suraj

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चल रहने दे बकवास करने को,,,।

अरे मैं बकवास नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं,,,,, मैं सच कह रहा हूं या बकवास कर रहा हूं,,,।

भैया ठीक ही कह रहा है मुझे भी ऐसा ही लगता है पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।

तुम दोनों भाई बहन मिलकर मेरा मजाक उड़ा रहे हो,,,।


अरे मां कैसी बातें कर रही हो भला हमअपनी मां का मजाक क्यों उड़ाएंगे,,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, वरना अपने पड़ोस वाली चाची को देखो तुमसे उम्र में छोटी है लेकिन कैसी लगने लगी है और वह जो तालाब के पास रहती है उनकी एक ही बच्चा है लेकिन फिर भी अभी से उम्र वाली लगने लगी,,,।

और हां मां गांव के नौकर कर रही थी ना जो मौसी उनकी तो अभी-अभी बच्चा नहीं है फिर भी तुमसे बड़ी लगने लगी है,,,,(रानी भी अपने भाई के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,, अपने दोनों बच्चों की बातें सुनकर सुनैना का दिल गदगद हुआ जा रहा था वह समझ सकती थी कि सूरज जो कुछ भी कह रहा है उसमें सच्चाई है और उसकी बात मानने का कारण यह भी था कि वह एक मर्द था,,,, और एक औरत की खूबसूरती मर्द से बेहतर भला और कौन समझ सकता है इसलिए सुनैना को पक्का यकीन हो गया था कि वाकई में पूरे गांव में उससे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है लेकिन फिर भी सुनैना इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि अचानक उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ क्यों करने लगा था,,,। यह प्रश्न उसके मन में उठ रहा था लेकिन इसका जवाब भी अपने आप से ही दे रही थी वह अपनी मन में सोच रही थी कि कहीं औरतों को देखने का नजरिया उसके बेटे का वजन तो नहीं किया कहीं वह सचमुच में जवान तो नहीं हो रहा है,,,, अगर ऐसा है तो सच में वह ऐसा जरूर कुछ उसके अंदर देखा होगा जो उसकी तारीफ कर रहा है,,,,।

जहां इस तरह का ख्याल उसे हैरान कर देने वाला था वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों इस ख्याल से वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,,,, और अपने मन को थोड़ा शांत करते हुए वह बोली,,,। )

चलो तुम दोनों यह सब छोड़ो और खाना खाओ,,,,।

(इतना सुनकर भाई बहन एक दूसरे को देखने लगे और खाना खाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद सूरज अपनी मां से बोला,,,)

अरे एक बात तो भुल ही गया,,,,,,,!

क्यों अभी भी कुछ बाकी रह गया है,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सुनैना बोली,,,)

अरे मेरा मतलब आंवला से था,,,।

अरे हां,,, मैंने तुझसे आंवला लाने के लिए बोली थी और तु अभी तक आंवला नहीं ला पाया,,,,( आंवला की बात सुनते ही एकाएक जैसे कुछ ख्याल आया हो इस तरह से सुनैना बोली,,,)


अरे मां उसी के बारे में तो पूछ रहा हूं,,,, जाना कब है,,,,।


सरसों का तेल मैं पिरा के रखी हूं,,, बस आंवला आने की देरी है,,,,,,,।

वह भी आ जाएगा लेकिन जाना कब है,,,,।

अब यह भी तू मुझसे पूछेगा सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है तुझे तो खुद ही लेकर आना चाहिए,,,,।

अरे अकेले में इतने सारे वाला कैसे लेकर आऊंगा तोडूंगा या उन्हें संभालुंगा,,,,।


तो रानी को लेकर जाना और बड़ा सा थैला ले लेना,,,, इस बार ज्यादा तेल बनाऊंगी,,,,।

ठीक है,,,, तू भी चलेगी ना रानी,,,(अपनी बहन की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)

हा ,,, हा,,,, क्यों नहीं मैं भी चलूंगी,,,,,(मुस्कुराते हुए रानी बोली,,,,)

तो ऐसा करो तुम दोनों कल ही चले जाओ और अच्छे-अच्छे आंवला लाना बेकार मत लेकर आना,,,।

इसीलिए तो इस बार में दूसरी जगह से लाने वाला हूं वहां के आंवले बहुत बड़े-बड़े और अच्छे हैं,,,।

कहां के,,,,?


अरे वही पहाड़ी के पास के,,,।

अरे वहां तो जंगल जैसा है वहां जाना ठीक रहेगा,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,)


क्यों नहीं मां मैं तो बहुत बार जा चुका हूं ऐसा कुछ भी वहां नहीं है बस जंगली झाड़ियां बहुत है और सच कहूं तो वहां तो बड़े आराम से आंवला तोड़ सकते हैं वहां कोई बोलने वाला नहीं है,,,, और पास में ही झरना है एकदम ठंडा पानी नहाने का मजा ही कुछ और है,,,।


झरना,,,(एकदम आश्चर्य से रानी) तब तो मैं भी नहाऊंगी,,,,,।

चल रहने दे ठंड लग जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी,,,।

(नहाने के लिए अपनी बहन रानी की उत्सुकता देखकर मन ही मन सूरज प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि वह भी यही चाहता था कि उसकी बहन भी झरने के पानी में नहाए और वह भी उसके साथ,,,,,, वैसे तो सीधे-सीधे सूरज अपनी बहन को चोदने की फिराक नहीं था,, लेकिन वह अपनी बहन को धीरे-धीरे उत्तेजित करना चाहता था उसे लाइन पर लाना चाहता था जैसे वह नीलू के साथ किया था नीलू भी तुरंत उसके साथ चुदवाने के लिए तैयार नहीं हो गई थी लेकिन उसने जिस तरह से अपने लंड के दर्शन करा कर उसे उत्तेजित किया था उसके स्तन को रगड़ा था दबाया था तब धीरे-धीरे जाकर उसकी टांगों के बीच चुदास का रस टपकने लगा था और यही वह अपनी बहन के साथ करना चाहता था ताकि उसके साथ भी संभोग का सुख ले सके,,,, अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)

अरे कुछ नहीं होगा मां वहां नहाने में बहुत मजा आता है,,,,,।

चल कोई बात नहीं नहा लेना लेकिन आंवला अच्छा अच्छा लाना ,,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना इस बार का तेल बहुत अच्छा बनेगा,,,।(अपनी मां को दिलासा देते हुए सूरज बोला,,, और फिर थोड़ी ही देर में तीनो खाना खा लिए,,,,,ं,,,।

तीनों सोने की तैयारी करने लगे सुनैना अपने कमरे में चली गई और रानी अपने कमरे में चली गई लेकिन सूरज अपने कमरे में नहीं गया क्योंकि वह अपनी मां को देखना चाहता था कि वह अकेले में कमरे में क्या करती है क्योंकि दोपहर में तो वह अपनी मां को नहाते हुए और उसकी हरकत को देख चुका था,,, और वह यह देखना चाहता था कि उसकी मां रात को चुदवासी होती है या नहीं और इसीलिए कुछ देर इंतजार करता रहा और जैसे ही 10 15 मिनट गुजर गए वैसे ही वह तुरंत धीरे-धीरे दबे पांव अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा ,,, तीनों का कमरा एक दूसरे से सटा हुआ था मिट्टी की बनी दीवार और दरवाजा लकड़ी का था जिसमें से आराम से अंदर का नजारा देखा जा सकता था और इसीलिए लकड़ी के दरवाजे से अंदर झांकने का सुख सूरज लेना चाहता था,,,।

और वह धीरे-धीरे तभी पांव अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया,,, लकड़ी के बने दरवाजे के सुराख में से वह अंदर की तरफ देखने लगा,,, जल्द ही अंदर का दृश्य एकदम स्पष्ट होने लगा अंबर लालटेन चल रही थी और उसकी पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था जल्द ही उसे अपनी मां का बिस्तर नजर आने लगा,, और बिस्तर पर लेटी हुई उसकी मां एकदम साफ नजर आने लगी अपनी मां को बिस्तर पर लेटी हुई देखकर सूरज की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह यह देखना चाहता था कि बिना मर्द के उसकी मां रात कैसे गुजरती है क्या रात को भी उसके मन में मर्द संसर्ग की इच्छा जागरुक होती है,,, और बहुत ही जल्दी स्पष्ट भी हो गया कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,।

सूरज एकदम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां पीठ के बाल बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके ऊपर नहीं था ब्लाउज में कसी हुई उसकी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी और उसकी सांसों की गति के साथ वह भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरज का मन डोल रहा था कुछ देर तक गहरी सांस लेने के बाद सुनैना के दोनों हाथ ब्लाउज के ऊपर आ गए और बाहर के हल्के अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरज के लंड की अकड़ बढ़ने लगी और वह इस बात से खुश हो गया कि जो वह सोच रहा था वही हो रहा है,,,।

वैसे तो रोज बिस्तर पर सुनैना अपने पति के लिए तड़पती थी लेकिन आज उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, आज उसके मन में उसके बेटे की कही गई बात घूम रही थी कि वह बहुत खूबसूरत है पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और इस बात है सेवा अंदेशा लग रही थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों कहा,,, और इसका जवाब भी उसके पास था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया जवान हो गया है औरत को देखने का नजरिया उसका बदल गया है लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके बदन में उसका बेटा ऐसा क्या देख लिया जो वह कुछ ही पल में गांव की सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत लगने लगी,,, और यही सोच कर वह ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को जोर-जोर से दबा रही थी और यह देखकर बाहर खड़ा सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था,,।

देखते ही देखते सुनैना अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और अगले ही पल अपना ब्लाउज उतार कर एक तरफ फेंक दी उसकी नंगी चूचियां पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी जिसे वह अपने हथेली में रेखा जोर-जोर से दबा रही थी और अपने मन में नहीं सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखकर तो नहीं बोल रहा है कि वह सबसे ज्यादा खूबसूरत है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी चूची देख लिया हो,,,, अपने मन में उठ रहे सवाल का वह खुद ही जवाब देते हुए बोल रही थी नहीं ऐसा कैसे हो सकता है उसके सामने में कभी ऐसी स्थिति में आई नहीं कि वह कभी मेरे नंगे बदन को देख सके लेकिन फिर भी हो सकता है वह साड़ी के ऊपर से ही अंगों का जायजा ले लिया हो,,,, और यही सब देखकर वहां उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत समझ रहा है,,,,।

यह सब बातें सोच कर सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह जोर-जोर से अपनी चूची को दबा रही थी,,,, और दूसरी तरफ दरवाजे के बाहर खड़ा सूरज अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था,,, वह भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसल रहा था,, वह समझ गया था कि उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है जो उसकी जवानी को रगड़ रगड़ कर उसका रस निकाल सके और यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी पड़ेगी कहीं ऐसा ना हो कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह घर के बाहर कदम निकाल दे और दूसरों को अपनी जवानी का रस पिलाए,,,, और ऐसा सोचता हुआ वह अपने आप से ही कह रहा था कि उसे जल्द ही कदम उठाना होगा,,,,।

अंदर मदहोशी बढ़ती जा रही थी सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,, और अनायास उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसका बेटा उसके साथ संबंध बना ले तो कैसा होगा वैसे भी उसके बेटे के साथ सोनू की चाची संबंध बनाना चाहती है ऐसा उसकी हरकत देखकर लग रहा था,,,, ऐसा सोचते हुए सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी और जैसे-जैसे वह साड़ी खोल रही थी वैसे-वैसे बाहर खड़े सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,,, और देखते-देखते सुनैना अपने बदन पर से साड़ी उतार कर खटिया के नीचे और इस समय वहां बिस्तर पर केवल पेटीकोट में थी और पेटीकोट भी उसकी जांघों तक चढ़ा हुआ था,,, और लालटेन के पीली रोशनी में उसकी मोती मोती जामुन को देखकर सूरज की आंखों में वासना का तूफान नजर आ रहा था,,,,।

सुनैना के मन में आया ख्याल उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था वह अपने ही बेटे के साथ शारीरिक,, संबंध बनाने के बारे में सोच रही थी,,, और यह ख्याल उसके तन बदन में आग लग रहा था और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि अगर सच में ऐसा हो जाए तो क्या होगा और यही सोचते हुए वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और यह देखकर सूरज की उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचने लगी क्योंकि कुछ ही इच्छा में उसकी मां पूरी तरह से नंगी होने वाली थी,,,, और देखते ही देखते सुनैना अपनी पेटिकोट की डोरी को ढीली करके अपनी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगी लेकिन उसकी भारी भरकम गांड पेटीकोट के कपड़े को अपनी गांड के नीचे दबाए हुआ था इसलिए वह अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर हुआ धीरे से अपनी पेटीकोट को अपने मोटी मोटी टांगों से बाहर निकाल कर एकदम नंगी हो गई यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह भी अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,,।

दूसरी तरफ सुनैना की कल्पना बढ़ती जा रही थी सुन ना अपने मन में कल्पना कर रही थी कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका बेटा अपने लिए जगह बनाकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया है,,, और अपने मोटे तगडे लंड को उसकी बुर में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया है ऐसा सोचते हुए सुनैना अपनी दो उंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी थी और यह देखकर सूरज से रहने गया था और वह बाहर खडा होकर अपनी मां की हरकत को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया था,,, कमरे के अंदर से शिसकारी की आवाज बाहर खड़े सूरज को एकदम साफ सुनाई दे रही थी और अपनी मां की गरमा गरम सिसकियो की आवाज सुनकर सूरज का धैर्य जवाब दे रहा था उसके मन में हो रहा था किसी समय दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाए और अपनी मां की प्यास बुझा दे लेकिन ऐसा वह सिर्फ सोच सकता था कर सकने की हिम्मत अभी उसमें नहीं थी,,,।

अंदर कमरे में सूरज की मां की सांस बड़ी तेजी से चलने लगी वह एकदम चरम शिखर पर पहुंचने वाली थी और बाहर खड़ा सूरज भी झड़ने वाला था और देखते-देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे सूरज दरवाजे पर ही अपना गरम लावा गिरा दिया और फिर धीरे से अपने कमरे में चला गया,,,,।

सुबह सूरज जल्दी से चलने की तैयारी कर लिया क्योंकि काफी दूर जाना था,,,। इसलिए सुनैना दोनों के लिए रोटी और सब्जी के साथ अचार भी बांध दी,,,, और फिर दोनों निकल पड़े एक नए सफर की ओर,,,

Behad shandar update he rohnny4545 Bhai,

Sunaina bhi usi aag me jal rahi he jis aag me suraj jal raha he............

Dono ke hi man me ab ek dusre ko bhogne ke khyal aane lage he.............

Suraj aur Rani ab aanwla todne ke liye jaane wale he...........suraj kisi na kisi tarah rani ko apne bas me karne ki koshish jarur karega.........

Keep rocking Bro
 

lovlesh2002

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rohnny4545, भाई जल्दी अपडेट दो अपनी सभी पुरानी कहानियों की सूची भी उपलब्ध कराओ, मैने आपकी अधिकांश कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन पहले में लेखक के नाम पर ध्यान नहीं देता था और कोई कमेंट नहीं करता था, क्योंकि मैने अपनी 🆔 नहीं बनाई थी , कई साल से मैं आपकी कहानियों को पढ़ता आ रहा हूं। जिसमें होता है जो हो जाने दो और उस से पहले की भी कहानियां हैं तब से अब तक की शायद हर एक कहानी मैने पढ़ी है, अपडेट मिलने में जरूर विलंब हो जाता है लेकिन आपकी कहानियों से मन नहीं भरता खासकर गांव की कहानियां, जल्दी अपडेट दो और बताओ कब तक अपडेट आएंगे
 

lovlesh2002

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सुनैना सूरज, सुगंधा अंकित सभी वासना की आग में जल रहे हैं, और पाठक भी अपडेट की प्यास में तड़प रहे हैं जल्दी अपडेट दो भाई।
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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सूरज ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था वह बेहद अद्भुत और कलात्मक था सुनैना का पानी की टंकी में उतर कर नहाना कुछ ऐसा था जिसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा तालाब में नहा रही हो उसके द्वारा अपने तन पर से एक-एक करके वस्त्र उतरना बेहद तत्व तथा उसके वस्त्र उसके बदन से अलग होते जा रहे थे वैसे वैसे उसकी जवानी नग्नता में प्रवेश करती जा रही थी,, और वाकई में नंगी होने के बाद सुनैना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह ही नजर आती थी उसके बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि जो देखे वह काम भावना से ग्रस्त हो जाए उसके बदन का उभार बदन का कटाव सब कुछ मंत्र मुग्ध कर देने वाला था,,, खास करके चूचियों की गोलाई तो बेहद अद्भुत थी,,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियों में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं आया था ना तो लचक आई थी,, अभी भी उसकी कई हुई चूचियां उसकी छाती की शोभा बढ़ा रही थी,,,,।



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और उसके नितंबों की तो पूछो मत जैसे एक स्त्री जवानी के दहलीज पर कदम रखती है और उसके नितंबों का उभर का आकार ले चुका होता है ठीक उसी तरह की इस उम्र में भी सुनैना की गांड उभार लिए हुए थी और उसकी नितंबो में भी एक खास बात थी कि उसके नेताओं में भी जरा भी लचक और ढीलापन नहीं आया था,,, उम्रकेश पड़ाव में भी उसकी गांड एकदम कसी हुई जवान औरत की तरह थी जिसे देखकर अच्छे अच्छे का पानी निकल जाता था,,, जैसा की सूरज का हाल बेहाल हो चुका था वह पूरी तरह से अपनी मां का दीवाना बन चुका था,,,,


Mukhiya ki beti or suraj

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अब तक सूरज मुखिया की बीवी के साथ-साथ मुखिया की लड़की और पड़ोस की गांव की नव विवाहित बहू के साथ शारीरिक संबंध बन चुका था और लगभग लगभग तीनों के बदन के आकार को अपनी आंखों से देख चुका था जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक और मंत्र मुग्ध कर देने वाला बदन सिर्फ उसकी मां का ही था,,, और जिसे भोगने के लिए सूरज ललाईत हुआ जा रहा था,,, लेकिन उसके जीवन में यह मौका कब आएगा यह भी नहीं जानता था लेकिन इतना तो मालूम हो ही चुका था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह एकदम प्यासी है वह भी पूरी तरह से जवानी की आग में शोला बन चुकी है,,, साथ ही सूरज को इस बात की फिक्र भी थी कि कहीं घर की मलाई को कोई बाहर का ना चाट जाए,,, क्योंकि दूसरी औरतों की हालत को वह देख ही चुका था की कैसे मर्द का साथ पाने के लिए ललाईत रहती है,,,।





Nilu or suraj jhopdi me

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इसलिए सूरज को अपने पिताजी पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था कितनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां मुंह मार रहा है और इस बात को सोचकर पर अपने मन में यह भी ख्याल रहता था कि अगर उसकी मां उसकी बीवी होती तो वह एक पल के लिए भी उससे बिल्कुल भी दूर नहीं होता दूर क्या वह एक पल के लिए भी अपने लंड को उसकी बुर में से बाहर नहीं निकालता,,,, अपनी मां को नंगी होकर नहाता हुआ देखकर वह जिस काम के लिए आया था वह काम एकदम से भुल चुका था,,,, और जिस तरह का नजारा पर अपनी आंखों से देखा था उसे नजारे को देखकर तो दुनिया अपने आप को भूल जाए फिर काम क्या चीज थी,,,,।





Nilu ki chudai

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रात का भोजन तैयार हो चुका था और तीनों मिलकर भोजन कर रहे थे,,,, सामने बैठी सुनैना को देखकर बार-बार सूरज उसे बिना वस्त्र की कल्पना करता था और हर कल्पना में वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराही लगती थी,,,, सूरज बार-बार अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रहा था लेकिन उसकी मुस्कुराने का कारण सुनैना समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,।

क्या है रे ऐसे क्यों मुस्कुरा रहा है,,,?

बस ऐसे ही,,,,।

बस ऐसे ही क्यों मुझे भी तो बता,,,(निवाला मुंह में डालते हुए सुनैना बोली)

ज्यादा कुछ नहीं बस में यह सोच रहा था कि पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही सुनैना का दिल धक से करके रह गया उसकी सांसों की गति पल भर के लिए थम सी गई क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और तुलनात्मक रूप से पूरे गांव की औरतों को भी उसमें शामिल कर रहा था जिसमें उसके मुकाबले और कोई नहीं थी इसलिए पल भर के लिए तो अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुनैना को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी उसका बेटा कर तो रहा था उसकी खूबसूरती की तारीफ इसलिए मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन फिर भी वह एक मां थी और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे थोड़ा अजीब लगा था इसलिए बोला,,,)
Nilu ki chudai karta hua suraj

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चल रहने दे बकवास करने को,,,।

अरे मैं बकवास नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं,,,,, मैं सच कह रहा हूं या बकवास कर रहा हूं,,,।

भैया ठीक ही कह रहा है मुझे भी ऐसा ही लगता है पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।

तुम दोनों भाई बहन मिलकर मेरा मजाक उड़ा रहे हो,,,।


अरे मां कैसी बातें कर रही हो भला हमअपनी मां का मजाक क्यों उड़ाएंगे,,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, वरना अपने पड़ोस वाली चाची को देखो तुमसे उम्र में छोटी है लेकिन कैसी लगने लगी है और वह जो तालाब के पास रहती है उनकी एक ही बच्चा है लेकिन फिर भी अभी से उम्र वाली लगने लगी,,,।

और हां मां गांव के नौकर कर रही थी ना जो मौसी उनकी तो अभी-अभी बच्चा नहीं है फिर भी तुमसे बड़ी लगने लगी है,,,,(रानी भी अपने भाई के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,, अपने दोनों बच्चों की बातें सुनकर सुनैना का दिल गदगद हुआ जा रहा था वह समझ सकती थी कि सूरज जो कुछ भी कह रहा है उसमें सच्चाई है और उसकी बात मानने का कारण यह भी था कि वह एक मर्द था,,,, और एक औरत की खूबसूरती मर्द से बेहतर भला और कौन समझ सकता है इसलिए सुनैना को पक्का यकीन हो गया था कि वाकई में पूरे गांव में उससे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है लेकिन फिर भी सुनैना इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि अचानक उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ क्यों करने लगा था,,,। यह प्रश्न उसके मन में उठ रहा था लेकिन इसका जवाब भी अपने आप से ही दे रही थी वह अपनी मन में सोच रही थी कि कहीं औरतों को देखने का नजरिया उसके बेटे का वजन तो नहीं किया कहीं वह सचमुच में जवान तो नहीं हो रहा है,,,, अगर ऐसा है तो सच में वह ऐसा जरूर कुछ उसके अंदर देखा होगा जो उसकी तारीफ कर रहा है,,,,।

जहां इस तरह का ख्याल उसे हैरान कर देने वाला था वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों इस ख्याल से वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,,,, और अपने मन को थोड़ा शांत करते हुए वह बोली,,,। )

चलो तुम दोनों यह सब छोड़ो और खाना खाओ,,,,।

(इतना सुनकर भाई बहन एक दूसरे को देखने लगे और खाना खाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद सूरज अपनी मां से बोला,,,)

अरे एक बात तो भुल ही गया,,,,,,,!

क्यों अभी भी कुछ बाकी रह गया है,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सुनैना बोली,,,)

अरे मेरा मतलब आंवला से था,,,।

अरे हां,,, मैंने तुझसे आंवला लाने के लिए बोली थी और तु अभी तक आंवला नहीं ला पाया,,,,( आंवला की बात सुनते ही एकाएक जैसे कुछ ख्याल आया हो इस तरह से सुनैना बोली,,,)


अरे मां उसी के बारे में तो पूछ रहा हूं,,,, जाना कब है,,,,।


सरसों का तेल मैं पिरा के रखी हूं,,, बस आंवला आने की देरी है,,,,,,,।

वह भी आ जाएगा लेकिन जाना कब है,,,,।

अब यह भी तू मुझसे पूछेगा सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है तुझे तो खुद ही लेकर आना चाहिए,,,,।

अरे अकेले में इतने सारे वाला कैसे लेकर आऊंगा तोडूंगा या उन्हें संभालुंगा,,,,।


तो रानी को लेकर जाना और बड़ा सा थैला ले लेना,,,, इस बार ज्यादा तेल बनाऊंगी,,,,।

ठीक है,,,, तू भी चलेगी ना रानी,,,(अपनी बहन की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)

हा ,,, हा,,,, क्यों नहीं मैं भी चलूंगी,,,,,(मुस्कुराते हुए रानी बोली,,,,)

तो ऐसा करो तुम दोनों कल ही चले जाओ और अच्छे-अच्छे आंवला लाना बेकार मत लेकर आना,,,।

इसीलिए तो इस बार में दूसरी जगह से लाने वाला हूं वहां के आंवले बहुत बड़े-बड़े और अच्छे हैं,,,।

कहां के,,,,?


अरे वही पहाड़ी के पास के,,,।

अरे वहां तो जंगल जैसा है वहां जाना ठीक रहेगा,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,)


क्यों नहीं मां मैं तो बहुत बार जा चुका हूं ऐसा कुछ भी वहां नहीं है बस जंगली झाड़ियां बहुत है और सच कहूं तो वहां तो बड़े आराम से आंवला तोड़ सकते हैं वहां कोई बोलने वाला नहीं है,,,, और पास में ही झरना है एकदम ठंडा पानी नहाने का मजा ही कुछ और है,,,।


झरना,,,(एकदम आश्चर्य से रानी) तब तो मैं भी नहाऊंगी,,,,,।

चल रहने दे ठंड लग जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी,,,।

(नहाने के लिए अपनी बहन रानी की उत्सुकता देखकर मन ही मन सूरज प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि वह भी यही चाहता था कि उसकी बहन भी झरने के पानी में नहाए और वह भी उसके साथ,,,,,, वैसे तो सीधे-सीधे सूरज अपनी बहन को चोदने की फिराक नहीं था,, लेकिन वह अपनी बहन को धीरे-धीरे उत्तेजित करना चाहता था उसे लाइन पर लाना चाहता था जैसे वह नीलू के साथ किया था नीलू भी तुरंत उसके साथ चुदवाने के लिए तैयार नहीं हो गई थी लेकिन उसने जिस तरह से अपने लंड के दर्शन करा कर उसे उत्तेजित किया था उसके स्तन को रगड़ा था दबाया था तब धीरे-धीरे जाकर उसकी टांगों के बीच चुदास का रस टपकने लगा था और यही वह अपनी बहन के साथ करना चाहता था ताकि उसके साथ भी संभोग का सुख ले सके,,,, अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)

अरे कुछ नहीं होगा मां वहां नहाने में बहुत मजा आता है,,,,,।

चल कोई बात नहीं नहा लेना लेकिन आंवला अच्छा अच्छा लाना ,,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना इस बार का तेल बहुत अच्छा बनेगा,,,।(अपनी मां को दिलासा देते हुए सूरज बोला,,, और फिर थोड़ी ही देर में तीनो खाना खा लिए,,,,,ं,,,।

तीनों सोने की तैयारी करने लगे सुनैना अपने कमरे में चली गई और रानी अपने कमरे में चली गई लेकिन सूरज अपने कमरे में नहीं गया क्योंकि वह अपनी मां को देखना चाहता था कि वह अकेले में कमरे में क्या करती है क्योंकि दोपहर में तो वह अपनी मां को नहाते हुए और उसकी हरकत को देख चुका था,,, और वह यह देखना चाहता था कि उसकी मां रात को चुदवासी होती है या नहीं और इसीलिए कुछ देर इंतजार करता रहा और जैसे ही 10 15 मिनट गुजर गए वैसे ही वह तुरंत धीरे-धीरे दबे पांव अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा ,,, तीनों का कमरा एक दूसरे से सटा हुआ था मिट्टी की बनी दीवार और दरवाजा लकड़ी का था जिसमें से आराम से अंदर का नजारा देखा जा सकता था और इसीलिए लकड़ी के दरवाजे से अंदर झांकने का सुख सूरज लेना चाहता था,,,।

और वह धीरे-धीरे तभी पांव अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया,,, लकड़ी के बने दरवाजे के सुराख में से वह अंदर की तरफ देखने लगा,,, जल्द ही अंदर का दृश्य एकदम स्पष्ट होने लगा अंबर लालटेन चल रही थी और उसकी पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था जल्द ही उसे अपनी मां का बिस्तर नजर आने लगा,, और बिस्तर पर लेटी हुई उसकी मां एकदम साफ नजर आने लगी अपनी मां को बिस्तर पर लेटी हुई देखकर सूरज की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह यह देखना चाहता था कि बिना मर्द के उसकी मां रात कैसे गुजरती है क्या रात को भी उसके मन में मर्द संसर्ग की इच्छा जागरुक होती है,,, और बहुत ही जल्दी स्पष्ट भी हो गया कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,।

सूरज एकदम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां पीठ के बाल बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके ऊपर नहीं था ब्लाउज में कसी हुई उसकी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी और उसकी सांसों की गति के साथ वह भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरज का मन डोल रहा था कुछ देर तक गहरी सांस लेने के बाद सुनैना के दोनों हाथ ब्लाउज के ऊपर आ गए और बाहर के हल्के अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरज के लंड की अकड़ बढ़ने लगी और वह इस बात से खुश हो गया कि जो वह सोच रहा था वही हो रहा है,,,।

वैसे तो रोज बिस्तर पर सुनैना अपने पति के लिए तड़पती थी लेकिन आज उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, आज उसके मन में उसके बेटे की कही गई बात घूम रही थी कि वह बहुत खूबसूरत है पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और इस बात है सेवा अंदेशा लग रही थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों कहा,,, और इसका जवाब भी उसके पास था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया जवान हो गया है औरत को देखने का नजरिया उसका बदल गया है लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके बदन में उसका बेटा ऐसा क्या देख लिया जो वह कुछ ही पल में गांव की सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत लगने लगी,,, और यही सोच कर वह ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को जोर-जोर से दबा रही थी और यह देखकर बाहर खड़ा सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था,,।

देखते ही देखते सुनैना अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और अगले ही पल अपना ब्लाउज उतार कर एक तरफ फेंक दी उसकी नंगी चूचियां पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी जिसे वह अपने हथेली में रेखा जोर-जोर से दबा रही थी और अपने मन में नहीं सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखकर तो नहीं बोल रहा है कि वह सबसे ज्यादा खूबसूरत है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी चूची देख लिया हो,,,, अपने मन में उठ रहे सवाल का वह खुद ही जवाब देते हुए बोल रही थी नहीं ऐसा कैसे हो सकता है उसके सामने में कभी ऐसी स्थिति में आई नहीं कि वह कभी मेरे नंगे बदन को देख सके लेकिन फिर भी हो सकता है वह साड़ी के ऊपर से ही अंगों का जायजा ले लिया हो,,,, और यही सब देखकर वहां उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत समझ रहा है,,,,।

यह सब बातें सोच कर सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह जोर-जोर से अपनी चूची को दबा रही थी,,,, और दूसरी तरफ दरवाजे के बाहर खड़ा सूरज अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था,,, वह भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसल रहा था,, वह समझ गया था कि उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है जो उसकी जवानी को रगड़ रगड़ कर उसका रस निकाल सके और यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी पड़ेगी कहीं ऐसा ना हो कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह घर के बाहर कदम निकाल दे और दूसरों को अपनी जवानी का रस पिलाए,,,, और ऐसा सोचता हुआ वह अपने आप से ही कह रहा था कि उसे जल्द ही कदम उठाना होगा,,,,।

अंदर मदहोशी बढ़ती जा रही थी सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,, और अनायास उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसका बेटा उसके साथ संबंध बना ले तो कैसा होगा वैसे भी उसके बेटे के साथ सोनू की चाची संबंध बनाना चाहती है ऐसा उसकी हरकत देखकर लग रहा था,,,, ऐसा सोचते हुए सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी और जैसे-जैसे वह साड़ी खोल रही थी वैसे-वैसे बाहर खड़े सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,,, और देखते-देखते सुनैना अपने बदन पर से साड़ी उतार कर खटिया के नीचे और इस समय वहां बिस्तर पर केवल पेटीकोट में थी और पेटीकोट भी उसकी जांघों तक चढ़ा हुआ था,,, और लालटेन के पीली रोशनी में उसकी मोती मोती जामुन को देखकर सूरज की आंखों में वासना का तूफान नजर आ रहा था,,,,।

सुनैना के मन में आया ख्याल उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था वह अपने ही बेटे के साथ शारीरिक,, संबंध बनाने के बारे में सोच रही थी,,, और यह ख्याल उसके तन बदन में आग लग रहा था और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि अगर सच में ऐसा हो जाए तो क्या होगा और यही सोचते हुए वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और यह देखकर सूरज की उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचने लगी क्योंकि कुछ ही इच्छा में उसकी मां पूरी तरह से नंगी होने वाली थी,,,, और देखते ही देखते सुनैना अपनी पेटिकोट की डोरी को ढीली करके अपनी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगी लेकिन उसकी भारी भरकम गांड पेटीकोट के कपड़े को अपनी गांड के नीचे दबाए हुआ था इसलिए वह अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर हुआ धीरे से अपनी पेटीकोट को अपने मोटी मोटी टांगों से बाहर निकाल कर एकदम नंगी हो गई यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह भी अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,,।

दूसरी तरफ सुनैना की कल्पना बढ़ती जा रही थी सुन ना अपने मन में कल्पना कर रही थी कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका बेटा अपने लिए जगह बनाकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया है,,, और अपने मोटे तगडे लंड को उसकी बुर में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया है ऐसा सोचते हुए सुनैना अपनी दो उंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी थी और यह देखकर सूरज से रहने गया था और वह बाहर खडा होकर अपनी मां की हरकत को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया था,,, कमरे के अंदर से शिसकारी की आवाज बाहर खड़े सूरज को एकदम साफ सुनाई दे रही थी और अपनी मां की गरमा गरम सिसकियो की आवाज सुनकर सूरज का धैर्य जवाब दे रहा था उसके मन में हो रहा था किसी समय दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाए और अपनी मां की प्यास बुझा दे लेकिन ऐसा वह सिर्फ सोच सकता था कर सकने की हिम्मत अभी उसमें नहीं थी,,,।

अंदर कमरे में सूरज की मां की सांस बड़ी तेजी से चलने लगी वह एकदम चरम शिखर पर पहुंचने वाली थी और बाहर खड़ा सूरज भी झड़ने वाला था और देखते-देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे सूरज दरवाजे पर ही अपना गरम लावा गिरा दिया और फिर धीरे से अपने कमरे में चला गया,,,,।

सुबह सूरज जल्दी से चलने की तैयारी कर लिया क्योंकि काफी दूर जाना था,,,। इसलिए सुनैना दोनों के लिए रोटी और सब्जी के साथ अचार भी बांध दी,,,, और फिर दोनों निकल पड़े एक नए सफर की ओर,,,
Shandar super hot erotic update 🔥🔥🔥
 
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