सूरज ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था वह बेहद अद्भुत और कलात्मक था सुनैना का पानी की टंकी में उतर कर नहाना कुछ ऐसा था जिसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा तालाब में नहा रही हो उसके द्वारा अपने तन पर से एक-एक करके वस्त्र उतरना बेहद तत्व तथा उसके वस्त्र उसके बदन से अलग होते जा रहे थे वैसे वैसे उसकी जवानी नग्नता में प्रवेश करती जा रही थी,, और वाकई में नंगी होने के बाद सुनैना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह ही नजर आती थी उसके बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि जो देखे वह काम भावना से ग्रस्त हो जाए उसके बदन का उभार बदन का कटाव सब कुछ मंत्र मुग्ध कर देने वाला था,,, खास करके चूचियों की गोलाई तो बेहद अद्भुत थी,,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियों में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं आया था ना तो लचक आई थी,, अभी भी उसकी कई हुई चूचियां उसकी छाती की शोभा बढ़ा रही थी,,,,।
और उसके नितंबों की तो पूछो मत जैसे एक स्त्री जवानी के दहलीज पर कदम रखती है और उसके नितंबों का उभर का आकार ले चुका होता है ठीक उसी तरह की इस उम्र में भी सुनैना की गांड उभार लिए हुए थी और उसकी नितंबो में भी एक खास बात थी कि उसके नेताओं में भी जरा भी लचक और ढीलापन नहीं आया था,,, उम्रकेश पड़ाव में भी उसकी गांड एकदम कसी हुई जवान औरत की तरह थी जिसे देखकर अच्छे अच्छे का पानी निकल जाता था,,, जैसा की सूरज का हाल बेहाल हो चुका था वह पूरी तरह से अपनी मां का दीवाना बन चुका था,,,,
Mukhiya ki beti or suraj
अब तक सूरज मुखिया की बीवी के साथ-साथ मुखिया की लड़की और पड़ोस की गांव की नव विवाहित बहू के साथ शारीरिक संबंध बन चुका था और लगभग लगभग तीनों के बदन के आकार को अपनी आंखों से देख चुका था जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक और मंत्र मुग्ध कर देने वाला बदन सिर्फ उसकी मां का ही था,,, और जिसे भोगने के लिए सूरज ललाईत हुआ जा रहा था,,, लेकिन उसके जीवन में यह मौका कब आएगा यह भी नहीं जानता था लेकिन इतना तो मालूम हो ही चुका था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह एकदम प्यासी है वह भी पूरी तरह से जवानी की आग में शोला बन चुकी है,,, साथ ही सूरज को इस बात की फिक्र भी थी कि कहीं घर की मलाई को कोई बाहर का ना चाट जाए,,, क्योंकि दूसरी औरतों की हालत को वह देख ही चुका था की कैसे मर्द का साथ पाने के लिए ललाईत रहती है,,,।
Nilu or suraj jhopdi me
इसलिए सूरज को अपने पिताजी पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था कितनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां मुंह मार रहा है और इस बात को सोचकर पर अपने मन में यह भी ख्याल रहता था कि अगर उसकी मां उसकी बीवी होती तो वह एक पल के लिए भी उससे बिल्कुल भी दूर नहीं होता दूर क्या वह एक पल के लिए भी अपने लंड को उसकी बुर में से बाहर नहीं निकालता,,,, अपनी मां को नंगी होकर नहाता हुआ देखकर वह जिस काम के लिए आया था वह काम एकदम से भुल चुका था,,,, और जिस तरह का नजारा पर अपनी आंखों से देखा था उसे नजारे को देखकर तो दुनिया अपने आप को भूल जाए फिर काम क्या चीज थी,,,,।
Nilu ki chudai
रात का भोजन तैयार हो चुका था और तीनों मिलकर भोजन कर रहे थे,,,, सामने बैठी सुनैना को देखकर बार-बार सूरज उसे बिना वस्त्र की कल्पना करता था और हर कल्पना में वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराही लगती थी,,,, सूरज बार-बार अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रहा था लेकिन उसकी मुस्कुराने का कारण सुनैना समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,।
क्या है रे ऐसे क्यों मुस्कुरा रहा है,,,?
बस ऐसे ही,,,,।
बस ऐसे ही क्यों मुझे भी तो बता,,,(निवाला मुंह में डालते हुए सुनैना बोली)
ज्यादा कुछ नहीं बस में यह सोच रहा था कि पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही सुनैना का दिल धक से करके रह गया उसकी सांसों की गति पल भर के लिए थम सी गई क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और तुलनात्मक रूप से पूरे गांव की औरतों को भी उसमें शामिल कर रहा था जिसमें उसके मुकाबले और कोई नहीं थी इसलिए पल भर के लिए तो अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुनैना को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी उसका बेटा कर तो रहा था उसकी खूबसूरती की तारीफ इसलिए मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन फिर भी वह एक मां थी और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे थोड़ा अजीब लगा था इसलिए बोला,,,)
Nilu ki chudai karta hua suraj
चल रहने दे बकवास करने को,,,।
अरे मैं बकवास नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं,,,,, मैं सच कह रहा हूं या बकवास कर रहा हूं,,,।
भैया ठीक ही कह रहा है मुझे भी ऐसा ही लगता है पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
तुम दोनों भाई बहन मिलकर मेरा मजाक उड़ा रहे हो,,,।
अरे मां कैसी बातें कर रही हो भला हमअपनी मां का मजाक क्यों उड़ाएंगे,,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, वरना अपने पड़ोस वाली चाची को देखो तुमसे उम्र में छोटी है लेकिन कैसी लगने लगी है और वह जो तालाब के पास रहती है उनकी एक ही बच्चा है लेकिन फिर भी अभी से उम्र वाली लगने लगी,,,।
और हां मां गांव के नौकर कर रही थी ना जो मौसी उनकी तो अभी-अभी बच्चा नहीं है फिर भी तुमसे बड़ी लगने लगी है,,,,(रानी भी अपने भाई के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,, अपने दोनों बच्चों की बातें सुनकर सुनैना का दिल गदगद हुआ जा रहा था वह समझ सकती थी कि सूरज जो कुछ भी कह रहा है उसमें सच्चाई है और उसकी बात मानने का कारण यह भी था कि वह एक मर्द था,,,, और एक औरत की खूबसूरती मर्द से बेहतर भला और कौन समझ सकता है इसलिए सुनैना को पक्का यकीन हो गया था कि वाकई में पूरे गांव में उससे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है लेकिन फिर भी सुनैना इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि अचानक उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ क्यों करने लगा था,,,। यह प्रश्न उसके मन में उठ रहा था लेकिन इसका जवाब भी अपने आप से ही दे रही थी वह अपनी मन में सोच रही थी कि कहीं औरतों को देखने का नजरिया उसके बेटे का वजन तो नहीं किया कहीं वह सचमुच में जवान तो नहीं हो रहा है,,,, अगर ऐसा है तो सच में वह ऐसा जरूर कुछ उसके अंदर देखा होगा जो उसकी तारीफ कर रहा है,,,,।
जहां इस तरह का ख्याल उसे हैरान कर देने वाला था वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों इस ख्याल से वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,,,, और अपने मन को थोड़ा शांत करते हुए वह बोली,,,। )
चलो तुम दोनों यह सब छोड़ो और खाना खाओ,,,,।
(इतना सुनकर भाई बहन एक दूसरे को देखने लगे और खाना खाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद सूरज अपनी मां से बोला,,,)
अरे एक बात तो भुल ही गया,,,,,,,!
क्यों अभी भी कुछ बाकी रह गया है,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सुनैना बोली,,,)
अरे मेरा मतलब आंवला से था,,,।
अरे हां,,, मैंने तुझसे आंवला लाने के लिए बोली थी और तु अभी तक आंवला नहीं ला पाया,,,,( आंवला की बात सुनते ही एकाएक जैसे कुछ ख्याल आया हो इस तरह से सुनैना बोली,,,)
अरे मां उसी के बारे में तो पूछ रहा हूं,,,, जाना कब है,,,,।
सरसों का तेल मैं पिरा के रखी हूं,,, बस आंवला आने की देरी है,,,,,,,।
वह भी आ जाएगा लेकिन जाना कब है,,,,।
अब यह भी तू मुझसे पूछेगा सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है तुझे तो खुद ही लेकर आना चाहिए,,,,।
अरे अकेले में इतने सारे वाला कैसे लेकर आऊंगा तोडूंगा या उन्हें संभालुंगा,,,,।
तो रानी को लेकर जाना और बड़ा सा थैला ले लेना,,,, इस बार ज्यादा तेल बनाऊंगी,,,,।
ठीक है,,,, तू भी चलेगी ना रानी,,,(अपनी बहन की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)
हा ,,, हा,,,, क्यों नहीं मैं भी चलूंगी,,,,,(मुस्कुराते हुए रानी बोली,,,,)
तो ऐसा करो तुम दोनों कल ही चले जाओ और अच्छे-अच्छे आंवला लाना बेकार मत लेकर आना,,,।
इसीलिए तो इस बार में दूसरी जगह से लाने वाला हूं वहां के आंवले बहुत बड़े-बड़े और अच्छे हैं,,,।
कहां के,,,,?
अरे वही पहाड़ी के पास के,,,।
अरे वहां तो जंगल जैसा है वहां जाना ठीक रहेगा,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,)
क्यों नहीं मां मैं तो बहुत बार जा चुका हूं ऐसा कुछ भी वहां नहीं है बस जंगली झाड़ियां बहुत है और सच कहूं तो वहां तो बड़े आराम से आंवला तोड़ सकते हैं वहां कोई बोलने वाला नहीं है,,,, और पास में ही झरना है एकदम ठंडा पानी नहाने का मजा ही कुछ और है,,,।
झरना,,,(एकदम आश्चर्य से रानी) तब तो मैं भी नहाऊंगी,,,,,।
चल रहने दे ठंड लग जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी,,,।
(नहाने के लिए अपनी बहन रानी की उत्सुकता देखकर मन ही मन सूरज प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि वह भी यही चाहता था कि उसकी बहन भी झरने के पानी में नहाए और वह भी उसके साथ,,,,,, वैसे तो सीधे-सीधे सूरज अपनी बहन को चोदने की फिराक नहीं था,, लेकिन वह अपनी बहन को धीरे-धीरे उत्तेजित करना चाहता था उसे लाइन पर लाना चाहता था जैसे वह नीलू के साथ किया था नीलू भी तुरंत उसके साथ चुदवाने के लिए तैयार नहीं हो गई थी लेकिन उसने जिस तरह से अपने लंड के दर्शन करा कर उसे उत्तेजित किया था उसके स्तन को रगड़ा था दबाया था तब धीरे-धीरे जाकर उसकी टांगों के बीच चुदास का रस टपकने लगा था और यही वह अपनी बहन के साथ करना चाहता था ताकि उसके साथ भी संभोग का सुख ले सके,,,, अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)
अरे कुछ नहीं होगा मां वहां नहाने में बहुत मजा आता है,,,,,।
चल कोई बात नहीं नहा लेना लेकिन आंवला अच्छा अच्छा लाना ,,,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना इस बार का तेल बहुत अच्छा बनेगा,,,।(अपनी मां को दिलासा देते हुए सूरज बोला,,, और फिर थोड़ी ही देर में तीनो खाना खा लिए,,,,,ं,,,।
तीनों सोने की तैयारी करने लगे सुनैना अपने कमरे में चली गई और रानी अपने कमरे में चली गई लेकिन सूरज अपने कमरे में नहीं गया क्योंकि वह अपनी मां को देखना चाहता था कि वह अकेले में कमरे में क्या करती है क्योंकि दोपहर में तो वह अपनी मां को नहाते हुए और उसकी हरकत को देख चुका था,,, और वह यह देखना चाहता था कि उसकी मां रात को चुदवासी होती है या नहीं और इसीलिए कुछ देर इंतजार करता रहा और जैसे ही 10 15 मिनट गुजर गए वैसे ही वह तुरंत धीरे-धीरे दबे पांव अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा ,,, तीनों का कमरा एक दूसरे से सटा हुआ था मिट्टी की बनी दीवार और दरवाजा लकड़ी का था जिसमें से आराम से अंदर का नजारा देखा जा सकता था और इसीलिए लकड़ी के दरवाजे से अंदर झांकने का सुख सूरज लेना चाहता था,,,।
और वह धीरे-धीरे तभी पांव अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया,,, लकड़ी के बने दरवाजे के सुराख में से वह अंदर की तरफ देखने लगा,,, जल्द ही अंदर का दृश्य एकदम स्पष्ट होने लगा अंबर लालटेन चल रही थी और उसकी पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था जल्द ही उसे अपनी मां का बिस्तर नजर आने लगा,, और बिस्तर पर लेटी हुई उसकी मां एकदम साफ नजर आने लगी अपनी मां को बिस्तर पर लेटी हुई देखकर सूरज की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह यह देखना चाहता था कि बिना मर्द के उसकी मां रात कैसे गुजरती है क्या रात को भी उसके मन में मर्द संसर्ग की इच्छा जागरुक होती है,,, और बहुत ही जल्दी स्पष्ट भी हो गया कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,।
सूरज एकदम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां पीठ के बाल बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके ऊपर नहीं था ब्लाउज में कसी हुई उसकी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी और उसकी सांसों की गति के साथ वह भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरज का मन डोल रहा था कुछ देर तक गहरी सांस लेने के बाद सुनैना के दोनों हाथ ब्लाउज के ऊपर आ गए और बाहर के हल्के अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरज के लंड की अकड़ बढ़ने लगी और वह इस बात से खुश हो गया कि जो वह सोच रहा था वही हो रहा है,,,।
वैसे तो रोज बिस्तर पर सुनैना अपने पति के लिए तड़पती थी लेकिन आज उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, आज उसके मन में उसके बेटे की कही गई बात घूम रही थी कि वह बहुत खूबसूरत है पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और इस बात है सेवा अंदेशा लग रही थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों कहा,,, और इसका जवाब भी उसके पास था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया जवान हो गया है औरत को देखने का नजरिया उसका बदल गया है लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके बदन में उसका बेटा ऐसा क्या देख लिया जो वह कुछ ही पल में गांव की सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत लगने लगी,,, और यही सोच कर वह ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को जोर-जोर से दबा रही थी और यह देखकर बाहर खड़ा सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था,,।
देखते ही देखते सुनैना अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और अगले ही पल अपना ब्लाउज उतार कर एक तरफ फेंक दी उसकी नंगी चूचियां पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी जिसे वह अपने हथेली में रेखा जोर-जोर से दबा रही थी और अपने मन में नहीं सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखकर तो नहीं बोल रहा है कि वह सबसे ज्यादा खूबसूरत है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी चूची देख लिया हो,,,, अपने मन में उठ रहे सवाल का वह खुद ही जवाब देते हुए बोल रही थी नहीं ऐसा कैसे हो सकता है उसके सामने में कभी ऐसी स्थिति में आई नहीं कि वह कभी मेरे नंगे बदन को देख सके लेकिन फिर भी हो सकता है वह साड़ी के ऊपर से ही अंगों का जायजा ले लिया हो,,,, और यही सब देखकर वहां उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत समझ रहा है,,,,।
यह सब बातें सोच कर सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह जोर-जोर से अपनी चूची को दबा रही थी,,,, और दूसरी तरफ दरवाजे के बाहर खड़ा सूरज अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था,,, वह भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसल रहा था,, वह समझ गया था कि उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है जो उसकी जवानी को रगड़ रगड़ कर उसका रस निकाल सके और यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी पड़ेगी कहीं ऐसा ना हो कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह घर के बाहर कदम निकाल दे और दूसरों को अपनी जवानी का रस पिलाए,,,, और ऐसा सोचता हुआ वह अपने आप से ही कह रहा था कि उसे जल्द ही कदम उठाना होगा,,,,।
अंदर मदहोशी बढ़ती जा रही थी सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,, और अनायास उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसका बेटा उसके साथ संबंध बना ले तो कैसा होगा वैसे भी उसके बेटे के साथ सोनू की चाची संबंध बनाना चाहती है ऐसा उसकी हरकत देखकर लग रहा था,,,, ऐसा सोचते हुए सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी और जैसे-जैसे वह साड़ी खोल रही थी वैसे-वैसे बाहर खड़े सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,,, और देखते-देखते सुनैना अपने बदन पर से साड़ी उतार कर खटिया के नीचे और इस समय वहां बिस्तर पर केवल पेटीकोट में थी और पेटीकोट भी उसकी जांघों तक चढ़ा हुआ था,,, और लालटेन के पीली रोशनी में उसकी मोती मोती जामुन को देखकर सूरज की आंखों में वासना का तूफान नजर आ रहा था,,,,।
सुनैना के मन में आया ख्याल उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था वह अपने ही बेटे के साथ शारीरिक,, संबंध बनाने के बारे में सोच रही थी,,, और यह ख्याल उसके तन बदन में आग लग रहा था और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि अगर सच में ऐसा हो जाए तो क्या होगा और यही सोचते हुए वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और यह देखकर सूरज की उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचने लगी क्योंकि कुछ ही इच्छा में उसकी मां पूरी तरह से नंगी होने वाली थी,,,, और देखते ही देखते सुनैना अपनी पेटिकोट की डोरी को ढीली करके अपनी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगी लेकिन उसकी भारी भरकम गांड पेटीकोट के कपड़े को अपनी गांड के नीचे दबाए हुआ था इसलिए वह अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर हुआ धीरे से अपनी पेटीकोट को अपने मोटी मोटी टांगों से बाहर निकाल कर एकदम नंगी हो गई यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह भी अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,,।
दूसरी तरफ सुनैना की कल्पना बढ़ती जा रही थी सुन ना अपने मन में कल्पना कर रही थी कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका बेटा अपने लिए जगह बनाकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया है,,, और अपने मोटे तगडे लंड को उसकी बुर में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया है ऐसा सोचते हुए सुनैना अपनी दो उंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी थी और यह देखकर सूरज से रहने गया था और वह बाहर खडा होकर अपनी मां की हरकत को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया था,,, कमरे के अंदर से शिसकारी की आवाज बाहर खड़े सूरज को एकदम साफ सुनाई दे रही थी और अपनी मां की गरमा गरम सिसकियो की आवाज सुनकर सूरज का धैर्य जवाब दे रहा था उसके मन में हो रहा था किसी समय दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाए और अपनी मां की प्यास बुझा दे लेकिन ऐसा वह सिर्फ सोच सकता था कर सकने की हिम्मत अभी उसमें नहीं थी,,,।
अंदर कमरे में सूरज की मां की सांस बड़ी तेजी से चलने लगी वह एकदम चरम शिखर पर पहुंचने वाली थी और बाहर खड़ा सूरज भी झड़ने वाला था और देखते-देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे सूरज दरवाजे पर ही अपना गरम लावा गिरा दिया और फिर धीरे से अपने कमरे में चला गया,,,,।
सुबह सूरज जल्दी से चलने की तैयारी कर लिया क्योंकि काफी दूर जाना था,,,। इसलिए सुनैना दोनों के लिए रोटी और सब्जी के साथ अचार भी बांध दी,,,, और फिर दोनों निकल पड़े एक नए सफर की ओर,,,