Raj Singh
Active Member
- 1,948
- 3,941
- 158
रानी और सूरज दोनों की हालत एकदम खराब हो चुकी थी सूरज तो फिर भी किसी तरह से अपनी जवानी की आग को बुझाने में सक्षम था लेकिन रानी इस ज्ञान से पूरी तरह से अनजान थी इस खेल में वह पूरी तरह से अज्ञानी थी उसे नहीं मालूम था कि बदन की आग को कैसे बुझाया जाता है इसीलिए तो बार-बार उसके तन बदन में मदहोशी हिलोरें ले रही थी,, जंगल में झरने में जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ रानी के लिए बेहद अद्भुत और एक सपना की तरह ही था जिसे बार-बार याद करने में उसे मजा भी आ रहा था और बदन की तरफ भी बढ़ती जा रही थी,,,।
घर पर पहुंच कर जैसी उम्मीद थी सूरज को वैसा ही हुआ,,, सूरज को पूरा यकीन था कि उसकी बहन रानी मां से कुछ भी नहीं काहे की और ऐसा ही हुआ रानी ने नहाते समय जो कुछ भी हुआ था ऐसा कुछ भी अपनी मां से नहीं बताई थी बल्कि खाना खाते समय वह बाकी सभी बातों को बता दी थी केवल पेशाब करने वाली बात और झरने में नहाने वाली बात वह अपनी भाषा छुपा ले गई थी क्योंकि पेशाब करने वाली बात भी एक तरह से छुपाने लायक ही बात थी जो कि अपनी मां से किसी भी सूरत में कहना उचित नहीं था इतना तो रानी समझती ही थी,,,,,, खाना खाते समय सुनैना रानी और सूरज तीनों साथ में बैठकर खाना खा रहे थे और सूरज के साथ-साथ रानी भी जंगल की बातों को बता रही थी,,,।
सच में मां वहां इतनी हरियाली है कि पूछो मत लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया रहता है जंगली जानवरों का डर भी लगा रहता है लेकिन इतना आंवला है कि पूछो मत,,, और हां मां इस बारे में किसी और को मत बता देना वरना धीरे-धीरे सब लोग वहीं पहुंचने लगेंगे तो फिर अपने को कुछ हाथ नहीं लगेगा,,, वैसे भी वहां जाने में बहुत मजा आता है चीकू अनार अमरूद से लेकर तरह-तरह के फल उगे हुए थे लेकिन आंवला लाने के चक्कर में मैं फल नहीं ला पाई,,,।
तू जिस तरह से बता रही है सच में मेरा भी मन कर रहा है वहां जाने को,,,।
नहीं मां वहां जाने जैसा नहीं है,,,।
अभी तो तू कह रही थी वहां बहुत अच्छा लगता है,,,।
ऐसा नहीं है अच्छा तो लगता है लेकिन चलना बहुत पड़ता है और तुम चल नहीं पाओगी इतना,,,,।
और हा मां वहां नहाने में भी बहुत मजा आता है,,,(रानी की तरफ देखते हुए सूरज बोल तो रानी शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ली और यह सुनकर सुनैना बोली,,,)
नहाने में मैं कुछ समझी नहीं,,,!
मन वहां पर झरना बहता है और उसका पानी एक तालाब जैसी जगह पर इकट्ठा होता है इतना ठंडा पानी की गर्मी में एकदम ठंडक दे दे,,,।
तू नहाई थी क्या,,?
नननन,, में भला कैसे नहा सकती थी कपड़े तो ले ही नहीं गईथी,,,।
और सूरज तू,,,( मुंह में निवाला डालते हुए सूरज से बोली,,,)
में भी नहीं नहाया,,, मैंने भी कहा कपड़े लेकर गया था,,,(सूरज भी एकदम साफ झूठ बोलते हुए बोला)
चलो जाने दो फिर कभी नहा लेना और अगर मौका मिला तो मैं भी जाकर नहा लूंगी मैं भी तो देखूंगा वह जगह कैसी है और वैसे भी तुम दोनों ने इतना ढेर सारा हमला लाए हो की 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।
मतलब अब 2 साल जाना नहीं पड़ेगा,,,(रानी सूरज की तरफ देखते हुए बोली)
नहीं ऐसा नहीं है वहां और भी तो चीज है फल है उसे भी लेने जा सकते हैं,,,,।
हां भाई सही कह रहे हो,,,(एकदम उत्साहित होते हुए रानी बोली उसके कहने से ऐसा लग रहा था कि वह फिर से वहां जाना चाहती है और उसकी बात सुनकर सूरज भी मुस्कुराते हुए बोला)
अब तो कपड़े भी लेकर चलेंगे नहाने में भी मजा आएगा,,,,।
इसके बाद भी तीनों के बीच ढेर सारी बातें हुई लेकिन रानी और सूरज उन बातों को छुपा ले गए थे जिन बातों से दोनों के बीच आकर्षण और उत्तेजना बढ़ने लगा था,,,,। खाना खाने के बाद तीनों अपने-अपने कमरे में चले गए थे सोने के लिए लेकिन तीनों अपने अपने खयालों में खो से गए थे,,,।
सुनैना पति की याद में तड़प रही थी रात भर बिस्तर पर करवट बदल बदल कर अपने दिन गुजर रही थी आखिरकार वह भी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी उसे भी पुरुष संसर्ग की इच्छा प्रज्वलित कर रही थी,,,। उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह धीरे से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी उंगलियों को ही पटवार बनाकर वासना के समंदर से गुजरने का फैसला कर ली और फिर उसने अपनी दोनों उंगलियों को एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगी और गहरी गहरी सांस लेते हुए ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूचियों को मसलते हुए मदहोशी भरे ख्यालों में खो गई,,, वैसे तो सुनैना इस तरह से अपनी प्यास बुझाने के लिए हरकत करती नहीं थे लेकिन अपने पति की बेरुखी देखकर उसे इस तरह का रास्ता इख्तियार करना पड़ा,,, वह पूरी तरह से मजबूर हो चुकी थी,,,।
और दूसरी तरफ सूरज की हालत खराब थी वैसे तो संभोग सुख सेवा पूरी तरह से वाकिफ था एक औरत किस तरह का सुख मर्द को देती है इस बारे में वह पूरी तरह से जानता था और धीरे-धीरे इस खेल में पूरी तरह से माहिर भी हो चुका था क्योंकि मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की उसे सुख से वाकिफ करा चुकी थी एक तरह से मुखिया की बीवी इस खेल में उसकी गुरु थी जिसकी दोनों टांगों के बीच हुआ इस कला को सीख चुका था और वही कल उसने मुखिया की लड़की पर भी आजमा चुका था और उसकी लड़की भी उसकी मर्दानगी की दीवानगी हो चुकी थी इसलिए तो वह समय से पहुंच जाती थी बगीचे में सूरज से चुदवानेके लिए और सुरज भी उसे पूरी तरह से तीर्थ करने के बाद ही उसे घर जाने देता था इस तरह से सूरज का काम बड़े अच्छे से चल रहा था,,,।
लेकिन आज उसके ख्यालों में मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की और सोनू की चाची नहीं बल्कि आज उसकी खुद की सगी बहन थी रानी जिसकी जवानी की आग में वह पूरी तरह से तड़प रहा था,,, वह किसी भी कीमत पर अपनी बहन की जवानी का स्वाद रखना चाहता था उसे पाना चाहता था क्योंकि आज झरने में उसने अपनी बहन की जवानी को पूरी तरह से नग्नअवस्था में देख चुका था इससे पहले वह अपनी बहन के नितंबों के दर्शन करके मचल उठा था,,, उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसे चोदने की कल्पना करने लगा था,,, और जिस तरह से कहा मुखिया के लड़की को अपने काबू में कर लिया था उसी तरह से अपनी बहन को भी अपनी जवानी से भरे हुए मर्दाना अंग का स्वाद चखाना चाहता था,,,।
औरतों की संगत में परिपक्व हो चुका सूरज इस बात को भी भली भांति जानता था कि उसकी बहन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान है इस खेल को खेलने उसे नहीं आता वह नहीं जानती कि मर्दों के साथ कैसे रहा जाता है मर्द औरत के साथ कैसा व्यवहार करते हैं इसलिए वह अपने हर एक कदम को बड़े संभाल कर रख रहा था वरना रानी की जगह कोई और लड़की होती तो झरने में ही उसकी चुदाई कर दिया होता,,,, लेकिन वह रानी के साथ ऐसा करने से झिझक रहा था,,, क्योंकि वह रानी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से बाकी था वह जानता था कि अगर कुछ भी गड़बड़ हो गई तो रानी मां से सब कुछ बता देगी और वह नहीं चाहता था कि इस बारे में उसकी मां को बिल्कुल भी भनक तक लगे,,,,।
अपने मर्दाना आगे की लंबाई और मोटाई से अच्छी तरह से वाकिफ था और यह भी अच्छी तरह से जानता था कि अनछुई रानी के साथ जोर जबरदस्ती करने में बिल्कुल भी भलाई नहीं है क्योंकि पहली बार में ही इतना मोटा लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश करना मुश्किल हो जाएगा,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि अगर मुखिया की लड़की की तरह ही अगर उसकी बहन की चुदाई करना चाहता है तो वह धीरे-धीरे इस खेल में आगे बढ़ेगा ताकि रानी खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर रख ले और उसे चोदने के लिए बोले तब जाकर उसका काम बन पाएगा वरना इतनी मेहनत करने का कोई भी परिणाम नहीं निकल पाएगा और वह हाथ मलता रह जाएगा इसीलिए वह बहुत सोच समझकर इस खेल में आगे बढ़ रहा था।
अपनी बहन की नंगी जवान को याद करके सूरज का लैंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था और वह अपने पजामा को उतार कर कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो चुका था और अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर हौले हौले से हिला रहा था और अपनी बहन के बारे में सोच रहा था उसके छोटे-छोटे नंगी जैसी चूचियों के बारे में सोचकर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था झरने में खड़े होकर नहाते समय सूरज अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को भी नजर भर कर देख चुका था उसके आकार से परिचित हो चुका था वह जानता था की पहली बार में लंड का उसकी बुर में पूरी तरह से प्रवेश कर पाना मुश्किल हो जाएगा इसलिए उसे बड़ी चालाकी से काम लेना है,,,।
औरतों के व्यक्तित्व से वाकिफ हो चुका सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन भी धीरे-धीरे उसके काबू में आ जाएगी जिसकी शुरुआत हो चुकी थी अगर रानी को उसकी बातों से उसकी हरकतों से जरा भी आपत्ति होती तो वहां तालाब में नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी ही ना होती,,,, लेकिन उसके मन में भी कुछ-कुछ हो रहा था उसकी बातें सुनकर इसलिए तो वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी अपने भाई के सामने नहाने के लिए और इसी बात से तो सूरज मैन ही मन बहुत खुश हो रहा था,,,,, अपनी बहन के बारे में सोते हुए सूरज को तालाब के अंदर वाली बात याद आ गई जब वह अपनी बहन को संभालने के लिए उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपने लंड को सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा था लेकिन मर्दाना अंग से अनजान रानी समझ नहीं पाई थी कि उसकी बुर पर उसके भाई का लंड ठोकर मार रहा है वह सोच रही थी कि कोई मछली या कोई सांप उसकी दोनों जांघों के बीच रेंग रहा है,,,।
और इसी के चलते वह अपना हाथ तालाब में डालकर उसके लंड को पकड़ ली थी पहले तो वह समझ नहीं पाई थी लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ था वह पूरी तरह से तड़प उठी थी पानी में होने के बावजूद भी उसके माथे से पसीना टपकने लगा था वह कस के सूरज के लंड को पकड़ी हुई थी,, क्योंकि वह समझ नहीं पा रही थी कि यह वाकई में उसके भाई का लैंड है क्योंकि वह कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा था उसने तो कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि लंड इस तरह का होता है इसीलिए तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और जब उसे पता चला था कि यह कोई मछली या सांप नही उसके भाई का लंड है तो वह शर्मा कर उसके भाई के कहने के बाद ही छोड़ी थी। सब कुछ सूरज के सोच के अनुसार ही चल रहा था,,,सुरज अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था उसे पूरा यकीन हो गया था की मुखिया की लड़की की तरह ही उसकी बहन उससे चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी वह अपनी बहन के बदन में इतनी उत्तेजना और मदहोशी भर देगा कि वह खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर लगा देगी और चोदने के लिए बोलेगी,,।
यही सब सोता हुआ सूरज धीरे-धीरे अपने लंड को मुठिया रहा था,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, उसके मुट्ठी का कसाव उसके लंड के इर्द गिर्द बढ़ता जा रहा था और इसके ख्यालों में उसकी बहन की नंगी जवानी पूरी तरह से छाने लगी थी वह अपने मन में कल्पना करने लगा था कि वह तालाब में ही अपनी बहन से प्रेम क्रीडा कर रहा है,,,, उसके लाल-लाल होठों का रसपान करता हुआ,,,, उसके नारंगी को दबा रहा है और ऐसा हुआ झरने में खड़े होकर नहाते समय कर भी दिया था इसीलिए वह ख्याल उसके बदन में उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ने लगा वह अपने मन में कल्पनाओं के घोड़े को बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था वह देखते ही देखते कल्पना में अपनी हथेली को अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी छेद पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और वह खुद अपने भाई के होठों को अपने होठों के बीच रखकर चाटना शुरू कर दी थी चुसना शुरू कर दी थी,,, खटिया पर सूरज की हालत खराब हो जा रही थी देखते ही देखते वह बड़े जोरों से अपना हाथ हिलाना शुरू कर दिया था,,,।
हकीकत की तरह उसकी कल्पना भी पूरी तरह से साफ थी कल्पना में भी उसकी बहन सिर्फ उत्तेजित हो रही थी इसका विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी इसलिए तो देखते ही देखते सूरज कल्पना में अपने मोटे तगड़े लंड को थूक लगाकर अपनी बहन रानी की गुलाबी बुर में डालना शुरू कर दिया और कल्पना में बड़े आराम से धीरे-धीरे करके उसका पूरा लंड उसकी बहन की बुर में समा गया,,,। और वह झरने के नीचे खड़ा होकर अपनी बहन की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया उसकी बहन भी मदहोश हुए जा रही थी पागल हुए जा रही थी कल्पना में वह पूरी तरह से उसके काबू में थी और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,, और हकीकत में सूरज के लंड से तेज कुंवारा निकला जो वापस उसकी छाती तक उसे भीगो गया और वह इसके बाद गहरी नींद में कब सो गया उसे भी पता नहीं चला,,,।
दूसरी तरफ रानी उसकी आंखों से नींद गायब थी उसके साथ तो यह सब पहली बार हुआ था इसलिए उम्र का तकाजा उसे और बेचैन कर रहा था,,, यह अनुभव उसके लिए पहली बार कथा इससे पहले उसने इस तरह के अनुभव से कभी गुजरी नहीं थी और ना ही कभी सोची थी यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था इसलिए उसके दिलों दिमाग पर यह पूरी तरह से गहरी छाप छोड़ रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके भाई का नंगा बदन और उसका मोटा तगड़ा लंड लहराता हुआ नजर आ रहा था जिसके चलते उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, वह अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे दिन भर के बारे में ही सोच रही थी,,,, जंगल में अपने भाई से बिना बताएं बड़े से पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करना और उसके भाई का वहां आकर देख लेना यह सब उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से गहरा प्रभाव छोड़ रहा था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका भाई उसकी नंगी गांड को उसे पेशाब करता हुआ देख चुका है वह क्या सोचता होगा,,,।
उसे यह भी महसूस हुआ था कि उसके भाई में काफी बदलाव आ गया था इससे पहले वह उसके सामने इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था लेकिन पहली बार वह उसके सामने पेशाब करने वाली बात नंगी शब्द का प्रयोग बार-बार कर रहा था,,,। यह सब रानी को बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि इससे पहले उसके भाई ने इस तरह के शब्दों का ना तो प्रयोग किया था नहीं इस तरह की कभी हरकत किया था उसे अच्छी तरह से याद था कि कैसे हैं अपना तालाब में कूद जाने के बाद उसे भी कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए विवश किया था यह सब रानी समझ नहीं पा रही थी यह सब उसका भाई किस लिए कर रहा था जबकि उसका भाई उसकी बहुत इज्जत भी करता था और उसका ख्याल भी रखता था,,,,,, और उसे इस बात को सोचकर अपने आप पर ही शर्मा रही थी कि अपने भाई की बात मानकर वह कैसे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गई थी और अपने भाई की आंखों के सामने धीरे-धीरे तालाब में उतर गई थी उसे समय तो उसका भाई उसकी नजरों को दूसरी तरफ घुमा रखा था लेकिन वह कमर तक ही तालाब में प्रवेश कर पाई थी कि तभी उसका भाई जानबूझकर अपनी आंखों को घुमा दिया था और उसकी नंगी चूचियों को देख लिया था यह सब सोचकर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,।
रानी खटिया पर लेटे-लेटे अपने भाई के बारे में ही सोच रही थी कि कैसा उसका भाई बेशर्मों की तरह उसकी नंगी चूचियों को निहार रहा था और जी भर कर देख लेने के बाद ही अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमाया था और जब वह तालाब में पैर फिसलने की वजह से गिरने वाली थी तो वह कैसे उसे थाम लिया था अपनी बाहों में भर लिया था यह जानते हुए कि वह पूरी तरह से नंगी है और वह भी पूरी तरह से नंगा है यह सोचकर रात को अपनी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होती है महसूस हो रही थी वह यह सब तो जान रही थी कि जो कुछ भी हो रहा था गलत हो रहा था लेकिन न जाने क्यों उसे यह सब अच्छा भी लग रहा था इस बात से हुआ इनकार भी नहीं कर सकती थी क्योंकि इस समय भी उसके बदन में आनंद की फुहार उठ रही थी जिसे वह समझ नहीं पा रही थी,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि तालाब के अंदर का एक-एक पल एक-एक दृश्य उसकी आंखों के सामने किसी सपने की तरह नाच रहा था जिसे वह सपने में नहीं बल्कि हकीकत में जी ली थी,,,।
उसे अपनी हरकत पर भी एकदम शर्म महसूस होने लगी कि वह कैसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने ही भाई के लंड की रगड़ को नहीं पहचान पाई उसे मछलियां सांप बता रही थी और अनजाने में उसे अपने हाथ में पकड़ भी लेते बाप रे कितना मोटा और लंबा लंड है भाई का यह सोचकर ही उसकी बुर से पानी का रिसाव होने लगा था,,, जिसे वह पेशाब की बहुत समझ रही थी ,,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,, उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में झनझनाहट महसूस हो रही थी उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी,,, तभी उसे उसके भाई की वह हरकत याद आई जो एकदम शर्मसार कर देने वाली थी लेकिन उसे समय शर्म के मारे पानी पानी होने के बावजूद भी अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना और अपने भाई के प्रति आकर्षण का अनुभव कर रही थी,,,।
वह एक पल का दृश्य उसे अच्छी तरह से आता जब उसका भाई एकदम से चलने के नीचे एकदम नंगा ही खड़ा हो गया था उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी छोटी बहन उसकी आंखों के सामने है और वह उसे देखेगी तो क्या समझेगी लेकिन वह बेशर्मों की तरह झरने के नीचे नहाता रहा और रानी अपने आप पर भी साथ में महसूस कर रही थी लेकिन उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने भाई को नंगा देख रही थी और खास करके उसके लंड को जो कि एकदम मोटा तगड़ा खड़ा था,,,, और वह उसे बुला भी रहा था रानी को समझ में नहीं आया था कि वह कैसे उसकी बात मान गई और उसके साथ जाकर खड़ी हो गई और वह एकदम नंगी सारे देसी की वजह से उसका भाई उसे पर काबू नहीं कर पाया और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल हो तो परेशान करने लगा उसे चुंबन करने लगा यह उसके जीवन का पहला चुंबन था इसलिए रानी भी पूरी तरह से गदगद हो गई थी वह कुछ समझ पाती से पहले ही अपनी चूची पर अपने भाई के हाथ को महसूस करके वह और ज्यादा रोमांचित हो गई,,,, लेकिन वह कुछ कर पाता इससे पहले ही वह अपने आप को अलग कर ली थी,,,,।
रानी इस बात से इनकार नहीं कर पा रही थी कि जो कुछ भी हुआ था उसमें उसको भी मजा आ रहा था इसलिए इसमें पूरा दोष वह अपने भाई को नहीं दे रही थी,,,, लेकिन उसे पाल को याद करके उसे और वह जल्दी से अपने बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और धीरे से दरवाजा खोल के धीरे-धीरे बाहर पेशाब करने के लिए चली गई यह उत्तेजना की लहर थी लेकिन उसे लग रहा था कि उसे पढ़ो जरूर की पेशाब लगी है और वह बाहर पेशाब करके वापस अपने कमरे में आ गई और एक गिलास ठंडा पानी पीकर अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगे और थोड़ी देर में उसे भी नींद आ गई, ,।
दो-चार दिन ऐसे ही गुजर गए सूरज और रानी दोनों आपस में सहज बने रहे लेकिन फिर भी एक दूसरे से नजर मिलाने से कतरा रहे थे,,,, सूरज इधर-उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था तभी उसके दोस्त ने उसे बताया कि उसने उसके पिताजी को कल्लु के साथ शराब पीते हुए देखा है,,,, इतना सुनकर वह है थोड़ा परेशान हो गया क्योंकि वह मन ही मन चाहता था कि उसके पिताजी वापस ना आए तो उसका भी कोई जुगाड़ बन जाए अपनी मां के साथ लेकिन उसके वापस आने की वजह से और थोड़ा चिंतित हो गया लेकिन फिर भी वह सोचा कि चलो कोई बात नहीं आ गए तो आ गए,, अच्छा ही हुआ लेकिन कल्लु के साथ कल्लु तो ठीक आदमी नहीं है इसके बारे में उसने भी सुन रखा था इसलिए थोड़ा उसे चिंता हो रही थी,,, अपने पिताजी की चिंता में वह देर रात घर पर पहुंचा लेकिन घर पहुंच कर उसे पता चला कि वहां तो कोई है ही नहीं और इस बारे में उसने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं बताया कि उसके पिताजी गांव में ही है ऐसे ही 10 दिन जैसे गुजर गया लेकिन उसके पिताजी घर दिखाई नहीं दिए तो वह इस बारे में खुद ही पता लगाने की सोचा,,,।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयारानी और सूरज दोनों की हालत एकदम खराब हो चुकी थी सूरज तो फिर भी किसी तरह से अपनी जवानी की आग को बुझाने में सक्षम था लेकिन रानी इस ज्ञान से पूरी तरह से अनजान थी इस खेल में वह पूरी तरह से अज्ञानी थी उसे नहीं मालूम था कि बदन की आग को कैसे बुझाया जाता है इसीलिए तो बार-बार उसके तन बदन में मदहोशी हिलोरें ले रही थी,, जंगल में झरने में जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ रानी के लिए बेहद अद्भुत और एक सपना की तरह ही था जिसे बार-बार याद करने में उसे मजा भी आ रहा था और बदन की तरफ भी बढ़ती जा रही थी,,,।
घर पर पहुंच कर जैसी उम्मीद थी सूरज को वैसा ही हुआ,,, सूरज को पूरा यकीन था कि उसकी बहन रानी मां से कुछ भी नहीं काहे की और ऐसा ही हुआ रानी ने नहाते समय जो कुछ भी हुआ था ऐसा कुछ भी अपनी मां से नहीं बताई थी बल्कि खाना खाते समय वह बाकी सभी बातों को बता दी थी केवल पेशाब करने वाली बात और झरने में नहाने वाली बात वह अपनी भाषा छुपा ले गई थी क्योंकि पेशाब करने वाली बात भी एक तरह से छुपाने लायक ही बात थी जो कि अपनी मां से किसी भी सूरत में कहना उचित नहीं था इतना तो रानी समझती ही थी,,,,,, खाना खाते समय सुनैना रानी और सूरज तीनों साथ में बैठकर खाना खा रहे थे और सूरज के साथ-साथ रानी भी जंगल की बातों को बता रही थी,,,।
सच में मां वहां इतनी हरियाली है कि पूछो मत लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया रहता है जंगली जानवरों का डर भी लगा रहता है लेकिन इतना आंवला है कि पूछो मत,,, और हां मां इस बारे में किसी और को मत बता देना वरना धीरे-धीरे सब लोग वहीं पहुंचने लगेंगे तो फिर अपने को कुछ हाथ नहीं लगेगा,,, वैसे भी वहां जाने में बहुत मजा आता है चीकू अनार अमरूद से लेकर तरह-तरह के फल उगे हुए थे लेकिन आंवला लाने के चक्कर में मैं फल नहीं ला पाई,,,।तू जिस तरह से बता रही है सच में मेरा भी मन कर रहा है वहां जाने को,,,।नहीं मां वहां जाने जैसा नहीं है,,,।अभी तो तू कह रही थी वहां बहुत अच्छा लगता है,,,।ऐसा नहीं है अच्छा तो लगता है लेकिन चलना बहुत पड़ता है और तुम चल नहीं पाओगी इतना,,,,।
और हा मां वहां नहाने में भी बहुत मजा आता है,,,(रानी की तरफ देखते हुए सूरज बोल तो रानी शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ली और यह सुनकर सुनैना बोली,,,)नहाने में मैं कुछ समझी नहीं,,,!मन वहां पर झरना बहता है और उसका पानी एक तालाब जैसी जगह पर इकट्ठा होता है इतना ठंडा पानी की गर्मी में एकदम ठंडक दे दे,,,।तू नहाई थी क्या,,?नननन,, में भला कैसे नहा सकती थी कपड़े तो ले ही नहीं गईथी,,,।और सूरज तू,,,( मुंह में निवाला डालते हुए सूरज से बोली,,,)
में भी नहीं नहाया,,, मैंने भी कहा कपड़े लेकर गया था,,,(सूरज भी एकदम साफ झूठ बोलते हुए बोला)चलो जाने दो फिर कभी नहा लेना और अगर मौका मिला तो मैं भी जाकर नहा लूंगी मैं भी तो देखूंगा वह जगह कैसी है और वैसे भी तुम दोनों ने इतना ढेर सारा हमला लाए हो की 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।मतलब अब 2 साल जाना नहीं पड़ेगा,,,(रानी सूरज की तरफ देखते हुए बोली)नहीं ऐसा नहीं है वहां और भी तो चीज है फल है उसे भी लेने जा सकते हैं,,,,।हां भाई सही कह रहे हो,,,(एकदम उत्साहित होते हुए रानी बोली उसके कहने से ऐसा लग रहा था कि वह फिर से वहां जाना चाहती है और उसकी बात सुनकर सूरज भी मुस्कुराते हुए बोला)अब तो कपड़े भी लेकर चलेंगे नहाने में भी मजा आएगा,,,,।
इसके बाद भी तीनों के बीच ढेर सारी बातें हुई लेकिन रानी और सूरज उन बातों को छुपा ले गए थे जिन बातों से दोनों के बीच आकर्षण और उत्तेजना बढ़ने लगा था,,,,। खाना खाने के बाद तीनों अपने-अपने कमरे में चले गए थे सोने के लिए लेकिन तीनों अपने अपने खयालों में खो से गए थे,,,।सुनैना पति की याद में तड़प रही थी रात भर बिस्तर पर करवट बदल बदल कर अपने दिन गुजर रही थी आखिरकार वह भी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी उसे भी पुरुष संसर्ग की इच्छा प्रज्वलित कर रही थी,,,। उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह धीरे से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी उंगलियों को ही पटवार बनाकर वासना के समंदर से गुजरने का फैसला कर ली और फिर उसने अपनी दोनों उंगलियों को एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगी और गहरी गहरी सांस लेते हुए ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूचियों को मसलते हुए मदहोशी भरे ख्यालों में खो गई,,, वैसे तो सुनैना इस तरह से अपनी प्यास बुझाने के लिए हरकत करती नहीं थे लेकिन अपने पति की बेरुखी देखकर उसे इस तरह का रास्ता इख्तियार करना पड़ा,,, वह पूरी तरह से मजबूर हो चुकी थी,,,।
और दूसरी तरफ सूरज की हालत खराब थी वैसे तो संभोग सुख सेवा पूरी तरह से वाकिफ था एक औरत किस तरह का सुख मर्द को देती है इस बारे में वह पूरी तरह से जानता था और धीरे-धीरे इस खेल में पूरी तरह से माहिर भी हो चुका था क्योंकि मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की उसे सुख से वाकिफ करा चुकी थी एक तरह से मुखिया की बीवी इस खेल में उसकी गुरु थी जिसकी दोनों टांगों के बीच हुआ इस कला को सीख चुका था और वही कल उसने मुखिया की लड़की पर भी आजमा चुका था और उसकी लड़की भी उसकी मर्दानगी की दीवानगी हो चुकी थी इसलिए तो वह समय से पहुंच जाती थी बगीचे में सूरज से चुदवानेके लिए और सुरज भी उसे पूरी तरह से तीर्थ करने के बाद ही उसे घर जाने देता था इस तरह से सूरज का काम बड़े अच्छे से चल रहा था,,,।लेकिन आज उसके ख्यालों में मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की और सोनू की चाची नहीं बल्कि आज उसकी खुद की सगी बहन थी रानी जिसकी जवानी की आग में वह पूरी तरह से तड़प रहा था,,, वह किसी भी कीमत पर अपनी बहन की जवानी का स्वाद रखना चाहता था उसे पाना चाहता था क्योंकि आज झरने में उसने अपनी बहन की जवानी को पूरी तरह से नग्नअवस्था में देख चुका था इससे पहले वह अपनी बहन के नितंबों के दर्शन करके मचल उठा था,,, उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसे चोदने की कल्पना करने लगा था,,, और जिस तरह से कहा मुखिया के लड़की को अपने काबू में कर लिया था उसी तरह से अपनी बहन को भी अपनी जवानी से भरे हुए मर्दाना अंग का स्वाद चखाना चाहता था,,,।औरतों की संगत में परिपक्व हो चुका सूरज इस बात को भी भली भांति जानता था कि उसकी बहन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान है इस खेल को खेलने उसे नहीं आता वह नहीं जानती कि मर्दों के साथ कैसे रहा जाता है मर्द औरत के साथ कैसा व्यवहार करते हैं इसलिए वह अपने हर एक कदम को बड़े संभाल कर रख रहा था वरना रानी की जगह कोई और लड़की होती तो झरने में ही उसकी चुदाई कर दिया होता,,,, लेकिन वह रानी के साथ ऐसा करने से झिझक रहा था,,, क्योंकि वह रानी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से बाकी था वह जानता था कि अगर कुछ भी गड़बड़ हो गई तो रानी मां से सब कुछ बता देगी और वह नहीं चाहता था कि इस बारे में उसकी मां को बिल्कुल भी भनक तक लगे,,,,।अपने मर्दाना आगे की लंबाई और मोटाई से अच्छी तरह से वाकिफ था और यह भी अच्छी तरह से जानता था कि अनछुई रानी के साथ जोर जबरदस्ती करने में बिल्कुल भी भलाई नहीं है क्योंकि पहली बार में ही इतना मोटा लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश करना मुश्किल हो जाएगा,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि अगर मुखिया की लड़की की तरह ही अगर उसकी बहन की चुदाई करना चाहता है तो वह धीरे-धीरे इस खेल में आगे बढ़ेगा ताकि रानी खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर रख ले और उसे चोदने के लिए बोले तब जाकर उसका काम बन पाएगा वरना इतनी मेहनत करने का कोई भी परिणाम नहीं निकल पाएगा और वह हाथ मलता रह जाएगा इसीलिए वह बहुत सोच समझकर इस खेल में आगे बढ़ रहा था।अपनी बहन की नंगी जवान को याद करके सूरज का लैंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था और वह अपने पजामा को उतार कर कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो चुका था और अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर हौले हौले से हिला रहा था और अपनी बहन के बारे में सोच रहा था उसके छोटे-छोटे नंगी जैसी चूचियों के बारे में सोचकर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था झरने में खड़े होकर नहाते समय सूरज अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को भी नजर भर कर देख चुका था उसके आकार से परिचित हो चुका था वह जानता था की पहली बार में लंड का उसकी बुर में पूरी तरह से प्रवेश कर पाना मुश्किल हो जाएगा इसलिए उसे बड़ी चालाकी से काम लेना है,,,।औरतों के व्यक्तित्व से वाकिफ हो चुका सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन भी धीरे-धीरे उसके काबू में आ जाएगी जिसकी शुरुआत हो चुकी थी अगर रानी को उसकी बातों से उसकी हरकतों से जरा भी आपत्ति होती तो वहां तालाब में नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी ही ना होती,,,, लेकिन उसके मन में भी कुछ-कुछ हो रहा था उसकी बातें सुनकर इसलिए तो वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी अपने भाई के सामने नहाने के लिए और इसी बात से तो सूरज मैन ही मन बहुत खुश हो रहा था,,,,, अपनी बहन के बारे में सोते हुए सूरज को तालाब के अंदर वाली बात याद आ गई जब वह अपनी बहन को संभालने के लिए उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपने लंड को सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा था लेकिन मर्दाना अंग से अनजान रानी समझ नहीं पाई थी कि उसकी बुर पर उसके भाई का लंड ठोकर मार रहा है वह सोच रही थी कि कोई मछली या कोई सांप उसकी दोनों जांघों के बीच रेंग रहा है,,,।और इसी के चलते वह अपना हाथ तालाब में डालकर उसके लंड को पकड़ ली थी पहले तो वह समझ नहीं पाई थी लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ था वह पूरी तरह से तड़प उठी थी पानी में होने के बावजूद भी उसके माथे से पसीना टपकने लगा था वह कस के सूरज के लंड को पकड़ी हुई थी,, क्योंकि वह समझ नहीं पा रही थी कि यह वाकई में उसके भाई का लैंड है क्योंकि वह कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा था उसने तो कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि लंड इस तरह का होता है इसीलिए तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और जब उसे पता चला था कि यह कोई मछली या सांप नही उसके भाई का लंड है तो वह शर्मा कर उसके भाई के कहने के बाद ही छोड़ी थी। सब कुछ सूरज के सोच के अनुसार ही चल रहा था,,,सुरज अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था उसे पूरा यकीन हो गया था की मुखिया की लड़की की तरह ही उसकी बहन उससे चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी वह अपनी बहन के बदन में इतनी उत्तेजना और मदहोशी भर देगा कि वह खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर लगा देगी और चोदने के लिए बोलेगी,,।यही सब सोता हुआ सूरज धीरे-धीरे अपने लंड को मुठिया रहा था,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, उसके मुट्ठी का कसाव उसके लंड के इर्द गिर्द बढ़ता जा रहा था और इसके ख्यालों में उसकी बहन की नंगी जवानी पूरी तरह से छाने लगी थी वह अपने मन में कल्पना करने लगा था कि वह तालाब में ही अपनी बहन से प्रेम क्रीडा कर रहा है,,,, उसके लाल-लाल होठों का रसपान करता हुआ,,,, उसके नारंगी को दबा रहा है और ऐसा हुआ झरने में खड़े होकर नहाते समय कर भी दिया था इसीलिए वह ख्याल उसके बदन में उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ने लगा वह अपने मन में कल्पनाओं के घोड़े को बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था वह देखते ही देखते कल्पना में अपनी हथेली को अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी छेद पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और वह खुद अपने भाई के होठों को अपने होठों के बीच रखकर चाटना शुरू कर दी थी चुसना शुरू कर दी थी,,, खटिया पर सूरज की हालत खराब हो जा रही थी देखते ही देखते वह बड़े जोरों से अपना हाथ हिलाना शुरू कर दिया था,,,।हकीकत की तरह उसकी कल्पना भी पूरी तरह से साफ थी कल्पना में भी उसकी बहन सिर्फ उत्तेजित हो रही थी इसका विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी इसलिए तो देखते ही देखते सूरज कल्पना में अपने मोटे तगड़े लंड को थूक लगाकर अपनी बहन रानी की गुलाबी बुर में डालना शुरू कर दिया और कल्पना में बड़े आराम से धीरे-धीरे करके उसका पूरा लंड उसकी बहन की बुर में समा गया,,,। और वह झरने के नीचे खड़ा होकर अपनी बहन की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया उसकी बहन भी मदहोश हुए जा रही थी पागल हुए जा रही थी कल्पना में वह पूरी तरह से उसके काबू में थी और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,, और हकीकत में सूरज के लंड से तेज कुंवारा निकला जो वापस उसकी छाती तक उसे भीगो गया और वह इसके बाद गहरी नींद में कब सो गया उसे भी पता नहीं चला,,,।दूसरी तरफ रानी उसकी आंखों से नींद गायब थी उसके साथ तो यह सब पहली बार हुआ था इसलिए उम्र का तकाजा उसे और बेचैन कर रहा था,,, यह अनुभव उसके लिए पहली बार कथा इससे पहले उसने इस तरह के अनुभव से कभी गुजरी नहीं थी और ना ही कभी सोची थी यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था इसलिए उसके दिलों दिमाग पर यह पूरी तरह से गहरी छाप छोड़ रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके भाई का नंगा बदन और उसका मोटा तगड़ा लंड लहराता हुआ नजर आ रहा था जिसके चलते उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, वह अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे दिन भर के बारे में ही सोच रही थी,,,, जंगल में अपने भाई से बिना बताएं बड़े से पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करना और उसके भाई का वहां आकर देख लेना यह सब उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से गहरा प्रभाव छोड़ रहा था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका भाई उसकी नंगी गांड को उसे पेशाब करता हुआ देख चुका है वह क्या सोचता होगा,,,।उसे यह भी महसूस हुआ था कि उसके भाई में काफी बदलाव आ गया था इससे पहले वह उसके सामने इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था लेकिन पहली बार वह उसके सामने पेशाब करने वाली बात नंगी शब्द का प्रयोग बार-बार कर रहा था,,,। यह सब रानी को बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि इससे पहले उसके भाई ने इस तरह के शब्दों का ना तो प्रयोग किया था नहीं इस तरह की कभी हरकत किया था उसे अच्छी तरह से याद था कि कैसे हैं अपना तालाब में कूद जाने के बाद उसे भी कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए विवश किया था यह सब रानी समझ नहीं पा रही थी यह सब उसका भाई किस लिए कर रहा था जबकि उसका भाई उसकी बहुत इज्जत भी करता था और उसका ख्याल भी रखता था,,,,,, और उसे इस बात को सोचकर अपने आप पर ही शर्मा रही थी कि अपने भाई की बात मानकर वह कैसे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गई थी और अपने भाई की आंखों के सामने धीरे-धीरे तालाब में उतर गई थी उसे समय तो उसका भाई उसकी नजरों को दूसरी तरफ घुमा रखा था लेकिन वह कमर तक ही तालाब में प्रवेश कर पाई थी कि तभी उसका भाई जानबूझकर अपनी आंखों को घुमा दिया था और उसकी नंगी चूचियों को देख लिया था यह सब सोचकर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,।रानी खटिया पर लेटे-लेटे अपने भाई के बारे में ही सोच रही थी कि कैसा उसका भाई बेशर्मों की तरह उसकी नंगी चूचियों को निहार रहा था और जी भर कर देख लेने के बाद ही अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमाया था और जब वह तालाब में पैर फिसलने की वजह से गिरने वाली थी तो वह कैसे उसे थाम लिया था अपनी बाहों में भर लिया था यह जानते हुए कि वह पूरी तरह से नंगी है और वह भी पूरी तरह से नंगा है यह सोचकर रात को अपनी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होती है महसूस हो रही थी वह यह सब तो जान रही थी कि जो कुछ भी हो रहा था गलत हो रहा था लेकिन न जाने क्यों उसे यह सब अच्छा भी लग रहा था इस बात से हुआ इनकार भी नहीं कर सकती थी क्योंकि इस समय भी उसके बदन में आनंद की फुहार उठ रही थी जिसे वह समझ नहीं पा रही थी,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि तालाब के अंदर का एक-एक पल एक-एक दृश्य उसकी आंखों के सामने किसी सपने की तरह नाच रहा था जिसे वह सपने में नहीं बल्कि हकीकत में जी ली थी,,,।उसे अपनी हरकत पर भी एकदम शर्म महसूस होने लगी कि वह कैसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने ही भाई के लंड की रगड़ को नहीं पहचान पाई उसे मछलियां सांप बता रही थी और अनजाने में उसे अपने हाथ में पकड़ भी लेते बाप रे कितना मोटा और लंबा लंड है भाई का यह सोचकर ही उसकी बुर से पानी का रिसाव होने लगा था,,, जिसे वह पेशाब की बहुत समझ रही थी ,,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,, उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में झनझनाहट महसूस हो रही थी उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी,,, तभी उसे उसके भाई की वह हरकत याद आई जो एकदम शर्मसार कर देने वाली थी लेकिन उसे समय शर्म के मारे पानी पानी होने के बावजूद भी अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना और अपने भाई के प्रति आकर्षण का अनुभव कर रही थी,,,।वह एक पल का दृश्य उसे अच्छी तरह से आता जब उसका भाई एकदम से चलने के नीचे एकदम नंगा ही खड़ा हो गया था उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी छोटी बहन उसकी आंखों के सामने है और वह उसे देखेगी तो क्या समझेगी लेकिन वह बेशर्मों की तरह झरने के नीचे नहाता रहा और रानी अपने आप पर भी साथ में महसूस कर रही थी लेकिन उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने भाई को नंगा देख रही थी और खास करके उसके लंड को जो कि एकदम मोटा तगड़ा खड़ा था,,,, और वह उसे बुला भी रहा था रानी को समझ में नहीं आया था कि वह कैसे उसकी बात मान गई और उसके साथ जाकर खड़ी हो गई और वह एकदम नंगी सारे देसी की वजह से उसका भाई उसे पर काबू नहीं कर पाया और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल हो तो परेशान करने लगा उसे चुंबन करने लगा यह उसके जीवन का पहला चुंबन था इसलिए रानी भी पूरी तरह से गदगद हो गई थी वह कुछ समझ पाती से पहले ही अपनी चूची पर अपने भाई के हाथ को महसूस करके वह और ज्यादा रोमांचित हो गई,,,, लेकिन वह कुछ कर पाता इससे पहले ही वह अपने आप को अलग कर ली थी,,,,।रानी इस बात से इनकार नहीं कर पा रही थी कि जो कुछ भी हुआ था उसमें उसको भी मजा आ रहा था इसलिए इसमें पूरा दोष वह अपने भाई को नहीं दे रही थी,,,, लेकिन उसे पाल को याद करके उसे और वह जल्दी से अपने बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और धीरे से दरवाजा खोल के धीरे-धीरे बाहर पेशाब करने के लिए चली गई यह उत्तेजना की लहर थी लेकिन उसे लग रहा था कि उसे पढ़ो जरूर की पेशाब लगी है और वह बाहर पेशाब करके वापस अपने कमरे में आ गई और एक गिलास ठंडा पानी पीकर अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगे और थोड़ी देर में उसे भी नींद आ गई, ,।दो-चार दिन ऐसे ही गुजर गए सूरज और रानी दोनों आपस में सहज बने रहे लेकिन फिर भी एक दूसरे से नजर मिलाने से कतरा रहे थे,,,, सूरज इधर-उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था तभी उसके दोस्त ने उसे बताया कि उसने उसके पिताजी को कल्लु के साथ शराब पीते हुए देखा है,,,, इतना सुनकर वह है थोड़ा परेशान हो गया क्योंकि वह मन ही मन चाहता था कि उसके पिताजी वापस ना आए तो उसका भी कोई जुगाड़ बन जाए अपनी मां के साथ लेकिन उसके वापस आने की वजह से और थोड़ा चिंतित हो गया लेकिन फिर भी वह सोचा कि चलो कोई बात नहीं आ गए तो आ गए,, अच्छा ही हुआ लेकिन कल्लु के साथ कल्लु तो ठीक आदमी नहीं है इसके बारे में उसने भी सुन रखा था इसलिए थोड़ा उसे चिंता हो रही थी,,, अपने पिताजी की चिंता में वह देर रात घर पर पहुंचा लेकिन घर पहुंच कर उसे पता चला कि वहां तो कोई है ही नहीं और इस बारे में उसने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं बताया कि उसके पिताजी गांव में ही है ऐसे ही 10 दिन जैसे गुजर गया लेकिन उसके पिताजी घर दिखाई नहीं दिए तो वह इस बारे में खुद ही पता लगाने की सोचा,,,।