सूरज इस बात से मन ही मन बेहद खुश था कि सप्ताह भर बीत गए थे इस बात को जाने की उसके पिताजी गांव में नहीं लेकिन अभी तक घर पर नहीं आए थे सूरज अपने मन में यही सोचता था कि उनके घर पर आने का मतलब था कि उसके खुद के सपनों का चूर-चूर हो जाना क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जब एक औरत मर्द से अलग रहती है और महीनों गुजर जाते हैं तो उसे मर्द की जरूरत पड़ती है अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए और ऐसे में जब उसके पिताजी उसके घर पर नहीं होंगे तो उसकी मां के पास केवल एक ही विकल्प बचता है और वह भी खुद का बेटा ऐसे में वह खुद अपनी मां को रिझाने की कोशिश में लगा हुआ है और ऐसे में कामयाबी मिलना तय है लेकिन पैसे हालत में उसके पिताजी का घर वापस आ जाना उसके किए कराए पर पानी फिर देने जैसा था इसीलिए वह मन ही मन खुश था लेकिन यह जानना भी चाहता था कि उसके पिताजी अगर गांव में दिखाई दिए हैं तो है कहां,,,!
उसे इस बात को जानने में भी दिलचस्पी थी कि महीनों गुजर गए थे ऐसे में उसके पिताजी करते क्या है क्योंकि इतने दिनों से तो उसने मुखिया के घर पर भी या उनके खेतों में काम करते हुए भी अपने पिताजी को नहीं देखा था उसके मन इस बात को लेकर शंका भी होती थी कि कहीं उसके पिताजी किसी दूसरी औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गए हैं यह जानते हुए भी की उसकी मां गांव की सबसे खूबसूरत गदराई जवानी की मालकिन है लेकिन फिर भी अपने हालात को देखते हुए वहां मर्दों की मनसा को अच्छी तरह से समझ गया था क्योंकि उसे भी तो मुखिया की बीवी चोदने को मिली थी और मुखिया की बीवी का खूबसूरत बदन प्राप्त हो जाने के बाद भी उसकी लालसा मुखिया की लड़की में बढ़ने लगी थी जिसे आखिरकार प्राप्त कर ही लिया उसे भी भोग लिया लेकिन फिर भी उसकी मनसा अब बढ़ती जा रही थी सोनू की चाची के बाद उसकी नजर खुद की छोटी बहन रानी पर भी बिगड़ चुकी थी अपनी मां की जवानी का रस चखने के लिए तो वह पहले से ही पागल था यह सब देखते हुए वह समझ सकते आपकी एक मर्द की प्यास एक ही औरत से कभी नहीं बुझता इसलिए उसके मन में शंका होती थी कि हो ना हो उसके पिताजी का चक्कर किसी और औरत से भी हो गया है,,, और यही पता लगाने की जुगाड़ में वह लगा हुआ था लेकिन तीन-चार दिन गुजर गए थे ना तो गांव में उसे उसके पिताजी दिखाई दिया और ना ही कोई ऐसी बात जो उसे उसके पिताजी तक ले जा सके,,,,।
ऐसे ही खेतों में इधर-उधर घूमते हुए वह सोनू के खेतों में पहुंच गया था जहां पर सोनू की चाची पहले से ही खेतों में काम कर रही थी सोनू की चाची को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी क्योंकि वह सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन कर चुका था उसे पेशाब करते हुए देख चुका था और उसकी बड़ी-बड़ी गांड की गोलाई उसे अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर चुकी थी,,। इसीलिए तो सोनू की चाची की मौजूदगी सूरज के चन बदन में आग लगा देती थी सोनू की चाची को खेतों में देखते ही सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, वह सूरज की तरफ पीठ करके पीठ क्या अपनी बड़ी-बड़ी गांड करके कुदाल चला रही थी वह मिट्टी को समतल कर रही थी जिस तरह से छुपाकर वह कुदाल चलाते हुए मिट्टी को समतल कर रही थी इसकी भारी भरकम गांड कसी हुई साड़ी में और भी ज्यादा बड़ी लग रही थी,,,। मन तो कर रहा था कि पीछे से जाकर सोनू की चाची को पकड़ ले और उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर अपने लंड को रगड़ दे लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,। फिर भी वह पीछे से आवाज लगाता हुआ बोला,,,।
और चाची क्या हो रहा है,,,?
(इतना सुनते ही सोनू की चाची चकर पकर नजर घूमाकर देखने लगी,,,, एकाएक आवाज आई थी इसलिए वह थोड़ा सक पका गई थी। )
अरे मैं यहां हूं तुम्हारे पीछे,,,
(इतना सुनते ही सोनू की चाची इस अवस्था में झुकी हुई ही अपनी नजर पीछे घूम कर देखी तो पीछे सूरज खड़ा था सूरज को देखते ही जिस तरह से सूरज को सोनू की चाची को देखते ही प्रसन्नता के भाव उसके चेहरे पर नजर आने लगी थी उसी तरह से सोनू की चाची भी एकदम प्रसन्न हो गई थी और एकदम से खड़े होते हुए उसकी तरफ घूम कर बोली,,,)
तु यहां क्या कर रहा है,,,?(अपने बालों की लत को जो कि उनके चेहरे पर हवा के झोंके साथ उड़ रही थी उसे कान के पीछे ले जाते हुए बोली)
कुछ नहीं तुम्हें देखा तो चला आया,,,,।
क्यों मुझे देख कर चला आया,,,(ऐसा कहते हुए फिर से कुदाल चलाने लगी,,,)
क्यों आ नहीं सकता क्या मुझे लगा कि तुम्हें मेरी जरूरत पड़ जाएगी,,,,।
(सूरज कि ईस बात को सुनते ही सोनू की चाची एक बार फिर से सीधी खड़ी हो गई और मुस्कुराते हुए सूरज की तरफ देखते हुए कुछ देर सोचती रही और बोली,,,)
तेरी जरूरत तो है मुझे खेतों की जुताई,, जो करनी है,,,।
(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची अपने मन में कह रही थी कि कल उसके मुंह से निकल जाती की बुर की चुदाई जो करवानी है लेकिन शर्म के मारे उसके मुंह से मन की बात नहीं निकली थी बार-बार सोनू की चाची के कानों में उसे ज्योतिष की कही गई बातें ही गुंजती रहती थी जो कि उसके लिए उम्मीद की किरण की तरह थी,,, सोनू की चाची की बात सुनकर सूरज एकदम उत्साहित होता हुआ बोला ,,)
कोई बात नहीं चाची में हमेशा तैयार हूं,,,,।
(सूरज बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि खेत में उसे लग रहा था कि उसके और सोनू की चाची के सिवा कोई नहीं है और जिस तरह से उसने उसे दिन घर के पीछे उसे पेशाब करते हुए देखा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी नंगी गांड नाच रही थी और वह अपने कानों से औरतों की बातों को भी सुन लिया था जिसमें उसकी मां खुद शामिल थी जिसमें सोनू की चाची को किसी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था और उसने सबसे पहला नाम सूरज का ही था इसलिए सूरज को भी लगता था कि अगर वह जरा सा मेहनत करेगा तो सोनू की चाची की बुर जरूर उसे प्राप्त हो जाएगी,,,, लेकिन तभी उसके कानों में खांसने की आवाज आई और वहां नजर घूमा कर देखा तो,,, झाड़ियां के पीछे उसकी छांव में बैठकर सोनू के चाचा बीड़ी फूंक रहे थे उन्हें देखते ही सूरज के चेहरे की प्रसन्नता एकदम से खो गई और वह निराश होता हुआ बोला,,,)
अरे चाचा जी तुम भी यही हो मैं तो समझा की चाची अकेली काम कर रही है,,,।
चाचा जी भले साथ में है लेकिन काम तो मुझे अकेले ही करना है,,,, वैसे तू हमेशा मुझे अकेले मे हीं क्यों ढूंढता रहता है,,,, कुछ करने का इरादा है क्या,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सोनू की चाची बोली,,, सोनू की चाची की बात सुनकर कुछ पल के लिए सूरज के मन में आया कि वह अपने मन की बात बोलने की हां तुम्हारे साथ बहुत कुछ करना चाहता हूं लेकिन ऐसा कहने की उसकी हिम्मत नहीं हुई इसलिए बात को घुमाते हुए बोला,,,)
नहीं यह तो ऐसे ही मुझे लगा अकेले हो तो मदद की जरूरत पड़ेगी क्योंकि सोनू भी नहीं दिख रहा है ना इसके लिए चलो कोई बात नहीं जब चाचा जी हैं तो मेरा क्या काम,,,,।(इतना कहकर वह चल नहीं वाला था कि एकदम से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए सोनू की चाची बोली)
हरि जाता कहां है अगर वह काम के लायक होते तो तेरी जरूरत पड़ती क्या,,,।
क्या मतलब,,,!(आश्चर्य से सोनू की चाची की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)
मेरा मतलब है कि पूछ अपने चाचा जी से पानी की मशीन चालू कर पाएंगे क्या,,,,(अपने पति की तरफ देखते हुए सोनू की चाची बोली और सूरज कुछ पूछ पाता इससे पहले ही सोनू के चाचा बोल पड़े)
अरे बेटा तेरी चाची सही कह रही है मेरे से मशीन नहीं चालू हो पाएगी तू ही जाकर चालू कर दे खेतों में थोड़ा पानी देना है,,,(इतना कहकर फिर से अलसाए हुए बीड़ी फुंकने लगे और उनकी बात सुनकर सोनू की चाची अपनी आंख को गोल-गोल नचाते हुए बोली,,,)
सुन लिया मेरे लाल,,,, अगर यह कोई काम के होते तो यह दिन ना देखना पड़ता,,,,।
कोई बात नहीं चाची मैं हूं ना,,,,( ईन दो शब्दों में सूरज बहुत कुछ बोल गया था वह सोनू की चाची के दर्द को समझता था वह जानता था कि सोनू की चाची को क्या चाहिए लेकिन खुले शब्दों में कुछ बोल नहीं पा रहा था वैसे तो जिस तरह से सूरज उसकी मदद कर रहा था वह भी इशारों ही इशारों में बहुत कुछ समझ रही थी लेकिन वह भी खुलकर नहीं बोल पा रही थी क्योंकि उसे भी याद था कि घर के पीछे जिस तरह से वहां साड़ी उठाकर अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थी उसे नहीं मालूम था की चोरी छुपे सूरज उसे प्यासी नजरों से देख रहा होगा और जब उसे बात का एहसास हुआ था तब उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि सूरज उसकी नंगी गोरी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था,,,।)
अरे तेरा ही तो सहारा है तुझसे ही उम्मीद बंधी हुई है वरना सोनू भी एकदम नकारा है,,,(ऐसा कहते हुए वह फिर से कुदाल चलाने लगी तो सूरज एकदम से आगे बढ़कर सोनू की चाची के हाथों से कुदाल देने लगा वह थोड़ी सी झुकी हुई थी और झुकाने की वजह से ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ था जिसमें से इसकी भारी भरकम खरबूजे जैसी गोल गोल चूचियां एकदम से लटकती हुई नजर आ रही थी और सोनू की चाची के हाथ से कुदाल लेते हुए अचानक ही सूरज की नजर उसकी दोनों चूचियों पर पड़ी तो उसकी नजर एकदम से जम सी गई सूरज आंख फाडे सोनू की चाची के ब्लाउज में ही देखने लगा,,, और जैसे ही सोनू की चाची कोई एहसास हुआ उसके पत्नी में सुरसुराहट होने लगी और वह गहरी सांस लेते हुए सूरज की तरफ देखने लगी और सूरज के मासूम चेहरे को उसकी आंखों में दिख रही प्यास को देख रही थी और सूरज सोनू की चाची की चूचियों को देख रहा था जिसे पकड़ कर दबाना चाहता था मुंह में लेकर पीना चाहता था उसे इस तरह से देखता हुआ पाकर सोनू की चाची मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
ऐसे क्या देख रहा है कभी किसी औरत की चूची नहीं देखा क्या,,,,(सोनू की चाची एकदम से बेशर्मी भरी निगाहों से देखती हूं अपने मन की बात बोल दी सूरज को यकीन नहीं था कि सोनू की चाची इस तरह के शब्दों का प्रयोग करेंगी लेकिन यह सब तो सूरज के मन के मुताबिक ही हो रहा था इसलिए वह गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)
सच कहूं तो चाची मैने कभी नहीं देखा,,,,(और ऐसा कहते हुए सोनू की चाची के हाथों से कुदाल ले लिया,,, और खेतों को समतल करने लगा सोनू की चाची से देखकर मुस्कुराने लगी,,,, सूरज को देखकर सोनू की चाची के मन में बहुत सी बातें अपने आप ही घूमने लगती थी ,,, सूरज के साथ वह हमबिस्तर होना चाहती थी ,उससे चुदवाना चाहती थी और उससे चुदवाकर मां बनना चाहती थी,,, एक सूरज ही था पूरे गांव भर में जिस पर उसे पूरा भरोसा था वह जानते थे कि उसके साथ संबंध बनाने के बाद भी सूरज इस बात को किसी से नहीं कहेगा,,,,।
सूरज अपनी मस्ती में काम करता चला जा रहा था उसकी बाजूओ में बहुत दम था इतना काम सोनू की चाची शाम तक करती वह 1 घंटे में ही सूरज ने पूरा खेत समतल कर दिया था इतना काम वह अपने खेतों में भी कभी नहीं करता था लेकिन सोनू की चाची के साथ उसका मतलब निकल रहा था जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था इसीलिए तो अपने खेतों में बिल्कुल भी कामना करने वाला सूरज सोनू की चाची के खेतों को जोत रहा था उसमें काम कर रहा था,,,, सूरज को काम करता हुआ देखकर सोनू की चाची एक तरफ खेत के किनारे बैठकर सोनू को ही देख रही थी सोनू जैसे कुदाल चल रहा था उसकी भुजाओं को देख रही थी इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी और सोच रही थी कि उसका भारी भरकम शरीर उसकी बाहों में आराम से आ जाएगा,,,,।
सूरज को देखकर एक तरह से सोनू की चाची काम ज्वर में तड़प रही थी,, वह जल्द से जल्द सूरज के साथ संबंध बनाना चाहती थी अपनी बरसों की प्यास को बुझाना चाहती थी और इस प्यास के चलते वह मां बनना चाहती थी,,, क्योंकि गांव में आते जाते कई बुजुर्ग औरतों उसे इस बारे में टोक चुकी थी और वह थक चुकी थी सबको जवाब दे देकर,,, क्योंकि वह जानती थी कि गांव वालों को तो ऐसा ही लगता था की कमी उसमें ही है क्योंकि गांव वाले नहीं जानते थे कि उसका उसके पति के साथ कैसा संबंध है उसका पति उसे खुश कर पाता भी है या नहीं,,,।
थोड़ी ही देर में सूरज काम पूरा कर चुका था बस दूसरे खेतों में पानी देने के लिए पानी की मशीन चलाना बाकी था और वह पानी की मशीन खेत के किनारे थोड़ी ही दूरी पर एक टूटी-फूटी मडई में बनी हुई थी,, हाथ में कुदाल लिया हुआ वह कंधे पर कुदाल रखकर मुस्कुराता होगा सोनू की चाची के करीब पहुंच गया जो कि वह भी खेत के बगल में घनी झाड़ियां की छांव में बैठकर आराम कर रही थी इस दौरान खेत में काम करते हुए सूरज सोनू की चाची के बारे में सोच रहा था और उसके बारे में सोचते हुए उत्तेजित अवस्था में उसके पजामे में तंबू बन चुका था जो कि अच्छा खासा फुला हुआ था और सूरज उसे तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह तो जानबूझकर सोनू की चाची को दिखाना भी चाहता था इसलिए बेझिझक वह उसके करीब पहुंच गया था,,, और वहां पहुंचते ही वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)
हो गया चाची अब बस मशीन चालू करना है,,,।
(जिस तरह से वह खड़ा था कंधे पर कुदाल लिए हुए उसकी यह आज सोनू की चाची को एकदम भा गई थी,,, लेकिन जैसे ही उसकी नजर सोनू की दोनों टांगों के बीच उठे हुए भाग पर पड़ी उसके एकदम से होश उड़ गए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में तो हलचल मछली लगी वह कुछ देर तक सोनू के पजामे की तरफ ही देखती रही पजामे में बने तंबू को देखकर ही सोनू की चाची समझ गई थी की पजामी के अंदर कितना खतरनाक हथियार छुपा रखा है सूरज ने इस तरह का तंबू तो देखें जमाना हो गया था और अपने पति के पजामे में तो उसने जरा सी भी हलचल नहीं देख पाई थी,,,।
सूरज भी समझ गया था कि सोनू की चाची उसके पजामे में बने तंबू को ही देख रही है और वह यही चाहता भी था जाने अनजाने में वह सोनु की चाची को अपना तंबू ही दिखाना चाहता था उसका बस चलता तो इसी समय पैजामा नीचे करके अपने खड़े लंड को दिखा देता लेकिन अभी इतनी हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि वह सोनू की चाची से इतना खुला नहीं था,,, सोनू की चाची एक तरह से उसके पजामे में बने तंबू के आकर्षण में कोसी गई थी इसलिए आंख फाडू सही देख रही थी तो सूरज ही उसे होश मे लाते हुए दोबारा बोला,,,)
क्या हुआ चाची मशीन चालू करने चलना है कि नहीं,,,,,।
हां,,,, हां,,,,, चलना है ना,,,(सूरज की बात सुनकर एकदम से हड बढ़ाते हुए सोनू की चाची बड़ी जैसी कोई उसे नींद से जगाया हो,,, और इतना कहकर वह अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई,,, और आगे आगे चलने लगी और आगे आगे चलते हुए सोनू की चाची सूरज के पजामे के अंदर के हथियार के बारे में सोचने लगी बस समझ गई थी कि सूरज का लंड काफी मोटा और लंबा है इसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं थी ना ही कभी देखी थी उसे पूरा विश्वास था कि अगर सूरज अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा तो वह पूरी तरह से तृप्त हो जाएगी लेकिन इस बात का उसे डर भी था कि कहीं मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में घुसते ही कहीं उसकी बुर फट न जाए,,, यही सब सोचते हुए उसकी बुर गीली हो रही थी,,, उसकी सांसे भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,,।
सूरज तो साड़ी में कसी हुई सोनू की चाची की भारी भरकम गांड को हि देख रहा था क्योंकि उंची नीची पगडंडियों पर चलते हुए इसकी भारी भरकम गांड ऊपर नीचे हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े दो तरबूज बांध दिए गए हो और वो आपस में रगड़ खा रहे हो,,, कुल मिलाकर दोनों पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहे थे और मदहोशी में डूबने के लिए पूरी तरह से तैयार थे,,, देखते ही देखते दोनों उसे टूटी-फूटी मड़ई में आ गए थे जिसके अंदर पानी की मशीन रखी हुई थी जिसे चालू करना था,,,।
सोनू की चाची मड़ई में प्रवेश करते हुए मुस्कुरा कर पीछे घूम कर सूरज की तरह अच्छी और एक तिरछी नजर उसके पहन पजामे में बने तंबू पर डाल दी जो की उसका उभार थोड़ा सा और बढ़ गया था,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,।
यह रही मशीन तुमसे चालू तो हो जाएगी ना,,,।
क्यों नहीं चाची कोई भी मशीन मैं चालू कर सकता हूं,,,,।
(इतना कहकर वह आगे बढ़ा ही था कि उसे रोकते हुए सोनू की चाची बोली,,,)
पहले रुको,,, मुझे बताओ मेरे ब्लाउज के अंदर क्या देख रहे थे,,,,।(वह अपनी नजरों को घुमाते हुए बोली और उसकी बात सुनते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह समझ गया कि जरूर कुछ ना कुछ होने वाला है वह भी खुश होने लगा,,, सोनू की चाची की बात सुनकर वह एक टक सोनू की चाची की तरफ भी देख रहा था और बार-बार नजरों को नीचे करके उसके ब्लाउज के घेराव की तरफ देख रहा था जो की काफी जानलेवा नजर आ रही थी सोनू की चाची की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कुदाल को नीचे रख दिया और इधर-उधर देखने का नाटक करते हुए वह धीरे से बोला,,,)
सच कहूं तो चाची,,,, मैं तुम्हारी चूची देख रहा था,,,,(बड़ी हिम्मत करके सूरज चुची शब्द का प्रयोग कर दिया था और उसके मुंह से इतना सुनकर सोनू की चाची गनगना गई थी,,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
अभी देखा नहीं है क्या,,,?
बिल्कुल भी नहीं आज पहली बार देख रहा हूं एकदम गोरी बड़ी-बड़ी,,,,(गहरी सांस लेते हुए सोनू की चाची की चूचियों की तरफ ही देखते हुए सूरज बोला)
ठीक से देख लिया,,,!
कहां चाची ब्लाउज के अंदर ठीक से कहां दिखता है,,,,(गहरी सांस लेते हुए सूरज बोला,,)
देखना चाहेगा ठीक तरह से,,,
क्या सच में चाची,,,,
हां बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,, लेकिन किसी से बताना नहीं,,,
कसम से चाची किसी से नहीं कहुंगा,,, मैं कभी देखा नहीं हूं इसलिए कह रहा हूं,,,,,,(सूरज जानबूझकर झूठ बोल रहा था सूरज यह जताना चाहता था कि औरत के खूबसूरत अंगों का भूगोल उसके लिए बिल्कुल नया है इससे पहले उसने किसी औरत को नग्न अवस्था में या उनके अंगों को कभी नहीं देखा और सोनू की चाची को भी यही लग रहा था इसलिए वह अंदर से और ज्यादा उत्साहित थी अपनी चूची दिखाने के लिए इसलिए सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची बोली,,,)
ठीक है तेरी इच्छा में पूरी कर दूंगी लेकिन देखना किसी से बताना नहीं,,,(टूटी हुई मलाई में से बाहर झांकते हुए सोनू की चाची बोली वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कहीं कोई है कि नहीं,,, और जब पसंद ही कर ली तो अपने ब्लाउज के बटन पर हाथ रखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) तुझ पर विश्वास करके मैं तुझे दिखा रही हूं किसी से बताना बिल्कुल भी नहीं अगर मुझे पता चला कि तूने किसी को बताया है तो यह खेल नहीं रुक जाएगा याद रखना अगर नहीं बताया तो यह खेल आगे बढ़ता रहेगा,,,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची मैं किसी से नहीं कहूंगा,,,(ऐसा कहते हुए सुरज एक नजर मड़ई के बाहर डालकर देखने लगा कि कहीं सोनू के चाचा तो नहीं आ रहे हैं और तुरंत ही अपने पजामे में बने हुए तंबू को अपने हाथ से दबा दिया जो कि उसकी उत्तेजना को दर्शा रहा था,,,,,, और यह देखकर सोनू की चाची की बुर से उसकी अमृत रूपी बूंद टपक पड़ी जिसे वह साड़ी के ऊपर से ही टटोलकर देख रही थी,,,, सूरज की बात सुन लेने के बाद वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
चल ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी उसे ब्लाउज का बटन खोलता हुआ देख कर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह मदहोश हुआ जा रहा था जिस तरह से सोनू की चाची उसे अपनी चूची दिखाने के लिए तैयार हो गई थी सूरज समझ गया था कि वह चुदवाने के लिए भी तैयार हो जाएगी,,, सूरज के मन में तो हो रहा था किसी समय वहां घोड़ी बनाकर उसकी चुदाई करते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सोनू की चाची खुद ही तैयार है चुदवाने के लिए तो इस तरह की हरकत करके कोई फायदा नहीं है और वैसे भी वही जताना चाहता था कि यह सब उसके लिए बिल्कुल नया है,,,,)
देखते ही देखते सोनू की चाची के करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी नीचे से बटन खोलने शुरू हुई थी और ऊपर के बटन खोल रहे थे लेकिन तब तक ब्लाउज के दोनों परत कुछ ज्यादा ही खुल गए थे जिससे उसकी गोलाई एकदम साफ नजर आ रही थी जिसे देख कर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था,,, सूरज के चेहरे को देखकर उसकी उत्सुकता को देखकर सोनू की चाची मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और देखते-देखते वह अपने ब्लाउज का आखिरी बटन भी खोल चुकी थी और ब्लाउज के बटन के खोलते हैं ब्लाउज के दोनों परत को पड़कर एकदम से खोल दे जिससे उसकी खरबुजे जैसी गोल-गोल चुचीया एकदम से सूरज की आंखों के सामने लहराने लगी सूरज यह देखा तो आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वाकई में सोनू की चाची की चूची का आकार कुछ ज्यादा ही पड़ा था जिसे देखते ही सूरज के पजामे का तंबू एकदम से ऊंचा हो गया,,, और सूरज से अपने हाथ से नीचे दबने की कोशिश करने लगा सोनू की चाची अपना ब्लाउज खोलें सूरज की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,।
देख जी भर कर देख ले,,,,(अपनी भारी भरकम मदहोश कर देने वाली छाती को दाएं बाएं करके हिलाते हुए बोली सूरज तो पागलों की तरह आंख फाड़े सोनु की चाची की चूची को देख रहा था,,, और सोनू की चाची सूरज को देखकर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
कैसी है,,,?
बाप रे मैं तो पागल हो जाऊंगा मैं तो पहली बार देख रहा हूं मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि औरत के ब्लाउज के अंदर इतना खूबसूरत सामान होता है,,,ऊफफ,,,,,(ऐसा कहते हुए जोर से पजामे के ऊपर से ही अपने तंबू को दबा दिया यह देखकर सोनू की चाची अच्छी तरह से समझ रही थी कि सूरज कितना उत्तेजित हो रहा है उसकी चूचियों को देखकर,,, सूरज की बातें सुनकर उसे मजा आ रहा था इसलिए वह बोली,,,)
तेरी मां के पास भी तो ऐसा ही है कभी भी नहीं देखा नहाते हुए कपड़े बदलते हुए,,,।
नहीं चाची कसम खा कर बोलता हूं मैं कभी नहीं देखा जिंदगी में पहली बार तुम्हारी ही चूची देख रहा हूं एकदम नंगी,,,,।
छूकर देखेगा,,,,,(सोनू की चाची की भी मदहोशी बढ़ती जा रही थी और उसके पास सुनकर सूरज को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल रही थी वह आश्चर्य से सोनू की चाची की तरफ देखते हुए बोला)
क्या,,,,, तुम सच कह रही हो चाची ,,क्या मै ईसे छू सकता हूं,,,,(उत्तेजना के मारे गहरी सांस लेते हुए सूरज बोला,,)
बिल्कुल छू भी सकते हो दबा भी सकते हो,,,,
बहुत कड़क होगी ना,,,,
खुद ही देख लो,,,,।
Nadi k Pani me sunaina nahati huyi
(भला इस निमंत्रण को सूरज कैसे इंकार कर सकता था,,,, खेत के पास टूटी हुई मडई में जवानी से भरी हुई औरत अपनी चूचियों से खेलने के लिए बोल रही थी सूरज तो पागल हुआ जा रहा था उसके मुंह में पानी आ रहा था साथ में उसका लंड भी पानी से सरोबोर हो चुका था,,,, वह धीरे से आगे बढ़ा पर अपने दोनों हाथों को ऊपर उठकर सोनू की चाची की छाती पर रख दिया दोनों हथेलियों में एक एक चूची उसे छुते ही मानो जैसे उसके बदन में सुरसुराहट सी दौड़ने लगी वह पागल होने लगा और दोनों हथेलियों को खोलकर एकदम से उसकी चूची पर रख दिया,,, जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव सूरज अपने बदन में कर रहा था उसी तरह का उत्तेजना सोनू की चाची अपने बदन में कर रही थी और सूरज की हथेलियां को अपनी चूची पर महसूस करते ही उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,सहहहहहह,,,,, जिसे सुनकर सूरज समझ गया था कि वह मस्त हो रही है,,,,, और उसकी चूची पर हथेली रखे हुए सूरज बोला,,,,।
बाप रे कितनी मस्त है चाची मैं तो बोल भी नहीं सकता इस अनुभव के लिए तो कोई शब्द नहीं है मेरे पास,,,,सहहहहहह,,,आहहहहहह ,,(अपनी दोनों हथेलियां से ही सोनू की चाची की चूची को सहलाते हुए बोला तो सोनू की चाची भी मस्त होते हुए बोली,,,,)
दबा कर देख कठोर है की नरम है,,,,।
(सोनू की चाची की बात सुनते हैं सूरज अपने मन में बोला कि चाची भी अंदर से पूरी छिनार है बस बाहर नहीं निकल पा रही है अपने छीनरपन को आज धीरे-धीरे इसका छीनरपन बाहर आ रहा है,,,,, ऐसा सोचते हुए भला सोनू की चाची की चूची को दबाने से कैसे इंकार कर सकता था आखिरकार वह भी तो यही चाहता था उसकी आंखों के सामने बड़ी-बड़ी खरबूजा जैसी चूचियां थी जो कि एकदम कड़क थी सोनू तो उसे दबाना ही नहीं बल्कि मुंह में लेकर चूसना चाहता था इसलिए,,, सोनू की चाची की बात मानते हुए हल्के हल्के वह दोनों हाथों से सोनू की चाची की दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया सोनू को पहले ही मालूम था कि कठोर दीखने वाली चुची दबाने पर नरम नरम होती है लेकिन फिर भी वह अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए बोला,,,,)
ओहहह चाचा यह तो कितनी नरम नरम है एकदम हुई की तरह मैं तो एकदम पागल हुआ जा रहा हूं,,,,ओहहहहहह। कितना मजा आ रहा है इसे दबाने में,,,,(हल्के हल्के से दबाते हुए सूरज बोला,,, बरसों बात किसी दमखम वाले मर्द का हाथ सोनू की चाची की चूचियों पर पड़ा था वह पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी उसे मजा आ रहा है लेकिन वह चाहती थी कि सूरज जोर-जोर से उसकी चूची को दबाकर मसल डालें इसलिए उत्तेजना से सरोबोर होकर वह शिसकारी लेते हुए बोली,,,)
सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,, सूरज धीरे-धीरे नहीं जोर-जोर से दबा मसल डाल मेरी चुची को,,,,आहहहहहहहह,,, ,,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी आंखों को मस्ती में बंद कर दी सूरज समझ गया था कि सोनू की चाची चुदवासी हुए जा रही है,,, सूरज भी तो यही चाहता था वह आज्ञा पाते ही जोर-जोर से सोनू की चाची की चाची को मसलना शुरू कर दिया दबाना शुरू कर दिया वैसे भी उसे इस खेल में ज्यादा मजा आता था लेकिन वह सोनु की चाची की कड़क हो चली चुची की निप्पल को मुंह में लेकर पीना चाहता था लेकिन अभी इसकी इजाजत सोनू की चाची की तरफ से नहीं मिली थी और सूरज किसी भी प्रकार की जल्दबाजी दिखाने नहीं चाहता था उसे इतना तो समझ में आ गया था की चिड़िया पूरी तरह से उसके काबू में आ गई है आज नहीं तो कल चिड़िया का घोंसला भी उसे मिल जाएगा,,,,, सोनू की चाची की आग्या मिलते ही सूरज उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया मसलना शुरू कर दिया सूरज की हरकत से सोने की चाची के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगी वह चुदवासी होने लगी,,,, सूरज को अच्छी तरह से मालूम था कि जिस तरह की हालत सोनू की चाची की हो रही है जरूर उसकी बर पानी छोड़ रही होगी और वह साड़ी उठाकर उसकी बुर को देखना चाहता था लेकिन अपने आप पर बहुत पूरी तरह से काबू किए हुए था,,, सूरज की हरकत से सोनू की चाची केतन बदन में आग लग गई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,)
सहहहहहह आहहहहहहहह,,,,,ऊममममम बहुत मजा आ रहा है रे सूरज तुझे कैसा लग रहा है,,,।
पूछो मत चाची मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मेरे हाथों में दो-दो चांद आ गए हो,,, कसम से इस समय मुझे ऐसा एहसास हो रहा है कि मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब लड़का हूं जो तुम्हारी चूची दबाने को मिल रही है,,,,।
ओहहहह सूरज जोर-जोर से दबा,,,,,(सोनू की चाची एकदम मदहोश होते हुए बोली उसकी मदहोशी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी इससे भी आगे का खेल हुआ खेलना चाहते थे लेकिन इससे पहले की सूरज और वह दोनों और आगे बढ़ते हैं बाहर कदमों की आवाज आने लगी और एकदम से आवाज आई,,,)
अरे तुम दोनों से अभी तक मशीन चालू नहीं हुई,,,।
(इतना सुनते ही सूरज और सोनू की चाची एकदम से अलग हो गए और सोनू की चाची जल्दी अपने ब्लाउज के बटन बंद करने लगी सोनू की चाची को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले लेकिन सूरज इस तरह के हालात से निपटना अच्छी तरह से जान गया था इसलिए बेझ६ होता हुआ जोर से बोला,,,)
अरे चाचा मशीन चालू करने वाला हत्था नहीं मिल रहा है,,,,,।
अरे वही तो रखा हुआ था मशीन के ऊपर ही,,,,,(इतना कहते हुए सोनू के चाचा उस मड़ई में प्रवेश किए लेकिन उनकी नजर मशीन पर रखे हुए हत्थे पर पड़ती इससे पहले ही सूरज चालाकी दिखाता हुआ उस हत्थे को जल्दी से उठाकर कोने में फेंक दिया और सोनू के चाचा से बोला,,,)
कहां है देखो कब से तो हम दोनों ढूंढ रहे हैं,,,।
अरे यही तो रखा हुआ था पिछली बार,,,(इधर-उधर देखते हुए सोनू के चाचा बोले और उनके साथ सूरज पीठ उड़ने लगा उसे मालूम था कि उसने कहां फेंका है इसलिए इधर-उधर ढूंढने के बाद वह खुद कोने में से उसे उठाकर लाया और बोला,,,।)
यह देखो यह रखा हुआ है और तुम कह रहे हो की मशीन के ऊपर पड़ा है खामखा परेशान करके रख दिए,,,,।
(सोनू की चाची तो एकदम से सकपका रही थी वह जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज के बटन को बंद कर चुके थे लेकिन घबराई हुई थी लेकिन सूरज की चालाकी को देखकर उसकी जान में जान आई थी,,, क्योंकि आज वह रंगे हाथों पकड़े जाने से बच गई थी और फिर वह भी थोड़ा सा चिल्लाते हुए बोली,,,)
इनको खुद समझ में नहीं आता कि कहां रखे हैं मैं भी कब से परेशान हो गई थी मुझे तो लगा कि कहीं कोई उठा तो नहीं ले गया है,,,।
कोई बात नहीं चाचा मिल गया है अब देखो मैं कैसे चालू करता हूं,,,(और इतना कहते हुए सूरज उस हत्थे के सहारे से मशीन को चालू कर दिया और पानी निकलना शुरू हो गया,,,, मशीन के चालू होते ही तीनों मड़ई से बाहर आ गए,,, वैसे तो सूरज और सोनू की चाची बाहर नहीं निकालना चाहते थे लेकिन सोनू के चाचा की मौजूदगी में कुछ भी कर सकना संभव नहीं था इसलिए दोनों को भी बाहर निकलना पड़ा सूरज जब तक खेतों में पानी पहुंच नहीं गया तब तक साथ में ही रहा उसे ऐसा लग रहा था कि फिर से मौका मिलेगा तो वह फिर से सोनु की चाची के साथ मजा ले पाएगा,,, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और फिर वह तीनोंअपने-अपने घर लौट गए,,,।
Suraj ku h is tarah se Sonu ki chachi ki chuchiyo se khelta hua
शाम ढलने लगी थी ना चाहते हुए भी सूरज को अपने पिताजी की चिंता हो रही थी क्योंकि उसे भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी आखिरकार रहते कहां है करते क्या है खाता कहां है आखिरकार चक्कर क्या है उन्हें इतना तो पता था कि उसके पिताजी शराब पीते हैं इसलिए गांव के नुक्कड़ पर जहां शराब मिलती थी वहां पहुंच गया लेकिन वहां पर भी उसके पिताजी नहीं थे लेकिन गांव के बाहर एक जगह वह जानता था जहां पर दूसरे गांव की शुरुआत होती थी और वहां पर भी शराब मिलता था और उसके दोस्त नहीं बताया था कि उसने उसके पिताजी को कल्लु के साथ देखा है तो न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि हो ना हो शायद दूसरे शराब की दुकान पर उसके पिताजी जरूर उस कल्लू के साथ शराब पी रहे होंगे पर यही सोच कर वह दूसरे गांव की नुक्कड़ की तरफ निकल गया,,,।