Shaandar Mast Hot Kamuk Updateसूरज के तन-बदन में आग लग रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से उसे अपने ही बाप की तहकीकात करनी पड़ेगी लेकिन अब तक उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था वह बिल्कुल अलग था धीरे-धीरे करके उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी की सच्चाई उजागर होती चली जा रही थी वरना वह अपने मन में अपने पिताजी के प्रति कभी गलत भावना नहीं लाया था वह यही जानता था कि उसके पिताजी एक अच्छे इंसान है संस्कारी और परिवार की देखरेख करने वाले लेकिन धीरे-धीरे उसकी यह सोच उसकी यह धारणा बदलती जा रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि यह सब कल्लू की संगत का ही नतीजा है,,, वरना उसके पिताजी ऐसे कभी नहीं थे। सूरज भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी और वह कल्लू किसी औरत के इंतजार में शराब गट गटा रहे थे,,,,।
अब तो सूरज भी देखना चाहता था उसे औरत को जिसके लिए उसके पिताजी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर महीनो से मुंह मार रहे थे,,, रात पूरी तरह से छा चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था और वैसे भी यह जगह बस्ती से काफी दूरी पर थी,, इसलिए किसी भी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बस रह रहकर कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी,, गोदाम का दरवाजा खुला हुआ था,, जितनी बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार उसके पिताजी और वह कल्लू कर रहे थे,, सबसे ज्यादा बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार सूरज कर रहा था सूरज देखना चाहता था कि आखिरकार वह औरत देखने में है कैसी जिसके चलते एक हंसता खेलता घर बिखरने के कगार पर आ गया है,,,।
कुछ ही देर में तीनों की बेसब्री खत्म होने को आ गई थी क्योंकि दूर से ही पायल की आवाज आ रही थी जो की धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थी पायल की आवाज को सुनकर सूरज पूरी तरह से अपनी नजरों को गोदाम के दरवाजे पर टिकाए बैठा था,,,, सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पायल की आवाज एकदम करीब आते जा रही थी और देखते ही देखते,, कमला एकदम गोदाम के दरवाजे पर पहुंच गई,, उसे पर नजर पड़ते ही सूरज उसे देखता ही रह गया,,, उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, और वह मुस्कुराते हुए गोदाम के अंदर प्रवेश कर गई,,, गोदाम के दरवाजे पर जैसे ही सूरज की नजर उसे पर पड़ी थी,,, सूरज पल भर के लिए सब कुछ भूल गया था,,, पल भर के लिए उसकी नजर उसके खूबसूरत चेहरे से हट ही नहीं रही थी,,।
सूरज की नजर उसके खूबसूरत चेहरे से होते हुए उसकी दोनों चूचियों पर गई जो की ब्लाउज में कसी होने के कारण उसका आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल-गोल नजर आ रहा था,,, दरवाजे पर लालटेन की रोशनी पहुंच रही थी इसलिए सूरज सब कुछ साफ-साफ देख लिया था उसकी मदहोश कर देने वाली चूचियों को देखकर खूबसूरत के मुंह में पानी आने लगा था और वह जैसे-जैसे आगे बढ़कर उन दोनों के सामने जाकर खड़ी हुई तो ऐसे में सूरज की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी जो कि कई हुई साड़ी में गजब का कहर ढा रही थी,,,, कुछ पल के लिए सूरज अपने जीवन में आने वाली सारी औरतों को भूल चुका था इस समय उसकी आंखों के सामने केवल सबसे खूबसूरत और जवानी से भरी हुई कमला ही थी,,,, उसके हाथ में एक छोटी सी पोटली थी और उसे पोटली को देख कर सूरज समझ गया था कि उसमें बनी हुई मछली है,,,।
कमला को देखते ही सूरज के पिताजी बोले,,।
कहां रह गई थी कमल तेरे इंतजार में कितनी बार लंड खड़ा होकर के ढीला पड़ गया,,,(शराब की बोतल को मुंह से लगाए हुए सूरज के पिताजी बोले और उसकी बात सुनकर कल्लू बोला,,)
बात तो तू सही कह रहा है यार लेकिन अब आ तो गई है ना,,,, अब इसका नाश करेंगे,,,(हाथ मिली हुई बोतल को नीचे रखते हुए कल्लू बोला,,)
आप क्या करूं दो बच्चों को खाना बना कर खिला कर सुलाना पड़ता है अब उन्हें इस तरह से छोड़कर तो नहीं आ सकती ना,,,,(नीचे जमीन पर बैठते हुए कमला बोली)
चल कोई बात नहीं रानी तू आ गई यही बहुत है एक तो पेट में चूहा भी दौड़ रहे थे और टांगों के बीच का मुन्ना भी भूख से चिल्ला रहा था,,,(कमल के गलो पर हथेली से सहलाते हुए सूरज के पिताजी बोले,,,)
अब मैं आ गई हूं ना दोनों की भूख मिटा दूंगी,,,(कपड़े की पोटली को खोलते हुए कमला बोली,,, और कल पीछे दीवाल का सहारा लेकर एकदम आराम से बैठते हुए बोला,,,)
कमला मेरी जान बगल के गांव में तू रहती है चाहते तो तेरे गांव में आकर तेरे घर में घुसकर तेरी चुदाई करते,,, लेकिन मैं अच्छी तरह से जानता हूं इसमें तेरी बदनामी है गांव में तो बदनाम हो जाएगी गांव वालों को क्या फर्क पड़ता है और वैसे भी मेरे होते हुए तुझे,, तेरे पति की कमी कभी भी महसूस नहीं होने दिया हूं तेरा खर्चा मैं ही उठाता हूं,,, और जब से भोला मिला है तब से यह भी तेरा खर्चा उठाता है,, मुझे मालूम है कि बिना पति के जीवन गुजारना कितना मुश्किल हो जाता है,,,। भला हो राजा साहब का क्यों उनके चलते हम तीनों का काम चल रहा है,,, वैसे एक बात बता,,, राजा साहब के वहां जाती है कि नहीं,,,।
राजा साहब लगता है कि तुम्हें एक दिन की भी छुट्टी देंगे रोज बुलाते हैं रोज लेते हैं,,,।
(कमल की बात सुनकर एकदम से हंसते हुए भोला बोला,,,,)
तुम्हारा राजा साहब एकदम रंगीन मिजाज का है वैसे तो मेरी मुलाकात अभी तक हुई नहीं है लेकिन राजा साहब से मिलने का मेरा भी मन करता है मैं भी तो देखूं राजा साहब दिखने में कैसा है,,, जो इतने रंगीन मिजाज का है कि,, अययास करने के लिए,, मेरे दोस्त को इतना बड़ा गोदाम भेंट में दे दिया है,,,।
सच कह रहा है भोला तू,,,, यह गोदान राजा साहब के ऐश के लिए ही है,,, लेकिन कुछ दिनों से यहां पर उनका आना हो नहीं रहा है लगता है की मालकिन मायके गई है और वह अपने कोठी पर ही बुलाकर चुदाई का कार्यक्रम निपटा रहे हैं क्यों कमला सहीकह रहा हूं ना,,,।
बिल्कुल सही कह रहे हो,,,, रोज जाना पड़ता है सुबह को शाम को राजा साहब के लिए तो अब मैं किसी दवा की तरह हो गई हूं जो दोनों समय लेना जरूरी होता है,,,(अपने हाथों से मछली और रोटी परोसते हुए कमला बोली,,,
उन लोगों की बातचीत सुनकर सूरज इतना तो समझ ही गया था कि कमला का पति नहीं था और उसे गुजर बसर करने के लिए इस तरह का काम करना पड़ रहा है मजबूरी में ही सही वह किसी भी तरह से अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है और यह देखकर पल भर के लिए उसे अपनी मां का ख्याल आ गया सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर वाकई में उसके पिताजी घर पर कभी ना आए तो कहीं उसकी मां का भी हाल ऐसा ना हो जाए वह भी मजबूरी में किसी दूसरे के आगे अपनी टांगें ना खोल दे,,, अपने मन में ऐसा ख्याल आते ही अपने मन में उठ रही शंका को खुद ही दूर करते हुए अपने आप से ही बोला,,,।
नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता उसके होते हुए तो ऐसा कभी नहीं हो सकता घर को चलाने के लिए उसकी मां को कभी भी ऐसा काम नहीं करना पड़ेगा,,,, और अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह फिर से अपनी आंखों को कमला और कमला के इर्द गिर्द टिका दिया,,,, तीनों बातें करते हुए मछली और रोटी का आनंद ले रहे थे यह नजारा देखकर के सूरज को भी भूख का एहसास होने लगा क्योंकि वह बिना कुछ खाए अपने पिताजी के पीछे-पीछे यहां तक आ गया था इसलिए उन तीनों को खाना खाते देखकर उसे भी भूख लगने लगी थी तीनों खाना खा रहे थे और एक दूसरे से मजाक मस्ती भी कर रहे थे सूरज अपने पिताजी की हरकत को देख रहा था जो की निवाला मुंह में डालकर बार-बार अपने हाथ से कमल की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही दबा दे रहा था,,,, और यही हरकत कल्लू भी कर रहा था,,, वह दोनों इतने जोर से चूची दबाते की कमला के मुंह से रह रहकर दर्द भरी शिसकारी फूट पड़ती,,,,।
अपने पिताजी और कल्लू की हरकत को देखकर सूरज का लंड खड़ा होने लगा था,,, उसके पिताजी अपने हरकत को जारी रखते हुए मछली और रोटी का आनंद लेते हुए उसके कंधे से साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिए थे और उसकी छाती एकदम से उजागर हो गई थी वह जिस तरह से बैठी हुई थी सूरज को उसके एक तरफ का भाग दिख रहा था और साड़ी का पल्लू हटते हैं लालटेन की पीली रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूची एकदम से पके हुए पपाया की तरह ब्लाउज में कसी हुई नजर आने लगी जो कि एकदम नुकीली लग रही थी,,,। और वह बेझिझक खाने का आनंद ले रही थी उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई मर्द उसके साथ क्या कर रहा है,,, और ऐसा तभी हो सकता है जब एक औरत किसी मर्द को बड़ी अच्छी तरह से जानती हो और उसके साथ इस तरह की हरकत बार-बार कर चुकी हो इसीलिए तो उसकी आंखों में शर्म नजर नहीं आ रही थी वह एकदम बेशरम बनी हुई थी,,,।
भोला की हरकत को देखकर कल्लू बोला,,,।
तुझसे बिल्कुल भी सबर नहींहोता,,,अरे पहले आराम से खाना तो खा ले उसके बाद जी भर कर कमला की चुदाई करेंगे,,, क्यों कमला रानी सही कह रहा हूं ना,,,।
बिल्कुल सही कह रहे हो,,, भोला तो राजा साहब से भी एक कदम आगे है,,, राजा साहब तुम एकदम आराम से आनंद लेते हुए चुदाई का मजा लेते हैं,, लेकिन तुम्हारे मित्र हैं कि इधसे तो बर्दाश्त ही नहीं होता,,, इनका बस चले तो खाते-खाते चुदाई करें,,,,(निवाला मुंह में डालते हुए कमला बोली)
सही कह रही हो कमला रानी मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता,,, तुम क्या जानो कितनी बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं,,, देखो तो सही मेरी हालत,,( बैठे-बैठे ही अपने पजामे में से अपने खड़े लंड को बाहर निकालते हुए,,,) इस पर तो तरस खाओ मेरा बस चले तो तुम्हें इस पर बिठाकर तुम्हें अपने हाथों से खाना खिलाउं,,,,।
(हाथ में निवाला लिए हुए कमला सूरज के पिताजी के लंड की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली ,)
हाय दइया तुम्हारे में तो सच में सबर नाम की कोई चीज नहीं है,,,, तुम कहते हो तो,,,(इतना कहने के साथ ही मुस्कुरा कर अपनी जगह से हल्के से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उठाई और सीधा जाकर बिना साड़ी उठाए हुए अपनी भारी भरकम गांड को सूरज के पिताजी के लंड पर रख दी और बैठ गई,,, यह देखकर कल्लू मुस्कुराते हुए बोला,,)
यह हुई ना बात,,, सच में जब से भोला मेरा मित्र बना है तब से हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करते हैं,,, अब तो आदत सी बन गई है अकेले तुझे चोदने में मजा ही नहीं आता,,,,।
अब मुझे भी अकेले मजा नहीं आता जब तक तुम दोनों साथ में नहीं होते हो तब तक मेरी बुर की खुजली मिटती नहीं है,,,(इतना सुनकर भोला अपने हाथ से निवाला बनाया और कमला को खिलाने लगा और कमल भी अपना मुंह खोलकर उसके हाथ से खाना खाने लगी,,, सूरज यह सब अपनी आंखों से देख रहा था उस कमला की बेशर्मी देख कर तो उसके भी पसीने छूट गए थे,,, वह कमला की बेशर्मी को देखता ही रह गया था,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और जिस तरह से कमला ने हरकत की थी उसे बारे में तो उसने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी सोच के विपरीत कमला ने पूरी तरह से बेशर्मी भरी हरकत की थी जिसे साफ तरह से जाहिर हो रहा था कि वह कितनी बड़ी बेशर्म औरत थी एकदम रंडी,,,।
लेकिन उसकी हरकत को देखकर सूरज का लंड भी एकदम ताव में आ गया था,,, सूरज समझ गया था कि यह कितनी बेशर्म औरत है और ऐसे माहौल में चुदवाते समय वह एकदम रंडी बन जाती है तभी तो मर्द पूरी तरह से उसे पाने के लिए पागल हो जाता है जैसा कि उसके पिताजी,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर सूरज को मन ही मां अपने पिताजी से नफरत हो रही थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी उसकी मां के साथ कभी भी इस तरह का बर्ताव नहीं किए होंगे भले ही चार दिवारी के अंदर लेकिन इस तरह की हरकत कभी भी उसकी मां नहीं कर सकती,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां इतनी बेशर्म नहीं बन सकती तभी तो उसके पिताजी इस तरह का सुख ढूंढने के लिए बाहर घूम रहे हैं,,,।
सूरज अभी तक तीन औरतों के संपर्क में आ चुका था मुखिया की बीवी उसकी लड़की और सोनू की चाची और सोनू की चाची के साथ अभी तक उसका शारीरिक मिलन नहीं हुआ था लेकिन दो औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था मुखिया की बीवी भी पूरी तरह से बेशर्म थी लेकिन कमल की बेशर्मी को देखकर मुखिया की बीवी की बेशर्मी फीकी लगने लगी थी वह तो चार दिवारी के अंदर किसी गैर मर्द की आंखों के सामने इस तरह की हरकत करने को कभी भी तैयार नहीं होती भले ही मुखिया की बीवी चुडक्कड़ थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं की थी,,,, और मुखिया की लड़की के साथ भी उसका दैहीक संबंध बन चुका था लेकिन उसकी शुरुआत का दौर था इसलिए उसकी बेशर्मी इस कदर अभी बड़ी नहीं थी जो कुछ भी करना होता था सूरज को ही करना पड़ता था,,।
लेकिन अभी का नजारा देखकर सूरज समझ गया था कि मर्द को तभी मजा आता है जब एक औरत पूरी तरह से रंडी बनकर मजा देती है। वह भी तो अपनी संपर्क में आई औरतों के साथ यही चाहता था और उन्हें खुलकर मजा भी देता था इसीलिए उसके पिताजी एक रंडी का सुख भोगने के लिए ही अपना घर परिवार छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़े हैं और वह औरत भी तो उन्हें वही सुख दे रही थी जैसा कि उन्हें चाहिए था वैसे हालत में एक मर्द घर छोड़कर बाहर सुखना ढूंढे तो और क्या करें,,, सूरज अपने मन इस तरह का ख्याल आ रहा था और इस बारे में बड़ा गौर भी कर रहा था इसलिए कुछ पल के लिए उसे अपने पिताजी की हरकत नाजायज नहीं लग रही थी क्योंकि जिस तरह से कमला बेशरम बनकर उसके खड़े लंड पर बैठकर खाना खा रही थी वाकई में यह है बेशर्मी की सारी हदों को पार कर चुकी थी और इस नजारे को देखकर किसी का भी लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो जाए,,,।
इस नजारे को देख कर देखने वाले की हालत तो खराब हो ही जाएगी लेकिन जो यह पल महसूस कर रहा होगा जो यह सुख भोग रहा होगा उसकी क्या दशा होती होगी यह सोचकर ही सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज बड़ी गौर से उसे नजारे को देख रहा था कमला उसके पिताजी की गोद में बैठी हुई थी और खड़े लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसके पिताजी बड़ी-भारी से निवाला अपने मुंह में डालते थे और फिर निवाला उसके मुंह में डालते थे,,, इस समय वह मादकता भरा सुख भोग रहे थे,,, पेट की भूख के साथ-साथ अपने तन की भी भूख मिटाने में लगे हुए थे जिसमें पूरा सहयोग कमला दे रही थी,,,। पल भर के लिए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता अब तक तो उसका लंड साड़ी फाड़ कर उसकी बुर में घुस गया होता,,,।
कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,,।
बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा मैं इस तरह से कभी भी मछली रोटी खाने का सुख नहीं प्राप्त की थी जिस तरह का सुखी समय मुझे मिल रहा है,,, तुम्हारा लंड बहुत चुभ रहा है,,, मेरे राजा,,,( भोला के लंड पर बैठकर कसमसाते हुए कमला बोली,,,,,, सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था की कमला उसके पिताजी के लंड की चुभन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी,,,। लेकिन फिर भी उसका पूरा आनंद ले रही थी,,, और कमला की हरकत को देखकर उसकी कसमसाहट को देखकर सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर ऐसी औरत बिस्तर पर हो तो सच में मजा आ जाए,,, कमला को आनंदित होता हुआ देखकर सूरज के पिताजी,, ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोले,,,,)
तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है,,,।
यह सब तुम्हारी हाथों का करामात है तुमने ही दबा दबा कर इसे ज्यादा बड़ा कर दिया है,,,,(कमला मुस्कुराते हुए बोली और उसे मुस्कुराता हुआ देख कर कल्लू बोला,,,)
सही कह रही हो कमला रानी यह मेरे दोस्त के हाथों का जादू है उसकी करामात है जो तुम्हारी चूची को सही आकार दिया है तुमसे प्यार करने लगा है मेरा दोस्त वरना इतनी बड़ी चूची तो इसकी बीवी की भी नहीं है,,, हमारी भाभी के भी तुमसे छोटी ही चूची होगी तो अंदाजा लगा लो कि मेरा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है क्योंकि यह प्यार का ही नतीजा है जो इतना आकार उसका बढ़ चुका है,,,,(कल्लू भोले के नशे और उसकी मदहोशी का पूरा फायदा उठाते हुए बीच में उसकी बीवी का जिक्र कर रहा था वह देखना चाहता था कि इस हालत में वह अपनी बीवी के बारे में इस तरह की बातों को सुन सकता है कि नहीं और यह सुनकर सूरज को भी गुस्सा आ रहा था कि एक बदमाश उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें कर रहा है,,, उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए भोला बोला,,,)
तू सही कह रहा है कल्लू ,, मेरी कमला रानी से मेरी बीवी की तुलना हुई नहीं सकती मेरी बीवी तो इसके पैर के बराबर भी नहीं है,,, तभी तो मैं पूरा सुख मेरी कमला रानी को देताहूं,,, क्यों मेरी जान मेरे साथ मजा तो आता है ना,,,(उसके गालों पर चुंबन करते हुए भोला बोला,,, तो मुस्कुराते हुए कमला बोली,,)
तुम दोनों के साथ मजा नहीं आता तो मैं यहां पर नहीं आती,,,, पति के जाने के बाद कल्लू और फिर तुम ही तो हो जिसके सहारे में,, जी रही हूं पेट की आज के साथ-साथ तन की भी आग को बुझाना बहुत जरूरी होता है,,, तुम दोनों का लंड से मेरी बुर में जाता है तो मैं सब कुछ भूल जाती हूं,,,,।
चिंता मत करो रानी आज सुबह तक तुम्हारी ऐसी चुदाई करेंगे कि लंगड़ा कर अपने घर जाओगी,,,(भोला फिर से जोर से उसकी चूची दबाते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर कमला बोली,,)
नहीं नहीं मेरे राजा इतनी बेरहमी से मेरी चुदाई मत करना कि सुबह सबको पता चल जाए की रात भर चुदवा कर आई है।(सूरज के पिताजी के हाथ से निवाला अपने मुंह में लेकर खाते हुए बोली).
सूरज सब बातों को सुन रहा था उसकी भी हालत खराब हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसके पिताजी ने कमला की चूचियों की तारीफ किए थे उस तारीफ को सुनकर सूरज को गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत पूरे गांव में कोई नहीं थी और उसके जैसे बदन की बनावट भी किसी दूसरी औरत की नहीं थी भले ही कुछ पल के लिए सूरज कमल को देखकर मंत्र मुग्ध हो गया था,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास था कि उसकी मां की जवानी के आगे कमल की जवानी पूरी तरह से फीकी थी भले ही कमला पूरी तरह से मजा देती हो लेकिन उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत नहीं थी,,,, इसलिए अपने पिताजी के मुंह से किसी और औरत की खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था,,,,।
इस बात को वह अच्छी तरह से मानता था की जिस तरह से बिस्तर पर खुलकर कमला मजा देती है,, लेकिन उसकी मां शर्म के मारे और अपने संस्कारों के वजह से खुलकर एक रंडी की तरह अपने पति को सुख ना देती हो लेकिन खूबसूरती के मामले में वह कमला से एक कदम आगे ही थी,,,,,,,, सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था देखते ही देखते तीनों खाना खा चुके थे और अब चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला था,,,,, इससे पहले वह केवल अपनी मां की ही चुदाई देखा था अपने घर में,, वह उसके जीवन की पहली चुदाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देखा था और वह भी अपनी मां की,, जोकि उसके पिताजी से ही चुदवा रही थी,,,, आज भी उसके पिताजी ही थे लेकिन उसके साथ उसकी मां नहीं थी बल्कि एक दूसरी औरत थी कमला,,,।
Shaandar Mast Hot Kamuk Updateसूरज के तन-बदन में आग लग रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से उसे अपने ही बाप की तहकीकात करनी पड़ेगी लेकिन अब तक उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था वह बिल्कुल अलग था धीरे-धीरे करके उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी की सच्चाई उजागर होती चली जा रही थी वरना वह अपने मन में अपने पिताजी के प्रति कभी गलत भावना नहीं लाया था वह यही जानता था कि उसके पिताजी एक अच्छे इंसान है संस्कारी और परिवार की देखरेख करने वाले लेकिन धीरे-धीरे उसकी यह सोच उसकी यह धारणा बदलती जा रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि यह सब कल्लू की संगत का ही नतीजा है,,, वरना उसके पिताजी ऐसे कभी नहीं थे। सूरज भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी और वह कल्लू किसी औरत के इंतजार में शराब गट गटा रहे थे,,,,।
अब तो सूरज भी देखना चाहता था उसे औरत को जिसके लिए उसके पिताजी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर महीनो से मुंह मार रहे थे,,, रात पूरी तरह से छा चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था और वैसे भी यह जगह बस्ती से काफी दूरी पर थी,, इसलिए किसी भी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बस रह रहकर कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी,, गोदाम का दरवाजा खुला हुआ था,, जितनी बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार उसके पिताजी और वह कल्लू कर रहे थे,, सबसे ज्यादा बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार सूरज कर रहा था सूरज देखना चाहता था कि आखिरकार वह औरत देखने में है कैसी जिसके चलते एक हंसता खेलता घर बिखरने के कगार पर आ गया है,,,।
कुछ ही देर में तीनों की बेसब्री खत्म होने को आ गई थी क्योंकि दूर से ही पायल की आवाज आ रही थी जो की धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थी पायल की आवाज को सुनकर सूरज पूरी तरह से अपनी नजरों को गोदाम के दरवाजे पर टिकाए बैठा था,,,, सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पायल की आवाज एकदम करीब आते जा रही थी और देखते ही देखते,, कमला एकदम गोदाम के दरवाजे पर पहुंच गई,, उसे पर नजर पड़ते ही सूरज उसे देखता ही रह गया,,, उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, और वह मुस्कुराते हुए गोदाम के अंदर प्रवेश कर गई,,, गोदाम के दरवाजे पर जैसे ही सूरज की नजर उसे पर पड़ी थी,,, सूरज पल भर के लिए सब कुछ भूल गया था,,, पल भर के लिए उसकी नजर उसके खूबसूरत चेहरे से हट ही नहीं रही थी,,।
सूरज की नजर उसके खूबसूरत चेहरे से होते हुए उसकी दोनों चूचियों पर गई जो की ब्लाउज में कसी होने के कारण उसका आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल-गोल नजर आ रहा था,,, दरवाजे पर लालटेन की रोशनी पहुंच रही थी इसलिए सूरज सब कुछ साफ-साफ देख लिया था उसकी मदहोश कर देने वाली चूचियों को देखकर खूबसूरत के मुंह में पानी आने लगा था और वह जैसे-जैसे आगे बढ़कर उन दोनों के सामने जाकर खड़ी हुई तो ऐसे में सूरज की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी जो कि कई हुई साड़ी में गजब का कहर ढा रही थी,,,, कुछ पल के लिए सूरज अपने जीवन में आने वाली सारी औरतों को भूल चुका था इस समय उसकी आंखों के सामने केवल सबसे खूबसूरत और जवानी से भरी हुई कमला ही थी,,,, उसके हाथ में एक छोटी सी पोटली थी और उसे पोटली को देख कर सूरज समझ गया था कि उसमें बनी हुई मछली है,,,।
कमला को देखते ही सूरज के पिताजी बोले,,।
कहां रह गई थी कमल तेरे इंतजार में कितनी बार लंड खड़ा होकर के ढीला पड़ गया,,,(शराब की बोतल को मुंह से लगाए हुए सूरज के पिताजी बोले और उसकी बात सुनकर कल्लू बोला,,)
बात तो तू सही कह रहा है यार लेकिन अब आ तो गई है ना,,,, अब इसका नाश करेंगे,,,(हाथ मिली हुई बोतल को नीचे रखते हुए कल्लू बोला,,)
आप क्या करूं दो बच्चों को खाना बना कर खिला कर सुलाना पड़ता है अब उन्हें इस तरह से छोड़कर तो नहीं आ सकती ना,,,,(नीचे जमीन पर बैठते हुए कमला बोली)
चल कोई बात नहीं रानी तू आ गई यही बहुत है एक तो पेट में चूहा भी दौड़ रहे थे और टांगों के बीच का मुन्ना भी भूख से चिल्ला रहा था,,,(कमल के गलो पर हथेली से सहलाते हुए सूरज के पिताजी बोले,,,)
अब मैं आ गई हूं ना दोनों की भूख मिटा दूंगी,,,(कपड़े की पोटली को खोलते हुए कमला बोली,,, और कल पीछे दीवाल का सहारा लेकर एकदम आराम से बैठते हुए बोला,,,)
कमला मेरी जान बगल के गांव में तू रहती है चाहते तो तेरे गांव में आकर तेरे घर में घुसकर तेरी चुदाई करते,,, लेकिन मैं अच्छी तरह से जानता हूं इसमें तेरी बदनामी है गांव में तो बदनाम हो जाएगी गांव वालों को क्या फर्क पड़ता है और वैसे भी मेरे होते हुए तुझे,, तेरे पति की कमी कभी भी महसूस नहीं होने दिया हूं तेरा खर्चा मैं ही उठाता हूं,,, और जब से भोला मिला है तब से यह भी तेरा खर्चा उठाता है,, मुझे मालूम है कि बिना पति के जीवन गुजारना कितना मुश्किल हो जाता है,,,। भला हो राजा साहब का क्यों उनके चलते हम तीनों का काम चल रहा है,,, वैसे एक बात बता,,, राजा साहब के वहां जाती है कि नहीं,,,।
राजा साहब लगता है कि तुम्हें एक दिन की भी छुट्टी देंगे रोज बुलाते हैं रोज लेते हैं,,,।
(कमल की बात सुनकर एकदम से हंसते हुए भोला बोला,,,,)
तुम्हारा राजा साहब एकदम रंगीन मिजाज का है वैसे तो मेरी मुलाकात अभी तक हुई नहीं है लेकिन राजा साहब से मिलने का मेरा भी मन करता है मैं भी तो देखूं राजा साहब दिखने में कैसा है,,, जो इतने रंगीन मिजाज का है कि,, अययास करने के लिए,, मेरे दोस्त को इतना बड़ा गोदाम भेंट में दे दिया है,,,।
सच कह रहा है भोला तू,,,, यह गोदान राजा साहब के ऐश के लिए ही है,,, लेकिन कुछ दिनों से यहां पर उनका आना हो नहीं रहा है लगता है की मालकिन मायके गई है और वह अपने कोठी पर ही बुलाकर चुदाई का कार्यक्रम निपटा रहे हैं क्यों कमला सहीकह रहा हूं ना,,,।
बिल्कुल सही कह रहे हो,,,, रोज जाना पड़ता है सुबह को शाम को राजा साहब के लिए तो अब मैं किसी दवा की तरह हो गई हूं जो दोनों समय लेना जरूरी होता है,,,(अपने हाथों से मछली और रोटी परोसते हुए कमला बोली,,,
उन लोगों की बातचीत सुनकर सूरज इतना तो समझ ही गया था कि कमला का पति नहीं था और उसे गुजर बसर करने के लिए इस तरह का काम करना पड़ रहा है मजबूरी में ही सही वह किसी भी तरह से अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है और यह देखकर पल भर के लिए उसे अपनी मां का ख्याल आ गया सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर वाकई में उसके पिताजी घर पर कभी ना आए तो कहीं उसकी मां का भी हाल ऐसा ना हो जाए वह भी मजबूरी में किसी दूसरे के आगे अपनी टांगें ना खोल दे,,, अपने मन में ऐसा ख्याल आते ही अपने मन में उठ रही शंका को खुद ही दूर करते हुए अपने आप से ही बोला,,,।
नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता उसके होते हुए तो ऐसा कभी नहीं हो सकता घर को चलाने के लिए उसकी मां को कभी भी ऐसा काम नहीं करना पड़ेगा,,,, और अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह फिर से अपनी आंखों को कमला और कमला के इर्द गिर्द टिका दिया,,,, तीनों बातें करते हुए मछली और रोटी का आनंद ले रहे थे यह नजारा देखकर के सूरज को भी भूख का एहसास होने लगा क्योंकि वह बिना कुछ खाए अपने पिताजी के पीछे-पीछे यहां तक आ गया था इसलिए उन तीनों को खाना खाते देखकर उसे भी भूख लगने लगी थी तीनों खाना खा रहे थे और एक दूसरे से मजाक मस्ती भी कर रहे थे सूरज अपने पिताजी की हरकत को देख रहा था जो की निवाला मुंह में डालकर बार-बार अपने हाथ से कमल की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही दबा दे रहा था,,,, और यही हरकत कल्लू भी कर रहा था,,, वह दोनों इतने जोर से चूची दबाते की कमला के मुंह से रह रहकर दर्द भरी शिसकारी फूट पड़ती,,,,।
अपने पिताजी और कल्लू की हरकत को देखकर सूरज का लंड खड़ा होने लगा था,,, उसके पिताजी अपने हरकत को जारी रखते हुए मछली और रोटी का आनंद लेते हुए उसके कंधे से साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिए थे और उसकी छाती एकदम से उजागर हो गई थी वह जिस तरह से बैठी हुई थी सूरज को उसके एक तरफ का भाग दिख रहा था और साड़ी का पल्लू हटते हैं लालटेन की पीली रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूची एकदम से पके हुए पपाया की तरह ब्लाउज में कसी हुई नजर आने लगी जो कि एकदम नुकीली लग रही थी,,,। और वह बेझिझक खाने का आनंद ले रही थी उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई मर्द उसके साथ क्या कर रहा है,,, और ऐसा तभी हो सकता है जब एक औरत किसी मर्द को बड़ी अच्छी तरह से जानती हो और उसके साथ इस तरह की हरकत बार-बार कर चुकी हो इसीलिए तो उसकी आंखों में शर्म नजर नहीं आ रही थी वह एकदम बेशरम बनी हुई थी,,,।
भोला की हरकत को देखकर कल्लू बोला,,,।
तुझसे बिल्कुल भी सबर नहींहोता,,,अरे पहले आराम से खाना तो खा ले उसके बाद जी भर कर कमला की चुदाई करेंगे,,, क्यों कमला रानी सही कह रहा हूं ना,,,।
बिल्कुल सही कह रहे हो,,, भोला तो राजा साहब से भी एक कदम आगे है,,, राजा साहब तुम एकदम आराम से आनंद लेते हुए चुदाई का मजा लेते हैं,, लेकिन तुम्हारे मित्र हैं कि इधसे तो बर्दाश्त ही नहीं होता,,, इनका बस चले तो खाते-खाते चुदाई करें,,,,(निवाला मुंह में डालते हुए कमला बोली)
सही कह रही हो कमला रानी मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता,,, तुम क्या जानो कितनी बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं,,, देखो तो सही मेरी हालत,,( बैठे-बैठे ही अपने पजामे में से अपने खड़े लंड को बाहर निकालते हुए,,,) इस पर तो तरस खाओ मेरा बस चले तो तुम्हें इस पर बिठाकर तुम्हें अपने हाथों से खाना खिलाउं,,,,।
(हाथ में निवाला लिए हुए कमला सूरज के पिताजी के लंड की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली ,)
हाय दइया तुम्हारे में तो सच में सबर नाम की कोई चीज नहीं है,,,, तुम कहते हो तो,,,(इतना कहने के साथ ही मुस्कुरा कर अपनी जगह से हल्के से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उठाई और सीधा जाकर बिना साड़ी उठाए हुए अपनी भारी भरकम गांड को सूरज के पिताजी के लंड पर रख दी और बैठ गई,,, यह देखकर कल्लू मुस्कुराते हुए बोला,,)
यह हुई ना बात,,, सच में जब से भोला मेरा मित्र बना है तब से हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करते हैं,,, अब तो आदत सी बन गई है अकेले तुझे चोदने में मजा ही नहीं आता,,,,।
अब मुझे भी अकेले मजा नहीं आता जब तक तुम दोनों साथ में नहीं होते हो तब तक मेरी बुर की खुजली मिटती नहीं है,,,(इतना सुनकर भोला अपने हाथ से निवाला बनाया और कमला को खिलाने लगा और कमल भी अपना मुंह खोलकर उसके हाथ से खाना खाने लगी,,, सूरज यह सब अपनी आंखों से देख रहा था उस कमला की बेशर्मी देख कर तो उसके भी पसीने छूट गए थे,,, वह कमला की बेशर्मी को देखता ही रह गया था,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और जिस तरह से कमला ने हरकत की थी उसे बारे में तो उसने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी सोच के विपरीत कमला ने पूरी तरह से बेशर्मी भरी हरकत की थी जिसे साफ तरह से जाहिर हो रहा था कि वह कितनी बड़ी बेशर्म औरत थी एकदम रंडी,,,।
लेकिन उसकी हरकत को देखकर सूरज का लंड भी एकदम ताव में आ गया था,,, सूरज समझ गया था कि यह कितनी बेशर्म औरत है और ऐसे माहौल में चुदवाते समय वह एकदम रंडी बन जाती है तभी तो मर्द पूरी तरह से उसे पाने के लिए पागल हो जाता है जैसा कि उसके पिताजी,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर सूरज को मन ही मां अपने पिताजी से नफरत हो रही थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी उसकी मां के साथ कभी भी इस तरह का बर्ताव नहीं किए होंगे भले ही चार दिवारी के अंदर लेकिन इस तरह की हरकत कभी भी उसकी मां नहीं कर सकती,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां इतनी बेशर्म नहीं बन सकती तभी तो उसके पिताजी इस तरह का सुख ढूंढने के लिए बाहर घूम रहे हैं,,,।
सूरज अभी तक तीन औरतों के संपर्क में आ चुका था मुखिया की बीवी उसकी लड़की और सोनू की चाची और सोनू की चाची के साथ अभी तक उसका शारीरिक मिलन नहीं हुआ था लेकिन दो औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था मुखिया की बीवी भी पूरी तरह से बेशर्म थी लेकिन कमल की बेशर्मी को देखकर मुखिया की बीवी की बेशर्मी फीकी लगने लगी थी वह तो चार दिवारी के अंदर किसी गैर मर्द की आंखों के सामने इस तरह की हरकत करने को कभी भी तैयार नहीं होती भले ही मुखिया की बीवी चुडक्कड़ थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं की थी,,,, और मुखिया की लड़की के साथ भी उसका दैहीक संबंध बन चुका था लेकिन उसकी शुरुआत का दौर था इसलिए उसकी बेशर्मी इस कदर अभी बड़ी नहीं थी जो कुछ भी करना होता था सूरज को ही करना पड़ता था,,।
लेकिन अभी का नजारा देखकर सूरज समझ गया था कि मर्द को तभी मजा आता है जब एक औरत पूरी तरह से रंडी बनकर मजा देती है। वह भी तो अपनी संपर्क में आई औरतों के साथ यही चाहता था और उन्हें खुलकर मजा भी देता था इसीलिए उसके पिताजी एक रंडी का सुख भोगने के लिए ही अपना घर परिवार छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़े हैं और वह औरत भी तो उन्हें वही सुख दे रही थी जैसा कि उन्हें चाहिए था वैसे हालत में एक मर्द घर छोड़कर बाहर सुखना ढूंढे तो और क्या करें,,, सूरज अपने मन इस तरह का ख्याल आ रहा था और इस बारे में बड़ा गौर भी कर रहा था इसलिए कुछ पल के लिए उसे अपने पिताजी की हरकत नाजायज नहीं लग रही थी क्योंकि जिस तरह से कमला बेशरम बनकर उसके खड़े लंड पर बैठकर खाना खा रही थी वाकई में यह है बेशर्मी की सारी हदों को पार कर चुकी थी और इस नजारे को देखकर किसी का भी लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो जाए,,,।
इस नजारे को देख कर देखने वाले की हालत तो खराब हो ही जाएगी लेकिन जो यह पल महसूस कर रहा होगा जो यह सुख भोग रहा होगा उसकी क्या दशा होती होगी यह सोचकर ही सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज बड़ी गौर से उसे नजारे को देख रहा था कमला उसके पिताजी की गोद में बैठी हुई थी और खड़े लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसके पिताजी बड़ी-भारी से निवाला अपने मुंह में डालते थे और फिर निवाला उसके मुंह में डालते थे,,, इस समय वह मादकता भरा सुख भोग रहे थे,,, पेट की भूख के साथ-साथ अपने तन की भी भूख मिटाने में लगे हुए थे जिसमें पूरा सहयोग कमला दे रही थी,,,। पल भर के लिए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता अब तक तो उसका लंड साड़ी फाड़ कर उसकी बुर में घुस गया होता,,,।
कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,,।
बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा मैं इस तरह से कभी भी मछली रोटी खाने का सुख नहीं प्राप्त की थी जिस तरह का सुखी समय मुझे मिल रहा है,,, तुम्हारा लंड बहुत चुभ रहा है,,, मेरे राजा,,,( भोला के लंड पर बैठकर कसमसाते हुए कमला बोली,,,,,, सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था की कमला उसके पिताजी के लंड की चुभन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी,,,। लेकिन फिर भी उसका पूरा आनंद ले रही थी,,, और कमला की हरकत को देखकर उसकी कसमसाहट को देखकर सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर ऐसी औरत बिस्तर पर हो तो सच में मजा आ जाए,,, कमला को आनंदित होता हुआ देखकर सूरज के पिताजी,, ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोले,,,,)
तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है,,,।
यह सब तुम्हारी हाथों का करामात है तुमने ही दबा दबा कर इसे ज्यादा बड़ा कर दिया है,,,,(कमला मुस्कुराते हुए बोली और उसे मुस्कुराता हुआ देख कर कल्लू बोला,,,)
सही कह रही हो कमला रानी यह मेरे दोस्त के हाथों का जादू है उसकी करामात है जो तुम्हारी चूची को सही आकार दिया है तुमसे प्यार करने लगा है मेरा दोस्त वरना इतनी बड़ी चूची तो इसकी बीवी की भी नहीं है,,, हमारी भाभी के भी तुमसे छोटी ही चूची होगी तो अंदाजा लगा लो कि मेरा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है क्योंकि यह प्यार का ही नतीजा है जो इतना आकार उसका बढ़ चुका है,,,,(कल्लू भोले के नशे और उसकी मदहोशी का पूरा फायदा उठाते हुए बीच में उसकी बीवी का जिक्र कर रहा था वह देखना चाहता था कि इस हालत में वह अपनी बीवी के बारे में इस तरह की बातों को सुन सकता है कि नहीं और यह सुनकर सूरज को भी गुस्सा आ रहा था कि एक बदमाश उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें कर रहा है,,, उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए भोला बोला,,,)
तू सही कह रहा है कल्लू ,, मेरी कमला रानी से मेरी बीवी की तुलना हुई नहीं सकती मेरी बीवी तो इसके पैर के बराबर भी नहीं है,,, तभी तो मैं पूरा सुख मेरी कमला रानी को देताहूं,,, क्यों मेरी जान मेरे साथ मजा तो आता है ना,,,(उसके गालों पर चुंबन करते हुए भोला बोला,,, तो मुस्कुराते हुए कमला बोली,,)
तुम दोनों के साथ मजा नहीं आता तो मैं यहां पर नहीं आती,,,, पति के जाने के बाद कल्लू और फिर तुम ही तो हो जिसके सहारे में,, जी रही हूं पेट की आज के साथ-साथ तन की भी आग को बुझाना बहुत जरूरी होता है,,, तुम दोनों का लंड से मेरी बुर में जाता है तो मैं सब कुछ भूल जाती हूं,,,,।
चिंता मत करो रानी आज सुबह तक तुम्हारी ऐसी चुदाई करेंगे कि लंगड़ा कर अपने घर जाओगी,,,(भोला फिर से जोर से उसकी चूची दबाते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर कमला बोली,,)
नहीं नहीं मेरे राजा इतनी बेरहमी से मेरी चुदाई मत करना कि सुबह सबको पता चल जाए की रात भर चुदवा कर आई है।(सूरज के पिताजी के हाथ से निवाला अपने मुंह में लेकर खाते हुए बोली).
सूरज सब बातों को सुन रहा था उसकी भी हालत खराब हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसके पिताजी ने कमला की चूचियों की तारीफ किए थे उस तारीफ को सुनकर सूरज को गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत पूरे गांव में कोई नहीं थी और उसके जैसे बदन की बनावट भी किसी दूसरी औरत की नहीं थी भले ही कुछ पल के लिए सूरज कमल को देखकर मंत्र मुग्ध हो गया था,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास था कि उसकी मां की जवानी के आगे कमल की जवानी पूरी तरह से फीकी थी भले ही कमला पूरी तरह से मजा देती हो लेकिन उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत नहीं थी,,,, इसलिए अपने पिताजी के मुंह से किसी और औरत की खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था,,,,।
इस बात को वह अच्छी तरह से मानता था की जिस तरह से बिस्तर पर खुलकर कमला मजा देती है,, लेकिन उसकी मां शर्म के मारे और अपने संस्कारों के वजह से खुलकर एक रंडी की तरह अपने पति को सुख ना देती हो लेकिन खूबसूरती के मामले में वह कमला से एक कदम आगे ही थी,,,,,,,, सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था देखते ही देखते तीनों खाना खा चुके थे और अब चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला था,,,,, इससे पहले वह केवल अपनी मां की ही चुदाई देखा था अपने घर में,, वह उसके जीवन की पहली चुदाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देखा था और वह भी अपनी मां की,, जोकि उसके पिताजी से ही चुदवा रही थी,,,, आज भी उसके पिताजी ही थे लेकिन उसके साथ उसकी मां नहीं थी बल्कि एक दूसरी औरत थी कमला,,,।
सूरज के तन-बदन में आग लग रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से उसे अपने ही बाप की तहकीकात करनी पड़ेगी लेकिन अब तक उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था वह बिल्कुल अलग था धीरे-धीरे करके उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी की सच्चाई उजागर होती चली जा रही थी वरना वह अपने मन में अपने पिताजी के प्रति कभी गलत भावना नहीं लाया था वह यही जानता था कि उसके पिताजी एक अच्छे इंसान है संस्कारी और परिवार की देखरेख करने वाले लेकिन धीरे-धीरे उसकी यह सोच उसकी यह धारणा बदलती जा रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि यह सब कल्लू की संगत का ही नतीजा है,,, वरना उसके पिताजी ऐसे कभी नहीं थे। सूरज भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी और वह कल्लू किसी औरत के इंतजार में शराब गट गटा रहे थे,,,,।
अब तो सूरज भी देखना चाहता था उसे औरत को जिसके लिए उसके पिताजी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर महीनो से मुंह मार रहे थे,,, रात पूरी तरह से छा चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था और वैसे भी यह जगह बस्ती से काफी दूरी पर थी,, इसलिए किसी भी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बस रह रहकर कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी,, गोदाम का दरवाजा खुला हुआ था,, जितनी बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार उसके पिताजी और वह कल्लू कर रहे थे,, सबसे ज्यादा बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार सूरज कर रहा था सूरज देखना चाहता था कि आखिरकार वह औरत देखने में है कैसी जिसके चलते एक हंसता खेलता घर बिखरने के कगार पर आ गया है,,,।
कुछ ही देर में तीनों की बेसब्री खत्म होने को आ गई थी क्योंकि दूर से ही पायल की आवाज आ रही थी जो की धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थी पायल की आवाज को सुनकर सूरज पूरी तरह से अपनी नजरों को गोदाम के दरवाजे पर टिकाए बैठा था,,,, सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पायल की आवाज एकदम करीब आते जा रही थी और देखते ही देखते,, कमला एकदम गोदाम के दरवाजे पर पहुंच गई,, उसे पर नजर पड़ते ही सूरज उसे देखता ही रह गया,,, उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, और वह मुस्कुराते हुए गोदाम के अंदर प्रवेश कर गई,,, गोदाम के दरवाजे पर जैसे ही सूरज की नजर उसे पर पड़ी थी,,, सूरज पल भर के लिए सब कुछ भूल गया था,,, पल भर के लिए उसकी नजर उसके खूबसूरत चेहरे से हट ही नहीं रही थी,,।
सूरज की नजर उसके खूबसूरत चेहरे से होते हुए उसकी दोनों चूचियों पर गई जो की ब्लाउज में कसी होने के कारण उसका आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल-गोल नजर आ रहा था,,, दरवाजे पर लालटेन की रोशनी पहुंच रही थी इसलिए सूरज सब कुछ साफ-साफ देख लिया था उसकी मदहोश कर देने वाली चूचियों को देखकर खूबसूरत के मुंह में पानी आने लगा था और वह जैसे-जैसे आगे बढ़कर उन दोनों के सामने जाकर खड़ी हुई तो ऐसे में सूरज की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी जो कि कई हुई साड़ी में गजब का कहर ढा रही थी,,,, कुछ पल के लिए सूरज अपने जीवन में आने वाली सारी औरतों को भूल चुका था इस समय उसकी आंखों के सामने केवल सबसे खूबसूरत और जवानी से भरी हुई कमला ही थी,,,, उसके हाथ में एक छोटी सी पोटली थी और उसे पोटली को देख कर सूरज समझ गया था कि उसमें बनी हुई मछली है,,,।
कमला को देखते ही सूरज के पिताजी बोले,,।
कहां रह गई थी कमल तेरे इंतजार में कितनी बार लंड खड़ा होकर के ढीला पड़ गया,,,(शराब की बोतल को मुंह से लगाए हुए सूरज के पिताजी बोले और उसकी बात सुनकर कल्लू बोला,,)
बात तो तू सही कह रहा है यार लेकिन अब आ तो गई है ना,,,, अब इसका नाश करेंगे,,,(हाथ मिली हुई बोतल को नीचे रखते हुए कल्लू बोला,,)
आप क्या करूं दो बच्चों को खाना बना कर खिला कर सुलाना पड़ता है अब उन्हें इस तरह से छोड़कर तो नहीं आ सकती ना,,,,(नीचे जमीन पर बैठते हुए कमला बोली)
चल कोई बात नहीं रानी तू आ गई यही बहुत है एक तो पेट में चूहा भी दौड़ रहे थे और टांगों के बीच का मुन्ना भी भूख से चिल्ला रहा था,,,(कमल के गलो पर हथेली से सहलाते हुए सूरज के पिताजी बोले,,,)
अब मैं आ गई हूं ना दोनों की भूख मिटा दूंगी,,,(कपड़े की पोटली को खोलते हुए कमला बोली,,, और कल पीछे दीवाल का सहारा लेकर एकदम आराम से बैठते हुए बोला,,,)
कमला मेरी जान बगल के गांव में तू रहती है चाहते तो तेरे गांव में आकर तेरे घर में घुसकर तेरी चुदाई करते,,, लेकिन मैं अच्छी तरह से जानता हूं इसमें तेरी बदनामी है गांव में तो बदनाम हो जाएगी गांव वालों को क्या फर्क पड़ता है और वैसे भी मेरे होते हुए तुझे,, तेरे पति की कमी कभी भी महसूस नहीं होने दिया हूं तेरा खर्चा मैं ही उठाता हूं,,, और जब से भोला मिला है तब से यह भी तेरा खर्चा उठाता है,, मुझे मालूम है कि बिना पति के जीवन गुजारना कितना मुश्किल हो जाता है,,,। भला हो राजा साहब का क्यों उनके चलते हम तीनों का काम चल रहा है,,, वैसे एक बात बता,,, राजा साहब के वहां जाती है कि नहीं,,,।
राजा साहब लगता है कि तुम्हें एक दिन की भी छुट्टी देंगे रोज बुलाते हैं रोज लेते हैं,,,।
(कमल की बात सुनकर एकदम से हंसते हुए भोला बोला,,,,)
तुम्हारा राजा साहब एकदम रंगीन मिजाज का है वैसे तो मेरी मुलाकात अभी तक हुई नहीं है लेकिन राजा साहब से मिलने का मेरा भी मन करता है मैं भी तो देखूं राजा साहब दिखने में कैसा है,,, जो इतने रंगीन मिजाज का है कि,, अययास करने के लिए,, मेरे दोस्त को इतना बड़ा गोदाम भेंट में दे दिया है,,,।
सच कह रहा है भोला तू,,,, यह गोदान राजा साहब के ऐश के लिए ही है,,, लेकिन कुछ दिनों से यहां पर उनका आना हो नहीं रहा है लगता है की मालकिन मायके गई है और वह अपने कोठी पर ही बुलाकर चुदाई का कार्यक्रम निपटा रहे हैं क्यों कमला सहीकह रहा हूं ना,,,।
बिल्कुल सही कह रहे हो,,,, रोज जाना पड़ता है सुबह को शाम को राजा साहब के लिए तो अब मैं किसी दवा की तरह हो गई हूं जो दोनों समय लेना जरूरी होता है,,,(अपने हाथों से मछली और रोटी परोसते हुए कमला बोली,,,
उन लोगों की बातचीत सुनकर सूरज इतना तो समझ ही गया था कि कमला का पति नहीं था और उसे गुजर बसर करने के लिए इस तरह का काम करना पड़ रहा है मजबूरी में ही सही वह किसी भी तरह से अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है और यह देखकर पल भर के लिए उसे अपनी मां का ख्याल आ गया सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर वाकई में उसके पिताजी घर पर कभी ना आए तो कहीं उसकी मां का भी हाल ऐसा ना हो जाए वह भी मजबूरी में किसी दूसरे के आगे अपनी टांगें ना खोल दे,,, अपने मन में ऐसा ख्याल आते ही अपने मन में उठ रही शंका को खुद ही दूर करते हुए अपने आप से ही बोला,,,।
नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता उसके होते हुए तो ऐसा कभी नहीं हो सकता घर को चलाने के लिए उसकी मां को कभी भी ऐसा काम नहीं करना पड़ेगा,,,, और अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह फिर से अपनी आंखों को कमला और कमला के इर्द गिर्द टिका दिया,,,, तीनों बातें करते हुए मछली और रोटी का आनंद ले रहे थे यह नजारा देखकर के सूरज को भी भूख का एहसास होने लगा क्योंकि वह बिना कुछ खाए अपने पिताजी के पीछे-पीछे यहां तक आ गया था इसलिए उन तीनों को खाना खाते देखकर उसे भी भूख लगने लगी थी तीनों खाना खा रहे थे और एक दूसरे से मजाक मस्ती भी कर रहे थे सूरज अपने पिताजी की हरकत को देख रहा था जो की निवाला मुंह में डालकर बार-बार अपने हाथ से कमल की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही दबा दे रहा था,,,, और यही हरकत कल्लू भी कर रहा था,,, वह दोनों इतने जोर से चूची दबाते की कमला के मुंह से रह रहकर दर्द भरी शिसकारी फूट पड़ती,,,,।
अपने पिताजी और कल्लू की हरकत को देखकर सूरज का लंड खड़ा होने लगा था,,, उसके पिताजी अपने हरकत को जारी रखते हुए मछली और रोटी का आनंद लेते हुए उसके कंधे से साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिए थे और उसकी छाती एकदम से उजागर हो गई थी वह जिस तरह से बैठी हुई थी सूरज को उसके एक तरफ का भाग दिख रहा था और साड़ी का पल्लू हटते हैं लालटेन की पीली रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूची एकदम से पके हुए पपाया की तरह ब्लाउज में कसी हुई नजर आने लगी जो कि एकदम नुकीली लग रही थी,,,। और वह बेझिझक खाने का आनंद ले रही थी उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई मर्द उसके साथ क्या कर रहा है,,, और ऐसा तभी हो सकता है जब एक औरत किसी मर्द को बड़ी अच्छी तरह से जानती हो और उसके साथ इस तरह की हरकत बार-बार कर चुकी हो इसीलिए तो उसकी आंखों में शर्म नजर नहीं आ रही थी वह एकदम बेशरम बनी हुई थी,,,।
भोला की हरकत को देखकर कल्लू बोला,,,।
तुझसे बिल्कुल भी सबर नहींहोता,,,अरे पहले आराम से खाना तो खा ले उसके बाद जी भर कर कमला की चुदाई करेंगे,,, क्यों कमला रानी सही कह रहा हूं ना,,,।
बिल्कुल सही कह रहे हो,,, भोला तो राजा साहब से भी एक कदम आगे है,,, राजा साहब तुम एकदम आराम से आनंद लेते हुए चुदाई का मजा लेते हैं,, लेकिन तुम्हारे मित्र हैं कि इधसे तो बर्दाश्त ही नहीं होता,,, इनका बस चले तो खाते-खाते चुदाई करें,,,,(निवाला मुंह में डालते हुए कमला बोली)
सही कह रही हो कमला रानी मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता,,, तुम क्या जानो कितनी बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं,,, देखो तो सही मेरी हालत,,( बैठे-बैठे ही अपने पजामे में से अपने खड़े लंड को बाहर निकालते हुए,,,) इस पर तो तरस खाओ मेरा बस चले तो तुम्हें इस पर बिठाकर तुम्हें अपने हाथों से खाना खिलाउं,,,,।
(हाथ में निवाला लिए हुए कमला सूरज के पिताजी के लंड की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली ,)
हाय दइया तुम्हारे में तो सच में सबर नाम की कोई चीज नहीं है,,,, तुम कहते हो तो,,,(इतना कहने के साथ ही मुस्कुरा कर अपनी जगह से हल्के से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उठाई और सीधा जाकर बिना साड़ी उठाए हुए अपनी भारी भरकम गांड को सूरज के पिताजी के लंड पर रख दी और बैठ गई,,, यह देखकर कल्लू मुस्कुराते हुए बोला,,)
यह हुई ना बात,,, सच में जब से भोला मेरा मित्र बना है तब से हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करते हैं,,, अब तो आदत सी बन गई है अकेले तुझे चोदने में मजा ही नहीं आता,,,,।
अब मुझे भी अकेले मजा नहीं आता जब तक तुम दोनों साथ में नहीं होते हो तब तक मेरी बुर की खुजली मिटती नहीं है,,,(इतना सुनकर भोला अपने हाथ से निवाला बनाया और कमला को खिलाने लगा और कमल भी अपना मुंह खोलकर उसके हाथ से खाना खाने लगी,,, सूरज यह सब अपनी आंखों से देख रहा था उस कमला की बेशर्मी देख कर तो उसके भी पसीने छूट गए थे,,, वह कमला की बेशर्मी को देखता ही रह गया था,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और जिस तरह से कमला ने हरकत की थी उसे बारे में तो उसने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी सोच के विपरीत कमला ने पूरी तरह से बेशर्मी भरी हरकत की थी जिसे साफ तरह से जाहिर हो रहा था कि वह कितनी बड़ी बेशर्म औरत थी एकदम रंडी,,,।
लेकिन उसकी हरकत को देखकर सूरज का लंड भी एकदम ताव में आ गया था,,, सूरज समझ गया था कि यह कितनी बेशर्म औरत है और ऐसे माहौल में चुदवाते समय वह एकदम रंडी बन जाती है तभी तो मर्द पूरी तरह से उसे पाने के लिए पागल हो जाता है जैसा कि उसके पिताजी,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर सूरज को मन ही मां अपने पिताजी से नफरत हो रही थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी उसकी मां के साथ कभी भी इस तरह का बर्ताव नहीं किए होंगे भले ही चार दिवारी के अंदर लेकिन इस तरह की हरकत कभी भी उसकी मां नहीं कर सकती,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां इतनी बेशर्म नहीं बन सकती तभी तो उसके पिताजी इस तरह का सुख ढूंढने के लिए बाहर घूम रहे हैं,,,।
सूरज अभी तक तीन औरतों के संपर्क में आ चुका था मुखिया की बीवी उसकी लड़की और सोनू की चाची और सोनू की चाची के साथ अभी तक उसका शारीरिक मिलन नहीं हुआ था लेकिन दो औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था मुखिया की बीवी भी पूरी तरह से बेशर्म थी लेकिन कमल की बेशर्मी को देखकर मुखिया की बीवी की बेशर्मी फीकी लगने लगी थी वह तो चार दिवारी के अंदर किसी गैर मर्द की आंखों के सामने इस तरह की हरकत करने को कभी भी तैयार नहीं होती भले ही मुखिया की बीवी चुडक्कड़ थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं की थी,,,, और मुखिया की लड़की के साथ भी उसका दैहीक संबंध बन चुका था लेकिन उसकी शुरुआत का दौर था इसलिए उसकी बेशर्मी इस कदर अभी बड़ी नहीं थी जो कुछ भी करना होता था सूरज को ही करना पड़ता था,,।
लेकिन अभी का नजारा देखकर सूरज समझ गया था कि मर्द को तभी मजा आता है जब एक औरत पूरी तरह से रंडी बनकर मजा देती है। वह भी तो अपनी संपर्क में आई औरतों के साथ यही चाहता था और उन्हें खुलकर मजा भी देता था इसीलिए उसके पिताजी एक रंडी का सुख भोगने के लिए ही अपना घर परिवार छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़े हैं और वह औरत भी तो उन्हें वही सुख दे रही थी जैसा कि उन्हें चाहिए था वैसे हालत में एक मर्द घर छोड़कर बाहर सुखना ढूंढे तो और क्या करें,,, सूरज अपने मन इस तरह का ख्याल आ रहा था और इस बारे में बड़ा गौर भी कर रहा था इसलिए कुछ पल के लिए उसे अपने पिताजी की हरकत नाजायज नहीं लग रही थी क्योंकि जिस तरह से कमला बेशरम बनकर उसके खड़े लंड पर बैठकर खाना खा रही थी वाकई में यह है बेशर्मी की सारी हदों को पार कर चुकी थी और इस नजारे को देखकर किसी का भी लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो जाए,,,।
इस नजारे को देख कर देखने वाले की हालत तो खराब हो ही जाएगी लेकिन जो यह पल महसूस कर रहा होगा जो यह सुख भोग रहा होगा उसकी क्या दशा होती होगी यह सोचकर ही सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज बड़ी गौर से उसे नजारे को देख रहा था कमला उसके पिताजी की गोद में बैठी हुई थी और खड़े लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसके पिताजी बड़ी-भारी से निवाला अपने मुंह में डालते थे और फिर निवाला उसके मुंह में डालते थे,,, इस समय वह मादकता भरा सुख भोग रहे थे,,, पेट की भूख के साथ-साथ अपने तन की भी भूख मिटाने में लगे हुए थे जिसमें पूरा सहयोग कमला दे रही थी,,,। पल भर के लिए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता अब तक तो उसका लंड साड़ी फाड़ कर उसकी बुर में घुस गया होता,,,।
कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,,।
बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा मैं इस तरह से कभी भी मछली रोटी खाने का सुख नहीं प्राप्त की थी जिस तरह का सुखी समय मुझे मिल रहा है,,, तुम्हारा लंड बहुत चुभ रहा है,,, मेरे राजा,,,( भोला के लंड पर बैठकर कसमसाते हुए कमला बोली,,,,,, सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था की कमला उसके पिताजी के लंड की चुभन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी,,,। लेकिन फिर भी उसका पूरा आनंद ले रही थी,,, और कमला की हरकत को देखकर उसकी कसमसाहट को देखकर सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर ऐसी औरत बिस्तर पर हो तो सच में मजा आ जाए,,, कमला को आनंदित होता हुआ देखकर सूरज के पिताजी,, ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोले,,,,)
तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है,,,।
यह सब तुम्हारी हाथों का करामात है तुमने ही दबा दबा कर इसे ज्यादा बड़ा कर दिया है,,,,(कमला मुस्कुराते हुए बोली और उसे मुस्कुराता हुआ देख कर कल्लू बोला,,,)
सही कह रही हो कमला रानी यह मेरे दोस्त के हाथों का जादू है उसकी करामात है जो तुम्हारी चूची को सही आकार दिया है तुमसे प्यार करने लगा है मेरा दोस्त वरना इतनी बड़ी चूची तो इसकी बीवी की भी नहीं है,,, हमारी भाभी के भी तुमसे छोटी ही चूची होगी तो अंदाजा लगा लो कि मेरा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है क्योंकि यह प्यार का ही नतीजा है जो इतना आकार उसका बढ़ चुका है,,,,(कल्लू भोले के नशे और उसकी मदहोशी का पूरा फायदा उठाते हुए बीच में उसकी बीवी का जिक्र कर रहा था वह देखना चाहता था कि इस हालत में वह अपनी बीवी के बारे में इस तरह की बातों को सुन सकता है कि नहीं और यह सुनकर सूरज को भी गुस्सा आ रहा था कि एक बदमाश उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें कर रहा है,,, उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए भोला बोला,,,)
तू सही कह रहा है कल्लू ,, मेरी कमला रानी से मेरी बीवी की तुलना हुई नहीं सकती मेरी बीवी तो इसके पैर के बराबर भी नहीं है,,, तभी तो मैं पूरा सुख मेरी कमला रानी को देताहूं,,, क्यों मेरी जान मेरे साथ मजा तो आता है ना,,,(उसके गालों पर चुंबन करते हुए भोला बोला,,, तो मुस्कुराते हुए कमला बोली,,)
तुम दोनों के साथ मजा नहीं आता तो मैं यहां पर नहीं आती,,,, पति के जाने के बाद कल्लू और फिर तुम ही तो हो जिसके सहारे में,, जी रही हूं पेट की आज के साथ-साथ तन की भी आग को बुझाना बहुत जरूरी होता है,,, तुम दोनों का लंड से मेरी बुर में जाता है तो मैं सब कुछ भूल जाती हूं,,,,।
चिंता मत करो रानी आज सुबह तक तुम्हारी ऐसी चुदाई करेंगे कि लंगड़ा कर अपने घर जाओगी,,,(भोला फिर से जोर से उसकी चूची दबाते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर कमला बोली,,)
नहीं नहीं मेरे राजा इतनी बेरहमी से मेरी चुदाई मत करना कि सुबह सबको पता चल जाए की रात भर चुदवा कर आई है।(सूरज के पिताजी के हाथ से निवाला अपने मुंह में लेकर खाते हुए बोली).
सूरज सब बातों को सुन रहा था उसकी भी हालत खराब हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसके पिताजी ने कमला की चूचियों की तारीफ किए थे उस तारीफ को सुनकर सूरज को गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत पूरे गांव में कोई नहीं थी और उसके जैसे बदन की बनावट भी किसी दूसरी औरत की नहीं थी भले ही कुछ पल के लिए सूरज कमल को देखकर मंत्र मुग्ध हो गया था,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास था कि उसकी मां की जवानी के आगे कमल की जवानी पूरी तरह से फीकी थी भले ही कमला पूरी तरह से मजा देती हो लेकिन उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत नहीं थी,,,, इसलिए अपने पिताजी के मुंह से किसी और औरत की खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था,,,,।
इस बात को वह अच्छी तरह से मानता था की जिस तरह से बिस्तर पर खुलकर कमला मजा देती है,, लेकिन उसकी मां शर्म के मारे और अपने संस्कारों के वजह से खुलकर एक रंडी की तरह अपने पति को सुख ना देती हो लेकिन खूबसूरती के मामले में वह कमला से एक कदम आगे ही थी,,,,,,,, सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था देखते ही देखते तीनों खाना खा चुके थे और अब चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला था,,,,, इससे पहले वह केवल अपनी मां की ही चुदाई देखा था अपने घर में,, वह उसके जीवन की पहली चुदाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देखा था और वह भी अपनी मां की,, जोकि उसके पिताजी से ही चुदवा रही थी,,,, आज भी उसके पिताजी ही थे लेकिन उसके साथ उसकी मां नहीं थी बल्कि एक दूसरी औरत थी कमला,,,।