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Incest पहाडी मौसम

Dharmendra Kumar Patel

Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही शानदार रोमांचक अपडेट
 
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huuii

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Character:
Sir: I am Pregnant💋💋
Story Line:
Plot: Pure seduction
Place: Rameshowram, Tamilnadu
School Name: Rameshowram Madhyamik Bidhyalaya
Hari: Teacher
Rama: Student
Love Interest: Meena Mam & Neelam Aunty
Villain: Will be announced soon
This story will be slow seduction & love between... https://xforum.live/threads/sir-i-am-pregnant-💋.167767/
 
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Sanju@

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सूरज आंवला के लिए अपनी मां से पूछने के लिए खेत में आ चुका था चारों तरफ गन्ने का खेत लहरा रहा था,,, फसल इतनी बड़ी-बड़ी थी कि दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं देता था अगर कोई देखने की कोशिश भी कर तो उसे खेत में क्या है क्या हो रहा है कुछ भी दिखाइ ना दे,,, सूरज धीरे-धीरे खेत के बीच में पहुंच चुका था जहां पर छोटी सी कच्ची झोपड़ी थी और ट्यूबवेल था खेतों में पानी पहुंचाने के लिए,,, लेकिन वहां पर पहुंचकर उसने जो अपनी आंखों से देखा उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वह एकदम से अपने आप को गन्ने की फसल के पीछे छुपा लिया,,,।

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गर्मी का महीना और दोपहर का समय था ,,, सूरज को भी गर्मी लग रही थी और माथे से पसीना टपक रहा था और जो नजर उसने सामने देखा था उससे तो उसकी हालत और ज्यादा गर्म हो गई थी,,, उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत वही होती जो सूरज की हो रही थी,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी बस इतना देखकर ही सूरज समझ गया था कि अब क्या होने वाला है क्योंकि सुनैना ट्यूबवेल के पास खड़ी थी और वह समझ गया था कि उसकी मां नहाने की तैयारी कर रही है लेकिन किस तरह से नहाती है यह वह नहीं जानता था लेकिन फिर भी अपनी मां को नहाते हुए देखने में उसे आनंद आने वाला था इतना उसे अभास था ,।






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इससे पहले भी वह नदी में अपनी मां को नहाते हुए देख चुका था और वह भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में,, पहली बार अपनी मां को नंगी होकर नहाते हुए देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर पूरे उफान पर थी,,, जो आनंद जो मजा उसे अपनी मां को नंगी होकर नहाते हुए देखने में आया था वैसा मजा उसे फिर कभी नहीं मिला था लेकिन आज फसल के पीछे छुप गया था ताकि उसकी मां को बिल्कुल भी भनक तक ना लगे कि कोई उसके आसपास है ताकि वह आराम से अपने तरीके से नहा सके,,, लेकिन फिर भी सूरज को इस बात की शंका थी कि उसकी मां किस तरह से नहाती है अपने सारे कपड़े उतार कर या कपड़े पहने हुए ही नहाती है ,, मन में तो उसकी यही चल रहा था कि उसकी मां उसे दिन की तरह ही अपने सारे कपड़े उतार कर नहाए तो मजा आ जाए,,,।






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फिर भी सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि उसकी मां धीरे-धीरे अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी और बढ़िया आराम से अपनी ब्लाउज की डोरी खोल दी चुकी थी पीछे से ढीला होने के बाद वह आगे से अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दी और देखते ही देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर धीरे से अपनी गोरी गोरी बाहों में से अपने ब्लाउस को निकाल कर वहीं पास में घास के देर में रख दी,,, कमर के ऊपर सुनैना नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास सूरज को हो रहा था सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां उसकी तरफ घूम जाए तो मजा आ जाए उसकी चूचियां देखने में जो की खरबूजे की तरह बड़ी-बड़ी गोल-गोल और एकदम कसी हुई थी जो उसकी छाती की शोभा को बढ़ाती थी,,,।




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सुनैना सूरज के वहां पहुंचने से पहले ही अपनी साड़ी को उतार कर घास के ढेर पर रख चुकी थी और ब्लाउज उतारने के बाद वह कुछ देर तक अपनी छतिया की तरफ देखती रही और दोनों हाथों को अपनी छाती पर रखकर उसे हल्के हल्के होले होले से दबाना शुरू कर दी,,, भले ही सूरज ठीक तरह से देखने का रहा हूं लेकिन इतना तो वह समझ गया था कि इस समय उसकी मां क्या कर रही है वह समझ गया था कि उसकी मां अपने हाथ से ही अपनी चूची से खेल रही है थी और यह देखकर तो उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अपने मन में सोचने लगा कि पिताजी के घर पर न होने की वजह से उसकी मां की हालत ऐसी हो गई है काश यह मौका उसे मिल जाता तो कितना मजा आ जाता,,, सुनैना को अपने हाथों से ही अपनी चूची को दबाने में आनंद आ रहा था और वह अपनी आंखों को बंद कर दी थी और यह सब इसलिए हो रहा था क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसे पुरुष संसर्ग नहीं मिला था,,, मतलब कि उसके पति का साथ नहीं मिला था इसलिए वह अंदर से प्यासी थी,,,,।




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कुछ देर तक अपनी चूची से खेलने के बाद वह एकदम से सूरज की तरफ घूम गई क्योंकि वह लोटा ढुंढ रही थी,,, उसे प्यास भी लगी थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसका लड़का उसे देखकर अपनी आंखों की प्यास बुझा रहा है,,, सूरज की तो आंखें फटी की फटी रह गई अपनी मां की नंगी चूचियां देखकर एकदम कसी हुई छतिया पर ऐसा लग रहा था कि किसी ने अपने हाथों से लगा दिया हूं इस उम्र में भी उसकी चूची जवान औरत की तरह कसी हुई थी जिसे देखकर उसका लंड टन्ना रहा था,,,,,, इस बात से अनजान की चोरी छिपे उसकी नंगी जवान को उसका बेटा अपनी आंखों से देख रहा है वह इधर-उधर लोटा ढूंढ रही थी और उसके इधर-उधर घूमने की वजह से उसकी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो उसने मुखिया की बीवी की चूचियों से बहुत खेला था लेकिन उसकी मां की चूची की बात ही कुछ और थी इस बात का एहसास सूरज को अच्छी तरह से हो रहा था क्योंकि उसकी मां की चुचियों में बिल्कुल भी लचक नहीं थी एकदम कसी हुई थी नीलू की चूची की तरह,,,,।




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इधर-उधर ढूंढने के बाद उसे लोटा दिखाई दे दिया और उसे उठाने के लिए वह जैसे ही नीचे झुकी तो उसकी दोनों चूचियां पपैया की तरह एकदम से लचक गए जिसे देखकर सूरज की गरम आह निकल गई,,, मन तो उसका किया कि आगे बढ़कर अपनी मां की चूचियों को दोनों हाथों से थाम ले और जो काम हुआ खुद अपने हाथों से कर रही थी उसी काम का जिम्मा अपने सिर लेकर बखूबी इस काम को अंजाम दे और अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करें लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था बस उत्तेजना बस पजामे में तने हुए अपने लंड को दबाकर रह गया था,,,। सुनैना लोटा उठा कर वापस ट्यूबवेल की तरफ जाने लगी और जाते समय उसकी भारी भरकम गोलाकार गांड पेटिकोट में एकदम साफ ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर सुरज के लंड की अकड़ बढ़ती जा रही थी,,,। और वह धीरे-धीरे वापस ट्यूबवेल के पास पहुंच गई और हाथ आगे बढ़ाकर उसे लोटे में पानी भरने लगी और फिर पीकर अपनी प्यास बुझा लेने के बाद वह वापस लौटे को वहीं पास में रख दी,,,,।




Sunaina apni chuchiyo se khelti huyi

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सूरज की उत्तेजना का ठिकाना न था अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली जवानी का वह पहले से ही दीवाना था,,, लेकिन आज उसे पहली बार यह सौभाग्य मिल रहा था कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी लेकिन अभी भी सूरज के मन में इस बात को लेकर शंका थी कि उसकी मां पेटीकोट उतारती है या नहीं उतारती क्योंकि गांव में अक्सर वह इस तरह के नजारे को देख चुका था जब और तो के प्रति उसका कोई आकर्षण नहीं था औरतें अक्सर ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर ही नहाती थी उन्हें उतार कर वह कभी देखा नहीं था की नहाती हूं लेकिन उसे तरह के नजारे को वहां हमेशा कुएं पर या नल पर ही देखा था इसलिए वह समझ सकता था कि लोगों के बीच औरते अपने सारे वस्त्र नहीं उतारती,,,।


Sunaina nahati huyi

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लेकिन सूरज को अपनी मां के बारे में अच्छी तरह से मालूम था क्योंकि वह नदी पर पहले ही अपनी मां को पूरी तरह से नंगी होकर नहाते हुए देख चुका था और इस समय भी यहां पर पूरी तरह से एकांत था गन्ने के फसल से घिरा हुआ या स्थान पूरी तरह से लोगों की आंखों से छुपा हुआ था और ऐसे में उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा सकती थी ऐसा सूरज अपने मन में सोच भी रहा था,,,,, और उसका यह सोचना एकदम सही साबित हुआ जब उसने देखा कि उसकी मां अपने दोनों हाथों को अपने पेटिकोट की डोरी पर रखकर उसे धीरे-धीरे खोल रही थी यह देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एक टक फसल के पीछे अपने आप को छुपाए हुए अपनी मां की मदद कर देने वाली जवानी को उजागर होता हुआ देख रहा था और जिस तरह से उसने देखा कि उसकी मां की हाथों की हरकत बढ़ने लगी वह समझ गया कि अब ज्यादा देर नहीं है उसकी मां को नंगी होने में,,,,।
Sunaina

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गर्मी का महीना और दोपहर का समय होने के बावजूद सूरज के लिए यह मौसम बेहद सुहावना लगने लगा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसके सपनों की रानी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने जा रही थी,,,, वह भी अपने मन में सोच रहा था कि उसका मन कैसा है अपनी मां को लगभग बहुत बार नग्न अवस्था में देख चुका था नहाते हुए कपड़े बदलते हुए यहां तक की अपने पिताजी से चुदवाते हुए की देख चुका था लेकिन हर एक बार जब-जगह अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देखा था उसे नंगी देखा था तब तक उसे एक नया एहसास होता था नई उमंग उसके मन में जगती थी,,, और यही एहसास यही उम्र उसे धीरे-धीरे अपनी मां के प्रति पूरी तरह से आकर्षित करते चली जा रही थी,,,।

सुनैना निश्चिंत थी,,, वह खेतों में पानी देने के लिए आई थी फसल को देखने के लिए आई थी लेकिन गर्मी की वजह से उसका मन नहाने को हो गया था,,, यह जगह पूरी तरह से फसल से गिरी हुई थी यहां पर किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाना चाहती थी वैसे भी ट्यूबवेल के पानी में ना आए उसे बहुत दिन हो चुके थे और इसलिए वह आज जी भर कर नहाना चाहती थी,, और देखते ही देखते उसने पेटिकोट की डोरी को खींचकर पेटिकोट को अपनी कमर पर ढीली कर दी लेकिन अभी भी पेटिकोट उसके नितंबों के उभार की वजह से उसके कमर पर टिकी हुई थी जिसे वह अपने हाथों से ढीली करके उसे एकदम से अपनी कमर से ही छोड़ दी,, और उसकी पेटीकोट भी नाटक के मंच के किसी पर्दे की तरह भर भरा कर एकदम से उसके कदमों में जा गीरी,,और पलक झपकते ही सुनैना पूरी तरह से नंगी हो गई सूरज की आंखों के सामने उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में खड़ी थी ,,पेटिकोट के नीचे उतरते ही सूरज की आंखों के सामने उसकी सपनों की रानी नंगी हो चुकी थी जिसे देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था और इसीलिए वह फसल के पीछे छुपा हुआ था वह भूल गया था कि वह क्या करने के लिए यहां आया था क्या पूछने के लिए यहां आया था,,,,।
Sunaina

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सुनैना की उभारदार गांड पूरी तरह से सूरज के मन को विचलित कर रही थी सूरज अपनी मां की नंगी गांड को देखा ही रह गया था उसके गांड की गहरी दरार में उसका मन डूब जाने को कर रहा था,, उसने अभी तक मुखिया की बीवी और मुखिया की लड़की के साथ-साथ पड़ोस के गांव की शर्मा जी की बहू की नंगी गांड का मजा ले चुका था लेकिन उसकी मां की तरह किसी की भी गांड खूबसूरत और आकर्षक नहीं थी,,, ऐसा नहीं था कि उन तीनों की गांड खूबसूरत नहीं थी लेकिन उसकी मां की गांड के मुकाबले मैं तो बिल्कुल भी नहीं थी इसीलिए तो पल भर में ही सूरज का लंड दर्द करने लगा था उसकी अकड़ इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके लंड की नशे फट न जाए,,,।

सुगंधा अपने दोनों हथेलियों को अपनी नंगी गांड पर रखकर हल्के हल्के अपनी गांड को सहला रही थी और चपत भी लगा रही थी जिस पल भर में ही उसकी गोरी गोरी का टमाटर की तरह लाल हो गई थी और यह देखकर सूरज का हौसला पस्त हुआ जा रहा था,, उसका मन बेकाबू हुआ जा रहा था और बार-बार उसके मन में आ रहा था कि जाकर उसकी मां के सामने खड़ा हो जाए और बोले कि मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगा,,, और उसे अपनी बाहों में कस ले और उसके साथ वही करें जो एक मर्द औरत के साथ करता है लेकिन यह सब सूरज के मां के ख्याली पुलाव थे जिसे मन में ही पकाया जा सकता था,,, इसे हकीकत में पकाने की क्षमता इस समय सूरज में नहीं थी,,,,।

सुनैना कुछ देर तक अपने आप से ही अपनी नंगी गांड से खेलती रही और फिर धीरे से आगे बढ़ गई,,, ट्यूबवेल की मोटी पाईप जहां से निकली हुई थी वहां के चारों और चार फीट की दीवार बनी हुई थी जो की एक टंकी का ही काम करती थी जिसमें पहले पानी भरता था और उसमें से फिर बाहर की तरफ निकल कर नालियों से होकर खेतों में जाता था सुनैना धीरे से अपनी टांग उठा कर उसे दीवार पर चढ़ने लगी जो कि उसके लिए कोई बड़ा काम नहीं है लेकिन उसकी टांग ऊपर करने की वजह से उसकी गांड का जो उभार था वह बेहद मादकता लिए हुए उभर कर सामने नजर आ गया था,,, पर यह नजारा सूरज के लिए मदहोश कर देने वाला था और वह पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते सुनैना अपना नंगा बदन चार फीट की टंकी में लेकर उतर गई,,, टंकी का पानी उसकी छतिया तक आ रहा था लेकिन पूरी तरह से इसकी चूचियां पानी में डूबी नहीं थी आधे से ज्यादा उसकी चूचियां नजर आती थी और सुनैना ठंडे पानी में नहाने का आनंद लेने लगी,,,।
Sunaina tanki me nahati huyi

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सूरज का मन कर रहा था कि वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर अपनी मां के साथ टंकी के पानी में नहाने का मजा ले लेकिन ऐसी किस्मत उसकी कहां थी सुनैना टंकी के पानी में छपाक छपाक करके नहा रही थी,,, सुनैना भी नदी के पानी में बहुत नही थी लेकिन टंकी में नहाने का मजा ही कुछ और था क्योंकि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसके ऊपर गिर रहा था उसकी छतिया पर गिर रहा था और उसकी भारी भरकम छाती पर पानी की धार जो की बेहद तेजी से गिर रही थी वह उसे उत्तेजित कर रही थी और वह पानी के अंदर ही अपनी चूचियों को जोर-जोर से दबा रही थी यह देखकर सूरज की हालत खराब होने लगी,,,,,,, उसका मन तड़पने लगा वह जानता था कि उसकी मां को इस समय एक मर्द की जरूरत है जो कि इस जरूरत को उसके पिताजी पूरी नहीं कर पा रहे हैं और ऐसे में यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी होगी,,, लेकिन इस जिम्मेदारी को वह कैसे उठाएं यही उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,।

अपनी मां की हालत को देखकर सूरज को अपनी मन करता रहा था अपनी मां की तड़प उससे देखी नहीं जा रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि घर में जवान लड़का होने के बावजूद भी उसकी मां को इस तरह से तड़पना पड़ रहा है यह उसके लिए बेशर्मी की बात है जबकि वह दूसरों की औरतों की प्यास बुझा रहा था और अपने घर में खुद की मां प्यासी तड़प रही थी,,,,, सूरज से यह सब देखा नहीं जा रहा था,,, अपनी मां की तड़प उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी मन तो कर रहा था इसी समय वह भी टंकी में कूद जाए और अपनी मां की टांग उठा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन वह भी विवश था क्योंकि वह जानता था कि टंकी में जो प्यासी औरत नहा रही है वह उसकी मां है ,,, भले ही वह इस समय एक मर्द के लिए तड़प रही है लेकिन वह कैसे अपने ही बेटे के साथ शरीर संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाएगी,,, अगर इस प्रस्ताव को सूरज खुद अपनी मां के सामने रखता है तो जरूरी तो नहीं कि उसकी मां उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी ऐसा भी हो सकता है कि वह उस पर क्रोधित हो जाए और सूरज अपनी मां की आंखों के सामने ही अपमानित हो जाए और ऐसा वह हरगीज नहीं चाहता था,,, और सूरज अपने मन में यह भी सोच रहा था कि ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसके प्रस्ताव को एकदम से स्वीकार कर ले और अपनी प्यास बुझा ले,,,, यही सोच कर सूरज मजबूर था विवस था,,, नहीं तो अपनी मां को वह कभी प्यासी नहीं रहने देता,,,,।
Suniana nahati huyi

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जो भी हो इस समय सूरज को बहुत मजा आ रहा था भले ही वह अपनी मां की प्यास नहीं पूजा का रहा था लेकिन अपनी मां के नंगे बदन को देख कर उसकी हरकत को देखकर उसकी प्यास बढ़ रही थी वह धीरे से अपने लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल लिया था और उसे जोर-जोर से मसलते हुए मुठिया रहा था,,, सुनैना एक तरफ नहाने का आनंद ले रही थी और दूसरी तरफ अपने बदन की प्यास बुझाने में लगी हुई थी,,, देखते ही देखते सुनैना 4 फीट की दिवारी पर चढ़ने की कोशिश करने लगी वह उसकी दीवार पर बैठना चाहती थी उसके मन में क्या चल रहा है सूरज को नहीं मालूम था लेकिन जैसे तैसे करके वह दीवार के ऊपर अपनी गांड रखकर बैठ गई थी और अपनी दोनों टांगों को खोल दी थी उसकी यह हरकत सूरज के लिए सोने पर सुहागा साबित हो रही थी ,,जिसे देखने के लिए वह तड़प रहा था वह नजारा उसकी मां अपने आप ही उसे दिखा रही थी,,,।

जिस तरह से उसकी मां दोनों टांगें चौड़ी करके दीवार पर बैठी हुई थी उसकी गुलाबी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी और उस बुर को देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां का गुलाबी छेद था क्योंकि पूरी तरह से पानी से लबालब थी और देखते ही देखते सुनैना अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर-जोर से मसलने लगी,,, सुनैना की हरकत सूरज पर बिजलियां गिरा रही थी सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज पागल हुआ जा रहा था,,, क्योंकि देखते ही देखते सूरज की मां अपनी दो उंगलियों को एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर कर रही थी,,,,।

सूरज से इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां अंदर ही अंदर प्यासी है मर्द के लिए तड़प रही है लेकिन यह नहीं जानता था कि उसकी मां इतनी अत्यधिक प्यासी है,,,, सुनैना की आंखें बंद थी वह मदहोश हुए जा रही थी वह इस बात से निश्चित तिथि किस जगह पर कोई नहीं आने वाला है लेकिन वह नहीं जानती थी कि पहले से ही उसका बेटा यहां पर आ चुका है और उसकी नंगी जवानी को देखकर खुद अपना लंड हिला रहा है,,, सूरज की सांस ऊपर नीचे हो रही थी एक तरफ उसकी मां थी जो अपनी मस्त-मस्त जवानी को अपने बेटे की आंखों के सामने ही बिखेरे पड़ी थी,,, और दूसरी तरफ सूरज था जो अपनी आंखों से अपनी मां की मदमस्त जवानी को समेटने की कोशिश कर रहा था,,,।

अगले ही पल सूरज एकदम हैरान हो क्या क्योंकि इसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,,आहहहहहह ,,,,ऊहहहहहहहह ,,,ऊमममममममम,,,,आहहहहहहहह,,,दऐया,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,,,।

अपनी मां के मुंह से इस तरह की आवाज़ सूरज के तन बदन में आग लग रही थी और जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था उसकी मां की दोनों टांगें उसकी आंखों के सामने खुली हुई थी और उसकी मां के गुलाबी छेद में उसकी मां की दो उंगली अंदर बाहर हो रही थी जो कि उसकी प्यास को बुझाने की कोशिश कर रही थी और सूरज जानता था कि एक मर्द के मोटे तगड़े लंड के बिना औरत की प्यास उसकी नाजुक उंगलियों से कभी नहीं बुझने वाली,,,, सूरज पसीने से तरबतर हो चुका था,,, सुनैना की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बढ़ने लगी थी यहां पर वह खुलकर शिसकारी ले रही थी क्योंकि वह जानती थी कि यहां पर उसकी गरमा गरम सिसकारी को सुनने वाला कोई नहीं था,,, लेकिन वह बात से हम जानते कि उसकी प्यासी जवानी को उसका बेटा अपनी आंखों से देख रहा है,,,,।

और तभी एकदम से सुनैना का बदन अकड़ खाया और वह तुरंत अपनी बुर में से दोनों मिलियन को बाहर निकलना और गरमा गरम जवानी से भरा हुआ लावा उसकी बुर से छलछला कर बाहर निकलने लगा,,, और साथ में उसकी पेशाब भी छूट गई,,, पेशाब की धार काफी दूर तक गिर रही थी और अगले ही पल सूरज के लंड से भी गरम लावा फूटने लगा,, वह भी अपनी मां के साथ झड़ने लगा था लेकिन झड़ते हुए भी इस बात का मलाल था कि वह अपनी मां की बुर में नहीं झढ पाया,,,,।

थोड़ी ही देर में वासना का तूफान शांत हो चुका था और अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए सुनैना फिर से टंकी में उतर चुकी थी और नहाने लगी थी टंकी के अंदर ही वह अपनी बुर को पानी से साफ कर रही थी,,, सूरज समझ गया था कि आप यहां पर उसका रुकना ठीक नहीं है और वह धीरे से पीछे कम लेते हुए वापस लौट गया और थोड़ी ही देर में नहाने के बाद अपने कपड़े पहनकर सुनैना भी अपने घर लौट गई,,,,,,,.
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सूरज पहले भी अपनी मां को नंगी देख चुका है लेकिन आज उसने देखा कि उसकी मां को एक पुरुष की जरूरत है
 

Sanju@

Well-Known Member
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सूरज ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था वह बेहद अद्भुत और कलात्मक था सुनैना का पानी की टंकी में उतर कर नहाना कुछ ऐसा था जिसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा तालाब में नहा रही हो उसके द्वारा अपने तन पर से एक-एक करके वस्त्र उतरना बेहद तत्व तथा उसके वस्त्र उसके बदन से अलग होते जा रहे थे वैसे वैसे उसकी जवानी नग्नता में प्रवेश करती जा रही थी,, और वाकई में नंगी होने के बाद सुनैना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह ही नजर आती थी उसके बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि जो देखे वह काम भावना से ग्रस्त हो जाए उसके बदन का उभार बदन का कटाव सब कुछ मंत्र मुग्ध कर देने वाला था,,, खास करके चूचियों की गोलाई तो बेहद अद्भुत थी,,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियों में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं आया था ना तो लचक आई थी,, अभी भी उसकी कई हुई चूचियां उसकी छाती की शोभा बढ़ा रही थी,,,,।



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और उसके नितंबों की तो पूछो मत जैसे एक स्त्री जवानी के दहलीज पर कदम रखती है और उसके नितंबों का उभर का आकार ले चुका होता है ठीक उसी तरह की इस उम्र में भी सुनैना की गांड उभार लिए हुए थी और उसकी नितंबो में भी एक खास बात थी कि उसके नेताओं में भी जरा भी लचक और ढीलापन नहीं आया था,,, उम्रकेश पड़ाव में भी उसकी गांड एकदम कसी हुई जवान औरत की तरह थी जिसे देखकर अच्छे अच्छे का पानी निकल जाता था,,, जैसा की सूरज का हाल बेहाल हो चुका था वह पूरी तरह से अपनी मां का दीवाना बन चुका था,,,,


Mukhiya ki beti or suraj

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अब तक सूरज मुखिया की बीवी के साथ-साथ मुखिया की लड़की और पड़ोस की गांव की नव विवाहित बहू के साथ शारीरिक संबंध बन चुका था और लगभग लगभग तीनों के बदन के आकार को अपनी आंखों से देख चुका था जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक और मंत्र मुग्ध कर देने वाला बदन सिर्फ उसकी मां का ही था,,, और जिसे भोगने के लिए सूरज ललाईत हुआ जा रहा था,,, लेकिन उसके जीवन में यह मौका कब आएगा यह भी नहीं जानता था लेकिन इतना तो मालूम हो ही चुका था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह एकदम प्यासी है वह भी पूरी तरह से जवानी की आग में शोला बन चुकी है,,, साथ ही सूरज को इस बात की फिक्र भी थी कि कहीं घर की मलाई को कोई बाहर का ना चाट जाए,,, क्योंकि दूसरी औरतों की हालत को वह देख ही चुका था की कैसे मर्द का साथ पाने के लिए ललाईत रहती है,,,।





Nilu or suraj jhopdi me

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इसलिए सूरज को अपने पिताजी पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था कितनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां मुंह मार रहा है और इस बात को सोचकर पर अपने मन में यह भी ख्याल रहता था कि अगर उसकी मां उसकी बीवी होती तो वह एक पल के लिए भी उससे बिल्कुल भी दूर नहीं होता दूर क्या वह एक पल के लिए भी अपने लंड को उसकी बुर में से बाहर नहीं निकालता,,,, अपनी मां को नंगी होकर नहाता हुआ देखकर वह जिस काम के लिए आया था वह काम एकदम से भुल चुका था,,,, और जिस तरह का नजारा पर अपनी आंखों से देखा था उसे नजारे को देखकर तो दुनिया अपने आप को भूल जाए फिर काम क्या चीज थी,,,,।





Nilu ki chudai

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रात का भोजन तैयार हो चुका था और तीनों मिलकर भोजन कर रहे थे,,,, सामने बैठी सुनैना को देखकर बार-बार सूरज उसे बिना वस्त्र की कल्पना करता था और हर कल्पना में वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराही लगती थी,,,, सूरज बार-बार अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रहा था लेकिन उसकी मुस्कुराने का कारण सुनैना समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,।

क्या है रे ऐसे क्यों मुस्कुरा रहा है,,,?

बस ऐसे ही,,,,।

बस ऐसे ही क्यों मुझे भी तो बता,,,(निवाला मुंह में डालते हुए सुनैना बोली)

ज्यादा कुछ नहीं बस में यह सोच रहा था कि पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही सुनैना का दिल धक से करके रह गया उसकी सांसों की गति पल भर के लिए थम सी गई क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और तुलनात्मक रूप से पूरे गांव की औरतों को भी उसमें शामिल कर रहा था जिसमें उसके मुकाबले और कोई नहीं थी इसलिए पल भर के लिए तो अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुनैना को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी उसका बेटा कर तो रहा था उसकी खूबसूरती की तारीफ इसलिए मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन फिर भी वह एक मां थी और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे थोड़ा अजीब लगा था इसलिए बोला,,,)
Nilu ki chudai karta hua suraj

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चल रहने दे बकवास करने को,,,।

अरे मैं बकवास नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं,,,,, मैं सच कह रहा हूं या बकवास कर रहा हूं,,,।

भैया ठीक ही कह रहा है मुझे भी ऐसा ही लगता है पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।

तुम दोनों भाई बहन मिलकर मेरा मजाक उड़ा रहे हो,,,।


अरे मां कैसी बातें कर रही हो भला हमअपनी मां का मजाक क्यों उड़ाएंगे,,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, वरना अपने पड़ोस वाली चाची को देखो तुमसे उम्र में छोटी है लेकिन कैसी लगने लगी है और वह जो तालाब के पास रहती है उनकी एक ही बच्चा है लेकिन फिर भी अभी से उम्र वाली लगने लगी,,,।
Ek din suniana or suraj

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और हां मां गांव के नौकर कर रही थी ना जो मौसी उनकी तो अभी-अभी बच्चा नहीं है फिर भी तुमसे बड़ी लगने लगी है,,,,(रानी भी अपने भाई के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,, अपने दोनों बच्चों की बातें सुनकर सुनैना का दिल गदगद हुआ जा रहा था वह समझ सकती थी कि सूरज जो कुछ भी कह रहा है उसमें सच्चाई है और उसकी बात मानने का कारण यह भी था कि वह एक मर्द था,,,, और एक औरत की खूबसूरती मर्द से बेहतर भला और कौन समझ सकता है इसलिए सुनैना को पक्का यकीन हो गया था कि वाकई में पूरे गांव में उससे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है लेकिन फिर भी सुनैना इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि अचानक उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ क्यों करने लगा था,,,। यह प्रश्न उसके मन में उठ रहा था लेकिन इसका जवाब भी अपने आप से ही दे रही थी वह अपनी मन में सोच रही थी कि कहीं औरतों को देखने का नजरिया उसके बेटे का वजन तो नहीं किया कहीं वह सचमुच में जवान तो नहीं हो रहा है,,,, अगर ऐसा है तो सच में वह ऐसा जरूर कुछ उसके अंदर देखा होगा जो उसकी तारीफ कर रहा है,,,,।
Suraj or uski ma

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जहां इस तरह का ख्याल उसे हैरान कर देने वाला था वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों इस ख्याल से वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,,,, और अपने मन को थोड़ा शांत करते हुए वह बोली,,,। )

चलो तुम दोनों यह सब छोड़ो और खाना खाओ,,,,।

(इतना सुनकर भाई बहन एक दूसरे को देखने लगे और खाना खाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद सूरज अपनी मां से बोला,,,)

अरे एक बात तो भुल ही गया,,,,,,,!

क्यों अभी भी कुछ बाकी रह गया है,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सुनैना बोली,,,)

अरे मेरा मतलब आंवला से था,,,।

अरे हां,,, मैंने तुझसे आंवला लाने के लिए बोली थी और तु अभी तक आंवला नहीं ला पाया,,,,( आंवला की बात सुनते ही एकाएक जैसे कुछ ख्याल आया हो इस तरह से सुनैना बोली,,,)




Suraj or uski ma ek din

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अरे मां उसी के बारे में तो पूछ रहा हूं,,,, जाना कब है,,,,।


सरसों का तेल मैं पिरा के रखी हूं,,, बस आंवला आने की देरी है,,,,,,,।

वह भी आ जाएगा लेकिन जाना कब है,,,,।

अब यह भी तू मुझसे पूछेगा सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है तुझे तो खुद ही लेकर आना चाहिए,,,,।

अरे अकेले में इतने सारे वाला कैसे लेकर आऊंगा तोडूंगा या उन्हें संभालुंगा,,,,।


तो रानी को लेकर जाना और बड़ा सा थैला ले लेना,,,, इस बार ज्यादा तेल बनाऊंगी,,,,।

ठीक है,,,, तू भी चलेगी ना रानी,,,(अपनी बहन की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)

हा ,,, हा,,,, क्यों नहीं मैं भी चलूंगी,,,,,(मुस्कुराते हुए रानी बोली,,,,)

तो ऐसा करो तुम दोनों कल ही चले जाओ और अच्छे-अच्छे आंवला लाना बेकार मत लेकर आना,,,।



Suraj or uski ma ki chudai

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इसीलिए तो इस बार में दूसरी जगह से लाने वाला हूं वहां के आंवले बहुत बड़े-बड़े और अच्छे हैं,,,।

कहां के,,,,?


अरे वही पहाड़ी के पास के,,,।

अरे वहां तो जंगल जैसा है वहां जाना ठीक रहेगा,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,)


क्यों नहीं मां मैं तो बहुत बार जा चुका हूं ऐसा कुछ भी वहां नहीं है बस जंगली झाड़ियां बहुत है और सच कहूं तो वहां तो बड़े आराम से आंवला तोड़ सकते हैं वहां कोई बोलने वाला नहीं है,,,, और पास में ही झरना है एकदम ठंडा पानी नहाने का मजा ही कुछ और है,,,।


झरना,,,(एकदम आश्चर्य से रानी) तब तो मैं भी नहाऊंगी,,,,,।

चल रहने दे ठंड लग जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी,,,।

(नहाने के लिए अपनी बहन रानी की उत्सुकता देखकर मन ही मन सूरज प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि वह भी यही चाहता था कि उसकी बहन भी झरने के पानी में नहाए और वह भी उसके साथ,,,,,, वैसे तो सीधे-सीधे सूरज अपनी बहन को चोदने की फिराक नहीं था,, लेकिन वह अपनी बहन को धीरे-धीरे उत्तेजित करना चाहता था उसे लाइन पर लाना चाहता था जैसे वह नीलू के साथ किया था नीलू भी तुरंत उसके साथ चुदवाने के लिए तैयार नहीं हो गई थी लेकिन उसने जिस तरह से अपने लंड के दर्शन करा कर उसे उत्तेजित किया था उसके स्तन को रगड़ा था दबाया था तब धीरे-धीरे जाकर उसकी टांगों के बीच चुदास का रस टपकने लगा था और यही वह अपनी बहन के साथ करना चाहता था ताकि उसके साथ भी संभोग का सुख ले सके,,,, अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)
Suraj or uski ma

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अरे कुछ नहीं होगा मां वहां नहाने में बहुत मजा आता है,,,,,।

चल कोई बात नहीं नहा लेना लेकिन आंवला अच्छा अच्छा लाना ,,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना इस बार का तेल बहुत अच्छा बनेगा,,,।(अपनी मां को दिलासा देते हुए सूरज बोला,,, और फिर थोड़ी ही देर में तीनो खाना खा लिए,,,,,ं,,,।

तीनों सोने की तैयारी करने लगे सुनैना अपने कमरे में चली गई और रानी अपने कमरे में चली गई लेकिन सूरज अपने कमरे में नहीं गया क्योंकि वह अपनी मां को देखना चाहता था कि वह अकेले में कमरे में क्या करती है क्योंकि दोपहर में तो वह अपनी मां को नहाते हुए और उसकी हरकत को देख चुका था,,, और वह यह देखना चाहता था कि उसकी मां रात को चुदवासी होती है या नहीं और इसीलिए कुछ देर इंतजार करता रहा और जैसे ही 10 15 मिनट गुजर गए वैसे ही वह तुरंत धीरे-धीरे दबे पांव अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा ,,, तीनों का कमरा एक दूसरे से सटा हुआ था मिट्टी की बनी दीवार और दरवाजा लकड़ी का था जिसमें से आराम से अंदर का नजारा देखा जा सकता था और इसीलिए लकड़ी के दरवाजे से अंदर झांकने का सुख सूरज लेना चाहता था,,,।
Sunaina ki chuchiya
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और वह धीरे-धीरे तभी पांव अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया,,, लकड़ी के बने दरवाजे के सुराख में से वह अंदर की तरफ देखने लगा,,, जल्द ही अंदर का दृश्य एकदम स्पष्ट होने लगा अंबर लालटेन चल रही थी और उसकी पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था जल्द ही उसे अपनी मां का बिस्तर नजर आने लगा,, और बिस्तर पर लेटी हुई उसकी मां एकदम साफ नजर आने लगी अपनी मां को बिस्तर पर लेटी हुई देखकर सूरज की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह यह देखना चाहता था कि बिना मर्द के उसकी मां रात कैसे गुजरती है क्या रात को भी उसके मन में मर्द संसर्ग की इच्छा जागरुक होती है,,, और बहुत ही जल्दी स्पष्ट भी हो गया कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,।

सूरज एकदम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां पीठ के बाल बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके ऊपर नहीं था ब्लाउज में कसी हुई उसकी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी और उसकी सांसों की गति के साथ वह भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरज का मन डोल रहा था कुछ देर तक गहरी सांस लेने के बाद सुनैना के दोनों हाथ ब्लाउज के ऊपर आ गए और बाहर के हल्के अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरज के लंड की अकड़ बढ़ने लगी और वह इस बात से खुश हो गया कि जो वह सोच रहा था वही हो रहा है,,,।


Sunaina or suraj

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वैसे तो रोज बिस्तर पर सुनैना अपने पति के लिए तड़पती थी लेकिन आज उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, आज उसके मन में उसके बेटे की कही गई बात घूम रही थी कि वह बहुत खूबसूरत है पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और इस बात है सेवा अंदेशा लग रही थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों कहा,,, और इसका जवाब भी उसके पास था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया जवान हो गया है औरत को देखने का नजरिया उसका बदल गया है लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके बदन में उसका बेटा ऐसा क्या देख लिया जो वह कुछ ही पल में गांव की सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत लगने लगी,,, और यही सोच कर वह ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को जोर-जोर से दबा रही थी और यह देखकर बाहर खड़ा सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था,,।

देखते ही देखते सुनैना अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और अगले ही पल अपना ब्लाउज उतार कर एक तरफ फेंक दी उसकी नंगी चूचियां पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी जिसे वह अपने हथेली में रेखा जोर-जोर से दबा रही थी और अपने मन में नहीं सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखकर तो नहीं बोल रहा है कि वह सबसे ज्यादा खूबसूरत है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी चूची देख लिया हो,,,, अपने मन में उठ रहे सवाल का वह खुद ही जवाब देते हुए बोल रही थी नहीं ऐसा कैसे हो सकता है उसके सामने में कभी ऐसी स्थिति में आई नहीं कि वह कभी मेरे नंगे बदन को देख सके लेकिन फिर भी हो सकता है वह साड़ी के ऊपर से ही अंगों का जायजा ले लिया हो,,,, और यही सब देखकर वहां उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत समझ रहा है,,,,।
Sunaina or suraj ki masti

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snake poems funny

यह सब बातें सोच कर सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह जोर-जोर से अपनी चूची को दबा रही थी,,,, और दूसरी तरफ दरवाजे के बाहर खड़ा सूरज अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था,,, वह भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसल रहा था,, वह समझ गया था कि उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है जो उसकी जवानी को रगड़ रगड़ कर उसका रस निकाल सके और यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी पड़ेगी कहीं ऐसा ना हो कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह घर के बाहर कदम निकाल दे और दूसरों को अपनी जवानी का रस पिलाए,,,, और ऐसा सोचता हुआ वह अपने आप से ही कह रहा था कि उसे जल्द ही कदम उठाना होगा,,,,।

अंदर मदहोशी बढ़ती जा रही थी सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,, और अनायास उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसका बेटा उसके साथ संबंध बना ले तो कैसा होगा वैसे भी उसके बेटे के साथ सोनू की चाची संबंध बनाना चाहती है ऐसा उसकी हरकत देखकर लग रहा था,,,, ऐसा सोचते हुए सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी और जैसे-जैसे वह साड़ी खोल रही थी वैसे-वैसे बाहर खड़े सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,,, और देखते-देखते सुनैना अपने बदन पर से साड़ी उतार कर खटिया के नीचे और इस समय वहां बिस्तर पर केवल पेटीकोट में थी और पेटीकोट भी उसकी जांघों तक चढ़ा हुआ था,,, और लालटेन के पीली रोशनी में उसकी मोती मोती जामुन को देखकर सूरज की आंखों में वासना का तूफान नजर आ रहा था,,,,।
Sonu ki chachi kapde utarti huyi

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सुनैना के मन में आया ख्याल उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था वह अपने ही बेटे के साथ शारीरिक,, संबंध बनाने के बारे में सोच रही थी,,, और यह ख्याल उसके तन बदन में आग लग रहा था और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि अगर सच में ऐसा हो जाए तो क्या होगा और यही सोचते हुए वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और यह देखकर सूरज की उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचने लगी क्योंकि कुछ ही इच्छा में उसकी मां पूरी तरह से नंगी होने वाली थी,,,, और देखते ही देखते सुनैना अपनी पेटिकोट की डोरी को ढीली करके अपनी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगी लेकिन उसकी भारी भरकम गांड पेटीकोट के कपड़े को अपनी गांड के नीचे दबाए हुआ था इसलिए वह अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर हुआ धीरे से अपनी पेटीकोट को अपने मोटी मोटी टांगों से बाहर निकाल कर एकदम नंगी हो गई यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह भी अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,,।


Sonu ki chachi

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दूसरी तरफ सुनैना की कल्पना बढ़ती जा रही थी सुन ना अपने मन में कल्पना कर रही थी कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका बेटा अपने लिए जगह बनाकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया है,,, और अपने मोटे तगडे लंड को उसकी बुर में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया है ऐसा सोचते हुए सुनैना अपनी दो उंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी थी और यह देखकर सूरज से रहने गया था और वह बाहर खडा होकर अपनी मां की हरकत को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया था,,, कमरे के अंदर से शिसकारी की आवाज बाहर खड़े सूरज को एकदम साफ सुनाई दे रही थी और अपनी मां की गरमा गरम सिसकियो की आवाज सुनकर सूरज का धैर्य जवाब दे रहा था उसके मन में हो रहा था किसी समय दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाए और अपनी मां की प्यास बुझा दे लेकिन ऐसा वह सिर्फ सोच सकता था कर सकने की हिम्मत अभी उसमें नहीं थी,,,।

अंदर कमरे में सूरज की मां की सांस बड़ी तेजी से चलने लगी वह एकदम चरम शिखर पर पहुंचने वाली थी और बाहर खड़ा सूरज भी झड़ने वाला था और देखते-देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे सूरज दरवाजे पर ही अपना गरम लावा गिरा दिया और फिर धीरे से अपने कमरे में चला गया,,,,।

सुबह सूरज जल्दी से चलने की तैयारी कर लिया क्योंकि काफी दूर जाना था,,,। इसलिए सुनैना दोनों के लिए रोटी और सब्जी के साथ अचार भी बांध दी,,,, और फिर दोनों निकल पड़े एक नए सफर की ओर,,,
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है सूरज और सुनैना एक ही आग में जल रहे हैं सूरज अपनी मां को चोदना चाहता है वहीं आज उसकी खूबसूरती की तारीफ करने से सुनैना को शक होने लगा है सुनैना अपने ख्यालों में सूरज को लेकर अपने आप को शांत कर लिया है
 

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दोनों भाई बहन एक बड़ा सा थैला और उसमें रोटी सब्जी और आचार लेकर निकल चुके थे आंवला तोड़ने के लिए,,, वैसे तो यह काम सूरज अकेले भी कर सकता था लेकिन वह जानबूझकर अपनी बहन रानी को अपने साथ लेकर आया था क्योंकि जब से उसने अपनी बहन को पेशाब करते हुए उसका सीमित आकार का पिछवाड़ा देखा था तब से वह अपनी बहन के प्रति आकर्षित हो गया था,,, बार-बार जब भी अपनी बहन की तरफ देखा था तब तब उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड ही नजर आती थी,,,, और जिस तरह से उसने मुखिया की बेटी के साथ चुदाई का सुख प्राप्त किया था इस तरह का सुख हुआ अपनी बहन के साथ प्राप्त करना चाहता था क्योंकि जिस तरह से वह मुखिया की बेटी को चुदाई के लिए तैयार कर लिया था और वह भी बड़े आराम से मान गई थी और इसीलिए उसे पूरा विश्वास था कि उसकी बहन भी मान जाएगी,,,।
Mukhiya ki bibi

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और सब के पीछे उसकी सोच इसलिए ऐसी थी कि उसे औरतों की संगत में इतना तो पता चल गया था कि मर्दों की तरह औरतों को भी चुदाई की भूख होती है बस उस भूख को जगाने वाला चाहिए,,, और इसीलिए उसका विश्वास एकदम पक्का था कि वह भी अपनी बहन के अंदर चुदाई की भूख को जगा लेना और अगर ऐसा हो गया तो दिन-रात मजे ही मजे होंगे इस बात को सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,।

रानी बहुत खुशी ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी ऐसा वह पहले भी बहुत बार अपने भाई के साथ खेतों में तो आम के बगीचों में आम तोड़ने के लिए बेर तोड़ने के लिए और आंवला तोड़ने के लिए जा चुकी थी,,, लेकिन हर बार उसे एक नई खुशी मिलती थी घर के बाहर घूमने का और इसीलिए वह अपने भाई के साथ आज पहाड़ी के दूसरी तरफ जा रही थी उसे तरफ वह कभी गई नहीं थी उस जगह को देखने की इच्छा उसकी ज्यादा प्रबलित हो चुकी थी जब उसके भाई ने ये भी बताया कि वहां झरना भी है नहाने में मजा आता है,,, वह झरना देखना चाहती थी उसके ठंडे पानी में नहाना चाहती थी,,,,, दोनों बातचीत करते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,,, सूरज अपनी बहन से दूसरी तरह की बातें करना चाहता था लेकिन कर नहीं पा रहा था वह बातों के जरिए अपनी बहन के मन में उसके तन बदन में चुदास की लहर जगाना चाहता था,,, लेकिन दूसरी तरह की बात करने में उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह बात कैसे करें और सही बात का डर भी ताकि कहीं उसकी बहन नाराज हो गई तो गजब हो जाएगा,,,,। इसीलिए वह इधर-उधर की बात करते हुए बोला,,,।
Ghodi bank chudwati huyi mukhiya ki bibi

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देखना रानी आज तो बहुत आंवला मिलेंगे,,, तुझे पता है वहां पर बहुत बड़ी-बड़ी वाला होते हैं एकदम संतरे के आकार के,,,(ऐसा वह अपनी बहन की चुचीयो की तरफ देखते हुए बिना छोटी कुर्ती में से बाहर तनी हुई नजर आ रही थी और इस बात का एहसास रानी को भी हुआ तो वहां शर्मा गई लेकिन वह सोची शायद अनजाने में ही उसके भाई की नजर उसकी छाती पर चली गई है इसलिए वह इस बात को नजर अंदाज करते हुएबोली,,,)

क्या बात कर रहे हो भैया क्या सच में इतने बड़े-बड़े आंवला होते हैं,,,।

अरे तो क्या तूने अभी देखी ही क्या है देखेगी तो दंग हो जाएगी,,,।

तब तो सच में मैं देखने के लिए उत्साहित हूं,,, खाने में बहुत मजा आता होगा नमक लगाकर,,,।

अरे चाहे जैसे खाओ नमक मिर्च लगाकर खाओ बहुत स्वादिष्ट होते हैं वहां के अांवले,,,,।
(बातचीत करते हुए दोनों गांव के बाहर निकल चुके थे मौसम भी बहुत सुहाना सुबह का समय था इसलिए ज्यादा धूप नहीं थी और दोनों में थकान भी नहीं थी चारों तरफ खेत ही खेत लहलहा रहे थे,,, कुछ दूरी तक तो गांव के इक्का दुक्कालोग दिखाई भी दे रहे थे लेकिन थोड़ी ही देर बाद कच्ची सड़क पर इंसान का नाम और निशान तक नहीं था क्योंकि इस और कोई आता ही नहीं था,,,, चारों तरफ सिर्फ सुनसान सड़क थी कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ टूटी हुई,, जिस पर चलते हुए रानी की चाल बदल जा रही थी ऊपर नीचे पर रख कर चलने में उसके नितंबों में एक अजीब सी लचक हो रही थी उसकी गांड के दोनों भाग सलवार में आपस में रगड़ खाकर एक अद्भुत आकर बना रहे थे जिसे देखने में सूरज की हालत खराब हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सलवार में बड़े-बड़े खरबूजे डाल दिए गए हैं और वह दोनों आपस में रगड़ खा रहे हो,,,, अब तक के अनुभव से इस नजारे को देखकर सूरज के मन में यही हो रहा था की आंखें बढ़कर अपनी बहन की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर मसल डालें फिर जो होगा देखा जाएगा,,,,।

लेकिन इस तरह का ख्याल मन में आते ही वह अपने मन में से इस तरह के ख्याल को तुरंत निकाल देता था क्योंकि वह किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहता था वह धीरे-धीरे अपनी बहन को लाइन पर लाना चाहता था जिस तरह से उसने मुखिया की बेटी को चुदवाने के लिए तैयार किया था उसी तरह से वह अपनी बहन को भी तैयार करना चाहता था कोई जोर जबरदस्ती से नहीं,,,, दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था कोई सड़क एकदम सुनसान थी यह देखकर रानी को थोड़ी घबराहट होती थी और वह भी जंगली जानवरों से इसलिए वह बोली,,,।

भैया दूर-दूर तक कोई नहीं है ऐसे में अगर कोई जंगली जानवर आ गया तो गजब हो जाएगा,,,।

तू खामखा डर रही है रानी मैं हूं ना कोई भी जंगली जानवर आ जाए मेरे से बचकर जा नहीं सकता तो चिंता मत कर मैं यहां पहली बार नहीं आ रहा हूं बहुत बार आ चुका हूं वैसे तो यहां कोई जंगली जानवर नहीं है लेकिन सियार का डर रहता है लेकिन फिर भी उनसे निपटना में अच्छी तरह से जानता हूं,,,, इसलिए तो देखा रास्ते में मोटा सा डंडा ले लिया हूं,,,(अपने हाथ में लिया हुआ डंडा दिखाते हुए सूरज बोला)

तुम्हारे साथ मुझे डर नहीं लगता भैया लेकिन थोड़ी बहुत तो घबराहट होती है ना यहां तो कोई भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,।

कैसे कोई दिखाई देगा ईस ओर कोई आता ही नहीं है,,,, इसीलिए तो यहां के आ्ंवले सुरक्षित है वरना सबको पता चल जाता तो कुछ मिलता ही नहीं और वैसे भी डर के मारे यहां कोई आता ही नहीं है जंगली जानवरों का डर सब में है,,,।

तो तुम क्यों चले आते हो,,,,?(अपने भाई की तरफ देखते हुए रानी बोली)

बस चलता हूं जहां बहुत अच्छा लगता है मुझे और वैसे भी बहुत बार आ चुका हूं लेकिन अकेले तो कुछ ही बार आया हूं बाकी अपने दोस्त लोग के साथ आया हूं,,,,,।


तुम इतनी बाहर आ जाओ भैया लेकिन कभी घर के लिए तो कुछ लेकर आए नहीं,,,।

अरे कौन सा सोना चांदी लेकर यहां से जाता हूं जो घर के लिए लेकर जाऊं,,,, खाया पिया पचाया बस हो गया,,,।

(आगे से ज्यादा का सफर दोनों ने तय कर चुका था अब धूप बढ़ने लगी थी और जंगल जैसा माहौल भी होने लगा था अभी तक तो कच्ची सड़क दिखाई देती थी लेकिन अब घास ही घास दिखाई देती थी,,, ऐसे में रानी का घबराना वाजिब था वह मन ही मन डर भी रही थी क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,,, और अपने मन की बात हो अपने भाई से बोल भी नहीं सकती थी कि उसे डर लग रहा है क्योंकि यहां आने का फैसला भी उसका ही था वह चाहती तो इंकार कर सकती थी लेकिन वह भी इस नई जगह को देखना चाहती थी और अगर अब वह अपने भाई से खागा की उसे डर लग रहा है तो हंसी का पात्र बन जाएगी और ऐसा वह नहीं चाहती थी,,,,।

सूरज जंगली झाड़ियां के बीच से होता हुआ अपनी बहन के लिए रास्ता बना रहा था वह यहां का रास्ता अच्छी तरह से जानता था,,, इसलिए उसे बिल्कुल भी ना तो फिकर थी ना ही डर था,,,, उसके मन में तो केवल एक ही बात चल रही थी कि वह कैसे अपनी बहन को नीलू की तरह लाइन पर ले आए और इसी गुत्थी को सुलझाने में वह लगा हुआ था,,,,, जंगली झाड़ियां के बीच से होता हुआ वह आगे आगे बढ़ रहा था और उसकी बहन पीछे पीछे उसके कदम से कदम मिलते हुए चल रही थी और चारों तरफ नजर घूमाते हुए भी चल रही थी यह जगह भले ही थोड़ी डरावनी जैसी थी लेकिन यहां पर फल फूल की कोई कमी नहीं थी,,, चारों तरफ फल ही फल के पेड़ लगे हुए थे और उन्हें तोड़ने वाला खाने वाला कोई नहीं था कहीं चीकू से तो कहीं अमरूद तो कहीं बैर लगे हुए थे,,, ऐसे ही एक जगह पर बड़े-बड़े चीकू देखकर रानी रुक गई और बोली,,,।

भैया यह देखो कितने बड़े-बड़े चीकू है,,,।

(इतना सुनते ही आगे चल रहा है सूरज एकदम से रुक गया और पीछे मुड़कर अपनी बहन की तरफ देखने लगा और पेड़ पर उगे हुए बड़े-बड़े चीकू की तरफ देखने लगा और बोला,,,)

खाना है,,,?


हां तो क्या कब से पैदल चल रही हूं थकान लगने लगी है,,,,।

रुक जा तोड़ कर देता हूं,,,,(इतना कहते हुए सूरज चीकू की पेड़ की तरफ आ गया और हाथ ऊपर करके चीकू तोड़ने लगा वैसे तो ज्यादातर पेड़ चीकू के पैसे होते हैं कि उनके फल नीचे नीचे ही लगे होते हैं लेकिन यहां पर थोड़ी ऊंचाई पर पेड़ था इसलिए रानी का हाथ वहां तक पहुंच नहीं पा रहा था इसलिए उसे ही तोड़ने के लिए बुलाई थी वरना वह खुद ही तोड़कर खा लेती,, फिर भी चीकू तोड़ते हुए सूरज अपने मन में सोच रहा था कि इससे भी अच्छे-अच्छे चीकू तो तेरे पास है,,, तू यह वाला चीकू लेले और अपने चीकू मुझे दे दे,,,, मन में इस तरह की बात अपने आप से ही बोलते हुए सूरज उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि काश इस चीकू के बदले में उसे अपनी बहन की चिकु मिल जाते तो कितना मजा आता,,, और वह अपने मन में अपनी बहन के चीकू पानी का रास्ता ढूंढ रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,।

तीन चार चीकू तोड़कर वह अपनी बहन को थमा दिया और एक चीकू लेकर खुद खाने लगा और आगे बढ़ गया उसकी बहन भी एक चीकू हाथ में ले ली और बाकी के चीकु को अपनी कुर्ती पकड़ कर उसे कुर्ती में रख ले और एक हाथ से कुर्ती पकड़े हुए वह आगे बढ़ती चली जा रही थी और चीकू का स्वाद लेते हुए आनंदित हो रही थी,,,,, थोड़ी देर चलने के बाद जंगली झाड़ी कम होने लगी और फिर से कच्ची सड़क नजर आने लगी तब जाकर रानी को राहत महसूस होने लगी लेकिन वह थक चुकी थी और एक बड़े से पत्थर से अपनी पीठ टिकाकर गहरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,,।

बस भैया रुक जा मैं तो थक गई अगर मुझे मालूम होता कि इतना दूर जाना है तो मैं कभी नहीं आती,,,,।
(सूरज भी अपनी बहन की बात सुनकर रुक गया था और वह भी दूसरे बड़े से पत्थर का सहारा लेकर खड़ा हो गया तो अपनी बहन की तरफ देख रहा था वह जिस तरह से कुर्ती को हाथ में लेकर थोड़ी उठा कर उसमें चीकू रखी हुई थी उसकी गहरी नाभि नजर आ रही थी और उसकी कमर के निचले त्रिकोण हिस्से की लकीर नजर आ रही थी जिसे देखते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अपनी बहन की गहरी नाभि को प्यासी नजर से देखने लगा वाकई में उसकी बहन की नाभि कुछ ज्यादा ही गहरी थी और अपनी बहन की गहरी गड्ढे दार नाभि को देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा कि इसकी सुना भी भी एकदम बुर की तरह है जब इसकी नाभि इतनी खूबसूरत है तो इसकी बुर कितनी खूबसूरत होगी काश इसकी बुर देखने का मौका मिल जाता तो मजा आ जाता,,, रानी अपनी बात पूरी करते हुए अपने भाई की नजर को देखकर एकदम से झेंप गई थी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि उसका भाई उसके खुले हुए कुर्ते से झांक रहे उसके नंगे बदन की तरफ देख रहे हैं और जब उसे एहसास हुआ कि उसका भाई और कुछ नहीं उसकी गहरी नाभि को देख रहा है तो एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और वह धीरे से इधर-उधर करके अपनी कुर्ती को नीचे करने लगी,,,, सूरज भी समझ गया कि उसकी बहन उसकी नजर को पहचान गई है इसलिए वह भी अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए बोला,,,)

कहा तो था पहाड़ी के दूसरी तरफ जाना है,,,,और वैसे भी बस थोड़ी दूर रह गया है,,,, ज्यादा दूर नहीं है बस वहां पहुंचते ही आंवला तोड़कर उसे थेले में रख लेंगे,,,,,(वह एकदम सहज होते हुए बात करने लगा तो रानी को अपनी सोच पर ही गुस्सा आने लगा वह अपने मन में सोची कि उसका भाई लगता है उसकी कुर्ती में रखे हुए चीकू की तरफ देख रहा था और वह कुछ और ही समझ रही थी,,,, अपने भाई की बात सुनकर वह बोली,,,)

कोई बात नहीं,,,,(और इतना कहते हुए चीकू निकाल कर खाने लगी वहीं पर खड़े-खड़े वह सारे चीकू को खत्म कर दी तब सूरज बोली,,,)

अब चलें नहीं तो देर हो जाएगी,,,,।

हां हां चलो,,,,।

(और फिर दोनों आगे बढ़ गए यहां का रास्ता कुछ ज्यादा कठिन नहीं था ऊंची नीची पगडंडी से होते हुए दोनों आगे बढ़ते चले जा रहे थे लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस रह रह कर झींगुर और पंछियों की आवाज आ रही थी,,,,,, दोनों इधर-उधर की बातें करते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे सूरज अभी तक अपने मन की बात को किसी भी बहाने की शक्ल देकर उसे अपनी जुबान पर नहीं लाया था अगर रानी की जगह कोई और लड़की होती तो अब तक वह अपने मन की बात बता दिया होता और हो सकता था की दूसरी लड़की उसकी बात मान भी जाती लेकिन यहां पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी बहन थी और उसे इस बात का डर था कि कहीं अगर उसकी बहन बुरा मान गई और घर पर मां को बता दी तो गजब हो जाएगा इसलिए उसके मन में डर बना हुआ था,,,,।

थोड़ी दूर दोनों बातें करते हुए आगे बड़े ही थे कि सूरज को लगने लगा कि उसके पीछे रानी नहीं है और वह तुरंत पलट कर देखा तो वाकई में उसके पीछे रानी नहीं थी वही तो उधर देखने लगा एकदम से परेशान हो गया चारों तरफ नजर घुमा कर देखा तो उसे कहीं भी रानी नजर नहीं आ रही थी वह एकदम से घबरा गया और पल भर में ही उसके माथे से पसीना टपकने लगा क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर तो नहीं उठा ले गया वैसे तो उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और किसी जानवर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह एक पल में ही उसकी बहन को उड़ा कर लेकर चला जाए क्योंकि अगर कोई जानवर होता भी तो उसकी बहन कुछ तो आवाज करती चिल्लाती,,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इसलिए तो सूरज एकदम से घबरा गया था कि आखिरकार पल भर में क्या हुआ उसकी बहन कहां गायब हो गई वह इधर-उधर ढूंढने लगा लेकिन कहीं भी उसका पता नहीं चल रहा था।


सूरज रानी रानी पुकारता हुआ पीछे की तरफ आ रहा था चारों तरफ जंगली झाड़ियां उसे समझ में नहीं आ रहा कि अपनी बहन को कहां ढूंढे तभी वही बड़े से पत्थर के पास पहुंच गया और उसे पत्थर के पीछे से कुछ सुरसुराहट की आवाज आ रही थी,,, उसका दील जोरों से धड़क रहा था,,उसे समझ में नहीं आ रहा था वह धड़कते दिल के साथ बड़े से पत्थर के पीछे देखने के लिए उसे तरफ अपनी नजर घुमा रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन पर हमला तो नहीं बोल दिया है यही डर उसके मन को और भी ज्यादा डरा दिया था वह धीरे-धीरे पत्थर के पीछे देखने की कोशिश करने लगा और जैसे ही पत्थर के पीछे उसकी नजर गई तो पीछे का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया,,,,।

वह जिस तरह का नजारा अपनी आंखों के सामने पत्थर के पीछे देखा उसके पसीने छूटने लगे उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने थी पल भर में ही उसका डर एकदम से उत्तेजना में बदल गया और उसके पजामे में उसका लंड तंबू बना लिया,,,,,।
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सूरज रानी को चोदना चाहता है इसलिए वह रानी को गांव से दूर अपने साथ आंवले तोड़ने लाता है ताकि वह अपनी बहन को पटा सके लेकिन अभी तक तो दोनों के बीच कोई बात भी नहीं हुई लेकिन शुरुआत हो गई है सूरज ने रानी को एक बार फिर से पिशाब करते हुए देख लिया है
 

Vikashkumar

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