घर पर पहुंच कर सुनैना सीधे गुसलखाने में घुस गई और बिना कुछ सोचे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,,, क्योंकि उसे अपनी गांड पर चिपचिपा सा महसूस हो रहा था जिस पर उसके बेटे ने अपना पूरा माल गिराया था अपनी जवानी का लावा बहाया था,,, वह खुद अपने हाथों से उसे साफ भी किया था लेकिन उसका चिपचिपापन रह गया था,,, क्योंकि पूरे रास्ते भर उस चिपचिपे बक्षपन के एहसास से उसके बदन में गुदगुदी सी होती रही थी इसीलिए वह इस समय नहाना उचित समझा रहे थे लेकिन जिस तरह की हरकत उसके बेटे ने उसके साथ किया था उसके चलते उसके बाद में उत्तेजना की लहर अभी भी बरकरार थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में थे और हो भी कैसे नहींआज उसके बेटे ने उसके साथ वो हरकत कर दिया था जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,।

अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो जाने के बाद सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसका बेटा उसके साथ इतनी हिम्मत दिखा पाएगा और इस तरह की हरकत करेगा,,, सुनैना उसे दिन की बात याद आ गई थी जब वह उसे गले लगाई थी उसी दिन उसे समझ जाना चाहिए था उसका बेटा अब उसका बेटा नहीं रह गया था पूरी तरह से मर्द बन चुका था,,,जब उसके बेटे ने उसके दुलार को अपनी वासना में तब्दील करते हुए अपने दोनों हथेलियां को उसके नितंबों पर रखकर जोर से दबाया था,,,, शायद उसी दिन धीरे-धीरेउसका बेटा मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार करने के बारे में सोचने लगा था और मर्यादा की दीवार को धीरे-धीरे गिराना शुरू कर दिया था,,,तभी तो आज इस तरह की हरकत हुआ कर पाया था वरना शुरुआती दौर में इस तरह की हरकत करने के बारे में सोचने में भी उसे डर लगता कि कहीं उसकी मां जग ना जाए और जागने के बाद उसे इस तरह की हरकत करते हुए देखकर गुस्से में लाल-लाल ना हो जाए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था इसका मतलब साफ था कि वह काफी दिनों से अपनी मां के बारे में गंदी बातें सोच रहा था और आज मौका मिलने पर अपनी सोच को पूरी तरह से हरकत में बदल दिया था।इन सब बातों को सोच कर सुनैना की हालत खराब हो रही थी अपने वस्त्र उतारने के बाद वह कुछ देर तक नग्न अवस्था में ही गुसलखाने में खड़ी रह गई थी अपने बेटे के बारे में सोचते हुए।

अपने बेटे की हरकतको देखकर जहां एक तरफ हुआ पूरी तरह से हैरान थी वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों उसके बाद में उमंग उठ रही थी एक बदहवासी एक मदहोशी उसकी नसों में घुल रहा था,,, जहां एक तरफ अपनी बेटे की हरकत के बारे में सोच करउसे बुरा लग रहा था वहीं दूसरी तरफ अपने बेटे की हरकतों से वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह से वासना ने अपने आप को डूबती हुई महसूस कर रही थी,,, सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी उसके बेटे ने किया था वहगलत था पाप था एक मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता कभी भी मान्य नहीं होता और ना ही समाज इस तरह के रिश्ते की मंजूरी देता हैसमाज की नजर में अपने आप की नजर में इस तरह की हरकत इस तरह के संबंध नाजायज और पाप ही थे लेकिन फिर भी न जाने क्योंसुनैना का मन अपने बेटे की हरकत पर पुलकित हुआ जा रहा था प्रसन्न हुआ जा रहा था,,, और शायद इसलिए कि उसके बेटे ने जो भी उसके साथ किया था यह उसकी भी जरूरत थी महीनों से अपने पति से दूर रहने के बाद बदन की गर्मी जवानी की प्यास उसे भी तड़पा रही थी उसे भी अपने बदन की प्यास बुझाना बेहद आवश्यक जान पड़ रहा था,,, इसीलिए वह अपने बेटे की हरकत से हैरान परेशान होने के बावजूद भी काफी हद तक संतुष्ट थी उसे अपने बेटे की हरकत बहुत अच्छी लगी थी।

और अच्छी लगती भी क्यों नहीं जवानी से भरी हुई सुनैना अपनी बड़ी-बड़ी गांड की मखमली देह परअपने बेटे के मर्दाना कठोर अंग की रगड़ महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,अनुभव से भरी हुई सुनैना को इस बात का एहसास होने लगा था कि वाकई में उसके बेटे की टांगों के बीच जो हथियार है वह किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट और मदहोश कर देने के लिए सक्षम था तभी तो वह बिना किसी रुकावट की उसकी गुलाबी छेद तक पहुंच रहा थासुनैना को अपने नितंबों की बनावट का पूरा अनुभव और एहसास था वह जानती थी कि जिस तरह से वह लेटी हुई थी उसके पीछे से किसी भी मर्द का लंड उसके गुलाबी छेद तक पहुंच पानामुश्किल ही नहीं नामुमकिन था ऐसा तभी संभव हो सकता था जब उसके लंड की लंबाई कुछ ज्यादा हो जैसा कि गधे का लंड और इस समय वह इस एहसास से पूरी तरह से गदगद में जा रही थी कि उसी तरह का लंड उसके बेटे का था,,,जो कि बिना किसी रुकावट की उसके गुलाबी छेद तक बड़े आराम से पहुंच चुका था और उसे पर बार-बार ठोकर भी मार रहा था,,,,उसे पाल को याद करके सुनैना पानी पानी हो रही थी उसकी बुर नमकीन पानी छोड़ रही थी और वह एक नजर अपनी गुलाबी छेद की तरफ डालकर मुस्कुरा दीऔर अपने मन में सोचने लगी कि,,,जब उसके बेटे का लंड बड़े आराम से उसके गुलाबी छेद तक पहुंच रहा था तो उसके बेटे ने उसे अंदर डालने की कोशिश क्यो नहीं किया,,,? क्योंकि दुनिया के किसी भी मर्द का आखरी पड़ाव औरत का वही छेद नहीं होता है जिसमें अपना लंड डालने के लिए वह तड़पता रहता है इतने सारे प्रपंच रचता है,,,और उसे छोटे से गुलाबी छेद को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है।

फिर सूरज पीछे क्यों हट गयाअपनी मंजिल के इतने करीब तक पहुंच कर सीधा दरवाजे पर दस्तक देते हुए ही वापस क्यों लौट गया क्यों उसने अंदर आने की कोशिश नहीं किया क्यों एक अद्भुत सुख प्राप्त करने कीकोशिश नहीं किया क्यों थोड़ा सा हिम्मत दिखा कर एक औरत से संभोग सुख प्राप्त करने की हिम्मत नहीं दिखा पाया यह सारे सवाल सुनैना को परेशान कर रहे थे और इसका जवाब भी शायद उसी के पास था वह अपने मन में उठ रहे इन सभी सवालों का जवाब अपने आप से ही देते हुए बोली,,,,।
शायद इसलिए कि वह अभी नादान हैशायद उसे नहीं मालूम की एक मर्द का लंड औरत के कौन से अंग में डाला जाता है,,,और हो सकता है कि शायद वह औरत के उस अंग को अपनी आंखों से देखा ही ना हो कैसा होता है क्या करते हैं,,,और इसीलिए वह इतना कुछ करने के बावजूद भी अपने लंड को सही जगह पर डाल नहीं पाया बस दरवाजे पर दस्तक देकर वापस लौट गया,,,,अपने मन में ही जवाब देते हुए वह अपने मन में सोचने लगी की खास उसे लंड को डालने का सही जगह मालूम होता,,, काश उसे मालूम होता की औरत का वह खूबसूरत मर्द को कितना मजा देता है काश उसे मालूम होता की बुर में लंड डालकर कमर हिलाने को ही चुदाई कहते हैं,,, काश मेरा बेटा अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल कर चोद दिया होता,,,,,इन सब बातों को अपने मन में सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी और उसकी हथेली अपने आप ही उसकी बुर तक पहुंच चुकी थी जिसे वह अपनी उंगलियों से ही कुरेद रही थी,,,,बदन में उत्तेजना का एहसास बढ़ने लगा एक खुमारी से छाने लगी आंखों में चार बोतलों का नशा चढ़ने लगा और अपने आप ही उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश करने लगी,,, यह एहसास होते ही वह नजर उठा कर गुजर खान के बाहर चकर पकर देखने लगी कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है,,,, लेकिनउसे तसल्ली हुई कि कोई वहां नहीं था और वैसे भी शाम ढलने के बाद अंधेरा होने लगा थाबदन में जिस तरह की खुमारी जा रही थी वह अपनी उंगली को बिल्कुल भी रोक सकने में समर्थ नहीं थी,,,।
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और धीरे-धीरे अपनी उंगली कोअपनी बुर के अंदर बाहर करने लगी और अपने मन में सोचने लगी की लंड ना सही उंगली से ही काम चला लिया जाए,,,,सुनैना इस तरह की औरत बिल्कुल भी नहीं थी कि अपनी वासना अपनी बदन की चाहत के चलते दूसरी औरतों की तरहदूसरे मर्द के साथ संबंध बनाने लगे या इस बारे में सोचने लगे लेकिन पिछले बीते दिनों में जो कुछ भी हुआ था उससे उसकी सोच थोड़ी बदलती जा रही थी और वह भी किसी गैर मर्द के लिए नहीं अपने बेटे के लिए जो कि अब पूरी तरह से जवान हो चुका था और अपनी जवानी का एहसास उसने खेत में ही करा दिया था,,,,सुनैना के ख्यालों में इस समय पूरी तरह से उसका बेटा छाया हुआ था वह अपनी आंखों को बंद करके अपनी बुर में लगातार उंगली को अंदर बाहर कर रही थी,,, उसके बदन में वासना का गिरफ्त पूरी तरह से हो चुका था,,,, मदहोशी पूरी तरह से आंखों में छा चुकी थीअपने आप को या अपनी उंगली को यहां से पीछे ले जाने का मतलब था कि अपनी प्यास को और ज्यादा भड़काना और वैसे भी वह इस तरह से अपनी प्यास को बचा नहीं रही थी बल्कि और ज्यादा भड़का रही थी लेकिन इस समय वह कर भी क्या सकती थी।

गुसलखाने में वह पूरी तरह से नंगी होकर अपनी उंगली से अपनी बर के अंदर बाहर करके एक लंड के एहसास में पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह लंड किसी गैर मर्द का नहीं था बल्कि उसके ही सगे बेटे का था जिसकी रगड़ जिसकी गर्माहट उसे अभी तक अपनी दोनों जांघों के बीच अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस हो रही थी,,, जिससे उसकी बुर का गरम लावा धीरे-धीरे पिघल रहा था,,,,,अपनी उंगली से अपनी जवानी की गर्मी शांत करते हुए उसका मन कह रहा था यह क्या कर रही है सुनैना ऐसा मत कर तू पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी है कहीं ऐसे हालत में तेरा बेटा देख लिया तो कहीं इस और आकर तुझे इस अवस्था में देख लिया तो गजब हो जाएगा,,, वह तेरे बारे में क्या सोचेगा कि उसकी मां को क्या हो गया है यह क्या कर रही है,,,,इस तरह का सवाल उसके एक मन में उठ रहा था लेकिन इन सभी सवाल का जवाब उसका दूसरा मन अपने आप ही दे रहा था।
देख लेगा तो देख लेगाऔर सोचने के लिए बाकी क्या है यही सोचेगा कि उसकी मां चुदवाने के लिए तड़प रही है,,, उसे अपनी बुर में मोटा तगड़ा लंड चाहिए,,, बदन की प्यास उसे पागल कर रही है,,,,,, अपनी मां को ही समझता में देख कर तो उसे खद समझ जाना चाहिए किउसकी मां की मदद करना उसका परम कर्तव्य है उसकी मां को मोटे-मोटे लंड की जरूरत है उसे चुदाई की सख्त आवश्यकता है ऐसी हालत में कोई गैर मर्द उसकी चुदाई करें परिवार की बदनामी हो इससे पहले इस कर्तव्य का पालन उसे ही करना चाहिए अपनी मां को इससे स्थिति से बाहर लाना चाहिएऔर एक पूरी तरह से मर्द बनाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर उसकी जवानी की गर्मी को नीचोड निचोड़ कर बहा देना चाहिए,,,,इस तरह का दिलासा उसका दूसरा मन दे रहा था जिसके चलते उसके उत्तेजना और भी ज्यादा भर्ती चली जा रही थी और फिर वह अपनी दूसरी उंगली भी अपनी बुर में डालकर उसे जोर-जोर से मसल रही थी दबा रही थी अंदर बाहर कर रही थी ऐसा करते हुए उसका बदन पूरी तरह से अकड़ने लगा और देखते ही देखते वह भल भला कर झड़ने लगी,,,आज इस तरह की कल्पना करते हुए अपनी उंगली का सहारा लेकर जिस तरह का आनंद उसे प्राप्त हुआ था इस तरह का आनंद उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ था वह पूरी तरह से मत हो चुकी थीझड़ जाने के बाद वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और अपने आप को अपनी सांसों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही थी,,,,।

और जैसे ही वासना का तूफान शांत हुआ उसके मन में उलझन बढ़ने लगी वह परेशान होने लगीऔर वह भी इसलिए कि वह यह सब किस तरह की कल्पना कर रही है अपने ही बेटे के बारे में इस तरह के ख्याल उसके मन में क्यों आ रहे हैं,,, क्यों अपने बेटे के साथ ही संभोग रत की कल्पना करके वह झड जा रही है। यह तो बिल्कुल भी गलत हैसूरज उसका बेटा है और अपने बेटे के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना पाप है किसी को पता चल गया तो क्या होगामां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता बिल्कुल भी संभव नहीं है नहीं वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगी अपने बेटे को उस समय रोक देना चाहिए था,,,, और वह रुक जाता और कभी भी इस तरह का ख्याल अपने मन में नहीं रहता लेकिन शायद उसका ना रोकना कहीं उसकी हिम्मत को और ज्यादा बढ़ावा ना दे क्योंकि यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है इस उम्र में जवानी की प्यास बुझाने के लिए आग लगी होती हैवह आज उसके बेटे के बदन में भी लगी हुई है तभी तो वह अपनी बदन की आग बुझाने के लिए अपनी ही मन के साथ इस तरह की गंदी हरकत कर रहा था और अपना पानी निकाल दिया था। नहीं अब उसे रोकना होगाकहीं ऐसा ना हो कि आज तो वह उसके नींद में होने का फायदा उठाकर इस तरह की हरकत कर दिया है कहीं ऐसा ना हो की जवानी और जोश बढ़ जाने परवह उसके साथ जबरदस्ती न करने लगी और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर मां बेटे के पवित्र रिश्ते को तार कर दे नहीं-नहीं ऐसा वहां नहीं देगी अपने बेटे को रोकेगी इससे आगे वह बढ़ने नहीं देगी।

ऐसा मन में सोच कर कहा नहाने लगी और अपनी नितंबों को मलमल कर साफ की,,, और नहाने के बाद कपड़े पहन कर वह खाना बनाने में लग गई। वह उदास नजर आ रही थी खाना बनाते समय भी वह अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,,, और सूरजबढ़िया आराम से घर में इधर-उधर घूम रहा था क्योंकि आज जो उसने किया था उसको लेकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे आज अपनी मां की नंगी गांड पर अपना लंड रगड़ने में जो आनंद जो सुखों से प्राप्त हुआ था और तो और उसे इस बात का भी अच्छी तरह से एहसास था कि वह अपने लंड को सुपाड़े को अपनी मां के गुलाबी छेद तक पहुंचने में सफल हो चुका था और जानबूझकर वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाला नहीं था,,, क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो वह नाराज ना हो जाए,,,, वह उसके बारे में क्या सोचेगीजबकि वह इतना तो जानता ही था कि उसकी मां को भी लंड की जरूरत है, वह भी प्यासी है लेकिन यह नहीं जानता था कि उसकी मां उसके बारे में क्या सोचती है और इसीलिए वह डर रहा था घबरा रहा था,,,, वरनाएक औरत को पूरी तरह से काबू करना उसे अच्छी तरह से आता था और वह अपनी इस कार्य क्षमता को अपने इस कुशलता को अपनी मां पर भी लागू कर सकता था और उसे पूरी तरह से अपने काबू में करके उसकी चुदाई कर सकता था लेकिन वह अपने आप को ऐसा करने से रोक लिया थावरना वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि लंड को औरत के कौन से छेद में डाला जाता है। इसीलिए तो हुआ काफी प्रसन्न नजर आ रहा था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि एक न एक दिन वह जरूर अपनी मां के गुलाबी छेद पर विजय प्राप्त कर लेगा।

रानी भी खाना बनाने में अपनी मां की मदद कर रही थी पर थोड़ी देर में खाना बनाकर तैयार हो चुका था लेकिन अभी भी खाना खाने में काफी समय था,,,, सुनैना अपने बेटे से नजर नहीं मिल पा रही थी फिर भी अपने आप को सहज रखने के लिए उससे बातें कर रही थी ताकि उसे कुछ शक ना हो,,,तीनों आपस में बात कर रहे थे कि तभी बाहर से आवाज आई,,,।
दीदी,,,ओ,,,, दीदी,,,, कहां हो,,,,,?
(सुनैना को यह किसकी आवाज़ है समझ में आ गया था वह खटिया पर से साड़ी को संभालते हुए उठते हुए बोली,,,)
यह सोनू की चाची को क्या काम पड़ गया,,, तुम दोनों बातें करो मैं देख कर आती हूं,,,,(इतना कहकर सुनैना बाहर की तरफ जाने लगी लेकिन सोनू की चाची की आवाज सुनकरसूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा वह भी सोनू की चाची का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था,,,, इसलिए हुआ अभी खटिया पर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी अपनी मां के पीछे-पीछे चल दिया,,,, सोनू की चाची को दरवाजे पर खड़ी देखकर सुनैना बोली,,,,)
क्या हुआ क्या काम पड़ गया,,,।

अरे दीदी काम की तो पूछो मत तुमसे तो इतना काम पड़ता है कि मैं क्या बताऊं,,,,,।
अब कौन सा काम पड़ गया,,,,।
(तभी अपनी मां के पीछे से एक तरफ खड़े होकर सूरज मुस्कुराते हुए बोला)
क्या हुआ चाची बहुत दिनों बाद आई हो यहां का तो रास्ता ही भूल गई हो ऐसा लग रहा है,,,।
अरे नहीं बेटा तुमको और दीदी को क्यों भूलूंगी भला पूरे गांव में एक दीदी ही तो है जिनसे में अपने सुख दुख की बात बताती हूं,,,,।
आज कौन सी बात बताने के लिए आई हो,,,(सुनैना बोल पड़ी)
अरे अपनी लाडो है ना परसों उसका विवाह है बारात आने वाली है उसके पिताजी पूरे गांव को न्योता दे चुके हैं और मैं यहां आ रही थी तो मुझे ही बोल दी है कि जाकर बोल देना पूरे घर का खाना पीना वही रहेगा,,,,।
अपनी लाडो,,,, अरे कल तक तो नाक बहाती फिर रही थी और आज पूरी तरह से जवान हो गई और उसकी शादी है,,, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है बोलो,,,।
तुम सच कह रही हो दीदी लड़कियां इतनी जल्दी बड़ी हो जाती है अपनी रानी भी तो शादी के लायक हो चुकी है अब जल्दी से इसके लिए भी लड़का देख कर इसके हाथ पीले कर दो,,,,।

मैं भी यही सोच रही हूं कोई अच्छा सा रिश्ता मिले तो बात आगे बढ़ाऊं,,,,।
(दोनों की बातचीत को दौरान सूरज सोनू की चाची को ही देख रहा था और अपनी मां के पीछे खड़े होकर मुस्कुरा रहा था अपनी मां से नजरे बचा कर वह अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे को गोल बनाकर उसके बीच में सेअपने दूसरे हाथ की उंगली को अंदर बाहर करते हुए उसे चुदाई करने का इशारा कर रहा था और उसके सारे को देखकर सोनू की चाची मन ही मन में मुस्कुरा रही थी और खुश हो रही थी,,,, अभी उन लोगों की बात हो रही थी कि सुनैना की पड़ोसन हाथ में लोटा लिए हुए आई और बोली,,,,)
अच्छा हुआ तुम दोनों की यहां मिल गई चलो साथ में चलते हैं और वैसे भी देखो ना मौसम कितना अच्छा है ठंडी हवा चल रही है खेत में कुछ देर तक बैठेंगे तो मजा आ जाएगा इधर-उधर की बातें करेंगे,,,,।
(उसकी बात सुनकर सुनैना और सोनू की चाची भी तैयार हो गई और हैंडपंप के पास जाकर वहां से अपने लिए एक-एक डिब्बा ले ली और उसमें हेडपंप से पानी भरकर तीनों खेत की तरफ निकल गई एक साथ तीनों को जाते हुए देखकरसूरज अपने मां पर काबू नहीं कर पाया और उनसे नजर बचाकर वह भी उन तीनों के पीछे-पीछे जाने लगा क्योंकि उन तीनों की बातें सुनने में उसे बहुत मजा आता था वह देखना चाहता था कि आज वह तीनों किस तरह की बातें करते हैं,,,,